Book Title: Devvandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 517
________________ Shri Martin Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kayseresuri Gyanmandir नागदत्त रामकथा श्रीदे० पण्डिपसारणअंगुमिलणे अभितरा उद्धी १० ॥४॥ पाउणइ संजईविव ११ पुरओ खलिणव्य धरइ रयहरणं १२ । चलचित्तवाचैत्य० श्री-1| यसोविव चक विकखिवइ दिसिविदिसि १३ ॥५॥ छप्पइयभया पट्टे कुणइ कविट्ठ व१४ कंपइ य सीसं जक्खगहिउव्य १५ धर्म संघा मूयव्य हूहूयइ छिंदणाईसु १६ ।।६।। अंगुलिभमुहे चालइ आलावगगणणजोगठवणत्थं १७ । बुडबुड्डुइ अहब मुरव्व १८ वानचारविधौ रोविव चलइ ओढे १९ ॥७॥ इह लंबुत्तर १ थण २ संजइति दोसा न हुंति समणीणं । लंबुत्तर १ थण २ संजइ ३ वह य ४ ॥४२०॥ दोसा न सड़ीणो ॥ ८॥ खलिणकविठ्ठदुगं पुण अगीयसेहाइयाण संभवइ । संभवइ गिहत्थाणवि कयाइ एगत्तभावंमि ॥ ९॥ इह देवदसउरपुरे दो मित्ता रामनागदत्तमिहा । हुत्था सयावि दुत्था अमुद्ददारिद्दविहगदुमा ॥१॥ कयकट्ठपाणवित्ती कट्ठाण कए कयावि ते पत्ता । सिवदेहे इव ससिवे सगुहे सेलंधसेलेमि ||२|| अज्झीणझाणलीणं थिमियं निव्वायजलनिहिजलं व। काउस्सग्गेण ठियं मंदरसिहरं व निकंपं ॥ ३ ॥ पावरयपसरहरणे महाबलंपिव महाबलं नाम । नामियअंतरसत्तुं तत्थ नियच्छंति मुणिपवरं ॥४॥जा खणमेगं ते कोउगेण उद्धट्ठिया नियंति तयं । तावच्चिय कुहराओ घणकसिणो निग्गओ भुयगो॥५॥ सो भमिय तुरिय तुरियं इओ तओ किंपि भक्खमलहंतो । गुरुकोवो त साहुं दसिय पविट्ठो सवम्मीए॥ ६॥सो तहवि मुणिनरिंदो तेण विसेणं मणपि नकतो । नय झाणाओ चलिओ तो गाढं विम्हिया एए॥७॥ चिंतंति अहो एस मुणि अणप्पमाहप्पभवणमम्हेहिं । | दिवो दोगच्चहरो पुन्नेहिं कप्परुक्खुब्ध ॥८॥ पारियकाउस्सग्गो जा भणिओ तेहिं मुणी कहसु भयवं!। लंबंतभुया निचलदिट्ठी केयं अवस्था भे? ॥९॥ एइ अवत्थाए न तु तुम्भं भुयगाइणोऽवि पहवंति । इय अम्ह दिट्ठपुव्यं तो वजरए इमं साहू ॥१०॥ काउस्सग्गावत्था भद्द ! भद्दाण कारिणी सा उ। सिओसिआइमेएहिं णेगहा वनिया समए ॥ ११ ॥ उसिओ१ उसिओ २ ॥४२०॥ For Private And Personal

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