Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah

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Page 18
________________ (१२) तया चयर संजोगं सनिंतर बाहिरं ॥ १७ ॥ जया जयश् संजोगं, सप्रिंतरं, बाहिरं ॥ तया मुंझे जवित्ताणं, पवश्ए अणगारियं ॥ १७ ॥ जया मुंझे जवित्ताणं, पवश्ए अणगारियं ॥ तथा संवर-मुक्क, धम्मं फासे अणुत्तरं ॥ १५॥ जया संवर-मुक्क, धम्मं फासे अणुत्तरं ॥ तया धुणई कम्म रयं, अबोहि कलुसं कम ॥२०॥ जया धुणई कम्म रयं, अबोहि कलुसं कम ॥ तया सवत्तगं नाणं, दंसणं चालिगबई ॥१॥ जया सबत्तगं नाणं, दंसणं चालिगबई॥ तया लोग-मलोगं च, जिणो जाण केवली ॥ २३ ॥ जया लोग-मलोगं च, जियो जाण केवली ॥ तया जोगे निमित्ता, सेलेसिं पमिवजई ॥२॥ जया जोगे निमित्ता, सेलेसिं पमिवई॥ तया कम्मं खवित्ताणं, सिद्धिं गन्न नीर ॥२५॥ जया कम्मं खवित्ताणं, सिद्धिं गबर नीर ॥ तया लोग मजयको, सिखो हवइ सास ॥२५॥ (अर्यागीतिवृत्तम् ) सुहसायगस्ससमणस्स, सायाजलगस्सनिगामसायस्स उदोलणा पहोयस्स, मुबहा सुगइ तारिसग्गस्स ॥ २६ ॥ तवो गुणप्पहाणस्स, उकुमइ खंति संजमरयस्स ॥ परीसहे जिणं तस्स सुसहा सुगइ तारिसग्गस्स, ॥ २७ ॥ पञ्चावि ते पयाया,

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