Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ 6 द्विपृष्ट चरित्रं 2- भाषांतर // 18 // // 18 // 08 SAUCERROCCESSAG || ब्रह्मानामनो ते नगरीमां राजा हतो. // 58 // . तस्याभूतां शुभे कान्ते सुभद्रोमे शुभयुती / धारे इव कृपाणस्य सतीव्रतगुणनिते // 59 // अन्वयः-तस्य शुभे, शुभद्युती, कृपाणस्य धारे इव सतीव्रत गुण श्रिते सुभद्रा उमे कांते अभूतां. // 59 // अर्थः-ते राजाने उत्तम, तथा मनोहर कांतिवाळी तलवारनी धारनीपेठे सतीव्रतरूपी गुणवाळी सुभद्रा अने उमानामनी वे स्वीओ हती ताभ्यां नरेन्दुः कान्ताभ्यां शुशुभे मुमुदे च सः / रजनीश इव ज्योत्स्नारजनीभ्यां कलोज्ज्वलः // अन्वयः-कला उज्ज्वलः सः नर इंदुः, ज्योत्स्ना रजनीभा रजनी ईशः इव, ताभ्यां कांताम्यां शुशुभे च मुमुदे. // 60 // अर्थ:-कलाओथी शोभतो एवो ते राजेंद्र, चांदनी तथा रात्रिवडे जेम चंद्र शोभे, तेम ते बन्ने स्त्रीओथी शोभतो हतो, तथा आनंद पामतो हतो,. // 6 // इतश्चोत्तरतश्च्युत्वा सुभद्रागर्भमासदत् / जीवः पवनवेगस्य शृङ्गासिंहो गुहामिव // 61 // __ अन्वयः-इतश्च शृगात् सिंहः गुहां इव, पवनवेगस्थ जीवः उत्तरतः च्युत्वा सुभद्रा गर्भ आसादत् // 61 // अर्थः-एवामां सिंह जेम शिखरपरथी गुफामां जाय छे, तेम पवनवेगनो जीव उत्तरमाथी चवीने ते सुभद्रा राणीना गर्भमां आव्यो. | द्विपसिंहवृषादित्या इति स्वप्नचतुष्टयम् / सुभद्रासौ तदाद्राक्षीद्रामजन्माभिसूचकम् // 62 // अन्वयः-तदा असौ सुभद्रा राम जन्म अभिमूचकं द्विप सिंह तृप आदित्याः इति स्वम चतुष्टयं अद्राक्षीत. // 62 // PPAS Jun Gun A Trust

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