Book Title: Chalo Girnar Chale
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

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Page 118
________________ (२३) गिरनार के मार्ग में आए हुए दामोदर कुंड के पानी में डाली हुई हड्डियाँ अपने आप पिघल जाती है । और उसमें भस्म डालने में आए तो भी वह पानी शुद्ध का शुद्ध ही रहता है । (२४) गिरनार के सहसावन की तरफ खोखले आम के वृक्ष के पास में एक झरना बहता था। एक मनुष्य उस झरने का पानी लेने के लिए नीचे झुका लेकिन जब वापिस खड़ा होता है तब एक महाकाय मानव जैसी आकृति उसके सामने देखकर अट्टहास कर रही थी । वह दृश्य देखकर के वह मनुष्य घबराकर वहाँ से भाग गया । (२५) गिरनार में ऐसी वनस्पति है जिसकी जड़ों को पका करके खीचड़ी बनाकर खाने से छ छ महिने तक मनुष्य की भूख खत्म हो जाती है । (२६) गिरनार में एक ऐसी वनस्पति है जिसमें से दूध निकलता है। उस दूध की ३-४ बूँद अपने सादे दूध में डाल दी जाए तो पाँच मिनीट में ही वह दही बन जाता है । (२७) एक बार यात्री लोग गिरनार चढ रहे थे। तब सवेरे के समय में कोई झाडी की डाली तोडकर दंतमंजन करने लगा और थोड़े ही समय में उसके सभी दाँत गिर गये । (२८) जुनागढ गाम के एक श्रावक तथा उसका मित्र रतनबाग की तरफ जानेवाले मार्ग पर आगे बढ़ रहे थे। वहाँ सामने आयी हुई झाड़ी को हाथ से थोडी दूर करने का प्रयास करता है तभी उस डाली ने मानों किसी का हाथ न हो ! उस तरह से उस व्यक्ति के मुख पर जोर से तमाचा मारा, तब उसके आगे के चार दाँत गिर गये थे । (२९) गिरनार में कोई यात्रिक रास्ता भूल गया होगा । तब उसको सामने ही कोई संन्यासी मिला और पूछा, 'बेटा ! क्या रास्ता भूल गया है ? उसके हाँ कहने पर वह उसको अपने पीछे पीछे ले गया । और एक शिला को हाथ से खिसकाने पर अंदर एक गुफा थी । अंदर जाकर अपनी लब्धि से भोजन हाजिर करके वह यात्रिक को खिलाता है। फिर उस यात्रिक को चलने के लिए कहता है। आगे आगे चलने पर दो दिन के बाद उपलेटा गाँव के पास बाहर निकला था । (३०) एक यात्रिक मार्ग भूल जाने से चिंतीत हो जाता है। तब एक शृंगार सजी हुई एक स्त्री उसको मार्ग दिखाती है । वह आगे चलने लगती है तब उसको आगे मार्ग दिखाई देता है । उस समय पीछे देखने पर वह शृंगार सजी हुई स्त्री अदृश्य हो गई थी । ऐसी अनेक बातें इस महाप्रभावक, चमत्कारी गिरनार गिरिवर के इतिहास के साथ जुड़ी हुई है । १११

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