Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CATALOGUE OF GUJARATI MANUSCRIPTS MUNIRĀJA ŚRĪ PUNYAVIJAYAJI'S COLLECTION L. D. SERIES 71 COMPILED BY MUNI SHRI PUNYAVIJAYAJI EDITED BY DALSUKH MALVANIA NAGIN J. SHAH EDITED BY VIDHATRI VORA L.D. INSTITUTE OF INDOLOGY AHMEDABAD 380 009 enan Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CATALOGUE OF GUJARATI MANUSCRIPTS MUNIRĀJA ŚRI PUŅYAVIJAYAJI'S COLLECTION L. D. SERIES 71 GENERAL EDITORS DALSUKH MALVANIA NAGIN J. SHAH COMPILED BY MUNIRĀJA ŚRI PUŅYAVIJAS EDITED BY VIDHATRI VORA TE L. D. INSTITUTE OF INDOLOGY AHMEDABAD 9 मदाबाद Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Printed by K, Bhikhalal Bhavsar Proprietor Shri Swaminarayana Mudrana Mandira 612/21, Purushottamnagar, Nava Vadaj, Abmedabad-380013 Published by Nagin J. Shah Director L. D. Institute of Indology Ahmedabad-380009 FIRST EDITION JULY, 1978 “ Published with the Financial Assistance from the Government of India, Ministry of Education and Social Welfare [ Department of Culture 1." PRICE RUPEES Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भारतीय STER EAR मुनिराज श्री पुण्यविजयजी संग्रहगत गूजराती हस्तप्रत सूची सङ्कलयिता मुनिराज श्री पुण्यविजयजी प्रकाशक लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर अमदावाद - ९ संपादक विधात्री वोरा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रधान संपादकीय आगम प्रभाकर मुनिराज श्री पुण्यविजयजीना संग्रहनी गुजराती हस्तप्रतोनी सूचिनुं प्रकाशन करतां अमने आनंद थाय छे. ६७१५ हस्तत्रतोनु ९७ विविध विभागोमां वर्गीकरण करी कर्ताना नामना वर्णानुक्रम प्रमाणे प्रत्येक हस्तप्रतनी माहिती आपी छे. आ माहितीमां कृतिनाम, रचनासंवत, लेखन संत, पत्रसंख्या, परिमाण, ग्रंथाग्र, कर्ता परिचय, विशेष नांध अने परिग्रहण संख्यानो समावेश थाय छे. आ सूचिमां जूनी गुजराती भाषानी अनेक अप्रकाशित कृतिओ छे. आ क्षेत्रमां संशोधनसंपादन करता विद्वानो माटे आ सूचि एक महत्त्वनुं साधन पूरु पाढे छे. जूनी गुजराती भाषामा केटला विविध साहित्यत्रकारो खेडायेला हता अनो ख्याल आ सूचि आपे छे. आ सूचिनुं संपादन डा. विधात्री बहेन वोराए कर्यु छे, ते बदल तेमने धन्यवाद. तेमणे पंडित श्री अंबालाल प्रेमचंद शाहे रोमन लिपिमां तैयार करेली माहितीपत्रिकाओनो उपयोग करी. नवी पत्रिकाओ गुजराती लिपिमां तैयार करी, विशेष नांधो उमेरी अने वर्गीकरण नवेसरथी कर्यु प्रूफवाचनमा मदद करवा बदल डॉ. र. म शाहनो आभार मानुं छं. आ सूचिना प्रकाशनमां आर्थिक सहाय करवा बदल भारत सरकारना शिक्षा अने समाजकल्याण मंत्रालयनो हुं अंत:करणपूर्वक आभार मानुं छु ं. ला. द. भा. सं. विद्या मंदिर अमदावाद - ३८०००९ २८ जून १९७८ नगीन जी. शाह अध्यक्ष Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिरना प्रणेता आगमप्रभाकर (स्व.) मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजना भंडारनी हस्तप्रजोनी सूचि तैयार करवा माटे काम हाथ धरायु. जे मुजब संस्कृत अने प्राकृत अपभ्रंश कृतिनी हस्तप्रतोनुं सूचित्र श्री. अंबालालभाईए तैयार करी आप्यु; पण गुजराती हस्तप्रतोनी सूचिन कार्य बाकी हतु जे पूरे करवानो अवसर मने मळयो. आ सूचिपनी योजना भाषानियामक गुजरात राज्ये जे प्रमाणे मंजूर करी छे ते प्रमाणे में आ सूचि तैयार करी छे जेमां विषय, कर्ता, कृति, अनो रचनासंवत (र.स.), लेखनसंवत (ले.स), पत्रो, परिमाण, ग्रंथान के श्लोकसंख्या--ए रीते प्रथम तबक्को. कविपरिचय बीजो तबको अने विशेषनेांध त्रीजो तबक्को.-ए पद्धति अपनावाई. आमां कविपरिचय माटे एम बन्यु के मोटे भागे जैन साधुओनी कृति होवाधी, ओना जन्मसमय, स्थळ, गच्छ अने गुरुपरंपरा, रचनास्थळ वगेरे नेांधायु. एने माटे जैन गूर्जर कविओ, जैन साहित्यनो इतिहास वगेरे पुस्तको पर आधार राखेलो छे. क्यांक ए सिवाय लेखसंग्रहो, ला. द. विद्यामंदिरनी व्यक्तिसंदर्भसूचि जे श्री रूपेन्द्रभाईए तैयार करेल छ एनो पण उपयोग थयेलो छे. जैनेतर कविओ माटे गूजराती हस्तातोनी संयुक्त यादी. कविवरित वगेरे श्री के का. शास्त्रीरचित पुस्तको तो साथे राखेलां ज. परंतु विशेष माहिती विभागमा हस्तप्रतनी अंदरथी ज जे काई जाणवा जेवु लाग्यु ए लीधु. प्रशस्तिमांथी पण आवु मळे. कोईक अतिहासिक बनावनी नांध, काईक लहिया विशे, काईक कृति रचायाना प्रसंग विशे, एवं जे काई नेधिगत्र लाग्यु ए लीधु छे अने सूचिना आ बे विभागो काईक अंशे विरल के मौलिक लेखी शकाय. आम गुजराती भाषाने भाषानी दृष्टिए, साहित्यिक दृष्टिले अने अतिहासिक दृष्टिए मूलववी होय, भौगोलिक फलक उपर गोतवी होय तो आवी हस्तप्रतोनो अभ्यास एक जनिबार्य साधन छे, एम बताववानो आ सूचि द्वारा एक प्रयत्न थयेलो छे. तेम ज जे स्वरूपे आ सूचि तैयार थई छे, ए ज स्वरूपमा हस्तप्रतोतुं संपादन कार्य सरल थई शके एम छे एटले के एक कृति पसंद करी, सौपहेला एनो विषय, कर्ता अने एना हाईवें संशोधन करी, विशेष माहिती नांधवी. एम एक आखी संपादन पद्धतिनो नमूनो आपे छे. ___ रचनाकाळ अने लेखनकाळ वच्चे जो समयगाळो लंबाई गयो होय तो एनी एज हस्तप्रतमा भाषाकीय तफावत नजरे चडशे. रचनास्थळ अने लेखनस्थळमां स्थानांतरनो गाळो रहेतो हशे तो ए पण दृष्टिमां पडशे. एटले के, जो कृति मारवाडना तळप्रदेशमा रचाई होय अने लहियो के नकलकार गुजरातना तळप्रदेशनो होय अने त्यां एनी नकल थयेली होय तो आ प्रदेशभेदनी अनुभूति मेज हस्तपतमां क्यांक पण थशे ज. अने ए वखते सूचिमा आवतो कविपरिचय के Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [4] विशेषनधि संगनकारने सहागभूत थशे. आ दृष्टि आ सूचित्र अभ्यासनां मार्गदर्शक थई संपादनकारने मददरूप बने एज आशा साथे, साहित्योपासको समक्ष रजू कराई रह्युं छे. आ उद्देश जरा पण सरशे तो अमारी महेनत सफल बनी रहेशे. - अहीं एक घणी अगत्यनी वात ए छे के आ सूचि मारे नामे छपाई छे ए हकीकत छे, पण मारा सहकार्यको अने गुरुतुल्य श्री जेसिंगभाई भोजक, श्री लक्ष्मणभाई भोजक अने श्री चमनभाई भोजक • आ भोजकबंधुओनी वर्षानी महेनत, दृष्टि अने मार्गदर्शननुं जे महत्व छे, एनो मारा उपर ऋणभार छे ते स्वीकार छु, अमारी संस्थाना ए समयना डिरेक्टर श्री दलमुखभाईना सीधा मार्गदर्शनमां आ पुस्तक तैयार थयुं छे. एटले पण आ पुस्तकमां कांईक सरळता जेवु देखाशे अने अघर काम सहेलु बनी गयुं छे. विशेषमां जैन समाजनी अने धर्मनी मने न समजाय एवी पारिभाषिक मुश्केली पं. श्री. बाबुभाईए समजावेली. श्री कनुभाई शेठ साथे यथावकाश जरूरी चर्चा करेली. आम दरेक रीते अमारी संस्थाना कार्यकरोनो शक्य एटलो साथ लईने तैयार थयेलु आ पुस्तक एक मोटो 'सहयोग' छे. डॉ. रमणीकभाई शाहे प्रूफ जोवामां सहायता करी छे तेनी सहर्ष नांध लडं कुं. आमां रद्देली क्षतिओनी जवाबदारी मारी खरी, पण ए तरफ ध्यान दोवानी पूरी जवाबदारी तो वाचकत्रर्गनी गणु छु एटले हवे विशेष कांई बाकी रहेतु नथी. अमदावाद ९ जून १९७८ विधात्री वोरा संपादिका Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रम . १ जैन आगम टीका २ आगमिक प्रकरण (स्तबक-बालावोध) ३ आचारविधि (पूजा-आरती सहित) ४ आचारोपदेश ५ थोकडा-बोल-यन्त्र-वचनिकादि ६ तत्त्वज्ञान-न्याय ७ योग पृष्ठांक १-२७ २८-१५ ४६-७९ ७९-९७ ९८-१०१ १०२-१०९ ११०-१११ १११-११९ ११९-१२६ १२६-१२८ १२८-३१५ ३४६-३६२ ३६२-१२६ ४२७-४२८ ४२८-४४२ ९ चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी १० प्रकीर्ण ११ स्तुति-स्तोत्र आदि - १२ गीत-पद १३ सज्झाय (स्वाध्याय) -------...-...-......... १४ गणित १९ ज्योतिष - १६ सामुद्रिकशास्र १७ स्वरोदय १८ रमलतंत्र १९ नैमित्तिक २० भडलीशास्त्र शिल्प २२ विज्ञान २३ आयुर्वेद २४ औषधकल्प (आयुर्वेदान्तर्गत) २५ मंत्रकल्प ( , ) २६ अश्वशास्त्र २७ अर्थशास्त्र २८ व्याकरण २९ छंदशास्त्र ३. अलंकार ४४४-४४५ ४४५-४५१ ४५२-४५३ ४५३-४५४ ४५४-४५५ ४५५-४६३ ४६४-४६१ ४७०-४७३ ४७४ ४७४ ४७६ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१०] पृष्ठांक ४७६-४७७ १७७ ४७८ ४७८ ४८०-४८८ १८९-४९. ४९१-१९३ ४२३-५३५ ५३६-५४२ ५४३-५९३ ३१ कोश ३२ कोकशास्त्र ३३ शृंगारशास्त्र ३४ संगीत ३५ हवेलीसंगीत ३६ कथा - ३७ वार्ता ३८ व्याख्यान-आख्यान ३९ सज्झाय (व्यक्तिविषयक) चरित्र । ४१ चउपई४२ ढालियां - ४३ नवरसो ४४ रास... ..... ४५ विवाहलो ५६ वेली ४७ प्रबंध ४८ भास ४९ संधि फागु ५। बारमासी काव्यो ५२ वसंत ५३ ओलभो ५४ गीत ५५ कडखो गरबो-आरबी ५७ गहुंळी ५८ चंदडी ५९ चोक ६० छंद ६१ छाहली जकडी झीलणां-झूल गां ६४ धवल ५५ लावणी ६००-६०२ ६०२-६९३ ६९३-६९६ ६९७-७०१ ७०१-७०६ ७०६-७१८ ७१८-७२१ ७२१-७२४ ७२४-७३३ ७३३-७३४ ५६ ७३५-७६८ ७६८ १६९-७७० ७७०-७७२ ७७२ ७७२-७७२ ७७३-७९२ ७९३ ७९३-७९४ ७९४ ७९४-७१६ . . ____ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० हमची सवैया हालरडु - हिंडोलडां कवित्त दूहा सुभाषित हरियाली ७ ७२ ७३ हुंबां ७४ अणखी अने गयघटां संवादात्मक कृतिओ वर्णन तीर्थस्थान गीतो निर्वाणवर्णन ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ पट्टावली - गुर्वावली सलोको ८० ८१ ८२ ८३ ८४ ८५ कक्को ८६ एकत्रीसो ८७ एकवीसो ८८ चोवीसी ८९ चोसठी ९० छत्रीसी ९१ छतेरी ९२ पचीसी- पंचाशिका ९३ बत्रीसी ९४ बावनी ९५ वीशी ९६ ९७ कळश कागळ - पत्र - लेख नाम-यादी वर्णन अने वर्णनात्मक कृतिओ शतक काव्यो सिसरी [११] पृष्ठांक ७९७-७९८ ७९८-७९९ ७९९ ८००-८०१ ८०१-८०४ ८०४-८०९ ८०९८१२ ८१२ ८१३ ८१३-८१६ ८१६ -८१८ ८१८-८२४ ८२४-८२५ ८२५-८२७ ८२८ ८२८-८२९ ८३० ८३३-८३४ ८३५ ८३६ ८३७ ८३८ ૦૨૮ ८३८ ८३९-८४२ ८४२ ८४२-८४६ ८४७-८५० ८५०-८५१ ८५१ ८५२ -८५४ ८५५ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रंथ-संकेत १ आ.का.म.मुं. २ कविचरित ३ गु.हा.सं.या. ४ जे.गू क. ५ जै.धा.प्र.ले.स. : आनंद काव्य महोदधि, भा. १-८, संपा. जीवण बंद झवेरो, दे. ला. फंड, मुंबई, १९१३-१९२७. : भा. १-२, संपा. के. का. शास्त्री, अमदावाद, १९३९-४१. : गुजराती हाथप्रतोनी संकलित यादी, संपा. के. का. शास्त्री, गुजरात विद्या सभा, अमदावाद, १९३९. : जैन गूर्जर कविओ भा. १-३, संा. मो. द. देसाई, जैन श्वे. __ कोन्फरन्स, मुंबई, १९२६-१९४४. : जैन धातुप्रतिमा लेखसंग्रह, भा. १-२, संपा. बुद्धिसागरसूरि, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, मुंबई, बुद्धिसागरसूरिजी ग्रंथमाला, ५२-६४, १९१७-१९२४. : जैन परंपरानो इतिहास, भा, १-३, संपा. त्रिपुटि मुनि, चारित्र स्मारक ग्रंथमाला, अमदावाद, १९५२-१९६४. : जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, ले. मो. द. देसाई, जैन श्वे. कोन्फरन्स, मुंबई, १९३३. : प्रशस्ति संग्रह, सं.-प्रका. अमृतलाल म. शाह, अमदावाद, १९२६. बीकानेर जैन लेखसंग्रह, संपा. नाहटा अगरचंद अने भंवरलाल, अभय जैन ग्रंथमाला, प्रका. नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता-७, वीर-१४८२. ६ गै.प इति. ७ गै.सा.इति. ८ ९ प्र.सं बी जै.ले.स. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टोका कनकसुंदर गणि (तप.) १-ज्ञाताधर्मकथांग-स्तबक; ले. स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ; पत्र २६.: २५.९४११.१ से.मि.-अपूर्ण. कर्ता-वडातपगच्छना देवरत्नसूरिनी परम्परामा विद्यारत्नना शिष्य छे. १७मा शतकना - छे. मूळ रचना प्राकृतमा छे. पत्र-१, ४, १३, १५, ३७, ४१, ४५, ५९, १२८, १२९, - १५६, १६४, १६९, १७०, १७६, १७९ अने २५५ नथी. प्र.सं./१ परि./७९२६ २-ज्ञाताधर्मकथांग-स्तबक; ले, स. १७९ शतक (अनु.) हाथकागळ. पत्र ४०८: - २६.८x११ से.मि.--ग्रंथाग्र ५५००-अपूर्ण. अंतिमपत्र नथी. प्र.सं./२ परि:/३६०६ खीमाविजय (क्षेमविजय) (त.) .. कल्पसूत्र-स्थविरावलि-स्तबक र. सं. १७०७; ले. स. १८१८थी १९५३; हाथकागळ पत्र ५०२, २६.३४१२ से.मि. कर्तानो समय विक्रमना १८मा शतकनो छे, तपगच्छना देवविजयनी परंपराना शांतिविजयना शिष्य छे. भद्रबाहुस्वामीनी मूळ कृति प्राकृतमा छे. प्र.स./३ परि./११४९ जिनविजय (तप.) १-आवश्यकसूत्र बालावबोध र. स. १७५१ ले. स. १८९५; हाथकागळ पत्र १७५, २४.६४१३ से.मि.-हिपाठ. कर्ता तपागच्छीय यशोविजयना शिष्य छे. एमनो समय विक्रमना १८मा शतकनो छे. (जै. गू. क. पृ. १३७०). प्र.सं./४ __परि./७९०५ २. आवश्यक सूत्र-स्तबक र. सं. १७५१ ले. सं. १८४९, हाथकागळ पत्र १३८; २५.८४ ११.८ से.मि. पं. माणिक्यविजयगणिए विद्यतपुरमां आ प्रति लखी छे. परि./२४३१ ३-आवश्यक सूत्र-स्तबक (र. सं. १७५१), ले. स. १८७०; हाथकागळ पत्र १२३; २५.२४११ से.मि. कुशलविजय गणिए ईडरगढमां प्रति लखी छे. परि./२३३१ प्र.सं./५ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका जीवविजय (तप.). १-प्रज्ञापनासूत्र-स्तबक. र. स. १७८४; ले. स. २०मुशतक (अनु.) हाथकागळप त्र ३२६ सुधी. २६.८४११.७ से.मि.; थाग्र ७७८७ (मूळने।) संपूर्ण-प्रति बे भागमां वहँची नाखवामां आवी छे. विक्रमना अढारमा शतकना आ कर्ता तपगच्छना विजयसिंह> गजविजय> गुणविजय > हितविजय> ज्ञानविजयना शिष्य छे. श्यामाचार्यनी मूळ रचना प्राकृत भाषामां छे. प्र.सं./७ परि./१०५८(१) २---प्रज्ञापना सूत्र-स्तबक र. सं. १७८४; ले. स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ ३२७थी ३६२; २६.८४११-७ से.मि.; ग्रंथाग्र (स्तबक) २८००० संपूर्ण-प्रति बे भागमां वहैंची माखवामां आवी छे.. प्र.स./ परि./१०५९(२) ३-प्रज्ञापना सूत्र-स्तबक. र. सं. १७८४ ले. स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२२; २५४१२.३ से.मि.-प्रांथाग्र ५२७८४. प्र.सं./९ परि./२०७८ १-जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति-स्तबक: ले. स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २५८; २८४१३ से.मि.-नांथाग्र ५१४६. मूळ कृति प्राकृतमा छे. प. न्यानविजये आ प्रति लखी छे. प्र.सं./१० परि/१४३ २-जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति-स्तबक र. स. १७७०; ले. स. १७९७; हाथकागळ पत्र २५५ २५.३४१ से.मि.-ग्रंथाग्र ४१४६+१५०००. आ प्रति देवविमले गारबदेसरमां लखेली छे. प्र.सं./११ परि./८०९८ ज्ञानविमल (नयविमल.) (तप.) कल्पसूत्र (ढाळबद्ध) बालावबोध ले. स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६६. २६.८४१२.५ से.मि.-प्रथाग्र ५३५० ___कर्ता तपगच्छना विनयविमलनी परम्परामां धीरविमलना शिष्य छे. जन्मे १७मा शतकना पण कवि तरीके १८मा शतकना छे. (जै. गू. कविओ-मो. द. देसाई, पृ.३०८) घेलाशाना बरवाळामां दोला नानजीओ आ प्रति मुनि प्रश्नविजयजी माटे लखी. प्र.सं./१२ परि./३२४ ताराचंद शेठ श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र-स्तबक ले. स. १७९४; हाथकागळ पत्र ४२: २६४११.६ से.मि. -ग्रांथाग्र मूळ ७०० ग्रांथाग्र स्त्तबक २३००-तूटक. पत्र-२५ अने २६ नथी. .. कर्ता चित्तोडना सुप्रसिद्ध भामाशाहना भाई छे. अने समय विक्रमनी 1६मीथी १७मी Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका सदीनो गणी शकाय. (विशेष विगत माटे जुओ. ज.सा.इति.-मो. द. देसाई-पृ. ५६५ (८२६) मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स./१३ परि./२४३५ श्रावक षडावश्यक सूत्र-स्तबक ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३. २५.९४११.५ से.मि. प्रथाग्र ११००. प्र.सं./१४ परि/५८३९ नयविजय (त.) कल्पमूत्र-स्तबक ले. स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५६. २४.४४१०.५ से.मि. -तूटक. पत्र ११७ थी १२२ फाटेलां छे. कर्ता तपगच्छना विजयदेवसरिना शिष्य छे. प्र.स/१५ परि./५०९४ पद्मसुंदरगणि (त.) भगवतीसूत्र-स्तबक ले. स. १७९४; हाथकागळ पत्र ७४२. २५.८४११ से.मि.-संपूर्ण. कर्ता बृ. तपगच्छना धनरत्नसूरिनी परंपरामां राजसुंदरसूरिना शिष्य अने समय १८९ शतक. पंडित मुनिकल्लोले भट्टनेर गाममा मूळ साथे आ प्रति उतारी. प्र.सं./१६ परि./४८४९ पार्श्वचंद्र (ना. तप.) १-आचारांगसूत्र बालावबोध ले. स. १६९ शतक. (अनु.); हाथकागळ पत्र ९-१०६; ३०.५४११.५ से.मि.-तूटक. कर्ता बृहत्तपा नागोरी गच्छना साधुरत्नना शिष्य छे अने १६मा शतकना अनुमानवामां आवे छे. (जै. गू. क. पृ. १६८८.) प्रति जीर्णावस्थामा छे. पत्र १-८ अने १७मुं नथी. पत्र-२१ मांनो टुकडो नथी; ३९, ४२ थी ५९, ६२थी ७२ पत्रो नथी. प्र.स./१७ परि./१२६५ २-आचारांग सूत्र सत्क विमुक्तिचूला-बालावबोध ले. सं. १७३०; हाथकागळ पत्र २. २४.५४१०.७ से.मि.-पंचपाठ, प्र.सं./१८ परि./६०१ ३-आचारांग सूत्र-बालावबोध ले. स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२१. २६.८४११ से.मि.-त्रिपाठ. पत्र ४४९ डबल छे. पत्र १ पाछळथी लखेलुं छे.. प्र.सं./१९ परि./२९६५ ४-आचारांग सूत्र प्रथम श्रुतस्कंध बालावबोध ले. सं. १६७२; हाथकागळ पत्र ८४. २६.२४११ से.मि.-पंचपाठ. आ प्रति बीबीपुरमां लखायेली छे. प्र.सं./२० परि./५४७६ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका ५ - आचारांग सूत्र - वार्तिक ले. स. १५७७; हाथकागळ पत्र ११५ २६ २x११.३ से. मि; प्रथम श्रुतस्कंध प्रति जोशी पोपाओ पाटणमां उतारी छे, प्र.सं./२१ परि. / ३००० ६ - उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध स्तबक, ले. स. १९१९; हाथकागळ पत्र २९१ २७.५४ १३.४ से.मि. अध्ययन - २ पर्यंत त्रिपाठ. पत्र २३५ डबल छे, पत्र २४४ - २४५ भेगां छे. प्र.सं./२२ परि. / ४२६ हाथकागळ पत्र २९२थी ७- उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध - स्तबक ले. स. ५३८; २७-५×१३.४ से.मी.; अध्ययन ३-४ सुधी; त्रिपाठ १९१९; प्र.सं./२३ ८ - उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध - स्तबक ले. स. १९१९, ७८२; २७-५×१३.४ से. मि.; अध्ययन ५- १३ सुधी, त्रिपाठ पत्र ६३८ बेवडा छे अने ६५९मुं व्रणवार छे. प्र.सं./२४ परि ४२८ ९ - उत्तराध्ययनसूत्र बालावबोध - स्तबक ले. स. १९१९; हाथकागळ पत्र ७८३ थी १०४५; २७.५४१३.४ से.मि.; अध्ययन १४ - २२. पत्र १०३५-१०३६ भेगां छे. प्र. सं./२५ परि. / ४२९ १० – उत्तराध्ययन सूत्र बालावबोध - स्तबक ले. स. १९१९; हाथकागळ पत्र १०४६थी १२१०: २७.५×१३·४ से.मी.; अध्ययन २३थी संपूर्ण पत्र १०४६मुं डबळ छे. पत्र ११६९थी ११७० भेगां छे. पत्र १२०९ - १२१० जीर्ण छे. प्र. सं. / २६ परि / ४२७ हाथकागळ पत्र ५३९ थी परि. / ४३० ११ – उत्तराध्ययन सूत्र - स्तबक ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २१५% २५.३४११ से. मि. ग्रंथाग्र ९००० परिच्छेद -२ पृष्ठिका उपर सुंदर चित्र छे. डबल छे. पत्र १३० अने १३१ भेगां छे. पत्र ७९ थी ९६ प्र. सं/२७ दशवैकालिक सूत्र - स्तबक ले. स. १९१९, हाथकागळ पत्र १२५; ( मूळ ) ग्रंथाय २३४०. शय्यभवसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे, साधु गोविंददास खुशाला से पालगपुरमा प्रति उतारी छे. प्र.सं./२० प्र. सं / २९ तंदुलवैचारिक - बालाक्वोध ले. स. १७ शतक ( अनु. ), हाथकागळ २५.१४१००९ से.मि. - ग्रंथाय १५००. मूळ रचना प्राकृतमां छे. परि०/२६८३ २६.६९११.७ से.मि. परि. / १०७५ ३१; पत्र परि. / ३१७१ Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका भावप्रभसूरि (पूर्णि) कल्पसूत्र-स्तवक ले. स. १७९२, हाथकागळ पत्र १७७. २६.२४११.५ से.मि.ग्रंथान १२१६. कर्तानुं बीजु नाम भावरत्नसूरि पण छे. तेओ पूर्णिमा गच्छना विनयप्रभसूरिना प्रशिष्य अने महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. ( जै. गू. क. पृ. १४२४, जै. गू. क. भा. २ पृ. ५०३ ) जै, गू, क. मां आ रचना नोंधायेली नथी. परंपरा आ प्रतिमाथी मळे छे: भाणरत्ने प्रति लखी छे. प्र.सं./३० परि./३१६२ मुनिसुंदरसूरि (त.) आवश्यक · सूत्र बालावबोध ले. स. १९मु शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ४८; २५.७४१२ से.मि.-अपूर्ण ___कर्ता तपगच्छना सोबसुंदरसूरिना पट्टनायक छे. जन्म १४३६ स्वर्गवास १५०३ जै.सा. इति. फकरा ४९४-४९८.) (प्रतिमां आदिमां परंपरा मळे छे. मूळ सूत्र प्राकृतमां छे. प्रति जीर्ण छे. पत्र ९,४४,४५ नथी. प्र.सं./३१ परि./१७४५ मेघराज (पाव') उत्तराध्यन सूत्र-स्तबक ले. स. १७मुं शतक (अनु): हाथकागळ पत्र २३७. २३.६४१०.३ से.मि.-प्रांथाग्र ९००० तूटक. . कर्ता पाश्चं द्रगच्छीय श्रवणऋषिना शिष्य छे अने १७मा शतकना छे. (जै. सा. इति पृ. १६०३ ). प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३२ परि./६६३८ १-राजप्रश्नीय सूत्र-स्तबक र. स १६५९, ले. स. १८६१. हाथकागळ पत्र ३१९, २३४१०.७ से.मि.-वाडी हरदेव छगनजीए प्रति भुजनगरमां लखेली छे. एमां पृष्ठिकामां सुंदर चित्र छे. प्र.स./३३ परि /५११८ २-राजप्रश्नीय सूत्र-स्तबक. र. सं. १६६९. ले. स. १७६०, हाथकागळ पत्र १०५; २५.१४11 से.मि.- ग्रंथाग्र ३२६८४ २२२० त्रिपाठ. प्रति जेसलमेरमां लखाई छे. प्र.स./३४ परि./४२३४ ३-राजपनीय सूत्र-स्तबक. र. स. १६६९ ले.स. १६८९, हाथकागळ पत्र १८७.२५.५४ ११.२ से.मि.-प्रथाग्र २२२० + ३२८९. मुनि सुजाओ आ प्रति लखी छे. प्र.सं./३५ परि/३१६२ ४-राजप्रश्नीय सूत्र-स्तबक र. सं. १६६९, ले. स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४२, २५.८ x ११.३ से.मि.-थाम ३२६८. प्र.सं./३६ परि/३000 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका मोल्हक (जीवर्षिगणिशिष्य ) औपपातिक सूत्र-बालावबोध र. स. १६६२, ले. स. १८२२, हाथकागळ पत्र ७०, २६.२४ ११.१ से.मि-त्रिपाठ. पं. रामानंद गणिए उज्जैनमा प्रति लखी छे. प्र..सं./३७ परि./४७८६ राजचंद्र औपपातिक सूत्र-स्तबक ले. स. १६८१, हाथकागळ पत्र ११९, २६४११ से.मि. ग्रांथाग्र ५००० कर्ता पार्श्व चंद्रीय रामचंद्रसूरिना शिष्य छे. जै. सा. इति.मां आ रचना राजचंद्रने नामे नांधायेली नथी. प्रति पाटणमां लखायेली छे. प्र.सं./३८ परि./४६३३ दशवकालिक सूत्र-स्तबक र. सं. १६६७, ले. स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५२, २५.४४११.१ से.मि.-अ प्र.सं./३९ परि./३९२० दग. राजहंस (ख) दशवकालिक सूत्र-बालावबोध ले. स. १७मुशतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ७५, २५.५४१०.८ से मि.- संपूर्ण. कर्ता-खरतर गच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां हर्षतिलकसूरिना शिष्य, समय १७९ शतक. पत्रा ६०, ६६, ६८ पाछळथी लखेलां छे. प्र.सं./४० परि./५११९ विनयविमल उपा. ( तप) देववंदनादि भाष्यत्रय-स्तबक ले. स. २०मु शतक (अनु), हाथकागळ पत्र ४७; २५.८x ११-६ से.मि.-सपूर्ण. कर्ता तपगच्छना छे, अने तेओ स. १६५४मां हयात हता. (प्र. सं. पृ. १५४, ६०५) आ कर्ता जै. सा. इति. मां नेांधायेला नथी. देवेन्द्रसूरिनी मूळ कृति प्राकृतमा छे. प्र.स/४१ परि./८०९४ शिवनिधान गणि (ख). कल्पसूत्र व्याख्यान ५-७ स्तबक (र. स. १६८० ). ले. स. १८मुं शतक (अनु ). हाथकागळ पत्र १२० थी २३६, २६४११.६ से.मि. पत्र १ थी ११९ नथी. ___का खरतर गच्छना हर्षसारना शिष्य अने १७मी सदीना छे. जै. गू. क. पृ. १५९९. प्र.सं./४२ परि./२३३९ समयसुन्दर (ख) षडावश्यक सूत्र-बालावबोध ले. स. १७३८, हाथकागळ पत्र ४०; २५.५४ १०.९ से.मि. थाग्र १५८२....: कर्ता खरतर गच्छना सकलचंदना शिष्य छे. राजलाभगणिए वणाडमां प्रति उतारी छे. प्र.सं:/४३ . परि./३०५४ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका संवेगरंग गणि (संवेगदेव गणि) (तप.) पिंडविशुद्धि प्रकरण बालावबोध-र. स. १५१३ ले. स. १६५५, हाथकागळ पत्र २६, २६.३४११ से.मि.-गाथा १०३. कर्ता तपगच्छना सोमसुंदरसूरिना शिष्य रत्नशेखरना शिष्य छे अने १५-१६मा शतकना छे. (जै. गू. कविओमां मो द. दे. पृ. १५८०). जिनवल्लभगणिनी मूळ कृति प्राकृतमा छे. प्र.स./४४ परि./२९२३ पिंडविशुद्धि प्रकरण-बालावबोध र. स. १५१३, ले. स. १६४९, हाथकागळ पत्र ३७. २५.५४१०.९ से.मि.-गा. १०४-त्रिपाठ, प्रति मांडवगढमां देवचंदनी लखेली छे.. प्र..स./४५ परि./५६५७ सुखसागर ( तप) पाक्षिक सूत्रा-स्तबक-र. स. १७७३ ले. स. १९१७, हाथकागळ पत्र १६२ २६.४४१२.७ से.मि.-त्रिपाठ ____ कर्ता तपगच्छना दीपसागरना शिष्य छे अने १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. पृ. १६३६). प्र.स./४६ परि./७५०९ सोमविमलसूरि (तप.) १-कल्पसूत्र-अन्तर्वाच्य-स्तबक ले. स. १६८७; हाथकागळ पत्र १०१. २६.२४११ से.मि. कर्ता हेमविमल सूरिनी परंपरामां सौभाग्यहर्षसरिना शिष्य छे. समय १७मा शतकनो छे. (जे, गू. क. पृ. ६४९). जन्म सं. १५७०. (विशेष विगत माटे जुओ जै. परंपरा इतिहास पृ. ६८८, ८९). प्र.सं./४७ परि./१८१८ २-कल्पसूत्र-स्तबक ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४६; २५४११.२ से.मि. गथाग्र १२१६-अपूर्ण. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४८ परि./२५०४ ३-कल्पसूत्र - स्तबक ले. स. १९# शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १२७ २९.५४११.५ से.मि. प्रथम पत्रमा चित्र छे. प्र.स./ ४९ परि./८७५५ ४-कल्पसूत्र-स्तबक ले. स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १००. २५४११ से मि. प्रयाग १२१६. प्रतिमां कोई कोई ठेकाणे 'पंचपाठ' छे. प्र.सं./५० परि./६१३० Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जान आगमटीम हेमविमलसूरि (तप.). १-कल्पसूत्र-स्तबक ले. स. १८७७; हाथकागळ पत्र २११; २९४११.८ से.मि.: कर्ता तपगच्छना सुमतिसाधुसूरिना पट्टधर आचार्य छे. जन्म वि. सं. १५२०-२२, (जै. परंपरा इतिहास पृ. ६८०-६८५.) पं. दलपतकुशले मणवाडमां प्रति उतारी छे. प्र.सं./५१ परि-/११४३ २-कल्पसूत्र-स्तबक ले. स. १७४२; हाथकागळ पत्र १६९; २७४११.९ से.मि. प्रभकुशलगणिनी आ प्रति दोसडानगरमां लखाई छे. प्र.सं./५२ परि./१७७४ हेमहसगणि (तप) १-षडावश्यक सूत्र-बालाववोध (र. स. १५०१). ले. सं. १६६५: हाथकागळ पत्र ९३. पत्र ९२९ नथी. २५.९४११ से.भि.-तूटक. कर्ता तपगच्छना सोमसुंदरसूरिना शिष्य मुनिसुंदरसूरिना शिष्य छे अने एमनो समय १६मी सदीनो छे. स्वर्गवास १५६८. (जै. गू. क. पृ. १५८७)-आ रचना जै. गू. क. मां अमने नामे नोंधायेली नथी. प्र.सं./५३ परि /४८२० २-घडावश्यक बालावबोध सह र. सं. १५०१; ले. स. १६८१; हाथकागळ पत्र ६०. २४.६४१०.७ से.मि.' ऋषिवरसिंघे बकूर्कपल्लीमा प्रति उतारी. प्र.सं./५४ परि./६५९९ ३- षडावश्यक सूत्र-बालावबोध र. सं. १५०१ ले. स. १७२८; हाथकागळ पत्र ७३, २४.६४११ से.मि. दानश्रीए अहमदनगरमां लखेली. (र. सं. कृति नं. ६५९९ प्रमाणे,) प्र.सं./५५ परि./४३८३ ४-षडावश्यक सूत्र बालावबोध (र. सं. १५०१) ले. स. १५३३; हाथकागळ पत्र ५५. . २६.१४११ से.मि. ... शीरोहीमां ब्राह्मण हरदासे आ प्रति उतारी. प्र.स./५६ परि./२३०१ अज्ञातकर्तृक (आगमविभाजनक्रमे) आचारांग सूत्र (प्र. श्रुतस्कंध ) ले. स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९, २५४११.१ से.मि-३२५०-तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./५७ परि./४२३६ सूत्र कृतांग सूत्र ( दितीय श्रुतस्कंध) बालाववोध ले. स. १७९ शतक (अनु). हाथकागळ पत्र १९. २६.६४९०३ से.मि.-संपूर्ण. प्र.सं./५८ परि/७२९६ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका २ सूत्रकृतांगसूत्र - बालावबोध ले. सं. १७१२; हाथकागळ पत्र १२२, २५.२४११.३ से. मि. त्रिपाठ. गणि विनीतकुशळे वाडेजपुरमां प्रति लखी छे. परि. / २६९१ सूत्रकृतांगसूत्र (द्वि.श्रु.) स्तबक, ले. सं. १७९७ हाथकागळ पत्र १२७; २६.१ ११.८ से. मि. - द्विपाठ. प्र.सं./ ६० प्र.सं./५९ परि./१८६६ स्थानांगसूत्र - टिप्पण ले. स. १७ शतक (अनु), हाथकागळ पत्र १४२. २६.८x११-२ से. मि. – प्रथाय ३७००. प्र.सं./६१ स्थानांग सूत्र - स्तबक ले. सं. १९२१; हाथकागळ पत्र २१८; - ग्रंथाग्र. १४९७३. प्र. सं / ६२ परि / २०८६ १ -- भगवतीसूत्र - बीजक. ले. सं. १८७३; हाथकागळ पत्र १० ११.५४२५.२ से.मि. पद्मरंगमुनिओ विक्रमपुरमा प्रति उतारी छे. आ प्रति ऋषि अखैराजे जेसलमेरमां उतारेली छे. प्र.सं./६३ परि. / ४००९ २ - भगवती सूत्र - बीजक ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ११; २६.४४ १०.९ से.मि. - तूटक संपूर्ण. प्र. सं. / ६४ ३ - भगवतीसूत्र - स्तबक ले. सं. १९०८; हाथकागळ पत्र ( शतक ११, उद्देशो - ११ ). प्र.सं./६५ प्र.सं./६६ परि. / १०२३ ४ - भगवती सूत्र - स्तबक ले. सं. १९०८; हाथकागळ पत्र २६; २६-३४१२.६ से.मि. - अपूर्ण - शतक ३. उद्देशो १०; प्रति कृष्णगढमां लखायेली छे. परि. / ७९१५ २५४१२ से.मि. प्र.सं./६८ १९; परि. १०२६ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र - स्तबक ले. सं. १७३३; हाथकागळ पत्र ३४४; २५०५४१०.८ से. मि. — प्रथाग्र १४०३१. प्र.सं./६७ परि./८५६२ २६०५×१२.७ - अपूर्ण परि./१८९३ ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र-स्तबक ले. सं. १९३५; हाथ कागळ पत्र ३५७; २४.२x११.५ से.मि. — ग्रंथाग्र ९००० (मूळ ग्रंथाग्र ५५०० ). द्विपाठ पत्र ९२मु बेवडायुं छे. परि./१८४८ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका . ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र-स्तबक ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३५५ २४.७४ ११ से.मि.-तूटक. पत्र ३५६९ नथी. पत्रो ७६, ७७, १४५, १४९, १५४ अने १५५ नवां लखेलां छे. प्र.सं./६९ . परि/४८५५ उपासकदशांगसूत्र-स्तबक ले. सं. १८५६; हाथकागळ पत्र ४९; २७४११.२ से.मि.ग्रंथाग्र. ९१२. __ गुलाबशिष्य नानजीओ लाटापुली ( लाटपुल्ली)मां प्रति उतारी छे. नरसिंहजीनी पाटे रायचंदजी, तेमनी पाटे आचार्य श्री देवप्रभसुरीजी तेमनी पाटे शिष्य गुलाबभाई वीरचंदने माटे प्रति लखाई. प्र.स./७० परि/१६७३ उपासकदशांगसूत्र-स्तबक ले. स. १८मु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ३८: २५.८४११ से.मि.; ग्रंथाग्र-२५८६. प्र.सं./७१ परि/३१६० अंतकृतदशांगसूत्र-टिप्पणी ले. स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३, २५.७४११.२ से.मि.-थाग्र-८२५. प्र.स./७२ परि./३०१७ अनुत्तरौपपातिकसूत्र-स्तबक ले. सं. १८२७; हाथकागळ पत्र १८. २४.७४१०.७ से.मि. ग्रंथाग्र १९२. प्रति हरिदुर्गमां लखायेली छे.. प्र.सं./७३ परि./७९४० १-प्रश्नव्याकरणसूत्र-स्तबक ले.सं. १७२४, हाथकागळ पत्र ९२: २४.६४११ से मि. पृष्ठिका उपर सुंदर चित्र छे.. प्र.सं./७४ परि./२३२४ २-प्रश्नव्याकरणसूत्र-स्तबक ले. सं. १८४९, हाथकागळ पत्र ९३; २५.२४११.५ से.मि. मूळ ग्रंथान १२५०; स्त. ग्रंथाग्र ५००० मुनि विनीतसागरे आ प्रति उतारी छे. प्र.स./७५ परि./२३३३ प्रश्नव्याकरणसूत्र-स्तबक ले. स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०८; २५.१४११ से.मि. प्र.स/७६ परि/७९७५ पाकसूत्र-टिप्पणी ले. सं. १६००: हाथकागक पत्र ५६, २६४११.२ से.मि.--- __ पत्र २८९ बेवडायु छे. प्र.सं./७७ परि/३०१९ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका १-औपपातिकसूत्र-स्तबक ले. सं. १८२९; हाथकागळ पत्र १२८. २५.३४१०.८ से.मि. -प्रांथाग्र ६०००. पं. रूपसागरे गोधावीमा प्रति उतारी. प्र.सं./७८ परि/३७४४ २-औपपातिकसूत्र-स्तबक ले. सं. १९७(०); हाथकागळ पत्र ८०: २५.८४११.५ से.मि. ग्रंथाग्र ५४००. प्रति बीकानेरमां लखायेली छे. प्र.सं./७९ परि./२३२५ औपपातिकसूत्र-स्तबक ले. सं. १७२२; हाथकागळ पत्र ८१. २५४११.१ से.मि.थाग्र ५५२५. विनय प्रभसूरिए आ प्रति पाटणमां लखी छे. प्र.सं./८० परि./२६८५ जीवाभिगमसूत्र-स्तबक ले. सं. १९२०, हाथकागळ पत्र २६३; २५.२४१२ से.मि.ग्रंथाग्र ४८००+२५८०० तूटक. अखैराजऋषिए प्रति जेसलमेरमा उतारेली छे. पत्र ८८, ९२ अने ९५ नथी. प्र.स./८१ परि./२०७७ प्रज्ञापनासूत्र-स्तबक ले. सं. १९२०, हाथकागऊ पत्र ४५८ २५.५४११.८ से.मि. ग्रंथाग्र ६६११७. पत्र १४-१५ मेगां छे. प्र.सं./८२ परि./२३२९ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-विचार ले. स. १८मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४३९; २५.७४११.८ से.मि.प्र.सं./८३ परि./४ १२९/२ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-स्तबक ले. स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४५. २६.१४११.१ से.मि.-अपूर्ण. प्र.सं./८४ परि./३३६५ कल्पसूत्र-कल्पलता-वार्तिक ले. स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२. २६.७x १२.७ से.मि. आ प्रति वादळी रंगना कागळमां लखायेली छे. प्र.सं./८५ परि./२१८ कल्पसूत्र-टीका वार्तिक-अंतर्वाच्य ले. सं. १७६८; हाथकागळ पत्र १६२. २५.७४११.५ से.मि.-द्विपाठ. नांथाग्र ५०००. आमां अंतर्वाच्य संस्कृतमां अने टीकावार्तिक गुजरातीमां छे. पं. राजहंसगणिए बिदिरपुरमा प्रति लखी. प्र.स./८६ परि./६६३४ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ कल्पसूत्र बालावबोध ले. स. १५ शतक ( अनु. ); हाथकागळ १७० ; से. मि. - अपूर्ण. पत्र ५८मु नथी. प्र.सं./८७ परि./५४६ कल्पसूत्र बालावबोध ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९३; २९.८४११-१ से.मि.—ग्रंथाग्र ३००५ - अपूर्ण. पत्र ८१ थी ८७ नथी. प्र. सं / ८९ प्र.सं./८८ परि. / १२८५ कल्पसूत्र - बालावबोध ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १६४; २७.८४१२.५ - अपूर्ण - द्विपाठ. कृति 'स्थूलभद्रचरित्र' पर्यन्त छे. कल्पसूत्र - स्तबक ( बालावबोध ) ले. सं. १७९८ : से मि. - . ग्रंथाग्र १२१६ ८ व्याख्यान सुधी. अपूर्ण तूटक पं. नायक विजयगणिनी उतारेली आ प्रति छे. जैन आगम टीका प्र.सं./९५ हाथकागळ पत्र १२२. प्र. सं./९० परि / १८७९ कल्पसूत्र - बालावबोध ले. सं. १८६३; हाथकागळ पत्र १०९; २५×११.२ से.मि. - प्रति शुद्धदंति नगरमां लखायेली छे. प्र.सं./९१ परि./६०७४ प्र.सं./९२ कल्पसूत्र - बालावबोध ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २१. २५.८४११ से. मि. परि. / ७८४१ कल्पसूत्र बालावबोध पीठिका ले. सं. १८९५; हाथकागळ पत्र ७. २६४१२०७ से.मि. परि / ८०२७ प्र.सं./९३ ३१.५x१२-२ कल्पसूत्री मांडणी - प्रारंभणुं ले. स. १६मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३. २६-३ × ११.२ से.मि. प्र. स. / ९४ परि./३२७८ कल्पसूत्र - सामाचारी-सार ले. सं. १८२३; हाथकागळ पत्र ४ २५४११.६ से. भि. जोधपुरना संघवी उपाश्रयमां मोहनविजये आ प्रति लखी छे. प्रति जीर्ण छे. परि / ११९० २६.२x१२.५ कल्पसूत्र - स्तबक ले. स. १९मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र १०६; से.मि. द्विपाठ. किंचिदपूर्ण. प्र. सं. / ९६ प्रसं / ९७ परि / ३०६ २६-४×११.६ परि/७२७७ कल्पसूत्र-स्तबक ले. सं. १८७७; हाथकागळ पत्र २९२. २५४११.९ से.मि. - तूटक. मुनि रंगविजये ईडरमां प्रति लखी छे. पत्र १ - २१० नथी. परि / ५०११ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका कल्पसूत्र-स्तबक ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७९. २६४११.२ से.मि. - थाग्र ७२१६. -अपूर्ण. पत्र ९मुं बेवडायु छे, पत्र १८०९ नथी. प्र.सं./९८ परि /३१३५ कल्पसूत्र-स्तबक ले. सं. १८६०; हाथकागळ पत्र १७४; २७.७४१३ से.मि.--तूटक. पं. उमेदविजयगणिए पल्हाणपुर (पालणपुर)मां आ हस्तप्रत लखी छे. प्रतिमां ७५९ पत्र नथी, आदि-अंतनां पानां सांधेलां छे. प्रति जीर्ण दशामां छे, प्र.सं./९९ परि |३९३ कल्पसूत्र-स्तबक ले. सं. १८४३; हाथकागळ पत्र १३४. २५.८४११.५ से.मि.ग्रांथाग्र ५७०३. प्रति मेहग्रामे लखायेली छे. जीर्ण छे. पत्र २, ३९, ४२, ४४, ४६ नथी. पत्र २, ६, ४७ अने १११ अर्धा फाटेलां छे. प्र.सं./१०० परि./३२५३ कल्पसूत्र-स्तबक ले. सं. १९३१; हाथकागळ पत्र १७९. २७.४४१२.२ से.मि.ग्रांथाग्र ५८८६-द्विपाठ. प्रति दिवमां लखायेली छे. प्र.सं./१०१ परि./७९०० कल्पसूत्र-स्तबक ले. सं. १९३६; हाथकागळ पत्र ८६. ३०४१८.५ से.मि. पंचगौड खुबचंदे रत्नपुरीमा प्रति उतारी छे. पत्र ३३ अने ३४ भेगां छे. पत्र १५२मुं बेवडायु छे. प्रे.सं./१०२ परि.८३६१ कल्पसूत्र-स्तबक ले.सं. १६९२; हाथकागळ पत्र १०४. २५.२४१०.९ से.मि. थाग्र १२१६. प्रथमपत्रमा चित्र छे. पत्रो २३, २४ भेगां छे. प्रति चित्रपृष्टिकावाळो छे. प्र.सं./१०३ परि./८७९१ कल्पसूत्र-स्तबक ले.सं. १७५९; हाथकागळ पत्र ११६. २५.७४१ ०.९ से.मि.-प्रांथाग्र १२१६ (मूळ) ६०२९ (उभय). प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१०४ परि./८८९५ महानिशीथसूत्रालापक-स्तबक ले. स. १९मु शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १७; २५.८४११.१ से.मि.प्र.सं./१०५ परि./४८४४ आवश्यक क्रिया गाथा-बालावबोध ले. स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९. २५.९४११ से.मि.-त्रिपाठ प्र.सं./१०६ परि./७९२४ ** Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ 20 जैन आगम टीका - आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले. स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्रा २०; २९.५४११.४ से.मि. प्र.स,/१०७ परि./१३३६ आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले. सं. १६४६; हाथकागळ पत्र १८. २६.३४११.१ से.मि. पंचपाठ. प्र.सं./१०८ परि./५४७१ आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले. स. १८९ शतक (अनु.): * हाथकागळ पत्र ५५. २७.३४ ११.७ से.मि.-तूटक आचार्य मनोहरना प्रशिष्य अने गटुऋषिना शिष्य ऋषि हिरदाए जइसिंधपरामां लखेली आ प्रति जीर्ण छे. पत्र २जु नथी. हस्तप्रतमा लेखन संवत् १३३४ आप्यो छे, ते खोटो छे. * (संवतः सं. १३३४ नी नकल उपरथी आ प्रति लखायेली लागे छे.) प्र..स./१०९ परि./८४३ आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले. स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५७. २६.२४ १०.६ से.मि.-तूटक. प्रति जीर्ण छे. १२१मु पत्र नथी. प्र.सं./११० परि./३३९९ आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले. सं. १८९२. हाथकागळ पत्र १२६; २५४११ से.मि.-त्रिपाठ प्र.स./१११ परि./६२५८ आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले.स. १७३१; हाथकागळ पत्र १४१; २४.८४११ से.मि.प्र.स./११२ परि./२६९३ आवश्यकसूत्र-बालावबोध ले. स. १६६४, हाथकागळ पत्र ३५; २५.२४११.३ से.मि. गंथाग्र ९०० प्र.स./११३ परि/३१३१ आवश्यकसूत्र-स्तबक ले. स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४. २५.६४१२.५ से.मि.-द्विपाठ प्र.सं./११४ परि./७५४३ आवश्यकसूत्र-स्तबक ले.स. १७९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १३. २५.१४१०.८ से.मि. प्रति बावा रामगर बालगरनी लखेली छे. प्र.सं./११५ परि./६०८८ १-आवश्यकसूत्र (श्रावक) स्तबक ले. सं. १५७९; हाथकागळ पत्र १५. २५-७४११ से मि. प्र.सं./११६ परि./६२३१ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका १५ २-आवश्यकसूत्र (श्रावक)-स्तबक ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३. २६४११ से.मि. मुनि राजकुशळनी लखेली प्रति छे. प्र.स/११७ परि./४६२४ आवश्यकसूत्र (श्रावक)-स्तबक ले. सं. १५४८; हाथकागळ पत्र १५. २५.९४११ से मिग्रंथाग्र ५७५. जिनसाधुसूरि-शिष्यनी सुखालयपुरमा लखेली. पत्रो ८ थी ११ नथी. प्र.सं./११८ परि./६०३८ आवश्यकसूत्र (श्रावक)-स्तबक ले. स. १९भु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २६. २५४ ११.२ से.मि.-तूटक आ प्रति बेगमपुरमा लखाई छे. पत्र १ अने १० थी १३ नथी. प्र.सं./११९ परि./४०१८ आवश्यकसूत्र (श्रावक)-स्तबक ले. सं. १५९६ हाथकागळ पत्र १९, २६.१४११.३ से.मि. गाथा ६५६ प्र.सं./१२० परि./३५०९ आवश्यकसूत्र (श्रावक)-स्तबक ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४. २५.६४१०.७ से.मि.प्र.सं./१२१ परि./५१७८ आवश्यकसूत्र-(श्रावक) स्तबक ले. स. १८०२; हाथकागळ पत्र ३९. २६४११.३ से.मि. प्रति ओरंगाबादमां लखायेली छे. प्र.सं./१२२ परि./६०२३ आवश्यकनियुक्तिपीठिका-बालावबोध ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्रा १३. २५४११ से.मि.-तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./१२३ परि/.३५८१ आवश्यक प्रतिक्रमणसूत्र-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळपत्र ४१; २७४१३-३; ग्रंथान १४००. प्र.स./१२४ परि./४ ३२ १-अतिचार-(श्रावक) (गद्य) ले. सं. १८९२, हाथकागळ पत्र ७, २७४११.७ से.मि. चिंतामणि पार्वनाथनी कृपाथी रत्नविजये विधुत् पुरमां आ प्रति लखी. प्र.सं./१२५ परि./८४०० Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ जैन आगम टीका २ - अतिचार (पाक्षिक) ले. स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८. २६×११ से.मि. हेमकुंवरबाई माटे लखायेली छे. प्र.सं./१२६ परि. / ८२६२ ३ -- अतिचार ( श्रावक) ले. सं. १९३० ; हाथ कागळ पत्र ९. २३×१२.५ से.मि. - जोषी शीवराम झुमखरामे आ प्रति लखी छे. प्र.सं./१२७ परि./८०३६ ४ - अतिचार ( श्रावक) ले. स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३. २५.७९११ से. मि. - प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१२८ परि./३३२१/१ ५ - अतिचार (श्रावक ) ले. स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६. २५x१०.५ से.मि. — परि. / ४२८५ प्र.सं./१२९ ६ - अतिचार (श्रावक) ले. सं. १८९९ हाथकागळ पत्र ८ २४ ८ ११.५ से.मि. — जोषी मयाशंकरजीए पत्तणनगरमां आ प्रति लखी. प्र.सं./१३० ७. -अतिचार ( पाक्षिक-श्रावक ) ले. स. १८मुं शतक (अनु.); २५-५४१००४ से. मि. प्र.सं./१३१ ८ - अतिचार ( पाक्षिक-श्रावक ) ले. स. १७मुं शतक (अनु. ); २८x१८.८ से.मि. प्र.सं./१३२ ९ - अतिचार ( पाक्षिक - श्रावक ) ले. स. १७मुं शतक (अनु.); २५.१x१०.५ से.मि. परि / ७३७५ हाथकागळ पत्र २; परि. / ३८६६ हाथकागळ पत्र २: प्र.सं./१३३ परि./८०८९ १० – अतिचार ( पाक्षिक - श्रावक) ले. स. १९मुं (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २थी ९; २५४११०३ से.मि. - तूटक. मुनि लाल विजये आ प्रति लखी छे. पत्र १ नथी. परि. / ७४० हाथकागळ पत्र ३: प्र.स ं./१३४ परि./३९८४ ११- अतिचार ( बृहत् ) ले सं १७ शतक ( अनु. ), हाथका गळ पत्र १४ २५०५x१०.४ से. भि. श्रीमाळ ज्ञातिना, श्रीमाळना मंत्रीश्वर जयवंत, एनी पत्नी लाडकी अने पुत्री कुलवंती अने श्राविका बाई महोजीने माटे आ प्रति लखाववामां आवी छे. प्र. सं./१३५ परि, /८०८१. Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टोका १७ १-अतिचार (श्रावक पाक्षिक) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २३.८x १०.५ से.मि. प्र.स./१३६ परि./४९४१ २-अतिचार (श्रावक) ले.स. १६९ शतक. (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.५४१ ०.५ से.मि.-अपूर्ण. प्र.सं./१३७ परि./३७८८ ३-अतिचार (श्रावक पाक्षिक) ले.स. १५मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६थी . २०; २७.२४१०.७ से.मि.-ग्रंथाग्र २३५. प्र.स./१३८ परि./६६४/७ १-अतिचार (श्रावक पाक्षिक) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७, २७.४४ १२ से.मि. पं. मोतीविजयजीओ लखेली प्रतिनी नकल छे. प्र.स./१३९ परि./८४७ २-अतिचार (श्रावक पाक्षिक) ले.स. १७मुं शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १; २५४१०.५ से.मि. पं. जीतविजयगणिले आ प्रति लखी छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१४० परि./४२८८ १-अतिचार (साधु, पाक्षिक) ले.सं. १७३३; हाथकागळ पत्र २; २४.८४१०.३ से मि. शांतिनाथनी कृपाथी, वाराहीमा १. ऋद्धिविजये लखेली आ प्रति छे.. प्र.स./१४१ - परि./५१५२ २-अतिचार (साधु, पाक्षिक) ले.सं. १८०४; हाथकागळ पत्र ३; २४.७४११ से.मि.८१ ग्रंथाग्र. पाटणमां आ प्रति लखायेली छे. प्र.स./१४२ परि/४६१४ ३-अतिचार (साधु) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.५४१०.५ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१४३ परि./३९३१ अतिचार (साधु) ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४; २५.९४११.२ से.मि. प्र.सं./१४४ परि./८३२६ अतिचार (साधु) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४१०.५ से.मि.प्र.स./१४५ परि./३८६५. अतिचार (साधु) ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४; २४.७४१०.९ से.मि. प्र.स./१४६ परि.२६२२ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ जैन आगम टीका अतिचार (साधु, पाक्षिक) ले.सं. १९५१, हाथकागळ पत्र ४; २६.८x१३.१ से.मि. सुरतमां, गोपीपुरामां गुलाबदास वकीलना घरनी सामेना मकानमां बेसीने उमेदराम दयारामे आ प्रति लखी छे. प्र.स/1४७ परि./२३५ १-अन्तसमय-आराधना ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.२४११ से.मि. प्र.स./१४८ परि./३३७२ २६.५४११.५ से.मि. २-अन्तसमय-आराधना ले.सं. १७८४; हाथकागळ पत्र ६; -~~ तूटक. पत्र बीजु नथी. प्र.सं/१४९ परि./३३१३ अन्तसमय-आराधना ले.स. १९२६; हाथकागळ पत्र १०; २६.९४१२.९ से.मि.-- ग्रंथान ३५०. पालीताणामां भट गौरीशंकर गोविंदजीले प्रति लखी छे. प्रति ३ ऊभा खानामां लखेली छे.. प्र.सं./१५० परि/३७० आराधना ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८:२०४८.७ स.मि. प्र.स./१५१ परि./८७०८ आराधना ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी १७ तथा 1; २७.२४१३.२ से.मि.-तूटक __ प्रति जीर्ण छे. पत्रो १थी ६ नथी. प्रति वादळी रंगना कागळ उपर लखायेली छे. प्र.स./१५२ परि./२२६/१ आराधना ले.स. १७०२; हाथकागळ पत्र ४; २४.५४१०.२ से.मि. साध्वी धनसिद्धिनी शिष्या साध्वी महिमासिदि माटे बाहडमेरुमां पं. मानविजये लखेली आ प्रति छे. प्र.स./१५३ परि./६४३४ अकसो चोवीस अतिचार गाथा विवरण ले.स. १७३३, हाथकागळ पत्र २जु; २५.३४ १०.५ से.मि, पं. केशवजीले गादसरा गाममां ऊतारेली आ प्रति छे. प्र.स./१५४ परि/५८०.८/१ गणधरवाद ले.स, १६९९; हाथकागळ पत्र ४, २४.४४१०.९ से.मि. नेरग्रामे रत्नविजय माटे मानविजय गणिजे लखेली आ प्रति छे. प्र.सं./१५५ परि./८३५७ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका १-चैत्यवंदना दि भाष्यत्रय-बालावबोध ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २६-२४i०.८ से.मि.-पचपाठ आनु बीजु नाम देववंदनादि. पण मळे छे.-देवेन्द्रसूरिनु मूळ भाष्य प्राकृतमां छे. प्र.स./१५६ परि./५५०५ २-चैत्यवंदनादिभाष्यत्रय-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८. २३-७४१०.७ से.मि. प्र.स./१५७ परि./५०७८ १-- चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय-स्तबक ले.सं. १९११; हाथकागळ पत्र ३०; २८.६४११.७ से.मि.-दवे वजेराम वनमालीए राजनगरमां आ प्रति लखी छे. प्र.स./१५८ परि./1०७४ २–चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय- स्तबक ले.स. १९१४; हाथकागळ पत्र ४८; २६.४४ ११.८.-लिपिकार हीमतसंघ राममांघे राजनगरमां आ प्रति लखी छे. प्र.स./१५९ परि./1०७३ १-चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी२८; २६.३४१२.२ से.मि.प्र.स./१६० परि./१६८०/१ २-चैत्यवंदनादि भाष्य-स्तबक ले.सं. १८३४; हाथकागळ पत्र ३२; २५४११.३ से मि. चतुरसागरे नाइलनगरमा प्रति लखी छे. प्र.स./१६१ परि./३९४८ ३-चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय-स्तबक ले.स. १७मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २५; २५.८४११ से मि.प्र.सं./१६२ परि./२२७५ ४-चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३ थी ४०; १५.२४२९ से.मि.प्र.स./१६३ परि./७९९६/५ चैत्यवंदना दि भाष्यत्रय-स्तबक ले.स. १७७४: हाथकागळ पत्र २४; २६.९४११.६ से.मि. प्रति सुरतमां लखायेली छे. प्र.स./१६४ परि./३६१. चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय-बालावबोध ले.स. १७७१; हाथकागळ पत्र ८ थी ३७; २५.६४ ११.५ से.मि.--त्रिपाठ. . चतुरविजये लाभगाममां प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. पत्र १ थी ७ नथी. प्र.स/१६५ परि./४२७९ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय - बालावबोध ले. सं. १७४३; से.मि. त्रिपाठ, पं हस्तिकुशले राणीग्राममां आ प्रति लखेली छे. प्रस / १६६ चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय - बालावबोध ले.स १८ शतक ( अनु. ); २५.७×१०.४ से.मि. - अपूर्ण - त्रिपाठ. चैत्यवंदनभाष्यनुं बीजुं नाम प्र.सं./१६८ प्र.सं./१६९ प्र.सं./१६७ चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय - बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २४.२x१०.२ से.मि. -गा. १५३- तूटक मुनि देवविमलनी लखेली आ प्रतिनुं प्रथम पत्र नथी. परि./६६११ चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय - स्तबक ले. सं. १८५७; हाथकागळ पत्र २६, २३.४४१३ से.मि. - मुनि वल्लभ विजये आ प्रति सुरतमां लखी छे. हाथकागळ पत्र १३; २५.८४११.१ चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय — स्तबक ले.सं. १९११; हाथकागळ पत्र से.मि. — ग्रंथाग्र ११०० द्विपाठ प्रति लालविजये लखेली छे. (गाथा. प्र.सं./१७० जैन आगम टीका प्र.सं./१७४ परि. / ५२४४ हाथकागळ पत्र १६. देववंदन • छे. ० १७८७, ४ – नवकार - बालात्रबोध ले.सं. ग्रंथाग्र २९४ प्रति सुरतमां लखायेली छे. चैत्यवंदनादि भाष्यत्रय - बालावबोध ले.स. १७४८: हाथकागळ पत्र ३६ : से. भि. गाथा १५३ झोटाणामां पं. हेमरत्नगणिनी लखेली आ प्रति छे. प्रथम पत्रमां चित्र छे प्रति चित्र - पृष्ठिकावाळी छे. प्र.सं./१७१ परि. / ८७९० १ - नवकार - बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ११; २४.१४ १० से.मि. मूळ कृति प्राकृतमां छे, प्र. सं./ १७२ प्र.सं./१७५ परि. / ५७२५ परि. / ६५०० २- नवकार - बालावबोध ले.सं. १७६४; हाथकागळ पत्र ६, २३.३४१००३ से.मि. - प्रति सत्यपुरमा लखायेली छे. प्र.सं./१७३ परि/ ६६४८ ३- नवकार - बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८, २३.५ x ९.७ से.मि. - परि./८०३९ ३५; २७.६१२ ६३+४१+४८ ) परि /८२३६ २४.६४१०.७ परि / ७६१६ हाथ कागळ पत्र ८६ २५.२x११ से.मि. - परि./७९३३ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका २१ नवकार बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २७४११ से.मि. मुनि जिनसोमे आ प्रति सोमसुंदरसूरिनां आज्ञावर्तिनी साध्वी राजमुंदरी माटे लखी. प्र.सं./१७६ परि./१६५४ नवकार महामंत्र बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ७; २४.७४ १०.१ से.मि. प्र.सं./१७७ परि./३९६७ नवकार बालावबोध ले.सं. १७४९; हाथकागळ पत्र ५. २५.५४१०.९ से.मि. आ. दीपसौभाग्ये अहमदनगरमां लखी छे. प्र.सं./१७८ परि./५५३० नवकार-बालावबोध ले.सं. १७५१; हाथकागळ पत्र ७; २५.६४१०.५ से.मि. प्र.सं./१७९ परि./७५१५ पंच परमेष्ठी नमस्कार मंत्रनो लेशमात्र अर्थ ले.सं. १८८२: हाथकागळ पत्र ६; २५-८४ ११.२ से.मि. प्र.सं./१८० परि./६८४९ १--प्रतिक्रमण सूत्र-स्तबक ले.सं. १९००; हाथकागळ पत्र १९; २५.३४१ ३.२ से.मि. दवे वजेरामे आ प्रति लखी छे. . प्र.सं./१८१ परि./२७६ २--प्रतिक्रमण सूत्र-स्तबक ले.सं. १९०५; हाथकागळ पत्र २६; २७४१३ से.मि. प्र.स./१८२ परि./९३८ ३--प्रतिक्रमणसूत्र-स्तबक ले.सं. १९५७; हाथकागळ पत्र २५, २५.९४११.८ से.मि. ग्रंथाग्र ७९०. लहिया त्रिभोवनदास कल्याणे आ प्रति लखी छे. प्र.सं./१८३ ___ परि./२३३८ ४--प्रतिक्रमणसूत्र-स्तबक ले.सं. १९०९; हाथकागळ पत्र २८; २४.६४१२.५ से.मि. प्रति नागोरमां लखाई छे. प्र.सं./१८४ परि./७९६१ प्रतिक्रमण सूत्र-संग्रहणी-अवचूरि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २६.३४1०.७ से.मि.-- मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./१८५ परि./३७१२ प्रतिक्रमण स्वरूप गाथा-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.१ ४११.५ से.मि. प्र.सं./१८६ परि./४६०० Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका परि /६६६५ प्रतिक्रमणसूत्र-पगाम सम्झाय-स्तबक ले.स. १८मुशतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ९; २६४११०२ से.मि. आ प्रति ऋषि राजसुंदरे लखेली छे. प्र.सं./१८७ परि./५२४५ प्रतिक्रमणसूत्र-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २३.२४ १०.२ से.मि. प्र.सं./१८८ प्रतिक्रमणसूत्र-स्तबक ले.सं. १८११; हाथकागळ पत्र' ७: २६.४४११.७ से.मि.-द्विपाठ. प्र.सं./१८९ परि./७८५४ प्रतिक्रमण तथा पौषधविधि ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.५४११ से.मि. प्रति सुरतमां लखायेली छे. प्र.सं./१९० परि./५२३९ श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २९.६४११.२ से.मि. मुनि जयमेरु अ आ प्रति लखी छे. प्र.सं./१९१ परि./१३३२ श्राद्व प्रतिक्रमण सूत्र स्तबक ले.सं. १६८४. हाथकागळ पत्र ७ः २५.५x1१ से.मि.प्र.सं./१९२ परि./८५११ श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १२; २५.२४१०.८ से.मि. प्र.सं./१९३ परि/६१ १२/१ श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र बालावबोध (खरतर.) ले.स. १६१९; हाथकागळ पत्र २२; २६.७४१०.८ से.मि. प्र.सं./१९४ परि./५७०९ श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २४; २४.९४ १०.८ से.मि. ग्रंथाग्र ९९५. प्रथम पत्र नवु लखायेलं छे. प्र.स./१९५ परि./१९५७ लोगस्स सूत्र (चतुर्विशतिस्तव)-बालावबोध ले.स. १७७०; हाथ कागळ पत्र ५, २६.१४ ११.८ से.मि. प्रति राजनगर (अमदावाद)मां लखायेली छे. प्र../१९६ परि/३३५. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका दशवेकालिक सूत्र - स्तबक ले. सं. १६९८; २५०० ग्रंथाग्र - तूटक. प्र.सं./१९७ हाथकागळ पत्र ७१; आ प्रति विक्रमनगरमां लखायेली छे. पत्र ६० थी ६५ नथी, दशवेकालिक सूत्र - स्तबक ले.सं. १८५१, माणिक्यविजये अलीयारपुरामां प्रति उतारी छे. प्र.सं./१९९ परि. / ४८४२ हाथकागळ पत्र ६४; २६-३४११.५ से.मि. - प्र.सं./१९८ परि./३१७९ उत्तराध्ययन छत्रीस अध्ययन स्वरूप ले.स. १८ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २० २६११.२ से.मि. २३ २६११.२ से.मि. - परि. /७०७० उत्तराध्ययनसूत्र - बालावबोध ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११९ : २५.७४ ११ से. मि. - अपूर्ण - पंचपाठ. पत्र ५, ६, ५९, १०३ थी १०९, ११२ थी ११५ नथी. पत्र ९३ अने ९६ अर्धा छे. पत्र २, ३, ४, ५८, ६० अने ७५ जीर्ण छे. पत्र १११मुं प्र.सं./२०० फाटेलु छे. उत्तराध्ययनसूत्र - बालावबोध ले.स. १७ मुँ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १९६ : २५.२४ ११.२ से.मि. अ. २४ सुधी तूटक पत्र ७८मुं नथी. प्र.सं./२०१ परि. / ४३१२ उत्तराध्ययनसूत्र - स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३५, २५४ ११ से.मि. – संपूर्ण १०४०० ग्रंथाग्र. प्रति उपा उदयरत्ननी लखेली छे. परि./२४५५ परि./४८५३ प्र. संौं / २०२ उत्तराध्ययनसूत्र - स्तबक ले. सं. १९०७ हाथकागळ पत्र ५१३; २५४१२-२ से.मि. - ग्रंथाग्र १६५००. ऋषि अखैराजे जेसलमेरमा प्रति लखी पत्र २३१ - २३२ भेगां छे अने ४५३मुं बेवडा छे. परि. / ११४२ प्र.सं./२०३ उत्तराध्ययन सूत्र - स्तबक ले.सं. १९२९; हाथकागळ पत्र १९३ : २४.४४१२.८ मूळनो लेखन सं. १९२६ छे. प्र. सं. / २०४ परि०/१०९९ उत्तराध्ययन सूत्र - स्तबक ले.स. १७ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १२४; २५.९४१०.५ से. मि. - अपूर्ण द्विपाठ ३३ अध्याय सुधी. परि./७/६७ प्र.सं./२०५ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका उत्तराध्ययनसूत्र-स्तबक ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३५, २५.५४ ११.२ से.मि.-तूटक प्र.सं./२०६ परि./८०९५ उत्तराध्ययनसूत्र अवचूरि-बालावबोध ले.सं. १६२६, हाथकागळ पत्र ८२ थी २१४; २६.५४१०.६ से.मि.-तूटक. ___ग्रंथ उपर अवचूरि संस्कृतमा छे. १ थी ८१ पत्रो नथी. प्र.सं./२०७ परि./१७७९ नंदिसूत्र-स्तबक ले.सं. १७८१. हाथकागळ पत्र ६४; २४.६४११ से.मि, पं. जगसागरजीए आ प्रति लखी छे. पत्र ३६मुं बेवार छे. प्र.सं./२०८ परि./२६८९ नंदिसूत्र-बालावबोध ले.सं. १८९२: हाथकागळ पत्र १११; २३.२४११.५ से.मि. डुंगरजीओ आ प्रति लखी छे. पत्रो ९१-९५ बेवडायेल छे. प्र.सं./२०९ परि./२७२९ नंदीसूत्र-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र २९; २५.४४११.१ से.मि.-तूटक. पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.सं./२१० परि./८८७४ १-कुशलानुबंधी अध्ययन-बालावबोध ले.सं. १५१७. हाथकागळ पत्र ७; २६.३४११.१ से.मि. आनु बीजु नाम चतुःशरण छे. मूर्तिगणिमुनिनी पत्तननगरमा लखायेली आ प्रति छे. प्र.सं./२११ परि./५५८९ २-चतुःशरण-बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०: २४.७४ १०.४ से.मि. प्र.स./२१२ परि./६८२८ ३-चतुःशरण-बालावबोध ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २६४१०.८ से.मि.-गाथा ६२ (तूटक). पत्र ३जु नथी. प्र.सं./२१३ परि./८८१३ ४-चतु:शरण-बालावबोध ले.सं. १६०४; हाथकागळ पत्र १५; २६.४४११ से.मि. ग्रंथान ३५० प्र.सं/२१४ परि./६९१० १--चतुःशरण-स्तबक ले.सं. १९३७. हाथकागळ पत्र १०; २६.९४१२.६ से.मि.गाथा ६३. लहिया शिवदाने राजनगरमां प्रति लखी छे. प्र.स/२१५ परि./३२९ ' : Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका २--चतुःशरण-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४० थी २४५; १५.२४२९ से.मि. प्र.सं./२१६ परि./७९९६/१८ १--चतुःशरण-स्तबक ले.सं. १७७३; हाथकागळ पत्र १०; २५.८४११.४ से.मि. गाथा ६४. पं. शिव चेद्र (खरतर) आ प्रति अमदावादमां लखी छे. प्र.सं./२१७ परि./३०५५ २--चतुःशरण-स्तबक ले.सं. १७७४; हाथकागळ पत्र १४, २५.४४११.५ से.मि.गाथा ६४. __ प्रति अमदावादमां लखायेली छे. प्र.सं./२१८ परि./४३०७ चतुःशरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १६; २५.४४१२ से.मि.-गाथा ६४. प्र.स./२१९ परि./४८० चतुःशरण-बालावबोधरूप अवचूरि ले.सं. १४९८; हाथकागळ पत्र ६ थी १६; २६४११.२ से.मि.-६४ गाथा. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२२० परि./५४ ६२/३ चतुःशरण-स्तबक ले.स. १६९७; हाथकागळ पत्र ७; २५.३४११.३ से.मि.-गाथा ६३-तूटक लिपिकार कीकाए स्तंभतीर्थमां लखेली छे. प्रथम पत्र नथीं. प्र.स./२२१ परि./३९२३ चतुःशरण-स्तबक ले.सं. १८९ शतक ( अनु.), हधिकागळ पत्र १३. २५ x ११.५ से.मि.-गाथा ६४. प्र.सं./२२२ परि./५०६७ चतुःशरण-स्तबक ले.सं. १७२३, हाथकागळ पत्र ११ थी १४; २५.२४११ से.मि.-- गाथा ६३. प्रति भुजनगरमां लखायेली छे. प्र.स./२२३ परि./६२५४/३ चतु:शरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.५४११ से.मि. गाथा ६३. ग्रंथाग्र ३०५. द्विपाठ. प्रे.स./२२४ परि./७२३३ चतु:शरण-स्तबक ले.सं. १९४६. हाथकागळ पत्र ११; २५.५४११.५ से.मि.--गा. ६३. ____ बारोट हरिभाई मालजीए उतारेली आ प्रति छे. प्र.सं./२२५ परि./८४५६ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका - ले.स. १८मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १२, २४.४४११ चतु:शरण-बालावबोध से.मि.-गाथा ६३. प्र.स./२२६ आतुरप्रत्याख्यान-बालावबोध ले.स. १६३७; हाथकागळ पत्र ६ थो १०; २७४१२.५ से.मि.-गाथा ६०-पंचपाठ. वीरभद्रगणिनी मूळ रचना प्राकृत भाषामां छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२२७ परि./६११/२ संस्तारक-बालावबोध ले.सं. १६३७, हाथकागळ पत्र ६; २७४१२.५ से.मि.--गाथा १२१ _-पंचपाठ. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२२८ परि./६११/१ संस्तारक-बालावबोध ले.सं. १५९८. हाथकागळ पत्र ११, २५.५४१०.८ से.मि.-- पद्य १२२-तूटक-पंचपाठ. पत्र २, ३ नथी. प्र.स २२९ परि/५८१४ संस्तारक-बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २६.७४१२.९ से.मि.-गा. १२२–त्रिपाठ, प्र.सं./२३० परि./८०१५ संस्तारक-स्तबक ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११, २६.२४११.१ से.मि. प्र.सं./२३१ परि/४७५८ संस्तारक-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८, २६.५४११.७ से.मि. गाथा ११६. प्र.सं./२३२ परि./२००७ तंदुल वैचारिक-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १९, २५.५४११ से.मि. प्र.सं./२३३ परि./४६३४ वन्दनकविधि-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २७.३४१३.२ से.मि.-गाथा ५५. मोहनविजये आ प्रति लखेली छे. प्र.सं./२३४: - परि./३७२ १-पिंडविशुद्धि-स्तबक ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १३, २५.७४११ से.मि.---गाथा १०३. ग्रंथाग्र २३५. जिनवल्लभगणिनी मूठ रचना प्राकृतमा छे. प्र.सं./२३५ परि./५१२२ . . Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम टीका २-पिंडविशुद्धि-स्तबक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.९४१८.८ से.मि.-गाथा १०४. प्र.सं./२३६ परि./५७१४ पर्यन्ताराधना-बालावबोध ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.३४१५.५ से.मि. सोमसूरिनी मूळ कृति प्राकृतमा छे. प्र.सं./२३७ परि./५८०१ पर्यन्ताराधना-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६; २५.८x११.१ से.मि.-गाथा ७०-तूटक. पंचपाठ. प्रति जीर्ण छे प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./२३८ परि./६८७४ पर्यन्ताराधना-स्तबक ले.सं. १७६६; हाथकागळ पत्र ८; २५-५४१ ०.९ से मि.--गा. ७० पं. (मणि)विजये सूर्यपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./२३९ परि./४९९५ पर्यन्ताराधना-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २४.८४११.३ से.मि.-गाथा ७०. प्र.सं./२४० परि./४८९३ पर्यंताराधना-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.९४११.२ से.मि.-गाथा ७०. ग्रंथाग्र २४९. प्र.सं./२४१ परि./४५०९ वंदितुसूत्र-स्तबक ले स. १७९८; हाथकागळ पत्र ६; २६.६४११.५ से.मि.-गाथा ४३-द्विपाठ. प्र.सं./२४२ परि./७५०६ . वंगचूलिया-स्तबक ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६.८४ ३.१ से.मि.-अपूर्ण. सं. १९७०नी करेली कोपी उपरथी आ प्रति उतारेली छे. प्र.सं./२४३ परि./८३२ Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण . उदयसागर (ख.) १-ला क्षेत्र समास प्रकरण-बालावबोध.-र.सं. १६७६ ले.सं. १७०६; हाथकागळ पत्र ३९. २५.४.१०.६ से.मि.-गाथा २६२. त्रिपाठ कर्ता खरतरगच्छीय साधु धर्मगणि> सहजरत्नना शिष्य छे. एमनो समय १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क पृ. १६०६). रत्नशेखरसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. बालावबोध उदयपुरमां रचायो. विष्णुदासे प्रति लखी छे. प्र.स./२४४ परि./२६४३ २-लघुक्षेत्रसमास प्रकरण-बालावबोध-.स. १६७६, ले.स. १८८३; हाथकागळ पत्र ३६: २५-७४१२.१ से.मि.--ग्रंथाग्र ३७७१. त्रिपाठ. वीरचंदे प्रति दैत्यारिदुर्गमां लखी छे. प्र.स./२४५ परि./१८१३ ३-लघुक्षेत्र समास-वार्तिक र.स. १६७६, ले.सं. १८२६; हाथकागळ पत्र ५६; २६.९४१२ प्रति अंबलामां लखायेली छे. से.मि. प्र.स/२४६ परि /९०१ ४- लघुक्षेत्रसमास प्रकरण-बालावबोध-यंत्रादि-र.स. १६७६ ले.स. १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५७; २५.७४१०.८ से मि,-गाथा २६२-त्रिपाठ. प्र.स./२४७ परि./३५२९ ५-लघुक्षेत्रसमास प्रकरण-बालावबोध र.स. १६७६, ले स. १६८८; हाथकागळ पत्र ५३; २४.२४११.३ से.मि.-गाथा २६४. त्रिपाठ. सेरपुरमां लखायेली प्रति समकालीन छे. प्र.स/२४८ परि./४९१३ १-लोकनालिकाद्वात्रिंशिका-स्तबक ले.सं. १८५०, हाथकागळ पत्र ३: २६.१४११.९ से.मि.-गाथा ३२. धर्मघोषसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. मंत्री धनराजनी पुत्री गंगा माटे स्तबक रचायु. प्र.स./२४९ परि./४२५५ २-लोकनालिका द्वात्रिंशिका प्रकरण-बालावबोध. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८, २५.६४११ से.मि -गाथा ३२. त्रिपाठ. प्र.स./२५० परि./५२४२ Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण कल्याण (कटुकगच्छीय) १-लोकनालिका द्वात्रिंशिका-बालावबोध (स्तबक) ले स. १८८६; हाथकागळ पत्र १२; २६४११.३ से.मि.—गोथा ३४. त्रिपाठ, ___ कर्ता ( अंचलगच्छ ) कडवागच्छना धर्ममूर्तिना शिष्य छे. ( जै. गू. क., पृ. १०६६ अने ५२६.) आ रचना जै. गू. क.मां नोंधायेली नथी, धर्मघोषसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. मुनि प्रेमविजये प्रति लखी छे. प्र.स./२५१ परि./३५४० २-लोकनालिकाद्वात्रिंशिका-बालावबोध ले स. २०९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १४, २६.३४११.८ से.मि.--- गाथा ३४, त्रिपाठ. प्र.स./२५२ परि./७०५४ केसरसागर नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र १८: २५.७४११.५ से.मिगाथा ४८. __कर्तानो गच्छ मळतो नथी, पण परंपरा आ प्रमाणे छे : पद्मसागर> चारित्रसागर> केसराब्धि-केसरसागर (अब्धिसागर) एमनो समय पण नक्की करी शकातो नथी. मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे.देसूरीमां गंगविजये प्रति लखी छे. प्रस./२५३ परि./८५२४ जयशीलमुनि संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.स. १७४०; हाथकागळ पत्र ५८; २४.८४५१ से.मि.गाथा-३३७. कर्तानो परिचय मळी शकतो नथी, पण अस्तित्वकाळ स. १७२० अटले के १८मा शतकनो छे. (प्र. स. भा. २., पृ. २८०) मल. श्री चंद्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स./२५४ परि./६०७८ दयासिंहगणि लघुक्षेत्रसमास प्रकरण (यंत्र)-बालावबोध र.स. १५२९ (जै. सा. इति. पेरा ७०८). ले.स. १७४३; हाथकागळ पत्र ९५; २३.९४११ से.नि ---- ग्रंथाग्र ४११७. ___कर्ता रत्नाकरसूरिना गच्छना (तपगच्छना) जयतिलकसूरिना शिष्य छे. अमनो समय १५मी अने १६मी सदीना संधिकाळनो छे. (जै. सा. इति. पेरा ७०७, पृ. ४८६), प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२५५ परि./६३२५ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० आगमिक-प्रकरण १ - संग्रहणी प्रकरण - बालावबोध ले.सं. १६७०; हाथकागळ ७५, २५.२x११-१ से. मि. ग्रंथाग्र १५०० मल. श्री चंद्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. मुनि वर्धमाने प्रति लखी छे. प्र.सं./२५६ २ - संग्रहणी प्रकरण - बालावबोध र.सं. १४९७, ले. सं. १५७७ : हाथकागळ पत्र १००; २६×११ से. मि. ग्रंथाग्र २०५७ - तूटक. पत्रो १ थी ३४ नथी. प्र.सं./ २५९ परि. / ४२२३ प्र.सं./२५७ परि./६१९१ ३ - संग्रहणी प्रकरण - बालावबोध ले.स. १६१०; हाथकागळ पत्र ३६; २४.९×११-४ से. मि. - गाथा २७६. श्लोक १७५०. पतन (पाटण) मां प्रति लखाई छे. प्र.सं./ २५८ ४ - संग्रहणीसूत्र - बालात्रबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३५ ११ से. मि. - ग्रंथाग्र १७०० - तूटक. प्रति जीर्ण छे. पत्र १५मुं नथी. ३५ थी २ - आगमसार --- र.सं. २४-७×११.५ से.मि. तूटक. पत्र १७ मुं नथी. परि. / ४३७४ २६.५X देवचंद्र (ख.) १ - आगमसारोद्धार - र.सं. १७७६; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; २७.५४१३.२ से.मि. कर्ता खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिना शिष्य अने वि. सं. १८मी सदीना छे. विशेष परिचय माटे जुओ जै. गू. क., पृ. ४७३. परि./३४०७ कृतिनी रचना मोटेकोट मरोटमां थयेली छे, मुनि आणंदशेखरे राजनगर ( अमदावाद ) मां प्रति लखी छे. प्र.सं./२५९ परि. / ३४७ १७७६; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६८, प्र.सं./२६० परि./२५०० ३- आगमसार---र.सं. १७७६, ले.स. १९ सुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ८ २६x ११.५ से मि . – अपूर्ण, प्र.स ं./३६१ परि. / ३४५५ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण ४-आगमसारोद्वार-र.सं. १७७६; ले.सं. १८७२; हाथकागळ पत्र ६थी ७८; २५.७x ११ से.मि.-ग्रंथाग्र २०००. पत्र १ थी ५ नथी. प्र.सं२६२ परि./५२१८ ५-आगमसारोद्धार-२.स. १७७६; ले स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २४.७४११.५ से.मि. प्र.स./२६३ परि./७४१९ धनविजय लोकनालिका द्वात्रिंशिका-स्तबक र.सं. १७१९; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.५४११.३ से.मि.-ग्रंथाग्र २०१. कर्तानो गच्छ मळतो नथी. परंपरा आ प्रमाणे छ : विजयदेवसूरि> विजयसिंहसूरिना शिष्य छे. समय स. १८९ शतक. (कर्तानो परिचय प्रतिमांथी मळ्यो छे.) - धर्मघोषसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. स्तबक राजवरनगर (अमदावाद)मां रचायु. प्रस./२६४ ___ परि./३८९८ धर्ममेरु सग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९१; हाथकागळ पत्र '१००; २९.४४१४.२ से.मि.ग्रंथाग्र ४००. ___ खरतर गच्छना जुदी जुदी परंपराना बे धर्ममेरु (१) जै. गू. क. पृ. १५०२ अने (२) प्र. स. भा. २, ५५२) मळे छे. आ कया ओ नक्की थई शकतुं नथी. चंद्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. आउपुरमा मुनि कपूरहंसे प्रति लखी छे.. प्र.स./२६५ परि./६० मणिरत्नसूरि (तप.) नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १९४०; हाथकागळ पत्र १५; २५४१२ से.मि.-गाथा ५७; कर्ता तपगच्छना संस्थापक जगच्चंद्रसूरिना दीक्षागुरु अने वि.सं. १२७४मां अमनो स्वर्गवास थयो, (जै. प. इति. भा. ३, पृ. ३) जै. गू, क.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी मूळ कृति प्राकृतमा छे. चाणस्मामां पं. मोतीविजय डुंगरे प्रति लखी. प्र.स./२६६ परि.७५७९ मतिचंद्र (अं.) नवतत्त्व-बालावबोध ले.सं. १८१३; हाथकागळ पत्र १ थी १२; २५.३४१०.५ से.मि. कर्ता अंचलगच्छना छे. आ सिवायनो एमनो परिचय मळी शकतो नथी. मतिचंद्र नामना गुणचंद्र गणिना शिष्य, वि.नी १७मी सदीना, जै. गू. क., पृ. १६०६मां नेांधायेला छे. परंतु एमां गच्छनी माहिती नथी. ऋषि माणिक्यचंद्र माटे विक्रमपुरमा प्रति लखाई. प्र.सं./२६७ परि./५५२९/१ Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ . आगमिक-प्रकरण माणिक्यमुनि नवतत्त्व प्रकरण-वार्तिक र.सं. १८२७; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २१.५४९.७ से.मि.---अपूर्ण. कर्तानो परिचय मळी शकतो नथी. रचना संवत उपरथी वि.नी १९मी सदीनो समय मानी शकाय. पत्रो १, २, ५ नथी. प्र.सं./२६८ परि./७७६४ - मेघराजमुनि (पा.) नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३७; २५.७x ११.५ से.मि.-तूटक. कर्ता पायचंद गच्छना श्रवणना शिष्य छे. अमनो समय वि. नी १७मी सदीना उत्तरार्धनो छे. (जै. गू. क., पृ. ९००, १६०३.) प्रति जीर्ण छे अने प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./ २६९ परि./२२८५ २-लघुक्षेत्र समास प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८५६; हाथकागळ पत्र ४०; २६.२४११.५ से.मि.-गा. २६६ __रत्नशेखरसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छ, अने सं. १८५५मां कांतिविजय गणि मूळनी नकल करेली छे. पाटणमां (पोलीया-उपाश्रये) स्तबकनी नकल उताराई छे. 5.सं./२७० परि./३२५१ यशोविजय (जसविजय) (त.) लोकनालिका द्वात्रिंशिका-बालावबोध--र.सं. १६६५ (जै. गू. क. पृ. १६०२) * ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.१४११.१ से.मि.-ग्रंथाग्र २८४. कता तपगच्छना विमलहर्षना शिष्य छे. अमनो समय वि.नी १७मी सदीनो छे. * धर्म घोषसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं./२७१ परि./५७७४ राजमल समयसार प्रकरण- बचनिका ले.सं. १७६६; हाथकागळ पत्र १६६; २५.५४११.७ से.मि. ५३५८. कर्तानो परिचय मळी शकतो नथी, अमरचंद्रसूरिंनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. धरमसीए आ प्रति लखी छे. प्र.सं./२७० परि./२३१० Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण लालकुशलगणि (कृ.) सिद्धपंचाशिका प्रकरण-स्तबक रचना अने ले सं. १७४४; हाथकागळ पत्र १३, २६४११.८ ग्रंथाग्र ३८२ कर्ता कृष्णगच्छना छे अने कृति-प्रति उपरथी अमने वि.नी १८मी सदीना उत्तरार्धमां मूकी शकाय. आ कर्ता जै. गू. क, के जे. सा. इति मां नेधिायेला नथी. मूळ प्राकृत ग्रंथ देवेन्द्रसूरिनो छे. स्तबककारना स्वहस्ताक्षरनी आ प्रति स्तंभतीर्थमां उतारेली छे. प्र.स./२७३ परि./८५७ वच्छराज संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.सं. १७१४; हाथकागळ पत्र ४४; २५.३४१०.८से.मि.ग्रंथाग्र-१५७३. ___वच्छराज ३ मळे छे.-लेका, श्रावक अने पार्वचंद्रीय-वच्छराजेन साधुना' आम लखवानी पार्श्वचंद्रीय कर्ताओनी जाणीती प्रथा अनुसार प्रस्तुत कर्ता पार्श्वचंद्रीय होवानुं अनुमान छे. एमनो समय ( जै. गू क., पृ. ७६७) १७मा शतकनो छे. आ रचना जै. गू. क.मां अमना नामे नेांधायेली नथी. प्र.स./२७४ परि./५७७२ पा विद्यानंदसागरसूरि (त.) सिद्धपंचाशिका प्रकरण-बालावबोध र.स. १७८१, ले.स. १९मुं शत (अनु. ); हाथकागळ पत्र १४, २८४१२.५ से.मि.-गाथा ५०. . ___ कर्तानो परिचय मळी शकतो नथी. देवेन्द्रसूरिना शिष्य विद्यानंद छे अने अमणे सिद्धपंचाशिका भाष्य रच्यु पण छे. (जै. सा. इति., पृ. ४०७-फकरो ५८३). मे ज विद्यानंदसूरि आ होय नहि कारण रचना संवत साथे मेळ बेसतो नथी. . देवेन्द्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. प्रति सुरतमां लखाई. प्र.सं./२७५ परि./६०१ शिवनिधानगणि (ख.) १-संग्रहणी सूत्र-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६१: २७.१४ ११.३ से.मि.-गाथा ३००-अपूर्ण __ कर्ता खरतर गच्छना हर्षसारना शिष्य छे. अमनो समय व.नी १७मी सदीना उत्तरार्धनो छे. (जै. गू. क.,पृ. १५९८). श्री चंद्रसूरी मूळ सूत्र प्राकृतमा स्च्यु. पत्र ५९९ नथी. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२७६ परि./७७५ Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक प्रकरण २-संग्रहणी सूत्र-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८७, २५.५४ , १०.७ से.मि.-तूटक. पत्र १ अने ५९ नवां लखायेला छे. २८९ पत्र नथी. प्र.सं./२७७ परि./४६९३ सदारुचिगणि संग्रहणी प्रकरण स्तबक-र.स. १७६६; ले.सं. १७६६; हाथकागळ पत्र ५७: २६.४४ ११.८ से.मि.-गाथा २८८. कर्ता पुण्यरुचिना शिष्य> वररुचिगणिना शिष्य> नित्यरुचिगणिना शिष्य छे. स्तबककारना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.स./२७८ परि./१८५३ सोमसुंदरसूरि (चां.) १-नवतत्त्व प्रकरण बालावबोध ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५ २७.५४१०.५ से.मि. कर्ता चांदगळ्छना वि.नी १५मी सदीमां थयेला संभवे छे. (जै. सा. इ., पृ. ४८६ फकरो ७०८; जै. गू. क., पृ., ३०९). प्र.सं./२७९ परि./३७८९ २-नवतत्त्वप्रकरण-बालावबोध ले.सं. १५६३; हाथकागळ पत्र १७; २६४१०.७ से.मि. -ग्रंथाग्र ७५१. अलावलपुरमा रंगामे बाई झीणी अने किसनदास माटे प्रति लखी. प्र.सं./२८० परि./३१५४ हर्षवर्धन (?) १-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १५५८; हाथकागळ पत्र २१; २७४११.२ से.मि.-गाथा २७. मुनि राजवल्लभे प्रति लखी. प्र.सं./.२८१ परि./३६१५ २-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४०; २५.८ ४१०.८ से.मि.-ग्रंथान १७५०. प्र.सं./२८२ परि./५५२२ ३-नवतत्त्वविचार-बालावबोध ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४; २७४११.७ से.मि -ग्रंथान १२५. प्र.सं./२८३ परि./६३१ Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक प्रकरण : आगमिक-प्रकरण (चालु) अज्ञात कर्ता कृतिना नामनो अकारादि क्रम - १–एकविंशतिस्थान प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.७४११ से.मि. -गाथा ६६. सिद्धसेनसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./२८४ परि./५७२० २-अकविंशतिस्थान प्रकरण-विवरण ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २९४१ ०.५ से.मि. प्र.सं./२८५ परि./१३६६ ३-अकविंशतिस्थान प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ९; २४४१ ०.७ से.मि.-गाथा ६६. प्र.सं./२८६ परि./५०४७ ४-अकविंशतिस्थान प्रकरण-स्तबक ले.सं. १९५७ हाथकागळ पत्र १४, २६४११.७ से.मि.-गाथा ७४. त्रिभोवनदास कल्याणजी लिपिकार छे. प्र.सं./२८७ परि./३२२५ १-क्षेत्रसमास प्रकरण-विवरण ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६.४४११.२ से.मि.-तूटक. ___महासुंदरे प्रति लखी छे. पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.सं./२८८ परि./६९१६ २-क्षेत्रसमास प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७, २६.. ४११.५ से.मि.-गाथा १८१-ग्रंथाय ७५०. प्र.स./२८९ परि./६२०९ १-(लघु)क्षेत्रसमास प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४: २५.५४१ ०.८ से.मि.-गाथा १२७. प्र.स./२९० परि./२४८२ २-(लघु) क्षेत्रसमास प्रकरण-स्तबक ले.स. १७२०; हाथकागळ पत्र १ थी ४१; २५४११.३ से.मि.-गाथा २६५. रत्नशेखरसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. रताडियामां मुनि जीवाए प्रति लखी. प्र.स./२९१ परि./६३९५/१ Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आंगमिक-प्रकरण जंबूद्विपविचार ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.९४१ २.८ से.मि.प्र../२९२ परि./१०१५ जंबूद्विप क्षेत्रसमास प्रकरण-बालावबोध ले सं. १६४२; हाथकागळ पत्र १४; २६.७४१०.८ से.मि. ग्रंथाग्र ६५०. ऋषि रुडा तिजारामां आ प्रति उतारी. प्र.सं./२९३ परि./३६५३ १-जंबूद्विप संग्रहणी-स्तबक ले.स. १९०५; हाथकागळ पत्र ४; २३.७४११.५ से.मि. गाथा १३. _हरिभद्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./२९४ परि.८२४६ २-जंबूद्विप संग्रहणी-स्तबक ले स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८: २७.३४ १२.८ से.मि -गाथा ३० . प्रतिमां पत्रांकस्थाने चित्रो छे प्र.सं./२९५ परि./९४७ ३-जंबूदिप संग्रहणी-स्तबक ले.स, २०९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २६.३४ ११.५ से मि.-गाथा ३०. ____ अन्तमां चक्रवर्तिविचार छे. प्र.स./२९६ परि./३२२७ ४-बूद्विप संग्रहणी-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.७x १२ से.मि. सुरतमां भोजक मयारामे लखेली प्रति छे. प्र.स./२९७ परि./७३४७ ५-जंबूद्विप संग्रहणी-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २३४ ११.४ से.मि.-गाथा ३०. प्र.स/२९८ परि./८०३० ६-जंबूद्विप संग्रहणी-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २० थी २३; १५.२४२९ से.मि.-गाथा ३०. प्र.स./२९९ परि./७९९६/४ १-जीवविचार प्रकरण-बालावबोध ले.स. १४९८; हाथकागळ पत्र २ थी ६; २५.५४ १०.१ से.मि. शांतिसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३०० परि./६४६२/२ २-जीवविचार प्रकरण-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६४ ११.१ से.मि.-गाथा ५१. प्र.सं./३०१ परि/४६०७ Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण ३-जीवविचार प्रकरण-बालावबोध ले.स. १६३२; हाथकागळ पत्र ६; २६.८x१०.५ से.मि.-गाथा ५१. ऋषि रीडाओ आ प्रति उतारी छे. प्रति जीर्ण छे प्र.सं /३०२ परि./१५९८ ४-जीवविचार प्रकरण-बालावबोध ले.स १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.६४१०.९ से.मि. प्र स./३०३ परि /१७१४ ५-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.७४११.९ से.मि.--गाथा ५०. ऋषि भीमजीओ आ प्रति लखी छे. प्र.स/३०४ परि./७३८६ ६-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १९४२, हाथकागळ पत्र ८; २५४१२.६ से मि. -गाथा ५१. रावळ वजेशंकर अंबारामे मोरबोमां प्रति लखी. प्र.स./३०५ परि./७३८३ ७-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६; २४.६४ ११.१ से,मि.--पद्य ५१. लिपिकार मुनि धनविमल. प्र.स./३०६ परि/७२११ ८-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १७२२; हाथकागळ पत्र १ थी ६; २५.२४११ से.मि--गाथा ५१. प्र.स./३०७ परि./६२५४/१ ९-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.३४ ११.२ से.मि.--गाथा ५१. प्र.स,/३०८ ___ परि./८३१९ १०-जीवक्चिार प्रकरण-स्तबक ले स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ६ १५.२४२९ से.मि. प्र.स./३०९ परि./७९९६/१ ११-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.१४११.२ से.मि.-गाथा ५२. तुटक. पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.सं./३१० परि./७९२८ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण १२-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. २०मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २७.४४ ११.६ से.मि.-गाथा ५१. प्र.स./३११ . परि./७४५९ १३-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १७१७; हाथकागळ पत्र ८; २५.२४११ से.मि. -गाथा ५१. प्र.स. ३१२ परि./५७७५ १४-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १७८७; हाथ कागळ पत्र ९, २६.१४११.५ से.मि. -गाथा ५. प्र.स./३१३ परि./५६७९ १५-जीव विचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १६९७; हाथकागळ पत्र ५, २६४११.१ से.मि. -गाथा ५१. . प्र.स./३१४ परि./४५०४ १६-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १८५६; हाथकागळ पत्र १०; २६४१२.१ से.मि.-गाथा २४. पं. लालविजये जामपुरमा प्रति लखी. प्र.स./३१५ परि./१७८३/१ १७-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स, १९५०% हाथ कागपत्र १७, २७.३४१२.६ से.मि.-गाथा ५५-ग्रंथाग्र ३५८. पट्टण (पाटण)मा जेठालाले प्रति लखी. प्र.स./३१६ परि./८०६ १८-जीवविचार प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.);-हाथकागळ पत्र ६ थी १५; २६.१x१४११.८ से.मि.-गाथा ५१. अपूर्ण. मूळ ग्रंथनी नकल राधनपुरमां कृष्णविजये उतारी. प्र.स./३१७ परि./१६८६/२ १-नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२; २६.५ ४१२ से.मि.-गाथा ९७. . प्रति जीर्ण छे. पत्रो १ अने २ फाटेलां छे. प्रतिमां नयचक्र आपेलुं छे. प्र.स./३१८ परि./१५८७ २-नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३७; २५.७x ११.८ से मि.-गाथा ९८. प्र.सं./३१९: परि./७९३७ Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . आगमिक-प्रकरण ३९ १-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २३; २५.७४१०.६ से.मि.-गाथा २९. प्र.सं./३२० परि./६१८७/१ २-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४; २०.५४९.७ से.मि -- अपूर्ण. प्र.सं./३२१ परि./८७१२ १-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २६.३४१०.७ से.मि.-गाथा २९ सुधी-अपूर्ण. बालावबोध अपूर्ण छे. प्र.सं./३२२ परि./६०१४ . २-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५.५४१०.७ से.मि-अपूर्ण, प्र.सं./३२३ परि./८४१७ ३-नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १५; २९.६४११.१ से.मि.-गाथा ३०. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./३२४ परि./८८९७/२ नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.सं. १९३९; हाथकागळ पत्र १६; २७.५४१२.३ से.मि.गाथा ५१. पं. विवेकविजये कोटानगरमा प्रति लखी छे. प्रे.सं./३२५ परि./४०३ नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६४१२-७ से.मि.-गाथा ४८. लिपिकार रूपचंद. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./३२६ परि./९५९ नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५५, २५.१४११.२ से.मि.-गाथा ९९. प्र.सं./३२७ परि./१२३७ नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १८९१; हाथकागळ पत्र २१; २५.५४११ से.मि. मुनि विवेकगणिले राधिकापुर (राधनपुर)मां प्रति लखी. प्र.सं./३२८ "परि./२९८७ Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० आपक प्रकरण नवतत्त्व प्रकरण-अर्थ ले.सं. १७१० हाथकागल पत्र १५, २५.७४११.१ से.मि.-- ग्रंथाग्र ६७०. प्र.सं./३२९ परि./३८१८ नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ८; २६४११.१ से.मि. पार्श्वचंद्रसूरिना हस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र./३३० परि./५६.. नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १६९७; हाथकागळ पत्र ५; २६.२४१०.६ से.मि.गाथा ४७–त्रिपाठ. शांतिसागरे अजयपुरमा प्रति लखी छे. प्र.सं./३३१ परि./५६२७ नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १०; २५.८४११.२ से.मि.-गाथा ५८. धर्मसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.सं./३३२ परि./५६३५ नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.सं. १७५३; हाथकागळ पत्र १५; २५.९४११ से.मि.-गाथा ५५. पं. रत्नविजये सिंधासुआमां प्रति लखी छे. प्र.सं./३३३ परि./५६४० नवतत्त्व प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८९६; हाथकागळ पत्र १६; २५.७४११.२ से.मि.-- गाथा ५२ -ग्रंथाग्र ४९५. प्रति राजनगर (अमदावाद)मां लखायेली छे. प्र.सं,/३३४ परि./५६४४ नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १६४७ हाथकागळ पत्र २ थी २४. २६४११ १ से.मि. -गाथा ८३-तूटक. प्रथम पत्र नथी. लेखनस्थळ स्तंभतीर्थ. प्र.स/३३५ परि./६००४ नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ६. २५.४४१०.८ से.मि.-गाथा २७. प्र.सं./३३६ परि./६०८२ नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १६५६; हाथकागळ पत्र १ थी ६; २५.९४११. से.मि. गाथा ४३-त्रिपाठ. प्र.सं./३३७ . परि./६१६१/१ Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक - प्रकरण नवतस्व प्रकरण - बालावबोध ले.सं. १७२२; से. मि. — गाथा ३३. भूजनगरमां प्रति लखाई छे. परि./६२५४/२ प्र.सं./३३८ नवतत्त्व प्रकरण-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.२x १२.१ से. मि. - गाथा ५१. प्र. सं. / ३३९ नवतत्त्व प्रकरण - स्तबक ले. सं. १९०५; गाथा २५. परि / ७५११ नवतत्त्व प्रकरण - स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ६ थी १५. १५.२X २९ से.मि. - गाथा १५. प्र.सं./३४० प्र.सं./३४१ ४१ हाथकागळ पत्र ७ थी ११; २५.२×११ परि./८२३५ नवतत्त्व-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९थी १९; २४.९X १०-७ से.मि. प्र.सं./३४२ प्र.सं./३४३ परि./७९९६/२ हाथकागळ पत्र ५; २७.९x१२.२ से.मि. - परि /८५५९/२ नवतत्त्व प्रकरण - स्तबक ले. सं. १८५६; हाथकागळ पत्र १० थी २०; २६×१२.१ से. मि. - गाथा ५१. जामपुरमां पं. लालविजये प्रति लखी. परि. / १७८३/२ नवतत्त्व प्रकरण–बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ३; २५.३x १०.५ से.मि. — गाथा ४०. प्र.स ं./३४४ परि./५८४९ नवतत्त्व प्रकरण - बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११, २५०६४ ११ से.मि. - गाथा ४३. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र. सं. ३४५ परि./५८८१ नवतत्त्व प्रकरण - बालावबोध ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.८x ११ से. मि. गाथा ४३. पंचपाठ. परि./६७८९ प्र. सं/ . ३४६ ६ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ आगामक प्रकरण नवतत्वविचार ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१: २६४११ से मि - ग्रंथान ३०००. __ छेल्लु पत्र जीर्ण छे. प्र.सं./३४७ परि./३१६९ पर्यन्ताराधना प्रकरण ले.सं. १५००; हाथकागळ पत्र ६; २५-७४१८.२ से.मि. गिरिपुरमा सोमसुंदरसूरिना शिष्य चंद्रवीरगणिए प्रति लखी. प्र.सं./३४८ परि./६१६४ प्रवचनसारोद्धार प्रकरण-टिप्पण ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ८०; २६.१४१०.८ से.मि. नेमिचंदसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स./३४९ परि./३०५२ लोकनालिका द्वात्रिंशिका-बालावबोध ले.सं. १९०३; हाथकागळ पत्र १०; २५.७४ १२.२ से.मि.-त्रिपाठ. ___ धर्मघोषसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. बीकानेरमा आचार्य ठाकुरदासे प्रति लखी छे. प्र.स./३५० परि./१८०८ लोकनालिका द्वात्रिंशिका–बालावबोध ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.८४१३.५ से.मि.-गाथा ३२. प्र.सं./३५१ परि./२५५ विचारषदर्विशिका-स्तबक ले.स. १७८८; हाथकागळ पत्र १०; २५.९४११.९ से मि.गाथा ३९. गजसारमुनिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. पं. दोलतचंदे राजनगर (अमदावाद)मां प्रति लखी. प्र.स./३५२ परि./५८४५ सप्ततिशतस्थान प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८८३; हाथकागळ पत्र ५४; २७.५४१२.१ से.मि.-गाथा ३६०. ___सोमतिलकसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं./३५३ परि./७१२ सप्ततिशतस्थान प्रकरण-स्तबक ले.स. १९७२, हाथकागळ पत्र ६६; २५.४४११.५ से.मि.-गाथा ३६०. प्रति अमदावादमा लखेली छे. प्र.सं/३५४ परि./३८९२ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक-प्रकरण संग्रहणी ग्रंथ ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३७; २१.५४११.८ से.मि. प्रति भिन्नमालमां लखेली छे. प्र.सं./३५५ परि./७७७९ संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६: २६.२४१०.७ से.मि. प्रति सचित्र छे. प्र सं./३५६ . परि,/८७७५ संग्रहणीसूत्र-बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६१; २५.५४११.३ से.मि.-तूटक पत्रो १ थी ५, २०मुं अने ४२९ नथी. प्र.स./३५७ परि./२४४१ संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २३.९४१ ०.८ से.मि.-गाथा ३३७-तूठक. __श्री चंद्रसूरिए मूळ प्राकृतमां ग्रंथ रच्यो. प्रति जयशीलमुनिए लखी छे. पत्र ३८ अने ३९ नथी. प्र.स./३५८ परि./५०५६ संग्रहणी प्रकरण (यंत्रोसह)-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५३; २५.८४१८.८ से.मि.-तूटक-अपूर्ण. पत्रो १३, २०, २१, २४, २५, २८, ४५ नथी. १४ थी १७ नवां लखेलां छे. अने ३, ६, ७, ८, ९, १०, ११, २३, २९, ३०, ३५, ३६, ४६, ५१मां चित्रो छे. प्र.स./३५९ परि./८७७० संग्रहणी प्रकरण-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी २७; २२.५४११.२ से.मि.-तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./३६० परि./७७०९ संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.सं. १७३१; हाथकागळ पत्र २७ थी ५१; २६-२४१०.७ से.मि.-तूटक. पत्रो १ थी २६ नथी. २७, २९, ३०, ३१, ३२, ३३, ३७, ३८, ४२, ४४ मां थइजे कुल १२ चित्रो छे. प्र.सं./३६१ परि./८७७१ www.jainelibrary Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ आगमिक-प्रकरण संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी १२८; २४.९४११ से.मि.-तूटक. पत्र १ नथी. पत्र ५२१मुं पाछळथी मूकेलं छे अने अमां चौद राजलोकन रंगीन चित्र छे. प्र.सं./३६२ परि./१२४० संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९; २५.४४११.४ से.मि.-गाथा ३०७. कृतिनुं बीजं नाम ' त्रैलोक्य दीपिका ' छे. पत्रो १ अने ४९ पाछळथी लखेलां छे. प्र.सं./३६३ परि./४८२९ संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८४४; हाथकागळ पत्र ७ थी ४७; २५.५४११.३ से.मि. पद्य ३९४-तूटक. प्रति विक्रमपुरमा लखेली छे. पत्रो १ थी ६ नथी. प्र.सं./३६४ परि./८१०० संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८७८, हाथकागळ पत्र ६०; २८४१२.१ से.मि.पद्य ३४१. पत्र पांचमु बेवडायुं छे. - प्र.सं./३६५ परि /८२३४ संग्रहणी प्रकरण-स्तबक ले.सं १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४१; २५४१०.५ से.मि.-पद्य ३०८ अपूर्ण. पत्र १५ सुधी स्तबक छे. प्र.सं./३६६ परि./८०९९ संग्रहणीसूत्र-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८थी ५९; २५.८४११.२ से.मि.-तूटक. पत्रो १ थी ७, ९ थी१३, १६ थी २२, २४ थी २६, ३१ थी ३३, ४९ थी ५१ नथी. प्र.सं./३६७ - परि./७१७८ संग्रहणी प्रकरण-बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २७.२४ १२.२ से.मि. प्र.सं./३६८ परि./८११ Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमिक प्रकरण साडा पच्चीस आर्य देशनी विगत ले.स १७९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र पमुं २३.३ १०.७ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./३६९ परि./८९८६/२ सिद्धपंचाशिका प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १८५६; हाथकागळ पत्र २ थी ९; २६.२४११.३ से.मि.-गाथा ५०-तूटक. ___ कांतिविजये अमदावादमा प्रति लखी छे, प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./३७० परि./५३२० १-सिद्धपंचाशिका प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; . २६.२४१२.७ से.मि.-गाथा ५०-ग्रंथाग्र ७५०. प्र.सं./३७१ परि./४६६ २-सिद्धपंचाशिका प्रकरण-स्तबक ले.सं. १९२५; हाथकागळ पत्र १७; २४.८४१३ से.मि.-गाथा ५०. तलजाराम घेमर संगजी लिपिकार छे. प्र.सं./३७२ परि./८०४९ ३-सिद्धपंचाशिका-स्तबक ले.सं. १९२१; हाथकागळ पत्र १७; २५.८x११.६ से.मि.गाथा ५०. देवेन्दसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. राजनगर (अमदावाद)मां खेमचंद्रे प्रति लखी. प्र.स./३७३ परि./८३४२ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि कर्ताना नामनो अकारादि क्रम पांडवी गीता-स्तबक ले.स. १७३९; हाथकागळ पत्र ३; २४.३४१ ०.६ से.मि.-पद्य ७६-त्रिपाठ. वेद व्यास विरचित मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. सुथरी गामे दिपसागर मुनिमे प्रति लखी. प्र.स./३७४ परि./६७२५ १-भगवद्गीता-स्तबक ले.सं. १७९९; हाथकागळ पत्र ७२; २६-७४१२ से.मि.अध्याय १८. लिपिकार मुनि पद्मचंद्र. प्र.स./३७५ परि./१७९२ २-भगवद्गीता-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५३; २२.७x ११.२ से.मि.-अ. ९ गाथा २५ सुधी-अपूर्ण. पत्रो २ अने ४ थी ६ नथी. प्र.न/३७६ परि./५१९ अजितदेवसूरि (प.) जीवराशि खामणा विधि आदि ले.सं. १७३०; हाथकागळ पत्र २४; २०.७४१०.४ से.मि. -गाथा १४७. __ कर्ता पल्लीवाल गच्छीय देवभद्रसूरिनी परंपरामां शांतिसूरिना शिष्य छे. (जै. सा. इति. भा. २. पृ. ६२.) अमनो समय १७मा शतकनो छे. (जै. सा. इति. पृ. ५८५. फकरो ८५६). डभोईमां कांतिसौभाग्यगणिले प्रति लखी. प्र.स/३७७ परि./५९५१ उत्तमविजय (त.) १-अष्टप्रकारी पूजा-र.सं. १८१३; ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र थी ३: २०.३४११ से.मि. . कर्ता तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामांना जिनविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७६० अने वि.सं. १८२७मां काळ कर्यो. (जै. गू. क. खं. १ भा. ३. पृ. १-२) प्र.स./३७० परि./७६८८/१ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि २-अष्टप्रकारी पूजा र.सं. १८१३; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६: २४४११ से.मि.-ग्रंथाग्र १११. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.सं./३७९ परि./६७७८ ३-अष्टप्रकारी पूजा र.सं. १८१३; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.२४११ से.मि.--ग्रंथाग्र ११३. __ प्रति कसलबाई माटे लखाई. प्र.स./३८० परि./५८३८ उत्तमचंद (त.) उपधानविबि (बृहद्स्त वन) र.स. १७११ ले.सं. १७९०; हाथकागळ पत्र ४; २४.७४१०.५ से मि. कर्ता तपगच्छना विद्याचंदना शिष्य छे. समय वि.सं. १८नो छे. (जै. गू. क., भा. ३. खं. २. पृ. ११९४). रचना विजापुरमां थई छे. प्र.स./३८१ परि./४६४७ उत्तमविजय (त.) नवपदपूजा र.स. १८३०, ले.स. १८६५; हाथकागळ पत्र ९; २६.१४१०.५ से.मि.कर्ता तपगच्छीय यशोविजयनी परंपरामां सुमतिविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सनी १९मी शदीनो छे. (जै. गू. क, ख. १, भा. ३, पृ. १५०). सोजतमा प. हेमविजये प्रति लखी. प्र.स/३८२ परि./३००४ ऋषभदास आलोयणविधि (ऋषभदेव स्तवन)-र.सं. १६६२. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७.३४१०.८ से.मि.-ढाळ ५. कर्ता खंभातना श्रावक छे. प्राग्वंशना मिहइराजना कुळमां संधवी सांगणना पुत्र छे. (ज. मू. क. खं. १, भा, ३, पृ. ९२२) तेओ समयसुंदरना समकालीन छे. (आ. का. म. मुं. ८, पृ. ३३.) कृति बंबावती (खंभात)मां रचाई. प्रस./३८३ परि./६६२ खीमाविजय (त.) शाश्वता अशाश्वता जिन चैत्यवंदन ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.३ ४१२.१ से.मि.-गाथा १५ कर्ता तपगच्छना देबविजयनी परंपरामां शांतिविजयना शिष्य छ, (जे. सा. इति. पृ. ६६६-फकरो ९७३) अमनो समय १८मा शतकनो छे. (जै. प्र. स. पृ. २४०) प्र.स./३८४ - परि./७८३७/३ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ गुणरत्नसूर (त. ) प्रतिष्ठाकल्प ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७, २५.५४१०.४ से. मि - तूटक. कर्ता तपगच्छना वि.नी १५मी सदीना छे. (जै. सा. इति षू. ४६२ फकरो ६७२ ). आ रचना कयांय नोंधायेली मळती नथी. प्र.सं./३८५ परि. / ५६७३ गुणाकरसूरि श्रावकविधि र, सं. १३६९; ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र २ २५-३१०.५ से.मि. कर्ता पोताने परमाणदसूरि शिष्य कहे छे. र. स. उपरथी अमने वि . ना१४ मा शतका गणी शकाय विशेष परिचय मळी शकतो नथी.. जिनसमुद्रसूरिना शाशनसां पं. केशवजीओ प्रति लखी छे. प्र. सं . / ३८६ गुलाबविजय (त. ) उजमणानी पूजा - र.स. १९४६; ले. सं. १९४७; हाथकागळ पत्र ८; से. मि. . ढाळ ८, आचारविधि कर्ता तपगच्छीय हीरवी जयसूरिनी परंपरामां पन्यास मणिविजयना शिष्य छे. समय २० मी सदीनो छे. परि /५८०८/२ विसलनगर (विसनगर) ना गोकुळभाई गुलाबचंद माटे भोजक भाणा हरगोवन मोतीओ प्रति लखी पत्र ६मां संपूर्ण परंपरा ( कर्तानी) आपेल छे. परि / २४० प्र.सं / ३८७ २५.५×१२.७ जयशेखरसूरि आराधना ले.स. १८ मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ८; २५.८४११.२ से.मि. - ग्रंथाग्र २३५. कर्तानो परिचय उपलब्ध नथी. प्र.सं./३८९ प्र.स ं./३८८ जिन सुंदरगणि (त. ) निशालगरणुं—र.सं ं. १४८१; ले.स. १६मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १लं; २५०२४ १०.० से.मि. - . - गाथा २६. कर्ता तपगच्छना सोमसुंदरसूरिना शिष्य छे. ओमनां बीजां नामो पं. जयवंत हर्ष अने जिनकीर्तिसूरि छे. (जै. प इति भा. ३. पृ. ४५८ . ) परि./६१६३/१ परि. / ४७२३ Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि ज्ञानविमलसूरि (त. ) १ – अगियार गणधर देववंदन ले.सं. १८८२; हाथकागळ पत्र ९; २८.५४११.५ से.मि. कर्ता तपगच्छना विनयविमल > धीरविमलना शिष्य छे. समय वि.सं. १६९४ जन्म; वि.सं. १७०२ दीक्षा अने वि.स. १७८२मां स्वर्गवास (जै. गू. क. भा. २. पृ ३०८). प्र. सं / ३९० परि / ७१६ २ - गणधर देववंदन विधि ले स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी १४; २६x ११.५ से मि . - तूटक राधनपुरमा प्रति लखाई छे. पत्रो १ अने २ नथी परि / ३३०१ प्र. सं / ३९१ ३ - गणधर देववंदन लेस. १९मुं शतक ( अनु ); हाथ कागळ पत्र ६, २४ ७४१००९ से.मि. प्र.सं./३९२ परि / २५८४ ४ - गणधर देववंदन ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र ३; २४.९x१ । से.मि. मुनि सुबुद्धिए दंतपुरमा प्रति लखी. प्रसं / ३९४ ५ - गणधर देववंदन ले. सं. १८६६; हाथकागळ पत्र ७; २५४१०.५ से.मि. पं. गुलाबसागरे शिष्या रूपा माटे प्रति लखी. प्र.सं./३९५ परि./५८४८ ६ – अगियार गणधर देववंदन विधि ले.सं. १८२९: हाथकागळ पत्र १ थी ९; २२.९x १० से.मि. - बोरसदमा लावण्यसौभाग्ये प्रति लखी. ४९ प्र.सं./३९६ परि. / ७४४५/१ १ - चैत्री पूनम देववंदन विधि ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० २५.८x ११.३ से.मि. आ रचना जै. गू. क. मां नधायेली नथी. प्र.सं./३९८ प्र.सं./३९७ परि. / ७५०४ २ – चैत्रीपूनम देववंदन विधि ले.सं. १८३७; हाथकागळं पत्र १३; १६४७.५ से.मि. स्तंभतीर्थ (खंभात) मां पं. कुमारसौभाग्ये लखी. ३ – चैत्रीपूनम देववंदन विधि ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); १०.७ से.मि. परि./६९४० प्र.सं./ ३९९ परि. / ८६६५ हाथकागळ पत्र ६, २५.४४ परि. / ७३३५ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि १-दिवाली देववंदन विधि ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २५.५४ ११ से.मि. प्र.सं./४०० परि./८३१८ २-दिवाली देववंदन विधि ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २७४१३.५ से.मि. प्र सं./४०१ परि./२५३ ३-दिवाली देववंदन विधि ले.स. १९१६; हाथकागळ पत्र ३; २६.५४११.५ से.मि. वीरमगाममां अने पालणपुरमां शांतिनाथना मंदिरमा प्रति लखाई... प्र.सं./४०२ परि/७४५६ ४-दीपालिका देववंदन विधि ले.स. २०मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५; २३.२४ ११.५ से.मि. प्र.सं./४०३ परि./७२ १७ ५-दीपालिका देववंदन विधि ले.स. १९१४; हाथकागळ पत्र ३, २७४११.७ से.मि. विजयशंकरे श्रीनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./४०४ परि./८२४२ ६-दिवाळीनां देववंदन विधि ले.सं. १७९४; हाथकागळ पत्र ६; २४.७४११.६ से.मि. गाथा १४९. प्र.सं./४ ०५ परि./६२७३ ७-दिवाळी देववंदन विधिसह ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाकारळ ५२ ४ः २६.८x १०.९ से.मि. प्र.स./४०६ ८-दिवाळी देववंदन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५४१०.४ से.मि. साध्वी जीवश्रीजी अने नवलश्री माटे पालणपुरमा मोहनविजये प्रति लखी. प्र.सं./४०७ परि./४६५७ ९-दिवाळी देववंदन ले.स. २.मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१० से.मि. प्र.सं./४०८ परि./७९६९ १-मौन अकादशी देववंदन विधि ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २३.८४११.४ से,मि, गुरुणी जीवश्रीजी अने नवलश्रीने माटे प्रति लखाई छे. .. प्र.स./४ ०९ परि./८२६६ २-मौन अकादशी देववंदन ले.स. १९०९; हाथकागळ पत्र ८; २६४11 से.मि -तूटक साध्बी हस्तिश्रीजी माटे प्रति लखाई. प्र.सं./५१० परि./१७१३ परि./७४ ४ ३/१ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि ज्ञानसूरि चोमासी देववंदन विधि ले.सं. १८४९: हाथकागळ पत्र १०; २८x१२.७ से.मि. कर्ताना परिचय मळी शकतो नथी. पं. नेमनी हाजरीमा गाम विजापुरमा प्रति लखाई. लेखक पं. गोकलविजय. प्र.सं./४११ परि./२०८ - दानविजय (त.) चैत्री पूनम देववंदन विधि ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागक पत्र ८; २६४११.७ कर्ता तपगच्छना विजयराजसूरिनी परंपरामां तेजविजयना शिष्य, अमनो समय वि.सं. १८नो छे. (जे. गू. क. भा. ३. खं. २. पृ. १३८८). जै. गू. क.मां आ रचना नेांधायेल नथी. परंपरा प्रतिमांथी पण मळे छे. प्र.सं./४१२ परि./३२४५ १-ौनअकादशी देववंदन ले स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ८; २५४११ से.मि, प्रसं/४१३ परि/५४८३ २–मौनोकादशी देववंदन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ८; . २६४११.५ से.मि -तूटक प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४१४ परि./३३१४ देपाल स्नात्रपूजा विधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २४.९४११.३ से.मि. कर्ता पाटणना, ज्ञातिभे भोजक अने अटक ठाकोर छे. वि.सं. १५०१ थी १५३४ सुधीनी एमनी कृतिओ मळे छे. (ज. सा. इति. पृ. ५२२; फकरो ७६६; जे. गू. क., भा. ३. खं. १. पृ. ४५६). प्र.स./४१५ . ... परि./५०६३/१ देवचंद्रजी (ख.) १-नवपद पूजा ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४.३४१२ से मिढाळ १२. - कर्ता-खरतरगच्छीय जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां दीपचंदना शिष्य छे. अमनो समय वि.नी १८मी सदीनो छे. (ज. गू, क. भा. २., पृ. ४७३). प्र.सं./४१६ परि./२५०७ २-नवपद पूजा ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी २४; १८.२४ १३.४ से.मि. प्र.सं./४१७ परि./८१३४/२ Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि १-स्नात्रपूजा ले .म. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.२४११.१ से मि.-- ग्रंथाग्र १२५. प्रति पाटणमां लखाई, प्रसं./४१८ परि /७५९२ २-स्नात्रपूजा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २४४११.५ से.मि. प्र.सं./४ १९ परि./२७२८ ३-स्नात्रपूजा ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी १०; १८.२४१३.४ से.मि. तूटक. पत्र मुं नथी. प्र.स /४२० परि./८१३४/१ ४-स्नात्रपूजा ले.सं. १९१७; हाथकागळ पत्र ७, २६.२४११ से.मि.-गाथा ६२. दोशी देघचंद कस्तुरचंद माटे व्यास कामेश्वरे प्रति लखी. प्र.स./४२१ परि./७४६२ ५-स्नात्रपूजा ले.स २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६: २७.५४१ २.५ से.मि. प्रस./४२२ परि /८३७६ देवविजय (त.) १-अष्टप्रकारी पूजा-र.स. १८२१. ले स. १९७२; हाथकागळ पत्र ६; २४.४४ ११.४ से.मि. कर्ता तपगच्छना विनीतविजयना शिष्य छे. एमनो समय वि.स. १९मा शतकनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १. पृ. १०६.) पादरा गाममां कृति रचाई. राजनगर(अमदावाद)मां पं. रंगविजयगणिए प्रति लखी. प्र.स/४२३ . परि./८४९४ २-अष्टप्रकारी पूजा-र.स. १८२१. ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र ५; २५.५४ १०.७ से.मि.-ढाळ ८. पेथापुरमां, पारेख ताराचंद सौभाग्यचंदने माटे पं. हीरसोमजीए प्रति लखी. प्र.स./४ २४ परि./७०२१ ३-अष्टप्रकारी पूजा-र सं. १८२१. ले.स. १८८४; हाथकागळ पत्र ५; २३.५४ ९.५ से.मि. प्रति इल्लोलनगरमां लखेली छे. प्र.स./४२५ . परि./६५०३ ४-अष्टप्रकारी पूजा-र.स. १८२१. ले.स. १८६०: हाथकागळ पत्र ६; २४.१४ ११.५ से.मि.-ग्रंथाग्र १०८. पाटणमां ज्ञानविजयमुनिले प्रति लखी. प्र.स./४२६ परि./४ १०० Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि ५- अष्टप्रकारी पूजा-र.स. १८२१. ले.सः २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४: २५.९४१२ से.मि.-ढाळ ९. प्र.स./४२७ परि./२०२२. ६-अष्टप्रकारी पूजा-र.स. १८२१. ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र ५, २४.४४ १२.२ से.मि –ढाळ ८. पाटणमां पं. महिमाविजये प्रति लखी. प्र.स./४२८ परि २३९६ ७- अष्टप्रकारी पूजा-२.स. १८२१. ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २२.८४११ से.मि.-ढाळ ९. प्र.स./४२९ परि./५२० धर्मचंद्रकवि (त.) नंदीश्वरद्वीप पूजा-र.स. १८९६. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.३४११.४ से.मि.-ढाळ १३. .. - कर्ता तपगच्छना विजयदयासूरिनी परंपरामां कल्याणचंदना शिष्य छे. समय वि.स. १९ अने २०मा शतकना संधिकाळनो छे. (जै. गू क., भा. ३. खं. १. घु. ३१८). कृतिनी रचना दमणबंदरमा थई. कर्तानी स्वहस्ताक्षरनी प्रति मुंबईमां लखाई. । प्र.स./४३० परि./७५५. धर्मचंद्र . श्राद्धदिन कृत्य प्रकरण-स्तबक ले.स, १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२; २६.१४ .११.४ से.मि-गाथा ३४ २. कर्ता एक ज नामना त्रण छे : (१). चित्रवालीय गच्छना शालिभद्रसूरि शिष्य १४मी सदीना (२). महाड गच्छीय रत्नपुरीय भट्टारक १५मी सदीना (जै. धा. प्र. ले. सं. पृ. ४६२-४६३ अने बी. जै. ले. स. पृ. ७६८.), (३). तपागच्छीय कल्याणचंदुना शिष्य १९मी सदीना (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. ३१८.) प्रस्तुत धर्मचंद्र कया से नक्की थई शकतु नथी. देवेन्दसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स./४३१ परि./५३८१ नन्नसूरि (को.) १-चोमासी देववंदन ले.स. १७०७; हाथकागळ पत्र ६; २४४१० से मि. कर्ता कोरंटगच्छना सर्वदेवसूरिना शिष्य छे. ओमनी ‘विचार सोरठी विसं. १५४४नी नेांधायेली छे. (जे. गू. क., भा. ३, खंड १, पृ. ५२४ ) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्रचलित पण नथी. विजापुरमां पं. रत्नविजये प्रति लखी. प्रथम पत्र बीजी कोई प्रतिनुं छे. प्र.स./४३२ परि./६५०५/१ Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि २-चोमासी देववंदन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ६; २४.८x १०.७ से मि.-तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./४३३ परि./६९४४ ३-चोमासी देववंदन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४.७४१०.७ से.मि. प्र.सं./४३४ परि./४३२० ४-चोमासी देववंदन विधि ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २३४१३.५ से.मि. प्र.सं./४ ३५ परि./२७८ ५-चोमासी देववंदन ले.सं. १८२७; हाथकागळ पत्र ६: २१.५४११ से.मि. प्र.सं./४३६ परि /२७५९ . ६-चोमासी देववंदन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २२.९४११.२ - से.मि.-ग्रंथान ३५५. प्र.सं./४ ३७ परि/७६९२ ७-चोमासी देववंदन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४.३४१०.५ से.मि. प्र.सं./४३८ परि./५५३७ पद्मविजय (त.) १-चोमासी देववंदन विधि ले.सं. १८९५; हाथकागळ पत्र ४; २४४११.५ से.मि. कर्ता तपगच्छीय सत्यविजयनी परंपरामांना चोथा उत्तमविजयना शिष्य छे. अमनो जन्म वि.सं. १७९२ अने साहित्यकार तरीके वि.नी १९मी सदीना छे. (जै. गू, क., भा. ३, खं. १. पृ. ७३) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्रति विसलनगर(वीसनगर)मां लखाई. प्र.सं./४३९ परि./२५१९ २--चोमासी देववंदन ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र १ थी १२; २६.४४१२ से.मि. देवविजयना सहवासी मुनि लक्ष्मीविजये वीसलनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./४४० परि./१०४२/१ ३-चोमासी देववंदन ले.सं. १८९७; हाथकागळ पत्र १६; २५.२४१ ०.७ मे.मि. गौतमविजये बीकानेरमा प्रति लखी. प्र.सं./४४१ परि./४८४३ ४-चोमासी देववंदन ले.सं. १९३२; हाथकागळ पत्र १७; २४४११ से.मि.. हाजा पटेलनी पोळमांनी पा(का)छीआनी पोळमां अमदावादमां प्रति. लखनार दवे रामचंद्र नारणजी, प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४४१ परि./६३५४ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि ५-चोमासी देववंदन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४; २६.१४११.५ से.मि. श्रीनगरमां खुशालदासे प्रति लखी. प्र.स./४ ४३ परि /१५८२ १-नवाणु प्रकारी पूजा--र.स. १८५१. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ७, २०.३४११ से.मि.-गाथा १११. प्र.सं./४४४ परि./७६८८/२ २-नवाणु प्रकारी पूजा-२.स, १८५१. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१०.१ से.मि.-गाथा १०५ ढाळ ६. प्र.स./४४५ परि./३९२८ पं. मानविजयगणि (त.) बारव्रतनी टीप ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.५४१०.२ से.मि. कर्ता तपगच्छना विज्यानंदसूरि> शांतिविजयगणिना शिष्य अने समय वि.सं. १८नो छे. (जै. गू. क., भा. ३. खं. २. पृ. १२४०). प्रथमादर्श खरडावाळी कर्ताना हस्ताक्षरनी प्रति छे. परि./६६४७ मेघराज (आं) सत्तरभेदी पूजा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.७४ १०.८ से.मि.ढाळ १७. कर्ता आंचलगच्छीय भानुलब्धिना शिष्य छे.. अमनो समय वि.नी सत्तरमी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. ९४१). प्र,सं./४४७ परि./३ ०७९ मेघराज मुनि (पा.) साधु सामाचारी-र.सं. १६६९; ले.सं. १७७८; हाथकागळ पत्र १६; २४.७४१०.५ से.मि.-गाथा ३८५. अध्य. २९, ग्रंथान ५०११. ___ कर्ता पा चंद्र गच्छना श्रवणना शिष्य छे समय वि.नी १७मी सदीनो छे. (ज. गू. क. भां. ३. खं. १. पृ. ९००). खभायत बंदर (खंभात)मां पार्श्वचंद्रीय गच्छना अक्षयचंद्रसूरि खुशालचंद्र> हीराचंदनी लखेली छे. प्र.सं./४४८ परि./४०३४ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ मोहनविजय श्रीपालमयणां ध्यान ले.स. १९मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २६.३×१२-१ से. मि. - गाथा ९. कर्ता हंसविजयना शिष्य छे. गच्छ के समयनी माहिती मळी शकती नथी. प्र.सं./ ४४९ यशोविजय (त. ) १ - नवपदपूजा ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १०; २४४११ से.मि. --- ग्रंथाग्र २००. कर्ता तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां नयविजयना शिष्य छे. ओमनो समय वि.नी १८मी सदीनो छे. (जै. सा. इति. पृ. ६२८ - फकरा ९२४थी ९२६). ढाळ १२. आचारविधि प्र.सं./४५० परि. / ४८९९ २ - नवपदपूजा ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ८ २६११.५ से.मि. - पूनामां हीरविजयसूरिओ प्रति लखी. परि. / ७८३७/५ प्र.सं./ ४५१ परि./२०९० ३ - नवपदपूजा ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ८ २४.२४११०९ से.मि. प्र.सं./४५२ परि./८४०१ ४ - नवपदपूजा ले. सं. १९१०; हाथकागळ पत्र ८ २५०५४१२ ३ से.मि. - ढाळ १२. पेढामलीमां पं. शुभविजये प्रति लखी. प्र.सं./ ४५३ परि./२०४३ ५ - नवपदपूजा - सिद्धचक्रपूजा ले.सं. १८७१; हाथकागल पत्र ८ २५ ११ से.मि. आगलोड गाममां पं. राजविजयगणिओ प्रति लखी. प्र. सं. / ४५४ परि./६२१८ ६ -- ( नवपदपूजा ) — सिद्धचक्रपूजा ले. सं. १८७४; हाथकागळ पत्र ६, २७.२x१२ से.मि. ढाळ १२ तपगच्छना विजयजिनेन्द्रसूरिना शासनकाळमां ईडरमां पं. राजविजयगणिओ प्रति लखी. परि./१६५३ प्र. सं / ४५५ मौनकादशी गणणु --- २.सं. १७२३. ले. स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.३×१२०४ से.मि. - ढाळ १२. कृति खंभनगर (खंभात) मां रचाई. प्र. सं/ ४५६ परि./१०१२ साधुजीना थापनाजी कल्प ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७५मुं २९.५४ १०.७ से. मि. - गाथा १५. प्र. सं/४५७ परि./५८०/११७ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि राजरत्न उपा. (ख.) १-चोमासी देववंदन.-ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४.३४१०.९ से.मि. ढाळ. २४. कर्ता-खरतरगच्छना समयसुंदरनी परंपरामां जयकीर्तिना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदीनो छे. (जे.गू.क. भा-३. खं. २, पृ. १६२२). महामहोपाध्याय उदयविजय गणिना शिष्य पं. नयविजय>पं. भाणविजय>पं. कल्याण विजय गणिले प्रति लखी. प्र.सं./४५८ परि./२५१० २-चोमासी देववंदन. ले.स. १९मुं. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ७ .. २५४१०.२ से.मि. पं. न्या(ज्ञानविजयना शिष्य पं. कांतिविजये प्रति लखी. प्र.सं./४५९ ___ परि./५३४२ १-श्रावक आराधना-बालावबोध.-र.सं. १७१५; ले.सं. १७९५, हाथकागळ पत्र १.;. २४४१०. से.मि. तोषाग्रामे कृति रचाई. बीकानेरमां पं. धर्मविलासे पं. रामचंद माटे प्रति लखी. प्र.सं | ४६० परि./५१०१ २-श्रावक आराधना र.सं. १७१५: ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी २२; २०.४४११ से.मि, प्र.सं./४६१ परि./७७७६/२ रूपविजय (त.) नंदीश्वरद्वीप पूजा-र.सं. १८७९. ले.सं. १८८०; हाथकागळ पत्र ९. २५.९४१२.१ से.मि. कर्ता-तपगच्छना पद्मविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि. नी १९ मी सदीनो छे. (जै.गू क. भा-३. खंड-१. पृ. २४९)-आ रचना जै.गू,क.मां नेांधायेली नथी. प्रति समकालीन छे. प्र.स./४६२ परि./९७६ पंचज्ञानपूजा-र.सं. १८८६. ले.सं. १८८९; हाथकागळ पत्र ५. २७.२४११ से.मि. राजनगरमा आवेली नागोरीसराई (अमदावादनी नागोरीशाळा )मां, पं. जिनविजय गणिले प्रति लखी. प्र.सं./४६३ परि./१५५२ पिस्तालीस आगम पूजा र.सं. १८८५; ले.स. २०# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१. २७.२४११ से.मि. तपगच्छना पं. हीरविजये प्रति लखी. प्र.सं./४६४ परि./८३७९ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि १-वीस स्थानक पूजा र.सं. १८८३; ले.स. १८८३; हाथकागळपत्र २२; २५.२४ ....... १.१.५ से.मि. : कृति राजनगरमां रचाई. प्रति पण राजनगरमां ते ज वर्षमां लखाई. प्र.सं./४६५ . " परि./४१९४ ना २-कीसस्थानक पूजा र.स. १८८३; ले.स. २०मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १७, २६.६४१२.६ से.मि.-दाळ २०. . . अमदावादमा पं. खूबचंदे प्रति लखी, प्रसं/४६६ . .. परि./९५८ स्नात्रपूजा ले.स. १८९३; हाथकागळ पत्र ९; २५४११.५ से मि. कुरजी सिंधियाना राज्यकाळमां ग्वालियरमां अमृतविजये चोमासु कयु हतु त्यारे .. अमणे लश्कर गामे प्रति लखी. प्र.स/४६७ परि./२०४७ वधोशाह प्रतिमा स्थापन विधि-(अथवा कुमतिनिरास-स्तवन) ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १ :...२५.३४१०.५ से.मि.-गाथा ३९, कर्ता-पीपाडा-श्रावक छे. अमनो समय वि. १८मी सदीनो छे. (जै. गू क. भाग ३, खं २, पृ. १२३३) कृतिनी रचना सोजत गामे थई. खरतरगच्छनी पीपलीया गच्छ शाखाना पं. भाणकुशलजीना शिष्य ऋषभदासे, - पं. कनककुशलना शिष्य रामचंद माटे कवाससा गाममा प्रति लखी. प्र.सं./४६८ परि./३४४९ विजयदेवसूरि (पा.) १-साधुमर्यादा पट्टक र.स. १६७७; ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १. २४.८x१०.५ से.मि. कर्ता-पार्चचन्द्रीय गच्छना छे. अमनी रचेली ' शीलप्रकाशरास'नी चंद्रसूरिनी लखेली हस्तप्रत वि.सं. १६६४ नी मळे छे. (जै. गू. क. भा-३, खंड-१. पृ. ५९६). प्रति सांबलीनगरमां लखेली छे. एमां साधुओ माटे ५७ मर्यादा बांघेली छे. प्र.सं./४६९ - परि./३९०४ २-साधुमर्यादा पट्टक-र.स. १६७७; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, . . ., २६.२४११ से.मि. प्र.स/४७० परि /१६८२ ३–साधुमर्यादा पट्टक–र.स. १६७७ ले.स. १९६९; हाथकागळ पत्र ४. २७.२४१२ से.मि. बोल ५७. . कृतिनी रचना सांबलीनगरमां थई छे. पुष्कर्णाज्ञातिना पुरोहित रामनारायण गेरमलजी लिपिकार छे. प्र.स /४७१ परि/८०३ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि विजयलक्ष्मीसूरि १-ज्ञानपंचमी देववंदन. ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र ६. २३.५४१२ से मि.-- __ कर्ता-तपगच्छना विजयसौभाग्यसूरिना पट्टधर छे. समय वि. १९मी सदीनो छे. (सौ. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. १२९). पेढामलीनगरमां पं. देवविजयना सहवासी लक्ष्मीबिजयमुनि प्रति लखी.... प्र.स./४७२ . परि./१११६ २-ज्ञानपंचमी देववंदन. ले.स. १९९. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र. ७. - २५४१०.५ से.मि.-अपूर्ण. प्र.स./४७३ परि./६०२७ ३-ज्ञानपंचमी देववंदन. ले.स, १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०. २५.२४१२ . ... से मि. प्र.स./४७४ .. ' परि./७५५७ ४-ज्ञानपंचमी देववंदन, ले.स. १८९८; हाथागळ पत्र १ थी ७. २५.५४१२.५ से.मि. पं जितविजयगणि सरदारपुरामा प्रति लखी. प्र.स./४७५ ....... परि:/१०८१/१ ५-ज्ञानपंचमी देववंदन. ले.स. १९०७; हाथकागळ पत्र १२. २७.८४११.९ सेमि... ५. राजविजये प्रेमासा शेठ माटे प्रति लखी. प्र.स./४७६ परि/१५१८ ६-ज्ञानपंचमी देववंदन विधि. ले.स. १९४५; हाथकागळ पत्र १०. २६.७४ १२.७ से मि. पं. हिंमतविजये प्रति लखी. प्र.स./४७७ ..परि./४१४ ७-ज्ञानपंचमी देववंदन विधि. ले.स. १९२५, हाथकागळ पत्र १३, २५-७४१२.३ से.मि.-तूटक. सहसपुरा गासे शंकरविजयजी मुनि प्रति लखी. पत्र ७मुं नथी. प्र.सं./४७८ म परिः/२३४९ ८-ज्ञानपंचमी देववंदन विधि. ले.सं. १९०८; हाथकागळ पत्र १४; २५.४४१२ से.मि. राजनगर(अमदावाद)मां भइजी मालजीले प्रति लखी.. , .... प्र.सं./४७९ .. परि./८२४८ ९-ज्ञानपंचमी देववंदन. ले.स. १८८१; हाथकागळ पत्र ८; २४४११ से.मि......, मुनि मोहनविजये प्रति लखी. प्र.सं./४८० परि./४३८७ - Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि १-वीस स्थानक पूजा र.सं. १८४३, ले.स, १८६७; हाथकागळ पत्र ९; २६.१४११.७ से.मि. ढाळ २०. कृतिनी रचना खंभातमा थई. पं. रामविजय गणिो प्रती लखी. जै. गू. क. भा. ३. खंड. १. पृ. १२९मां र.स. १८४५ आपेलो छ, प्र.स./४८१ परि./१९८५ २-वीस स्थानक पूजा र.स. १८४३. ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र ९; २७.२४१२.३ से.मि. वैद्य हरीचंद तेजकरणे चुनीलाल माटे प्रति लखी. प्र.स./४८२ परि./१६४१ ३-वीसस्थानक पूजा र.स. १८४३. ले.स. १८७६; हाथकागळ पत्र २३; २२४९.८ से.मि. प्र.सं./४८३ परि./८६८० . ४-वीसस्थानक पूजा-र.सं. १८४३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २४.६४१२.२ से.मि. प्र.सं./४८४ . . परि./७५६१ ५-वीसस्थानक पूजा-र.सं. १८४३; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५ २६.५४११ से मि. लिपिकार बावा रामगरजी. प्र.सं./४८५ परि./७८२५ ६-वीसस्थानक पूजा र.सं. १८४३; ले.सं. १९१०; हाथकागळ पत्र १५, २७४१४ से.मि. ढाळ २१. पूनामां कोई भूमिनंदने (ब्राह्मणे) प्रति लखी. गुजरातमां ईलोलवासी महेता सौभाग्यचंदना पुत्र दीपचंदजीना पुत्र नाथजीना पुत्र मुलचंदजीओ पूनामां कुथुनाथचं शिखर बंधी मंदिर बनाव्यु. मेवी नेांध प्रतिमां आपेली छे. प्र.सं./४८६ ... परि./२४४ ७-वीसस्थानक पूजा र.स. १८४३; ले.स. १९१३; हाथकागळ पत्र १२: - २६.१४१२.२ से.मि. ग्रंथान. २९०. प्र.सं./१८७ परि./७८९५ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि वीरविजय (त.) १-अष्टप्रकारी पूजा (४५ आगम पूजा गर्भित) र.स. १८८१; ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र ८; २५.३४१०.९ से.मि. ढाळ ९. कर्ता-तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. समय (दीक्षा) वि.स. १८४८: मृत्यु. वि.स. १९०८ (जै, गू. क, भा. ३, खंड. १, पृ. २०९). कृतिनी रचना राजनगर (अमदावाद)मां थई. पालीताणामां संवेगपक्षना जतनकुशळ मुनिओ, पं. कीर्तिविजयना शिष्य मुनि मोतीविजय माटे प्रति लखी. प्र.सं./४८८ परि./४ १९३ २-अष्टप्रकारी पूजा (४५ आगम पूजा गर्भित) र.स. १८८१; ले.स. १८८३; हाथकागळ पत्र ७. २७.३४११.५ से.मि. प्रति राजनगर (अमदावाद)मां लखाई. प्र.म./४८९ परि./९४५ ३-अष्टप्रकारी ( ४५ आगम पूजा गर्भित ) र.स. १८८१; ले,स, १८८७; हाथकागळ पत्र २ थी ५; २७.५४१३ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./४९० परि/७८९ ४-अष्टप्रकारी पूजा (४५ आगम पूजा गर्भित) र.स. १८८१; ले.सं. १८८८; हाथकागळ पत्र १२. २४४११ से.मि. (अमदावाद)मां झवेरीवाडमां साध्वी दानश्री माटे लखेली प्रति, बाई अजबने मळी. प्र.स./४९१ ___ परि./६३९८ ५-(अष्टप्रकारी पूजा) पीस्तालीस आगम पूजा रस. १८८१, ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र ५. २७.३४११.३ से.मि. ढाळ १७. . .. - लिपिकार अमृतविजय. प्र.सं./४९२ परि./१५४५ ६-अष्टप्रकारीपूजा (४५ आगम पूजा गर्भित) र.स. १८८१; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७४११.५ से.मि. पालडी (अमदावाद)मां किशोर नानचंदे प्रति लखी. प्र.सं./४९३ परि../८३८. ७–अष्टप्रकारी पूजा (४५ आगम पूजा गर्भित) र.स. १८८१, ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०, २७४१४ से.मि. ढाळ ८.. . प्र.सं./४९४ परि./२४३ ८-अष्टप्रकारी पूजा ( ४५ आगम पूजा गर्भित ) र.स. १८८१, ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १०; २७४१४ से.मि. ढाळ ८.. पुनामां प्रति लखाई. प्र.सं./४९५ परि./२४२ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि १-चोमासी देववंदन विधि. ले.स. १९१६; हाथकागळ पत्र २४; २४.५४१०.८ से.मि. प्र.स/४९६ परि./६४१३ २-चोमासी देववंदन विधि ले.स. १९२१; हाथकागळ पत्र १८. २६४१२.२ से.मि. ... तूटक. अमदावादमां घीकांटे आवेला अदोवायाना डहेलामा खेमचंदे प्रति लखी. प्र.स./४९७ परि./८२६६ १-चोसठ प्रकारी पूजा र.स. १८७४; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २८, .: : २७.६४११.९ से मि. अपूर्ण. .. कृतिनी रचना राजनगर(अमदावाद)मां थई. प्र.स./४९८ परि./१६२७ २-चोसठ प्रकारी पूजा र.सं. १८७४; ले.स. १८८१; हाथकागळ पत्र २८, २५.७४ ':. ११.५ से.मि. गाथा ५६३, ढाळ ६५. वटपल्ल(वडोदरा)मां पं. कांतिविजयना सहवासी पं. प्रतापविजयगणि) प्रति लखी. प्र.स./४९९ परि./२४४७ ३-चोमठ प्रकारी पूजा र.स. १८७४; ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र ५२; २७४१४ . से.मि. ढाळ ६४. प्र.स./५०० परि./९ ४-चोसठ प्रकारी पूजा (आठ कर्म पूजा) र.स. १८७४; ले.स. १९२०; हाथकागळ .. पत्र ४६. २६.१४११.८ से.मि. साध्वी चंदनश्री नागरदास पटेल पासे प्रति लखावी. परि./१५८१ १–नवाणु' प्रकारी पूजा र.स. १८८४. ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी १०. २६.६४१४ से.मि. ढाळ १२. तूटक. । कृति पालीताणामां रचाई. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./५०२. परि./२४६ २-नवाणु प्रकारी पूजा र.स १८८४; ले.स. १९२५; हाथकागळ पत्र ८, २६.३४१२ से.मि.; गाथा १०५. ....... लिपिकार नागरदास. प्र.स./५०३ । परि./७४९८ ३-नवाणु प्रकारी पूजा-र.सं. १८८४; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४.७४१३.२ से.मि. प्र.सं./५०४ ....... . . परि./८३७५ ४-नवाणु प्रकारी पूजा-र.सं, १८८४; ले.स, २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६.३४१२.५ मे.मि, प्र.सं./५०५ परि./८३८५ Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि १ - पंचकल्याणक पूजा-र.