Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 758
________________ ७४५ ज्ञानविमल (अपर नाम नयविमल) (त.) ऋषभदेव गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३९: २५.८४११.५ से.मि. पद्य ७ कर्ता--तपगच्छमां विनयविमलनी परंपराना धीरविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जे. गू. क. भा. २. पृ. ३०८). प्र.सं./५८५९ परि./५८६०/६ जिनगीत ले.स. १८१४; हाथकागळ पत्र ३२मुंः २५.५४११.७ से.मि. प्र.स ./५८६० परि./६८०६/२ पर आशा निराशा अष्ट पदी गीत ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९ थी २०; २५.८४११.४ मे.मि. गाथा ८ प्र.स/५८६१ परि./९२७/२३ पार्श्वनाथ अध्यात्मभाव गोता ले.स. १७७९; हाथकागळ पत्र २; २६.२४११.२ से.मि. पद्य ३१. प्र.स./५८६२ परि./२९३३ ज्ञानसागर (ना.) पार्श्वगत ले.स. १५७४; हाथ कागळ पत्र ४५मुं: २७४११.७ से.मि. पद्य ९. कर्ता-नायल-नागेन्द्रगच्छमां गुणसमुद्रसूरिनी परंपराना गुणदेवसूरिना शिष्य छे. अमको समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (जै. गू, क भा. १. पृ. ५८.) . प्रस /२८६३ परि./८४६०/२० ज्ञानसागर नेमिनाथ गीत ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.३ से.मि. पद्य ६ कर्ता-(1) नायल-नागेद्रगच्छीय गुणसमुद्रसूरिनी पर पराना गुणदेवसरिना शिष्य छे. अमनो समय बि.स. १६मी सदीनो छे. (२) तपगच्छमां विजयसेनसरिमी पर पराना रविसागरना शिष्य छे अमनो समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (अनुक्रमे-जै. गू. क. भा. १, पृ. ५; पृ. ३१७) कया मे नक्की नथी. प्र.स./५८६४ परि./५२६६/१० नेमिनाथ गीत ले.स. १७६८: हाथकागळ पत्र १५मुं; २५.२४११.५ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५८६५ परि./५०१५/२ वीस विहरमानजिन गीतो ले.स. शतक १९मु(अनु); हाथकागळ षत्र ४; २४.७४११.५ से.मि. __ मोती विजये प्रति लखी छे, प्र.स./५८६६ परि./७१८९ ९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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