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अंत में परमगति को प्राप्त करता है। अरे ! पापी से पापी जीव भी इस तीर्थ के प्रभाव से पाप मुक्त बनता है ।
इस तीर्थ की महिमा अपरंपरा है, इसीलिए कहा है कि -
"आ तीर्थभूमिए पक्षिओंनी, छाया पण आवी पडे, भवभ्रमण केरा दुर्गतिना, बंधनो तेनां टळे, महादुष्टने वळी कुष्टरोगी, सर्वसुख भाजन बने, ए गिरनारने वंदता, पापो बधां दूरे जतां....
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