सं. १८८९; ले. सं. १८९५; हाथकागळ पत्र ६, २८.१९११०७ से.मि. रचना अने लेखन स्थळ राजनगर ( अमदावाद). प्र.सं./५०६ परि./१६१८ २– पंचकल्याणक पूजा - र. सं. १८८९; ले.सं. १९१०; हाथकागळ पत्र ५ २७०४x ११.४ से.मि. ढाळ ९. लिपिकार अमृतविजय. प्र.सं./५०७ १ – बारव्रत पूजा - र. सं. से. मि. गाथा -- १२४, रचना अने लेखन प्र.सं./५०८ परि./७१९ २- बारव्रत पूजा - र. सं. १८८७, ले.सं. १८९०; हाथकागळ पत्र ११; २४.५४११ से. मि. गाथा - १२४, ग्रांथाग्र - २०३. इरमां तपगच्छना रूपविजयना सहवासी राजविजयगणिभे प्रति लखी. प्र सं / ५०९ 复 परि. / ४३५३ - बात पूजा - र.सं. १८८७, ले. सं. १८९२; हाथकागळ पत्र ८ २३०५४९.९ से.सि. पालीगाममां पं. नगविजयगणिओ प्रति लखी. परि./१५३१ १८८७ ले. सं. १८८८; हाथकागळ पत्र ८; २७.६×११.८ ग्रंथाग्र - २०३. स्थळ राजनगर ( अमदावाद). प्र. सं / ५१० परि. / ६२८० १८८७, ले.स. २०मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १३; ढाळ १३. परि. २४५ प्र.सं./५११ ५- बाव्रत पूजा - र. सं. १८८७; ले . स . २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.३४१३ से.मि. गाथा १२४. ४ - बारव्रत पूजा - र.सं. २६.८x१४ से.मि. प्र.सं./५१२ परि. / ७४९७ ६ - बारव्रत पूजा - र. स. १८८७; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थीं १०. २६.३×१२.८ से. मि. ढाळ - १३. तूटक. प्रति जीर्ण छे. प्रथम पत्र नथी अने अंते पण अपूर्ण छे. प्र.सं./५१३ शिवनिधानगणि (ख.) उपस्थापना विधि——-वडीदीक्षा विधि ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.५४१०.८ से.मि. कर्ता - खरतगच्छना हर्षवर्धनवाचकना शिष्य छे समय वि.नी १७मीं सदी (जै. सा. इति. पृ. ६०१. फकरो ८८९ अने ९९४ . ) प्र.सं./५१४ परि./६१८३ परि./२३७ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ शीलरत्नसूरि (आ.) रही श्राविका परिग्रह परिमाण - र.सं. ३७; ले. सौं / १५३७; हाथकागळ पत्र १ २६४ १०.७ से.मि. - कर्ता — आगमगच्छीय जयाणंदसूरिना शिष्य छे. समय वि. १६मी सदीनो छे. (जै. गू. क. के जै. सा. इति मां आ कर्ता नांधायेला नथी. रही श्राविका माटे गंधारमंदिरमां प्रति लखाई 'सत्तीसयंमि वरिसे होवाथी र.सं. नक्की नथी थतो. परिचय प्रतिमांथी मळे छे. प्र.सं./५१५ कर्ता —- तपगच्छन। हीरविजयसूरिना शिष्य छे. ३. खं. १. पृ. ७६९) आ रचना जैं. गू. प्र.सं./५१७ शुभबिजय ( त . ) चोमासी देववंदन. ले. स. १८९८; हाथकागळ पत्र १० थी १२. २५-४४१२.५ से.मि. कर्ता — तपगच्छना कल्याणविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.नी १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. खं. १, भा. ३, पृ. १०८६.) सरदारपुरमां पं. जीत विजये प्रति लखी. २ - सत्तरभेदी पूजा. ले.स. १ से. मि. - गाथा १०८. प्रति जीर्ण छे. आचार विधि प्र.सं./५१६ सकलचंद्र (त) अकवीस प्रकारी पूजा. ले.स. १९मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ९ २५.७११.८ से.मि. कवित्त - १०५. प्र.सं./५१९ प्र.सं./५२० ओम आपेलं परि./१८१४ १ - सतरभेदी पूजा. ले.स. १८ मुं शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ६; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा १०८. प्र.सं./५१८ परि./७३७८ १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; 9f7./2009/9 समय वि. १७मी सदीनो छे. (जै. गृ. क. भा. क. मां नांधायेली नथी. परि./५६२५ २४.३४१०.७ ३ - सत्तरभेदी पूजा ढाळ ३५; गाथा १०८. विजयानंदराच्छना पं. खेमचंदे अना शिष्य अने श्रावक हरखचंद माटे प्रति लखी, परि. / ५९७७ परि./८८५१ ले. सं. १८९२; हाथकागळ पत्र १०; २५.५९१० से.मि. Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि समय सुंदर १ - ( पद्मावती आराधना ) जीवराशिखामणा पत्र ३; २४.४४११ से.मि. गाथा ४३. ढाळ ३. कर्ता --- खरतरगच्छना सकलचंदना शिष्य के समय वि.सं. १७मी सदीनों के (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ८४६ ) श्राविका पुंजी माटे पालणपुरमां पं. तेजविजये प्रति लखी. प्र.सं./५२१ परि./५०२१ २ -- ( पद्मावती आराधना ) जीवराशिखामणा; ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २०.४४११ से.मि. गाथा ४१. प्र.सं./५२२ ले. स. २•मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ परि./७७७६/१ ३ -- ( पद्मावती आराधना ) जीवराशिखामणा ले.स. २०भुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २२.७x९०७ से.मि. गाथा ३५. परि. / ७७५४ प्र.सं./५२३ श्रावक आराधना ले.सं. १८९७ हाथकागळ पत्र ५ २५.७४१२.७ से.मि. अहिंपुरमा पं. शंभुविजये प्रति लखी. प्र.सं./५२४ ६५ सामायिक-पौषध-प्रतिक्रमणादि विधि के.स. १७मुं शतक (अनु.); २४.८x९.९ से.मि. आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. परि. / ४७३ हाथकागळ पत्र ४; प्र.सं./५२५ साधुकीर्ति (ख.) सत्तरभेदी पूजा - र. सं. १६१८; ले. स. १७ मुं शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र २४.५x१०.३ से.मि. गाथा १०८. कर्ता — खरतरगच्छीय जिनभद्रसूरि शाखाना अमरमाणिक्यना शिष्य छे. समय वि. १७मा शतकनो छे, (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६९९ ). कृतिनी रचना अणहिल्लपुर (पाटण) मां थई. परि./५८९९ प्र.सं./५२६ सिद्धांत सागर गणि सप्तचत्वारिंशत् दोष - बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २; २५x१०.४ से.मि. १ थी ५ परि./६५८३/१ कर्ता — सोमजयसूरि> इन्द्रनंदिसूरिना शिष्य छे. गच्छ के समय मळी शकतो नथी. आ कर्ता जै. गु. क. के नै. सा. इति मां नांधायेला नथी. प्र.सं./५२७ परि./८५७८ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ आचारविधि सुखसागर (त,) १–सत्तरभेदी पूजा-स्तबक ले.सं. १८२७; हाथकागळ पत्र ३७; २४.७४११.५ से.मि. गाथा १०८. ग्रंथाग्र ५०५. कर्ता-तपागच्छीय दीपसागरना शिष्य छे. समय वि. १८मा शतकनो छे. (जै. खा. इति., पृ. ६६२, फकरा ९७४, ९७७, ९८२). मूळ रचना सकलचंदनी गुजरातीमां छे. पाटणमां पोलीआ उपाश्रयमां पं. ललितविजये प्रति लखी. प्र.सं./५२८ परि./२५१६ २-सत्तरभेदी पूजा-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २७४१३ से.मि. गाथा १०८. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५२९ परि./१००७ ३-सत्तरभेदी पूजा-स्तबक ले.सं. १९२८: हाथकागळ पत्र १८, २७.४४१२.७ से.मि. गाथा ६५८.. राजनगर (अमदावाद)मां बोडा पुनमचंदे प्रति लखी. प्र.सं./५३० परि./२०४ ४-सत्तरभेदी पूजा-स्तबक ले.सं. १८३२: हाथकागळ पत्र १४; २५.७४११.९ से.मि. गाथा १०८. ग्रंथाग्र ७५०. राजनगर (अमदावाद)मां रूपसागरे प्रति लखी. (स्तबककारनु नाम प्रतिमां आपेलं नथी परंतु आगलां स्तबको जोडे आदि अने अंत मेळवतां समानता लागे छे.) प्रस./५३१ परि./२२३६ ५-सत्तरभेदी पूजा-स्तबक ले.सं. १९२७; हाथकागळ पत्र १५, २७.४४१२.७ से.मि. गाथा १०८. . मुंबईभा शा. हर्षनी विनंतीथी प्रति ललाई. (स्तबककारनु नाम प्रतिमां आपेलु नथी. अ४ प्रमाणे.) प्र.सं./५३२ परि./९४४ हीरकलश (ख.) आराधना (पचक).-र.स. १६२३. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.२४१ ०.५ से.मि गाथा ८४. _ कर्ता-खरतरगच्छोय हर्षप्रभसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो के. (जै. ग. क. भा. ३. खं. १. पृ. ७२५). प्र.सं./५३३ परि./५८५३ हीरविजयसूरि । पांत्रीस बोलनो मर्यादा पट्टक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; ३१.५४८.५ से.मि. कर्ता-तपगच्छना विजयदानसूरिना शिष्य. जन्म वि.सं. १५८३. मोगल शहेनशाह अकबरना समकालीन, (जै. सा. इति. पृ. ५३७. फकरो ७८९). प्र.स./५३४ परि /८२०२ Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-भारती अमृतविजय (त.) शांतिनाथजीरी आरती ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; १५४११ से.मि. गाथा ६. कर्ता तपगच्छना विजयदेवसूरिनी परंपरामां विवेकनिजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १९मी सदी छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १६१). स्खुशालविजये प्रति लखी. प्र.सं./५३५ परि./८६१७/२ आनंदघन जिन आरती ले.सं. १८९५, हाथकागळ पत्र २, २४.४४११.४ से.मि. गाथा ७. कानुं बीजं नाम लाभानंदजी छे. *वेतांबर संप्रदायना वि. स. १८मी सदीना अने यशोविजयजीना समकालीन हता. (जै. सा. इति., पृ. ६२२-२३, फकरो ९१५). लिपिकार पं. नगविजय. प्र.सं./५३६ परि./६७६९/६ उत्तम(विजय) जिन आरती ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.३४१०.३ से.मि.-गाथा ९. लिपिकार राघवजी. प्र.सं./५३७ परि./५३९० मतीहंस १-आरती ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र ९; २६४११.५ से.मि, गाथा ७. - कर्ता-तिलकहंसगणिना शिष्य तत्त्वहंसगणिना शिष्य छे. वि.स.१७४९नी प्रशस्तिमां अमनो उल्लेख मळे छे. (प्र. स. पृ. २५७). गच्छ मळतो नथी. पं. गुलाबविजय माटे देवधनमुनिले प्रति लखी. प्र.सं./५३८ परि./२२४ १/२ २-भारती ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.५४११.८ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./५३९ परि./११०२/३ . पार्श्वनाथनी आरती ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.८४११.३ . से.मि. गाथा १०. प्र.सं./५४. परि./३५४३/२८ रंगविजय (त.) पार्श्वनाथ (गोडीजी)नी आरती ले.सं. १९१३; हाथकागळ पत्र १; ४२.५४४६.१० ... से.मि. गाथा ७. कर्ता तपगच्छीय विजयदेवसूरिनी परंपरामां अमृतविजयना शिष्य छे. समय वि. १९मी सदीनो छे. (जै. गू, क. भा. ३, खं. १, पृ. १७५). उरपाडनगरमां.देवविजये प्रति लखी. परि./८०५७/३ प्र.सं./५४१ Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ आचारविधि-आरती वीरविजय (त.) पार्श्वजिन आरती ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मुं; २७४११.५ से.मि. गाथा ९. कर्ता तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामा शुभविजयना शिष्य छे. समय वि.नी १०मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १. पृ. २०९). प्रति साव जीर्ण छे. प्र.सं./५४२ परि./७२७६/३१ शिवानंद अंबाजीनी आरती ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; १८.१४११ से.मि. गाथा १४. कर्ता जैनेतर छे. बीजी पण घणी प्रचलित आरती रचेली छे. वीयारागामे वोरा राधाकसन भभूतरामे प्रति लखी, प्र.सं./५४३ परि./८१३१ सेवक (अं.) शांतिजिन आरती ले.सं. १८९५; हाथकागळ पत्र १लु; २४.५४११.४ से.मि. गाथा ५. कर्ता अंचलगच्छना (विधिगच्छ ) गुणनिधानसूरिना शिष्य छे. समय वि.स. १६ अने १७मा शतकना संधिकाळनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ५८१). लिपिकार पं. नगविजय. प्र.सं./५४४ . परि./६७६९/१ अज्ञातकर्तृक बहुचराजीनी आरती ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; १८.१४११ से.मि.-गाथा ७. लिपिकार वोरा राधाकसन भमूतराम. प्र.स./५४५ परि./८१३१/२ शंकरभगवाननी आरती ले.स. २०मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २ थी ३; १८.१४११ से.मि. गाथा ७. - लिपिकार राधाकसन भभूतराम. प्र.सं./५४६ परि./८१३१/२ अन्त्य समय आराधना ले.सं. १७८४; हाथकागळ पत्र ६; २६.२४११.३ से.मि.-तूटक कृतिनी भाषा प्राकृत अने गुजराती छे. पत्र २जु नथी. प्र.सं./५४७ परि./३३१३ Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि - आवश्यक १ - ( श्रावक ) आराधना ले. सं. १५६९; हाथकागळ पत्र ८; प्रथाय २२७. लिपिकार कीर्तिसुंदर. परि. / ४५६२ प्र.सं./५४८ २ - ( श्रावक ) आराधना ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४८; २५४११.५ से. मि. अपूर्ण. प्र.सं./५४९ परि./६३४७ ( श्रावक ) आराधना ले.स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६४१०.५ से.मि. प्रसौं /५५० परि. / ५२९१ (थावक) आराधना (मोकली आराधना ) ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २४.५X१०.५ से.मि. परि. / ७३६९ प्र.सं./५५१ ( श्रावक ) आराधना ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २८०६४११ से. मि. परि./१३५० प्र.सं./५५२ आलोचना ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ २३.२४९.७ से.मि. प्र.सं./५५३ प्र.सं./५५४ ६९ २५.५×१००१ से.मि. परि./७६१५ आलोयणविधि ले.स. २०मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ४; २७ ७ ११ से मि. प्रति बे कोलम पाडीने लखेली छे. परि. / ७२७० प्र.सं./५५५ आलोचनाविधि ले.सं. १८२९; हाथकागळ पत्र २ २५.५४११.५ से.मि. लिपिकार साररत्न - मुनि मोहनविजयना सहवासी मुनि माणिकविजयने आ प्रति मळी छे.. परि./३५३८ प्र.सं./५५७ आलोचना (श्रावक) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.६×११.५ से.मि. लींबडीमा मुनि रूपाओ ऋषि भवानजी माटे प्रति लखी. परि / १९९५ प्र.सं./५५६ आलोचना विधि ले.स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० : २७.७४११.८ से.मि. विजयानंदसूरिनां शिष्य हंसविजयनी शीखथी कल्लारामनाथ जगनाथ पुष्कर्णाओ प्रति लखी. परि./१६२९ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आधारविधि-आवश्यक अकबीसी भावना ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र १० थी १२: २५.१४८ से.मि. गाथा ३१. असोचि जतिए प्रति लखी प्र.सं./५५८ परि./७८१०/११ अकवीस पाणीनो विचार ले.स. १८६६; हाथकागळ पत्र १७मुं. २३.५४१२.८ से.मि. विसलनगरमां पं. ललितविजये प्रति लखी. प्र.स./५५९ परि./११२१/६ १-ओगणत्रीसी भावना (श्रावकविधि) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ६; २६.२४११.४ से.मि. गाथा ६८. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./५६० परि./२९७४ २-ओगणवीसी भावना ले.स. १७९३; हाथ कागळ पत्र ३ थी ५; २४४१०.५ से.मि. ' गाथा ३०. लिपिकार पं. रविविजय. प्र.स./५६१ परि./६२६५/२ गोचरीना ४२ दोषनी गाथा-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १; २४.२४११.६ से.मि. गाथा ६. . मूळ कृति प्राकृतमा छे. प्र.स./५६२ परि./७२३८ गोचरी दोष गाथा-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७.१४ १२.४ से.मि. गाथा ६. प्रस./५६३ परि./८२४ . चार भने पांच पदनी भनानुपूर्षी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४९.७ से.मि. प्र.स./५६४ परि./७०४८ __ चैत्रीपूनम देववंदन विधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २३.७४१०.२ से.मि. लिपिकार भावरत्न. प्र.स./५६५ परि./४७४३ चैत्रीदिन देववंदन स्तवन (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५मुं २५.२४१..९ से.मि. गाथा अनुक्रमे ६, १३. परि./२९५०/१०; ११ | Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-आवश्यक यैत्रीपूनम देववंदन ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र ३ थी ७. २४.५४११ से.मि.-तूटक. पत्रो १ अने २ नथी. प्र.स./५६७ परि./२४ ११ चौदनियम स्वरूप ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.४४११.३ से.मि. प्र.स./५६८ परि./७५८९ दुविहार तिविहार पच्चक्खाणमां खपती वस्तुओ-स्थंडिल, मुहपक्तिना बोल आदि. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.५४११ मे.मि. प्र.स./५६९ परि./५२४० द्वादशावर्त वंदन विधि-स्तबक ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २८-२९; २६.३४१ २.२ से.मि. मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स/५७० परि./१६८०/२ पाक्षिक प्रतिक्रमण विधि ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.२४१३.५ से.मि. प्र.सं./४७१ पर./२६२ प्रायश्चित्त ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.९४११ से.मि. प्र.सं./५७२ परि./११७० ब्रह्मचर्यनी नववाड ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २४.५४१०.४ से.मि. प्र.सं./५७३ परि./५९४५/२ मुखप्रति लेखना विचार (स्तबक) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४१०.९ से.मि. गाथा ५. मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.सं./५७४ परि./७००८/२ मौन अकादशी देववंदन ले.सं. १८२९; हाथकागळ पत्र १० थी १४; २२.९४१०.१ से.मि. देवसौभाग्या> रत्नसौभाग्य> लावण्यसौभाग्ये बोरसदमां माणिक्यसौभाग्य माटे प्रति लखी. प्र.सं./५७५ परि./७६४५/२ (मौन) अकादशीनुं दोढसो कल्याणकनुं गणणु. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.२४११ से.मि. प्र.स./५७६ परि./७४७५ Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचार विधि- सामाचारी श्रावक सामाचारी - ( विविध पक्षीय) ले.स. १६६२; हाथकागळ पत्र ६६, २५४११ से. मि. ग्रंथाग्र २३७५ – तूटक. अकबरपुरमा पंड्या सारणना पुत्र गोपाल पासे वाचक श्री रविविजय मूर्ति प्रति लखावी. पत्र २ थी ९ नथी. प्र. सं./५७७ परि./९३० १ - संथारा पोरसीनो विधि ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २३.५x१० से.मि. ७२ प्र.सं./५७८ परि./५२०३/६ २ - संथारा पोरसीनो विधि ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २५.७११.५ से.मि. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्रतिमां भाषा प्राकृत अने गुजराती बने छे. प्र.सं./५७९ परि./२२२८/६ साधुमर्यादा पट्टक ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७.२४११-४ से.मि. सं. १९७०मां लखायेली प्रति उपरथी बीकानेरना रामदासे आ प्रति लखी. परि./८३१ साधुसामाचारी - बालावबोध ले.स. २०मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३२; २६-५x ११.३ से.मि. प्र.सं./५८१ प्र.सं./५८० साधुसामाचारी ८४ बोलनी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथका गळ २६.५x११.९ से.मि. बोल ८५ - तूटक. औरंगाबादमां पं. जीवविजय गणिओ प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./५८२ परि./१०३६ ( विजय सिंह सूरि सम्मत ) - साधुसामाचारी (सुविहित साधु मर्यादा पट्टक) ले.स. १९भुं शतक; हाथकागळ पत्र ३; २५.२४१००१ से.मि. बोल ४५. आ पट्टक श्री उत्तमविजयगणिनुं छे. तेओ उदयविजय गणिना शिष्य अने नयविजयना गुरुबंधु छे. प्र.सं./५८३ परि./५९२७ साधुसामाचारी (सुविहित संविग्न साधु नियम) ले.स. १८ मुं शतक ( अनु ) : हाथकागळ पत्र १; २५४१० से.मि. नियम २५. प्र.सं./५८४ परि./७४८६ पत्र २ थी ४; परि./४२२३ सामाचारी सार ( कल्पसूत्रनी) ले.स. १८२३; हाथकागळ पत्र ४, २५-२४११.७ से.मि. जोधपुरना संघवी उपाश्रयमां मोहनविजये प्रति लखीं. प्र.सं./५८५४ परि./११९० Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-व्रतविधि १-सामायिक विधि ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७, २३.५४१० से.मि. प्र.सं./५८६ परि./५२०३/७ २-सामायिक तथा क्षामणकविधि ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २५.७x ११.५ से.मि. प्रति पाटणमा लखेली छे. प्रतिमां प्राकृत अने गुजराती बन्ने भाषा छे. प्र.सं./५८७ परि./२२२८/७ सूतक विचार ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४.५४१०.५ से.मि. प्र.सं./५८८ परि./६८०१/२ १-उपधानविधि ले.स. २०९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १२; २५.७४११.५ से.मि. प्र.सं./५८९ परि./२२४३ २-उपधानविधि ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २७४११.५ से.मि. प्र.सं./५९० परि./३६०९ उपधान व्रतोच्चारादि-विधि ले. स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.५४ ११ से.मि. कृतिनी रचना संस्कृत, प्राकृत अने गुजरातीमां थयेली छे. प्र.सं./५९१ . परि./१८३४ उपधानविधि ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.५४१०.७ से.मि. प्र.सं./५९२ परि./१८४५ ___उपधानविधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.५४११.५ से.मि. प्र.सं./५९३ परि./२२२१ उपस्थापनाविधि ले.स. २०मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५; २६.६४१२.२ से.मि. पाटणमां लहिया गोरधने (गोरधनदासे) प्रति लखी. प्र.सं./५९४ परि./७२९० उपधानविधि ले.सं. १७९०: हाथकागळ पत्र १०; २५४१०.९ से.मि. पत्तन (पाटण)मां भावप्रभसूरिसे प्रति लखी. प्र.सं./५९५ परि./४६६२ उपधानविधि-मालारोपणविधि ले.सं. १७९५; हाथकागळ पत्र १२; २४.५४१०.९ से.मि. पत्तननगर (पाटण)मां पं. कुशळविजये प्रति लखी. प्र.सं./५९६ परि./४१९५ उपधानविधि-मालारोपणविधि-व्रतोच्चारणविधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २३.५४९.९ से मि. प्र.सं./५९७ परि./६३२३ Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ तपावली ले.सं. १८८७; हाथकागळ पत्र ४; २६११.४ से. मि.. प्र.सं./५९८ तपावली ले. सं १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २५.५x१०.४ सेमि. प्र.सं./५९९ प्र.सं./६०० आचारविधि-व्रतविधि तपावलीविधि ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २१, २५.७४११.३ से मि. परि. / ८३३० परि. / ६७२८ पौषधविधि ले. सं. १९२३; हाथकागळ पत्र ३ ३६-१४१३.५ से.मि. प्र.सं./६०१ परि./१५ १ - पौषधग्रहण करवानो विधि ( श्रावक-श्राविका माटे ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.), हाथ कागळ पत्र ३थी ४; २५-७४११.५ से.मि. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्रतिमां प्राकृत अने गुजराती भाषा छे. परि. / ७०३२ प्र.सं./६०२ परि./२२२८/५ २ - पौषध पाळवानो विधि ( श्रावक-श्राविका माटे ) ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५ २३.५x१० से.मि. प्र.सं./६०३ परि./५२०३/५ बारतपनुं स्वरूप ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ८ २५-५४११ से.मि. प्र. सं / ६०४ परि. / ३४६० बारव्रत आलोचना विधि ले.सं. १६८७; हाथकागळ पत्र ४; २६०५४११.५ से.मि. लिपिकार ऋषि तुलसीदास. प्र.सं./६०९ प्र.सं./६०५ बारव्रत उच्चारण विधि ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; १२.४ से.मि. प्रसं / ६०६ परि. / १०२२ बारव्रत नियम लेवानी नांध ले.स. २० शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ७; २६.५४ १२.३ से.मि. प्र.सं./६०७ परि / ३३१ १ - बारव्रतनीटीप ले.सं. १९१३; हाथकागळ पत्र २१, २७०५X१२.५ से.मि. पालीताणा मां कुंतासर पासे रद्देता श्रावक जीवराजे लखेली प्रति झवेरवाईए प्राप्त करी. परि./२२० परि / ७४५२ २६.१x प्र.सं./६०८ २ - बारव्रतनी टीप ले.सं. १९१४; हाथकागळ पत्र १७; २६.४४१२.४ से.मि. वडोदरामां पांजरापोळमां पानाचंद जीवराम भोजके, श्राविका उजमबाई माटे प्रति लखी. परि ८७४ Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-व्रतविधि बारव्रतनी टीप ले सं. १८७७; हाथकागळ पत्र ७ २१४८. २ से.मि. लिपिकार पं. रंगविजयगणि. प्र.स ं./६१० परि. / ६६८१ मालारोपण विधि ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५०२४१२.१ से भि. परि./२०३८ प्र.सं./६११ योगविधि ले.स. १६मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ३ २५०५४१०.५ से.भि. संस्कृत, प्राकृत अने गुजराती भाषांमां कृति रचाई. प्र. सं / ६१२ योगविधि ले.स. १७मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र कृतिनी भाषा संस्कृत, प्राकृत अने गुजराती छे. परि. / ३७९३ २ थी १६; २५.३१००३ से. मि. -- प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./६१३ परि. / ३८२० योगविधि ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ २५०५४१०.५ से.मि. प्र.सं./६१४ परि. / ४४६३ योगविधि ले.स. १९ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ४ २६ ११.५ से.मि. प्र.सं./६१५ ७५ परि./३५०८ योगोपधानविधि ले.स. १७ मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ९; २७-७१०-८ से.मि. परि./ ७२७३ प्र.सं./ ६१६ वीसस्थानक प्रविधि ले सं. १९३१; हाथ कागळ पत्र ४९; २४.२४११.५ से.मि. लखनौमां जिनकल्याणसूरिनी मददथी प्रति लखाई छे. प्र.सं./६१७ परि./२१६७ सिद्धचक्र आराधन विधि - उजमणा विधि - सिद्वचक मंडलालेखनविधि ले.सं. १८९०; हाथकागळ पत्र ४; २५४१२०७ से.मि. वडलुमां प्रति लखेली छे. परि. / ४७२ प्रसं / ६१८ सिद्वचक्र उद्यापन विधि-यंत्र सह ले.सं. १५०८; हाथकागळ पत्र १: २५०२x१००७ से.मि. श्राविका देमति माटे श्रुतवीरगणिए प्रति लखी. प्र. सं. / ६१९ परि./१७५७ सिद्धचक्र तप उजमणानो विधि ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ ४ मुं; २६.२४११०४ से.मि. कृति संपूर्ण मळे छे परंतु प्रतिनां पत्रो १ थी १३ नथी. प्र.सं./ ६२० परि./५६६६/१ पौषधना भांगा ले . सं. १७७१; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६-३ ११०७ से मि. प्र.सं./६२१ परि. / ३३४७/२ Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-पूजादिविधि श्रावक व्रतना भांगा ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.३४ ११.३ से.मि. प्रसं./६२२ परि./४५६९/१ श्रावक व्रतना भांगा-देवकालिकायंत्र ले.स. १८मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.३४११.२ से.मि. प्र.सं./६२३ परि./४५६९/२ अष्टप्रकार पूजा ले.स. १८७४; हाथकागळ पत्र लं; २६.५४११ से मि.-गाथा ९. कृतिनी भाषा संस्कृत अने गुजराती बंने छे. रहीपुरमां पं. नगविजयगणिए प्रति लखी. प्रसं./६२४ परि./३२९९/१ अष्टप्रकार पूजा ले.सं. १८७४; हाथकागळ पत्र १लु'; २६.५४११ से.मि.-गाथा १०. रहीपुरमां पं. नगबिजयगणिभे प्रति लखी. प्र.सं./६२५ परि./३२९९/४ १-अष्टोत्तरी स्नात्रविधि ले.सं. १६७४; हाथकागळ पत्र ३, २४.८४१८.३ से.मि. सुरतमां उपा. रत्नचंद्रगणिमे देवचंद्रगणि माटे प्रति लखी. प्र.सं./६२६ परि./४२३३ २–अष्टोत्तरी स्नात्रविधि ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५, २५.४४ ११.२ से.मि. प्र.सं./६२७ परि./४२९५ अष्टोत्तरी स्नात्रविधि ले.सं. १८८९: हाथकागळ पत्र २९; २५४२२ से.मि. रचना संस्कृत अने गुजराती बने भाषामां छे. श्री जिनकुशलसुरिती कृपाथी गिरजापुरमा प्रति लखाई. प्र.सं./६२८ परि./२५०९ अष्टोत्तरी स्नात्रविधि ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५४१० से.मि. प्रति अतिजीर्ण छे. प्र सं./६२९ परि /५४९४/१ . स्नात्रपंचाशिका-बालावबोघ ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २५.५४ ११.५ से.मि. अपूर्ण. शुभशीलगणिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं./६३० परि./५८९७ आरात्रिक (स्नात्रविधि) ले.सं. १८४२; हाथकागळ पत्र ४थु; २४.५४१ ०.५ से.मि. गाथा ४ - लिपिकार बहादुर. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६३१ परि./५२७४/४ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-पूजादिविधि प्र.सं./६३२ पार्श्वनाथपूजा (जयमाला) ले.सं. १८७४; हाथका गळ पत्र १; २६.५x११ से.मि. पद्य ८ रचना संस्कृत - गुजराती बन्ने भाषामां छे. रहीपुरमां पं. नगविजयगणिले प्रति लखी. परि / ३२९९ / २ पूजा प्रकरण - स्तबक ले स. १९३१; हाथकागळ पत्र ७ २७-३४११.७ से.मि. गाथा ५७. ग्रंथाग्र १८०. मूळ रचना संस्कृतमां छे. गाम मुंडेवाजीमां मुनि सौभाग्यविजये प्रति लखी. प्र.सं./६३३ परि./४०७ मंगल प्रदीप ( स्नात्रविधि) ले. सं. १८४२ ; हाथकागळ पत्र ४थुं; २४.५×१०.५ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./६३४ बहादुरे रतनचंद माटे प्रति लखी प्रति जीर्ण छे. वीशस्थानक पूजा र.सं. १८०१; ले. सं. १८७०; हाथकागळ पत्र ७; सुरतमां लिपिकार खुशालचंद जीवराज शाहे प्रति लखी. प्र.स ं./६३५ परि./६३९३ वीशस्थानक विधान- सोलका रणनामांतर ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १; २५४१०.७ से.मि. प्र.सं./६३७ ७७ प्र.स ं./६३६ सत्तरभेदी पूजा ले.सं. १८७९; हाथकागळ पत्र १७, २४.३९११.१ से.मि. सुभटपुरमा मानसिंहजीना राज्यकाळमां पं. हेमविजये प्रति लखी. परि./५२७४/५ २३-५४१०.५ से.सि. परि./१२३९ स्नात्रपंचाशिका - बालावबोध ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ ; २५.७४ ११.५ से.मि. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./६३८ परि. / ४२५९ स्नात्रपूजाविधि ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४•९×११•३ से.मि. परि./५०६३/४ परि. / ३४४३/२ प्र.सं./६३९ स्नात्रपूजा -- स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६.५४११.१ से.मि. देपाल वगेरेनी रचेली मूळ रचनाओ प्राकृत अने अपभ्रंशमां छे प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६४० परि./१५८९ प्रतिष्ठादि विधि संग्रह ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६थी १६ : २४.५× ११.८ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.सं./६४१ परि./२७१२ Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-प्रतिष्ठादिविधि प्रतिष्ठा लघुविधि ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.५४११ से.मि. प्र.स./६४२ परि./६७७६ प्रतिष्ठाविधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ८; २५४१० से.मि. प्र.सं./६४३ परि./५४९४/२ प्रतिष्ठाविधि ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २थी २४; २८x१३ से.मि. ग्रंथाग्र ८२०. तूटक, प्रथम पत्र नथी. प्र.सं.६४४ _परि./२९८ जलयात्राविधि ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७४१३ से.मि. पं. कांतिविजयजीना कहेबाथी देवविजयजी अने हीरविजयजीओ अहमदनगरमां प्रति लखो. प्र.स./६४५ परि./२३१ जिनप्रतिमा प्रवेशविधि ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४१० से.मि. परि./३७८० जिनबिंबप्रवेशविधि ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; २६.६४११.५ से.मि. रचना संस्कृत अने गुजराती भाषामां छे, प्र.स./६४७ परि./६५१ जिनबिंबप्रवेश तथा जलयात्रा विधि ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २४.५४११.५ से.मि. प्र.स./६४८ परि/२५१३ नवीन प्रासाद नवीन बिंब कारापण विधि ले.स. १८५४; हाथकागळ पत्र ४, २४.५४ ११.४ से.मि. पालणपुरमा प. रूपचंद्र माटे हर्षविजये प्रति लखी. प्र.स./६४९ परि./५४९३ दिक्षा विधि ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.५४११.९ से.मि. रचना संस्कृत, प्राकृत अने गुजरातीमां छे. प्र.स./६५० __ परि./६५६ स्थापनाचार्य कल्प-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३; २७.१४१२.७ मे.मि, मूळ कल्प संस्कृतमा छे. प्र.स./६५१ परि./७४८१/१ स्थापनाचार्य विधि-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३; २६४१२.६ से मि. मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.स./६५२ परि./७४७९ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारविधि-प्रकीर्ण ७९ प्र.सं./६५५ परि स्थापनाचार्य विशेष विधि-स्तबक ले स, २०, शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु.. मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे.. प्र.स./६५३ परि/७४८१/२ काक पिंडदान विधि (हिंदु) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २२.७४८.५ से.मि. महदंशे राजस्थानी भाषानी असरवाळी रचना छे. प्रति जीर्ण छे.. प्र.स./६५४ परि ६५४१ जैन विवाह विधि ले.स. १९.९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३थी ५०; २३.३४१२.४ से.मि. तूटक. रचना प्राकृत अने गुजराती भाषामां छे. प्रति कागळनी ओक बाजु उपर लखेली छे. पत्रो १, २ अने २८ नथी. २५# पत्र फाटेलं छे अने ४४मु बेवडायुं छे.. परि./५०४ महावीर दसोडाणाधिकार (जन्मना दसमा वासानेा आचार ) ले स. १९मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३; २५.२४१०.२ से.मि. प्र.सं./६५६ परि./७५४१/२ लग्नविधि (वैदिक) ले.स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ०; २५.३४११ से.मि. प्र.स./६५७ परि./६८३५ साधु काळधर्म पाम्यानी विधि ले.स. १९५०; हाथकागळ पत्र ३; २६.५४११.५ से मि. राजनगर (अमदावादमा)मां पाटणना गीरधरलाल हेमचंद भोजके प्रति लखी. प्र.स/६५८ परि./३३०३ साधु निर्वाण विधि ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७४११.७ से मि. प्र.स./६५९ परि./७२६४ . सूतक विचार ले.स, २०# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; २५.२४११.२ से.मि. प्र.स./६६० परि.१६८०१/२ आचारोपदेश कमलसंयम (ख.) - . सिद्धातसारोद्धाररूप सम्यक्त्वोल्लास-टिप्पनक ले.स. १५०८; हाथकागळ पत्र १थी १७; २६४११ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना जिनसागरसूरिना शिष्य छे. समय वि.स. १६मा शतकनो छे. (जै. सा. इति. पृ. ५०२, फकरो ७३०; पृ. ५१७, फकरो ७५६, अने प्र.स. पृ. ७२. प्र. २६७). प्र.स./६६१. परि /२१०४/२ Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश कुशलसंयम (त.) संवेगिचउशाल (संवेगममंजरी) ले.स. १८९ शतक, हाथकागळ पत्र ९मुंः २५.५४१०.३ से.मि. गाथा २२, तूटक. कर्ता-तपगच्छना कुलधीरना शिष्य छे. समय वि.स. १६मा शतकनो छे. (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. ५६३ ). प्रति वि.स. १७८४ मां खरीदी छे, जीर्ण छे अने पत्रो १थी ८ नथी. प्र.स./६६२ परि./३७८५ केसरसागर गणि (त) १-उपदेशमाला-स्तबक ले.स. १७२१; हाथकागळ पत्र २३, २५.२४११.३ से.मि. गाथा ५४४. कर्ता-तपगच्छना उत्तमसागरना शिष्य छे. धर्मदास गणिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. आगरा नगरमां मुनि हेतुसागरे प्रति उतारी. प्र.स./६६३ परि./६३७५ २-उपदेशमाला-स्तबक ले.स. १९४७: हाथकागळ पत्र २० थी १२६; २५.२४११.३ से.मि. गाथा ५४४. तूटक, अपूर्ण. __अमदावादमां बावा रामगरजी बालगरजीमे प्रति लखी. पत्रो १ थी १९ अने ३० थी ३८ नथी. प्र.सं./६६४ परि./७८३२ जयसोम (यशःसोमशिष्य.) षष्टिशतकप्रकरण-बालावबोध र.स, तथा ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र २८; २६.८४११.३ से.मि. ___कर्ता-तपगच्छना छे. प्रतिमा मात्र यशःसोमशिष्य आपेलुं छे. परन्तु जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १६२६मां आ ज कर्तानी आ ज रचना नेांधायेली छे. अ ज पुस्तक ओमनी वि.सं. १७०३नी कृति बार भावनावेली पण पृ. ११८२ नेांधायेली छे. नेमिचंद भंडारीनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. मसुदानगरमां लखायेली कर्ताना स्वहस्ताक्षरनी प्रति छे. प्र.स./६६५ परि./७९१६ जयंत दीपकमाई ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४८ थी ५१; २४४९.९ से.मि. गाथा ६४. परि./८६०१/५४ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश १ - संबोध सप्ततिका प्रकरण - स्तबक २.सं. १७२३ ले.स. १९मुं शतक: हाथकागल पत्र ३१; २८-३×१२.२ से.मि. रत्नशेखरसूरिनी मूळ कृति प्राकृतमां छे. पाटणनां प्रति लखनार बारोट ताराचंद केवळ. प. ७०४ प्र.स ं./६६७ २ - संबोध सप्ततिका प्रकरण- स्तबक, र.सं. १७२३ ले . स . १९५४ हाथ कागळ पत्र ४७; २८.८४११.३ से.मि. गाथा १२४. सरसपुरमा प्रति लखनार जेठालाल कानजी. प्र.सं./६६८ परि./६६० ३ - संबोध सप्ततिका प्रकरण - स्तबक र.सं. १७२३ ले. सं. १८२० : हाथकामळ पत्र २४ : २५.३४११०३ से. मि. गाथा १२४. ग्रंथाग्र १४००. सुरतमां प. अमरसागरे प्रति लखी परि./२५६४ प्र.सं./६६९ ४ – संबोध सप्ततिका - स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); ह (थकागळ पत्र २४ : २६.१× ११.७ से मि. गाथा १२४. ग्रंथाग्र १०००. परि / ४१२४ प्र.सं./६७० जिनसमुद्रसूरि (ख) १ – मनोरथमाला ले.स. १८ मुं शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ४५; - ग्रंथाग्र १८०० कर्ता - खरतर गच्छ ( वेगड )ना जिनचंद्रसूरिना प्रशिष्य अने अभयदेवसूरिना शिष्य छे समय वि.स ं. १८मा शतकनो (जै. गू क, भा. ३. खं. २, पृ. १२२६). प्र.सं./६७१ २ - मनोरथमाला ले. स. १८ मुं शतक ( अन ); हाथकागळ पत्र ९; अपूर्ण प्रसं / ६७२ प्र.स ं./६७३ ८१ २ - भर्तृहरि वैराग्यशतक - बालावबोध शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र २थी १६ प्रथम पत्र नथी परि./५१०३ ३५ १ - भर्तृहरी वैराग्यशतक - बालाबबोध (२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र अने २७६ २५.४४१०.२ मि. (१) श्लोक २१ सुधी. (२) २५थी संपूर्ण भर्तृहरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. कोई कोई पत्रो शाहीना डाघावाळां छे.दळदार होवाथी प्रति बे भागमां छे. — ग्रंथ प्र.सं./६७४ ११ २३४९-७ से.मि. अथवा परि /६६४१ २३.२x९.८ से.मि. ५९६१ (२) परि./५९६० (१) सर्वार्थसिद्धि मणिमाला ' २५x१०.६ से.मि. श्लोक २२-२४ तूटक . स. १८ परि. / २६०८ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ आचारोपदेश दीपविजय (त.) आत्मचित्तवृत्तिपत्रिका ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र २जु; २१.८४११.८ से.मि. गाथा ४. कर्ता-तपगच्छना प्रेमविजय अने रत्नविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १९मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १९९ थी २०८). कर्ताना स्वहस्ताक्षरनी प्रति छे. आ पत्रिका पं. वीरविजयगणिने मोकलवामां आवी हती. प्र.सं./६७५ परि./५२३/२ देवचंद्र (ख) अध्यात्मगीता-बालावबोध ले.स. १९०६: हाथकागळ पत्र ४० २५.५४११.७ से.मि. ग्रंथाग्र १३५०. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंदसूरिनी परंपरामा दीपचंद्रना शिष्य छे समय वि.स १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ १४१७) रचना लींबडीमां थई छे बालावबोधनी रचना पालीनगरमां. श्राविका लाडुबाई माटे अमीकुंवरे (कुंवरविजये) वि.स. १८८२मां रच्यो. प्रसं/६७६ परि./७५२३ नरपति कवि स्नेहपरिक्रम-निःस्नेहपरिक्रम ले.स. १८मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २०.३४११.३ से.मि. गाथा ९३ + ६५ कर्ता जेनेतर छे. समय वि.स. १६मी सदीनो छे. ( जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ५१४) लिपिकार मुनि गुणीयल. प्र.स./६७७ परि./२७५४/२ मेरुसुंदरगणि (ख.) पंचनिग्रंथी प्रकरण-बालावबोध ले.स. १८९ शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ११; २५.५४१०.५ से.मि. ग्रंथाग्र ५००. ____ कर्ता-खरतरगच्छीय रत्नमूर्तिवाचकना शिष्य छे. समय वि.स. १६मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १५८२). ___ अभयदेवसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं./६७८ परि./५६०१ १-पुष्पमाला बालावबोध ले.स. १७९१; हाथकागळ पत्र १४८: २६.२४११.५ से.मि. गाथा ५०५. मलधारी हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. धुनातटे नायके प्रति लखी. प्र.स./६७९ परि./१८५४ २-पुष्पमाला प्रकरण-बालावबोध ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२० थी १६३; २५.९४१०.९ से.मि. तूटक. पत्रो १२१ थी १२९, १३८ थी १४९, १५४ नथी. प्र.सं./६८८ परि./३८१३ Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश १-शीलोपदेशमाला-बालावबोध र.स. १५२५, ले.स. १८२५; हाथकागळ पत्र २१२; २५.३४११.२ से.मि. गाथा ११५. बालावबोध मांडवगढमां रचायो. र.स. अने रचना स्थळ जै. गू. क. भा. ३. खं. २, पृ. १५८३मां आपेल छे. जयकीर्तिसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. पाटणमां पं. ललितविजये प्रति उतारी. प्र.स./६८१ परि./२३३४ २-शीलोपदेशमाला-बालावबोध ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६.७४११.२ से.मि. गाथा ११५. प्र.स./६८२ परि./१५५७ ३-शीलोपदेशमाला-बालावबोध ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १३८; २५.६४१०.८ से.मि. प्र.स./६८३ परि./५५४७ ४-शीलोपदेशमाला-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थो २०९; २६.ix१०.९ से.मि. ग्रंथाग्र ६५००. तूटक. . प्रथम पत्र नथी. प्र.स./६८४ परि./५९९३ ५-शीलोपदेशमाला-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७३; २५.७४११.५ से.मि. तूटक. पत्र १ थी ३८ नथी. प्र स./६८५ परि./३१६५ ६-शोलोपदेशमाला-बालावबोध ले.स. १५६८; हाथकागळ पत्र १२६; २५.८४१०.८ से.मि. तूटक. पद्मसागरसूरिए प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्रस.६८६ परि./३८०४ शोलोपदेशमाला-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५.८४१२ से मि, ग्रंथाग्र ३२२. जयवल्लभनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. (आगळनी छये कृतिना कर्ता अने आ बंने भिन्न व्यक्तिओ छे) प्र सं./६८७ परि./६८४७ षष्टिशतक प्रकरण-बालावबोध ले.स. १५२७: हाथकागळ पत्र १८; २६.१४१०.९ से मि. गाथा १६१ ___मंडपडूर्गमां प्रति लखाई छे. प्रस./६८८ परि./३६५९ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश यशोविजय (त.) ज्ञानसार अष्टक-बालावबोध ले.स. १७६२; हाथकागळ पत्र ३१, २६४११. से.मि. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां नयविजयना शिष्य छे. समय वि सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गु. क. भा. ३, खं. २, पृ ११११ अने १६२६) . मूळ ग्रंथ संस्कृत छे. स्वोपज्ञ टीका छे. प्र स/६८९ परि./३७२५ १- पंचनिग्रंथी प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र २१%3; २६.५४१२ से भि. - गाथा १०७, ग्रंथाग्र ५१५. लिपिकार ५ रूपविजय. प्रस/६९० परि./१५८५ २ -पंचनिग्रॅथी प्रकरण-स्तबक ले स 1८८० हाथकागळ पत्र १७:२७.६४११.८ से मि. ग्रंथाग्र ५०६. ___ जगाणा मूकामे प्रति लखनार गौरजी राघवजी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/६९१ परि/.१५२९ ३- पंचनिग्रंथी. प्रकरण-स्तबक ले.स. १९५५; हाथकागळ पत्र २१; २७.२४१२.९ से.मि. गाथा १०८. ग्रंथाग्र ५००. प्र.स./६९२ परि./४१७ ४---पंचनिग्रंथी प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २६.७x १३ से.मि. गाथा १०८. . स्तबककारनुं नाम आपेलु नथी. परंतु मंगळाचरणमां नयविजयने नमस्कार कर्या छे अने यशोविजयनी कृति जोडे आदि, मध्य अने अंत मळता आवे छे. प्र.स./६९३ परि./७८८९ ५-पंचनिग्रंथी प्रकरण-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८, २६.८x १२.५ से.मि. गाथा १०७, ग्रंथाग्र ५१५. स्तबककारनुं नाम आ पेलु नथी. परंतु यशोविजयना अन्य स्तबको जोडे मळतु आवे छे. प्र.स./६९४ परि./७४८७ रत्नचंद्रगणि (त.) १- सम्यक्त्व सप्ततिका प्रकरण-बालावबोध र.स. १६७६, ले स. १८१८; हाथकागळ पत्र ३५७, २५.९४११.५ से.मि. कर्ता-तपगच्छना शांतिसूरि उपा.ना शिष्य छे समय वि.स. १८मी सदीनो छे. ( जै. गू क. भा. ३, खं. २, पृ. १६०५). मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. स्तंभतीर्थ (खंभात)मां पं. मोहनविजये प्रति लखी स्तबक सुरतमां रचायु. प्र.स/६९५ परि./२३११ Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश २ – सम्यक्त्वसप्ततिका प्रकरण-बालावबोध २.सं. १६७६; ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६२; २६११.३ से.मि. त्रिपाठ पत्र ३५ त्रणवार आवे छे. ३४ अने ३५ ( नुं त्रीजुं पत्र ) नवां लखेलां छे प्र. स. / ६९६ परि./५५०१ बालावबोध-- बीजक ३ – सम्यक्त्व सप्ततिका प्रकरण अथवा सम्यक्त्व रत्नाख्यान ले स. १७८८; हाथकागळ पत्र १६०; २६११-२ से.मि. ग्रंथाग्र ५८५२, त्रिपाठ. पाटणमां प्रति लखनार संघवी फत्तेचंद सूरसंघ. परि / ४६२७ प्र.सं./६९७ रत्न रंगोपाध्याय २ - शीलरूपकमालिका - बालावबोध र.सं. तथा ले.सं. १५८२; २६.३४१०.८ से.मि. गाथा १०९. तूटक. रामविजय कर्ता के कृति जै. गू. क. के जै. सा. इति मां नांवायेलां नथी. पुण्यनंदिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे पत्रो अने ११थी १४ नथी परि / ६८६२ प्र.सं./६९८ २ - शीलरूपकमाला - बालावबोध - र. सं १५८२. ले.स. ७मुं शतक अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५४१०.५ से.मि. प्र. स. / ६९९ परि. / ४३३० शीलरूपकमाला बालावबोध - २.सं. १५०२. ले. स. १७ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५x१०.५ से.मि. प्रति जीर्ण छे. परि./४३३० प्र.सं./७०० १ – दानकल्पद्रुम स्तबक — र. सं. २५.७९११.७ से.मि. पल्लव ९. लखाई. १८३३; ले सं. कर्तानो गच्छ मळतो नथी. विजयधर्मना शिष्य छे मूळना कर्ता जिनकीर्तिसूरिए संस्कृतमां ग्रंथ वि.सं. प्र.स ं./७०३ ३ - दानकल्पद्रुम - (धन्यशालिभद्र चरित्र ) - स्तबक २५.५४१२ से.मि. पाटणमां मुनि जिनविजये प्रति लखी. ८५ हाथकागळ पत्र १५; प्र.सं./७०१ परि./९९९ २ - दानकल्पद्रुम - स्तबक २.सं. १८३३, ले.स. १९मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १२५; २५-९×१० ९ से.मि. अपूर्ण. प्र. स. /७०२ १८६०; हाथकागळ पत्र ११५; समय वि.नी १९मी सदीनो छे. १८३०मां रच्यो प्रति पाटणमां ले. सं. १८६०; परि. / ४८४० हाथकागळ पत्र ११५; परि. / ९९९ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६ आचारोपदेश लावण्यसमय (त.) सार शिखामण ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०मुं; २०.७४१२.२ से.मि. गाथा ८. __कर्ता-तपगच्छना सोमसुंदरसूरिनी परंपरामां समयरत्नना शिष्य छे. समय-जन्म बि.सं. १५२१. वि.स. १५८९ सुधीनी रचनाओ मळे छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ६८ थी ७०). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स./७०४ परि./८११६/३ लींबो संवेग चन्द्रावला ले.स. १७४६; हाथकागळ पत्र २ थी ७; २३४१०.५ से.मि. गाथा ४९ तूटक. कर्ता श्रावक छे. समय विसं. १६मी सदीनो मानवामां आवे छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६१९). श्राविका सोनबाईए आ प्रति मेळवी. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./७०५ परि./७७१९ संवेगरस चन्द्वावला ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २४.८४१ ०.४ से.मि. गाथा ४९. - प्रस./७०६ परि./६२२९ विद्याधर बारभावना ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४१०.५ मे.मि. डाळ १२ कर्ता-श्रावक छे. समय वि.स. १६मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६४१; जै. धा. प्र. ले.स. १२५१-१२६५; जै. प्र. स. १७६. पृ. ४२मां कर्ताना कुटुंबीओनो वगेरे माहिती छे) प्र.सं./७०७ परि./४६५८ विवेकचंद्र शिखामणनो सलोको ले.स. १९१८; हाथकाराळ पत्र ११थी १२; २५.७४१२ से.मि. पद्य २६. कर्ता-तपगच्छना भानुचंद्रना शिष्य, देवचंदना गुरुभाई छे. समय वि.नां १७मा शतकनो छे. (जै गू क. भा. ३, खं. १, पृ. १०७९). भोय्यत्रामा गोरजी श्यामविजये प्रति लखी. प्र.स./७०८ परि. २२३४/१० वृद्धिविजय (त.) उपदेशमाला प्रकरण-बालावबोध ले स. १८१२: हाथकागळ पत्र १६; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ५४४. कर्ता-तपगच्छना विजयराजमरिनी परंपरामां धनहर्षना शिष्य छे. समय वि स. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १२००). धर्मदासगणिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. बालावबोध सुरतमां रचायो छे. वैडनगर (वडनगर ?)मां पं. गलालचंद्र प्रते लखी. पत्र ८२मुं डबल छे. प्र.स./७०९ परि./४२५१ Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश 19 सोमसुंदरसूरि (त.) षष्टिशतक प्रकरण-बालावबोध ले,स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९;५ २२.४७ ११ से मि. गाथा १६१. कर्ता- मूळ पालनपुरना वतनी अने वि.स. १४३०मां जन्म. तपगच्छना देवसुंदरसूरि एमने आचार्यपद आप्यु. वि.स. १४९९मा स्वर्गवास (जै. सा. इति. पृ. ४४४, फकए ६५२, पृ. ४५९, फकरो ६६६). प्र.सं./७१० परि./४६९ हंसरत्नमुनि (त.) १-अध्यात्मकल्पद्रुम-बालावबोध ले.स. १९२४; हाथकागळ पत्र ९८८ : २६.१४ से.मि. त्रिपाठ. कर्ता-ज्ञातिए मूळ पोरवाड. तपगच्छना राजविजयसूरि गच्छमां हीररत्नसूरिनी परंपर पांचमा ज्ञानरत्नसूरिना शिष्य. स्वर्गवास वि.सं. १७९८मां मीयामाममां. समय वि.स. १८म सदीनो (विशेष विगत माटे जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४५०; जै. सा. इति., पृ ६५८ फकरो ९६७). मुनिसुंदरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. राजनगर (अमदावाद)मां नागरदासे प्रति लखी. प्रस./७११ __ परि./४८२ २- अध्यात्मकल्पद्रम-बालावबोधले.सं. १८७२; हाथकागळ पत्र १२३; २६.२४११.४ से.मि. लिपिकार उत्तमराम भट्ट. प्र.स./७१२ परि./११५७ हेमप्रभसूरि विवेकमंजरी प्रकरण-वृत्ति-स्तबक ले.सं. १८५४; हाथकागळ पत्र ६३३; २८.५४१३ से.मि. कर्ता--विशालकीर्तिगणिना शिष्य छे. प्रतिने अंते प्रशस्तिमां आ नेांध छे. मुनि मोतीविजयादि त्रण लिपिकारोए आ प्रतिनी नकल चाणस्मामां करी छे. मूळ ग्रंथ प्राकृतमां पद्मदेवसूरिओ पाटणमां वि.स. १४०६मां रच्यो, देवप्रभसूरिनी वृत्ति संस्कृतमां छे. प्र.स./७१३ परि./१४० अज्ञात-कर्तृक धर्मोपदेश आराधना ले.स. १९मु शतक (अनु; हाथळकाग पत्र १२७; १४.७४६.७ से.मि. तूटक. ___ पत्रो ३, ४, ११५ थी १२० नथी. प्र.स./७१४ परि./८७३२ आदिनाथ देशनोद्धार-स्तबक ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ६; २५.४४ ११.५ से.मि. गाथा ८८. ग्रंथाग्र २५०. __ मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.स./७१५ परि./४२२० Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश ८८ इन्द्रियपराजय शतक-शब्दाथे ले.सं. १९५६; हाथकागळ पत्र १२७थी १३७; १५.२४२९ से.मि. गाथा १००. प्र.स./७१६ . परि./७९९६/१३ . उपदेश प्रासाद-प्रथम स्तंभ-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३९; २५.३४११.६ से.भि. अपूर्ण. संस्कृतमां मूळ ग्रंथ विजयलक्ष्मीसूरिनो छे. प्र.स ./७१७ परि/४३४३ उपदेश प्रासाद-दशमस्तंभ-स्तबक ले.स. २०मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ६०, २६.९४१२.८ से.मि. प्रथम पत्र फाटेलुछे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./७१८ परि./१०१९ उपदेशमाला-प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८८३; हाथ कागठ पत्र १११, २६४१३.३ से मि. गाथा ५४४. . मूळ ग्रंथ धर्मदासगणिनो छे. पं. लावण्यकुशळे प्रति लखो. लेखन स्थळना नाम उपर हरताल मारी होवाथी वंचातु नथी. प्र.सं./७१९ परि./१७ उपदेशमाला प्रकरण-अर्थ ले.स. १८मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३५; २६.१४ ११.१ से.मि. गाथा ५४४. पंचपाठ. प्र.स./७२० परि./५६५१ उपदेशमाला प्रकरण-स्तबक ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ६२, २४.४४१ से.मि. गाथा ५४ ४. प्रति खभायतबंदर (खभात)मां लखेली छे. प्र.सं./७२१ परि./६३२६ उपदेशमाला-बालावबोध ले.सं. १९४४; हाथकागळ पत्र १६९; २७.१४१३.५ से.मि. तूटक बाबा रामगरे प्रति लखी. पत्रो १४ थी १९ नथी. प्र.स./७२२ परि./७८८५ उपदेशमाला-बालावबोध ले.सं १४८६; हाथकागळ पत्र ३ थो ५३; २२.१४८.९ से.मि. गाथा ५४३. ग्रंथाग्र १५५९. तूटक. पत्रो १ अने २ नथी, प्र.सं/७२३ परि./८११० उपदेशमाला-(स्तबक ) बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९०; २७४१३ से.मि. गाथा ५४४. ग्रंथाग्र ६९३५ प्र.सं /७२४ परि./४३१ उपदेशमाला-स्तबक ले सं. १९९०; हाथकागळ पत्र ६२; २६४११.५ से.मि. गाथा ५४४ प्रसं/७२, परि./८०९० Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश उपदेशमाला - स्तबक ले.स. १६८२; गाथा ५४४. प्र.सं./७२७ प्र.सं./७२६ परि. / ६६०६ १ - उपदेशरत्न कोश - अर्थ ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३ २३-७X१०•५ मेमि. गाथा २६. परि,/६९७५ २—उपदेशरत्नकेाश - स्वबक ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ २६×११.२ से. मि. गाथा २६. प्र. सं. / ७२८ प्र. सं . / ७२९ पद्मनेिश्वरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. हाथकागळ पत्र ६१; परि./५८४७ उपदेशरत्नकोश - बालावबोध ले.सं. १७४९; हाथकागळ पत्र ३; २४.२x११.२ से.मि. गाथा २५. पोमावासमां गुणविजये प्रति उतारी. प्र.सं./७३० परि./८२९० उपदेशरत्नकोश - स्तबक ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ २४०८x११ से. मि. गाथा २६. उपदेशरत्नकोश - शब्दार्थ १५.२४२९ से.मि. गाथा २५. प्र.सं./७३२ परि./२९५१ उपदेशरत्नकोश- बालावबोध ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ३; २६०२४११ से.मि गाथा २६. प्र.सं./७३१ २४.४४११ से.मि. ले. स. २० शतक (अनु. ); ८९ ऋषि खेमाए प्रति लखी. उपदेशरत्नकोश - स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ४ ; से. मि. गाथा २६. परि./१८४१ हाथकागल पत्र ५६ थी ५९; * परि./७९९६/११ २४.५X१०.५ प्र.सं./७३३ परि./५९३२ चिंतामणि प्रबोध ले सं. १७४३; हाथकागळ पत्र ५थी १३; २४.२x१००४ से.मि. तूटक. धोळकामां विनयशीलगणिओ प्रति लखी पत्रो १ थी ४ नथी. परि./६४७५ प्र सं . / ७३४ चितामणि प्रबोध ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ २५x१०.२ से.मि. प्र.मं / ७३५ परि. / ५८८० १२ Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश पंचनिग्रंथी प्रकरण-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १९; २४.४४११.२ से.मि. ग्रंथाग्र ४७२. प्र.स./७३६ परि./५९७१ परिग्रह परिमाण टीप ले.सं. १५७६; हाथकागळ पत्र १५६९; २८४११ से.मि प्रति गुटकाकार छे. प्र.स./७३७ परि./८४६०/८८ पुष्पमाला प्रकरण-बालावबोध ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३; २६४११.२ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./७३८ परि/६२२२ १-भवभावना प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुं शतक ( अनु.): हाथकागळ पत्र ६६. २७x1१ से.मि. गाथा ५३१ ग्रंथान १७००. मलधारी हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./७३९ परि ३६४६ .. २-भवभावना प्रकरण- स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५५, २६.५४११.३ से.मि. गाथा ५३१. पत्र ३६मु डबल छे. प्र.सं./७४० परि/५२२३ भवभावना प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८३५; हाथकागळ पत्र ९१; २५.७४१२ से.मि. गाथा ५३१. मूळ रचना प्राकृतमा छे. लांघणजमां मनहर विजयगणिले प्रति लखी. प्र.सं./७४१ परि./१८१७ रत्नसंचय प्रकरण-स्तबक ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र ५२; २६.५४११.७ से.मि. ग्रंथाग्र ५४४. मूल ग्रंथ प्राकृतमां छे. वागडदेशमां आडीसरमा नीत्यचंद्रगणि> जयचंदगणिना शिष्य प्रीतिचंद्रगणिजे चेला जिनचंद्र माटे प्रति लखी. प्र.सं./७४२ परि./११५६ रत्नसंचय-प्रकरण-स्तबक ले.स. १७८७; हाथकागळ पत्र ३४; २३.७४११.५ से.मि. मूळ गाथा ५४६. प्रमोदे प्रति लखी. प्र.सं./७४३ परि./२७२७ विवेकमंजरी प्रकरण-बालावबोध र.सं. १२४८; ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २०; २९.३४११.३ से.मि. गाथा १४५. आसडनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./७४४ परि./१४८०/१ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश ९१ १-विवेकविलास-बालावबोध ले.सं १६७२; हाथकागळ पत्र ७५; २६.८४११.९ से.मि. ग्रंथान ३५४०. जावाल (जाबालपुर)ना भानुउदयसिंह (?)ना कोषाध्यक्ष देवपालना पुत्र धनपाल माटे जिनदत्तसूरिओ मूळ कृति संस्कृतमां रची. शाह मेवजीओ नांध ग्रामे प्रति लखी. प्रसं./७४५ परि.३६४२ २-विवेकविलास--बालावबोध-ले.स १७मुं शतक ( अनु. ); हाथकागल पत्र ८४: २६.१४११ से मि. तूटक. धुलियामां हीरविजये प्रति लखी. पत्रो ६५ थी ६७ नथी. प्रथम अने अंतिम पत्रो नवां लखेलां छे. २'मुं बेवडायुं छे. प्र.सं/७४६ परि./८८६० विवेकविलास-बालावबोघ ले.सं. १६६९; हाथकागळ पत्र ४०; २८.४४१२ से.मि. सत्यपुरमा प्रति लखनार चेला हीरजी. प्र.सं./७४७ परि./८९०२ विवेकविलास-बालावबोध ले.स. १८९ शतक. (अनु.); हाथकागळ पत्र ९६; २५.६४ १०.९ से.मि. प्र.सं./८४८ परि /५६५४ शिक्षा ले स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२ थी २६; २१.२४६.९ से मि. पद्य ८१. प्र.स./७४९ परि./८४८०/२ १-षष्टिशत प्रकरण-स्तबक ले.स. १६# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २५.२४१०.७ से.मि. गाथा १६१, मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे अने तेना कर्ता नेमिचंद्र भंडारी छे. प्र.स/७५० परि./२६०६ २-षष्टिशत प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५.९४ १०.८ से.मि. गाथा ६१. प्र.स/७५१ परि./५७८९ षष्टिशत प्रकरण-बालावबोध ले.स. १५२२; हाथकागळ पत्र ४१; २६.१४१०.९ से मि. ग्रंथाग्र १०९६. मंडपर्गमां प्राग्वाट सोनी वाघाना पुत्र वणराजने माटे राउलगदी प्रति लखी. प्र.सं./७५२ परि./५४३५ श्राद्ध दिनकृत्य-टिप्पणी ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २५.९४ १०.८ से.मि. . देवेन्द्रसूरिनी मूळ कृति प्राकृतमां छे. प्रसं./७५३ परि./६०१७ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ आचारोपदेश श्रावकना तीन (त्रण) मनोरथ ले.स. १९ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २६-३१२-१ से.मि. प्र. सं / ७५४ परि./७८३७/११ १ - संबोध सप्ततिका प्रकरण स्तबक ले.सं. १८९४; हाथकागळ पत्र २९; २६०२४१२-७ से. मि. ग्रंथाग्र ९०८. रत्नशेखरसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्रति विक्रमपुरमा लखायेली छे. प्र.सं./७५५ परि./७३५२ २ – संबोध सप्ततिका प्रकरण - स्तबक ले. सं. १९२४; हाथकागळ पत्र २९; २६९११.६ से. मि. ग्रंथास ९०८. डांडीगरापोलमा प्रति लखनार नागरदा लहिया. प्र.सं./७५६ संबोध सप्ततिका प्रकरण- स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथ कागळ २६-८x२२.८ से.मि. गाथा १२४. बेवडायुं छे. पत्र १९ प्र.सं./७५७ परि. / ४२० संबोध सप्ततिका प्रकरण - स्तबक ले. सं. १९३६; हाथकागळ पत्र २१; २६.८४१२.५ से.मि. गाथा १२४. ग्रंथाग्र १०००. वडनगरमा प्रति लखनार ठाकोर गोविंदराम प्र.सं./७५८ परि. / ४१५ संबोध सप्ततिका प्रकरण - बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी १४ २५४७१०.८ से. मि. ग्रंथाग्र ३७४. तूटक. प्रथम पत्र नथी प्रति जीर्ण छे. परि. / ७३५५ पत्र ४०; प्र.सं./७५९ संबोध संप्ततिका स्तबक ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; ११.२ से.मि. गाथा ७४. जयशेखरसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./७६० परि. / ३५९४ संबोध सप्ततिका प्रकरण - स्तबक ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ) : हाथकागळ पत्र १५; २५.१x११.१ से.मि. गाथा ८६. प्र.सं./७६२ परि. / ६०३४ २४.४X प्र.सं./७६१ परि./१२१४ संबोध सप्ततिका - बालावबोध ले.स. १८ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र २ थी ६; २५.८४११ से.मि. गाथा ८१. तूटक. प्रथम पत्र नथी. परि. /७०७३ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश-कुलक ९३ संबोध सप्ततिका - बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ८: २५.४४ १२ से.मि. गाथा ७२ सुधी अपूर्ण. प्र स ं./७६३ परि. / ७३८८ सोळकळा स्वरूप-स्तबक ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २७४१०.५ से.मि. गाथा १२५. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./७६४ गुणसारमुनि श्राद्धविधि भावना कुलक ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ २५०७१०.८ से.मि. पद्य १५. प्र.स ं./७६५ परि./५९२४ आचारोपदेशान्तर्गत-कुलक नयसुंदर (त. ) आत्मप्रतिबोध कुलक ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६; २३.७१०.४ से मि. पद्य ८३. कर्ता- -वडत पगच्छना धनरत्नसूरि> भानुमेरुगणिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २५४). आ रचना जै..गू. क.मां नांधायेली नथी. विधिपक्षगच्छना सौभाग्यरत्नसूरिना शिष्य मुनि दीपरत्ने श्राविका कपूरबाई माटे परि./६२९९ प्रति लखी, प्र.स ं./७६६ पद्मविजय (त. ) १–गौतमकुलक-बालावबोध २.सं. १८४६, ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २७३; २७-२x१३ से.मि. तूटक. कर्ता — तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां अने स्वर्गवास वि.सं. १८६२ (जैं. गू. क. ज्ञानतिलक गणिनी मूळ कृति प्राकृतमां छे. १५४; १६०, २००, २२०थी २५०, २५९, प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./७६७ परि. / ६६५ प्र.सं./७६८ परि. / १००० २–गौतमकुलक-बालावबोध २.सं. १८४६, ले.सं. १८३९ (१); हाथकागळ पत्र २थी ४८; २५.४४११.९ से.मि. तूटक. खंभातमां गंगसागरे प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. ले.स. प्रतिमां खोटो लख्यो छे. परि./१८२२ उत्तमविजयना शिष्य जन्म वि.सं. १७९२ भा. ३, खं. १, पृ. ७३थी १०० ). पत्रो — १, ९८, १२२, १२४, १२५, २६३, २७० नथी. पत्र १०२ बेवडायुं छे. Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश-कुलक विनयदेवसूरि (पा.) दशद्रष्टांत कुलक ले.स १८मुं शतद्य ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १२थी २१; २३.४४ १०.1 से.भि. कर्ता पाचंद्रसूरि गच्छना वरदराजना शिष्य. जन्म वि.सं. १५६८ (जन्मे-वैष्णव). स्वर्गवास वि.सं. १६४६. कतनुं बीजु नाम ब्रह्ममुनि पण छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. १५२). ___ माणिक्यसागरसूरिओ प्रति लखी. प्र.सं/७६९ परि./४११४/२ अज्ञात-कर्तृक अभव्य कुलक-स्तबक ले.सं. १९३५, हाथकागळ पत्र २: २७.३४१२.८ से.मि. गाथा ९. _प्रति लखनार-ठाकोर केशवलाल शिवराम. प्र.सं/७७० परि ७८९० अभव्यकुलक-स्तबक ले.स. २•मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २: २७.५४१२ से मि. गाथा ९. लिपिकार कल्याण लक्ष्मीचंददास. प्र.स/७७१ परि /७४४९ अभव्यकुलक-स्तबक ले.स. २०मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ५३मुं १५.२४२९ से.मि. प्रसं/७७२ परि./७९९६/८ अष्टभंगी कुलक-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २३.९४१०.६ से मि. पद्य १०. विजयविमल गणिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.सं./७७३ परि./६३२२/२ आत्मबोध कुलक-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०, २५.१४ ११.५ से.मि. गाथा ४३. जयशेखरसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.स./७७४ परि./४२१९ आत्संबोधकुलक-बालावबोध ले स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १६६थी १६८; १५.२४२९ से.मि. प्रतिनां पत्रो १६९ थी २०८ नथी. प्रस्तुत कृति संपूर्ण छे. प्र.सं./७७५ परि./७९९६/१५ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश-कुलक __ ९५ आत्मावबोध कुलक-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.६x ११.७ से.मि. गाथा ४३. तूटक. पांचमुं पत्र नथी. प्र.सं./७७६ परि./१५५४ इरियावही कुलक-स्तबक ले.स. १९मुं शतक; हाथकागळ पत्र २; २५.५४ १०.९ से.मि. गाथा १५. धर्मरत्नसूरिनुं मूळ कुलक प्राकृतमा छे. प्र.सं./७७७ परि ७०८/१ गीतार्थ पदावबोध कुलक तथा तेना पाठो. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र । २ थी ६; २५.३४१ ०.५ से मि, गाथा ३२. तूटक. प्रति जीर्ण छे. पत्र ५९ नथी. प्रसं./७७८ परि./५७८८/२ गौतम कुलक-शब्दार्थ ले स २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४० थी ४२; 1५.२४२९ से.मि, पद्य २०. मूळ कृति प्राकृतमा छे - प्र.स./७७९ परि./७९९६/६ गौतम कुलक-स्तबक ले स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.४४ ११.३ से.मि गाथा २०. बाई आधार माटे प्रति लखनार शिवराम पानाचंद ठाकोर (भोजक). प्रसं./७८० परि./७८४० गौतमकुलक-स्तबक ले.सं. १९२६; हाथकागळ पत्र ४; २७.९४११.९ से.मि. गाथा २०. अमदावादमां खेमचंद पासे बाई सिवे प्रति लखावी. प्र.स./७८१ परि./७९०४ गौतम कुलक-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७.२४१२.१ से.मि. गाथा २०. प्र.सं./७८२ परि./७४८३ गौतम कुलक-स्तबक ले.सं. १८०९; हाथकागळ पत्र १०; २५.९४११.१ से.मि. गाथा २.. करमचंदने माटे नारदीपुरमां गंगविजये प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. पत्रो ६, ७, ८ अतिजीर्ण छे प्र.सं./७८३ परि /६२०३ गौतमकुलक-स्तबक ले.स १०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.८४११.१ से.मि. गाथा २०. प्र.सं./७८४ परि./७१७६ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६ आचारोपदेश-कुलक चतुर्भंगी कुलक- स्तबक ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २३-५४ १०.७ से.मि. विजयविमलगणिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. परि. / ६५९४ चतुर्विधमिथ्यात्व कुलक- स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २, २५०६४ १०.९ से.मि. गाथा २६ त्रिपाठ. प्र. सं / ७८६ प्र.सं./७८५ परि./३२८३ दान-शील-तप-भावनाकुलक ले.सं. १८५९; हाथकागळ पत्र ८; २५४११ ६ से.मि. देवेन्द्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं./७८७ परि. / ७४०२ दान - शील- तप - भावना कुलक- स्तबक ले.सं. १६७१; हाथकागळ पत्र ८ २५.६४११ से. मि. गाथा ८१. प्र. सं. / ७८८ परि./५६५२ दान-शील-तप-भावना कुलक- शब्दार्थ. ले.स. २० मुं शतक; हाथकागळ पत्र ४२थी ५२; १५.२४२९ से.मि. पद्म ८१. प्र.सं./७८९ द्वादश भावना कुलक ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९.५×१०.५ से.मि. पद्यो - १२६. तूटक. पत्रो १थी ३ नथी. प्र.सं./७९० परि./८१६३ पुण्यकुलक- स्तबक ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २५-७४११.३ से.मि. गाथा १.०. मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. परि./५७२८/२ प्र. सं / ७९१ पुण्यकुलक- स्तबक ले. सं. १९२१; हाथकागळ पत्र ८थी १०; २६ १९१२.४ से. मि. गाथा १०. अमदावादमां खेमचंदे प्रति लखी. परि. / ७९९६/७ ४ थी १०; प्र. सं / ७९२ परि./८३९१/२ पुण्यकुलक- स्तबक ले.स. २० शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ५३थी ५४; १५-२x २९ से.मि. प्र, सं / ७९.३ परि / ७९९६/९ पुण्यपापफल कुलक- स्तबक ले.स. २०भुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७-७४१२ से मि. गाथा १६. जिनकीर्तिसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र. सं / ७९४ परि /४०४ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आचारोपदेश-कुलक पुण्यफल कुलक-स्तबक ले.स. २०९ शतक- (अनु.); हाथकागळ पत्र ५४थी ५६; १५.२४ २९ से.मि. गाथा १६. प्र.सं./७९५ परि/७९९६/१० पुण्यमहिमा कुलक ले सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ११४ थी ११५, २८x११ से.मि. ५द्यो २४. प्र.सं./७९६ परि./८४६०/६८ पुण्यसामग्री कुलक-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.१४११.१ से.नि. गाथा १०. मूळ कुलक प्राकृतमां छे. प्र.सं./७९७ परि./३९३९ प्रतिलेखना कुलक-स्तबक ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २३.६४१८.७ से.मि. गाथा २७. विजयविमलगणिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. प्र.सं./७९८ परि./६५९४/१ प्रतिलेखना (पडिलेहणा) कुलक-स्तबक (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २ अने ३जु; २३.९४१०.६ रो.मि. पद्य २७: १७. मूळ कुलक प्राकृतमां छे. प्र.सं./७९९ परि./६३२२/१ अने ३ मिथ्यात्वमथन कुलक ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २८.५४११.३ से.मि. गाथा ३२. प्र.सं /८०० परि./१८१/२ शीलोपदेशमाला कुलक-शब्दार्थ ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६१ थी १६६; १५.२४२९ से.मि. जयकीर्तिसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.सं./८०१ परि./७९९६/१४ संविज्ञ साधु सामाचारी नियम कुलक-स्तबक ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २६.१४११.१ से.मि. गाथा ४६. .......... मूळ कृति प्राकृतमां छे. प्र.स./८०२ परि./८२७५ ..:१३ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थोकडा - बोल - यन्त्र - वचनिकादि अगियार बोल ले.सं. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु. प्र.सं./८०३ आठ बोल ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३थी ४; २४ ५४१०.५ से.मि. परि./५९४५/६ प्र.सं./८०४ आठ बोल ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४: २४.५×१०.५ से.मि. प्र.सं./८०५ परि./५९४५/७ कर्मविपाकना १०० बोल ले.सं. १८१२; हाथकागळ पत्र ३; २४.५४१०.५ से मि . प्रति उत्तमविजये लखी, प्र.सं./८०६ परि. / ४७३० क्षेत्रविचारयंत्र तथा करण ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३; २५.७×१२.३ से.मि. प्रति जीर्ण छे. २४.५×१०.४ से.मि. परि./५९४५/२ प्र.सं./८०७ परि./७०४१ क्षेत्रसमास प्रकरण यंत्र ले.सं. १८०९; हाथकागळ पत्र ७२; २६४११.७ से.मि. सूर्यकुंवर माटे, अजमेरमां खरतरगच्छना पं. नयचंद्रे प्रति लखी. प्र. स./८०८ परि. / ११३४ प्र.सं./८०९ गमा विचार यंत्र ले. स. १८ मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ७ २६०२x११०९ से. मि. परि./३३१० चतुर्विंशतिजिन शतस्थान यंत्र कोष्टक आदि. ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९, २५४११ से.मि. प्र.सं./८१० परि./७०४० चतुर्विंशतिजिन - षट् विंशतिजिन स्थानकयंत्र ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ ; २६ १०.३ से.मि श्राविका जयेष्टा माटे पं. जसविजयगणिए प्रति लखी. प्र.सं./८११ परि,/७०२५ चरणसत्तरिना सत्तरि बोल ले स. १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १० मु; २४.७४ १००४ से.मि प्र.सं./८१२ परि./६८२८/२ चोविस जिन, चक्री, वासुदेव, शरीरप्रमाण- आयुनो कोठो ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ २३.७४१०.५ से.मि. परि./६४२० प्र.सं./८१३ Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थोकडा-बोल-यन्त्रादि ९९ चौदगुणस्थाननो बासठियो यंत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४ १२.५ से मि. वेदराज श्रीमलजी माटे ऋषि धीरचंद्रे प्रति लखी. प्र.स./८१४ परि./२७०२ जिन प्रतिमा आश्री एकवीस बोल ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.७४१२ से.मि. ईडरमां मुनि चंद्रविजये प्रति लखी. प्र.स./८१५ परि./८२७७ जिन प्रतिमा पूजन अंगे बोल ले.सं. १७९३; हाथकागळ पत्र ५१ थी १४; २५.३४ १०.९ से.मि. णडुलाइनगर (नाडोल)मा प्रति लखाई छ. प्र.स/८१६ परि./८५२८ तपोयंत्र ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकांगळ पत्र ४; १७.४४७.७ से.मि. प्र.स./८1७ परि./८२०८ तीर्थकरना अट्ठावन बोल ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५४१३.१ से.मि. प्र.स./८१८ परि./९९१ त्रेसठ शलाका पुरुष बोल ले.स. १६२५; हाथकागळ पत्र १९; २६४१० से मि. गजेन्द्रगणिले प्रति लखी. प्र.स./८१९ परि./५९७३ दंडक त्रीस बोलनो थोकडो ले.सं. १९६२; हाथकागळ पत्र ३०; २६४११.७ से.मि. प्र स./८२० परि./११३० दंडकना गतागतिना छूटा बोल ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ५; २७.२४11.८ से मि. ग्रंथाग्र ९१, तूटक, ___ अमदाबाद पांजरापोळमां मुनि जयसागर पासे केवळबाईए प्रति लखावी. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./८२१ परि /४०९ दंडक त्रीस द्वारना बोल ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ २०; २७४१२.५ संपूर्ण, ग्रंथाग्र ४५०. छबीलजीले प्रति लखी. प्रस./८२२ परि./८२१ दंडकना बोल विचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७; २४.८४१०.५ से.मि. । प्रति बाई राजनी मालिकीनी छे. प्र.स./८२३ परि./५८९६ Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थोकडा-बोल-यन्त्रादि दंडक विचार त्रीस बोलनो थोकडो ले.सं. १९६२; हाथकागळ पत्र २९; २६४११ से.मि. प्र.स./८२४ परि./६६९४ धारणा गति यंत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११.४ से.मि. प्रस./८२५ परि./७३७७ नवनिधान विचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३९; २५४११ से.मि. ४३९ पत्र कागळथी सांधेलु छे. प्र.स/८२६ परि./४१२९/२ पंचनिग्रंथ बोल ले स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५, २५४११ से.मि. प्र.स./८२७ परि/५८४६ पांत्रीस बोलनो थोकडो ले.स २० मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३; १९.८४१०.२ से.मि. प्र.स /८२८ परि /८१७७ भगवती सूत्र चतुर्विंशतितम शतक गमायंत्र ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १०; २७.४४१२ से.मि. प्र.स./८२९ परि./६१५ भवानंदी भावश्रावक-मार्गानुसारी लक्षण बोल ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४४१०.४ से.मि. प्र.स./८३० परि./७०२९ बालावबोध ले.स. १९# शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २६; २६.५४१२ से.मि. जुदा जुदा यंत्रो आपेलां छे. प्र.स./८३१ परि./८३८ बोल विचार संग्रह ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २३४९.५ से.मि, प्र.स./८३२ परि./७७२२ बोल विचार संग्रह ले.स. १८७५; हाथकागळ पत्र ५०; २५.३४११.९ से.मि. (पाटण पासे) पीरानानगरमां साध्वी सूर्यश्री माटे प्रति लखायेली छे. प्र.स./८३३ परि./१८०९ बोल संग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.५४१०.४ से.मि. प्र.सं./८३४ परि./५९४५/१ मौन अकादशी दोढसो कल्याणक गणणु-कोठा ले.स. १८१०; हाथकागळ पत्र २, २४४९.९ से.मि. जेसलमेरमां पं. अमृतविजये प्रति लखी. प्र.स./८३५ परि./६०५३ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थोकडा-बोल-यन्त्रादि १०१ विविध बोल संग्रह ले.स. १७९. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७, २५.५४१०.५ से.मि. प्र.स./८३६ परि./५३३८ विविध बोल संग्रह ले.स. १७५५; हाथकागळ पत्र १९; २६४११.२ से.मि. सोजीग गामे प्रति लखायेली छे. प्र.स./८३७ परि./५६६१ विविध बोल संग्रह ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६८; २७X १ २.५ से मि. तूटक. पत्रो ८ थी १३ नथी. प्र.सं./८३८ परि./७९८ विहरमान जिन कोष्टक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८ मुं; २५.५४ १०.५ से.मि. प्र.स./८३९ परि/३४०६/३ संग्रहणी प्रकरण-यंत्र ले.स. १६९०; हाथकागळ पत्र १९; २५.७४११ से.मि. तूटक. मुनि विनयरत्ने प्रति लखी. पत्रो २, ५ अने ६ नथी. प्र.सं./८४० परि./४२२४ संग्रहणी प्रकरण यंत्र ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.५४११/२ से मि. प्र.स./८४१ परि./२६०५ सिद्धांत सारोद्धार बोल संग्रह ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २४; २४.५४१ ०.५ से.मि. प्र.सं./८४२ परि./६१०९ स्थानांग सूत्रना बोल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ६; २४४१०.१ से.मि. तूटक. प्र.स./८४३ परि./६३९१/२ स्थानांग सूत्रना बोल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ऽथी २०; २४.७x १०.७ से.मि. तूटक. पत्र १थी ६ नथी. प्र.स./८४४ परि./७३७० स्थानांग सूत्र बोल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २५४११.५ से.मि. प्र.सं./८४५ परि./२५७६ स्थानांग सूत्रना बोल संग्रह ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८४; २३.८४ ९.९ से मि. द्विपाठ. ऋषि जयवंत माटे ऋषि जगमाले प्रति लखी. . प्र.सं./८४६ परि./५०९८ Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्त्वज्ञान-न्याय आणंदरुचि (मूळना कर्ता) (त.) आरापुद्गल परावर्त-सम्यक्त्व गुण स्थान वर्णन-स्तबक र.सं. १७३६; ले.स. १७४६: हाथकागळ पत्र २थी ५७; २४.५४१०.५ से.मि. तूटक. ___ कर्ता तपगच्छनां पुण्यरुचिना शिष्य छे. समय वि.स. १८मी सदीनो छे. (जै गू. क. भा. ३, खं. २. पृ. १३२८). स्तबककार अज्ञात छे. मूळ अने स्तबक बन्ने गुजराती छे. देवकपत्तनमा हमीररुचिए प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्रस.८४७ परि./६४३८ जगऋषि पंडित (त.) १-विचारमंजरी र.स. १६०३, ले.स. १६१९; हाथका गळ पत्र ६; २६४१०.९ मे.मि. गाथा १२७. ग्रंथाग्र २०४. कर्ता-तपगच्छना आणंद विमलना शिष्य छे. समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १, पृ. ६४७). कृतिनुं बीजं नाम 'दंडक विचार स्तवन' छे. प्र.स./८४८ परि./१८३८ २-विचारमंजरी र.स. १६०३, ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.८x१०.५ से.मि. गाथा १२७. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./८४९ परि./८९५९ जयसोम (त.) १-दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.३४११.६ से.मि. कर्ता-जयसोमनुं नाम प्रतिमां नथी. तपगच्छना यश:सोमना शिष्य छे. विशेष माटे (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ११८२; १६२५. जे. गू. क. भा. २, पृ. १२६). समय वि.स. १८मी सदीनो छे. गजसारमुनिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./८५० परि./३२५० . २-चोवीस दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८५६; हाथकागळ पत्र २१ थी ३५; २६४१२.१ से.मि. गाथा ४७. तूटक.. जामपुरमा पं. लालविजये प्रति लखी. पत्र २१मुं नथी. प्र.स./८५१ परि./१७८४/३ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्वज्ञान-न्याय १०३ ३-दंडक प्रकरण -स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६४११.३ से.मि. गाथा ४७. प्र.स./८५२ परि./३१३७ दर्शनविजय (त.) दंडक प्रकरण-(विचारषदर्विशिका) बालावबोध ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २५.४४१०.२ से मि. गाथा ३८. कर्ता-तपगच्छना मुनिविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. १०३८). गुरुपरंपरा प्रतिमां आपेली छे. प्र.स./८५३ परि./५८३३ देवसेनाचार्य (दि.) ___ दिगंबर नयमत लक्षण ले,स. १७९७; हाथकागळ पत्र ८थी ११; २५.७४११.६ से.मि. कर्ता दिगंबर पंथना छे. समय वि.स. ११५५नो छे. (जै. सा, इति. पृ. ३३३, फकरो ४७८; बी. प्र. ले. सं. २९). ति लखी. प्र.स./८५४ परि./३८०१/५ पार्श्वचंद्र (पासचंद) (त.) दंडक विचार स्तवन ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६.५४११ से.मि. गाथा ९१. ___कर्ता-मूळ तपगच्छना, पार्वचंद्र-गच्छना स्थापक. समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (जै. गू, क. भा. ३, खं. १, पृ. ५८६). प्र.स./८५५ परि./६८७ मेरुविजय (त.) दंडक प्रकरण-स्तबक ले.सं. १७६३; हाथकागळ पत्र १३; २६.५४११.६ से.मि. गाथा ४३. तूटक. ___कर्ता तपागच्छीय विजयगणिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (प्र.सं. पृ २१७, प्र. ७८९) प्रतिने अंते प्रशस्तिमां पण माहिती मळे छे. गजसार मुनिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. पत्तन(पाटण)मां प्रति लखायेली छे. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./८५६ परि./८६. Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .१०४ यशोविजय उ ( त.) ज्ञानसार अष्टक प्रकरण - बालावबोध ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ५८; २५.६४११.६ से. मि. कर्ता - तपगच्छना होरविजयसूरिनी परंपरामां नयविजयना शिष्य छे. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. ११११). मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. स्वोपज्ञ कृति छे. अमदावादमां प्रति लखनार ब्राह्मण पूनमचंद . प्र.सं./८५७ परि. / १७९७ सम्यक्त्व चतुष्पदी - स्तबक ले.स. १७६१ हाथकागळ पत्र २०; २५०३४१०.३ से.मि. गाथा १२४. स्तबक अमदावादमां रचायुं स्वोपज्ञ टीकावाळी कृति छे. मूळ पण गुजराती छे. परि०/४५९५ तत्त्वज्ञान- न्याय प्र.सं./८५८ यशोविजय गणि तत्त्वार्थाधिगमसूत्र - बालावबोध ले.सं. १७६१; हाथकागळ पत्र ३०; २४.८x११ से. मि. उमास्वातिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. लिपिकार मुनि सहजरत्न. परि./१२२६ प्र.सं./८६० सुखदेव (जैनेतर) प्र. सं./८५९ विनयविजय उ. (त. ) प्रथम सप्तभंगी स्वरूपवार्तिक ले.स. १७९७; हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २५.७४११.६ से.मि. कर्ता - तपपच्छना कीर्तिविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १७-१८मी सदीनां संधिकाळनो छे. रचना वि.सं. १६८४नी मळे छे. स्वर्गवास वि.स. १७३७ (जै. गू क. भा ३. खं. २, पृ. ११०३; भा. २ पृ. ४, जै, सा. इति पृ. ६४८ फकरो ९४६). भावप्रभसूरिए प्रति लखी. परि./३८०१/२ अध्यात्म प्रकाश र. सं. १७५५ ले.स. १९मुं शतक (अनु.); १६.५४१० से.मि. गाथा २३२ कर्ता जैनेतर. वि.सं. १८मी सीमां थयेला छे. भाषा राजस्थानी मिश्रित छे. समय वि.सं. हाथ कागळ पत्र १९थी ४८; प्र. सं. / ८६१ हंसराज ( ख ) द्रव्यसंग्रह - स्तबक ले.स. १७६३ हाथकागळ पत्र १२; २६११.५ से.मि. गाथा ५९. कर्ता खरतरगच्छना छे.. समय वि.सं. १७मा शतकनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १, पृ. ८०७). नेमिचंद्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे प्रति जीर्ण छे. .प्र.सं./८६२ परि. / ८६४९/२ परि./२२९९ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्त्वज्ञान-न्याय १०५ अज्ञात-कर्तृक अठावीस लब्धिनुं स्वरूप ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.७४१०.५ से.मि. विसलनगरमां प्रति लखाई. प्र.सं./८६३ परि./२९८२ ओगणत्रीसदार-बालावबोध ले.स, १९१२; हाथकागळ पत्र ११; २६४११.५ से.मि. प्र.सं.८६४ परि./७४७२ ओगणत्रीस दार-बालावबोध ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.५४ ११.८ से.मि. प्रसं./८६५ परि./७४७३ कायस्थिति प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.६४१२ से.मि. ग्रंथाग्र १२५. प्र.सं./८६६ परि./१०४३ कायस्थिति प्रकरण-स्तबक ले सं. १९४५; हाथकागळ पत्र ५, २५.३४११.३ से.मि. गाथा २४. लिपिकार बावा रामगरजी. प्र.सं./८६७ परि./१८१९ कायस्थिति स्तोत्र प्रकरण--स्तबक ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.४४११.२ से.मि. गाथा ३२. ग्रंथाग्र १२५. कुलमंडनसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. परि./५९०७ कायस्थिति स्तोत्र प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६-७४१२ से.मि. गाथा २४. प्र.स./८६९ परि./४६५ गुणस्थान मार्गणा विचार-बालावबोध ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८; २६.२४११.९ से.मि. प्र.सं./८७० परि./७४९२ चोवीस दंडक विचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.३४१०.४ से.मि. प्र.सं./८७१ परि./५४२८ चौद गुणस्थान-स्वरूप ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ७ थी ८; २६.२४ ११.४ से मि, मुनि विनयचंद्रे प्रति लखी. प्रसं/८७२ परि /५६८४/३ तेत्रीस द्वार विचार-बालावबोध ले.स. २०९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र २१; २४४११.३ से मि. प्र.सं./८७३ परि./७६०० प्र.स./८६८ १४ Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्त्वज्ञान-न्याय दंडकविचार-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८, २४.३४१ ०.५ से.मि. तूटक. . . प्र.स./८७४ परि./४३७७ दंडकप्रकरण-स्तबक ले सं. १८७३; हाथकागळ पत्र ११; २४.४४१४.१ से.मि. मूळ प्राकृत ग्रंथनु बीजु नाम विचार षट्त्रिंशिका छे अने कर्सा गजसार मुनि छे. - पं. भाग्यहंसगणिना शिष्य रूपे प्रति लखी. प्र.सं./८७५ परि /२८ दंडकप्रकरण-स्तबक ले.स. १७मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४; २५.५४११.२ से.मि. गाथा ३८ ग्रंथाग्र २०. प्र.सं./८७६ परि/३९२९ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २५.६४१ ०.३ से.मि. गाथा ३८. प्रसं/८७७ परि./८५२४ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुं शतक ( अनु.): हाथकागळ पत्र ४; २४.८४१०.८ से.मि. गाथा ३८. मूळ प्राकृत ग्रंथना लिपिकार पं. विद्याकुलगणि छे. स्तबकना लिपिकार सोमविमलसूरि छे प्र.सं./८७८ परि./६१२७ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १६९५; हाथकागळ पत्र ६; २६४11 से.मि. गाथा ३९. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.सं./८७९ परि./३११४ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १७२०, हाथकागळ पत्र ४१थी ४७; २५४११.३ से.मि. गाथा ४०. रताडीयामां मुनि जीवाओ प्रति लखी. प्र.सं./८८० परि./६३९५/२ दंडक प्रकरण-स्तबक ले स. १९मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २८.१४१२.३ से.मि. गाथा ४१. ग्रंथाग्र २५०. प्रसं./८८१. परि./.२३३ दंडक प्रकरण-स्तबक ले सं. १८५७; हाथकागळ पत्र १५, २६४१२.३ से.मि. गाथा ४३. राजनगर (अमदावाद)मां मुनि भाणचंदे प्रति लखी. प्रसं./८८२ परि./७३८१ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २२: २६.५४११.५ . ... से.मि. गाथा ४३. प्र.सं./८८३ परि./५५७३ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्त्वज्ञान-न्याय १०७ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८१८, हाथकागळ पत्र ११; २५.८४११.६ से.मि. गाथा ४५. प्र.सं./८८४ परि./१८२८ रंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.२४१२.७ से मि. गाथा ४५ राजनगर(अमदावाद)मां फत्तेचंदे प्रति लखी. प्र.स./८८५ परि./२७०० दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९४; हाथकागळ पत्र; २६.१४११.५ से.मि. गाथा ४६. स्तबक राजनगर(अमदावाद)मां रचायु. प्र.स./८८६ परि./३२४९ दंडक प्रकरण-स्तबक ले स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २४; २६.५४१२ से.मि. गाथ। ५४. राधनपुरमा प्रति लखाई. प्र.स./८८७ परि./२०१०/१ दंडक प्रकरण-बालावबोध र.स. १५७९; ले.स. १९९ शतक; हाथकागळ पत्र ५; २९.४४११.८ से.मि. गाथा ३७. जगन्नाथे प्रति लखी. प्रस./८८८ परि./३५०५ दंडक प्रकरण-बालावबोध र.स. १५७९, ले.स. १७मुशतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ७; २५.७४१०.८ से.मि. गाथा ३८. क्षेमसर गाममां विशालकीर्तिमे प्रति लखी. प्र.स./८८९ परि./६०६१ दंडक प्रकरण-बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ २५४१००६ से.मि. गाथा ३८. पंचपाठ. प्रस/८९० परि./७८७४ दंडक प्रकरण-दाव्दार्थ ले.स. २ मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १५ थी २०; १५.२४२९ से.मि. प्र.स./८९१ परि./७९९६/३ दंडक प्रकरण-स्तबक ले.स. १७०९; हाथकागळ पत्र ६; २५४११ से.मि. गाथा ३८. मुनि भाग्यने माटे प्रति लखाई. प्र.स./८९२ परि.२४१५ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ तत्त्वज्ञान-न्याय द्रव्यसंग्रह भाष्य टीका ले.स. १९मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४७; २३.२४१०.८ से मि. पद्य ६५. । नेमिचंद्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.स./८९३ परि./५११६ षद्रव्यस्वरूप ले.म. १८१३; हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २५.३४१ ०.५ से.मि. विक्रमपुरमा ऋषि माणेकचंद्रने माटे प्रति लखाई. प्र.स./८९४ परि./५५२९/२ नवतत्त्वनुं तेरद्वारथी स्वरूप ले.सं. १९४८; हाथकागळ पत्र २५, २०.५४१०.७ से.मि. प्र.स./८९५ परि./७७७४ नवतत्त्वनुं स्वरूप ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २५४१०.३ से.मि. -अपूर्ण. प्र.स./८९६ परि./४२२१ नवतत्त्व बालावबोध-विचार ले.स. १६मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५.२४१०.५ से.मि. प्र.स./८९७ परि./४६३१ निगोदविचार-अर्थ ले.स. १५०४; हाथकागळ पत्र मुं; २९.७४११.४ से.मि. गाथा ३, राजमाणिक्य मुनिए प्रति लखी. प्र.स./८९८ परि./१३२०/३ निगोद षत्रिशिका स्तबक ले.सं. १८७८; हाथकागळ पत्र '५; २७.४४११.७ से.मि. गाथा ३६. ___ मूल ग्रंथ प्राकृत भाषामां छे. पेथापुर गाममा उत्तमविजये प्रति लखी. प्र.सं./८९९ परि./४०९ निगोद षत्रिंशिका प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र १ थी ७; २७४१२.५ से.मि. गाथा ३६. गोविंदजीए प्रति लखी. प्र.सं./९०० ___ परि /१६४२/१ ब्रह्मतत्त्व निरूपण ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी १९; १६.५४१० से.मि. पद्य ३१. प्र.स /९०१ __ परि./८६४९/१ लब्धि प्रकाश प्रकरण बालावबोध ले.सं. १९२१; हाथकागळ पत्र ३९; २५.५४११.३ . से.मि. गाथा ३६. ग्रंथाग्र १४४५. ___ वि.सं. १६३५मां कपूरथला नगरमां नंदलाल ऋषिए मूळ ग्रंथ प्राकृतमा रच्यो. हांसीनगरमां प्रति लखाई. प्र.सं./९०२ परि./३१६६ Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्त्वज्ञान-न्याय सम्यक्त्व ६७ बोलनो विचार ले.सं. १९६५; हाथकागळ पत्र ६; २२.७४९.७ से.मि. ___रंगवर्धने प्रति लखी. प्र.सं./९०३ परि./५११० सम्यक्त्व स्वरूप (पांच) ले.स. १९मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २४ थी २८; २६.५४१२ से.मि. राधनपुरमा प्रति लखाई. प्र.सं./९०४ परि./२०१०/२ सिद्ध दंडिका प्रकरण-स्तवक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४: २६४१३ से.मि. गाथा १३. देवेन्द्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स./९०५ परि./२६६ सिद्ध दंडिका प्रकरण-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.८x ११.८ से.मि. गाथा १३. प्र.सं./९०६ परि./३२३० पुद्गलविचार ले.सं. १९२५: हाथकागळ पत्र १४थी १५: २६४१२ से.मि. प्र.सं./९०७ परि./७५२७/२ भाव प्रकरण-स्तबक ले.सं. १८०१; हाथकागळ पत्र ७, २५.२४११.२ से.मि. गाथा ३०. विजयविमलगणिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.सं./९०८ परि./२१२० कालसप्ततिका प्रकरण-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २६.६४१२.५ से.मि. गाथा ७४. धर्मघोषसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं./९०९ परि./८४० सप्तनयन स्वरूप ले.सं. १८१२; हाथकागळ पत्र ४; ३४४१०.५ से.मि. प्र.सं./९१० परि./५५३१ सप्तनयमत लक्षण (श्वेताम्बर). ले.स. १७९७; हाथकागळ पत्र ८मुं; २५.७४११.६ से.मि. ___भावप्रभसूरिए प्रति लखी. प्र.सं./९११ परि./३८०१/४ सप्तभंगी स्वरूप तथा सप्तनय लक्षण ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; १४. २४.८४११.१ से.मि. प्र.सं./९१२ परि./५२०९ Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ योग जयमूर्तिगणि (त.) मात्रिका काव्य ले.सं. १५५८; हाथकागळ पत्र २३८थी २४०; २४४९.९ से.मि. कडी ६४. ___ कर्ता-बृहत् तपगच्छना छे. वि.सं. १४५९मां हयात हता. (बी. जै. ले. सं. ५९३; जै. सा. इति., पृ. ४९९, फकरो ६८६). प्र.सं./९१३ परि./८६०१/१४९ मेरुसुंदर बा. (ख.) १-योगशास्त्र बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२; २६.८x ११.२ से.मि. ग्रंथाग्र २५००. कर्ता-खरतर गच्छना जिनभद्रसूरि> रत्नमूर्तिसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (जै. सा. इति. पृ. ५२२-फकरो ७६४). हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.स./९१४ परि./२९६४ २-योगशास्त्र बालावबोध ले.सं. १६६९; हाथकागळ पत्र ३२; २४.४४१०.५ से.मि. बृदनपुर (बृहनपुर)मां गुणजीए प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./९१५ परि./८९५५ सोमसुंदरसूरि (त.) (अनेक) मनथिरकरण विचार ले.सं. १६९३; हाथकागळ पत्र १८, २४४११ से.मि. ___ कर्ता-तपागच्छीय देवसुंदरना शिष्य छे. समय वि.सं. १५मी सदीनो छे. (जै. गू. क., भा. ३. खं. २, पृ. १५७४). पत्तन (पाटण)मां ललितप्रभसूरि प्रति लखी. प्र.सं /९१६ परि./२६७५ अज्ञात-कर्तृक ध्यानविचार (गद्य) ले.सं. १९५९; हाथकागळ पत्र १६; २५.३४१२ से.मि. प्र.सं /९१७ परि./७३८२ योग पावडी ले.सं. १७९३; हाथकागळ पत्र ५मुं; २४४१०.५ से.मि. पद्यो ५. - रविविजये राजद्रंग (राजगढ)मा प्रति लखी. प्र.स:/९१८ परि/६२६५/३ Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ योग योगप्रदीप-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २५४१००२ से.मि. श्लोक ७८. प्र.सं./९१९ परि./६००१ योगविधि विषयक विचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४१०.९ से.मि. संस्कृत. प्राकृत अने गुजराती त्रण भाषामां रचना छे. प्र.सं./९२० परि./२१९५ योगविशेष वाक्य ले.स. २०# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २६.७४ १२.८ से.मि. प्र.स./९२१ परि /१६४९ योगशास्त्र-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४२, २५.२४११.७ से.मि. मूळ ग्रंथाग्र २०३५. प्रकाश १-४. हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.सं./९२२ परि./११३६ योगसार-स्तबक ले.सं. १८८९; हाथकागळ पत्र २१; २५.१४१२.४ से.मि. योगींद्रमुनिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.सं/९२३ परि./११४४ जयसोम (ख.) पंचम कर्म ग्रंथ (शतक) बालावबोध ले.सं. १९११; हाथकागळ पत्र १६१; २५.८x ११.७ से.मि. मूळनी गाथा १००. तूटक. . कर्ता-खरतरगच्छना क्षेम शाखाना प्रमोदमाणिक्यना शिष्य छे. (जै. सा. इति. पृ. ५८७, फकरो ८६३, जै. गू. क., भा. ३. खं. १. पृ. ९७३थी ९७५). देवेन्द्रसूरिनो मूल ग्रंथ प्राकृतमा छे. सुरतमां वजेराम व्यासे मूळनी प्रति लखी. राधिकापुर (राधनपुर)मां स्तबकनी प्रति लखाई. पत्र ३७९ नथी. प्र.सं./९२४ परि./११३९ जीवविजय कर्मग्रंथ '1-२-स्तबक ले.स. २०मुं शतक (• अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २७.४११.८ से.मि. ___कर्ता-तपगच्छना विमलहर्षनी परंपरामां मुनि विमलना शिष्य, वि. १७मी सदीना, जै. गू. क. भा. ३, पृ. ९६८मां नेांधायेला छे से ज व्यक्ति आ छे अम चोकस कही शकातुं नथी. कृतिमां गच्छ के समय नथी. देवेन्द्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.स./९२५ परि/१६१५ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कम ११२ जीवणविजय गणि सप्ततिका कर्म ग्रंथ-स्तबक ले.सं. १९११; हाथकागळ पत्र ४०, २६.७४११.७ से.मि. गाथा ९१. ग्रंथाग्र १०००. तूटक. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. चंद्रर्षि महत्तरनी मूळ कृति प्राकृतमा छे. पत्रो २१थी २४ नथी. प्र.सं./९२६ परि./१९७९ देवचंद्रगणि (ख.) शतक नाम पंचम कर्म ग्रंथ-बालावबोध ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २६.८४१२.१ से.मि. गाथा १००. कर्ता-खरतर गच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां दीपचंदना शिष्य छे. समय- वि.सं. १७४६मां जन्म; वि.स. १७८८मां स्वर्गवास. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४१७ अने जै. गू. क. भा. २, पृ. ४७३). प्र.सं./९२७ परि./८३७ धनविजय (त.) कर्म ग्रंथ षट्क-स्तबक र.स. तथा ले.सं. १७००; हाथकागळ पत्र ९५; २५.९४११.९ से.मि. ग्रंथाग्र १११९. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिना पट्टशिष्य-'कुलसचिव' हता अने वि सं. १७मा शतकमां सम्राट अकबरना समकालीन हता. (जै. सा. इति., पृ. ५३८थी ६०४, फकरा ७९०-७९९, ८८२, ८९०, ८९१). देवेन्द्रसूरि अने चंद्रर्षिमहत्तरनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. (र.सं. माटे जुओ जे. सा. इति., पृ. ६०४, फकरो ८९१). स्तंभतीर्थ(खंभात)मां प्रति लखाई. समकालीन प्रति. प्र.सं./९२८ परि./४४१४ मतिचंद्रगणि (अं.) शतकनाम पंचम कर्म ग्रंथ-बालावबोध ले.सं. १७६५; हाथकागळ पत्र ६९; २४.७४ १०.४ से.मि. कर्ता-अंचलगच्छना छे. विशेष माहिती मळती नथी. गुढागाममां मुनि लक्ष्मीहंसे प्रति लखी. प्र.सं./९२९ परि./६१४१ Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ में यशःसोम (जससोम) (त.). कर्मस्तव प्रकरण (कर्मग्रंथ २)-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ४०: २६.५४११.६ से.मि. गाथा ३५. अपूर्ण. कर्ता-तपगच्छना आणंदविमलसूरिनी परंपरामां हर्षसोमना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू क. भा. ३, खं. १, पृ. ९७७). प्र सं./९३० परि./११५६ कर्मविपाक (कर्मग्रंथ-१)-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६८: २६.५४११.६ से.मि गाथा ६१. प्र.सं /९३१ परि./१ १५५ बंधस्थापीत्व कांग्रंथ-स्तबक ले सं. १७१६; हाथकागळ पत्र २४, २३.७४१०.६ से.मि. ग्रंथाग्र ६५०. दवेन्द्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. वसुंधरानगरमां पति लखाई छे. प्रसं/९३२ परि./५११४ पं. रूपविजय बंधोदय-उदीरणा-सत्ता-विवरण, ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६: २५.५४ १०.५ से.मि. कर्ता-तपगच्छना पद्मविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १९मी सदीनो छे. (जै. गू. क , भा. ३, ख. 1, पृ. २४९). प्र.सं./९३३ परि./७३५७ शांतिविजय गणि (त.) कर्म ग्रंथ पंचक-बालावबोध ले.सं. १६७८, हाथकागळ पत्र ४७; २५.५४११.५ से.मि. त्रिपाठ. कर्ता-तपगच्छना आणंदविमलसूरिनी परंपरामां विजयसेनसूरिना शिष्य छे. समय जाणी शकातो नथी. जै. गू. क.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. देवेन्दसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. कुंअरजी देवदासे अमदावादमा प्रति लखी. बालावबोध सुरतमां रचायो, प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./९३४ परि./३०३९ शांतिसागर (त.) कर्मविपाक प्रथम ग्रंथ-स्तबक ले.सं. १८७८; हाथ कागळ पत्र १९; २५.९४११.४ से.मि. गाथा ६३. कर्ता-तपगच्छना धर्मसागरना प्रशिष्य छे. समय वि.सं. १८मा शतकना पूर्वार्धनो गणी शकाय. (जै. सा. इति., पृ. ६५५, फकरो ९५९). जे. गू. क.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. राजनगरमां रूपविजये प्रति लखी. प्र.सं./९३५ परि./५६०२ Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ श्रुतसागर वाचक (त.) कर्म विपाक (कर्मग्रंथ-१) स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४. २५.१४११.८ से.मि. गाथा ६२. ___कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.सं./९३६ परि./७५४८ सुमतिवर्धन (ख.) कर्मग्रंथ यंत्र (२, ३) ले सं. १९३३; हाथकागळ पत्र १५; २५.२४१२.५ से.मि. कर्ता- खरतरगच्छीय विनीतसुंदरना शिष्य छे. समय वि.सं १८मी सदीनो छे. (ला. द. भा. सं. वि. मं. मानविजय संग्रह परिग्रहण संख्या २६३८३ ‘समरादित्य चरित्र वृत्ति' संस्कृत गद्य) जै. गू. क. के जै. सा. इति मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. र.सं. १७७४. सवाई जयपुरमा जोषी देवकृष्णनी लखेली वादळी रंगना कागळनी खानां (columns)वाळी प्रति छे. प्र.सं./९३७ परि./१८८८ सप्ततिका षष्ठ कर्म ग्रंथ यंत्र र सं १८७९ ले.स १९मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ८३; २५.५४१२.७ से मि. कर्तानो समय परि./१०८८ (प्र.सं./९३७) प्रमाणे प्रस्तुत र.सं. शंकास्पद लागे छे. कृष्णगढमां कृतिनी रचना थई छे. पत्र ४३मुं बेवडायुं छे प्र सं./९३८ परि./४७० हीराचंद्र (त.) कर्मग्रंथ चतुष्टक-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४०; २४.८x ११.१ से.मि. त्रिपाठ. ___कर्ता-तपगच्छना भानुचंद्र उपा.ना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १-२, अनुक्रमे पृ. २३९ अने १६०३). प्रति विद्यापुर(विजापुर)मां लखाई छे. प्र.सं.९३९ परि./५०६२ अज्ञात-कर्तृक अष्टकर्म प्रबंध-स्तबक ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २४.१x११.५ से.मि. __मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.सं.९४० परि./२३९३ १-आठ कर्मनी एकसो अठावन प्रकृतिनो विचार ले.सं. १७८४; हाथकागळ पत्र ५; २४.७४१०.७ से.मि. सांतलपुरमां विजयाणिना शिष्य माणिक्यविजय मुनिए प्रति लखी. प्र.सं./९४१ परि./४५०८ Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५ २-आठ कर्मनी १५८ प्रकृतिनो विचार ले.सं. १७४२; हाथकागळ पत्र ६: २५.५४ ११ से.मि. प्र.सं./९४२ परि./४८७५ ३–एकसो अट्ठावन कर्म प्रकृतिनो विचार ले.सं. १७९८: हाथकागळ पत्र ८; २४.२४ १०.५ से.मि. __ मेदनीपुरमां पं. खुशालसागरे प्रति लखी. प्र.सं./९४३ परि./६२७ ४-एकसो अट्ठावन प्रकृतिनो विवरो. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३; २४४१०.१ से.मि. प्र.सं./९४४ परि./६३९१/१ आठकर्मनी एकसो अद्रावन कर्मप्रकृतिनो विचार ले.सं. १४९८; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.५४१०.१ से.मि. ग्रंथाग्र २३००. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./९४५ परि./५४६२/१ आठ कमनी एक्सो अट्ठावन प्रकृतिनो विचार ले.सं. १८२३; हाथकागळ पत्र ४; २६.५४१०.५ से.मि. रोहठनगरमा प्रति लखाई. प्र.सं./९४६ परि./८२४५. आठ कमनी एकसो अट्ठावन प्रकृतिनो विचार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६४१ १ से.मि. प्र.सं /९४७ परि./१७१८ आठ कर्मनी अकसो अठावन प्रकृतिनो विचार ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २४.४४१०.१ से.मि. प्र.सं./९४८ परि./६४१२ अकसो अट्ठावन कर्म प्रकृति तथा पौषधना भांगादि ले.स. १७७१; हाथकागळ पत्र ४; २६४११.५ से.मि. प्र.सं./९४९ परि./३३४७ छठाना भांगा ले.सं. १९६५; हाथकागळ पत्र २६; २७.५४१२.३ से मि. कोष्ठक मात्र. प्र.सं./९५० परि./७४४८ कर्मग्रंथ छद्राना भांगा ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २७.२४ १२.२ से.मि. प्र.सं./९५१ परि./७४६९ Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ कर्म कर्मप्रकृतिना भांगा ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ७, २४.२४ १०.८ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./९५२ परि./६१५1 कर्म ग्रंथ अकथी छ (१थी ६)-स्तबक ले सं. १९०५; हाथका गळ पत्र ५४; २५.१४११.८. ___ मूळ ग्रंथ प्राकृत छे. जेमां अक थी पांचना कर्ता देवेन्द्रसूरि छे अने छठाना चंद्रर्षि महत्तर छे. कुंजरावालामां बिहारीऋषि आदिए प्रति लखी. प्र.सं /९५३ परि./11७६ कर्मग्रंथ छटो-बालावबोध ले.स. १९मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १२: २५.५४ ११.३ से मि. अपूर्ण. प्र.सं./९५४ परि./३५५७ कर्मग्रंथ ऋण थी छ-स्तबक ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २५ थी ८७; २४.१४११ से.मि. ग्रंथाग्र २६१९. तूटक. पत्रो १ थी २४ तथा ५९ अने ६० नथी. प्र.सं./९५५ परि /६२९५ कर्मग्रंथ त्रण थी पांच-स्तबक ले स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६०; २८.३४ ११.८ से.मि. __पत्र ५०९ बेवडायु छे. प्र.स/९५६ परि /१६१६ कर्म ग्रंथ पंचक-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३८; २५.९४ ११ से मि. ग्रंथान १७७७ तूटक. रतलामपुरमा प्रति लखाई. पत्र बीजु नथी. प्र.स./९५७ परि./६१९९ कर्म पंचविंशतिका-स्तबक ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र १थी ४; २६४११.५ से.मि. पद्य २६. तेजसिंहऋषिनी मूळ कृति संस्कृतमां छे. सिद्धपुरमा ऋषि रायजीले प्रति लखी. प्र.सं./९५८ परि./३६६५/१ कर्मग्रंथ प्रकरण-स्तबक (प्रथम, द्वितीय अने तृतीय) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ६; (प्र.), ६थी ९ (दि.), ९थी ११ (तृ.) २५.८४१०.८ से.मि. गाथा ६२ (प्र.); ३५ (द्वि.); २५ (तृ.). तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./९५९ परि./६१६७/१, २, ३. कर्मग्रंथ षक (थी ६)–बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८६; २५.८४११.७ से.मि. ग्रंथाग्र ३४००. प्र.सं./९६० परि./६७३३ Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कम ११७ कर्म ग्रंथ षट्क (१ थी। शब्दार्थ ले.स २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९ थी १२७; १५.२४२९ से.मि. प्र.सं./९६१ परि./७९९६/१२ कर्मविपाक कर्मग्रंथ पहेलो--बालावबोध ले.स. १७मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५९ २९.५४११.७ से.मि. गाथा ६१. प्र.सं./९६२ परि./१६६ कर्मविपाक कर्मग्रंथ पहेलो-स्तबक ले.स. १९मु शतक ( अनु ); हाथकागळ घत्र १६; २७४१२ से.मि. गाथा ६१ तूटक. पत्र १२९ नथी. प्र.सं./९६३ परि/७३५० कर्मविपाक प्रकरण-स्तबक ले स. १९९ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र थी १३; २५.८४११.७ से.मि. तूटक. पत्रो २, ४, ५ अने ९ नथी. प्र.स./९६४ परि./४३२७/१ कर्मविपाक-बालावबोध ले सं. १६६८; हाथकागळ पत्र ४; २४.७४१०.७ से.मि. गाथा ५९. पंचपाठ. लिपिकार ऋषि देवनिधान. प्र.सं./९६५ परि./८०७२ कर्मविपाक प्राचीन कर्मग्रंथ-शब्दार्थ ले.सं. १५८१; हाथकागळ पत्र ७; २५.९४११ से.मि. पद्य १६८. गर्गर्षिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. तिमीरीनगरमां वा. विमलकीर्तिगणिले प्रति लखी. प्र.स./९६६ __ परि./४५३५ कर्मविपाकना सो बोल ले.सं. १८१३: हाथकागळ पत्र ३, २४.५४१०.५ से.मि. बोल १००. उत्तम विजये प्रति लखी. प्र.सं./९६७ परि./४७३० कर्मस्तव प्रकरण-स्तबक ले.स. १९मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी २१; २५.८४११.७ से.भि. प्र.सं./९६८ परि./४३२७/२ गांगेय भंग प्रकरण-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५, २६.२४ . ११.४ से.मि. गाथा ३५+५. उपा. यशोविजयजीनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./९६९ परि./७४७१ गुणस्थान स्वरूप ( २२ द्वारे करीने ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २७४१२ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./९७० परि./८१३ Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ बंध उदय उदीरणा सत्ता विचार ले. सं. १७८७; हाथकागळ पत्र ५, २४०५४१०.५ से.मि. पूर्णिमा पक्षना भावप्रभसूरिना शिष्य प्रयागजी प्रति लखी. प्र.सं./९७१ परि. / ४७३५ बंधस्वामित्व तृतीय कर्मग्रंथ - बालावबोध ले.स. १८ मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ७; २५.७११-२ से.मि. पद्य २४. प्र.सं./९७२ परि./६०४३ बंधस्वामित्व प्रकरण - स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २१ थी २३; २५.८x११.७ से.मि. प्र.सं./९७३ १ - शतक पंचम कर्मग्रंथ - स्तबक ले.सं. १७६२, हाथकागळ पत्र ३२; से. मि. गाथा १००. रायधनपुर ( राधनपुर) मां प्रति लखेली छे. कभ प्र. सं / ९७४ परि./६३२८ २ – शतक पंचम कर्मग्रंथ - स्तबक ले.स. १८ मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ५१; २४.५४११.१ से.भि. गाथा १००. प्र.सं./९७५ परि./६३०८ षडशीति कर्मग्रंथ चोथो - बालावबोध ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७६; २१.७x९.२ से.मि. गाथा ८१ सुधी. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./९७६ परि./८९९८ षडशीति कर्मग्रंथ - स्तबक ले.स. २०मुं शतक ( अनु. ) : हाथकागळ पत्र २५ २६ २४ १३.६ से.मि. गाथा ८६. प्र.सं./९७७ परि./८०२५ षडशीति चतुर्थ कर्मग्रंथ - स्तबक ले.स. १८मुळे शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २८थी ४५; २४.८४११.५ से.मि. गाथा ८६. तूटक. मुनि जिनविजये प्रति लखी पत्रो १थी २७ नथी. परि. / ४३२७/३ २४.१४१०.७ प्र.सं./९७८ परि. / ४८९० षडशीति चतुर्थ कर्मग्रंथ - स्तबक ले. सं. १८९०; हाथकागळ पत्र १८ २६.८४१३.२ से.मि. गाथा ८९. झीणोरमां पं. देवेन्द्र विजये प्रति लखी. प्र.सं./९८० प्र.सं./९७९ परि. / ३७९ १ – सप्ततिका कर्मग्रंथ - स्तबक ले.सं. १८७३; हाथकागळ पत्र १५; २७०२४१२.३ से.मि. गाथा ९२. ग्रंथाग्र ५८०. अजमेरमा प्रति लखनार तिलोकचंद्र. परि./८०९ Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९ २-सप्ततिका कर्मग्रंथ-स्तवक ले.सं. १८९३; हाथकागळ पत्र ४६; २६.२४११.२ से.मि, ग्रंथाय १७००. बिकानेरमा प्रति लखनार पं. कस्तुरसागर . प्र.सं./९.१ परि./७३५१ सप्ततिका कर्मग्रंथ छटो-बालावबोध-यंत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २६४१ १.८ से.मि. प्रसं./९८२ परि./६२२० चर्चा-प्रश्नोतर हुंडी क्षमाकल्याण वा. (ख.) १-प्रश्नोत्तर सार्धशतक ( संक्षिप्त भाषा )-बालावबोध र.सं. १८५३; ले.सं १९०२; हाथकागळ पत्र ५०; २४.२४१ २.७ से मि. ग्रंथाग्र ९०० (गाथा १५१). कर्ता-खरतरगच्छना जिनलाभसूरि > अमृतधर्मना शिष्य छे. समय वि.स. १९मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १. पृ. १७८, अजन खं. २, पृ. १६७४). कृति बिकानेरमां रचाई. प्र.स./९८३ परि./८०४० २-प्रश्नोत्तर सार्धशतक-बालावबोध र.स. १८५३. ले.स १९मुं शतक ( अनु. ); .. हाथकागळ पत्र ३२; २४.५४११ से.मि. प्रस./९८४ परि./४८८७ जयसुंदर (त.) गौतमपृच्छा प्रकरण-बालावबोध ले.सं. १८२२, हाथकागळ पत्र ६३; २६४११.३ से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छना सोमसुंदरसूरि > मुनिसुंदरना शिष्य छे. समय वि.स. १६मी सदी . छे. (जै. सा. इति. पृ. ४६५, फकरो ६७६ ). मेडतामा प्रति लखनार मुथा सरूपचंद. पत्र ३४ मुं नथी. प्र.स./९८५ परि/४८४१ जिनरंगसूरि (ख.) प्रश्नोत्तर रत्नमालिका स्तबक ले.सं. १७२०%; हाथकागठ पत्र ७; २२.२४१० से.मि. गाथा २९. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां राजसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं २, पृ. १२७७) विमलसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. स्तबककारनी र.सं. १७३१नी अध्यात्मबावनी जै. गू. क.मां मळे छे. अटले आ प्रति समकालीन गणाय, साकंभरीमां पासदत्ते प्रति लखी. प्र.सं./९८६ परि/७७४२ Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : १२० चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी धर्मसागर उपा. (त.) सुरतनगरमां आंचलिक आचार्यने पूछेला बत्रीस प्रनोनो विचार ले.स. १८मुं शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १३; २५.५४१०.७ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छीय उपाध्याय अने वि.सं. १७मा शतकना पूर्वार्धमां थया. तपगच्छ पट्टावलीना रचयिता छे. (जै. सा, इति. पृ. ५३६नी टीका नं. ४८५). प्र.सं./९८७ परि./३४०४ नयविमलगणि ( ज्ञानविमल ) (त.) प्रश्नद्वात्रिंशिका-स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५: २४.४४१०-७ से.मि. गाथा ३२. कर्ता-तपगच्छना धीरविमलना शिष्य छे. समय-जन्म वि.सं. १६९४; दीक्षा वि.स १७०२ छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ ३०८ ). नयविमलगणिनी स्वोपज्ञ कृति अने स्वहस्ताक्षरनी प्रति छ प्र.स./९८८ परि./६१४६ पार्श्वचंद्रसूरि (त.) जिन प्रतिमा पूजा चार्चिक ले.स . १९२४, हाथकागळ पत्र २१; २४४११.५ से.मि. कर्ता-बृहत्तपा नागोरी गच्छना साधुरत्नना शिष्य छे. समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (ज. गू. क. भा. ३. खं. १. पृ. ५८६). ध्रांगनाना कानजी हरी जोशीए प्रति लखी. प्र.सं./९८९ परि/२०७० लुपक प्रश्नोना उत्तर-गद्य ले.स. १८मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २६: २५.२४ १०.७ से.मि. ग्रंथाग्र ६५५. प्रति जीर्ण छे. प्रसं./९९० परि ७०८२ बुद्धिविजय (त) ढुंढक चर्चा विवरण ले स. १९मुंशतक (अनु.); हाथका क पत्र २४; २५.५४१०.२ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां वि.स. १८मा शतकमां थया. (जै. गू. क. भा. ३, खं २, पृ. ११९५). पुष्कर्णा ज्ञातिना व्यास छबीलराजे प्रति लखी. प्रसं./९९१ परि./४८३७ सुधाभूषण (विशालराज) (त.) गौतमपृच्छा-बालाववोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९; २७.३४१२.७ से.मि. कर्ता-तपगच्छना सोमसुंदरसूरि > मुनिसुंदर सरिना शिष्य छे. समय वि.स. १६मी सदीनो छे. ( जै. सा. इति. पृ. ५२१-५२२, फकरो ७६४) बीलीमोरामां पं. लक्ष्मीविजये प्रति लखी. प्र.स ./९९२ परि./९४८ Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी १२१ हर्षकीर्ति (त.) लुंकामत प्रतिबोध कुलक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१० से.मि. गाथा ३३. कर्ता-नागोरी तपगच्छना रत्नशेखरनी परंपरामां चंद्रकीर्तिसूरिना शिष्य छे. समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ९४४-९४५). प्र.स /९९३ परि./५८३७ अज्ञात-कर्तृक अजयदुर्ग वास्तव्य लुणिया-त्रिलोकचंद्र कृत प्रश्नोत्तर ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.५४१२.७ से.मि. अपूर्ण. भाषा प्राकृत मिश्रित छे. प्र.स./९९४ परि./४१६ अनंतकाय विचार-बालावबोध ले.स. २०९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ५; २८.५४१३ से.मि. प्र.स./९९५ परि./२९४/२ अभयदेवसूरि खरतर सिद्धि पट्टक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.२४ १०.६ से.मि. प्र.स./९९६ परि./६०९५ आंचलिक साथेनी चर्चा ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.५४११.२ से.मि. ग्रंथाग्र ४००. प्रति उदा लखी छे. प्र.सं./९९७ परि./२४८६ उपाध्याय नेमिसागरगणिले लुकमुख्य ऋषि रतनशीने पूछेला १८ सैद्धांतिक प्रनो ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २५.३४१०.४ से.मि. प्र.स.१९९८ परि./६८२० कतिचित् प्रश्न ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २५.४४१०.९ से.मि. कृति महेसाणामां रचाई. प्र.सं./९९९ परि./५८४४ खरतर-तपागच्छ चर्चा ले.स. २०मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५४११.८ से.मि. प्र.सं./१८०० परि./१७९९ १-गौतमपृच्छा-बालावबोध ले.सं. १५६९; हाथकागळ पत्र ६; २५.५४१०.८ से.मि. लिपिकार विवेकचारित्र. प्र.सं./१००१ परि./३९०७ १६ Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी २-गौतमपृच्छा-बालावबोध ले स. १७मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५, २७.५x १०.८ से.मि. गाथा ६४. प्र.सं /१००२ परि /३८०५ तमपृच्छा -स्तबक ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ ४; २६४११ से.मि. जिनसूरगणिना शिष्ये प्रति लखी छे. प्र.सं./१००३ परि./७३५८ गौतमपृच्छा ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.२४१०.२ से.मि. प्र.सं./१००४ परि./७११२ गौतमपृच्छा प्रकरण-सार्थ ले.स. १७९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ७; १७.२४१० से.मि. अपूर्ण. प्र सं./१००५ . परि./८१८७ गौतमपृच्छा -बालावबोध ले.स १९९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ थी ५६; २६४१२ से.मि. अपूर्ण. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./१००६ परि./१७८६ गौतमपृच्छा-बालावबोध ले.सं. १८३०; हाथकागळ पत्र ३थी ५५; २५.६४११ से मि तूटक. विसलनगरमां प्रेमविजये प्रति लखी छे. पत्र पहेलु अने बीजु नथी. प्र सं./१००७ परि./६१९४ गौतमपृच्छा-बालावबोध ले.सं. १७२३; हाथकागळ पत्र ९३; २४.५४१०.५ से.मि. बावनोस गाममां मुनि नंदलाले प्रति लखी. प्र.सं./१००८ परि./६६१८ गौतमपृच्छा बालावबोध ले.सं. १७०५; द्वाथकागळ पत्र ७; २६.३४११.३ से.मि. प्रथम पत्रमा तीर्थकरनुं चित्र छे. प्र.सं./१००९ परि./८७७४ गौतमपृच्छा-स्तबक-बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २७-७४११.४ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./१०१० परि./१५४१ गौतमपृच्छा-स्तबक ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २७.५४११.४ से.मि. प्र.सं./१०११ परि./७४५८ चर्चागोष्ठी-स्तबक ले.सं. १८७७; हाथकागळ पत्र ३: २६४११.५ से.मि. कुचनगरमां पं. नगविजये प्रति लखी. प्र.सं./१०१२ परि./१६४४ तपागच्छ-खरतरगच्छ विसंवाद चर्चा-१४२ बोल ले.सं. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २५.२४१०.१ मे.मि. प्र.स./१०१३ परि./५३५२ Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी १२३ तपागच्छ टिप्पण-उत्तर ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ढुं; २६.२४१०.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./१०१४ परि./६६१७ तपागच्छीय बोलनी उत्सूत्रता ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; १५४१२ से.मि. प्र.सं./१०१५ परि./८६०३/३ तेरापंथी प्रश्नोत्तर चार्चिक ले.स. १९मु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ११; २३.९४ १० से.मि. ग्रंथाग्र ४४०. प्र.सं./१०१६ परि./६६१७ धरणेन्द्रसूरि-रत्नविजय तकरार ले.स. १९४१; हाथकागळ पत्र ४; २४.५४१..९ से.मि. प्र.सं १०१७ परि./८२७४ धर्मसागरीय त्रिंशदुत्सूत्र-निराकरण ले.स. 1९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०थी ३९; १५४१२ से.मि. प्र.सं./१०१८ परि./८६०३/२ पाक्षिक चर्चा ले,स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.९४१०.१ से.मि. प्र.स./१०१९ परि./५९४० पाचंद्रने पूछवाना ७५ बोल ले.स. १७मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २६.२४१०.८ से.मि. प्र.स./१०२० परि./२२०१/१ पार्श्वचंद्रीयने पूछवाना बोल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.७४ १०.६ से.मि. बोल ७६. पं. तेजविजयगणिले लखेली प्रति, प्र.सं./१०२१ परि./५६७५ प्रश्नोत्तर ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३; २५.२४१ ०.५ से.मि. प्र.स./1०२२. परि./४७७३ प्रनोत्तर रत्नमाळा स्तबक-बालावबोध ले.सं. १५५५; हाथकागळ पत्र ३; २७.३४११ से.मि. गाथा २९. ___मूळ संस्कृत, कर्ता विमलसूरि. प्रतिना अंते प्रतिमा तथा गामोनी अतिहासिक नांध छे. प्र.स./१०२३ परि./७६४ प्रश्नोत्तर रत्नमाला-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र १०; २६४११.२ से.मि. प्र.स./१०२४ परि./५६०८ प्रश्नोत्तर रत्नमाला बालावबोध ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३.७४१०.९ से.मि. पद्य २७. प्र.सं./१०२५ परि./५११५ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी प्रश्नोत्तर रत्नमाला-स्तबक ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६.१४ ११.२ से.मि. गाथा २९; ग्रंथाग्र १०५. प्रसं/१०२६ परि./७३२८ प्रश्नोत्तर विचार संग्रह ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.२४१०.५ से.मि. प्र.स./१०२७ परि./१३२१ १-प्रश्नोत्तर संग्रह ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २२; २८.५४११.५ से.मि. प्रश्न १५०. प्र.स./१०२८ परि./७४१ २-प्रश्नोत्तर संग्रह ले.स. २०९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३६; २७.५४११.५ से.मि. प्र.स./१०२९ परि./७७३ प्रश्नोत्तर सार्धशतक संक्षेप भाषा ले.स. १९०५; हाथकागळ पत्र ५०; २३.२४१२.२ से.मि. श्राविका रतनबाई माटे पीपाडनगरमां अमृतविजयना शिष्य मानविजये प्रति लखी. प्र.स./१०३० परि./८०२८ प्रश्नोत्तर सार्धशतक बालावबोध ले.स. २०मुं शतक ( अनु ): हाथकागळ पत्र १८; २९.४४१३.५ से.मि. प्र.सं./१०३१ परि./६४ बोल एकवीस (आंचलिकने पूछवाना ) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६छु; २६.२४१०.८ से.मि. बोल–२१. प्र.सं./१०३२ परि./२२०१/३ मुहपत्ति आदि बोल विचार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.३४ १०.५ से.मि. प्र.सं./१०३३ परि./६९३५ महावीर आउखानो विचार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.४४ १०.९ से.मि. रूपविजयगणिना शिष्य मुनि सुबुद्धिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१०३४ परि./६३४८ लुंकाना सद्दहिआ अठावन बोल-विवरण ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २५.५४१०.८ से.मि. प्र.सं./१०३५ परि./२९८९ लुंकाने पूछवाना १०६ बोल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ६; २६.२४१ ०.८ से.मि. प्र.स/१०३६ परि./२२० १/२ लोकानी हुंडी-प्रश्नो ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.७४१०.५ से.मि. ऋषि घेलाए प्रति लखी. प्र.स./१०३७ परि./७५८८ Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५ चर्चा - प्रश्नोत्तर - हुंडी विचार सारोद्धार - बालावबोध ले.सं. १७५१; हाथकागळ पत्र ६४; २६.५४११०३ से.मि. वाघणवाडामां विजयरत्नसूरिना धार्मिक शासन दरम्यान – गजकुशलना शिष्यो पं. वृद्धिकुशल अने सुंदरकुशल सुंदरकुशलना शिष्यो धनकुशल अने सुबुद्धिकुशल आ सुबुद्धिकुशले प्रति लखी. शाही फूटेली होवाथी प्रति सुवाच्य नथी अने जीर्ण पण छे. प्र.सं./ १०३८ शांतिरम (शास्त्रीय विचारसंग्रह) ले.सं. १९१० हाथकागळ पत्र ४६. दादुपंथी साधु सुखरामे मेडतामां प्रति लखी. प्र.सं./ १०३९ परि. / ७५४६ सिद्धांत विचार प्रश्नोत्तर ले. सं. १८९५ : हाथकागळ पत्र ११; २४.२१००१ से.मि. प्र.सं./ १०४० परि./७९७४ सिद्धांत विचार बोल ले.सं. १६५६; हाथकागळ पत्र ११, २५.७४१००७ से.मि. प्रति जीणं छे. प्र.सं./१०४२ श्रीवंत प्र.सं./ १०४१ हुंबड छत्रीसी - स्तबक ले.सं. १७६२; हाथकागळ पत्र ७; २४.६११.७ से.मि. दानविजयनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. परि./११५१ २४×१२ से.मि. जिन प्रतिमा हुंडी स्तवन ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६थी ९; १५.९४ ९ से.मि. गाथा ९९. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां कमलविजयना शिष्य छे. ( कडी ९१, ९६) समय विषयक लखाण अवाच्य छे. ( कडी ९९ ). कृतिनी रचना जसोल गामे थई छे. एकसो एकासी बोलनी हुंडी तथा तेरद्वारना बोल ले.स. १९०६; २८४१४ से.मि. खानां (colomns) पाडीने प्रति लखेली छे. परि. / ८९२२ प्र.सं./ १०४३ परि./८६६२/५ अावन बोलनी हुंडी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२ २५.४४१०-७ से. मि प्र.सं./ १०४४ परि./४७२२ आंचलिक हुंडी ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २थी ७: २५.७४१०.८ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र. सं. / १०४७ प्र. सं./ १०४५ परि./२१४० आंचलिक हुंडी ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६-२x११ से.मि. प्र.सं./ १०४६ परि. / ३४०२ हाथकागळ पत्र ९; परि. / ७५९१ परि./३९६ Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ चर्चा-प्रश्नोत्तर-हुंडी ढुंढक हुंडी दश प्रश्नोत्तर रूप ले.सं. १८८४; हाथकागळ पत्र १७; २४.५४११.५ से.मि. पेढामली गामे शाह हरिरामचंद माटे प्रति लखाई. प्र.सं./१०४८ परि./२५१५ ढुंदुक हुंडी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.५४१०.५ से मि. प्रश्न ११६. ___ हाजीवासमा ६. हर्षगणि साधुओ प्रति लखी. प्र.सं./१०४९ परि./३६५४/२ प्रश्नोत्तर हुँडीका ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.८४१० से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./१०५० परि./५७१६ लुंकानी हुंडी ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१०.८ से.मि. प्र.सं./१०५१ परि./३९०३ लुकानी हुंडी-३३ बोल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.३४१०.५ से.मि. प्र.सं./१८५२ परि./४१२१ लुकानी हुंडी-लुंपक चर्चा तथा जिन प्रतिमा प्रासाद विचार ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.५४१०.५ से.मि. तूटक. __ पत्र ८मु नथी. पत्र १०नी पाछली बाजु — विहरमान जिन कोष्टक' छे. प्र.सं./१०५३ परि./३४०६/१ प्रकीर्ण लाधाजी (कटुकमती) विचार रत्नाकर-बालावबोध ले.सं. १८०१; हाथकागळ पत्र ९१; २५.५४११.८ से.मि. कर्ता-कडवा गच्छना थोभणना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४२१) शाहजी नाथाओ प्रति लखी. प्र.स/१०५३ परि./५०१२ सोमसुंदरसूरि (त.) १-विचारसंग्रह-बालावबोध ले.स.. १७९ शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ९; २८.५४१२ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छीय जयानंदसूरिना शिष्य. समय जन्म वि.सं. १४३०, दीक्षा वि.सं. १४३७, मृत्यु वि.सं. १४९९ (जे. सा. इति., पृ. ४५१थी ४६१). प्र.सं./१०५४ परि./२९३ | Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकीर्ण १२७ २-विचार संग्रह-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २५.३४ १०.७ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१०५५ परि./४६०२ अनेक विचार ले.स. १८९ रातक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २५.५४१०.६ से.मि. प्र.स./१०५६ परि./४९९९ अनेक विचार संग्रह ले.सं. १९०८; हाथकागळ पत्र ६ (७); २८.५४१२ से.मि. कस्तुरसागरगणिए पोताने माटे प्रति लखी छे. प्रथम पत्रमा लिपिकारनुं नाम ने पत्र ६मां लेखन संवत छे. ७९ पत्र कोई छूटक बोलनु छे. प्र.सं./१०५७ परि./६०२ अनेक विचार संग्रह ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २४.५४१० से मि. प्र.सं./१०५८ परि./६१०४ __ अनेक विचार-बालावबोध ले.सं. १६५६; हाथकागळ पत्र २२; २५.५४१०.८ से.मि. तूटक. तपगच्छना विजयसेनसूरिना धर्मशासनकालमा सिकंदरपुरमां, हर्षानंदगणिना शिष्य धनाणंदगणिए प्रति लखी. वीज पत्र नथी. प्र.स./१०५९ परि /२ ४ ४२ चोवीसजिन राशि-लद्देणां-देणी आदि विचार ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.८४११.३ से.मि. प्र.सं./१०६० परि./३१२८ नंदीश्वर द्वीप प्रासाद विचार स्थापनासह ले.सं. १५५५; हाथकागळ पत्र ६, ३०x११.५ से.मि. पूर्णिमा पक्षना भुवनप्रभसूरिना शिष्य मुनि राजसुंदरे पाटणमां प्रति लखी. पत्र ४थु फाटेखें छे. प्रतिमां पानानी वच्चे नंदीश्वरद्वीप अने समवसरणनां चित्रो आपेला छे. प्र.सं./१०६१ परि./१३१६ पवयण संदोह--टीप्पणी ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २९.४४११.४ से मि. ___ कृतिनुं बीजु नाम 'नवपद प्रकरण' छे. प्र.सं./१०६२ परि १७१ विचार रत्नाकर-बीजक ले.स. १८मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.५४१० से.मि. अपूर्ण. . प्र.