Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ द्विपृष्ट चरित्रं // 30 // | अर्थः-पछी चार भुजाओवाळा ते विष्णुने जीतवानी इच्छाथी नगरना चार दरवाजाओमांथी चार प्रकारना शस्त्रोवडे प्रचंड |6| सान्वय बनेलां चतुरंगी सैन्यनी उत्पत्ति थइ. // 10 // | भाषांतर - मिलद्भिर्मन्त्रिधात्रीशदेशाधीशादिसैनिकैः / तच्चमूर्ववृधे यान्ती नदी नद्यन्तरैरिव // 1 // - __ अन्वयः-मिलद्भिः मंत्रि धात्री ईश देश अधीश आदि सैनिकैः, नद्यतरैः नदी इव, यांती तत् चमूः वधे. // 1 // // 30 // दा अर्थः-तेमां आवी मलता मंत्रीओ, राजाओ, अने मंडलीको आदिकोना सुभटोवडे, बीजी नदीओथी जेम (मुख्य) नदी, तेम चालती एवी तेनी सेना वृद्धि पामवा लागी. // 1 // प्रयाणैरप्रमाणैश्च सावेशः प्रतिकेशवः / द्रागलडिष्ट मार्गार्धमलडितपराक्रमः // 2 // __ अन्वयः-च स आवेशः, अलंधित पराक्रमः प्रतिकेशवः अप्रमाणैः प्रयाणैः द्राक् मार्ग अर्धे अलंघिष्ट. // 2 // अर्थः-पछी आवेशमा आवेलो, अने नथी उलंघायेलं पराक्रम जेनुं एवा ते प्रतिवासुदेवे प्रमाणरहित प्रयाणोवडे तुरत अर्ध मार्गनुं उल्लंघन कयु.॥२॥ इतश्च तादृगुत्साहसाहसाभोगभूषितः / हरिरप्येत्य मार्गाधं रुद्धवान्मार्गमग्रतः // 3 // अन्वयः-इतश्च तादृक् उत्साह साहस आभोग भूषितः, हरिः अपि मार्ग अर्ध एत्य अग्रतः मार्ग रुद्धवान्. // 3 // अर्थः-एवामां तेवाज उत्साह अने साहसथी अलंकृत थयेला विष्णुए पण अर्धे मार्गे आवीने अगाडीना मार्गने रोकी दोधो. P.P.AC.Gunratnasur M.S. un Gun Aaradhak Trust

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