Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 17
________________ द्विपृष्ट सान्वय चरित्र भाषांतर __ अन्वयः-विध्यशक्तिः अपि भवान् भ्राम्यन् कुत्रचित जन्मनि जिन लिंगधरः मृखा कल्प वृंदारकः अभवत् // 52 // . अर्थः-पछी ते विध्यशक्ति राजा पण भवोमां भमतोथको, कोइक जन्ममां जैनलिंग (दीक्षा) धारण करीने, मरण पामी देवलो|| कमां देव थयो. // 52 // च्युत्वा च श्रीमतीकुक्षिजन्मा श्रीधरभूपभूः / पुरेऽभूद्विजयपुरे कुमारस्तारकाभिधः // 52 // अन्वयः-च्युत्वा च विजयपुरे पुरे श्रीमती कुक्षि जन्मा श्रीधर भूप भूः तारक अभिधः कुमारः अभूत्. // 53 // // 16 // ॐॐॐॐॐ 3 मनो कुमार थयो. // 53 // स सप्ततिधनुर्मात्रगात्रः पात्रं मषीविषाम् / द्विसप्तत्यब्दलक्षायुरभूदक्षामपौरुषः // 53 // ___ अन्वयः-सः सप्तति धनुर्मात्र गात्रः, मपी त्विषां पात्रं, द्विसप्तति अब्द लक्ष आयुः, अक्षाम पौरुपः अभूत् // 54 // अर्थः-ते सीत्तेर धनुषना शरीरप्रमाणवाळो, मपीसरखी श्याम कांतिवाळो, वहोतेर लाख वर्षांना आयुवाळो, अने अतिशय बळवाळो हतो. // 54 // अन्ते पितुः प्रतापश्रीताडङ्कं चक्रमाप्य सः। प्रत्यर्धचक्री भूचक्रखण्डत्रयमसाधयत् // 54 // ___ अन्वयः-अंते पितुः प्रताप श्री ताडकं चक्रं आप्य सः प्रत्यर्थ चक्री भू चक्र खंड त्रयं असाधयत् // 55 //

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