सं./१०६३ परि./७०२६ विचार संग्रह-बालावबोधरूप ले सं. १६६०; हाथकागळ पत्र २३; २५.५४१०.५ से.मि. ग्रंथाग्र ८००. देवासनगरमा रहेता ओसवाळ ज्ञातिना शा. लटकणना त्रण दीकरा लक्ष्मीदास, दशरथ अने भोजराजे, अवन्तिकानगरीमा उद्धवश्री जोषी पासे प्रति लखावी. प्र.सं./१०६४ परि./५३५४ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ प्रकीर्ण विचार सित्तरी प्रकरण-बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.८x१०.९. तूटक त्रिपाठ. महेन्द्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. पत्रो २, ६ अने १० नथी. प्रसं./१०६५ परि./५६४१ समकित पामवानुं स्वरूप आदि प्रकीर्णक संग्रह ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७, २५.५४१०.५ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्रसं..१०६६ परि./८९१७ सूतक आदि विचारसंग्रह ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २७४११.९ से मि. प्र.सं./१०६७ परि./७९०३ सैद्धांतिक विचारसंग्रह-बालावबोध ले.स. १७मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ७०; २५.१४११.२ से.मि. अपूर्ण. मूळ प्राकृत ग्रंथ छे. पत्र १४ अने १५ भेगां छे. ३७मुं पत्र बेवडायु छे. १ अने ४६मां पत्रमा चित्र छे. प्र.स./१०६८ परि./८७६३ - अक्षप्रभा अक्षांसादिक भिन्न भिन्न नगरोनां नाम ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ (२); २४.७४१०.९ से.मि. पत्र बीजं; ७.५४१०.७ से.मि.नु छे. प्र.सं./१०६९ परि./४२४५ अक्षप्रभा-जुदां जुदां गाम-नगरोनी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.२४११.४ से मि. प्र.सं./१०७० परि./४६४५ स्तुति-स्तोत्रादि अइमत्त (त.) १-नेमिनाथ स्तवन ले.स. १७मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २; १७.४४९.४ से.मि. गाथा ३०. ___ कर्ता-परंपरा प्रतिमां आ प्रमाणे छे.-सोमसुंदरसूरि> मुनिसुदर> जयचंद्र> जिनकीर्ति, (तपगच्छना प्रख्यात सोमसुंदरसूरिनी परंपरानां आ नामो छे. जे. सा, इति. पु. ४५१-४६१) प्र.सं./१०७१ परि./८२११ २-नेमिनाथ स्तवन ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; २६४११.१ से मि. गाथा ३३. प्र.सं./१०७२ परि./३२११/२ Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्पुनि-स्तोत्रादि -- अखैराज भक्तामर स्तवन वृत्ति - बालावबोध - कवित्त ले.सं. १८४८; हाथकागळ पत्र १ थी २१: २४.४४१०.७ से. मि. ग्रंथाग्र ७२६. मानतुंगसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र. सं / १०७३ अभयसोम (ख.) पार्श्वनाथ ( फलवर्धि ) स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २३-५४१० से.मि. गाथा ६+१. कर्ता — खरतरगच्छना सोमसुंदरसूरिना शिष्य समय वि.सं. १८मा शतकनो (जै. गू. क. भा ३, खं. २, पृ. ११९५ ). प्र.सं./ १०७४ परि./६३१४/३ प्र.सं./१०७५ अमरविजय १२९ अमरमुनि (त.) पार्श्वनाथ (भटेवा - चाणस्मा मंडन ) स्तवन ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २१.३१० से.मि. गाथा ७ कर्ता - तपगच्छना विजयसेनसूरिनी परंपरामां शांतिचंद्रना शिष्य छे. मुनि लीलचंद्रे प्रति लखी. परि./६६१४/१ प्र.सं./१०७७ १७ पर्युषण पर्वनी थोय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५x१०.५ से.मि. गाथा ४. कर्ता - गच्छ के समय मळतो नथी. शुभविजयना शिष्य छे. (प्र. सं. पृ. ४३५, २७४; जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ १५४२; जै. सा. इति. पृ. ५८५, फकरो ८५९मां नांधायेला अमरविजयनी परंपरा जुदी छे.) प्र.सं./१०७६ परि. / ३८२४/१३ अमरविजय (त. ) श्रेयांस जिन स्तवन र सं. १७:४; ले. स. १८ शतक ( अनु. ); हाथका गळ पत्र ५; २३-७४१०-२ से.मि. कर्ता - तपगच्छना विजयानंदसूरिना शिष्य छे समय वि.सं १८मा शतकनो छे. रचना खंभातमां थयेली छे. परि./५०७६ परि. / ७७४९/१ Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० अमृतधर्म (ख.) १ – आदिजिन स्तवन र सं. १८३४. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४५ मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ११. कतो - खरतरगच्छना क्षमाकल्याणनी परंपरामां जिनलाभसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १९मा शतकनो छे. (जै. सा. इति. पृ. ६७६, फकरो ९९४. बी. जै. ले सं. १८४२.) प्र.सं./१०७८ परि./७७७७/८५ २ - आदि जिन स्तवन २.सं. १३४. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ ; २५.२x११.२ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./१०७९ संभवजिन स्तवन (२) ले.स. १९ शतक ( अनु. ); हाथ कागळ पत्र ४६ मुं; से.मि. गाथा ७; ७. प्र.सं./१० ०८० स्तुति स्तोत्रादि परि. / ७७७७/८९, ९० सुविधिजिन स्तवन ( २ ) ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ४७मुं; २१.९X अनुक्रमे गाथा ७; ११. प्र.सं./ १०८१ परि. / ७७७७/८८, ९० नेमीश्वर जिन स्तुति (२) ले.स. १९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४८ थी ४९; २१.९७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ५. प्र.सं./१०८२ परि. / ७७७७/९४, ९५ पार्श्वजिन स्तवन ( २ ) ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५४मुं; २१४९७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ५. प्र. सं. / १०८३ परि./८३१६/२४ २१.९४७ परि. / ७७७७/११२, ११३. पार्श्वनाथ ( चिंतामणि ) स्तवन ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ५७मु; २१.९४७ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./ १०८४ परि./७७७७/१२२ पार्श्वजिन ( समेत शिखर मंडन ) स्तवन (२) ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ५०मुं; २१०९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७, ५. प्र.सं./ १०८५ परि. / ७७७७ / ९८, ९९ चतुर्विंशति जिन स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४४मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./ १०८६ परि./७७७७/८२ प्र.सं./ १० अमृतविजय (त.) प्रतिमा स्थापन स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ४ थी ५ १०.५ से.मि. गाथा १३. कर्ता - एक ज नामनी तपगच्छनी बे व्यक्तिमांथी कोण ए नक्की (प्र.सं. पृ. १८५ अने ३७५. जे. गू. क. भा. ३, खं. १. पू. १६१ ०८७ २४.१ नथी थतु अने ३१५ ). परि. / ४१०४ Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १३१ अमृतविजय (त.) नेमनाथ स्तवन (३) ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र २७४ अने २८९; २४४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ६, ५, ५. __ कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरि> विजयप्रभा> पुन्यविजय> रंगविजयना शिष्य छे. प्र.सं./१०८८ ___ परि./७१९६/६०, ६२, ६४ चतुर्विशति जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ५; २४.८x ११ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./१०८९ परि./७०७२/१ चतुर्विशति जिन स्तवन ले.सं. १७९७: हाथकागळ पत्र ९; २५.७४११.२ से.मि. स्तवन २४; ग्रंथाग्र २२५. प्र.सं./१०९० परि./८४२५ तीर्थमाला स्तवन र.सं. १८४०; ले.सं. १८८२; हाथकागळ पत्र ४; २५.२४१२.९ से.मि. पालनपुर अने पाटणना रहीश, लुणिआ गोबना शाह जेठाजी गुलाबचंदजी माटे पं. रामचंद्रे पालनपुरमा प्रति लखी. प्र.स./१०९१ परि./२६९ विमलाचल तीर्थमाला स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६४ ११.५ से.मि. प्र.स./१०९२ परि./७५२६ अमृतविमल (त.) मल्लिनाथ स्तवन (२) ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १-२; २५४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; ९. __कर्ता तपागच्छीय विमलगच्छना दानविमल> दयाविमलना शिष्य छे. समय वि.सं. २०मी सदीना उत्तरार्धनो छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं. २. पृ. ३८२मां दानविमलनी वि.स. १९३४मां रचेली मळे छे.) प्र.स./१०९३ परि./८५०३/२; ३ अमृतसागर (सं.) अजितनाथ स्तवन ले.स. १८मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १; २४.८४१०.२ से.मि. गाथा-१३. ___ कर्ता--अंचलगच्छना शीलसागरसूरिना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७३८नी लखेली कृति मळे छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं, २. पृ. १२७३; जे. सा. इति. पृ. ६६४ फकरो ९७६). परि./४६९८ प्र.स./१०९४ Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन (गौडीमंडन) र.स. १७३५, ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १, २४.८४1०.२ से.मि. गाथा ११. प्र.स./१०९५ परि./१६९८/२ सुविधिजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र १; २५.५४११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१०९६ परि./४६९८/३ भानंद शांतिजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ७. __ सांतलपुर-आडिसरमां भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.स./१०९७ परि./२०६०/७ प्र.स./१०९८ आनंद पार्श्वनाथ स्तवन-(अंतरीक्ष) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; १९.५४ ९ से.मि. गाथा ६. कर्ता-प्र.स. १०९७ना कर्ता अने आ बने एक ज छे के जुदा से नकी थई शकतुनथी. शांतिसागरे प्रति लखी छे. परि./८१४९/५ आनंदघन ऋषभजिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २४.७४९.९ से.मि. कर्ता-प्रसिद्ध अध्यात्मज्ञानी, अनेक पदना रचनार. वि.सं. १८मा शतकना छे. बीजु नाम लाभानंदजी छे (जे. गू. क. भा. २, पृ. ३). प्र.सं./१०९९ परि./८८८७/४ अभिनंदन जिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लुं; १९.५४१२ से.मि. गाथा ६. लिपिकार गनानचंद (ज्ञानचंद). अ.स./११०० __ परि./८०३२/1 धर्मनाथ स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; १९.५४१२ से.मि. गाथा ८. गनानचंदे (ज्ञानचंद्रे) प्रति लखी. प्र.सं./११०१ परि./८०३२/१ १-आनंदघन चोवीशी-(स्तवन चोवीसी) ले.सं. १८९६; हाथकागळ पत्र ३ श्री ५ २४.८४१०.८ से.मि. ग्रंथाग्र ३७५, तूटक. ___ रतलाममा दोलतविजय माटे अमना गुरु पं. नगविजय गणिए प्रति लखो. पत्रो १ अने २ नथी. प्र.सं./११०२ परि./६.७५ Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -खोत्रादि २ - आनंदघन ( स्तवन ) - चोवीसी ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ६; २५.७४११.९ से. मि. स्तवनो - २४. मुनि तेजहंसे दसलाणा गामे प्रति लखी. प्र.सं./११०३ परि./२०२४ ३ -- आनंदघन ( जिन स्तवन ) - चोवीसी ले.स. १९मुं शतक (अनु. ); हाथ कागळ पत्र ११; २४.५×१०.८ से.मि. स्तवनो २४. प्र.स ं./११०४ परि. / ४२९२ ४ - जिन स्तवन - चोवीसी ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११, २५-५४ ११.८ से.मि. स्तवन २४. ग्रंथाग्र ३२५. अंचलगच्छना मुनि जितसागरे प्रति लखी. प्र.सं./११०५ ५ - जिन स्तवन - चोवीसी ले.सं. १८३२; हाथकागळ पत्र ८ पाटणमां साध्वी देववधू माटे पं. गोविंदविजये प्रति लखी प्र.सं./ ११०६ १ - आनंदघन जिन स्तवन चोवीसी - बालावबोध (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ २५x११ से.मि. अपूर्ण. बालावबोध ज्ञानविमलसूरिनो छे. अरजिन स्तवन सुधी. प्र.सं./११०७ परि. / ३०८५ २६४१२ से.मि. तूटक. पत्र ५मुं नथी. र. सं. १८०८; २ - आनंदघन जिन स्तवन चोवीसी - बालावबोध र.सं. १८०८; (अनु.) : हाथकागळ पत्र ३०; २५४११ से.मि. स्तवनो २४. माणिक्यसागरसूरिये स्ववाचनार्थे राजनगर ( अमदावाद ) मां प्रति लखी. छेला स्तवननी ८ कडीमांथी ७मी कडी नथी. प्र.सं./११११ परि./२०१३ ले. स. १९मुं शतक प्र.सं./ ११०८ परि. / ४८७१ ३ --- आनंदघन जिन स्तवन चोवीसी - बालावबोध २.सं. १८०८; ले. सं. १८१७; हाथकागळ पत्र ५२; २७४१२ से.मि. ' वटपत्र ( वडोदरा ) मां शाह बहेचर सकलचंद माटे प्रति लखाई प्रति जीर्ण अने धोवाई गयेली छे. परि./३७४१ लेस. १९ शतक प्र.सं./ ११०९ परि./८४९ आनंदघन जिन स्तवन चोवीसी-सस्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १भी ५७ सुधी; २५.५×११ से.मि. अपूर्ण. आ स्तबक पण ज्ञानविमलसूरि रचित छे. अंतिम पत्र नथी. प्रति बळेली छे. प्र.सं./१११० परि. / ५९५९ आनंदघन चोवीसी - स्तबक ळे.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २ थी २६; २५.५४११.५ से.मि. तूटक. पत्र १, ३, ७ नथी. परि. / २४५१ Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ स्तुति-स्तोत्रादि आनंदवर्धन पद्मप्रभ जिन स्तवन ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १९९; २५.७४१ १.५ से.मि. गाथा ४. कर्ता-बे आनंदवर्धन : १ तपगच्छना अने २ खरतरगच्छना-मांथी, कर्ता कया से नक्की थतुं नथी. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १४९१). थिरागामे नायकविजये प्रति लखी. प्र.सं./१११२ परि./२३६७/२८ सुपार्श्व जिन स्तवन ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ३. लिपिकार नायकविजय. लेखन स्थळ थिरागाम. प्र.सं./१११३ परि./२३६७/३० सुविधि जिन स्तवन ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ३. थिरागाममा नायकविजये प्रति लखी. प्रसं./१११४ परि./२३६७/२९ वासुपूज्य जिन स्तवन ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ४. थिरागाममां नायक विजये प्रति लखी. प्र.सं./१११५ परि./२३६७/३१ शांति जिन स्तवन ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ५. थिरागामे नायकविजये प्रति लखी. प्र.सं./१११६ परि./२३६७/३२ अरनाथ जिन स्तवन ले.सं. १७८५: हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ४. थिरागाममा नायकविजये प्रति लखी. प्र.सं./१११७ परि./२३६७/३३ आनंदवर्धन (ख.) जिन चोवीसी स्तवन; र.सं. १७१२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३.३४१० से.मि. ढाळ २४. तूटक. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां महिमासागरसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीना पूर्वार्धनो छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. १४९). पत्र ३जु नथी. प्र.सं./१११८ परि./४९१५ कल्याणमंदिर स्तोत्र-बालावबोध ले.सं. १७१२; हाथकागळ पत्र ११; २४४११.१ से.मि. गाथा १४. सिद्धसेनसूरिनु मूळ स्तोत्र संस्कृतमां छे. गुणतिलकमुनिना शिष्ये प्रति लखी. प्र.सं./१११९ परि./१:२१३ Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १३५ आनंदमुनि (त.) आनंदवर्धन. १-चतुर्विशति जिन स्तवन; र.सं. १५६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २३.५४१ ०.३ से.मि. गाथा २९. कर्ता-तपगच्छना हेमविमलसूरिनी परंपरामां विजयविमल> कमलसाधु> जयवंतमुनिना शिष्य छे. समय वि.स. १६मा शतकना उत्तरार्धनो (जुओ गाथा २८ अने २९). __ लिपिकार मुनि लक्ष्मीरत्न. प्र.स./११२० परि./६४१८/१ २-चतुर्विशति जिन स्तुति र.सं. १५६२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २२.५४११.४ से.मि. गाथा २९. प्र.सं./११२१ परि./२५०५ ३-चोवीस. तीर्थकर पंचबोल स्तवन र.सं. १५६२; ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४.५४११ से.मि. गाथा २९. प्र.सं./११२२ परि./४०११/१ ४-चतुर्विशति तीर्थकरना माता-पिता-स्थान-लंछन--स्तवन ले सं. १८३७; हाथकागळ पत्र १०थी ११मुं; २४.७४११.५ से.मि. गाथा २९. प्र.सं./११२३ परि./७९३५/४ आनंदविजय ऋषभजिन स्तुति ले.सं. १८००; हाथकागळ पत्र ३४ मुं; १३.७४९.२ से.मि. गाथा ४. व कर्ता-विजयदेवसूरिनी परंपरामां विरविजय>ज्ञानविजयना शिष्य छे. प्र.स./११२४ परि./८६४७/१४ सीमंधर जिन -पंचबोला-स्तवन ले.सं. १७३१ हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४.१४१८.१ से.मि. गाथा ३८. कर्ता-नेमिसागरना शिष्य छे. प्रति डभोईमां लखायेली छे. प्र.सं./११२५ परि./६३०३/२ ईश्वर (ईसर) कवि (जनेतर) हरिरस ले.स. १८मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१०.७ से.मि. गाथा १६७ + १. कर्ता-ज्ञातिए बारोट छे. पीतांबरना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मा शतकना आरंभनो छे. (कविचरित पृ. २८५थी २८७, जै. ग. क. भा ३, खं. २, पृ. २१५०). रत्नविजयगणि, रंगविजयगणि अने उदयविजयगणिना गुरुबंधुना शिष्य शांतिविजये प्रति लखी. प्र.सं./११२६ परि./२४०४ Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ स्तुति-स्तोत्रादि हरिरस ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५४१०.७ से.मि. गाथा १७०. ग्रंथाग्र २५५. प्र.सं./११२७ परि./५८०२ उत्तम सिद्धचक्र स्तुति ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ९; २५.५४१ १.५ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./११२८ परि./७८३७/१० उत्तमचंद (त.) . नेमिनाथ स्तवन ले.सं. १७३०; हाथकागळ पत्र ४y; २५४१०.८ से.मि. गाथा १९. कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरिनी परंपरामा विद्याचंदना शिष्य छे. एमनी वि.सं. .. १७११नी रचना मळे छे. (जै. गू, क., भा. २. पृ. १४२). . राजनगर (अमदावाद)मां लखायेली स्वहस्ताक्षरनो प्रति छे. प्र.सं./११२९ परि./६०९८/२ उत्तमविजय (त.) जिन आगम बहुमान स्तवन र.सं. १८०९; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र । २, २५४११ से मि. गाथा २० +९+२. कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरिनी परंपरामा विजयसिंहसूरि> सत्यविजय> कपूर. विजयः> खीमाविजय> जिनविजयना शिष्य छे. समयः जन्म वि.सं. १७६०मां अमदावादनी शामळानी पोळमां (जै. गू, क., भा. ३. ख. १, पृ. १. परंपरा प्रतिने अंते आपेली छे.) कृतिनी रचना राधनपुरमा थई. पं. कुशलविजये प्रति लखी, प्र.सं./१३. परि./१२.१ १-महावीर जिन स्तवन (संयमश्रेणि विचारगर्भित) र.सं. १७९९; ले.स. १८३६; हाथकागळ पत्र ५, २५.५४११.५ से.मि. ढाळ ४. रचना सुरतमा थई. कर्मावती ( ? कर्णावती अमदावाद)मां पं. पद्मविजये प्रति लखी. चित्राक्षरी प्रति छे. प्र.सं./11३१ परि./३०९१ २-महावीर स्तवन (संयमश्रेणि विचारगर्भित) र.स. १७९९; ले.सं. १८८३; हाधकागळ पत्र ५; २३.३४१०.९ से.मि, गाथा ४० + ११. पं. कुशल माटे इल्लोलमां पं. राजबिजये प्रति लखी. प्र.सं./११३२ परि.४३९४ ३- महावीर जिनस्तवन (संयमश्रेणि विचार गर्भित) र.स. १७९९ ले.स. १९२५; हाथकागळ पत्र ३; ५.२४११.२ से.मि. ___ राजनगर (अमावाद)मा ठाकोर शिवराम पानाचंदे बाई आधार माटे प्रति लखी. प्र.स./११३३ परि./७५६३ Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १३७ ४-महावीर जिन स्तवन ( संयमश्रेणि विचारगर्भित ) सस्तबक र.स. १७९९; ले.स. १९१४; हाथकागळ पत्र १४, २६.५४१२ से.मि. गाथा ५१. ग्रंथाग्र ४१४. स्वोपज्ञ कृति छे. साध्वी चंदनश्री माटे शेठ दलछाचंद टीबाचंदे राधिकापुर (राधनपुर)मां प्रति लखी. प्र.स./११३४ परि./१५९० उत्तमविजय शांतिजिन स्तवन र.स. १९५२; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; १६.४४९.७ से.मि. गाथा ८. प्र.स./११३५ परि./८६३७/२ उत्तमसागर (त.) सीमंधर जिन चंद्रावला स्तवन ले स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४ ११.५ से.मि. गाथा २३. . कर्ता-तपगच्छना कुशलसागरना शिष्य छे. एमनी वि.सं. १७१२नी कृति मळे . छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. १४७). कल्याणसुंदरगणिए लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./११३६ परि./३३२४ उदयचंद्र मल्लिनाथ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६४११.७ से.भि. __ कर्ता-मात्र नामनिदेश मळे छे. प्र.सं./११३७ परि./८६४/२ उद्यमुनि अष्टमी स्तुति (२) ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १थी २; २५.५४११ से.मि. गाथा ४; ४. प्र.सं./११३८ __ परि./३३३८/३ पंचपरमेश्वर नमस्कार स्तोत्र. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४४१:०५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./११३९ परि./२५१८/२ पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४); २५.८x११ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./११४० परि./३०८४/६ पार्वजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २३.७४१०.५ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./११४१ परि./६४ २०/४ Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ स्तुति-स्तोत्रादि उदयप्रभसूरि (ना.) अजितशांति स्तवन-कपूरवटुं ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४ १०.४ से मि. गाथा ३१. कर्ता-नागेन्द्रगच्छना विजयसेनसूरिना शिष्य अने वस्तुपालना समकालीन छे. गच्छनो उल्लेख छेल्ली पंक्तिमां मळे छे. प्र.सं./११४२ परि./७० ३३ उदयरत्न ऋषभजिन स्तवन ले.सं. १७९३; हाथकागळ पत्र १७मुं; २५.३४१०.९ से.मि. गाथा ३. कर्ता-वि. १८मा शतकना पूर्वार्धना छे. बे उदयरत्नो, अनुक्रमे तपगच्छना अने खरतरगच्छना ( जै. गू. क., भा. ३. खं. २. पृ. १३४९ अने १२१५)मांथी कया से नक्की नथी थतुं. __णडुलाईनगर(नाडोल)मा प्रति लखाई. प्र.सं./११४३ परि./८५२८/९ ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २३.५४११.८ से मि. गाथा ७. प्र.सं/११४४ परि./११०२/१४ अजितनाथ स्तवन ले.सं. १७९३; हाथकागळ पत्र १७मुं; २५.३४१०.९ से.मि. गाथा ३. __णडुलाईनगर (नाडोल)मां प्रति लखेली छे. प्र.सं./११४५ परि./८५२८/९ शांतिनाथ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २५.४४११.४ से.मि. गाथा १२. बोडा रामकिसने प्रति लखी. प्र.सं./११४६ परि.२३८३/१ पार्वजिन स्तवन ले.सं. १७६९; हाथकागळ पत्र २जु; २३.२४१०.२ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./११४७ परि./७६४१/४ पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १७९३; हाथकागळ पत्र १७मुं, २५.३४१०.९ से.मि. गाथा ३. णडुलाई (नाडोल)मां प्रति लखाई. प्र.सं./११४८ परि./८५२८/१० पार्वजिन स्तवन ले.स १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३५९; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. थिरागामे भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./११४९ परि./२०६०/४३ पार्श्वजिन स्तवन ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र १८ थी १९मुं; २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./११५. परि./७१९६/३८ Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३९ पार्श्वजिन स्तुति ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ) ; हाथकागळ पत्र ५मुं; २४-७९११.३ से.मि. गाथा ७. स्तुति स्तोत्रादि - प्र.सं./११५१ पार्श्वजिन (शंखेश्वर मंडन ) स्तवन २३.५४११.८ से मि. गाथा ५. प्र.सं./११५२ परि./११०२/५ महावीर जिन स्तवन २.सं. १७९०; ले. सं. १८००; हाथ कागळ पत्र ५; १३.७४९.२ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./११५३ परि./६७६३/९ ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; परि./८६५७/३ महावीर स्तवन ( २ ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३ २३.५× ११.८ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ५. प्र.सं./११५४ परि./११०२/६; १० महावीर स्तवन ले. स. १९मुं तक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २; १५४११ से. मि. गाथा ७ – संपूर्ण. प्र.सं./११५५ परि./८६१७/३ महावीर जिन स्तवन ले. सं. १८२१; हाथ कागळ पत्र ५मुं; २१४११ से.मि. गाथा ६. रूपचंदे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र. सं / ११५६ परि. / २७५५/२ चतुर्विंशति स्तवन (दंडक विचारगर्भित ) र.सं. १७८१, ले.सं. १९५५; हाथकागळ पत्र७: २५x१०.९ से.मि. गाथा ६४. ढाळ २७. हीररत्नसूरिना सानिध्यमां सूर्यपुरमां कृतिनी रचना थई छे. राधनपुरमा उजम नरभेराम भोजके प्रति लखी. प्र.सं./११७७ परि./५८७३ शत्रुंजय स्तवन (तीर्थस्तवन) ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र १६थी १७मुं; २५४११ से.मि, पद्य ७. प्र.सं./११५८ परि०/७१९६/३३ उदयरत्न (त. ) चार मंगळ स्तोत्र ले.सं १९१८; हाथकागळ पत्र ३३मुं; २५०७८१२ से.मि. गाथा ७. कर्ता — तपगच्छना विजयसिंहसूरिनी परंपरामां थयेला छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गु. क. भा. २, पृ. ३८६, भा. ३, खं. २, पृ. १३४९). गोरजी श्यामजीए भोय्यत्रामां प्रति लखी. प्र.सं./११५९ परि.२२३४/२९ पार्श्वनाथ स्तोत्र ले.सं. १९१८ हाथकागळ पत्र ३२थी ३३मुं; २५.७४१२ से.मि. गाथा ७, गोरजी श्यामजीए भोय्यत्रामां प्रति लखी. परि./२२३४/२८ प्र.सं./११६० Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तावादि पार्श्वनाथ स्तोत्र (शंखेश्वर, गोडीजी) (२) ले.स. १९१८; हाथकागळ पत्र ३८थी ३१मुं; २५.७४१२ से.मि. गाथा ७, ८. गोरजी श्यामजीए भोय्यत्रामा प्रति लखी. प्र.स./११६१ परि/२२३४/२३, २४ उदयविजय उपा. (त.) निक्षेपास्तोत्र, र.सं. १७९८; ले.सं. १९१८; हाथकागळ पत्र ४१थी ४२मुं; २५.७४ १२ से.मि. गाथा ७. ___ कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहसूरिना शिष्य छे. समय–वि. १८मी सदीना उत्तरकाल सुधी अस्तित्त्व (जै. सा. इति. पृ. ६६४ फकरो ९७६; जै. गू. क. भा. २, पृ. २५५). गोरजी श्यामजीओ भोय्यत्रामा प्रति लखी. प्र.सं./११६२ परि./२२३४/३७ १-पार्श्वनाथ (शंखेश्वरमंडन ) स्तवन ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १२ थी १४; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ३६.। - थिरा गामे नायक विजये प्रति लखी. प्र.सं./११६३ परि./२३६७/१७ २-पार्श्वनाथ (शंखेश्वरमंडन) स्तवन ले.स. १८६०; हाथकागळ पत्र २; २६.५४१२ से.मि. गाथा ३६. __ चाणस्मामां गुमानजीमे प्रति लखी. प्र.सं./११६४ परि./६३९ पार्श्वनाथ (शंखेश्वरमंडन) स्तवन ले.सं. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ५: २३.९४१ ०.४ से.मि. गाथा १३५. · पाटणमा प्रति लखाई. प्र.सं./११६५ परि./६३८४/२ पार्श्वनाथ (गोडीजी) स्तोत्र ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु'; २०४10 से.मि. गाथा ७. प्र.सं./११६६ परि./८१५६/२ उदयसागरमुनि सीमंधर स्वामी स्तवन ले.सं. १६७०; हाथकागळ पत्र १; २४४१८.२ से.मि. गाथा २७. खंभातमां लखायेली, कर्ताना हस्ताक्षरवाळी प्रति . छे. प्र.सं./११६७ परि./८३२५ Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १४१ उदयहर्ष (त.) १-कल्याणमंदिर स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.६४११.२ से.मि. मूळ गाथा ४४. कर्ता-तपगच्छना विवेकहर्षना शिष्य अने मोगल बादशाह जहांगीरना समकालीन छे. (जै. सा. इति. पृ. ५६३-६४ फकरो ८२४). सिद्धसेनसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. खदीरपुरमा रूपविजयगणिजे प्रति लखी. प्र.सं./११६८ __परि./२३९१ २-कल्याणमंदिर स्तोत्र--बालावबोध ले.स. १८४८; हाथकागळ पत्र १० थी १७; २५.८४११.१ से.मि. मूळ गाथा ४४. त्रिपाठ. गोधरामां मतिवर्धने प्रति लखो. प्र.सं./११६९ परि./२९२२/२ ३-कल्याणमंदिर स्तोत्र-सस्तबक ले.सं. १७२४; हाथकागळ पत्र १३; २५.२४१०.८ से.मि. मूळ गाथा ४४. ग्रंथाग्र ६२७. पं. प्रेमविजये प्रति लखो. प्रसं./११७० परि./२४८१ उमेद (ख.) जिन स्तवन ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र लु; २५-१४१२.८ से.मि. गाथा ११. कर्ता-खरतरगच्छना क्षमाकल्याणना शिष्य. प्रश्नोत्तर शतकना कर्ता. समय-वि.स. १९मी सदी (जै. सा. इति. पृ. ६७७, फकरो ९९५). ज्योतिषना ग्रंथना आदिमां कोई स्तवन लख्युं छे. प्र.सं./११७१ परि./८०४२/१ ऊजल (श्रा.) आदि जिन स्तवन (शिवपुरीमंडन चतुर्मुखप्रासादगत) र,सं. १६४४; ले.स. १६५८; हाथकागळ पत्र ५, २३.५४१०.२ से.मि. गाथा ८४. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामा विजयमेनसूरिना शिष्य श्रावक. समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. अझारागामे पोताना पुत्र केशव माटे कर्ताए स्वहस्ताक्षरे लखेली प्रति. प्र.सं./११७२ परि./८९६७ ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १; २५.५४११.३ ऋखजी चतुर्विशति जिन स्तवन से.मि. गाथा ३१. प्र.सं./११७३ परि./२४७७ Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ स्तुति-स्तोत्रादि ऋद्धिहरख ऋषभदेव स्तवन (शत्रुजयमंडन) ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २४.७४९.९ से.मि. गाथा १२. __ कता-उदयहर्षना शिष्य. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./११७४ परि./८८८७/१४ ऋद्विहरख १-नेमि-राजीमती स्तवन र.सं. १७२२, ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.९ से.मि. गाथा १९. कर्ता-कोई विजयप्रभसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदी छे. रचना कडलनगरमां थई छे. लाहोरमां ललितविजये प्रति लखी. प्र.सं./११७५ परि./३५९२/४ २-नेमनाथ स्तवन र.सं. १७२२. ले.सं. १७३३; हाथकोगळ पत्र १ थी २जु; •५४१०.३ से.मि. गाथा २०. ___गणि विजयहरखे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./११७६ परि./६९९८/१ ३-नेमिनाथ स्तवन र.सं. १७२२, ले.सं. १८११; हाथकागळ पत्र ६ थी ७मुं; २५४११.२ से.मि. गाथा १९. भावप्रभसूरिना शासनकाळमां सौभाग्यचंदे प्रति लखी. प्र.सं./1१७७ परि /६८२४/२ पार्श्वजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९मुं; २१.२४६.९ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./११७८ परि./- ४८०/१९ समेतशिखर स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.९४११.७ से.मि. पद्य ७. प्र.सं/११७९ परि./११०२/८ ऋषभदास (श्रा.) १-आलोयण स्तवन र.स. १६६६; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ८९; २६.५४१२.५ से.मि. ढाळ ५. ____ कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरिना शिष्य श्रावक छे. समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ९१६; खं. २, पृ. १५१७). कृतिनी रचना त्रंबावटी (खंभात)मां थई छे. प्र सं./११८० परि./८३७७/३ Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १४३ . २-ऋषभदेव स्तवन ( आलोयण स्तवन ) र.स. १६६६, ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३; २७.३४१०.८ से.मि. ढाळ ५. प्र.स./११८१ परि./६६२ १-ऋषभजिन स्तुति ले.सं. १८४९, हाथकागळ पत्र ९मुं; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. वाडीगाममां हेमविजयगणिना शिष्य तेजविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स/११८२ परि./७७१५/१३ २-ऋषभदेव स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.८४११.५ से.मि. गाथा ४. श्रीपालपुरमां दानसागरे प्रति लखी. प्र.सं./११८३ परि.७३२५/४ ३-ऋषभ स्तुति (शत्रुजयगिरि स्तुति) ले.सं. १८६३; हाथकागळ पत्र ३जु'; २५.५४ ११.६ से.मि. गाथा ४. राजनगर (अमदावाद)मां गुलाबसागरे प्रति लखी. प्र.सं./११८४ परि./८३३९/३ नेमिजिन स्तवन ले.सं. १९२९; हाथकागळ पत्र ४; २५.५४१३ से.मि. गाथा ५८; डाळ ४. प्र.स./११८५ परि./८०२० १-शत्रुजय स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २६४११.४ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./११८६ परि./३८२४/१ २-शत्रुजय स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४थी १५; २४.८४१२ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./११८७ परि./२०८९/२७ ३-सिद्धगिरि स्तुति ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र १०मुं; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. वाडीगामे हेमविजयगणिना शिष्य तेजविजयगणिए प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./११८८ परि./७७१५/१४ १-पांचमनी थोय ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./११८९ परि./५२५२/१५ २-पंचमी स्तुति ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र ३जु; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. वाडीगाममां हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिए लखेली प्रति जीर्ण छ, प्र.सं./११९० परि./७७१५/४ Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ स्तुति-स्तोत्रादि ऋषभदास (श्रा.) १-ऋषभदेव स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. ___कर्ता-तपगच्छना विजयाणंदसूरिने गुरु मानता सांगणना पुत्र, श्रावक. समय वि. १७मी सदीनो छे. प्र.सं./११९१ परि./५२५२/५ २- ऋषभ (वगेरे शत्रुजयमंडण) जिन स्तुति ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लुं; २५.५४११ से.मि. गाथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं /११९२ परि./३३३८/२ ३-ऋषभदेव स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र २जु; २५४११.४ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./११९३ परि./२८३१/७ गौतमपृच्छा स्तवन र.स. १६७८, ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २३.५४१०.२ से.मि. गाथा ७७. प्र.सं./११९४ परि./६५३८ १-चतुर्विशति जिन नमस्कार ले.स. १७५३; हाथकागळ पत्र ३; २२.५४१० से.मि. पत्तननगर (पाटण)मां प्रति लखनार अंबक. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./११९५ परि./६६५४ २-चतुर्विशति जिन नमस्कार ले.स. १८३३; हाथकागळ पत्र १ थी ३जु ; २५.५४११.६ से.मि. राजनगर (अमदावाद)मां पं. गुलाबसागरगणिए प्रति लखी. प्र.स./११९६ परि./८३३९/२ ३-चतुर्विंशति जिन नमस्कार (चैत्यवंदन स्तवन) ले.स . १७९९; हाथकागळ पत्र २; २६४११.२ से.मि. भालक गामे प. शुभविजयगणि माटे एमना शिष्य प्रेमविजयगणिए प्रति लखी. प्र.स./११९७ परि./२०२१ ऋषभदास (श्रा.) पांचमनुं स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४११ से.मि. गाथा ११. ___कर्ता-कोई रामविजयना शिष्य छे. प्रस./११९८ परि/८५०३/१ ऋषभ जिन स्तुति ले.स. १८९ शतक; हाथकागळ पत्र १लु; २४.७४१०.७ से.मि. गाथा ५. प्र.स/11९९ परि./६०५९/२ सुमति जिन स्तुति ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु'; १५.५४१२ से मि. गाथा ४. प्र.सं./१२०० परि./८६०२/६ Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि १ - शांतिजिन स्तुति ले.स ं. १८४९; गाथा ४. वडगाममा हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिओ प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. १४५ हाथ कागळ पत्र ११मुं; २२.३×१०.४ से.मि. प्र.सं./१२०१ २ - शांतिनाथ स्तुति ले.सं. १८६३; हाथकागळ पत्र ३जु; २५०५४११.६ से.मि. गाथा ४. पं. गुलाब सागरगणिए प्रति लखी. प्र.सं./ १२०२ परि./८३३९/५ ३ - शांतिनाथ स्तुति ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १ थी २जु; २५.८९११.५ से.मि. गाथा ४. पं. दानसागरे श्रीपालपुरमां प्रति लखी. परि./७७१५/१५ परि./७३२५/३ प्र.सं./१२०३ ४ - शांति जिन स्तुति ले.स. १८मुं शतक (अनु.) : हाथकागल पत्र २जुः २५×११-४ से. मि. गाथा ४. प्र.सं./१२०४ परि./२८३१/८ ऋषभदास (श्रा.) बार आरा स्तवन; २. सं. १८७० लेस. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ५ २५.५४११-७ से.मि. पं. बुद्धिविजयगणिओ गोरीबाई माटे लखेली, प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./ १२०५ परि. / २२३१ राजुल शणगार स्तवन ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५४११ से. मि. गाथा १८. प्र.सं./ १२०६ परि./८५०३/५ ऋषभसागर सहस्रकूट जिन स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १; २५x१०.५ से मि. गाथा ४. कर्ता — विजयधर्मसूरिना शिष्य छे. प्र.सं./१२०८ १९ प्र.सं./ १२०७ ऋषभसागर (त. ) सुविधि जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १ २४४१००४ से.मि. गाथा ९. कर्ता — तपगच्छना चारित्रसागरनी परंपरामां ऋद्धिसागरना शिष्य छे. समय वि. १८ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३८०). प्रति सुविधिजितना रंगीन चित्रथी अंकित छे. प्रति जीर्ण छे. परि./३८२४/२ परि. / ८४१२ Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ स्तुति-स्तोत्रादि कनककीर्ति (ख.) जिन विनती ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३जु; २६४१२ से.मि. गाथा १२. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरि> नयनकमल> जयमंदिरना शिष्य, समय वि.सं. १७मी सदीना उत्तरकाळना (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५६८). प्र.सं./१२०९ परि./१८५६ कनकरत्न (त.) ऋषभदेव स्तवन (शत्रुजयमंडन) ले.सं. १७६६; हाथकागळ पत्र १थी ३जु; २५.२४ ११ से.मि. कर्ता-तपगच्छना भावरत्न> शांतिरत्न> हस्तिरत्नना शिष्य छ, समय वि.सं. १८मी सदीनो गणी शकाय (जै. सा. इति., पृ. ६८० फकरो ९९९). प्र.सं./१२१० परि./२९५९/१ कनकविजय (त.) पार्श्वनाथ स्तवन (मंडोवर) ले.सं १७०८; हाथकागळ पत्र 1; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता- तपगच्छना (१) हीरविजयसूरिना शिष्य अने यशोविजयना समकालीन (२) ओज गच्छना वृद्धिविजयना शिष्य-बन्ने वि.सं. १७मी सदीना (अनु.) छे. (जै. सा. इति. पृ ६५१ अने ६६२, फकरो ९५१ अने ९७३.) रूपजीले प्रति लखी. प्र.सं./१२१ परि./६५७४/१ महावीर प्रभु स्तवन ले.सं. १८८९; हाथकागळ पत्र १लुं; १७४१०.५ से.मि. गाथा ९. लखनौनी दादावाडीमां प्रति लखायेली छे. प्र.सं /१२१२ परि./८१४४/३ कपूरविजय महावीर स्तवन र.सं. १७४४; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; १९.५४९ से.मि. गाथा १७. कर्ता—तपगच्छना विजयप्रभसूरि> उदयविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. कृतिने अंते परंपरा व. मळे छे. शांतिसागर गणिये प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. कृतिनी रचना मालगामे थयेली छे, प्र.स./१२१३ परि./८१४९/१ कमलविजय (त) १-सीमंधर जिन स्तवन ( लेख रूपे कागळ )-र.स. १६८२. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, १९.३४११.४ से.मि. गाथा १११; ग्रंथाग्र २२२. ___ कर्ता-त पगच्छना हीरविजयसूरि> विजयसेनसूरिना शिष्य छे. अमर्नु ‘दंडक स्तवन' वि.स. १६३१नु नेधायेखें छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५१३). प्र.सं/१२१४ परि./२७७५ Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २-सीमंधर जिन स्तवन. र.सं. १६८२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी १०मुं; २३.९४१०.४ से.मि. गाथा १०८. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.सं./१२१५ परि./६३८४/५ सीमंधरस्वामी विज्ञप्ति स्तवन. ले.स. १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५ थी ७मुं; २३.९४१०.४ से.मि. गाथा-९७. पाटणमां प्रति लखेली छे. प्र.सं./१२१६ परि./६३८४/४ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक; हाथकागळ पत्र ७ थी ८. २३.९x१०.४ से.मि. गाथा २५. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.सं./१२१७ परि./६३८४/३ कमलविजय (त) चतुर्विशति जिन स्तवन-~~-र.सं. १९४५. ले.स. १९४७; हाथकागळ पत्र १६; २५.३४ १०.९ से.मि. कर्ता--(तपगच्छना) लब्धिविजयना शिष्य छे. समय वि. सं. २०मी सदीनो छे. परंपरा प्रतिमांथी मळे छे. लब्धिविजयनी आज्ञाथी ने सहायथी वढवाणमां कृति रचाई. गजराबाई माटे प्रति लखेली छे. समकालिक प्रति छे. प्र.सं./१२१८ परि./१९६४ कल्याणचंद (त) धर्मनाथ स्तवन (२) : ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; २३.७४ १० से.मि. अनुक्रमे गाथा १३, ७. कर्ता-तपगच्छना दयाविजयना प्रेमचंदना शिष्य छे. समय मळी शकतो नथी. (जै.गू.क.मां नेांधायेलामाथी अक पण व्यक्ति प्रस्तुत कर्ता नथी.) परंपरा प्रतिमाथी मळे छे. उदयपुरमां शांतिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१२१९ परि./८२९१/२; ३ कल्याणदास (ले) नेमिजिन स्तवन. र.सं. १६७३: ले.स. १६९६; हाथकागळ पत्र १ थी ५, २६.५४११.५ से.मि. गाथा ८१. तूटक __कर्ता-लोकागच्छना वरसिंह जसवंत> कक्कराज> कृष्णदासना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदोनो छे (जै गू.क भा. १. पृ ५११. प्रतिमांथी पण परंपरा मळे छे.) थोभणना ठाकोरनी पुत्री बाई धनबाई माटे कर्ताना शिष्य हेमजीमे प्रति लखी. पत्र ४थुनथी. प्र.सं./१२२० परि /६६६/१ Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४८ स्तुति-स्तोत्रादि कल्याणमुनि ऋषभजिन नमस्कार-(२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२ थी ४३मुं; २१.९४७ से.मि.-अनुक्रमे गाथा ३: ६. ___कर्ता-गुरुनाम अमृत मुनि. समय-गच्छ अज्ञात. प्र.स./१२२१ परि./७७७७/७०; ७८ पद्मनाभ जिन नमस्कार ले.स १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३९; २१.९४७ से.मि. गाथा ३. प्र.स./ २२२ परि./७७७७/७९ शांतिजिन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२९; २१.९४७ से.मि. गाथा ३. प्रसं./१२२३ ___ परि./७७७७/७१ समेतशिखर स्तवन (२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हायकांगळ पत्र ४३मु; ५२ थी ५४मुं २१.९४७ से.मि.-अनुक्रमे पद्य ३; ७. प्र.सं.,१२२४ परि./७७७७/८०; ११३ पूजाष्टक. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४१ थी ४२ मु. २१.७४१०.४ से.मि. पद्य ९. प्र सं./१२२५ परि./७७७७/७१ सिद्धचक्र नमस्कार (२). ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२मुं अने ४४मुं. २१.९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ६; ५. प्र.सं./१२२६ परि./७७७७/६९: ८३ सीमंधर स्वामी चैत्यवंदन ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३; २१.९४७ से.मि , गाथा ३ प्र.स./१२२७ परि./७७७७/७६ कल्याणविमल सिद्धाचल स्तुति. ले.स. २८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३जु; २६.४४ ११.२ से.मि., पद्य ४. प्र.स./१२२८ परि./८५५०/४ कल्याणसागर पार्श्वजिन स्तोत्र (गोडी), ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४.८x ११ से.मि. गाथा ९. कर्ता अंचलगच्छना विसं. १७मा शतकना छे. (जै.ग.क. भा ३. खं. १, पृ. ९७०; भा १, पृ. ४८९). प्र.सं./१२२९ परि./६५१५/३ Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १४९ सुबाहुस्तवन ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र ३जु; २३.२४१०.२ से.मि. गाथा ६. प्र.स./३२३० परि./७६४१/९ चतुर्विशति जिन स्तुति. ले.सं. १८६३; हाथकागळ पत्र ४ थी "मुं; २५.५४११.६ से.मि. गाथा २७. गुलाबसागर गणिो राजनगर (अमदावाद)मां प्रति लखी. प्र.सं./१२३१ परि./८३३९/७ कवियण (त) सुपार्श्व जिन स्तवन. ले.सं. १७६९; हाथकागळ पत्र १; २३.२४ १०.२ से.मि. गाथा-७. कर्ता-तपगच्छना सं. १६५२ पहेलांना, हीरविजयसूरिना वखतना (जै. गू. क. भा १, पृ १५९) प्र.सं./१२३२ परि./७६४१/२ सुपा जिन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २ थी ३; २५४१०.९ से.मि. गाथा ७. लाहोरमां ललितविजये प्रति लखी. प्र.सं./१२३३ परि./३५९२/३ पद्मप्रभु जिन स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २०.५४११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१२३४ ____ परि./२७४९/३ पद्मप्रभ स्वामी स्तवन. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुं; २५४१०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१२३५ परि. ६२०५/२५ सुमतिनाथ स्तवन. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ जु; २०.५४११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१२३६ परि./२७४९/३ पद्मावती स्तोत्र. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६९, २५४१ ०.९ से.मि. गाथा-१५. प्र.सं./१२३७ परि./५८६०/६ कांतिविजय (त.) पार्श्वनाथ स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ९९; २५.३४११.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता-तपगच्छना कीर्तिविजयनी परंपरामा बिनयविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८मा शतकनो (जै. गु. क. भा-२; पृ. १८१). प्र.सं./१२३८ परि./२२४२/३ Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० स्तुति-स्तोत्रादि चतुर्विशति जिन स्तवन. ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ९; २५.७४ ११.३ से.मि. गाथा १५१, तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स /१२३९ परि./३०८० कांतिविजय (त.) ऋषभदेव स्तवन ले.स. १८सु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २५.२४१०.५ से मि. गाथा-५. कर्ता-तपगच्छना कीर्तिविजयनी परंपरामां विनयविजयना शिष्य के प्र.स. १२४७वाळा से नक्की थई शकतु नथी. (जै. गू. क. भा.-२. पृ. १८१) प्र.सं./१२४० परि./२६६३/१० ऋषभदेव स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथफागळ पत्र २३ थी २४मु. २५४१०.९ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१२४१ परि ५८६०/१८ नेम स्तवन. ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २४.७X11.५ से मि. गाथा ८. प्र.सं./१२४२ परि./११०२/१ अष्टमी स्तवन. ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १ थी २ जु; २३.७४११.८ से.मि. ढाळ २. प्र.सं./१२४३ परि,१७०४/१ आठमनु स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.२४१०.७ से.मि. गाथा-८+१६; ढाळ २. प्र.स./१२४४ परि./५८२० रोहिणी तप स्तुति. ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु'; २५४१०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१२४५ परि./३८२४/८ शिक्षास्तोत्र, र.सं. १८३५ ले.सं. १९१८; हाथकागळ पत्र ३९ थी ४०; २५.७४१२ से.मि. गाथा ४०. भोय्यत्रामा गोरजी श्यामजीले प्रति लखी. प्र.सं./१२४६ परि./२२३४/३५ कांतिविजय (त) ऋषभजिन स्तुति. ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४१०.५ से मि. गाथा ४. कर्ता-तपगच्छना विजयप्रभसूरिनी परंपरामां प्रेमविजयना शिष्य छे, वि.सं. १८मा शतकनो समय छे. (ज.गु. क. भा. २, पृ. ५२८) परंपरा कृतिमांथी मळे छे. प्र.सं./१२४७ परि./३८२४/४. प ... Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १५१ संभवजिन स्तवन. ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं /१२४८ परि /२०६०/१५ सुमतिजिन स्तवन. ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २३.५४११.८ से.मि. गाथा २. प्र.सं./१२४९ __परि./११०२/२ सुपार्श्व जिन स्तवन. ले.सं. १८१९; हाथकागळ पत्र ११मुं; २४४१०.५ से मि. गाथा ५. पं. जयविजयगणिए प्रति लखी. प्र.सं./१२५० परि /६५५६/४ सुपार्श्वनाथ स्तवन. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१२५१ परि./२०६०/२६ चंद्रप्रभ जिन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१२५२ परि./२०६०/१७ शीतल जिन स्तवन ले.स. १९मु रातक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २४.७x ११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१२५३ परि./२०६०/१८ अनंतनाथ स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८,'; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. सांतलपुर-आडेसरमां भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१२५४ परि./२०६०/१९ धर्मजिन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ८९; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१२५५ परि /२०६०/२० कुंथुजिन स्तवन, ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७मु, २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. ___ सांतलपुर-आडेसरमां भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१२५६ परि./२०६०/३० मुनिसुव्रतजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २४.७x ११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१२५७ परि./२०६०/२१ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र २१थी २२; २४४१०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१२५८ परि./७१९६/४४ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२ स्तुति-स्तोत्रादि सुबाहुजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३५थी ३६मुं; २४.७४ १०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१२५९ परि./२०६०/४४ १-मौन एकादशी स्तवन र.सं. १७६९, ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.८४११ से मि. ढाळ ३. रचना डभोईमां चोमासा दरम्यान करवामां आवी. प्र.सं./१२६० परि./३८४७/१ २-मौन एकादशी स्तवन र.सं. १७६९. ले.सं. १८७४; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २५४१०.७ से.मि. ढाळ ३. बाई झवेर माटे पालणपुरमा रामचंदे प्रति लखी. प्र.सं./१२६१ परि.३८०३/१ ३-मौन एकादशी स्तवन ले.सं. १८०८; हाथकागळ पत्र १८ थी २२९; २५.५५ ११.३ से.मि. ढाळ ३. ___ पादरामा पारेख जीवण न्हानाभाई कानजीए प्रति लखी. प्र.सं./१२६२ परि /३५६७/२ ४-मौन एकादशी स्तवन र.सं. १७६९; ले.सं. १८२९; हाथकागळ पत्र २ थी ५; २५.५४११.३ से.मि. ढाळ ३. प्र.स /१२६३ परि./२९८ ९/२ ५-मौन अकादशी स्तवन र.सं. १७६९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३८ थी ४०मुं; २५.८४११.५ से.मि. ढाळ ३. गाथा २७. प्र.सं./१२६४ परि./२३४ ०/३२ नवपदनी स्तुति ले सं. १८४९; हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २३४ १०.४ से.मि. गाथा ४. वडीगामे हेमविजयना शिष्य तेजविजय गणिजे प्रति लखी. प्र.स./१२६५ परि./७७१५/९ सिद्धचक्रथोयो ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५९; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४ प्र.सं./१२६६ परि./५२५२/१६ कीर्तिविजय (त.) धर्मनाथ स्तवन र सं. १७१६. ले.सं. १८४२; हाथकागळ पत्र ९; २२.४४१०.१ से.मि. गाथा १३५. कर्ता-तपगच्छना छे. (जे. गू. क. भा. २, पृ. ४६७मां एमनी वि.सं. १७६६नी रचना मळे छे.) रचना सुरतमां थई छे. प्रति पाटणमां लखायेली छे. प्र.सं./१२६७ परि./७७१७ Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १५३ कीर्तिविमल (त.) चतुर्विशति जिन स्तवन ले.सं. १७८९; हाथकागळ पत्र ५, २५४१०.५ से.मि. ढाळ २४. कर्ता-तपगच्छना विजयविमल> लालजीना शिष्य छे. समय वि सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५९५). प्रहलादनपुर (पालणपुर)मां पं. भोलानाथे प्रति लखो. प्र.सं./१२६८ परि./३९४३ कुशलक्षेम अष्टापद प्रासाद स्वरूप स्तवन ले.सं. १७३०; हाथकागळ पत्र १७ थी १९; २४.७४१०.४ से.मि. गाथा ५३. ___ कर्ता-कोई जिनराजसरिना शिष्य छे. (ज. गू. क. के जै. सा. इति.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी.) डभोईमां प्रति कांतिसौभाग्यगणिए लखी छे. प्र.सं./१२६९ परि./५९५१/२० कुशलधीर (ख.) आदिजिन स्तवन (सोवनगिरिमंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; २५.३४१०.२ से.मि. गाथा १७. __ कर्ता-खरतरगच्छना जिनमाणिक्यसूरि> कल्याणधीर> कल्याणलाभना शिष्य छे. एमनी वि.सं. १७०७थी वि.सं. १७२९ सुधीनी रचनाओ मळे छे. (जै. सा. इति. पृ. ६६७ फकरो ९७९; जै. गू. क. भा. २, पृ. २५९; जुओ-प्र.सं. १२७४). परंपरा आ प्रतिमांथी मळे छे. प्र.सं./१२७० ___ परि./७८८१/५ पार्श्वनाथ लघु स्तवन (२) ले.स. १८९ शतक; हाथकागळ पत्र ३जु; २५.३४१०.२ से.मि. अनुक्रमे गाथा ९, ९. आ बेमांथी अके रचना जै. गू, क.मां नेांधायेली नथी. प्र.सं./१२७१ परि./७८८१/२; ३ पार्श्वनाथ स्तवन ( फलवधिमंडन) ले.स. १८९ शतक ( अनु.): हाथकागळ पत्र ४; २५.३४१०.० से.मि. गाथा ८ अपूर्ण. जै. गू. क.मां आ रचना नेांधायेली नथी. प्र.सं./१२७२ परि./७८८१/६ पार्श्वनाथ स्तवन-(शंखेश्वरमंडन ) ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ३जु'; २५.३४१०.२ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./१२७३ परि./७८८१/४ २० Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ वृद्ध स्तवन- (सोवनगिरिमंडन) १७ ढाळीओ र.सं. १७०७. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.३४१०.२ से.मि. गाथा ५५. प्र.सं./१२७४ परि./७८८१/१ कुशललाभ वाचक (ख.) पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) र.सं. १६२१. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.७४१०.५ से.मि. गाथा ६१. ___ कर्ता-खरतरगच्छना अभयधर्मना शिष्य छे. समय वि.स. १७मा शतकनो पूर्वार्ध (जै. सा. इति., पृ. ६०६, फकरो ८९६; जै. गू. क. भा. १, पृ. २११). प्र.सं./१२७५ परि./५१८२ पार्श्वनाथ बृहद्स्तवन ( स्तंभनक ) ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.६४११.३ से.मि. प्र.सं./१२७६ परि./२१५६ नमस्कार महामंत्र महिमा स्तोत्र ले.स. २०९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.२४११-३ से.मि. गाथा १३. प्र.सं./१२७७ परि./६९७२ कुशलविजय (कुशलविनय) धर्मजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५४१०.५ से.मि. गाथा ५. __ कर्ता-वि.सं. १८माना छे, (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४०४; १५२३). प्र.सं./१२७८ परि./६२०५/१३ कुशलहर्ष (त.) नेमिजिन स्तवन ले.स. १७९ शतक; हाथकागळ पत्र १थी ३; २५४१८.३ से.मि. गाथा ६२. कर्ता-तपगच्छना वियजदानसूरि> हर्षसंयमना शिष्य छे. वि.सं. १५९८मां आ कुशलहर्ष तपगच्छ कुतुबपुरा पक्षे सौभाग्यनंदिसूरिना राज्यमां उपदेश आपता होवानो उल्लेख मळे छे. (जै. गू. क. भा, ३, खं. १, पृ. ६२१-२३). प्र.सं./१२७९ परि./५७१७/१ कुंवरविजय उपा. (त.) १-चतुर्विशतिजिन नमस्कार ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.८x११ से.मि. गाथा २९ कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरि विजयचंद्र> नयविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ८२२; भा. १, पृ. ३१३). कांना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.सं./१२८० परि./३०७८ Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि - २-चतुर्विशति जिन नमस्कार. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४१०.८ से.मि. गाथा २९, ग्रंथाग्र ४९. प्र.सं./१२८१ परि./५५९० ३-जिन स्तवन चोवीसी ले.स. १९मु शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र ४; २५.५४ ११.७ से.मि. प्र.सं./१२८२ परि./२३५८ सप्तस्मरण-स्तबक ले.स. १७६२; हाथकागळ पत्र १ थी २४, २५.६४१०.६ से मि. आउआनगरमां पं. गौतमसागरे प्रति लखी. प्र.सं./१२८३ परि./५६५८/१ कृष्णविजय पार्श्वनाथ स्तुति ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. कर्ता-कोई मोहनविजयना शिष्य छे. प्र.सं./१२८४ परि./५२५२/२ महावीर स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१२८५ परि./५२५२/३ कृष्णविजय पार्वजिन स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; १५.५४१२ से.मि. गाथा ४. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.सं./१२८६ परि./८६०२/५ केसरकुशल (त.) पंचमी स्तवन र.सं. १७५८ ले.सं. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.१४११.४ से.मि. गाथा ७५. कर्ता-तपगच्छना लालकुशल> वीरकुशल> सौभाग्यकुशलना शिष्य (परंपरा प्रतिमांथी मळे छे.) वि.सं. १७०६नी रचेली कृति जै. गू. क. भा. २, पृ. १७मां नेांधायेली छे, अटले वि.सं. १८मी सदीनो पूर्वार्ध एमनो समय गणाय. ___कृति सिद्धपुरमा चोमासा-वास दरम्यान रचाई छे. प्र.सं./१२८७ परि./७५६८ केसरविजय शांतिजिन स्तवन ले.सं. १८१९: हाथकागळ पत्र ११९; २४.२४१०.५ से.मि. गाथा १५ कर्ता-जयविजयना शिष्य छे. गच्छ के समय मळतो नथी. नेमिविजय> खुशालविजय> पं. जयविजयगणिए प्रति लखी. प्र.सं./१२८८ परि.६५५६/३ Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ स्तुति-स्तोत्रादि केसरविजय (त.) शीतलनाथ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४७ थी ४८; २१.९४७ से.मि. गाथा ११. कर्ता-तपगच्छना लक्ष्मीविजयना शिष्य छे. प्र.सं./१२८९ परि./७७७७/९२ शांतिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.२४११०२ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१२९० परि./८३१६/२ नेमिनाथ स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२मुं, २१.९४७ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१२९१ परि./७७७७/७२ नेमिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक ( अनु.): हाथकागळ पत्र १लु, २५.२४११०२ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१२९२ परि./८३१६/३ नेमिनाथ स्तवन (गिरिनारमंडन)-(२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४८मुं अने ५९मु; २१.९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; ५. प्र.सं./१२९३ परि./७७७७/९६; १३० पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.२४११.२ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१२९४ परि/८३१६/४ पार्श्वनाथ स्तुति (६) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९. ५४, ५७, ५८, ६० अने ६३ थी ६५२१.९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ५, ५, ५, ७ अने ४१. प्र.सं./१२९५ परि./७७७७/११४, १२३; १२४; १२५; १३०; १४१ पार्श्व जिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६.२४१०.७ से.मि. गाथा १२. प्र.सं./१२९६ परि./८२६०/२ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.सं. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१२९७ परि./७७७७/७३ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले सं.१९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५४ थी ५५मु; २१.९४७ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१२९८ परि./७७७७/११४ Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि १५७ १ – पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणि ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९ मुं; २१.९४७ से. मि. गाथा ६. प्र.सं./ १२९९ परि./७७७७/९७ २- पार्श्वनाथ स्तवन ( चिंतामणि ) ले . स . १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ५ ; २५.२४११-२ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./ १३०० परि./८३१६/२० पार्श्वनाथ स्तवन ( चिंतामणि ) ले.स. १९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ५५मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१३०१ परि./७७७७/११५ पार्श्वनाथ स्तवन (बरहानपुर मंडन ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६० मुं; २१.९७ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१३०२ परि./७७७७/१३१ पार्श्वनाथ स्तवन ( मनमोहन ) ले.स. १९मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ६० मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१३०३ परि. / ७७७७/१३२ पार्श्वनाथ स्तवन ( सहस्रफणा ) ले.स. १९ मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ५०मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१३०४ परि /७७७७/१० पार्श्वनाथ स्तवन ( स्तंभन ) .स. १९ शतक ( अनु. ); हाथका गळ पत्र ४३मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./ १३०५ परि./७७७७/७५ महावीर जिन स्तवन (२) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ५५ थी ५६मुं; २१.९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५ ९. प्र.सं./१३०६ परि./७७७७/११७; ११९ महावीर प्रभु स्तवन ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९मुं; २१.९४७ से. मि. गाथा ५. प्र.सं./१३०७ परि./७७७७/१२८ महावीर जिन स्तवन ( क्षत्रियकुंड मंडन ) ले.स. १९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५५मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./ १३०८ परि./७७७७/११६ महावीर चैत्यवंदन स्तवन ले.स. १९मुळे शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ लुं; २५.२x११.२ से.मि. गाथा ३. परि./८३१६/५ प्र.सं./१३०९ Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ स्तुति-स्तोत्रादि महावीरजिन स्तवन (पावापुरी मंडन) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५६मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१३१० परि./७७७७/१९८ गुरुस्तुति ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५मु; २५.२४११.२ से.मि. गाथा १५. प्र.सं./१३११ परि./८३१६/१८ पंचतीर्थी नमस्कार ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३ थी ४४मु; २१.९४७ से.मि. पद्य ३. प्र.सं./१३१२ परि./७७७७/८३ विहरमान जिन स्तवन (स्तवनमाळा) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१३१३ परि./७७७७/८१ सिद्धचक्र चैत्यवंदन-स्ववन ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र लुं; २५.२४ ११.२ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१३१४ परि./८३१६/६ सिद्धचक्र स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५मुं; २५४१०.२ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./१३१५ परि./५२५२/१३ सिद्धचक स्तवन ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.२४११०२ से.मि. गाथा ५. प्र.सं/१३१६ परि./८३१६/१३ सीमंधर स्वामी चैत्यवंदन-स्तवन (२) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३९ अने ४५९; २१.९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ३; ९. प्र.स./१३१७ परि./७७७७/७६; ८४ केसरविमल (त.) ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु'; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. कर्ता-तपगच्छना शांतिविमलना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४४२; भा. ३, खं. २, पृ. १३८७). भक्तिविजये सांतलपुर-आ डिसरमा प्रति लखी. प्र.सं./१३१८ परि./२०६०/३० Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १५९ केसरसागर १-लघुशांति स्तवन-स्तबक ले.सं. १७६२; हाथकागळ पत्र २४थी २७, २५.६४१०.६ से.मि. ___ कर्ता-कांतिसागर गणिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो (प्र. सं. भा. २, पृ. २७७). • मानवदेवसूरिनु मूळ स्तवन संस्कृतमां छे. आउनगरमां गौतमसागरे प्रति लखी. प्र.सं./१३१९ परि./५६५८/२ २-लघुशांति स्तोत्र-स्तबक ले.सं. १७९८; हाथकागळ पत्र ६; २४.३४११.३ से.मि. पद्य १७, ग्रंथाग्र २००. मनरूपसागरे प्रति लखी. प्र.सं./१३२० परि /४१०१ ३- लघुशांति स्तवन-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४११.८ से.मि. पद्य १७. प्र.सं./१३२१ परि./१८२१ ४-ला शांति स्तोत्र-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.९४ ११.१ से.मि. पद्य १७. प्र.सं./१३२२ परि./६००६ सिद्धचक्रस्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुंः २४४१०.२ से.मि. गाथा १६. प्र.सं./१३२३ परि./८५९९/१२ सिद्धचक्र स्तवन ले.स. १७८५: हाथकागळ पत्र २०मुं; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ८. थिरागामे नायकविजये प्रति लखी. प्र.सं./१३२४ परि./२३६७/३५ पंचतीर्थ तीर्थमाला ले.स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.७४१२.२ से.मि. प्र.सं./१३२५ परि./१०८५ क्षमाकल्याण (ख.) आदिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४६९; २१.९४७ से.मि. गाथा ४. कर्ता-खरतरगच्छना जिनलाभसूरि> अमृतधर्मना शिष्य छे. एमनी वि.सं. १८३३५६ सुधीनी कृतिओ नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १७८ अने जै. सा. इति. पृ. ६७५, फकरा ९९३, पृ. ६८० फकरो ९९९). प्र.स./१३२६ परि./७७७७/८६ ऋषभ स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.२४११.३ से.मि. गाथा ३. प्र.स./१३२७ परि./८३१६/१ Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि ऋषभ जिन स्तवन (३) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६० थी ६२मु; २१.९४७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ५, ७. प्र.स ं./१३२८ परि. / ७७७७/१३३; १३४; १३६ क्षमाकीर्ति (वि.) सीमंधर स्वामी विनंती ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु २५०५४ १०.३ से. मि. गाथा २१. १६० कर्ता—विधिपक्षना धर्ममूर्ति > हर्षवर्धनना शिष्य छे. ऋषिराजकीर्तिए भुडुडीआ गामे प्रति लखी. प्र. सं / १३२९ क्षमांविजय (त. ) शाश्वत शाश्वतजिन चैत्यवंदन स्तवन ले. स. २० शतक (अनु.); २५-५४११.५ से.मि. हाथ कागळ पत्र ४थुं; कर्ता - तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां कपूरविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १७९३ पछेलां. (जै. गू. क, भा. ३, खं. २. पृ. १४५१). परि. / ७८३७/२ प्र.सं./१३३० क्षेमकुशल (त.) शत्रुंजय स्तवन .स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ४; २४ ३४११ से. मि. कर्ता — तपाच्छीय हीर विजयसूरिना विजयसेनसूरिनी परंपरामां मेघमुनिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो (जै. गू. क. भा. १. पृ. ४६९). प्रसं / १३३१ परि. / ७६१० खीमचंद ऋषभदेव स्तवन ले. स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६३; २५.५४११ से.मि. गाथा १. प्र.स ं./१३३३ गज विजय परि. / ५४१८/२ कर्ता - देवराजना शिष्य छे. प्र.सं./ १३३२ शत्रुंजय चैत्यपरिपाटी ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; से.मि. पद्य ३२. परि. / ३२६९/२ २५.७४११ पार्श्वनाथ स्तुति ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ लु; २५×११.४ से.मि. गाथा ४ कर्ता — गच्छनायक विजयसिंहसूरिना शिष्य छे. अनुमाने समय १८मा शतको कही शकाय. (जै. सा. इति, पृ. ६७९, फकरो ९९९). प्र.सं./१३३४ परि./२८३१/२ परि. / ५२९९ Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि गलालसागर (त) पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) र.सं १७६० ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ मुं; २५x१०.५ से.मि. गाथा ९. कर्ता - तपगच्छना छे. विशेष माहिती उपलब्ध नथी. समय वि.सं. १८मा शतकनो. परि./६२०५/२६ प्रसौं / १३३५ गुणरंगगणि अजितनाथ ( समवसरण विचार) स्तवन. ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४.५x१० से.मि. गाथा २३ – तूटक. प्रमोदमाणिक्यना शिष्य छे. ( कृतिनी गाथा २३ ) कर्ता - परिचय उपलब्ध नथी. २जु पत्र नथी ( गाथा ५ थी १८ नथी). प्र.सं./३३६ १६१ परि./६०६३/२ पार्श्वनाथ स्तोत्र ( जालउरा ) ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २४.५X १० से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१३३७ परि./६०६३/२ पार्श्वनाथ स्तोत्र ( जीराउला ) ले.स. १७ मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५x१० से.मि. गाथा १५. परि./६०६३/१ प्र.सं./१३३८. जिन प्रतिमा स्तवन ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २जु; २४.५X१००५ से. मि. गाथा २५ परि./२६४७/४ प्र.सं./ १३३९ गुणविजय (त. ) ऋषभदेव स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४०५४१००७ से.मि. गाथा ११. कर्ता - तपगच्छना विजयाणंदसूरि> कुंवर विजयना शिष्य छे. जै. गू क. भा. १मां वि.सं. १७ ना गणाया छे. कर्ताना स्वहस्ताक्षरमां प्रति छे. प्र.सं./१३४० परि./५०७४/२ १ – पंचमी स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५०५४११०४ से.मि. प्रति जीर्ण छे. परि./३३५६ प्र.सं./ १३४१ २१ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ २ स्तुति स्तोत्रादि पंचमी स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ २५४१२.१ से.मि. श्राविका रीयातबाई माटे बारेजामां पं. ऋद्धिविजयगणिए प्रति लखी. परि./२०५१ प्र. सं / १३४२ ३ – पंचमी स्तवन ले.स. १८०४; हाथकागळ पत्र ५ २४.३४१०.२ से.मि. गाथा ४६. फूलबाई पाटे विजयद्विसूरि विजयसौभाग्यसूरिना शिष्य पं. कृपाविजये प्रति लखी. परि. / ६०९० प्र.सं./१३४३ महावीर स्तुति ( संप्रति राजा गर्भित ) लेस. १८०७; हाथकागळ पत्र ६०; २३.५× ९.४ से.मि. गाथा ४. मतिविजयमुनिए पालीताणामां प्रति लखी छे. प्र.सं./१३४४ गुणविजय १ – सुजात स्तवन ले. सं. १८२५; हाथकागळ पत्र ८मुं; २३-६४१०.७ से.मि. गाथा ६. कर्ता - नयविजयना शिष्य छे. बीजी माहिती नथी. उदयपुरमा पति लखेली छे. प्र. सं / १३४५ परि / ४९११/२ २- सुजात जिन स्तवन ले. स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९मुं २७.४४ १२.५ से.मि. गाथा ६. प्र. सं / १३४६ परि. / ९५२/१२ गुणविमल (त. ) पूजा विचार स्तवन .स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ २५x१०.९ से.मि गाथा २७. परि./८३४३/१८ प्र.सं./ १३४८ कर्ता — तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां विनयविमलना शिष्य छे. ( गाथा २७ ). समय पण वि.सं. १६०३नो गणी शकाय ( प्र.सं. पृ. २२५; जै. सा. इति. पृ. ६०६, फकरो ८९६ ). प्र.सं./१३४७ परि./५८६०/९ गुणसमुद्रसूरि (प.) पार्श्वनाथ स्तवन ले स. १५९४; हाथकागळ पत्र १थी २; २६४११ से.मि. गाथा १३. कर्ता — पौर्णनिक गच्छना गुणसागरसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १४७४ - १५११ (जै. सा. इति. पृ. ४६८, फकरा ६८४, टि. ४५३; जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ४३८). आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. लाभमाणिक्यगणिए प्रति लखी. पत्र १८ थी १९; परि./३१४०/१ Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १६३ गुणसागरसूरि (वि.) १-शांतिनाथ स्तोत्र ( हस्तिनापुरमंडन) ले.स. १८९७; हाथकागळ पत्र २; २६४१२.५ से.मि. गाथा २१. कर्ता-विजयगच्छना विजयऋषि> धर्मदास> खेमजी> पद्मसागरना शिष्य छे. समय वि.सं. १६७६नो छे. (जै. गू. क, भा. १, पृ. ४९७; जै. सा. इति. पु. ६०७ फकरो ८९६). मुनि कल्याणविमले पादलिप्तनगर(पालीताणा)मां प्रति लखी. प्र.सं./१३४९ परि./२३४२ २-शांतिनाथ स्तोत्र ले.सं. १९१८: हाथकागळ पत्र ३७ थी ३८; २५.७४१२ से.मि. गाथा २१. गोरजी श्यामविजये भोय्यत्रामा प्रति लखी. प्र.सं./१३५० परि./२२३४/३१ ३-शांतिनाथ जिन स्तवन (हस्तिनापुरमंडन) ले.सं. १९०४ (शाके १७६४); हाथकागळ पत्र २ थी ३;. २४.२४१०.२ से.मि. गाथा २१ तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्रति सोजत गामे लखेली छे. प्र.स./१३५१ परि./६०४८/१ गुणसागर आदिजिन विनति ले.स. १७२४: हाथकागळ पत्र १; २४४१०.५ से.मि. गाथा २४. ___ कर्ता-(१) विजयगच्छना; (२) तपगच्छ के (1) पौर्णमिक गच्छना अनुक्रमे वि.सं. १६मा के १७मा शतकना ए नक्की नथी थतुं. (जै. गू. क. भा, ३, ख. १. पृ. ४३८; भा. १, पृ. ४९७, जै. सा. इति., पृ. ४६८ फकरो ६८४; पृ. ६०७, फकरो ८९६). बुरहानपुरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./१३५२ परि./६८३९ आदिनाथ स्तवन. ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.५४११.३ से.मि. ढाळ-४. प्र.स./१३५३ परि./१६९६ पार्श्वनाथ विनति स्तवन ( चिंतामणि) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी १४; २५४१०.९ से.मि. गाथा २८ प्र.स./१३५४ परि./५८६०/३ गुणसौभाग्य पार्श्वनाथ स्तवन (थंभण) र.स. १६०९; ले स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २६.२४११ से.मि. गाथा ५. कर्ता-विजयदानसूरिना शिष्य, समय १७मी सदीना उत्तरार्धनो गणी शकाय प्र.स./१३५५ परि./२१८०/२ Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ हर्ष (.) १ - - महावीर जिन स्तवन. ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ९: २४.५४ ११.४ से.मि. गाथा १२२. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरि > विजयसेनसूरि > विजयदेवसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५९५ ), प्र.सं./१३५६ २ - महावीर जिन स्तवन ले सं. १८८८; ढाळ १०. प्र.सं./१३५८ पालिनगरमा बाई चंपा माटे पं. जयंतविजये प्रति लखी. प्रसं./१३५७ परि./२५२३ ३ - महावीर जिन निर्वाण स्तवन ( दीवाली स्तवन) ले.स २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५-७४१०-७ से.मि. गाथा १२३. ४ - महावीरजिन निर्वाण स्तवन दिवाली स्तवन ले.सं. १८५६ २७•३×११.९ से.मि. गाथा १२२ (१२३). विसलनगर (वीसनगर) मां पं. लक्ष्मीविजयगणिए प्रति लखी. प्र.सं./१३६० गौतम हाथका गळ पत्र ११. प्र.सं./१३५९ परि./८३८१ ५ – महावीर - स्तवन ( दीवाळी कल्प) ले, स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९; २६४११.१ से.मि. गाथा १२५ ग्रंथाग्र २०४. परि./७५२१ गौडी पार्श्वनाथ स्तवन २६×११.९ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./ १३६३ स्तुति स्तोत्रादि शांतिजिन स्तवन ( लींबडी मंडन ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० मुं; २४४११०२ से.मि. गाथा ८. कर्ता - धनविजय शिष्य छे. परि./१९६९ २३.५४११ से.मि. परि./४०८९/१५ प्र.सं./१३६१ ( गौडी) पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. 1९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.५४११ से.मि. गाथा ५. प्र सं / १३६२ परि./३५७३/२ चंदो चाणस्मामां मुनि तेजविजये प्रति लखी. परि./७५१२ हाथकागळ पत्र ६; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जुं; परि./७४६३/१६ Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १६५ चंद्रविजय (त.) शाश्वत जिन बिंब स्तवन २.सं. १७२५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा ९+२=११. कर्ता--तपगच्छना विजयराजसूरि रुद्धिविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १७२५; (जै, गू, क. भा. २, पृ. ३०२-३०३ अने जै. सा. इति. पृ. ६६५ फकरो ९७६मां नेांधायेला बन्नेमांथी अकपण प्रस्तुत व्यक्ति नथी. परंपरा अने समय जुदा छे.) संखेडामां कृति रचाई. प.सं./१३६४ परि./५८१९ चारित्रमेरु (ख.) पाश्वनाथ स्तोत्र (रावण) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1; २२.४४ १०.३ से.मि. गाथा ७. कर्ता-खरतरगच्छना वि.स. १६५४ मां हयात. (बी. जै. ले. सं. १९६७). प्र.स./१३६५ परि./७७२०/१ चारुदत्त वाचक आत्मशिक्षा स्तोत्र ले.स. १९१८; हाथकागळ पत्र ४० थी ४१; २५.७४१२ से.मि, गाथा २३. कर्ता-वि.स. १७५१मां हयात (जै. सा. इति. पृ. ६५८ फकरो ९६५) प्र.स/१३६६ परि./२२३४/३६ जगजीवन (लो.) जिन स्तवन चोवीसी र.स. १८२४; ले.स. १८२६; हाथकागळ पत्र ६; २६.५४ ११.७ से.मि. ढाळ २४. कर्ता-लांकागच्छना छे अने अमनी वि.स. १८०७नी रचेली कृति मळे छे. (जो गू. क. भा. ३. खं. १, पृ. २०). कृति दीवमां रचाओली छे. ऋषि देवजीना शिष्य वाल्हाजी ऋषिना शिष्य ऋषि सोमचंदे भावनगरमा प्रति लखी. प्र.स./१३६७ . परि./१०६६ जगरूप नेमिनाथ विनती ले.स, १'मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; १४.२४१०.२ से.मि. गाथा १२. प्र.सं./१३६८ परि./८६१८/१ Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ स्तुति-स्तोत्रादि जयतिलकसूरि (त.) आबु चैत्य प्रवाडी ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी १४मु; २४४९.९ से.मि. गाथा १७. _____ कर्ता-बृ. तपगच्छना वि.स. १४५६मा विद्यमान. (जे. सा. इति. पृ. ४४७ फकरो ६५८.) प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१३६९ परि./८६०१/५ गिरनार चैत्यपरिपाटी. ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३मु; २४४९.९ से.मि पद्य १८. प्र.स./१३७० परि./८६०१/४ जयवंत पंडित (त.) सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४१०.५ से.मि. ढाळ २ गाथा ३६. ___कर्ता-बृहत् तपगच्छना विनयमंडनना शिष्य. समय वि.सं. १६१४ थी १७४३ (जै. सा. इति. पृ. ६०६ फकरो ८९६; जै. गू. क. भा. १, पृ. १९८). ___आंतरा गामे प्रति लखेली छे. प्र सं./१३७१ परि./४६५४ जयविजय पार्श्वनाथ स्तुति ले.स. १८८७; हाथकागळ पत्र ६; २३.५४९.४ से.मि. गाथा ४. कर्ता-शुभविजयना शिष्य छे. पालीताणामां मुनि मतिविजये प्रति लखी. प्र.स./१३७२ परि./८३४३/१५ तीर्थमाला ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.७४९.८ से.मि. प्र.स./१३७३ परि./५८७३ जयसागर उपा. (ख) अजितनाथ विनति ले.स. १६मुं शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २६.२४१ ०.९ से.मि. गाथा १७. कर्ता-खरतरगच्छना जिनराजसूरिना शिष्य छे. अमनी रचेली कृतिओ वि.सं. १४७३ थी १५०३ सुधीनी नेांधायेली छे. (जै. सा. इति. पृ. ४७४ फकरो ६९५, ६९६). प्रति जीर्ण छे. प्रस./१३७४ परि./३ ४२०/२० नेमिनाथ स्तुति ले.स १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २६.२४१०.९ से.मि. गाथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स /१३७५ परि./३४२०/३२ Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १६७ पार्श्वनाथ लघु स्तोत्र ले स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मुं; २६.२४१०.९ से.मि. गाथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१३७६ परि./३४ २०/२६ पार्श्वनाथ लधु विनति (मंगलपुरमंडन) ले.स. १६मुं शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र ९मुं; २६.२४१०.९ से.मि. गाथा ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१३७७ - परि.।३४२०/२५ पार्श्वनाथ विनति ले.स. १६९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ९मुं; २६.२४१०.९ से.मि. गाथा ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१३७८ परि./३४२०/२७ महावीर विनति ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २६.२४१०.९ से.मि. गाथा १६. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१३७९ परि./३४२०/१७ चैत्यपरिपाटी (२) ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुं; ९मुं; २६.२४ १०.९ से.मि. अनुक्रमे गाथा १७, २१. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१३८० परि./३४२०/२१; २२ वीतराग विनति ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकोगळ पत्र ७मुं; २६.२४१०.९ से.मि. गाथा १५. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१३८१ परि./३४२०/१८ जयसार (त.) पार्श्वनाथ स्तवन (अट्ठोतरसो) र.सं. १६६१, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ७४. कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरि> कीर्तिसारना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदी. प्र.सं /१३८२ परि./३११६ जयसोम आदिदेव स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४११ से.मि. गाथा ११. कर्ता-खरतरगच्छना के तपगच्छन। छे. (जै. गू. क. भा. 1, पृ. ४९३; भा. २, पृ. १२६) वा. अमृतविजये प्रति लखी. प्र.सं./१३८३ परि./३८८८/२ Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ स्तुति-स्तोत्रादि कल्याणक स्तोत्र ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.३४१०.५ से.मि. गाथा १४. पं. बिमलकीर्तिगणिए प्रति लखी. प्र.सं./१३८४ परि./५२३८/३ जसकवि रामसाहस्यकीर्ति (दश देश पृथक पृथक भाषा गर्भित, कोई रामशाहनी स्तुति छे.) ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४९.७ से.मि. संघपति डाह्यासुतना स्मरण माटे रचेली कृति. महिमासमुद्रनी नसपुरमा लखेली प्रति. प्र.सं./१३८५ ___ परि./६७५३/१ जिनचंद्र ज्ञानपंचभी स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; .५.२४११.२ से.मि. गाथा ४. ___ कर्ता-जिनलाभसूरिना शिष्य छे. प्र.सं./१३८६ परि./८३१६/२३ पार्श्वनाथ स्तवन (महेवामंडन) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २५.२४११.२ से.मि. गाथा ९. प्र.स./१३८७ परि./८३१६/२२ जिनचंद्र (ख.) पार्श्वस्त वन (लोद्रपुरमंडन ) ले.स. १८९ शतक ( अनु.), हाथकागळ पत्र ५मु; २४.७४१००२ से.मि. गाथा ८. कर्ता-खरतरगच्छना जिनराजसूरिना शिष्य. वि.सं. १७५३नी रचेली कृति मळे छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १३३३). प्र.सं./१३८८ परि./६२५२/३ जिनचंद्र पार्श्वजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१; २१४९.७ से.मि. गाथा ९. कर्ता-कया जिनचंद्र ए नक्की नथी. प्र.सं./१३८९ परि /७७७७/१०१ जिनचंद्र १-पंचमी चैत्यवंदन स्तुति ले.स. १९१४; हाथकागळ पत्र ७मुं; २५.२४९.५ से.मि. ____ कर्ता-खीमाविजय शिष्य. प्र.सं/१३९० परि./६००५/२ २-पंचमी नमस्कार ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६छु'; २७.२४१२ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१३९१ परि./३२७/२ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १६९ ३-पंचमी चैत्यतदन स्तुति ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.७४१०.५ से.मि. गाथा २. आदिनी कडी पडी गई छे. प्र.सं./१३९२ परि.,८५५०/२ जिनप्रभसूरि पंच परमेष्ठि नमस्कार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.७४ १२.५ से.मि. प्र.सं./१३९३ ___ परि./८३८७/३ जिनभक्तिसूरि पार्श्वनाथ स्तोत्र (वरकाणा) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.५४ १०.४ से.मि. गाथा ७. प्र.स./१३९४ परि./६७५२/२ जिनमाणिक्य (ख.) १-शीतलनाथ स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१०.४ से.मि. गाथा २१. कर्ता-खरतरगच्छना ६०मा पट्टधर. जन्म वि.सं. १५४९, दीक्षा १५६०, आचार्यपद १५८२; स्वर्गवास १६१२ (जे. गू. क. भा. १, पृ. १७०). प्र.सं./१३९५ परि./७३१५ २-शीतल जिन विनति ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.७x ११ से.मि. गाथा २१. प्र.सं./१३९६ परि./३३९८ जिनराजसूरि (ख.) पार्श्वनाथ स्तवन (गुणस्थान विचारगर्भित) बालावबोध र.सं. १६६५. ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २५४१०.१ से.मि. ___ कर्ता-खरतरगच्छना जिनसिंहसूरिना शिष्य, समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (ज. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. १०४७; खं. २, पृ. १५१९). मूळनी रचना जेसलमेरमां थयेली छे. (प्रतिमां आपेली परंपरा प्रमाणे जिनराजसूरिनु ज पूर्वावस्थानुं नाम राजसमुद्रसूरि होवानुं संभवे छे.) संग्रामपुरमा शिवनिधानगणिए बालावबोध रच्यो; पं. रंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./१३९७ परि/६ १७९ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३९: २५४१०.९ से.मि. गाथा ४ थी ७, तूटक. पत्र २२मुं नथी. प्र.सं./१३९८ ... परि./५८६०/१३ Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोदि. १-चतुर्विशति जिन गीत स्तवन ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २०.७४८.९ से.मि. अपूर्ण. पार्श्वनाथ सुधी संपूर्ण अने महावीर गीतनी ४थी कडीथी अधूरूं. प्र.सं./१३९९ परि./७७१४ २-चतुर्विशति जिन गीत स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६थी ९; २०-७४१ २.२ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. विमलनाथथी शरू थाय छे. प्र.सं./१४०० परि./८११६ ३–वर्तमान जिन गीत चोवीसी ले.सं. १७४६; हाथकागळ पत्र ४; २४.८४१०.९ से.मि. ढाळ २४. बाटग्रामे मुनि शुभसागरनी सहायथी मुनि धर्मचंद्रे प्रति लखी. प्र.सं./१४०१ परि./४९६८ ४-जिन स्तवन चोवीसी (सचित्र) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४; १०x४.५ से.मि. दरेक पत्रमा रंगीन शाहीथी दोरेलु एक एक तीर्थकरनुं चित्र छे. प्रति कागळनी ओक बाजु उपर लखेली छे. प्र.सं./१४८२ परि./८७७३ जिनलाभसूरि (ख.) शीतलजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.२४११.२ से.मि. गाथा ४. कर्ता-वि.सं. १८०४थी १८३४मां हयात (जै. गू. क. भा. ३, ख. १. पृ. ३२२) प्र.सं./१४०३ परि./८३१६/८ शीतलजिन स्तवन ( सुरतमंडन ) ले.स. १९मुं शतक ( अनु.); हायकागळ पत्र २जु; २५.२४११.२ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./१४०४ परि./८३१६/९ १-पार्श्वनाथ स्तवन (गौडी) ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५३मुं, २१.९४७ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१४०५ परि./७७७७/१०२ २-पार्श्वनाथ स्तवन (गौडी) ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र. ५९; २५.२४११.२ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१४०६ परि./८३१६/१५ पार्वजिन स्तवन (गौडी) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु: २५.२४ ११.२ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४ ०७ परि./८३१६/२१ Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति--स्तोत्रादि १७१ १-पाश्र्वनाथ स्तवन (नवखडा) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५२मुं; २१.९४७ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१४०८ परि./७७७७/१०३ २-पार्वनाथ स्तवन (नवखंडा) ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५.२४११.२ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१४०९ परि./८३१६/१४ १-पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) र.सं. १८२६; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१मुं: २१.९४७ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४१० परि./७७७७/१०५ २-पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) र.सं. १८२६; ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जुः २५.२४६१.२ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४११ परि./८३१६/१३ पार्श्वनाथ स्तवन ( सहस्रफणा ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५१मु; २१.९४७ से.मि. गाथा ९. प्र.स./१४१२ परि./७७७७/१०९ पार्श्वनाथ स्तवन (सुरतमंडन ) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.२४११.२ से.मि. गाथा १०. प्र.स./१४१३ परि./८३१६/१० महावीर स्तवन (२) ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.२४ ११.२ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; ११. प्र.सं./१४१४ परि./८३१६/१६, १७ सिद्धचक्र स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १लं; २५.२४११.२ से मि. गाथा ४. प्र.सं./१४१५ परि./८३१६/७ जिनविजय (त.) ऋषभजिन स्तवन ले सं. १९३६; हाथकागळ पत्र लु; २६४१२ से.मि. गाथा ९. का-तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां कपूरविजया> खीमा विजयना शिष्य. जन्म वि.सं १७५२; दीक्षा १७७०; स्वर्गवास १७९९. (जै. गू, क. भा. २. पृ. ५६३.) छबील वीरचंदे प्रति लिखी छे. अ.स./१४१६ परि./१६८७/१ ऋषभ स्तवन ( अकेव स्तुति ) ले स. १९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु: २६.५४११.५ से.मि. गाथा १. परि./३२९६/७ प्र.सं.१-४१७. . Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ स्तुति-स्तोत्रादि ऋषभ स्तवन (समकीत स्तवन) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २७.४४१२.५ से.मि. गाथा ६. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१४१८ परि./९५२/९ पद्मप्रभु स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २६.५४११.५ से.मि. गाथा १. प्र.सं./१४१९ परि./३२९६/६ १-शीतलजिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २, १९.५४१२ से.मि. गाथा ५. गनानचंदे लखेली प्रति छे. प्र.सं./१४२० परि./८०३२/३ २-शीतलजिन स्तवन ले.सं. १९३६; हाथकागळ पत्र २जु; २६४१२ से.मि. गाथा ५. गोधापुरगामना पुष्कर्णाज्ञातिना लक्ष्मीचंदना भाई, व्यास छबील वीरचंदे प्रति लखी. प्र.सं./१४२१ . परि./१६८७/७ ३-शीतलजिन स्तवन ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र १५९; २६.४४१२ से.मि. गाथा ५. पं. लक्ष्मीविजयगणिजे वीसलनगरमां प्रति लखी. प्र.स./१४२२ परि./१०४२/११ ४-शीतलजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१४२३ परि./६५०५/२ __ सुविधि जिन स्तवन ले.स. १९३६; हाथकागळ पत्र २जु; २६४१२ से.मि. गाथा ५. प्र.सं /१४२४ परि./१६८७/६ विमल जिन स्तवन ले.सं. १९३६; हाथकागळ पत्र लुं; २६४१२ से.मि. गाथा ८. प्र.स./१४२५ परि.१६८७/२ अरजिन स्तवन ले.सं. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २४४१०.७ से.मि. गाथा १०. प्र.स./१४२६ नेमिनाथ स्तवन ले.सं. १९३६; हाथकागळ पत्र १ थी २; २६४१२ से.मि. गाथा १५. प्र.स./१४२७ __ परि./१६८७/३ ___ पार्वजिन विनति ले स. १९३६; हाथकागळ पत्र २जु; २६४१२ से.मि. गाथा ७. प्र.स./१४२८ __ परि/.१६८७/४ ___ पार्वजिन स्तवन ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र २५मु ; २४४१ ०.५ से.मि. गाथा ६; ___प्रतिमां अंक स्थाने सुशोभन चित्रो छे. प्र.सं/१४२९ परि./७१९६/५३ . परि./४८८४/७ Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि १७३ पार्श्वनाथ (चतुर्वारकथनीया) स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २६.५x११.५ से.मि. गाथा १. प्र.सं./१४३० परि./३२९६/३ पार्श्वनाथ स्तोत्र ( शंखेश्वर ) ले.स. १७९५; हाथ कागळ पत्र ४थुं; २३.८x१०.५ से.मि. गाथा ११. पं. रत्नविजये प्रति लखी. सं./१४३१ परि./७६०८/२ महावीर जिन स्तवन ले. सं. १९३६; हाथकागळ पत्र २जु; २६४१२ से.मि. गाथा ७. परि / १६८७/५ प्र.सं./१४३२ ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ २४०५४१००३ से.मि. शत्रुंजय स्तवन पद्य १६. प्र.सं./१४३३ चतुर्विंशति जिन नमस्कार १०.८ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./ १४३४ परि./३५८०/२ जिन स्तवन चोवीसी ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र १ थी १०; २५.७४ ११ से.मि. प्र.सं./१४३५ परि./८९१९/१ अकैव तथा द्वितीया स्तुति ले.स. १९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४ थी ५: २६.५X११.५ से.मि. गाथा १+१+४. प्र.सं./१४३६ परि./३२९६/७ अष्टमी स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु ं; २६.५x११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१४३७ अष्टमी चैत्यवंदन स्तवन १०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१४३८ परि./६५२६ .स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुंः २५.३४ अकादशी चैत्यवंदन स्तवन ११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१४३९ प्रति सुरतमां लखेली छे. प्र.सं./१४४० परि./३२९६/१ ले. स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.७x परि./३२९६/१० अकादशी चैत्यवंदन स्तवन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २जु; २५-७४ १०.५ से.मि. गाथा ९. परि./८५५०/३ परि./८५५०/१ ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २६.५४ Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ स्तुति-स्तोत्रादि अकादशी चैत्यवंदन स्तवन ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु'; २३.५४१०.७ से.मि. गाथा १२ । प्र.स./१४४१ परि./६५९४/४ १-(मौन) अकादशी स्तवन र.सं. १७९५; ले.स. १९# शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २जु: २३.५४१०.७ से.मि. गाथा ४.. राजनगर (अमदावाद)मां कृति रचाई, महिमाप्रभसूरिसे प्रति लखी. प्र.सं./१४४२ परि./४८६६ २-(मौन) अकादशी स्तवन र.सं. १७९५; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.४४११.८ से.मि. ढाळ ४. प्र.सं./१४४३ परि./१०३७/१ ३-(मौन) अकादशी स्तवन र.सं. १७९५; ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २जु; २२.५४११ से.मि. गाथा ४२. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१४४४ परि./४०९३ ४-(मौन) अकादशी स्तवन र.सं. १७९५; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.३४११.५ से.मि. गाथा. ४२. प्र.स./१४४५ परि./७५४४ ५-(मौन) अकादशी स्तवन र.सं. १७९५; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४११.२ से.मि. गाथा ४२. पुण्यसागरसूरि सुरतमा प्रति लखी. प्र.सं./१४४६ परि./५८६३ चैत्यवंदन भाष्यनी स्तुति ले.स. २०९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१४४७ परि./६७९६/८ पर्युषण स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.५४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१४४८ परि./३२९६/४ १-ज्ञान पंचमी स्तवन र.सं. १७९३; ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६; २५.७४११.५ से मि. ढाळ ६. कृतिनी रचना पाटणमां थयेली छे. 'वरदत्त-गुणमंजरी कथा ' आमां वणा येली छे. प्र.सं./१४४९ परि./७५३२ २-ज्ञान पंचमी स्तवन र.सं. १७९३; ले.स. १८९४; हाथकागळ पत्र ४; २६.७४ १२.५ से.मि. ढाळ ६. प्र.सं./१४५० परि./१६४७. Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति तोबादि १७ ३-ज्ञान पंचमी स्तवन र.सं. १७९३ ले.स. १९१७; हाथकागळ पत्र ५, २६:१४ ११.९ से.मि. ढाळ ६. शा. लवजी मोतिचंदे पालणपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./१४५१ परि./२०१६ ४-ज्ञान पंचमी (तपमाहात्म्यरूप-वीरजिन) स्तवन र.स. १७९३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.९४११.५ से.मि. ढाळ ५. डुंगरजीओ पाटणमां प्रति लखी. प्र.सं./१४५२ __परि /८५२२ ५-ज्ञान पंचमी स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ८, २३४१२ से.मि. ढाळ ८. पं. दयासागरना शिष्य पं. जयवंतसागरे प्रति नगर(?)मां लखी. प्र.सं./१४५३ परि./११०७ १--सिद्धचक्र स्तुति ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४ २६.४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१४५४ परि./३२९६/५ २-सिद्धचक्रस्तुति. ले.स. १९मुशतक; हाथकागळ पत्र १०९; २५.७४११ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१४५५ परि./८९१९/२ जिनविजय (त.) ढाळ माळा स्तवन र.स. १७००, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.२४१०.४ से.मि. गाथा २७. कर्ता-तपगच्छमां विजयप्रभसूरिना शिष्य कीर्तिविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १७३४ सुधीनो गणी शकाय (जै. स. इति. पृ. ६६५, फकरो ९७६). प्र.सं./१४५६ परि./१९६६ जिनविजय __ अकादशीस्तुति ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६.५४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१४५७ परि./३२९६/२ जिनविजय युगमंधरजिन स्तवन ले.स. १८६९; हाथ कागळ पत्र १७थी १८; २४४१ ०.५ से.मि. गाथा ९. प्र.स/१४५८ परि./१९५/३५ .. Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ जिनहर्षगणि (ख.) आदिनाथ स्तवन . स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १७ १८, २५.५X१०.५ से.मि. गाथा ९. कर्ता ——खरतरगच्छना शांतिहर्षना शिष्य छे. समय वि.सं. १७०४ थी १७६२ (जै. गू. क. भा. ३, ख ं. २, पृ. ११४०, १५२१; जै. सा. इति., पृ. ६६४, फकरो ९७६). प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./ १४५९ परि./७०२२/४८ आदिनाथ स्तवन (३) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, १७; २५.५४ १०.५ से.मि. गाथा अनुक्रमे ९, ७, ९. प्रति जीर्ण छे. ऋषभदेव स्तवन ( अदबुदनाथ ) २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४६२ स्तुति स्तोत्रादि प्र.सं./१४६० ऋषभदेव स्तवन ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६थी १७; १०.५ से.मि. ढाळ ६, गाथा २१. प्र.सं./१४६१ परि. / ७०२२/४०, ४६, ४७ २५.५४ ले. स. १८मुं शतक (अनु.); परि. / ७०२२/५४ ऋषभदेव स्तवन ( विमलाचलमंडन ) (२) ले स. १८ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र १५ अने १९; २५.५x१०.५ से.मि. गाथा अनुक्रमे ११, ९. प्र.सं./१४६३ परि./७०२२/४५ हाथकागळ पत्र १९ मुं परि./७०२२/३२; ५६ ऋषभदेव स्तवन (शत्रुंजय मंडन ) (२) ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८थी १९; २५.५×१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११, १७. प्र. सं./ १४६४ परि./७०२२/५२, ५३ ऋषभदेव स्तवन (शत्रुंजयगिरिमहिमा स्तवन ) (२), र.सं १७४५, ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६मु; २५०५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १३, ९. प्र.सं./१४६५ परि / ७०२२/४२, ४३ ऋषभदेव स्तवन (शत्रुंजय मंडन ) ( ४ ) ले स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५थी १८; २५.५x१०-५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ९, ७, प्र.सं./१४६६ १७, ७. परि. / ७०२२/३९, ४१, ५०, ५१ अजितनाथ स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.५×१ ०.५ से.मि. गाथा १० सुधी, अपूर्ण. प्र.सं./१४६७ परि./७०२२/५७ Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १७७ सुमति जिन स्तवन. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ८. प्र.स./१४६८ परि./६२०५/११ पार्वजिन स्तवन. ले.स. १८९ शतक; हाथकागळ पत्र ३जु. २५.८x११ से.मि. गाथा ५.. प्र.सं./१४६९ परि./३०८४/३ पार्वजिन स्तवन. (२); ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६ थी २८; २४.७४११.५. से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ७. सांतलपुर-आडिसरमां भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१४७० परि./२०६०/२६; ३१ पार्श्वनाथ स्तवन (३), ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ अने ११; २५.५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७; ७; ११. प्र.सं/१४७१ परि./७०२२/१७, २०; २१ पार्श्वनाथ स्तवन (४). ले.स. १८मुं शतक; हाथकागळ पत्र १२ थी १३{ २५.५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; ७, ५, ९. . प्र.सं./१४७२ परि./७०२२/२६; ३०, ३१; ३४ पार्श्वनाथ स्तवन-(अजाहरा) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; २५.५४१ ०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४७३ परि./७०२२/२४ पार्श्वनाथ स्तवन—(कलिकुंड). ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा १२. प्र.सं./१४७४ परि./७०२२/२९. पार्श्वनाथ स्तवन- (कंसारी) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२मुं; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ९. प्र.सं /१४७५ परि ७०२२/२५. पार्श्वनाथ-स्तुति (घग्घरनिसाणी). ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४. २७.४४११.५ सेमि. प्र.सं./१४७६ परि./१६३७ पार्श्वनाथ स्तवन–(गोडी)-(२). ले स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ६ढुं अने १२मु; २५.५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ६ सुधी-अपूर्ण; ५. पत्रो ७ थी १० नथी. प्र.सं./१४७७ परि./७०२२/१८; २८ पार्श्वनाथ स्तवन-(चारुपमंडन). ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३मु २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४७८ परि./७०२२/३३ Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन--(नवरंगपुर) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४७९ परि./७०२२/२२ पार्श्वनाथ स्तवन–(पंचासर) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३मु; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ८, अपूर्ण. सातमी गाथामां 'सं. ८०२मां वनराज चावडाना समयमां शीलांगसूरिओ पाटणमां स्थापना करी' अम आपेलु छे. पत्र १४९ नथी. प्र.सं १४८० परि./७०२२/३५ पार्श्वनाथ स्तवन-(बारमासा). ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ११ थी १३ अपूर्ण. पत्र ७ थी १० नथी. प्र.सं./१४८१ परि./७०२२/१९ पार्श्वनाथ स्तवन--(भटेवा). ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३मु; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./१४८२ परि./७०२२/३२ १-पार्श्वनाथ स्तवन—(शंखेश्वर); ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१४८३ परि./७०२२/२३ २–पार्श्वनाथ स्तवन-(शंखेश्वर). ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०मु. २४.८४१२ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१४८४ परि./४०८९/१४ पार्श्वनाथ स्तवन--(शंखेश्वर). ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५९; २५.५ ४१०.५ से.मि. गाथा १३. (९ थी १३) तूटक. पत्र १४, नथी. प्र.स./१४८५ परि./७०२२/२७ पार्श्वनाथ स्तवन-(शंखेश्वर). ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५९; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१४८६ परि /७०२२/३६ पार्श्वनाथ स्तवन-(शंखेश्वर) ले.स. १९मुं शतक; हाथकागळ पत्र २८मु. २४.७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्रसं./१४८७ परि./२०६०/३२ विमलाचल स्तवन (२); ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९९; २५.५४ १०.५ से.मि.--अनुक्रमे गाथा ७; ७. प्र.सं./१४८८ परि./७०२२/५५, ५६ Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १७९ विशालजिन स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २८ थी २९; २१.२४ ६.९ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१४८९ परि./८४८०/६ तीर्थ चैत्यपरिपाटी. ले.सं. १७५९; हाथकागळ पत्र २; २४.५४१०.६ से.मि. प्र.सं./१४९० परि./२४१२ तीर्थ चैत्यपरिपाटी. ले.स. १७५९; हाथकागळ पत्र २; २४.३४१०.५ से.मि. पद्य ४७. प्र.स./१४९१ परि./६५२४ शत्रुजयतीर्थ स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६मु, २६.२४ ११ से.मि. प्र.सं./१४९२ परि./७०२२/४४. समेतशिखर स्तवन, ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; १५.७४११.७ से.मि. पद्य ६. प्र.सं./१४९३ परि./८६१७/७ जिनहर्ष (ख). १-शांति जिन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २४४११.२ से.मि. गाथा ७. कर्ता--कया जिनहर्ष से नक्की नथी थतु. प्र.सं./१४९४ परि./४०८९/२ २-शांतिजिन स्तवन, ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ थी २६; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१४९५ परि./२०६०/२५. जिनेन्द्र मुनि (त) अनंतजिन स्तवन. ले.सं. १८८९; हाथकागळ पत्र १थी २; १७४१०.५ से.मि. गाथा ९. कर्ता-तपगच्छना विजयक्षमासूरि>जसवंतसागरना शिष्य छे. समय वि. स. १८मी सदीना पाछला भागनो गणी शकाय. (वि.सं. १७८१मां रचेली कृति मळे छे-जै. गू. क. भा. २. पृ. ५५५). प्र.सं./१४९६ परि./८१४४/२ महावीर जिन स्तवन. ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र १९९; २४४१०.५ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./१४९७ परि./७१९६/३९ अष्टापद स्तवन. ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र ४थु; २४.५४११ से.मि. गाथा ८. बोराणामां प्रति लखेली छे. प्र.सं./१४९८ परि./४०११/३ Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० स्तुति-स्तावादि . आबूगढ तीर्थ स्तवन. ले.स. १८९९: हाथकागळ पत्र १०मुं; २५.४४११.५ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./१४९९ परि./४०११/८ त्रिभुवन शाश्वता जिन चैत्यबिंब संख्या स्तवन ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २२.५४११ से.मि. गाथा ६०. आगलोड मंदिरमा पं. मोहनविजयगणिना शिष्य पं. माणेकविजये प्रति लखी. प्र.स /१५०० परि./८३३२. (मौन) अकादशी स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१ मुं; २५.८४ ११.५ से मि. गाथा ७ थी २८. तूटक, पत्र ३०भुं नथी. प्र.स./१५०१ परि./२३४०/१८ पंचमी स्तुति. ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४थु; १५.५४१२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१५८२ परि./८६०२/८ जीतविजयगणि (त.) सुपार्वजिन स्तवन. र स. १६०५ के १७०५ (१) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३. २५.८४११ से मि. गाथा ९५; ग्रंथान १०१. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयमूरिनी परंपरामां कनकविजयना शिष्य छे (गा, ८५थी ९१) रचना समय संदिग्ध छे. (" वेतवाज्यारि अनुसारकि अब्द हवइ भणु ए."-गाथा ९३). रचना सिद्धपुरमा थई. प्र.सं /१५०३ परि./२१५१ जीतविजय पार्श्वनाथ स्तवन-(गोडी) ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २५.५४ ११ से मि, गाथा ५. कर्ता-व(वि)नीतविजयना शिष्य तरीके पोताने ओळखावे छे. (गाथा ५) गच्छ के समथ मळतो नी. प्र.सं./१५०४ परि./४२५८/२८ जीतविजय वासुपूज्यजिन स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २५.२४१०.५ से.मि. गाथा ५ कर्ता-कर्ता पोताने जिनचंदना शिष्य तरीके ओळखावे छे. (गा. ५) गच्छ के समय मळतो नथी. प.सं./१५०५ परि./२६६३/ Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १८१ जीवणविजय विमलगिरि स्तवन. ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र ११ थी १२मुं; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. कर्ता-ही विजय> शुभविजयना शिष्य छे. गच्छके समय जाणी शकातो नथी. (परिचय कृतिमां मळे छे.) वाडीगाममां देमविजयगणिना शिष्य तेजविजयगणिशे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१५०६ परि./७७१५/१९ ज्ञानचंद्र (ख.) जुगबाहु जिनविनंति स्तवन. ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २४.७x 10-७ से.मि. गाथा १७. कर्ता-खरतर गच्छना जिनचंद्रसूरि> पुण्यप्रधान> सुमतिसागरना शिष्य छे. (गा. १७). समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १. पृ. १०८५.) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी.) गोरधने प्रति लखी. प्र.सं./१५०७ परि./२४६७/१ ज्ञानचंद्र जिनस्तवन चोवीसी. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.७४१०.७ से.मि. ढाळ २४. कर्ता-(१) १६मी सदीना (२) १७मी सदीना एम बे ज्ञानचंद्रमांथी कया से नक्की नथी थई शकतु. गंठीया गामे प्रति लखेली छे. (पृ. १) प्र.स./१५०८ परि./६०५९/३ ज्ञानचंद्र महावीर जिन स्तवन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; 1९.५४१२ से मि. गाथा ९. कर्ता-कोई रूपविजयना शिष्य छे. (गा. ९.) स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.सं/१५०९ परि./८०३२/२ ज्ञानविजय नेमिजिन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५४११ से.मि. गाथा ५. ___कर्ता-मात्र नाम निर्देश मळे छे. प्र.सं./१५११ परि./८५०३/६ Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ ज्ञानमूर्ति उपा. (अं) शाश्वत जिन भवन चेत्य परिपाटी ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २१.२ १०.३ से. मि. कर्ता - अंचलगच्छमां धर्ममूर्तिसूरि > विमलमूर्ति > गुणमूर्तिना शिष्य छे. वि. सं. १६९४मां रचेली ओमनी कृति नांधाई छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १ पृ. १०४३). प्र.सं./ १५१० परि./८१६६ ज्ञानविमलसूरि (त) आदि जिन स्तवन (२). ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४ अने ९ थी १०; २९.५४११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १२; १२. कर्ता - तपगच्छना विनयविमल > धीरविमलना शिष्य छे. समय - जन्म वि.सं. १६९४; दीक्षा १७०२ अने स्वर्गवास वि.सं. १७८२. (जै. गू. क. भा. २. पू. ५०८.) प्र.सं./१५१२ परि./९२७/४६१३ स्तुति स्तोत्रादि आदिजिन स्तुति - ( सारिका कृता ). ले. सं. १८७६; हाथकागळ पत्र १ थी २ २२.५४ ११ से.मि. गाथा १०. प्र. सं / १५१३ परि./७६९३/३ ऋषभदेव जिन स्तवन. ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३ थी ४४; २५x११ से.मि. गाथा ८. रंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./१५१४ परि./३७५०/२१ ऋषभजिन स्तवन. ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५० २११ से. मि. गाथा ७. लिपिकार गणि विजयहरख. प्र.सं./ १५१५ परि. / ६९९६/१ ऋषभदेव स्तवन. ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४४१०.८ से.मि. गाथा ७. प्र.स./ १५१६ परि./७६४६/१७ ऋषभ जिन स्तवन. ( राणकपुर मंडन ) ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २५.५x११.५ से.मि. गाथा ११. प्र. स./ १५१७ परि./९२७/९ वासुपूज्य जिन स्तवन ( २ ); ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५० थी ५६ २५.५×११.५ से.मि. - अनुक्रमे गाथा ९; १२. प्र.सं./ १५१८ परि./९२७/५९; ५२ वासुपूज्य थोय. ले.स. १९मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १५ मुं; २४४११.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१५१९ परि०/४०८९/२८. Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि १८३ धर्मजिन स्तवन ( २ ); ले.स. १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४५ अने ४७ २५.५४ ११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५४; १७. प्र.सं./ १५२० धर्मनाथ स्तुति. ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र २ २३०५४९ से मि गाथा ४. पालीताणामां मुनि मतिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१५२१ परि./८३४३/४ शांतिजिन स्तवन, ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६ २५०५×११.३ से. मि. गाथा ६. प्र.सं./१५२२ परि. / २९१२/१२ शांति जिन स्तवन ( ६ ) . ले. स. १८मुळे शतक ( अनु ); क्रमे हाथकागळ पत्र ५, ४३ थी ४४; ४८ थी ४९; ५१ थी ५४; ५५; ६२. २५-५x११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १७; ७३; १३; ८४; १३; १४. प्र.सं./१९२३ शांतिजिन स्तवन ( चौद सुपनार्थक) ले.स. ३३; २५.५×११.५ से.मि. गाथा १८. प्र.सं./१५२४ परि. / ९२७/४६, ४७ परि. / ९२७ / ७; ४३; ५० ५५ ५७; ६५ १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२ थी परि./९२७/३५ मल्लिनाथ स्तवन. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६० थी ६२; २५.५ ११.५ से.मि. गाथा ६४. प्र.सं./१५२५ परि. / ९२७/६३ नेमिजिन स्तवन. ( २ ). ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५०५ ११.३ से.मि. अनुक्रमे गाथा १०; ११. प्र.सं./१५२६ मिजिन स्तवन ( ३ ). ले. स. १८ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ४ ; थी ५६. २४.५X११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १५; १३; ११: पर. / १५२७ परि./२९१२/७; ८ ४३ अने ५५ परि./९२७/५ ४२; ५८ पार्श्वनाथ स्तवन. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५. २५.५४ ११.५ सेमि गाथा १३५. पार्श्वनाथनां १३५ नामो आ कृतिमां गूंथेलां छे. प्र.सं./१५२८ परि. / ९२७/१८ पार्श्वजिन स्तवन (२). ले.सं. १८७६, हाथकागल पत्र १; २५.५४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ८; १०. प्र.सं./१५२९ परि./७६९३/१; २ Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ स्तुति-स्तोत्रादि पार्वजिन स्तवन (४). ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७ थी १९; ४४ थी ४५; ५०; ५७. अनुक्रमे गाथा ३१: १२; १२; १८. प्र.सं/१५३० परि./९२७/२१; ४४; ५३; ६० पार्वजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.७४११ से.मि. गाथा ५. प्र.स/१५३१ परि./१७०४/३ पार्श्व जिन स्तवन (३); ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ३; ५ अने १४ थी १५. २५.५४११.३ से.मि. अनुक्रमे गाथा ६; ५, ६. प्र.सं./१५३२ ___ परि./२९१२/६; ११; १४ पार्वजिन स्तवन. ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १४ थी १५. २६.४४१२ से.मि. गाथा ४. वीसलपुर (वीसनगर)मां लक्ष्मीविजयगणिजे प्रति लखी. प्र.स..१५३३ परि./१०४२/१० पार्श्व स्तुति (अमृतधून). ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; १४.५४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१५३४ परि./८६१४/२ पार्श्वनाथ जिन स्तवन (गोडी) (चिंतामणि) (२); ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५ थी ६ अने ८ थी ९; २५.५४११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १५, २६. प्र.स./१५३५ परि./९२७/८; ११ पार्श्वनाथ स्तवन (पंचासरा). ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मु; २५.५ ४११.३ से.मि. गाथा ९. प्र.स./१५३६ परि./२९१२/१८ पार्श्वनाथ स्तवन (भाभा) (२) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९ २५.५४११.३ से.मि. अनुक्रमे गाथा ४; ७. प्र./१५३७ परि./२९१२/१५: १६ पार्श्वनाथ स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा १५. प्र.सं./१५३८ परि./९२७/२ १-पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर). ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५९; २५.२४११ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१५३९ परि./४२५८/२७ २-पार्श्वनाथ स्तवन. (शंखेश्वर) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७थी ८; २५.५४११.३ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१५४० परि./२९१२/१७. Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ९मुं. २५.५४११.५ . से.मि. गाथा १३. प्र.स./१५४३ परि./२९१५. पार्श्वनाथ स्तवन (शामळा) (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५७ थी ५९. २५.५४११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५,४२. प्र.स./१५४२ परि./९२७/५४; ६१ महावीर चैत्यवंदन स्तवन. ले.स. १९मु शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १. २७.२४१२ से.मि. गाथा १५. प्र.स./१५४३ परि./३२७/१ महावीर स्तवन. ले.स. १९मु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २थी ३. २५.५४११.३ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१५४४ परि./२९१२/५ महावीरजिन स्तवन (४) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५. २०थी २१ ४५: ५४थी ५५. २५.५४१ १.५ से.मि. अनु. गाथा १२, १५, १७, २६. प्र.स./१५४५ परि./९२७/६, २५, ४५, ५६, महावीरजिन (अष्टमी) स्तुति. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १. २५.८४११.५ से.मि. गाथा ४. श्रीपालपुरमा दानसागरे प्रति लखी. प्र.स./१५४६ परि /७३२५/१ १-अष्टापद स्तवन ले.स. १८८६. हाथकागळ पत्र १५९. २६.४४१२. से.मि. गाथा ८ प्र.स./१५४७ परि./१०४२/१२ २-अष्टापद स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु. २३४१०.२ से.मि. गाथा ९ प्र.सं./१५१८ परि /८५९९/४ आबूगिरि स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७थी ८. २५.८४११.४ से.मि. गाथा ३५. प्र.स./१५४९ परि./९२७/१० १-गिरनार-शत्रुजय तीर्थ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु. २६.२४११.७. से.मि. पद्य ७. प्र.स./१५५० परि./४२५८/२१ २-सिद्धाचल स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १. २५.८४११.५ से.मि. पद्य ९. प्र.सं./१५५१ परि./२९१२/१ -. २४ Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ तीर्थमाळा यात्रा स्तवन ले. स. २५.८४११.४ से.मि. गाथा ७७. प्र.सं./१५५२ परि./९२७/१६ मेरुगिरि नमस्कार ले. सं. १८४०. हाथकागळ पत्र ३थी ६; २६११-५ से.मि. गाथा ४२. प्र.सं./१५५३ परि. / ३०७७/३ शत्रुंजय तीर्थ स्तवन (२) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५. २६.२४११.७ से.मि. अनुक्रमे पद्य ७ ८. प्र. स. / १५५४ परि./४२५८/२४; २५ शत्रुंजयतीर्थ स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र १थी २. २५.८×११.४ से.मि. गाथा २२. प्र.सं./१५५५ परि./९२७/१ शत्रुंजयतीर्थ स्तवन लेस. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु. २४.४४१ ०.५ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./१५५६ १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र परि./६३१५/४ सिद्धाचळ स्तवन (२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु अने ४थी ५. २५.८४११.५ से.मि. अनुक्रमे पद्य ९; ९. प्र.सं./१५५७ परि./२९१२/४; ९ अतीत- अनागत- वर्तमान- चोवीसी ले.सं. १८४०. हाथहागळ पत्र १थी २जु. २६११.५ से.मि. गाथा २+३+८. प्र.सं./१५५८ परि./३०७७/१ अनागत-चोवीसी चैत्यवंदन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २. २७.२४१२ से. मि. गाथा ५. प्र.सं./१५५९ प्र.सं./१५६० स्तुति स्तोबा दि ११थी १४. परि./३२७/३ अनागत- चोवीसी - जिन स्तवन ले.स. १८७६. हाथकागळ पत्र २जु. २२४११०४ से.मि. बेलानगरमा खुशालंविजय गणिए प्रति लखो. १ - अध्यात्मगर्भित जिन स्तवन ले. स. १७५५. हाथकागळ पत्र ३. प्र.सं./१५६१ गाथा २८. बाई रहीया माटे सांतलपुरमां प्रति लखाई छे. २ – अध्यात्म स्तवन पंचशुद्धिगर्भित ले.स. १९ २६.४१२ से.मि. गाथा २८. प्र.सं./१५६२ परि. / ७६७८ २६४११ से.मि. परि./५६६० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २० परि./१०६२ Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि अरिहंत स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६मुं. २५.५४११.५ से मि. गाथा १६. प्रस./१५६३ परि./९२७/३० अष्टाविंशति स्थान स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३थी ४. २५.५४११.५ से.मि. गाथा ३८. प्र.सं./१५६४ परि./९२७/४१ १-आठमनी थोय ले.स. १७९५. हाथकागळ पत्र ४थु. २५.५४१०.९ से मि. गाथा ४. बावनगिरि गामे लब्धिविजये प्रति लखी. प्र.स./१५६५ परि /३१ १७/४ २-आठमनी स्तुति ले.सं. १७८३. हाथकागळ पत्र १. २६४११.५ से.मि. गाथा ४. लिपिकार तेजचंद्रना शिष्य दानचंद्रना शिष्य दोलतचंद्र. प्र.स.१५६६ परि./३३४२/३ ३-आठमनी स्तुति ले.स. १८४९, हाथकागळ पत्र ३थी ४. २२.३४१०.४ से.मि, गाथा ४. हेमविजयगणिना शिष्य तेजविजयगणि वाडीगाममां लखेली, प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१५६७ परि./७७१५/५ ४-आठमनी स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३. २५.५४११ से.मि. माथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१५६८ परि./३३३८/८ ५-आठमनी स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४९. २४४११.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१५६९ परि./४०८९/२७ ६-आठमनी स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु. २६४१०.२ से मि. गाथा ४. प्र.सं./१५७० परि./८५९९/२२ आठ महाप्रतिहार्य स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२थी २३. २५.५४११.५ से.मि. गाथा १५. प्र.सं./१५७१ परि./५२७/२८ आध्यात्मिक स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं. २५.२४११ से.मि. गाथा ५. प्रसं./१५७२ परि./४२५८/२६ । Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ स्तुति स्तोत्रादि अकादशी थोय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४. २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१५७३ कल्याणमंदिर स्तोत्र ( बालावबोध) स्तबक ले. सं. १८५१. २६-६९११.१ से.मि. पद्य ४४. प्र.सं./१५७४ परि. / ७२९५ चोरासी अतिशय स्तवन (२) ले स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५मुं अने २२मुं. २५.५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १४, १५. प्र.सं./१५७५ परि. / ९२७/१९; २७ १ - चोवीसी स्तवनो ले. सं. १८१२. हाथकागळ पत्र ६ २५४१०.५ से.मि. ढाळ २५. asनगरमा मुनि वर्धमाने प्रति लखो. प्र.सं./१५७६ परि०/४०७३ २ - चोवीसी स्तवनो ले.सं. १७८५ हाथकागळ पत्र २१थी २५. २५.७४११.५ से.मि. ढाळ २४ थिरागाममां नायक विजये प्रति लखी. प्र. सं./१५७८ सिद्धसेनसूरिनुं मूळ स्तोत्र संस्कृतमां छे, प्रति मांडलमा लखाई. प्र.सं./१५७७ परि./२३६७/३८ चोवीसी स्तवनो ले.सं. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १३मुं. २४.९४१००९ से.मि. ग्रंथाप्र ४००. पं. रूपसागरे प्रति लखी. परि. / ५२५२/११ हाथकागळ पत्र १०. प्र.सं./१५७९ चोवीसी स्तवनो ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९. गाथा १७. चोवीसी स्तवनो बालावबोध ले.सं. मूळ स्तवनो आनंदघननां छे. प्रति लखाई. प्र.सं./१५८२ प्र.सं./१५८० परि./८४९ जिन चैत्यवंदन नमस्कार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५. २५०२४११ से.मि. प्र.सं./१५८१ परि./४१९७ परि. / ४२३५ १९९१००७ से.मि. परि. / ८१४८ १८१७. हाथकागळ पत्र ५२. २७४१२ से.मि. वटपनगर ( वडोदरा ) मां शा बेचर सकलचंद माटे जिनचैत्यवंदनस्तुति ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७. २५.३४१०.८ से.मि. परि. / ३०८० Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १८९ जिन परिवार स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ मु. २५.५४१०.५ से.मि. गाथा १३. प्र.सं./१५८३ परि/९२७/१७ जिन भक्तिराग स्तवन ले.स. १८००. हाथकागळ पत्र ३जु. २४.९४११ से.मि. गाथा ५. दंतपुरमां मुनि सुबुद्धिमे प्रति लखी. प्र.सं./१५८४ परि./६९४०/२ जिन स्तवन-(बावन अक्षरमय) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६थी २७. २५.५४१०.५ से.मि. गाथा १५. प्र.स./१५८५ परि./९२७/३१ जिन स्तुति ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु. २५.५४११ से मि. गाथा ४. प्र.स./१५८६ परि /१६९२/२ नंदीश्वरद्वीप स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४थी ३६. २५.५४११.५ से.मि. गाथा २६. 'प्र.स./१५८७ परि./९२७/३८ पर्युषण नमस्कार ले.स. १९मुं शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ५थी ६. २७.२४१२ से मि. गाथा ७. प्र.स./१५८८ परि./३२७/१० १-पर्युषण पर्व स्तुति ले.सं. १९४१. हाथकागळ पत्र ५थी ६. २६४११.९ से.मि. गाथा ४. श्राविका नानी माटे पं. हिंमतविजयगणिजे प्रति लखी. प्र.सं./१५८९ परि./८२६५/२ २-पर्युषण पर्व स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु. २५४१०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१५९० - परि./३८२४/५ ३–पर्युषण पर्व स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २. - २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.म./१५९१ परि./५२५२/१ पंच परमेष्ठि स्तुति (नवकार स्तुति) ले.स. २०९ शतक (अनु.); यंत्रकागळ पत्र ३जु. २६.१४१२.२ से.मि. गाथा १. प्रति वादळी रंगना लेझर पेपर उपर लखेली छे. प्र.स./१५९२ परि./६९२१/२ Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ কৃষি-লাক্তি पंचमीनी स्तुति ले.सं. १७८३. हाथकागळ पत्र १. २६४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स/१५९३ परि./३३४२/२ १-पंदरतिथिनी थोयो ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६. २५४११.५ से.मि. प्र.स./१५९४ परि./७५४७ २-पंदरतिथि थोयो ले.सं. १८९४. हाथकागळ पत्र ७. २६.८४१२.५ से.मि. सूर्यश्री माटे ढुंगरजी) प्रति लखी. प्र.स./१५९५ परि./४२१ ३-पंदरतिथिनी थोयो ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९. २४.५५१०.२ से.मि. तूटक. छेल्लु पत्र नथी. प्र.सं./१५९६ परि./६१०२ पांत्रीसवाणी गुण स्तवन 'ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ थी २२; २५.५४११.५ से.मि. गाथा १५. प्र.स./१५९७ परि./९२७/२६ पिण्डस्थानादि ध्यान स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २७मुं. २५.५४११.५ से.मि, गाथा १८. प्र.स./१५९८ परि./९२७/३२ पूजाविधि स्तवन र.सं. १७४१. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३९थी ४०. २५.५४११.५ से.मि. गाथा ७५.. __ पत्र ४०९ बेवडायु छे. प्र.स./१५९९ परि./९२७/१० प्रश्चमपद स्तवन ले स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ७मु; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ७. प्रस./१६०० परि./७८३७/७ बीजनी स्तुति ले.सं. १७८३. हाथकागळ पत्र १. २६४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१६०१ परि./३३४२/१ रसवेलि स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकामळ पत्र १९मु. २५.५४११.५ से.मि.. गाथा ९. प्र.स./१६०२ परि./९२७/२२ विहरमान जिन स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु), हाथकागळ पत्र ५९ थी ६०; २५.५४११.५ से.मि. गाथा १६. परि./९२७/६२. Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९१ विहरमान जिन नमस्कार ले.स. १८४०; हाथका गळ पत्र ३जु; २६४११.५ से.मि. प्र.सं./१६.४ परि./३०७७/२ १-वीस स्थानक तपविधि स्तवन. ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २७.३४१३.१ से.मि. गाथा ८१. कृतिनी रचना सुरतमां थयेली छे. प्र.स./१६०५ परि./२३६ वीस स्थानक तप स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९ थी ३२; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ८१. प्र.सं./१६०६ परि./९२७/३४ १-शाश्वत जिन घर-जिन-प्रतिमा परिमाण स्तवन. ले.स.१८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३ थी २६; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ६८. प्र.स./१६०७ परि./९२७/२९. २- शाश्वत जिन घर जिन प्रतिमा-परिमाण स्तवन ले.स. १८६६; हाथकागळ पत्र १४ थी १७. २३.५४१२ से.मि. गाथा ६६. विसलनगर(वीसनगर)मां ललितविजये प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./१६०८ परि/११२१/४ ३- शाश्वत जिन प्रतिमा स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४y; २६.५४११.९ से.मि. गाथा ६०. प्र.