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अंबाजी की ट्रॅकसे लगभग १०० सीढियाँ उतरकर के पुन: लगभग ३०० सीढियाँ चढने पर गोरखनाथ की ट्रॅक आती हैं। * गोरखनाथ की ढूंक : (अवलोकन शिखर)
इस गोरखनाथ की ट्रॅक के ऊपर श्री नेमिनाथ परमात्मा की वि.सं. १९२७ वैशाख सुद ३ शनिवार के लेखवाली पादुका हैं, वे बाबु धनपतसिंहजी प्रतापसिंहजी ने स्थापित की हैं । ये पादुका प्रद्युम्न की है ऐसा कुछ लोगों का कहना है । इस टूक के ऊपर अभी नाथ संप्रदाय के संन्यासीओं का कब्जा है।
गोरखनाथ की टंक से आगे लगभग १५ सीढियाँ उतरने के बाद दाए हाथ की तरफ दीवार में काले पाषाण में जिनप्रतिमा खुदवाने में आई है। और लगभग ४०० सीढियाँ उतरने के बाद भी बाएँ हाथ तरफ के एक बड़े काले पाषाण में जिनप्रतिमा खोदी हुई है। इस तरह कुल लगभग ८०० सीढियाँ उतरकर बिना सीढीवाले विकटमार्ग से चौथी ट्रॅक जा सकते हैं । * ओघड ट्रॅक : (चौथी ट्रॅक)
___ इस ओघड ढूंक के ऊपर पहुँचने के लिए कोई सीढ़ियाँ नहीं हैं, इसलिए पत्थर के ऊपर टेढ़ेमेढ़े चढकर ऊपर जाया जाता है। यह मार्ग बहुत विकट होने से कोई अति श्रद्धावान साहसिक आत्मा ही इस शिखर को पार करने का प्रयत्न करती है। इस ढूंक के ऊपर एक बड़ी काली शिला में श्री नेमिनाथजी की प्रतिमा और दूसरी शिला के ऊपर पादुका खोदी हुई हैं। जिसमें वि.सं. १२४४ में प्रतिष्ठा करने का लेख देखने में आता हैं।
चौथी ट्रॅक से सीधे ही पांचवीं ढूंक जाने के लिए खतरेवाला विकट रास्ता है । इसलिए चौथी ट्रॅक से नीचे उतरकर आगे बाएं हाथ की तरफ की सीढी से लगभग ६९० सीढियाँ ऊपर चढने पर पाँचमी ढूंक का शिखर आता है इन सीढ़ियों का चढान बहुत कठिन है। * पाँचवीं ढूंक : (मोक्ष कल्याणक ढूंक)
गिरनार माहात्म्य के अनुसार इस पांचवीं ढूंक पर पूर्वाभिमुख परमात्मा की पादुका के ऊपर वि.सं. १८९७ के प्रथम आसोज कि वद - ७ द्वारा गुरूवार को शा. देवचंद लक्ष्मीचंद द्वारा प्रतिष्ठा करवाने का लेख है। इन पादुकाओं के आगे अब अजैनों द्वारा दत्तात्रय भगवान की प्रतिमा स्थापित करने में आई है। उस मूर्ति के पीछे की दीवार में पश्चिमाभिमुख श्री नेमिनाथ