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(देव शिल्प
चौकी मण्डप
चार स्तम्भों के मध्य के स्थान को चौकी कहते हैं। चौकी की संख्या के आधार पर चौकी मण्डपों में बारह प्रकार के भेद किये जाते हैं। जिन प्रासाद के समक्ष नव चौकी वाला मंडप बनाना चाहिये । ये भेद नाम सहित इस प्रकार हैं -
चौकी मंडप का नाम रचना १.सुभद्र
गूढ़ मंडप के आगे एक चौकी वाला ...करीट
ती चौकी ३. दुन्दुभि
तीन चौकी के आगे एक चौकी ४. प्रान्त
तीन-तीन चौकी की दो कतार ५. मनोहर
छह चौकी के आगे एक चौकी ६. शान्त
तीन-तीन चौकी की तीन कतार ७. नन्द
तीन-तीन चौकी की तीन कतार के आगे एक चौकी ८. सुदर्शन
तीन-तीन चौकी की तीन कतार के दोनों बाजू में
एक-एक चौकी, आगे नहीं । ९. रम्यक
तीन-तीन चौकी की तीन कतार के दोनों बाजू में एक
एक चौकी, आगे एक चौकी १०. सुनाभ
तीन-तीन चौकी की चार कतार ११. सिंह
तीन-तीन चौकी की चार कतार के दोनों बगल में एक
चौकी, आगे नहीं १२. सूर्यात्मक तीन-तीन चौकी की चार कतार के दोनों बगल में एक
एक चौकी, आगे एक चौकी
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*एकत्रिवेदषट्सप्तांकचतुष्वयरित्रकाये । अदो भद्रं विना पार्श्व पार्श्वयोरयतस्तथा ।। प्रा मं.७/२२ अवातस्त्रिचतुष्क्यश्च तथा पार्श्वद्वयेऽपि च । मुक्तकोणे चतुष्कं चैदिति द्वादश मण्डपाः ॥ प्रा.म.७/२३ गढस्थाने प्रकर्तव्या जानाचतुष्फिकाव्यिताः । चतुरस्रादिभेदेन वितानबहुभिर्युताः । प्रा.म.७/२.४ $अ.पृ.सू. १८७