सं./१६०९ परि./१५८३/१. सकलार्हत् स्तोत्र स्तबक. ले.स. १८७२ हाथकागळ पत्र ५; २७४१३ से.मि. लोक २९; मूळ स्तोत्र हेमचंद्रसूरिनुं संस्कृतमा छे. 'चतुर्विशति जिन नमस्कार' अने 'पाक्षिकदिन ___ नमस्कार' नामे पण कृति जाणीतो छ पाली मूकामे कपूरसागरे प्रति लखी. प्र.सं/१६१० परि./२२५ सप्तनय विचार स्तवन. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३ थी ३४; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ३७. प्र.स./१६११ परि./९२७/३६ सप्तस्मरण-स्तबक ले.स. १७४२ हाथकागळ पत्र २९; २४.१४११.१ मूळ रचना संस्कृतमा छे. प.स./१६१२ ___ परि./६४२८ सत्तरिसय जिन स्तवन. ले.सं. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १० थी ११; २५.५४११.५ से मि. गाथा २२. प्र.स./१६१३ परि./९२७/१५ साधारण जिन स्तवन (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४मु अने ४८मु. २५.५४११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११ अने १३. प्रम/६१५४ परि./९:२७/३७,३९ Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२ स्तुति-स्तोत्रादि १- साधारण जिन स्तवन ले.स. १८१५ हाथकागळ पत्र ९मुं; २५.५४११.७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१६१५ परि./१८६३/२ २-साधारणजिन स्तवन ले.स. १६६९; हाथकागळ पत्र २जु; २३.२४१०.२ से.मि. गाथा ५. प्र.सं/१६१६ परि./७६४१/५ सिद्धचक्र प्रथम पद (अरिहंतपद) स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मुं; २६.७४१२.१ से.मि. गाथा ७. त्र.सं./१६१७ परि./७८३७/७० सिद्धचक्र-द्वितीयपद- स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २६.३४१२.१ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./१६१८ परि./७८३७/८ सिद्धचक्र चैत्यवंदन स्तुति ले.स. १९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २: २५४११.७ से.मि. गाथा २१. प्र.सं./१६१९ परि./७१६३ सिद्धचक्र नमस्कार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४: २५.५४११ से.मि. गाथा २२. प्र.सं./१६२० परि./३५७२/२ सिदचक स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६२मुं; २५.५४११.५ से.मि. गाथा. १५ प्र.स./१६२१ परि./९२७/६४ सिद्धचक्र स्तुति. ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २३.५४९.४ से.मि. गाथा ४. पालीताणामां मुनि मतिविजये प्रति लखी.. प्र.सं./१६२२ परि./८३४३/५ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २; १२.९४१२.५. गाथा १२. प्र.सं/१६२३ परि./८०२९/१ . १-सीमंधर स्वामी स्तवन. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२ थी २९; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ३४. प्र.स./१६२४ परि./९२७/३३ २-सीमंधर जिन स्तवन. ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र २; २५.५४११-६ से.मि. नाथा ६४. ५. श्री. नगविजय माटे प्रति लखाई. प्र.सं./१६२५ परि./५८५६ Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १९३ ३-सीमंधर जिन स्तवन ले स १९मुंशतक (अनु); हाथकागळ पत्र २. २४.५४१०.७ से.मि. गाथा ३४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१६२६ परि./५८८९ सीमंधर स्वामी स्तवन (सूर्याभ नाटिक स्तवन) ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३६ थी ३९. २५.५४११.५ से.मि. गाथा ७३. प्र.सं./१६२७ परि./९२७/३९ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४७ थी ४८. २५.५४११.५ सेमि. गाथा १८. प्र.स./१६२८ परि./९२७/१८ १-सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५०९. २५.५४११.५ मे.मि. गाथा १६. प्र.सं./१६२९ परि./९२७/५१ २-सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५थु. २६.५४११.९ से मि. गाथा १६. प्र.स./१६३० परि./१५८३/२ सीमंधर जिन विज्ञप्तिरूप स्तवन-स्तबक ले सं. १७६१. हाथकागळ पत्र ५२; २५.५४१०.२ से.मि. मूल ग्रं. ५३३. स्त. ग्रं. १२००. स.ग्रं. १७३५ (१) __मूळ रचना उपा. थशोविजयजीनी छे. अणहिल्ल पत्तनमां मुनि भीमजीले लखेलो प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१६३१ परि./८९३१ स्तवन संग्रह ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६. २६४११.३ से.मि प्र.स/१६३२ परि./३६९३ स्तवन संग्रह ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ९. २५.५४११.३ से.मि. स्तवनो १९. प्र.स./१६३३ परि./२९१२ स्यादवादमय स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०मुं. २५.५४११.५. से.मि. गाथा ९. प्र.स./१६३४ परि./९२७/२४ ज्ञानसागर चोवीस अतिशय सर्वतीर्थकर स्तोत्र ले.सं. १९१८. हाथकागळ पत्र १६ थी १७. २५.७४१२ से मि. गाथा ११. भोय्यत्रामा गोरजी श्यामविजये प्रति लखी. प्र.स./१६३५ परि./२२३४/१५ २५ Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ स्तुति-स्तोत्रादि चोत्रीस अतिशय स्तवन ले.स. १५९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १. २७४१२.७ से.मि. . प्रति जीर्ण छे. प्रस./१६३६ परि./६०९ महावीर जिन स्तवन-(सम्यक्त्व विचार गर्भित) र.सं. १७६६ ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६. २७.७४१२.७ से.मि. ढाळ ६. लिपिकार बारोट त्रिभोवन मोहनलाल. प्रसं./१६३७ परि./२१३ तत्त्वविजय (त) अजित जिन स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०. २३४१०.२ से.मि. गाथा ४. कर्ता-तपागच्छीय प्रसिद्ध यशोविजय उपाध्यायना शिष्य. तेमनी वि.सं. १७२४नी रचेली कृति 'अमरदत्त मित्रानंद रास' नेांधायेल छे. (जै.गू.क. भा. २, पृ. २२४). प्र.स./१६३८ परि./८५९९/१८ जिन स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र १० थी ११. २३४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र स./१६३९ परि./८५९९/१९ तिलकचंद्रजी (ख) शत्रुजय तीर्थ स्तवन ले.सं. १८४०. हाथकागळ पत्र ९मु. २५.३४१२ से.मि. पद्य ११. कर्ता-खरतर गच्छना जयरंगना शिष्य छे. वि.सं. १७१७नी अमनी स्वहस्ताक्षरवाळी प्रतिनी नोंध छे. (ज.गू.क.भा.२, खं. २. पृ. १३३२). ___ मुनि तेजविजये प्रति लखी. प्र.स./१६४० परि./२०४४/३ तेजपाळ (लो) ऋषभ जिन चैत्यवंदन स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ५मुं. २४.५४११५ से मि. गाथा ४. कर्ता- लेांकागच्छना इंद्रजीना शिष्य छे. समय वि.सं. १७३५-४५. (जै गू क.भा. २, पृ. ३८५. जै.सा.इति. पृ. ६६५; फकरो ९३७). प्रस./१६४१ परि./२५८६/९ ऋषभ जिन स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ५मुं. २४.५४११.५ से.मि. प्र.स/१६४२ परि./२५८६/१६ चंद्रप्रभ जिन स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ३ . २४.५४११.५ से मि. गाथा - ३. प्र.स./१६४३ परि./२५८६/५ Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १९५ शांति जिन स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ४थु. २४.५४११.५ से.मि. गाथा ४. प्रस./१६४४ ___परि./२५८६/६ कुंथु जिन स्तवन (२); ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ८ थी ९. २४.५४११.५ अनुक्रमे पद १; गाथा ४. प्र.स./१६४५ परि./२५८६/:७,२३ नेमि जिन स्तवन (२); ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ६ थी ७. २४.५४११.५ से मि. अनुक्रमे गाथा ११;४. प्र.स./१६४६ परि./२५८६/१४:१५ पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र १ थी ४. २४.१४१०.५ से.मि. गाथा ३६. प्र.स./१६४७ परि ४१०४/१ महावीर स्तवन (५); ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ३ थी. ६. २४.५४११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ३,४,५,४,५. प्र.स./१६४८ परि./२५८६/४;७,८,१२,१३ . आशातना स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ५मु. २४.५४११.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./१६४९ परि./२५८६/१० दिशा स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ९ थी १०. २४.५४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१६५० परि./२५८६/२५ पाखी स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र ५ थी ६. २४.५४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१६५१ परि./२५८६/११ वीस स्थानक स्तवन ले.सं. १६७८. हाथकागळ पत्र २थी ३. २४.५४११.५ से मि. गाथा ४. प्रस./१६५२ परि./२५८६/२ दयाकुशल (त.) १-पंचमी तप स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २. २४.२४१०.२ से.मि. गाथा २९... ___ कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरि> मेहमुनि> कल्याण कुशलना शिष्य छे. अमनी वि.सं. १६४९ अने १६७८ नी कृतिओ मळे छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. २९६). प्र.स./१६५३ परि./७०६५ २-पंचमी स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ५मुं. २५४१०.५ से.मि. गाथा १५ थी ३०. प्र.स./१६५४ परि./३९९१/१ Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९६ ३ – पंचमी स्तोत्र ले.स. १५ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २. गाथा २०. प्र.सं./१६५५ दयासुर चोवीस जिननी थोय ले.सं. १८६०. हाथकागळ पत्र १ थी २. २४.८४१०.५ से.मि. गाथा ४, कर्ता — मात्र नाम निर्देश मळे छे. महेंद्रपुरमा भाणपुरना दयासागरे प्रति लखी. कर्ता --- तपगच्छना हीर विजयसूरी १८मी सदीना उत्तरार्धनो गणाय सूर्यपुर (सुरत) मां रचना थयेलो छे. नवानगर (जामनगर ) मां प्रति लखी. प्र.सं./१६५७ प्र.सं./१६५६ दर्शनविजय (त.) नेमि रासमाळा स्तवन २. सं. १६६४. ले. सं. ११०६. हाथकागळ पत्र ३. २५.८४१०.५ से.मि. गाथा ५९. स्तुति स्तोत्रादि २५४११.९ से.मि. परि / ३५५४ प्र.स./१६५८ दानविजय (?) परि./३५९५/४ दर्शनविजय (त. ) सिद्धचक्र स्तुति ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं. २३×१०.२ से.मि. गाथा ४. कर्ता - तपगच्छना विजयप्रभसूरिः>> प्रेमविजयना शिष्य छे समय मळतो नथी. परि./८५९९/२० मुनिविजयसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि. छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ९०१ ). सुमतिकुशळ - विवेककुशळना शिष्य विनीतकुशळे परि./३०७१ अजितजिन स्तवन ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागल पर जु. २४.५४११ से. मि. गाथा ५. कर्ता —सूरविजयना शिष्य छे. (गा. ५ ). आ कर्ता जै.गु. क. के जै. सा. इति.मां नांधायेला नथी. प्रति रत्नविजयगणिभे लखी छे. प्र.सं./१६५९ दानविजय (1) पार्श्वजिन स्तवन ( घोघा मंडण); ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ९. २५४१०० से.मि. गाथा ५. प्र. स. / १६६० परि./२६६३/७ परि./२४०७/२ Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि दानविजय (र.) जिन स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६ थी ८मु. २५.९४११ से.मि. गाथा ३२. कर्ता-तपगच्छना विजयराजसूरिनी परंपरामां तेजविजयना शिष्य. समय वि. १८मी सदीनो छे. (गा. ३२. जै. गू. क. भा. २. पृ. ४४५). पत्र में सुशोभनवाळु छे. प्र.स./१६६१ परि./२९९५/६ चतुर्विशतिका जिन स्तुति (पंचकल्याणकगर्मित) ले.सं. १८४३; हाथकागळ पत्र १ थी ९. २३४१२.१ से.मि. गाथा २५. प्रतिनां प्रथम अने अंतिम पत्रो चांटाडेला छे. प्र.सं./१६६२ परि./५०९/ मेत्राणातीर्थ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १. २०.७४१०.५ से.मि. पद्य ११. 'प्र.स./१६६३ परि./२७५७ सिद्धचक्र स्तवन र.सं. १७६२. ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५. २५.५४११ से.मि. गाथा २३. सुरतमां चातुर्मास रहथा त्यारे कवि रचेली कृति. प्र.स./१६६४ परि./७८३७/३ सिद्धाचल स्तवन ले.स. १९मुं शतक (भनु.); हाथकागळ पत्र २जु. २३.७४१२ से.मि. प्र.स./१६६५ परि./१७०४/४ दीपविजय जिन स्तवन चोवीसी ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७. २४.७४१०.५ से.मि. ___कर्ता-कृष्णविजय शिष्य समय वि.सं. १९मी सदीनो. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १. पृ. ३१२). कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.स./१६६६ परि./४००४ दीपविजय पार्श्वनाथ स्तवन (१ अंतरीक्ष; २ शंखेश्वर) ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र २जु. २१.८४११.८ से.मि. अनुक्रमे गाथा ४; ६. कर्ता-वि.नी १९ मी सदीमां थया. परंपरा के गच्छ मळतो नथी. कृष्णविजयना के प्रेमविजयना शिष्य छे से नक्की थतुं नथी. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, अनुक्रमे पृ. ३१२; १९९) काना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति जीर्ण छे. "प्र.स ./१६६७ परि./५२३/१९ Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८ स्तुति - स्तोत्रादि महावीर जिनचंद्र स्तवन ( २ ) २.सं. १८५४ ले.सं. १८८६. हाथकागळ पत्र १ थी २. २१.८x११.८ से.मि. अनु. गाथा ५; ३. प्र.सं./१६६८ परि. / ५२३/५; ६ भवनपति शाश्वता जिन स्तवन २.सं. १८५४, ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ ३ थी ५. १८४९०५ से.मि. गाथा १५. सूर्यपुरमा श्राविका नवीबाई अने कुंवरबाई माटे प्रति लखाई. प्र.सं./१६६९ सीमंधर स्वामी जिन से. मि. अनु. गाथा ५:४. प्र.सं./१६७० प्र.स ं./१६७१ दुर्लभ दीपविजय (त. ) रोहिणी तप स्तवन २.सं. १८५९ ले. स. २० शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३०१९.७४१०.२ से.मि. ढाळ ६. कर्ता - तपगच्छना प्रेमविजय अने रत्नविजयना शिष्य छे. वि.सं. १८८९ सुधीनी कृतिओ मळे छे. (जै.गू क. भा. ३, खं. १, पृ. १९९). तपगच्छना विजयानंद सूरिना पट्टधर विजयचंद्रसूरिना राज्यमां, खंभातमा कृति रवाई. परि./८१६० परि./८२०३/२ स्तवन ( २ ) ले.सं. १८८६. हाथकागळ पत्र १. २१.८९११.८ शांतिनाथ प्रतिष्ठा वर्णन स्तवन ( उरपाडनगरमंडन ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र १ : २४४२५ से.मि. गाथा २०. प्र.सं./१६७३ देवकुशळ कर्ता नाम निर्देश सिवाय कांई मळतु नथी. प्रति जीर्ण, अक चोरस कागळने वाळीने बनावेली छे. प्र.सं./१६७४ प्र. सं / १६७२ देव (?) चतुर्विंशति जिन स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १ २४ ७४१०.७ से.मि. गाथा ५. कर्ता — मात्र नाम निर्देश मळे छे. परि./५२३/२; ३ शांतिनाथ स्तवन ले. स. १८ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३जु; १९.५४९ से.मि. गाथा ५. कर्ता — कोई दोलत कुशळना शिष्य छे. शांतिसागरगणिये प्रति लखी परि. ७३८४ परि./६०५९/३ परि / ८१४९/४ Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि देवचंद्रजी (ख) १-चोवीसी स्तवनो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ९. २५४१०.५ से.मि. ढाळ २४. कर्ता-खरतर गच्छना जिनचंद्रसूरिना शिष्य छे. राजसागरे तेमने लघुदीक्षा आपेली. समय वि.स. १७४६ जन्म; १७.६ लघुदीक्षा: १७८८ मां मृत्यु. (जे.गू क.भा २. पृ. ४७३ थी ७५). पत्रो १ अने २ नथी. प्र.सं./१६७५ परि./४०१० २-चोवीसी स्तवनो ले.स. १७९२; हाथकागळ पत्र १३. २४४१..१ से.मि. ढाळ २५ प्र.सं./१६७६ परि./५०७५ ३-चोवीसी जिन स्तवनो ले.सं. १८२७; हाथकागळ पत्र १५. २३.९४९.९ से.मि. पं. धीरसागरगणिो सुरतमा प्रति लखी. प्र.सं.१६७७ परि./६५०४ ४-चोवीसी जिन स्तवनो ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८ २७.४४११.५ से.मि. तूटक. पत्र ७मु नथी अटले अंतिम प्रशस्ति नथी. प्र.स./१६७० . परि./१६३९ ५-चोवीसी स्तवनो ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १३, २५४१०.९ से.मि. ढाळ २५. पं. कोर्तिविजयजी> मोतीविजय माटे पादलिप्तपुरमा मुनि जतनकुशळे प्रति लखी. प्र.स./१६७९ परि./५५३३ ६-चोवीसी जिन स्तवनो ले.सं. १९१०; हाथकागळ पत्रा१२; २७.२४१०.२ से.मि. बावा बालगरजीए प्रति लखी. प्र.सं/१६८० परि./७४१२ सहस्रकूट जिन स्तवन ले.स. १८९९; हाथकागळ पत्र ११थी १२; २४.५४११ से.मि. गाथा १४. बोराणामां प्रति लखाई. प्र.स./१६८१ परि./४० ११/१० देवचंद्र (त.) महावीर सत्तावीसभव स्तवन ले.स. १९ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २२.९४१०.४. से.मि. गाथा ८९. कर्ता-तपगच्छना भानुचंद्रना शिष्य छे. वि.सं. १६६५ मां पंडित पद; १६९७ मां . स्वर्गवास (जै. गू. क. भा. ३; ख. 1: पृ. १०७०). प्र.सं./१६८२ परि./६२९० Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० स्तुति-स्तोत्रादि सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९ में शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ७ मु; २७.४४१२.५ से.मि. गाथा ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१६८३ परि./९५२/६ देव वाचक (देवविजय) (त.) दशमनी स्तुति ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा .. ___ कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरिनी परंपरामा विजयसिंहरि <उदयविजयना शिष्य छे. तेमनी वि.सं. १७०४ नी रचेली कृति नेांधाई छे (जै गू. क. भा. २, पृ ३४९). वाडी गाममां हेम विजय गणिना शिष्य तेजविजयगणिए लखेली आ प्रति जीर्ण के. प्र.सं./१६८४ परि./७७१५/६ देवविजय पार्श्वनाथ स्तुति ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र १थी २; २३.५४९.४ से.मि. गाथा ४ कर्ता--विजयसिंहसूरिना पट्टधर तरीके पोताने ओळखावे छे. पालीताणामां मुनि मतिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१६८५ परि./८३४३/३ देवविजय अजितजिन स्तवन ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २२.५४९.५. से.मि.-गाथा ५. कर्ता-विजयरत्नसूरिना शिष्य छे. विशेष काई मळत नथी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१६८६ परि./६६७३/३ देवविजय मप्ततिशत जिन नाममाला स्तवन र.स. १७१६; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा ५२. कर्ता-विजयप्रभसूरिना शिष्य शांतिविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीना छे. दरेक गाथाने अंते परंपरा आवे छे. गच्छ मळतो नथी. प्र.स./१६८७ परि./६२९६ देवविजय (१) ___ शांतिनाथ स्तुति ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र १०९; २३.५४९.४ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१६८८ परि./८३४३/२८ मुनि देवसी महावीर स्तवन-र.स. १६६६ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २६४१०.९ से.मि.-ढाळ ४. कर्ता-श्री मल्लऋषि> रत्नसिंह> उदयना(१) शिष्य छे. समय वि.स. १७मी सदीनो छे.. (ढाल ४, गा. १०). प्र.सं./१६८९ परि./२८९५ Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रदि देवीदास द्विज १ - छहा आरानु स्तवन – र. सं. १६११; लेसं. १८६६; हाथकागळ पत्र २३.५x१२ से.मि. ढाळ ४. प्र.सं./१६९१ ३ – छ आरानुं स्तवन २.सं. १६११ ले. सं. १७३६; हाथकागळ २४४१०.२ से मि. गाथा ६२. श्राविका श्यामबाई अने प्रेमबाई माटे गणि जयशीले प्रति लखी. कर्ता - तपगच्छना विजयदानसूरिने माननारा राजबपुरना ब्राह्मण हता. समय वि.सं. १७मी सदीना (जै. गू.क. भा. १, पृ. २०३). प्र-सौं / १६९० परि./११२१/२ २ – महावीर स्तवन २.सं. १६११; ले.सं. १६७७; हाथकागळ पत्र १ थी २, २३-५४ ९-९ से.मि. गाथा ४४. पंथावाडा गामे विनय कीर्तिसूरिओ प्रति लखी. २०१ प्र.सं./१६९२ परि./६५१३/१ ४- महावीर स्तवन ( छ आरा लक्षणमय ) २.सं. १६११, ले.स. १७५०; हाथका गळ पत्र २: २३.३४११ से. मि. गाथा ५८. राजनगर ( अमदावाद ) मां ऋषि भीमजीओ प्रति लखी. ९थी ११: प्र.सं./१६९३ परि./२५२४ ५ - षट्आरा स्वरूप महावीरजिन स्तवन र.स. १६११, ले.सं. १९६९; हाथकागळ पत्र ३; २५X११.५ से.मि. ढाळ ५ गाथा ६४. शाह सुंदरलाले जाननगरमां प्रति लखी. परि./७९६४ प्र.सं / १६९४ सुमतिजिन स्तवन ले.स. १९भुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ७ थी ६; २२.५४९.५ से. मि. गाथा ९. प्र.सं./१६९५ प्र.सं./१६९६ परि./६३१२/१ पत्र १ थी ४; परि./६६७३/८ विमलजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २२.५४९.५ से.मि. गाथा १२. परि./६६७३/७ धर्मजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २२.५४९.५ से. मि. गाथा ११. प्र.स./१६९८ २६ प्र. सं / १६९७ परि. / ६६७३/५ नेभिजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ७मुं; २२.५४९.५ से.भि. गाथा ७. परि./६६७३/११ Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तुति (४) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; ३जु; ६ थी ७; २२.५४९.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७; ७, ९ अने ७. प्र.सं./१६९९ परि./६६७३/१; २; ४; ९ दोलत (? विजय) नेमिनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; १९.५४९ से.मि. गाथा ६. कर्ताए गाथा-६मां कोई 'मानकि'ने उल्लेख का छे. संभवत: ते कर्ताना गुरनु नाम होय. समय विशे कोई उल्लेख नथी. शांतिसागर गणिले प्रति लखी. प्र.सं./१७०० परि./८१४९/३ धनविमल आदीश्वर स्तवन (दीवमंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.३४ १०.४ से.मि. गाथा ७. कर्ता-आणंदविमलना शिष्य छे. (गा. ७) वि.सं. १७२७नी प्रशस्तिमा उल्लेख छे. )२. प्र.सं. पृ. २४०). प्र.सं./१७०१ परि./५६१५/१ आदिनाथ स्तवन ( सौराष्ट्र स्थित सुलतानपुरमंडन ) ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २४मु; २४४१०.२ से.मि. गाथा ७. धनविमलना शिध्य शिवविमले प्रति लखी. प्र.सं./१७०२ परि./६ १३९/२८ ऋषभदेव स्तुति ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी १४; २४४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१७०३ परि /६ १३९/१५ ऋषभदेव स्तवन (शत्रुजयमंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४ थी ५: २५.५४१०.१ से.मि. गाथा १५. प्र.सं./१७०४ परि./६८५९/१० चंद्रप्रभ जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ थी २४; २४४ १०.२ से.मि. गाथा ३९. प्र.सं./१७०५ परि/६१३९/२७ धर्मनाथ स्तवन ( मेडतामंडन ) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४४१०.२ से.मि. गाथा २७. प्र.सं./१७०६ परि./६१३९/१ शांतिनाथ स्तवन (२) ले.सं. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६ अने २४ थी २५; २४४१०.२ से.मि, अनुक्रमे गाथा २३, ७. प्र.सं./१७०७ परि./६१३९/३; २९ Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २०३ शांतिनाथ स्तवन ( १. मेडतामंडन २. समीयानामंडन ) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; ५ थी ६; २५.५४१०.१ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५; १९. प्र.स/१७०८ परि./६८५९/७; ११ शांतिजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.७४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१७०९ परि,/६९५६/३ कुन्थुनाथ स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ मुं; २४४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१७१० परि./६१३९/१४ नेमिजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २ जु; २५.५४१०.१ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१७११ परि./६८५९/५ पार्श्वनाथ स्तवन (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; १५मुं; २५.५४ १०.१ से.मि. अनुक्रमे गाथा ९; ४. . प्र.सं./१७१२ परि./६८५९/२,२० पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ८; २४४१०.२ से.मि. गाथा २१. प्र.सं./१७१३ परि./६१३९/४ पार्श्वनाथ स्तवन ( अजयगढमंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.५४१०.१ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१७१४ परि./६८५९/३ पार्श्वनाथ स्तवन ( अजाहरा ) ले.स. १८९ शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ६ २५.५४१०.१ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./१७१५ परि./६८५९/१२ पार्श्वनाथ स्तुति (अज्झाउर) ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५ थी १६: २४४१०.२ से.मि. गाथा २१. प्र.सं./१७१६ परि./६१३९/२१ १-पार्श्वनाथ स्तवन (घृतकल्लोल) ले.स. १८९ शतक ( अनु.); हाथकागळ प १ २५.३४१०.४ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१७१७ परि./५६१५/२; २-पार्वनाथ स्तवन (घृतकल्लोल) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४१०.१ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१७१८ परि /६८५९/६ Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि पाश्र्वनाथ स्तवन (चिंतामणि- सक्करपुर मंडन ) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी ११; २४४१०.२ से.मि. गाथा ७. प्र. सं / १७१९ २०४ परि./६१३९/८ पार्श्वनाथ स्तवन ( चिंतामणि ) ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १; १६.७११.७ से.मि. गाथा १५. प्र.सं./१७२० परि./८६१०/१ पार्श्वनाथ स्तवन ( जीराउलापाटकमंडन ) ले.स. १८मुं शतक (अनु. ); हाथ कागळ पत्र १५ थी १६; २४४१०.२ से.मि. गाथा २१. प्र.सं./१७२१ परि./६१३९/२४ पार्श्वनाथ स्तवन ( थंभण ) ले स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १९; २४x १०.२ से.मि. गाथा १५. प्र.सं./१७२२ परि./६१३९/२५ पार्श्वनाथ स्तवन ( नारिंगपुर मंडन ) ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६ थी १७; २५x१०.२ से.भि. गाथा १३. प्र.सं./१७२३ परि./६१३९/२२ १ - पार्श्वनाथ स्तवन ( पालविहारमंडन ) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१००१ से.मि. गाथा ११' प्र.सं./ १७२४ परि./६८५९/१ २ – पार्श्वनाथ स्तवन ( पालविहार मंडन ) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २० थी २१, २४४१०.२ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./ १७२५ परि./६१३९/२६ पार्श्वनाथ स्तवन ( मेडता मंडन ) ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २४४१०.२ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./१७२६ परि. / ६१३९/५ पार्श्वनाथ स्तवन (लोलीआणामंडन ) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ मुं; २४४१०.२ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./१७२७ परि./६१३९/९ पार्श्वनाथ स्तवन ( वरकाणक) ले.स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ थी ५; २४४१०.२ से.मि. गाथा ३३. प्र सं / १७२८ परि./६१३९/२८ पार्श्वनाथ स्तुति ( वरकाणक) ले. स. १८ शतक (अनु. ) ; हाथकागळ पत्र १३मु; २४४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१७२९ परि./६१३९/१३ Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २०५ पार्श्वनाथ स्तुति ( वीसलपुरमंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५मुं; २४४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१७३० परि./६१३९/१९ महावीर स्तवन (बभणवाडमंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५मु; २४४१०.२ से मि. गाथा ९. प्र.सं./१७३१ परि./६१३९/३० महावीर स्तवन (महुवामंडन) ले.स. १८९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र १; २५-३४१०.४ से.मि. गाथा ७. प्र.स./१७३२ परि./५६१५/१ चोवीसी तीर्थंकर स्तवन ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ८; २५.५४ १०.१ से मि. गाथा २६ सुधी. प्रति जीर्ण अने अपूर्ण छे. प्र.स./१७३३ परि./६८५९/१३ तीर्थनमस्कार ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २४.५४११ से.मि. पद्य १०. प्र.सं./१७३४ परि./६१३९/११ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४१०.१ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१७३५ परि./६८५९/४ धनहर्ष (त.) सुविधि जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.७४१०.५ से.मि. गाथा ५. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरि> धर्मविजयना शिष्य छे. वि.सं. १६७७मां अस्तित्त्व. (जै. गू. क. भा. 1, पृ. ५०४, जै. सा. इति. पृ. ६०६ फकरो ८९६). प्र.सं./७३६ परि./६९५६/१ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.७x १०.५ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./१७३७ परि./६९५६/२ धर्मकीर्ति (ख.) चतुर्विशति जिन ( वृद्ध ) स्तवन र.सं. १६७४. ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ८, २४.७४११-७ से मि. गाथा ९२; ढाळ १४. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरि> धर्मनिधानना शिष्य छे. वि.सं. १६७४ थी '८१नी कृतिओ मळे छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ४९१; भा. ३, खं. १, पृ. ९७१) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. कृति जेसलमेरमां रचाई. कर्ताना शिष्ये प्रति लखी. प्र.सं./१७३८ परि./२०५९ Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ धर्मदास ( त ) नेमिजिन स्तवन रागमाळा २.सं. [ १६ ] ८४, ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४•५X१०.३ से.मि. गाथा ५२ + १ (कलश). कर्ता - तपगच्छना कुंवर विजयना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदीनो आ कर्ता जै. सा. इति के जै. गू. क. मां नांधायेला नथी. प्र.सं./१७३९ परि./७३८९ धर्मदास मुनि भक्तामर स्तोत्र सस्तबक ले.सं. १७८५; हाथ कागळ पत्र १ थी १० : २५.२x११ से.मि. मूळ गाथा ४४. कर्ता - कोई समरचंदना शिष्य छे. मानतुंगसूरिनी मूळ जीर्ण छे. स्तुति स्तोत्रादि रचना संस्कृतमां छे. ऋषि हेमचंदे सुरतमां प्रति लखी प्रति परि./३२६६/१ प्र.सं./१७४० धर्ममंदिर (ख.) पार्श्वनाथ (लघु) स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २४.५४ १०.४ से. मि. गाथा ५. कर्ता — खरतर गच्छना जिनचंद्रसूरि >> भुवनमेरु >> पुण्यरत्न > दयाकुशलना शिष्य छे. तेमनी वि.सं. १७२४ थी '४२ सुधीनी कृतिओ नांधायेली छे. (जै. गू क. भा. २. पृ. २३४ ) प्र.सं./१७४१ परि./६४६७/११ पार्श्वनाथ (वृद्ध) स्तवन जगवल्लभ) र.सं. १७२४; ले. स. १८ शतक ( अनु ) : हाथ कागळ पत्र ४थुं २४ ५X१०-४ से मि. गाथा १७. प्र.मं./ १७४२ परि./६४६७/८ शतक (अनु.); पार्श्वनाथ स्तवन (२) १ लघु; २ वृद्ध ( शंखेश्वर मंडन ) ले.स. १८ हाथ कागळ पत्र क्रमे ३जुं; ५मुं. २४.५x१००४ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५ अने १३. प्र. सं./ १७४३ परि. / ६४६७/६; १२ धर्मवर्धन (धर्मसिंह ) (ख.) १ - अठ्ठावीस लब्धि स्तवन २. सं. १७२६ ( ? ) ले.सं. १९६८, हाथकागळ पत्र २, २३४१२ से.मि. ढाळ ३. कर्ता - खरतर गच्छना जिनभद्रसूरिनी शाखामां साधुकीर्ति > साधुसुंदर विमलकीर्ति > विजयहर्षना शिष्य छे. (जै. गु. क. भा. २ पृ. ३३९ ) समय वि.सं. १७१७- १५७ (जै. सा. इति. पृ. ६५०; टि. ५३५ ). जै. गु. क. भा. २ पृ. ३३४मां र.सं. १७२२ आपेल छे. रचना श्रीनगरमां थयेली छे. प्र.सं./१७४४ परि. / ७९६६ Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २०७ २-अठावीश लब्धि स्तवन; र.सं. १७२६ ले.स.२.मु शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २; २४x11.३ से.मि. गाथा २५. प्र.स/१७४५ परि./७५३७ आलोयण स्तवन-र.स. १७५४ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १०थी ११; २४.७४ १०.२ से.मि. गाथा-३०. फलवधिमां रचना थई छे. प्र.सं./1७४६ परि./६२५२/७ १- गुणठाणा स्तवन-र.स. १७२९ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र "थी ७, २४.७४१०.२ से.मि. गाथा ३४. रचना बाहडमेरुभां थयेली छे. प्र.स./१७४८नी प्रतिमां रचना संवत १७३६ लखेल छे. प्र.स./१७४७ परि./६२५२/४ २-गुणठाणा स्तवन र.स. १७३६; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.९४१२ से.मि. गाथा ३४. रचना बाहडमेरुमां थयेली छे... प्रस./१७४८ परि /७४३६ चतुर्विंशति गणधरादिसच्या स्तवन र.स. १७५३ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५थी १६; २४.७४१०.२ से.भि गाथा १९. रचना बोकानेरमां थई छे. प्रस/१०४९ परि./६२५२१२ चतुर्विशतिजिन देहमान आदि स्तवन २.स. १७२५ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ११थी १२; २४.७४१०.० से भि. गाथा २९. रचना अरैरिणीमां थयेली छे. प्र.स./१७५० परि /६२५२/८ शनैश्रर स्तोत्र ले स. १७४२; हाथकागळ पत्र २जु'; २५४१०.३ से.मि. गाथा १३. प्र.स./१७५१ परि./५३८२/धर्मविजय (त.) पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर). ले.सं. १९०३: हायकागळ पत्र १२; २६४११.५ से.मि. ढाळ-४. कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरि> सिहरि> गजविजय> मुनिविजय> रत्नविजयना शिष्य छे. (डाळ ४) समय अज्ञात. ___ सांकुबाई माटे कृष्णवल्लभीपुरमा मुनि कस्तुरसागर गणिले प्रति लखी. प्रस./१७५२ परि./२९०८ धर्मविजय (त.) सीमंधरजिन लेख पद्धति स्तवन: र.सं. १७१२, ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागल पत्र ३.२४.७४१०.२ से.मि.; गाथा-१०९; ढाळ-५. Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८ स्तुति-स्तोत्रादि कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरि विजय प्रभसूरि> चारित्रविजयना शिष्य छे. समय वि. १८ मी सदीनो छे. परंपरा कृतिने अंते मळे छे. कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.स./१७५३ परि./६०६७ धर्मसागरसूरि (पी) महावीर चरित्र स्तवन (कल्पसूत्र संक्षेप) र.सं. १६१४ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ७; २३.९४i०.२ से.मि. गाथा ११९. कर्ता-पिपलीगच्छना शांतिसूरि> शालिभद्रसूरि>धनप्रभ> पद्मतिलकना शिष्य छे. (गा. ११८) समय वि. १७मी सदी. आ कर्ता जै. गू. क.मां नेांधायला नथी. रचना स्थळ थराउद (थराद). प्र.स./१७५४ परि./६३७७/१ धर्महर्ष ( ?) शांतिनाथ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २२-७४१०.९ से.मि. गाथा २३. कर्ता-कीर्तिरत्नसूरि> विशालहर्षना शिष्य. गच्छ प्रतिमां आपेलो नथी, प्र.स./१७५५ परि./७६२५ धीरविजय (त.) अतीतानागत वर्तमान जिन चोवीसी स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ५ थी ८; २५.१४११ से.मि. गाथा १६. कर्ता—तपगच्छना विजयाणंदमूरि> हंसविजयना शिष्य छे. (गाथा १६) समय वि.सं. १७९८ (जै. सा. इति. पृ. ६६३ फकरो ९७४ ). प्र.स./१७५६ परि./५४८४/२ शाश्वत तीर्थमाळा स्तवन; र.सं. १७७५; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु: २५.१४११ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१७५७ परि./५४८४/१ धीरविजय (१) चंद्रप्रभु स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.७४१०.८ से,भि. गाथा ५. कर्ता-दीपविजयना शिष्य छे. (गा. ५) जै. गू. क. के जै. सा. इति.मां नेांधायेला नथी. प्र.स./१७५८ __परि./७१८३/४ शीतलजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.9x१०.८ से.मि. गाथा ५. प्र.स./१७५९ परि /७१८३/३ Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि २०९ पार्श्वनाथ स्तवन ( गोडी ) ले.स. १९मुं शक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २३; २५× १०.९ से. मि. गाथा ८. परि./५८६०/१४ प्र.स ं./१७६० धीरविजय ( ? ) गौतमस्वामी स्तोत्र ले.सं १९१८: हाथकागळ पत्र ३२मुं; २५.७ १२ से.मि. गाथा ९. कर्ता --- विजय सिंहसूरिना शिष्य छे. (गा. ९). गच्छ अज्ञात. गोरजी श्यामजीओ भोय्यत्रामां प्रति लखी. प्र.सं./१७६१ धीरविजय ( त . ) चेत्यवंदन ( वार्षिक महापर्व ) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० मुं; २५.८४१०.१ से.मि. गाथा २१. कर्ता — तपगच्छना ऋद्धिविजयनी परंपरामां कुंवर विजयना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदीनो, (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १२३७). प्रति पाटणमां लखेली छे. परि./२२३४/२६ प्र.सं./१७६२ नगाणि ( नगर्षि ) (त.) कर्मप्रकृति बोलविचार स्तवन ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ ; २६४ ११.५ से.मि. गाथा ४९. प्र.सं./१७६३ कर्ता - तपगच्छना कुशलवर्धनना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २९० भा. ३, खं. १, ७९० ). रचना वडलीनगरमां थयेली छे. श्राविका रामकुंवर माटे ज्ञानसागर गणिए प्रति लखी. परि./३०८६ परि. / ३७७९/८ प्रमोद (ख) पार्श्वजिन स्तवन ले.सं. १९१८; हाथकागळ पत्र ४३; २५-७४१२ से.मि. गाथा १३. कर्ता - - खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरि > हिरोदयना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी. ( जै. गू. क. भा. २, पृ. १५२ ). प्र.सं./१७६४ परि / २२३४/४१ नयविजय (त. ) ऋषभदेव स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.८४११.३ से.मि. गाथा ५. कर्ता — तपगच्छना ज्ञानविजयना शिष्य छे. समय वि. १८ मी सदी. (जै. गू. क. भा. ३, नं. २. पृ. १३३३ ). प्र.सं./१७६५ परि./३५४३/१२ २७ Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१० स्तुति-स्तोत्रादि सुपार्श्वस्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २४.०x१०.३ से.मि. गाथा ५ - प्र.स./१७६६ परि./३९६६ २ महावीर जिन स्तवन र.सं. १७९३; हाथकागळ पत्र ७ थी ११; २५.३४१०.९ से.मि. बाळ ७. रचना ईदलपुरमा थयेली छे. णडुलाईनगर (नाडोल)मां प्रति लखाई. अ.स./१७६७ परि./८५२८/४ यगमंधरजिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २६४१२.२ से.मि. गाथा ६. प्र.स./१७६८ परि./१९८०/३ जिनपूजाविधि स्तवन र.सं. १७४१: ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४: २१.५४१०.५ से.मि. कृति समीगाममां रचाई. प्र.स./१७६९ परि./२६५१ १-सिद्धचक्रस्तुति ले.सं. १८३२; हाथकागळ पत्र ५९; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१७७० परि./१८११/३ २-सिद्धचक्र थोय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.८४११.५ से.मि. गाथा ४. श्रीपालपुरमां पं. दानसागरे प्रति लखी. प्र.स./१७७१ परि./७३२५/२ सिद्धचक्र स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.२४११ से.मि. गाथा ७ प्र.स./१७७२ परि.४२५८/२९ नयसुंदर (बृ.त.) शत्रुजय उद्धार स्तवन ले.स. १८२४; हाथकागळ पत्र ६; २६.६४१२ से.मि. कर्ता-वडतपगच्छना धनरत्नसूरि> भानुमेरुगणिना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी. (जै. गू. क. भा. १. पृ. २५४). प्रेमा माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./१७७३ परि./९७९ सीमंधर विनती स्तवन ले.सं. १७३८; हाथकागळ पत्र ४थु; २५४१०.८ से मि. गाथा १७. पं. उत्तमचंदे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्रसं./१७७४ परि./६०९८/१ Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २११ नवसिद्ध स्तवन ले.स. २०९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१२ से.मि. गाभा १६. प्र.सं./१७७५ परि./६४६ पारिख नानजी महावीर स्तवन ले.सं. १७६६: हाथकागळ पत्र १२मुं: २५.३४११.२ से.मि. गाथा ३. ___ कर्ता-श्रावक; समय अज्ञात. प्र.स./१७७६ परि./३५६९/१५ नित्यलाभ (अ.) जिन स्तवन चोवीसी र.स. १७६९; ले.सं. १७८१; हाथका गळ पत्र ९. २५.५४१०.५ से.मि. कर्ता--अंचलगच्छना वाचक सहजसुंदर गणिना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी. ( पत्र ९) कृति जलालपुरमा कर्ताना चोमासावास दरम्यान रचाई. बाई रत्नकुंवर माटे सुरतमां चोमासावास दरम्यानमां लखामेली कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.सं./१७७७ परि/५८८४ चोत्रीस अतिशय स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २८x११.४ से.मि. गाथा २३. . हेमचंदजी अने ज्ञानचंदजी बे जणे लखेली प्रति छे. प्र.स./१७७८ परि./७२५ नेमविजय (त.) १-पार्श्वनाथ स्तवन (गोडीजी) र.सं. १८१७; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.७४१२.५ से.मि. ढाळ १०. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरि> शुभविजय> भावविजय> रूपविजया> कृष्णविजयः> रंगविजयना शिष्य छे. (ढा. १०) समय वि. १९मी शताब्दी. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १, पृ. ४८). रचना महियलमां थई छे. प्र.स./१७७९ परि./२३४९ २–पार्श्वनाथ स्तवन र.सं. १८१७; ले.सं. १८२७; हाथकागळ पत्र १७ थी २२; २४४१०.७ से.मि. वूआडानगरमां रामविजये प्रति लखी, प्र.सं./१७८० परि./६६००/ Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ स्तुति-स्तोत्रादि ३ -- पार्श्वनाथ स्तवन ( गोडी र. सं. १८१७; ले. सं. १८१९; हाथकागळ पत्र ३ थी ११; २४.२x१०.५ से.मि. पं. कुशळविजयना शिष्य पं. जयविजयगणिए समीनगरमां प्रति लखी. प्र. सं / १७८१ परि./६५५६/२ १ – पार्श्वनाथ स्तवन (थंभण, सेरीसा, शंखेश्वर) २.सं. १८११ ले.स. १९भुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १६, २३.४४९.९ से.मि. गाथा ३५०; ढाळ २८. अक ज स्तवनमां थंभण, सेरीसा अने शंखेश्वर पार्श्वनाथनो इतिहास छे. प्र.सं./१७८२ परि./४९४८ २- पार्श्वनाथ स्तवन (थंभण, सेरीसा, श ंखेश्वर). २. सं. १८११; ले. सं. १८२०; हाथकागळ पत्र २०; २४ २x१० से.मि. गाथा ३५०. रामविजयना शिष्य गुणविजये प्रति लखी. प्र.सं./ १७८३ परि./६५६६ ३- पार्श्वनाथ स्तवन. ( थंभण; सेरीसा, शंखेश्वर ) र. सं. १८११ ले सं. १८७५; हाथ कागळ पत्र १५, २६.५४१२.५ से.मि. गाथा ३५०; डाळ २८. मेता गाममां नेमविजयशिष्य मुनि ललितविजये लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१७८४ विजय ( ? ) वैमानिक शाश्वतजिन स्तोत्र र. सं. १७७८ ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २ २५.८४११ से.मि. कर्ता - कोई संघविजयना शिष्य छे. गच्छ अज्ञात कृति बारेजामां स्वाई. प्र.सं./१७८५ नेमविजय ( ? ) पार्श्वनाथ स्तवन ( चिंतामणि ) ले सं. १७०८ हाथकागळ पत्र १; २४.५ १०.५ से.मि. गाथा ५. रूपजीए प्रति लखी. परि. / ३३४ प्र.सं./१७८७ परि./३३८९ प्र.सं./१७८६ नेमविजय ( ! ) पार्श्वनाथ स्तवन ले. सं. १८६९; हाथकागळ पत्र २३मुं; २४ १०.५ से.मि गाथा ५. कर्ता — दानविजयना शिष्य समय अज्ञात. परि. / ७१९६/४७ परि./६५७४/२ Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि नेमसागर ( ? ) चतुर्विंशति जिन स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९ १९-५४९ मे.मि. गाथा ११. शांतिसागर गणिओ प्रति लखी. प्र.सं./१७८८ नेमो २१ बीस विहरमान स्तवन ले. स. २० शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २४x ११.५ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./१७८९ परि./८०७१/२ परि. / ८१४९/१२ न्यायसागर (त. ) ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २४ ७११.५ से.मि. गाथा ५. जन्म वि.सं. कर्ता — तपगच्छना उपा. धर्मसागरनी परंपरामां उत्तमसागरना शिष्य. १७२८; देहत्याग वि.सं. १७९७ ( जैं. गू. क. भा. २, पृ. ५४२ ) सांतलपुरमा भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./१७९० परि. / २०६०/२ अजित जिन स्तवन ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५४१०.९ से.मि. गाथा ६. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./१७९१ परि./५८६१/९ अभिनंदन जिन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २४.७८ ११.५ से.मि. गाथा ५. भक्तिविजये सांतलपुरमां प्रति लखी. प्र.सं./१७९२ परि./२०६०/२७ अभिनंदन जिन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९: १०.९ से.मि. गाथा १०. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र. सं / १७९३ परि./५८६१/२ शीतल जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.५४१०.९ से. मि. गाथा १०. पं. जयसागर माटे खीमा विजये प्रति लखी. २५४ प्र.सं./१७९४ परि./५८६१/३ १ - वासुपूज्य जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४३; २५x१ १ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१७९५ परि. / ३७५०/२० Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ स्तुति-स्तोत्रादि २-वासुपूज्य जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी १०; २५४१०.९ से.मि. गाथा ६. ____ जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./१७९६ परि./५८६१/४ विमलजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २५४१०.९ से.मि. गाथा ६. पं. जयसागर माटे खोमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./१७९७ परि./५८६१/५ अनन्तजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०४, २५४१०.९ से.मि. गाथा १०. ५. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.स./१७९८ परि /५८६१/६ अरजिन स्तवन ले,स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २५४१०.९ से.मि. गाथा १७. पं. जयसागर माटे प्रति लखी. प्र.स./१७९९ परि./५८६१/२ मल्लिनाथ स्तवन ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र १७९; २४४१०.५ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१८०० परि./७१९६/३४ नमिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी ११; २५४१०.९ से.मि. गाथा ७. पं. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./१८०१ परि./५८६१/१० नेमराजुल गुणवर्णन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४: २५४११ से.मि. गाथा ११. रंगविजये सुरतमा प्रति लखी. प्र.सं./१८०२ परि./३७५०/२२ पार्श्वजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ८. प्र सं. १८०३ परि./६२०५/७ पाईनाथ स्तवन (अंतरीक्ष) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हथकागळ पत्र ६ थी ७; २३४१०.२ से.म. गाथा ७. प्र.से, १८०४ परि./८५९९/१० Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणि) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी ११; २५४१०.९ से.मि. गाथा ५. पं. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./१८०५ परि./५८६१/८ पार्श्वनाथ स्तवन (भीडभंजन) ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र २३ थो २४; २४४ १०.५ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./१८०६ परि./७१९६/४९ महावीर स्तवन ( निगोदविचार गर्भित ) ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २७४१२.५ से.मि. गाथा २३. भचाऊमां पं. मोहनविजय माटे गोविंदजीओ प्रति लखी. प्र.स./१८०७ परि./१६४२/२ महावीरजिन स्तवन ( सम्यक्त्व विचार गर्भित) बालावबोधसह. ..सं. १७६६; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २७४१२ से.मि. त्रिपाठ. सं. १७८४ मां स्वोपज्ञ बालावबोधनी रचना. हरिपुरा (सुरत )मां पं. नरेन्द्रसागरे प्रति लखी. प्र.सं./१८०८ परि./७८० सामंधर जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; २५.५४१०.९ से.मि. गाथा ६. ___ पं. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./१८०९ परि./५८६१/११ अतीत चोवीसी जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु. २२.३४१२.४ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१८१० परि./२७२०/१ अनागत जिन चोवीसो स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु: २२.३४ १२.४ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./१८११ परि./२७२०/३ अकसोसित्तेर जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २२.३४१२.४ से.मि. गाथा १२. प्र.सं /१८१२ परि./२७२०/१२ घातकी खंड पंचमहाविदेह प्रथम बत्रीसजिन स्तवन (२) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २२.३४१२.४ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; ८. प्र.स./1८१३ परि./२७२०८; ९ www.jaineli Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ स्तुति-स्तोत्रादि चोवोसी जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.३४१०.७ से.मि. ढाळ १७. अपूर्ण. अरजिन सुधी. प्र.सं./१८१४ परि./५५८५ चोवीसी जिन स्तवन ले.सं. १८०८; हाथकागळ पत्र १० थी १८, २५.५४११.३ से.मि. ढाळ २४. तूटक. धीरसागरनी मुळ नकल उपरथी पादरामा प्रति लखनार पारेख जीवण न्हानाभाई. पत्रो १ थी ९ नथी. प्र.सं./१८१५ परि./३५६७/१ चोवीसी स्तवनो (२) ले.सं १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३७ थी ४४, ४५ थी ५०; २५४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा २४; २४. रंगविजये सुरतमा प्रति लखी. (पृ. २८). प्र.सं./१८१६ परि./३७५०/१९; २३ जंबूद्विप महाविदेह बत्रीसी जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २२.३४१२.४ से.मि. गाथा ११. प्र.सं.१८१७ परि./२७२०/७ पुष्कराधे द्वितीय महाविदेह बत्रीस जिन स्तवन (२) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३ थी ४; २२.३४१२.४ से.मि. अनुक्रमे गाथा १२; १३ प्र.सं./१८१८ परि./२७२०/८; ९ वर्तमानजिन चोवीसी स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २२.३४ १२.४ से.मि. गाथा ३. परि./२७२०/२ १-वीस विहरमान जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुं; २५४१०.९ से.मि गाथा ११. पं. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.स./१८२० परि./५८६१/१ २-वीस विरमान जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २२.३४१२.४ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./१८२१ परि./२७२०/६ वीसी स्तवनो ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२ थी ३७, २५४११ से.मि. गाथा २०. प्रसं. १८२२ परि./३७५०/१८ सत्तरिसय जिन नाम ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी १६; २५.५४ १०.९ से.मि. गाथा ५६. पं. जयसागर माटे खीमाविजये प्रति लखी. प्र.स./१८२३ परि/५८६१/१३ प्र.सं./१८१९ Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि पद्मराजोपाध्याय (ख.) कुंथुनाथ स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.) : हाथ कागळ पत्र २६ थी २७; २१-२६-९ से.मि. गाथा ७. कर्ता - खरतरगच्छना पुण्यसागरना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदीनो (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. ८७५ ) प्र.सं./१८२४ परि./८४८०/४ पद्मविजय ( त . ) ऋषभजिन स्तवन ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ६. कर्ता - तपागच्छीय सत्यविजयनी परंपरामां उत्तमविजयना शिष्य; अमदावादमां जन्म अने वि.सं. १८९२मां पाटणमां स्वर्गवास ( जै. गु. क., पृ. ७३ थी ७५ नी टिप्पण). प्र.सं./१८२५ परि. / ६२०५/४ पार्श्वप्रभु स्तुति ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६-१४१२ २ से.मि. गाथा १. प्र.सं./१८२६ २१७ परि./६८३८/२ पार्श्वनाथ स्तवन ( नारंगप्रभु ) ले.स. २० शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.८४११.९ से. मि. ढाळ ९. वि.सं. १७९२मां भा. ३, खं. १, प्र.सं./१८२७ परि./१९८१/२ १ - नेमि - राजीमती (नवभवगर्भित ) स्तवन; र.सं. १८३७. ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २; २५x१००३ से.मि. गाथा १७. कृति पाटणम रखाई. पादलिप्तनगरमां पं. मोतीविजयजी माटे प्रति लखाई. प्र. सं. / १८२८ परि. / ५४८६ २– नेमिजिन स्तवन (नवभवगर्भित) र.स. १८३७, ले.स. २० शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४ थी ५: २६.५x१२.३ से.मि. गाथा १७. प्र.सं./१८२९ प्र.सं./१८३० २८ परि. / ३३०/२ वीजन स्तवन (चतुर्विंशतिदंडकगर्भित) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २६.८x११.९ से. मि. गाथा ८९. कृति भावनगर मां रचाई. परि./६९७४ Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ स्तुति-स्तोत्रादि १-महावीरजिन स्तवन (षट्पींविचारगर्भित) र.स. १८३०; ले.सं. ५८४५; हाथकागळ पत्र ६; २४.५४११.५ से.मि. ढाळ ८. रचना साणंदमां थयेली छे. प्र.सं./१८३३मां रचना स्थळ आणंद वंचाय छे. प्र.सं.१८३१ परि./४८८८ २--महावीरजिन स्तवन (षट्प:अधिकारगर्भित ) र.सं. १८३०. ले.स. १८३१; हाथकागळ पत्र १०; २५४११ से.मि. ढाळ ८. प्रति राजनगरमां लखाई. आ प्रतिमां ा कृति बे वखत लखेली छे. प्र.स १८३२ परि./२९०७ ३–महावीरजिन स्तवन (षट्पा विधार गर्भित) र.सं. १८३०. ले स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.२४११.७ से.मि. ढाळ ९. प्र.स./१८३३ परि./७५३४ महावीर स्तवन (अथवा दीवाली स्तवन) (३) ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६: २४४१०.७ से.मि. अनुक्रमे ७, ३, ७. प्र.स./१८३४ परि./१८८४/३, ४, ५ महावीरजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २७.४४ १२.५ से.मि. गाथा ७. प्रतिनां पत्रो १, २, ३ नथी. प्रति जीर्ण छ. प्र.सं./१८३५ परि./९५२/७ सिद्धाचलजी स्तवन ले.सं. १८८९; हाथकागळ पत्र लु; १७४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्रस./१८३६ परि./८१४४/१ एकसो सित्तेर जिन स्तवन र.स. १८०८; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५, २५४१०.५ से.मि ढाळ ५. कृति पालीताणामां रचाई. प्र.स.१८३७ परि./४८८४/१ कल्याणक स्तवन ढाळबद्ध र.सं. १८३०; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७४१२.५ से.मि. रचना पाटणमां थयेली छे. प्र.स./१८३८ परि./९४९ चतुर्विशति जिन पंचकल्याणक स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी३; २४.५४१०.७ से.मि. गाथा २९. पं. ज्ञानविजये प्रति लखो. प्र.सं./१८३९ परि./८३४१/२ Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २१९ गणधर स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २५.७४१२.५ से.मि. गाथा ९. प्र-स/१८४० परि./८३८७/८ १-चतुर्विशति जिन पंचकल्याणक स्तवन र.सं. १८३७. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.१x१०.५ से.मि. गाथा ४४ + ... कृतिनी रचना पाटणमां करवामां आवी. पं. कीर्तिविजयना शिष्य मुनि मोतीविजये प्रति लखी. प्र.सं./१८४१ परि./५८४३ २-चतुर्विंशति जिन पंचकल्याणक स्तवन र.सं. १८३७; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २५.८४११.९ से.मि. ढाळ ७. प्रसं./१८४२ परि./१९८१/१ चतुर्विशति निन स्तवन. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २८४१२ से.मि. स्तवन २४. प्र.सं./१८४३ परि./३०८ चतुर्विशति जिन स्तवन ले.स. १८४१; हाथकागळ पत्र ७, २४.७४११ से.मि. कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.सं./१८४४ परि./३८८७ चतुर्विशति जिन नमस्कार ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.२४९.७ गाथा २४. प्रे.सं./१८४५ परि./७१४० चतुर्विशति जिन चैत्यवंदन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५४११ से.मि. प्र.सं./१८४६ परि./७३९० दीवाळी नमस्कार ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र छु; २४४१०.७ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./१८१७ परि /१८८४/६ परमात्म स्तोत्र ले.स. १८४८; हाथकागळ पत्र ९थी १०; २५.२४११.३ से.मि. गाथा २१. वनस्थली (वथळी)मां पं. दर्शनविजये प्रति लखी. प्र.सं./१८४८ परि./५३५७/८ भाद्रवावद आठम नमस्कार ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २७.२४ १२ से.मि. गाथा ७. पत्र ४) नथी. प्र.सं./१८४९ परि./३२७/९ Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० स्तुति-स्तोत्रादि शाश्वतजिन स्तुति ले. सं. १८६९; हाथकागळ पत्र १ल २५० १४११०३ से. मि. गाथा ४. रतनसीओ थरादमां प्रति लखी. प्र.सं./ ८५० परि./२३८६/१ समकित पचीसी स्तवन २.सं. १८११. ले.स. १९मुळे शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र ३: २५.७४११.९ से.मि. गाथा ६८. रचना भावनगर मां थई छे. प्र.सं./१८५१ परि. / २०२७ साधारण जिन पंचकल्याणक महोत्सव स्तवन र.सं. १८१७: ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४ २४.५X१०० से.मि. पं. दयाविजय गणिए प्रति लखी प्रतिमां र.सं. शक १६८२ लखेल छे. प्र.सं./ १८५२ साधारण जिन पंचकल्याण स्तवन ले.स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी २, २४-५०१००७ से.मि. पं. ज्ञानविजये प्रति लखी. प्र.स ं./१८५३ परि./८३४१/१ सिद्धचक्रस्तुति ले.स. २० शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ३जुं; २६-१x१२.२ से.मि. वादळीरंगना कागळनी प्रति छे. प्र.सं./ १८५४ परि./६९२१/३ सिद्वदंडिका स्तवन ले.स. १९ शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ३; २४- ५९१०.७ से. मि. पद्य ३८ तूटक. प्रथम पत्र नथी प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१८५५ परि. / ८८४८ १ - सिद्धदंडिका स्तवन ले. सं. १८२२; हाथकागळ पत्र ३ २५.१x११.६ से.मि. बाई मोहनी पं. पुण्यविजय पासेथी प्रति मेळवी. परि . / ८४३८ परि./११८९ प्र.सं./१८५६ २ - सिद्धदंडिका स्तवन ले. सं. १९४६; हाथकागळ पत्र १थी ४; २६०५x१२.५ से.मि. प्र.सं./१८५७ परि./७३५३/१ ३ - सिद्धदंडिका स्तवन २७-५४१२ २ से.मि. प्र.सं./१८५८ ले. स. २० मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २; परि./८२४० Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २२१ ४-सिद्धदंडिका स्तवन ले.स. १८५४; हाथकागळ पत्र ४; २५.२४११.७ से.नि. पब ३८. बाई रूपा माटे प्रति भावनगरमां लखाई. प्र.सं./१८५९ परि./७१८७ १-सीमंधरजिन स्तवन ले.स. १९१७; हाथकागळ पत्र १३९; १९.५४१३.२ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१८६० परि./८१२७/२ २-सीम धरजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु; १५४११ से.मि. गाथा ८. प. खुशालविजये कोद गाममा प्रति लखी. प्र.स./१८६१ परि./८६१७/४ पद्मसागर (म.) शांतिनाथ स्तवन ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ज; २३.७४९.७ से.मि. गाथा ५. ___ कर्ता-मम्माहडगच्छना मुनि सुंदरसूरिना शिष्य छे. समय वि. १६मी सदी (जै. गू. क. भा. १; पृ. १११). प्र.स./1८६२ परि./६३११/२ पार्श्वनाथ स्तवन (वरकाणा). ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७मु; २८x११ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१८६३ परि. ८४६०/६ परमानंद पंडित (त) पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा ९७. कर्ता-तपागच्छीय विजयसेनश्निा शिष्य छे. जै.गू.क.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. पुण्यसागरे लखेली प्रति भीजायेली छे. प्रथम पत्र सांधेलु छे. प्र.स./१८६४ परि./३९६२ पार्श्वचंद्रसूरि (पा) आदि जिन स्तवन (शत्रुजय मंडन)(२); ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; ३; २५४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा १२; ४२. कर्ता-पायचंद ( पार्श्व चंद्र) गच्छना स्थापक. समय वि.स. १५३७मां जन्म १६१२मा स्वर्गवास. (जै गू-क. भा. ३ ख. १ पृ. १३९). प्र.स./१८६५ परि./३५७९/१; २ Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ स्तुति-स्तोत्रादि अजितशांतिस्तव-बालावबोध ले.सं. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६.८४११.२ से.मि. गाथा १३ सुधी, अपूर्ण. नंदिषेणनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्रति जिर्ण है. प्र.सं./१८६६ परि./१६७५ अजित शांति स्तव वात्तिक ले.सं. १७६० हाथकागळ पत्र ७; २४.४४१०.८ से.मि. गाथा १.. प्रति खभायत(खंभात)मां लखायेली छे. प्र.सं./१८६७ परि./६५९५ विमलनाथ जिन सप्त स्तवन र.सं. तथा ले स. १५९४; हाथकागळ पत्र १९थी २०; २५.९४११ से.मि. गाथा ३१. स्वनावर्ष मां ज लखा येल प्रति. प्र.सं./१८६८ परि./३१८६/८ शांतिजिन स्तवन ले.स. १५९४: हाथकागळ पत्र २१९; २५.९४११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१८६९ परि./३१८६/१० कुथुजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २जु; २५.४४१०.५ से.मि. गाथा १३. प्र.सं./१८७० परि./४७७२/२ मल्लिनाथ स्तवन ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र २२थी २३, २५.९४११ से.मि. गाथा १९. प्र.सं./१८७१ परि./३१८६/१२ पार्श्वनाथ स्तवन-(चोवीस दंडक विचार गर्मित) ले.स. १७०९; हाथकागळ पत्र २; २४.३४१०.५ से.मि. गाथा २३. श्रीपत्तन (पाटण ? )मां श्राविका हर्ष मद माटे वाचक आणंदविजयगणिए प्रति लखी. प्र.स./१८७२ परि./३०९० पार्श्वनाथ स्तवन (शखेश्वर) ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र २३मुं; २५.९४११ से.मि. गाथा १३. प्र.स./1८७३ परि./३१८६/१३ १-महावीर स्तवन (छन्वीस द्वार गर्भित) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६.५४११ से.मि. दाळ ५. आ रचना 'दंडक विचार स्तवन' तरीके पण जाणीती छे. प्र.सं./१८७४ परि./६८७ Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २२३ २ - महावीर जिन स्तवन (छब्वीस दंडक गर्भित) ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथका ग पत्र ८ २५४१०.५ से.मि. प्र.स ं./१८७५ परि. / ४४४०. मेडता मंडन जिन स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६हुँ; २५०३×१०.५ मे. मि गाथा ११. प्रति जोण छे, प्र.सं./१८७६ परि. / ५७८८/३ १ - साधुवंदना ले. सं. १७१५; हाथकागळ पत्र ४, २३-३४१००४ से.मि. गाथा ८७. मुनि राजरत्नने माटे पत्तन (पाटण) मां प्रति लखाई. प्र.सं./१८७७ परि. / ४९१६ २ - साधुवंदना ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी ५ २४५१०.५ से.मि. गाथा ८५. प्रस. / १८७८ परि. /४१०३/१ ३ – साधुवंदना ले.स. १७३९, हाथकागळ पत्र ४ २३०५४१००१ से.मि. गाथा ९३. मुनि प्रेमसुंदर माटे प्रति लखाई. शेष ( ख ) पुरमा ऋषि हरखाओ प्रति लखी प्र.स ं./१८७९ परि. / ७६३५ ४ - साधुवंदना ले.स. १९ शतक; हाथकागळ पत्र ४ २३ ३४११०३ से.मि. गाथा ९३. प्र.सं./ १८८० परि. / २५२८ पुण्यकमल (त) १ - पार्श्वनाथ स्तोत्र ( भिन्नमाल) र.सं. १६६१. ले. स. १९१८; हाथकागळ पत्र २८थी ३०: २५-७४१२ से.मि. कर्ता - तपगच्छना हंसरत्नना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी. आ कर्ता जै. गू. क. मां नांधायेल नथी. गोरजी श्यामजीओ भोय्यत्रामां प्रति लखी. प्र. सं. १८८२मां रचना संवत १६६२ छे. प्र.सं./१८८१ २- पार्श्वनाथ स्तवन ( भिन्नमाल ) र. स. १६६२ ले.सं. १७२७; २३.३४९•४ से.मि. गाथा ५८. रामसेणगामे मुनि मतिह से प्रति लखी. प्र.सं./१८८२ परि. / २२३४/२२ हाथका एक पत्र १ परि./७२१५ Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४ पुण्यमुनि अंबास्तोत्र ले.सं. १५०३; हाथकागळ पत्र ५१मुं; ३०४११०२ से.मि. गाथा ११. नाम मात्र मळे छे. जै. गू. क.मां आ कर्ता नांधायेला नथी. कर्ता—न अहिल्लपुर - पाटणमां मुनि क्षेमकीर्ति से प्रति लखी. पुण्यसागर (ख) प्र.स ं./१८८३ पुण्यसागर (9) कल्याणक स्तोत्र ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५x१००३ से.मि. गाथा १९. कर्ता - आ नामना बे कर्ता मळे छे एमांथी आ कया ते अनिर्णीत रहे छे. (जुओ जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६५३, १०३७). प्र.सं./१८८४ परि./५१६३ स्तुति स्तोत्रादि महावीर स्तवन ले.स. १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २; २५.७४१०.९ से. मि. गाथा २१. कर्ता- - खरतर गच्छना जिनहंससूरिना शिष्य छे. ( गाथा २१ ) समय वि. १७मी सदी (जै.गु. क. भा. ३, प्र. ६५३ ). प्र.सं./१८८५ परि./१४३७/२ साधुवंदना ले. सं. १६७०; हाथकागळ पत्र १६, २४४९.४ से.मि. गाथा ८७. मालसरमा पं. कम्माओ प्रति लखी. प्र.सं./१८८८ परि./३३२५ प्र.स ं./१८८६ प्रीतिविजय (त) पार्श्वनाथ स्तवन (भटेवा) र.स. १६६७ ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.७४१००१ से. मि. गाथा ३४. कर्ता -- तपगच्छना हीरविजयसूरि> विजय सेनसूरि विजयदेव > कल्याणविजयना शिष्य छे (गा. ३४ ). समय वि. १७मी सदी. जै गु. कमां नाधायेला कर्ता आ नथी. पाचोटिपुर( पांचोट) मां रचना थयेली छे. प्र.सं./१८८७ परि./७०६७ प्रीतिविजय (?) श्रेयांस जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २जु; २५१००९ से.मि. परि / ७८०७ गाथा ५. कर्ता - बेमाथी कया अ नक्की नथी थतु ललितविजये लाहोरमां प्रति लखी. मैं परि./३५९२/२ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि प्रीतिविमल (त. ) १ – पार्श्वनाथ बृहद् स्तवन से.मि. गाथा ५५. कर्ता -- तपगच्छना आणंद विमलसूरि धर्मसिंह > जयविमलना शिष्य. समय वि.सं. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. १,१.२९३ ). आदि जै. गू. क. मां छे. कळश प्रतिमां आपेलो नथी. ले. स. १९४१; प्र.सं./१८८९ २– पार्श्वनाथस्तवन ( गाडी ) ले. सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १६थी १७ ; ११.५ से.मि. गाथा. ८. प्र.सं./१८९० प्र.सं./१८९३ हाथकागळ पत्र ३थी ७; २४.५४११ परि./२३६७/२१ ३ – पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४थी २५ २५x१०.९ से.मि. गाथा ५४. प्र.सं./ १८९१ परि./५८ ६०/१९ ४ - पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले. स. १७८१ हाथकागळ पत्र २ २४.५x१०.५ से.मि. गाथा ५५. साध्वी कसनबाई माटे लखायेली त्रति किनारीथी सांधेली. प्र.सं./१८९४ प्रेमचंद प्र.सं./१८९२ परि /३९६३ ५ - पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १थी २; २४.५x१०.३ से.मि. गाथा ५५. ६ – पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १९मु ं शतक २४.२x१०.२ से.मि. गाथा ५७ २२५ प्र.स ं./१८९५ २९ परि. / ७४१५/२ २५.७X धर्मनाथ स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २ २३.७४१० से.मि. गाथा १३. कर्ता — गच्छपति विजयदयासूरिना शिष्य छे. गच्छ के समय मळतो नथी. आ कर्ता जै. गु. क. भा. २ अने भा. ३मां नांधायेला बनेमांथी अके नथी. उदयपुरमां पं. शांतिविजये प्रति लखी. परि./५३७०/१ हाथकागळ पत्र २: परि. / ४३८६ परि./८२९१/१ Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२६ स्तुति-स्तोत्रादि प्रेमविजय ऋषभदेव तेरभव स्तवन ले.स. २० मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १थी ४; २६-५४१२.३ से.मि. ढाळ ६. कर्ता-लब्धीविजयना शिष्य छे. आ कर्ता जै. ग. क.मां नेांधायेला नथी. गच्छ अने समय अज्ञात. प्र.सं./१८९६ परि./३३०/१ प्रेमविजय (?) चोवीसजिन नमस्कार ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५. १७४१०.८ से.मि. गाथा २४. कर्ता-परिचय मळतो नथो. बेचरविजये पालनपुरमा प्रति लखी. प्र.स./१८९७ परि./८६०९ प्रेमविजय (त.) पंचतीथी स्तवन-चजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३ २४.९४१० से.मि. तूटक. ___ कता-तप गच्छना विमलहर्षना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ८८५.) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेल नथी. परंपरा प्रतिमांथी मळे छे. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./१८९८ परि./५६६३/३ प्रेमविजय ( कवियण) (त.) | १-शत्रुजय स्तवन ले.स. १८६३; हाथकागळ पत्र २; २२.३४११ से.मि. गाथा २२. __कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरि> विमलहर्षना शिष्य; समय वि. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३९७, ३९८). ५. मनरूपविजये कारटा-गामे प्रति लखी. प्र.सं./१८९९ परि./७६२१ २-शत्रुजयवृद्धि स्तवन ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र ५थी ७: २४.५४११ से.मि. . गाथा ४३. प्रति बोराणामां लखाई. परि. ७६२१. प्र.स. १८९९ मां गाथा २२ छे पण बने . प्रतिनी. कृति अंक ज छे. प्र.सं./१९०० परि.४०११/४ www.jainelib Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २२७ प्रेमविजय (त.) वासुपूज्यजिन स्तवन ले.स. १८५७; हाथकागळ पत्र ६; २४४११.७ से.मि. ढाळ १२. कर्ता-तपगच्छना विजयसौभाग्यसूरिना शिष्य छे. (ढा. १२) समय मळी शकतो नथी. वटपद्र(वडोदरा)मां पं. रत्नविजयना शिष्य पं. धर्मचंद्र गणिले प्रति लखी. प्र.स./१९०१ परि./१८७८ प्रेम (? विजय) महावीरजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; १३४१२ से.मि. कर्ता-नामनिदेश सिवाय काई मळतु नथी. कृति अहपुरनगरमां रचा येली छे. प्र.स./१९०२ परि./८६१२ परि./१९९/१ बापु साधु चतुर्विशतिजिन स्तवन ले.स. १९२०; हाथकागळ पत्र १ थी ५४: २८.८४१३.१ से.मि. तूटक. कर्ता-अज्ञात. समय वि. २०मी सदी. स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे (पत्र १४मु). पत्रो ३थी ६ नथी. प्र.स./१९०३ बुद्धिलावण्य अष्टमी स्तवन र.सं. १८३९; ले.सं. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४११.७ से.मि. ढाळ ४. कर्ता-देवसौभाग्यगणि> रत्नसौभाग्यगणिना शिष्य छे. (पद-२ ) समय वि. १९मी सदी. प्र.सं./१९०४ परि./७९६२ बुद्धिविजय (त.) १-कल्पसूत्र (पर्युषण)नी थोय. ले.सं. १८६०; हाथकागळ पत्र १लु. २४.८४१०.५ से.मि. गाथा ४. कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहसूरिना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी (जै. गू. क. भा. ३. ख. २, पृ. ११९५). भाणपुरना दयासागरे महेन्द्रपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./१९०५ परि./३५९५/३ २–पयुषणनी स्तुति ले.स. १९मु शत्रक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४म; २४४११०२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१९०६ परि./४०८९/२८ Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८ स्तुति-स्तोत्रादि भक्तिलाभ पार्श्वनाथ स्तोत्र (वरकाणा) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १: २४.५४१०.१ से.मि. गाथा १५. प्र.स./१९०७ परि./८३०६ १-सीमंधरजिन स्तवन ले. स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र थी ३; २६.२४१८.२ से.मि. गाथा १८. प्र.स./१९०८ परि./६३७९/१ २-सीमधरजिन स्तवन ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र २थी ३; २६४११ से.मि. गाथा १७. लाभमाणिक्यगणिजे प्रति लखो. प्र.स./१९०९ परि./३१४०/२ ३-सीमधरस्वामी स्तवन ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र १थो २; २४४१०.१ से.मि. गाथा १८. प्र.स./१९१० परि./६३६६/२ भक्तिविजय (त.) साधुवंदना; र स. १८०३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २५४१०.५ से.मि. गाथा २९. ____ कर्ता-तपगच्छना शुभविजय> ग गाविजया> नयविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १९मी सदी (जै.गू.क. भा. २ ख. १ पृ. १५). प्र.सं./१९११ परि./६२८९/१७ भाग्यवर्द्धन नेमि-राजीमती स्तवन ले.सं. १८८०; हाथकागळ पत्र २जु; २५४११.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता-इंद्रवर्द्धनना शिष्य छे. गच्छ अज्ञात. लेखन-समय वि.सं. १८४४ अने १८८० बन्ने वर्षा प्रतिमांथी मळे छे. कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छे. प्र.स./१९१२ परि./२०८२/२ भाणमुनि (भवानजी) चतुर्विशति जिन स्तवन ले.स. १९९ (अनु.); हाथकागळ पत्र २६थी २८; २५४११ से.मि. अपूर्ण. कर्ता-वाघजी मुनिना शिष्य छे. समय अज्ञात. ८मा तीर्थ कर चंद्रप्रभ सुधी छे. सुरतमा रंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./१९१३ परि.३७५० Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि - भाजविजय अष्टापद स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र थी ३; १८४९.५ से.मि. गाथा २३. नोभामेल नथी. प्र.सं./१९१४ भाणविजय कर्ता - भावविजयना शिष्य छे. सूर्यपुर(सुरत) मां प्रति लखाई . प्र.सं./१९१५ भाणविजय पार्श्वनाथ स्तुति (गोडी) ले.सं. १८३६; हाथकागळ पत्र ७थी ८; २४.५४१०.१ से. मि. गाथा ४. कर्ता — मेघविजयना शिष्य छे. प्रति सुरतिबंदर (सुरत बंदर) मां लखायेली छे. गच्छ ने समय अज्ञात जैगू.क. मां आ कर्ता कर्ता — मात्र नामनिर्देश छे. समय गच्छ अज्ञात. प्रति पाटणमां लखेली छे. पार्श्वनाथ स्तवन - (चिंतामणि) ले.सं. १८६९ हाथकागल पत्र १८ : २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./१९१७ २२९ पार्श्वजिन स्तवन २.सं. १७५६; ले.स. २४४१०. १ से.मि. गाथा ९ कृति रूपपुरमां रचायेली छे. प्र.सं./१९१८ परि./८२०३/१ प्र.सं./१९१६ भावप्रभसूर (पू.) आदिनाथ स्तवन (२) ले.स. १८ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ४; २४.८x१०.५ सेमि. अनुक्रमे गाथा ८ ५. कर्ता — पूर्णिमागच्छनी प्रधानशाखा ढढेरना विनयप्रभसूरिनी परंपरामां महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदीने उत्तरार्ध (जै.गृ.क. भा. ३, खं. २, पृ. १४२४). प्रति जीर्ण छे. परि./८५१०/२ परि. / ७१९६/३७ परि. / ४१६७/१२, १३ १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६हुँ, परि. / ४७४५/३ Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि पावनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३जु; २४.८४१०.. से.मि. गाथा ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१९१९ परि./४१६७/१० महावीर स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४: २४.८४१०.५से.मि. गाथा ६. प्रति जीर्ण छ. प्र.स/१९२० परि/४१६७/११ महावीर जिन स्तुति. ले.स. १९ मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ४. ___ मात्र स्तुति छे. स्तबक नथी. प्र.सं./१९२१ परि./३८२४/६ १-महावीर जिन स्तुति-सस्तबक (आध्यात्मिक विचार गर्भित) र.सं. १७९६ ले.स १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३, २१.५४९.९ .मि. गाथा ४. स्वोपज्ञ स्तबक प्र.सं./१९२२ परि./७७१३ २-महावीर जिन स्तुति (अध्यात्मोपयोगिनी-स्तुति) सस्तबक र.सं. १७९.६ ले.स. १८१४ हाथकागळ पत्र ३, २५.५४११.३ से मि. गाथा ४. नथु कान्हदास माटे इभाईमां पं. विनीत विजयगणिना शिष्य पं.देवविजये प्रति लखी. प्र.मं./१९२३ परि./३१८९ ३-अध्यात्मापयोगिनी-कथलाभास-स्तुति-स्तबक २ स.-ले.स. १७९.६; हाथकागळ पत्र २, २३४९-७ से.मि. गाथा ४. समकालीन प्रति छे. प्र.स./१९२४ परि /६५१८/१ ४-अध्यात्मोपयोगिनी स्तुति-बालावबोध. र.स.-ले.स. १७९६; हाथकागळ पत्र २. २५.३४११.४ से.मि. त्रिपाठ. समकालीन प्रति छे. प्रसं./१९२५ परि./२२१८ ५-अध्यात्मोपयोगिनी स्तुति-सस्तबक र.स. ले.स. १.९६; हाथकागळ पत्र ५ थी ३; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ४. __ कर्ताए स्वहस्ताक्षरे पाटणमां लखेली प्रति. प्र.सं./१९२६ परि./५८०९/१ ६-महावीर स्तुति (अध्यात्म विचार गर्भित) सस्तबक र.सं. १७९६. ले स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७४१३ से.मि. गाथा ४. प्र.स/१९२७ परि./३७१ Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोष दि २३१ स्तवन चोवीसी र.स. १७७३. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ ; २४.१x१०.५ से.मि. परि./६२५६ स्तवन चोवीसी. र.सं. ले.सं. १७८३; हाथकागळ पत्र ७. २४.८x११.२ से.मि. संन्यस्तस्थ सहाध्यायी तेजरत्न माटे कर्ताओ पाटणमां स्वहस्ते लखेली प्रति छे. प्र. सं. १९२९ परि. / २६२१ चैत्री पूनम देववंदन विधि गर्भित स्तवन ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४४१०.५ से.मि. गाथा ३८ प्र.सं./१९३० प्र. सं. १९२८ सासय पडिमा अधिकार संथवण. २३.८x११.३ से.मि. पद्य ७३. प्रति जीर्ण छे. परि०/४८६७ पत्र ३; ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथका गळ प्र.सं./१९३१ भावविजय (त. ) नेमिजिन ( रागमाळा ) स्तवन. ले.स. १८ मुं शतक (अनु); हाथ कागळ पत्र १५मुं. १९०५४९ से. मि. गाथा ३०. परि. / ४९३३ कर्ता -- तपगच्छना श्री विजयदेवसूरिना शिष्य छे. (गा. ३०). आ कर्ता जै. गू. क.मां नांघाखेला नथी. आ पछीनी नांधायेली कृति (प्र.सं./ १६३३) समय वि.सं. १७५५नी, ओमनी रचेली मळे छे. शांतिसागरे प्रति लखी. प्र.सं./१९३२ परि./८१४९/१८ १- पार्श्वनाथ स्तवन (अंतरीक ) र. सं. १७१५ ले.स. १७९५, हाथकागळ पत्र ६थी ९; २३.८४१०.५ से.मि. गाथा ५१; ( रचना संवत माटे जुओ जै.सा. इति पृ. २२९ दि.२५४.) पं. रत्नविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./१९३३ परि. / ७६०८/४ २– पार्श्वनाथ स्तवन ( अंतरीक ) ( विविध छंदोबद्ध ) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १३ १७, २६-३४१२ से.मि. छंद ५१. प्र.सं./१९३४ परि./१६५६/३ ३ – पाश्व नाथ स्तवन- छंद (अंतरीक) ले. सं. १८४४; हाथकागळ पत्र ४ २३-२४९-५ से. मि. गाथा ५० प्र.स ं./१९३५ परि./६८०३ Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ स्तुति-स्तोत्रादि भावविजय (त) पार्श्वजिन स्तवन (गोडी) ले.स. १८५२; हाथकागळ पत्र ५, २५.५४१ २ से मि. कर्ता-तपगच्छना हीरविजय> शुभविजयना शिष्य छे समय अज्ञात. जै.सा.इति.मां नांधायेला बेमांथी के प्रस्तुत व्यक्ति नथी. मेता खेम माटे मुनि मेघविजये प्रति लर्ख . प्र../१९३६ परि./२०१९ भावविजय पुंडरीक गणधर स्तवन ले.स. १७२६; हाथकागळ पत्र ६, २४.२४१० से मि. कता-अनिर्णित. श्रीमाळ ज्ञातिना विजापुरना श्राविका मानाबाई माटे सुरविजये प्रति लखी. प्र.सं./१९३७ परि./६४६४ भावसागर पंचमी स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; १५.५४१२ से.मि. गाथा ४. ___ कर्ता-नामनिदेश सिवाय काइ मळतु नथी. प्र.स./१९३८ परि./८६ ०२/७ भावसागरसूरि (अ) शाश्वतजिन चैत्यवंदन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ का गळ पत्र ६; २४.२४१०.७ से.मि. गाथा १२१. कर्ता-अंचलगच्छना छे (गाथा ११७). परंपरा के समय आपेलां नथी. प्र.स./१९३९ __परि./६४५५ भुवनकीर्तिगणि (ख) सीमधर स्वामी स्तवन ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र लु'; २४.१०.१ से.मि. गाथा 1७. ___कर्ता-खरतर गच्छना ज्ञानन दिना शिष्य छे. वि.स. १६६७मां रखेली अमन कृति नेांधायेली छे. (जै.गू.क. भाग ३, ख. १. पृ. १०५०) प्र.स./१९४० परि./६३६६/१ मोजमागर वाचक .. सिद्वन्धक स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८थो ९; २४.७४९.९ से.मि. गाथा ८. ___कर्ता-भावसागरसूरि> विनीतसागरना शिष्य. समय वि.स. १७८५थी १८०५ (जै.सा.इति. पृ. ६५९: फकरो ९७०). ' प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१९४१ परि./८८८७/१२ Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १-महावीर स्तुति --(अध्यात्मिक विचार गर्भित)-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ त्र २: २५.,४१२.८ . से.मि. गाथा ४. का ---- ५.९४न। विविधर्मसूरि> राजविजयना शिष्य, श्रावक छे वि.स. १८४०नी ओमनी कृत मांडे (ज. ग क , भा. ३ ख. १. पृ. १६३ ). जो. गू क.मां आ रचना नांधायली नथा. ___ स्वोपज्ञ स्तबक. प्र.स./१९४२ परि./३७५ ले.सं. १९३२; २-महावीर जिन र तुति-(अध्यात्मिक विचार गर्भित)-स्तबक. हाथकागळ पत्र २; २५.२४१२ से.मि गाथा ४. पाटनयरी(१)मा प्रति लखेली छे. प्र.म./१९४३ परि./२०३१ मगन जिन स्तवन चावीसी. र.सं. १९३०; ले.स. १९५८; हाथवागळ पत्र ६; २४.३४११ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. पियारालाले लुधियाणामां प्रति लखी. प्र../१९४४ परि./४०२६ मगिउद्योत सुमतिनाथ स्तवनले स. १९१; हाथकागळ पत्र 1थी २; २७.७४१०.७ से.मि. गाथा १०. कर्ता-मणिविमळना शिष्य छे. समय वि. 1९मी सदी (प्रस्तुत प्रतिनी त्रीजी कृति.). बाबा बालगिर प्रति लखं'. प्र.सं./१९४५ परि./७२६३/1 पार्वजिन स्तवन ले.सं. १९११; हाथकागळ पत्र २जु; २७.७४१ ..७ से.मि. गाथा १०. बाबा बालगिर प्रति लखी. प्र.सं./१९४६ परि ७२६३/२ सिद्धाचल स्तवन र.सं. १८८७: ले.सं. १९11; हाथकागळ पत्र २थी ४, २७.७४१०.७ से.मि. ढाळ २; गाथा १.. प्र.सं./१९४७ परि./७२६३/३ Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ स्तुति-स्तोत्रादि प्र.स./१९४८ मतिसार (अं.) आदिजिन स्तवन (शत्रुजयस्थ). ले स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा ४. कर्ता-विधिपक्षना पंडित ललितमागरना शिष्य. एमनी वि.स. १६७९नी कृति मळे छे. (पत्र २, गा. ४७) जै, गु, के.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. ___ परि/४४००० अजितजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ एत्र ६९; २३.५४१ ०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१९४९ परि./४४००/१० शांति जिन स्तवन (२) ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २३.५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथ। ५, १०. प्र.सं./१९५० परि./४४००/४,७ नेमिजिन स्तवन ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ठ्ठ; २३.५४१ ०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./१९५१ ___परि./४४००/९ पार्श्वनाथ स्तवन (इदलपुर मंडन); ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./१९५२ परि./४४००/६. पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणि) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा २५ थी ४८ तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./१९५३ परि./४४८०/1 . पार्श्वनाथ स्तवन (श खेश्वर) ले.सं. १८मुं शतक (अनु ): . हाथकागळ पत्र ४थु. २३.५४१०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./१९५४ परि./४४००/३ महावीर स्तवन (२) ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४ : ६थी ७, २३.५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा २८; ९ प्र.स./१९५५ परि./४४००/२: १२ महावीर स्तवन ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.७४९.८ से.मि. गाथा ३९. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१९५६ परि./८८७३ Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २३५ मनरूपसागर पार्वजिन स्तवट ले.सं. १८६९: हाथ कागळ पत्र १८मु : २४४१०.५ से मि. गाथा , कर्ता-नामनिर्देश सिवाय काई मळतुं नथी. पाटणमां पुण्यविजयगणिले प्रति लखी. प्र.सं./१९५७ परि./७१९६/३६ महानंदमुनि (ला). कल्याणक स्तवन चोवीसी र.सं. १८४९. ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पन्न १थी ८; २५४११ से.मि. कता--लेकागच्छना रूप>जीव> जगजीवन> भीमसेन> मोटाना शिष्य छे एमनी वि.सं. १८३४ नी स्वहस्ताक्षरनी प्रति नांधायेली हे. (जै. गू. क. भा. ३, न. १. पृ. ३४.) प्र.सं./ 1९,८ परि./३७४२/१ ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ महोकलश आदिनाथ स्तवन (वडनगरमंडन-जीवितस्वामी) पत्र १; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा २३. कर्ता-जिनसामसुदरसूरिना शिष्य छे. प्र.सं./१९५९ परि./७३०८ माणिक्यविमल (त.) अतीत-अनागत-वर्तमान चोवीसी (बद्देांतेर जिनस्तवन). ले.स. १८८९; हाथकागल पत्र ५. २६४१२.८ से मि. गाथा ८४. ___ कर्ता-तपगच्छना विजय प्रभ> देवविमळना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी, (जै. गु. क. भा. ३ ख. २, पृ. १२०1). प्र.स./1९६० परि./७२७८ शाश्वताशाश्वत जिन स्तवन र स. १५:४; ले.स. १८५५; हाथकागळ पत्र ६: २५४१२ से.मि. डाळ ७: गाथा ८५. टक. रचना समी गामे थयेली छे. पतन (पादरा) गामे प्रति लखाई छे. पत्र पांचमु नथी. प्र.स./१९६१ परि./११९१ माणेकविजय (त.) जिन स्तवन चोवीसी. ले.स. १९मु शतक (अनु. ; हाथकागळ पत्र ७; २६४१ १.५ से.मि. अपूर्ण. - कर्ता-तपगच्छना क्षमा विजय( खीमाविजय ना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी (ज. गु. क. भा. २, पृ. ५६७). प्र.स./१९६२ परि./२८०० Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६ स्तुति-स्तोत्रादि माणेकबिजय (त) नेम राजुलनी पदर तिथि-थोयो र.स. १८२५; ले.स. २०मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २: २६.५.१२.७ से.।ि गाथा १५. कत - तपगच्छना हीरविजय सूरिनी पर परामां थया. विशेष परिचय अप्राप्य. अ कता जै. ग. क. के जै. सा. इति.मां नेांधायेला नी. प्रसं./1९६३ परि./७८९२ माणेक विजय)मुनि (त.) मौन अकादशी स्तवन ले.स. १९४१; हाथकागळ ५त्र २; २५.७४ 11.४ से.मि. गाथा १३. कर्ता-तपगच्छना रूविजयना शिष्य छे. (गा. १३). समय वि. १८मी सदी. (जै. गू. क. भा. २. पृ. ५५७). रामगर बालगरजीओ लखेलो प्रति छे. प्र.स./१९६४ परि./७५०८ माणिकसूरि राजीमती उपाल भ स्तुति. ले.स. । ६ शतक (अन.): हाथकागळ पत्र १६१थी १६२: २४४९.९ से.मि. गाथा १८. प्र.स./१९६५ परि./८६०१/९९ मानविजय (त.) आदिनाथ स्तवन (कर्म विषयक.). ले स १८मु शतक (अनु. ; हाथ काग ठ पत्र 1१श्री १२ २५४१ ०.९ से.मि. टाळ ५. ___कर्ता.–तपगच्छना विजयाणदस मिनी परंपरामां शांतिविजयना शिष्य छे. वि. १८मी सदीना पूर्वार्धनी अमनी रचेलो कृतिओ मळे छ. (जै गृ. के भा २, पृ. २३२; भा. ३, ख. २, पृ १२४०). प्र.सं १९६६ परि.१.५५३२/४ १- शांतिनाथ स्तवन (चौद गुणस्थान गर्भित . . सं. ५:८; हाथकागळ ६, २३.x10.५ से.मि. गाथा ८.. साहजीश्री माटे प्रति लखाली छे. प्रसं./१९६७ २--शांतिनाथ स्तवन ले.स. १७३२; हाथकागळ पत्र १ थी ८: २४४ १ ०.५ से.मि. गाथा ८५ प्र.मं./१९६८ परि/४३७२/1 ३-शांतिजिन स्तवन (चौद गुणा थाना विचार गर्भित) ले.स. १८मु शतक ( अनु.): हाथकागल पत्र तथो ४, ५४10.९ से.मि गाथा . प्र.स./१९६९ परि./५५३२/३ Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तावादि ले स १८म शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २, २५४१०.५ महावीर जिन स्तवन म.मि गाथा ,३. परि./४७८. ले.स. १९९ शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ११; १-जिन स्तवन चावीसी २२४९.८ मे.मि. खेनचंदे प्रति लखी. प्रसं/१९७१ परि ७७३४ २-- जिन स्तवन चावंसी ले स. १९ शतक (अनु.): हाथकागल पत्र 1६ थी २५ २४.७४ १.५ से.मि गाथा २४, ग्रंथाग्र १४५. सांतलपुर-आडेसमां भक्तिविजय प्रति लखी. प्र.सं/१९७० परि./२०६८२३ ३-जिन स्तवन चौवासी ले.स. १९१७: हाथकागळ पत्र ।, २४४१०.९ से.मि. ढाळ २४. दलसुखराम प्रति लखी. प्र.स./१९७३ परि./६४०१ शतक (अनु ): हाथका गळ पत्र १०; ४-जिन स्तवन चावीसी ले.स. १९मु २४.८४i 1.२ से.मि. टाळ २४. परि./५००२ ५-जिन स्तवन चावीसी ले.स. १८१५: हाथकागळ पत्र १५, २८.,४११ से.मि. ___रूपवर्धन - ५. मानवधन> मुनि शिववर्धने प्रति लखी प्र.स./१९७', परि./२८७८ ६--जिन स्तवन चोवीसी ले स. १८मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १०; २७.५४11.३ से.मि. ढाळ २४. प्र.स./१९७६ परि./५,००/ ७-जिन स्तवन चोवीसी ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १3; १९.५४९ . से.मि. गाथा ६. प्र.स ./१९७७ परि/७४०१ ले.स १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३, २४.४४१०.५ से.मि. सिद्धचक्र स्तवन गाथा २७. प्रस/५९७८ परि./३९३५ Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ तुति-स्तात्रनि मनाविजय पंडित ऋषभजिन स्तुति ले स. २० में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जुः २६.५४ ११.२ से.मि. गाथा ५. कता-परिचय अप्राप्य. कृतिनी रचना भूजमा करवामां आवी. प्र.स./१९७९ परि./६७९७/७ मानविजय अमिनदनजिन स्तवन ले स. १८४० हाथकागदपत्र थी ९; २५४११.७ से.मि. गाथा ७. कर्ता-परिचय अप्राप्य. भाभरमां मुनि तेजविजये प्रति लखी. प्र.स./१९८० परि २०४४/मानविजय चैत्यवंदन स्तुति ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २६.५४१२.५ से.मि. तूटक. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं/१९८॥ परि./८३७७/१ मानविजय 'पर्युष गनो स्तुति ले.स. १८४९; हाथ कागळं पत्र ८मुं; २२.३४ १०.४ मे मि. गाथा ४. कता-परिचय अप्राप्य. हेमविजयगणि> तेजविजयगणिजे वाडीगाममा लखली आ प्रति जाणछ. प्र.स./१९८२ परि ७८१५/११ मानविजय उपा. सासंघरजिन स्तवन टे.स १८६९: हाथकागळ पत्र मु, २'..1x11. सेमि गाथा ५. कर्ता-परिचय अप्राप्य. रतनसीओ थरादमां प्रति लखी. प्र.सं १९८३ परि./२३८४/४ मालदेव (श्रा.) नदीश्वर स्तोत्र ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १, २,४१८. से नि. गाथा ५३. कर्ता-बहुग गोत्रीय श्रावक अने तपगच्छीय देवसुदा सूरिना शिष्य छे समय वि म. १५मी सदी (गै, गू, क. भा. ३. सं. २, पू १५८ ). प.सं./१९८४ परि/४.५०० Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि मालमुनि १-महावीर पारणान (तवन ले. स. १२९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २, २५४११ से.मि. गाथा ३१. कर्ता-परिचय अप्राप्य. जे. गू क.मां आ रचना नांधायेली नथी. प्र.सं./१९८५ परि.)४७९० २-महावीर पारणान स्तवन ले.स. १८म् शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २४.७४१०.२ से.मि गाथा ३१. प्र.सं./१९८६ परि ६२५२/२ मौन अकादशी स्तवन ले.स. १७३०; हाथकागल पत्र १४थी १६: २४.5x१०.४ से.मि. गाथा ।५. डभोईमां कांतिसौभाग्यगणिले प्रति लखी. प्र.सं./१९८७ परि./५९५१/१८ मुक्तिसागर (त.) १-केवली स्तवन ले स. १७३१: हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.१४१०.१ से.मि. गाथा ६९. तूटक. कर्ता-तपगच्छना राजसागरसूरिना शिष्य छे. वि.स. १६७२थी १६८६ना गाळामां आ कृति रचर्चाई होवानु जणाय छे. (जै. गृ. क. भा. ३, खं. १, पृ. १५०५). भोईमां प्रति लखाई. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./१९८८ परि./६३०३/१ २- केवली स्तवन ले स . १७३०; हाथकागळ पत्र ६; २४४१०.५ से.मि. गाथा ६८. शाह हेमाना पुत्र शाह ताराचंदने राजनगरमा लखा येली आ प्रति मळेली. प्र.स./१९८९ ___ परि./६५१२ ३-केवली स्वरूप स्तवन-वृत्तिसह ले.स. १७ शतक (अनु , हाथकागळ पत्र ८; २५.०x१०.७ से.मि. गाथा ६८. तूटक. वृत्ति संस्कृतमा छे. बोजु अने सातमु पत्र नथी. T.स./१९९० परि./६७१९ मूलावाचक (अं.) शाश्वताशाश्वतजिन चैत्यवंदन स्तवन ले.सं. १७०१. हाथकागळ पत्र ३; २५४१८.५ से.मि. ढाळ ८ का-अंचलगच्छना धर्ममूर्तिसूरिना शिष्य छे. प्रस्तुत कृतिने वि.सं. १६७० पहेलांनी रचना मानवामां आवी छे. (जै. गू. क भा. 1, पृ. ४६८). __अमदावादना पारेख लीलाधर अने सहीजनी पुत्री धनबाई माटे अमवावादमा विजय शेखरगणिए प्रति लखी. प्रस./१९९१ परि./५३४३ Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० स्तुनि-स्तोत्रादि मेवर्षिय (त.) चतुर्विशति जिन स्व न ले स. १८९ शतक (अनु ); थकागळ पत्र 1; २५.१..४ .मि. गाथा २५. कता--तगच्छना विजयदेवसूरि विजयसिंहमूरि> कृयाविजयना शिष्य के समय वि. १८मी सदी. (जै गू के भा. २, पृ. १८८) प्र.म /१९९२ परि.३४२७/1 जिन स्तुति ले.स. १९७मु शतक (अनु.); हाथकागळ ५३ २जु ; २५४१ ०.५ से.मि. गाथा ४ प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१९९३ परि./३४२७२ मेघरत्न पार्श्वनाथ स्तवन (जगवल्लभ) ले.स :९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र पथी २; २३.७४१०.८ से.मि. गाथा ८ ___ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.म./१९९४ परि./७१८३/२ मेष कवि (मेघो) राणकपुर स्तवन र.स . १४९९ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४: २४.५४ १०.४ से.मि. गाथा ४०. कर्ता-परिचय अप्राप्य. समय वि. १५मी सदी. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २८; भा. ३. ख. १, पृ. ४३६). मंत्री नाथा अने रूपानी पुत्री माटे हर्षरत्नगणि) लखेली आ प्रति जीर्ण छे प्र.स./१९९५ परि./४२७० मेघविजय (न.) शांतिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ८ कता-तपगच्छना रंगविजयना शिध्य छे. समय वि. १९मी सदी. (जै. गु. क भा ३, खं. २, पृ. १५४४). प्र.स./१९९६ परि./६२०५/९ मेरुउदय महावीर स्तवन (खीमणादि) ले.सं. १९१४ ; हाथकागळ पत्र ३जु; २४.५४१ ... से भि गाथा ५. परि./४०६२/२ प्र.सं./१९९७ Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति - स्तोत्रादि २४१ मेरुनंदन उपा. (ख.) अजित-शांति स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २; २५.२४११ से.मि. गाथा ३२. कर्ता-खरतरगच्छना जिनोदयसूरि कर्ताना दीक्षागुरु छे. कर्तानी वि.सं. १४३२नी एक कृति नेांधा येली छे. (लै. गू. क. भा. १, पृ. १८). प्र.स./१९९८ परि./२५७२ मेरुमुनि नंदीश्वर स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थो १३; २४.७४१०.२ से.मि. गाथा २५ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./१९९९ परि./६२५२९ मेरुविजय (त.) पार्श्वनाथ स्तवन र.स. १७०५ ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र 1: २४.८x १०.९ से.मि. गाथा ३३. कर्ता-तपगच्छना विजयदानसूरि> पंडित गोपजी गणि> रंगविजयगणिना शिष्य छे. तेमनी ओक कृति वि.स. १७२२मां रचायेली मळे छे. (जै. गु. क. भा. २, पृ. १९०). ___ वझोरपुरमा लखेली कर्तानी स्वहस्ताक्षरनी प्रति छे. प्र.सं./२००० परि./७३१६ मेरुसुंदरगणि (ख.) ऋषभदेव स्तवन (शत्रुजय-मंडन) बालावबोध ले स. १६९ शतक (अनु.), हाथकागळ पर २३ थो ४३: २५.७४१०.६ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छना जीनराजसूरि> जीनभद्रसूरि> जिनचंद्रसरि> रत्नमूर्तिगणिना शिष्य छे. तेमनी वि. १६मी सदीना पूर्वार्धनी कृतिओ नेांधायेली छे. (जै. गू. क., भा. ३, ख. २, पृ. १५८४). विजयतिलकसूरिनी मूळ रचना गुजरातीमां छे. प्र.सं./२००१ परि./६५८७/२ १-भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २६.२४११.१ मे.मि. मूल गाथा-४४. मानतुंगसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्रसं./२००२ परि./११६० २-भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २६; २५.३४११. से.मि. प्र.स./२००३ परि./२५६७ Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ स्तुति-स्तोत्रादि ३-भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; १५.९४११ से.मि. गाथा ४४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२००४ परि./५३५३ ४-भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले.म. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २७.८४१३.९ से.मि. प्र.सं./२००५ परि./८०१८/१ ५-भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १९६२; हाथकागळ पत्र १७ थी २०; २७x १२.२ से.मि. प्रति पाटणमां लखाली छे, परि./८०१०/१-२मां पत्रो जूदी जूदी साईझनां छे. प्र.स./२००६ परि./८०१०/२ ६-भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १९२२; हाथकागळ पत्र ०५; २७.१४१३.७ से.मि. पद्य ५२. प्र.स./२००७ परि./८००७ ७–भक्तामर स्तोत्र-स्तबक ले.सं. १७९१; हाथकागळ पत्र २०; २५४१०.५ से.मि. गाथा ४८. ऋषि मनोहरे नंदपुरमा प्रति लखो. प्र.सं./२००८ परि./५९०६ मोतीविजय ऋषभदेव स्तवन (सिद्धाचलमंडन) ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४.८४१२.५ से.मि. गाथा ६. ___कर्ता-कीर्तिविजयना शिष्य (गा. ६). गच्छ-समय अज्ञात. प्र.स./२००९ परि./२६९९/१ अजितनाथ जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.८४१२.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०१० परि./२६९९/२ अभिनंदन जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु; २४.८४१२.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०११ परि./२६९९/४ सुमतिजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २४.८४१२.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०१२ परि./२६९९/५ Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २४३ पद्मप्रभजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४.८४१२.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./२०१३ परि./२६९९/६ सुपार्श्व जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु, २४.८x१२.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०१४ परि./२६९९/७ चंद्रप्रभजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २४.८x १२.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२०१५ परि./२६९९/८ सुविधिजिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २४.८४१२.. से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०१६ परि./२६९९/९ सीमंधरजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.८५ १२.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./२०१७ परि/२६९९/३ मोहनविजय (त.) ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु ): हाथकागळ पत्र १लं; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरि> कीर्तिविजय>मानविजय> रूपविजयना शिष्य छे. सेमनी वि. १८मी सदीना पूर्वार्धनी कृतिओ नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४२८) प्र.सं./२०१८ परि./२०६०/३ ऋषभजिन स्तवन (२) ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र पृथु, ६४; २४.७x ११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७, ७. प्र.सं./२०१९ परि./२०६०/९; १२ ऋषभजिन स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; १५.५४१२ से.मि. गाथा ४, प्र.सं./२०२० परि./८६०२/२ १-अजितजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु: २४.४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०११ __ परि./२०६०/६ . २-अजितनाथ स्तवन ले.स. २८मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ६ढुं; २४.७४९.९ से.मि. गाथा ५. प्रति जीर्ण छे. प्रसं. २०२२ परि,/८८८७/१ Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ स्तुति-स्तोत्रादि संभवनाथ स्तवन ले.स. १९९ गतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ७ प्र.सं./२०२३ परि./२०६०/५ अभिनंदन जिन स्तवन ले:सं. १७२८; हाथकागळ पत्र । थी २: २५.१४६०.४ से.मि गाथा ७. प्र.स./२०१४ परि./६२७२/२ सुमतिमिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागक पत्र २ थी ३; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२०२५ परि./२०६०/४ पद्मप्रभजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २४.७४ ११.५ से.मि. गाथा ५. परि./२०६०/१० चंद्रप्रभजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २२.८४९.९ से.मि. गाथा ७. परि./७६६५/३ १-सुविधिजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१ ०.५ से.मि. गाथा ७. अ.स.२०२८ परि./६२०५/१० ३-विधिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु ; २३४११.८ से मि. गाथा ७. परि./११०२/७ भवांसनाथ स्तवन ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र १ थी २: २४४१०.५ से.नि. गाथा ७. परि./७६४१/३ अमनाथ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४मुं; २४.५४५१.५ से.मि. माथा ७. प्र.स./२०३१ पार /२०६०/.. १--शांतिजिन स्तवन ले.स. १८६९. हाथकागळ पत्र २४ थी २५; २४४१०.५ से.मि. माथा ७. पुण्यविजयगणिो पत्तननगर (पाटण)मा प्रति लखी. प्र.स.२०३२ परि:/७१९६/५२ २-शांतिनाथ स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५-७४११.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२०३३ परि./२०६०/११ Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि ३ - शांतिनाथ स्तवन ले.स. १८६९ हाथकागळ पत्र ३० मुं; २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स ं.२०३४ परि. / ७१९६/६९ ४ - शांतिनाथ स्तवन ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३ थी ४: २५- ७४११५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२०३५ परि./२०६०/८ पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २५-७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स ं./२०३६ परि./२०६०/१४ पार्श्वजिन स्तवन ले.सं. १७६९: हाथकागळ पत्र २जु; २३ ३४१०.२ से.मि. गाथा ७. प्र.स ं./२०३७ परि./७६४१/६ २४५ १ - पार्श्वनाथ स्तवन ( पंचासरा ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ७. प्र. स. / २०३८ परि./२०६०/१३ २ - पार्श्वनाथ स्तवन (पंचासरा) ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र १५ थी १६ : २४x १०.५ से.मि. गाथा ७. पत्तननगर (पाटण) मां पं. पुण्यविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./२०३९ परि. / ७१९६/२९ ३ – पार्श्वनाथ स्तवन ( पंचासरा) ले.स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथ कागक पत्र ३२मुं; २५४११ से.मि. गाथा ८. प्र.सं.२०४० ४ - पार्श्वनाथ स्तवन (पंचासरा) ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र ३जु; १३.१×१०.२ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२०४५ ओलपाड गामे रंगविजये प्रति लखी (जुओ पत्र २८ ) पत्रो १ थी १६ नथी. परि /३८५०/१७ परि./७६४१/१० पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वरमंडन ) (२) ले स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३: ३५मु ं; २५-७९११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५; ७. प्र.सं./ २०४२ प्र.सं./२०४३ परि./२०६०/२४; ४२ परमात्मस्तवन ले.सं. १८६९; हाथकागळ पत्र २०; २४१०.५ से.मि. गाथा ७. परि:/७१९६/१२ साधारणजिन स्तवन ( शत्रुंजय स्तवन ) ले.स ं. १८२३; हाथकागळ पत्र २२मु ं; २५४११.५ से.मि. गाथा ५. पाटणमां ललित विजये प्रति लखी. प्र. सं. २०४४ परि./२३७७/५ Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ यशोविजय (त. ) आदि चैत्यवंदन ले.स. ११ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ : २७.२x१२ से.मि. गाथा ३. कर्ता - तपगच्छना कल्याणविजय > लाभविजय >> जीत विजय > नयविजयना शिष्य. समय वि.सं. १७०१ थी १७४३ (जै. गू. क. भा. २, पृ. २० थी २३). प्र.सं./२०४५ परि / ३२७/८ अजित जिन स्तवन (१४ बोल सह ) ले. स. १७८५ हाथकागळ पत्र २६, २५.७४ ११.५ से.मि. गाथा ५. नायक विजये थिरा गामे प्रति लखी, प्र. सं / २०४६ परि./२३६७/४१ संभवजिन स्तवन ले.स. १८७८; हाथकागळ पत्र ३३ २३-५४१००१ से. मि. गाथा ५ मनरूपसागर माटे पं. जयकुशलगणिओ प्रति लखी, छेल्लं पत्र अति जीर्ण छे. प्र.सं./२०४७ परि./६६१५/२ सुविधिजिन स्तवन लेस. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २८ थी २९ २४.७४ ११.५ से.मि. गाथा ५ प्र.सं./२०४८ स्तुति स्तोत्रादि परि./२०६०/३३ वासुपूज्य स्तवन ले.स. १८२५; हाथकागळ पत्र ८मुं २३.५४१०.७ से.मि. गाथा ५. प्रति उदयपुरमा लखेली छे. प्र. स. / २०४९ परि / ४९११/३ विमलनाथ स्तवन ले. सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २३ थी २४; २५४११ सेमि. गाथा ९ लेखन - संवत पत्र २५मां आपेल छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./२०५० परि./३१२४/१७ विमलजिन स्तवन ले.स. १९.मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ९; २७.४४१२.५ से.मि. गाथा ५. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२०५१ परि./९५२/१० शांतिजिन स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १थी २ २५-२४१२ से.मि. गाथा ४. ब्र.सं./२०५२ •2./2 १ - शांतिजिन स्तवन (स्यादवादगर्भित ) र.सं १७३४, ले.सं. १८०३; हाथका गळ पत्र २थी ४; २३.२४९.७ से.मि. ढाळ ६. पं. रूपकुशले भावनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./२०५३ परि,/७६२६/२ Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २४७ २-शांतिजिन स्तवन (स्याद्वादगर्भित) र.सं. १७३४; ले.सं. १७४९; हायकागळ पत्र ३; २३४१०.१ से.मि. ढाळ ६. पं. चतुरविजय गणिसे पाटणमां प्रति लखी. प्र.सं./२०५५ परि./५०४२ ३-शांतिजिन स्तवन (स्याद्वादगर्भित) २.स. १७३४, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४४1०.१ से.मि. गाथा ४८. ___ भावरत्नमुनिले प्रति लखी. प्र.सं./२०५५ परि./५१९२ ४-शांतिजिन स्तवन ( स्यादूवादगर्भित ) र.सं. १७३४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २: २५.५४११.५ से.मि. ढाळ ६. पं. तीर्थविजये प्रति लखी. प्र.सं./२०५६ परि./२०२५ ५-शांतिजिन स्तवन (स्यावादगर्भित) र.स. १७३४; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हावकागळ पत्र ३ थी ५, २५४१०.१ से.मि. प्र.सं./२०५७ परि./६२३०/३ ६-शांतिजिन स्तवन र.स. १७३४; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४११.५ से.मि. ढाळ ६. प्र.सं./२०५८ परि./१७६५ ७-शातिजिन स्तवन (नयविचारगर्भित) र.स. १७३४; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; २५.८४११.५ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./२०५९ परि./३२२० ८-शांतिजिन स्तवन ( नयविचारगर्भित) र.स. १७३४; ले.स. १.मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५४११ से.मि. ढाळ ५. प्रति राजनगर(अमदावाद)मां लखाई. . प्र.स./२०६० परि./६९०४ शांतिजिन स्तवन ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र ३मु; २४४१०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२०६१ परि./७१ ९६/७४ शांतिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र २७९, २४.७४११.५ से.मि. गाथा ६. भक्तिविजये सांतलपुर(आडेसर)मां प्रति लखी. प्र.स./२०६२ परि./२०६०/२९ Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ स्तुति-स्तोत्रादि नेमिमिन स्तवन ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३० थी ३१; २५४11 से.मि. गाथा ५. रंगविजये सुरतमा प्रति लखी. प्र.स./२०६३ परि/३७२०६ नेमनाथ स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५४११ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./२०६४ परि./८५०३/४ पार्श्वनाथ स्तवन (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.८४ ११ से.मि. अनुक्रमे गाथा १४, ७. प्र.स./२०६५ परि./३०८४/५; ९ पार्श्वजिन स्तवन ले स. १७८५; हाथकागळ पत्र २६९; २५.७४१ १.५ से.मि. गाथा ५ प्र.स./२०६६ परि./२३६७/४३ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ४. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४: २४४ १०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा १२:३; १३; ११. प्रम./२०६८ परि./८२७३/१; २; ३: ४. पार्श्वनाथ स्तवन (गाडी) ले.स. १७१२. हाथकागळ पत्र २४; २५४११ से.मि. गाथा १५. ले.सं. २५ मा पत्रमा छे. प्रति जीर्ण छे अने पत्रोनी चारे बाजुओ पट्टी बांटाडेली छे. प्र.सं./२०६८ परि./३ १२४/१८ पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) ले.सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २३९; २५४११ से.मि. गाथा १५. ____ प्रति जीर्ण अने सांधेली छे. प्र.स.२०६९ परि./३१२४/१६ पार्श्वनाथ स्तवन (शामळा) स्तबक ले स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३; २४४११ से.मि. गाथा १७. प्र.सं./२०७० परि./४०९० महावीर जिन स्तवन ले.सं. १८१५: हाथकागळ पत्र ९मुंः २५.५४११.७ से.भि. गाथा ७ प्र.सं./२०७१ परि./१८६३/३ __महाबोरजिन स्तवन ले.सं. १७८५: हाथकागळ पत्र २६९: २५.७४११.५ से.मि. गाथा ७ प्र.सं./२०७२ परि./२३६७/४२ १-~महावीर जिन विचार स्तवन र.स. १७३३; ले.स १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१०.५ से.मि. ढाळ ६. अपरनाम 'दोढसो गाथार्नु ढुंढकमत खंडन गर्भित स्तवन'. रचना ईदलपुरमा थयेली छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२०७३ परि./७०१९ Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २४९ २-महावीर जिन विचार स्तवन र.स. १७३३; ले स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६.४४११ से.मि. ढाळ ७. प्र.स./२०७४ परि./७८३३ ३-महावीरजिन स्तवन (प्रतिमास्थापन विचारगर्भित) बालावबोध सह र.सं. १७३३: ले.स. १८४२; हाथकागळ पत्र २०; २४.७४११ से.मि. स्वोपज्ञ टीकावाळी कृति छे. पंन्यास न्यायविजयजीओ स्वशिष्य भक्तिविजय माटे पाटणमां प्रति लखी. प्र.स./२०७५ परि./४२७४ ४-महावीरजिन विनतिरूप सवासा गाथानु स्तवन र.स. १७३३ ले.सं. १८४६: हाथकागळ पत्र १५: २५४११ से.मि. सुरजकुंवर माटे राजनगर(अमदावाद)मा प्रति लखाई. प्र.सं./२०७६ परि./३०९३ महावीर स्तवन (दामताधिकारे) र.सं. १७१४; ले.सं. १८२६; हाथकागळ पत्र ४; २५.६४११.८ से.मि. गाथा ७८. प. उत्तम विजयगणिना शिष्य, शिवचंद्रना गुरुबंधु विनयचद्रमुनिले प्रति लखी. प्र.सं./२०७७ परि./८५८ शत्रुजयना १०८ तथा २१ खमासणाना दूहा. ले.स. १८८५; हाथकागळ पत्र ४; २५४१०.५ से.मि. गाथा १०९ प्रति पालनपुरमा लखाई. प्र.स./२०७८ परि./२६५४ चतुर्विंशति जिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १; २५.१४११ से.मि. गाथा २४. प्र.सं./२०७९ परि./७३१७ १-चतुर्विंशति जिन स्तवन ले.सं. १७९३, हाथकागळ पत्र १४ थी १७; २५.३४१०.९ से.मि. स्तवनो २४ णडुलाईनगर(नाडोल मां लखेली प्रति छे. प्र.सं./२०८० परि./८५२८/७ २-चतुर्विशति जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.३४ .११ से.मि. अपूर्ण. अनंतनाथनी स्तुति सुधी प्रति लखेली छे. प्र.सं.२०८१ परि./७०५३ ३-चतुर्विशति जिन स्तवन ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १६ २४.७४११.५ से.मि. ढाळ २४ भक्तिविजये आडेसरमा प्रति लखी. प्रसं./२०८२ परि/२०६०/२२ ३२ Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० ४ - चतुर्विंशति जिन स्तवन ले.सं. १८४०; से.मि. ढाळ २४. हेमविजयना शिष्य तेजविजये भाभर गामे प्रति लखी. प्र.सं./२०८३ परि./२०४४/१ ५ - चतुर्विंशति जिन स्तवन ले. सं. १७६१; हाथकागळ पत्र १२ २५४१०.६ से.मि. बाळ २४. हाथकागळ पत्र थी ८: स्तुति स्तोत्रादि प्र. सं / २०८४ १ - जिन स्तवन चोवोसी ले.स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ६ २४४१०.५ से.मि. बाळ २४. प्र. स./२००५ उत्तमचंद दोशी माटे महिमाप्रमसूरिना शिष्य लक्ष्मीसूरिओ पाणमां प्रति लखी. परि./४६४६ परि./५३६४ २ -- जिन स्तवन चोवीसी ले.सं. १८३४; हाथकागळ पत्र 11 २५४११ से.मि. ढाळ २४. विजयसिंह > गजविजय > गुणविजय >> ज्ञानविजय > जीवविजय > रिद्धिविजयना शिष्य मेघविजये प्रति लखी. २५४११.७ परि. / ७९५४ प्र.सं./२०८६ ३ - जिन स्तवन चोवीसी ले.सं १८४७ हाथकागळ पत्र ९ २७०५४१२ से.मि. बाळ २४. प्र.सं./२०८७ परि. / १५२५ प्र.सं./२०८९ ४ – जिन स्तवन चोवीसी ले.स. १९मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ६ २६४१•४ से.मि. ढाळ २४. प्र.सं./२०९१ प्र.सं./२०८८ परि./३३१८ जिन स्तुति ( मयगल घरवारी स्तुति) ले सं. १८८६ हाथवागळ पत्र १३, २६-४२१२ से.मि. गाथा ४. पं. लक्ष्मीविजये विसलनगरमां प्रति लखी. ले. सं. १८०१; पंचपरमेष्ठी गुण विवरण गीता ( नवकारगीत) २५.७९११-७ से.मि. गाथा १३१. यशोविजय > गुणविजय सुमतिविजय > विनितविजय गणिओ सुरतमां प्रति लखी. परि. / २३५९ प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./२०९० बाहुजिन स्तवन लेस. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९; २७.४४१२.५ से.मि. गाथा ५. परि./१०४२/३ हाथकागळ पत्र १३; परि./९५२/११ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तात्रादि २५१ १-मौन अकादशी स्तवन र.स. १७३२; ले.सं. १८२५; हाथकागळ पत्र ५; २४.५४ १८.९ से.मि. ढाक 12. रचना स्थळ खंभात अने लेखन स्थळ सुरत छे. प्र.स./२०९२ परि./७५५५ २-- मौन अंकादशी स्तवन र.स. १७३२. ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २७X1१.५ से.मि. ढाळ १२. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२०९३ परि./१६२६ ३–मौन अकादशी स्तवन र.स. १७३२; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ६; २५.५.११ से.मि. ढाळ १२. प्र.स./२०९४ परि./३२ ६९/१ ४- मौन अकादशी स्तवन र स. १७३२; ले.स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र८; २५.७X11.२ से.मि. डाळ १२; ग्रंथाग्र १२०. पुन्यश्री साध्वी माटे रंगश्रीजीओ प्रति लखी. प्र.स./२०९५ परि./३३४३ ५-मौन अकादशी स्तवन र.स. १७३२. ले स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.७४१२.३ से.मि. ढाळ १२. प्र.सं २०९६ परि./८१७ ६.-मौन अकादशी स्तवन र.स. १७३२, ले स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.८४११.८ से.मि. ढाळ १२. मोतीलाले सरसपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./२०९७ परि./७४६१ वीस विहरमान स्तवन ले.स. २०मुं शत्रक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1 थी ८: २४४१५.५ से.मि. प्र.सं./२०९८ परि /८०७१/१ साधारण जिन स्तवन ले.सं १७६९; हाथकागळ पत्र जु; २३.२४१०.२ से.मि. गाथा ५ प्र.सं./२०९९ परि./७६४१/८ साधुवंदना र.सं. १७२१. ले.म. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५४१०.: से.मि. ढाळ ८. रचना अने लेखन स्थळ स्तंभतीर्थ (खभात). प्र.सं./२१०० परि./२९५७ १- सीमंधर जिन विज्ञप्ति रूप स्तवन सस्त बक ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र ५२; २५.५४१०.२ से.मि. मूळ ग्रंथाग्र ५३३. स्त, ग्रं. १२००. स्तबकना कर्ता नयविमल छे. पूर्णिमा पक्ष प्रधानशाखाना महिमाप्रभसूरिना शिष्य मुनि भीमजी अणहिलपत्तन (पाटण)मां लखेली प्रति जीर्ण छे. प्रसं./२१०१ परि./८९३१ Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ २ - सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन. ले. सं. १७१२; हाथकागळ पत्र ९; १०.७ से. मि. गाथा १२५. देवविमले शाह सूरचंद अने शाह वीर माटे प्रति लखी. स्तुति स्तोत्रादि प्र.स ं./२१०२ परि./६४५३ ३ - सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ : २६४११.२ से.भि डाळ ११. प्र. सं / २१०३ परि./३३४५ ४ - सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन लेस. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २५४१ से.मि. गाथा १२५. प्रेमविजयगणि माटे प्रति लखाई. प्र.सं./ २१०४ परि./५६६२/१ ५- सीमंधर जिन सवासो गाथानु स्तवन. ले. सं १८६६; हाथकागळ पत्र ११ थी १४; २३-५४१२ से.मि. गाथा १२५; ग्रंथाम २०० पं. ललितविजये वीसलनगरमां प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./२१०५ परि./११२१/३ ६ - सोमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ६; २५.५०११ से.मि. गाथा १२४, २४X प्र.सं./२१०६ परि. / ४२९४ ७ - सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन, ले.स. १९मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ६; २५.५x११ से.मि. गाथा १२४. प्र.सं./ २०७ परि. / ४२५४ ८ - सीमंधर जिन सवासो माथानुं स्तवन ले. सं. १७५२: हाथ कागळ पत्र १९ थी २१ २५४११ से.मि गाथा १२५ तूटक ( १ थी ४८ गाथा नथी. ) प्रति जीर्ण छे. पत्रो १ थी १८ नथी. प्र.सं./२१०८ परि. / ३१२४/१ ९ - सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन ले.स. १९.मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६.५४११-१ से.मि. गाथा १२५. प्र.सं./२१०९ १० -- सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन. ले.सं. १८८८; हाथकागळ पत्र ६: १०.३ से.मि गाथा १२५. प्रति नागोरमां लखाई. प्र.सं./२११० परि. / ७५०० २४.५४ परि./६२७०. Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि २५३ १ - सीमंधर जिन सवासो गाथानुं स्तवन - स्तबक ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ९, २४४११.४ से.मि. गाथा १२९+१. स्तबक स्वोपज्ञ. परि / ७१९२ प्र.सं./२१११ २ - सीमंधरजिन (विज्ञप्तिरूप ) सवासी गाथानुं स्तवन - सस्तबक ले. सं. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६.५४११ से भि. गाथा १२५. रूपविजयना शिष्य आनंद विजये प्रति लखी. प्र.सं./२११२ परि./७८२६ १ - सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; १५४११ से.मि. गाथा ७. कोद गाममां खुशालविजये प्रति लखी. प्र.स ं./२११३ परि./८६१७/६ २- सीमंधर जिन स्तवन ले.स. २० शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ८मुं; २६×१२.२ से. भि. गाथा ७. प्र. सं. / २११४ परि./१९८०/२ १ - सोमंधर जिन साडावणसो गाथानुं स्तवन. ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १९; २६-२x११.५ से.मि. गाथा ३५४. प्र.स./२११५ परि./३३५२ २ - सीमंधरजिन साडा सो गाथानु स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.) ; हाथकागल पत्र २२; २५४११.२ से मि गाथा ३९३. प्र.सं./२११६ परि०/३०९२ ३ - सीमंधर जिन साडा कणसो गाथानु स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १६, २५.२४१०.५ से.मि. गाथा ३५४. प्र.सं./२११७ १ - सीमंधर जिन साडा त्रणसो गाथानुं स्तवन - सस्तबक ले.सं. १९३२; १२२; २५.९४११ से.मि. गाथा ३५३: ग्रंथाम ३४२७, स्तबक कर्ता पद्मविजय, २. सं. १८३०. लिपिकार नागरदास रामदास. प्र.सं./२११८ परि./७९१४ २ - सीमंधरजिन साडा वणसो गाथानुं स्तवन - सस्तबक ले.सं. १९०७ ; हाथ कागळ पत्र १०७; २६.८×११.५ से.मि गाथा ३५३. लाल विजयगणिओ अमदावादमां प्रति लखी. प्र.सं./२११९ परि. / ४५९२ हाथका गळ पत्र परि. / १०७१ Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ તુતિ તવાર ५-सीसंघरजिन साडा त्रणसो गाथानु स्तवन-सा तबक. ले स. १८४५; हाथकागळ पत्र २५.४४ 11.४ से.मि गाथा ३५४; ग्रथान १७३६. स्तबककार प. नयविमल (ज्ञानविमल) . लिपिकार शाह रत्नचंद्र हर्षचंद्र. लिपिस्थळ सूर्यबंदर (सुरत. प्र.स./२१२० परि./1८७१ २-सीमंधरजिन साडा वणसो गाथान स्तवन-सस्तवक. ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ८४, २७-७४११.७ से मि. गाथा ३५१ सुधी. तूटक, पत्र २ अने ७७ थी ८२ नथी. प्र.स./२१२१ परि/१५२८ ३-सीमधरजिन साडा वणसो गाथानुं स्तवन.--- सस्तबक ले स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४, २६.२४ १२.८ से मि गाथा ३१८ सुधी. अपूर्ण. पत्र २३मु नथी. प्र.स./२१२२ परि./१६५१ सीमधरस्वामी स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा १३१. प्र.स./२ १२३ परि./५८३२ मुनिसुव्रत जिन स्तवन ले सं. १८००. हाथकागळ पत्र २०मु; १३.७४९.२ से.मि. गाथा ५. प्र.सं २१२४ परि.)८६५५/१० शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ११; रत्नचंद्र वा. सपवसरण स्तव प्रकरण- बालावबोध ले स. १८मु २६.',४११.३ से.मि. त्रिपाट-अपूर्ण. देवेन्द्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. प्र.सं./२१२५ रत्नविजय. ऋषभदेव स्तवन ले स. १९मु शतक : अतु.): हाथकागळ पत्र २३मुः २५४१०.९ से.मि. गाथा ७. परिचय अप्राप्य प्र.स./२१२६ परि./५८६०/१७ तक (अनु.); हाणकागळ पत्र ६: २४.२४१२.५ राजनगर तीर्थमाला स्तवन ले.स. २"मु मे.भि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./२१२७ परि./ १६८ Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २५५ रत्नविजय अजितनाथजन स्तव ले.स . १९७८५; हाथकागळ पत्र १८मु २५.७X11.५ से.मि. गाभा ६. कर्ता--कोई दयाविजयना शिष्य छे. जै.गू.क.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. नायकविजये थिरागामे प्रति लखी. प्र.स./२२८ परि./२३६७/२६ नेभिजिन स्तवन ले.स. १७८५: हाथकागळ पत्र १७यी १८; २५ ७४११.५ से.मि. गाथा .. नायकविजये थिरागामे प्रति लखी. प्र.स./२१२९ परि./२३६७/२२ त्रण चोवीसी स्तबन ले स. १७८५: हाथकागल पत्र मु; २५.७X1१.५ मे.मि, ढाक ८. नायकविजये थिरागामे प्रति लखी. प्र.स./२१३. परि./२३६७/१६ रत्नविजय (त) पार्श्वनाथ स्तवन (शखे वर) ले स. १८९५; हाथकागळ पत्र ६; २७.५४१२ से.मि. गाथा ३३. कर्ता-तपगच्छना विजयदेव> सिंहसूरि> गजविजय> हितविजय> जिनविजय> मुनिविजयना शिष्य छे. जै.गू.क.मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. समय अज्ञात. दुटक प्रतिबोधक मुनि मोतीविजयजीने राधिकापुर(राधनपुर)मां आ प्रति मळी प्र.स./२१३१ ___परि./३९४ रत्नविमल दीवाली स्तुति ले स १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.११ से.मि. गाथा ४. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२.१३२ परि./३३३८/८. रत्नसुंदर आदिनाथ युद्ध स्तवन ले.स. १६५४; हाथकागळ पत्र १; २५४१०.२ से.मि. गाथा १३. __कता-पाठक रत्ननिधानना शिष्य. समय अज्ञात. प्र.स./२१३३ परि./७३१२ रत्नाकरमुनि (त) आदिनाथ विनती ले.स. १७मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र थी २: १७.५४८.९ से मि. गाथा २१. का-वडतपगच्छना अने देपाल कविना समकालीन. (अ.गू.क. भा १, पृ. ४२) प्र.स./२१३४ ___ परि./८२१०/१ Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ विनती (जीराउला) ले.स. 19मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४थी ५; १७.५४८.९ से मि गाथा ११. प्र.स./२१३५ परि./८२१०/३ रंगविजय (त.) आदिनाथ स्तवन (शत्रुजय) ले.स. १८६ . ( १ १८७१ : हाथका गळ पत्र १३थी १४; २४xi . से.मि.-गाथा ७. कर्ता-तपगच्छना विजयजिनेद्र> कृष्णविजयना शिष्य छे. समय वि. १९ मी सदी (पत्र ७.८ पार्श्वनाथ स्तवन) जै गू.क.मां आ कर्ता नेांधायेल नथो. पत्र ११मां अने २४ मां जुदा जुदा लेखन संवत नेांधायेल छे. ___ पुण्यविजय गणिले प्रति लखी. प्र.म./२१३६ परि./७१९६/२६ संभवजिन स्तवन ले.स. १८६९थो '७१; हाथकागळ पत्र १४९; २४४1०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२१३७ परि./७१९६/२७ पद्मप्रभुजिन स्तवन ले.स. १८६९-'७१; हाथकागळ पत्र २९; २४४१०.५ से.मि. गाथा ११. प्र.स./२१३८ परि./७१०६/६६ चंद्रप्रभुजिन स्तवन ले.सं. १८६९-७१; हाथकागळ पत्र १३९ : २४४१०.५ से.मि. गाथा-५ प्र.स./२१३९ परि.१९६/२५ नेमिजिन पंदरतिथि स्तवन (२) ले.स. १८६९-७१; हाथकागळ पत्र ३ थी ४: १०: २५४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा २३, ६. प्र.स./२१४० परि./७१९६४ पा वनाथ स्तुति (गोडी) र.सं. १८५२; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी 10; २४४११.१. से.मि गाथा १०. प्र.स. २०४१ परि./७१९६/१७ पावजिन स्तवन (शंखेश्वर) (२) २.स. १८५२, ले.. १८६९-७१; हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २४४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७, ९. प्र./२१४२ परि./७१९६/१४; १५ पार्श्वनाथ स्तवन र.स. १८६५; ले.स. १८६९-७१; हाथकागळ पत्र ५ थी ६: २४x १०.५ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./२१४३ परि./७१९६/९ Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि २५७ जिन स्तवन (शखेश्वर) ले.सं. १८६९ - २०१६ हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र. सं / २१४४ परि०/७१९६/७ पार्श्व स्तुति (शंखेश्वर) ले.सं. १८४९; हाथकागल पत्र १४ थी १५; २२.३×१०.४ मे.मि. गाथा ४. हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिओ लखेली प्रति जीर्ण छे. ३. सं . / २१४५ परि. / ७७१५/२३ महावीर जिन स्तवन ले.स. १८६२ - २७१ हाथकागळ पत्र २६मुं; २४४१०.५ मे.मि. गाथा ९. प्र.सं./२१४६ परि०/७१९६/५५ प्रभाती स्तवन र.सं. १८४३. ले.मं. १८६९ - २७१ : हाथ कागळ पत्र ११ थी १२; २४४ १०.५ से.मि. गाथा १०. प्र.सं./२१४७ परि. / ७१९६ २२ रंगविजय (त. ) कुंथुजिन स्तवन ले.सं. १८६९ - १७१; हाथकागळ पत्र २६ मुं; २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता — तपगच्छना अमृतविजयना शिष्य छे समय वि. १९ मी सदी. (जै. गृ. क. भा. ३, नं. २. प्र. १४४३ ). परि. / ७१९६/५६ प्र. सं . / २१४८ शांति जिन स्तवन ले.सं १८६९ - २७१; हाथ कागळ पत्र २७मुं; २४४१००५ से.मि. गाथा. प्र.सं./२१४९ परि./७१९६/५९ नेभिजिन स्तवन लेस. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४११.९ से.मि. गाथा ६. मुनि तेज विजयगणिओ चाणस्मामां प्रति लखी. प्र.सं./२१५० नेमिजिन स्तवन ( ३ ) ले.सं. १८६९ - ' ७१; से.मि. अनुक्रमे गाथा ६६ ५. प्र.सं./२१५१ पार्श्वजिन स्तवन (५) ले सं. १८६९ - २७१ २९; २४४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; प्र.स ं./२१५२ ३३ हाथ कागळ पत्र परि. / ७४६३/४ २७-२८; २४५१००५ परि. / ७१९६/५८ ६४ थी ७; २५ २८ थी हाथ कागल पत्र ५ ७; ४; ७; ४. परि. / ७१९६ / ९: ११; १२, ५४: ६५. Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) ले.सं. १८८०; हाथकागळ पत्र १ थी १५; २४.५४१०.५ से.मि. टाळ १९. दरापुरामां सुज्ञानविजय पंडिते प्रति लखी. प्र.स./२१५३ परि./४०१९/१ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी). ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु: २६x ११.९ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./२१५४ परि./७४६३/२ पार्वजिन स्तवन ले.सं. १८६९-७१%; हाथकागळ पत्र २८मु:२४x11.९ से.नि. गाथा ७. प्र.स./२१५५ परि/७१९६/२४ रंगविजय पार्वजिन स्तवन (पंचासरा) ले.स. १८६९-७१%3 हाथकागळ पत्र १२ थी १३: २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. ____ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स ./२१५६ परि./७१९.६/२४ पार्श्वनाथ स्तवन (पतिष्ठाकल्प विचार गर्भित) र.स. १८४९, ले.स. १८८०; हाथकागल पत्र १५ थी १६; २४.५४1०.५ स.मि. डाळ १९. सुज्ञानविजय पंडित दरापुरामां प्रति लखी. प्र.स./२१५७ परि /४०१९/२ महावीर स्तवन ले स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.७४९.९ से.मि. गाथा ५. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२१५८ परि./८.८७/३ पांचमनं चैत्यवंदन स्तवन ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २, २४.५४ ११.२ से.भि. प्र.स./२१५९ परि./६७७०/१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लं; २५.५४११.