Book Title: Dakshina Path Ki Sadhna Yatra
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 5
________________ केवल एक ही दिन के इस प्रथम दर्शन का आलेख । मूल गुजराती से हिन्दी में अनुवाद एवं सम्पादन मेरी सुपुत्री कु. पारुल ने, परिश्रमपूर्ण, सुन्दर एवं समयबद्ध मुद्रण भाई श्री हरिश्चन्द्रजी विद्यार्थी ने एवं आंशिक अर्धसहायता कुछ सहधर्मी गुरु-बंधुओं ने की है, जिसके लिये सभी का मैं आभारी हूँ। मेरे साहित्य विद्यागुरु श्रद्धेय डा० रामनिरञ्जन पाण्डेयजी का भी उनके मूल्यवान आमुख के लिये अनुगृहीत इस साधनायात्रा की, जो कि अब भी चौदह वर्षों के उपरांत भी सतत् चल रही है, सदा-सर्वदा की साक्षी प्रेरक एवं आशीर्वाद-प्रदात्री रही है-परम उपकारक आत्मज्ञा जगत्माता पूज्य माताजी, जिनका तो अनुग्रह मानना भी शब्दों के द्वारा सम्भव नहीं । उनकी निर्मलात्मा को वन्दना भर कर अभी तो विदा चाहता हूँ। प्रतापकुमार टोलिया यो. यु. सहजानंदघनजी जन्मदिन मा. शु. १९, वि. सं. २०४१, २३-९-१९८५, १२ कैम्ब्रिज रोड, बैगलोर-५६०००८

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