Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah

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Page 36
________________ (३०) तहा फलाई पक्काई, पाश् खद्याइं नोवए; वेलोइयाई टालाई, वेहिमाइति नोवए ॥ ३२ ॥असंथमा श्मे अंबा, बदुनिंबमिमा फला; वएछ बहु संजूया, जूयरुवेत्ति वा पुणो ॥३३॥ तहेवोसहि पक्काउ, नीलियाउ वीश्य; लाश्मा जङिमाउत्ति, पिदुखऊंति नोवए ॥ ३४ ॥ रुढा वढु संजूया, थिरा उसढाविय; गनियाज पसुयाउ, संसारा नत्ति आलवे ॥ ३५ ॥ तहेव संरकमिनच्चा, किच्चकऊंति नोवए, तेणगं वावि वजिति,सुतिमितिय आवगा ॥३६॥ संरकर्मि संस्कमिंबुया, पणियिित तेणगं; बहुसामाणि तिवाणि, आवगाणं वियागरे ॥३७ ॥तहा नळ पुन्नाज, काय तिशंति नोवए;नावाहिं तारिमाउत्ति,पाणी पिशंति नोवए ॥ ३० ॥ बहु वाहमा अगाहा, बहु सलिलु पिलोदगा; बहु वि, मो दगायावि, एवं नासेश पन्नवं ॥३५॥ तहेव सावधं जोगंपरस्साए निध्यिं, कीरमाणंति वा नच्चा; सावक्षं नलवे मुणी ॥४०॥ सुकमेत्ति सुपक्केत्ति, सुबिन्ने सुहमे ममे; सुनिहिए सुलत्ति, सावसं वशए मुणी ॥४१॥ (काव्यम्.) पयत्ति पक्केत्ति व पक्कमालवे, पयति बन्नेति व छिन्नमालवे; पयत्ति लत्तिव कम्महेयं,पाहारगाढेत्ति व गाढमालवे॥४॥ (अनुष्टुब्वृत्तम्.) सव्वुक्कसं परग्घंवा, अनलं नलिएरिस;अवकीयं मवत्तवं, अवियत्तं चेव नोवए॥४३॥सबमेयं,वश्स्सामि सबमेयंति नोवए;अणुवी यसब सवड, एवं नासेद्य पन्नवं ॥४॥ सुक्कियं वा सुविक्कीयं, अकिचं किद्यमेव वा; इमंगिहं श्मंमुच्च,पणियं नोवियागरे ॥४॥

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