Book Title: Devvandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 505
________________ Shri Mabain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalaha ri Gyanmandir श्रीदे० श्रीदत्तचरित्रम् चैत्यश्री धर्म संघाचारविधौ ॥४०८॥ कयत्थो सि । जं तुह इय मणभवणे विवेयदीवो समुल्लसिओ ॥७५॥ दिजउ तुहेव रेहा धम्मधुरीणेसु सव्वपुरिसेसु । तुज्झ समीहियसिद्धी भद्द ! लहुं होइ निविग्घा ।।७६॥ नमिय मुणिं संभासिय तं च सुओ हिययइच्छिए ठाणे । पत्तो तो सिरिगुत्तो मुणिणो | साहेवि नियचरियं ॥७७॥ नमिउं पुच्छइ धम्मं परहियनिरओ मुणीवि वजरइ । देवगुरुधम्मतत्ताइसंमयं समुचियं तस्स ॥ ७८॥k भद्द ! निमित्तविसुद्धे चिइवंदणपमुहनिचकिच्चंमि । उज्जुत्तो होसु सया तहत्ति पडिवाइ इमोऽवि ॥७९॥ नमिय मुणिं भयतरलो ओसरिउं सिरिपुरे कमा पत्तो । गिहिधम्म परिपालइ चिइवंदणकिच्चमाईअं ।। ८० ॥ कइयावि रिसहभवणे देवे वंदंतओ इमो पिउणा । ववहारत्थं तत्थागएण दिट्ठो तहा नाओ॥८१॥ सिरिगुत्तेणवि जणओ नाओ पडिओ य तस्स चलणेसु। पिउपुढेण य कहिओ जहाठिओ निययवुत्तंतो ।। ८२ ।। तो असरिसहरिसपरेण सिट्टिणा धम्मिउत्तिकाउमिमो । नलरनोऽणुनाए नीओ विजयाइ नयरीए ॥८३॥ सिट्टी कुटुंबभारं ठविय सुए धम्मउज्जुओ जाओ। लज्जा धम्मेसु य इमो धुरंधरो विजियवसणोऽवि ॥४॥ कयचिइवंदणआवस्सयाइकिरिओ कयाइ स निसाए । सुमरंतो सुयचरियं अभिभवउस्सग्गमल्लीणो॥८॥-इत्तो सो वरकीरो विमलनगे काउ अणसणं धीरो। जाओ सणंकुमारे देवो तं नाउ ओहीए ॥८६॥ से धम्मथिरीकरणत्थमागओ भणइ भद्द ! पारेसु । उस्सग्गं कीरजिभो सोऽहं चिंतेसि जं हियए ॥८७।। पारइ काउस्सग्गं सिरिगुत्तो हरिसवसवियासिमुहो। कहइ सुरो नियचरियं तस्स तहा देइ भूरि धणं ॥ ८८ ॥ कजे पुण समरिजसु इय भणिय सुरो गओ सठाणंमि । इयरोऽवि विसेसरओ जिणधम्मे गमइ बहुकालं ||८९|| कइयावि अइगिलाणो काउस्सग्गेण सरइ कीरसुरं । सोऽवि लहु तत्थ पत्तो कहेइ से आउ सत्तदिणे ।। ९० ॥ तो सिरिगुत्तो खिप्पं विनिओजिअ नियधणं मुखित्तेसु । जिणचेयकयपूओ पुच्छिय रायाइनयरजणं ॥९१।। सिरिविमलबोहगुरुणो पासे ॥४०८॥ For Private And Personal

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