५ रंगविबुध मुसजिन स्तवन ले.स. १८९ सं.मि. गाथा ५. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२१६७ परि./८३५३/२ Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि राजत्न उपा. (त.) - ननिनाथ गुणवर्णन स्तवन ( गिरनार मंडन ) ले. स. १८ मुं शक (अनु.) : हाथ कागळ पत्र २: २४४१०.५ से.मि. गाथा ५२. कर्ता तपगच्छना विशालसोमसूरिना शिष्य छे. नायला त्रण राजरत्नमांथी ओके प्रस्तुत व्यक्ति नथी. साध्वी गणश्री माटे प्रति लखाई. प्र. स. / २१६२ राजसमुद्र प्र.सं./२१६१ परि / ४३९२ २- नेमिनाथ गुणवर्णन स्तवन ( गिरनार मंडन ) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागलं पत्र ३; २३०११०९ से.जि. गाथा ५२. शेठ वचंद जयचंद मुनि खुशालविजये प्रति लखी. प्र.सं./२१६३ राजसमुद्र ऋषभजिन रागमाला स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुंः ९.५४ ९ से.मि. गाथा ११. कर्ता - परिचय अप्राप्य. लिपिकार शांतिसागरगणि कर्ता - जिनचंद्रसूरि >> जिनसिंहसूरिना शिष्य छे. गच्छ समय अज्ञात. आकर्ता जैगू क. मां नांवायेला नथी. राजसागर सनय महावीर स्तवन से मि गाथा २६. अज्ञान. 카 प्र.सं./२१६५ जिन स्तवन ( गुणस्थान विचार गर्भित ) बालावबोध २. सं. १६६५. ले.सं. १० शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र १५, २५४१००१ से.मि. २५९ मूळनी रचना जेसलमेरमा थई. बा.बो.ना कर्ता जिनराजसूरि छे. प्रथमादर्श प्रति शिवनिधाने लखी. अना उपरथी प्रस्तुत प्रति तपागच्छीय रंगविजये लखी. प्र.सं./२१६४ कर्ता - परिचय अप्राप्य. गू. क.मां २.सं. १६८५. ले.स. १७१४; हाथकागळ पत्र १; परि./२३६५ परि ८१४९/१५ परि./६७१९. २७८x१०.९ परि / ३८४९ Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि राजसागर वा. साधुवंदना २.स. ले.स. १६८१: हाथकागळ ५२ १५: २१.९४१०.४ से.मि. गाथा ३३७. कर्ता-परिचय अप्राप्य रचना अने लेखन क ज दिवसे थिरपद्र (थराद)मा थयेली छे. मुनि हरजीनी लखेलो आ प्रथमादर्श प्रति छे. प्र.स./२१६६ परि./६४८५ राजसुंदर चतुविशरिजिन नमस्कार ले.स. १८७६; हायकागळ पत्र ४, ५.२४११.५ से.मि. गाथा २४. कर्ता-परिचय अप्राप्य. तेजविजयना शिष्य मानविजय श्राविका नानीबाई माटे सुरतमा लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२१६७ परि./१८१५ राजेन्द्र (विमल)सोम (अ.) शत्रुजय स्तवन र.स. ले सं. १९६१; हाथका गळ पत्र ६; २१.५४१२ मे मि. गाथा ७. ___ कता-अंचलगच्छना दयासागर > प्रतापरत्न > विमलसोमसूरिना शिष्य. समय वि. २०मी सदी. (पत्र ६). प्रहलादनपुर(पालणपुर)मा लखाली कतांना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति छ. प्र.स./२१६८ परि./५२४२ जिन नमस्कार ले.स. १८६३, हाथकागळ पत्र जंः २५.५४११.६ से.मि. गाथा १. कर्ता-परिचय अप्राप्य. राजनगर(अमदावाद)मां गुलाबसागर प्रति लखी. प्रस./२१६९ परि./८३३९/६ रामविजय (त.) ऋषभजिन स्तवन ले.स १९म शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १९, २२ मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र लु,२३.२४11 से मि. गाथा ५. ___कता-तपगच्छना सुमतिविजयना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदीनो उत्तरार्ध. (जै. गु. क. भा. ३, ख. २, पृ. १४४१). परि ४०९४१ ' आदीश्वर स्तवन ले सं. १८1१ हाथकांगळ 1015 हाथकागल प्र प्र.स./२१७१ मु; २.५४11.९ स.भि. गाथा ११. ९मु २५.५11. परि./1/६/४ Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि अजितजिन स्तवन ले स. १०मु शतक (अनु); हायकोगळ पत्र १ थी २:२३.२४११ से.मि गाथा ७. प्र.सं./२१७२ परि./४०९५/२ अभिनंदन जिन स्तवन ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र : थी ३, २३.२४ 11 से.मि. पाथा ७ प्र.स/२१७३ परि./४०९४/४ महावीर स्तवन ले.सं. १८६९-७१: हाथकागळ पत्र २९ थी ३०; २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२१७४ परि./७१९६/६८ १-चोवीसो स्तवन ले सं. १८१५; हाथकागळ पत्र 1 थी ९; २७.५४११. से मि. डाळ २५. कृतिनी रचना महेसाणामां थई. प्र.सं./२१७. परि./१८६३/१ २- जिनस्तवन चोवीसी ले.स. २० मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५: २५४११.७ से.मि. अपूर्ण. प्र.म./२१७६ परि./७५३८ ३-जिनस्तवन चोवीसी ले.स १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५: २६४१२.५ से.मि. श्राविका वाई अजब अने पं. प्रतापविजयगणिना शिष्य माटे राजनगर (अमदावाद)मां दिकविजयगणिना गुरुबंधु ५. भाणविजये प्रति लखी. प्र.स/२१७७ परि./४६७ ४-जिनस्तवन चौवीसी ले.प. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ९; २४.५४११.८ से.मि. प्र.सं./२१७८ परि./७२४२/१ ५--जिन स्तवन चोवीसी ले.स १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २६४ 11.५ से.मि. तूटक. पत्रा 1, ५ अने ६ थी. श्राविका पूजी माट राजनगर (अमदावाद)मा प्रति लखाई. प्र.सं./-150 परि/८६७ ६-- जि स्तवन चोवीसी ले स. ८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.५४ ११.३ मि. ढाळ २४. केसर विजय महेसाणामां लखेली प्रति जीर्ण छे प्र.स/2100 परि./६९०५ ७ --- जिन स्तवन चोव सी ले.स. १'मु शतक (अनु.): हाथव ।गळ पत्र ९. २६४११.६ म.मि तूटक. पत्र (मु नथी. प्र.सं./2101 परि/२२३० Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ स्तुति-स्तोत्रादि रामविजय (त.) नेमिर तुति ले.स. १९मु शरः (अनु.); हाथकारक पत्र २जु; १५.५४11 से.मि गाथा ४. कर्ता-तपगच्छना कनकविजयना शिष्य छे. समय वि. १८मी सद। (गा ४). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. , प्र.स./२१८२ परि ८६०२/४ रामविजय (त.) सुमतिजिन स्तवन ले.स १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागत, पत्र २६ थी २७: २४.७४ ११.५ से.मि. गाथा ५. कता--तपगच्छना विमलविजयना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी (जै. गू क , भा. २, पृ. ५२१). आ रचना जै. गू. क मां नेांधायेली नथी. सांतलपुर आडसरमां भक्तिविजये प्रति लखी प्र.स /२१८३ परि/२०६०/२८ सुमतिजिन स्तवन ले स १८००; हाथकागळ पत्र ४ थी '५; १३.७४९.२ से.मि. गाथा . प्र.स./२१८४ परि./८६५७/३ शांतिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुं; २५४१ ०.५ से.मि गाथा .. प्र.स./२१८५ परि./६२०५/२३ नेमिजिन स्तवन ले.सं. १८०८: हाथकागळ प २२ थी २३; 1३.५४९.२ गाथा ७. प्र.स /२१८६ परि / ८६५७/११ १-पाश्वजिन स्तवन ले.स १९मु शतक (अनु। हाथकागळ पत्र ३६९, २४.४५१.५ से मि. गाथा ५ थारागामे भक्तिविजये प्रति लखी प्र.सं./२१८७ परि २०६०/४६ २-पार्श्वनाथ रतवन (गोडी) ले.स. १८२१: हाथकागळ पत्र ५९; २१.४४११.२ से मि गाथ। '. प्र.स./२१८८ परि /२७५५/३ १-महावीर चकल्याणक स्तवन र.सं. १७७३; लेस १९मुं शतक अनु); हाथकागळ पत्र ५, २६४11से. भि. ढाळ ३. गाथा २७. रचना सुरतमा थयेली छे. प्रसं./२१८९ परि./७४९३ २-महावीर पंचकल्याणक स्तवन र.स . १७७३ ले स. १८८७, हाथकागळ पत्र ५ थी ५ २३.७४१... से मि. ढाळ ३, गाथा २७. प्रति सुरतमां लखायली छे. प्र.स./२१९० परि ७७२३ २ Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २६३ ३-महावीर पचकल्याणक स्तवन र.स. १७७३ ले स ५९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २३.५४१२ से.मि. ढाळ ३. गाथा २७. मुनि त्रिलाकविजय माटे ५ धरणेन्द्रविजये मुंडाडामा प्रति लखी. प्र स./२१९१ परि/११०४ सीमधर जिन स्तवन ले स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ७मुंः २५४१०.५ से.मि. गाथा ९ प्र.सं. २१९२ परि./६२०५/२३ जिन स्तवन चोवीसी ले स. १८९ शतक. ( अनु. ); हाथकागळ पत्र 1 थी ७; २२.८x१८.४ मे मि. प्र.सं.२।९३ परि./०७३२१ रामविजय नेमराजुल स्तवन ले स. १९.मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५मु; २४.८४१२ से.मि. गाथा १. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२१९४ परि./४०८९/३ पंचासरा पार्श्वनाथ स्तवन-त्रिक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी . २६.५४११.७ से.मि. गाथा ७+४+.. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ./२१९५ परि./1०६४/२ रामविमल (त.) ऋषभजिन स्तवन ले स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु': २५४१०.५ से मि गाथा ७. फर्ता-तपगच्छना सोमविमल> कुशलविमलना शिष्य छे. वि सं १७६२मां रचेली अमनी कृति नेांधायेली छे. (जै.गू.क. भा. ३ ख. २ पृ. १४०९). प्र.स २१९६ परि./६२०५/६ रामसिंह चतुर्वि शति जिन गणधर स्तवन ले.स . १८९९; हाथकागळ पत्र ९; २४.५४११ से.मि. गाथा ७. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्रति बाराणामां लखायेली छ. प्र.स./२१९७ परि./४०११/६ Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि रुघनाथमुनि गोचरीना दोषन स्तवन र.स. १८१८; ले.स. २०मु शतक(अनु.); हाथकागळ पत्र २: २४.३४११.२ से.मि. गाथा ३६. का-वि. ५९मी सदीने। पूर्वाध' (गा. ३५-३६). दोसलनगरमां कृतिनी रचना थई. प्र.स./२१९८ परि./७५५६ रुचिरविमल (त.) स्तवन चोवीसी र.स. १७६१, ले.स. १७८२; हाथकागळ पत्र १४, २५.७X1१.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छना मानविमलनी परंपरामां भाजविमलना शिष्य, वि.स. १७३६नी रचेली अमनी कृति नेांधायेली छे. जि. गू. क. भा. २, पृ. ३५२). श्राविका तेजकुंवर माटे ५. नित्यविजये प्रति लखी. प्र.स./२१९९ परि./३८८२ रूप पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १८१२; हाथकागळ पत्र ६; २५४i०.८ से.मि. गाथा ११३. कर्ता-परिचय अप्राप्य. कृतिमांनी अतिहासिक विगत माटे जुओ जै. गू क. भा. ३, ख, २, पृ. १५४५.. प्र.स./२२०० परि./४-१५ रूपचंद (व.) त्रिपुरास्तोत्र-स्तबक ले.स. १५७३; हाथकागळ पत्र २०: ३४.२४१३. 1 से मि. पद्य २०; का-खरतरगच्छना क्षेम> दयासिंहना शिष्य छे. समय अज्ञात. लध्वाचार्यनी मूळ रचना संस्कृत मां छे. प्र.स /२२०१ परि./८६ रूपचंदजी नेमिनाथ नवरस स्तवन ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र १-२ २५४११.५ से.भि. ढाळ ८, गाथा ५३. कर्ता-परिचय अप्राप्य. भग्यवर्धनगणिओ बल्लाल गामे प्रति लखी. प्र.स ./२२०२ परि./२०८२/१ Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २६५ रूपचंद नेमिनाथ स्तवन ले स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४६; २५ ८x११ से.मि गाथा ५ __कर्ता-कोई रूपनिधानना शिष्य छे. प्र.सं./२२०३ परि./३०८४/७ महावीरजिन स्तवन ले.स. १में शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २९ थी ३०; २४.७४ ११.५ से.मि. गाथा ". __ भक्तिविजये सांतलपुरमा प्रति लखी. प्रसं./२२०४ परि./२०६०/३६ १-साधारण जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथका गळ पत्र २जु; २५४१८.५ से मि. गाथा ७. प्र.सं./२२०५ परि./६२०५/५ २-साधारण जिन स्तवन ले.सं. १८६९-'७१: हाधकागळ पत्र १६९; २४४१०.५ से.मि. गाथा ६ पुण्यविजयगणिो पाटणमा प्रति लखी. प्र.सं./२२०६ परि./७१९६/३१ रूपविजय चतुर्विशति जिन नमस्कार चैत्यवंदन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३: २५.५४११ से.मि. गाथा २४+२२६ कर्ता-विनय विजयना शिष्य. गच्छ-समय अज्ञात. प्र.सं./२२०७ परि./३५७२/१ रूपविजय (त.) समवसरण स्तवन प्रकरण-स्तबक ले.सं. १९२५; हाथकागळ पत्र ८; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ६४ कर्ता-तपगच्छना पद्मविजयना शिष्य छे. समय वि. १९मु शतक, (जे. गू, क. भा. ३, खं. १, पृ. २४९) मूळ प्राकृत स्तोत्र देवेन्द्रसूरिसे रचेलुछे. राधनपुरमा प्रति लखनार भोजक उत्तम नरभा. प्र.सं./२२०८ परि./३८८० रूपसौभाग्य समवसरण विचार स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४.५४११ से.मि. गाथा ३१. कर्ता-परिचय अप्राप्य. पं. रविविजयना शिष्य रत्नविजयगणि बाई नाथी माटे प्रति लखी. प्र.सं./२२०९ ..... परि./२४०७/१ Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ स्तुति-स्तोत्रादि लखपति शत्रुजयचैत्य प्रवाडी ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २६.४४११.१ से.मि. पद्य १५. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२२१० परि./८२८५/२८ लखमण शांतिनाथ स्तवन ले.स. १६९ शतक (अनु.; हाथकागळ पत्र १; २६४११ से.मि. गाथा १० कर्ता-जै. गु. क. भा. ३, ख. १ पृ. ४६२; भा. १, पृ. ११६मां नेांधायेला सेज आ होय तो समय वि. १६मो सदी. गच्छ अज्ञात. प्र.सं./२२११ परि./१८४३ महावीर चरित स्तवन र.सं. १५२१. ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र २९ थी ३३; २७४११.७ से.मि. गाथो ९७. (जै. गृ. क. भा. ३, खं. १, पृ. ४६२मां आ रचना नेांधली छे.) प्र.सं./२२१२ परि८४६०/२३ नेमिनाथ स्तवन र.सं. १५१९; ले स. १४९१; हाथकागळ पत्र ४; २५४१०.४ से.मि. गाथा ८२ विमलसोमे प्रति लखी. प्र.सं./२२१३ परि./४२६९ लखमण १-चतुर्विशति जिन नमस्कार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.९४ १०.१ से.मि. गाथा २५, ग्रंथाग्र ७५.. ___ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२२१४ परि./५९४४ २-चतुर्विशतिजिन नमस्कार ले.सं. १८७४; हाथकागळ पत्र ४, २५४११.५ से.मि. बाई झवेरी माटे रामचंदे प्रति लखी. प्र.स./२२१५ परि./२५५२ ३-चतुर्विंशति जिन नमस्कार ले.स. १९मुशतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४११.५ से.मि. गाथा २६. प्र.सं./२२१६ परि./२८०९/१ ४-चतुर्विंशतिजिन नमस्कार ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा २६. सिद्धपुर पासे आवेला लालपुरमां लक्ष्मीविजयमुनिए प्रति लखी. प्र.सं./२२१७ परि./५०४०/२ Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि ५ - चतुर्विंशति जिन स्तवन १०.५ से मि गाथा २५. प्र.सं./२२१८ लक्ष्मी कल्लोल शांतिजिन स्तुति ले.सं. १६९४ : हाथकागळ पत्र १ थी २ २४४१०.८ से मि. गाथा ४, कर्ता — परिचय अप्राप्य. समय वि. १६मी सदी (जै. गू. क. भा. १, खं. १. पु. ६४२). प्र.सं./२२१९ प्र.सं./२२२० लक्ष्मीमूर्ति परि./६६१६/४ पार्श्वनाथ स्तोत्र ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५x१००४ से.मि. गाथा २८. परि. / ५८९८ २६७ ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ४; १८-२४ परि./८१७० शांतिजिन स्तवन (भवस्थिति विचारगर्भित - कुमर गिरिमंडन ) ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ २५०५४१००८ से.मि. गाथा ८४. कर्ता सकलहर्षसूरिना त्रिव्य (जै. गु. क. भा. ३, ख २, पृ. १५०३). प्र.स ./२२२१ परि./३०८९ काय स्थिति स्तवन ले. स. १८मुं शतक ( अ ); हाथकागळ पत्र ४; २४.२४१०.५ से.मि. गाथा ७९. प्र.स ं./२२२२ परि. / २४०९ लक्ष्मीरत्न आदि जिन स्तवन (२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २५.९४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५; ७. कर्ता - महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. बीजु नाम भावरत्न छे. (पत्र ५). प्र. सं / २२२३ आदि जिन स्तवन (शत्रुंजय मंडन ) (२) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; ५, २५०९४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११; ५. प्र.सं./२२२४ प्र.सं./२२२६ परि. / १८३७/१; १३ अजित जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५०९ ११ से. मि. गाथा १०. प्र.सं./ २२२५ परि. / १८३७/२ संभव जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु २५०९४११ से.मि. गाथा ७. परि./१८३७/९ परि./१८३७/११; १२ Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ स्तुति-स्तोत्रादि - सुमतिजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.९४११ से.मि. । गाथा ७. प्र.स./२२२७ परि./१८३७/३ पद्मप्रभजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २५.९४ ११ से.मि. गाथा ९.. प्र.स./२२२८ परि./१८३७/१७ श्रेयांसजिन स्तवन (२) ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु, ६; २५.९४११ से.मि अनुक्रमे गाथा ९; ७ प्र.सं./२२२९ ___ परि./१८३७/४; १६ वासुपूज्यजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३, २५.९४ ११ से.मि. गाथा ९. प्र.सं. २२३० परि./१८३७/५ विमलजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.९४११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२२३१ परि./१८३७/१ नेमिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र ७मुं; २५.९x११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२२३२ परि /१८३७/१९ नेम-राजलि स्तवन ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ प३ ३जु; २५.९४११ से.मि. गाथा १३. प्र.स./२२३३ परि./१८३७/५ पार्वजिन स्तवन (३) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, ८९; २५.९४ ११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ८, ७. प्र.स./२२३४ परि./१८३७/१३, १४, २० पार्वजिन स्तवन (कलिकुंड) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.९४ . .११ से मि. गाथा ७. प्र.सं./२२३५ परि./१८३७/१५ पार्वजिन स्तवन (गोडी) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र . ४थु'; २१.९४११ से.मि. गाथा ११. प्र.स/२२३६ परि./१८३७/० पार्वजिन स्तवन (शखेश्वर) ले.स. ९९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.९४ ९. ११ से.मि. गाथा ५. 1.सं./२२३७ परि./१८३७/६ Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २६९ महावीरजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २५.९४५१ से.मि. गाथा ८.. . प्र.सं./२२३८ परि./१८३७/१८ पूजा फल स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २५.९४११ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./२२३९ . परि./१८३७/१० लक्ष्मीवल्लभ (ख.) ऋषभदेव स्तवन (त्रयोदश क्रियास्थानक विचार गर्भित) ले.स. १८मु शतक (अनु.); - हाथकागळ पत्र ७ थी ९; २४.७४१०.२ से.मि. गाथा ५७. प्र.सं./२२४० परि./६२५२/५ लक्ष्मीविजय शांतिजिन स्तवन (२) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९ः, ११मु; : २५४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७, ७....... कर्ता-कोई लावण्यविजयना शिष्य छे. गच्छ अने समय अज्ञात. - प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२२४१ परि./४७२४/५; ७ नेमिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०थी ११, २५४११ से.मि. गाथा १५. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२२४२ परि./४७२४/६ पार्श्वनाथ स्तवन (अंतरीक) (२) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २५४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ६; ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.स.,२२४३ __ परि./४७२५/३; ४ शाश्वता जिनवर स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३६ थी ३८; २४.७४११.५ से.मि. गाथा ३१. सांतलपुर (आडेसर)मां रूपविजयगणि माटे भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.स./२२४४ परि./२०६०/४६ लक्ष्मीविमल जिन स्तवन चोवीसी ले.सं. १७८९; हाथकागळ पत्र १लु; २५४१ ०.५ से.मि. गाथा ७. . कर्ता-ज्ञानविमलसूरिनी परंपरामां कीर्तिविमलना शिष्य, समय वि. १८मी सदी. (जै. गू. क भा. ३, ख, २, पृ. १४४३). प्रहलादनपुर (पालणपुर)मां पं. भोलानाथे प्रति लखी. प्र.स./२२४५ परि./३९४३ Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि लक्ष्मीसूरि(त) १-अहाई स्तवन र.सं. १८३४: ले.स. २०मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २६.४४१२.३ से.मि. ___कर्ता-तपगच्छना सौभाग्यसूरिना शिष्य. समय वि. १९मी सदी. प्र.सं./२२४६ परि./७४८९ २-षद अढाई स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४ थी ६; २५.२४ ११.९ से.मि. ___पादलिप्तपुर (पालीताणा)मां प्रति लखेली छे. प्र.स./२२४७ परि./७३८०/२ १–महावीर स्तवन (ज्ञानादिनयमत-विवरण गर्भित) र.सं. १८२७; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७.१x१२.५ से.मि. ढाळ ८. प्र.सं./२२४८ रि./१६३३ २-महावीर स्तवन (ज्ञानादिनयमत गर्भित) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६.७४१२.३ से.मि. ढाळ ७. प्र.सं./२२४९ परि./३३३ ३–महावीर स्तवन (ज्ञानादिनयमतविवरणगर्भित) र.सं. १८२७; ले.सं. १९०५; हाथकागळ पत्र ७, २५.७४१२.५ से.मि. ढाळ ८.. पालीताणामां लखायेली आ प्रति सूरजश्रीने मळी. प्र.सं./२२५० परि./४७५ ४-महावीर जिन स्तवन (ज्ञानादिनयमत विवरण गर्भित) र.स. १८२७; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७, २५४१०.५ से.मि. ढाळ ८ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२२५१ परि./५४८२ लब्धिचि १-पार्वजिन स्तवन र.सं. १७१२; ले स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी २; २३...४१०.९ से.मि. गाथा ३२. कर्ता--हर्षक चिना शिष्य. समय वि. १८मी सदी (जे. गू. क. भा. २. प्र. १५०) प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२२५२ परि./७४१६/१ २-पाश्वजिन स्तवन ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २०x१० से.मि. गाथा ३२. प्र.सं./२२५३ परि./८१५६/१ Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २७१ नेमिजिन स्तवन ले.सं. १८००, हाथकांगळ पत्र २१ थी २२; १३.७४९.२ से.मि. गाथा ९. प्र.स./२२५४ परि./८६५७/१२ दशमीदिन स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५४१०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२२५५ परि./३८२४ पंचमी स्तुति ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र १थी २; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४ हेमविजयगणिना शिष्य तेजविजयणि बडीगाममां लखेली आ प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२२५६ परि/.७७१५/२ १-बीजनी स्तुति ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र लु; २३.३४१०.४ से.मि. गाथा ४ प्र.सं./२२५७ परि./७७१५/१ २-बीजनी स्तुति ले... १८६०; हाथकागळ पत्र १लं, २४.८४१०.५ से.मि. गाथा ४. भाणपुरना दयासागरे महेन्द्रपुरमा पति लखी. प्र.स./२२५८ परि./३५९५/१ ३-बीजनी स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुंः २४.७४११.१ से.मि, गाथा ४. प्र.स./२२५९ परि./७१५९/४ ४-बीजनी स्तुति ले.स. 1९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४११.४ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२२६० परि./२८३१/१० ५-बीजनी स्तुति ले.सं. १७६९; हाथकागळ पत्र ८मु: २१.९४११.१ से.मि. गाथा ४ बृहनपुर (बुरहानपुर)मां कल्याणचंद्रसूरिए प्रति लखी. प्र.सं./२१६१ परि./५३७/३ ६-बीजनी स्तुति ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र ७मुं; २३.५४९.५ से.मि. गाथा ४. पालीताणामां मुनि मतिविजये प्रति लखी. प्र.सं./२२६२ परि./८३४३/१७ ७-बीजनी स्तुति ले सं. १८००; हाथकागळ पत्र ३४ थी ३५; १३.७४९.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२२६३ परि./८६५७/१५ ८-बीजनी स्तुति ले.स. १७८३; हाथकागळ पत्र २जु; २६४११.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स ./२२६४ परि./३३४२/४ Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ ललितप्रभसूरि १ - शांतिजिन स्तवन २.स. १६४८; लें.स १८ शतक (अनु.); हाथकांगळ पत्र ७ थी ८. २४.५४१० से.मि. गाथा ३७. कर्ता -- पूर्णिमागच्छ प्रधानशाखाना पुण्यप्रभसूरिना प्रशिष्य समय वि. १७मी सदी. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३२२). प्र.सं./२२६५ परि./३८२७/२ २ - शांतिजिन स्तवन २. स. १६४८; ले. स. १७भु शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र २: २५४१० से.मि. गाथा ३७. प्र.सं./२२६६ परि. / ४६५३ ललितसागर (वि.) शत्रुंजय तीर्थमहिम्न स्तोत्र लेस. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५: २४.४४११.१ से मि. पद्य १२. कर्ता - विधिपक्षगच्छना गजसागरसूरिना शिष्य. वि १७०० मां विद्यमान (प्र.स. प्र ७६५ पृ. २१९). प्र.सं./ २०६७ परि./४४००/५ लाभशेखर पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणी) ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु ं; २२४९.५ से.मि. गाथा ९. परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२२६८ लाभोदय स्तुतिः स्तमादि पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) र.सं. पत्र थी १८, २००७४१२.२ से.मि. गाथा कर्ता – भुवनकीर्तिना शिष्य. भा. ३ नं. १ र.स. १६७५ आपे छे.) प्र.स ं./२२६९ प्र.सं./२२७० परि. / ८११६/२ सीमंधर जिन स्तवन ले.स १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६थी ७; २७.४.४१२.५ से.मि. गाथा १०. प्रति जीर्ण छे. परि./८६८४/२ १६९५ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ १८. गच्छ अज्ञात. समय वि. १७मी सदी (जै. गू.क. परि./९५२/५ Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रावि त्यालकुशलगणि कल्याणमंदिर स्तोत्र स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३: २५.८x ११.२ से.मि. पद्य ४४, तूटक. कर्ता-परिचय अप्राप्त. सिद्धसेनसूरिनु मूळ स्तोत्र संस्कृतमा छे. लब्धिकुशलगणिनी लखेली आ प्रतिनां पत्र ६ अने ९ नथी. पत्र १, ४, १२मां तीर्थकरनां चित्र छे. प्र.स./२२७१ परि./८७५७ लालचंद (ख.) सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३ थी ४; १५४११ से.मि. गाथा ७. ___ कर्ता-खरतरगच्छना साधुरंगनी परंपरामां गुणवर्धन> सोमगणि> शांतिहर्षना शिष्य. कानुं बीजं नाम लाभवर्धन पण छे. (जै.ग.क. भा. २, पृ. २१०). प्रति पं. खुशालविजये कोद गामे लखी छे. प्र.सं./२२७२ परि./८६१७/५ लालविजय (त.) सीमंधर विनती ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २४.३४९ से.मि. गाथा १४. न कर्ता-तपगच्छना शुभविजयना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी. ( गाथा १४) (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४८७). प्र.सं./२२७३ परि./८५३१/५ लालविजय महावीर सत्तावीस भव स्तवन र.स. १६६२: ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.५४१०.१ से.मि. ___कर्ता-रचना संवत जोतां तपगच्छना शुभविजयना शिष्य होवानी संभावना छे. (जी. गु. क., भा. १, पृ. ४८७). प्र.सं./२२७४ परि./५०८१ लालविजय महावीर जिन स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ४. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२२७५ परि./३८२४/१० १-अकादशी स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २३४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२२७६ परि./८५९९/२१ Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हुति-स्वाद २-अकादशी स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी : २५४ १०.५ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२२७७ परि./३८२४/१२ नंदीश्वर शाश्वता जिन स्तुति ले.सं. १८४९, हाथकागळ पत्र १३ थी १४; २२.३४ १०.४ से.मि. गाथा ४. वाडीगाममां हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./२०७८ परि./७७१५/२६ लावण्यसमय (त.) १-आदीश्वर स्तवन र.सं. १५६२; ले.स १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १५ थी १६; २५४१०.९ से.मि. गाथा ४७. - कर्ता-तपागच्छीय सोमसुंदरसुरिनी परंपगमा समयरत्नना शिष्य. जन्म वि. १५२१. १५८९ सुधीनी अमनी रचेली कृतिओ मळे छे. (जै. गू क , भा. १, पृ. ६९). प्र.स./२२७९ परि./५८६०/५ २-आदीश्वर स्तवन र.स. १५६२; ले.स. १७१०; हायकागळ पत्र २२ थी २४; २४.७४१०.५ से.मि. गाथा ४७. ___पं. अमरसौभाग्यगणिना शिष्य पं. कांतिसौभाग्यगणिसे डभोईमां प्रति लखी. प्र.सं./२२८० परि./५९५१/२२ ३-आदीश्वर विनती र.स. १५६२; ले.सं. १९३५; हाथकागळ पत्र ४ थी ७; २६.५४१३ से.मि. गाथा ४४. मरोली गाममां ऋषि रामचंदे प्रति लखी. प्र.सं./२२८१ परि./८३७३/३ ४-आदीश्वर विनती र.स. १५६२: ले सं. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु : २१.५४११.२ मे.मि. गाथा ४५. प्र.सं./२२८२ परि./८११३ ५-आदीश्वर विनती र.स. १५६२, ले.सं. १७८१; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५४१०.९ से.मि. गाथा ४७. प्र.स./२२८३ परि /८५३२/१ सुपार्श्वनाथ स्तवन (सांभाराईमंडन ) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५४११ से.मि. गाथा ९. अमृतविजये देवराजी माटे प्रति लखी. प्र.सं./२२८४ परि./३८८८/३ नेमराजुल स्तवन ले स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २२.४४१० से.मि. गाथा १९. प्र.सं./२२८५ परि./८१०९/२ Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि १-पाश्वनाथ स्तवन (अतरीक्ष) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७ थी १८) २५४१०.९ से.मि. गाथा ५४. प्र.सं./२२८६ . परि./५८६०/८ - २–पार्श्वनाथ स्तवन (अंतरीक्ष) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा ५०. प्र.स./२२८७ परि /२५४० ...१-पार्श्वनाथ स्तवन (जीरावला) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ श्री १०; २.४१.२.९ से.मि. गाथा ३७. प्र.सं./२२८८ परि./५८६०/१० २-पार्श्वनाथ स्तवन ( जीरावला ) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.५४११.५ से.मि. गाथा ३७. प्र.सं./२२८९ परि/३३५३ ३-पार्वनाथ स्तवन (जीरावला) ले.सं. १९१८; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २५.७x - १२ से.मि. गाथा ३८. पत्र ४३मां लेखन संवत लखेल छे. प्र:स./२२९० परि./२२३४/६ ४-पार्श्वनाथ स्तवन (जीरावला) ले स. १७९५: हाथकागळ पत्र लु; २५.५४१०.९ से.मि. गाथा ३४. . बावनगिरी (दावणगिरि ?)मां लब्धिविजये प्रति लखी प्र.सं /२२९१ परि /३११७/१ ५-पार्श्वनाथ स्तवन (जीरावला) ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४१० से.मि. गाथा ३७. प्र.स./२२९२ परि./५६२०/१ १-पार्श्वनाथ स्तवन (नवपल्लव) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.८४१०.५ से.मि. गाथा ३८. प्रस./२२९३ परि./६९९५ १-पार्श्वनाथ स्तवन (लोडण) र.स. १५६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४.५४१०.४ से.मि गाथा १५. साध्वी प्रभावतीले लखेली प्रति सांधेली छे. प्र.स/२२९४ परि./४२४०/१ . २-पार्श्वनाथ स्तवन (लोडण) र.स. १५६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.५४१ ०.३ म.मि. गाथा १५. कृतिनी रचना सेरीसामां थयेली छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२२९५ परि./३९२६ Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ स्तुति-स्तोत्रादि महावीर स्तुति ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुं, २५४१ ०.७ से.मि. गाथा ५. प. कांतिविजये प्रति लखी. प्र.स./२२९६ परि./५३४२/२ १-गौतम स्तुति ले.सं. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५: २४.७४११.५ से.मि. गाथा १०. प्र.स./२२९७ परि./६७६३/७ गौतमस्वामी स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२ थी ४३, २६.२४ १२.२ से.मि. पद्य ९. प्र.स ./२२९८ परि./२२३४/४० १-चतुर्विशतिजिन-यमकबंध स्तवन ले.स. १५८; हाथकागळ पत्र ३; २५.३४१०.६ से.मि. गाथा २८. सौभाग्यसूरिना धर्मशासनकाळमां कुतुबपुरीय शाखाना लावण्यसमय गणिना शिष्य हर्षराजना शिष्ये आ प्रति लखी. प्र.स./२२.९ परि./४५७७ २-चतुर्विशति-जिनस्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४१०.३ से.मि. गाथा ८. ___मालिनी छदमां यमकबधवाळु आ स्तवन छे. रत्नलाभ गणि माटे प्रति लखायेली छे. प्र.स./२३०० परि./५२५३ ३--चतुर्विशति जिनस्तुति ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.५४१० से.मि. गाथा २८. प्र.सं./२३०१ परि./७३४० ४-चतुर्विशतिजिन-यमकबंध-स्तवन ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४१०.२ से.मि. गाथा २८. प्र.स./२३०२ परि./४१३३ चौदसुपन स्तवन ले.स. १९००; हाथकागळ पत्र ३; २२.५४१०.१ से.मि. गाथा ४६. __कपडवाणिजनगर(कपडवंज)मां चिंतामणि पार्श्वनाथनी कृपाथी प्रति लखनार दोशी व्रजलाल जोईतादास. प्र.स./२३०३ परि./४९३७ पंचतीर्थी स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८थो ९; २४.३४११.५ से.मि. पद्य ६. प्र.स./२३०४ परि./२५१८/१० Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २७७ १-सीमंधरस्वामी-आलोयण स्तवन र.स. १५६२; ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११ से.मि. गाथा ४४. कृतिनी रचना वामजमां थयेली छे. प्र.स./२३०५ परि./३३५१ २-सीमंधरस्वामी आलोयण विनति र.स. १५६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४ थी ४९; २१.२४६.९ से.मि. पद्य-५४. प्र.सं./२३०६ परि./८४८०/१२ ३-सीमंधर स्वामी प्रति आराधना स्तवन र.स. १५६२ ले.स. १*मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १थी २; २५४११ से.मि. गाथा ४६. वाचक अमृतविजये प्रति लखी. प्र.स./२३०७ परि./३८८८/१ ४-सीमंधरजिन (आलोयण) स्तवन र.स. १५६२ ले.स. १६४५; हाथकागळ पत्र ४; २५.२४१०.४ से.मि. गाथा १६. ___ राजचूलाभे प्रति लखी. प्रतिमां र.स. १५६६ लखायेल छे से लिपीदोष जणाय छे. अक्षरो अस्पष्ट छे. प्र.सं./२३०८ परि./७८५७ ५-सीमंधरजिन (आलोयण) स्तवन र.स. १५६२; ले.सं. १६७९; हाथकागळ पत्र ५; २३.७४१०.५ से मि. गाथा ४७. रचना वामज गाममां थई. श्राविका राजलदे माटे खंभातमां कान्हजीले प्रति लखी. आ प्रतिमां पण र.स. १५६६ लखेलो छे. प्र.सं./२३०९ परि./७९५६ ६-सीमंधर स्वामी विनती (आलोचना) स्तवन र.स. १५६२; ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र १९थी २२; २४.७४१०.४ से.मि. गाथा ५८. प्र.स./२३१० परि./५९५१/२१ ७-सीमंधर स्वामी (आलोचना) स्तवन र.सं. १५६२; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२थी १३; २५४१०.९ से मि. गाथा ५१. प्र.स./२३११ परि./५८६०/२ लोलिम वीतराग स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १३९; २५.८४११ से.मि. गाथा १३. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. परिचय अज्ञात. प्र.स./२३१२ परि./४१२०/२ Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ बधाशाह ( श्रा.) महावीर स्तवन 'कुर्माति खंडन' र.सं. १७२४; ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २. २५.२x११.४ से.मि. गाथा ३९ श्रावक छे. समय वि. १८मी सदी. कर्ता सोजीत्राना पीपाडा गच्छने माननारा (जै. गु. क. भा १ पृ. १५३३). कृति - सगितनगर (सोजित्रा) मां रचायेली छे. प्र.सं./२३१३ वल्लभसागर आदिजिन स्तवन र.सं. १८४०; ले.सं. १८६९ - २७१; २४४१०.५ से.मि. गाथा ७. हाथ कागळ कर्ता - आगमसागरना शिष्य छे. समय वि. १९मी सदी (गा. ७). जै.गूक.मां नांधायेला नथी. पाटणमां पुण्यविजय कविओ प्रति लखी. कर्ता - परिचय अप्राप्य भा कर्ता जै. गू. क.मां नांधायेला नथी. वरबाई माटे प्रति लखाई. प्र.सं./२३१६ विजयदेव (त.) स्तुति स्तोत्रादि प्र.सं./२३१४ विजयतिलकसूरि आदिनाथ स्तवन ले.स १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २५.२१०० से.मि. गाथा २९. पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १६८५: हाथकागळ पत्र १ थी २ परि / २३७१ पत्र २२थी २३: प्र.सं./२३१५ विजयदानसूरि (त.) पाक्षिक स्तुति ( पाखीनी स्तुति) ले.स. ६८मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १; २४.९ x१०.५ से.मि गाथा ४. कर्ता - तपगच्छना आचार्य छे. परिचय अपाप्त आ कर्ता जै. गू. क.मां नांधायेला नथी. परि./७३२६/२ आ कर्ता परि./७१९६/४६ परि./५९७६. गाथा २७. कर्ता - पाचंद्रसूरिना प्रगुरु पुण्यरत्नना शिष्य छे. समय वि. १६ मी सदी. (जै. गु. क. भा. १, पृ. १४८ ) . प्र.स/२३१७ परि/ ०४८९/१ २६-३४११.३ से.मि. Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -स्सोधात २७९ वजयधर्मसूरि पार्श्वनाथ स्तवन ले.स १८४९; हाथकागळ पत्र १५९; २२.२४ १०.४ से.मि. गाथा ८ कर्ता-परिचय अप्राप्य प्र.सं २३१८ परि./७७१५/२६ विजयसिंह सिद्धचक्र स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४1०.२ से.मि. गाथा ४. ___ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र सं./२३१९ परि./५२५२/७ विद्याकीर्ति (ख.) १-महावीर स्तवन (इग्यिावही गर्भित) ले.स. १७२७: हाथकागळ पत्र १; २३.८x १०.१ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरि> पुण्यतिलकना शिष्य छे. परंपरा प्रतिमांथी मळे छे. समय वि.१७मी सदी (जै. गू. क. भा. ३, खु १, पृ. ९५६). आ रचना जै. गू. क.मां नेधिायेली नथी बाई आशाओ मेडतामां प्रति लखी. प्र.स./२३२० परि./४९०६ २-महावीर स्तवन ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थो ३; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा २३. प्र.स./२३२१ परि./२६५३/२ विद्याचंद (त.) १-पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) २ स. १६६०, ले.स. १७०९; हाथकागळ पत्र ४; २४.३४१ ०.७ से.मि. गाथा २६. कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरिनी परंपरामां वीपाना शिष्य. समय वि. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४८०). कृतिनी रचना अहमदनगरमां थयेली छे. प्र.स./२३२२ परि./३९२५ २-३–पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) (२) र.स. १६६०, ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११, ३१ थी ३३; २५४११.९ से.मि. अनुक्रमे गाथा २३; २३. मुनि नरेन्द्रविजय माटे प्रति लखेली छे. एक ज कृति बे वार लखाई छे. प्र.सं./२३२३ परि./५८६ ०/१; २३ Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८० स्तुति-स्तोबादि विचाप्रभसूरि (पू.) आदिनाथ स्तवन (रूपपुरमंडन) ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५४११ से.मि. गाथा ७. कर्ता-पूर्णिमागच्छना बिमलचंद्रसूरिना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ८७८). प्र.सं./२३२४ परि./४७१८ पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १७८५; हाथकागल पत्र १४थी १५, २५-७४११.५ से.मि. गाथा ३२. नायकविजये थिरा गामे प्रति लखी. प्र.सं./२३२५ परि./२३६७/१८ महावीर जिन स्तवन (ढंढेरवाडा-पाटण) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २६.२४११ से.मि. गाथा २५. प्रणि जीर्ण छे. प्र.सं./२३२६ परि./३६२६ विद्याविजय (त). शीतलजिन स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1थी २; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ३७. । ___ कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरिनी परंपरामां नविजयना शिष्य. समय वि. १७मी सदी. (जै.ग.क. भा. १ पृ. ३९३). प्र.सं./२३२७ परि./४५४८/१ महावीर स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लिं; २५.१:४१०.७ से.मि. गाथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२३२८ परि./७०३५/२ चतुर्विंशतिजिन पंचकल्याणक स्तवन र.सं. १६६०. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.८४११ से.मि. गाथा ४६. प्र.सं./२३२९ परि./५८६४ विनयचंद्र चैत्रोपूनम स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २९थी ३१: २१.२४६.९ से.मि. गाथा ११. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२३३० परि./८४८०/८ Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -स्तोत्रादि विनयराज ( त . ) पार्श्वनाथ स्तवन (मगूडीमंडन ) र . सं . - ले.स ं. १५१६; हाथ कागळ पत्र ४ थी ५: २८४११०४ से.मि. गाथा १०. कर्ता - तपगच्छना रत्नसिंहसूरिना शिष्य समय वि. १६मी सदी कर्ताओ स्वशिष्य माणिक्यविशालगणि माटे स्वहस्ताक्षरे लखेली प्रति जीर्ण. परि. / ७२६२/२ प्र.सं./२३३१ विनयमेरु वा. (ख.) महावीर स्तवन (पन्नवणा छत्रीस पदगर्भित). ले.स. 14 शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १३ थी १४; २४.७४१००२ से.मि. गाथा २५. २८१ : कर्ता - खरतरगच्छना राजसार >> मणिरत्न > हेमरत्नना शिष्य छे. (ना. २५). आ रचना जे. गू. क. मां नांधायेली नथी. रचना सांचोरमां थयेली छे, प्र.सं./२३३२ विनयविजय (त.) आदिसर विनती (आदीश्वर विनति ) ले.सं. १९२०; हाथकागळ पत्र २; २६.५५१२-५ से. मि. गाथा ५८ कर्ता — तपागच्छीय हीरविजयसूरिना प्रशिष्य अने कीर्तिविजयना शिष्य यशो. विजयना समकालीन, समय वि १८मी शताब्दीनो पूर्वार्ध (जै. गू. क. भा. ३ खं. १ पृ. ११०३). प्र.सं./२३३३ परि./६२५२/१० परि./८०१४ ऋषभदेव चोत्रीस अतिशय स्तवन. ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १६ श्री १७, २५४१०.९ से. मि. गाथा २१. प्र.सं./ २३३४ अभिनंदन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ७ थी ८. से. मि. गाथा ५. प्र.सं./२३३५ परि. / ५८६०/७ २५X१०.५ परि. / ६२०५/२४ धर्मनाथ स्तवन २.सं. १७१६; ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २९.५x १०.५ से.मि. गाथा १३७. रचना सुरतमां थयेली छे. प्र.सं./२३३६ परि. / ७३०२ १ - पार्श्वनाथ स्तवन (मनमोहन, रतलाम) ले स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३ जु; २५.२०११ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२३३७ परि. / ४२५८/१६ ३.६ Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६२ स्वति-स्ताअदि २-पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १७९८; हाथकागळ पत्र लु; २४.१४१०.४ से.मि. गाथा ७. धूनसागरे प्रति लखी. प्र.स./२३३८ परि./६२७२/१ महावीर स्तवन ले स. १७८५; हाथकागळ पत्र २५९; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ५. नायकविजये थिसमामे प्रति लखी प्र.सं./२३३९ परि./२३६७/३९ १-महावीर स्तवन (स्याद्वादनय स्वरूप) र.सं. १७३२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); , हाथकागळ पत्र. १ थो २; २३.९४१०.४ से मि. गाथा ५८. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. ११०५मा र.सं १७२३ आपेल छे.) प्रति पाटणमां लखाई, छे. प्र.सं./२३४० परि./६३८४/२ २-महावीर स्तवन (पचनयर्भित) र.सं. १७३२; ले.स. १८५८: हाथकागळ पत्र ५; २६४११.५ से मि. प्र.सं/२३४ परि./३०७५ ३-महावीर स्तवन (पंचनयविचार गर्भित) र.सं. १७३२; ले.सं. १७३९; हाथकागळ पत्र १; २५.८४११.३ से.मि. श्लोक ७५. प्र.सं./२३४२ परि./२९४२ ४-महावीर स्तवन (पंचनयगर्भित) र.सं. १७३२; ले.स. १९४६; हाथकागळ पत्र ४ थी ८: २५.७४१२ से.मि. गाथा ५८+7. अमदावादमा प्रति लखनार क्षत्रिय बुलाखीराम गणपतराम. प्र.स./२३४३ परि./७३५३/२ ५-महावीर स्तवन (पंचकारण गर्मित) र.सं. १७३२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ. पत्र ३; २४.८४१०.५ से.मि. गाथा ५९. सीयाणामां लब्धिसागरे प्रति लखी. प्र.सं./२३४४ परि./६०६९ ६-महावीर जिन स्तवन (पंचकारणगर्भित) र.सं. १७३२; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.५४१०.९ से मि. ढाळ ६. प्र.सं./२३४५ परि./२०६९ ७-महावीरजिन स्तवन ( पंचकारणविचार गर्भित ) र.सं. १७३२; ले सं. १८६२; हाथकागळ पत्र ४; २५.२४११.५ से.मि. , सुरतमां गंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./२३४६ परि./१७४० Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २८३ ८-महावीरजिन स्तवन (पंचकारणगर्भित) र.सं. १७३२; ले.सं. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७, २६४१३ से.मि. प्र.सं./२३४७ परि./२३० ९-महावीरजिन-स्तवन (पंचकारणगर्भित) र.स. १७३२: ले.स. १९९ शतक (अनु.); २४४१०.६ से.मि. गाथा ७३. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२३४८ ___परि./४ १०६ १०–महावीरजिन स्तवन (पंचकारणगर्भित) र.सं. १७३२; ले.स. १८९ शतक (अनुः); हाथकागळ पत्र ३; २३.१४९.७ से.मि. गाथा ५९. .. प्र.सं./२३४९ परि./७१४१ ११-महावीर स्तवन (पंचकारणविचारगर्भित) र.सं. १७३२; ले.स. १९मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५, २५.३४१०-७ से.मि. प्रतिनो पत्रसख्यांकस्थाने प्राणिओ पक्षीओ अने 'फूलमा 'चित्रो छे. प्र.सं./२३५० परि./७५२८ १२-महावोर स्तवन (पंचकारणगर्भित) र.सं. १७३२; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३.५४१२.४ से.मि. गाथा ५९. ऋषि वीराए प्रति लखी. प्र.स./२३५१ परि./७५७१ १३-महावीर स्तवन (पंचकारण) र.सं. १७३२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २१.५४८.५ से.मि. गाथा ५८; ढाळ ६. प्र.स./२३५२ परि./८७०१/२ १--महावीर स्तवन (पुण्यप्रकाश) र.सं. १७२९; ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५; २६४११.५ से.भि. गाथा ९२. ___ कृतिनी रचना रांनेर(रांदेर)मां थई. प्र.सं./२३५३ परि./३२४७ २-महावीर स्तवन (पुण्यप्रकाश) र.सं. १७२९; ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र २५.२४५१ से.मि. प्र.स./२३५४ परि./४१९८ हाथकामळ पत्र ६; २४४१०.३ ३-महावीर स्तबन र.सं. १७२९; ले.सं. १९८८ से.मि. गाथा ९९. गणि बुधविजये प्रति लखी, प्र.स./२३५५ परि./४९३१ Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ स्तुति स्तोत्रादि ४ - महावीर स्तवन ( पुण्य प्रकाश) २. सं. १७२९; ले.स. १७९३; हाथकागळ पत्र ५थी ७; २५.३४१०.५ से.मि. डुलाईनगर (नाडोल) मां प्रति लखाई . प्र.सं./२३५६ परि./८५२८/३ ५- महावीर स्तवन ( पुण्य प्रकाश) र. सं. १७२९; ले.स. १८२१; हाथकागळ पत्र १ थी ५; २१x११ से.मि. गाथा १०५. हरिसागरे लखेली आ प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./ २३५७ परि./२७५५/१ ६ - महावीर स्तवन (पुण्यप्रकाश) र. सं. १७२९; ले.स. १८३२; हाथकागळ पत्र १ थी ५ २५-५४११.५ से.मि. . प्रति विसलनगर ( बीसनगर ) मां लखाई, प्र.सं./२३५८ परि./१८११/१ ८ - महावोर स्तवन ( पुण्यप्रकाश) र. सं. १७२९ ले.स. १८८८; हाथकागळ पत्र ८ः २३.९४१०.७ से.मि. बाई चंपा माटे पालीनगरमां पं. ज[स] विजये प्रति लखी प्र.सं./२३५९ परि / ७५९५ ९ - महावीर स्तवन ( पुण्यप्रकाश) र. सं. १७२९; ले.स. १९मुं शतक (अनु.) : हाथका गळ पत्र ४; २७४११.८ से.मि. गाथा १०१, ग्रं १२५. प्र. सं. / २३६० परि./८२४५ १० - महावीर स्तवन (पुण्यप्रकाश) र. सं. १७२९: ले. सं. १९१४; हाथकागळ पत्र १थी ७; २५.२४९.५ से.मि. श्लोक १३५. श्रीनगरमा प्रति लखनार विजयशंकर विद्याराम. प्र.सं./२३६१ परि./६००५/१ ११ – महावीर स्तवन ( पुण्य प्रकाश) र. स. १७२९; ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५ २७०५४१३ से.मि. ढाळ ८. प्र.सं./२३६२ परि./२१५ १२ - महावीर स्तवन ( पुण्यप्रकाश ) र.सं. १७२९; ले.स. २० मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १ थी ८ २६१२.२ से.मि. ढाळ ८. प्र.स ं./२३६३ परि./१९८०/१ १३ - महावीर स्तवन ( पुण्यप्रकाश ) र. सं. १७२९; ले.स. २० शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६, २५-५४१३ से.मि. ढाळ ८. राजनगर ( अमदावाद ) मां मगनलाल करमचंदनी पुत्री समरथबा माटे प्रति लखनार माधवजी जीवणजी पटेल. प्र.सं./२३६४ परि. / ९८६ Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २८५ १४- महावीर जिन स्तवन (पुण्यप्रकाश) र.स. १७२९; ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७४१२.४ से.मि. डाळ ८. प्र.सं./२३६५ परि./९५१ १-उपधान लघुस्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २२.५४१०.१ से.मि. गाथा २७. श्राविका केसरबाई माटे पं. हस्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./२३६६ परि/४९२३ २-उपधानविधि स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २: २४.८४१०.९ से.मि गाथा २७. प्र.स./२३६७ परि./५८५१ ३-उपधान लघु स्तवन ले.सं. १९४१; हाथकागळ पत्र १ थो ३; २४.५४११ से.मि. गाथा २८. प्र.स./२३६८ परि./७४१५/१ ४-उपधान स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २, २५.५४११.७ से.मि. गाथा २७. राजनगर (अमदावाद)मां प्रति लखाई. प्र.स./२३६९ परि./७५३० ५- उपधान स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ५; २३.५४ १०.३ से.मि. गाथा १६. ___ महिमाप्रभसूरिना शिष्य मुनि लालजीओ प्रति लखी. प्र.सं./२३७० परि./६४१८/३ चैत्यवंदन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २७.२४१२ से.मि. गाथा १४ प्र.स./२३७१ परि./३२७/४ १-छ आवश्यक विचार स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४११ से.मि. गाथा ४३. शा रतनचंद देवचंद माटे राजनगर (अमदावाद)मां ५. रूपचंदे प्रति लखी. प्र.स./२३७२ परि.३०६० २-षडावश्यक स्तवन ले स. १९५६; हाथकागळ पत्र २; २५.७४११.५ से.मि. ढाळ ६. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२३७२ परि./१६७७ पर्युषण नमस्कार ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५४११.७ से.मि. अमदावादनी पंचभाईनी पोळमां लखाअली आ प्रति साध्वी जयकुंवर अने जितश्रीओ मेळवी. प्र.सं./२३७४ परि./७८९९ Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि विनयविजय. सुमतिजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी 3; २५४१०.५ से.मि. गाथा ५. __कर्ता-मेघविजयना शिष्य. समय अज्ञात. प्र.सं./२३७५ परि./६२.५/८ विनयसागर (त.) शांतिनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; ९.१४८.८ से.मि. गाथा १७. कर्ता-तपगच्छना राजसागरना शिष्य. आ कर्ता जे. गू. क.मां नेांधायेला नथी. दयाळसागरे लखेली प्रति जीर्ण छे. सचित्र प्रति छे. फूदडीमां पण चित्रो छे. प्र.स./२३७६ परि./८७८७ विनयसागर अष्टापद स्तवन ले.स. १७j शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४११ से.मि. गाथा ५७. कर्ता-जिनराज> जयसागरना शिष्य. आ कर्ता जै. गू. क.मां नेांधायेला नथी. प्र.सं./२३७७ परि./३६८६ विनीतसागर सिद्धचक्र स्तवन र.स. १७८८; ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २४.५४ ११ से.मि. गाथा ७. ___कर्ता-वि. १८मी सदीनी छेल्ली वीसोमां विद्यमान. परिचय अप्राप्य, रचना बीकानेरमां थयेली छे. प्र.सं./२३७८ परि./४०११/७ विमलचारित्र (त.) पार्वजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२९; २१.२४६.९ से.मि. गाथा ५. कर्ता-अक ज नामना बेमांथी कया अनिर्णित रहे छे. (जै. गु. क. भा. १, पृ. १८८; पृ. ३९८). आ रचना जै. गू. क.मां बेमाथी अकेने नामे नेांधायेली नथी. प्र.स./२३७९ परि./८४८०/१० विमलविजय ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२३८० परि./६२०५/६ Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि मुनिसुव्रत जिन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मुं; २५×१०.५ से.मि. गाथा ५. परि./६२०५/२१ प्र.सं./२३८१ विमलविजय (त. ) नेमिनाथ स्तवन ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; गाथा ४१+१. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरि विजयसेन > विमलहर्षना शिष्य. जीवविजये प्रति लखी. प्र.स ं./२३८२ विवेक प्र.सं./२३८३ विवेकचंद महावीरजीनो स्तोत्र ले.सं. १९१०; हाथकागळ पत्र २थी ३; २५ ७४१२ से.मि. गाथा १५ कर्ता - परिचय अप्राप्य. गोरजी श्यामजीए भोय्यत्रामां प्रति लखी. प्र.सं./ २३८४ विवेकविजय २८७ महावीर जिन स्तोत्र ११.३ से.मि. गाथा ९. पार्श्वनाथ स्तुति ले. सं. १७८३; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६११.२ से.मि. गाथा ४. कर्ता - भानुचंदना शिष्य गच्छ समय अज्ञात. परि / ३३४२/७ २६४११ से.मि. कर्ता - परिचय अप्राप्त. परि. / ३७०२ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २४.७x परि./२२३४/२ प्र.सं./२३८५ विवेकविजय (त. ) नवतत्त्वस्तवन २.सं. १८७२; ले. सं. १९५५, हाथकागळ पत्र ११, २५.५४११.३ से.मि. ढाळ ११. कर्ता — तपगच्छना विजयदानसूरिनी परंपरामां डुंगरविजयना शिष्य समय वि. १९मी सदी. (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. २८५). दमणपुरमा रचना थयेली छे. राधनपुरमां प्रति लखनार उजम नरभेराम. प्र.सं./ २३८६ परि./६७६३/१३ परि./३२८७ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ स्तुति-स्तोत्रादि विशुद्धविमल १-अकादशी स्तवन र.स. १७८१; ले.स. १८७६; हाथकागळ पत्र ३; २६.९४११.५ से.मि. ____कर्ता-वीरविमलना शिष्य. समय वि. १८मी सदी. जै गू. क.मां मा कर्ता नेांधायेला नथी, प्र.स./२३८७ परि. ८२४३ २-मौन अकादशी स्तवन र.स. १७८१; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ६; २०.२४१२ से.मि. प्र.स./२३८८ परि./२७४७/४ अकादशी स्तवन २.स. १७८१; ले.सं. १८९७ हाथकागल पत्र ५, २४.५४१०.३ से.मि. ढाळ ५. आ आगळनी बे कृतिओथी जुदी छ. प्र.सं./२३८९ परि./५१८० विशेषचंद महावीर स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ९मु; २४.७४११.१ से.मि. गाथा ४. ___ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२३९० परि./७१५९/७ वीरविजय (त.) ऋषभदेव स्तवन (मुंबई-भायखलामंडन) र.सं. १८८५, ले.सं. १८९२; हाथकागळ पत्र ३; २८.८४१३ से.मि. गाथा ८१, ढाळ १३. कर्ता-तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य. समय-दीक्षा वि.सं. १८४८; स्वर्गवास वि.सं. १९०८. (जे. गु. क., भा. ३, खं. १, पृ. २०९) रचना अने लेखन स्थळ मुंबई. पं. मोतीसागरे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्रसं./२३९१ परि./१९३ सुविधिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु ; २७४११.५ से.मि. गाथा ११. _प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२३९२ परि./७२७६/१३ शांतिजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र २ जु; २७४११.५ से.मि. गाथा ९. ___ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२३९३ परि./७२७६/६ Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि २८९ नेमिनाथ स्तवन लें. सं. १ मु' शतक (अनु.); हाथ कागळे पत्र १०; २७×११.५ से.मि. गाथा ७. प्रसंः / २३१४ प्रति जीर्ण छे. नेमिनाथ स्तवन से.मि. गाथा ८. प्र.सं./२३९५ परि./७९७६/४२ पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) २.सं. १८०३; ले. सं. १९३८ : हाथकागळ पत्र १५: २५.५४११०४ से.मि. ढाळ १७. प्र.सं./२३९६ श्रीजी ढाळने अंते कर्ताना गुरुनुं नाम आवे छे. कृतिनो रचना बाबतीमां थयेली छे, परि./७९ २३ पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १० मुंजतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४; २६.२०११ से.मि. गाथा ७. प्र. स / २३९७ परि. / ७२७६/३६ ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११थी १२: २७४११.५ परि./८२५०/४ पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर ) ले.स. १९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १०; २७४ ११.५ से.मि. गाथा ११. प्रति जीण छे. प्र.स ं./२३९८ परि./७२७६/३७ महावीर जिन स्तवन ( वसंतोत्सवे) लेस १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं; २७४११.५ से मि गाथा १४. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२३९९ परि. / ७२७६/३८ १ - महावीर स्तवन ( सत्तावीस भवनु ) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकांगळ पन्न ३; २५.६४१३ से.मि. परि./९८३ प्र.सं./२४०० २ - महावीर जिन स्तवन ( सत्तावीस भवनुं ) ले.स. २० शतक (अनु); हाथ कागळ पत्र ४ : २६-५x१२ से.मि. गाथा ५२. परि. / ७८९६ प्र.सं./२४०१ ३ - वीरजिन स्तवन ( सत्ता त्रीशभव वर्णनरूप) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; २६.५X११.९ से.मि. प्र.स ं./२४०२ ३७ परि./८३९० Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९.. स्तुति-स्तोत्रादि नवाणुं तीर्थयात्रा स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०म: २८४१२ से.मि. पद्य १५. प्र.सं./२४०३ परि./७२७६/३५ विमलाचल तीर्थ स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुं. २७.४४१२.५ से.मि. पदा ७. . . . प्र.स./२४०४ परि./९५२/८ सिद्विगिरि स्तवन ले.स. १९ मु शतक (अनु.), हाथकागल पत्र ८ मु; २८x१२ मे.मि. पद्य ११ प्र.स./२४.०५ परि./७२७६/२७ अक्षयनिधि तपस्तवन २.स. १८७१; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; - २५.१४१२ से.मि. गाथा १. - कृतिनी रचना सुरतमां थई. प्र.सं./२४.६ परि./८३८६ अंजनशलाकानु स्तवन (मोतीशा शंठनी) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६; २५.५४५ ०.७ से.मि. जेठालाले प्रति लखी छे. प्र.स./२४०७ परि/७५२९ चतुर्विशति चैत्यवंदन स्तवन (२) ले स. १९मु शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ३ थी ५; ०३.५४११.८ से.मि. प्र.सं./२४०८ परि./११०२/१२; १३ १--रोहिणी तप स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २६.५४१ १.५ से.मि. गाथा ७५. प्र.स ./२४०९ परि./७४५३ २-रोहिणी तप स्तवन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३; २५.२४ ११.५ से.मि. ढाळ ५; गाथा ४५. प्र.सं./२४१० परि./७१४८ ... वीस स्थानक स्तुति ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३: २७४११.५ से.मि. गाथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२४१ परि./७२७६/७ साधारणजिन स्तवन (ख्याल) ले स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र हु; २७४११.५ से.भि. गाथा ३; प्रति जीर्ण छ. प्र.स./२४१२ परि./७.७६१९ Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्राति २९१ : २७६/१०परि./७ सिद्धिस्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पन 1. मु; २७X11 ५ से.मि. गाथा ५ पति जीर्ण छे. प्र.स./२४ १३ । .... .. परि./७२७६/३३ सोमंधर स्तुति ले.स. १९ मुशतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४थु; २७४११ ५ से मि. गाथा ४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२४१४ ... । परि./७२७६/११ सीमंधर जिन स्तवन (अतिशयान्वित) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; .. २७४११., से.मि. गाथा १५.. प्रति जीर्ण छ. प्र.सं./२४१५ ........ वोरविजय ।' अभिनंदन स्तवन ले.स. १९मु शक (अनु:); " हाथकागळ पत्र ४थु; २५४११ से.मि. गाथा ५. ' कर्ता--देवचंद्रना शिष्य, गर-समय अज्ञात. प्र.स ./२०१६ . परि./३५७९/५ - शांतिनाथ स्तुति ले स . १८८३: हाथकाम। पत्र १४ मुं, २६.४४१२ से.मि. गाथा ५. पं. लक्ष्मीविजयगणिो विसलनगर (वसनगर)मां प्रति लखो. प्र.स./२४१७ परि./१०४२/८ । पार्श्वनाथ प्रभाती स्तवन (शंखेश्वर) ले.. १८६९ थी १७१; हाथकागळ पत्र २४९; २४४१०.५ से.भि. गाथा ३. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.सं./२४१८ - परि./७१९६/५१ महावीर जिन स्तवन ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र 1४मु ; २६.४१२ से.मि. गाथा ४. लक्ष्मीविजयगणिले विसलनगर (बोसनगर)मां प्रति लखी. प्र.सं./२४१ परि./१०४ /९ वृद्धिविजय (त.) नेमिनाथ रतुति ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ जु; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. कर्ता-तपागच्छोग रत्नविजय सत्यविजयना शिष्य, समय वि. १८मी सदी पूर्वाध (जै. गू. क , भा, ३. ख २, स. १२००). प्र.स. २४२६ .. रि.५२५ Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९२ स्तुति-स्तोत्रादि ... .१ ---जीवविचार स्तवन र.स. १७१२; ले.सं. १८६४; हाथकागळ पत्र ३; २४.९x१०.५ से.मि. गाथा ७९. . . कतांनो परिचय पत्र ३ मां आपेलो छे. थरामा लखेली प्रति जीर्ण छे. २४२१ . परि./८२८८ २-जीवविचार स्तवन २.सं. १७१२; ले.सं. १९५५; हाथकागळ पत्र ६; २५.५४११.३ से.मि. गाथा ८४. ... भोजक नरभेरामे राधनपुरमा प्रति लखी प्र.स./२४२२ ___ परि./३०८८ ३-जीवविचार स्तवन र.स. १७१२; ले.सं. १९९ शतक (अनु.); हाथकामळ पत्र ५; २५४१२.४ से.मि. गाथा ८०. ग्रं. १३९. हरसेना माटे लखाली आ प्रति सांकळीश्री साध्वी मेळवी. प्र.स./२४२३ परि./४७९ ... ४-जीवविचार स्तवन र.सं. १७१२; ले.सं. १९३९; हाथकाळ पत्र ६; २५.३४१३.५ से.मि. गाथा ७९. प्रति लखनार ज्ञातिभे श्रीमाळी ब्राह्मण अयाची जेशंकर मूलजी. लिपि स्थळ पाटण. प्र.स./२४२४ परि./१९ .५-जीबविचार स्तवन र सं. १७१२; ले.सं. १७८६; हाथकागळ पत्र ५, २५.८४११.५ से.मि. गाथा ७९.. . प्र.स./२४२५ परि,/३२२१ ..६-जीवविचार स्तवन र.स. १७।२; ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४; - २५४१२ से.भि. प्र.स./२४२६ परि./२०४६ .: ५--नवतत्त्व स्तवन र.स. १७१३; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३४१०.७ से.मि. गाथा ९५. - कृतिनी रचना घोषाबंदरमा थयेली छे. प्र.स./२४२७ परि./८१०६ वृद्धावमल कवियण ... . जिनस्तवन . ले.स . १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६.५४११.८ से.मि. गाथा ११. .....कता---परिचय अप्राप्य. (ो. गु. के भा. १, पृ. १२५ पर कोई कवियण नामक - कविनी नेांध छे, ते प्रस्तुत कवियण होवा संभव, छ. . प्र.स.२४ २८ परि./७००१/२ Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि शंकरवाचक पार्श्वनाथ तवन (अहिछत्रा) ले.स. १७ शतक (अनु.); हा कागळ पत्र ८२५०५ १०.५ से.मि. गाथा ५. कर्ता - परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२४२९ शांतिकुशल (त. ) पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) र.सं. १६६७ ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ थी ३; २४.५×१०.९ से.मि. साथा ३१. कर्ता - तपाच्छीय विजयदेवसूरि विनयकुशलना शिष्य समय वि. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४७१ ). प्र. सं / २४३० प्रसं / २४३१ परि. / ८८४९ पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १७ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.१०.५ से.मि. गाथा १७, ऋषि धनजी माटे भाटकीनगरमा प्रति लखेली छे. सरस्वती स्तवन ले. सं. १९१८ हाथकागळ पत्र १७ थी १८; गाथा ३३. •.सं./२४३३ शांति विजय २९३ लिपिकार गोरजी श्यामजी. १२. / ५४१६ प्र. सं. / २४३२ शांतिकुशल सीमंधर स्तुति ले.सं. १८४९ हाथकाराळ पत्र २ १३; २२.३४१००४ से. मि. गाथा ४ कर्ता - परिचय अप्राप्य. हेमविजय गणिना शिष्य तेजविजय गणिओ वाडी-गाममा लखेली आ प्रति जीर्ण छे. परि०/७७१५/२० परि. / २५८१ २५.७४१२ से.मि. परि./२२३४/१६ जिन स्तवन ले. सं. १८९९; हाथकागळ पत्र १० थो ११; २४.५x११ से.मि. गाथा ७. कर्ता - परिचय अप्राप्य (जे. गु. क. भा. ३. खं. २, पृ. १४६८मां नाम विदेश साथै समय १५मी शताब्दी नांघायल छे.) प्र.सं./२.४३४ परि०/४०११/९ सीमंधर जिन स्तवन ले. सं. १८३७ : हाथकागळ पत्र १२ २४०७ ११.५ से. मि. गाथा ७. प्र.सं./२४३५ परि०/७९३५/६ Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९४ स्तुति-स्तोत्रादि शांतिविजय महावीर स्तवन ले.स. १९मु शतक (अन.); हाथकागळ पत्र १ थी २; १४.५४११.५ से.मि. गाथा १५. कर्ता-हर्षविजयना शिष्य. (गा. १४) गच्छ-समय अज्ञात. प्र.सं./२४३६ परि /८ ६१४/१ शांतिसागर (अ.) शांतिजिन स्तवन ले.सं. १७६१%3 हाथकागळ पत्र : १९.५४९ से.मि. गाथा ६. कता-अंचलगच्छना अमरसागर >मतिसागरना शिष्य. समय वि. १८मी सदी. (पत्र ६मां परंपरा मळे छे) आ कता जै. गू. क.मां नेांधायेला नथी. द्विपबंदर (दीव)मां लखेली काना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रांत छे. पत्रो १ थी १० नथी. प्र.सं./२४३७ परि./८१८०/६ पार्श्वनाथ स्तवन (३) ले.सं. १७६१; हाथका गळ पत्र १६, १०, २०; १.३४९ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ५, ५. .. प्र.सं./२४३८ .. परि./८१८०/८; ३६; ३८ सीमंधरजिन स्तवन ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १९मु; १९.५४९ स.मि. गाथा ९. प्र.सं./२४३९ परि./८१८०/३७ चतुर्विशति जिन स्तवन ले.सं. १७६१; हाथकागळ पत्र १६मु; १९.३४९ से.मि. गाथा ३. प्र.स./२४४० परि.८१८०/७ चतुर्विशति जिन स्तवन ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ८; १९.५४९ से.मि. रचनानु बीजु नाम 'शांतिसागर चोवीसी' छे. कतांना स्वहस्ताक्षरनी प्रति छे. प्र.स./२४४१ परि./४१४९/९ वीसविहरमान जिन स्तवन संग्रह ले.सं. १७६१; हाथकागळ पत्र १६ थी १८, १९.५४९ से.मि. कर्ताओ स्वहस्ताक्षरमा वेलाकुल(वेरावळ)मां लखेली पति. प्र.सं./२ ४ ४२ परि./८१८०/10 शांतिसूरि अजिय संति थउ र.स. १४४०; ले स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: ... २५.६४१०.५ से.मि. टाळ १२. - कर्ता-आम्रदेवसूरिना शिष्य, समय वि, १५मी सदी, गन्छ अज्ञात. आ कर्ता जै. ग. क.मां नेांधायेला नथी.. प्र.सं./२ ४४३ परि./२८९१ Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि शिवकीर्त माणिभद्रवीर स्तुति ले.सं. ८ शतक (अनु.): हाथ कागळ पत्र ५मुं; २४-७९११.३ से.मि. गाथा ; कर्ता - परिचय अज्ञात. प्र.सं./२४४४ शिवदास वा. प्र.मं. / २४४५ शुभ पार्श्वनाथ स्तोत्र ( गोडो) (२) २४.५x१०.५ से.मि. अनुक्रमे नाथा २१: ७. कर्ता - गजसारना शिष्य छे. (गा. २१) जे. गु. क. के जै. सा. इति मां आ कर्ता घायला नथी. परि./२६४७/१२ २९५ पार्श्वनाथ विनती ले.स. १६२४ : हाथकागळ पत्र ६ड्डु, २४.८४१०.३ से. मि. गाथा ५. कर्ता - परिचय अप्राप्य आ प्रतिनी कर्तानी बीजी कृति ( र.स. १६१९ ) परथी अमनो समय वि. १७मी सदीनो पूर्वार्ध गणाय. कुमारगिरिमां प्रति लखेली छे. परि. / ६७६३/१० प्र.स./ २४४८ श्रीवल्लभ ले. स. १५ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र थी २: प्र. स. / २४४६ शुभ विजय चौदसबावन गणधर चैत्यवंदन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जुं; २७४११.५ से.मि. गाथा ६. कर्ता - परिचय अज्ञात. प्र स . / २४४९ प्र. स. / २४४७ शुभ विजय पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुं; २४-७९.९ से.मि. परि./६२३८/३ गाथा ५. कर्ता -- विमलविजय उपाध्यायना शिष्य गच्छ-समय अज्ञात. जै. गू. क. भा. १, पृ. १७९; भा. ३ खं. १ पृ. ५९३मां नांधायेला बे शुभविजयमांथी ओके आ नथी. प्रति जीर्ण छे. परि./८०८७/११ परि. / ७२७६ नमस्कार महामंत्र स्तवन ले. सं. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ २५-२४१०.८ से मि गाथा ९३. कर्ता - परिचय अप्राप्य. परि./३५८४ Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९६ श्रीसार (ख.) चंद्रप्रभजिन स्तवन (लोकनालिका स्वरूप गर्भित) र. स. १६८७; ले. स. १८ मु' शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ४; २४.७४१००२ से.मि. गाथा ७६. कर्ता - खरतरगच्छमां खेमशाखा परंपरामा रत्नसारना शिष्य छे समय वि.सं. १७मी सदी (गा. ७६ ) (जै. गू. क भा. १, पृ. ५३४). प्र.सं./२४५० परि./६२५३/१ १- वासुपूज्य स्तवन ( रोहिणी तप गर्भित ) २. स १७२०; ले.स. १८९९ हाथ कागळ पत्र ३; २५.८४१२ से.मि. गाथा २६. ४० २.स. १७०२ मान्यों छे. ' इस गन दो मुनिचंद्र जै. गू. क भा. १. पृ. वर्षे ' अम मूळमां आपेलुं छे. प्रति प्रायः जीर्ण छे. लिपिकार माधवजी राघवजो. प्र.स ं./२४५१ परि./८३८२ २- वासुपूज्य स्तवन (रोहिणी तप गर्भित ) र. स. १७२०; ले.स. १८ शतक ( अनु ); हाथका गळ पत्र ३; २४.५९११.४ स.मि. गाथा ३६ प्र. स. / २४५२ परि./८४०५. ३ --- वासुपूज्य स्तवन ( रोहिणी तप गर्भित ) २. स. १७२०; ले स. १८१८; हाथकागळ पत्र ४, २५४१०.५ से.मि. प्रताप विजये प्रति लखी प्र.स ं./२४५३ श्रुतरंग स्तुति स्तोत्रादि पद्मावती स्तोत्र ले.स. १९१५; हाथकागळ पत्र ६थो ७; २५.८४११.६ से.मि. गाथा १५. कर्ता - परिचय अप्राप्य. परि. / ३४५९/७ प्र.सं./२४५६ प्र.सं./२४५४ सकलचंद्र (त.) ऋषभ समता सुरलता स्तवन ले.स. 16मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १०थी ११; २३१००१ से.मि. गाथा ३०. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरिना शिष्य (जै.गू.क. भा. १. पृ. २७५); समय वि.सं. १६४३ आसपास ( जै. सा. इति., १. ६०६, फकरो ८९६) ग्र.स ं./२४५५ परि. / ५२७५ परि./६५४९/१० वासुपूज्यज्जिन (पुण्यप्रकाश) स्तवन लेस. १८ मुं शतक (अनु.); हा कागळ पत्र ३२; २२. ९x९.९ से.मि. ढाळ १६. कृति त्र्यंबावती (खंभात) मां रचाई. परि./६६५६ Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . स्वति-स्तावादि वासुपूज्यजिन (पुण्यप्रकाश) स्तवन ले.स. १७३८; हापकागळ पत्र २०; २४४१०.५ से.मि. ढाळ२ ४. वृंदावन नामना चातुर्वोदी ब्राह्मणे अणहिलपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./२४५७ परि./१९०८ पार्श्वनाथ स्तवन (२) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५; २० २३४१०.१ से.मि. अनुक्रमे गाथा ३१: २१. प्र.सं./२४५८ __परि./६५४९/१५; २१ महावीरजिन स्तवन ले.स. २० मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २७.५४११.७ से.मि. गाथा ७६. प्र.सं./२४५९ परि./१५२४ ! महावीर जिन स्तवन (३) ले.स. १८मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १२ थी १३; १७ थी १८; १८ थी १९; २३४१०.१ से.मि. अनुक्रमे गाथा २२, २०, ५०. - प्र.सं./२४६० परि./६५४२/१२; १८:१९ . १-गणधरवाद स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४ थी ६: २३४ १०.१ से.मि. गाथा ४८. ...प्र.सं./२५६१ परि /६५४९/3 ....२-गणधरवाद स्तवन . ले.स. १९# शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २, २४.५४१०.९ से.मि. गाथा ४८. . . ....... श्राविका सोनवाई माटे मुनि प्रेमविजये भरूचमां प्रति लखी. प्र./२४६२ परि./३९३६ ३-गणधरवाद स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २१.७४ १.५ .. से.मि. गाथा १८. भाणविजये प्रति लखी. पत्रांकस्थानो चित्रोवाळां छे. प्र.स./२४६३ परि./७५३१ १–गौतम दोपालिका स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २० थी २२; . २३४१०.१ से.मि. गाथा ७४. प्र.सं./२४६४ परि./६५४९/२२ ३-गौतम दीपालिका स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २३.८x . ९.९ से.मि. गाथा ७३. - पत्रो १ अने २ मथी. ४० मी गाथाथी कृति शरू थाय छे. पं. उदयरुचिगणि .: सुमतिरुचि>विद्यारुचिगणि>विजयरुचिगणि वेलबाई माटे प्रति ली . प्र.सं./२४६५ परि./६५०९ Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९८ स्तुति-स्ताद ४-गौतम दीपालिका स्तवन ले.स. १६७६; हाथकागळे पत्र १; ३४४५.५ से.मि. गाथा ७. ... पं. संघविजयना शिष्य वृद्धिविजये प्रति लखी. प्र.सं./२४६६ परि./५०७७ १-चतुर्विशति जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हापकागळ मंत्र ३ थी .:; २४.८४ १०.७ से.मि. गाथा ३७. प्र.सं./२४६७ परि.०८७.२ २-चतुर्विशति जिन स्वन ले स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ ५ ८ थी १५; २३४१०.१ से.मि. गाथा ३७. प्र.सं./२४६८ परि./६५४५/७ रंगाणी स्तवन (साधारण जिना तुति) स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ ५३ ७ धी .. ८; २३.१०.१ से.मि. गाथा ३६. प्र.सं./२४६९ परि./१५२९/५ शंभुवर प्रकृति स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकांगळे पत्र १० मैं; २३४१० से.मि. गाथा १४. प्र.स/२४७० परि./६५१५/९ १-साधारणजिन स्तवन (सर्वज्ञ कर्तुत्व निवारक विचार गर्मित) ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २२ थी २.३; २४४१८.1 से.मि. गाथा २.. . .प्र.सं./२४७१ परि./६५५९/२३ . २-साधारण जिन स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २३४१०. से.मि. गाथा २७. प्र.स./२४७२ परि:/६५५९/६ - १–साधुवंदना ले सं. १७३७, हापकागळ पत्र ९: २३.५४१०५ से.मि. गाथा :१४६. . . . . हीरसागर गणिले प्रति लखी. प्र.सं./२४७३ परि./५९६८ २-साधुवंदना ले.स. १८ गुं शतक (अनु.); हाधकागळ पत्र १; २३.५४१० से.मि. . गाथा १४७.. धनवर्धन माटे पाटणमा प्रति लखाई. प्र.सं./२४७४ परि./५०३७ सीमंधर जिन स्तवन (७) ले.स. १८ मुं शतक. (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; १०: ११ थी १२; १३: १३ थी १४; १५ थी १६; १९ थी २०; २३४१७.१ से.मि. अनुक्रमे गाथा ३३; १६: १९; ३०; ३७; ३३; ३०. प्र.सं./२४६५ परि./६५४९/४; ८; ११; १३, १४ २. Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि २९९ १-सीमंधर जिन विनती ले.सं. ११९३; हाथ कागल पत्र : २५:३४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्रति गडुलाईनगरमा लखेली छे. . परि./८५२८/२. ..२-सीमंधर जिन स्तवन . ले.स. १९मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; १६.७४११.७ से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२४७७ .. . . . . . परि./८६१०/२ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४.८४ १०.७ से.मि. गाथा ३१. . प्र.सं./२४९७८ . . परि./५८७०/१ हिंदी स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २३४१०.१ से.मि. गाथा ४८. प्र.सं./२५७९ . ... .. परि./१५४९/२ सदानंद नेमिनाथ विनती ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथक्कागळ पत्र १; २५४१०.३ से.मि. गाथा ५. .. . कर्मा-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२.८० परि./२६०१/२ वीतरागनी विनती ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १; २५४१०.३ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./२१८१ परि /२६०१/१ समयसुंदर शीतलजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ११ मुं; २०.७४१२.२ से मि. गाथा १५. .:: कर्ता-खरतरगच्छना जिनसुंदरसूरिनी परंपरामां (जै. सा. इ , पृ. ५७४) सकलचंदना ... .. शिष्य (वे. गृ. क. भा. ३ ख. १, पृ. ८४६) समय वि. १६ मी सदी; अकबरना सम.... काली (जै. सा. इ., पृ. ६७५). प्र.सं./२४८२ परि./८११६/४ पार्श्वनाथ स्तवन ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.१ से.मि. गाथा ४. ...परि./५८२ ८/२.. Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोवाकि पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणि ) ले सं. १९१८; हाथकागळे पत्र ३२ २५.७ १२. सेमि. गाथा ७. ३७: प्र.सं./ २४८४ परि./२२३४/२७ पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणि ) ले.स. १७०८; हाथकागळ पत्र १ २४.५ X १०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./ २४८५ परि. / ६५७६ / ३ + १–पार्श्वनाथ स्तोत्र (नाकोडा) ले स. १९१९; हाथकागळ पत्र ४२ मु. २५०७०१ २ से.मि. गाथ। ८. गोरजी श्यामजीओ भोय्यत्रामां प्रति लखो. प्र.सं./२४८६ गोरजी श्यामजी भोय्यत्रामां प्रति लखी. परि./२२३४/३८ हाथकागळ पत्र ३जु; २५४११.२ परि./६९५४/२३... १ --- महावीर जिन स्तोत्र ( जेसलमेर मंडन ) ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागल पुत्र १लं; २६११ से.मि. गाथा १९. प्र. सं० / २४८८ प्र.सं./ २४८७ लाडुल पुनमीआ गच्छना मुनि रूपजीओ प्रति लखी. २- पार्श्वनाथ स्तवन ( नाकोडा ) ले.स. १८००; से.मि. गाथा ८. प्र.सं./२४८९ परि./२३७३ २ - महावीर जिन स्तवन (जेसलमेर) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागल पत्र. ४ थी ६; २४.७४९.९ से.मि. गाथा १९ प्रति जीर्ण छे. महावीर त्रिपंचाशिका स्तवन ले.सं. १६९९; हाथकागळ पत्र ६; पद्य ५३. १ - तीर्थमाला स्तवन ले. स. २५.५४१०.५ से.मि. पद्य १५. प्रति जीर्ण छे. प्र. सं. / २४९२ ( 1 पूर्णिमापक्षनी प्रधान शाखाना विनयप्रभसूरिना शासनकाळमां बुरहानपुरमा ऋषि हेमराजे राजरत्न माटे प्रति लखी, प्र. सं. / २४९० २० शतक :. परि. / ६३७ अष्टापद स्तवन ले.सं. १८९५; हाथकागळ पत्र ५ २४-५४११०४ से.मि. : गाथा ५ प्र.सं./ २४९१ परि०/६०५६९/७ (अनु.) : हाथ पत्र १२ थी १.३३ परि./८८८७/७ २६.५४११.९ से.मि. परि./८८८७/१ Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि. ३०१ २ - तीर्थमाला स्तवन ले.सं. १८९९; हाथकागळ पत्र ३ थी ४: २५.४४११.५ से.मि. पद्य १७. प्र.सं./२४९३ . परि./४.११/२ तीर्थमाला स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र लुं; १५.७४११.७ से.मि. पद्य १९. प्र.स./१४९४ । परि./८६१७/१ तीर्थयात्रा स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.१४११.५ से.मि. पद्य १६. प्र.सं./२४९५ . परि./४२९६/३ तीर्थयात्रा स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२, २१.५४ १२.५ से.नि. पद्य १४ प्र.सं./२४९६ परि./८६१६/५ शत्रुजयतीर्थ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र, २३मुः २४.८४११.५ से:मि. पद्य ५. प्र.सं./२४९७ परि./५८६ ०/१५ सिद्धाचल तीर्थ स्तवन ले.सं. १८३२; हाथकागळ पत्र ५मुं; २५.७४११.७ से.मि. प्र.सं./. ४९८ . परि./१८११/२ १-अगियरस स्तवन र.सं. १६८१; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०मु; - "२६.३४१२ से.मि. गाथा १३. . रचना जेसलमेरमा थई छ. (रचना संवत माटे जुओ जे. गू. क., भा. १, पृ. ३८०.) प्र.सं./२४९९ परि./१६५६/८ २-अगियारस स्तवन र.स. १६८१; ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २४.७४११.३ से.मि. गाथा १३. प्र.सं./२५०० . परि./२०६४/५ जीवराशी क्षमापना ले स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.५४११.५ से.मि. गाथा ३३. जडावबाईनी मालिकीनी प्रति छे. मोहन डामरसोखे प्रति लखेली छे. . . प्र.स./२५०१ परि २७९७ ज्ञानपंचमी स्तवन ले,स, १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; १९४१०.४ से.मि. गाथा २०. प्र.सं./२५०२ परि./८१५७ Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ २ ज्ञान पंचमी स्तवन लेस. १९ शतक ( अनु. ); २५४१००९ से.मि गाथा २०. पं. प्रीतिविजयना शिष्य कृष्णविजयना सहवासी मुनि ललितविजये लाहोरमां लखेली आ प्रति जीर्ण छे. श्र.सं./२५०३ परि०/३५९२/१ १ - पद्मावती आराधना ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २०-५ ११ से.मि. गाथा ४१ प्र.सं./२५०४ परि./७७७६/१ २- पद्मावती आराधना ले. स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.४४११ से.मि. ढाळ ३ गाथा ४३. पं. तेजविजयगणिओ पालणपुरमा श्राविका पुंजी माटे प्रति लखी. परि./५०२१ प्र.सं./२५०५ ३. - पद्मावती आराधना ले.स. २० शतक ( अनु ) : हाथका गळ पत्र २ २२.५९-७ से.मि. ढाळ ३ गांधा ३५० परि. / ७७५४ प्र.सं./२५०६ १ - पांचमनुं लघु स्तवन ले. १८०३ हाथकागळ पत्र १५ मु; २६०२११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./२५०८ प्र.सं./२५०७ परि./३१७६/२ २ - पंचमी स्तवन ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र जु; २६.४४११.८ से.मि. गाथा ५. समर प्र. सं. / २५०९ केसर सिंघे सुरतमा प्रति लखी. ३ - पंचमी स्तवन गाथा ५. स्तुति स्तोत्राि हाथकागल पत्र १ श्री २ १ - अष्टापद स्तवन से.मि. गाथा ६२. परि. / १०३७/२ ले. स. १९ शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र ९ २३-५४११ से.मि. कर्ता - परिचय अप्राप्य. ले. स. १ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २५-१x१०.३ परि./७२४२/२ प्र.सं./२५१० परि०/२५९८ २ - अष्टापद स्तवन ( भरतेश्वर ऋद्धि वर्णनरूप) ले.स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३; २५०३४१००४ से.मि. गाथा ५१. प्र.सं./२५११ परि. ४५६५ Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३-अष्टापद स्तोत्र ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २१.६४१०.४ से.मि. माथा २.. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२५१२ परि./५१६१ समरसिंघ (पा.) चतुर्विशति जिन कल्याणक स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १०; २३.८x१०.४ से.मि. कर्ता-पार्श्वचंद्र गच्छना संस्थापक पार्श्वचंद्रना शिष्य. समय-जन्म वि.सं. १५६०; स्वर्गवास वि.सं. १६२६. (जै. गू. क, भा. १, पृ. १५०). प्रति जोर्ण छे. प्र.सं./२५११ परि./०८६ समुद्रमुनि ति ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २,२५.५४१ से.मि. गाथा ४. कर्ता-उदयमुनिना शिष्य. गच्छ समय अज्ञात. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२५१४ परि./३३३८/४ समुद्रविजय चोवीस जिन स्तवन ले.सं. १७४८: हाथकागळ पत्र १७मु'; २४.५४११ से.मि. गाथा २४. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्रति आलोटनगरमां लखाई. प्र.स./२५१५ परि./२५४२/२ सहजविमल १-शांतिनाथ रागमाला स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा २९. ____ कर्ता-पगच्छना विजयदानसूरि> पं. जगराजना शिष्य. परंपरा कृतिमाथी मळे छे. आ कर्ता जै. सा. इति. के जे. गू. क.मां नेांधायेला नथी. मुनि पुण्यसागरे हबदपुरमा प्रति लखी. सं./२५१६ परि./७२.४ ले.स. १७३०% हाथकागळ पत्र १ थी १२: M . २-शांतिनाथ रागमाळा स्तवनं २४.७४1०.४ से मि. गाथा ३३. प्र.सं./२५१७ परि./५९५१/१६ Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्वाषादि सहजसुंदर ऋषभदेव स्तवन (शत्रुजयमंडन) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.५४१०.५ से.मि. गाथा २०. कर्ता- उपकेशगम्छना रत्नसमुद्र उपाध्यायना शिष्य. कर्तानी वि.सं. १५७०नी रचना (जै. गु. क. पृ. १२०) नेांधायेली छे. प्र.सं./२५१८ परि./७.९९ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1; २३.५४१०.५ सीमधर जिन स्तवन से.मि. गाथा १८. प्र.सं./२५१९ परि./१९१२ : सहाजी खुशाल अमृतधून ले.सं. १७९८; हाथकागळ पत्र २ जु; २१४९.१ से.मि. कर्ता-परिचय अज्ञात. कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति. प्र.सं./२५२० परि./८६९५/३ संतोषविजय (त.) १-पर्युषणनी स्तुति ले.स. १९९ शतक अनु.); हाथकागळ पत्र १५मु; २४४११.२ से.मि. गाथा १. कता-तपगच्छना विजयदेवसूरिना शिष्य. समय वि. १८मी सदीनी शरूआ (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १५२०). परंपरा कृतिमां आपेली छे. कर्तान संतोषी के तोष नाम पण प्रचलित छे. प्र.सं./२५२१ परि./५०८९/३० २-पर्युषणपर्व स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र रजु; २५.५४११ से.मि. गाथा १. ....प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२५२२ परि./३३३८/६ १-सीमंधर स्वामी स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २६४१२.५ से.मि. गाथा १०. __ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२५२३ परि./२६३ २-सीमंधर जिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ ५३ २; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ४०. प्र.सं./२५२४ परि./३५५० Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३ - सीमंधर जिन स्तवन ले.सं. १८५८ : हाथकागळ पत्र ४ २१४९-८ से.मि. आनंदपुरमा श्राविका होरुबाई माटे पं मोहन [विजय]ना सहवासी पं. माणिक्यविजय गणिओ प्रति लखी. प्र.सं./२५२५ परि./८६६३ ४ -- सीमंधर जिन स्तवन ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ २६-४२११०५ से.मि. गाथा ३९. परि. / ७४५१ ५.सं./२५२६ संयममूर्ति चतुर्विंशतिजिन स्तवन २४.८x१० से.मि. कर्ता - विमयमूर्तिना शिष्य छे (जै. गू. क. भा. १, ५. प्र.सं./२५२७ ले. स. १७मु शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र प्र.स ं./२५२८ पार्श्वनाथ स्तुति हाथकागळ पत्र २जु; २४४१०.८ से. मि. गाथा ४. गणि मेघविजये प्रति लखी छे. गाथा २१. साधुकीर्तिसूरि (ख) मौन अकादशी स्तोत्र र.सं. १६२४; छे.स. १७ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी २, २५.३४१०.५ से.मि. गाथा १६. कर्ता - खरतरगच्छना मतिवर्धन >> मेरुतिलक >> दयाकलश > अमरमाणिक्यना शिष्य छे. समय वि. १७ मी सदी (जै. गू. क. भा. १, पृ. २१९ ). कृति अलबरमां रचाई. पं. विमलकीर्तिभे प्रति लखी. प्र.सौं / २५३० सारंग ३०५ गच्छ अज्ञात वि. १७मी सदीना गणाय छे. ४६२; भा. ३, खं. १. पृ. ९३८). परि. / ४७१३/१ प्र.सं./२५३१ ३९ १ थी ७; प्र. सं. २५२९ सारमुनि (मतिसार ?) पार्श्वनाथ स्तोत्र ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५×९०९ मे मि. परि./५२३८/१ परि./६६१६/५ जगदंबा स्तोत्र के.स. १७६६; हाथकागळ पत्र ४ थी ६ २५.३४१०.८ से. मि. गाथा २८; कर्ता - जेनेतर कवि अमदावादना रणछोड भक्तना शिष्य सारंग आ होई शके. (गु. हा. सं. मा. पृ. २३४ ). लिपिकार मुनि अमरसागर. परि / ४६७९ परि./२८५७/६ Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि सिद्धिविजय (त.) १-सामंधर वामी स्तवन र.सं. १७१३; ले.सं. १७५४; हाथकागळ पत्र ५, २४..x १०.७ से.नि. गाथा १०५. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरि >शुभविजयना शिष्य छे. समय वि. १८ी सदी पूर्वार्ध. (जे. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १२००). कृतिनी रचना तयरवाडामां थयेली छे. प्र.सं./२५३२ परि./४८५७ २–सीमंघरनि स्तवन २.सं. १:१३; ले.सं. १८३९; हाथवागळ ५ ५, २६४१२ से.मि. गाथा १०५. प्रति राजनगरमां लखाई. प्र.स./२५३३ । परि./३३४८ ३-सीमंधरजिन स्तवन र.स. १७१३; ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकाळ पत्र ६, २६४१२.५ से.मि. गाथा 10५. लिगिकार रूपचं. प्र.सं./२५३४ परि./७४९१ ४-सीमंधरजिन स्तवन र.स. १७१३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागल प ८; २४.६४१८.३ से.नि. गाथा १०५., प्र.स./२५३५ ५-सीमंधरजिन स्तवन २.स. १७१३; ले.सं. १८५४; हाथकागळ पत्र ५, २५.५४१३ से.मि. गाथा १८५. राधनपुरमा पं. कान्तिविजये ५. जिनविजयगणि समक्ष प्रति लखी.. प्र.स./२५३६ । परि./२० सिंहविजय (त.) कुभलमेर यात्राकरण स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६: २३.9xi . से.मि. गाथा १६.. कर्ता-तपगच्छना विजयाना>विजयरत्नसूग्निा शिष्य. (गा. १६). (जै. गू. क. के जै. सा. इति.मां नेांधायेला नथा). पं. शांतिविजये उदयपुरमा प्रति लखी. प्रसं./२५३७ परि./८२९१६ सुखचंद्र नेमीश्वर स्तवन ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; २४.७४१ .५ से.मि. माथा ५. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२५३० ...परि./६२८५ Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २: सुखविजय अटी द्वाप स्तवन र.स. १७२९; ले.स. १. मु २६.'.x१२ से.मि. बाळ३; गाथा २६. कर्ता-परिचय अपाप्य, समय १८ मी सदी. प्र.स. २,३९ ... . . परि./८३६ सुखविजय : ... . . .. ....... महावी! स्तवन (अल्पबहुत्व विचार गर्भित) र.स. १७७२; ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकाळ पत्र ९मु: २५.७X7 ८.२ से.मि. गाथा २२. कर्मा--रिचय अवाप्य. समय १८भी सही अनुमाने. आ रचना जसाणगढमां थयेला छे. परि / ३२५२/६ सुखसागर (न.) १...दीपालिका बल्ल बालावबोध र.सं. १७.३; ले.सं. १७८७; हाधकागळ पत्र ४४; २५.१४ ११.६ से.पि. गाथा ५२०. .. का तगठना दीपसागरना शिष्य छे. समय वि.स. १८मी सदी. (जै. गू. के., भा. ३ ख. २. प. १६३६). ति राजनग' (?'दाबाद)मां रचाई जिनसुंदर मरिनी मूल रचना संस्कृतमा छे. प्रयागजी अणहिलपुरमा प्रति लखी पनि./४४४० २--हापालिका कल्ब स्तबक सं. १७६:: ले.मं. १८६७; हाथकाग पत्र ४९; २५.1-३ से.कि. ग्रथाग्र १२००. शुभविजये लांबली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२५४२ परि./१००६ ३ -दीवालिका कल्य-पक र.सं. 19६३: ले.सं. १८१२; हायकागळ पत्र ४४; २:.:४११.१० से पि गाथा ४३६ तूटक. ज्ञानविजयगगि पाटणमा प्रति लखी. प्र.सं./२५४३ परि. २४२९/१ सुज्ञानसागर वोर तिवन ले स. १८६२ -'७१; हाथकागळ पत्र २२मु ; २४४१०.५ से.नि. गाथा ५. . . . . --आगमसागरना. शिष्य. समय वि. १९९ शतक (जै. ग. क., भा. ३, ख. १, पृ. १०८मां नेांधायेलाथी भिन्न). घाणोर मां कृति रचाई. प्र.म./२,५४ परि./७१९६/४५ Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्र शत्रंजय स्तवन र.स १८४०: ले स. १८६९-.'७१; हाथकागळ पत्र २२म; २५४१८.५ से मि. गाथा ५. प्र.सं./२५४५ परि./७१९६/७५ सुधानंदसूरि (त.) पार्श्वनाथ स्तवन (जीराउला) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४; २५४११ से.मि. गाथा ४५. कर्ता-तपगच्छना सोमसुंदरसूरिना शिष्य. वि. १६मी सदी अनुमाने (ने. सा. इति. पृ. ४९७ फकरो ७२१). पं. जसविजयगणिो देवगिरिमां प्रति लखी. प्र.सं./२५४६ परि.,५८५४ सुमतिविजय वाचक पाश्वजिन स्तवन ले.स. १९१८. हाथकागळ पत्र ४४मु; २५.८४१२ से.मि. गाथा ११. कर्ता-परिचय अप्राप्य, गोरजो श्यामजीओ भोय्यत्रामा प्रति लखी. प्र.सं./२५४७ परि./२२३४/४२ सुमतिविमल ऋषभदव स्तवन ले.स. १९मं शतक (अनु.); हाथकागळ ५३ जु; २५.५४११.४ से.मि. गाथा ११. कर्ता-परिचय अप्राप्य. लिपिकार रामकिसन बोडा. प्र.सं./२५४८ परि/२३८३/२ सुंदरविजय पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.५४ ११.५ से.मि. गाथा १५. कता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं. २५४९ परि ३८४७/३ सूरसौभाग्य पार्श्वनाथ स्तवन (चिंतामणि) ले.स. १७४ सतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; १६.६४९.८ से.मि. गाथा २१. कर्ता-उदयसौभाग्यसरिना शिष्य. गच्छ-समय अज्ञात. प्र.सं./२५५० परि./८६६२/४ सेवक (अं.) नेमिनाथ संवेगरस चंद्रायणां ले.स. १७९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६; २५४१८.७ से.मि. गाथा ४८. __ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२५५१ परि./५८९० Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३०९ महावीर स्तवन ले.स. १७८५; हाथकागळ, ५३ १५ थी १६; २५.७४११.५ से मि. गाथा ११. नायकविजये थिरागामे प्रति लखी. प.स./२५५२ परि./२३६७/२० चतुर्विशतिजिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.८४१० से.मि. गाथा ७. प्र.सं./२५५३ परि./६०५२/२ सोमसुंदरसूरि (त.) १-नेमिनाथ समवसरण स्तवन ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ६ थी ८; २५.५४११ से.मि, गाथा ३५. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिना शिष्य. समय वि.स. १६मी सदो. प्र.सं./२५५४ परि./३४२६/३ २-नेमिनाथ समवसरण स्तवन ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.५४११ से मि. गाथा ३४. पत्र १ थी नथी. प्र.सं./२५५५ परि./३४२६/१ ३-नेमिनाथ समवसरण स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.४४ ११.७ से.मि. गाथा ३६. प्र.सं./२५५६ परि./०८९४ ४-नेमिजिन समवसरण स्तवन ले.स. 1मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.८४११ से.मि. गाथा २९. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२५५७ परि./३८ २६ समवसरण स्तवन ले स. १९# शतक (अनु ): हाथकागळ पत्र : थी ५: २६.२४१२.२ से.मि. गाथा ४२. प्र.स./२५५८ परि./२२३४/५ सौभाग्यरत्न (पौ.) १-शांतिजिन स्तवन (गुणस्थान विचार सह) ले.स १.मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ८: २३४१०.२ से.मि. गाथा ९५. कर्ता-पोर्णमिक गच्छ. कानु अपरनाम शिवरत्नसूरि छे. सप्तय सं. १५५४ पहेला. (जै. सा. इति. पृ. ५२६ फकरो ७७५). प्र.स./२९५९ परि./७६४४ Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१० स्तुति स्तोत्रादि २:-शांतिनाथ स्तवन , ले.स. १८ में शतक (अनु.). हाथका पत्र ; ४xi ८.८ से.मि. गाथा ९५. स्तंभतीथ (खभात)मा प्रति लखाई. प्रति जोर्ण छे. 'प्र.सं./२९६० परि./५०८५ सौभाग्यलक्ष्मी ( सौभाग्यसूरिशिष्य-लक्ष्मीसूरि ?) ___ अनंतजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी ११: २१.x ११.२ से.मि. गाथा ९. कता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२५६१ परि/७७७५/३ पार्श्वनाथ जिन स्तवन ले स १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 11मु : २१.७x १५.२ से.मि. गाथा ७. .. ...... .. प.स ./२५६२ परि./७७७५/४ सौभाग्यविजय (त.) .. .. ... . ... पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. ११मु यातक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४...४११.५ से मि. गाथा ११. ___ कता---तपगच्छना बे सौभाग्यविजय मळे छे. (१) साधुविजयना शिष्य अने (२) लालविजयना शिष्य (जै. गू. क., भा. २, पृ. १८०; ४१५). बने वि. १८ मा सहीना छे. प्रस्तुत कर्ता माथी कया ओ अनिर्णित छ. प्र.सं./२५६३ परि./४९१७ सौभाग्यविमल (त.). सिद्धाचल स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.५४१०.८ से.मि. पद्य 10. कर्ता- तपगच्छमां हेमविमलसूग्निी परंपरामां धीरविमलगणिना शिष्य. वि.सं. १६७१ मां विद्यमान (प्र.सं. भा. २, पृ. १७८, प्र. ७०४ . प्र.सं./२५६४ परि./७९६७ रोहिणी स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १ थी २; १५.५४१२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२५६५ - परि./८६०२/३ सौभाग्यसुंदर जिन नमस्कार ले.स. १८म शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २.४१... से मि. गाथा १५. . कर्ता- परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२५६६ परि./५७९३ Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तावादि ३११ कता-परिचय स्वरूपचंद्रजी जिन स्तवन चोवीसी ले.सं. १९२६; हाथकागळं पत्र १०; २७४ १३ से.मि. कता--परिचय अप्राप्य अमदावादनी विद्याशाळामां अमृतविजयजी अने गुलाबचंद्रजी माटे त्रिभुवन कल्याणदास प्रति लखी. प्र.स./२५६७ . परि./२.२ हरिचन्द्र शांति जिन स्तवन ले.सं. १७६३: हाथकागळ पत्र १' थी २०; २०४९.५ मे.मि. गाथा ५ कर्ता-परिचय अप्राप्य, शांतिसागरे प्रति लखी. प्र.सं./२५६८ परि./८१८०/१९ हरिसागर नेमिजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३०९; २५४११.६ से.मि. गाथा ६. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./२५६९ परि /२०६०/३७ पंचागुली मंगल स्तोत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६४११ से.मि. पद्य ३६ कर्ता-परिचय अप्राप्य. ' प्रथम पत्रमा चित्र छे. दरेक पत्रनी वच्चेनी फुदडीमां चित्र छे. (कुल ४ चित्रो छे.) प्र.स./२५७० परि./८७७८ हर्षसार वा. पद्मावती स्तोत्र ले.सं. १८१५: हाथकागळ पत्र ७मु; २५.८४११.६ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२५७१ परि /३४५९/२ हरख (ख) नेमिजिन स्तवन । (पशुपंखी विज्ञप्तिमय) . ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र १ थी ५; १४.३४९.८ से मि. गाथा ३२. कर्ता-खरतरगच्छना जिनराजसूरिना शिष्य (गा. ३०)..... ... माणिक्यविजये सोहिनगरमां प्रति लखी. प्र.सं./२५७२ परि./८६५७१ Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ स्तुति-स्तोत्रादि हरखचंद (श्रा.) पार्वजिन स्तवन ले.सं. १८६९; हाथकांगळे पत्र २०मु ; २५४११ से मि. गाथा ७. ___ कर्ता-श्रावक. समय वि. १९मी सदी. (जै. गू, क. भा. ३, ख. २, पृ. १५५३). प्र.सं./२५७३ परि./७१९६/११ हरषाजित पार्श्वनाथ छंद स्तवन (वरकाणा) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९); २४४१०.१ से.मि. गाथा १०. __ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२५७४ परि /६३६६/५ हर्षमाणिक्यमुनि महावीरजिन निसाणी (बभणवाडजी) ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४ थी ६: २४.२४१ ०.२ से.मि. गाथा ३७. कर्ता-परिचय अप्राप्य. ५. नरेन्द्रविजये जुंडानगरमां प्रति लखी. प्र.सं./२५७५ परि./३९५१/३ हंसप्रमोद (ख.) पार्श्वनाथ लघु स्तवन (वरकाणा ) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.४४१०.९ से.मि. गाथा ९. कर्ता-खरतरगच्छना जिनकुशलमूरिनी शाखाना हर्षचंद्रना शिष्य. तेमनी विसं. १६६२नी रचना नेांधायेली छे. (जै, सा. ईति. पृ. ५९४ फकरो ८७४). प्र.सं./२५७६ परि./८३ १/२ हंसभुवनसूरि पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) र.सं. १६१०; ले स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५, २१.७४११ से.मि. कर्ता-समय वि.स. १७मी सदीमां थयेला कवि. (जै. गू, क , भा. ३. ख. 1, पृ. ६६२). गच्छ के परंपरा अप्राप्य. कृति छनीआर गामे रचाई. प्र.सं./२५७७ परि./५३३/१ हंसरत्न नेमिजिन स्तबन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २५.९४ ११.८ से मि. गाथा ९. ___कर्ता-आ नामना बे कविओ मळे छे (1) तपगच्छना ज्ञानरत्नमा शिष्य वि सं. १८मा शतकना (जै. गू. क., भा. २, ख. २, पृ. १४५०) अने (२) बिवंदनिक गच्छना हंसराजना शिष्य, वि. १७मी सदीना. (अजन पृ. १५०६) प्रस्तुत कर्ता कया मे शोधनीय छे. प्र.सं./२५७८ परि./८५०३/७ Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि हंसरत्न (त. ) स्तन चोवीसी २.सं. १७५५: ले. सं. १७९५ हाथकागळ पत्र ११; २६११.४ से.मि. कर्ता - वि.सं. १८मी सदीमां थयेला तपागच्छीय ज्ञानरत्नना शिष्य (जै. गु. क. भा. ३. नं. १, पृ. १४५० ) होवा सभव छे. चाचरिया पोळ - पाणमां बाई फूलीओ पोताने माटे प्रति लखी. प्र.सं./२५८१ प्र.सं./२५७९ हंसराज (त. ) १ - महावीर जिन स्तवन ले.स. २० शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९; २६४११०४ से.मि. गाथा १००. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरिना शिष्य. वि. १८मी सीमां थया (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ८०५). प्र.सं./२५८० परि./१६९० २ - महावीर स्तवन ले.सं. १९४१; हाथकागळ पत्र १ थी ५ २६-५४१२०४ से.मि. गाथा १२५. ३१३ परि./३०८१ ३ - महावीर जिन स्तवन ले. सं. १९१२; हाथकागळ पत्र ७ गाथा ८३. राजनगरमां गणिनी जीवश्री अने नवलश्री साध्वीनी सूचनाथी खेमचंदे प्रति लखो. प्र.सं./२५८२ परि./८४९२ ४ - महावीर जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६४११.६ से.मि. गाथा १२५. प्रश्नबाई माटे प्रति लखाइ. प्र.सं./२५८३ aft./1696 ५ - महावीर जिन स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४ २५.५४११ से.मि. गाथा ७४. मानकुंवर माटे प्रति लखाई. प्र.सं./२५८६ ४० परि./८२६५/१ २६-३×१२.२ से.मि. परि./६५५८ प्र.सं./२५८४ ६- महावीर स्तवन ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.८४११.८ से. मि. गाथा ९४. प्र. सं. / २५८५ परि. / ७१५६ ७ - महावीर जिन स्तवन ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४ २५०६×१२.४ से.मि. परि. / १६७२ Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४ स्तुति-स्तोत्रादि ८-महावीर जिन स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २६४११.५ से.मि. गाथा ७५. प्रति जीर्ण छ. प्रसं./२५८७ परि.,४७२४/१ हंसविजय (त.) पार्श्वनाथ स्तवन (मीडभंजन) ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २६४११.५ से.मि. गाथा ९. ____ कर्ता--तपगच्छना विजयानंदसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मी सदी. (जै. सा. इति. पृ. ६६३-फकरो ९७४). प्र.स./२५८८ परि./३५४३/२५ सीमंधर जिन स्तवन ले.स. २०मु शमक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४११.७ से.मि. बीडासरमां मुनि गणेशचंदे प्रति लखी. प्र.सं./२५८९ परि./७५३५/२ हितविजय (त.) अजितशांति स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २५४११.४ से.मि. गाथा ४. कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहनी परंपरामां १९मां सेकामां थया. (जै. सा. इति., पृ. ६७९ फकरो ९९९). प्र.सं./२५९० परि./२८३१/५ १-शनिश्चर छंद ले.सं. १९१८; हाथकागळ पत्र २० थी '२१; २५.७४१२ से.मि. गाथा ११. कर्ता-परिचय अप्राप्य. गोरजी श्यामजी भोय्यत्रामा प्रति लखी. प्र.सं./२५९१ परि./२२३४/१९ २-शनैश्चर स्तोत्र ले.सं. १८६०; हाथकागळ पत्र ४थु; २४.८४११.८ से.मि. प्र.सं./२५९० परि./२०५८/३ ३-शनैश्वर स्तोत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५-७४११.६ से.मि. प्र.स./२५९३ परि./६७४६ Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि हेमजी ऋषि महावीर जिन स्तवन ले.स. १६९६; हाथकागळ पत्र ५९; २६.५४११.५ से.मि. कर्ता-पक्वजी> कृष्णदासजी>कल्याणजीना शिष्य, समय वि. १७मी सदी (प. ५). थोभणन। ठाकोरनी कंवरी धनबाई माटे लखाओली कर्ताना हस्ताक्षरवाळी प्रांत. प्र.सं./२५९४ परि./६६६/२ हेमश्री (व.त.) मौन अकादशी स्तुति थोय संग्रह ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.३४१०.४ से.मि. कर्ता-वडतपगच्छनां धन्यरत्नसूरिनी परंपरामां नयसुंदरनां शिघ्या. समय वि. १७मी सदी (जै. ग. क. भा. १, पृ. २८६). प्र.सं./२५९५ परि./६६४८ हेमहरख नेमिनाथ स्तवन ले.सं. १७३३; हाथकागळ पत्र २जु; २५.७४११ से.मि. गाथा ६. कर्ता-परिचय अप्राप्य. (जै. गू. क., के जै. सा. इति.मां नांधायेला नथी). श्राविका मानबाई माटे विजयहरख गणिले लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२५९६ परि./६९९८/२ अज्ञात कर्ता (गुरुनामक्रमे) अनंतहंस-शिष्य (त.) महावीर स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १, २५.३४१०.६ से.मि. गाथा २४. ___कर्ता--तपगच्छना अनंतहंसना शिष्य होवा संभव छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १. पृ. ५.१७). प्र.स./२५९७ परि./७३१४ अमरहर्षगणि-शिष्य नेमनाथ स्तवन ले.स. १६९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १; २५४१ ०.२ से.मि. गाथा २५. कर्ता-तपागच्छीय (2) विजयदानसूरिनी परंपरामां धीर [ ? विजय]ना शिष्य अमरहर्षगणिना शिष्य. समय अज्ञात, प्र.सं./२५९८ परि./५३७६ Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१६ उदय सौभाग्य-शिष्य पार्श्वनाथ स्तोत्र ( जिरापल्ली) ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३ थी ४ १५.९४९ से.मि. गाथा २९. प्रति पलळेली छे भेटले कर्तानुं नाम वांची शकातुं नथी. प्र.सं./२५९९ कमलकलश सूरि-शिष्य स्तुति-स्तोत्रादि १ - महावीर स्तवन २५- ७४१२ से.मि. गाथा २२. कर्ता - तपगच्छनी शाख कमलकलश गच्छना स्थापक कमलकलशसूरिना शिष्य (?) गोरजी श्यामजीओ भोय्यत्रामां प्रति लखी. (बंभणवाडजी) ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र १३ थी १४; ३ - महावीर स्तवन (बंभणवाडजी) ले.सं. १६०९; हाथकागळ पत्र १; से. मि. गाथा २१ प्र.सं./२६०२ परि./८६६२/२ प्र.सं./२६०० परि./२२३४/१२ २ - महावीर जिन निसाणी ( बंभणवाड) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१ थी ५६; २१ ३४६.९ से.मि. गाथा २१ प्र.सं./२६०१ परि./८४८०/१४ परि./६३३८ ४ - महावीर स्तवन (बंभणवाडजी) ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी. ५ १५.९४९ से.मि. गाथा २१. प्र.सं./२६०३ ५ - महावीर स्तवन (बभणवाडजी) ले.सं. १७९५; हाथका गळ पत्र २३.८४१०.५ से.मि. गाथा २१ पं. रत्नविजयगणिक्षे प्रति लखी. २३.९४१.४ प्र.सं./२६०४ परि./७६०८/६ ६ - महावीर जिन स्तवन (ब्राह्मणवाडा मंडन ) लेस. १७मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३; २४०५X१००९ से.मि. गाथा २१ कोई साध्वी माटे पं. किर्तिसौभाग्ये प्रति लखी. परि. / ८६६२/३ थी १०; प्र.सं./ २६०५ परि./३९१२ ७ - महावीर स्तवन (बंभणवाड मंडन ) ले सं. १७३३; हाथ कागळ पत्र २जु; २५.३X १०.५ से.मि. गाथा २१. पं. केशवजीओ गादसरा गामे प्रति लखी, प्र.सं./२६०६ परि. / ५८०८/३ Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि ३१७ ८- महावीर स्तवन (बंभणवाडा) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थो ४; २५.२४१०.५ से.मि. गाथा २१. परि. / ५९१५ प्र.सं./२६०७ कल्याणरत्नसूरि-शिष्य नेमिनाथ स्तवन ले.स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४-७×१०.५ से.मि. गाथा ६४. प्र.सं./२६०९. प्र. सं. / २६०८ कल्याणसागर सूरि-शिष्य गुरु स्तुति ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २६४१ । से.मि. गाथा ११ कर्ता - अंचलगच्छना. महावीरस्वामीनी पाढे ६५मा कल्याणसागर थया अवो उल्लेख कृतिमांथी मळे छे. प्रति जीर्ण छे. कर्ता - जीराउला गच्छना (जै. सा. इति पृ. ५९० फकरो ८६६). गुरु प्रदक्षिणा स्तुति ले.स. १८ शतक (अनु.); गाथा २०. प्रति जीर्ण छे. परि०/६११६/१ प्र. सं. / २६१३ परि./८८४/२ हाथ कागळ पत्र १; २६९११ से.मि. प्र.सं./ २६१० कुशलवर्धन-शिष्य चतुर्विंशति जिन भव स्तवन ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३ थी ४; २४.२४९.७ से.मि. गाथा ०२ थी ७३ तूटक कर्ता - तपगच्छना हीरविजयना शिष्य कुरालवर्धनना शिष्य. (जे. गू. क. भा. १, पृ. २६८). रविवर्धने पाटणमां लखेली प्रति पत्रो १ अने २ नथी. प्र.सं./२६११ परि०/६३९०/१ सिद्धगिरि स्तुति ( शत्रुंजयना भेकसो आठ खमासणाना दूहा ) ले. सं. १८८५; हाथकागळ पत्र १ श्री ४; २५४१०.५ से.मि. प्र.सं./ २६१२ परि./२६५४/१ परि. / ८८४/१ पं. गुणहर्ष-शिष्य १ – अगियारसनी स्तुति ले. सं. १८९४; हाथकागल पत्र ५ २२०३४१००४ से.मि. गाथा ४. कर्ता — तपगच्छनी परंपराना छे. (जे. गु. क. भा. ३, खं. १. १. १०८८). हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिओ वाडीगाममां प्रति लखी. परि./७७१५/७ Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१८ स्तुति-स्तोत्रादि २ -अगियारस स्तुति ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र ३६; १३.७४९.२ से मि. गाथा ४. प्र.सं./२६१४ परि./८६५७/१९ ३-अगियारसनी थोय ले.सं. १७६९; हाथकागळ पत्र ८ मुं; २१.९४११.१ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२६१५ परि./५३७/४ ४-अकादशी स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २४.७४ ११.१ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२६१६ परि./७१५९/५ ५-अगियारसनी स्तुति ले.सं. १७८३; हाथकागळ पत्र २जुः २६४११.५ से.मि. गाथा ४. मुनि दोलतचदे प्रति लखी. प्र.सं./२६१७ परि./३३४२/५ ६--अगिया रसनी स्तुति ले.सं. १८०७; हाथकागळ पत्र ९मुं, २३.५४९.४ से.मि. गाथा ४. मुनि मतिविजये पालीताणामां प्रति लखी. प्र.सं./२६१८ परि /८३४३/२१ जयतिलकसूरि-शिष्य आदिनाथ स्तवन (सोपारामंडन) ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८२ थी १८३, २४४९.९ मे.मि. गाथा १९. ___ कर्ता--बडतपगच्छनी परंपराना छे. (जै. सा. इति. पृ. ४४७ फकरो ६५८). प्र.सं/२६१९ परि./८६०१/११८ आदिनाथ स्तवन (विवाहलु) ले.स १६९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १८६ थी १८७; २४४९.९ से.मि. प.सं./२६२० परि./८६०१/१२१ जसवंत-शिष्य सुमतिजिन स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुं; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ५. ___कर्ता--तपगन्छना (?) (जै. सा. इति. पृ. ६२४ फकरो ९१८). प्र.सं./२६२१ परि./७८३७/६ जिनप्रभसूरि-शिष्य पंचपरमेष्टि नमस्कार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.७x १२.५ से.मि. गाथा १४. कर्ता--आगमगच्छ के खरतरगच्छना होवा संभव. (जै. सा. इति. पृ. ४१६ फकरो ६०२ पृ. ४३८ फकरो ६४२). प्र.स./२६२२ परि./८३८७/३ Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३१९ तिलकविजय शिष्य (त.) वोरजिन स्तुति ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. ___कर्ता--तपगच्छना लक्ष्मीविजयनी परंपरामां थया. (जै. गू. क, भा. ३, खं. २. पृ. १३४२). वाडीगाममां हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिले लखेली आ पति जीर्ण छे. प्र.स./२६२३ परि./७७१५/१२ दानविजय-शिष्य ऋषभदेव स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु: २३-७४११.८ से.मि. गाथा ५. ___ कर्ता--खरतर के तपगच्छना होवा संभव. (जै. गू: क. भा.३, खं. १. पृ. ९०२; ख. २, पृ. १३८८; १४३९). प्र.सं./२६२४ परि./१७०४/४ दोपविजय-शिष्य पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १३मुं; २४.७४ ९.९ से.मि. गाथा ८. कर्ता---तपगच्छनी परंपराना (जै. गू. क. भा. २ पृ. ४१५; भा. ३. ख. २. पृ. १३६५; भा. ३. ख. १. पृ. १९९; ३३६. खं. २. पृ. १५४७; भा. ३. खं. १ पृ. ३१२). प्र.सं./२६२५ परि./८८८७,१९ धनप्रभ-शिष्य शांतिनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २३.५४९.९ से.मि. गाथा २९. कर्ता-परंपरा अज्ञात. प्र.सं./२६२६ परि./६५२१/५ नयविजय-शिष्य ऋषभ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मु; २५.२४१०.५ से.मि. गाथा ५. कर्ता--तपगच्छनी परंपराना (जै. गू. क. भा. ३. वं. १, पृ. ७७७; भा. ३, खं. २, पृ. १३३३.) परि./२६६३/११ ऋषभजिन स्तवन (१४ बोल साथे) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६९; २५.७४११.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२६२८ परि./२३६७/४० प्र.सं./२६२७ Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२० स्तुति-स्तोत्रादि गौतम स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.५ से.मि. गाथा ? अपूर्ण. प्र.सं./२६२९ परि./३८२४/११ प्रेमविजय-शिष्य ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २३.७४१० से.मि. गाथा ९, कर्ता-तपगच्छीय धर्मविजयनी परंपराना होवा संभव. (जै. गू. क. भा ३. खं. २. पृ. १४१०). पं. शांतिविजये उदयपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./२६३० परि./८२९१/५ धर्मनाथ स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु: २३.७४१० से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२६३१ परि /८२९१/५ मणिविमल-शिष्य सिद्धाचल स्तवन (२) ले स. १९११; हाथकागळ पत्र २ थी ४; २८.७४११.३ से.मि. अनुक्रमे गाथा १६:१५. प्र.सं./२६३२ परि./७२६२/३; ४ मानविजय-शिष्य सिद्धचक्र चैत्यवंदन स्तुति ले.स. १२९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २३.५४ १०.७ से.मि. गाथा ४. ____ कर्ता--तपगच्छीय परंपराना (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. ११८३; १२१७; १२४०; १५४४). प्र.सं./२६३३ परि./६५९४/३ मेघवाचक-शिष्य शोभन स्तुति स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३, १५.१४१२ से.मि. ढाळ २४. ___कर्ता-तपगच्छनी परंपराना होवा संभव. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १३२९; १६२४). प्र.सं./२६३४ परि./५०२६ यतिविजय-शिष्य आदिनाथ स्तोत्र ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २२.९४१०.७ से.मि. ३१. कर्ता-परंपरा अज्ञात. रंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./२६३५ परि./८०२७.१ Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि रत्नसिंह सूरि-शिष्य समोसरण स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ : २५-५४१०.५ से.मि. गाथा ३४. प्र.स ं./२६३६ विद्याशील - शिष्य पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २जु; २४.५४ १०.५ से.मि. गाथा १०. कर्ता: परंपरा अज्ञात. कर्ता - तपगच्छनी परंपराना होवा संभव. (जै. सा. इति. पृ. ५२३, फकरो ७६७). परि./४४७२ ३२१ प्र.सं./२६३७ विमलवाचक-शिष्य नेमिनाथ स्तवन (नडुलाइ मंडण ) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २० थी २१; २५१००९ से.मि. गाथा १२. कर्ता — तपगच्छना होवा संभव, समय १८ मी सदी. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४१७). प्र.स ं./२६३८ परि./५८६०/११ चोवीस तीर्थंकर आंतरा स्तवन रतं. १७७३, ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २ थी ५; २६-५४१२५ से.मि. ढाळ ४. प्र.स ं./२६३९ परि./८३७७/२ वीरसिंह - शिष्य महावीर स्तवन र. स. १७१८; ले.स. १९ शतक (अनु. हाथ कागळ पत्र १ थी २; २७.५४११.४ से.मि. गाथा ३७. प्र.सं./२६४१ ४१ कर्ता - तपगच्छना हरराजना प्रशिष्य समय १८ मी सदी, रचना सिद्धपुरमा थई. परि. / २६४७/३ प्र.सं./२६४० शुभवर्धन-शिष्य शांतिनाथ स्तवन (कुमर गिरिमंडन ) र. स. १५६५; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५X११ से.मि. गाथा ३१. कर्ता — जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ५६६मां नेधेिला छे, गच्छ अज्ञात. समय १६ मी सदी. परि. / ६४०९ परि./१८६९/१ Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ स्तुति-स्तोत्रादि शुभविजय-शिष्य १-महावीर सत्तावीस भव स्तवन ले.स. १८भु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५४१०.२ से.मि., गाथा ८०. ___ कर्ता-तपगच्छनी परंपराना (जै. गु. क. भा. १, पृ. ५९३). प्र.सं./२६४२ परि./५३४५ २-महावीर सत्तावीस भव स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५४१ ०.५ से.मि. गाथा ८६. प्र.स./२६४३ परि./५९८९ ३-महावीरजिन सत्तावीस भवाधिकार स्तवन ले.सं. १८८७ हाथकागल पत्र १ थी ५: २३४९.७ से.मि. गाथा ८६. प्र.सं./२६४४ परि./७७२३/१ साधुविजय-शिष्य सिद्धचक्र नमस्कार ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र "मु; २७.२४१२ से.मि. तूटक __ कर्ता-तगच्छनी परंपराना. (जै. सा. इति., पृ. ५१७, फकरो ७५५). पत्र ४थु नथी. प्र.स./२६४५ परि ३२७/७ सुमतिरत्न-शिष्य ___ शांतिजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २४.७४१०.५ से.मि. प्र.स./२६४६ परि /६ ११६/२ सामसुंदर पूरि-शिष्य १-नेमिजिन स्तवन (समोसरण गर्भित) ले.स. १८०३; हाथकागळ पत्र १ थी २; २४४१०.३ से.मि. ___कर्ता-तपगच्छनी परंपराना, वि. १६मी सदी (जै. गू. क. भा. ३, खं. २. पृ. १४८९) भावनगरमां पं. कमलकुशल अने पं. रूपकुशलनी हाजरीमा प्रति लखेली छे. प्र.स./२६४७ परि./७६२३/१ २-नेमिनाथ समोसरण स्तवन ले.स. १७३५; हाथकागळ पत्र ३; २४.७४१०.८ से.मि. गाथा ३६. प्र.स./२६४८ परि./६०९४ हर्षकुशल-शिष्य महावीरजिन सत्तावीस भव स्तवन ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.५४११.७ से.मि. कर्ता-परंपरा अने परिचय अज्ञात. प्र.सं./२६४९ परि./३२७९ Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३२३ हेमविमलसूरि-शिष्य आज्ञा विनती ले... १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.७x7 0.८ से.मि, गाथा १३. कर्ता--तफाच्छनी परंपराना. (जै. गु. क. भा. १, पृ. ६८). प्र.स./२६५० परि./४५१ ६/१ अज्ञात-कर्तृक १-आदिनाथ विनती ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २५.१४८ से.मि. गाथा २१. असोचि जतिले प्रति लखी. प्र.स./२६५१ परि./७८१०/१२ २.--आदिनाथ स्तवन (शत्रुजयमंडन) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५-६, २५.४४१०.३ से.मि. गाथा २१. प्र.स./२६.५२ परि./३४२६/२ आदीश्वर विनति (योगीवाणी) ले.स . १९७१; हाथकागळ पत्र २; २४.५४१०.९ से.मि. - गाथा २६. प्र.स ./२६५३ परि./४२३९ आदिनाथ स्तवन (शत्रुजयमंडन) ले.स. १७५१; हाथकागळ पत्र ७मु; २५४१०.८ से.मि. गाथा १३ सुधी, अपूर्ण. मुनि वृद्धशेखरे प्रति लखी. प्र.स./२६५४ परि./१२१९/२ आदिजिन स्तवन स्तबक ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ३; २६.२४११.४ से.मि. पद्य ६. उपा. यशोविजयजीनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्रति साणंदमां लखाई. प्र.स./२६५५ परि./६८९२ ऋषभजिन स्तवन ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; १५.५४ १२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२६५६ परि./८६०२/९ १-ऋषभजिन स्तुति ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १२मु; २६.४४५२ से.मि. गाथा ४. पं. लक्ष्मीविजय गणिजे वीसलनगरमा प्रति लखी. प्र.स./२६५७ परि./१०४२/२ २--ऋषभजिन स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.२४१२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२६५८ परि./२०४०/१ ३-ऋषभदेव स्तुति ले.सं. १८०७; हाथकागळ पत्र ४थु; २३.५४९.४ से मि. गाथा ४. मतिविजये पालीताणामां प्रति लखी. 'प्र.सं./२६५९ परि./८३४३/१० Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२४ स्तुति-स्तोत्रादि ऋषभदेव स्तुति ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ७ थी ८, २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. वडीगाममां प. हेमविजयना शिष्य तेजविजय गणिले लखेली प्रति. जीर्ण. प्र.स./२६६० परि./७७१५/१० ऋषभजिन स्तुति (भावनगरमंडन) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु: २२.९४१२.५ से.मि. गाथा १. प्र.स./२६६१ परि./८०२९/३ अजितजिन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४६९; २१.९४७ से.मि. गाथा ५, प्र.स./२६६२ परि./७७७७/८८ १-अजित शांति स्तवन बालावबोध ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५४१०.९ से.मि. नदिषेणमुनिनी मूळ कृति प्राकृतमां छे. प्र.सं./२६६३ परि./५९३८ २--अजितशांति स्तवन बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ६; २५.९४१०.८ से.मि. गाथा ३१ सुधी, अपूर्ण. पंचपाठ. प्र.स./२६६४ परि./५५८६/२ अजितशांति स्तवन बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५४९.३ से.मि. गाथा ४१ ग्रंथान ३००. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२६६५ परि./८९५० अजितशांति स्तवन स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.७४ ११.२ से.मि. पद्य ४२. प्र.सं./२६६६ परि./५२६९ अजितशांति स्तवन-स्तबक (छंदोलक्षणसह) ले स. १६४१; हाथकागळ पत्र १३; २४.४४ १०.१ से.मि. पद्य १७. पुरनमल कायस्थे रणथंभोरगढमां प्रति लखी. प्र.स./२६६७ परि./१९१८ अजितशांति स्तवन स्तबक (छंदोलक्षणसह) ले.सं. १८३९; हाथकागल पत्र ११; २५.२४ १०.९ से.मि. ग्रंथाग्र ३५०. पालीताणामां प्रति लखाई. प्र.सं./२६६८ परि./१९६७ www.jain Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३२५ संभवजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; २१४१०.५ से.मि. गाथा ९. प्र.स./२६६९ परि./७७७५/५ अभिनंदन स्तवन ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र २० थी २१: २५.९४११ से.मि. गाथा ११. प्र.स./२६७० परि./३१८६/९ पद्मप्रभु स्तुति (अकैव) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४थु; २६.५४११.५ से.मि. गाथा १. प्र.स./२६७१ परि./३२९६/६ चंद्रप्रभ स्तवन ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४ थी २५; २४४९.९ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./२६७२ परि./८६०१/२१ चंद्रप्रभु विनती ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९ थी ३०; २४४९.९ से.मि. गाथा १२. प्र.स./२६७३ परि./८६०१/२९ शीतलजिन स्तवन ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र २० थी २१; १३.७४९.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२६७४ परि./८६५७/९ वासुपूज्यजिन (पुण्यप्रकाश) तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५. २४.७४१०.४ से.मि. डाळ ४५ सुधी. पत्र १४मु नथी. प्र.सं./२६७५ परि./६१२१ __ अनंतजिन स्तवन ले.स. १५९४; हाथकागळ १८ थी १९; २५.९४११ से.मि. गाथा २२ प्र.स./२६७६ परि./३१८६/शांतिनाथ विनति (रत्नपुरनगरमंडन) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.७४१०.८ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२६७७ परि./२९७०/२ अरजिन स्तवन ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र पलु; २४.९४१०.५ से.मि. गाथा ८. प्र.स./२.६७८ परि./७३२६/३ अरनाथ थोय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२६७९ परि./५२५२/६ Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि १ - सल्लिजिन स्तवन ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.२४१०.९ से. मि. गाथा ५. प्र.स ं./२६८० ३२६ परि. / २९५०/५ २ - मल्लिनाथ स्तवन ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २५.१४१०.५ से. मि. गाथा ५. प्र.सं./२६८१ परि. / ७३२६/४ मल्लिनाथ केवलज्ञान स्तवन ले. स. ११ मुं शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र २जु २५.१४ १०.५ से.भि. गाथा ७. प्र.सं./२६८२ परि./ ७३२६/५ मल्लिदीक्षा स्तवन ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३जु, २५.२४१००९ से.मि. गाथा ५. प्र.सं./२६८३ परि./२९५०/६ मल्लिनाथ बृहत् स्तवन २. स. १७५६ ले. स. २० शतक ( अनु ); हाथका गळ पत्र ३; २७४१२.३ से.मि. ढाळ ५ प्र.स ं./२६८४ परि./८२७ नभिजिन ज्ञान स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४ २५.२x१०.९ से.मि. गाथा २१. ५.सं./२६८५ परि./२९५०/७ नमिनाथ स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २जु; २४.९x१०.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स ं./२६८६ नेमिजिन स्तवन ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र से मि. गाथा ९. प्र.स ं./२६८७ परि./६४२०/३ जिन स्तवन ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र ५थी ७ १३०७८२ से.मि. गाथा १८. परि./८६५७/५ प्र.स ं./२६८८ नेमिनाथ विनति ले.स. १५६४, हाथकागळ पत्र ३जु २९.७०१००२ से.मि. गाथा थी ११. पत्र १ अने २ नथी कीर्तिसुंदरे प्रति लखी. प्र.सं./२६८९ परि./६८४०/१ नेमिनाथविनती ले.स. १६मु शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २१९मु: २४४९.९ से.मि. गाथा ५ परि./८६०१/१३९ परि./७३२६/७ २जु' ं; २३.७×१०.५ प्र.सं./२६९० Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३२७ नेमिनाथ स्तवन ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु२६.८४१०.८ से.मि. गाथा ६ सुधी. अपूर्ण. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२६९१ परि./३६२९/२ नेमि पंचमी स्तुति-स्तबक ले.स. १८४१; हाथकागळ पत्र १थी २; २४४१०.८ से.मि. गाथा ४. रूपचंदमुनिओ भाभेर-नवावासमा प्रति लखी. प्र.स./२६९२ परि./६५१६ नेमस्तवन ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र २०४, २५.७४११.५ से मि. गाथा ७. ' नायकविजये थीरा गामे प्रति लखी. प्र.स./२६९३ परि./२३६७/३६ नेमिगिन स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ६ट्ठ: २५४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२६९४ परि./६२०५/१८ १-नेमिनाथ स्तुति ले स. १८८६; हाथकागळ पत्र १३९; २६.४४१२ से.मि. गाथा ४ पं. लक्ष्मीविजयगणिजे वीसलनगरमां प्रति लखी. प्र.स./२६९५ परि./१०४२/४ २-नेमिस्तुति ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु: २५.२४१२ मे.मि. गाथा ४. प्र.स./२६९६ परि./२०४०/३ नेमिनाथ स्तुति ले.स . १७३०; हाथकागळ पत्र ८९; २४.७४१०.४ से.मि. गाथा ४. ___ कांतिसौभाग्य गणिो डभोईमां प्रति लखी. प्र.स./२६९७ परि./५९५१/८ नेमिनाथ रागमाला स्तवन ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २३.९४१०.४ से.मि. गाथा १०. प्र.स/२६९८ परि./६३८४/८ नेमीश्वर नमस्कार ले.स. १८६३; हाथकागळ पत्र ५मु; २५.५४११.६ से.मि. गाथा ४. ५. गुलाबसागरे राजनगर(अमदावाद)मा प्रति लखी. प्र.स./२६९९ परि-/८३३९/९ पार्थनाथ थोय (२) ले.स. १८६०; हाथकागळ पत्र १लु, २नु; २४.८४१०.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा ४, ४. __ भाणपुरना दयामागरे महेन्द्रपुरमा प्रति लखी. प्र.स./२७०० परि./३५९५/२, ६ Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२८ स्तुति-स्तोत्रादि १-पार्श्वजिन स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.२४१२ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./२७०१ परि./२०४०/४ २---पार्श्वनाथ स्तुति ले.सं. १८८६; हाथकागळ पत्र १३: २६.४४१२ से.मि. गाथा ४. पं. लक्ष्मीविजयगणिजे वीसलनगरमां प्रति लखी. प्र.सं./२७०२ परि./१०४२/५ पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र १३९; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. ___हेमविजयगणिना शिष्य तेजविजयगणिभे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२७०३ परि./७७१५/२६ पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १७०७; हाथकागळ पत्र ६ळु, २१४१० से.मि. गाथा ५. प्र.सं./२७०४ परि./६५०५/२ पार्श्वनाथ स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५.४४१०.५ से.मि. गाथा ११. प्र.सं /२७०५ परि./१९६३/२ पार्श्व देव विनती ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.८४५१ से.मि. गाथा ४२. प्र.सं./२७०६ परि./३६११ पार्श्वनाथ स्तवन ले.सं. १७२५; हाथकागळ पत्र ८९; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा १२ सुधी, अपूर्ण. परि. ५६१३/१ना अक्षरो प्रस्तुत कृतिना अक्षरोथी जुद्रा छे. अटले लिपिकार जुदा जुदा लागे छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./२७०७ परि./५६१३/२ पार्श्वनाथ स्तवन र.सं. १४०१ ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; १५.५४९.७ से.मि. गाथा ६६. सोमविमलसूरिना धर्मशासन दरम्यानमां विनयप्रमोदगणिना शिष्ये, रमाना पुत्र दोशी मूला माटे प्रति लखी. प्र.सं./२७०८ परि./८६५० पार्श्वनाथ स्तोत्र ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४मुं: २४४९.९ से.मि. गाथा ३० सुधी, अपूर्ण. प्र.सं./२७०९ परि./८६०१/ पार्श्वनाथ स्तोत्र ले.सं. १७०१; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २५.१४८ से.मि. गाथा १० लिपिकार फक्कर. प्र.सं./२७१० परि./७८१०/६ Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन ले. स. १६मु से.मि. गाथा ९. ब्र.सं./२७११ परि०/८६०१/४० १ – पार्श्वनाथ स्तवन (गोडी) ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४ ११.