Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 32
________________ सान्वय भाषांतर // 31 // द्विपृष्ट / / ततः प्रततसंग्रामगुणग्रामग्रहोन्मुखाः / यमश्रुतिसुखां वातां प्रतेनुरुभये भटाः // 4 // चरित्रं ) अन्वयः-ततः प्रतत संग्राम गुण ग्राम ग्रह उन्मुखाः उभये भटाः यम श्रुति सुखां वार्ता प्रतेनुः // 4 // अर्थः—पछी विस्तीर्ण संग्रामना गुणग्राम करवाने तत्पर थयेला वन्ने सैन्योना सुभटो यमना कर्णोने जेथी सुख उपजे एवी // 31 // वार्ता करवा लाग्या.॥४॥ एकैकजन्तुग्रासेनातृप्तमालस्यशायिनम् / यमं जागरयामासुर्युद्धतूर्यस्वना घनाः // 5 // ___ अन्वयः-घनाः युद्ध तूर्य स्वनाः एक एक जंतु ग्रासेन अतृप्त, आलस्य शायिनं यमं जागरयामासुः // 5 // अर्थः-युद्धना वाजित्रोना गंभीर नादो, एकेका पाणीना भोजनथी तृप्त नही थयेला, अने आळसमां मृतेला यमराजने जगाडवा लाग्या.॥५॥ देहैः प्रहतिसस्ने है रोमाञ्चोच्छ्वासवारितान् / सत्राहाञ्जगृहः कष्टं भटाः स्वामिजयेच्छया // 6 // अन्वयः-भटाः स्वामि जय इच्छया, रोमांच उच्छ्वास वारितान् सन्नाहान्, प्रहति स स्नेहः देहः कष्टं जगृहः॥६॥ __ अर्थः-पछी सुभटोए (पोतपोताना) स्वामिना विजयनी इच्छाथी, रोमांचोना उद्गमथी अटकायेला बखतरोने, संग्राममां प्रि तिवाळां (पोतानां) शरीरोपर मुश्केलीथी चडाववा लाग्या. // 6 // 13 इष्टोऽत्र मृत्युरागच्छन्परिरब्धं चिरेप्सितः / पराङ्मुखा भन्मे मेति नागृह्णन्केऽपि कञ्चुकान् // 7 // P.P.AC.Gunratnasur M.S. un Gu Anda TT

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