Book Title: Chalo Girnar Chale
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

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Page 9
________________ २ . गिरनार महातीर्थ स्तुति (राग : एवा प्रभु अरिहंतने.....) १. बे तीर्थ जगमा छे वडा ते, शत्रुजयने गीरनार, ६. अवसर्पिणीमां सौ प्रथम, अरिहंतपदे जे शोभतां, एक गढ समोसर्या आदिजिनने, बीजे श्री नेमि जुहार; तीर्थतणी रचना करी, युगलाधर्म निवारतां; ए तीर्थ भक्तिना प्रभावे, थाये सौनो बेडोपार, अज्ञानीना तिमिर टाळी, ज्ञानज्योत जलावतां, ए तीर्थराजने वंदता, पापो बधां दूरे जतां..... ए आदिनाथने वंदता, पापो बधा दूरे जता. (२) देवांगनाने देवताओ, जेनी सेवना झंखता, कमठतणा उपसर्गो ने, समभावथी जे झीलता, मळी तीर्थ कल्पो वळी, जेना गुणलां गावतां; जे बिबथी अमिरसतणा, झरणाओ सहेजे झरता; जिनो अनंता जे भूमिओ, परमपदने पामतां, जेना प्रगटप्रभावथी, भविना दुःखडा भांगतां, ए गिरनारने वंदता, पापो बधां दूरे जतां. (२) ए अमिझरापार्श्व ने बंदता, पापो बधा दूरे जतां. (२) ३. पशुओना पोकार सुणी, करूणा दिलमा आणतां, ८. नेमसमीपे व्रतग्रही, गुफामां ध्यानने ध्यावतां, रडती मेली राजीमति ने, विवाहमंडपे त्यागतां; अशुभकर्मना उदयथी जे, व्रतमां डगमग थावतां; संयमवधू केवल श्री, शिवरमणीने परणतां, प्रतिबोध पामी राजुल वयणे मोक्षमारग साधतां ए नेमिनाथने वंदता, पापो बधा दूरे जतां. (२) ए रहनेमिने वंदता, पापो बधा दूरे जतां. (२) ४. शिवानंदने परणवाना, मनोरथोने सेवतां, बालब्रह्मचारी नेमनाथ, परमपद ज्यां पामतां, प्रितमतणा पगलेपगले गिरनारे संयम साधतां; भविजनो मळीने भक्तिकाजे, पगलां ने त्यां ठावतां; नेमथी वरसो पहेलां, मुक्तिपदने पामतां, परतीर्थीओ जेने वळी, दत्तात्रय नामे पूजतां, ए राजीमतिने वंदता, पापो बधा दूरे जतां. (२) ए पांचमीढूंकने वंदता, पापो बधा दूरे जतां. (२) कनक कामिनीने त्यागी, नेमजी पधारतां, संयमग्रही संग्राम मांडी, घातीकर्म ज्यां चूरतां; राजीमति दीक्षा ग्रही, शिवशर्मने ज्यां पामतां, ए सहसावनने वंदता, पापो बधा दूरे जतां. (२)

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