७ से.मि. ढाळ १४. प्र.सं./२७१२ परि. / २०१९ २- पार्श्वनाथ स्तवन ( गाडी ) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ९ २३× १०.९ से.मि ढाळबद्ध. अपूर्ण. प्र.स ं./२७१३ परि./५१७ पार्श्वनाथ स्तवन (विजय चिंतामणि ) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २४.५४११ से.मि. गाथा ३२ सुधी. प्र.स ं./२७१४ परि./३९९० पार्श्वनाथ विनती (जीराउला) ले स. १६ शतक (अनु): हाथका गळ पत्र २१७ : २४४ ९.९ से.मि. गाथा ११. प्र.स ं./२७१५ ३२९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २१९; २४४९.९ परि /८६०१/१३३ पार्श्वनाथ स्तोत्र (जीरावला ) ले.सं. १७०१ : हाथका ५ श्री ६ २५-१४० से.मि. गाथा १०. लिपिकार फक्कर. प्र.सं./२७१६ परि. / ७८१०/८ पार्श्वनाथ स्तवन ( जीरावला ) - बालावबोध ले.स १८ शतक (अनु.; हाथ कागळ पत्र ४ ; २६.५४११.१ से.मि. पद्य १३. जयशेखरसूरिनुं मूळ स्तोत्र संस्कृतमां रचायुं छे. प्र.स ं./२७१७ परि./२४८९ पार्श्वनाथ स्तुति ( नवखडा) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ६ थी ७, २५४१०.५ से.मि गाथा ९ प्र.सं./२७१८ परि./६२०५/१९ पार्श्वनाथ स्तवन ( फलवधि) लै.स. १७ शतक (अनु.) ; हाथकागल पत्र ४थु; २५०३४ १०.२ से.मि. गाथा ८ सुधी. अपूर्ण. प्र.सं./२७१९ परि. / ७८८१/६ पार्श्वनाथ स्तोत्र (शंखेश्वर) ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २१.६ १०.३ से.मि. पद्य ४ वीरविजयनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.सं./२७२० ४२ परि./७७६ Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३० स्तुति-स्तोत्रादि पार्श्वनाथ स्तवन (शंखेश्वर) ले.स. १९मुं खतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ मुं; २५४ १०.९ से. मि. गाथा ३५ सुधी, अपूर्ण. पत्र २२ नथी. प्र.स ं./२७२१ परि./५८६०/१२ पार्श्वनाथ विनती ( स्थंभनक) ले स. १७ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र १३ बी १४; २५.५४१०.५ से.मि. गाथा ३४. प्र.सं./२७२२ परि./८२८५/३६ महावीर द्वात्रिंशिका स्तवन - सस्तबक ले.स. 16 शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४ थी ८; २६.४×११.६ से.मि. गाथा ३३. मूळ रचना संस्कृतमां छे. परि./५६६४/२ प्र.सं./२७२३ महावीर स्तवन ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ३जु; २६४११ से. मि. अपूर्ण प्र.सं./२७२४ परि./३१९३ महावीर स्तवन ले.सं. १८७५; हाथकागळ पत्र ९; २२०२४५२ से.मि. गाथा ६. पद्मविजये विराकानपुर ( ? ) मां प्रति लखी. प्र.सं./२७२५ परि./८०३८/२ महावीर जिन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु ं; २५०८×११.६ ढाळ ५. अहिपुरमा प्रति लखनार लहिया तरभोवन कल्याणदास. परि. १७०० प्र.सं./२७२६ महावीर जिन स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र : २५४१०.५ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./२७२७ परि./६२०५/२१ १- महावीर जिन स्तवन ले. स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४-७X ११ से.मि. ढाळ ६. बीदासर गामे गणेशचंद्रमुनिओ प्रति लखी. प्र.सं./२७२८ परि. / ७५३५/१ २ - महावीर जिन स्तवन ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५४ ११ से.मि. ढाळ ६. रचना अहिपुरमा थई. विनयरुचिमुनिने माटे प्रति लखाई. प्र.सं./२७२९ परि. / ६९८८/१ महावीर स्तवन ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६४; २१-२४६०९ से. मि. गाथा ३. परि./८४८०/२० प्र.सं./२७३० Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि महावीर स्तुति-बालावबोध ले.स. १८मुशतक (अनु.): हाथकागळ पत्र जु: २४.८x १०.६ से.मि. गाथा २१. त्रिपाठ. __ अभयदेवनारसे मूळ स्तुति प्राकृतमां रची. प्र.सं./२७३१ ___ परि./६०८९ महावीर स्तवन-साबक ले.स १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु: २५.२४११.५ से.मि. गाथा ११, थान ५६1. ____ अभयदेवरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. बाई रूपां माटे प्रति लखाई. प्र.स./२७३२ परि/१७३० महावीरजिन स्तुति ले.स. १६९४: हाथकागळ पत्र २जु: २४४१०.८ से.मि. गाथा १. शिष्य विद्याविजय माटे मेघविजय गणिए प्रति लखी. प्र.स./२७३३ परि./६६१६/७ महावीर जिन स्तुति ले.स. १८६३; हाथकागळ पत्र ३जु; २५.५४११.६ से.मि. गाथा । प्र.स./२७३४ परि./८३३९/ महावीर जिन स्तुति ले.स. २०९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २जु: २२.९४१२.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२७३५ परि./८०२९/२ १-महावीरजिन स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.२४१२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२७३६ परि./२०४-५ २-महावीर स्तुति ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १३थी १४, २६.४४१२ से.मि. ५. लक्ष्मीविजयगणिजे वीसलनगरमा प्रति लखी. प्र.स./२७३७ परि./१०४२/ महावीर हमची स्तवन ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.५४३०.२ में मि. गाथा ४७ सुधी. अपूर्ण. प्र.स./२७३८ परि./५९८८ महावीर स्तुति अध्ययन-स्तबक (सूत्रकृतांग-गत) ले.स. १८६०: हाथकागळ पत्र ५मु; २५.२४११.९ से.मि. गाथा २९. ___मूळरचना प्राकृतमां छे. लिपिकार ऋषि रायसी घरध देवचंदजी. प्र.स./२७३९ परि./४८४७ चतुर्वि शतिजिन गुणवर्णनरूप (माहात्म्य)-गद्य, ले.स. १८५५; हाथकागळ पत्र ४७मु'; २१४११.. से.मि. ५. रत्नविजयगणिजे आमोदनगरमां प्रति लखी. प्र.स./२७४० परि./२७३३ Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि चतुर्विंशतिजिन अस्कार स्तुति ले.स. १८नु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४-९४ १०.५ से.भि. गाथा ९. प्र.सं./२७४१ ३३२ परि. / ७३२६/१ चतुर्विंशतिजिन स्तवन (अष्टापद) ले स. १७३०; हाथकागळ पत्र ९थी ११ २४ ७१०.४ से.मि. गाथा २२. कांतिसौभाग्यगणिओ डभोईमां प्रति लखी. परि / ५९५१/१५ प्रसौं / २५४२ चतुर्विंशतिजिन स्तवन ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; १६०८४९.६ से. मि २१ स्तवन सुधी. अपूर्ण. प्र.सं./२७४३ परि./८१९९ चतुर्विंशतिजिन स्तुति ले. स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६८१०.३ से.मि. गाथा २१ सुधी. अपूर्ण. प्र.सं./२७४४ परि./५२१५/२ चतुर्विंशतिजिन स्तुति ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २३-५४१०.५ से.मि. गाथा २७. प्रस / २७४५ परि./५०४०/१ चतुर्विंशतिजिन स्तुति ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६थी १७; २४४९.९ से.मि. गाथा २७. प्र.स ं./२७४६ प्रति लालपुरमां लखाई. परि./८६०६/७ चतुर्विगतिजिन स्तुति- नमस्कार ( २ ) ले.स. १९मु' शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २६११.५ से.मि. अनुक्रमे गाथा २६, २७ अपूर्ण. श्राविका पाना माटे प्रति लखाई. प्र.स. / २७४७ परि./२८०९/१; २ चतुर्विंशतिजिन नमस्कार - अर्थ ले.स. १८१८ : हाथकागळ पत्र जु; २५.५४११ से.मि. श्लोक २६. हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. पं. लब्धिविजये गेरीतामां प्रति लखी. प्र.सं./२७४८ चतुर्विंशतिजिन नमस्कार स्तबक ले.स. १९१८ हाथकागळ पत्र ८ २७• ४४१२०९: से.मि. श्लोक २९. 'सकला ईत्-स्तोत्र' नामे हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां हे. श्रावक जीवराजे अमदावादमां प्रति लखी. प्र.सं./२७४९ परि./९४० परि / ३८१७ Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३३३ चतुर्विशति स्तवन (लोगस्स)-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.३४११.९ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२७५० परि./८०३१ ऋषभाननजिन स्तवन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.२४१० से.मि. गाथा ४. प्र.स./२७५१ परि./५६२०/२ सीमधर स्तवन ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ल; २५.३४१ ०.६ से.मि. गाथा २ सुधी, अपूर्ण. प्र.सं./२७५२ परि./७३१४/२ सीमंधर स्तुति (२) ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र ११ मुं; २२.३४१०.४ से.मि. अनुक्रमे गाथा १, १. हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणि वाडीगाममा प्रति. लखी. प्र.सं./२७५३ परि./७७१५/१६; १७ सीमंधर स्तुति ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र ४थु; २५४१०.५ से.मि. गाथा १. प्र.स./२७५४ परि./३८२४/१५ स्वयंप्रभु जिन स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.). हाथकागळ पत्र २जु; २५.२४१० से.मि. गाथा ६. प्र.स./२७५५ परि./५६२०/३ जिन स्तवन ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गाठ पत्र २८मु ; २५.८४।१.५ से.मि. गाथा १८ सुधी. अपूर्ण, प्र.स./२७५६ परि./२३४०/१७ विहरमाण नमस्कार ले.सं. १५९४ : हाथकागळ पत्र २९; २५.९४११ से.मि. गाथा ९. प्र.स./२७५७ परि./३१८६/११ १-कल्याणमंदिर स्तोत्र-अवचूरि ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी १०; २१.१४११.३ से.मि. ग्रंथाग्र ३५०. सिद्धसेनसूरिनी मूळ रचना संस्कृत मां छे. प्र.सं./२७५८ परि./१३२७/२ २-कल्याणमंदिर स्तोत्र अवचूरि-बालावबोध ले.स. १७मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ७; २६.६४११.५ से.मि. ग्रांथाग्र ३५०. तूटक सिद्धसेनसूरिनी मूळ रचना अने अवचूरि संस्कृत-मां छे. पत्र ६८ नथी. प्र.स./२७५९ વર./૧૬૮૧ Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३४ स्तुति स्तोत्रादि १ - कल्याणमंदिर स्तोत्र - स्तबक ले. सं. १८४१; हाथकागळ पत्र ७ २८.४४१३.२ से.सि. पद्य ४४. प्रमं / २७६० भाभरगामे मुनि सुमतिविजये प्रति लखी. २ -- कल्याणमंदिर स्तोत्र - बालावबाध ले. सं. १७७२. ११४ से. मि. गाथा ४४ ग्रंथाग्र ३०३३. काळुपुरमा आणंद विजये प्रति लखी. प्र. स. / २७६१ परि./३०५६ कल्याणमंदिर स्तोत्र - बालावबोध ले.स. १६ मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २७मु; २५.८४१०.८ से.मि. पद्य ४४. प्र.सं./२७६२ परि./५५३९ कल्याणमंदिर स्तोत्र-स्तबक ले.सं. १७२०; हाथकागळ पत्र ; २६-१४११ से.मि. पद्य ४४. रिणी गामे जिनहर्षमुनिओ प्रति लखी. प्र. स. / २७६३ परि./५५८२ कल्याणमंदिर स्तोत्र - स्तबक ले.स. १७मुळे शतक ( अनु ) हाथकागळ पत्र १९ थी २५; २४.८४११ से.मि. गाथा ४४. प्र.सं./२७६४ परि. / ४०५०/२ कल्याणमंदिर स्तोत्र - स्तबक लेस १९मुळे शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८ २६४१०.८ से. मि. गाथा ४४. भावविजये प्रति लखी. प्र.सं./२७६५ जयतिहुयण स्तवन - बालावबोध ले.स. २० २१५; १५.२x२९ से.मि. परि०/२८७ हाथ कागल पत्र १३ मुं; २५०७४ प्र.सं./२७६६ जयतिहुयण स्तवन - बालावबोध लेस. १७मु २६-८४१०.९ से. मि. गाथा ३० अभयदेवसूरिनुं मूळ स्तोत्र अपभ्रंशमां छे. प्र. स. / २७६८ परि. / २२८० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०९ थी ५. सं / २७६ ७ परि./५२८१ जयतिहुयण स्तोत्र - बालावबोध ले. स, १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५४ १००९ से मि गाथा ३०. परि. / २४०२ परि. / ७९९६/१६ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ११ मु Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि जयतिहुयण स्तोत्र-बालावबोध ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २५.२४११.१ से.मि. गाथा ३०. प्र.स./२७६९ परि./६२००/१ जयतिहुयण स्तोत्र-स्तबक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ थी ३०; प्र.स./२७७० परि./४०५०/३ जिन स्तुति ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र १५मु; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा ४. हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिभे वाडी गामे लखेली आ प्रति जीर्ण छे. प्र.स २७७१ परि./७७१५/२५ जिनस्तुति ले.स. १६मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १७मु; २४४९.९ से.मि. गाथा १. प्र.स./२७७२ परि./८६०१/८ जिन स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु'; २५४१ ०.२ से.मि. गाथा ४ प्र.स./२७७३ परि./५२५२/९ जिन स्तुति ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २२.८४९.९ से.मि. गाथा ४ प्रस./२७७४ परि./७६६५/१ जिनेश्वर बिरदावली ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.२४१०.५ से.मि. बिरुद २. प्र.स./२७७५ परि./४४८८/१ जिन स्तवन (निंदास्तुतिरूप) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु, २४.७x १०.८ से.मि. गाथा 1५. प्र.स./२७५६ परि./२६५० तिजग्रपहुत्त स्तोत्र-स्तबक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३०९; २४.८४ ११ से मि. गाथा ५ सुधी. अपूर्ण. प्र.स./05७७ परि./४०५०/४ भक्तामर स्तोत्र अवचूरि (वार्तिकरूपावचूरि) ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५, २९.१४११.३ से.मि. थान ३५०. मानतुंगसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.स./२७७८ परि./१३२७/१ भक्तामर स्तोत्र-बालावबोध ले. सं. १७४८; हाथकागल पत्र १ थी १०; २५.८४११.१ से.मि. गाथा ४४. मतिवर्धने गोधरामा प्रति लखी. प्र.सं./२७७९ परि./२९२२/१ Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३६ १ - भक्तामर स्तोत्र - बालावबोध २५.१४१०.४ से.मि. गाथा ४४ ग्रंथाग्र २२५. प्रति नवानगरमा लखाई . प्र.सं./२७८० स्तुति स्तोत्रादि .स १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ११ ; परि. / ३५९८ २–भक्तामर स्तोत्र–स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु ं; २६.१४ ११ से. मि. गाथा ४४. प्र.सं./२७८० परि./३३४१ भक्तामर स्तोत्र - बालावबोध ले.सं. १८२३; हाथकागळ पत्र १०; २५-५४११-२ से.ि पद्य ४८. ऋषि बालचंदजीओ प्रति लखी. प्र.स ं./२७८२ परि. / ५२७१ भक्तामर स्तोत्र - बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ मु; २४.४४ ११.२ से.मि. गाथा ४४. प्र.स ं./२७८३ परि. / ४९२८ भक्तामर स्तोत्र - बालावबोध ले.सं. १८१०; हाथकागळ पत्र १६मु; २३.९x१००९ से.मि. पत्र ६ बेवडायुं छे. परि. / ६५२२ प्र.सं./२७८४ भावारिवारण स्तोत्र - बालावबोध ले.स. १९०८; हाथका गळ पत्र १०; २५-१४११.६ से.मि. गाथा ३०. जिनवल्लभ गणिनुं मूळ स्तोत्र संस्कृतमां छे. टांडगामे प्रति लखनार शोभाराम. परि. / ४८८५ प्र.सं./२७८५ महादेव स्तोत्र स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३; २४.६४१ ०.८ से.मि. पद्य ४४. हेमचंद्रसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.सं./२७८६ परि. / ३७३९ शोभन स्तुति - स्तबक ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २६४११.२ से.मि. शोभनमुनिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.सं./२७८७ परि. / ३२४४ शोभन स्तुति चतुर्विंशतिका - स्तबक ले.स. १८२०; हाथकागल पत्र १२ मु; २७ ९x१२.५ से.मि. पद्य ९६. अंबालानगरमा प्रति लखनार जैसिंघ. प्र.सं./२७८८ परि. / ३०७ Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३३७ २६०२x११.६ से.मि. लोक २८ सकलार्हत् स्तोत्र - स्तबक ले. सं. १६६२; हाथकागळ पत्र ६ हेमचंद्रसूरिनुं मूळ स्तोत्र संस्कृतमां छे. वा. प्रेमसुंदरनी लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./२७८९ परि./ १७९४ संसारदावा स्तुति - स्तबक ले. सं. १८४१; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४९१०.८ से.मि. गाथा ४. हरिभद्रसूरिनी मूळ स्तुति संस्कृतमां छे, भाभेर नवावासमां रूपचंद मुनिभे प्रति लखो. परि. / ६५१६ / ३ प्र.सं./२७९० स्नातस्या स्तुति अवचूरि-स्‍ - स्तबक ले. स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.४४१०-५ से.मि. बालचंद्रसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.सं./२७९१ परि./६३१७ स्नातस्या स्तुति स्तबक ले. सं. १८४१ हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४४१०.८ से.मि. गाथा ४. रूपचंदमुनिओ भाभेर नवावासमां प्रति लखी. प्र.सं./२७९२ परि./६५१६/२ सामान्यजिन स्तुति ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४धुं; २५×१०.२ से.मि. गाथा ४. परि./५२५२/१२ गणधर स्तुति ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २४.७४११.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स ं./२७९३ परि./६७६३/६ गौतम स्वामी स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २५,७४१२.५ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./२७९५ प्र.सं./२७९४ परि ! ८३८७/७ गौतम स्तोत्र ले.स. १८८३; हाथकागळ पत्र ७मुं; २४.५X११.५ से.मि. गाथा ५. पं. मुक्तिविजये प्रति लखी.. परि./८३२०/२ प्र.स ं./२७९६ पुंडरीक स्तुति ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; २५.२ १०.९ से.मि. गाथा ४. परि./२९५०/७ प्र.स ं./२७९७ ४३ Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीर्थस्तुति अष्टापद स्तुति ले.सं. १७३०; हाथकागल पत्र मुं; २४.७४१०.४ से.मि. गाथा ४. कांतिसौभाग्य गणिभे डभोईमां प्रति लखी. प्र.सं./२७९८ परि.५९५१/७ गिरनारकल्प-स्तबक ले.सं. १७४२; हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.७ से.मि गाथा २३. प्रेमकुशलाणिमे प्रति लखी. प्र.स./२७९९ परि./२२४९ जैनतीर्थ नाम स्तुति. ले.सं. १६२५; हाथकागळ- पत्र ९मुं; २६.७४।०.६ से.मि. प्र.सं./२८०० परि./५९७३/२ तीर्थनमस्कार ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; २४.५४११ से.मि. पद्य . प्र.स./२८०१ परि./६१३९/१० तीर्थवंदन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २७.४४१२.५ से.मि. पद्य १५. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./२८०२ परि./९५२/४ प्रेमाभाई शेठना सिद्धाचलसंघर्नु वर्णन स्तवन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २७४१२.१ से मि. प्र.स./२८०३ . परि./३७६ शत्रुजयनी थोय ले.स. १८६०: हाथकागळ पत्र २जु'; ०५.३४१०.६ से.मि. पद्य ४. माणपुरना दयासागरे महेन्द्रपुरमा प्रति लखी. प्र.स./२८०४ परि./३५९५/५ शत्रुजय स्तधन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु: २६.४४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./२८०५ परि./२८०९/३ शQजयकल्प-स्तबक ले.मं. १९२३: हाथकागळ पत्र ५; २६.३४१२.४ से.मि. गाथा २५ ग्रंथाग्र ७५. हरिभद्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. खेमचंदे राजनगर (अमदावाद)मां प्रति लखी प्र.सं./२८०६ परि./८३८८ १-सजयकाप-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाधकागळ पत्र ५, २४.९x११.१ से.मि. गाथा ३९. धर्मघोषसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. पत्र पांच, पाछळथी लखेलुं छे. प्र.सं./२८०७ परि./४०१४ Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति स्तोत्रादि २ -- शत्रुंजय कल्प- स्तबक ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६४११.३ से भि. गाथा ३. प्र.सं./२८०८ परि. / ६७६१ शत्रुंजय महात्म्य बालावबोध ले.सं. १९०१ हाथकागळ पत्र ५२१ २७४१२ से.मि. ग्रंथाग्र १२०००, तूटक प्र.सं./२८०९ प्रकीर्ण अमृत ध्वनि (धून) ले.स. १७८६ हाथकागल पत्र ४; २५०५४११.३ से.मि. राणकपुरमा पं लावण्यशीले प्रति लखी. (प्रतिनुं प्रथम पत्र नथी. ) मूळ रचना धनेश्वरसूरिनी छे प्रति पालीताणामां लखेली के पत्र २४३मुं नथी. परि./९२३ प्र.स ं./२८१० परि. / ३.३५५/२ अष्टमी स्तवन ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २९मुं; २५४१०.९ से.मि. गाथा १० श्री २३ तूटक. पत्र २६, २७, २८ नथी. प्र.सं./२८११ अष्टमी स्तुति ले.सं. १८४९; हाथकागळ पत्र १५ हेमविजयना शिष्य तेजविजयगणिले लखेली प्रति जीर्ण. प्र.सं./२८१२ अंबिका स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र से. मि. गाथा ४. ३३९ प्र.सं./ २८१३ परि./५८६०/२१ २२-३४१००४ से. मि. गाथा ४. परि. / ३८२४/७ आराधना स्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.८४१०.४ से.मि. गाथा २९. लेखन स्थळ पाटण. परि. / ७७१५/२४ २ थी ३: २५४१०.५ प्र.सं./ २८१४ परि. / ४९१९ आराधना स्तवन ले. सं. १८१०; हाथकागळ पत्र ४ २४०५x१००३ से.मि. गाथा ९६. मुनि प्रताप विजये देसुरीनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./ २८१५ परि. / ८३०८ अकादशीनी स्तुति ले स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पुत्र २ २५.२x१००९ से.मि. गाथा ८. प्र.स ं./२८१६ परि./१९५०/३ Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४० स्तुति-स्तोत्रादि . अकादशो नमस्कार (मौन) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४१०.९ से.मि. गाथा ६. प्र.स./२८१७ परि./२९५०/२ . कवलाभास अध्यात्मोपयोगिनी स्तुति-स्तबक ले.सं. १७९६; हाथकागळ पत्र २; २३४९.७ से.मि. गाथा ४. मूळ रचना पण गुजराती छे. प्र.सं./२८१८ परि./६५१८/१ चंडी स्तोत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.६४५१ से.मि. गाथा ८ प्र.स./२८१९ परि./१७५४/२ चोत्रीस अतिशय विनति ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८९ थी १९०; २४४९.९ से.मि. गाथा २१.. प्र.स./२८२० परि./८६०१/१२४ चोसठ जोगणीनु र तोत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १२९; २५४११.५ से.मि. गाथा १०. प्र.स./२८२१ परि./२५१८/१५ १-जिन कल्याणक स्तवन ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३जु; २५.८४ १०.५ से.मि. गाथा ४८. प्र.सं./२८२२ परि./३०७४ २-जिन कल्याणक स्तवन ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.८x - १०.५ से.मि. गाथा ४८. प्र.सं./२८२३ परि./४२४७ जिनभद्रसूरि गुर्वाष्टक ले.स. १६मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २७.२४११०२ से.मि. पद्य ९ तूटक. पत्र १ नथी. प्र.स./२८२४ - परि./८२५८ त्रिपुरा स्तोत्र-भाष्य ले.स. १६०९; हाथकागळ पत्र ६; २६.२४११.२ से.मि. पद्य २१ लघु पंडितनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. मंगलमाणिक्य पंडिते कालियाना गामे प्रति लखी. प्र.स./२८२५ परि./२९२१ 3. त्रिभुवनबिंब संख्या स्तवन ले.सं. १५६९; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २५.१x१०.१ से.मि. - देवसुंदरसुरिना शिष्य कीर्तिसुंदरे प्रति लखी. प्र.स./२०२६ परि./४५६२/१ Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३४१ दीपालीका कल्प-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु. ; हाथकागळ पत्र ५०; २८.३४१३ से.मि. गाथा ४३६ ग्रंथाग्र ५७५. जिनसुंदरसूरिनो मूळ कल्प संस्कृतमां छे. (२.सं. १४८३.) छेल्लं पत्र नवु लखेलुं छे. प्र.स./२८२७ परि/७२६१ दीपालीका कल्प-स्तबक ले.स. १८३६: हाथकागळ पत्र १५; २६.९४११.५ से.मि. ३.स. २८२८ परि./५५४८ दीवाळी कल्प-बालावबोध ले सं. १७७७; हाथकागळ पत्र २२९; २५४११ से.मि. प्रतिमां मूळनो र.सं. १३८३ आपेलो छ जे खोटो छे. मूळना कर्ता जिनसुंदरसरि १५मा शतकना छे (जै. सा. इति. पृ. ४६८-फकरो ६८५). प्र.स./२८२९ परि./५८६२ नवकार बालावबोध ले.स. १६७४; हाथकागळ पत्र ६; २५.५४१०.७ से.मि. कृष्णपुरमा प्रति लखाई. प्र.स./२८३० - परि./५४५७ नवकार स्तुति ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ११मु; २२.३४१०.४ से.मि. गाथा १. हेमविजय गणिना शिष्य तेजविजय गणिए वाडीगामे प्रति लखी. प्र.स./०८३१ परि./७७१५/१८ नवस्मरण स्तोत्र-स्तबक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४५: २५.९४११.१ से.मि. प्र.सं./२८३२ परि./२५६५ नंदीश्वरद्वोप स्तवन ले.म. १७१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २५.४४ २०.३ से.मि. गाथा ५१ सुधी. अपूर्ण. प्र.सं./२८३३ परि./३४२६/४ नंदीश्वर स्तुति ले.सं. १७३०, हाथकागळ पत्र ८९; २४.७४१८.४ से.मि. गाथा ५. कांतिसौभाग्यगणिले प्रति लखी. प्र.स./२८३४ परि./५९५१/९ १-परमानंद स्तोत्र-स्तबक ले.सं. १९६२; हाथकागळ पत्र ४थु; २६.३४१२.५ से.मि. गाथा २५. ___ शाह पोपट खीमचंदे प्रति लखी... प्रसं.२८३५ . परि./७३२९ २-परमानंद स्तोत्र-स्तबक ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २५.७४११.३ से.मि. ग्रंथाग्र १००. प्र.स.२८३६ परि./५७२८/१ Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४२ स्तुति-स्तोत्रादि ३-परमानंद स्तोत्र-स्तबक ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४११.२ से.मि. पद्य २५. ग्रथाग्र १४१. प्र.सं./२८३७ परि./१९१७ ४-परमानंद स्तोत्र-स्तबक ले सं. १८८८; हाथकागळ पत्र६; २८.१४१२.२ से.मि. गाथा २५. प्रथान १००. प्रति राधिकापुरमा लखाई. प्र.सं./२८३८ परि./१५१५ पंच परमेष्ठि स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३मु; १२४२१ से.मि. गाथा ३. प्र.स./२८३९ परि./२७४२३ पंच परमेष्ठि स्तवन-स्तबक ले स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३, २५.१४ ११.६ से.मि. गाथा ३५. मानतुंगसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. प्र.स./२८४० परि/७९७० पंचमी स्तवन ले.स. १६७५, हाथकागळ पत्र ५९; २४.५४१०.२ से.मि. गाथा १५. • दांतीवाडामां मेघविजये प्रति लखी. प्र.स./२८४१ परि./६११५/६ ___पंचमी स्तुति ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र मु; २४.७४१०.४ से.मि. गाथा ४. कांतिसौभाग्य गणिो डभोईमां प्रति लखी. प्र.स./२८४२ परि./५९५१/१० पंचमी स्तुति ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र ५मु; २३.५४९.४ से.मि. गाथा ४. मुनि मतिविजये पालीताणामां प्रति लखी. प्र.स./२८१३ परि./.३४३/१२ पंचमी स्तुति ले.स. १९मु. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २३४१०.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./२८४४ परि./८५९९/१७ बृहत्शांति स्तोत्र-स्तबक ले.स. १७मु शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र १७वी १९; २४ ८x११ से.मि. तूटक. वादिवेताल शांतिसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. पत्रो १ थी १६ नथी. प्र.स./२८४५ परि./४०५०/१ १-भयहरस्तोत्र-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.७४१०.९ से.मि. गाथा २३. प्र.स./२८४६ परि./६३५२ Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वति-स्तीवादि २-भयहर स्तोत्र-(नमिऊण) स्तबक ले.स. १७मु. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४१०.१ से.मि. गाथा २३. मानतुंगसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. प्र.स./२८४७ परि./५५६६ भयहरस्तोत्र (नमिऊण) बालावबोध ले.स. १ मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ९थी १३; २५.२४११.१ से मि. गाथा २... प्र.स./२८४८ परि./६२००/२ भारती स्तुति-बालाच बोध ले.स. २८मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ८; १७.४४१०.४ से.मि पद्य ८. ___ बप्पभट्रिसूरिनी मूळ कृति संस्कृतमां छे. प्र.स./२८४९ परि./८२१६ रोहिणी नमस्कार स्तुति ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २४.२४१० से.मि. गाथा ४+१. प्र.स./२८५० परि./४७४०/२ रोहिणी स्तुति ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र (७मु; २४.७x१०.४ से.मि. गाथा ४. ___ डभेईमां कांतिसौभाग्यगणिजे प्रति लखी. प्र.स./२८५१ परि./५९५१/५ विधाताष्टक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५४११ से.मि. पद्य १० प्र.स./२८५२ परि./७६३३/१ वीस स्थानक स्तवन ले स. १६९०; हाथकागळ पत्र १; २५x10.५ से.मि. गाथा ५. प्र.स./२८५३ परि./७३१८. वीस स्थानक स्तुति ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र ७यी ८; २४.७४१८.४ से.मि. पद्य १. ___ डभोईमां कांतिसौभाग्य गणिले प्रति लखी. प्र.स'./२८५४ परि./५९५१/८ शांति-भक्तामर स्तोत्र-स्तबक (भक्तामर पादपूर्तिरूप) ले.सं. १९१२; हाथकागळ पत्र १४; २५.३४११ से.मि. १द्य ४५. उपा. विनयसागरनी मूळ रचना प्राकृतमां के कोअयमा मुनि देवसामरे प्रति लबी. प्र.स./२८५५ परि./१२५३६ शनिदेवना छंद ले.स. १९१८; हाथकामळ पत्र ४४ थी ५५; २५.९x१२.१ से.मि. गोरजी श्यामजीले भोग्यत्राम प्रति लखी. प्र.सं./२८५६ परि./२२३४/१३ Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४४ स्तुति स्तोत्रादि शनिश्चरनेा छंद-मंत्र सह ले.सं. १९१८; हाथकागळे पत्र १८ थी १९; २५०७×१२ से.मि. गोरजी श्यामजीओ भोय्यत्रामां प्रति लखी. परि./२२३४/१७ शाश्वताशाश्वतजिन बिंब नमस्कार ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु : २५-२×१०.५ से.मि. प्र.सं./२८५७ प्र.सं./२८५८ परि./५३३९ शाश्वत जन संख्या प्रकरण - स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५. ९x१००९ से.मि. गाथा २६. देवेन्द्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. पाटणमां पं. दयाविजये प्रति लखी. परि./५९२१ प्र.सं./२८५९ श्रुतस्तवन ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २५० १४१२ से.मि. अपूर्ण. परि. / ८३८६/२ प्र.सं./२८६० सप्तस्मरण - स्तबक ले. सं. १९०९; हाथकागळ पत्र २४; २६.६×११.५ से.मि. द्विपाठ. मूळ रचना संस्कृत अने प्राकृतमां छे. भक्तिविजये जामपुरमां प्रति लखी. मूळनी प्रति पालणपुरमां महात्मा भोजाजीओ वि.सं. १८५३मां लखी. प्र.स ं./२८६१ परि. / ७०४४ संप्तस्मरण स्तोत्र स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी ३८; २५.२४१०.८ से.मि. तूटक. प्र.स./२८६२ परि०/६११२/२ सप्तस्मरण - स्तबक ले. स. १८ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४०; २५.५४११.३ से. मि. प्रथाय ९००. प्र.स ं./२८६३ परि. / ४८३० समवसरण पत्र स्तवन- बालावबोध ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ २६-२०१२ से.मि. गाथा २४. त्रिपाठ देवेन्द्रसूरिनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. परि. / २३५० प्र.स./२८६४ सम्यक्त्व स्तोत्र - बालावबोध (अथवा सम्यकूत्व पचीसी) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१, २६.५x११.६ से.मि. गाथा १६ सुधी. अपूर्ण. प्र.सं./ २८६५ परि. / ३१७३ ११; Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्तुति-स्तोत्रादि ३४५ १-साधुवंदना ले.स. १५९२; हाथकागळ पत्र १३, २४.५४११ से.मि. गाथा २४८ प्र.स /२८६६ परि./२५७७ २-साधुवंदना ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २५४१० से.मि. गाथा २४८. तपगच्छना पंन्यास नेमकुशलगणि अने पं. सगननी पासेथी आ प्रति बळी छे." 9.स./२८६७ . . ...... परि./४१९९ ३-साघुवंदना ले.स. १७मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ; '२२.२४१7 से.मि. अपूर्ण प्र.स./२८६८ . .. ..परि./७६९५ ४-साधुवंदना ले.स. १८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४४१०.५ से.नि. गाथा २४९ पं. विजयसमद्रना शिष्य मुनि हेमसमुद्रसूरि प्रति लखी. ' प्र.स.२८६९ परि./३९५८ सिद्धचक्र स्तवन ले स २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.४९.९ से.मि. गाथा ५. प्रति जी . . प्र.स/२८७० ....परि./८८ ८/८ सिद्धचक्र स्तुति ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथव गठ पत्र ८ थी ९; २६.:४१२१ से.मि. गाथा ११. प्र.म./२८७१ परि./७८ :७/१० सिद्धस्तुति ले.स. १९मु. शतक (अनु.), हाथवागळ : ५त्र ३जु; ९७.२४ १२ से.मि. गाथा १३. प्रतिनु पत्र ४) नथी. प्र.सं./२८७२ परि./३२७/५ १-सुखडीमी थोय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९म'; २४.७४११. मे.मि. गाथा ४. प्र.स./२ ८७३ परि./७१५९/८ २-सुखडीनी स्तुति ले.स. १८६३; हाथकागळ पत्र मु: २५५४११.६ से.मि. गाथा ४. गुलाबसागरगणिए राजनगर (अमदाबाद) प्रति लखी.. प्र.स./२८७४ परि./८३३९/८ Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत - पद आनंदघन (लाभानंद) आध्यात्मिक गीत ले.स १७३४; हाथकागळ पत्र लुं; २४.३४.१ से.मि. पद्य-६. . कर्ता-प्रसिद्ध पदकार अने आध्यात्मिक संत. सपय अढारमी सदी (जे. गृ. क. भा. २, पृ. १. भा. ३, खं. ., पृ. ११००). प्र.स. २८७५ पनि./४४०११ आध्यात्मिक पदो (६) ले.स. २०९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २७.१४ १३ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५, ", ४, ४, ४, ६. प्रस./२८७६ परि ३९५/- ८, १२ १६, १८, २० आध्यात्मिक गीत-पद (१७) ले.स. ..मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, ४ थी ५, ९, १४, १५, १८, २०, ३३, ३५, ३६. ५ऽथी ५८, ५९थी ६०, ६ थी ६७, ६८. ७० थी ७१, ७४ थी ७५: २४.२४i०.८ से.मि. अनुक्रमे गाथा ४, ५, ३, ४, ४, ३, ३, ५, ४, ४, ५, १, ४, ३, ३, ४, ५. प्रथम बे पत्रों नथी. प्रस./२८७७ परि./.".८६/१, ५. १३, २४, २५, ३१, ३९, ६३, ६०, ६८, १८५ १०९, ११०, १२२, १२५, १३०, १३७. आध्यात्मिक पदो (1७) ले.स . १८५७; हाथकागळ पत्र १, २, ५, ६, ७, ८, ११, १२, १३, १४; २६.५४11., से मि. अनुक्रमे गाथा १, ३, ४, ४, ४, ५, ५, ३, ४, ३, ४, ४, ३, ५, ५, :, ८. पादरामां मुनि जयविजये प्रति लखी. प्र.स./२८७८ परि./ ६/", 11, २३, ३०, ३१, ३६, ३५, ४५, ४९, ५३, ५६, ५८, ५९, ६१, ६३, ६४, ६६ आध्यात्मिक पद ले.स. २० मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३५मु; १०.७४१७ से.मि. प्र.सं./२८७९ परि./८६४५/१९ आनदवर्धन (ख) आध्यात्मिक पद ले स. १७३७; हाथकागळ पत्र १८९; २१.५४११.८ से.मि. ___कर्ता-खरतर गच्छना धनवर्धनना शिष्य छे. वि.स. १६०८ नी अमनी रचेली कृति नेांधायेली छे. (जै. गू क. भा. ३, खं. १, पृ. १०००). प्रस./२८८० परि./२७३८/२ Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पई ३४७ ईश्वर बारोट १-हरिरस ले.स. १९ मु शतक (अनु.); हाथवागळ पत्र १थी ९; २२.२४११ से.मि. पद्य १७१ ___ कर्ता-नेतर कवि परिचय अज्ञात. प्र.स./२८८१ परि./७७४५/१ २- हरिरस ले.सं. १८५४; हाथकागळ पत्र १ थी ५; २५.८x१.८ से.मि. पद्य १९१ तूटक. प्रथम पत्र नथी. धमकडानगरमा विनयसागरे प्रति लखी. प्र.स./२८८२ परि./२०५८/१ उदयरत्नगणि (त.) आत्मानी शिक्षा ले.स. १८मु शतक (अनु.); हायाग पत्र ३जु: २६.५४११.४ से.मि. पद्य ७. कर्ता-तपगच्छना विजयरत्नसूरिनी परंपरामां शिवरत्नना शिष्य छे. वि.सं. १७४९नी अमनी रचेली कृति नेांधायेली छे. (जै. गू क. भा. २, पृ. ३८६). प्र.स./२८८३ परि./३२००२ आध्यात्मिक पद ले स. १'मुक्तक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२९; २५.७४12 से.मि. पद्य ६. लिपिकार ऋषि विजयचंदजी. प्र.स.२८८४ परि./१८६९/१० करसन व्याजनुं गीत ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथका गठ पत्र ३थी ५; २४.1४१.८ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२८८५ परि./२०७३ कवियण लुंकटमतगीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १; २६.६४११३ से.मि. कर्ता-वि.स. १६५२ पहेला ना. हीरविजयसूरिना समकालीन (जे. गु. क. भा. १ पृ. १५९). प्र.स./२८८६ परि/२३२८ चिदानंद (कपूरचंदजी) (ख) आध्यात्मिक पद (५) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थो ५; २७.१४ १३ से.मि. अनुक्रमे ५, ४, ३, ७. कर्ता-खरतरगच्छनी परंपरामा वि. २०मी सदीना आरंभमां थया (जै. गू, क, भा ३. खं. २ पृ. ३३८). प्र.स./२८८७ परि./३९५/२३, २६, २८, २९ Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३४८ जयकीर्ति (अं.) वैराग्य गीत ले.स. १८मुळे शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १, २५.५X१९ से. मि. गाथा ५. कर्ता—अंचलगच्छमां वि.सं । ५१२ पहेलां थया. (जै. सा. इति., पृ. ५१४ १५, परि./२३१३/७ फकरो. ७५०). .स./२८८८ जयमंगल (सं.) जीवपोपट गीत ले सं. १५९४; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २६.५४११०२ से.सि. पद्य ६. कर्ता - संडेरगच्छना त्रादिदेवसूरि > रामचंद्रसूरिना शिष्य ओमनी वि.सं. १३१९मां रचेली कृति नेांधायेली छे. (जै. सा. इति., पृ. ४१२, फकरो प्र.सं./२८८. ५९२ ). जयवंत सूरि (त.) अंतरंगगीत ले.स. १७.मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ कर्ता — बहुतपगच्छना विनय मंडलना शिष्य छे. समय वि. ४५. भा. १,१.१९३.) प्र.स ं./२८९० गीत - पर्द परि. / ३१४०/८ परि./३०६७/१६ कर्णेन्द्रिय गीत ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २३०५x१००३ से.मि पद्य ८. प्र.सं./२८९१ २६४११ से.मि. पद्य १७ मी सदी (जै. गू. क. परि/६२९२/४५ कर्णेन्द्रियपरकश हरिणगीत ले.स. १० शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २जु ं; २६×१०.५ से. जि. प ७. प्र.स ं./२८९२ परि./३५५८/४ घ्राणेन्द्रिय गीत ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २३.५४।००३ से.मि. पद्य ८, प्र.स ं./२.८९३ परि./६२९२/४७ नेत्रप पतंग गोत ले. स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६४१०.५ से. मि. पद्य ७. प्र.सं./२८९४ परि./ ३५५८/५ पंचेन्द्रिय गीत ले.स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ५ २३.५×१०•३ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./२८९५ परि./६१९२/४९ मनभमरागीत ले.स. १७ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १३ थी १४, २६×११ से.मि. १द्य १०. प्र.सं २८९६ परि / ३०६७/६४ Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत- पर वैराग्य गीत ( ८ ) ले. स. १६मु शतक (अनु.); २७४ ११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ४, ७, ५, ४, प्र.सं./२८९७ t ३४९ हाथका गळ पत्र ५, ९, १२, १३, १५, १०, ३, ३, ३. परि. / ३०६७ /१७, १८, ३९, ४१, ५७, ५९, ६९, ७० स्पर्शेन्द्रिय गीत लेस. १८मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५ : २३-५४१०.३ से.मि. पद्य ८. परि./६२९२/१८ प्र. / २८९८ -जयसागर (ख.) कल्याणमंदिर स्तोत्र गीत ले.नं. १७५१; हाथकागळ पत्र १थी ६ २६.४४११.३ से.मि. पद्य ४४ कर्ता - खरतरगच्छना ( दी. गु. जिनराजसूरि अने विद्या.गु. जिनवर्धनसूरिना शिष्य !. समय वि. १५मी सदी (जै. सा. इति पृ. ४७५ फकरो ६९५ ). नटीप (नडीयाद) गामे मुनि लालसागरे प्रति लखी. प्र. सं. / २८९९ जयसोम (ख.) गुरुगीतले. स. १० शतक (अनु.); हाथका पत्र २जु; २५.५x१०.८ से.मि. पद्य ४ कर्ता — खरतरगच्छना प्रमोदमाणिक्यना शिष्य छे समय वि. १७ मी सही (जे. गू. क. भा. १, पृ. १९३). प्र.सौं / २९०० . परि. / ७२९४/१ परि./५७९२/३ गीत (हरियाली) ले. सं. १७६६ हाथकांगळ पत्र ११ १२ २५.७११.४ से.मि. ५द्य ९. प्र. सं. / २९०१ परि ३५६९/१२ जिन रंगसूरि (ख.) काया - जीवगीत ले.स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ३१ २१.७७.३. से. मि. पद्य ७. कर्ता - खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां जिनराजसूरिना शिष्य समय वि. १८ मी सदी. (जै. गू. क. भा. ३, खं २, पृ. १२७७). प्र.सं./२९०२ परि /८४८०/९ जिनहर्ष (ख.) दशवेकालिकसूत्रां गीतो - २. सं. १७३७; ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ७; २६ ३४११०२ से.मि. पद्य २०८. कर्ता - खरतरगच्छना गुणवर्धन उपा. नी परंपरामां शांतिहर्षना शिष्य. वि. १७०४नी तेमनी रचना नांघायेली छे. (जै. गू क. भा. ३, खं. २, पृ. ११४४). प्रति जीर्ण. प्र.स ं./२९०३ • परि. / ८८२२ Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत- पद परनारी परिहार शीख गीत ले.स. १७४७; हाथकागळ पत्र २०; २१४११.८ से. मि. पद्य १२. प्र.सं./२९०४ परि. / २७५२/६ ३५० ज्ञानउद्योत (त. ) सिद्धाचलं गीत ले.स १८ शतक (अनु.) : हाथका गळ पद्य २९ २१.७×१०.४ से मि. पद्य ५ कर्ता -- तपगच्छना ज्ञानसागरना शिष्य छे. समय वि. १८-१९मी सदीना संधिकाळ (जै. गु. क. भा. ३, नं. १, पृ. ३२० ). प्र.सं./२९०५ ज्ञानसोम (त. ) गुरुगीत ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५०५४११ से. मि. पद्य ५. कर्ता - तपगच्छनी परंपरामां हेमजिनना शिष्य. परि./८२८२/२ परि./७७७७/४६ प्र. स / २९०६ दयाशील (अ.) अतरंग कुटुंबगीत ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २३.८x१०.८ से.मि. पद्य १२. कर्ता - अचलगच्छ मा विजयशीलना शिष्य. तेमनी वि.सं. १६६४मां रचेली कृति नांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ९०२). प्र.सं./२९०७ ५.र./६३७९/२ गीतमास संग्रह ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ७; २६.३११ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स ं./२९०८ परि. / ३९८० दानविजय ( त . ) गुरु गीत लेस. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ५मुं; २६४११.५ से.मि. पद्य ५. कर्ता -- तपगच्छना तेजविजयना शिष्य छे. तेमनी वि.सं. १७६१नी रचना नांधायेली छे. (जै. गृ. क. भा. २, पृ. ४५५). प्र. स. / २९०९ परि./३५४३/२३ दीप विजय (त. ) पंचकल्याणकना वधावा ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ २५.७१२.२ से.मि. कर्ता -- तपगच्छना प्रेमविजय अने रत्नविजयना शिष्य छे. वि.सं. १८५९नी अमनी रचेली कृति नांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १९९). प्र.स ं./२९१० परि./२३५३ Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद देवचंद (ख.) आत्मशिक्षा गीत ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२ थी ४३; २४.२x १०.८ से.मि. पद्य ४. कर्ता — खरतरगच्छना राजसागर अने जिनचंद्रसूरिना शिष्य जन्म वि.सं. १७४६; स्वर्गवास वि.सं. १८२५ (जै. गृ. क. भा. २, पृ. ४७३ ) . प्र. सं / २९११ परि./६५०६/७८ १ – आध्यत्म गीता ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५ ११.५ से.मि. पद्य ४९. प्र.सं./२९१२ परि / २९५८ २ - आध्यात्म गीता ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ५ २४.५x१०.८ से.मि. पद्य ४९. ३५१ प्र.स ं./२९१३ ३ - आध्यात्मिक गीता ले. सं. १८७२; हाथकागळ पत्र ३; २६-२४११.२ से.मि. पद्य ५९ जालोलमां रामविजये प्रति लखी. पसागरिजी (साध्वीजी) चंद्रश्रीजी माटे भावनगर मां पं. हेमविजये प्रति लखी. परि./५०७३ परि./५२४६ प्र.स ं./२९१४ ४ - आध्यात्मिक गीता लेस. १९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३; २६००४१२.१ से.मि. प्र.स ं./२९१५ ५२. / १५७७ धर्मचंद्र मोहराजनुं भाव ( गीत ) ले.सं. १७६१; हाथका पत्र १३ थी १५ २०x९.५ से.मि. पद्म ४७. प्रभासां शांतिसागरगणिओ प्रति लखी. क. भा. १, पृ. ९६) प्र. सं / २९१७ नारायणमुनि प्र.स ं./९९१६ नंदसर (नन्नसूर ) ( को.) जीव प्रतिबोध गीत ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ४५ २७४ ११.७ से मि पद्य १४. कर्ता — कोरंट गच्छना सर्वदेवसूरिना शिष्य छे. समय वि. १६मी सदी. (जै. गु. परि०/८४६०/१८ परि./८१८०/३ उपदेश गीत ( ४ ) ले स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १; २५.८४११ से.मि. अनुक्रमे गाथा ४, ३, ४, ४. कर्ता - रत्नसिंहसूरिना वारामां समरचंदना शिष्य समय वि. १७मी सदी. (जै. गु. क. भा. १, पृ. ५१५ ). प्र.सं./२९१८ परि./५९१९/१, ३, ७ ७ , Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२ गीत पद नेमिदास (श्रा.) आध्यात्मसारमाला र.सं. १७६", ले.स. १६८७; हाथका गळ पत्र ८, २६.. ४११ ५ से मि. ____ कर्ता-पितानुं नाम रामजी. दशा श्रीमाळी वणिक. समय वि. १८मी सदी. (जै. गू क. भा. २. पृ. ४६७). . प्र.स /२९१९ परि.३३१९ १- पंचारमेष्ठी ध्यानमाला र.सं. १७६६; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २३.८४:००८ से.नि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./२९२० परि./६५४७ २.-पंचप' मेष्ठी ध्यानमाला ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २३.५४ - १०.५ से.मि. तूटक. __९९ पत्र नथी. . . प्र.स./२९२१ परि./६५ २ पातो. ... ... ........ .......... .. . छोती-अधिकार ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ९; २६.२४१२.२ --से.मि. पद्य ६२. . : ..: कर्ता-वि.सं. सोलमा शतकां नेांधायेला छ. (जै. गु क. भा. ३, वं. १, पृ. ६४१) १.स./२९२२ परि./२२३४/७ पुण्यसागर आध्यात्मिक गोत ले.स. १८# शतक (अनु.): हाथकाग : पत्र ४थु; २५.८x10.८ से.मि. पद्य ६. . कर्ता-मात्र नाम निर्देश मळे छे. प्र.स./२९.२३ परि/५८२९/८ पूनो उपदेशात्मक गीत ले.स'. १५७४; हाथकागळ पत्र ८८९. २७४११.७ से मि. पद्य ६.. कर्ता-परिचय अप्राप्त. प्र.स २९२४ परि./८४६०/४४ प्रेमविजय (त.) द्युतपरिहार गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ का गठ पत्र ४थु'; २५.४१ से.मि. पद्य २२. कर्ता-तगच्छना विजयसेन रेनो पा विमलहर्षना शिप. सनय वि. १७भी ___सदी. (जै. गू. क. भा. 1, पृ. ३९७). प्र.स/२९२५ परि.४२४१/२ Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद बापू अंतरचक्षुपद ले.स. १९२०; हाथकागळ पत्र ४४ थी ४५, २८.३४१३ से मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२९२६ । परि./१९९/२८ आध्यात्मिक पदो (११) ले.स. १९२०; हाथकागळ पत्र ४५थी .; २८.३४१३ से.मि. प्र.स.२९२७ परि./१९९/२९ थी ३६, ३८ थी ४३ जीवकाया संवाद पद संग्रह ले.सं. १९१८; हाथकागळ पत्र ३४; २८.३४१३.५ से.मि. तूटक. पत्रो २५, २६ नथी. प्र.स./२९२८ परि./२८३ ज्ञानपद ले.स. १९२०; हाथकागळ पत्र ७मु; २८.३४१३ से मि. तूटक... पत्रो ३ थी ६ नथी. प्र.स./२९२९ परि./१९९/४ मंझावर ले.स. १९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १६; २७.१४१३.१ से.मि. अपूर्ण, प्र.सं./२९३० .... ... -पार./२२७ विरला पद ले.स. १९२०; हाथकागळ पत्र २जु; २८.३४१३ से मि, प्र.स./२९११ परि/१९९/२ शुकलध्यान पद ले.सं. १९२०; हाथकागळ पत्र २ जु'; २८.३४१३ से.मि. .. प्र.स./१९३२ .. परि./१९९/३ बाल आध्यात्मिक पद ले.स. २०९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३८९; १८.७४१७ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२९३३ - परि./८६४ :/२३ बम कवि-विनयदेवसूरि उत्तराध्ययन गीतो ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २५.५४११.४ से.मि. तूटक. ____ कर्ता-विजयदेवना शिष्य, पार्श्व चंद्रना गुरुबंधु. समय वि.स. १५६८ जन्म, वि १६४६मा स्वर्गवास (जै. गू. क. भा. १, पृ. १५२.) प्रथम पत्र नथी. प्र.स./२९३४ परि./३५८८ ४५ Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५४ - गीत-पद द्रुमपत्र गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २५.२४११.६ से.मि. पद्य ११. प्रस,/२९३५ परि./८४३९/२ लेश्या अध्ययन गीत ले.स १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४ ११.६ से मि. पद्य १३. प्र.स./२९३६ परि./८४३९/४ सभिक्खु अध्ययन गीत ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.२४११.६ से.मि. पद्य ७. प्र.स./२९३७ परि./८४३९/३ भक्तिलाभ शीलोपरि गीत ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र १४२ मु; २७४११.७ से.मि. पद्य १०. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२९३८ __परि./८४६०/७७ भावरंगगणि _ उपदेश गीत ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकाँगळ पत्र लु; २५.५४१८.५ से.मि. पद्य २ कर्ता- परिचय अप्राप्य. प्र.स./२९३९ परि./७३१३/६ मणिचंद - परमार्थ गीत ले.स. १७३५; हाथकागल पत्र ७मु: २४.३४११ से.मि. पद्य ८. . कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./२९४० परि./४४०१/१९ मतिसागर शीलगीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २४.४४११.१ से.मि. पद्य ७ सुधी. अपूर्ण. ___कर्ता- वि. १७मी सदीमां आ नामनी त्रण व्यक्तिओ नेांधाई छे. तेमां प्रस्तुत कर्ता कोण ए नक्की थतु नथी. 'प्र.स./२९४१ परि./१४८०/२४ मल्लदास उपदेश पद ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १० मु; २५.४४१०.६ से.मि. पथ ४. - कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स/२९४२ परि./२६६३/१४ Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद महिमा (?) उपदेशक गीतो (४) ले.स. १७३४; हाथकागळ पत्र ७मुं; २ ४.३४११ से.मि पद्य-३,३,३,३ कर्ता-परिचय अप्राप्य, प्र.स./२९४३ परि./४४०१/२०, २१, २२, २३ महिमुद आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५ ८x१०.८ से.मि. ५द्य ४. कर्जा-मुस्लीम कवि. परिचय अआप्य. प्र.सं./२९४४ परि./५९२९/५ मानिग (त.) वैराग्य गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.'; हाथकागळ पत्र लु; २५.५४१०.५ से.मि. पद्य ५. ____ कर्ता-तपगच्छना क्षमाविजयना शिष्य, समय वि. १८मी सदी (जै. गू क. भा. २, पृ. ४६७, भा. ३ ख. १ पृ. १४५२). प्र.स./२९४५ परि./७३१३/३ मालमुनि मनभमरागीत ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र १८ थी २०; २५.१४८ से.मि. पद्य २० कर्ता-मात्र नाम निर्देश. वि.सं. १६६३ पहेलांनी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ४६३). प्र.स./२९४६ परि./७८१०/१७ शीलगीत ले.सं. १७००; हाथकागळ पत्र २जु; २४.२४१०.६ से.मि. पद्य १०. मुनि सोमे प्रति लखी.. प्र.स./२९४७ परि./६९४७/२ ___सूआ गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २५४१ ०.८ से.मि. पद्य ४. प्र.स./२९४८ परि./८४१९/१ मेघराज (पा.) अनुयोगद्वार सूत्रार्थ गीत (संखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन गर्भित) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २०४१२.५ से.मि. पद्य १०. कर्ता-पावचंद्रनी परंपरामां श्रवणऋषिना शिष्य. समय वि. १७मी सदी. (जे. गू. क., भा. १, पृ. ४०१). शाह अमिपालना पुत्रो नामे रत्नपाल, जीवा, पंचायण अने संतोषी माटे मेघराजना शिष्य गजराजे प्रति लखी. प्र.स./२९४९ परि./८१३० Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५६ गीत-पद यशोविजय आध्यात्मिक गीत (२) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; "थु; २६.५४ ११.५ से.मि. अनुक्रमे पद्य ८; ६. __ कर्ता-तपगच्छना कल्याणविजयनी परंपरामां नयविजयना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी. (जै. गू. क., भा. २, पृ २०). प्र.स./२९५० परि./६७८८/१२; १७ जसविलास ले.सं. १९१०; हाथकागळ पत्र २३, २४.३४१३.१ से.नि प्रति हेमचंद मोतीना पुत्र जगजीवनदासनी छे. वणिक शाह वल्लभदास वनमाळीदासे सुरतमां लखेली प्रति. प्र.स./२९५१ • परि./९९२ पंचपरमेष्ठी गीता ले.स. १७८७; हाथकागळ पत्र ८; २४.२४१०.५ से.मि. प्रेमपुरमा वीरविजये प्रति लखी. प्र.स./२९५२ परि./१९४७ रत्ननिधान (ख.) उपदेशात्मक पद ले.स. २०मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४८ थी ४९; २४.२४ १०.८ से मि. पद्य .२. कर्ता-खरतरगच्छना जिाचंद्रसूरिनी परंपरामां थया. वि.सं. १६४९मां अकबरे एमने पाठकाद आप्यु, (जे. सा. इति. पृ. ५७५ फकरो ८४४). प्रसं./२९५३. परि:/६५०६/८८ वैराग्यगीत ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.५४१०.५ से.मि. पद्य ३. प्रस./२९५४ परि./७३१३/४ राजशील उपा (ख) १-उत्तराध्ययनसूत्र गीतो. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २५.८४ १०.७ से.मि. अपूर्ण. कर्ता-खरतरगच्छना साधुहर्षना शिष्य. वि.स. १५६३नी अमनी रचना नेधायेली - छे. (जै.गृ.क. भा. ३ खं. १ पृ. ५३.९). प्र.स./२९५५ परि./५९९८ २- उतराध्ययनसूत्रना ३६ गीता ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; .. २६४११.२ से.मि. साध्वी सौभाग्यमाला माटे प्रति लखाई. प्र.स./२९५६ परि./३८२५ . Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; ३-उत्तराध्ययनसूत्रनां छत्रीस गीतो ले.स. १७मु २६.५४१०.८ से मि. __ छेल्लु गीत अपूर्ण, प्र.स./२९५७ परि./५९७९ रूपचंद आध्यात्मिक गीत ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २७.१४१३ से.मि. पद्य ४. कर्ता-वि. १९मी सदीमां बे रूपचंद नेांधाया छे. प्रस्तुत कया से अनिर्णित. (जै.गू.क. भा. ३ ख. १ पृ. ८, १९१). प्र.स./२९५८ - परि./३९५/५ - उपदेशात्मक पद ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५; १०.७४१७ से.मि. पद्य ५. प्र.स./२९५९ परि./८६४५/२ रूपविजय (त.). ध्यानगीता ले.स. १८७३; हाथकागळ पत्र ३, २६४११.२ से.मि. पद्य ३४. कर्ता-तपगच्छना पद्मविजयना शिष्य छे. समय वि. १९मी सदी (जै गृ.क. भा. ३ खं. १ पृ. ०४९). प्र.स./२९६० परि/५४८८ लक्ष्मीविमल अभिनंदनस्वामी द्रुपद ले.स. १७८९; हाथकागळ पत्र लु; २५.५४११ से.मि. पद्य ७. कर्ता-तपगच्छना कीर्तिविमलना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी. प्र.स./२९६१ परि./३९४३/४ लब्धिविजय १-आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २६.२४११.७ से.मि. पद्य ५. ___कर्ता-वि. १८मी सदीमांनी बे व्यक्तिमांथी कोण से स्पष्ट नथी. (जै.गु.क. भा. २ पृ. ११९; ४५८). प्र.सं./२९६२ परि./४ २५८/४ २-आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २५.४४१०.६ से.भि. पद्य ५. प्र.स./२९६३ परि./२६६३/२ Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५८ गीत-पद लावण्यकीर्ति (ख.). कषाय निवारण गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २. २५.५४१०.८ से.मि. पद्य २७. कर्ता-खरतरगच्छनी खेमशाखाना गुणरंग> ज्ञानविलासना शिष्य वि.स. १६१७ नी अमनी रचना नेांधा येली छे. (जै.ग.क. भा. १ पृ. २१७). प्र.स./२९६४ परि./७००४ लावण्यसमय (त) नवग्रहगर्भित गीत ले स. १५७४ हाथकागळ पत्र ६१.मु; २७४११.७ से.मि. गाथा ४. ___ कर्ता-तपगच्छना सोमसुंदरसूरि> लक्ष्मीसागर> समयरत्नना शिष्य जन्म विस'. १५२१ (जै.गू.क.भा.१, पृ. ६८) प्र.स./२९६५ परि./८४६०/७१ वखतमुनि आत्मानुशासन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २५.५४१०.५ से मि. पद्य-३. - कर्ता-परिचय मळी शक्यो नथी. प्र.स./२९६६ परि/७३१३/५ विजयदेवसूरि आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.८४१०.८ से.मि. पद्य १२. कर्ता-पावचंदरिना प्रगुरु पुण्यरत्नना शिष्य. समय त्रि. १६मी सदी. (जै. गू, क. भा. १, पृ. १४८). पत्रो १-२ नथी. प्र.स./२९६७ परि./५८२९/१ विनयविजय उपा. (त.) आध्यात्मिकगीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५९; २५.८४११.५ से.मि. कर्ता-तपागच्छीय हीरविजयसूरिनी परंपरामां कीर्तिविजयना शिष्य. वि.सं. १६८९नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गृ, क., भा. २, पृ. ४). . प्र.स./२९६८ परि./५८६०/२० उपदेशात्मक मीत संग्रह ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२; २५.५४ ११.३ से.मि. पद्य-५. प्र.सं./२९६९ परि./३७५० Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद वृद्धिविजय (त.) ज्ञानगीता र.सं. १७०६, ले.स. १८८२; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २७४१२.५ से.मि. गाथा ३५. ___कर्ता-तपगच्छना लाभविजयना शिष्य छे. समय वि. १७-१८सी सदीना संधिकाळ. (जै. गु. क. भा. २, पृ. २७०). . रचना सांईपुरमा थई. प्रसं/२९७० परि/९०५/१ श्रीसार (ख.) तमाकू गीत ले.सं. १७३६, हाथकागळ पत्र ४y; २६४११ से.मि. पद्य १६. ____ कर्ता-खरतरगच्छना खेमशाखाना रत्नहर्षवाचकना शिष्य. समय वि. १७मी सदी. (जै. गृ. क. भा. २, पृ. ५३४) प्र.स./२९७१ परि./५९००/४ समयसुंदर (ख.) आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु, २६.२४११.७ से.मि. पद्य ११. ___ कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरि <सकलचंद्रना शिष्य. समय वि. १७मी सदी. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३३१). . प्र.स./२९७२ . परि./४२५८/१५ आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र .३जु; २५.८x१०.८ से.मि. गाथा ७. प्र.स./२९७३ __परि./५८२९/२ . आध्यात्मिक पदो (६) ले.स. १'मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३जु; २६४१०.७ से.मि. अनुक्रमे गाथा ३, ३, ३, ४, ३, २. प्र.स./२९७४ परि./५८२८/४, ५, ६, ८, १०, ११ (आध्यात्मिक) पदसंग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४४११ से मि. प्र.स./२९७५ परि./४९४० आध्यात्मिक पद ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४६ थी ४७; २४.२४ १०.८ से.मि, पद्य ४. प्र.स./२९७६ परि./६५०६/८४ सहजसुंदर (उ.) आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४); २५.८४१०.८ से.मि. कर्ता-उपकेशगच्छना रत्नसमुद्र उपा.ना शिष्य. समय वि. १६मी सदी (जै. गू. क. भा. १, पृ. १२०). प्र.स./१९७७ परि./५८२९/१८ Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० गीत-पद संघकुल (सिंहकुशल) (त.) आध्यात्मिक गीत ले स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; ०६४११.३ से.नि. पद्य १. कर्ता-तपगच्छना हेमविमलसूरिज्ञानशीलना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदीनो उत्तरार्ध. (जै. गू. क., भा. १, पृ. १०३). प्र.सं./२९७८ परि./५२६६/१ गुरुगीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र रजु; २६४११.३ से.मि. पद्य ५. प्र.स./२९७९ परि./५२६६/४ ... जीवदया गीत ले.स १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६४११.३ से.मि. पद्य ७. प्र.स./२९८० परि./५२६६/७ शील गीत ले.स. १७४ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६.११.३ से.मि पद्य ४. प्र.स./२९८१ परि./५२६६/६ साधुकीर्ति (ख.) ... गुरुमहत्ता गीत - ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथका गळ पत्र पृथु : २६४१०.७ से.मि. पद्य ३. - कर्ता-खरतरगच्छना मतिवर्धननी परंपरामा अमरमाणिक्यना शिष्य, समय वि. १७मी ... सदी. (जै. गू, क. भा. २, पृ. ११९). प्र.स./२९८२ परि./५८२८/२७ सुमतिविजय (व.त.) · गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु: २६४१०.७ से.मि. ५० ५. कर्ता-वडातगच्छना भुवनकीर्तिप्रि> रत्नकीर्तिसूरिना शिष्य. समय वि. १८मी सदी (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३८३). प्र.स./२९८३ परि./५८२८/२५ सुरदास उपदेशक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४११.५ से.मि. पद्य २ कर्ता-अकबरना समकालीन प्रसिद्ध अंध कवि, प्र.स./२९८४ : परि./३५४३/३० हीरानंदसरि (पी.) कर्मविचार गीत ले.सं. १५७६; हाथकागळ पत्र १५७मु; २७४११.७ से.मि. पद्य १६. ___कर्ता-पीपलगच्छना वीरदेवसूरि> वीरप्रभसूरिना शिष्य. वि.सं. १४८५नी रचना मळे छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २५). प्र.स./२९८५ परि./८४६०/९० Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद ३६१ अज्ञातकर्तृक आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २५.८४१०.८ से मि. पद्य १०. प्र.स./२९८६ परि./५९२९/ आध्यात्मिक गीत ले.स. १९# शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३जु, २६.५४११.५ से.मि. प्र.सं./२९८७ परि./७५२४/२ आध्यात्मिक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १लं; २३.६४1०.५ से.मि. प्रस./२९८८ परि.६५५१/२ आध्यात्मिकपद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४१ ०.८ से.मि. पद्य ३. प्र.स./२९८९ परि./५३७०/२ आध्यात्मिकपद ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र २३मु; २५.९४११ से.मि. पद्य १६, अपूर्ण. प्र.स.२९९० परि ३१८६/१४ आध्यात्मिक लावणी ले.सं. १८९५; हाथकागळ पत्र लुं; २५.३४१२.२ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./२९९१ परि./६७६९/३ उपदेशक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २६४११.५ से.. पद्य ४. प्र.सं./२९९२ परि./३५४३/२० छकायगीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ४६९; २७४११.७ से.मि. पद्य ९. प्र.सं /२९९३ . . परि./८५६०/२३ छट्ठा आरान पद ले.सं. १९२०; हाथकागळ पत्र ५०९; ०८.३४१३ से.मि. प्र.सं /२९९४ परि./१९९/११ दोषपरिहार गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.८४१०.८ से.मि. पद्य १५. प्र.स./२९९५ परि./५.८२९/११ धर्मपद ले.सं. १८०३; हाथकागळ पत्र १७मु; २६.५४११.५ से.मि. पद्य २. अपूर्ण. प्र.स./२९९६ परि./३१७६/८ धर्मोपदेश-सूक्तावली ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २७४१२.५ से.मि. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./२९९७ परि./२२१ Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत-पद ३६२ फूल अगूछो (आध्यात्मिकपद) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४ १०.५ से.मि. पद्य ११. प्रति जीर्ण छे. परि / ८८८७/२ प्रसं./२९९८ शीलगीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६८ थी ६९; २१.७४७.३ • से मि, पद्य १०. प्र.स/२९९९ परि./८४८०/२७ शीलजकडी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २६४११.२ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./३००० परि.३०८४/१३ सज्झाय (स्वाध्याय) अमरमुनि गुरुस्वाध्याय ले.स. १९९ शतक अनु); हाथकागळ पत्र लु'; १०.७४२२ से.मि. गाथा ८ ...... कर्ता-शांतिचंद्रना शिष्य छे. गच्छ-समय अज्ञात. प्र.स./३००१ परि./७७१९/२ ____ स्त्रीराग त्यजन सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मु; २५.३४ १०.६ से.मि. गाथा ९. प्रति पाटणमा लखाई... . . प्र.सं./३००२ परि./५०९७/१८ . अमरहर्षे ..- गुरु स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २१४१०.५ से.मि. गाथा ७ प्र.स./३००३ परि./२७४८ आनंद .. नवकार स्वाध्याय ले.स. १९३५; हाथकागळ पत्र ३ जु; २७४१३.७ से मि. पद्य १८ थी २४. तूटक. पत्रो १, २ नथी. प्रस. ३००४ परि /८३७३/१ 'आनंदवर्धन सिद्धांत सार सज्झाय ले.स. १६७५; हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.३ ४१०.८ से.मि. गाथा १२. -: दांतीवाडामां मेघविजये प्रति लखी. प्र.स./३००५ परि ६११५/५ Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झायें ३६३ आनंदविजय जीवदया सज्झाय ले.सं. १९०२; हाथकागळ पत्र १लु; २५४११ से.मि. गाथा २३. बृ. खरतरगच्छना पं. रतनचंदे ईगोली गामे प्रति लखी. प्र.स./३००६ परि /६४६३/१ उदयरत्न (त) आत्म स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४०९; २५.५४११.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता-तपगच्छना हीररत्नसूरिन। शिष्य, वि. १८मा शतकना छे. (गै. गू. क. भा. २, पृ. ३८६). प्र.स./३००७ - परि./२३४०/३४ १- अकादशी स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १लं; २४.३४ ११.७ से.मि. गाथा ७. प्र.स./३००८ परि./२०७१/२ २-मौन अकादशी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु: २६.५४११.२ से.मि. गाथा ७. प्र.स./३००९ परि./६९।५/१७ १-क्रोधनी सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २४.३४११.७ से.मि. गाथा ६. प्र.स./३०१० परि./२०७१/४ २ --क्रोधनी सज्झाय-ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९: २४.८४१२ से.भि. गाथा ६. प्र.सं./३०११ परि./४०८९/१६ ३-क्रोध-मान-माया-लोभनी सज्झाय ले.स. १८८८; हाथकागळ पत्र १०थी ११; २७४११.७ से.मि. प्रस./३०१२ परि./१५४३/४ नववाड स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २९४१ ३.३ से.मि. राधनपुरमा प्रति लखाई. प्र.स./३०१३ परि./७२६० मोहराज सज्झाय ले.स. १८८८; हाथकागळ पत्र ११थी १२मु; २७४११.७ प्र.स/३०१४ परि./१५४३/५ Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६४ सज्झाय १-लोम स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४१मु; २५.५४ ११.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स/३०१५ परि./२३४०/३७ २-लोभनी सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.३४११.७ से.मि. गाथा ७. प्र.स/३०१६ परि./२०७१/७ ३-लोभ स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.२४११.१ से.मि. गाथा ७. प्र.स./३०१७ . परि./२०६४/३ १-शिक्षारूप शियल स्वाध्याय ले.स, १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १५थी १६; २५.२४११.४ से.मि. गाथा १०. प्र.स./३०१८ परि./२०६४/१७ २-शिक्षा स्वाध्याय ले.सं. १८८८; हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २७४११.७ से.मि. प्र.सं./३०१९ परि./१५४३/६ १-शियल नववाड स्वाध्याय र.सं. १७६३; ले.सं. १७८९; हाथकागळ पत्र १; २२.७४१०.३ से.मि. प्र.स./१०२० परि./७६७९ २-शियळ नववाड स्वाध्याय र.सं. १७६३; ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.७४१०.६ से.मि. लेखन-स्थळ सुरत. प्र.स./३०२१ परि./७२२५ ३-शियल नववाड स्वाध्याय र.सं. १७६३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २३.२४१०७ से.मि. प्रसं./३०२२ परि./७७५२ ४-गियळ नववाइ स्वाध्याय र.सं. १७६३: ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६.१४१३ से.मि. तूटक. खेतरपाळनी पोळ ( अमदावाद ) ना साध्वी जीवश्री अने नवलश्रीनी रहेमथी श्रावक बहेचर मनोरनी पुत्री जडावबाईने आ प्रति मळी. प्र.स./३०२३ परि./८३९३ Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५-शियळ नववाड स्वाध्याय र.सं. १७६३; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५४१०.८ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ४ नथी. प्र.स./३०२४ . परि./७५२३ ६-शीलनववाड स्वाध्याय र.सं. १७६३; ले.सं. १९१३; हाथकागळ पत्र ५, २६.३४ १२.२ से.भि. भोजक अगरचंदे प्रति लखी. प्र.सं./३०२५ परि./८३९८ ७- शील नववाड स्वाध्याय र.सं. १ • ६३; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.२४११.६ से.मि. प्र.स./३०२६ परि./८४३९/५ ८- शील नववाड सज्झाय र.सं. १७६३; ले.स. १:००; हाथकागळ पत्र १४थी १९; १४.३४९.८ से.मि. पं. दीपविजय-शिष्य पं. माणिकविजये प्रति लखी.. प्र.स./३०२७ परि./८६५७/८ शीयल स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४५मु; २५.५४११.५ गाथा . प्र.सं./३०२८ परि./२३४०/३९ उदयविजय (त.) अणगाराध्ययन पांत्रीस स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ५. कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहसूरिना शिष्य. समय वि. १८मी सदी. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २५५). प्र.स./३०२९ परि./६९१५/१३ असंखीयाध्ययन चतुर्थ स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./३०३० परि./६९१५/१ १-उत्तराध्ययनसूत्रनी सज्झायो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २६.२४४११.५ से.मि. प्र.स./३०३१ परि/१५७९ Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सैज्झाय : २-उत्तराध्ययननी सज्झायो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २३४१०.३ से.मि. सुंदर चित्र पृष्ठिकावाळी प्रति. अंतिम पत्र जीर्ण छ. पत्तन बंदर (प्रभासपाटण)मां मुनि जीवसुंदरे प्रति लखी. प्रस./३०३२ परि./६६७७ ३-उत्तराध्ययन सूत्रनी सज्झायो ले.सं. १७६०; हाथकागळ पत्र १५, २६.२४११.७ से.मि. तूटक. जालणा दुर्गमां पं. जीनविजयगणिना शिष्य पं. केसरविजयगणिभे प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३०३३ परि./१५८० ४-उत्तराध्ययन छत्रीस अध्ययन स्वाध्याय ले.सं. १८४४; हाथकागळ पत्र १०:२५.७४ ११.७ से.मि. ____रूपविजय> मोहनविजय> हेमविजय> तिलकविजय> भाणविजय> चरणशिवना शिष्य लक्ष्मीविजये प्रति लखी. प्र.सं./३०३४ परि/७३३१ कपिलाध्ययन अष्टम-स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ल; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ७. प्र.स./३०३५ परि./६९१५/३ गौतमाध्ययन स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ७. प्र.स./३०३६ परि./६९१५/५ बहुश्रुताध्ययन-एकादश स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २जु, २६.५४११.२ से.मि. गाथा ६. प्र.स./३०३७ परि./६९१५/६ ब्रह्मचर्याध्ययन-षोडश स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २जु'; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ६. प्र.स./३०३८ परि./६९१५/८ भिक्षाचर्याध्ययन-पंचदश स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./३०३९ परि./६९१५/७ विनय स्वाध्याय (उत्तराध्ययन गर्भित) ले.स. १९ शतक (अनु.); हामकागळ पत्र ३ थी ४थु'; २५.५४११.१ से.मि. गाथा ८. प्र.स./३०४० परि./६८०५/६ Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय सम्यक्त्व पराक्रमाध्ययन स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.५४११.२ से.मि, गाथा १४. प्र.स./३०४१ परि./६९१५/१२ सामाचारी अध्ययन स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.५४ ११.२ गाथा ६. प्र.स./३०४२ परि/६९१५/११ ऋद्धिविजय (त.) आत्मशिक्षा स्वाध्याय ले.स. १८# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४९; २५.५४ 1१.५ से.मि. गाथा ५. कर्ता-तपगच्छना विजयप्रभरिना शिष्य. समय-वि.सं. १७५४-७० (जै. गू. क. भा, २, पृ. ५२३; जे. सा. इति. पृ. ६६५, फकरो ९७७). प्र.स./३०४३ परि./२३४०/२३ ऋद्धिहरख . .. १-कर्मफल स्वाध्याय ले.स. 1८मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४थु; २५.१४१०.३ ... . से.मि. पद्य १९. कर्ता-परिचय अप्राप्य. सुभटपुरमा रूपचंद्रे प्रति लखी. प्र.स':/३०४४ परि./६८८६/२ २- कर्मस्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३थी १४; २३४१०.२ . से.मि. गाथा १८. प्र.सं./३०४५ परि./८५९९/२५ ३-कर्मोपरि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १३थी १४: २५.८४११.५ से.मि. गाथा १९. प्र.स./३०४६ परि./२३४०/३ ऋषभदास दशश्रावक सज्झाय ले.स. १८१८; हाथकागळ पत्र ३जु'; २१.७४११.९ से.मि. कर्ता-वि.स. १७मी सदीमां थयेला खंभातना श्रावक (जै.गू.क. भा. १ पृ. १०९) आर्या वजी माटे प्रति लखाई. प्र.सं./३०४७ परि./२७३२/२ Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६८ सज्झाय कनकनिधान (ख.) १- निद्रा-स्वाध्याय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २६.२४११ से.मि. गाथा ८. __ कर्ता-खरतर गच्छना हंसप्रभ> चारुदत्तना शिष्य, वि. १८मी सदी. (जै. ग. क. भा. २. पृ. २६३). प्र.स./३०४८ परि./६०४०/२ २-निंदलडी स्वाध्याय ले.स. १८७६; हाथकागळ पत्र पलु; २२.८४१२ से.मि. गाथा ८. प्रस./३०४९ परि./७६७८/१ कमलविजय (त.) गुरूपदेश स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७९; २४.३४१०.६ से.मि. गाथा २३. - कर्ता-तपगच्छना कनकविजयनी परंपरामां शीलविजयना शिष्य. समय-वि. मी सदी (जै. गू. क, भा. १. पृ. ५६५). लेखनस्थळ पाटण. प्र.स./३०५० . . परि./५०९७/९ सम्यक्त्व सडसठभेदफल सज्झाय-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ९: २५.५४१०.४ से.मि. गाथा ५५. . ___ स्तबककार कोई अन्य छे. प्र.स./३०५१ परि./६०१०/१ कमलहर्ष (ख.) दशबैकालिकसूत्र सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४ (१५); ५.६.२४९.५ से मि. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिना शिष्य (जै. गु. क. भा. २, पृ. ३८५). गुटकाकार प्रति छे. प्र.स./३०५२ कर्मसागर (सं.) गुणस्थान स्वरूप सज्झाय ले.सं. १७३२; हाथकागळ पत्र ८९; २४४१०.५ से.मि. गाथा १७, कर्ता-संडेरगच्छीय ईसरसूरिना शिष्य छे. वि.स. १५७०मां हयात हता. (र.प्र.सं. २६५-पृ. ७१) प्रथम पत्र नथो. प्र.स./३०५३ परि./४३७२/२ परि./६८५८ Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय कल्याणधीर (ख.) मुनिगुण स्वाध्याय ले.स. २ मुळे शतक (अनु.); हाथ कागल पत्र ३; २७२x११.६ से.मि. गाथा ६९. कर्ता - खरतरगच्छना जिनमाणिक्यसूरिना शिष्य के समय जाणी शकातो नथी. परि./६२१ प्र.स ं/३०५४ कल्याणनंदमुनि प्रतिबोध सज्झाय लेस. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; से.मि. गाथा ७. प्र.सं./३०५५ कवियण कर्ता - परिचय अप्राप्य. कांति विजय (त. ) हितोपदेश स्वाध्याय ले.स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८; २५०५X११.५ से मि . गाथा ९. कर्ता - वि.स ं. १६५२ पहेलांना, हीरविजयसूरिना समकालीन (जै. गू. क. भा. १, पृ. १५९). प्र.सं./३०५६ परि. / २३४०/५ ३६९ हाथ कागळ पत्र ७थी ८; १ - पंच महाव्रत सज्झाय ले. स. ११ शतक (अनु. ); २४.८x१२ से.मि. गाथा ३२. कर्ता - वि. १८मी सदीमां तपगच्छमां बे कांतिविजय थया, अमांथी प्रस्तुत कया अ नक्की नथी. प्र.सं./३०५७ प्र.सं./३०६० २४४१०.६ ४०८९/७ २- पंच महाव्रत सज्झाय ले. स. १७८५; हाथकागळ पत्र १०थी ११; २६ ११.५ से.मि. प्रति थिरा गामे नायकविजये लखेली छे. 6.8 परि./६५२१/४ प्र.सं./३०५८ परि./२३६७/१५ ३ - पंच महाव्रत स्वाध्याय ले. स. १८ मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २६.५४११०२ से.मि. गाथा ३७. प्र.स ं./३०५९ परि./६९१५/१४ ४ - पंच महाव्रत सज्झाय ले.स. १८मुं शतक अनु. ); हाथकागळ पत्र ३६थी ३८; २५.५४११.५ से मि . परि./२३४०/२९ Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७० सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २६.५४ पंचमी स्वाध्याय ११.२ से.मि. प्रस./३०६१ परि./६९१५/१८ हाथकागळ पत्र ५ थी ६; १--रात्रिभोजन स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); २३.४४१०.८ से.मि. गाथा ६. प्र.स/३०६२ परि./८५९९/७ हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २-रात्रिभोजन स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); २४.८४१२ से.मि. गाथा ७. प्र.स./३०६३ परि/४०८९/९ ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु'; कुमुदचंद्र (2) १-परम्नीत्यागोपदेश स्वाध्याय २५.८४११.५ से.मि. पद्य १०. __ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./३०६४ परि./५६६२/२ २-परस्त्रीत्यागोपदेश अथवा (शीलपालन दृढकरण) स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १; ९.५४२०.५ से.मि. गाथा १० श्राविका जसमादे अने माणिक्य माटे गांधारमा प्रति लखाई. प्र.स ./३०६५ परि./३८९३/५ ३-शील स्वाध्याय ले.सं. १८०३, हाथकागळ पत्र १६थी १9; २६.५४११.३ से.मि. गाथा १०. प्र.सं./३०६६ परि./३१७६/४ ४-शियळ शिखामण सज्झाय ले सं.. १७८५; हाथकागळ पत्र १थी २; २६४११.५ से.मि. पद्य १०. प्र.सं./३०६७ परि./२३६७/३ कुंवरविजय (त.) मनस्थिरीकरण स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु), हाथकागळ पत्र ३३ थी ३४; २५.५४११.५ से.मि. गाथा 11. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामा नयविजयना शिष्य. समय वि. १७मी सदी (जे. गू, क. भा. १, पृ. ३१३). प्र.सं/३०६८ परि./२३४ ०/२२ Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय कृपाविजय उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १०; २५९११.१ से.मि. अपूर्ण. कर्ता-धनविजयना शिष्य. वि.सं. १८मी सदी (जै. गू क., भा. ३, खं. २, पृ. १५२९ ). २८ स्वाध्याय सुधी. प्र.स ं./३०६९ परि. / २४०१ बार व्रत स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ २५०८१०.८ से.मि, प्र.स ं./३०७० परि. / ७१६२ ३७.१ कीर्तिविमल (त) जिव प्रतिमावंदन फ़ल स्वाध्याय ले. सं. १७६६; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५-७४ ११.४ से.मि. पद्य ११. कर्ता—तपगच्छना विजयविमलनी परंपरामां लालजीना शिष्य (जै. गू. क., भा. १, पृ. ५९५). लेखन स्थळ पाटण. प्र.सं./३०७१ कीर्तिसागर बारव्रत सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; १६४१० से.मि. कर्ता - सुमतिसागरना शिष्य गच्छ-समय अज्ञात. प्र.सं./३०७३ क्षमा विजय ( त.) परि०/३५६९/१ प्र.सं./३०७२ कीर्तिसार (त. ) तपगच्छसूरिनाम सज्झाय ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ २४.३४ १०.६ से.मि. गाथा ९. कर्ता - तपगच्छना, समय के गुरुनुं नाम मळतुं नथी. प्रति पाटणम लखाई. परि. / ८६२८/४ पंचमहाव्रत सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५-५×११.४ से.मि. कर्ता - तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां थया. समय वि.सं. १७८६ पहेलां. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४५१ ). हस्तश्रीजी मांटे पालीमां कल्याणविजय मुनिओ प्रति लखी. प्र.स ं./३०७४ परि./५०९७/१४ परि. / ४०६४ Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७ गुणप्रभ नवकार सज्झाय ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २जु; २४.४४१०.५ से.मि. गाथा ७. कर्ता - परिचय अप्राप्य.. प्र.सं./३०७५ गुणविजय आत्मप्रतिबोध स्वाध्याय ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र मु; २६४११.२ से मि. गाथा ९४. कर्ता — कर्तानुं अपरनाम वीरविजय ? (गा. १४). परिचय अप्राप्य. प्र. सं / ३०७६ झुंबखडानी सज्झाय से.मि. गाथा १६. प्र.सौं / ३०७७ १ - दृष्टांत सज्झाय ले. स. १८मुं शतक (अनु.); ११.२ से.मि. गाथा १२. प्र.सं./३०७८ संज्ञाय १ - पुण्य स्वाध्याय से.मि. गाथा १४. परि./६३१५/२ परि. / ३०८४/१२ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७थी ८; २६११.२ परि. / ३०८४/१८ २ - दश दृष्टांत स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र २; २४ ५X१०-५ से.मि. गाथा १२. प्र.सं./३०७९ परि / ३०८४/१६ हाथका गळ पत्र ८ थी ९; २६x परि./६३०० ३ - दश दृष्टांत स्वाध्याय ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ६; २५.२४ ११.४ से.मि. गाथा १२ प्र.सं./३०८० परि. / २०६४/६ पुण्य सज्झाय लेस. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४-२४१०.५ से.मि. प्र.सं./३०८१ परि./५०३७/३ ले. स. १८०३; हाथकागळ पत्र १५ थी १६; २६०५X११.७ प्र.सं./३०८२ परि./३१७६/३ २ - सर्वार्थसिद्ध नामोनी सज्झाय ( पुण्य स्वाध्याय) ले सं. १८८८; हाथ कागळ पत्र १० ; २७४११.७ से.मि. गाथा १६. परि / १५४३/३ प्र.सं./३०८३ हरियाली स्वाध्याय ले.स. १८मुळे शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १९थी २०; २७.५४११ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./३०८४ 9f2./2380/3 Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ३७३ गोपालदास वैराग्य सज्झाय ले.स. १९४४: हाथकागळ पत्र थी २; २६.१४१२.४ से.मि. गाथा २९. कर्ता-परिचय अप्राप्य. गोपालमिश्रे वैरावालनगरमा प्रति लखी. प्र.स./३०८५ परि./९९७/३ गोविंदमुनि द्वादशमास गूढार्थोपदेश स्वाध्याय ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५x ११ से.मि. पद्य १८. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३०८६ परि./४९५५ ले.स. १७३४ (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ चरणकुमार समकित सार विचार स्याद्वाद स्वरूप वर्णन २५४११ से.मि. गाथा ६८. रहीआ माटे प्रति लखाई. प्र.स./३०८७ परि./६२.६७ जेठाऋषि समकितसार प्रश्नोत्तर पचीसी सज्झाय र.स. १८७९ ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४.३४११.३ से.मि. कर्ता-ऋषि रूपचंदना शिष्य छे. समय वि. १९मी सदी. रचना-स्थळ अमदावाद. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/३०८८ परि./४९२४ जडावसीजी मुनि दशवकालिक सूत्रनी सज्झाय र.स. १७७७ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३थी ७; २५.७/१२ से.मि. कर्ता-पुन्यकलशगणिना शिष्य. समय वि. १८मी सदी (पत्र ७८). आमां १० अध्ययननी सज्झायो चूलीका सह छे. प्र.स ./३०८९ परि./१८६९/५ Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय जयमल आलोयण सज्झाय ले.स, १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.५४९.५ से.मि. गाथा ३७. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./३०९० परि-/७६२६ जयवंत पंडित(व.त.). बारभावना सज्झाय ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २२.७४१० से.मि. गाथा ३९. ___ कर्ता-वडतपगच्छना विनयभंडन उपाध्यायना शिष्य छे. वि. १७मी सदी पूर्वार्धनो समय (जै. गू. क. भा. १, पृ. १९३). प्रति जीण छे. प्र.सं./३०९१ परि./६६८० जयसोम मुनि (त.) . १-बारभावनानी सज्झायो र.स.१७०३ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३थी ३४; २४.३४१००८ से.मि. अपूर्ण, पद्य १२० सुधी. कर्ता-तपगच्छना यशःसामना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदी (* *, गू. क. भा. २, पृ. १२६). प. दीपविजयना शिष्य पं. माणिक्यविजये लोंबडीमां प्रति लखी. प्र.स/३०९२ ____ परि./८६५७/१५ २-बारभावना सज्झायो ले.स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.२४ ११.८ से.मि. गाथा १७५. लिपिकार डुंगरजी. प्र.स/३०९३ परि/७५५८ ३-बारभावमा-सज्झायो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६.५४ ११.६ से.मि. प्र.स./३०९४ परि /५४८१ ४-बारभावनानी सज्झाया ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र ६, २६.५४११ से.मि. पद्य २३०. समदरडीमां कुशलचंद्र पंडिते प्रति लखी. प्र.स./३०९५ परि /७९२१ ५-बारभावनानी सज्झायो ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.२४ १०.५ से.मि. प्र.स. ३०९६ परि./६५३७ Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय जिनविजय ( त . ) अजीव स्वाध्याय लेस. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५ २३.४४१०.८ से.मि. गाथा २६. कर्ता - तपगच्छना सत्यविजय पंन्यासनी परंपरामां क्षमाविजयना शिष्य समयविसं १७५२मां जन्म; सं. १७७० दीक्षा; सं. १७९९ मा स्वर्गवास (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५६३). प्र.सं./३०९७ जीवभेद सज्झाय से मि. पद्य १८. प्र.सं./३०९८ ३७५ परि /८५९९/६ द्रुमपत्रीयाध्ययन स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २; २६०३४ ११.७ से.मि. पद्य २३. प्रसौं / ३०९९ जिनहर्ष (ख.) परि./८५९९/५ ले. स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ५, २३.४४१०.८ परि./३५३६ पंचभावना - स्वाध्याय लेस. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २६-३X १२.१ से.मि. 'परि./७८३७/१. प्र.सं./३१०० पंचेन्द्रिय स्वाध्याय .स १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६३; २३.४४१०.८ से. मि. पद्य ७. कर्ता — खरतरगच्छना गुणवर्धन >> सोमगणि> शांतिहर्षना शिष्य छे, वि.सं. १७०४ नी अमनी रचना नांघायेली छे (जै. गु. क. भा. २, पृ. ८१ ) आ स्वाध्यायने अंते सं. १८... ओम आपेलुं छे. ते लेखनवर्षनेा खंडित अंक होई शके. परि./८५९९/९ प्र.स ं./३१०१ पंचेन्द्रिय सज्झाय ले.सं. १९७१ ; हाथकागल पत्र २जु : २५.३४११.५ से.भि. गाथा ६ परि ४२३९/२ प्र.स ं./३१०२ जिनहर्ष (ख.) - शिखामण स्वाध्याय ले.स. १९मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २३४ १४.२ से.मि. पद्य २२. कर्ता--खरतरगच्छना शांतिहर्षना शिष्य. समय वि १८मी सही (जै. गू. क. भा. २, पृ. ८१, भा. ३, खं. २, पृ. ११४४, १५२१). प्र.सं./३१०३ परि./८०३३/२ Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय २--श्रावक सज्झाय (शिखामण सज्झाय) ले.सं. १८३७: हाथकागळ पत्र ११ थी १२; ०४.८४११.५ से.मि. पद्य २१. प्र.स./३१०४ ५रि./७९३/५ शियल नववाड सज्झाय र.सं. १७२९ ले.सं. १८४३; हाथकागळ पत्र ४; २६.३४ ११.२ से मि. पद्य ९९; तूटक. पत्र २जु नथी, सथलाणा नगरमां लाला माटे, आर्या क(के)सरजीनी शिष्या लीखमीए प्रति लखी. प्र.स./३१०५ परि./७८४२ १- समकित सत्तरि सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.२४११ से.मि, पद्य ६... प्र.स./३१०६ परि./७० २२/१ २-समकित सित्तरी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २३.५४ १०.३ से.मि. पद्य ७०. प्रस./३१०७ परि./७१३९ ज्ञानविजय (ख.) दशवकालिक दश अध्ययन स्वाध्याय र.सं. १७२३: ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ थी २६; २५.५४ ११.५ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना जिनराजसूरिनी परंपरा मां जिनचंद्रसुरिना शिष्य. समय वि. १८मी सदी. (पत्र २६). रचना सोजतपुरमां थई. प्रस./३१०८ परि./२३४ ०/१२ ज्ञानविमल (त.) आठ दोष आठ गुण स्वाध्याय--प्तबक ले स. ९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.५४११.५ से.मि. गाथा १५. ____ कर्ता --तपगच्छना विनयविमल> धीरविमलना शिष्य छे. समय वि.सं. १७०२मां दीक्षा-वि.सं. १७८२मां स्वर्गवास (जै. गृ. क., भा. २, पृ. ३०८). उत्तमविजये प्रति लखी. प्र.स./३१०९ परि./७०७१ अध्यात्म स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २६.२४ ११.७ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./३110 परि./४२५८/२३ Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय अगियार अंग-बार उपांग सज्झाय ले.सं. १८३३; हाथकागळ पत्र ८ २६-५४११.७ : से.मि. पद्य ६. प्र.सं./३१११ इरियावही कुलक सज्झाय ले. स. १९ शतक (अनु.); २५.८४११.६ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./३११२ १ – काउसग्ग ओगणीस दोष सज्झाय २६११.५ से.नि. गाथा १४. प्र. सं . / ३११३ प्र. सं . / ३११५ कायाकामिनी स्वाध्याय से.मि. पद्य १७. प्र.सं./३११६ ले. सं. १७८५; परि / २३६७/१३ २ -- का उसग्ग ओगणीस दोषनी सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु; हाथका गळ पत्र ७; २५.८४११.६ से.मि. पद्य १४. ३७७ प्र.स ं./३११४ ५१/१९८७ कल्पसूत्र व्याख्यान सज्झाय संग्रह ले स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७; २५.७४११.२ से.मि. प्रति जीर्ण छे, परि./३३०६/३ हाथकागळ पत्र १६ थी १८; परि. / १७९८ / १४ हाथ कागल पत्र ७ थी ८; प्र.सं./३१२० ४८ परि./२७६२/१६ चतुर्विंशति तीर्थकर गणधरनाम सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५; २५०८४११.६ से.मि. पद्य १०. प्र.सं./३११७ परि./५५३६ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ८ थी ९; परि / १७९८/१२ चतुर्विध आहार परिज्ञान सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २५.८×११.६ से.मि. गाथा ८. प्र.सं./३११८ परि./ १७९८/११ चरण - करण सित्तरी स्वाध्याय ले.स. २० शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ५ २६× १२.१ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./३११९ परि / ८२५१/२ चौदपूर्व झा लेस. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २५.८४११.६ से.मि. पद्य १७. परि./१७९८/१ Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७८ १ - दशविध यतिधर्म सज्झाय ले.स १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ७; २४.५४ १०.५ से.मि. पद्य १३६. प्रति जीर्ण छे. प्र. स. / ३१२१ परि. / ८८८८ २ - दशविध यतिधर्म सज्झायो लेस. १९ शल्क ( अनु ), हाथका गळ पत्र ६ २५०६x ११.६ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. सज्झाय प्र. स. / ३१२२ परि. / ४४१९ ३ - दशविध यतिधर्म स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ९; २६०५ १२ से मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी १४मी कडी थी शरू. प्र. सं / ३१२३ परि./६९१९ ४ - दशविध यतिधर्म स्वाध्याय ले.सं १८७४ हाथकागळ पत्र ९; २६०५०१२. १ से. मि. पालीमा पं. प्रेमविजयगणिये प्रति लखी. परि./८०४ प्र.स ं./३१२४ ५ - दशविध यतिधर्मनी सज्झायो ले.स. २० मुळे शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ८; २५.३४११०४ से.मि. परि / ३९६३ प्र.स ं./३१२५ ६ - दशविध यतिधर्म सज्झाय ले.सं. १८८८ हाथका गळ पत्र १ थी ९; २७४११.७ से.मि. गांथा १४५ प्र.स ं./३१६६ देवसी प्रतिक्रमणविधि सज्झाय ले.स. २५.८४११.६ से.मि. गाथा २२. परि / १५४३/१ १९ शतक ( अनु ), हाथकागळ पत्र ७ थी ९; प्र.सं./३१२७ परि./ १७९८/८ नरभव स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २६ २४११.७ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./३१२८ परि / ४२५८/२० नवकार पद सज्झाय पंचक ले सं. १८३३; हाथका गळ पत्र ७ थी ८; २६-५४११.७ से.मि. प्र.स ं./३१२९ परि. / ३३०६/२ नवकार महिमा गुणवर्णन भास स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४११.८ से.मि. गाथा ९. प्र.सं./३१३० परि. / ६८१३ Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; नवपद कायोत्सर्ग सज्झाय ले.स. १९९ २५.८४१२.६ से.नि. पद्य ५. प्र.स./३१३१ परि /१७९८/३ भक्ष्याभक्ष्य कालातीत सज्झाय ले.सं. १८८८; हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २७x ११.७ से.मि. गाथा २७. प्र.स./३१३२ परि./१५४३/२ भगवती सूत्र सज्झाय ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५थी १६; २५.८४११.६ से.मि. पद्य ०४. प्र.स./३१३३ परि./1७९८/१३ मुहपत्ति सज्झाय ले.स १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २५.८४११.६ पद्य ११. प्र.स./३१३४ परि/१७९८/५ राई प्रतिक्रमणविधि स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९थी ११; २५.८४11.६ से.मि. पद्य २६. प्र.स./३१३५ परि./१७९८/९ विगयनी विगइ सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५; २५.८४११.६ से.मि. पद्य २३. प्र.स./३१३६ परि./१७९८/४ व्यसन सप्त सज्झाय ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११थी १२; २५.८x ११.६ से.मि. पद्य १०. प्र.स./३१३७ परि./१७९८/10 १-श्रावक अकवीस गुण सज्झाय ले.स . १७८५; हाथकागळ पत्र ७मु: २६x1१.५ से.मि. गाथा १५. प्र.स./३१३८ परि./२३६७/१२ २- श्रावक गुण सज्झाय ले.स. १९९ शतक; हाथकागळ पत्र ६थी ७; २५.८४११.६ से.मि. पद्य १५. प्र.स./३१३९ परि./१७९८/६ १९मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २ थी ३; सचित्ताचित्तविचार सज्झाय ले.स. २५.८४११.६ से.मि. पद्य २५. प्र.स./३१४० परि./१७९८/२ Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ संज्झाय संयम स्वाध्याय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४थु; २६.२४११.७ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३१४१ परि./४२५८/२१ साधुवंदना सज्झाय ले.स. १८मुश्तक (अनु.); हाथवागळ पत्र २३; १९.८४१२ से.मि. गाथा ७०५. प्र.स./३१४२ परि./८१३९ सोलसुपनानी सज्झाय टे.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २,२४४११.८ से.मि. पद्य १८. प्र.स./३१४३ परि./२३९९ ज्ञानसागर (अ.) भावप्रकाश स्वाध्याय (औदयिक-छ-भाव गर्भित) र.सं. १७८७, ले.स. १८७४; हाथकागळ पत्र ५, २७.४४11.६ से मि. का-अंचलगच्छना कल्याण सागरनी परंपरामा विद्यासागरसूरिना शिष्य (जै. गृ. क. भा. २, पृ. ५७४). समय बि सं. १७६३मां जन्म; वि.सं. १८२६मां स्वर्गवास. मांडवी बंदरमा प्रति लखाई. प्र.स /३१४४ परि./३२६ तत्त्वविजय (त.) वैराग्यभास ले.सं. १८७६; हाथकागळ पत्र पलु'; २२.८४१२ से.मि. पद्य ११. कर्ता --- तपगच्छना यशोविजयजी उपाध्यायना शिष्य. समय वि.स. १८मी सदी (जै.गू.क. भा. २, पृ. २ २४: भा. ३, खं. २, पृ. १२३३). प्र.स. ३१४५ परि./७६७८/२ तिलकविजय (त.) १-बारव्रतनी सज्झायो ले सं. १८६३; हाथकागळ पत्र ४; २४.३४११.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छना लक्ष्मीविजया शिष्य. समय वि.सं. १८मी सदी (जे. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १३४२). पत्रांको चित्रित छे. राधनपुरमा सुनि ऋषभविजय गणि प्रति लखी. प्र.स/३४६ परि/७५९४ २- बारव्रतनी सज्झाय ले.सं. १८००; हाथकागळ पत्र ८थी १४; १४.६४९.८ से मि. लींबडीनगरमा ५. माणिक्यविजये प्रति लखी. प्र स ./३१४७ परि./८६५७/७ ३-बारव्रतनी सज्झाये। ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४ १०.८ से.मि. प्र.स./३१४८ परि./६४८४ Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाये ३८१ ४-बारवत सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळे पत्र १श्री ४ ; २४.८x१२ से.मि. तूटक. पत्रो १,२, १३ नथी. प्र.स/३१४९ परि./१ ० ८९/१ समकित सज्झाय ले.सं. १८०८; हाथकागळ पत्र थी ८; १४.३४९.८ से.मि. प्रस./३१५० परि./८६५७/६ तेजपाल साधु सज्झाय ले सं. १६७८: हाथकागळ पत्र १ मु; २५४११.५ से.मि. गाथा ३. कटुकरा जवंशमां अभयादि स्थानक तेजपाले बंधाव्यानेा उल्लेख प्रशस्तिमां छे. प्रसं./३१५१ परि/२५८६/२७ सामायिक सज्झाय ले सं. १६७८, हाथकागळ पत्र ३जु; २५x11.५ से.मि. गाथा ४. प्र.स/३१५२ परि./२५८६/३ दयाकुशल (त). गणधरनाम स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७९; २४.३४१०.६ से मि. गाथा ५. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां कल्याणकुशलना शिष्य; वि स. १६४९नी अमनी रचेली कृति नेांधायेली छे. (जै. गू. क भा. १ पृ. २९६). प्रति पाटणमां लखाई. प्र.सं./३१५३ परि ५०९७/१० दयाशील (अं.). क. याकुटुंब सज्झाय स्तबक ले.स. २०#शतक अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.२४११.६ से मि. कर्ता-अंचलगच्छीय विजयशीलना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदी (जै गृ. क. भा. ३, खं. १ पृ. ९०२). प्र.सं./३१५४ परि /४11 दानमुनि कर्म सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मु; १९.५.९ से.मि. गाथा ८. कर्ता-परिचय अप्राप्य. लिपिकार शांतिसागर .प्र.स./३१५५ परि./८१४९/१४ Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८२ संज्झाय दानशेखरगणि मुहपत्ति विचार सज्झाय ले.स. १८मुशतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ८९; २६४११ से.मि. कर्ता--अनंतहंसना शिष्य छे. (पत्र ८) गच्छ-समय अज्ञात. प्रसं/३१५६ परि /१८३४/६ देपालकवि कायाबेडी स्वाध्याय ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३९; २४४९.९ से.मि. गाथा ५. कर्ता - ज्ञाति भोजक, अटक ठाकोर. समय वि.सं. १५००-१५२२ मां हयात (जै. गू. क. भा. १ पृ. ३७). प्र.सं./३१५७ परि./८६०१/१७ देवचंद्रख.). १-पंचभावना सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६.३४११.५ से.मि. ___ कर्ता-खरतरगच्छना दीपचंदना शिष्य. समय वि. १८मी सदी (जे. गू. क. भा. २ पृ. ४७६). प्र.सं./३१५८ परि./२८६७ २-पंवभावना सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.४४११.९ से.मि. प्र.सं./३१.९ परि./१०९२ देवविजयवाचक अष्टमी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५९; २६.५४११.२ से.मि. पद्य-. ___कर्ता--विजयरत्नसूरिना शिष्य गच्छ-समय अज्ञात. (जै. गृ. क. भा. २मां नेांधायेला त्रणमाथी के आ नथी) प्र.सं./३१६० परि./६९१५/१६ पंचमीतप स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु'; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./३१६१ परि /६९१५/१५ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २५.२४ रात्रिभोजन स्वाध्याय ले.स. १९मु ११.४ से मि. पद्य-1१. प्र.सं./३१६२ परि./२०६४/७ Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ३८३ धनहर्ष सर्वार्थसिद्धि स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १३मु; २३.४४१०.८ से.मि. पद्य-११. कर्ता-मात्र नाम निदेश. प्र.सं/३१६३ परि ८५.९/२४ धर्मदास सातवारनी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.७४१२ से मि. पद्य १०. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.सं./३१६४ परि./१८६९/३ धर्मसिंह हितोपदेश स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १८थी १०; २५.५४ ११.५ से मि. पद्य-११. कर्ता-खरतरगच्छना जिनभद्रनी परंपरामां विमलकीति'> विजयहर्षना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. २ पृ. ३३९). प्र.सं /३१६५ परि./२३४०/६ धर्महंस(आ.). १- नववाड स्वरूप सज्झाय ले.सं. १६८४; हाथकागळ पत्र :; २५४१ १ से.मि. पद्य ५६. वर्ता-आगमगच्छना छे. समय वि.सं. १६२० आसपास (जै. सा. इति. पृ. ६१३ फकरो .०४.) नवानगरमा श्राविका कोडीमादे माटे, अंचलगच्छनी हीरा अने मृगा साध्वीनी शिष्या प्रेमा प्रति लखी. प्र.सं./३१६६ परि./५७६४ २-नववाड स्वरूप सज्झाय ले.सं. १६८४: हाथकागळ पत्र ३; २६.४४११.५ से.भि. __साध्वी रतनबाई अने सा. माना माटे नवानगरमां प्रति लखाई. प्र.सं/३१६७ परि./१०६८ ३-नववाड सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८थी ११; २७४११.२ से भि. पद्य-५५. प्र.स/३१६८ परि./२७८४/२ ४-नववाड स्वाध्याय ले.म. १८९ शतक (अनु.); हाथकागज पत्र १ थी ३; २५.५४११.३ से.मि. गाथा ५७. .. प्र.स १६९ परि./६२३६/१ Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८४ सज्झाय शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५ थी ७; ५-नववाड सज्झाय ले.स ५९मु २५.५४११ से.मि. पद्य ५९ प्र.सं./३१७० परि./३९९१/२ ६-नववाड सज्झाय ले.सं. १६८७; हाथकागळ पत्र ५, २५.८४११ से मि. पद्य ५८. प्रति पाटणमा लखाई. प्र.स./३१७१ परि./४५४७ नयसमुद्र आत्मानी सज्झाय ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५-३४१०.८ से.मि. पद्य १३. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स/३१७२ परि./२९४६/२ नयसुंदर (व.त). जुहार मित्र सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४, ०३.८x१०.३ से.मि. गाथा ८३. ___ कर्ता-वडतपगच्छना धनरत्नसूरि> भानुमेरुना शिष्य छे. वि.सं. १६३७नी रचेली ओमनी कृति नेांधायेली छे. (जै. गू, क , भा. १, पृ. २५८). प्र.स./३१७३ परि./४९५३ नल अफीण अवगुण सज्झाय.ले.स. १७६६; हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४११.४ से मि. पद्य १६. कर्ता-परिचय प्राप्य. प्र.स/३१७४ परि. ३५६९/२ न्यायविजय असज्झायनी सज्झाय. ले.सं. १८८८; हाथकागळ पत्र १३ थी १४; २७४११.७ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य, प्रस /३१७५ परि./१५४३/८ न्यायसागर (त.) चैत्य द्रव्य रक्षण-भक्षण फल दृष्टांत स्वाध्याय. ले.स. १*मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५.४४११.६ से.मि. कर्ता-तपगच्छना धर्म सागर > विमलसागर > पद्मसागर> उत्तमसागरना शिष्य छे. वि.स. १७२८ मां जन्म-१७९७ मां देहत्याग. (जै. गू. क, भा. २. पृ. ५४२). प्र.म/३१७६ परि./१७०२/१ Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय दग आशातना स्वाध्याय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २६×११.५ से.मि. पद्य ६. जयसागर मुनि माटे पं. खीमाविजये प्रति लखी. प्र.सं./३१७७ परि./५८६१/१५ पार्श्वनाथना अकादश गणधर स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १लं; २२.७१२.५ से.मि. गाथा ६. परि. / २७२०/४ ३८५ प्र.सं./३१७८ पार्श्व चन्द्रसूर १ - कल्याणक स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ४; २५.५४११२ से. मि. गाथा २२. कर्ता —पायचंदगच्छना स्थापक. जन्म वि.सं. १५३७, स्वर्गवास सं. १६१२ (जै. गू. क., भा. १, पृ. १३९). प्र.स./३१७९ परि. / ३५७९ / ४ २ - कल्याणक स्वाध्याय ले.सं. १७३६; हाथकागळ पत्र | थी २; २६४११ से. मि. पथ २१. प्र.सं./३१८० परि / ५९०२/१ शीलदीपक स्वाध्याय ले. स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५०७ ११०१ से.मि. गाथा २१. ऋषि पूजा साठे मुभि हीरानंदे प्रति लखी. परि./८३०३/१ प्र.सं./३१८१ साधुवंदना सज्झाय ले. सं. १८७७; हाथ कागळ पत्र १ थी ४; २५.३४१०.८ से. मि. पद्य ८८. पं. नगविजये स्वार्थे कुचेरामां प्रति लखी. प्र.सं./३१८२ प्रीतिविजय ( त . ) १ - आत्म शिखामण स्वाध्याय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.१४९.५ से.मि. गाथा ७. परि./६०८७/१ कर्ता - तपगच्छना विजयदानसूरि> आनंदविजयना शिष्य समय वि.सं. १६१२ नी अमनी रचेली कृति नांधाई छे. (जै. गू. क, भा १, पृ. २०३ ). परि / ८५३१/७ प्र.सं./३१८३ ४९ Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८६ सज्झाय २-~-आत्मशिक्षा स्वाध्याय ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४ ११.५ से.मि गाथा ६ तूटक. पत्रो १, २ नथी १लु पद नथी. प्र.स./३१८४ परि./३५४३/१ क्रोधनी सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र जु; २५४११.३ से.मि. गाथा ७. प्र.स/३१८५ परि./७११४/४ संवेग सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०, २४.३४१०.६ से.मि. पद्य ५. लेखन स्थळ-पाटण, प्र.स./३१८६ परि./५०९७/२१ प्रीतिविमल (त.) ईरियावही सज्झाय ले.स. १७६६; हाथकागळ पत्र १० थी ११; २५.७४११.४ से.मि. पद्य १८. कर्ता-तपगच्छना आणंदविमल>धर्मसिंह > जयविमलना शिष्य छे. प्रस/३१८७ परि/३५६९/१० १-कलियुग सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु; २५.५४१२ से मि. गाथा १२ प्र.स./३१८८ परि./६७६३/४ २-कलियुग स्वाध्याय ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७३ थी ७४; २१.७७.३ से.मि. पद्य १२. प्र.स./३१८९ परि..८४८०/३० ३-कलियुग स्वाध्याय ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी १४; २०.५४11.५ से मि. गाथा १२. प्र.स./३१९० परि./२७६२/२३ शिखामण सज्झाय ले.स. १७६६; हाथका गळ पत्र ३ थी ४; २५.७४११.४ से मि. पद्य ७. प्रस./३१९१ परि./३५६९/४ प्रेममुनि मधुबिंदु स्वाध्याय ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथका मळ पत्र ९मु'; २३.४४१०.८ से.मि पद्य १०. ___ कर्ता-चरणप्रपोदना शिष्य छे. (५. १०) प्र.सं /३१९२ परि./८५९९/१४ Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय प्रेमविजयजी (त. ) स्वाध्याय (दान; शील; तपः भावना ) ले स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६.४४१३०१ से.मि. गाथा ५. कर्ता - तपगच्छना विजयसेनसूरि >> विमलहर्षना शिष्य छे. वि.सं. १६६२नी रचेली ओमनी कृति नांधायली छे. (जै. गु. क., भा. १, पृ. ३९७). प्र.स ं./३१९३ परि. / ८३८७ / ४ ब्रह्ममुनि (पा.) अठार पापस्थापक परिहार कुलक सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.२×१०.६ से.मि. कर्ता — पार्श्व चंद्रीयगच्छना छे. समय वि.सं. १५६८ जन्म, सं. १६३६मां स्वर्गवास (जै. गृ. क. भा. १, पृ. १५३ ). प्र.स ं./३१९४ लेश्या स्वाध्याय से.मि. पद्य १३. प्र.स ं./३१९५ ३८७ भावप्रभसूर दश दृष्टांत संक्षेप स्वाध्याय ले.सं. १८००; हाथकागळ पत्र २जु; २३.८४१०.५ सेमि. पद्य १२. परि. / ४८८१/१ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु २०.५० ११.८ परि. / २७६२/३ कर्ता—पायचंदगच्छना चंद्रप्रभसूरिनी परंपरामां महिमाप्रभसूरिना शिष्य. अपरनाम भारत्नसूर. (जै. गु. क. भा. २, पृ. ५०३). प्र.स ं./३१९६ परि. ६५१८/२ १ - देववंदनविधि स्वाध्याय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ थी ३; २६-३४११.५ से.मि. प्र.सं./३१९७ परि/२२२८/४ २ - देववंदन विधि स्वाध्याय ले.स १८ मुं शतक (अनु); हायकागळ पत्र ३ थी ४ ; २४. २११ से. भि. प्र.सं./३०९८ परि./५२०३/४ १ -- पाक्षिक - चातुर्मासिक-सांवत्सरिक प्रतिक्रमण - स्वाध्याय ले. स. १८ शतक (अनु.): हाथ कागळ पत्र ३जु; २४.२४११ से.मि. प्र.सं./३१९९ २ - पाक्षिक चातुर्मासिक-सांवत्सरिक प्रतिक्रमण स्वाध्याय हाथकागळ पत्र २जु; २६.३४११.५ से.मि. प्र.सं./३२०० परि./५२०३/३ लेस. १८ शतक (अनु.); परि. / ०२२८/३ Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८८ : सज्झाय १-प्राभातिक प्रतिक्रमणविधि रवाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २४.२४११ से.मि. प्र.स./३२०१ परि./५२०३/१ २-प्राभातिक प्रतिक्रमणविधि स्वाध्याय ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २६.३४11.५ से.मि. प्र.स./३२०२ परि./२२२८/१ १-संध्या प्रतिक्रमण विधि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.३४११.५ से.मि. प्र.स./३२०३ परि./२२२८/२ २-संध्या प्रतिक्रमण विघि स्वाध्याय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३: २४.२४११ से.मि. प्र.सं./३२०४ परि./५२०३/१ १--सामायिकपूर्वक इरियावही पडिक्कमण चर्चा स्वाध्याय वृत्ति ले.स. १८९ शतक . (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ९; २४.२४11 से.मि. त्रिपाठ. ___ स्वोपज्ञ वृत्तिवाळी कृति. प्र.स./३२०५ परि./५२०३/८ २-सामायिकपूर्वक इर्यावही प्रतिक्रमण चर्चा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ७; २६.३४११.५ से.मि. त्रिपाठ. स्वोपज्ञ वृत्ति. शिष्यो माटे अणहीलपुर(पाटण)मा प्रति लखाई. प्रसं./३२०६ परि./२२२८/८ भावसागर (अं) अनंतकाय स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १३मु; २५.५४ ११.५ से.मि. पद्य १२. ___ कर्ता-अंचलगच्छना सिद्धांतसागरना शिष्य छे. समय वि.सं. १५७. पहेलां (जै. गू. क., भा. ३, स्त्रं. १. पृ. ५७२). प्र स ./३२०७ परि./२३४०/२ माया सज्झाय ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २५.५४१०.५ से.मि. पद्य ७. पति जीर्ण छे. प्र.स./३२०८ परि./८८८७/१५ Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सजमाव ३८९ भावसागर लोभ सज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पय १० थी ११; २५.५४ १०.५ से.मि. पद्य ८. कर्ता-वीरसागरना शिष्य, गच्छ के समय अज्ञात. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३२०९ परि./८८८७/१६ मणिचंद आत्म शिक्षा सज्झाय ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ५मु; २४.३४११ से.मि. पद्य ६. कर्ता-परंपरा अज्ञात (जै. गू. क., भा. ३, ख १; अने जै. सा. इति. पृ. ६८१, फकरा १०००मां अनने वि.सं. १९३० आसपासमां मूकेला छे. तेमां कई भूल होवा संभव छे.) प्र.स./३२१० परि./४४०१/१४ आत्महितोपदेश सज्झाय ले.स. १७३४; हाथकागळ पत्र ३जु; २४.४११ से.मि. पद्य ५. प्र.स . ३२११ ___ परि./४४०१/६ चेतना सज्झाय ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ३जु; २४.३४११ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३२१२ परि./४४०१/८ ज्ञानी सज्झाय ले.सं. १७३४; हाथका गळ पत्र ३ थी ४थु; २४.३४११ से.मि. पद्य ६. प्र.स./३२१३ परि /४४०१/९ धर्म शिक्षा सज्झाय ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ६; २४.३४११ से.मि. पद्य ५. प्रस./३२१४ परि /४ ४ ०१/१६ परमात्म सज्झाय (२) ले.सं. १७३४; हाथका गळ पत्र ३जु, ४थु; २४.३४११ से.मि. अनुक्रमे पद्य ५, ५. प्र.स./३२१५ परि/४४०१/७; ११ परमार्थ सज्झाय ले.स. १७३४; हाथकागळ पत्र छु; २१.३४११ से.मि. पद्य १०. प्र.स/३२१६ परि /४४०१/१७ रात्रि भोजन सज्झाय ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र १ थी २; २१.३४११ से.मि, पद्य १२ प्रसं/३२१७ परि./४४०१/३ वैराग्य सज्झाय (२) ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र लुं; ४थु'; २४.३५११ से.मि. अनुकमे पद्य ११, ९. प्र.स./३२१८ परि./४४०१/२, १२ शिक्षा सज्झाय (२) ले.स. १७३४; हाथकागळ पत्र २जु, ६ थी ७मु; २४.३४११ से.मि. अनुक्रमे पथ ७, ७. प्र.स./३२१९ परि./४४०१/४, १८ Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९० समकित विचारणा सज्झाय ले. सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ५; २४ ३४११ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./३२२० परि./४४०१/१३ सुमति- कुमति शिक्षा स्वाध्याय ले सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ४थु ; २४०३×११ से.मि. गाथा ७. प्र.स ं./३२२१ सझाय परि. / ४४०१/१० हितोपदेश सज्झाय ले. सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ५ थी ६ २४ ३४११ से. मि. पद्य ८. प्र.सं./३२२२ परि / ४४०१/१५ मणिविजय (त. ) चतुर्दश गुणस्थानक सज्झाय ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २३.४४१०.८ से.मि. कर्ता — तपगच्छना कपूरविजयना शिष्य समय वि. १८मी सही. (जै. गू. क., भा. ३, खं. २, पृ. १५२८ ) . प्र.सं./३२२३ परि./८५९९/३ त्रण प्रकृति स्वाध्याय ले.स. १९ मे शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ २३.४४१०.८ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./३२२४ परि./८५९९/२ पांच कर्म प्रकृति स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १ २३x १०.२ से.मि. प्र.स ं./३२२५ परि./८५९९/१ महिंस पजूसण सिझाय ले स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६; २६-३४१२०१ से.मि. गाथा ११. कर्ता - परिचय अप्राप्य. प्र.सं./३२२६ मनोहर ( व . ) . शिखामण स्वाध्याय ले.सं. १९३५ : हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २७४१३७ से.मि. पद्य १२. कर्ता - विजयगच्छना गुणसूरिनी परंपरामां मल्लिदासना शिष्य ( समय वि. १७मी सदी (जै. गू. क. भा. १ पृ. ४९५ ). प्र.स ं./३२२७ परि./८२७३/२ परि. / ७८३७/४ Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय महानन्दकवि ( ) . १ - मंत्र-तंत्र-यंत्र दोष स्वाध्याय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र १७; २६४१०.२ से.मि पद्य १९ सुधी अपूर्ण. वर्ता - तपागच्छीय. समय वि.स. १७मी सदी अनुमाने (जै. सा. इति पृ ५६३-६४; फकरो ८२४). प्र.स ं./३२२८ ३९१ परि. / ८३१७/२ २ - यंत्र-मंत्रादि निषेध सज्झाय ले.स. १७६६; हाथका गळ पत्र २थी ३; २५.७x ११.४ से मि. पद्य २१. प्रस ं./३२२९ परि. / ३५६९/३ महामुनि वैराग्य स्वाध्याय ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २००५ ११.८ से. मि. पद्य ८. कर्ता - परिचय अवाप्य. प्र.सं./३२३० महिमाप्रभसूर (पू.). मुहपत्ति पचास पडिलेहण सज्झाय ले.स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ९मु; २४-२११ से.मि. कर्ता - पूर्णिमागच्छना विद्याप्रभ > ललितप्रभ > विनयप्रभना शिष्य समय वि.सं. १८मी सही अनुमाने (जै. सा. इति पृ. ६५८ फक। ९६८). प्र.स / ३२३१ 9f2./11203/8 परि./२७६२/२२ महिमा सागर वाचक ( ख ). नववा स्वाध्याय ले. स. १६०५: हाथकागळ पत्र ५ २३.८x११.२ पद्य ५८. कर्ता - खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां खेमकलशना शिष्य छे, समय वि.स. १७मी सदी (प. ५८). आ कर्ता जै. सा. इति के जै. गू. क.मां नांधायेल नथी. कर्ताना हस्ताक्षरवाळी प्रति स्तंभवतीर्थ ( खंभात) मां बाई रतनबाई माटे लखायेली. परि. / ७६७५ प्र.सं./३२३२ मानविजय (त. ) . आज्ञा सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ६ थी ७; २४.१०.५ से. मि. पद्य ७. कर्ता ---उपगच्छना शांतिविजयना शिष्य ( प. ७) समय वि १८मी सदी (जै. गू. क. भा. २ पृ २३२). प्र.सं./३२३३ परि./५०८९/१० Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९२ आठमदनी सझाय ले.स २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २०×१२.८ से.भि. प्र.स ं./३२३४ परिं./१६५०/२ कालोदायी सज्झाय (ज्ञानगवेषण विषये ) ले.स. १८मुळे शतक ( अनु ); हाथ कागल पत्र ६३ २४×१०.५ से.मि. पद्य ६. प्र.स ./३२३५ कुप्रति सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २; पद्य २१. प्र सं./३२३६ परि / ३९३३ गुणप्रशंसा सज्झाय ले स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २४४१०.५ से मि . पद्य ७. प्र.स ं./३२३७ सज्झाय परि./५०८९/२० १ - गुरुकुलवास सज्झाय ले.स. १८ मुं शतक (अनु); हाथ कागळ पत्र २३थी २४; १२.२x२१ से.मि. गाथा ११. प्र सं . / ३२३८ परि./५०८९/७ २५×११ से.मि. परि०/२७४२/१४ २ - गुरुकुलवास सझाय ले. स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४४१०.५ से.मि. पद्य ११, तूट पत्रो १थी ३ नथी. प्र.सं./३२३९ परि./५०८९/१ चैत्यवंदनमहिसा सज्झाय ले.स. १९मुळे शतक (अनु); हाथकागल पत्र १२ थी १३; १६४१० से.मि पद्य १२. परि. / ८६२८/५ प्र.सं./३२४० शिष्य – कुरुदत्त सझाय ले. स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र २३मु; १२०२४११ से. मि. पद्य १०. प्र.स ं./३२४१ परि./२७४२/१३ दक्षता सज्झाय ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०थी ११; २४४१०.५ से.मि. पद्य ९. प्रसंौं/३२४२ परि. / ५०८९/२४ नमस्कार स्वाध्याय ले. स. १७३९; हाथकागळ पत्र ३; २६.८४११.६ से.मि. पद्य ५६. पंचतुर सौभाग्यना शिष्य दोपसौभाग्यसूरिओ प्रति लखी. प्रस. / ३२४३ परि./८४९० १. च्चकखाणसज्झाय ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८थी ११ २५.७X ११.५ से.मि. प्र.सं./३२४४ परि./५५३२/३ Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय मार्गानुसारी गुणगर्भित सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.६४१२.५ से.मि. श्राविका जतनबाई माटे लखायेली प्रति. प्र.स./३२४५ परि/३२२ १-लोभ सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ थी २६; २१४१२.२ से.मि. पद्य ६. प्र.स./३२४६ परि./२७४२/10 २-लोभ सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २४४१०.५ से.मि. पद्य ६. प्र.सं./३२४७ ___ परि./५०८९/५ व्रत आराधन सज्झाय ले.स. १४९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ७मु; २४४१०.५ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३२४८ परि./५०८९/११ शंख सज्झाय (वर्धमानपरिमाणविषय) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २४४१०.५ से.मि. पद्य १०. प्र.स/३ २४९ परि./५०८९/१५ श्रावक बारमत सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २८.५४१३.८ से.मि. शाह सकले प्रति मेळवी. प्र.सं /३२५० परि./७९९७ श्रुत प्रशंसा सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१ थी २२; २१४१२.२ से.मि. प्र.सं./३२५१ परि./२७४२/११ श्री स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५ थी ६; २४.३४१०.६ से.मि. पद्य १७. पाटणमां प्रति लखाई. प्र.सं./३२०२ परि./५०९७/४ श्रुताभ्यास सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २४४१०.५ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./३२५३ परि /५०८९/१४ साधुगुण-२१ स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९९; २५.५४ ११.५ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./३२५४ परि./२३४०/ Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९४ सज्झाय मालमुनि परनारी परिहार स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.६x ११.७ से.मि. पद्य १०. ____ कर्ता-वि. १७मी सदीमा नांधायेला छे. (जै. ग. क. भा. १, पृ. ४६३). प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./३२५५ परि./८३१४/२ मेरुविजय (त.) १-इर्यापथिकी मिथ्या दुष्कृत स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३६९; २५.५४ ११.५ से.मि. पद्य १६. कर्ता-तपगच्छना विजयदानपिनी परंपरामां रंगविजय गणिना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. १९०). प्र.सं./३२५६ परि./२३४०/२७ २-मिच्छामि दुक्कड रवाध्याय ले.स. १९मुंशतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३जु'; २५.२४११.४ से.मि. पद्य १६. प्र.सं./३२५७ परि./२०६४/४ मुहपत्ति स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २४.३४१०.६ से.मि. पद्य ९. . प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./३२५८ परि/५०९७/१३ यशोबिजय उपा. (त.) . १-अगियार अंगनी सज्झाय ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र ८ थी १०; २६४११.५ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छना कल्याणविजयनी परंपरामां नयविजयना शिष्य, समय वि. १८मी सदी लगभग (ज. गू. क., भा. २, पृ. २०). प्र.स./३२५९ परि./२३६७/१४ २-अगियार अंगनी सज्झायो ले.स. १८९ शतक (अनु ) हाथकागळ पत्र २; २४.५x ११ से.मि. प्र.सं./३२६० परि./२९७६ : १–अढार पापस्थानकनी सज्झायो ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; २३.५४१२.५ से.मि. वणोदनगरमा भाणविजयगणिना शिष्य रंगजी प्रति लखी. प्र.सं./३२६१ परि/१११९ Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सैसाथ ३९५ २ - अढार पाप स्थानक सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.) : हथिकागळ पत्र ९; २५.५४११.५ से.मि. परि. / ३१९१ प्र.स ं./३२६२ ३ - अढार पाप स्थानकरूप सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ८; २५x११.४ से.मि. अपूर्ण. प्र.स ं./३२६३ ४- अष्टादश पाप स्थानक सज्झाय १९७४१०.७ से.मि. प्र.स ं./३२६४ परि. / ८१७८ ५ – अढार पाप स्थानक सज्झाय ले. सं. १७४३; हाथकागळ पत्र १४; २४४११ से.मि. श्रीमाळ ज्ञाति वृद्धशाखाना शाह केशवजीने राजनगर ( अमदावाद ) मां मळेली प्रति. परि. ५०५८ प्रति./३२६५ १ - अध्यात्म स्वाध्याय ले. सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २१ मुं; २५४११०३ से.मि. पद्य ६. प्रति चांटाडेली छे. अंबादतो पाटणमां प्रति लखी. १ - अमृतवेल सज्झाय ले.सं. पद्य २ पाटणनगरमा प्रति लखाई प्र.सं./३२६६ परि./३१२४/४ २ - अध्यात्म सज्झाय ले.स. १७ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २जु; २४.७४१०.५ से.मि. पद्य ६. प्र.सं./३२६७ प्र.सं./३२७० F परि. / ४३७६ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६० प्र.सं./३२६८ परि० / ३२८८ / १ २ - अमृतवेल सज्झाय ले. सं. १८९२; हाथकागळ पत्र १६ थी १७; २९.३४११.५ से.मि. राधनपुरनगरमा मोहनविजयगणि> राजविजयना शिष्य रूपविजये प्रति लखी. प्र.सं./३२६९ परि./१३५५/२ आगम सज्झाय ले. सं. १७१२: हाथकागळ पत्र २२मुं; २५x११.३ से.मि. पद्य ५. पाटणमां अंबादत्ते लखेली प्रति सांधेली छे. प्र.स / ३२७१ १ – आठ दृष्टिनी सज्झाय ले. सं. १७३८; हाथकागळ पत्र ५ पद्य ११५. प्रति पाटणमां लखाई. परि/६३२३/४ १८७५, हाथकागळ पत्र १ थी २; २५०७४१२ से.मि. परि. / ३१२४/८ २४.७४११ से.मि. परि. / ४०४१ Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९६ सैज्झाय ..२-आठदृष्टिनी सज्झाय (आत्मप्रबोधकज्ञापक) ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४थु; २६४११ से.मि. पद्य ७१. प्र.स./३२७२ परि./४५४६ ३- आठदृष्टि सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २२.१४१० से.मि. प्र.स./३२७३ परि./५२८ ४-आठ दृष्टिनी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.३४ - ११.३ से.मि. प्र.स./३२७४ परि./७२३६ . . ५-आठ दृष्टि-स्वाध्याय ले.न. १८४५; हाथकागळ पत्र २; २५.२४११.५ से.मि. ___पं. हेमविजयना शिष्य पं. तेजविजये पेटलादमां लखवानी शरू करी, खेडामां पूरी .. करेली प्रति. प्र.स./३२७५ परि./४२९९ ६-आठ दृष्टिनी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११ से मि. प्र.स./३२७६ परि./३५०० १-आठ दृष्टि सज्झाय-स्तबक ले.सं. १८७४; हाथकागळ पत्र १५; २४.६४११.३ से.मि. गाथा ८४. - स्तबकना कर्ता ज्ञानविमलसूरि छे. प्रति खंभातमां लखाई. प्र.स./३२७७ परि./४२७६ २-आठ दृष्टिनी सज्झाय-बालावबोध ले.स. १८९६; हाथकागळ पत्र २४; २०.३४ १२.८ से.मि. प्र.स./३२७८ परि./८१२१ कुगुरुनी स्वाध्याय ले.सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २२मु; २५४११.३ से.मि. पद्य ५. पाटणमां अंबादत्ते लखेली प्रति. कागको चेटेला छे. प्र.स./३२७९ परि./३१२४/१० १--कुगुरु सज्झाय ले.सं. १८३३; हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २६.५४११.७ से.मि. पद्य ३९. प्र.स./३२८० परि./३३०६/४ २- कुगुरु सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.७४ १०.८ से मि. पद्य ३९. प्र.सं /३२८१ परि./६२३०/१ Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सजसाय ३-कुगुरु स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी ३; २६.३४११.३ से.मि. पद्य ३८. प्र.स /३२८२ परि./३३०८/१ गुरु महिमा ले.सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २२ थी २३; २५४११.३ से मि. पद्य १५. अंबादत्ते पाटणमां लखेली प्रति. कागलो सांधेलां छे.. प्रस./३२८३ परि / ३१२४/१३ जिन प्रतिमा अधिकार स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ७ थो ८; २०.५४११.८ से.मि. पद्य १५. प्रसं'./३२८४ परि./२७६२/१५ ज्ञाननी स्वाध्याय (२) ले.सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २१.२२; २५४११.३ से.मि. अनुक्कमे पद्य ८, ७. पाटणमां अंबादत्ते लखेली प्रति सांधेली छे. प्र.स./३२८५ परि./३१२४/५; ९ द्वादश भावना स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १४थी १८; २५.५४११.५ से.मि. प्रति जेसलमेरमां लखाई. प्र.स./३२८६ परि./२३४०/४ प्रतिमास्थापन सज्झाय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० मुं; २४.३४१०.६ से.मि. पद्य १५. - प्रति पाटणमां लखाई प्र.स./३२८७ परि./५०९७/२३ यतिधम सज्झाय (२) ले.सं. १९४५; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६.१४११.८ से.मि. प्रस./३२८८ परि./६८६२/१; २ १-योगदृष्टि स्वाध्याय ले.स. १७७६; हाथकागळ पत्र १; २४.८४११ से.मि. ढाळ ७. प्र.स./३२८९ २-योगदृष्टि स्वाध्याय-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३; २५.२४११ से.मि. ग्रंथान १४५५. स्तबक-कर्ता ज्ञानविमलसूरि. प्र.स./३२९० परि./५२६३ ३-योगदृष्टि सज्झाय-स्तबक ले.सं. १७७९; हाथकागळ पत्र २०; २५.६४११.६ से.मि. गाथा ८४. ग्रं. ९५०. राजनगर(अमदावाद)मां कटुकमति शाहजी नाथा माटे प्रति लखाई. प्र.स'./३२९१ परि./२२३४ परि./६०६६ Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९८ ४ – योगदृष्टि स्वाध्याय- बालावबोध ले.स. १९०३ हाथकागळ पत्र ३८; २७० १४१२ से.मि. ढाळ ८. साध्वी माणेकश्री माटे, पाटणमां ठाकोर सिवराम पानाचंदे लखेली प्रति. परि. / ४१३ प्र.सं./३२९२ वेशविडंबक सज्झाय ले. स. १९४५; हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २६.१x११.८ से.मि. पालनपुरमां हीरविजयसूरिना शिष्य अने मुनि विवेकना सहवासी पं. प्रेमविजये प्रति लखी. प्र.सं./३२९३ शिखामण स्वाध्याय ले. स. १७१२; हाथका गळ पत्र २३; पाटणमां अंबादत्ते लखेली प्रति सांधेली प्रति. परि./३१२४/१५ प्र.सं./३२९४ समकित भक्ति स्वाध्याय ले. स. १७१२; हाथकागळ पत्र २२ मुं; २५x११.३ से. मि. गाथा ५. पाटणम अवादत्ते लखेली प्रति सांधली प्रति. प्र.सं./३२९६ प्र.सं./३२९५ परि / ३१२४/१२ १ -- समकितना सड़सठबोलनी सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २६.५४१०.८ से.मि. पद्य ७५. श्राविका वंछीबाई माटे केसरसौभाग्य मुनिओ लखेली प्रति. २ - समकित सड़सठ बोलनी सज्झाय २५.८४११०४ से.मि. पद्य ६८. प्र.स./३२९७ ३ - समकित सडसठ बोलनी सज्झाय २४.६१०.८ से. मि. प्र.सं / ३२९८ ४ - समकित सडसठ बोल स्वाध्याय २५.४४१०.८ से. मि. पद्य ७७. प्र.स ं./३२९९ ५ - समकित सडसठबोलनी सज्झाय २६११.५ से.मि. पद्य ६८. लेखनस्थळ - पाटण. प्र.सं./३३०० साथ परि./८६२/३ २५४११०३ से.मि. पद्य ९. परि. / ३२०३ ले.स. १८मु ं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं'; परि. / ४४९५ ले. सें १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; ले. स. १८३६; हाथकागळ परि./८३५९ पत्र १थी ७; परि./८५१०/१ ले. स. १९मुळे शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ४ ; परि. / ४४२१ Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ३९९ ६ - समकित सडसठ बोलनी स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हामकागळ पत्र १ थी ४; २६-२×१२.५ से.मि. पादलिप्ततीर्थ ( पालीताणा ) मां प्रति लखाई . प्र.स./३३०१ परि/७३८५/१ ७ – समकित सडसठ बोल स्वाध्याय ले. सं. १८६४; हाथ कागळ पत्र ५; २६.७४१२ से मि. पादरानगरमां प्रति लखनार मानचंद हर्ष चंद. प्र.स ं./३३०२ परि / ६७९५ ८ - समकित सडसठ बोलनी सज्झाय ले.स. २० मुं शतक ( अनु ); हाथ कागळ पत्र ७; २६.५४१२ से.मि. गाथा ७०. प्र.स ं./३३०३ ९ - समकित सडसठ बोल सज्झाय लेस. २०भुं शतक (अनु.); २६-४१२०३ से.मि. प्र. स. / ३३०४ परि / १०७८ १०- समकित सडसठबोलनी सज्झाय ले.स. २०मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ४; २५.१४१३ से.मि. प्र.सं./ ३३०५ ११ - समकित सडसठबोलनी सज्झाय-साथ ले. सं. १८९७ ; २६.५४१२.८ से.मि. पादलिप्तपुर (पालीताणा ) मां प्रति लखाई. प्र.सं./३३०६ १२ -- समकित सडसठबोलनी सज्झाय ले.सं. १९१५; हाथकागळ पत्र २१; १२.९ से.मि. विजापुरमां चूनीलाले प्रति लखी, प्र. स. / ३३०८ २ - संयमणि स्वाध्याय - स्तबक २५.११×११.७ से.मि. अपूर्ण. स्वोपज्ञ स्तबक परि. / ७५०३ हाथ कागळ पत्र ५; प्रसं/३३०९ परि./९८४/१ हाथका गळ पत्र ३६; प्र.सं./३३०७ परि. / २६४ १ - संयमश्रेणि सज्झाय वृत्ति ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६x ११.३ से.मि. पद्य २१ (मूळ). स्वोपज्ञवृत्ति प्रति श्राविका रतनबाई माटे सुरतमां मोहनशील मुनिओ लखी. परि. ४३३ २६-३४ परि./५८५८ ले. स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५; परि. / ३१९२ Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०० सज्शाय ३-संयमश्रेणि स्वाध्याय-स्तबक ले.स. १९६६; हाथकागळ पत्र ६; २५.८४१३.२ से.मि. लिपिकार व्यास बंसीधर मंछाराम. प्र.स./३३१० परि./२६७ सामायिक स्वाध्याय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २१मु; २५४११.३ से मि. पद्य ८. पाटणमां अंबादत्ते लखेली प्रति. प्र.स./३३११ परि./३१२४/३ १-सुगुरु-स्वाध्याय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २१ मुं; २५४११ ३ से.मि. पद्य १०. पाटणमां अंबादत्ते लखेली प्रति. प्र.