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(देव शिल्प
वास्तु पुरुष मंडल के ४५ देवों के नाम तथा रथा- इस प्रकार हैं * -
वास्तु पुरुष मंडल में स्थिति देय का नाम ईशान कोण दोनों कान
पर्जन्य, दिति गला
आप दोनों कंधे
दिति तथा अदिति दोनों रत
आर्यमा तथा पृथ्वीधर हृदय
आपवत्स दाहिनो भुजा
इन्द्र, सूर्य, सत्य, भृश तथा आकाश बायीं भुजा
नाग, मुख्य, मल्लाट, कुबेर, शैल दाहिना हाथ
सावित्र तथा सविता बायां हाथ
रुद्र तथा रुद्रदास जंघा
मृत्यु तथा गैत्रदेव नाभि का पृष्ट भाग - ब्रह्मा गुह्येन्द्रिय रथान ... इन्द्र एवं जय दोनों घुटने
अनि एवं रोगदेव दाहिने पग की नली पूष], वितथ, गृहक्षत, यम, गंधर्व, भृग, मृग बायें पग की नली नंदी, सुग्रीव, पुष्पदंत, वरुण, असुर, शेष, पापयक्ष्मा पांच
पितृदेव
पूर्वी
गंडल में इनके अतिरिक्त दिशाओं के आठ कोणों पर आठ देवियां भी स्थित करें -
मंडल में दिशा का नाम देवी का नाम इंशान उत्तरी चरक ईशान
पीलीपीच्छा अनि
विदारिका अग्नि दक्षिण
जम्भा नैऋत्य दक्षिण
पूत-11 नैऋत्य
पश्चिम वायव्य
पश्चिम पापरक्षिसिका वायव्य उत्तर
अर्यमा इस प्रकार निर्मित वास्तु पुरुष मंडल पर वास्तु शांति पूजा करना चाहिये
*47. म.८१०३ - १११ अ.सू. ११३/१११