Book Title: Dakshina Path Ki Sadhna Yatra
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 18
________________ अनेक महापुरुषों की पूर्व-साधना की भूमिका यह इतिहास प्रेरणा एवं शांति-समाधि प्रदायक है । ___यहां आकर बसनेवाले इस अवधूत संशोधक को पूर्वकालीन साधकों की ध्वनि-प्रतिध्वनि एवं आंदोलनों को पाने से पूर्व कई तकलीफों का सामना करना पड़ा। इन गिरिकन्दराओं में उस समय हिंसक पशु, भटकती अशांत प्रेतात्माएं, शराबी एवं चोर-डाकू, मैली विद्या के उपासक एवं हिंसक तांत्रिकों का वास था। इस भूमि के शुद्धीकरण के क्रम के अन्तर्गत घटी कुछ घटनाओं का उल्लेख अप्रासंगिक नहीं होगा। * -जब हिंसा ने हार मानी...! ____ आश्रम की स्थापना के पूर्व जब भद्रमुनि इन गुफाओं में आये तब उन्हें पता चला कि यहां कई तांत्रिक अत्यंत क्रूरता से पशु-बलि दे रहे हैं । दूसरी ओर इन हिंसक लोगों के मन में इस अनजान अहिंसक अवधूत के प्रति भय उत्पन्न हुआ। उनके अपने कार्य में इनसे विक्षेप होगा, ऐसा मान उनको खत्म कर देने का उन्होंने निश्चय किया। जब ये तांत्रिक पशुबलि दे रहे थे तब भद्रमुनि उन्हें प्रेम से समझाने उनकी ओर चले। चट्टानों के ऊपर से आ रहे मुनि को देख तांत्रिक तत्क्षण ही उन्हें मार देने के विचार से उनकी ओर दौडे । हाय में हथियार थे। मुनिजी ने उनको आते देखा, परन्तु उन्हें अहिंसा व प्रेम की शक्ति

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