Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah

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Page 54
________________ (४) सुवा जह अरविंद-माहु॥खत्तीण सेठे जह दत्त वक्के, इसीण से तह वचमाणे ॥२॥ दाणाण सेठं अजयप्पयहाणं, सच्चेसुवा अणवऊ वयंति ॥ तवे सुवा उत्तम बंजरं, लोगुत्तमे समणे नायपुत्ते ॥ २३ ॥ ठिण सेवा लवसत्तमावा, सजा सुहम्माव सलाण सेज ॥ णिबाणसे जह सवधम्मा, ण णायपुत्ता परम ऽबिनाणी ॥ २४॥ पुढोवमे धुणविगयगेहि, न समिहिं कुवर आसुपन्ने ॥ तरितु समुदं च महानवोघं, अनयंकरे वीरे अणंतचख्खु ॥ २५॥ कोहं च माणं च तहेव मायं, लोनं चन अशदोसा ॥ ए आणि वंता अरहामहसी, ण कुवर पाव ण कारवे ॥२६॥ किरिया किरियं वेणआणुवायं, अन्नाणियाणं पमियच्च गणं ॥ से सबवायं इतिवेदश्त्ता,नवहिए धम्म सदीहराय॥२७॥से वारिया इचि सराश्नत्तं उहासवं पुरकखयच्याए॥ लोगं विदित्ता आरं पारं च, सर्व पनू वारिय सव्ववारं ॥२०॥ सोच्चा य धम्मं अरिहंतनासियं, समाहियं अपलं विसुद्धं ॥ तं सदहंता य जणा अणाज, इंदेव देवाहिआगमिस्संति तिबेमि ॥ए॥ इति समाप्तं. ___ नमिपवजा नवमं अध्ययनम्. चऊण देवलोगाउँ उववन्नो माणुसम्मि लोगम्मि । उवसन्तमोहणिजो सरई पोराणयं जायं ॥१॥ जाई सरित्तु जयवं सहसबुखो अणुत्तरे धम्मे। पुत्तं ग्वेत्तु रजे अनिणिक्खमइ नमी राया ॥२॥ सोदेवलोगसरिसे अन्तेउरवरगढ वरे नोए । नुञ्जित्तु नमी राया बुझो लोगे परिच्चयश् ॥३॥ महिलं सपुरजणवयं बलमोरोहं च परियणं सर्व । चिच्चा अनिनिक्खन्तो एग

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