Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah
View full book text
________________
( ५२ )
अह
-
नमं यरिसिं देविन्दो इणमब्बवी ॥ ५० ॥ रयमद जोए चयसि पत्थिवा । सन्ते कामे पत्थेसि संकप्पेण विन्नसि || १ || यम निसा मित्ता देऊकारण चोट । ad नमी रायरिसी देवेन्दो इमब्बवी ॥ ५२ ॥ स कामा विसं काम कामा सी विसोवमा । कामे य पत्थे माणा - कामा जन्ति दो गई || ३ || हे वय कोहेणं माणे माई | माया परिग्घार्ज लोनार्ड हर्ज जयं ॥ ९४ ॥ अवऊिण माहणरूवं विचरू विजण इन्दत्तं । वन्द नित्थुणन्तो इमाहि मदुराहिं वग्गूहिं ॥ ५५ ॥ अहो ते निशिकोहो हो माणो पराजि । अहो ते निरकिया माया अहो लोनो वसीक ॥ ५६ ॥ अहो ते कवं साहु अहो ते साहु मद्दवं । अहो ते उत्तमा खन्ती अहो ते मुत्ति उत्तमा ॥ ७ ॥ इहं सि उत्तमो जन्ते पचा होहिसि उत्तमो । लोगुत्तमुत्तमं सिद्धिं गसि नीर ॥ ५८ ॥ एवं अनित्थुणन्तो रायरिसि उत्तमाए सकाए । पायाहिणं करेन्तो पुणो पुणो वन्दई सक्को || ९ || तो वन्दिऊण पाए चङ्कसलक्खणे मुविरस्स । यागासेऽणुप्प ललियचलकुएमलतिरी ॥ ६० ॥ नमी नमेइ अप्पाणं सक्खं सकेण चोइन । चश्नण गेहूं च विदेही सामले पज्जुव ॥ ६१ ॥ एवं करन्ति संबुद्धा पण्डिया पविक्खणा । वियिट्टन्ति जोगेसु जहा से नमी रायरिसी तिमि ॥ ६२ ॥
Hooc

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60