Book Title: Dharmratna Prakaranam
Author(s): Punyavijay
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 310
________________ BESEXXXXXXXXXXXXXXXKSK पैति 'गुणौधः' ज्ञानादिगुणकलापः सुदर्शनस्येव । तज्ज्ञातं चैवम्इह परमहिमसमेया, सई पवित्ता सयावि सिवकलिया। हिमवंतसेलभूमि व्व, अस्थि सोगंधिया नयरी ॥१॥ तत्थ य मिच्छद्दिट्ठी, नयरपहाणो सुदंसणो सिट्टी । सुयपरिवायगभत्तो, अइअवगयसखसिद्धंतो ॥२॥ इत्तो सुरद्वविसए, बारवई नाम पुरवरी अत्थि। सम्मत्तपवित्तमणो, तं परिवालइ निवो विण्हू ॥३॥ तत्थेव सत्यवाहा, थावच्चा नाम पायडा अत्थि। कम्मवसाओ बालम्मि, नंदणे जायपइमरणा ॥४॥ सोयभरनिब्भराए, तीए बालस्स नो कयं नाम । तो थावच्चापुत्तो, सो विक्खाओ सयललोए ॥५॥ कालेण कलाकुसलो, पत्तो तरुणतणम्मि जणणीए । परिणाविओ समं चिय, बत्तीसमहिन्भकन्नाओ॥६॥ ताहि सम सुहमसमं, अणुहवमाणस्स विगयचिंतस्स । दोगुंदुगदेवस्स व, समइक्कतो बहू कालो ॥ ७ ॥ तत्थऽन्नदिणे पत्तो, नेमिजिणो तस्स वंदणनिमित्तं । राया दसारसीहो, सव्वविभूईइ संचलिओ॥८॥ अन्नो वि हु राईसरतलवरसत्थाहसिद्विपभिईओ। नयरीलोओ अहमहमिगाइ चलिओ जिणं नमिउं ॥९॥ दटुं कयसिंगारं, एगमुहं पत्थियं नयरलोयं । नियपडिहारं पुच्छइ, थावच्चानंदणो एवं ॥ १० ॥ कत्थ इमो संचलिओ, कयसिंगारो जणो तुरिय तुरियं ? । सो आह भुवणनाहस्स, नेमिनाहस्स नमणत्थं ॥११॥ तो सोवि रहारूढो, भत्तीए गंतु तत्थ विहिपुव्वं । वंदइ तिलोयनाहं, सुणेइ धम्मं च एगग्गो॥१२॥ CBXXXSE&&&&&&& &&&&&&& Jain Eduetan For Private & Personel Use Only bullinelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340