Book Title: Chalo Girnar Chale
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

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Page 83
________________ दूसरी व्यक्ति से यह गाथा यदि बुलवायी जाये, तो ही इस गिरनार महातीर्थ पर श्वेतांबरों का अधिकार स्वीकार होगा । राजसेवक आसपास के किसी गाँव से एक बालिका को राजदरबार में लेकर आए और सिद्धस्तव अर्थात् सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र बोलने के लिए कहा तब बालिका बोली... उज्जित सेल सिहरे, दिक्खा नाणं निसीहिआ जस्स, तं धम्म चक्कवट्टी, अरिट्टनेमि नमसामि. "उज्जयंतगिरि (गिरनार) के शिखर पर दीक्षा, केवलज्ञान और निर्वाण यह तीन कल्याणक हुए है, उन धर्मचक्रवर्ती श्री नेमिनाथ भगवान को मै नमस्कार करता हूँ।" इस बालिका के वचन पूर्ण होते ही उस पर पुष्पवृष्टि हुई और गिरनार गिरिवर पर चारों ओर श्वेतांबरों की विजय के हर्षनाद से गिरनार गिरिवर गूंज उठा। धनशेठ शासन अधिष्ठायिका श्री अंबिकादेवी का स्मरण करके आनंद विभोर बन गया । महाराजा विक्रम ने निर्णय घोषित किया कि..... "गिरनार महातीर्थ के एक मात्र मालिक श्वेतांबर ही है।"

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