Book Title: Dharmratna Prakaranam
Author(s): Punyavijay
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab Ahmedabad
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घयपुण्णखंडखज्जा, भक्खे सोवत्थियाइं सागम्मि । पल्लंक सालणए, वडगाई धन्न माहुरए ॥१६॥ तंबोले कापूर, लवंगककोलएलजाइफलं । खीरामलं फलम्मी, सलिले आगासजलमेव ॥१७॥ एयं पमुत्तु सेसं, भोगुवभोगं चएइ भोयणओ। पनरस कम्मादाणे, खरकम्माई च कम्मयओ ॥१८॥ अवझाणपमायायरियहिंसदाणं च पावउवएसं । वज्जइ अवज्जभीरू, चउहावि अणत्थदंडं सो ॥१९॥ सामाइयं च देसावगासियं पोसहोववासं च । अतिहीण संविभागं, जहुत्तविहिणा पवज्जेइ ॥२०॥ अह भणइ भुवणनाहो, आणंदा! पंच पंच अइयारा । वज्जेयव्वा सम्मं, वएसु सम्मत्तमूलेसु ॥२१॥ इच्छामो अणुसहि, ति भणिय वंदित्तु वीरजिणचंदं । सो नियगेहे पत्तो, पहुपासे पेसइ समज ॥२२॥ वंदिय वीर गहिउं, तहेव धम्मं गया इमा सगिहं । भुवणजणबोहणत्थं, पहूवि अन्नत्थ विहरेइ ॥२३॥ इय कम्मसम्मनिट्ठवणपवणसद्धम्मकम्मनिरयस्स । आणंदस्स सुहेणं, चउदस वासा वइकंता ॥२४॥ अह चिंतइ रयणीए, जागरमाणो स धम्मजागरियं । इह बहुविक्खेवेहि, विसेसधम्मो न निव्वहइ ॥२५॥ तो ठविय कुटुंबभरे, जिट्ठसुयं उवपुरम्मि कुल्लागे । गंतुं करेमि तमहं, इय चिंतिय काउ तह चेव ॥२६॥ कुल्लागसन्निवेसे, गंतुं कहिऊण निययनियगाणं । पोसहसालाइ ठिओ, इगदसपडिमाउ इय कुणइ ॥२७॥ दसण-यय-सामाइय-पोसह-पडिमा-अबंभ-सच्चित्ते । आरंभ-पेस-उद्दिट्ठवज्जए समणभृए य ॥२८॥
अत्र पूर्वाचार्यप्रणीता इमा विवरणगाथा:
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