Book Title: Devshilp
Author(s): Devnandi Maharaj
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 498
________________ देव शिल्प वापी वामन वाराह वारि वारिमार्ग विधु विद्धविपर्यास विलोक्य विस्तीर्ण वृत वेदिका वरद वरंडिका विद्याधर वेदी वेदिबन्ध वैश्मन वैराटी व्यक्त व्यंग - व्यजन व्यक्तिक्रम व्यास व्योमन् - वितान विस्तार शंकुशंखावर्त शदुरम् - बावड़ी मंडप के व्यास के आधे मान की ऊंचाई वाला गुम्बद, जगती के आगे का बलापक मंडप मंडप के व्यासार्ध के २/३ मान की ऊंचाई वाला गुम्बद जल दीवार से बाहर निकला हुआ खांचा, बरसाती पानी के बहाव के लिए बारिक नालियां, सलिलांतर चन्द्रमा वेध, रुकावट उल्टा खुला भाग विस्तार, चौड़ाई गोलाई, गोलाकृति पील, प्रासाद आदि का आसन वर प्रदान करने की सूचक हस्त मुद्रा | शेखर और जंघा के मध्य बना कुछ गोटों से मिलकर बना भाग गुम्बद में नृत्य करने वाले देव रुप पीठ, राजसेन के ऊपर का थर अधिष्ठान, आधार, जगती मन्दिर, घर प्रासाद की कमलपत्र वाली दीवार प्रकाश वाला टेढ़ा पंखा ४७६ मर्यादा से अधिक विस्तार, गोल का समान दो भाग करने वाली रेखा शून्य, आकाश गूमट का नीचे का भाग, छत चौड़ाई छाया मापक यंत्र प्रासाद की देहली के आगे की अर्धचन्द्र आकार वाली शंख और लताओं वाली आकृति स्तंभ का चतुष्कोण भाग (दक्षिण भारतीय) (तमिल) : + I i 1 ·

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