Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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तीर्थस्थान गीतो
८२१
८--शत्रुजय उद्धार र.स. १६३८; ले.स. १७७९; हाथकागळ पत्र १०; २५.२४ ११.५ से.मि.
रचना अमदावादमां थई छे. प्र.स./६४५८
परि./१५८४ ९---शत्रुजय उद्धार र.स. १६३८; ले.स. १८२५; हाथकागळ ५३ थी ८; २४.४४
११.३ से.मि. पद्य ९८. प्र.सं./६१५९
परि./४९११/१ 10~-शत्रुजय उद्धार र.स. १६३८; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६.७४११.८ से.मि.
रचना अमदावादमा थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४६.
परि./२२३
न्यायसागर
गिरिनार तीर्थ माला र.स. १८४३; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २१४१३ से.मि. पद्य १०३.
कर्ता--मात्र नामनिदेश छे. कदाच कोई विवेकसागरना शिष्य लागे छे. आ कर्ता जै. गु. क. के जै. सा. इति. मां नेांधायेला नुथी. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.स./६४६१
परि./८१२४
मेह कवि तीर्थ माल ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथ काग पत्र ५, २६.३४११.२ से.मि. पद्य ८९.
कर्ता--कर्ता वि.स. १५ मां नेांधायेला छे. मात्र यामनिर्देश मळे छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २८.) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४६२
परि./८८०७ रूपविजय
संघवी त्रिकम कानजीना संघनुं वर्णन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २३.६४१०.१ से.मि. ढाळ ३. तू.टक.
____ कर्ता--छेल्ली पंक्तिमा मात्र नामनिर्देश मळे छे. पत्र १लु नथी. प्र.स./६४६३
परि./४११५ ललितप्रभ (पौ..) १---पाटण चेत्यप्रपाटिका ले.स. १६४८; हाथकागळ पत्र १२; २७४१०.८ से.मि.
कर्ता--पूर्णिमागच्छमां कमलप्रभसूरिनी परंपराना पुण्यप्रभाना शिष्य, वि.सं. १७ मी सदीमां थया. (जै. गु. क. भा. ३, पृ. ३२१). आ प्रति कर्ताना समयनी लखा येली छे.
अमनो 'चंदराजाना रास' वि.स. १६५५ना रचेलो मळे छे. (सेजन). प्र.सं./६४६४
परि./६८३
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