Book Title: Chalo Girnar Chale
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

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Page 70
________________ के अंत में गिरनार गिरिवर के यात्रालुओं से लिया जानेवाला यात्रिककर किसी भी तरह रद्द होना ही चाहिए, ऐसा विचार उनके मानसपट पर आया । दूसरे दिन पुनः महात्माओं ने गिरि आरोहण प्रारंभ किया। जब तक कर नहीं भरेंगे तब तक यात्रा नहीं होगी, ऐसे शब्द उन्हें पुन: सुनाई दिए। मुनिवर वापस अपने आवास की तरफ लौटे। परन्तु यात्रिककर बंद करवाने के उनके विचार की तरंगें मानो धोलकास्टेट के मंत्रीश्वर के दिमाग तक न पहुँची हो ऐसा एहसास हुआ । दूसरे दिन संध्या के समय मुनिवर को समाचार मिले कि धोलका नरेश के महामंत्रीश्वर वस्तुपाल संघ लेकर कल गिरनार महातीर्थ की तलहटी में पधार रहे हैं। मुनिओं को अपनी भावना पूर्ण होने के संकेत मिले। वस्तुपाल को यात्रिक कर की जानकारी थी। परन्तु तीसरे दिन परिस्थिति का निरीक्षण करके उन्होंने सोचा कि यह मामला बल से नही परन्तु बुद्धि से हल करना पड़ेगा। उसी समय वे महात्मा भी गिरिवर पर आरोहण करने के लिए आगे बढे । इन महात्माओं पर कोई आंच न आए इसलिए मंत्रीश्वर ने उन्हें थोडा समय रूककर संघ के साथ यात्रा करने की विनंति की और यात्रिककर के विषय में वर्तमान परिस्थिति की जानकारी दी । महात्माओं को प्रभुमिलन में अंतराय करनेवाले यात्रिककर को किसी भी तरह दूर करने के विचार में व्यस्त मंत्रीश्वर को देखकर महात्माओं ने लाभ उठाया । मंत्रीश्वर ! आप जैसे कुशाग्रबुद्धि वाले हाज़िर हो तब भाविक वर्ग को परमात्मा के दर्शन-पूजन और तीर्थस्पर्शना करने के लिए कर चुकाना पड़े ? यह बात अत्यन्त शरमजनक है। आज तो आप हमें इस संघ के साथ यात्रा करवा देंगे। परन्तु अन्य भाविकों का क्या ? भविष्य में इस महातीर्थ के दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आनेवाले महात्माओं का क्या ? मुनिवर भी पूरे जोश के साथ अस्खलित धारा से मंत्रीश्वर के मानसपट पर सवार हो गए। मंत्रीश्वर के अंतर में रही यात्रिककर को बंद करने की चिनगारी अब ज्वाला बनकर भड़क उठी । महात्माओं ने मंत्रीश्वर की मनःस्थिति को जानकर कहा कि, मंत्रीश्वर ! यह कैसी विचित्रता ! दो-दो दिन से गिरिवर की यात्रा करने के लिए हमारा प्रयत्न निष्फल गया । हमने तो इस यात्रिककर को हमेशा के लिए बंद करवाने का भीष्मसंकल्प किया है । अब जरूरत है आप जैसे प्रभु के शासन के प्रति अत्यन्त रागवाले शूरवीर की ! यदि आपका साथ मिले तो सफलता दूर नहीं । ६३

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