Book Title: Devshilp
Author(s): Devnandi Maharaj
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 496
________________ ४७४ (देव शिल्प) मंजरीमटमंडनमंडपमंडलमंडुकीगंडोवर प्रासादका शिखर अथवा श्रृंग ऋषि आश्रम, धर्मगुरु का स्थान आभूषण गर्भगृह के आगे का मंडप गोल आदि आकार वाली पूजन की आकृति यजादंड के ऊपर की पाटली जिसमें ध्वजा लगाई जाती है प्रासाद की दीवार, पीट, वैदिबंध तथा जंधा से मिलकर बने भाग का नाम (पश्चिमी भारतीय स्थापत्य में प्रचलित) प्रासाद का उदय भाग, द्वार की अलंकृत देहली, देहली के मध्य का गोल अर्द्धचन्द्र भाग मंदारक मर: मत्तावल-ब गत्र मध्यस्थामर्कटोमहामंडप महानरामाडमिश्र संघाटमुकुलीमुख भद्रमुख मण्डप गधाक्ष, झरोखा, आला, ताका जाप विशेष प्रासाद के १/४ भाग के मान का कोली मंडप का नाग ध्वजादण्ड के ऊपर की पाटलो जिस पर ध्वजा लटकाई जाती है मध्यवर्ती स्तंभ आधारित मंडप, जिसके दोनों पार्श्व अनावृत्त होते हैं (मध्यकाल मंदिरों में प्रचलित) रसोईघर मंडप, मंडवा ऊंचा नीचा खांचा वाला गुम्बद का चंदोवा, छत आठ शाखा वाले द्वार का नाम प्रासाद का मध्य भाग गर्भगृह के आगे का मंडप, बलाणक, सामने का या प्रवेश द्वार से संयुक्त मंडप छज्जा के ऊपर का एक थर टेढ़ा, तिरछा नीचे का भाग शिखर के नीचे का कोना शिखर के नीचे के दोनों कोण के बीच का नाप, कोना मूल मन्दिर मुख्य स्थान पर स्थापित तीर्थंकर मूर्ति प्रवेश द्वार से संयुक्त मुख मंडप या सामने का खांचा चारों ओर से निराधार स्तंभ जिसके शीर्ष पर चार तीर्थंकर मूर्तियां होती हैं मुण्डलीक मूलमूल कर्णमूल रेखामूल प्रासादभूलनायकमुख्य चतुष्कीमान स्तम्भ

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