Book Title: Chalo Girnar Chale
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirth Vikas Samiti Junagadh

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Page 55
________________ अंत में परमगति को प्राप्त करता है। अरे ! पापी से पापी जीव भी इस तीर्थ के प्रभाव से पाप मुक्त बनता है । इस तीर्थ की महिमा अपरंपरा है, इसीलिए कहा है कि - "आ तीर्थभूमिए पक्षिओंनी, छाया पण आवी पडे, भवभ्रमण केरा दुर्गतिना, बंधनो तेनां टळे, महादुष्टने वळी कुष्टरोगी, सर्वसुख भाजन बने, ए गिरनारने वंदता, पापो बधां दूरे जतां.... 11 ४८

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