स./३३१२ परि./३१२४/१ .२-सुगुरु सज्झाय ले.स. १८३३; हाथकागळ पत्र १०थी ११; २६.५४११-७ से.मि. पद्य ४१. प्र.स./३३१३ परि./३३०६/५ ३-सुगुरु सजझाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.७४१०.८ से.मि. ग्रंथान ११०. प्र.स./३३१४ परि./६२३०/३ ४-सुगुरु स्वाध्याय. ले.स. १२९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३ थी ६; २६.३४११.३ से.मि. पद्य ४१. साध्वी सूर्यश्री माटे प्रति लखाइ. प्र.स./३३१५ परि./३३०८/२ ५-सुगुरु स्वाध्याय ले.सं. १७१२; हाथका गळ पत्र २४थी २५, २५४११.३ से.मि. पद्य ३९. प्र.स/३३१६ __परि./३१२४/१९ ६-सद्गुरु स्वाध्याय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २५ थी २६, २५४११.३ से.मि. पद्य ४१. प्र.स./३३१७ परि/३१२४/२० स्थापना परीक्षा स्वाध्याय ले.सं. १९६०; हाथकागळ पत्र ३ थी ५; १८x१०.७ से.मि. पद्य १५. बारोट नारण नाथुनी लखेली प्रति शा. बापुलाल निहालचंदने मळी. प्र.स./३३१८ परि /८२२४/२ हितशिक्षा स्वाध्याय ले.सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २१ थी २२; २५४११.३ से.मि. पद्य ७. प्रस./३३१९ परि./३१२४/६ Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४०१ हितशिक्षा सज्झाय ले.सं. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २; २५.३४११.५ से.मि. पद्य २९. प्र.स./३३२० परि./५०१९ हितशिक्षा सज्झाय ले.सं. १९३३; हाथकागळ पत्र ११ थी १२, २६.५४११.७ से.मि. पद्य १५. प्र.स./३३२१ परि/३३०६/६ रत्ननिधान (ख.) सप्त व्यसन सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.५४११.५ से.मि ___ कर्ता-खरतरगच्छना. वि.सं. १६४९मां तेमने पाटव-द मलं. समरसुंदर अने अकबरना समकालीन (जै. सा. इति. पृ. ५७५ फकरो ८४४). प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३३२२ परि./१८२४/२ रत्नविजय कुगुरु सज्झाय ले.सं. १९३५; हाथकागळ पत्र २; २६४१३ से.मि. पद्य २५. कर्ता-शांतिविजयना शिध्य. गच्छ के समय मळतो नथी. (जै. गू, क., भा. ३, खं. १ मां पृ. २५; ५६ अने १२७ उपर नेांधायेला प्रणेमाथी के आ नथी): सुखलाल पुरोहिते प्रति लखी, १.स./३३२३ परि./७५६. राजसमुद्र (ख.) कर्मबत्रीसी स्वाध्याय र.सं. १६६९ ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.५ से.मि. गाथा ३१. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रनी परंपरामां जिनसिंहसूरिना शिष्य. समय-वि.सं. १७मी सदी. प्र.स/ ३३२४ परि./२३६७/५ वैराग्य स्वाध्याय ले.सं. १८७६; हाथकागळ पत्र ३जु; २२.८४१२ से.मि. गाथा ७. प्रस./३३२५ परि./७६७८/७ हितोपदेश स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४०९; २५.५४११.५ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३३२६ परि./२३४०/३ Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०२ सज्झाय प्र.स./३३२७ रामचंद्र (ख.) १-दश पचक्खाण (स्तवन) र.स. १७३१, ले स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९ थी ३३; २१.७x9.३ से.मि. गाथा ३३. कर्ता-खरतरगच्छना पद्मरंगना शिष्य छे. समय दि. १८मी सदी. (जै. गू क., भा. ३, खं. २, पृ. १३०१, भा. २, पृ ३०७). परि./८४८०/१८ . २- दश पच्चक्खाण (स्तवन) स्वाध्याय र.स. १७३१; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५, २४.७४१०.२ से मि. गाथा ३२. प्र.सं./३३२८ ___ परि./६२५२/११ ३–दश पचक्खाणतप स्वाध्याय (स्तवन) र.स. १७३१; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २३.४४११.६ से.मि. प्र.स./३३२९ परि./७९६५. ४-प्रत्याख्यान स्वाध्याय (स्तवन) र.स. १७३१; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २३..X1१.४ से.मि. पद्य ३३. प्र.स ./३३३० परि./७२१६ रूपविजय. (त.) अष्ट प्रवचनमाता स्वाध्याय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २७.८४१३ से.मि. कर्ता - तपगच्छना पद्मविजयना शिष्य. वि.स. १८६१नी मेमनी रचना नेांधायेली ... छे. (जै गू क., भा. ३, न. १, पृ. २४९). प्र.स./३३३१ परि./८०१७ मनःथिरीकरण सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.२४ ११.७ से.मि. लिपिकार बारोट तेजाराम घेमर संघवी. प्र.स./३३३२ परि /४८८०/२ लक्ष्मीकल्लोल (त.) उपशम स्वाध्याय ले स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १; २५.९४११ से.मि. . पद्य २२. ___ कर्ता-तपाच्छना रत्नमंडनसूरिनी परंपरामां हर्षकल्लोलना शिष्य. समय वि.सं. . १५८३ थी १५९७ (जै. सा. इति. पृ. ५२० फकरो ७६१). प्र.स./३३३३ परि./४६५० शिखामण स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २३४१४.२ से.मि. पद्य १५. प्र.स./३३३४ परि./८०३३/३ Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय ४०३ लक्ष्मीरत्न नवतत्त्वना ३६ बोलनी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी 10; २४.३४११.७ से.मि. पद्य १०. प्र.स./३३३५ परि./२०७१/२५ लब्धिविजय (त.) अध्यात्म सज्झाय ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु'; २४.७४१००५ से.मि. पद्य ११. ___ कर्ता-तपगच्छन्ना विजयदानसूरि>अमीपाल>गुण् हर्षना शिष्य. वि.सं.. १६९१नी अमनी कृति नेांधायेली छे. (जै. गृ. क., भा. ३, ख, १, पृ. १०३९). प्र.स./३३३६ परि./६३२४/३ वैराग्य सज्झाय ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५.८४१०.८ से.मि. पद्य ११. प्र.स. ३३३७ परि./५४२८/२ लब्धिविजय अष्टमहासिद्धि सज्झाय ले.स. १९१३; हाथकागळ पत्र ३जु; २४४१२.२ से.मि. पद्य ८. कर्ता-परिचय अप्राप्य. पं. ऋषभविजये पाटणमां प्रति लखी. प्र.स./३३३८ परि/१११३/२ जीभलडीनी सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७९; २४.३४११.७ से.मि. प्र.स./३३३९ परि./२०७१/१८ १-नवकार सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २४.८४१२ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३३४० परि./४०८९/१० २-नक्कार स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु'; २५.५४११.१ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३३४१ परि./६८०५/७ ३-नवकारवाली स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५ थी ६; २०.५४११.८ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३३४२ परि./२७६२/१२ ४-नोकारवाली सज्झाय ले.स. १७८५: हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २६४११.५ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३३४३ परि./२३६७/१० Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समाये १-पंदरतिथि चरित्र संज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६.१४ . १२ से मि. प्र.स./३३४४ परि./६४४ २-पंदरतिथि स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४१२ से.मि. प्र.स./३३४५ परि./१९९० ३-पंदरतिथि सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २३४११.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./३३४६ परि /११२२ बीजनी स्वाध्याय ले.स. १९५३; हाथका गळ पत्र १३मु; २५.६४११.७ से.मि. पद्य ८. वीजापुरमा बारोट हरिभाई माटे प्रति लखाई. प्र.स./३३४७ परि/४३३५/२ वीसस्थानक स्वाध्याय ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९मुं; २५.५४११.५ से.मि. पद्य ७ प्र.स /३३४८ परि./२३४०/७ १-वैराग्य स्वाध्याय ले.स. १८७६: हाथकागळ पत्र ३जु; २२.८४१२ से मि. पद्य २०. प्र.स./३३४९ परि./७६७८/६ २-वैराग्य स्वाध्याय ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र ४थु'; १४.८४९.८ से.मि. गाथा ६. प्र.सं./३३५० परि./८६५७/२ वैराग्य (आत्महित) स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २५x ११३ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३३५१ परि./७11४/३ शिख सज्झाय ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र ६दछु; २४.३४१८.३ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./३३५२ परि./३७५१/९ हितोपदेश स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २५.२४११.४ से मि. पद्य ८. प्र.स./३३५३ परि /२०६४/११ ललितप्रभसूरि (पू.) पाक्षिक स्वाध्याय ले.स. १६८४. हाथकागळ पत्र ४; २५७४ १०.८ से.मि. पद्य २५. कर्ता-पूर्णिमागच्छना कमलप्रभसूरि>पुण्यप्रभसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १६५४. मां अस्तित्त्व. अमणे संभवनाथना बिंबनी प्रतिष्टा करावेली. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३२१, ३२२). प्र.स./३३५४ परि./२२२५ Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय लाधाशाह (क.) स्त्री शिखामण स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु); हायकागळ पत्र १थी २, २६४११.9 से.मि. कर्ता-कडुआगच्छ मां कडुवा>खीम>वीरो>जीवराज>तेजपाल >रतनपाल>जिनदास.> तेज> कल्याण>लधुजी>थाभणना शिष्य छे. वि.स. १७६४ नी अपनी कृति नेांधायेली छे. (जै. गृ. क. भा. २, पृ. ४९६). प्र.स./३३५५ परि./८६४/१ लालविजय (त.) १-कुडली सज्झाय ले.स.१७३३:हाथकागळ पत्र ४थु; २४.३४१ ८.५ से.भि. गाथा २५. ___कर्ता-तगच्छमां विजयदेवसूरि > शुभविजयना शिष्य. वि.स. १६७३नी अमनी रचेली कृति नेांधायेलो छे. (जै. गू. क., भा. १, पृ. ४८७). प्र.स./३३५६ परि./३७५/६ २-कुडली सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र ७थी ८; २४.३४ १०.६ से.मि. पद्य २७. पाटणमा प्रति लखाई. प्र.स./३३५७ परि./५०९७/१२ घी सज्झाय ले.सं. १८३३; हाथकागळ पत्र लु'; २४.५४१०.४ से.मि. पद्य १८. प्र.स./३३५८ परि./२६००/१ १-ज्ञाताधर्म कथांग स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; २६.२४११.७ से.मि. पद्य ३४. प्र.स./३३५९ परि. ४२५८/१७ २-ज्ञाताधम कथांगनी सज्झाया ले.सं. १७१९; हाथकागळ पत्र ४१; २४.६४१०.५से.मि. श्रीविजयगणिना सहवासी पं. अमृतविजयगणिले प्रति लखी. ति जीर्ण छे. प्र.स./३३६० परि./८९७९ लेपडी-पाणविक सज्झाय ले.सं. १७४८; हाथकागळ पत्र १; २५.२४११ से मि. पद्य ४२. नंदासणमा प्रति लखाई. प्र.स./३३६१ परि./४०८८ सचित्त-अचित्त भूमि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र मु; २६४११.२ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३३६२ परि./३०८४/१४ सासुवहुसंबंध सज्झाय ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र जु; २४.३.१०.५ से.मि. गाथा ८. प्र.स/३३६३ परि./३७५१/४ Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय लावण्यसमय (त.) अध्यात्म सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागक पत्र ११मु;२४.३४११.७ से.मि. कर्ता-तपगच्छना सोमसुंदरसूरिनी परंपरामां समयरत्नना शिष्य.समय वि सं. १५२१ जन्म. वि.सं. १५८९ सुधीनी अमनी कृतिओ मळे छे. (जै. गु. क. भा. १, पृ. ६९). भाग्यविजय माटे प्रति लखाई. प्र.स./३३६४ परि./२०७१/३० आलोचना स्वाध्याय (सोमंधरस्वामी) र.सं. १५६२, ले.स. १७मुशतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ५, २६४११.५ से.मि. गाथा ४६. तूटक. कृति वामजमां रचाई. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३३६५ परि./३५५२ जीभलडीनी सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.);हाथकागळ पत्र मु; २ . .9४११ से.मि. प्र.स./३३६६ परि./५३३/२ . वारनाम सज्झाय ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मु; २४.३४१०.६ से.मि. पद्य ८. पाटणमां प्रति लखाई. प्र.स/३३६७ परि./५०९७/१७ वैराग्य सज्झाय ले.स. १९३३; हाथकागळ पत्र २थी ३; २४.३४१०.३ से.मि. पद्य १९. प्र.स./३३६८ परि./३७५१/३ वैराग्य सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ११मु: २४.८४१२ से.मि. पद्य ८. प्र.स./३३६९ परि./४०८९/२० श्रावकविधि स्वाध्याय ले स १७९३; हाथकागळ पत्र ४थी ५, २६४११.५ से.मि. पद्य ३१. तूटक. पत्रो १थी ३ नथी. प्र.स. ३३७० परि./८५२८/१ वैराग्य सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७९; २५.३४१ ०.६ से.मि. पद्य ६. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./३३७१ परि./५०९७/८ Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४०७ वल्लभविजय (ख.) पजूसणानी सज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २; २४.३४१२.५ से मि. पद्य १६. कर्ता-खरतरगच्छना रत्नचंद्रसूरिनी परंपरा मां ज्ञानविमलना शिष्य छे. वि.सं. १६६१. मां रचेली कृतिना निदे ग मळे छे. (जै. सा. इति. पृ. ५९२; फकरो ८७१). प्रस'./३३७२ परि./७५५३ विजयदेवसूरि (पा.) सुसाधु गुणा रंभ सज्झाय ले.सं. १८७७; हाथकागळ पत्र ४थु; २५.३४१०.८ से.मि. __ कर्ता- पार्श्वचंद्रगन्छीय पार्श्वचंद्रसूरिना प्रगुरु पुण्यरत्नना शिष्य. समय वि. १६मी सही. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १४८; भा. ३, खं. १, पृ. ५९६). प्र.सं./३३७३ परि./६०८७/२ विजयभद्र क्षमा उपर स्वाध्याय ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र लु; २५.७४११.१ से.मि. गाथा १२. कर्ता-हेमविमलसूरिना प्रशिष्य छे. गच्छ-समय अज्ञात (जै. गू. क, भा १, पृ. १४; भा. ३, ख. २, पृ. १४७७). । ऋषि पूंजा माटे प्रति लखाई. प्रस./३३७४ परि./८३०३/२ नववाड स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ७; २५.१४९.५ से.मि. पद्य २७. प्रसं./३३७५ परि./८५३१/६ प्रतिबोध सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३ थी ५; १५.२४ १२.३ से.मि. गाथा २७. प्र.स./३३७६ परि./८६१४/३ शिखा प्रण सज्झाय ले.स १७८५: हाथकागळ पत्र लु'; २६४११.५ से.मि. पद्य २७. प्र.स./३३७७ परि./२३६७/३ शिखामण सज्झाय ले.प. १७८५; हाथ कागळ पत्र ५मु; २६४११.५ से.मि. पद्य १०. प्र.स./३३७८ परि./२३६७/८ Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४०८ विजयलक्ष्मीसूरि (त) १-पंचमी सज्झाय ले स. २०मुशतक (अनु.); हाथकागल पत्र २; २४.५४१०.३से.मि. प्र.सं./३३७९ परि./७९६३ २-पंचमी सज्झाय ले.स. १९६७; हाथकागळ पत्र २; २६.२४११२ से.मि. साध्वी संपाश्री (चंपाश्री ?) माटे ५. रेवाशंकरे प्रति लखी. प्र.स./३३८० परि./७८७२ ३-ज्ञानपंचमी सज्झाय. ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २. २४.४x १२.५ से.मि. प्रस./३३८१ परि./७५५२ ४-पांचमनी सज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २७x १२.८ से.मि. प्र.स./३३८२ परि./१६५०/१ विजयसिंहसूरि रात्रि भोजन (परिहार) स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४९; २५.५४११.५ से.मि. कर्ता-विजयदेवसूरिना शिष्य. गच्छ-समय अज्ञात. प्र.स./३३८३ परि/२३४०/२४ विद्याविजय इरियावही भिच्छामिदुक्कड स्वाध्याय ले स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.४४११.६ से.मि. गाथा १५. कर्ता-नयविजयना शिष्य छे. (गा. १५) गच्छ-समय अज्ञात. - प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३३८४ परि./१७०२/२ कता-पान विनय - वैराग्य स्वाध्याय ले.स. १७८१; हाथकागळ पत्र ३जु: २५.७४११.४ से.मि. पद्य ११. कर्ता-परिचय अज्ञात. ____पं. गलालविजयगणि> पं.नरविजयगणिना शिष्य मोहनविजयगणिना धर्मभगिनी साध्वी श्री मेनाश्री जीसे रानेरमा प्रति लखी. प्र.स./३३८५ परि./८५३२/३ Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४०९ विनयचंद्र (ख.) १-अगियार अंगनी सज्झायो र.सं. १७५५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.५४११.२ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना हर्षनिधान > ज्ञानतिलकना शिष्य छे. तेमनी वि.सं. १७५२नी कृति नेांधायेली छे. (जै गू. क. भा. २, पृ. ४२३) रचना अमदावादमां थई. शा. लालाजी माटे पं पुण्यश्री मुनिए लखेली प्रति. प्रस./३३८६ - परि./४३२९ २-अगियार अंगनी सज्झायो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकांगळ पत्र २; २४.७४१०.८ से.मि. प्रसं./३३८७ परि./६३३७ विनयविजय (त.) आत्म स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २०.५४११.८ से.मि. • कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहसूरिनी परंपरामां कीर्तिविजयना शिष्य छे. समय अनुमाने १७मी-१८मी सदीनो संधिकाळ (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४) ... प्र.स./३३८८ परि./२७६२/१९ आत्मस्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.९४११.७ से.मि. पद्य ७ प्र.सं./३३८९ · परि/११०२/५ आयंबिलमां द्रव्य लेवानी सज्झाय ले.स. २०मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २, - २५४११.३ से.मि. प्र.स./३३९० परि./२५९१ इरियावही स्वाध्याय ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.३४११.७ से.मि. प्रस./३३९१ परि./७००० प्रत्याख्यान स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५-७४११.२ से.मि. प्र.स./३३९२ परि/१६९२/१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१ थी ३२; भगवतीसूत्र स्वाध्याय ले.स. १८९ २५.५४19.५ से.मि. पद्य २१, प.स./३३९३ परि./२३४०/२० www.jainelibran Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१० विनयसुन्दर तपागच्छ गुर्वावली सज्झाय ले.स. १७९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३: २४.३४ १०.७ से.मि. पद्य २९. कर्ता-तपगच्छना छे. (१. २९) विशेष निदेश मळतो नथी. प्र.सं./३३९४ परि/६३८१ विवेकचंद्र (त.) १-जीवदया स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकांगळ पत्र ३४ थी ३५; २५.५४११.५ से.मि. पद्य २५. ____ कर्ता-तपगच्छना देवसूरि>विजयसिंह>भाणविजयना शिष्य छे. (प. २५). समय वि.सं. १७मी सदी (जे. गू क. भा. ३, खं. १, पृ. १०७९. परंपराने आधारे देवचंद्रना गुरुबंधु) प्र.स./३३९५ परि./२३४०/२५ ... २:-जीवदया स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.५४ ११.८ से.मि. पद्य २५. प्र.स/३३९६ परि./७००१/१ विवेकहर्ष (त.) . क्षुधा-पिपासा शीत उष्णनी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; - २६४११ से.मि. ... . कर्ता-तपगच्छना हर्षाणंदना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदी (जै.गू.क. भा. ३, ५.८२२) विजयहषगाण प्रातल प्र.सं./३३९७. परि./६०५७ विशुद्धविमल वाणियानी सज्झाय (शिखामण सज्झाय) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र .. ३ थी ४; २५.५४११ से.मि. पद्य ८. ___ कर्ता-वीरविमलना शिष्य छे. (प. ८) गच्छ - समय अज्ञात प्र.सं./३३९८ परि/२३८३/४ वाणियानी सज्झाय ले.स. १८८०; हाथकारक पत्र ९मु; २७.५४१२ से.मि. प्र.सं /३३९९ परि./८०५/२ ' वैराग्य सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २१४१२ से.मि. पद्य १२ प्र.सं./३४०० परि./२७४७/३ Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सैज्झाये मुहपत्ति पचासबोल स्वाध्याय ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६लु'; २८x १२ से.मि. प्र.सं./३१०१ परि.७२७६/१८ वैराग्य स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २८४१२ से.मि. प्र.सं./३४०२ परि./७२७६/१७ वैराग्य स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थो ५, २८४१२ से.मि. पद्य ११. प्र.स./३४०३ परि./७२७६/१४ समकित स्वाध्याय ले स. १९# शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २८४१२ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./३४०४ परि./७२७६/३२ सहजानंही सज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २१.२४११.५ से.मि. पद्य ११. प्र.स./३४०५ परि /७९६८ वीरविमल (त.) तेर काठियानी सज्झायो ले.सं. १९०७; हाथकागळ पत्र १४; २५.५४१ १.५ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छना सिंहविमलनी परंपरामा मानविजयना शिष्य. वि.सं. १७२२नी अमनी रचना नेांधायेलो छे (जे. गू क. भा.. २. पृ. १९६). मारवाडी माधोदासनी लखेली प्रति, श्रावक बेचरदासने मळी. प्र.स./३४०६ परि./३८९१ वृद्धिविजय (त.) १- दशयकालिकसूत्रनी सज्झायो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५४१०.८ से.मि. कर्ता-तपगच्छना लाभविजयना शिष्य छे. वि.सं. १७०६नी रचेली अमनी कृतिओ मळे छे (जै. गू. क. भा. २, पृ. २७०). प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./३४०७ परि./२६५९ २- दशवकालिक सूत्रनी सज्झायो ले.सं. १८०८; हाथका गळ पत्र ९; २४.५४१०.८ से.मि. ___ साबरतटे प्रति लखाई. प्र.स./३४०८ परि./५०३९ Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२ ३ - दशवेकालिक सूत्री सज्झायो ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ८; २७.२४१२ से.मि. प्र.स / ३४०९ परि. / ७४९६ ४- • दशवैका लिकसूत्री सज्झायो ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ९मु ; २६४१२.३ से.मि. दरेक पत्रम फूल वगेरेनां सुंदर चित्रो छे. परि./८७५२ प्र.स ं./३४१० ५ - दशवेकालिकसूत्र - सज्झायो ले. सं. १९५२; हाथकागल पत्र ७ २५.८४१२ से.मि. प्र. सं. / ३४११ परि. / २०२८ ६ – दशवेकालिकसूत्रनी सज्झायो ले.सं. १८९५; हाथकागळ पत्र ६, राजनगर ( अमदावाद ) ना झवेरीपाडामां मुनि उमेद विजयजी माटे प्रति लखी. प्र.सं./ ३४१२ परि / ३२१ ७— - दशवैकालिकसूत्रनी सज्झायो ले. सं. १९६५; हाथका गळ पत्र ७ २६०३४११.३ से.मि. शिल्पज्ञ हिम्मत विजयगणिओ अणहिलवाडमां प्रति लखी. सज्झाय प्र.स ं./३४१३ परि. / ७८५२ दशर्वैकालिकसूत्राध्ययने सार्थ प्रकाशिका स्वाध्याय ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८; २५०५x१२ से.मि. पद्य ७. परि. / ६७६३/१४ प्र.सं./३४१४ २६०९×१२.५ से.मि. लिपिकार खुशालजीओ शांतिकुशल जू - लीख सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५०५×१२ से.मि. पद्य १४. परि./६७६३/२ प्र.स ं./३४१५ शांतिविजय १ - अध्यात्म सज्झाय ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १० : २४.८x १२ से.मि. पद्य ५. कर्ता परिचय अप्राप्य. प्र.सं./३४१७ प्र.सं./३४१६ परि०/४०८९/१३ २ - जीवप्रतिबोध स्वाध्याय ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २००५४११.८ से. मि. पद्य ५. परि./२७६२/७ Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय ३-वैराग्य सज्झाय प्र.सं./३४१८ ले सं. १७८५; हाथकागळ पत्र ७मु; २६४११.५ से.मि. पद्य ५. पनि./२३६७/११ शिबविजयमुनि आत्मशिक्षोपरि स्वाध्याय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २६९; २५४११.३ से.मि. पद्य १२. कर्ता-शीलविजयना शिष्य. गच्छ-समय अज्ञात. प्रति चेटाडेली छे. परि./३१२४/२१ प्र.स./३४१९ हाथकागळ पत्र १; श्रीधर्म दशश्रावक बत्रीसी स्वाध्याय ले.स. १७९ शतक (अनु); २६४१८.६ से.मि. प्र.स./३४ २० परि.६८११ श्रीसार (ख.) गर्भावास सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.८४१००८ से.मि. कर्ता- खरतरगच्छनी खेमशाखाना रत्नहर्ष वाचकना शिष्य. वि.सं. १६८४नी अमनी रचेली कृति नेांधायेली छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५३४) प्र.स./३४२१ परि./८९० सकलचंद्र (त.) उपनय सज्झाय ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु. २३.५४१० से.मि, कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिना शिष्य. वि.स. १६४३ पहेलांनी अमनी रचना नांधायेली छे (जै गृ. क. भा. १, पृ. २७५) प्र.सं./३४२२ परि./५०३७/५ १-बारभावना सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागल पत्र ६; २५.३४११.२ से.मि. प्रस./३४२३ . परि./५९०० २-बारभावना स्वाध्याय ले स. १८००; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४११.८ से.मि. प्रस/३४.४ परि./६९५४ ३-बारभावना सज्झाय ले स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१०७ से.मि. पद्य ९२. लिपिकार कल्याणविजय. परि/६५३१ प्र.सं./३४२५ Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१४ सँझाय .. वैराग्य सज्झाय (२) ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र १ थी २; २४.३४१८.५ से.मि. - पद्य ८; २६. प्र.स./३४२६ परि./३७५१/१; २ शिखामण स्वाध्याय (उपदेशक स्वाध्याय) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २५.१४९.५ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३४२७ परि./८०३१/४ समयसुंदर (ख.) आलेायण सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.३४१०.८ से.मि. पद्य ३५. __ कर्ता-खरतरगच्छना जिनसुंदरसूरिनी परंपरामां उपा. सकलचंद्रना शिष्य. सभय वि. i७मी शताब्दी. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३३१) मुनि लालजीओ प्रति लखी. प्र.सं./३४२८ परि./६४१८/२ आलोयग सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.);हाथकागळ पत्र २२ थी २४; २६.६४१२ से.मि. ' प्र.स./३४२९ परि./१६५६/१२ कायानी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २i; २४.३४११.७ से.मि. पद्य ७. प्रस./३४३० परि./२०७१/६ चार प्रत्येकबुद्ध स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६छ; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ६. प्र.स./३४३१ परि./६९१४/२० चार प्रत्येकबुद्ध स्वाध्याय ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३; २४.५४१०.६ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३४३२ परि./६०५२/१ नंद्योपरि स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३२९; २५.५.११.५ से.मि. पद्य ७. प्र.स ./३४३३ परि./२३४०/२० शिखामण सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागल पत्र ३ जु; २४.३४११.७ से.मि. पद्य ६. प्र.स./३४३४ परि./२०७१/१० Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय शिखामणनी सज्झाय से.मि. पद्य ६. प्र.सं./३४३५ सहजविमल (त. ) १ - पिंडदोष सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.) हाथका गळ पत्र २; २४.७४ १०.८, से.मि. पद्य ३२. ४१५ ले. स. १९ शतक (अनु); हायकागळ पत्र १२ २५० ७४१२ परि. / १८६९ / ९ कर्ता — तपगच्छना विजयदानसूरिनी परंपरामां गजराज पंडितना शिष्य छे. (१३२) परि./६३८४ प्र.स ं./३४३६ २ - पिंडदाष सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.८४११ से.मि. पद्य ३२. चारित्रविजय मुनि माटे प्रति लख ई. प्र.स ं./३४३७ सहज सुंदर ( उ ) परि. / ४६५६ आत्मस्वाध्याय से. मि. पद्य ५. कर्ता - उपकेशगच्छनारत्नसमुद्र उपाना शिष्य छे. वि. सं. १५७०नी ओमनी रचना नघाली छे (जै. गु. क., भा. १, पृ. ११० ). परि / २७६२/२ प्र.स ं./३४३८ १ - काया सज्झाय ले.स. १० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं; २४-८४१२ से. मि. पद्य ७. प्र.सं./३४३९ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १थी २ २००५४११.८ परि./४०८९/१९ २–काया स्वाध्याय (२) ले .स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु तथा १३मुं; २००५४, १.८ से.मि. अनुक्रमे पद्य ५; ६. प्र. सं./३४४० परि./२७६२/५; २४ निंदापरिहार स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथका गळ पत्र ३८मुं; २५०५x११.५ से.मि. पद्य ६. प्र.सं./३४४१ परि./२३४०/३० निंदा स्वाध्याय ले.स. १९मुळे शतक. (अनु.); हाथ कांगळ पत्र ३थो ४; २५४११.३ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./३४४२ परि. / ७११४/६ Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय हितशिक्षा सज्झाय ले.स. १८८८; हाथकागळ पत्र १४मु; २७४११.७ से.मि. ५. उत्तमविजये प्रति लखी. प्र.स./३४४३ परि./७५४३/९ सुमतिकमल (त.) सामायिक–पेसाफल स्वाध्याय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २६४ ११.२ से.मि. पद्य १०. कर्ता-तपगच्छना हंसरत्नसूरिना शिष्य छे. (प. १०). प्र.स ./३४४४ परि /३०८४/१७ सुमतिविमल पजुसणनी सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.५४११.५ से.मि. पद्य ९. कर्ता-दानदया(?)ना शिष्य छे. विशेष परिचय अपाप्य. बाडा रामकिसने प्रत्ति लखी. प्र.स /३४४५ परि./२३८३/६ श्रावकना २१ गुणनी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३: २५.५४11.५ से.मि. पद्य १७. प्रस'./३४.६ परि / ३८३/३ सोमविमलसूरि (त.) पट्टावली सञ्झाय र.स. १६०६, ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र थिी २; . २५.२४१०.५ से.मि. पद्य ५१. . . . कर्ता - तगच्छना हेमविमलसूरिनी परंपरामा हर्षसूरिना शिष्य. समय-वि.स. १५७४मां दीक्षा; स. १६३७मा स्वर्गवास (जै.गूक. भा. १, पृ. १८३). प्र.स./३४४७ परि./५७९५/१ रत्न दृष्टान्त स्वाध्याय ले.स. १९# शतक; हाथकागळ पत्र ६, २५.५४11.१ से,मि, पद्य ८. प्र.स./३४४८ परि./६८०५/११ सौभाग्यविजय (त.) दशवैकालिक सूबनी सज्झाय ले.स. १७४२; हाथकागळ पत्र ७; २४.२४१ ०.८ से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छना लालवि नयना शिष्य छे. समय-वि.स. १७१९मां दीक्षा, स'. १७६२मा स्वर्गवास (जै. गू. क. भा. ३, खं २, पृ. १३६७). पत्रो १, २ नथी. राजनगर(अमदावाद)मां शाह कपलशीने प्रति मळी. प्र.स./३४४९ परि./४९४५ Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्शाय ४१७ हर्षकुल (हर्षकलश) (त.) मुहपत्ति पडिलेहण सज्झाय ले.स. १६७७: हाथकागळ पत्र २जु'; २४ ७४१०.५ से.मि.. पद्य १३. ___ कर्ता-तपागच्छना हेमविमलमूरिनी परंपरामां कुलचरणना शिष्य छे. वि स. १५५७नी रचेली एमनी कृति नेांधायेली छे (जै. गू. क भा १, पृ. १०२). प्र.म./३४५० ___परि./६३१२/२ हर्षचंद्र वाचक (पा.) परिग्रह परिहार स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १लु; २५.२४ ११.६ से मि. गाथा ७. ___ कर्ता-पार्श्वचंद्र गच्छना वि. १८मी सदीना. (जै. ग. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४७१). प्र.स./३४५१ परि/८४३९/१ हर्षविजय भांग स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४११.३ से.मि. - पद्य १५. ५. अमृत विजये प्रति लखी. प्र.सं./३०५२ परि./७११४/२ हर्षसागर उपा. __ कुमति निर्धाटन स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १, २५.५४ .. १०.५ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्रस/३४५३ परि./६९९४ हंसभुवनसूरि ५-निश्चय व्यवहार वेष स्थापना स्वाध्याय ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८थी ९; २५.५४११.१ से.मि. पद्य ८.. कर्ता-जै. गू. क.मां अमनी रचेली वि.स. १६१०नी रचना नेांधायेली छे. गच्छ के परंपरा अज्ञात. (जै. गृ. क. भा. २, ख. १, पृ. ६६२). . प्र.सं./३४५४ परि./६८०५/१३ २. निश्चय-व्यवहार स्वाध्याय ले स. १८८२; हाथका गळ पत्र ५थी ६; २७४१२.५ से.मि. प्र.स./३४५५ परि./९०५/२ Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१८ सज्झाय हितविजय (त.) अढार नातरा स्वाध्याय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २३.४४ १०.८ से.मि. कर्ता-तपगच्छना दानविजयना शिष्य आ कर्ता जे. गृ. क. के जै. सा. इति.मां नेांधायेला नथी. प्र.स./३४५६ परि./८५९९/११. हीरानन्दसूरि (पिं.) ____ अढारनावानी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २६४११ से.मि. पद्य ४४. कर्ता-पिंपलगच्छना वीरप्रभसूरिना शिष्य. तेमनी वि.सं. १५८४ नी रचना नेांधायेली छे. (जै सा. इति. पृ. ४८७ फकरो ७०९ जै. गू. क भा. ३ ख. १ पृ. १२७). प्र.सं./३४५७ परि./१७७२/१ हेमविजय (त.) परनिंदानिवारण सज्झाय. ले.स. १७६६; हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २५-७४११.४ से.मि. पद्य १४. कर्ता- तपगच्छना आनंदविमलसूरिना आज्ञावर्ती शुभविमल > कमलविजयना शिष्य. वि. स. १६६१ नी अमनी रचेली कृति नेांधायेली छे. (जै. गृ. क. भा. १. पृ. ३९५). प्र.सं./३४५८ .. परि /३५६९/७ पंचेन्द्रिय स्वाध्याय ले.स. १८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ मु; २०.५४ ११.८ से.मि. पद्य ९. प्र.स./३४५९ परि./२७६२/१० अज्ञासकर्तृक ( गुरु-नाम अकारादिक्रमे ) कमलकलशसूरि-शिष्य मलबत स्वाध्याय ले.सं. १५७६; हाथकागळ पत्र १५४ मुं; २७४११.७ से.मि. पद्य ६ ___ कर्ता-परंपरा अज्ञात. प्र.स./३४६० परि./८४६०/८३ Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सैज्झाये शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३, सामयिक बत्रीशदोष सज्झाय. ले.स. १८९ २५.५४११.५ से.मि. पद्य १३. पत्रो १ थी १२ नथी. प्र.स./३४६१ परि./२४३०/१ कल्याणकुशल-शिष्य (त.) कर्मतप स्वाध्याय. ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ मु; २४.३४१०.६ से.मि. पद्य ५. कर्ता-तपगच्छनी परंपरा (ो. सा. इति. पृ. ५८२, फकरो ८५२). प्रति पाटणमां लखाई. प्रस./३४६२ परि./५०९७/११ कुशलवर्धन-शिष्य (त.) गुरु स्वाध्याय (युगल). ले.स. १८ मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ लु; २६४११ से.मि. पद्य ९. ___कर्ता-तपगच्छनी परंपराना. (जै. सा. इति. पृ. ५९४, फकरो, ८७३) प्र.स./३४६३ परि./७३६५/१ कुंवरविजय-शिष्य बावीस अभक्ष्य सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ९; २५४११.३ से.मि. पद्य ६३. कर्ता-परिचय अप्राप्य. जुडानगरमां पं. नरेद्रविजये प्रति लखी. प्र.स./३४६४ परि./३९५१/४ गुणहर्ष-शिष्य (त.) शियळ सज्झाय ले.स. १८मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २५४७.५ से.मि. पद्य २३. कर्ता-तपगच्छनी परंपरामां. समयवि. 1७मी सदी (#. ग. क. भा. ३, खं. १, पृ. १०८८). प्र.स./३४६५ परि./७८११ चरणप्रमोद-शिष्य १-मधुबिन्दु सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १७ थी १८; २६.६४१२ से.मि. कर्ता- गच्छ अज्ञात. प्र.स./३४६६ परि /१६५६/४ Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२० १. २ - बुडु स्वाध्याय .स. १९ शेतक (अनु.); हाथ कागल पत्र १६मु; २५.२४ ११.४ से.मि. पद्य ५. प्र.स ं./३४६७ १ - व्यवहार स्थापन सज्झाय २४.३४१०.६ से.मि पद्य १४. प्रति पाटणमां लखाई. प्र स / ३४६८ २- व्यवहार स्थापन सज्झाय २५.३×१००७ से.मि. पद्य १४. प्र.स ं./३४७० वीर विमल - शिष्य प्र.सं./३४६९ विजयसिंह सूरि-शिष्य सिद्धचक्र सज्झाय ले.स. १७९७, हाथकागळ पत्र ९; २५.५४११.४ से.भि. पद्य ७. कर्ता - - गच्छ अज्ञात. परि. / १९२४/२ जिन परिवार सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.); २४.३४१०.६ से.मि. साय परि. / २०६४/१८ ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र मु कर्ता — तपगच्छनी परंपराना. प्रथम पत्र नथी. परि / ५०९७/१६ ले. स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १लं; परि./६८९७/१ प्र.सं./३४७३ प्र.स ं./३४७१ साधुविजय - शिष्य अष्टभंगी स्वाध्याय ले.स. १९ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र २जु; २५४११.३ से.मि. पद्य ९. हाथकागळ पत्र ८ थी ९; परि./५०९७/१५ प्र.सं./३४५२ हर्षविमल वाचक - शिष्य आत्म सज्झाय ले.सं. १८७७; हाथकागळ पत्र १७ थी १९; २७४१२ से.मि. गाथा ३६. कर्ता --- तपगच्छना विजयसेनसूरिनी परंपरामां थया. (गा. ३६). पालीग्राममां हस्तिश्रीजी माटे साध्वी अमरीओ प्रति लखी. परि./७११४/१ परि /८३०/२ Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४२१ हेमरत्नसूरि-शिष्य १-चतु:पर्वी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.६४११.१ से.मि. तूटक. कर्ता-आगमगच्छीय. पत्र २जु नथी. प्र.स./३४७४ परि./१६७६ २-चतुःपर्वी सज्झाय ले.सं. १५६४; हाथकागळ पत्र ६; २५४१०.६ से मि. पद्य ७०. गै.स./३ ४ ७५ परि./५९७२ हेमविमलसूरि-शिष्य तेर काठियानी सज्झाय ले.स १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ १३ ६ठु; २४.३४१०.६ से.भि. पद्य १५. पाटणमा प्रति लखाई. परि/५०९७/५ अज्ञातकर्तृक (कृति-नाम-क्रमे) अकी पुरुषनी सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.५४११.५ से.मि. पद्य २०. लिपिकार बाह्मण बोडा रामकिसन. प्र.स./३४७७ परि./२३८३/७ १-अणगार स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४११ से.मि. पद्य १६. प्र.स./३१७८ परि./६८०७ २-अणगारगुण सज्झ.य ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.२४१०.६ से.मि. पद्य १६. प्र.सं./३४७९ परि./२९१३/१ अध्यात्म सज्झाय ले.स. १६७७; हाथकागळ पत्र २जु'; २४.७४१८.५ से.मि. पद्य १८. प्र.स./३४८० परि./६३१२/३ अल्पबहुत्व विचार गर्मित स्वाध्याय ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५४१ ०.३ से.मि. गाथा ३२. पं. रविवर्धन गणिमे प्रति लखी. प्र.स./३४८१ परि./६३९०/२ Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२२ असज्झायनी सज्झाय ले.स. २० शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी ३, २५.२x ११.२ से.मि. प्र.स ं./३४८२ परि./६८०१/ १ - असज्झाय परिहार सज्झाय लेस. १८ मुं शतक ( अनु ): हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२x१०.६ से.मि. पद्य २४. परि./२९१३/२ प्र. स / ३४८३ २ - असज्झाय सज्झाय ले.सं. १७६६; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २५०७४११०४ से. मि. पद्य २५. प्र. सं / ३४८४ परि. / ३५६९/६ आत्म प्रतिबोध स्वाध्याय ले.स. १७ शतक (अनु.) ; हाथ कागल पत्र १; २४५४ १०.८ से.मि. पद्य ३०. गंगादास माटे प्रति लखाई . प्र. सं . / ३४८५ आपस्वभावनी सज्झाय से.मि. पद्य ७. प्र.सं./३४८६ उपदेश रत्नकोश स्वाध्याय २६९११ से.मि. पद्य ६१. प्रति जीर्ण छे. सैज्झाथ परि / ६२८८ ले. स. २० शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १९; २७.१४१३ परि./५७८८/१ प्र.सं./३४८७ उपनय स्वाध्याय ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं; २४.२ १०.५ से.मि. प्र.सं./३४८८ परि / ५०३७/२ ऋतुवंती सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५०३४११०७ से. मि. पद्य २१. प्र. / ३४९० प्र.सं./३४९१ परि / ३९५/२ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १ थी २ लेखन - स्थळ मुंबई. परि / ४७९२ प्र.स ं./३४८९ ऋतुवंती सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३ २५.८४११.५ से.मि. पद्य ३९. परि. / ४७९१ गूणीस भावना स्वाध्याय ले.सं. १५६४; हाथका गळ पत्र ३ थी ४; २६.४४११.८ से मि. कीर्तिसुंदरे प्रति लखी. परि. / ६८४०/२ Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४२३ कर्म सज्झाय ले स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५; २०.४४१२.२ से.मि. गाथा २८. त्रूटक. प्रति अपूर्ण छे. प्र.स./३४९२ परि./८११६/७ काया-जीव स्वाध्याय ले सं. १७८१; हाथकागळ पत्र ३जु; २५७५११.४ से.मि. पद्य ५. प्र.स./३४९३ परि./८५३२/२ १-गुरु तेत्रीस आशातना स्वाध्याय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७थी ८; २५.२४११.४ से.मि. पद्य २१. प्र.स./३४९४ परि./२०६४/८ २-गुरु तेत्रीस आशातना सज्झाय ले.स . १७६६; हाथकागळ पत्र ४थी ५; २५.७४ ११.४ से मि. पद्य २१. प्र.सं./३४९५ परि /३५६९/५ गुरु प्रदक्षिणा स्वाध्याय ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २५.७४११.२ से.मि. प्र सं./३४९६ परि./४१३५/२ चोवीस जिनवर परिवार स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २०.५४११.८ से.मि. पद्य ५ प्र.स./३४९७ परि./२७६२/४ जीव सज्झाय ले.स. १९मुशतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १९थी २०; २६.६४१२ से.मि. प्रस./३४९८ ___ परि./१६५६/७ तृष्णा स्वाध्याय ले.सं. १७६९; हाथकागळ पत्र ६छु; २४.८४११.२ से.मि. पद्य ११ प्र.स./३४.९ परि./४७४४/२ दयाधर्म स्वाध्याय ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र १३थी १५; २५.१४८ से.मि. पद्य १०. प्रस ./३५०० परि./७८१०/१३ दश श्रावक स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र पलु'; २८४१२ से.मि. प्र.स./३०१ परि./७६७६/१ दाननी सज्झाय ले.स. २०मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र थी २; २६.२४१२.१ से मि. पद्य ७. प्र.स./३५०२ परि./१८५०/४ धर्म स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु ; २६४११.५ से.भि. पद्य ६. प्र.स./३५०३ परि./३५४३/२ Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२४ सज्झाय नरकदुःख वर्णन स्वाध्याय ले.स २० मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १; २३.६४१२.४ से मि प्र.स./३५०४ परि./२६५ नारी परिहार स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ९मु; २५.५४ ११.१ से.मि.पद्य १०, अपूर्ण प्र.स./३५०५ परि./६८०५/१४ पचक्खाण स्वाध्याय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र रजु'; २४...४।०.६ से.मि. पद्य ८. प्र.स ./३५०६ परि./६०५२/३ परनारिवर्जन सज्झाय ले.सं. १७०१; हाथकागळ पत्र २१ थी २२; २५.१४८ से.मि. पद्य ९. प्रस./३५०७ परि./७८१०/२० प्रतिलेखना स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४४१०३ से.मि. गाथा ५. मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.स./३५०८ परि./३८९३/२ प्रत्याख्यान स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मुं; २६४११०२ से.मि. पद्य ७. प्र.स./३.५०९ परि./३०८५/१९ बारभावना सज्झाय ले.स. १: मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६. .x ११.२ से.मि. प्र.स./३५१० परि./५४८७ बारभावना सज्झाय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४.५४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./३५११ परि./६४०३ बारभावना स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६थी १८; २३.४४ १०.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./३५१२ परि./८५९९/२८ माननी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २४.३४११.७ से.मि. पद्य १०. प्र.स./३५१३ परि./२०७१/५ मायानिषेध सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ४थु; २०.५४११.८ से.मि, पद्य ८. प्र.स./३५१४ परि./२७६२/८ Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय १ - मिथ्यात्वनाम सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १०; २४३ X १०.६ से.मि. पद्य ८. प्रति पाटणमां लखाई. ४२५ प्र.स ं./३५१५ परि./५०९७/२२ २ - मिथ्यात्व सज्झाय ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५ २४.२४ १०.५ से.मि. प्र.सं./३५१६ परि. / ५०३७/४ रात्रिभोजन सज्झाय ले. स. २० शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५०५×१०.५ से.मि. पद्य २०. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./३५१७ परि./८८८७५ लुंकोपरि सज्झाय ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २४-३×१००६ से.मि. पद्य १२. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.सं./३५१८ परि./५०९७/१९ विनयनी सज्झाय ( भीलडीनी सज्झाय) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ५ २५.४४१२ से.मि. पद्य २५. प्रति पत्रनी अक बाजु लखेलो छे. प्र.स./३५१९ परि./६७७०/२ शिक्षा स्वाध्याय ले.सं. १८७७; हाथका गळ पत्र १ थी २; २३-७४१० ६ से.मि. पद्य १४. प्र. सं . / ३५२० परि०/७१३६/२ शील स्वाध्याय ले.स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६८ २४४९.९ सेमि. ६. परि./८६०१/८४ प्र.स ं./३५२१ शिखामण स्वाध्याय लेस. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ मुं; २५.६×११-६ से. मि. पद्य ५. प्र.स ं./३५२२ परि. / ६९८८/३ शिखामण स्वाध्याय ले. स. १९मुं; शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.४४११०६ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./३५२३ परि. / १७०२/३ शिखामणनी सज्झाय ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २४.३X ११.७ से, मि, पद्य ११. प्र.स ं./३५२४ परि / २०७१/१९ ५४ Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२६ सज्झाय शिवरमणीपुर गुणवर्णन स्वाध्याय ले सं. १८७५; हाथकागल पत्र २; २४.८४१०.८ से.मि. पद्य १६. वडनगरमा प्रति लखनार लखमीचंद दयाराम. प्र.स./३५२५ परि./७२३५ सत्तरमुं पापस्थानक स्वाध्याय ले.स. १९# शतक (अनु;); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २३.४४१०.८ से.मि. पद्य १२. प्र.स./३५२६ परि./८५९९/१५ समकित सज्झाय ले स. १७मुं शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४.७४१०.५ से.मि. पद्य १२. प्र.स./३५२७ ___ परि/६३ २४/२ समकित स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २८९; २५.५४११.५ से.मि. पद्य १८ अपूर्ण. ___ पत्र २९, ३० नथी. प्र.सं./३५२८ परि./२३४०/१९ सामायिकनय सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु, २६४११५ से.मि. पद्य ८. प्र.स./३५२९ परि./३५४३/६ सामायिक विधि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.२४११ से.मि. पद्य २०. प्र.सं./३५३० परि./६०८० सेलग सम्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७२ मुं; २१.७४१०.४ से.मि. प्र.सं /३५३१ परि:/७७७७/१५० सोळमुं पापस्थानक स्वाध्याय ले.स. १९मुं शतक (अनु ), हाथकागळ पत्र १०मुं; २३.४४१०.८ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./३५३२ परि./८५९९/१६ सेल सुपन सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ७ थी ८; २४.५४१०.७ से.मि. पद्य २६ प्र.सं./३५३३ परि./६३७७ स्त्री शिखामण सज्झाय ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र ४ थी ५: २६४११.५ से.मि. पद्य १० प्र.सं./३५३४ परि./२३६७/७ Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लौकिक-शास्त्र गणित लालचंद (लाभवर्धन) (ख.) लीलावती गणित भाषा--र.सं १७३६; ले सं. १७४९, हाथकागळ पत्र १९; २५.५४ १०.५ से.मि, तूटक. कर्ता-खरतरगच्छना शांतिहर्षना शिष्य. समय वि. १८मी सदी. (जै. गू. क. भा. ३. खं. २, पृ. १२१८). प्रति जीर्ण छे. पत्रो १, २ नथी. हीरकीर्तिसूरिना जे शिष्य राजहर्षगणिना गुरुबंधु, मतिहर्षना शिष्य विजयसुंदरसूरिसे प्रति लखी. प्र.सं /३५३५ परि./५७६० श्रीधराचार्य गणित परिभाषा ले.सं. १६१४; हाथकागळ पत्र १३; २३.३४८.८ से.मि. कर्ता-जेनेतर मोढवणिक, मंत्री सहसाना पुत्र. समय वि. १६मी सदी. (जे. गू. क, खं. २, पृ. २११९). पाटणनिवासी, श्रीखेड महास्थानक (खेडावासी?)ज्ञातीय वकुंठना पुत्र राणाले प्रति लखी. प्र.सं./३५३६ परि/७८१४ अज्ञातकर्तृक अंकपल्लवी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २७.३४१२ से.मि. प्र.सं./३५३७ परि./७४८४/२ आंकना घडिया (पाडा) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३; २२.३४११ से.मि. प्र.सं./३५३८ परि./५३४ . आंकनां पलाखां ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २४.८४१०.५ से.मि. प्र.स./३५३९ परि./२४२४ आंकनां पलाखां तथा रूपिया आप्यानी खोट ले.सं. १८१५; हाथकागळ पत्र २५; २५.७४११.५ से.मि. प्र.सं./३५४० · परि./३१४९ गणित पंचविंशतिका स्तबक ले.सं. १८७०; हाथकागळ पत्र १२ थी १४; २६४११.५ से.मि. गाथा २६. मूळ संस्कृत रचना तेजसिंहऋषिनी. सिद्धपुरमा रायचंदे प्रति लखी. गाणितिक लेखां द्वारा उपदेश छे. (जुओ पचीसी विभाग). प्र.स./३५४१ परि./३६६५/५ Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२८ ज्योतिष गणित (जन्मपत्रिका माटेर्नु) ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र १५; २५.६४११.४ से.मि. प्र.सं./३५४२ परि./४०५ संख्यात असंख्यातनुं मान ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.७x ११.५ से.मि. प्र.स./३५४३ परि./६९०६ ज्योतिष दामोदर पंडित - ज्योतिष रत्नमाला-बालावबोध-बीजक ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५५; - २६.५४११ से.मि. कर्ता-जै. गू. क. के गू. हा. प्र. या.मां नेांधायेला नथी. श्रीपतिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.सं./३५४४ परि./२४३६ दुर्गदेव - षष्टि संवत्सर ले.स. १७२१; हाथकागळ पत्र १ थी ६; २५.५४११.४ से.मि. __ कर्ता-पाटणनो दिगंबरी होवानुं मनायुं छे. (गू. हा. प्र. या. पृ. ६९नी फूटनोट). प्र.स./३५४५ परि./३९०५/१ मणिसागर षट्पंचाशिका-स्तबक ले.सं. १८५३; हाथकागळ पत्र १५, २४.९४११.८ से.मि. - पृथुयशानो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. सुईगामे ऋषि हरिचंदे प्रति लखी. पं.स./३५४६ प्र.स./४३०४ मुहूत' (ज्योतिस्सारान्तर्गत) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४११.८ .से.मि. प्रस/३५४७ . परि./८३२१ हीरकलश हीरकलश ज्योतिष ले.सं. १७६५; हाथकागळ पत्र १०; २६४११.७ से.मि. .. पत्रो १ थी ४ नथी. दुर्गादासमुनि प्रति लखी. प्र.स./३५४८ परि./३९४७ Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष अज्ञातकर्तृक (कृति-नाम-अकारादिक्रमे) १-अर्धकांड ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.७४११.७ से.मि. प्र.स./३५४९ परि./२८०४/४ .. २-अर्घकांड ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६.५४१२.२ से.मि. प्र.स./३५५० परि /१६६७१ ३-अर्थकांड-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ११; २६.५४१०.८ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३५५१ परि./३७०५/१ उल्कापात दुर्भिक्षादि विचार ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २; २३.७x ११.७ से.मि. प्र.स./३५५२ परि./७२३७ १-वर्मविपाक (ज्योतिष) विचार ले स. १८७७; हाथकाळ पत्र ४; २४.८x१०.७ से.मि. रूपविजये प्रति लखी. प्र.स./३५५३ २-कर्मविपाक (ज्योतिष) विचार ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.२४११.५ से.मि. प्र.स./३५५४ परि./७३९१ - कलंकीनी जन्मपत्री ले.सं. १९०२; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४११ से.मि. ब. खरतरगच्छना पं. रतनचंदे जोगोली (गावहगोली?) गामे प्रति लखी. प्र.स./३५५५ ___ परि./६४६३/२ कलियुग चेष्टा ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४४१०.५ से.मि. प्र.स./३५५६ परि./७६१७ कालज्ञान विचार-अवचूरि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1लं; २५:३४ १०.३ से.मि. प्र.स./३५५७ प.ि./६७८२/१ कालज्ञान-घालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६.२४११.७ से.मि. अपूर्ण. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./३५५८ परि./७९२० परि./४९२७ Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष कालज्ञान-स्तबक ले.स. १७९०; हाथकागळ पत्र १६; २५.९४११.३ से मि, गाथा ९३. मूळ गाथाओ संस्कृतमां छे. ऋषि जयकिरणे राबडिया गामे प्रति लखी. प्र.सं./३५५९ परि./२२११ गुराचार फल ले.स. १६२७; हाथका गळ पत्र ३जु'; २७४१०.९ से.मि. ___ अर्धकांडर्नु प्रकरण, प्र.स./३५६० _परि./१५५८२ गुरुधार ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र ६; २६४११.५ से.मि. राधिकापुरमां पं. नेमविजयगणि) प्रति लखी. परि./१५५८/२ अने परि./३५०६मां भाषामो भेद बाद करतां वस्तु अक छे. प्र.स/३५६१ परि./३५०६ ग्रहलाघव-स्तबक ले.सं. १८१५; हाथका गळ पत्र ९; २५.८४११.४ से.मि. गणेश देवज्ञनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. सवाई जयपुरमां पं. गुणविनये प्रति लखी. प्र.स./३५६२ परि./५६४७ ग्रहणविचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ढु, २७.३४१२ मे.मि. प्र.स./३५६३ 'परि./७४८५/४ ५-चमत्कार चिंतामणि-स्तबक ले.स. १७९६; हाथकागळ पत्र १२; २५.६४११.७ से.मि. थान १७७. चिंतामणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. देवेन्द्रविजये प्रति लखी. प्र.सं./३५६४ .... . परि./६८३३ २-चमत्कार चिंतामणि-स्तबक ले.स. १८८३; हाथकागळ पत्र २२; २६.३४१२... से.मि. तूटक. चिंतामणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. ‘मुनि हेमविजये अमदावादमा प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३५६५ परि./१०२८ चमत्कार चिंतामणि (भावाध्याय)-स्तबक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.६४१२ से.मि. चिंतामणिने। मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे.. प्र.स./३५६६ परि./४.२७७ 'चमत्कार चिंतामणि-स्तवक ले.स. १८०९; हाथका गळ पत्र १२; २५.२४११ से.मि. चिंतामणिना मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. पं. तेजविजयगणिजे प्रति लखी, प्र.सं./३५६७ परि./३.०५३ । Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३१ चमत्कार चिंतामणि- स्तबक ले. स. १७५४; हाथ कागळ पत्र ११, २३.३११.३ से.मि. चिंतामणिना मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. ज्योतिष परि / ७६९७ प्र.सं./३५६८ चमत्कार चिंतामणि- स्तबक ले.सं. १८९५ : हाथकागळ पत्र १५ २५०२४११.५ से.मि. चिंतामणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.स ं./३५६९ चमत्कार चिंतामणि- स्तबक ले.सं. १८७२ हाथकागळ पत्र १५; चिंतामणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पं. ऋषभ विजये प्रल्हादनपुर ( पालणपुर ) मां प्रति लखी. प्र.स ं./३५७० चमत्कार चिंतामणि - स्तबक ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १४; ११.९ से.मि. अपूर्ण. चिंतामणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. परि./७४१४ २५८४११ से.मि. प्र.स ं./३५७१ परि./७१९३ चमत्कार चिंतामणि - स्तबक ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६ २४.९४११ से. मि. अपूर्ण. चिंतामणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. परि. / ६९८६ प्र.सं./३५७२ चंद्र मंडलविचार ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २ थी ४; २७०३४१२ .से.मि. तूटक. प्र.स / ३५७३ परि./७४८४/१ चंद्रार्की - जातक पद्धति स्तबक ले.स. १९ मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २४; २४.९X ११.७ से.मि. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./३५७४ चंद्रार्की बालावबोधले.स. १८१७; हाथकागळ पत्र ३ २५.८४१ ०.५ से.मि. पं. हर्षरत्ननी लखेली प्रति जीर्ण छे. परि./७३३८ २४-६x प्र. सं./३५७५ जन्मजातक फल ले.स. १८७७; हाथकागळ पत्र २ २५०५४१०.४ से.मि. ऋषि थांना मानजी ऋषिनी कृपाथी प्रति लखी परि. / ४३५६ प्र.सं./३५७६ परि. / ७४११ जन्मपत्री पद्धति ले.स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २५-८x११ से.मि. प्रसौं / ३५७७ परि०/६०५८. परि./८९६३ Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३२ ज्योतिष जन्मपत्री पद्धति-स्तबक (कोठा साथे) ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ३५; २५.८४११.७ से.मि. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. . प्र.स./३५७८ परि./७.५५. १-जातक दीपिका पदति-स्तबक र.स. (मूळ) १७६५; ले.सं. १८१४; हाथकागळ पत्र १४; २५२४११.८ से.मि. हर्षविजयनी मूळ संस्कृत रचना नरसमुद्र पाटणमां रचाई. प्रति सिद्धपुरमा लखेली छे. प्र.स./३५७९ परि./३१२१ २-जातक दीपिका पद्धति-स्तबक र.सं. (मूळ) १७६५; ले.स. १८४७: हाथकागळ - पत्र १२; २३.७४११.५ से.मि. गाथा ५४६. ___भावसाधु गोरधने प्रति लखी. प्र.स./३५८० परि./२७२६ जातक दीपिका पद्धति-स्तबक र.स. (मूळ) १७६५; ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र १२; २५४११.८ से.मि. पद्य १०६; पं. मुक्तिविजयगणि) प्रति लखी. प्र.स./३५८१ परि./५८८३ जातक दीपिका पद्धति-स्तबक र.सं. (मूळ) १७६५ ले.सं. १८५८; हाथकागळ पत्र १३; २५.२४११.७ से.मि. पद्य ९१. .. राधनपुरमां पं. गुलाबसाग गणिले लखेली प्रति जीर्ण छे प्र.स ./३५८२ ___ परि./४९८५ जातक दीपिका-स्तबक र.स. (मूठ) १७६५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १०; २६-७४११ से.मि. प्रति राकरपत्तनमा लखेली छे. प्रस./३५८३ परि./७९२२ १-ज्योतिषरत्नमाला बालावबोध ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४; २७.४४११.१ से.मि. तूटक, श्रीपतिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्रति जीर्ण छे. पत्रो २९, ३१, ३४ अने ३५ नथी. प्र.स./३५८४ परि./८८७९ २-ज्योतिषरत्नमाला-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र 1७; २५.९४११.३ से.मि. प्रस'./३५८५ __ परि./७३४२ ज्योतिषरत्नमाला-बालावधोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३, २५.८४ १०.७ से.मि. अपूर्ण. ___ श्रीपतिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.स./३५८६ परि./४४२६ Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष ४३३ ज्योतिषारत्नमाला - स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २८; २६११.२ से. भि. प्र. सं / ३५८७ परि / ६९५ ज्योतिष रत्नमाला - बालावबोध ले.स. १७ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २७; २५ ९x११.९ से.भि. तूटक श्रीपतिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्रति जीर्ण छे. श्रीपतिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. मुनि कुरसी ( कुंवर सिंह ) ओ मांडवीमां प्रति लखी. प्र.स ं./३५८८ परि./५८७६ ज्योतिष विचार ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५ २५.३ ११.६ से.मि. संस्कृत अने गुजराती बने भाषा प्रयोजायेली छे. प्र.स ं./३५८९ परि. / ६९५२ ज्योतिष विचार - स्तबक ( कामधेनु टीकान्तर्गत ) ले.स. १७१४; हाथकागळ पत्र ३; २५.४४११ से.मि. महादेवकृत मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सौं/३५९० परि. / ७१६१ ज्योतिष विचार - स्तबक ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २६.२×११ से.मि. प्रति जीर्ण छे.. प्र.स ं./३५९१ परि./६९४१ ज्योतिष वैदक मंत्र कल्पादि ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४; २५०५४ १०.५ से.मि तूटक. प्रति जीर्ण छे. पत्रो १, २ नथी. १२, ३० अने थोडां बीजां फाटेलां छे. प्र.स ं./३५९२ परि०/६३३६ ज्योतिषसार - बालावबोध ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११, २६०९४१३०१ से. भि. मुंजा दित्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पं. हेमविजयगणिओ भाड (ण) वडनगरमां प्रति लखी.. परि./८०१६ हाथकागळ पत्र १ थी १२; प्र.स ं./३५९३ ज्ञानकेवली अने पासा केवली ले. स. १६मुं शतक (अनु.); २५४११.२ से.मि. प्र.सं./३५९४ परि./३५७८/१२ तीर्थकर राशी आदि ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र १ थी २ २६ ११.५ से.मि. प्र.सं./३५९५ परि./१६१२ ५५ Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष तीर्थ कर राशि - नक्षत्र आदि ले.स. १८मुं. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ ११४२६ से.मि. गाथा ७६. प्र.सं./३५९६ ४३४ परि / ४४६९ दशमभाव कोष्टक (जन्माक्षरने लगतु) ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २; २५.२x१०.४ से.मि. प्र.सं./३५९६ परि./८५०९ दिनकरी विधि (ज्योतिष) ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३ २६.२४ ११.५ से.मि. हितसुंदरगणिओ प्रति लखी. प्र.स ं./३५९८ दिशालाभसूचन कोष्टक ( जन्म विचार ) १९.३४९ से.मि. प्र.स ं./३५९९ परि./८१८०/२२ देवबल विचार ( छींक विचार ) ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १; २४.८४९.७ से.मि. ले. सं. १७६१; शांतिसागरे नवानगर (जामनगरी) मां प्रति लखी. प्र.स ं./३६०० परि. /४०७८ देशान्तरोनी पलमा ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६ २४ - sx११.८ से. मि. प्र.स ं./३६०१ परि. / ४९०२ द्वादशभावफल निर्णय - बालावबोध २५x११ सेमि. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. दोषपृच्छा ले. स. १७ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी ३; प्र.सं./ ३६०२ प्र.स ं./३६०३ परि./१०४० हाथ कागल पत्र २० मुं; परि./५९९७ ध्रुवांक प्रकरण ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; २५०२ ११.३ से मि. प्र.स ं./३६०४ परि./८३६०/२ प्र.सं./३६०६ २४.५X१०.६ से मि. परि./४०६९/१ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; नारश्चंद्र ज्योतिष - बालावबोध ले. सं. १८०६; हाथकागळ पत्र १३; २६.३१००० से.मि. विजापुरमा पुरुषोत्तमविजये प्रति लखी. प्र. सं . / ३६०५ परि./८३५८ नारचंद्र टिप्पनक स्तबक ले सं १७८२; हाथकागळ पत्र ३३; २४.८४११ से मि. श्लोक ३१९. बेलाग्रामे पं. दीपविजयगणिओ प्रति लखी. परि./८९५४ Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष ४३५ नारचंद्र ज्योतिष-स्तबक ले स. १९०६: हाथकागळ पत्र ४३; २६.३४११.१ से.मि. अणहिल्लपुर पाटणमां ठाकोर शिवराम पानाचंदे लखेली प्रति पं. रत्नविजये मेळवी. प्र.स./३६०७ परि./७३०५ नारचंद्र ज्योतिष-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.५४ ११.७ से मि. प्र.स./३६०८ परि./७३४५ नारचंद्र ज्यातिष-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २८.४४ १२.५ से.मि. प्र.सं./३६०९ परि./७४२० नारचंद्र ज्योतिष-स्तबक ले.स. १८१७; हाथकागळ पत्र ५६; २४४११.५ से.मि. परिच्छेद १. देलवाडामां प्रति लखनार पं. भगवानसागर. प्र.स./३६१० परि./२०६७ नारचंद्र ज्योतिष-स्तबक ले.स. १८३९: हाथकागळ पत्र ४४, २८.४४१२.२ से.मि. मूळ संस्कृत ग्रंथनी नकल वि.स. १८३८मां कनीरामे चांणदनगरमां करी. प्रति विसलनगरमां (विसनगर)मां भगवानदास माटे दयाचंद्र लखी. प्र.स./३६११ ___परि./१६१. नौका प्रेश्नपृच्छ। बालावबोध ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५; २८.३४१४.९ से.मि. प्र.स./३६१२ परि./७९९८/२ पंच पक्षीज्ञान-स्तबक ले.स. १८४०; हाथकागळ पत्र ६; २४.९४१०.८ से.मि. पद्य ७२. मूळ रचना संस्कृतमां छे. रोहिठनगरमां ऋषि भगवाने प्रति लखी.. प्र.स./३६१३ __ परि./८०७० पंचाग उदाहरण ले.स. १८५१: हाथकागळ पत्र २,२६.६४११ से.मि. ___ खंडपनगरमा प्रति लखाई. प्र.स./३६१४ परि./७४०६ प्रतिमा विचार ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २ थी ३ २६४११.५ से.मि. प्र.स./३६१५ परि./१६१२/२ भुवन दीपक-भाषाटीका ले.स. १८३८; हाथकागळ पत्र १६; २५.५४१२.३ से.मि. रामजीनी लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३६१६ परि./७१६४ Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष भुवनदीपक-वालावबोध ले.स. १६८४; हाथकागळ पत्र १४; २१.६४९.५ से.मि. पद्य २६४. पद्मप्रभसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. सागारी अमराजे प्रति लखी. प्र.स./३६१७ परि /८७११ भुवनदीपक-स्तबक ले.स. १७७४; हाथका गळ पत्र १४; २५.७४११.८ से.मि. गाथा १७५. नायकरूचिगणिो डभोक(ई?) गामे प्रति लखी. प्र.सं./३६१८ परि./४३४६ भुवनदीपक स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १४; २८.३x १४.९ से.मि. प्र.स./३६१९ परि./७९९८/१ भुवनदीपक-वार्तिक ले.स. १६९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६; २९.१x११.५ से.मि. ग्रंथाग्र ४००. प्र.स./३६२० परि./१३५१ भुवनदीपक-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२: २३.४४१०.५ से.मि. प्र.स./३६२१ परि./६५४५ महादेवी घटी भौमादि ले.स. १८५१; हाथकागळ पत्र २; २६.५४११ से.मि. खडपमां चातुर्मासवास दरम्यान (कुल पांच व्यक्ति) ऋषि भगवानजी; जीवोजी अने नजलालनी साथे रहेला ऋषि गोविंदे प्रति लखी. प्र.स./३६२२ परि./७५०७ १–महाभाई वाक्य ले.स. १६२७; हाथकागळ पत्र १ थी ३: २७४१०.८ से.मि. शिवतिलकसूरिसे प्रति लखी. प्र.स./३६२३ परि./१५५८/१ २- महामाई वाक्य ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३४१० से.मि. प्र.सं./३६२४ परि./७६६८ ३-महामाया वायक्य (संवत्सरफल) ले.स. १७९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ७; २२.५४१० से.मि. तूटक. पत्र १ नथी. प्र.सं./३६२५ परि./७७४७ महेन्द्रमुहूर्त ले.सं. २०००;; हाथकागळ पत्र ४; २८४१२.५ से.मि. प्र.स./३६२६ परि./१६१७ माहेन्द्रमंडल फलाफल ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २०.८४१० से.मि. प्र.सं./३६२७ परि./८७१६ Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष मुहूत मुक्तावली-स्तबक ले.स. १८१३; हाथकागळ पत्र ५; २६.४४११.७ से.मि. योगेन्द्र पारिवाजकनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. राजविजयगणि राधनपुरमा प्रति लेखी. प्र.स./३६२८ परि./६१५७ मुहूत मुक्तावली स्तबक ले.सं. १८६७; हाथकागळ पत्र ७; २४.३४१२.५ से.मि. गाथा ४६. श्री कंठाचार्यनेा मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प. राज्येन्द्रसागरे सुरतमां प्रति लखी. प्र.स./३६२९ परि./२७१६ मुहूत मुक्तावली-रतबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ का गळ पत्र ८,२५.२४११.५ से.मि. लोक १९ सुधी अपूर्ण. हरनाथ(हरिभट्ट)नेा मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.स./३६३० परि./३०६५ मुहूर्त मुक्तावली-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.१x११ से.मि. __ हरनाथ (हरिभाड)नो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.स./३६३१ परि./४२३० १--मुहूर्त मुक्तावली-स्तबक ले.स. १८४०; हाथकागळ पत्र ८; २५४११.६ से.मि. गाका ४८. हरिभट्टनेा मूळ नाथ संस्कृतमां छे. लिपिकार कुशलचंद. प्र.स./३६३२ परि./२४७६ . २-मुहूर्त मुक्तावली-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.५४११.८ से.मि. लोक ४८. हरिभट्ट(हरनाथ)नेमूळ ग्रांथ संस्कृतमा छे. पं. रत्नकुशले पालीताणामां प्रति लखी. प्र.स./३६३३ परि./७१५७ ३-मुहूत मुक्तावली-स्तबक ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र ७; २५.५४१२.१ से.मि. मूळ ग्रंथ हरिभट्ट ह नाथनो संस्कृतमां छे. त्रापज गामे प्रति लखेली छे. प्र.स./३६३४ परि./८०४८ मुहूर्त मुक्तावली-स्तबक ले.सं. १८६५; हाथकागळ पत्र १३; २५.५४११.१ से.मि. मूळ प्रांथ हरिभट्ट(हरनाथ)ना संस्कृतमा छे. वालुकदु गामे प्रति लखेली छे. प्र.सं./३६३५ परि./७३४४ Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३८ ज्योतिष मुहूर्त मुक्तावली - स्तबक ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २३-७४१२-७ से.मि. हरभट्ट ( हरनाथ ) ना मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./ ३६३६ परि./९९३ मुहूर्त मुक्तावकी - स्तबक ले.सं. १८८५; हाथकागळ पत्र १० २४.७×११.२ से.मि. मूळ ग्रंथ हरिभट्ट (हरिनाथ) नो संस्कृतमां छे. परि. / ७६५८ प्र.सं./३६३७ मुहूर्त मुक्तावली - सबक ले.स. १७ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ५; २५००×११.६ से.मि. पद्य. मूळ रचना हरिभट्ट ( हरनाथ ) नी संस्कृतमां छे. प्र.सं./३६३८ मुहूर्त विचार ज्योतिष से.भि. परि. / ५५२६ .सं. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २८४११.७ परि./ ७४४६ प्र.सं./३६३९ रवि स्पष्ट विचार ले. स. १७९२; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२x१००४ से.मि. शिवपुरमा प. फत्तेचंदे प्रति लखी. परि./८५०८/१ प्र.स ं./३६४० १ - राहुउपकरण कोष्टक ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.१४११-२ से.मि. प्र.सं./३६४१ परि. / ६८४ २- राहु उपकरण कोष्टक ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २ २५४११.५ से.मि. प्र.स ं./३६४२ परि०/७१९४ लच्छा विचार ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ६ २३-७४१०.७ से.मि. प्र. सं . / ३६४३ परि./६१५५/२ लग्नभावार्थ ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २५.५४११.५ से.मि. प्र.सं./३६४४ परि./८३५३/३ लग्नशुद्धिगत विचार ले.स. २० शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६, २८x१३.२ से.मि. प्र.सं./३६४५ परि./१८६ वर्षफल विचारसारणी ले.स. १९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४; २५.६×११ से.भि. प्र.सं./३६४६ परि. / ७५६५ Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष ४३९ वर्षभावफल ले.सं. १९७३, हाथकागळ पत्र ७; २७.५४१४ से.मि. लिपिकार करमचंद रामजी. प्र.स./३६४७ परि./८३७१ वहाणपूरवा मुहृत ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २६.५४१२.२ प्र.स/३६४८ परि./१६६७/२ वायसपिंड विलोकन विधि ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र २६९; १९.३४९ से.मि. गाथा २३. प्र.स./३६४९ परि./८१४०/४२ विचारपत्री ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.५४१०.५ से.मि. प्र.स./३६५० परि./७०९३/२ १-विवाहपडल-स्तबक ले.सं. १८१३; हाथकागळ पत्र २०; २३.८४१२ से.मि. गोत्रकानगरमा प्रति लखनार प. हिमचंद्र प्र.स./३६५१ परि./७२१८ २-विवाहपटल-स्तबक ले.स. १८५८; हाथकागळ पत्र १६; २५.५४११.३. से.मि. प'. गुलालविजयगणिो आडीसरमां प्रति लखी. प्र.स./३६४२ परि./३१०९ विवाहपटल-स्तबक ले.स. १८७७; हाथकागळ पत्र ३४; २६.८४१२.६ से.मि. गाथा १७८. काशीनाथनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. नारदपुरीमां पं. भोजविजये प्रति लखी. प्र.सं./३६५३ परि /८२६४ विवाहपटल-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३, २६.६४११.८ से.मि. लेखनस्थळ राधनपुर. प्र.स./३६५४ . परि./७२८१ विवाहपटल-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.६४१०.८ से.मि. प्र.स./३६५५ परि./७११३ विवाहपटल-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३, २४.२४११ से.मि. प्रति डीसामां लखेली छे. प्र.स./३६५६ परि./५०९६ Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष विवाहपटल-स्तबक ले.स. १८०९: हाथकागळ पत्र २७: २५.५४४११.५ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. पाटणमा ५. शुभविजये प्रति लखी. प्र.सं./३६५७ परि./४३४७ विवाहपटल-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २६.२४११.५ से.मि. प्र.स./३६५८ परि./७३२० वृद्धनत्वाशिव-बालावबोध ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र ५; २९.३.११.२ से.मि. तूटक. पत्र ३, ४ नथी. श्रीधराचार्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.स./३६.९ परि./१३९९ शतवर्षी ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.२४१ १.५ से मि. ___ कांतिविजये प्रति लखी. प्र.स./३६६० परि./४०२४ शतसंवत्सरफल ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १८; २५.६४११ से.मि.. गुढाचंद्रसिंगजीनी सलाहथी यति मोतीविजये प्रति लखेली. प्रति जोर्ण छे. प्र.स/३६६१ परि./५९०३ शनिचारफल ले स. १७२१; हाथकागळ पत्र ६; २५.५४११.४ से.मि. प्र.सं./३६६२ परि./३९०५/२ षट्पंचाशिका कोष्टक ले.स. १७५०; हाथकागळ पत्र ६; २६४१२.५ से.मि. प्र.सं.३६६३ परि./४८७७ षदपंचाशिका-बालावबोध ले.स. १६१६; हाथका गळ पत्र ९; १८.६४१०.१ से.मि. गाथा ५८. पृथुयशानो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्रति सीराहीमां लखेली छे. प्र.सं./३६६४ परि./८१७३ षट्पंचा शिका-बालावबेोध ले.स. १६६९: हाथकागळ पत्र १५, २६.५४१०.९ से.मि. पृथुयशनी मूळ कृति संस्कृतमां छे. मणिविजयचंद्रे प्रति लखी. प्र.सं./३६६५ परि./५३४४ षट्रपंचाशिका-बालावबोध २२५ टीका ले.स. १८# शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २४; २५४११.३ से.मि. मूळ संस्कृत ग्रंथ पृथुयशःने। छे. अटले कृतिनु बीनु नाम । पार्थवृत्ति' पण छे परि/६२०८ प्रस./३६६६ Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिष ४४१ षट्पंचाशिका-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३.१४११.१ से.मि. तूटक. पृथुथश:नो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पत्र ४थु नथी. प्र.स./३६६७ परि./७६४७ षट्पंचाशिका-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.६४११७ से.मि. पृथुयशःनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.स./३६६८ परि./७०८९/१ षदपंचाशिका-स्तबक ले सं. १८२९; हाथकागळ पत्र १०; २६४११.७ से.मि. का. ५६ ग्रंथाग्र ५०५. मूळ संस्कृत ग्रंथ पृथुयश:नो छे. लिपिकार मनरूप वाचक. प्र.स./३६६९ परि.८३४५ षट्पंचाशिका-स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७, २५.२४११.१ से.मि. गाथा ५३. पृथुयशःनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.स./३६७० परि./६३८९ षट्पंचाशिका (स्तबक) वृति ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.९४ १०.८ से.मि. पृथुयश:नो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. नेताओ उटालामा प्रति लखी. प्र.स./३६७१ परि./४४४१ षट्पंचाशिका-स्तबक ले स. १७९९; हाथकागळ पत्र ७; २२.२४११.२ से.मि. गथा ५८. पृथुयशः मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. हरखसुंदरे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./३६७२ . परि./५४० ... षष्टि संवत्सर ले.स. १५८२; हाथकागळ पत्र ५: २५.८४११ से.मि. तूटक. पत्र १ नथी. शिवसुंदरे प्रति लखी. प्र.स./३६७३ परि./६९९१ षष्टि संवत्सर ले स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ९; २५.५४११.५ से.मि. प्र.स./३६७४ परि./२३८४ षष्टि संवत्सर ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ७; २४.२४११.७ से मि. अपूर्ण. प्र.स./३६७५ परि /५०३ Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४२ ज्योतिष षष्टि संवत्सर ले स. १९मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५, २५.७४ १२.४ से.मि. प्र.स./३६७६ परि./२०४२ पष्टि संवत्सर ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २४४१२७ से.मि. प्र.स./३६७७ परि./५११ षष्टि संवत्सर फल ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५; २५.०४११.९ से.मि. प्र.स./३६७८ परि./१७३९ . सार संग्रह-वालावबोध ले.स. १८०८; हाथकागळ पत्र १८; २५.४४११.२ से.मि. महादेवभट्ट विरचित मूळ ग्रंथ सस्कृतमां छे. मदिरा (मूद्रा) बदरे ५. परमहंसे प्रति लखी. प्र.स./३६७९ __परि./२५४६ . .. सुमिक्ष-दुर्भिक्ष कालज्ञान ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४११ से.मि. प्र.स./३६८० परि./२८४९/१ सुभिक्ष-दुर्भिक्ष फल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २जु'; २६४११ से.मि. प्र.स./३६८१ परि./२८४९/२ सुभिक्ष-दुर्भिक्ष विचार ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६.७x ... - ११.७ से.मि. प्र.स./३६८२ परि./२८८४/२ सूतिका-अध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लिं; २४.८x19.८ से.मि. प्र.स/३६८३ परि /८२८१/२ सूतिका-ज्ञान ले स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १लु; २४.८४११.८ से.मि. प्र.सं./३६८४ परि./८२८१/१ सूर्यमंडलगत दिनमुहूर्तमान विचार-यंत्र सह . ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.८४१.०६ से.मि. प्र.स,३६८५ परि/३५२८ - स्त्री भर्तार थम प्रथममृत्यु ज्ञान विचार ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २५.३४१०.३ से.मि. प्र.स./३६८६ . . परि./३४ ४३/१ सोळ स्वप्नो ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.५४१०.४ । "से.मि. प्र.सं./३६८७ परि./५९४५/४ Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामुद्रिकशास्त्र कर रेखा लक्षण-स्तबक ले स. १९२६; हाथकागळ पत्र ३; २७.७४१२ से.मि. लिपिकार लक्ष्मीचंद्र. प्रस./३६८८ परि./७४२० सामुद्रिकशास्त्र (पचीसी) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.२४१०.५ से.मि. ___ आर्या केसराने माटे ऋषि पट्टाले प्रति लखी, प्र.स./३६८९ - परि./७४०९ सामुद्रिक शास्त्र-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी २४; २४.८x११ से.मि. तूटक. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पत्र १ नथी. प्र.स./३६९० परि./६२६२ सामुद्रिक शास्त्र-बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६: २४.८४ १०.७ से.मि. .. मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.स./३६९१ परि./५९३७ सामुद्रिक स्त्री पुरुष लक्षण-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २४४९.७ से.मि. ___ मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्रति गुटकाकार छे. प्र.सं./३६९२ परि./६६८६ सामुद्रिक स्री पुरुष लक्षण-बालावबोध ले.स. १६९९; हाथकागळ पत्र १४; २५.५४ १०.८ से.मि. ___ मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. किहरोरमां पं. क्षेमहर्षे प्रति लखी. प्र.स./३६९३ परि./५२३१ स्त्री सामुद्रिक ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४; २६४११.५ से.मि. ___ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३६९४ परि./६७१५ Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कपूरचंद ( चिदानंद) स्वरोदय ज्ञान ले.स. १९३९; हाथकागळ पत्र ११; २५.२०१२ से.मि. पं. गुलाबचंदजी पाथी उस्तादभाईने मळेली आ प्रति सिद्धपुरमां ऋषि मोतीचंदजीए लखेली छे. परि./८४९७ प्र.स ं./३६९५ रत्नलक्ष्मी स्वर प्रकाश ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; पद्य ८७ यवन प्र.स ं./३६९६ परि./७६९८ पवनविजय स्वरोदय शास्त्र - बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २३.८४१०.५ से.मि. पथ ७५. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. स्वरोदय प्र. स./३६९७ परि. / ४२३२ स्वरोदय विचार ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र ३२ मुं; २०४९-५ से.मि. अपूर्ण. प्र. स. / ३६९८ परि./८१८०/२७ प्र.सं./३६९९ नलिमनगरमा वाचक नाथागणिना शिष्य पं. धर्मचंद्रगणिओ प्रति लखी. स्वरोदय शास्त्र ले.सं. १९१५; हाथकागळ पत्र १४; २७.४४१२.५ से.मि. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. लिपिकार जानी रामचंद्र मकनजी. प्र.स ं./३७०० रमलशास्त्र प्र.सं./३७०१ २२.८x१० से.मि. रमल तंत्र ले.स. १८८९; हाथकागळ पत्र ३१; २५४१२ से.मि. तूटक. कर्ता परिचय अप्राप्य, पत्र १ थी ८ नथी. मुनि सुमतिविजये प्रति लखी. रमलतंत्र ले. स ं. १९६५; हाथकागळ पत्र ८ २५.१×११.१ से.मि. परि./३२५ परि./११०१ परि./८५३८ Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नैमितिक ४४५ अज्ञातकर्तृक पाशा केवली शकुनावली ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.२४१२ से.मि. प्र.स./३७०२ परि./६८९५ रमलतंत्र-आम्नाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६.६४१२.६ से.मि. मूळ रचना संस्कृत प्रति जीर्ण. प्र.स./३७०३ परि./९०४ नैमितिक उत्तमविजय पंचवाकयी शकुनावाली ले.स. १८८१; हाथकागळ पत्र ५: २६.८४११.७ से.मि. __कर्ता-जे. गृ. क. भा. ३, खं. १, पृ. १; १५०, २९५मां नेांधायेला त्रणमांथी कया ओ नक्की नथी थतुं. - गोत्रकामां पं. उत्तमविजयना शिष्य मुनि यशोविजयगणिभे प्रति लखी. प्र.स./३७०४ प्र.स./८२६३ गर्गर्षि (नि.) १-पाशाकेवली शकुनावली ले.स. १९९ शतक (अनु), हाथकागळ पत्र २; २५.६४ ११.५ से.मि. कर्ता-निवृति कुलना सूराचायना शिष्य अने देलमहत्तरना गुरुबंधु. समय अज्ञात. (जै. प. इ. भा. १, पृ. ५६३). ___मांडवा(वी?)मां पं. सुज्ञानविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./३७०५ परि./७३३३ २-पृच्छा शकुनावली ले.स. १७८७, हाथकागळ पत्र ५ थी १०; २४.९४११ से.मि, वीरमगाममां विणिदास माटे नयरत्नगणिना शिष्य नेमरत्नगणिले प्रति लखी. प्र.सं./३७०६ परि./६२६१/२ जयविजय १-शकुन दीपिका (शकुन चउपाई) र.स. १६६०; ले.स. १६८०, हाथकागळ पत्र ११; २४.५४१०.८ से.मि. पद्य ३४८ मूटक. ___कर्ता-कोई देवविजयना शिष्य छे. गच्छy नाम नथी. समय वि.सं. १७नो (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३९४). पत्र , नथी. रचना गिरिपुर-वागडमां थई. प्र.स./३७०७ परि./४८६८ Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नैमितिक ४४६ २-शकुन दीपिका (चोपाई) ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र १९; २४-८x१०.५ से.मि. मुनि श्यामजीनी लखेली आ प्रति मुनि रत्नविजयनी छे. प्र.सं./३७०८ परि /५२०१ महिमानन्द अंगस्फुरण विचार र.स. १६३९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; १७.७४१०.६ से.मि. पद्य २३. कर्ता-परिचय अप्राप्य. सिवाय के वि. १७मी सदीना पूर्वार्धमा थया. (पद्य २३). प्र.स./३७०९ परि./८२२९ विजयप्रभसूरि मेघमाला विचार ले.स. १९६०; हाथकागळ पत्र १०; २४४१०.१ से.मि. कर्ता-तपागच्छीय सुप्रसिद्ध विद्वान (जै. सा. इति• फकरो ९५६, पृ. ६५३). मणिलाले विरमगाममा प्रति लखी. प्र.स./३७१० परि./८५३५ शुभवर्धन वाचक सउणा शतक (स्वप्न शतक) ले.स. १६२४; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २५.६४११ से.मि. पत्र १०५. कर्ता -वि.स. १६ना मध्य भागना सुधर्मरुचि अमना (कर्ताना) शिष्य नेांधायेला छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ४०७). १. तपागच्छीय (जै. सा. इति. फकरो ७५५). २. बृ. खरतरगच्छीय (भा.भा.पा./प्र.९५४)-बे मांथी कया मे नक्की करवं. प्र.स./३७११ परि./६२३०/१ संघकुल मुनि (सिंहकुल, सिंहकुशल) (त.) १-स्वप्नाध्याय (चोपाई) र.स. १५६०; ले.स. १७४ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २३४१० से.मि, पद्य ४२. कर्ता-तपगच्छना हेमविमलसूरिनी परंपरामां ज्ञानशीलना शिप्य छे. समय वि.सं. १६ना (जै गु. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५९४). प्र.सं./१७१२ परि./६६७२ २-स्वप्न विचार (चोपाइ बद्ध) र स. १५६०; ले.स. १७१४; हाथकागळ पत्र १; २४.४१०.२ से.मि. पद्य ४२. मुनि रत्नसोमे प्रति लखी. प्र.स./३७१३ परि./६५७१ www.jainelibrary Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नैमितिक ४४७ हेमाणंद (ख.) अंगस्फुरण विचार (चोपाई बद्ध) र.स. १६३९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु'; २५४१०.५ से.मि. पद्य २३. कर्ता-खरतरगच्छना हर्षप्रभ>हीरकलशना शिष्य छे. समय वि.स. १७मी सदी. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ७८०). प्र.स./३७१४ परि./४७३८/४ अज्ञातकर्तृक अवयद केवली शकुनावाली ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.२४ १२.४ से.मि. प्र.स./३७१५ परि./८०४७ १-कमलू शकुनावली ले.स १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २३.४४ १०.७ से मि. प्र.स./३७१६ परि./५०८८/१ २-कमल शकुनावली ले.सं. १७८७: हाथकागळ पत्र १ थी ५; २४४१०.४ से मि. प्र.स./३७१७ परि./६२६१/१ काकरूत विचार (गद्य) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.५४२० से.मि. प्रस./३७१८ परि./७२०५ काकोंडा विचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २४४१०.८ से.मि. प्र.से./३७१९ परि./४७३८/२ गुरुचक्र प्रश्न शकुनावली ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.३४१०.५ से.मि. प्र.स./३७२० परि./६७४१ गौतम केवली शकुन ले.सं. १६०२; हाथकागळ पत्र १; २५.५४१० से.मि. विजयदेवसूरिना धर्मशासनमां लब्धिविजयनी कृपाथी 4. कीर्तिसागरे प्रति लखी. प्र.स./३७२१ परि./१७४८ गृहगोधा चेष्टा ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७.४४१०.८ से.मि. तूटक. ___पत्र १ नथी. श्राविका रजई (राजी ?) माटे प्रति लखी. प्र.स./३७२२ परि./१६३६ Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८ नैमितिक गृहगोधा विचार ले स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1; २४४१०.३ से.मि. गाथा ५४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३७२३ परि./७५१८ चक्रपृच्छा शकुनावली ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २३४१० से.मि. प्र.स./३७१४ परि./६१५५/१ छींक विचार ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २४.८४९.७ से.मि. प्र.स./३७२५ ____ परि./४०७८/१ जिन केवली शकुनावली ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र २; २३.५४१०.३ से.मि. ___ कीसनचंदना शिष्य मगनीरामे मरोटमा प्रति लखी. प्र.स./३७२६ परि./७६६९ न्यान (ज्ञान) केवली दक्षिणी शकुनावली ले.सं. १६१५; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४११.२ से.मि. आगमगच्छना राजगणिना शिष्य विद्यावल्लभमुनिझे प्रति लखी. प्र.स./३७२७ परि./४७५१/२ दोष शकुनावली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २३.५४१० से.मि. अग्धार ग्रामे दीपसागरमुनिले प्रति लखी. प्र.स./३७२८ .. ___ परि./४०६९/२ दोषावली ले.सं. १८७१; हाथकागळ पत्र ४; २३४९.५ से मि. जामगा मां पं. पद्मचिसे प्रति लखी. प्र.सं./३७२९ परि ६५४३ दोषावली ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.८x१०.१ से.मि. प्र.स./३७३० परि./५८८५ दोषावली ले.सं. १८६२; हाथकागळ पत्र ७; २५.५४१२.५ से.मि. खुशालविजये प्रति लखी. प्र.स./३७३१ परि /५४९७ दोषावली निवारणोपाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; ३४४११.५ से मि. प्र.स./३७३२ परि./११२३ पक्षी-पशु शकुनावली ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५४१०.१ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./३७३३ परि ६७४३ Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नैमितिक ४४९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ (३ यी ४); पक्षिरूत शकुनावली ले.स. १६९ २५.२४१०.१ से.मि. तूटक. पत्रो १, २ नथी. प्र.स./३७३४ परि./६७१६ पक्षी शकुनावली ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी १४मुं; १७.७x ११.५ से.मि. प्र.स./३७३५ परि ८६.८. पक्षी स्वर शकुनाबली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४४११ से.मि. प्र.सं./३७३६ . परि./३९९६ पल्ली गृहगोधा विचार ले.स. २१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २७.७४१२.३ से.मि. लिपिकार गोरधनदास लक्ष्मीशंकर त्रिवेदी. प्र.स./३७३७ परि./१६३१ पल्लीपतन विचार ले.स. १७मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१० से.मि. प्र.स./३७३८ परि./६७१२ पल्लीलग्नविचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४४९.८ से.मि. प्र.स./३७३९ __ परि./४७३८/२. पल्लीविचार ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र ९ थी १०; १३.१४२४.१ से.मि. प्र.स/३७४० परि./४९७/७ पंचवाक्य पृच्छा शकुनावली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.५४ १०.५ से.मि. ऋषि श्रुतसागरे प्रति लखी. प्र.स./३७४१ परि/४६४१ पंचवाक्य शकुनावली ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४११.५ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३७४२ पंचवाक्य शकुनावली ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.६४११.४ से.मि. __ आ जीर्ण प्रति शिष्य वीरचंदनी छे. प्र.सं./३७४३ परि१७४७ परि./१७४६ Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५० पंचवाक्य शकुनावली ले. सं. १८८२; हाथका गळ पत्र ४; १५४१२ से.मि. खूबचंदे प्रति लखी. प्र.सं./३७४४ पंचवाक्य शकुनावली ( नावने लगती ) ले. सं. १७६१; २०.८x९.५ से.मि. शांतिसागरे नवानगरमा (जामनगरमा ) प्रति लखी. प्र.स ं./३७४७ प्र. स. / ३७४५ परि / ८१८० / ४४ पाशा (पासा) केवली शकुनविचार ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १२९मु ; २६११.१ से.मि. प्र.स ं./३७४६ पृच्छा शकुनावली २३-५४१० से मि . परि./६७०५/२ पृच्छा शकुनावली ले.स. २०मु शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९थी २४; २६०८४११ से.मि. तूटक. पत्रो थी ८ २३मु नथी. प्र.स ं./३७४८ प्र.स ं./३७५१ ले. स. १८ शतक (अनु.); परि./५०८८/२ शकुनपृच्छा ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४ ५४१०.४ से.मि. प्रति जीर्ण छे. शकुनाध्याय गाथा २२. प्र.सं./३७५२ प्र. सं . / ३७४९ परि./८३५२ शकुनशास्त्र (चोपाइबद्ध) ले. स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र मु ं; २३.५×१०-४ से.मि. तूटक, ४२थी ५३ कडी. प्र.सं./३७५० ले. स. १८ शतक (अनु.); नैमितिक परि./२४३३ हाथका गळ पत्र २१थी ३२; परि./८३५५/१ शकुनशास्त्र - बालावबोध लेस. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २५४१० से.मि. प्रति जीर्ण छे. लाभवर्धन माटे प्रति लखाई. हाथकागळ पत्र ६थी १५; परि./४४२७ हाथकागळ पत्र १; परि. / ६०६४ २६×११ से.मि. परि./६७०६ Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नैमितिक शकुनावली ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २२.५४११.५ से.मि. प्र.सं./३७५३ परि./५२१ शास्त्रीय विचार ले.स. १८९७; हाथकागळ पत्र २; २४.६४११.४ से.मि. प. गंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./३७५४ परि./६७६५ सर्वज्ञ शकुनावली ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१०.४ से.मि. प्र.स./३७५५ __परि./६९६८ १-स्वप्नविचार ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1थी २; २६.५४११.२ से.मि. रुद्धिविमलगणिमे प्रति लखी. प्र.स./३७५६ परि./२४८५/२ २-स्वप्नविचार ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.३४१०.५ से.मि. प्र../३७५७ परि./४७९९ स्वप्नविचार. (दशस्वप्न) ले.स. १७९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५४१०.३ से.मि. प्र.स./३७५८ - परि./५५१६/३ स्वरोदयविचार ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र ३२मु; १९.३४९ से.मि । शांतिसागरे नवानगर(जामनगर)मा प्रति लखी. प्र.स./३७५९ . परि./८१८०/४५ सोळ स्वप्न ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.६४११ से.मि... प्र.सं./३७६० परि /५९४५/५ स्थापनाकल्प (उमे रण) ले.सं. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७३ थी १७४; २६.२४११.४ से.मि. प्र.स./३७६१ . परि./५८०/११६ te & Personal Use Only www.jaine Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भडलीशास्त्र (हवामानना वारा माटे) भडली .१--भडलीपुराण समयबंध विचार ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८; २७.५४१२ से.मि. कर्ता-स्त्री ज्योतिषी छे के पुरुष मे नक्की नथी थतु. सिवाय काई जाणी शकातु - नथी. (गू. हा. स. या., पृ. १३६.) रूपसागरजीओ प्रति लखी. प्र.स./३७६२ परि./६१९ २-भडलीपुराण ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; ३०.५४१४ से मि. प्र.स./३७६३ परि.७९८३ ३-भडलीपुराण ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९थी १६; २४.९४१३.९ से.मि. तूटक. ..... पत्रो १ थी ८ नथी. तपगच्छना उत्तमविजये खसोद(केशोद ?)मां प्रति लखी. प्र.स./३७६४ परि./८०२३ भडली महामाया-भैरवी मेघमाला (रासबद्ध). ले स. १८९०; हाथकागळ पत्र ८; .. २५४१३.२ से.मि. क्षेत्रप्रभसूरि आचार्याना सहवासी आ. दुर्लभसूरिसे प्रति लखी. प्र.स./३७६५ परि./२७०८ १-भडली वाक्य ले.स. १८९. शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ४थु; - २६:५४११.५ से मि. प्र.स./३७६६ परि./२८०४/२ २--भडलो वाक्य ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २९.७४१३.२ से.मि. प्र.स./३७६७ परि./७२४६ ३-भडली वाक्य ले.स. १९मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २३.७४११.७ से.मि. प्र.स./३७६८ परि./७५६७ ४-भडली वाक्य ले.स. २०११; हाथकागळ पत्र १२, २७.७४१२.२ से.मि. गोरधने पाटणमा प्रति लखी. प्र.स./३७६९ परि./१६३० Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिल्प ५-मडली वाक्य (मेघमाला); ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र १०; २३.७४१०.७ से.मि. सोमसूरि>मुगटसोमजी>अमृतसोमजी>जयसे।मजी>मुनि धनसामजी वीटेादरमां प्रति लखी. प्र.स./३७७० परि./४०५४ भडली विचार (दूहा) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३४11 से.मि. प्र.स./३७७१ परि./२७२५ मेघमाला ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथका गळ पत्र ८; २५.८४११.२ से मि. पद्य २२७. प्र.स./३७७: परि./७२८० मेघमाला ले.स. २० मुशतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १०; २७.४४११.५ से.मि. लिपिकार वल्लभ. प्रथम पत्र जीर्ण. प्र.स./३७ ३ परि./१५४२ __ वादळ विचार (वृष्टि विचार) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.३४१३ से मि. प्र.स./३७७४ परि./२६० शिल्प अज्ञातकर्तृक जिनप्रतिमा-प्रसाद विचार ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १ ०९; २६४१०.७ से मि. तूटक पत्र ८मु नथी. पत्र १०मां विहरमानजिन कोष्टक छे. प्र.मं./३७७९ परि./३४०६/२ ध्वज-प्रतिमा-प्रतिमादृष्टि आदिनु स्वरूप माप आदि ले.स. १९मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ४ः २३.४४१३३ से मि प्रति कागळनी मेक बाजु लखेली छे. प्र.स./३७७६ परि./२७७ प्रासादना मागोनु स्वरूप ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २७.३४१1.1 से.मि. प्र.सं./३७७७ परि./६२४/१ Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिल्प प्रासादमंडन-बालावबोध ले.स. १९६४; हाथकागळ पत्र १थी ८, २७४१२.५ से.मि. मंडनसूत्रधोरनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. वडोदरामां जयगोपाले प्रति लखी. प्र.स./३७७८ परि./९६६/१ विश्वकर्मावतार-अध्याय १-स्तबक ले.सं. १८८७; हाथकागळ पत्र ७, २५.५४११.९ . से.मि. गाथा २९. मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. नवापुरा(सुरत)मां मोहनरत्नजीओ प्रति लखी. प्र.सं./३७७९ परि./१७९३ शिल्पग्रंथोनां नामोनी यादी ले स . १९६४; हाथकागळ पत्र ८ थी ९: २७४१२.५ से.मि. जयगोपाले वडोदरामा प्रति लखी. प्र.सं./३ ७८० परि/९६६/२ विज्ञान . .. काच बनाववानो विधि ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २५.५४ ११.४ से.मि. प्र.स./३७८१ परि./३७१७ रजतसिद्धिकल्प ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र (मु; २१:५४१०.२ से.मि. प्र.स./३७८२ परि /७७४५/२ रत्नपरीक्षाशास्त्र ले.स. १८९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ११; २५४१०.५ से.मि. प्र.स./३७८३ परि./४२३१ रत्नपरीक्षाशास्त्र (कविताबद्ध) ले.स. १९६४ हाथकागळ पत्र ११; २१.२४१०.५ से.मि. पद्य १५४. प्रति जीर्ण छे. अमरदत्ते लखेली आ प्रति बोडा माधोदास पुष्कर्णा ब्राह्मणे लखी. प्र.स./३७८४ परि./३९६४ रत्नपरीक्षाशास्त्र-बालावबोध ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पन ५ थी ११२; २४.३४११.२ से.मि. तूटक अगस्ति (अगस्त्य ?) ऋषिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. पत्रो १ थी ५ नथी. प्रस./३७८५ परि./२४०० Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद रत्नपरीक्षा समुच्चय-बालावबोध ले स.१७३०; हाथकागळ पत्र ४५; २४.८४११.१ से.मि. ___ अगस्तिऋषिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छ, भावशेखरे इलमपुरमा लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./३७८६ परि./१८७५ सुवर्णसिद्वितंत्र ले.स. २०९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र लु; २४.७४१०.९ से.मि. प्र.स./३७८७ परि./८५१७/२ आयुर्वेद (वैद्यक) अमरकीर्तिसूरि (दि.) योगचिंतामणी-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८१; २३.३४ १०.५ से.मि. तूटक. - कर्ता-दिगंबरपंथी जैन साधु छे. अमनो समय वि.सं. १२५७(१२७४ १)नो छे: (जै. सा. इति., पृ. ३१४, फकरो ५०३). हर्षकीतिसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्रति जीर्ण छे.. पत्रो ,, , १०थी १९, २१, ४५थी ४९, ५३थी ६१, ६४थी ६६ अने ७ नथी. प्र.सं/३७८८ परि.११२ कक योगीवाणी ले.स. १७३६;हाथकागळ पत्र १६९; १३.१४२४.१ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स ./३७८९ परि./४९७/२६ कल्याण पंडित बालतंत्रभाषा वचनिकाबन्धु (बालवैद्यक) ले.स. १९४२; हाथकागळ पत्र ६८; २७.२५१२ से.मि. कर्ता-कोई गृहस्थ, रामचंद्र पंडितना पुत्र छे. समयनु अनुमान खक्य स्थी. (पत्र ६८). प्र.स./३७९० परि./१६३५ नयनसुख (जै नेतर) वैद्यमनोत्सव . ले.स. १७३४; हाथकागळ पत्र ४५थी ६१९; २४.६४१३.१ से.मि. कर्ता-केशवराजना पुत्र छे. (पत्र ६१मुं) प्र.सं./३७९१ परि /४९७/३५ Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद मेघराज मेघविलास ले.स. १९२२; हाथकागळ पत्र १७; २५.५४१२ से.मि. ग्रंथान ४.१. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. विमलचंदजी>विजचंद्र>ज्वालाऋषि गुजरावा लामा प्रति लखी. प्र.स./३७९२ परि./५००७ लक्ष्मीन्दु मुनि वैद्यजीवन-स्तबक ले.स. १८१३; हाथकागळ पत्र 1६: २५.०४११.५ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. (पत्र १६) लालिंबराजनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे.. मूळना लिपिकार प. जसवंतविजय. स्तबकना लिपिकार ५. राजविजय. लेखनस्थळ भीलोडा. प्र.स./३७९३ परि./३१४६ सैदपहार (हमजासुत) रसरत्नाकर ले.स. १८५३: हाथकागळ पत्र ३४; २३.५४१२.५ से मि. ग्रंथान १८३४. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे.. प. रूपविजये प्रति लखी. प्र.स./३७९४ परि./11१८ पं. सोमचंद बालतंत्र भाषावचनिका र.स. १९१५; ले.स. १९२२; हाथकागळ पत्र ५९; २५४१०.८ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिदेश मळे छे. (पत्र ५९) अंबरसर(अमृतसर)मां विजय चंद्रस्वामीना शिष्य, ऋषि ज्वालाले प्रति लखी. प्र.स./३७९५ परि./५००७ मुरारिसोहन वैद्यबल्लभ-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २३; २६४११.८ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे (पत्र २३). संतोषरामर्षि अने नवनिधरामे, विजयगच्छना पद्मजी>भानजी > वर्धमानमुनि > गीरघरचंदजी> हरीषराजक > आनंजी> मलुकचंद मुनिने शीखवा माटे लखेली प्रति घणी प्र.स./३७९६ परि /३२८१ Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद हर्षकी र्तिरि (ना.त.) वैद्यकसार संग्रह ले.स. १८ मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ९; २४०४×११.२ से.मि. कर्ता - नागोरी तपगच्छना चंद्रकीर्तिसूरिना शिष्य छे. वि.सं. १६६५नी अमनी रचना नांधायेलो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४६९). प्र.सं./३७९७ परि०/७५९६ हस्तिरुचि ( त . ) वैद्यवल्लभ - स्तबक र.स. १७२६, ले.स. १८९२; हाथ कागळ पत्र ३०; २७-२४१२ से. भि. कर्ता- तपगच्छना लक्ष्मिरुचिनी परंपरामां हितरुचिना शिष्य छे. वि.सं. १८मा था. (जै. सा. इति पृ. ६५६ - फकरो ९६२). मूळ रचना संस्कृतमां छे. स्वोपज्ञकृति छे. रूपसागरजी ओ राजनगरमा लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./३७९८ प्र.स ं./३८०० कालज्ञान - स्तबक लेस. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २५ से.मि. अपूर्ण. प्रति जीर्ण छे, ४५७ अज्ञातकर्तृक आयुर्वेदिक प्रयोगो .स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५०७०११ से.मि. प्र.सं./३७९९ परि./५१४०/६ कालज्ञान - बालावबोध के. सं. १७७०; हाथका गळ पत्र ९; २६.५x१००८ से.मि. ऋषि गांगजीओ शाहीपुरमां लखेली प्रति जीर्ण छे प्र.स./३८०१ प्र.स ं./३८०३ ५८ परि./२३२ बहत्कालज्ञान ( ज्योतिषायुर्वेद) ले. स. १८०६; हाथकागळ पत्र २६; २७.४४१२०२ से.मि. केटलाक ज्योतिषायुर्वेदना प्रयोगो प्राकृतमां पण छे. धन्वंतरिनी रचना संस्कृतमां छे. अंबिकानगरमां रामजीओ लखेली प्रति जीर्ण छे. गुजराती, प्राकृत अने संस्कृत ऋण माषामां ग्रंथ छे. प्र. स. . / ३८०२ परि. / ६०५ • ज्वरसारोद्वार - सप्तज्वररूप- स्तबक ले.स. १७ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ९, २६.३४ १०.५ से.मि. तूटक. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे, पत्रो १, २ नथी. परि/६१८ परि./३६४८ २७.२४१२.८ परि./३१८७ Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५८ आयुर्वेद नाडी परीक्षा अर्थ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २४.९४११.७ .. से.मि. दानशीलगणिभे विजापुरमा प्रति लखी. प्रस'./३८०४ परि./२७१४ नाडीपरीक्षा-स्तबक (रामविनोदगता) ले.स. १८९४; हाथकागळ पत्र ६; २७४१३ से.मि. गाथा ४५. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. वि.सं. १६१०मां रचायो. गोविंदजी अने रविशेखरजी माटे रताडीआमां मूळनी प्रति लखनार मानसंगजीना शिष्य पसागरी राघवजी स्तबकना लिपिकार कर्मशेखरना शिष्य मानशेखर. प्र.स./३८०५ परि./३१५ बालकदोष ज्ञान ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र १७९; २४.२४१३.१ से.मि. प्र.स./३८०६ परि./४९७/२७ ...बालचिकित्सा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २६.६४११.५ से.मि. प्र.स./३८०७ __ परि./२८५/१ माधव निदान-स्तबक ले.स. १७९०; हाथकागळ पत्र ११४: २५.५४११ से.मि. माधव रचित मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. ५. दर्शनविजये मांडवीमा प्रति लखी. प्र.सं./३८.८ परि./६३३१ मोहनविलास-भाषाटीका ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४४१०.४ से.मि. तूटक, पत्र १, २ नथी. मोहनक्षत्रीयनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.स./३८०९ परि./७६३१ १-योगचिंतामणी-बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ७५; २५.३४११ से.मि. ग्रंथाय १७६१. ___ हर्षकीर्तिमरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.स'./३८१० परि./७९४६ २-योगचिंतामणि-बालावबोध (मिश्रिकाध्याय) ले.सं. १७६८; हाथकागळ पत्र ८१; २५.२४११ से.मि. हर्षकीर्तिरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. लिपिकार कृष्णचंद्र. प्र.स./३८११ परि./२६२० योगचितामणि-बालावरोध ले स. १८४२: हाथका गळ पत्र ६५ यी १०३, २६४१२ से.मि. तूटक (गुटकाकार). पत्रो ५ थी ६४ नथी ' हर्षकीर्तिसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. ५. देवसुदरे बर्हानपुरमा प्रति लखी. प्र.स./३८१२ परि./२ ४३४ Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुवेद ४५९. योगचिंतामणि बालावबोध (नाडीपरीक्षाध्याय) ले.स १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ६, २५.७९११ से.मि. गाथाबद्ध तूटक. पत्र ५ नथी. हर्षकीर्तिसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र सं . / ३८१३ परि./११९२ योगचिंतामणि - स्तबक (गुटिकाधिकार) ले.सं. १७७०; हाथकागळ पत्र ३०; २३.८४ १००४ से.मि. लिपिकार हर्षकीर्तिसूरिना मूळ संस्कृत ग्रंथमांथी आ अक अधिकारनु स्तबक छे. औदिच्य ज्ञातिना भवानीदास सदाशिव. प्र.सं./३८१४ परि./८६०० योगचिंतामणि- स्तबक (स्त्रीरोगाध्याय) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११५; २६.७४१२०२ से.मि. - अपूर्ण. पत्रो १०४, ११६ नथी, ८मुं बेवडायुं छे. मूळ संस्कृत ग्रंथ हर्षकीर्तिसूरिनो छे. प्र.सं./३८१५ योगशत वृत्ति ले.सं. १७९७ हाथकागळ पत्र ९; २५०२४११०३ से भि. वैकुंठ वैद्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पं जीतरुचिगणिओ दाठानगरमा प्रति लखी. प्र.सं./३८१६ परि./ १९२४ / १ योगशत - बालावबोध ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.८४११ से.मि. वैकुंठ वैद्यना मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./३८१७ परि./२१०९ योगशत- बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकांगळ पत्र १२; २५०५४१०.८ से.मि. पद्य १२० - अपूर्ण. वैकुंठबेद्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.सं./३९१८ परि. / १०४८ परि. / ११९३ वातचिकित्सा आदि प्रकीर्णक ले.सं. १७३६; हाथकागळ पत्र ११३ थी ११८, २४-१x १३.१ से.मि. प्र.स ं./३८१९ परि. / ४९७/४७ वैद्यक ग्रंथ ले.स. १७३६, हाथकागल पत्र ७२ थी ७८; २४ १४१३.१ से.मि. प्र.स ं./३८२० • परि. / ४९७/४० वैद्यक ग्रंथ ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४११ से.मि. प्र.सं./३८२१ परि. / २२८२ Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद वैद्यक ग्रंथ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४, २५.५४११ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.स./३८२२ परि /३८८२ वैद्यक ग्रंथ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ७; २५.७४११.५ से.मि. प्र.स./३८२३ परि ३८८६/१ वैधक ग्रंथ (स्त्री रोग विषयक) ले.सं. १७७८; हाथकागल पत्र ६; २४.३४११.५ से.मि. प्र.स./३८२४ परि./४०९६ वैद्यक ग्रंथ ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २४.८४१०.८ से.मि. - अपूर्ण. प्रतिमां ६ पत्र कोई बीजी प्रतनु छे. प्र.स./३८२५ परि./६०८५/१ वेद्यक ग्रंथ ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १ थी ३; १७.७४१२ से.मि. प्र.सं./३८२६ परि./८६०८/१ वैद्यक ग्रंथ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५४११ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.म./३८२७ ___ परि./८८६७ वैद्यक ग्रंथ ले.स. १८९ शतक (अनु ), हाथकागळ पत्र २७; २४.७४11 से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./३८२८ परि./६३८८ ... वैद्यक ग्रंथ-अर्थ . ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ काग़ळपत्र ६; २३४९.९ से.मि. , मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्र.स./३८२९ परि./७६१९ वैदक ग्रंथ-बालावबोध ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५६; २६.७४१२.७ - से.मि. तूटक. मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. पत्र १ थी ३, ३२. ३३ नथी; ४७ अने ४८ बेवडायां छे. __ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३८३० परि./९६९ वैदक प्रयोग संग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६.२४११ से.मि. तूटक पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.स./३८३१ परि./६८३१ Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद वैद्यक प्रयोग (अने मंत्रगाथाओ) ले.स. १८९ शतक (अनु.); · हाथका गळ पत्र लु'; २४.५४११ से.मि. प्र.सं./३८३२ परि./६४६५/७ वैद्यक फुटकर प्रयोग ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथका गळ पत्र ६थी ७; २५.७४ ११.५ से.मि. प्र.स./३८३३ परि./६८१५/५ वैद्यक-भैषज्य ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४.५४ १०.५ से मि. .. तूटक. पत्र १लु नथी. प्र.स./३.३४ परि /१९७० वैद्यकशास्त्र (चोपाईबद्ध) ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २४, २५.२४१ ३.२ से.मि. तूटक. __ पत्रो १ थी २८ अने २३मु नथी, प्र.स./३८३५ परि./८०५० वैद्यकसंग्रह (कौतुकरत्नावली) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३३: २३.५४१३ से.मि. तूटक. प्रति जीर्ण छे. पत्रो १ थी ५; ७ थी ९ अने २३ थी २५ नथी. भाषा संस्कृत अने गुजराती बन्ने छे.. प्र.स./३८३६ परि./२६ वैद्यकसंग्रह ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३; २५.५४११.५ से.मि. तूटक. पत्र लु नथी. प्र.स./३८३७ परि./४८३ वैद्यकसंग्रह ले स. १९९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ९३; २४.३४१२ से.मि. कच्छमां आवेला लाखपुरमाम(लखपत ?)ना, . कुमुदशेखरना शिष्य ५. गुणशेखरे दक्षिणमां आवेला राजुल गामे प्रति लखी. प्र.स./३८३८ परि./२७२२ वैद्यकसंग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२; २६.५४११.५ से.मि. तूटक. __ पत्रो १ थी ८ नथी. प्र.स./३८३९ परि./३४८३ Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ आयुर्वेद वैदकसंग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४३; २६४११ से.मि. पत्रो १ थी ३० नथी. प्र.स./३८४० परि./१७०७ वैद्यकसंग्रह-सार्थ ले.स. 1८मुशतक (अनु); हाथकागळ पत्र ६; २३.८४१०.२ से.मि. प्र.स./३८४१ परि./७६१९ वैद्यकसंग्रह ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; १८.५४११-७ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ./३८४२ परि./८१४२ वैद्यकसंग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३२; १६.३४९.६ से.मि. तूटक. पत्रो ७, ९, १५, २०थी २३, २६, २७, २९, ३० नथी. प्र.स./३८४३ परि./८६५४ वैद्यकसंग्रह ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३.५४१२ से.मि. ___ खानां पाडीने प्रति लखेली छे. प्र.सं./३८४४ परि./८९०९ वैद्यजीवन-स्तबक ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४८; २४.६४१२.२ से.मि. लोलिंबराजनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. जिनेन्द्रकुशले - - - (नगर ?)मां प्रति लखी. प्र.स./३८४५ ___परि./११०८ वैद्यजीवन-स्तबक ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र ३८; २५.८४१२ से.मि. लोलिंबराजनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. नाहीनगरमा १. सौभाग्यविजये लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स./३८५६ परि./२३२७ वैद्यजीवन-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३१; २३.३४१२.६ से मि. लोलिंबराजनो नो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.स./३८४७ परि./५१४ वैद्यवल्लभ-स्तबक ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र ३५; २४.८४१२ से मि. गाथा २६१. हस्तिरुचिना मूळ प्रांथ संस्कृतमां छे. झाणोरमां अमरचंदे प्रति लखी. प्र.स./३८१८ परि./२०४९ www.jainelib Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेद वैद्यवक्लभ-स्तबक ले.स. १८४८; हाथकागळ पत्र २५, २५.५४११.१ से.मि. विलास ८. हस्तिरुचिना मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. विसलनगरमां मुनि मोतीविजये प्रति लखी. प्र.स./३८४९ परि./३१५८ वेद्यवल्लभ-स्तबक ले.सं. १८७२: हाथकागळ पत्र १९; २६.२४११.५ से.मि. ग्रंथान ३३११. तूदक. पत्रो ६थी १३ नथी. हस्तिरुचिना मूळ संस्कृत ग्रंथ सं १७२६मां रचाया. पं. रत्नविजये रूपालमा प्रति लखी. प्र.स./३८५० परि./३९७३ वैद्यसार–बालावबोध ले.स. १८३१; हाथकागळ पत्र २६; २५.७४१२.२ से.मि. ग्रंथाग्र १२५०. धन्वंतरिना मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे.. प्र.स./३८५१ परि./८७५ - बेधसार प्रदान १२५० व्याधिनिग्रह-स्तबक ले.स. १८५२; हाथकागळ पत्र ३०; २५४११.७ से.मि. गाथा ५११. अर्जुनपुरमां, वि.स. १८३९मां मूळ ग्रंथ विश्रामयति संस्कृतमां रच्या. अंजारमा राघवजीभे प्रति लखी. प्र.सं./३८५२ परि./७५८३ संनिपातकुलिका ले स. १७३६; हाथकागळ पत्र ७८थी ७९; २४.१४१३.१ से.मि. प्र.स./३.८५३ परि./१९७/४१ Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयुर्वेदान्तर्गत औषधकल्प आबुगिरि कल्प ले.स. २०९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ३५थी ४०; २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३८५४ परि /५•/16 उलूक कल्प ले स. १७३६; हाथकागळ पत्र १५मु': २१.१x१३.१ से.मि. प्र.स./३८५५ परि./४९७/२७ उधाहोली कल्प ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ल; २५४१०.८ से.मि. प्र.सं./३८५६ परि./१७०९/१ उधाहोली कल्प ले.स २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११३मुं; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.सं./३८५७ परि./५८०/७८ औषध प्रयोग प्र.स./३८५८ ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २६.७४११.७ से मि परि./२८०४/३ औषध प्रयोग ले.स. १८७८; हाथकागळ पत्र १८मु; २४.४४११.५ से मि. प्र.स./३८५९ परि./१०९२/२ .. भौषधादि प्रयोग ले.सं. १७०१; हाथकागळ पत्र३६ थी ३७; २५.१४८ से.मि. प्र.सं./३८६० परि./७८१०/२७ औषधादि ग्रहणविधि कल्प ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.५४ २१.६ से मि. प्र.स./३८६१ परि./१७०८/१ . कालामरी कल्प ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२२९; २९.५४१०.७. प्र.सं./३८६२ परि./५८०/८४ काला रसगोली कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०थी २१; २९.५४१०.७ से.मि प्रस./३८६३ परि./५८०/४ Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६५ औषध कल्प १ - कांकसी कल्प (कांशकी कल्प ?) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१०.८ से.मि. प्र.स ं./३८६४ परि./१७०९/३ २ - कांशी कल्प ले.स. २०मुं शतक (अनु.) ; हाथकागल पत्र ३२मु; २९.५×१०.७ से.मि. प्र.सं./३८६५ परि./५८०/१४ कुमारी आसवविधान ले. सं. १७३६ हथिकागळ पत्र ७१; २४.१४१३.३ से.मि. प्र.स ं./३८६६ परि./ ४९७/३९ क्वाथाधिकार ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र ६१ थी ६६ २४.१४१३.१ से. भि. प्र.सं./३८६७ परि. / ४९७/३६ गुंजाकल्प ले. स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७ थी २९; २९०५×१०-७ से. मि. प्र. सं./३८६८ परि./५८०/९ गुंजा कल्प ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१०.८ से. मि. प्र.स ं./३८६९ परि./१७०९/६ गृहगोधा कल्प ले. स. १६३३; हाथकागळ पत्र २ २६-४९११ से मि. सत्यविजयगणेश, हेमविजय, ऋषि रूडा, ऋषि कुंवर विजयनी हाजरीमां चंगा व्होराना पुत्र धनराजे प्रति लखी. प्रसौं /३८७० गोरोचन कल्प ले.सं. १६५३; हाथकागळ पत्र २जु; २५-७४११ से.मि. प्र.स ं./३८७१ परि. / ५१४०/२ ग्रहणीकपाटविधि ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८; २६-५१००७ से. मि. परि./३१८७/४ परि./३६८२ प्र.सं./३८७२ घोडाचोली कल्प ले.सं. १७५३; हाथकागळ पत्र १ थी २ २५.७४११ से.मि. प्र.सं./३८७३ परि. / ५१४०/१ घोडाचोली कल्प ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकाग पत्र १ थी २; २६.५x१२.३ से.मि. प्र.सं./३८७४ परि. / ७४७४/१ चक्षुरोगौषधादि ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५०४४१०.८ से.मि. प्र. सं./३८७५ परि./६०४७/३ ५९ Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ औषध कल्प चूर्णाधिकार ले स. १७३६; हाथकागळ पत्र १०१ थी ११२; २४.१४१३ से.मि. तूटक. प्रति जीर्ण छ, पत्रो 110 अने १११ नथी. प्र.स./३८७६ परि./४९७/१५ ज्वराधिविधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २६.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८७७ परि./३१८५/३ झेरी नलेर कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८३मु; २९.५४१०.७ से मि. प्र.सं./३८७८ परि./५८०/११७ तल कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४५९; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८७९ परि./५८०/२२ दिव्य त्रिफला कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२०९; २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३८८० परि./५८०/८३ नागार्जुन गोली कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६२ थी १६३; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८८१ परि./५८०/१०३ निम्ब कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४७मु; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८८२ परि./५८०/२४ पारद कल्प ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२ थी २३; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.सं./३८८३ परि./५८०/६ पारा कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८१९; २९.५४१०.३ से.मि. प्र.स./३८८४ परि./५८०/११५ पिपरी कल्प प्रसं./३८८५ ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४४९; २१.५४३ ०.७ से.मि. परि./५८०/२१ फेफीडा कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३९९; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८८६ परि./५८०/९२ ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३९मु; २९.५४१०.७ बीलीवृक्ष कल्प से.मि. प्र.स./३८८७ परि./५८०/१०७ Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औषध कल्प ४६७ मधुकर कल्प ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.५४१०.६ से.मि. प्र.स./३८८८ परि./२९९४/३ मनुष्य कल्प ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र १३मु, २४.१४१३.1 से.मि. प्र.स./३८८९ परि /४९७/१६ मयूर वनस्पति अने मूसलकंद कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३१मुं; २९.५४१०.७ से मि. प्र.स./३८९० परि./५८०/११ रूदन्ती कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १७६ थी १८०; २९.५४ १०-७ से.मि. प्र.स./३८९१ परि./५८०/११४ लजामणी कल्प अने शंखावली कल्प ले.स २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२मुं; २१.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८९२ परि./५८०/१३ लोहचूर्णविधि कल्प ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मु; २६.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८९३ परि./३१८७ वडशाखा कल्प ले.स २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४२९; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३८९४ परि./५८०/९५ वंध्या कल्प ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.२४१२.१ से.मि. माळवाना वशरामपुरमां, खरतरगच्छना ऋषि केसरीचंदे प्रति लखी. प्र.स./३८९५ परि./९९४ वंध्याकल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ११७ थी ११८, २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३८९६ परि./५८०/८१ वाचाकरण कल्प ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; ३०.१४११-५ से.मि. प्र.स./३८ ९७ परि./१४४८/३ वाडदूधेली कल्प ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५४१०.८ से.मि. प्र.स./३८९८ परि./१७०९/१ Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औषध कल्प वायरणा कल्प ले.स. २०# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४०९; २९.५४१०.७ से.मि. प्रस/३८९९ परि./८०/१७ वांदा कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३ थी ३४; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स/३९०० परि./५८०/१५ विजयाकल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३०; २५.९x१०.७ से मि. प्र.स./३९०१ परि./५८०/10 विषाधिकार ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र ११२ थी ११३; २४.१४१३.१ से मि. प्र.स .३९०२ परि./४ ९७/४६ शंखाहोली कल्प ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५४१०.८ से मि. प्रस./३९०३ परि./१७०९/२ . श्वेत अरंड कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १८४मु; २९.५४१०.७ से.मि. प्र:स./३९०४ परि./५८०/११८ श्वेत खरसाणी कल्प ले.सं. १६५३; हाथकागळ पत्र २जु'; २५.७४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./३९०५ परि./५१४०३ श्वेत घुघरा कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४६९; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३९०६ परि./५८०/२३ श्वेतमासा कल्प ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २५४१०.८ से.मि. प्र.स./३९०७ परि./१७०९/५ १-श्वेतरींगणी कल्प ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३१मु; २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३९०८ परि./५८०/१२ २-श्वेतरींगणी कल्प प्र.स./३९०९ - ३-श्वेतरींगणी कल्प ११.६ से.मि. प्र.स/३९१० ले.स. १७३६: हाथकागळ पत्र १६९; २४.१४१३.१ से.मि. परि./१९७/२५ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.५४ परि./१७०८/२ Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औषध कल्प श्वेतरींगणी कल्प ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२मु; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३९११ परि./५८०/१९ श्वेतार्क कल्प (३) ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४१मु; १४१मु; १७२९; २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३९१२ परि./५८०/1८; ९४; ११० समुद्र फल कल्प (४) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३मु; १०८९; १५३ थी १५४ अने १८२९: २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३९१३ परि./५८०/२०; ७६; १०१; ११६ समुद्र फेण कल्प ले.स. २० मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १०७९; २९.५४१०.७ से.मि. प्रस./३९१४ परि./५८०/७५ सोनामुखी अनुपान कल्प ले.स २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७०मु; २९.५४१०.७ से.मि. प्रस./३९१५ परि./५८०/१०८ सोनामुखी कल्प (२) ले.स. २०९ शतक (अनु ); हाथका गळ पत्र १२३मुं; १७१मुं; २९.५४ १०.७ से मि. प्र.स./३९१६ परि./५८०/८६; १०९ सोमलशतविधि ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८५ थी १८६; २९.५४ १०.७ से.मि. प्र.स./३९१७ परि./५८०/११९ स्थापना परीक्षा ले.स. १९६०; हाथकागळ पत्र १३; १८x१०.७ से.मि. प्रस./३९१८ परि./८२२४/१ हाथला थुरिया कल्प ले स. २०भु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १६७ थी १६८; २९.५४१०.७ से.मि. प्र.स./३९१९ परि./५८०/१०६ हिंगोरा कल्प ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १४ ०हैं; २९.५४१०७ से.मि. प्र.स./३९२० परि./५८०/९३ Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ईश्वरीमंत्र कल्प ( विधिसह ) ले स. १७३६, हाथका गळ पत्र २२ श्री २४; २४०२४१३ से.मि. प्र.सं./३९२१ परि / ४९७/२९ उच्छिष्ट गणपति विद्या कल्प ले. स. २० शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १४५ थी १४६; २९.५×१०.७ से.मि. प्रसं/३९२२ परि. / ५८०/१०१ घंटाकर्ण कल्प ले. सं. १८२५; हाथकागळ पत्र ५ २४.२x१०-७ से.मि. पं. कर्पूरविजयगणि>प. क्षमाविजय > धर्मविजयगणिभे प्रति लखी. प्रयोगो यंत्रो साथे छे. आयुर्वेदान्तर्गत मंत्रकल्प प्र.सं./३९२३ परि. / ६४३३ १ घंटाकरण कल्प- स्तबक ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.८४ १२.३ से.मि. मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.स ं./३९२४ परि. / ८२८ २ - घंटाकर्ण कल्प - स्तबक ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २६.७४ १२.७ से.मि. मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.सं./३९२५ परि./९६८ चतुर्विशति यक्ष-यक्षिणी कल्प ले. स. २० शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १८७ श्री १९२; २९.५९१८०७ से.मि. प्र.सं./३९२६ परि./५८०/१२४ जयसिंघ रत्नावली ( वशीकरण मंत्रो) ले स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २५.७४११.३ से.मि प्रयोग १०८. भाणरत्नजीओ वुरहाण (न) पुरमां प्रति लखी. प्र.स ं./३९२७ परि. / २१०८ जांगुली मंत्र ले.स. १९२४ : हाथकागळ पत्र २२थी २६; १५.५४१०.६ से.मि. प्र.स ं./३९२८ परि./८६२३ /२ Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंत्रकल्प ४७१ तंत्रविद्या संग्रह ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६४।०.७ से.मि. तूटक. __ प्रति जीर्ण छे. पत्र ४थु; ९ थी ११ नथी. बाकीनां पत्रो खवाइ गयां छे. प्र.स./३९२९ परि./२०९२ तृतीय ज्वर नाशक मंत्र ले.स. १७६०; हाथकागळ पत्र 1; २३.७४1०.१ से.मि. प्र.स./३९३० परि./४०५६/२ दक्षिणावर्त शंख आम्नाय लघु कल्प ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१०.५ से.मि. प्र.स./३९३१ परि./७०१२ दोषावली (भूतादि-दोष-ज्ञान विषयक) ले.स. १८८२; हाथकागळ पत्र ४; २५.८४१२ से.मि. राजनगरमा प्रति लखनार डंगरसी धनरूपजी. प्र.स./३९३२ परि./२३६२ नवकार कल्प (विधिसह) ले.स. १९७६; हाथकागळ पत्र ९; १३४२ ०.६ से.मि. पं. विद्या विजये बाली गाममां (मारवाडमां) प्रति लखी. प्र.स ./३९३३ परि./८१२६ नवकुली नागनो (सर्प) मंत्र ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.९४ ११.७ से.मि, प्र.स./३९३४ परि./६९१७ नवपदनी पंदरिया यंत्रमय टीप (साम्नाय) ले.स. १८४६; हाथकागळ पत्र ४; २६.५४ १२ से.मि. हर्षरत्नमुनिझे चूडामा प्रति लखी. प्र.सं./३९३५ परि./८३३ नागमंतु ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र १८ थी २१; २४.२४१३ से.मि. प्र.सं./३९३६ परि./४९७/२८ नागमन्तो ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ८; २३.८४९.७ से.मि. प्र.स./३९३७ परि./६२३९/१ पूरवी नागमंतउ ले.स. १६०२; हाथकागळ पत्र २ थी ८; २५.७४११ से.मि तूटक. __प्रतिनुं प्रथम पत्र नथी, पण कृति संपूर्ण छे. प्र.स./३८३८ परि./२८४३ www.jainelib Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७२ निधान जोवानी विधि ( औषधि कल्प सह ) ले. स. २० शतक (अनु ); हाथ कागळ पत्र ४ थी ५ २४.५X१००७ से.मि. प्र.सं./३९३९ परि. / ८३६०/३ पश्चिमाधीश आरधना विधि (मंत्र) ले. स. १७२९; हाथकागल पत्र ३ थी ७; २५.१४ ११ से.मि. शिवपुराणमा आ आवे छे. 'मन करंडी पवन अकुंडी' - आवो अनो आदी छे. मुनि नारायणशेखरे प्रति लखी. प्र. स - / ३९४० परि०/४०४९ पंनरीयाने लगतो कल्प (पंदरिया यंत्र युक्त कल्प) ले. स. २० शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १६, २९-५४१००७ से.मि. प्र.सं./३९४१ मंत्रकल्प परि./५८०/१०८ महालक्ष्मी मंत्र - यंत्र विधि ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५४ १०.