Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ द्विपृष्ट सान्वय चरित्रं भाषांतर HOR // 36 // // 36 // | तुल्यं हक्कां प्रहारं च। दत्वा हक्काच्युतायुधे / द्विषि द्विखण्डिते कोऽपि स्वं जघानानुतापतः // 20 // अन्वयः-कः अपि हक्कां च प्रहारं तुल्यं दत्वा, हक्का च्युत आयुधे द्विषि द्वि खंडिते अनुतापतः स्वं जघान. // 20 // अर्थः-कोइक सुभटे तो एकसरखी हांकल तथा प्रहार देइने, हांकलथी खरी पडेलां हथीयारवाळो शत्रु होते छते, पश्चात्तापथी पोते आपघात कर्यो. // 20 // खाङ्गे प्रहारमिच्छन्तौ दृढं कौचिन्महाभटौ / क्रुधान्यतोऽन्यतो यातौ दयामन्दप्रहारिणौ // 21 // __ अन्वयः-स्व अंगे दृढं प्रहारं इच्छंतौ कौचित् महाभटौ दया मंद प्रहारिणौ क्रुधा अन्यतः अन्यतः यातो. // 21 // अर्थः-पोत पोताना शरीरपर गाढ प्रहारने इच्छता एवा कोइक बे महासुभटो, दयाथी मंद प्रहार करताथका क्रोधथी बीजी बीजी जगोए चाल्या गया. // 21 // . प्रतिघातमकुर्वन्तो दत्तघातेषु शत्रुषु / पश्यन्तः सदृशं वीरं चिरं केऽप्यभ्रमन्भटाः // 22 // अन्वयः-दत्तं घातेषु शत्रुषु प्रतिघात अकुर्वतः, सदृशं वीरं पश्यंतः के अपि भटाः चिरं अभ्रमन्. // 22 // अर्थः-घा करनारा शत्रुओपर सामो घा नहीं करता, अने पोतासरखा शूरवीरने शोधताथका केटलाक सुभटो घणा काळमधी भमवा लाग्या. // 22 // SENS P.P.AC.Gunratnasur M.S. Jun Gun Anak Trust

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