Book Title: Devshilp
Author(s): Devnandi Maharaj
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 478
________________ 8 Կ (देव शिल्प तीर्थकरनेमिनाथ नेमिनाथ जिन वल्लभप्रासाद नेमेन्द्रेश्वर प्रासाद वल का विभाग प्रासाद की वर्गाकार भूमि का २२ भाग करें। उसमें कोण २ भाग कोणी १भाग प्रतिकर्ण २'भाग उपरथ २ भाग नन्दी १भाग भद्रार्ध ३भाग रखें। शिखर की सन्ना कोण के ऊपर २ क्रम चढ़ाएं (केसरी एवं सर्वतोभद्र) प्रतिकर्ण के ऊपर १ क्रम (केसरी) एवं एक तिलक चढ़ाएं उपरथ के ऊपर १ क्रम (कसरी) एवं एक तिलक चढ़ाएं कोणी के ऊपर १ श्रृंग एवं एक तिलक चढ़ाएं नदियों के ऊपर १ श्रृंग एवं एक तिलक चढ़ाएं भद्र के ऊपर ४ उरूश्रृंग चढ़ाएं प्रत्यंग १६ चढ़ावें। Roman ARTHAPTOIN ARIHERERNETHER श्रृंग संख्या कोण ५६ कोणी ८ प्ररथ ४० कोणी ८. उपरथ ४० नन्दो ८ भद्र १६ प्रत्यंग १६ शिखर १ तिलक संख्या प्ररथ ८ उपरथ ८ कर्ण नन्दि ८ प्ररथ नन्दि ८ भद्र-न्दी ८ कुल १९३ कुल ४० नेनिनाश जिन वल्लभ प्रासाद नेमीन्द्र प्रासाद

Loading...

Page Navigation
1 ... 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501