Book Title: Dasvaikalik Sutra Mool Path
Author(s): Gyansundar
Publisher: Nathmalji Moolchandji Shah

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Page 20
________________ 111111T (१४) मस्सिए ॥ ११ ॥ साणं सूश्यं गाविं, दितं गोणं हयं गय; संमिनं कलहं जुधं, सुरज परिवजाए ॥ १२॥ अणुन्नए नावणए, अप्प हि आणाजले; इंदिया जहा नागं, दमश्त्ता मुणीचरे ॥ १३ ॥ दवदवस्स नगछेद्या, नासमाणो य गोयरे; हसंतो नानिग द्या, कुलं &च्चाऽवयं सया ॥ १३ ॥ आलोयं थिगलं दारं, संधिं दगलवणाणिय; चरंतो नविनिझाए, संकजाणं वि वद्यए ॥ १५ ॥ रन्नो गिहवणं च, रहस्साररिकयाणिय; संकिखेसकरं जाणं, सुरज परिवद्यए ॥१६॥ पमिकुठं कुलं नपविसे, मामग्गं परिवद्यए, अचियत्तं कुलं नपविसे, चिय तं पविसे कुलं । ॥ १७ ॥ साणी पावार पिहियं, अप्पणा नाव पंगुरे, कवाम नोपणो विद्या, जग्गहं से अजाश्या ॥ १० ॥ गोयरग्ग पवि छोय, वच्च मुत्तंन धारए; उगासं फासुयं नच्चा, अणुन्न विय वोसिरे ॥ १५ ॥ नीयं वारं तमसं, कोगं परिवद्यए; अचख्खू विसउ जल, पाणा उप्पमिलेहगा ॥ २० ॥ जयपुप्फा बीयाई विप्पन्नाश् कोठए; अहुणोवलित्तं ना, दतुणं परिवधए ॥२१॥ एखगं दारगं साणं, वचगं वाऽविकुठए; उलंघिया नपविसे, विनहित्ताण व सजए ॥ २२॥ असंसत्तं पलोएडा, नाश्मुराऽवलोयए; उप्फुह्यं नविनिशाए, नियट्टिय अयंपिरो ॥ २३ ॥ अश्लूमिं नगछेद्या, गोयरग्ग गर्ड मुणी; कुलस्स नूमि जाणित्ता, मिय जूमि परक्कमे ॥२४॥ तव पमिलेहेद्या, नूमिनागं वियरकणो; सिणाणस्सय वच्चस्स संलोगं परिवजए ॥ २५॥ दग मट्टिय आयाणे, बीयाणि हरियाणियः परिवशंतो चिशा, सविंदिय समाहिए; ॥ २६ ॥ तब से चिठमाणस्स, आहारे

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