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(देव शिल्प
३९६) २. सर्वतोभद्र प्रासाद
तल का विभाग प्रासाद जो वर्गाकार भूमि के परा- टस भाग अर्थात् २० भाग करें। उसमें मध्य में सोलह भाग का गर्भगृह बनायें। दो भाग का कोना, १, १/२ भाग प्रतिरथ, भद्रार्ध १, १/२ भाग करें। . ...एक भाग की बीमार, ए... माही परिक्रमा, एक भाग की दूसरी बाहर की दीवार करें।
दो-दो भाग का कोण तथा छह भाग की भद्र की चौड़ाई रखें । भद्र का निर्गम एक भाग रखें ; भद्र के दोनों तरफ एक एक भाग की एक एक कोणी बनाएं। भद्र के दोनों तरफ आधे-आधे भाग की एक एक कर्णिका बायें। कर्णिका तथा कोणी का निर्गम आधा- आधा भाग रखें। इस प्रकार कुल एक भाग निर्गम रखें।
छह भाग चौड़े भद्र में से दो कोणी तथा दो कर्णिका का कुल तीन भाग छोड़कर शेष तीन भाग जितना मुखभर की चौड़ाई रखें । 'भद्र के ऊपर पांच-पांच उद्गम करें।
शिखर की सजा कोण के ऊपर दो -दो इस प्रकार कुल आट श्रृंग चढावें । आमलसार तथा कलशयुक्त श्रीवत्स शिखर बनायें।
श्रृंग संख्या कोण शिखर
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कुल
९
FICE
सर्वतोभद्र प्रासाद
भ्रम