Book Title: Chalo Girnar Chale
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

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Page 68
________________ विचक्षण वस्तुपाल. गौरववंत गुर्जरदेश के धोलका स्टेट में राजा वीरधवल की हुकुमत चल रही थी। राजा वीरधवल के मंत्रीश्वर आशराज जैन धर्मी थे । वे सुंहालक नामक गाँव में अपने परिवार के साथ रहते थे। धर्मपत्नी कुमारदेवी ने तीन पुत्र और सात पुत्रियों को जन्म दिया । मंत्रीपद पर रहे हुए आशराज अत्यन्त कुशाग्रबुद्धिवाले और व्यवहारकुशल होने के कारण पुत्र मल्लदेव, वस्तुपाल, तेजपाल और सातों पुत्रियों की उच्चतम परवरीश की। और पूर्वभव के प्रचंड पुण्योदय से वस्तुपाल और तेजपाल बाल्यावय से ही अत्यन्त तेजस्वी और पुण्यशाली थे। उन दोनों भाईयों के बीच एक दूसरे के प्रति प्रेम और जिनेश्वर परमात्मा के शासन और धर्म के प्रति दृढ श्रद्धा देखकर तो ईर्ष्या हुए बिना नहीं रहती ! शैशवकाल, कुमारवय और अनुक्रम से युवावस्था को प्राप्त दोनों बंधु युगल ने अनुक्रम से ललितादेवी और अनुपमादेवी नामक साक्षात् लक्ष्मी स्वरूप दो स्त्रियों को अपना जीवनसाथी बनाया । दिन बीतने लगे । पिता आशराज ने इस मनुष्यलोक से देवलोक की तरफ प्रयाण किया । वस्तुपाल-तेजपाल सपरिवार मांडल गाव में आकर रहने लगे। परन्तु आयुष्य की डोर किसकी, कब, किस समय टूटती है? कहा नहीं जा सकता । मांडल में आने के बाद थोडे समय में कुमारदेवी भी प्रभु की शरण हो गए । घर में साक्षात् भगवान तुल्य मातापिता का वियोग अत्यन्त दुःखदायी होता है। दोनों बंधु हृदय को हल्का करने के लिए, तथा मन को प्रफुल्लित करके शोकसागर से बाहर निकलने के लिए श्री सिद्धाचल महातीर्थ की यात्रा के लिए निकले । तीर्थाधिराज शत्रुजय गिरिराज के दर्शन, पूजन और स्पर्शना से मन के साथ-साथ आत्मा के बोझ को हल्का करके बंधुयुगल जीवन यात्रा की आगामी मंजिल को प्राप्त करने के लिए व्यवसाय की तलाश में पालीताणा से निकलकर गाँव-गाँव की भूमि पर अपने भाग्य को आजमाने के लिए निकल पडे । धोलका स्टेट के धोलका गाँव की भूमि के साथ पूर्वभव का कोई हिसाब पूरा करने के लिए थोडे दिनों की स्थिरता की । उस दौरान महाराजा वीरधवल राज्य व्यवस्था के लिए कोई प्रज्ञावान प्रधान और शूरवीर सेनापति की तलाश में था । बंधु युगल की थोडे दिनों की स्थिरता से राजपुरोहित के साथ मित्रता का नाता बंध गया था । महाराजा की समस्या को जानकर राजपुरोहित ने विनंति की "कि आप जैसे दो राजरत्नों की तलाश में हो, वैसे दो लक्षणवंत नौजवान अपने नगर में स्थिरता कर रहे हैं। सौम्य स्वभाव, कार्यकुशल, राजनीति में निपुण ऐसे इस युवायुगल ६१

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