Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ booct मा श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर श्रीमहावीर जैन आराधना केन्द्र P:/E13 / अर्थः-पुत्रोसहित द्वारिकाना राजानो वध करवाना संग्रामनी प्रतिज्ञाथी कूलपर्वतोने पण नीचां करे, एवी सेनानी तैयारी करो? ! सान्वय न चाटुवचनैर्नाग्रेलुण्ठनैनाधिसेवनैः / न चाननतृणादास्ते मोक्तव्याः कथंचन // 84 // त भाषांतर ___ अन्वयः-चाटु वचनैः न, अग्रे लुंठनैः न, अंघ्रि सेवनैः न, च आनन तृण आदानैः ते कथंचन न मोक्तव्याः . // 84 // 18 // 25 // अर्थः-नही मीठां वचनोथी, नही आगळ लोटवाथी, नही पगे पडवाथी, के नही मुखमां तृण लेवाथी, तेओने कोइपण रीते छोडवा नही. // 84 // अधुनैवाधिकोत्साहैर्वाहैः सज्जय मे रथम् / मास्तु कालविलम्बस्ते भम्भां संभावय द्रुतम् // 85 // ___ अन्वयः-अधुना एव अधिक उत्साहैः वाहैः मे रथं सज्जय? काल विलंबः मा अस्तु ? ते भंभां द्रुतं संभावय ? // 85 // अर्थः-हमणाज अधिक उत्साहवाळा घोडाओवडे मारो रथ तैयार कर? तेमां जरा पण वखतनो विलंब थवो न जोइये, अने | तारां रणशींगांनी तुरत संभाळ ले ? // 85 // अथामात्यपतिर्भूपमजल्पन्नयकल्पवित् / देव सेवक एवाद्य यावदस्ति स ते नृपः // 86 // अन्वयः-अथ नय कल्पवित् अमात्यपतिः भूपं अजल्पत्, (हे) देव ! सः नृपः अद्य यावत् ते सेवकः अस्ति. // 86 / / अर्थः-त्यारे नीतिआचारने जाणनारा मंत्रीश्वरे राजाने कर्बु के, हे स्वामी ! ते राजा आजदनसुधी आपनो सेवक छे. // 86 // ||3|| SUGEROPLAST (realls) MAN PP A Guns

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50