Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 20
________________ // 19 // / / 19 // द्विपृष्ट / / अर्थः-ते वखते ते सुभद्राए वलभद्रना जन्मने सूचवनारां हाथी, सिंह, वृषभ तथा सूर्यनामना चार स्वमो जोयां. // 62 // | सान्वय चरित्रं सूते स्म समये सूनुमिमिन्दुसमद्युतिम् / शुक्तिर्मुक्ताकणमिव क्षितिभूषणतां गतम् // 63 // भाषांतर __ अन्वयः-शुक्तिः मुक्ता कणं इव, इयं समये इंदु सम धर्ति, क्षिति भूपणतां गतं मनुं सूतेस्म. // 63 // अर्थ-पछी छीप जेम मोतीना दाणाने जन्म आपे, तेम तेगीए योग्य समये चंद्रसरखो कांतिवाला, तथा पृथ्वीने शोभावनारा 8 पुत्रने जन्म आप्यो. // 63 // कारामुक्त्यादिभिर्व्यक्तं द्विषामपि ददन्मुदम् / ब्रह्मा विजय इत्यस्य सुतस्य विदधेऽभिधाम् // 64 // अन्वयः-कारा मुक्ति आदिभिः द्विषां अपि व्यक्तं मुदं ददत ब्रह्मा अस्य सुतस्य विजय इति अभिधां विदधे.॥ 64 / / अर्थः-केदीओने छोडवाआदिकथी शत्रुओने पण प्रगटपणे हर्ष आपनारा ते बह्माराजाए ते पुत्रनुं "विजय" नाम पाडयु. इन्द्रियश्रीभिरात्मेव पृथप्रथितकर्मभिः / धात्रीभिः पञ्चभिर्लाल्यमानोऽयं ववृधे श्रिया // 65 // - अन्वयः-इंद्रिय श्रीभिः आत्मा इव, पृथक् प्रथित कर्मभिः पंचभिः धात्रीभिः लाल्यमानः अयं श्रिया ववृधे.॥६५॥ अर्थः-इंद्रियोनी शोभाथी आत्मानीपेठे, जूदां जूदां कार्यों करनारी पांच धावोवडे लाड लडावातो ते विजय शोभाथी वृद्धि पामवा लाग्यो. // 65 // . || वर्धमानः क्रमादेष स्मितैः कुसुमयन्दिशः / वसन्तदिवसव्यूह इव कस्य न तुष्टये // 66 // P.P.AC.Gunratnasur M.S. un Gun Aaradhak Trust

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