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(देव शिल्प
(४३३)
तीर्थकर सुमतिनाथ सुमति जिन्न वल्लभ प्रासाद
दाल का विभाग वर्गाकार भूमि के १४ भाग करें। उसमें कोना
२ भाग प्रतिस्थ
२भाग नन्दी
१भाग गद्रार्ध
२ भाग बनायें को तथा प्रतिरथ का निर्गम रामदल
रखें।
शिखर की सजा कोने के ऊपर २ क्रम चढ़ायें; प्रतिस्थ के ऊपर २ क्रम चढ़ायें; प्रत्येक भद्र के ऊपर ४ उरूश्रृंग चढायें ; प्रत्येक भद्र के ऊपर प्रत्यंग चढ़ायें: नन्दी के ऊपर १ श्रीवत्स श्रृंग तथा
१ कूट चढ़ायें।
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कूट संख्या ५६ नन्दो .
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श्रृंग संख्या
कोण प्रतिरश्च ११२ 'भद्र प्रत्यंग नदी शिखर
६
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कुल
२०१
कुल ८
सुमतिजिन वल्लभ प्रासाद