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देव शिल्प
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विद्या देवियां जिस प्रकार सरस्वती को जिनवाणी की प्रतीकात्मक देवी की संज्ञा है उसी प्रकार जिन शासन में वाणी की विभिन्न प्रकृतियों को मूर्तरुप देवी स्वरुप माना जाता है। ये विद्यादेवियां कही जाती हैं। इनकी संख्या सोलह है । दिगम्बर एवं श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदायों में इन्हें समान रूपेण मान्यता है।
सोलह विद्या देवियों की नामावली - क्र. दिगम्बर परम्परा श्वेताम्बर परम्परा
रोहिणी राहणी प्रज्ञप्ति
प्रज्ञप्ति वजशृंखला वजशृखला वजांकुशा वज्रांकुशा जांबुनदा अप्रतिचक्रा (चक्रेश्वरी) पुरुषदत्ता पुरुषदत्ता काली
काली महाकाली महापरा गौरी
गौरी गांधारी गांधारी ज्यालामालिनी ज्वाला मानवी
मानवी
पैरोट्या अच्युता अच्छुप्ता मानसी मानसी महामानसी महामानसी
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वैरोटी
इन देवियों की प्रतिमाएं मन्दिर में भीतरी एवं बाध्य भाग में लगाई जाती है। खजुराहो एवं रणकपुर में जैन मन्दिरों में सोलह विद्यादेबेयों की प्रतिमाएं अत्यंत मनोहारी हैं।