Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah

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Page 16
________________ ते, पमिकमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि ॥५॥ से निख्खू बा, निख्खूणी वा संजय, विरय, पमिहय पच्चरकाय पावकम्मे, दिया वा, राड वा, एगर्ड वा, परिसागडे वा, सुत्ते वा, जागरमाणे वा, से की वा, पयंगं वा, कुंथु, वा, विपिलियं वा हर्कसि वा, पायंसिवा, बाहुँसिवा, उरुसिवा, उदरंसिवा, सीसंसि वा, वसि वा, पमिग्गहंसि वा, कंबलंसि वा, पायपुचणंसि वा, रयहरणंसि वा, गलगंसि वा, उमगंसि वा, दंमगंसि वा, पीढगंसि वा, फलगंसि वा, सेकंसि वा, सथारगं सिवा, अन्नयरंसि वा, तहप्पगारे, उवगरण जाए, तसंजयामेव, पमिलेहिय, पमिलेहिय, पमजिय पमजिय, एगंत मवणिजानोणं संघाय-मावजिजा ॥६॥ . (अनुष्टुवृत्तम्) अजयं चरमाणो य, पाण नूयाइं हिंस॥ बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कम्यं फलं ॥१॥ अजयं चिन्माणो य, पाण नूयाइं हिंसश् ॥ बंधाई पावयं कम्म, तं से होइ कमुयं फलं ॥२॥ अजयं आसमाणो व, पाण नूयाइं हिंस॥ बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कमुयं फलं ॥३॥ अजयं सयमाणो य, पाण नूयाइं हिंस॥ बंधई पावयं कम्म, तं से हो कमुयं फलं ॥४॥ अजयं मुंजमाणो य, पाण नूयाइं हिंस॥ बंध पावयं कम्म, त से होइ कमुयं फलं ॥५॥

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