Book Title: Devshilp
Author(s): Devnandi Maharaj
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 472
________________ देव शिल्प) (४५० भाग करें। उसमें TANT तीर्थकर कुन्थुनाथ कुन्थु जिन वल्लभ प्रासाद कुमुद प्रासाद तल का विभाग प्रासाद की वर्गाकार भूमि के कोण भाग प्रतिकर्ण माग भद्रा १.१/२ माग गादी १/२ भाग करें 'मद्रका नियंग भाग करें। ऐसा चारों दिशाओं में करें । शिखर की सजा को। र श्रृंग (केसरी) तथा १ तिलक चढ़ाएं ; प्रतिक रूपर अंग केरारी) त!! १ तिलक चढाएं : मद्रनन्दी के ऊपर १ तिलक चढ़ाएं। भद्र के ऊपर १रुश्रृंग चढ़ाएं। श्रृंग संख्या तिलक संख्या कोण २० को ४ प्ररथ ४० प्ररथ ८ भन्द्र ४ नदी ८ शिखर १ .. ST मकर ER astritin SIAH - - - - - - - - - - - - - -- - - - - कुल ६५ कुल २७ शुजिन वाम पारात शक्तिदप्रासाद इरसका निर्माण कुमुद जिन वन्तम प्रासाद के पूर्वोक्त मान से करें तथा उसमें प्ररथ के ऊपर एक एक तिलक अधिक चढ़ा। फुल श्रृंग संख्या - ६५ Kल तिलक संख्या २८

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