Book Title: Dharm Sangrahani Part 02 Author(s): Ajitshekharsuri Publisher: Adinath Jain Shwetambar Jain Mandir TrustPage 15
________________ अ अंते केवलमुत्तम अंधम्मि तमम्मि अंधो वि अणंघेणं अइसकिलिकम्माणु अक्कोसाण विसहणं अमहियामिवि अमहिये गुणो अग्गहितम्मि य तम्मि अट्ठविहंपि य कम्मं अण अप्पच्च अणवगमम्मि य अणुभयस्यमभाव अणुमापि हु अणुमाणेणावि कहं अणुमा द अण्णे ण चेव वीसुं अणे तु असं अण्णे सव्वं णेयं अनिवारियहणं अन्नं अतिंदियं जं अन्नं अतिंदियं से अन्नं च गम्मइ अन्नं च दव्वलिंगं अन्नं च नज्जइ कहं अन्नं च नज्जइ ततो अन्नाणादिनिमित्तं अन्ने उ नथि अन्ने मुसावाओ अन्ने निद्दोस चिय अन्ने भांति आभि. अन्ने सागारं खलु अन्नेसिं मोहोदय अप्पस्स होति अह अपमत्तस्स न अयपिंडे भावंतरभावो अरहा वि असव्वन्नू अवयविणोविय अवबोहमादिया पुण अधियग्गहिए अविसंवादि य एतं अव्वाबाधाओ च्चिय अनादिभेदभिन्न असइ य को भावेति असुह परिणामबीजं अस्सावणत्तजुत्त अह अपरोप्पर अह अणुभवस्वं अह अत्थवादवक्कं अह अविवेकातो गाथाङ्क पृष्ठ ८५५ 145 ८९४ 160 १३१२ 316 ९३८ 175 ९०० 162 ७३९ 90 १०९८ 234 ११४५ 251 १०७१ 225 ६१४ 31 ६६९ 59 ६८८ 66 ७४१ 91 ११५५ 254 १२९६ 310 १३३७ 328 "अ" अराहि मे भूणगाथाओ अह उ अभेदो अह उ अभावोत्त अह उ निरागारं अह उ ससंवेदन अह उ अणागारं अह उ गुणसेवाए अह उ उवक्कामिज्जति अह उस्सगेसो अह उत्तमसंघयणे अह कहवि तस्स अह गाहगस्वं अह चित्तो किं अह चित्तो चेव अह जस्स एरिसो अह जागादिविहाणं अह णवि एवं तो अह णिच्छवि • अह तं विसिद्वगं अह तं न तओ अह तत्थ विसंवादो १३२४ 321 १३७० 340 ११०१ 236 १२०५ 277 ११४८ 252 १२६९ 300 १९३० 244 ११४१ 249 ११५४ 254 ११७६ 261 १९८१ 264 ८९६ 161 ९८६ 192 ८४६ 140 १३३५ 327 १११६ 240 १०४२ 213 १०५२ 218 ८६७ 148 ८३१ 132 ६५४ 51 ११९९ 273 १०८८ 231 १२११ 279 -अहवा णेगतोऽयं १३८३ 344 ८६१ 147 १९८३ 265 १०११ 201 १२८१ 304 ६५२ 50 ६८३ 64 ८८७ 156 १०४६ 215 अह ता भिन्ना अह तल्लिंगसमं अह तु असो अह तु अभावो अह तु सहावी अह तु अविना अह तु अकिंचिणु अह तु विवखाए अहदीहभवण्यासा अह देसणाणदंसण अह धम्मकाय अह धम्मसाहणं अह निच्च सव्वन्नू अह पडिवत्ति विसेसा अह पुव्वकयं ९३७ अह फलमुद्दिस्स अवघिय अह रत्थापुरिसकओ अह वट्टतित्ति अहव जओ च्चिय अह विसया आगारो अह सति वि तम्मि अह सव्वदव्व अह सागाराउ अह सो परस्स आ आउं च एत्थ आउयनामं आजमाए 1 ६८१ 63 १२७७ 303 ६८४ ६४८ 49 65 ६८६ 66 ७६५ 100 ९४८ 179 १००१ 198 १०३० 209 ६७५ 61 62 ६७८ ५५१ ५६२ 3 8 १०३९ 212 १२७२ 301 १३४२ 331 १२३९ 289 73 ७०४ १२६१ 297 ८८४ 155 ६९८ 70 १११२ 239 ५५२ 3 ५५६ 5 ७०१ 72 ७२२ 83 १२७६ 302 १२८४ 305 १०५३ 219 १३५४ 335 १०२६ 207 १०३४ 210 ११६० 256 ८२९ 131 175 ५९१ 21 ८८२ 155 ११५९ 255 ६५६ 52 ७९३ 112 ६२६ 40 ६८५ 65 आगममोक्खाओ आणूगम्मिसमीरण आतवज्जोव आदिल्लाणं तिहं आभिणियोहियनाणं आयाणे गहण ( मोक्ख) आरंभनिट्ठियं पिंडमादि आरोगबोहिलार्थ आलयगता अणेगा आवरणाभावो वि हु सेवाए एवं आसेवणाए जाय आवणाए लिसा आहागडस्स गहणे इ इच्छंतो वि य इट्ठो य वत्थुधम्मो इत्थी पुरिस इय अत्थि नाण इय अच्यंसिद्ध इय अत्थि चेव आया इय अववादपदेणवि इय अणुभवजुत्ति इयखंदविहिणा इय घणसंसत्ताए इस जुतिविरो इय तस्स अणादित्ते इस दिड विरोहो हव दोसाणावग इय निद्दोसं वत्थं इयमिच्छत्तु. इयमित्तराणिवित्ती इयरस्स उ कत्तिते इय वत्थुसहावं इय वत्थुसहावं इहरा कयवेफल्लं इहराऽऽदीणिधणत्तं उ उचियादणत्थगं९४३ उडिति के उत्तरगुणा उ चित्ता उदयक्खय ८३३ 133 उपपन्नम्मि वि णाणे उल्लंघिऊण एवं ८२७ 130 ६४५ 48 उलुगादीणं दिणगर. उक्तमेव ६९१ 68 गाधाङ्क पृष्ठ उवमागम्मा वि ण ६१६ 33 उवमाणेणऽवि तद. ६०८ 28 उवयोगो एगतरो ६२१ 37 उवसमिय सेढिगस्स ७६३ 98 ६२९ 41 ६१९ 35 ७४५ 92 ८१६ 123 ११०३ 237 ९९९ 196 ८९० 158 ६९५ 69 १२१७ 280 ९७५ 188 ९६० 183 ९७६ 188 १०४३ 214 गाथाङ्क पृष्ठ ५६८ 12 101 ७६९ ६१५ 32 ९१० ७३१ 87 908 164 165 १००५ 199 १३८५ 345 ९३५ 174 ९८१ 190 ६६३ 57 ५७६ 15 ६३२ 42 ८९९ 162 १०७७ 227 ५६९ 12 १३८४ 345 ५९६ 23 ९३१ 173 ९५२ 181 ५९८ 24 १३३९ 329 गाथाङ्क पृष्ठ 177 १२१२ 278 ११३६ 248 ९४९ 180 १२६२ 297 १०३६ 211 १२६५ 298 १३४५ 332 १२२६ 284 १२९८ 311 १३५८ 336 ७९८ 115Page Navigation
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