Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सान्वय भाषांतर चरित्रं // 48 // // 48 // अन्वयः-जनकेन च अग्रजेन, च सर्वैः उर्वीधवैः सिंहासने अवास्य सः अर्धचक्रित्वे अभ्यपिच्यत. // 63 // अर्थः-पछी पिताए, म्होटा भाइए (बलदेवे) तथा सर्व राजाओए मळीने, सिंहासनपर बेसाडीने ते विष्णुनो अर्धचक्रीपणानी राज्यगादीपर अभिषेक कर्पो. // 63 // नीति वितत्य पृथ्वीं स पृथ्वी पृथ्वीपुरन्दरः / अपालयद्वनीपाल इव बालद्रुमावलीम् // 6 // अन्वयः-वनीपालः बाल द्रुम आवलीं इव सः पृथ्वीपुरंदरः पृथ्वीं नीति वितत्य पृथ्वीं अपालयत् // 64 // अर्थः-बगीचानो रक्षक माली जेम वृक्षोनां छोडवाओनी श्रेणिवें रक्षण करे छे, तेम ते पृथ्वीन्द्रे विशाल नीतिनो विस्तार करीने | पृथ्वीनुं रक्षण कयु. // 64 // // इति श्री द्विपृष्टवासुदेवचरित्रं समाप्तं // आ चरित्र श्रीवासुपूज्यचरित्र नामनामहाकाव्यमांथी | स्वपरना श्रेयने माटे तेना अन्वय तथा गुजरातो भाषांतर करो जामनगर निवासी पंडितश्रावक हीरा| लाल हंसराजे पोताना श्रीजैनभास्करोदय प्रीन्टोंग प्रेसमां छापी प्रसिद्ध कयुं छे // श्रीरस्तु // // समाप्तोऽयं ग्रंथो गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् // . 404 PARGANGAN-GANGAROO PP AC Cars

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