Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ // 22 // द्विपृष्ट 6 अर्थः-उत्तम उदयवाळा चंद्र अने सूर्य जेम दशे दिशाओमां क्रीडा करता शोभे छे, तेम तेओ बन्ने दश धावमाताओनीवच्चे |||| सान्वय 4] क्रीडा करताथका शोभता हता. // 73 // "चरित्रं भाषांतर नीलपीताम्बरो तालशङ्खाको तौ सितासितौ / धरित्रीजननेत्राणां मुदं चित्रेण चक्रतुः // 74 // ___ अन्वयः-नील पीत अंबरी, ताल शंख अंको, सित असितौ तौ धरित्री जन नेत्राणां चित्रेण मुदं चक्रतुः // 74 // | // 22 // अर्थः-श्याम तथा पीळां वस्रोने धारण करनारा, ताल तथा शंखना चिह्नवाळा, अने श्वेत तथा श्याम कांतिवाळा तेओ बन्ने पृथ्वी परना लोकोनां चक्षुओने आश्चर्यथी आनंद करता हता. // 74 // दोभूषणं शस्त्रकलाः शास्त्राणि मुखभूषणम् / जगृहाते गुरुभ्यस्तो मञ्जूषाभ्य इव स्वयम् // 75 // ___ अन्वयः-तौ स्वयं मंजूपाभ्यः इव गुरुभ्यः दोभूषणं शस्त्र कलाः, मुख भूपणं शास्त्राणि जगृहाते. // 75 // अर्थः-पछी तेओए पोते जेम पेटीमांथी, तेम गुरुपासेथी हाथना आभूपणसरखी शस्त्रकला, अने मुखना आभूषणसरखी शास्रोनी विद्या ग्रहण करी. // 75 // एकपात्रदशायुग्मदीप्तौ दीपाविवोज्ज्वलौ / तौ दुःखसुखयोस्तुल्यौ तुल्यस्नेहो विलेसतुः // 76 // अन्वयः-एक पात्र दशा युग्म दीप्तौ दीपौ इव उज्ज्वलौ, सुख दुःखयोः तुल्यौ, तुल्य स्नेहौ तौ विलेसतुः // 76 // अर्थः-एक पात्रमा रहेली चे वाटोथी प्रगट थयेला दीपकनी पेठे कांतिवाळा, सुखदुःखमां सरखा, अने तुल्य प्रीतिवाळा (पक्षे. CAREERROR RECASSOCESSORRENREGS IES P.P.AC.Ganrainamar M.S.

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