Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah
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(पए) न्तमहिम्हि जयवं ॥४॥ कोलाहलसंनूयं श्रासी महिलाए पबयन्तम्मि । तश्या राय रिसिम्मि नमिम्मि अनिणिक्खमन्तम्मि ॥ ५॥ अनुध्यिं रायरिसिं पवजागणमुत्तमं । सक्को माहणवेसेणं इमं वयणमब्बवी ॥ ६॥ किएणु लो अऊ महिलाए कोलाहलगसंकुला । सुच्चन्ति दारुणा सद्दा पासाएसु गिहेसु य ॥७॥ एयमकं निसामित्ता हेऊकारणचोट । त नमी रायरिसी देवन्दं णमब्बवी ॥ ७॥ महिलाए चेइए वचे सीयलाए मणोरमे । पत्तपुप्फफलोवेए बहूणं बहुगुणे सया ॥ ए ॥ वारण हीरमाणं मि चेश्यंमि मणोरमे । उहिया असरणा अत्ता एए कन्दन्ति नो खगा ॥ १०॥ एयमई निसामित्ता हेजकारणचोर्छ । त नमि रायरिसिं देविन्दो इणमब्बवी ॥११॥ एस अगरी य वाऊ य एवं मझ मन्दिरं । जयवं अन्तेनरंतेणं कीसणं नावपिक्खह ॥ १२ ॥ एयम निसामित्ता हेऊकारणचोछ । त नमी रायरिसि देवन्दं इणमब्बवी ॥ १३ ॥ सुहं वसामो जीवामो जेसि मो नत्थि किंचण।महिलाए मज्जमाणीए न मे मज्जा किंचण ॥ १४ ॥ चत्तपुत्तकलत्तस्स निवावारस्स लिक्खुयो । पियं न विआई किंचि अप्पियं पि न विजई ॥ १५ ॥ बहु खु मुणिणो नई अणगारस्स लिक्खुणो । सब विप्पमुक्कस्स एगन्तमणुपस्सः ॥ १६ ॥ एयम निसामित्ता हेजकारण चोर्छ । त नमि रायरिसिं देविन्दो इणमब्बवी ॥१७॥ पागारं कारश्त्ताणं गोपुरट्टालगाणि य । जस्सूलगसयग्घी त गन्चसि खत्तिया ॥ १७ ॥ एयम निसामित्ता हेऊकारणचोल । त नमी रायरिसी देवेन्दं इणमब्बवी ॥ १५ ॥ सई नगरं
दश०४

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