Book Title: Dakshina Path Ki Sadhna Yatra
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 17
________________ सत्, शुद्ध परमाणु समाज के दूषित वायु मण्डल में बहने लगते हैं। इस साधनाभूमि एवं यहाँ की साधना की यह एक छोटी-सी झलक है। * छिपा हुआ इतिहास__प्राचीन "किष्किंधा" नगरी एवं विजय नगर" के प्रसादों के भव्य इतिहास की तरह साधकों को सुरम्य एवं भीरुओं को भयावह प्रतीत होती इन गिरि-कंदराओं एवं गुफाओं का भी अद्भुत इतिहास है, जो कि काल के गर्भ में छिपा हुआ हैं । कई निर्ग्रन्थों ने यहां ध्यानस्थ होकर ग्रंथिभेद किया है, कई जोगियों ने जोग साधा है, अनेक ज्ञानियों ने यहां विश्व चिंतन एवं आत्म-चिंतन द्वारा स्व-पर के भेदों को सुलझाया है, अनेक भवतों ने यहां पराभक्ति के अभेद का अनुभव किया है एवं विविध भूमिकाओं के साधकों ने यहां स्वरूप-संधान किया है। इनका इतिहास किताबों के पन्नों पर नहीं, अपितु यहां के वातावरण में छिपा हुआ है एवं गुफाओं-गिरि-कंदराओं में से उठते आंदोलनों के सूक्ष्म घोष-प्रतिशोधों में सुनाई दे रहा है । किसी नीरव गुफा में प्रवेश करते ही इसकी ध्वनि सुनाई देती है......"जो स्थूल में से सूक्ष्म एवं शून्य निर्विकल्पता की ओर ले जाती है.........।

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