७ से.मि. प्र.सं./३९४२ परि./८३६०/१ मंत्र-तंत्र - कल्प विधिसह ले.स. २० मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २४; २०.८४ १३ से.मि. प्र सं./३९४३ परि. / ८१३५ मंत्र प्रयोग ले.स २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र प्रभुं; २४.५४१००७ से.मि. प्र.सं./३९४४ परि. / ८३६०/४ मंत्र संग्रह लेस. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३ २४०३ ११ से.मि. प्र.स ं./३९४५ मंत्रो ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकाचळ पत्र २जु; २६.५x१२-३ से.मि. प्र.सं./३९४६ परि. / ७४७४/२ मांत्रिक-तांत्रिक प्रयोग गुटको ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१; १५४ १२ से मि. प्र.सं./३९४७ परि./६९३७ परि./८६०६ याबदु जाप कल्प ले. स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६५ थी १६६; २९.५४१०.७ से. मि. प्र.सं./३९४८ परि./५८०/१०९ वशीकरण मंत्र ( विधिसह ) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ ५६ २४. x १० से.मि. प्र.सं./३९४९ परि./८५१७/४ Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंत्रकल्प वशीकरणादि मंत्रो ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ११ मुं: २५.६४११.७ से.मि. १.सं./३९५० परि. / ६४३३ वश्यकरण मंत्र ( विधिसह ) * ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २४-७५ १०.४ से.मि. * पतिने वश करवाना मंत्रो छ. प्र.मं./३९५। परि./८५१७/३ वीर प्रत्यक्ष करवाना मंत्रो - विधि ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ श्री ७, २४००×१० से.मि. प्र.सं./३९५२ ४७३ परि / ८५१७/५ वीशायंत्र कल्प ( आमां मंत्रो छे) ले.स. २० शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १७ थी १९; २९.५×१०.७ से.मि. प्र.सं./३९५३ परि./५८०/३ वीशायंत्र कल्प (आमां मंत्रो छे.) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ थी २६; २९-५४१०.७ से.मि. प्र.स ं./३९५४ परि. / ५८०/८. वृश्चिकोत्तार मंत्रद्वेय ले.स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १; २६×११ से.मि. प्र.स ं./३९५५ परि./२३७३/२ वैद्यकमंत्र संग्रह ले.स. १९मुळे शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २६.२×११ से.मि. तूटक. पत्र ३ नथी. प्र.स ं./३९५६ परि. / ३७७६ सर्पविषोत्तार मंत्र ले.सं १९२४; हाथकागळ पत्र पत्र २ थी २२; १५.५४१०.५ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./३९५७ ६० परि./८६२३/१ सर्पविषोत्तार- हडकाया विषोत्तारादि मंत्र ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २४.३४११ से.मि. प्र.सं./३९५८ परि./४०५५ Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राणीशास्त्रान्तर्गत अश्वशास्त्र अश्वशास्त्र-शालिहोत्र ले.स. १९२१; हाथकागळ पत्र ८३; २०४१४.३ से.मि. प्रतापगढमां महाराजा महारावजी अने सेना मंत्री उदेसींगजीना शासनमां बीकानेरना कुंवरजी वृद्धिचंदजीना पुत्र सुज्ञानमल माटे यति लक्ष्मीचंदजीना पुत्र दुलजीओ प्रति लखी. परि/८ १३३ अर्थशास्त्र लालचंद्र १-राजनीतिशास्त्र-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.९४ ११.२ से.मि. चाणक्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. ऋषि जेसिंगे प्रति लखी, प्र.स./३९६० परि./७५४० २-राजनीतिशास्र-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २३.८४ १२.२ से मि. शुभविजये विसलनगर (विसनगर)मा प्रति लखी. प्र.स./३९६१ परि./८०५५/१ राजनीतिशास्त्र (अध्याय ८)-बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६.४४१२ से.मि. चाणक्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे, प्र.स./३९६२ परि./२४३७ Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याकरण कुलमंडन सूरि (त.) मुग्धावबोध औक्तिक र.स. १४५०; ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.४४११.२ से.मि. ___कर्ता-तपगच्छना देवसुंदरसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १५मा शतकनो (जै. सा. इति. पृ ४४३, फकरो ६५२). प्रति उधाई खाधेली जीर्ण छे. प्र.स./३९६३ परि./८९७३ कारकाष्टक-स्तबक ले.सं. १८७०; हाथकागळ पत्र १९ थी २०; २६४।१.५ से.मि. पद्य ९. तेजसिंहऋषिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. ऋषि रायजीओ सिद्धपुरमा प्रति लखी. प्रस./३९६४ परि./३६६५/७ षट्कारकस्वरूप-औक्तिक ले.स. १७९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १; २६४११ से.मि. उंदरी गामे अभयतिलकगणिले प्रति लखी प्र.स./३९६५ परि./४७१२ सारस्वत व्याकरण पंचसंधि-बालावबोध ले स. १८२१; हाथकागळ पत्र २०; २४.५४ ११.७ से.मि. __ अनुभूति स्वरूपाचार्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.स./३९६६ परि./२५१४ सारस्वत व्याकरण-बालावबोध ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८, २४.१४ ११.८ से.मि. प्रथम संधि. ____ अनुभूति स्वरूपाचार्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. पं. जयचंदे बिलाडामां प्रति लखी. प्र.स./३९६७ परि./२०६८ सारस्वत व्याकरण-बालावबोध ले.स. १८८०; हाथकागळ पत्र २३३: २५.२४११.७ से.मि. अनुभूति स्वरूपाचार्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प. मूक्तिविजयगणिभे प्रति लखी. पत्र ६८९ बेवडायु छे. प्र.स'./३९६८ परि./१८२६ सारस्वत व्याकरण संज्ञा प्रकरण-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५: २५.३४१०.५ से.मि. तूटक. ___ अनुभूति स्वरूपाचार्यनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पत्र २जु नथी. प्र.स./३९६९ परि./५९५० Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छंदशास्त्र अमरकीर्ति सूरि (दि.) छंदकोश - बालावबोध ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १; २५.५४ .. ११.१० से.मि. श्लोक ८६. ___ कर्ता-वि.स. १३मी सदीमां थयेला अने अमित गति दिगबर जैनाचार्यना प्रशिष्य छे. (जै. सा. इति , पृ. ३५४, फकरो ५०३). ... रत्नशेखरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.स./३९७० परि./२३६८ अलंकार रसमजरी बालावबोध सह ले.स. १७४२: हाथकागळ पत्र ३०; २८.१४११.१ से.मि. ग्रंथाग्र १२६०. भानुदत्तनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्रति अणहिल्लपुर पाटणमा लखेली छे. प्र सं./३९७१ परि./१८३६ कोश देवविमलमणि (त.) . अभिधान चिंतामणिनाममाला बीजक ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७९; २६४११२ से.मि. कर्ता-वि.स. १७मां थयेला तरगच्छना प्रख्यात जैनाचार्य अने सीहविमलना गुरु. (जै. सा. इति., पृ. ५९८, फकरो ८८२). हेमचंद्रसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमा छे. प्र.स./३९७२ परि./१८०६ अभिधान चिंतामणि नाममाला कांड ३, बीजक सह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १ थी २२; +४३; २५.१४११.१ से.मि. हेमचंद्रसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्र.स./३९७३ परि./२३७८ Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोकशास्त्र ४७७ निघंटुनाममालावली तकारांत सुधी अर्थ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २२.२४११.४ से.मि. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. . प्रस./३९७४ परि./४७०९ निघंटु नाममालावली-अर्थ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २८; २४.६x १२.२ से.मि. २'कारांत मुधी-अपूर्ण. प्र.सं./३९७५ परि /११४६ कोकशास्त्र कोकदेव १-कोकशास्त्र ले.स. १६३३; हाथकागळ पत्र १३; २३४ ११.५ से मि. कर्ता-वि.स. १५७२ सुधी हयात हता. (जै. धा. प्र. ले.स. १४३९). प्र.स./३ ९७६ __ परि./७७५८ २-कोक शास्त्र (गद्य) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २४.६४११ से.मि. वा. विमलनी जिज्ञासाने लीधे भाटकी गामे प्रति लखाई. प्र.स./३९७७ परि./७२३३ ३-कोकशास्त्र ले.स. १७४०; हाथकागळ पत्र २५, २५४11 से मि.. प्र.स./३९७८ परि./४३०३ नर्बुदाचार्य (त.) कोकशास्त्र चतुष्पदी र.स १६५६; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६६; २६.१४११ से.मि. ग्रंथान २०००. कर्ता-तपगच्छना कमलकलश शाखाना कमलकलशसूरिनी परंपरामां मतिलावण्य अने बीजा कनकना शिष्य छे. समय वि. १७मी सदीनो उत्तरार्ध (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३२३). बुनिपुरमा रचना थई. प्र.स ./३९७९ परि./८७९ कोकशास्त्र ले.स. १८७२; हाथका गळ पत्र ७, २४.६.११.३ से.मि. आनंदपुरमा प्रति लखाई. प्रस./३९८० परि./८४१५ Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कोकशास्त्रान्तर्गत शंगारशास्त्र केशवदास (बा.) रसिक प्रिया-बालावबोध ले.स. १७१८; हाथकागळ पत्र १०३; २५४११ से.मि. कर्ता-काशीनाथना पुत्र, ब्राह्मण छे. ओछडनरेश इंद्रजीतसिंहथी अने बीजा बीरबलथी संपानित. जन्म वि स. १६१२ स्व. वि.स. १६७४ (आशरे) (जै. गू. क. भा. ३. ख. २, पृ. २१४६). मूल रचना इंद्रजीतनी हिन्दीमां छे. मांइबी बंदरमा शिवलाभगणिना शिष्य मतिवर्धने प्रति लखी. प्र.स./३९८१ परि./१८७७ रसिकप्रिया-स्तबक ले.स. १७३२; हाथकागळ पत्र १२१, २६४११.१३ से.मि. ग्रंथान ७०००. . राणपुरनगरमां दामाजी>ऋषि वरसंघजीना शिष्य मुनि बलजीधे प्रति लखी... प्र.स./३९८६ परि./४८१२ संगीत गिरधरमिश्र रागमाला ले.प. १८९ पद्य ५८. प्र.सं./३९८३ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.२४१०.८ से.मि. परि /६८८५ अज्ञातकर्तृक छ राग परिवार विचार ले.स. २०९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ७, २५४११ से मि. तूटक. पत्र लु; २जु नथी. प्र.स./३९८४ परि ३९५४ Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हवेली संगीत नरसिंह (ना.ब्रा.) द्रुपदगीत (गोपीकृष्णन) ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र २जु; २५४।१ से.पि. कर्ता-जूनागटना नागर ब्राह्मण छ, अकबरना समकालीन-जन्म वि.स. १४७० (जै. सा. इति., पृ. ४८८, फकरो ७१०). प्र.स./३९८५ परि./७१८६ लालचंद (लाभवर्धन) ख) नवपद द्रुपद . ले.स. १८९५; हाथकागळ पत्र लु; २५.३४१२.२ से.मि. पद्य ३. कर्ता-खरतरगच्छना शांतिहर्षना शिष्य छे. समय वि. १८मी सदीनो (जै. क. भा. २, पृ. २१०). प्र.स./३९८६ परि/६७६९/४ अज्ञातकर्तृक नवपद दुपद प्र.सं./३९८७ ले.स. १८९५; हाथकागळ पत्र १; २५.३४१२.२ से.मि. पद्य ६. परि./६७६९/२ Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्र.सं./३९८८ जिनहर्ष अगरवाल पार्श्वनाथ आदित्यव्रत कथा ले सं. १७६०; हाथकागळ पत्र ७; पद्य १५९. तूटक. कर्ता - कोई गौतममल्लना पुत्र छे. (पत्र ७). पत्र १ नथी. वाचनाचार्य सकलकीर्तिना शिष्य कुंवरजोओ लखेली प्रति सांधेली छे. परि. / ३२०१ साहित्य विभाग प्र.स ं./३९८९ ज्ञानविजयगणि (त.) कथा मौन अकादशी कथा बालावबोध ले.स. १७५२ हाथ कागळ पत्र ७ २४ ५४११ से. मि. ग्रंथाग्र २०१. कर्ता — मात्र नामनिर्देश छे. ओक जिनहर्ष खरतरगच्छीय वि.सं. १८मां नांवायेला छे. ओमनी दरेक कृतिने अंते ओओ परंपरामां आवे छे. (जै. गू. क., भा. २, पृ. ८०). बीजा पण वि.सं. १८मां थयेला नांधायेला छे से प्रस्तुत कर्ता होवानी शक्यता छे. (जै. गु. क., भा. २, पृ. ५९३). पाटणमां प्रति लखाई.. २६०५४११.५ से.मि. सौभाग्यपंचमी कथा - स्तबक ले. स. १८१२; हाथ कागळ पत्र ४४ थी ६३; २६.५४ ११.१० पद्य १५२. कर्ता - तपगच्छना धीरविमलना शिष्य समय वि.सं. १७२८नी ओमनी रचनाओ मळे छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं २, पृ. १३०१) कनककुशलगणिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां वि.सं. १६५५मां रचायो. स्तबककारनी स्वहस्ताक्षर प्रति छे. प्र. सं . / ३९९० परि./२४२९/२ परि./५१९० देवकुशल १ - शत्रुंजय महात्म्य - स्तबक ले. स. १९०८; हाथकागळ पत्र ४२९; २५-३×११.५ से.मि. आठमा सर्ग सुधी अपूर्ण. कर्ता- वि.सं. १८मां नांधायेला छे. (जै. गू. क. भा. ३, नं. ३, पृ १६३७) आ रचना जैं. गू. क.मां नांधायेली नथी. धनेश्वरसूरिनो मूळ रचना संस्कृतमां छे. बालोचरमां प्रति लखनार रूपचंद हीरानंदने लखेली प्रति बे भागमां वहेंची नाखेली छे. पत्र ३४७ थी ४२९ पाछळथी लखेला है. प्र.स ं./३९९१ परि. / १२२८ (अ) Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा १ - शत्रुंजय माहात्म्य - स्तबक २५.३४११.५ से.मि. ग्रंथाग्र २४०००. पत्र ४३० थी ४४९; ७१६ थी ७४६ पाछळथी लखेलां छे. प्रति वे भागमां वहेची नाखेली छे. प्र.सं./३९९२ परि. / १२२९ (ब) धीरविजय प्र. सं / ३९९३ भावशेखरगणि (अं.) ले. स. १९०८; हाथका गळ पत्र ज्ञानपंचमी कथा - स्तबक र. सं. १६६५: ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २८.३४१२०५ से.मि. गाथा १५३. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १२३७ ). मूळ रचना मेडतामां कनककुशळे कर्ता - ऋद्धिविजय > कुंवर विजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १८नो गण्यो छे (जै. पण आ रचनाने हिसाबे अमने १७मीमां मुकाय. संस्कृतमां रची. पं. लक्ष्मीविजये प्रति लखी. परि. / २०३ कथाकोश ले.सं. १६९०; हाथकागळ पत्र ४१ २५.८४१०.८ से. मि. तूटक कर्ता - आंचलगच्छीय कल्याणसागरसूरि > विवेकशिखरना शिष्य समय वि.सं १७नो (जै. गु. क. भा. ३, खं. १, पृ. ९९७). साध्वी हेमा माटे प्रति लखाई पत्र १ नथी. प्र.स ं./३९९५ वरसिंघ ४८१ ४३० थी ७४६; प्र.सं./३९९४ ललितसागर शनैश्वर कथा ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १९थी २०; २६-२४ १२.२ से.मि. पद्य ३०. कर्ता - मात्र नामनिर्देश मळे छे (पद्य ३०). प्र.सं./३९९६ ६१. परि. / ११९४ उषाहरण (ओखाहरण) ले.सं. १५६९; हाथकागळ पत्र १६ २७०३४११.१ से.मि. पद्य ६०२. कर्ता-सोळमी सदीमा (वि.सं.) थयेला जैनेतर छे. (जै. गु. क., भा. ३, खं. २, पृ. २१२१, वधु माटे कविचरित पृ. ७२ थी ७६ ). पूर्णिमागच्छना भुवनप्रभसूरिना शिष्य वा रत्नमेरु प्रति लखी. परि./२२३४/१८ परि. / ८३९९ Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८२ कथा शामजी ... कुन्तासर महात्म्य (मोतीशा शेठनी यात्रा कथा) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २४.५४११.६ से.मि. अपूर्ण, कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स./३९९७ परि./६३९९ सोमसुंदरसूरि (त.) श्राद्ध प्रतिक्रमणसूत्र-पडावश्यक वंदितासूत्रकथा-बालावबोध ले.सं. १६७९; हाथकागळ पत्र .. १९; २६.४४११ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां ५०मा पट्टधर. समय वि.स. १४३० जन्म; १४३७ दीक्षा __ अने १४९९ मृत्यु (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३२). प्र.स./३९९८ परि./३०६८ सौभाग्यचंद्र मौन अकादशी कथा-स्तबक र.स. * ले स. १८१२: हाथकागल पत्र ६३ थी ७०; ..२६.५४११ से.मि. .गाथा ११७. सौभाग्यनंदिरिमे हम्मीरपुरमा मूळनी रचना वि.स. १५७६मां रची. स्तबक राजनगर(अमदावाद)मां रचायु. . * स्तबकनो र.स. शब्दोमां संदिग्ध, ‘गो निधि काश्यपी सुसीसभृत ' छे. गो=१, निधि=९, काश्यपी=१, सुसीसभृत = ?. प्र.स./३९९९ परि./२४२९/३ हरदास सभापर्व (आख्यानकथा) कविताबद्ध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ९; २१.७४११.२ से.मि. कर्ता-जैनेतर छे. कविरचित भा. १-२ १ ३८७ वाळा होवानी सभावना छे लिपिकार जोईता. प्र.स./४००० परि./७७६९ अज्ञातकर्तृक अक्षयतृतीयाकथा-बालावबोध ले.सं. १९०५; हाथकागळ पत्र २०; २४.५४१२.५ से.मि. कनीरामे अज गामे प्रति लखी. प्र.स./४००१ परि./७५४९ Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा ४८३ अगइदत्तकथा (पद्य)-स्तबक ले.स. १८५८; हाथकागळ पत्र २ थी २२; २६.१४१२.६ से.मि. प्रांथान ३३३, तूटक.. खांति(क्षांति ? )विजये प्रति लखी. प्रथम पत्र नथी. प्र.स./४००२ .. परि./०८२ अमावसी कथा ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र ४; २५.२४११ से.मि. प्र.स./१००३ __ परि./७५६२ अमावस्यानी कथा ले.स. १९मशतक (अ.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.७ से.मि. अपूर्ण प्रस./४००४ परि.३५३५/२ अकादशी माहात्म्यकथा (अथवा कार्तिक माहात्म्यकथा) ले.स. १८२२; हाथकागळ पत्र ९२; २६.२४११ से.मि. 'पद्मपुराण 'मां आवती आ क्था छे. केसरजी>फतुजीनी नानी शिष्या लीखमा(लक्ष्मी) सथलाणामां प्रति लखी. प्र.स./४००५ परि./७८८३ अकादशी माहात्म्य (रुक्मांगद कथा) ले.स. १९मुंशतक (अनु.); थकागळ पत्र १थी ३; २६.५४११.४ से.मि. प्र.स./४००६ परि/७५२४/१ कथाकोश-बालावबोध ले.स. १९९ शतक ( अनु. ); हाथका गळ पत्र १५४; २५.१४ १२ से.मि. शिहोरमा १. धनरुचि प्रति लखी. प्र.स./१००७ परि./४८०२ कथासंग्रह ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६.२४११.५ से.मि. तूटक. पत्रो १, १५, १६ नथी. प्र.सं./४००८ परि./८५९८ कथासंग्रह ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७, २८.७४१२.९ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी, प्र.स./४००९ - परि./२८२ कथासंग्रह ले.स. १८मुं सतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०थी २०; २१.३४११.५. तूटक, पत्र १थी ९ नथी. प्र.स./४०१० परि./२७६० Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૮૪ कथा कालिकाचार्यकथानक (पद्य) - बालावबोध ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६.६४११.७ से.मि. पद्य ६५. तूटक. हीररत्नगणिओ लखेली प्रति जीर्ण छे. पत्र १३ नथी. परि. / १०३९ कालिकाचार्यकथा-बालावबोध ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५; २६८ ११.२ से.मि. परि. / ५६६७ प्र. सं / ४०१२ प्र.सं./४०११ कालिकाचार्यकथा - बालावबोध २६ ११ से.मि. प्र.सं./४०१३ परि./२९९१ १ - जंबूस्वामी चरित्रान्तर्गत कथाओ ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.८४११ से.मि. प्र सं . / ४०१४ परि. / ४८०३ २ - जंबूस्वामी चरित्रान्तर्गत कथाओ ले.स १८ मुं शतक (अनु); हाथ कागळ पत्र ६ : २४.३४११ से.मि. प्र. स. / ४०१५ परि./५२०२ अंबूचरित्र कथा - बालावबोध ले.स. १९०७; हाथकागळ पत्र १५४ २५०५४१२०३ से.मि. तूटक. ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; पत्र १ थी ३५ नथी. रतलामना कोई मुनिनी पोथीमांथी पं. लालजीओ सेस (शेख ? )पुरमां प्रति लखी. प्र.सं./४०१६ परि. / १०८३ ज्ञानपंचमी कथा - स्तबक र.स ं. १६५५ (मूळ), ले.सं. १८८७; हाथका गळ पत्र १३; २४४१३ से.मि. गाथा १५२. कनककुशलनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां मेडतामां रचाया. पं. राजेन्द्रसागरे प्रति लखी. परि. / २७०५ प्र. सं . / ४८१७ ज्ञानपंचमी कथा - स्तबक लेस. १७९४; हाथकागळ पत्र १३ थी २२; से. मि. गाथा १४९. कनककुशले मूळ कथा वि.सं. १६५५मां मेडतामां संस्कृतमां रची. मांडलिकपुरमां भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./४०१८ परि. / ६२७४/२ २४.७११.६ Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा ४८५ ज्ञानपंचमी कथा स्तबक (पद्य) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६.३४ ११.५ से.मि. गाथा 11३ सुधी अपूर्ण. ___ कनककुशलनी मूळ रचना संस्कृतमां, मेडतामा वि.स. १६५५मां रचाई. प्र.स./४०३९ परि./७०५० १-ज्ञानपंचमी कथा-स्तबक ले.स. १७१३; हायकागळ पत्र १४; २५.५४११.२ . से.मि. गाथा १५० ___ कनककुशळनी मूल कथा वि.स. १६.५मां, संस्कृतमा मेडतामां रचाई. प. केशरचंद्र गणि ध्रापरामा प्रति लखो. प्र.स./४०२० परि./४१९० २-ज्ञानपंचमी कथा-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २६.४४१०.८ से.मि. पद्य १५०. कनककुशले मूळ रचना संस्कृतमा वि.स. १६५५मा मेडतामां रची. प्रति आंबोली (आंतरसुवा)मां लखेली छे. प्र.स./४०२१ परि./१९३५ दोपालिका कल्प व्याख्यान-बालावबोध ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ४; २५.७४ १२ से.मि. प्रस./४०२२ परि./५ ८६४ नाग केतु कथा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी ३जु: २६४१०.८ से.मि. प्र.स./४०२३ परि./७५४१/१ नास केत कथा ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २५:३४११.५ से.मि. प्र.स./४०२४ परि./२७१५ पंचमहाव्रत कथा वार्तिक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४१; २७.५४ १२.२ से.मि. मूळ ग्रंथ लब्धिमुनिनो छे. प्र.सं./४०२५ परि./७८९४ ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ७, २६.३४ पानसूर पंडित कथा १२.३ से.मि. प्र.स./७५३६/१ परि./७५३६/१ Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६ पुण्यसार कथा - स्तबक ले.स. १९६४; हाथकागळ पत्र १९; २६४११०८ से.मि. गाथा ४६९ थी ६५१. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. नागनेश ( काठियावाड ) मां प्रति लखनार मोहनलाल ओत्तमचंद शाह. परि. / १६०३ पौषदशमी कथा स्तबक ळे.स ं. १८७६; हाथकागळ पत्र ११, २६४१३.३ से.मि. हेमचंद्रसूरिनी मूळ कथा संस्कृतमां छे. प्र.सं./४०२७ प्र.स /४०२८ परि. / २४८ प्रत्येक बुद्ध चतुष्क कथा - स्तबक (पद्य) ले. सं. १८४२; हाथकागळ पत्र ७१; २५४ ११.५ से.मि. गाथा १९१+२१ तूटक. मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. मुनि शिवचंद्रे सुरतमां प्रति लखी पत्र ६७ नथी. प्रसं . /४०२९ परि. / ९३१ कथा मंगलकलश कथानक - स्तबक ले.स. १९६४; हाथकागळ पत्र १७, २६.१९११.६ से.मि. गाथा ६६. ग्रंथाग्र २९६. मूळ रचना संस्कृतमां छे. नागनेश (काठीयावाड ) मां प्रति लखनार शाह मोहनलाल ओत्तमचंद प्रस / ४०३० परि./१६०४ मौन अकादशी कथा बालावबोध ले. स. १७८६; हाथकागळ पत्र ७; २६११.४ से. मि. प्र.स ं./४०३१ परि. / ८२७१ मौन अकादशी कथा स्तबक ले.स. १७९४; हाथकागळ पत्र १ थी १३; २४-७×११.६ से. मि. गाथा २०१. रविसागरे मूळ कथा संस्कृतमां रची. कांतिविजये प्रति लखी. प्र.स / ४०३२ परि. / ६२७४/१ मौन अकादशी कथा - स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २८.५४ ११ से.मि. पद्य ११७. सोभाग्यनंदरि मूळ कथा संस्कृतमां हम्मीरपुरमा विसं. १५७६मां रची. प्र.सं./ ४०३३ से.मि. प्र.स ं./४०३४ परि / ५६६८ रणहिराज कथा ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ २७४१२• ३ परि./३६४ Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कथा ४८७ राजसिंह कथानक (गद्य) ले.स. १५शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६४११ से.मि. प्र.स./४०३५ परि./५३४८ रोहिणी-अशोकचंद्र कथा-स्तबक ले स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१ थी ५४; ३०.१४११.५ से.मि. *लोक १३४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४०३६ परि./१२९९/२ विनयचट राजा कथा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.२४११.३ से.मि. प्र.स/४०३७ परि./२५५३ शत्रुजयमाहात्म्य बालावबोध ले स. १९१०; हायकागळ पत्र ५२१; २७४१२ से.मि. ग्रंथाग्र १२००० तूटक. पालीताणमा प्रति लखेली छे. पत्र २४३१ नथी. प्र.स./४०३८ परि /९२३ शत्रुजय माहात्म्य-स्तबक ले.स. १७८; हाथकागळ पत्र ३९५; २६.२४११.५ से.मि. ग्रंथान १२८०० तूटक. धनेश्वरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. जालोरमां प. दीपसुंदरे प्रति लखी. पत्रो ११० थी ३३६ नथी. प्र.स./४०३९ परि./७००६ शत्रुजय माहात्म्य स्तबक ले.स. १८१७; हाथकागळ पत्र ४९७; २५.६४११.१ से.मि. ग्रंथाग्र २४०००. धनेश्वरसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. महिमापुरमा प्रति लखी छे. प्र.स./४०४० परि./४२१६ शनिश्चरनी कथा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकांगळ पत्र २१ थी २८; २६.२४ १२.२ से.मि. पद्य १६१. प्र.स./४०४१ __ परि./२२३४/२१ शनैश्वर कथानक. ले. सं. १७४२; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.९+११ से.मि. प्र.स./४०४२ परि./५३८२/१ शिवरात्री कथा ले.स. १९९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १थी ३; २५४१०.७ से.मि. प्र.स./४०४३ परि./३५६५/१ षडावश्यकगत कथासंग्रह ले स. १७मु शतक (अनु.); लाथकागळ पत्र १९; २७.३४११.३ से.मि. प्रसं./४०४४ परि./३६२२. Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८८ कथा सौभाग्य.पंचमी ब.था ( ज्ञानप चमी वथा) ले.स. १९२९; हाथकागळ पत्र ५; २७४१२.३ से.मि. पूनमचंद मारवाडीओ प्रति लखी. प्र.सं./४०४५ ___ परि./९५० सौभाग्यपंचमी (बरदतगुणमंजरी) कथा-स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु ; पद्य हाथकागळ पत्र ८; २६.५४१२.५ से.मि. गाथा १५२. कनककुशळनी मूळ रचना मेडतामां; वि.सं. १६६५मां संस्कृतमां रचाई, गाम बडालीयां प' देवविजय गणिो प्रति लखी. प्र.स/४०४६ परि./२०० स्त्रीचरित्र(पदरमी विद्या) ले.स १८मुशतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३; २६४११.८ से.मि. प्र.सं/४०४७ परि./२३५६ होलिकारज पर्वकथा स्तबक ले.सं. १८७४; हाथकागळ पत्र १३: २६.४४११.५ से.मि. पद्य १३९, विझेवामां फेत्तेन्द्रयतिनी मूळ रचना वि.सं. १८२२मां संस्कृतमां रचाइ. लेखनस्थळ पत्तन-नगर (पाटण). प्र.सं./४०४८ परि./३६३७ १-होलिकथा-स्तबक २.सं १७९२ ले.सं. १८०८; हाथकागळ पत्र ७; २३.८४१०.३ से.मि. पद्य ३४ पुण्यराज गणिनी मूळ कथा शाके सं. १४८५मा संस्कृतमां रचा येली छे. पं. भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.सं./४०४९ परि./८२७२ २-हाळीरज पर्वकथा-स्तबक र.स. १७°२ * ले.स. १८४९; हाथक.गळ पत्र १; २५.८x ११.५ से.मि गाथा ३४ पुण्यराजगणिनी मूळकथा संस्कृतमां छे. श्रीपालपुरमा प्रति लखेली छे. *परि.सं./८२७२ने आधारे. प्र.सं.४०७२ परि./३२९२ होलीकथा पद्य-स्तबक ले.सं १८९४; हाथकागळ पत्र ७; २८४१५.९ से.मि. गाथा ६९. मूळनी प्रति मुनि दोलतविजये लखी अहमदनगरमा स्तबेक लखायु. प्रसं/४०५१ - परि./१६२१ होलिकारज पर्वकथा-स्तबक ले स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ८; २६.५४१२.५ से.मि. गाथा ७० मुनि बेचरविजय गणिमे प्रति लखी. प्र.स/४०५२ परि./२०९ Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वार्ता केशवमुनि (ख.) सदयवच्छ-सावलिंगानी वात र.स. १६७९; ले.स. १८२७; हाथकागळ पत्र ३८थी ५१; २३.७४१२.८ से.मि. गाथा ६६. कर्ता-खरतरगच्छना जिनहर्षसूरिनी परंपरामां थया (६१). समय वि.स. १७नो. रंगविजयमुनिले प्रति लखो. प्र.सं./४०५३ परि/५०२/६ छीहलकवि पंच सहेली वार्ता ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १४; २१.५४ १२.५ से.मि. पद्य ६७. ___कर्ता-मारवाड तरफना जैनेतर छे. (जै. गू, क. भा. ३, ख. २, पृ. २१२६). प्र.स./४०५४ परि./८९१६/६ भद्रसेन मुनि (ख.) चंदनमलयागिरि वार्ता ले.स. १७७४; हाथकागळ पत्र १०; २५.८४११.५ से.मि. पद्य २१९. कर्ता-खरतरगच्छना श्रीधननिधानोपाध्याय ५. आनंदकीर्ति स्वलघुबंधु, समय वि.स. १६७५ लगभगनो (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५९६, ५९७). 4. गुलालविजयनी मालिकीनी आ प्रति छे. प्र.स./४०५५ परि./६१५८ हेमरत्न (पौ.) १-गोराबादलनी वात र.स. १६४५; ले.स. १८२७; हाथकागळ पत्र १६थी ३८; २३.७४१२.८ से.मि. कर्ता-पूर्णिमागच्छना देवतिलकसूरि>ज्ञानतिलकत्रि>राजगणिनो शिष्य छ, समय वि. १७मी सदीनो (जै. गू. क., भा. १, पृ. २०७). रचना सादडीमां थई. प्र.स./४०५६ परि./५०२/२ ६२ Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वार्ता २-पद्मिनी चरित्र (गोराबादलनी वार्ता) ले.स. १७७८; हाथकागळ पत्र ३१; २७x ११.७ से.मि. तूटक. पत्रो ४, १२, १३, १५, १६, ३० नथी. प्रति जीर्ण छे गुरुजी रूपजी) संधिसरीमा प्रति लखी. प्र.स./४०५७ परि./९१३ अज्ञातकर्तृक चतुराईनी वार्ता ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २४.५४१०.३ से.मि. प्र.स./४०५८ परि./७३२४/२ दीपालिका कल्प वाबिंध ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र १०; २५.८४११.८ से.मि. __मुनि हसे ईडरनगरमां प्रति लखी. प्र.स./४०५९ परि./२३६० भक्तामर स्तोत्र वार्ता ले.स. १८३६; हाथकागळ पत्र ४, २७.८x१२७ से.मि. तूटक. पत्र १ नथी. आजोल ग्रामे मुनि भक्तिजीले प्रति लखी. प्र.स./४०६० प.ि/२९५ १-वीजा सोरठरी वार्ता (दूहाबद्ध) ले.स. १८४९; हाथकागळ पन्न १२; १६.३४१ १ से.मि. तूटक. पत्र लुं नथी. भाणविजय मुनि प्रति लखी, भाषा गुजराती मारवाडी मिश्र छे. प्र.स./४०६१ परि./६८६५ २-सोरठी वीजानी वार्ता ले.सं. १८००; हाथकागळ पत्र ४; २५.३.११.८ से.मि. तूटक. पत्रो १ अने २ नथी. कुकरवाडामा ५. रूपविजजे प्रति लखी. प्र.स./४०६२ परि./६८०८ Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्याख्यान (आख्यान) इंद्रसौभाग्य (त.) धूर्ताख्यान-बालावबोध र.स. १७१५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २५.५४११.५ से.मि. तूटक. .. कर्ता-तपगच्छना सत्यसौभाग्यना शिष्य छे समय वि. १८मी (जै. गू. क. भा. २, पृ. १४१; भा. ३, खं. २. पृ. ११९४). पत्रो १ थी १० नथी. प्रति जीर्ण छे. प्रस./४०६३ परि./२५३४ जिनोदयसूरि पंचाख्यान-बालावबोध (बीजकसह) (गद्य) ले स १८०५; हाथका गळ पत्र ५०; २०४ ११.३ से.मि. ____ कर्ता-श्री जिनसुंदर सूरिनी परंपरामा उदयसूरिना शिष्य छे. ( कृतिने अंते परंपरा आपेली छे पण पत्र फाटलु होवाथी स्पष्ट नथी) समय वि.सं. १८नो छे. आ कर्ता जै. गू. क. के जै. सा. इ.मां नेांधायेला नथी. हितविजयगणि >५. माणिकविजयगणि > पद्मविजयगणिना गुरुबंधु धनविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./४०६४ परि./८१४१ न्या(ज्ञा)सागर (आं.) शुकराज आख्यान र.स. १७०१, ले.स'. १७६५ हाथकागळ पत्र २८; २५.७४११.५ से.मि. पद्य ९०५. कर्ता-आंचलगच्छीय माणिक्यसागरना शिष्य. समय वि.सं. १८नो (जै. गू. क., भा. २, पृ. ५७; भा. ३, ख. २, पृ. ११२७). राजशेखर>वृद्धिशेखरना शिष्य मुनि कांतिशेखरे प्रति लखी प्र.स./४०६५ परि/४६११ पुण्यरत्न (पौ.) अष्टाह्निकाधुराख्यान-स्तबक ले.स. १८२४; हाथका गळ पत्र २७, २५.१४११.५ से.मि. कर्ता-पूर्णिमागच्छना भावशेखरसूरिना शिष्य छे. समय वि.स. १८नो (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५८५). मूळ ग्रंथ भावप्रभत्रिनो संस्कृतमां छे. ऋषि साकरचंद्रे मूळनी अने प. भाणरत्ने स्तबकनी प्रति लखी. प्र.स./४०६६ परि./२५५५ . Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९२ व्याख्यान मोहनशीलगणि धूर्ताख्यान-बालावबोध ले.स. १७८१; हाथकागळ पत्र १०; २४.५४११.५ से.मि. कर्ता-परिचय अप्राप्य. । प्रस./४०६७ परि./४९३० श्रीधर (व्यास) श्रीधरशासती (आख्यायिकारूप) ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६; २१.५४१२.३ से.मि. गाथा १२०. ____ कर्ता-वि.स. १४५४मां ( रणमल्ल छंद) थयेला मोढ अडालजा ब्राह्मण जैनेतर कवि छे (जै. गू. क., भा. ३, ख. २, पृ. २११०). मार्कण्डेयपुराणमा आवती 'शकादयस्तुति'नु आख्यानस्वरूप छे. प्र.स./४०६८ परि./५१० अज्ञातकर्तृक चातुर्मासिक व्याख्यान-बालावबोध ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २७.२४११.७ से.मि. प्र.स./४०६९ परि./७५०५ चोमासी व्याख्यान ले.स. १७४१; हाथकागळ पत्र १०; २५.५४११ से.मि. सोमनंदनमुनि सुरतबंदरे प्रति लखी. प्र.स./४०७० परि./३५९० चौमासी व्याख्यान-बालावबोध ले.स. १९३९; हाथकागळ पत्र १७; २५४१३ से.मि. .. माळवाना देपालपुरनय(ग)रमां सागरशाखाना फेतेन्द्रसागर >अमृतसागर > विजयसागरना शिष्य प. सवैसागरे प्रति लखी. प्र.स./४०७१ परि./७५७२ पर्युषणपर्व अष्टाह्निका व्याख्यानत्रय ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र १२; २६.9x१२.१ से.मि. ग्रंथान ३००. भाईजीमे प्रति लखी. प्र.स./४०७२ परि./८१९ पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान ले.स. १९०१; हाथकागळ पत्र ४२: २५.९४ १२.५ से.मि. जिन महेन्द्ररिना धर्मशासनमां गंगविजयमुनि >मनरूपमुनि >क्षमातिलकमुनिना शिष्य मुनि रंगसुंदरे प्रति लखी, प्र.स./४०७३ परि./१०८२ Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उसझाय ४९३ पंचाख्यान-बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २७.७४११.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./४०७४ परि./१६२० पंचोपाख्यान वार्तिक ले.स. १८६६; हाथकागळ पत्र ३७; २६.८४१२ से.मि. ईडर दुर्गना आदिजिन मंदिरमा(ना) सावली गाममा कुशलविजय माटे राजविजये प्रति लखी. प्र.स./४ ०७५ परि./१७८९ पंचोपाख्यान वार्तिक ले.स. १८मु शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ५०; २५.३४ ११.८ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४०७६ परि./२०५५ वखाणनी पीठिका ले.स. १८मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २जु; २२.९४१०.७ से.मि गाथा १५. रूपविजयना शिष्य रंगविजये प्रति लखी. प्र.स./४०७७ परि./८०३७/० सज्झाय (व्यक्तिविषयक) अमर (ख) मेघकुमार-सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ११थी १२; २४.८x१२ से.मि. गाथा ५. ___ कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंदसूरिनी परंपरामा उदयतिलकना शिष्य. समय वि.स. १८नो (जे. गू. क. भा. २, पृ. ५८२). प्र.स./४०७८ परि./४०८९/२१ अमरकीर्ति खेमऋषि पारणु-सज्झाय ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६४११.५ से.मि. पद्य ३८. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.सं.४०७९ परि./२३६७/६ अमरविजय (त) मेघकुमार-स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.३४११.७ से.मि. पद्य ५. ____ कर्ता-तपगच्छना विजयराजसूरिना शिष्य. समय वि. १८मी सदीनो ( जै. गू. क. भा. २, पृ. ३६२). प्र.स./४०८० परि./२०७१/२६ Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९४ सज्झाय उदयरत्न १- सीता-स्वाध्याय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३८९; २५.५४ ११.५ से.मि. पद्य ८. कर्ता- तपगच्छना विजयराजसूरिनो परंपरामां शिवरत्नना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८नो छे (जे. गु. क. भा. २, पृ. ३८६). प्र.स./४०८१ परि /२३४०/३१ २-सीता-स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ९मु; २४.३४११.७ से.मि. पद्य ८. प्र.स./४०८२ परि./२०७१/२२ १- सोलसतीनी सज्झाय ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.३४१२.३ से.मि. पद्य ९. गाथाना क्रमांक बराबर नथी. लिपिकार त्रिभोवन मोहनलाल. प्र.स./४०८३ परि./७८३९ २- सोलसती स्वाध्याय ले.स. १८९९; हाथकागल पत्र ७ थी ९; २५.४४ ११.५ से.मि. पद्य १७. प्र.स./४०८४ परि./४०११/५ उदयविजय (त.) अलक सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लुं; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ६. कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहसूरि शिष्य. समय वि.स. १७२८नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २५५). प्र.स./४०८५ ___ परि./६९१५/२ केशी गौतमाध्ययन-स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २जु'; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ८. प्र सं./४०८६ परि./६९१५/९ गौतमाध्ययने दशम-स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ): हाथकागळ पत्र २जु; २६.५४११.२ से मि. पद्य ६. प्र.म./५०८७ परि./६५१६/५ जयघोष-विजयघोषाध्ययन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३: २६.५४११.२ से.मि. पद्य ९. प्र.स./४०८८ परि./६९१५/.. Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४९५ विपष्टिशलाका पुरुष-स्वाध्याय ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र ३थी ४; २४.३४ १०.३ प्र.सं./४०८९ परि./७५६/५ १-नमिऋषि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४मुं;; २०.५४ ११.५ से.मि. पद्य ९. प्र.स.४०९० परि./२४६२/२४ २-नमि स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५९; २५.५४११.१ से.मि. पद्य ९. प्र.स./४०९१ परि./६८०५/९ ३-नमि-अध्ययन-स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ९. प्र.सं./४०९२ परि./६९१५/४ नेमिरा जिमती-सज्झाय ले स. १९९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र १२९; २४.८x१२ से.मि. पद्य ९. प्र.सं./४०९३ परि /४०८९/२३ स्थनेमि सज्झाय ले.स. २०में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११थी १२; २५.५४ १०.५ से.मि. पद्य १४. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४०९४ परि./८८८७/१७ विजयरत्नसूरि-स्वाध्याय ले स १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु'; २६४११.२ से.मि. पद्य ७. प्र.स./४०९५ परि./३०८४० ऋद्धिविजय जंबूस्वामी सज्झाय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.५४ १२ से.मि. पद्य १५. ___ कतानो परिचय मळी शक्यो नथी; छतां परि /२७६२/१४ना कर्ता अने आ बन्ने मेक होई शके. प्र.सं./४०९७ प्र.स/४०९६ परि./६७६३/३ धनगिरिमुनि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७, २०.५४ ११.८ से.मि. पद्य १३. ___ कर्ता-वयरसिंह (वजसिंह?)नी परंपरामा मेरुविजयना शिष्य छे (प. १३). आ कर्ता जै. गू. क.मां नांधायेला नथी. प्र.स./४०९७ परि./२७६२/१४ Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९६ सज्झाय विजयरत्नसूरीश गुरु स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २० मुं; २५.५४११.५ से.मि. पद्य ७.. प्र.स./४०९८ परि./२३१०/१० ऋद्धिविजय (हर्ष) नेमि-राजिमती स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथका गळ पत्र ६ थो ७; २४.८४१२ से.मि. पद्य ३२. कर्ता-मात्र नामनिदेश मळे छ. प्र.स./४०९९ परि./४०८९/६ १-रहनेमि स्वाध्याय ले.स १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १३ थी १४: २५.२४११.४ से.मि. पद्य १९. प्र.स./४१०० परि /२०६४/१५ २-(राजमती) रहनेमि सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.९४१०.८ से.मि. पद्य २०. प्र.स./४१०१ परि./३५५९ ३-रहनेमि राजमति सज्झाय ले.स. १९९ शतक (मनु.); हाथकागळ पत्र १८ थी १९; २६.६४१२ से.मि. प्र.स./४१०२ परि./१६५६/६ ऋषभदास गौतमस्वामी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु ): हाथकागळ पत्र १लु'; २५.६x ११.२ से.मि. पद्य १५. कर्ता-जै. गू. क.मां नेांधायेला, वि.सं. १८मां थयेला छे. (जै. गू. क. भा ३, खं. २, पृ. १४३७). प्र.स/४१०३ परि २४ ६७/२ कनक संप्रतिराज स्वाध्याय ले स. १९मु शनक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २२.५४ ११ से.मि. पद्य ९. जीवराजे प्रति लखी. प्रस./४१०४ परि./८३५६/२ Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय कनकविजय (त.) विजयक्षमासूरि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २६..x १२ से.मि. गाथा ९. __ कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरिनी परंपरामा विजयरत्न >वृद्धिविजयना शिष्य छे, अमना समयनुं अनुमान शक्य नथी. (परंपरा प्रतिना आरभमांथी ज मळे छे.) प्र.स./४१०५ परि /२०३०/२ कनकसोम (ख.) 1-अषाढभूतिऋषि धमाल र.सं. १६३८; ले.स. १६४१; हाथकागळ पत्र ५; २५.५४ १०.३ से मि. पद्य ६२. कर्ता-तपगच्छना अमरमाणिकयना शिष्य छे. समय वि.स. १७ मीनो पूर्वार्ध. (जै. गू, भा. १ पृ. २४५). जै. गू. क.मां आ रचना सज्झाय तरीके लीधी छे. अटले . बधी 'धमाल' रचनाओ सज्झायमां लीधी छे. साध्वी लक्ष्मीसिद्धिनी शिष्या साध्वी भाग्यसिद्धि माटे प्रति लखाई छे. प्र.सं./४१०६ परि./६१८१ २-आषाढभूति धमाल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.८x १.०.५ से.मि. पद्य ५९. पं. प्रमोदगणिना शिष्य पं. तेजप्रमोदे प्रति लखी, अ.स./४१०७ परि./२६१७ ३-आषाढभूति धमाल ले.स. १७मु शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र ३; २४.४४१०८ पद्य ५९. दानसागरगणिना शिष्य मुनि लाभसागर माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./४१०८ परि./५०४६ ४-आषाढभूति धमाल ले.स. १७१६; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५४१०.७ से.मि. पद्य ६१. पाटणमां प्रति लखेली छे. प्र.स./४१०९ परि./३६५२/१ ५-आषाढभूति चरित्र (रास) सज्झाय ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६:१४१०.६ से.मि. पद्य ६३. जिनराजसूरिना शिष्य रंगविजये जेसलमेरमा प्रति लखी... प्रसं./४११० परि./२९७६ Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९८ सज्झाय ६-अषाढभूति धमाल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २६.५४ १०.६ से.मि. पद्य १६. ___ ज्ञानशेखरमुनिले प्रति लखी. (आमां पद्य संख्या घणी ओछी छे.) प्र.स./४१११ परि./५२९०/१ ७-आषाढभूति धमाल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११ से.मि. पद्य. २६, प्र.स./४११२ परि./६०११ कमलविजय (त.) अंजना सती सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६: २४.३४१२.६ से.मि. पद्य ८. कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपरामां विजयसेनसूरिना शिध्य छे. अमनो समय वि.स. १७ नो छे. (जै गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ५१३). आ रचना जे. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.स./४११३ परि./५०९७/६ विजयसेनसूरि सज्झाय (वृत्ति) र.सं. १६८०; ले.स . १८४९; हाथकागळ पत्र ४ ; २६.५४११.८ से.मि. गाथा २६ त्रिपाठ. स्वोपज्ञ वृत्ति संस्कृतमा छे. मूळ गुजराती अने वृत्ति संस्कृत मे विरल मळे छे. लिपिकार खुशालचंद मलुकचंद. लेखनस्थळ पाटण. प्र.स./४११४ परि./३३२० गणधर स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४ थी ५; २६.४४१३.1 से.मि. पद्य ९. प्र.सं./४११५ परि./८३८७/६ कर्मसागर अभयकुमार सज्झाय ले.स. १६७८; हाथकागळ पत्र १ थी २: २५४११.५ से,मि. पद्य २२. कर्ता-मात्र नाम निर्देश मळे छे. प्र.स./४११६ परि./२५८६/१ करुणासागर (पू.). तेर काठियानी सज्झाय (औपदेशिक) ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २७मुं; २४.७४११ से.मि. पद्य १७. कर्ता-पूर्णिमा पक्षनी शाखाना साधुसुंदरसूरिना शिष्य छे. (१. १७). प्र.स./४११७ परि./४१०३/६ Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ४९९ कल्याणविमल सुलसा सती सम्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; २१.७४११.२ से.मि. पद्य १०. ___ कर्ता-कोई शांतिविमलना शिष्य छे. (५. १०). प्र.स./४११८ परि./७७७५/६ कवियण १-असरकुंवरनो स्वाध्याय ले.स. २०में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २७.२४ १२.२ से.मि, पद्य ५२ कर्ता-बि.स. १६५२. पहेलांना हीरविजयसरिना वखतना. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १५९), प्र.स./४११९ __ परि./७४५० २–अमरकुंवर सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४११.७ मे.मि. पद्य ५२. तलजाराम घेमर राम संघजीनी लखेली प्रति मुनि तिलकविजयने मळी. प्रस./४१२० परि./४८८०/१ जंबूस्वामी स्वाध्याय ले.स. १८७६; हाथकागळ पत्र २ थो ३; २२.८४१२ से.मि. पद्य २०. प्र.स./४१२१ परि./७६७८/५ पांच पांडव स्वाध्याय ले.स. १८७६; हाथकागळ पत्र १ थी २; २२.८४१२ से.मि. पद्य २४. प्र.स./४१२२ . . . परि./७६७०/३ १--सुकोशलमुनि सज्झाय ले.स. १७९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २; २६४१०.७ से.मि. पद्य ४२. पं. धर्मवर्धने अमना शिष्य विवेकवर्धन माटे प्रति लखी. प्र.स./४१२३ परि./५१२४ २-मुकोशलमुनि सज्झाय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.७x १०.८ से.मि. पद्य ३१. प्रस./४१२४ परि./६४९६ कांतिविजय (त.) - प्रसन्नचंद्रऋषि स्वाध्याय ले.स १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३६ थी ३८; - २५.६४११.५ से.मिः . कर्ता-तपगच्छना कीर्तिविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८मीनो (पत्र ३८) प्र.स./४१२५ परि./२३४०/२८ Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०० कीर्तिसार (.) तपगच्छसूरिनाम सज्झाय १००६ से.मि. पद्य ९. कर्ता — कोई तपागच्छीय लागे छे. खेमराज ( त . ) ले. स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पद्य ८ २४-३४ प्र. सं . / ४१२६ खीमाविजय (त. ) सीमंधर स्वाध्याय ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६३; २६.७९११.५ से.मि. पद्य ७. कर्ता- - तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां कपुरविजयना शिष्य समय वि.सं. १८मी नो (जै. गु. क. भा. ३, खं. २, पृ १४५१). प्र. स ं./४१२७ परि / ३२९६/११ लेखनस्थळ पाटण. सज्झाय सोलसती सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २जु; २६-२x१२.१ से.मि. पद्य ७. कर्ता - तपगच्छना सोमध्वजना शिष्य छे, वि.सं. १५४६नी ओमनी रचना नांधायेली छे (जै. गू. क. भा. ३, ख ं. १, पृ. ५००). प्र.सं./४१२८ परि./१८५६/५ प्र.सं./४१३० खेमसी (ना) अनाथी सुनि सझाय र.स ं. १७४५, ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३थी ६; २५.८x११ से.मि. तूटक. परि./५०९७/१४ कर्ता -- नागोरीगच्छना रायसिंहनी परंपरामां खेतसीना शिष्य. समय वि.सं. १८ नो (जै. गु. क. भां. ३, खं. २, पृ. १३३६). पत्रो १, २ नथी. प्र. स / ४१२९ गुणरत्न (ख.) आर्द्रकुमार सज्झाय लेस. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २४.३×१०.६ से मि. पद्य ७. कर्ता -- खरतरगच्छना जिनमाणिक्यसूरि > विनयसमुद्रना शिष्य छे. समय वि.सं. १६३०थी भेमनी रचना नांधायेली छे (जै. गु. क. भा. ३, ख २, पृ. १५११ ). प्रति पाटणमां लखाई. परि./५०९७/३ परि / ६२३३/१ Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय गुणविजय कठियारा स्वाध्याय (औपदेशिक) ले.स १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०थी ११ ; २०.५४११.८ से.मि. पद्य १०. कर्ता—विसं १७मा खरतर अने तपगच्छमां बे व्यक्ति थई ( जै. गुक भा. ३, ख. १, अनुक्रमे पृ. ९४७ : १००१ ) क्या अ नक्की तु नथी, प्रसं/४१३१ गंगानद स्थूलिभद्र सज्झाय ले. सं १७८५; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६११.५ से.मि. पद्य १३. कर्ता मात्र नामनिर्देश मळे छे. परि./२३६७/४ प्र.सं./४१३२ चोथम ऋषि रहने भि सज्झाय ले.सं. १८७७; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २३-७४१०.६ से.मि. पद्य २१. कर्ता — वि.सं. १८६४ नी ओमनी रचना नांधायेली छे, भेटले के १९ मी सदीना साहित्यकार छे. (जे. गू क. भा. ३ ख २१. १५६३). प्र. स. / ४१३३ परि. / ७१३६/३ २ - मेघकुमार सज्झाय जयसागर (ख.) १ – मेघकुमार सज्झाय ले.स. १७मु शतक ( अनु ); हाथ कागळ पत्र २: २६११.२ से.मि. कर्ता — खरतरगच्छना जिनकुशलसूरनी परंपरामां जिनोदयसूरिना शिष्य छे ( जै. गू. क., भा. ३, खं ं. १, पृ. ४३२ ). प्र. ं./४१३४ प्र. सं / ४१३५ ३ – मेघकुमार सज्झाय ११.२ से.मि. प्रति जीर्ण छे. ५=१ प्र. सं / ४१३६ जयसोम ५रि./२७६२/२० ले. स. १७४५; हाथकागळ पत्र ४; परि./३५४१ २४- ५x१०.८ से. मि. परि./६३८३ लेस. १९ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र २; २६.२४ विजयदेवसूरि सज्झाय ले.स १८ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४१०.८ से.मि. पद्य ५. कर्ता --- तपगच्छना विजयदेवसूरिनी परंपरामां यशः सोमना शिष्य छे. वि.सं. १७०३ नी ओमनी रचना नांधायेली छे (जै. गू. क. भा. २, पृ. १२६). प्र.सं./४१३७ परि./५७९२/३ परि. / २९८३ Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय जादवमुनि मेघमुनि सज्झाय ले.स. १८मुशतक (अनु.);हाथकागल पत्र १३मु; २५.५.४११.२ से.मि. पद्य २३. कर्ता--कोई गणेशजीना शिष्य छे (प. २३). जै. ग. क के जै सा. इति.मां आ व्यक्ति नेांधायेली नयी प्र.स /४१३८ परि./७११५/३ जिनरंगसूरि (ख.) स्थूलिभद्र सज्झाय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २०थी २२; २८.१४७.३ से.मि. पद्य ८. कर्ता----खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामा जिनरा मसूरिना शिष्] छे. साय वि.स. १८ मी सदीना छे. (जै गु. क. भा. ३, खं. २, पृ. १२७७). प्रति तूटक छे. पत्रो १ थी १९ नथी. प्र.सं/४१३९ परि./८४८०/१ जिनराजसूरि (ख.) नंदिषेणमुनिनी सज्झाय ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मुं; २४.३४ ११.७ से.मि. पद्य १०. कर्ता--खरतरगच्छना जिनसिंहमूरिना शिष्य छे. समय वि.स. १७ना (जै. गु. क. भा. १, पृ ५५३). प्र.सं./४१४० परि./२९७१ जिनविजय (त.) अनाथी मुनि सज्झाय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४.५४ ११.२ से.मि. पद्य १८. ___ कर्ता-तपगच्छना सत्यविजयनी परंपरामां क्षमा विजयना शिष्य छे. जन्म .वि सं. १७५२, दीक्षा वि.स. १७७०, स्वर्गवास वि.स. १७९९ (जै. गु. क. भा. २, ५६३). प्र.सं/४१४१ . परि./६४२०/३ जिनसाधुसूरि (व.त.) मृगावती स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १; २६४११.२ से.मि.पद्य ५०, कर्ता---बडतपगच्छना जिरत्नसूरिना पट्टधर. समय वि.सं. १६ना गण्या छे (जै. गु. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५१९). प्र.सं./४१४२ परि./७००३ जिनहर्ष (ख.) १--अवंति सुकुमाल सज्झाय र.स. १७४१, ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २०.५४११.३ से.मि. पद्य १०५. कर्ता-खरतरगच्छना गुणवर्धन उपाध्यायनी परंपरामां शांतिहर्षना शिष्य. समय वि.स. १८ने। (जै गु क., भा. २, पृ. ७१). प्र.स/४१४३ . परि./२७७० Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय २ - अवंतिसुकुमाल सज्झाय २५.२४११.५ से.मि. पद्य पं. नेमविजयगणि>>प न्नाय (ज्ञान) विजयगणिना शिष्य पं. ललित विजयगणिभे पाटणमां प्रति लखी. प्रस / ४१४४ परि. / २३७७/१ ३ - अवन्तिसुकुमाल सज्झाय २.सं. १७४१, ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३; २६.१x११.५ से.भि. प्र.स ं./४१४५ प्र.सं./४१४६ ५०३ २.स ं. १७४१; ले.स. १८२३; हाथकागळ पत्र १थी ७; १०५. ४ - अवंतिसुकुमाल सज्झाय पत्र ५ २२.५४९.५० से.मि. ५- अब तिसुकुमाल सझाय २. सं. १७४१; ले. सं. १९२२, २६.२x११.८ से.मि. राजनगर (अमदावाद) मां प्रति लखनार मूळजी रामनारायण. -b २.स ं. १७४१; ले.स. १९ शतक परि./३२९१ प्र. सं / ४१४७ - ढंढणऋषि सज्झाय ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.३४११-७ से.मि. पद्य ९. प्र.सं./४१४८ परि./२०७१/१५ १२ – ढंढणऋषि सज्झाय ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४; २६-२x१२.१ से.मि. पद्य ९. प्र सं . / ४१४९ परि. / ४१२ (अनु.) ; हाथकागळ परि./१८५६/८ रहनेभि राजिमती शीलवर्णन सज्झाय ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.५४१०.८ से.मि, पद्य ९. प्र.स ं./४१५३ परि. / ८७००/१ हाथकागळ पत्र ८; परि. / ६५८९/२ प्र.स / ४१५० राजिमती स्वाध्याय ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.५×११.१ से.मि. पद्य ७. प्र.स ं./४१५१ परि./६८०५/५ १ - सीता स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २३.४४१०.८ से.मि. पद्य ९. प्र.सं./ ४१५२ परि./८५९९/८ २ - सीता सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं; २४-३×११-७ से भि. पद्य . परि,/ २०७१/२९ Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०४ सज्झाय ज्ञानविमल (त.) जंबुस्वामी स्वाध्याय ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र १९थी २०; २५४११ से.मि. पद्य १४. ___ कर्ता.--विनयविमल >धीरविमलना शिष्य. समय वि.स. १६९४ जन्म; वि.स. १७०२ दीक्षा; वि.स. १७८९ मृत्यु (जै. गु. क भा. २, पृ. ३०९). प्र.स./४१५४ परि./७१९६/४० नेम-राजुल स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४थु; २६.२४११.७ से.मि पद्य ६. प्रस./४ १५५ परि./४ २५८/२२ ज्ञानसागर १-बाहुबलि सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.), हाथकागक पत्र ३थी ४; २५.१४११.५ से.भि. पद्य ९. कर्ता-मात्र नामनिदेश आपेलो हावाथी कया मे नक्की नथी थतु. प्र.स./४१५६ परि./४२९६/२ २-बाहुबल सज्झाय ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र १लु; २६.११.५ से.मि. पद्य ९. प्र.स./४१५७ परि./२३६७/२ स्थूलिभद्र सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २५.५४19.1 से.मि. पद्य ६. प्र.स./४१५८ परि./६८०५/४ ज्ञानसागर पार्श्वनाथ वसंत धमाल ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २७४१२.५ से.मि. पद्य ८. कर्ता--मात्र नामनिर्देश छे. भाषा हिंदी मिश्रित छे. प्र.स./४१५९ परि./७४६३/1 ज्ञानसोगर (अ.) १---धना अणगार स्वाध्याय र.स. १७२१; ले.सं. १७८४; हाथकागळ पत्र ३; २६.९४११.३ से.मि. कर्ता-अंचलगच्छना गजसागरसूरि > ललितसागरना > माणिक्यसागरना शिष्य छे. समय वि स. १८नो (जै. गु. क. भा. २, पृ. ५७). प्र.स./४१६० __ परि./२१८१ २--धना अणगार स्वाध्याय ले सं १८२३; हाथकागळ पत्र ७थी १०, २५.२४ ११.५ से भि. पद्य ५९, प्र.स./४१६१ परि./२३७७/२ Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्सझाय ३--धन्ना अणगार सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २६.२४ ११.८ से.मि. प्रस./४१६२ परि./१६७८ ४--धन्नानी सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २६.९४१२ से.मि. प्र.स./४१६३ .. . परि./२००१ तेजहरख ढंढणमुनि से ज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.५xx१०.५ से.मि. पद्य ७. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (पद्य-७) प्रति जीण छे. प्र.स./४१६४ परि./८८८७/६ दर्शनविजय (त.) विजयदेवसूरि निर्वाण स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २; २५.१४११ से.मि. पद्य ३१. ___कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरि>मुनिविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १७नो (जे. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ९०१; पृ. १०३८, भा. १, पृ. ५४९). - आ रचना जौ. गू, क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स/४१६५ परि.,४३१५ दानमुनि 5--गजसुकुमाल स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थो ९: २३.४४१०.८ से.मि. पद्य १७. ___ कर्ता-तपगच्छना विजयराजसूरिनी परंपरामां तेजविजयना शिष्य छे (गा. १७).. समय वि.सं. १८ना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १३८८). आ रचना .. गू. क.मां नेांधायेळी नथी. प्र.स./४१६६ . .. परि./८५९९/१३ २--गजसुकुमाल स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (मनु.); हाथकागळ पत्र ११थी १२; २५.७४१२ से.मि. पद्य १८. प्र.स./४ १६७ परि./१८६९/३-गजसुकुमालऋषि सज्झाय ले.स. १९९ शनक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २२.८४१०.५ से.मि. पद्य १७. प्र.स./४१६८ परि./५०४१ Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६ सज्झाय देवचंद्र पंडित (त.) दृढप्रहारऋषि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६४११.२ से.मि. पद्य १२. ___कर्ता-तपगच्छना भानुचंद्रना शिष्य (प. १२). समय वि.सं. १७ने। (जै. गू. क. भा. ३. ख. १, पृ. १०७०). __ आ रचना जै. गू. क.मां नेांधा येली नथी. प्र.स./११६९ परि./३०८४/२३ सुकोसल सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २४.३४१०.६ से.मि. पद्य ५१. ___ प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./४१७० परि./५०९७/१ देवचंद्र (ख.) १-प्रभंजनानी सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.३४ ११.५ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना जिनराजसागरसूरि (ल.दी.) अने जिनचंद्रसरि (व,दी.)ना शिष्य. समय वि.सं. १७४६मां जन्म-वि.सं. १८१२मां मृत्यु (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४७३). प्र.सं./४१७१ परि./१७३३ २--प्रभंजनानी सज्झाय ले.स. १९५८; हाथकागळ पत्र १थी ३; २७.५४१२७ से.मि. लिपिकार मोतिलाल. प्र.स./११७२ परि./९४३/१ देवविजय 1--धनानी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२ थी ३४; २१.७७.३ से.मि. पद्य ११. कर्ता-परिचय अप्राप्य, रचना आलणपुरमा थई छ.. प्र.स./११७३ परि./८४८०/११ २--धन्नानी स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ४थु'; २४.३४ ११.७ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./११७४ परि./२०७१/१२ Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय ५०७ धनहर्ष पंडित-सुधनहर्ष (त.) १-गौतम स्वाध्याय ले.स. १९भु शतक (अनु.); हाथकागळ १लु'; २५.२४११.१ से.मि. पद्य ९. कर्तानां बे नाम छे. तपगच्छना हीरविजयसूरिनो परंपरामां धर्मविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १७ने। (जै. गु. क. भा. १, पृ. ५०४). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी, प्र.स./४१७५ परि./२०६४/1 २-गौतमस्वामी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.४४१०.४ से.मि. पद्य ९. प्र.स./११७६ परि/६३१५/३ नयविजय (त.) नेमिनाथ वसंतधमाल ले स. १९मुशतक (अनु.), हाथकागक पत्र १लुं; २७४ १२.५ से.मि. पद्य ७. कर्ता मात्र नामनिर्देश छे. तपगच्छनी बे व्यक्तिमांथी कई से निश्चित नथी. (जे. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ७७७-ख. २, पृ. १३३३). प्र.स./११७७ परि./७४ ६३/२ नयविजय रहनेमि-राजुल सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२९; २१.७x ११.२ से.मि. पद्य ११. _ कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स./४१७८ परि./७७७५/७ नारायण मुनि देवानंदा सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.८४११ से.मि. पद्य १०. कर्ता--रत्नसिंहसूरिना वारामां समरचंदना शिष्य छे. समय वि.सं. १७नो (जै. गू, क. भा. १, ५१५). आ रचना जे. गू, क.मां नेांधायेली नथी. प्र.सं./४१७९ परि./५९१९/८ न्यायसागर (त.) पार्श्वनाथ दशगणधर स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ढं; २२.७४१२.५ से.मि. पद्य । कर्ता--तपगच्छना उ. धर्मसागरनी परंपरामा उत्तमसागरना शिष्य छे. समय वि.सं, १८ना छे. (जै. गू, क. भा. २, पृ. ५४२). प्र.स./४१८० परि./२७२०४ Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०८ सज्झाय हाथकागळ पत्र .१ थी २; महावीर गणधर स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); २२.७४१२.५ से.मि. पद्य ७. प्र.स./११८१ परि./२७२०/५ पुण्यकवि ईलाचीपुत्र सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १लु; २६.८४ ११.७ से.मि. कर्ता- कोई पंडित चतुरना शिष्य छे. (पत्र १) प्र.स /४१८२ परि./२२४२/१ पून (पूनउ पूनो अने पुण्य पण थाय.) मेघकुमार सज्झाय ले स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३जु; २६.२४ १२.1 से.मि. पद्य २१. प्रस./४१८३ परि./१८५६/६ प्रेम(विजय) (त.) हीरविजयसूरि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.३४१०.७ से.मि. पद्य १७. कर्ता-तपगच्छना विजयसेनसूरिनी परंपरामां विमलहर्षना शिष्य छे. समय वि.स. १७ना ((जै. गू. क. भा. १, पृ. ३९७). प्र.स./४१८४ परि./८५४७ प्रेमविजय (त) विजयदेवसरि निर्वाण सज्झाय र.स. १७१३ * ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ - पत्र ३; २५.३४११.२ से.मि. पद्य ८३. ___ कर्ता-तपगच्छना दर्शनविजयना शिष्य छे (प. ८३). * समय वि.सं. १८ ना. __ आ कर्ता जै. गू. क.मां नेांधायेला नथी. प्र.स./४१८५ परि./३९४२ भाव(प्रभ) (पा.) स्थूलिभद्र कौश्यानी सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हावकागळ पत्र ८ थी ९; २४.३ ४११.७ से मि, पद्य १४. कर्ता-पायचंदगच्छना चंद्रप्रभसूरिनी परंपरामां महिमापर्व(प्रभ)सूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८ नो. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५०३). प्र.सं./४१८६ परि /२०७१/२१ Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय भावरत्न (पू.) ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७थी १०; १ - आषाढाभूतिनी सज्झाय १६×१० से.मि. कर्ता -- पूर्णिमागच्छना चंद्रप्रभसूरिनी परंपरामां महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७६९नी ओमनी रचना नांधायेली छे (ज. गू. क. भा. २, पृ. ५०३; भा. ३, खं. २, पृ. १४२४ गच्छना नाममां फेर पडे छे.). बोरसदमा प्रति लखाई. प्र.स ं./४१८७ परि०/८६२८/३ २ - आषाढाभूति स्वाध्याय ले सं. १९७८; हाथकागळ पत्र ३; २६१२.२ से.मि. वीजापुरमां प्रति लखनार ब्रह्मभट्ट नारायण नथ्थुभाई. प्र.स / ४१८८ परि. / ७०४५ ३ -- आषाढाभूति सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३; २५x१२ से.मि. प्र.स ं./४१८९ परि./७५८७ धकऋषि सज्झाय ले . स . १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७६, २७-७११-२ से.मि. पद्य १७. प्र.स ं./४१९० १ - झांझरिया मुनि स्वाध्याय २२.५×११ से.मि. पद्य ४२. प्र. सं / ४१९१ २ - झांझरिया मुनि सज्झाय २५.१४११.५ से.मि. ५=९ परि./४७४५/२ .स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी ३; ले. स. १९ शतक (अनु.); प्र.स ं./४१९२ भावविजय (त. ) नेमनाथ धमाल ले. स. १८ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २जु; पद्य १०. परि./८३५६/१ हाथ कागळ पत्र 7 थी ३; परि०/४२९६/१ २०४९.५ से.भि. कर्ता - तपगच्छना विजयदानसूरिनी परंपरामां मुनिविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स ं. १७नेा छे (जै. गु. क. भा. ३, ख ं. १, पृ. १०७२). प्र.स ं./४१९३ परि. / ८१४९/२ भोजसागर (त. ) रामसीता सज्झाय ले. सं. १७६६; हाथ कागळ पत्र ७ थी १०; २५.७११.४ से.मि. पद्य १८. कर्ता — तपगच्छना विनीतसागरना शिष्य छे. समय वि. स. १८ ना छे (जै. सा. इ. पृ. ६५९, फकरो ९७० ). प्र. स. / ४१९४ परि./३५६९/९ Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झायं मतिसागर मालवीऋषि स्वाध्याय र.स. १६१६, ले स. १७१६; हाथकागळ पत्र ५थी ७; २५४१०.७ से.मि. पद्य ५६. कर्ताने। मात्र नामनिर्देश छे. वि.स. १७मां नेांधायेलामांथी कया ओ नको नथी थ. (जै. गू. क., भा १, पृ. ४९६, ५०१; भा. ३, ख. १, पृ. ६५७, ६५५). आ रचना जे. गृ. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स./४१९५ परि./२६५२/४ मतिसागर सीताराम स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.१४९.५ से.मि. पद्य २३. कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./४१९६ परि /८५३१/१३ महिमासुंदर गणि (ख.) सनत्कुमार चक्रवर्ती धमाल ले.स. १७# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४१०.५ से.मि. पद्य १५१. कर्ता-खरतरगच्छना साधुकीर्तिना शिष्य छ. समय वि.स. १७नो (जै. गु क . भा. ३, ख. १, पृ. ९१०). प्र.सं./४१९७ परि./६०१० माणिक्य मुनि इलाचीकुमार सज्झाय ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २४.३४ १०.६ से.मि. पद्य २५. ___ कर्ता-कोई मणिमाणिक्यना शिष्य छे (प. २५). प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./४१९८ परि./५०९७/२ माणिक्य मुनि बाहुबलस्वाध्याय ले स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४० थी ४१; २५.५४ ११.५ से.मि. पद्य ५.. काना नामनिर्देश मात्र छ (प. ५). प्र.स./४१९९ परि./२३४०/३५ मानविजय (त.) १--अइमत्ता सज्झाय (परिणामशुद्धिविषय) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २४४१०.५ से.मि. पद्य ७. कर्ता-तपगच्छना शांतिविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १८३ भा. २, पृ. २३४). प्र.सं./४२०० परि./५०८९/२ Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्शाय २-अइमत्ता सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४९; २१४१२.२ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./४२०१ . परि./२७४ २/१५ अग्निभूति-वायुभूति सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२ थी २३; २१४१२.२ से.मि. पद्य ११. प्र.स./४२०२ परि. २७४०/१२ अंबड सज्झाय (बतदृढता विषयक) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पद्य ९ थी १०; २४४१०.५ से.मि. पद्य ५. प्र.स/४ २०३ परि /५०८९/१९ उदयनऋषि सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २४४१०.५ से.मि. पद्य ११. प्र.स./४२०४ परि./५०८९/१७ कार्तिकश्रेष्ठी सज्झाय ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २४.१०.५ से.मि, पद्य ६; प्र.स./४२०५ परि./५०८९/२२ खंधा(खंधकमुनि) सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०थी २१; २१४१२.२ से.मि. पद्य १६. प्र.स./५२०६ परि/२७४२/१० गंगदत्त सज्झाय (दृढ समकित विषयक) ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १ मुं; २४४१०.५ से.मि. पद्य ६. प्र.स./४२०७ परि./५०८९/२१ गांगेय सज्झाय (परीक्षाविषयक) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ठु; २४४१०.५ से.मि. पद्य ६, प्र.सं./४२०८ परि./५०८९/८ कासवैशिकपुत्र सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९ थी २०; २१४१२.२ से.मि. पद्य १५. प्र.स./४२०९ परि./२७४२/९ १-गौतम सज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २४.४४१०.५ से.मि. पद्य ५. प्र.स./४२१० परि./५०८९/१८ २-गौतमगणधर सज्झाय ले स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११९; २४४१००५ से.मि. पद्य ५. प्र.स./४२११ परि./५०८९/२५ Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१२ चंदुआ स्वाध्याय लेस. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ९ श्री ११; २५-२११.४ से. मि. पद्य ३८. प्र. स / ४२१२ परि./२०६४/१० चारणर्षि सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ मुं; २४४१०.५ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./ ४२१३ परि०/५०८९/२७ जयंती सज्झाय ( शय्यादानविषयक) ले स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २४x२००५ से.मि. पद्य ९. प्र. सौं/ ४२१४ सज्झाय झांझरियामुनि सज्झाय ले. सं. १८६३; हाथकागळ पत्र १थी २; प्रति चाणस्मामा लखाई. प्र. सं. / ४२१५ परि / ४०९९/१ देवानंदासज्झाय (स्नेहविषयक) ले.स. १८मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६६ २४४ १०.५ से.मि. पद्य ५. प्र. सं / ४२१६ २ - नारदपुत्र सज्झाय ले. स. १८मु शतक (अनु.); से. मि. पद्य ५. परि, /५०८९/९ १ - नारद सज्झाय (पुद्गल विचार गर्भित) ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकाळ पत्र ४ थी ५; २४४१०.५ से.मि. पद्य ५. प्र.स ं./४२१७ प्र.सं./ ४२१८ १ - पार्श्वनाथ स्थविर सज्झाय २१x१२.२ से.मि. पद्य ९. परि. / ५९८९/१६ २४.५४११०४ से.मि. परि./५०८९/३ हाथ कागळ पत्र २४ थी २५; परि./२७४२/१६ ले. स. ९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५मुं '1 परि / २७४२/१७ प्र. सं / ४२१९ २- पार्श्वनाथ स्थविर सज्झाय ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २४x १०.६ से. मि. पद्य ९. प्र. सं / ४२२० परि./५०८९/४ महाबलमुनि सज्झाय ले. स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ८ २४४१०.५ से.मि. पद्य ११, प्र.सं./ ४२२१ परि./५०८९/१३ माकंदीपुत्र सज्झाय (सरल स्वभाव विषे ) ले.सं. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० मुं; २४४१०५ से.मि. पद्य ५. प्र.स ं./४२२२ परि./५०८९/२३ Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५१३ रोहामुनि सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९९ २१४२.२ से.मि. पद्य ७. प्र.स./४२२३ .. . . परि./२७४२/८. १- वरुणनागनत्त्य सज्झाय. ले.स. १८९ शतक(अनु.); हाथकागळ पत्र २६९; २१x १२.२ से.मि. पद्य १०. प्र.स./४२२४ . . परि/२७४२/१९ २-वरुणनागनत्तुया सज्झाय (व्रत विषे) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २४४१०.५ से.मि. पद्य १०. प्र.स./४ २२५ . परि./५०८९/६. शिवराज ऋषि सज्झाय (ऋजुभावविषयक) ले.स. ५ ८९ शतक (अनु.); हाथकागळ · पत्र ७ थी ८९ २४४१०.५ से.मि. पद्य १४. प्र.सं./४२२६ परि./५०८९/१२ सोमिल सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २४४१०.५ से.मि. पद्य ११. प्र.स./१२२७ परि./५०८९/२७ मानसागर (त.) आर्द्रकुमार ऋषि स्वाध्याय (चोपाई बद्ध) र.स. १७३१; ले.सं. १८८१; हाथकागळ पत्र २; ___२०.८४९.८ से.मि. पद्य २५. __कर्ता-तपगच्छना जितसागरना शिष्य छे. समय वि.स. १८मीने। (जे. गू. क. - भा. ३, खं. २. पृ. १२२८). .. डोसानगरमां दानविजये प्रति लखी... प्र.स./४२२८ परि./८१६५ मालमुनि गयसुकुमाल स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ९; २६४११.५ से.मि. पद्य ९०: - कर्ता-वि.स. १६६३मां रचेली 'अंजनासती रास' माटे नांधायेला छे (जै. गू. क. . . भा. १, पृ. ४६३). ...... .. ..... .. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/४२२९ परि./४७२४/२ जीरण शेठ सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.७४ १२ से.मि. पद्य ३१. प्र.स./४२३० 'परि./१८६९/४, Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१४ महावीर सज्झाय ले. सं. १७०१; हाथ कागळ पत्र १५मुं; २५.१४८ से. मि. पद्य ७ प्र.स ं./४२३१ परि./७८१०/१४ राजिमती नेम सज्झाय ले. स. १७०१; हाथगकाळ पत्र १६ थी १७; २५.१४८ से.मि. पद्य १५. प्र.सं./४२३२ परि. / ७८१०/१५ १ - स्थूलभद्र धमाल ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २५.७११ से.मि. पद्य १०५ प्र.सं./ ४२३३ परि. / ४६६५ २ -- स्थूलभद्र फाग धमाल ले.स. १६६३; हाथकागळ पत्र ३; २५×११.५ से.मि. पद्य १०७. परि. / ४०२७ प्र.सं./४२३४ मेरुविजय १ - नंदिषेण सज्झाय ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २२.८x१०.४ से. मि. पद्य १३. कर्ता — कोई जयविजयना शिष्य छे. प्र.सं./ ४२३५ २ - नंदिषेणमुनि सज्झाय २६.६४१२ से.मि. प्र.सं./ ४२३६ प्र.स ं./ ४२३७ मोहनमुनि १ - खंधक ऋषि सज्झाय लेस. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४१२.५ से.मि. कर्ता - मात्र नामनिर्देश मळे छे. सज्झाय २- खंधकमुनि सज्झाय २६.३४१२.३ से.मि. पद्य २७. साध्वी जीवश्री माटे प्रति लखाई. प्र. स. / ४२३८ बाहुबलि सज्झाय से. मि. पद्य ९. परि. / ७७३२/२ .स. १९ शतक (अनु.); हानकागळ पत्र २० थो २१ परि./१६६५/९ प्र.सं./ ४२३९ ले. स. १९ शतक (अनु.); परि० / २०७१/११ श्रीपाल मयणाध्यान सज्झाय ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २६.३४१२०१ से.मि. पद्य ९. प्र. स . /४२४० परि. / ७८३७/५ परि./७५७४ हाथकागळ पत्र ७ थी ९; परि० / ७५३६/२ ले. स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २६-३४१२.१ Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्शाय ५१५ यशोविजय उपा. (त.) श्री चंद्रप्रभुनी सज्झाय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २३९; २५४११.२ से.मि. पद्य ७. कर्ता-तपगच्छना कल्याणविजयनी परंपरामां नयविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८मीनो (जै. गू. क. भा. २, पृ. २०). प्रति चेांटाडेली छे. प्र.स./४२४१ परि./३१२४/१४ शंखेश्वर पार्श्वनाथनी सज्झाय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २२मु; २५४११.३ से.मि. पद्य ५. प्रति चांटाडेली छे. प्र.स/४२४२ परि./३१२४/७ सोलसतीरी सज्झाय ले.स. १८३७; हाथकागळ पत्र १०९; २४.८४११.५ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./४२४३ परि./७९३५/२ रत्नकीर्तिसूरि विजय शेठ-विजया शेठाणीनी सज्झाय ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २६४११.५ से.मि. पद्य २१. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./४२४४ परि./२३६७/९ रत्नविजय धनाजीनी सज्झाय ले.स. १८९५; हाथकागळ पत्र ६दलु; २५.५४११.६ से.मि. पद्य १५. कर्ता--परिचय अप्राप्य, प्र.सं./४२५५ परि./२३८५/३ रंगविजय नेमिजिन पंदरतिथि स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५.७४१२ से.मि. पद्य २४. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छ (प. २४). प्रथम पत्र नथी. प्र.स./४२४६ परि./७०७२/२ राजविजय (त.) १-मेतारजमुनि स्वाध्याय ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र २७९; २५.५४११.५ से.मि. पद्य १३. कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरिनी परंपरामां हर्षविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८मीनो (ज. गू. क. भा. स्त्रं. २, पृ. १५६५). ____आ रचना जे. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स./४२४७ परि./२३४०/१४ Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१६ २ - मेतारजऋषि स्वाध्याय ले.स. १९ मु शतक ( अनु ); २५.२४११०४ से मि. पद्य १३. प्र. स. / ४२४८ ३ -- मेतारजऋषिनी सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); २५.३४११.७ से.मि. पद्य १३. प्र. सं. / ४२४९ रुक्मिणी सज्झाय से.मि. पद्य ७. प्र.स ं./४२५० राजसमुद्र मयणरेहासती स्वाध्याय ११.५ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./४२५१ रामविजय (त. ) कर्ता — मात्र नामनिर्देश मळे छे (१. ८). पृ. ५२१). परि०/२०७१/२८ ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १; २४.३११.७ परि. / २०७१/१ सज्झाय आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. हाथ कागळ पत्र १२ थी १३; ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७मुं; २५०५४ १ - - खंधकमुनि सज्झाय . स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु' ; २६.५×११.७ से. मि. पद्य १५. कर्ता - तपगच्छना विमलविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १८नो (जै. गू. क. भा. २, प्र.स ं./४२५५ परि./२०६४/१४ हाथकागळ पत्र १० थी ११; प्र स . / ४२५२ परि./१०६४/३ २ - खंधकमुनि सज्झाय ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १४; २४.८x १२ से.मि. पद्य १५. तूटक. पत्र १३ नथी. परि./२३४०/१५ प्र.स ं./४२५३ परि०/४०८९/२४ १ - बाहुबलि (भरत) सज्झाय २. सं. १७७१; ले.स. १८१९; हाथकागळ पत्र १थी ३; २५४११०३ से.मि. पद्य. ५३. प्र.सं./४२५४ परि./६५५६/१ २ - बाहुबलि सज्झाय र. सं. १७७१ ; ले. सं. १८२०; हाथकागळ पत्र १ थी ३; १३.२x१०.३ से.मि. पद्मलाभे प्रति लखी. परि./६६६६/१ Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५१७ ३-बाहुबलिमुनि स्वाध्याय र.स. १७७१, ले.स. १९भु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी १०; २६४१२ से.मि. प्र.स/४२५६ परि./१६९५/२ ४-बाहुबलिमुनि सज्झाय र.स. १७७१, ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २२.५४९.५ से.मि. मानविजयगणिजे प्रति लखी. प्र.सं./४२५७ परि./८७००/२ ५–बाहुबलि स्वाध्याय र.स. १७७१, ले स. २०९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १ थी ५; २६४१२.१ से.मि. गाथा ५३. प्र.सं./४२५८ परि./८२५१/१ रूपविजय (त.) . १-अरणिकमुनिवर स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २०.५४११.८ से.मि. पद्य ८. कर्ता--तपगच्छना पद्मविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १९नो (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २४९). प्र.सं./४२५९ परि./२७६२/११ २----अरणिकमुनि सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पा ११मु; २०४ ११.७ से.मि. पद्य ८. प्र.स./४२६० परि./८१४०/५ ३--अरणिकमुनि सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६९; २४.८४ १२ से.मि. पद्य ९ . प्र.सं./४२६१ परि./४०८९/३२ ४--अरणिक मुनिवर सज्झाय ले स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०मु; २४.३४११.५ से.मि. पद्य १०. प्र.स./४ २६२ परि./२०७१/७१ जंबू कुमार सज्झाय ले.स. १८६३; हाथकागळ पत्र २जु; २४.५४११.४ से मि. पद्य ७. चाणस्मानगरमां प्रति लखाई. प्र.स./४२६३ परि./४०९९/२ १-नंदिषेण सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु'; २६४११.२ से.मि. पद्य ५. प्र.स./४२६४ परि/३०८४/२ Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१८ २ -- नंदिषेण मुनि सज्ज्ञाय लेस. १९. शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १५; २४.८x १२ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./४२६५ परि. / ४०८९/२९ रहेने मिराजिमती प्रबोध सज्झाय ले.स. १९मु. शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २५.५४१२ से.मि. पद्य ८. प्र. सं . / ४२६६ परि./६७६३/१५ शालिभद्र स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र १४थी १५; २५-२×११.४ से.मि. पद्य ७ परि./२०६४/१६ सज्झाय प्र.स ं./४२६७ लक्ष्मीरत्न ( व . ) १ - - अइमत्तामुनि सज्झाय लेस. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ मुं २४०५४११ से.मि. पद्य १८. कर्ता -- तपगच्छना जयकल्याणसूरि > विमलसोमसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं १६ना मानवमां आव्या छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५७). पाटण महानगर (पाटणसिद्धपुर) मां प्रति लखाई. प्रसं / ४२६८ परि. / ६३८४/९ २ --- अइमत्तानी सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३, २४-३४ ११.७ से.मि पद्य १८. प्र.सं./ ४२६९ परि / २०७१/८ लक्ष्मीवल्लभ (ख.) नेमिसर सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ लु; २५०३×१००८ से.मि. पद्य १८. कर्ता - खरतरगच्छना क्षेमकीर्तिशाखाना लक्ष्मीकिर्तिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७२५नो ओमनी रचना नांधायेली (जै. गु. क. भा. ३, खं. २, पृ. १२४६ ) आ रचना जे. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र. सं. / ४२७० परि. / २९४६/१ लब्धिविजय १ - - इलाचीकुमार सज्झाय ले.सं. २० ( अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २६.२१२०१ से.मि. कर्ता मात्र नामनिर्देश छे भेटले क्या ते नक्की थतुं नथी. प्र.सं./४२७१ परि. / १८५६/९ . Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५१९ २--इला सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लुं; २४.३४११.७ से.मि. पद्य ९. प्र.स./४२७२ . परि./२०७१/३ गजसुकुमाल स्वाध्याय ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र पत्र २ थी ३; २६४११ से.मि. पद्य २३. श्राविका राजकुंवरी माटे प्रति लखाई प्र.स./१२७३ परि./५९०२/२ लब्धिविजय (त.) गौतमस्वामी स्वाध्याय ले.स. १८९ (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थो ७: २४.३४१०.६ से.मि. पद्य १७. कर्ता-तपगच्छना विजयदेवमूरिनी परंपरामा गुणहर्षना शिष्य छ प्रति पाटणमां लखाई प्र.स./४२७४ परि./५०९७/७ १--झांझरियामुनि सज्झाय ले.स. १७९८; हाथकागळ पत्र २ थी ४; २४.८४११ से.मि. पद्य ३५ प्र.सं./४२७५ परि /६२७२/३ २-झांझरिया मुनि सज्झाय ले.सं. १८४२; हाथकागळ पत्र २, २५.४४११.७ से.मि. पद्य ११, प्र.स./४२७६ .. ३-झाझरियाऋषि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५४११.३ से.मि. पद्य ३९ तूटक. पत्र १लु.; गाथा १ नथी, जुडानगरमा प्रति लखेली छे. प्र.सं./४२७७ परि./३९५१/१ १-भारत वाहुबलि सज्झाय ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २४.३४१०.५ से.मि. पद्य २९. धनवर्धनगणिले पाटनगरमा प्रति लखी. प्र.स./४२७८ परि./३७५१/२-भरत बाहुबलि सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५४ ११.३ से मि. पद्य २९. जुडामां प्रति लखेली छे. प्र.स./४२७९ परि /३९५१/१ परि./३३७० Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२० सज्झाय • १-मनमुनि ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४ थु; २०.५४११.८ से.मि. पद्य १०. प्रस/४२८० परि./२७६२/९ २-मनकमुनि स्वाध्याय ले.स. १९मुशतक (अनु.), हाथका गळ पत्र ४ थी ५; २५.५४ ११.१ से.मि. पद्य १०. प्र.स./४२८१ परि./६८०५/८ ३-मनकमुनि सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २४.३४११.७ से.मि. पद्य १०. प्र.स/४२८२ परि./२०७१/९ मरुदेवीमाता सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४मु; २१४१२.२. से.भि. पद्य १२. प्र.स./४२८३ परि./२७४२/४ स्थूलिभद्र सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मु; २४.३४११.७ से मि. पद्य १७. प्र.स./४२८४ परि./२०७१/२० लालविजय (त.) १-कयवन्ना ऋषि स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.२४ .. १०.५ स.भि. कर्ता-तपगच्छना विजयदेवसूरि>शुभविजयना शिष्य छे वि.स. १६६२नी अमनी __ रचना नांधायेली छे. (जै. गू क. भा. ३ ख. २ पृ. ९६९). प्र.स./४२८५ परि./२९११ २-कयवन्ना स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १३; २३.४४ १०.८ से.मि. पद्य २८. प्र.स./४२८६ परि./८५९९/२३ १-दशाणभद्र स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२: २०.५४११.८ से.मि. पद्य १८. प्रस./४२८७ परि./२७६२/२१ २-दशार्णभद्र स्वाध्याय ले.स. १७८३; हाथकागळ पत्र २; २५.५४११.३ से.मि. पद्य १९. प्र.स./४२८८ परि./३८३० Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५२१ ३-दशार्णभद्र स्वाध्याय ले.स. १७९८; हाथकागळ पत्र १ थी ५; २४.८४११ से.मि, पद्य १८.. प्र.स./४२८९ . परि./६२७२/४ ४---दशार्णभद्रनी स्वाध्याय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २४.३४११.७ से.मि, प्र.स./४२९० परि./२०७१/१४ ५--दशार्णभद्र सजर्षि स्वाध्याय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ८; २५.५४१०.५ से.मि. पद्य १८. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४२९१ परि./८८८७/१० रतनसी सज्झाय ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र 1लु; २४.५४१०.४ से.मि. पद्य १३. प्र.स./४२९२ _परि./२६००/२ लावण्यसमय (त.) बलभद्रऋषि स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी८; २५.८४११.१ से.मि. पद्य २९. ___ कर्ता--तपगच्छना सोमसुंदरसूरिनी परंपरामां समयरत्नना शिष्य छे. जन्म वि.स. १५२१; अमनी वि.स. १५८९ सुधीनी रचनाओं मळे छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ६८-७०) प्रस./४२९३ परि./६८०५/१२ १--गौतमर वामी सज्झाय ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र २०९; २६.७४११.७ से मि. पद्य ९. 'प्रस./४ २९४ परि./८६१/२ २--गौतमस्वामी सज्झाय ले.स. १८३७; हाथकागळ पत्र १०९; २४.८४११.५ से.मि. पद्य ९. प्र.स./४२९५ परि./७९३५/३ ३--गौतमस्वामी स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; . २६.४४१३.१ से.मि. प्र.स./४२९६ परि./८३८७/५ वल्लभमुनि - रेवती प्रमुख दृष्टांत स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; .. २५.२४११.४ से मि. पद्य १०. प्र.सं./४२९७ परि./२०६४/१२ Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२ सज्झाय विद्याचंद्र (त.) विजयसेनसूरि निर्वाण समय सज्झाय ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५४११ से.मि. पद्य ५२. ___कर्ता-तपागच्छीय वीपाना शिष्य छे. समय वि.स. १७ना छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४८२). प्र.स./४२९८ परि./४१०९ रावणने मंदोदरी आपेलो उपदेश सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २६४११.२ से.मि. पद्य १५. प्र.स./४२९९ . परि./३०८५/१५ विद्याप्रभसूरि (पौ.) . १-शालिभद्र सज्झाय ले.सं. १७१६; हाथकागळ पत्र ४ थी ५, २५४१०.७ से.मि. पद्य २५. कर्ता-पूर्णिमागच्छना विमलचंद्रसूरिना शिष्य छे. समय वि.नी १७मी सदीनो (जै. गू. क. भा. ३; ख. १, पृ. ८७७). प्र.स./४३०० परि./२६५२/३ २--शालिभद्र सज्झाय ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.२४११.६ से.मि. प्रसं./४३०१ परि./६५४ ३--शालिभद्र सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४१०.५ से.मि. पद्य २३ प्र.स/४ ३०२ परि./२६२५ विद्याविजय (त.) विजयसेनसूरि सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६.३४ ११.३ से.मि. पद्य ९. कर्ता--तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां विजयसेनसूरि>नयविजय वा.ना शिष्य छे (प. ९). प्र.सं./४३०३ परि./१५४८/२ विनयविजय वाचक (त.) सोल सतीनी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३० थी ३१; २६.२४१२.२ से मि. पद्य ७. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां कीर्तिविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८नो (जै, गू. क. भा. २, पृ. ४). प्र.स./४३०४ परि./२ २३४/२३ Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झायं ५२३ विनयसुंदर (त.) हीरविजयसूरि स्वाध्याय ले,स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३; २४.७४११ से.मि. पद्य २२. कर्ता-तपगच्छना हर्षाणंदना शिष्य छे. सप्पय वि.स. १६५२नी अमनी रचना नेांधायेलो छ (जै. गू, क. भा. १, पृ. ३११). प्र.स./४३०५ परि./६३८१ विवेकहर्ष पंडित (त.) तपगच्छ गुर्वावली सज्झाय ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.३४ १०.७ से.मि. पद्य २९. कर्ता-तपगच्छना कल्याणसुंदरना शिष्य (पद्य २९). समय वि.स. १७नो (जै. गू. क., भा, ३, ख. १, पृ. ७७८). प्र.स./४३०६ परि./८३२९ वीरविजय (त.) गौतम स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ४१मु; २५.५४११.५ से.मि. पद्य ८. ___ कर्ता-तपगच्छना विजयसिंहसूरिनी परंपरामा कनकविजयना शिष्य छ (प. ८७). . अमनो समय विसं. १८मा सैकाना आरंभना वर्षानो छ (जै. गू, क. भा. २, पृ. १७०). ____ कृति पूर्ण छे, पण प्रतिनां पत्र ४२, ४३ अने ४८ नथी. प्र.स./४३०७ परि./२३४ ०/३८ वीरविजय (त.) दश श्रावक स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु,); हाथकागळ १ल; २८४१२ से.मि. पद्य ९. कर्ता-तपगच्छना शुभविजयना शिष्य. समय वि.स. १८४८मां दीक्षा-१९०८मां मृत्यु (ज. गू. क. भा. ३, खं. १, २०९-१०). प्र.स./४३०८ - परि./७२७६/१ नेमराजुल स्वाध्याय ले.सं. १९११; हाथकागळ पत्र १; २६.७४१२ से.मि. पद्य ९. पत्रने चारे बाजु हांसियामां फूलवेलनु सुंदर चित्र मूकी शणगार्यु छे. झवेरबाई माटे प्रति लखनार दवे वजेराम वनमाळी. प्र.स./५३०९ परि./७४६४ Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय शंकर शालिभद्र सज्झाय ले.स. १६७५; हाथ का गळ पत्र १लु: २५.३४१०.८ से मि. पद्य १९. कर्ता-- मात्र नामनिर्देश छे. दांतिवाडामां मेघजये प्रति लखी. प्र स./४३१० परि./६११/1 शिवचंद्र स्थूलि सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४१ ०.७ से.मि. पद्य १०. ___ कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स./४३११ परि./४६५१/२ शिवनिधान गजसुकुमार स्वाध्याय ले.स. १८७६; हाथकागळ पत्र ४थु'; २२.८४१२ से भि. पद्य १४. ... कर्ता--खरतरगच्छना हर्षसारना शिष्य छे समय वि.नी १७मी सदीनो छे (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १५९८). प्र.स./४३१२ परि./७६७८/९ शुभसुंदर गौतमस्वामी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१००८ से.मि. पद्य १३. कर्ता-पद्मसुंदर मुनिना शिष्य छे (प. १३). गच्छ के समय आपेलो नथो. प्र.सं./४३१३ परि./३२७३ श्रीकरण (वा.) गौतमस्वामी सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६लु'; १६४१० से.मि. पद्य ६. कर्तानो नाम निर्देश मात्र मळे छ (प. ६). प्र.स./४३१४ परि./८६२८/२ श्रीदेव धना अणगार स्वाध्याय ले.स, १८७६; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २२.८४१२ से.मि. कर्ता---ज्ञानचंदना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७४९नी रचना नेांधायेली छे. (जे. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १३४६) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स./४३१५ __ परि./७६७८/ Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय __५२५ श्रीसार मेघकुमार स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६ थी २७: २५.५४१३.५ से.मि, पद्य १०. कर्ता---खरतरगच्छना खेमशाखाना रत्नहर्ष वाचकना शिष्य छे. अमना समय वि. १७मी सदीनो (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५३४). प्र.स./४३१६ परि./२३४०/१३ सकलचंद्रजी (त.) १--वीरदेवानंदा सज्झाय ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २७.१४ १३.१ से.भि. ___ कर्ता-पगन्ना हीर विजयसूरिना शिष्य छे. समय वि स. १७नो (जै. गू क. भा. ३, ख. १, पृ. ७६९). शारदा ग्राममा श्राविका रलियात माटे जिनविजयगणिले प्रति लखी. प्रस./४३१७ परि.७९०/२ --देवानंदा सज्झाय ले स. १९५८; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २७.५४१२.७ से.मि. मोतीलाले प्रति लखी. प्र.स./४३०८ परि./९४३/२ बलभद्रमुनि स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १२९; २५.२४११.४ से.मि. पद्य ७. प्र.स/५३१९ परि./२०६४/१३ हीरविजयसूरि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.३४११ से.मि. साहाडनगरमां पं. नयविजयगणिले ऋषि वासण माटे प्रति लखी. प्र.स./४३२० परि./३५१५ सकलमुनि राममुनि स्वाध्याय ले.स. १ ९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १र्छ; २५.२४१०.५ से.मि. पद्य १६. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स/४३२१ परि./७११६/३ समयसुंदर (ख) १-अनाथीमुनि स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३जु; २०.५४११.८ से.मि. पद्य ९. ____ कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी पसरानां सकलचंद्र उ.ना शिष्य. अमलो समय अमनी वि.स. १७ना उत्तरार्धनी कृतिओ नेला येली छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३३१). प्र.स./४ ३२२ परि./२७६२/२ Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय २-अनाथीमुनि सज्झाय ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.८४११ से.भि. पद्य १०. प्रस/४३२३ परि./६२३३/२ इन्द्रभूति गौतम स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४१९; २५.५४ - ११.५ से.मि. पद्य ८. प्र.स./४३२४ परि./२३४०/३६ १-करकंडुऋषि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २६.२४११.२ से.मि. पद्य ५. प्र स./४३२५ परि./६९१५/१९ २-करकंडु प्रत्येकबुद्ध स्वाध्याय ले.स . १८७६; हाथका गळ पत्र ४थु; २२.८४१२ पद्य ५. विजयप्रभसूरि>उदयविजयगणि>माणेकविजयगणि>भाग्यविजयगणि>प्रतापविजयगणि > सुंदर विजयना शिष्य खुशालविजये डेलाननगरमा प्रति लखी. प्र.स./४३२६ परि./७६७८/१० १-चेलणा स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ९ थी १०; २०.५ ४११.८ से.मि. पद्य ६. प्र.स./४३२७ परि /२७६ २/१८ हाथकागळ पत्र ३५ थी ३६; २-चेलणा स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); २५.५४११.५ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./४३२८ परि./२३४०/२६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मुं; २०४९.५ ३--चेलणा स्वाध्याय ले.स. १८९ __ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./४३२९ परि./८१४९/१३ ४-चेलणा स्वाध्याय ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० मुं: २४.३४१३.७ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./४३३० परि./२०७१/२५ ५-चलणा स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २४.८४१२ से.मि. पद्य ७. प्र.सं/४३३१ परि./४०८९/८ Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साय ६ - चेलणा स्वाध्याय X १११ से.मि. पद्य ६ प्र.सं./ ४३३२ १ - नमिराय स्वाध्याय ११.८ से.मि. पद्य ७. प्र. सं/ ४३३३ ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५०५ परि./२७६२/१३ २ - नमिराजर्षि स्वाध्याय ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २५०५४११०१ से.मि. पद्य ४ प्र.सं./ ४३३४ बाहुबलि सज्झाय ले.स. २० मुं शतक (अनु.); से.मि. पद्य ७ प्र.सं./ ४३३५ परि./६८०५/३ ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ २०.५४ ५२७ परि. / १८५६/३ १ - शालिभद्रनी सज्झाय ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२मुं; २४.८ १२ से.मि. पद्य १७. प्र.सं./ ४३३६ परि./४०८९/२१ २ - ( धन्ना) शालिभद्र स्वाध्याय ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५ २४.३११.७ से.मि. पद्य १९ (जै. गू. क. भा. १ पृ. १२१). प्र. सं . / ४३४०. परि./६८०५/१० हाथ कागळ पत्र १ लु; २६.२४१२.१ प्र.सं./ ४३३७ परि. / २०७१/१३ ३- शालिभद्र स्वाध्याय ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४×१०-२ से.मि. पद्य १९. परि २७६२ / १मां आज रचना स्पष्ट रीते सहजसुंदरने नामे छे, परंतु खरेखर अ समयसुंदरनी रचेली छे. प्र.सं./४३३८ परि. / ७६३८/१ स्थूलभद्र स्वाध्याय ले. स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी ११; २४.८४१२ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./ ४३३९ परि. / ४०८९ / १७ सहजसुंदर (उ. ) ईलाची पुत्र सज्झाय र सं. १५७० ले.सं. १६७५; हाथकागळ पत्र ३ थी ५: २५०३ x१०.३ से.मि. पद्य ३१. कर्ता — उप केशगच्छना रत्नसमुद्र उना शिष्य छे. समय वि.सं. १६ना उत्तरार्धना दांतीवाडामां मेघविजये प्रति लखी. परि./६११५/४ Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय धन्नाशालिभदनी सज्झाय * ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १लं; २०.५४ ११.८ से.मि. पद्य १७. * आ रचना जै. गू. क.मां अने बधी प्रामां समयसुंदरने नामे छे. परंतु आ प्रतिमां सटाणे सहेजपुंदर लाब्यु ने अटले अने नामे कृति लेवी पड़ी छे. साखावो परि./२०७१/1:; ७६३८/१. प्र.स./-३४१ परि/२७३२/१ __ भरत बाहुबलि स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मु; २४.८x __ १२ से.मि. पद्य ७. प्र.स./४३४२ परि./४०८९/३८ संघ सुभद्रासती सज्झाय ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २जु, २६.२४११ से.मि. पद्य २१, . कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. (प. २१). प्र.स./४ ३४३ परि./४४९३/२ सालिंग द्वारिका स्वाध्याय ले.सं. १५८३: हाथकागळ पत्र २१४थी २१५२७४११.७ से.मि. पद्य २५. प्रस./४३४४ परि./८४६०/१०५ सिंहविमलमुनि (त.) १-अनाथी ऋषि सज्झरय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २३४१२.३ से.मि. पद्य २१. __ कर्ता-तपगच्छना देवविमलना शिष्य छे अने सम्राट अकबरना समयमां अमने उपाध्यायपद अपावेलु (जै. सा. इति. अनुक्रमे पृ. ५४२, फकरो ७९४, पृ. ५९९, फकरो ८८२). गुटकाकार प्रति छे. प्र.स./४३४५ परि./२७४२/१ . २-अनाथी ऋषि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १५ २६४११.५ से.मि. पद्य २२. तूटक. - प्रति जीण छे. पत्रो १२, १३, १४ नथी. प्र.स./४३४६ परि./४७२४/८ Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५२९ १-मृगापुत्र सज्झाय ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं: २४.७४ 1 0.५ से.मि. पद्य २४. प्र.स/४३४७ परि./६३२४/१ २- मृगापुत्र सज्झाय ले.सं. १७१६; हाथकागल पत्र ३ थी ४; २५४१०.७ से.मि. पद्य २३. प्र.स./४३४८ परि./२६५२/२ ३-मृगापुत्र सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १; २४.७४१०.८ से.मि. गाथा २१. प्रस./४३४९ परि./६४१९ ४-मृगापुत्र सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २, २५.२४११ से.मि. पद्य २४. प्र.स./४३५० परि./२६२४ सिंहसौभाग्य गजसुकुमाल स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २० थी २१; २५.५४११.५ से.मि. पद्य ३६. __ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./४३५१ परि./२३१०/११ सुंदररत्न इलाचीपुत्र स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २०.८४९.८ से.मि. पद्य ३१. कर्ता-वाचक रत्नसमुद्रना शिष्य छे. (प. ३१) प्र.स./४३५२ परि./८७१७ सेवक (अ) खंधककुमार सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४i..६ से.मि. पद्य २७. कर्ता-अंचल-विधिगच्छना गुणनिधानसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १६ ना छेला दशकाथी अमनी रचेली कृतिओ नेांधायेली छे. (जै. गू. क भा. ३. वं. १. पृ. ५८०). प्र.स./४३५३ परि./५१९६ सोमकुशल (त.) अवन्ति सुकुमाल स्वाध्याय ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र लु; २५.३४१०.७ से.मि. पद्य २१. ___ कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां मेह (मेघ ?) मुनिना शिष्य छे. समयनु : अनुमान शक्य नथी. (प. २१). ___धनवर्धनगणि माटे पाटणनगरमा प्रति लखाई. प्र.स./४३५४ . . परि /६८९७/२ Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय सोमविमलसूरि (त.) राजिमती स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.५४११.१ से.मि. पद्य ७. ___कर्ता-तपगच्छना हेम विमलसूरिनी परंपरामां सौभाग्यहर्षना शिष्य छे. अमनी वि.सं. १६०३ नी रचना नेांधायेली छे (जं. गूक. भा. १. पृ. १८३). प्र.स./४३५५ परि./६८०५/२ सौभाग्यविजय (त) विजयसेनसूरि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६.२४१०.९ - से.मि. . कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामा लालविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७१९. मां दीक्षा; १७६२ मां मृत्यु. (जै. गू क. भा. ३. खं. २. पृ. १३६७). प्र.स./४३५६ परि./८५४६ हरखाजी ___वंकचूल सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु'; २५.७४११ से.मि. पद्य १०. कर्ता-वि.सं. १६३९ पहेलां थया. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २४०). प्र.सं./४३५७ परि./५३७२/२ हर्षकीर्तिसूरि (ना.त.) १--विजयकुमार-कुमरी सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५ थी ६; २४.७४११ से.मि. पद्य २८. कर्ता--नागोरी तपगच्छना चंद्रकीर्तिसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जे. गू. क. भा. १. पृ. ४६९). प्रस.४३५८ परि./४१०३/२ .... २--विजयशेठ विजयाशेठाणी सज्झाय ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २५.२४११.४ से.मि. प्र.स./४३५९ परि./२०६४/२. " ३-विजयशेठ विजयाशेठापणी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.१४९.५ से.मि. पद्य २९. प्र.स./४३६० . परि/८५३१/१ ४-विजयशेठ विजयाशेठाणी स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ...१० थी ११; २६४१२ से.मि. प्र.स./४३६१ परि./१६९५/३ Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेज्झार्य हर्षकुशल सनत्कुमार ऋषि स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २५.२४11.४ से मि. पद्य १०. कर्ता-वि.सं. १७मी सदीना रेल्ला दायकामां नेांधायेला कवि छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १, पृ. १०३९). प्र.स'./४३६२ परि./२०६४/९ हीरविजयसूरि (त.) पांच पांडवनी सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २४.३४ ११.७ से.मि. पद्य २१. ___कर्ता-वि.स. १५८३-१६५३ ना प्रसिद्ध तपागच्छीय आचार्यना नामथी भाषा साहित्यना मध्यकाळनुं ना प्र.स./४३६३ परि./२०७३/१६ हेतविजय राजिमतीनी सज्झाय ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मुं; २३.३४११.७ से.मि. पद्य ११. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. (प. ११). प्र.स./४ ३६४ परि./२०७१/२३ अज्ञात कर्ता (गुरुना नामनो अकारादि क्रम) जयवंतशिष्य पुण्डरीकगणधर स्वाध्याय ले.स. १७मुशतक (अनु.); २६.३४११ से.मि. पद्य १९. प्र.स./४३६५ हाथकागळ पत्र १ थी २; परि./५५९३/१ नयविजयशिष्य चंदना स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४११.३ से.मि. पद्य १३. प्र.स./४३६६ परि./७११४/५ भाषरत्नसूरिशिष्य झांझरियामुनि स्वाध्याय ले.स. १८८५; हाथकागळ पत्र २; २६.२४१२ से.मि. पद्य ४३. भावनगरमां आ प्रति मोतीविजयजीने मळी. प्र.स./४३६७ परि./७२८२ Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय लक्ष्मीरत्नसूरिशिष्य . सूरप्रियऋषि सज्झाय ले.स. १७पुशतक (अनु.); हाथकागऊ पत्र३:२६.२४१०.८ से.मि. प्र.स/४३६८ ___ परि./६९७० अज्ञात कर्ता खीमाऋषि स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७ थी २८; २५.५४११.५ से.मि. पद्य १५. प्र.स./४३६९ परि./२३४०/१६ गजसुकुमाल सज्झाय ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र १९ थी २०; १४.३४९.८ से.मि. पद्य .. प्र.स./४ ३७० परि./८६५७/९ ' गौतम सज्झाय ले.स. १८७७; हाथकागळ पत्र ३जु'; २३.७४१०.६ से.मि. पद्य २६. पं. नगविजये प्रति लखी. प्र.स./४३७१ परि./७१३६/४ चंदनबाला सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.२४१०.५ से.मि. पद्य ६. प्र.स./४३७२ परि./५७२५/२ १--चंद्रगुप्त सल्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.५४११.३ मे.मि. पद्य १९. प्र.स./४३७३ परि/६२३६/२ २-चंद्रगुप्त (सोळ स्वप्न) स्वाध्याय ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१०.६ से.मि. पद्य २५. प्र.स./४३७४ परि./८८५४ ३-चंद्रगुप्त सोल (स्वप्न) स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३मु; २५.५४११.५ से.मि. पद्य २६.. प्र.स./४३७५ परि./२३४०/२१ ...१-चित्रसभूति सज्झाय ले.स. १८८८; हाथकागळ पत्र १३९; २७४११.५ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./४४७६ परि./१५४३/७ २-चित्रसंभूति सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २; २१४९.८ से.मि. पद्य २०. अगस्त्यपुरमा मुनिकुशळे प्रति लखी. प्र.म./४३७७ परि./८७१४. Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय जंबूस्वामी सज्झाय ले.स. १८म शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १०; २४.३४ १०.६ से.मि. पद्य ११. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.स./४ ३७८ परि./५०९७/२० ढंढणऋषि स्वाध्याय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु: २५.२४१०.५ से.मि. पद्य १८. प्र.स./४३७९ परि./७११६/२ तारा लोचना सज्झाय ले.स. १८४७; हाथकागळ पत्र ३ जु: २२.२४१०.७ से.मि. पद्य १३. प्र.सं./४३८० . परि./७७०६/२ थावच्चापुत्र सज्झाय ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६८ थी ७२; २१.६x १०.४ से.मि. तूटक. __पत्रो ६९, ७० नधी. प्र.स./४३८१ परि./७७७७/१४९ नागश्री ब्राह्मणनी सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी ५; १६४१० से.मि. पद्य ३३. प्र.स./४३८२ परि./८६२८/१ नागश्री ब्राह्मणीनी सज्झाय ले.स. १९५८: हाथकागळ पत्र ४ थी ६: २७.४४१२.७ से.मि. मोतीलाले प्रति लखी. प्र.स./४३८३ परि./९४३/३ नेम-राजुल सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १८९, २६.६४१२ से.मि. प्र.स./५३८४ परि./१६५६/५ १-पांडवऋषि सज्झाय ले.स. १७६६: हाथकागळ पत्र ७थी ९; २५.७४११.४ से.मि. पद्य २०. प्र.स./५३८५ परि./३५६९/८ २-पांडव स्वाध्याय १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३: २५.१४९.५ से.मि. पद्य २०. प्र.सं./५३८६ परि./८५३१/२ प्रसन्नचंद्र सज्झाय ले.स. २०९ (अनु ); हाथकागळ पत्र मु; २५.५४१०.५ से.मि. पद्य ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४३८७ परि./८८८७/१३ - Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संज्झाय मृगापुत्र सज्झाय ले.स. १६५२; हाथकागळ पत्र ३जु'; २६.३४१०.८ से.मि. पद्य ७. पाडलानगरमां रंगविजयगणिजे प्रति लखी. प्र.स./४३८८ परि./५५६४/२ मृगापुत्र सज्झाय ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २१ थी २२; २६.६४ १२ से.मि. प्रस./४३८९ परि./१६५६/२ वंकचूल स्वाध्याय ले.स. १६७; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.३४१ ०.३ से.मि पद्य 10. दांतीवाडामां मेघजये प्रति लखी. प्र.स./४३९० परि./६११५/५ शालिभद्र सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २५.२४११ से.मि. पद्य १८. सुरतबंदरमा ऋषि मोतीचंदे प्रति लखी. . प्र.स./४३९१ परि./३७४२/२ शालिभद्र सज्झाय ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकापळ पत्र १ थी २; १०.३४ १७ से.मि. पद्य १९. प्र.सं./४३९२ परि./८६३७/१ सनत्कुमारचक्री सज्झाय ले.सं. १६७५; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.३४१ ०.८ से.मि. पद्य २१. मेघजये दांतीवाडामा प्रति लखी. प्र.सं./४३९३ परि./६११५/२ सीता सज्झाय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११ से.मि. पद्य 11. परि./३ ०८५/४ मुकोशल स्वाध्याय ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २५.१४९.५ से.मि. पद्य १२ सुधी-3 प्र.सं./४३९५ परि./८५३१/८ प्र.सं./४३९४ स्थूलिभद्र सज्झाय १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९: २०४११.८ से.मि. . पथ १३. प्र.सं./४३९६ परि./२७६२/१७ www.jainelib Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सज्झाय ५३५ स्थूलिभद्र स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २० मुं; २५.५४११.१ से.मि. पद्य ११ थी १७-स्टक. पत्र १ नथी. प्र.सं./४३९७ परि./६८०५/१ हेमविमलगुरु स्वाध्याय ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.७४११ से.मि. पद्य ९. प्रस/४३९८ परि/.५३६९ हेमविमलसूरि स्वाध्याय ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४१८.८ से.मि. प्र.स./४३९९ परि./1७०६ हेमविमलसूरि स्वाध्याय ले.स. १६९०: हाथकागळ पत्र लु; २४.७४१०.८ से.मि. पद्य ७. प.स./१४०० परि./६५६८/1 Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तमविजय (1) पांडवचरित्र महाकाव्य - स्तबक र. सं. १८३६; के.स. १८३६ हाथकागळ पत्र ५९१; २६.३४११.८ से.मि. चरित्र कर्ता - तपगच्छना विजयधर्मसूरिनी परंपरामां जिनविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १९ मी सदीनो छे. (पत्र ५९१ ). जे. सा. इति पृ. ६८० - फकरो ९९९). मूळनी प्रत अभीविजये पालीताणामां वि.सं. १८३४ मां लखी, देवप्रभसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. स्तबककारना स्वहस्ताक्षरे प्रति महियानगर मां लखेली छे. प्र.सं./४४०१ परि. / १०५७ कल्याणजी (क.) अमरतरंग ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १०; २४.५४१०.८ से.मि. कर्ता — कडवागच्छनी आठमी पाटे तेजपालना शिष्य अमनो समय वि.सं. १७ना छल्ला दशकानो (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५७५). प्र.सं./४४०२ परि. / ६४८२ जीवणजी मंगलकलश चरित्र र. सं. १७०८; ले. स. १७४१; हाथकागळ पत्र ११ २७.३X ११.३ से.मि. कर्ता — कोई चतुरमुनिना शिष्य छे अने मोगल सम्राट शाहजहांना समकालिक छे. ( कृतिने अंते.) रचना अंबकानगरमा थई. जीवणऋषिना शिष्य मुकुंदऋषि माटे प्रति लखाई. लेखन स्थळ गुज्जरपुर. प्रसं०/४४०३ प्र.स ं./४४०४ दयासागर (अं) मदनकुमार चरित्र (चउपइबद्य ) २. सं. १६६९; ले.सं. १७०८; हाथकागळ पत्र १६ कर्ता -- अंचलगच्छना धर्ममूर्तिसूरिनी परंपरामां उदयसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ मी सदीना उत्तरार्धनो (जै. गू. क. भा. १. पृ. ४०४ ) . ऋषि गोवाल लिबजोओ प्रति लखी, परि./३६२० परि, /८४५ Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ afta नन्नसूर ( को ) गयसुकुमाल चरित्र ( गीत ) र. स. १५४८ : ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८० थी ८२, २७४११.७ से.मि. पद्य ३९. कर्ता - कोरंटगच्छमां सर्वदेवसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६ मी सदीनो (जै. गू. क. भा. १, पृ. ९६). परि०/८४६०/३३* प्र.स ं./४४०५ पद्मसुंदर उपा. (बि.) १ - जंबूस्वामी चरित्र (गद्य) स्तबक ले.सं. १७८३; ११.३ से.मि, उद्दशो. हाथकागळ पत्र ५८; २५.५४ छे. (जै. कर्ता - बिवंदणिक गच्छमां माणिक्यसुंदरना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ नो जै. गू. क., भा. ३, ख ं. १, पृ. ७५६). मूळ रचना प्राकृतमां छे. माणेकविजयमुनिओ अणहिलपुरमां प्रति लखी. प्र.स ं./४४०६ १ / ४८१७ २ - जंबूस्वामी चरित्र - स्तबक ले. सं. १८६८; हाथकागळ पत्र ५९; २८x१२.८ से.मि. चांगा गामे निद्रा (घा)? नजीमुनिओ प्रति लखी. प्र.स ं./४४०७ परि. / ७८८ ३ -- जंबूस्वामी चरित्र - स्तबक ले. सं. १८५०; हाथकागळ पत्र ६०; २५०७×११-२ से.मि.; मूळ प्राकृतमां रचना छे. पं. ज्येष्ट हंसगणि घणलामां प्रति लखी. प्र. सं . / ४४०८ परि./३१११ ४ - जंबूस्वामी चरित्र गद्य - स्तबक ले.स. १९२२; हाथकागळ पत्र ८९; २५०५४११.७ से.मि. प्र. स. / ४४०९ भक्तिविजय मूळ चरित्र प्राकृतमां छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४४१० मेसरी ५३७ चित्रसेन पद्मावती चरित्र - स्तबक ले. सं. १८७९; हाथकागळ पत्र १३३; २४.९x१२.३ - से. मि. ग्रंथाम १२२०. कर्ता — वि.सं. १६ मी सदोमां थयानुं अनुमान छे. (जै. गू. क. भा. ३, स्त्रं. १, पृ. ४८४ ). राजवल्लभ पाठकनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां वि.सं. १५२२मां रचायो छे. गुमानविजय मुनिओ राधिकापुरमा प्रति लखी. परि / ११४८ प्र.स ं./४४११ ६८ मिथ्यात्वी चरित्र ले.स. १८४९; हानका गळ पत्र ३ २५.८४१२ से.मि. पद्य ४९. विबुधविमल > मेघजीना शिष्य देवचंदजीओ प्रति लखी. परि./६८९३ .. परि. / ४३३९ Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३८ रामविजय (त. ) -- परिशिष्ट पर्व ( त्रिशष्टि) स्तबक २.सं. १८०२; ले. स. १८४४; हाथकागळ पत्र २९६; २५.२४१२ से.भि. गाथा ५८००. कर्ता — तपगच्छमां विजय देवसूरिनो परंपरामां नयविजय > रत्न विजय > रंगविजयना शिष्य धर्मसूरिनी पाटपरंपरामां खुशालविजयने माटे रचना करवामां आवी. मूळ रचना हेमचंद्राचाये' संस्कृतमां रची. परि. / २०७६ प्र.सं./४४१२ २ - परिशिष्ट पर्व (त्रिराष्टि) स्तबक र.स. १८०२; ले.स. १८२०; हाथकागळ पत्र २०६; २५.२४१२ से.मि. गाथा ३४६० तूटक. चरित्र मूळ रचना हेमचंद्राचार्यनी संस्कृतमां छे. अर्जुनपुरमा स्तबक स्वायु प दयाविजये भावनगरां लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./४४१३. परि./४८४ 3- त्रिशष्टि शलाका पुरुष चरित्रोद्धृत- स्तबक ले.सं. १८८७; हाथकागळ पत्र २३८ : २७.६४१२.८ से. मि. हीरानंदे गोंडल गामे प्रति लखी. प्र. सं. / ४४१४ लक्ष्मीलाभ १ – भुवनभानु केवलीचरित्र ले.सं. से.मि. तूटक. १९४३; हाथकागळ पत्र १७१ २८.३४१२.४ मूळ रचना मल. हेमचंद्रसूरिनी प्राकृतमां छे. पन्नो ८, ३६ थी ७१ नथी. बेलीराम मिश्र कुंजरावालेमां प्रति लखी. प्र.स ं./४४१५ परि० / ४३८ परि./३८६ २ – भुवनभानु केवली चरित्र - स्तबक र.सं. १६०३; ले.स. १७मुळे शतक (अनु. ); हाथका गळ पत्र १४५; २९.८x१२.६ से.मि. मूळ रचना मल. हेमचंद्रसूरिनी प्राकृतमां छे. प्र. सं. / ४४१६ समयसुंदर (ख.) १ - मृगावती चरित्र ले.स. १७२०, हाथकागळ पत्र २२ २५४११ से.मि. पद्य ७४४. कर्ता - खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां सकलचंदना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ मी सदीना उत्तरार्धनो. (जै. गू. क. भा १, पृ. ३३१). पाटणमां विनयप्रभसूरिओ प्रति लखी. प्र.सं./४४१७ परि./५२११ २ - मृगावती चरित्र ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१ २५९११.६ से. मि. प्र.सं./४४१८ परि . / ४३५४ परि. / १५० Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चरित्र ३-मृगावती चरित्र ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४; २५.७४११ से.मि. पद्य ७४५. प्र.स./४४१९ परि./४९९३ ४-मृगावती चरित्र ले.स. १६९५; हाथकागळ पत्र ४०; २६.२४११.५ से.मि. ग्रंथान १७४३ तूटक.. ___ पत्रो १ थी ११ नथी. प्रति जीर्ण छे. श्रावक लुंगा माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./४४२० परि./३५२१ ५-मृगावती चरित्र ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथ कागळ पत्र ३६; २५.७४1०.७ से.मि. ग्रंथान ११५०. प्र.स./४४२१ परि./५९३५ ६-मृगावती चरित्र ले.स. १७१४; हाथकागळ पत्र २४; २५.३४११.३ से.मि. पद्य ७४५. प्र.स./४ ४ २२ परि./१९७२ हरिकुशलयति १-भुवनभानुकेवली चरित्र दृष्टांत-बालावबोध ले.स. १७७४; हाथकागळ पत्र ६३; २५.७४१०.८ से.मि कर्ता-धर्मघोषगच्छना जयचंद्रना शिष्य छे. समय जाणी शकातो नथी. (प. ६३). मल. हेमचंद्रसूरिनो मूल ग्रंथ संस्कृतमां छे. प्रति जिहानाबादमां लखेली छे. प्र.स./४४२३ परि./७८८२ २-भुवनभानु केवली चरित्र बालावबोध ( बलिनरेन्द्र चरित्र) ले.स. १८३४; हाथकागळ पत्र ८६; २६.५४१२ से.मि. ग्रंथाग्र ३१६१. प्र.सं./४४२४ परि./११५३ अज्ञातकर्तृक (चरित्र) · उत्तमकुमार चरित्र-स्तबक ले.स. १८१०; हाथकागळ पत्र. २४; २५.9x११.२ से.मि. मूळ रचना संस्कृतमां छे. ऋषि सुरताले प्रति लखी. प्र.स./४४२५ परि./३१६१ ऋषिमंडल प्रकरण-स्तबक ले.स. १८मुशतक (अनु); हाथकागळ पत्र १५; २५.२४११ से.मि. गाथा २१५. धर्मघोषसूरिनो मूळ ग्रंथ प्राकृतमां छे. प्र.स./४४२६ परि./६२२० - Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४०. चरित्र १ - कुर्मा पुत्र चरित्र - स्तबक ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३८; २६.५४ ११.४ से.मि. गाथा ९८ ग्रंथाग्र ११४६ तूटक. जिनमाणिक्यविमलनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. १ थी ४ नथी. प्र.स ं./४४२७ परि० / ३२१४ २ -- कुर्मा पुत्र चरित्र - स्तबक ले. स. १९२६; हाथका गळ पत्र ३३; २६.५×१२.८ से.मि. गाथा १९८ ग्रंथाग्र ७१० . जिनमाणिक्यनी मूळ रचना प्राकृतमां छे. लेखन - स्थळ वढवाण. प्र.स ं./४४२८ चित्रसेन - पद्मावती चरित्र स्तबक से. मि. ग्रंथाग्र ५०९ तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.स ं./४४२९ राजवल्लभ पाठके मूळ ग्रंथ संस्कृतमां रच्यो बुर्हानपुरमां पं. देवसुंदरगणिओ प्रति लखी. परि./१९३० चित्रसेन पद्मावती चरित्र - स्तबक ले. सं. १८८१ हाथकागळ पत्र ११०; २६०५४१२.५ से. मि. ग्रंथाग्र १२२५. राजवल्लभ पाठकनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. पाटणमां गुलाबविजयमुनिओ लखेली आ प्रतिनुं पत्र ४२मुं बेवडायुं छे. प्र.सं ं / ४३३० परि./१९८४ जंबूचरित्र ले. सं. १६१० हाथकागळ पत्र २३; २६.४४१०.८ से. मि. प्र.स ं./४४३१ परि./६९७९ जंबूस्वामी चरित्र - गूर्जर (गद्य) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २५०८४ ११.१ से. मि. ग्रंथाग्र ५००. प्र.स ं./४४३२ परि./९८१ ले. स. १८२४; हाथकागळ पत्र ५१; २६.४४११.१ परि. / ४६५९ जंबूस्वामी चरित्र ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६४११.४ से.मि. प्र.सं./४४३३ परि. / ३०५८ ले. स. १९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३२; जंबूस्वामी चरित्र गद्य-स्तबक २६.५४११.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./४४३४ जंबूचरित्र अध्ययन बालावबोध ले.सं. १८७१ हाथकागळ पत्र ६०; मूळ रचना प्राकृतमां छे. अधोईनगरमां जीवणजीओ प्रति लखी. परि. / ७९४७ प्र. सं./४४३५ दशश्रावक चरित्र - टिप्पणी ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६६ २६-८४ १०.८ से. मि. ग्रंथाग्र ८००. परि / २००३ २६.९४११०९ से. मि. मूळ रचना प्राकृतमां शुभवर्धननी वि.सं. १५४६मां रचेली छे. टिप्पणीमां संस्कृत अने गुजराती भाषा छे. प्र.स ं./४४३६ परि. / २२७४. Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चरित्र ५४१ नेमिनाथ चरित्र ले.स. १६मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४७ थी ४८; २४४९.९ से. मि. गाथा २८. प्र.सं./४४३७ परि./८६०१/५२ पार्श्वनाथ चरित्र ले.स. १९मुळे शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र १२ २७४११.७ से.मि. प्र. स . / ४४३८ परि./१६५५ पार्श्वनाथ चरित्र पद्य-तबक ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४७७; २६.१४१२ से.मि. तूटक भावदेवसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. पत्रो १, २९१ थी २९४; ३३६ थी ३३८, ३७२, ३७६ थी ४७५ नथी. प्र.स./४४३९ परि./९६२ पार्श्वनाथ चरित्र महाकाव्य - स्तबक ले.स. १९. शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १०९; २८.५४१२ ३ से.भि. मूळ रचना भावदेवसूरिनी संस्कृतमां छे. प्र. स. / ४४४० परि./५६० पृथ्वीचंद्र चरित्र - स्तबक ले. सं. १८४७; हाथका गळ पत्र ८०; २५.९४११.३ से.मि. गाथा १०५४. लब्धिसागरसूरिना मूळ ग्रंथ संस्कृतमा वि.स. १५५८मा रचायो. रूपविजयगणि प्रति लखी. परि./५३५८ भरतचक्रवर्ति चरित्र - गद्य स्तबक ले. सं. १७७४; हाथकागळ पत्र ५२ २५-७११-७ से. मि. केसरसागरगणि धरोलमां प्रति लखी. प्र. सं./४४४१ प्र.सं./४४४२ मृगांक लेखाचरित्र ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १५; प्र.स ं./४४४३ यशोधरचरित्र - बालावबोध ११.८ से.मि. प्र.सं./४४४४ परि. / ४८१५ २७४१०.६ से.मि. परि./६८५ ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ९ २४.४४ परि०/४०९५ लव-कुशचरित्र ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २८९११ से. मि. पद्य ११४. प्र.सं./ ४४४५ परि. / ७५५ १ - - शांतिनाथचरित्र महाकाव्य- स्तबक २.स ं. १६३९; ले. सं. १८२८; हाथकागळ पत्र ३२८; २६-२४२१.८ से. मि. ग्रंथाग्र १५३६५. अजितप्रभावार्थनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. ऋषि वस्ताओं भुजमां प्रति लखी. प्र.स ं./४४४६ परि./११५० Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४२ २ -- शांतिनाथचरित्र महाकाव्य - स्तबक पत्र ४०३; २४.८४१२ से. मि. ग्रंथाम ४०३. चरित्र २.स. १६३९; ले. सं. १८४७; हाथकागळ प्र.सं./४४४७ ३ - - शांतिनाथ चरित्र महाकाव्य- स्तबक र.सं. १६३९; ले. सं. १८५२; पत्र २८८; २७०३४१२०७ से. मि. ग्रंथाग्र १८३५०. अजितप्रभसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. राधनपुरमा नेमविजये प्रति लखी. परि. / ७१३ प्र.स ं./ ४४४८ शुकराजचरित्र ले.सं. १८५३ हाथका गळ पत्र १४: २६.४४११.८ से.मि. पं. भक्तिविजये प्रति विद्युतपुरमां लखी. अजितप्रभसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. कुअरग्राम ( वढीआर ) मां प्रति लखेली छे. परि. / १९९२ हाथ कागळ प्र.सं./ ४४४९ परि./१५८५ श्री पालचरित्र - स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हा थकागळ पत्र ११३ २७-३४१३ से.मि. गाथा १२६३ सुधी तूटक अपूर्ण. रत्नशेखरसूरिनी मूळ रचना प्राकृतनां छे. पत्र २१ नथी. प्र. सं. . / ४४५० परि. / ४४७ श्रीपालचरित्र - स्तबक ले.स. १८४७ हाथकागळ पत्र १३४; २५०६४११.४ से.मि. तूटक मूल रचना प्राकृतमां रत्नशेखरसूरिओ वि.सं. १४२९मां रची. पं. मनोहर विजये मेरुपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./४४५१ प्र.सं./४४५२ परि. / ३१४७ श्रीपालचरित्र ले.सं. १८३९; हाथकागळ पत्र ९७ २५०४४११.९ से.मि. गाथा १३३७. मूळ रचना वि.सं. १४२८मां प्राकृतमां रचाई. भीन्नमालनगरमां प अभिविजयगणिओ परि /८०६० प्रति लखी. सुकृतसागरचरित्र महाकाव्य - स्तबक ले. स. १९१९; हाथकागळ पत्र ११३; २५:५९ १२.६ से.मि. रत्नमंडननो मूळ ग्रंथ संस्कृतमां छे. पं. कौमुदशेखरजीओ रताडीयामां प्रति लखी. परि. / ११३७ प्र.सं./४४५३ सुदर्शना चरित्र - गाथा ४५३. मूळ रचना देवेन्द्रसूरिनी प्राकृतमां छे. भट्ट मावजीओ तेरा (कच्छ) मां प्रति लखी. परि./७७८ त्र - सस्तबक ले.सं. १९०६; हाथकागळ पत्र ३४२; २७.८४११.८ से.मि. प्र. स . / ४४५४ होरसूरिचरित्र ले.स. १९५६; हाथकागळ पत्र २०; २७४१२३ से.मि. प्र.सं./४४५५ परि / ७५०१ Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई अभयकुशल (ख.) विवाह-विधिवाद चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.७४११ से.मि. ____ कर्ता--खरतरगच्छना कीर्तिरत्नसूरिशाखाना पुण्यहर्षना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. २. पृ. १२९५). अमनो समय वि.स. १८ना पूर्वार्धनो छे. प्र.स./४४५६ परि./८३५४ अभयसोम (ख.) १--चोबोली चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १७५३; हाथकागळ पत्र ९; २५.५४ ९.८ से.मि. पद्य ३०८. कर्ता--खरतरगच्छना सातमां जिनचंद्रसूरिना >सोमसुंदरसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मा शतकना पूर्वार्धनो (जे. गू. क. भा. २. पृ. १४२). सिवादीनगरमां भाग्यविजये प्रति लखी. प्र.स./४४५७ परि./७८०६ ..... २-चोबोली लीलावती चोपाई र.स. १७२४: ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.५४११.२ से.मि. पद्य ३१९ तूटक. . पत्र लु, २जु नथी. प्र.स.४४५८ परि./४०१३ ३--चोबोली लीलावती चोपाई र.स. १७३४; ले.स. १८०१; हाथकागळ पत्र १३; २५.८x१० से.मि. पद्य ३१९. जावडनगरमा चेला प्रेमचंदे प्रति लखी. प्र.स./४४५९ परि./७१२४ ४--चोपोलीसती चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १८४३; हाथकागळ पत्र १४; २४.७४२२.६ से.मि. अहिपुरमा बालचंदजी प्रति लखी. प्र.स./४४६० परि./१०९६ ५--विक्रम चोबोली चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.७४११.५ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.स./४४६१ ___ परि./७९३० Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई 1--विक्रमचरित्र चोपाई र.स. १७४५; हाथकागळ पत्र ९; २५४१०.४ से.मि. तूटक. पत्र ९मु नथी. . प्र.स./४४६२ परि./८५७१ २--विक्रम चरित्र चोपाई र.स. १७२३; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; १४.५४९.१ से.मि. पद्य २८८ तूटक. पत्रो १ थी ११मु अने १७ थी १९९ नथी. प्र.स./४४६३ परि./८६५९ अमरसुंदर षोडश कोष्टक यंत्र (महिमा) चरित्र चोपाई ले स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1; १८.४४१ ०.३ से.मि. गाथा १७. प्र.स./४४६४ परि./२७७३ असाइत १--हंसाउली-हंसवत्सकथा ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १५; ३०४११ - " से.मि. तूटक. कर्ता--वि.स. १६मा शतकना तरगाळी छे. 'भवाई'ना स्थापक, जैनेतर छे. . लक्ष्मीसौभाग्यमुनिले प्रति लखी. पत्रो ८ थी १० नथी. प्र.स./४४६५ परि./१२५२ - २-हंसराज-वच्छराज कथा चौपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६.२४११ से.मि. पद्य ४२७. सौभाग्यमंडनगणिले प्रति लखी. प्र.स./४ ४६६ परि./४५०५ ३-हंसाउली ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २६.२४११ से.मि. पद्य ४२४. _हीरसोमना सूचनथी महेसाणामां मुनि हसहेमे प्रति लखी. प्र.स/४४६७ परि./५२६२ ४-हंसाउली ले.स. १६५१; हाथकागळ पत्र १९; २४४११.४ से.मि. शा. हीर, शा. नागपाल, शा. धर्म अने शा. नरसी वगेरे श्रीसंघनी कृपाथी लक्ष्मीदासे भालसारणीमां प्रति लखी. प्र.स./४४६८ .. परि./६१९५ हंसावलीकथा चोपाई ले.सं. १५७५, हाथकागळ पत्र १२५मुंः २७४११.७ से.मि. तूटक. पत्र १२४९ नथी. सीरोही पासेना धानतग्रामे कछोलीवालगञ्छना विद्यासागरसूरि > लक्ष्मीतिलकसूरिना शिष्य लब्धिसागरे प्रति लखी. परि./८४६०/७४ Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई ५४५ आनंदनिधान (त.) मौन अकादशी चोपाई ले.स. १७८७ हाथका गळ पत्र ; २६४११.४ से.मि. गाथा १३४. कर्ता-खरतरगच्छना जिनलब्धिसूरिनी परंपरामां मतिहंसना शिष्य छे (गा. १३३). प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४५७० परि-८७० उदयकुशल शीलवती चोपाई ले.स. १६३७: हाथकागळ पत्र ९; २७.३४११.८ से.मि. ___ कर्ता-उपा. विद्याकलसना शिष्य छे. मालवदेशना तुलाहीनगरमां आगम गच्छीय संविज्ञपक्षना शिष्य सुमतिमाणिक्य माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./४४७१ परि./६३३ उदयरत्न (त.) सुमतिविलास लीलावती चतुष्पदी र.स. १७६७; ले.स. १८२७; हाथकागळ पत्र १ थी १७; २४.७४11.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छना विजयराजसूरिनी परंपरामां शिवरत्नना शिष्य छे. समय वि.स. १८नो (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३८६). खेडा हरियालामा रचना थई छे. जावालपुरमा प. रामविजये प्रति लखी. प्रसं./४४७२ परि./६६००/ कनककीर्ति (ख.) २-द्रौपदी चोपाई र.स. १६९३; ले.सं. १७३९; हाथकागळ पत्र ३८; २६४११ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां जयमंदिरना शिष्य छे. समय वि.स. १७ना छल्ला दशकानो (जै. गू, क. भा. 1, पृ. ५६८). थराना शाह लालचंदे पाटणनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./४४७३ परि./३१५९ २-द्रौपदी चउपइ र.स. १६९३; ले.स. १७८२; हाथकागळ पत्र ४०; २५.५४११.५ से.मि. ग्रंथान १०६५. माणिक्यविजय माटे प्रतापविजयगणिना शिष्य प. मोहनविजये प्रति लखी. प्र.सं./४४७४ परि./३.९९९ .. कता-खरतरण Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बउपह ३-द्रौपदी सती चोपाई ले.स. १९१३; हाथकागल पत्र ४१; २६.४४१२.८ से.मि. भोजक मानसंघ ठाकोरना पुत्र रायभाणना पुत्र मयारामना (१) उदेरामजी, (२) चतुरजी, (३) सुखरामजी, (४) माणेकचंदजी, (५) सोभारामजी अमांना ६ट्ठा मघाओ थरादमां प्रति लखी. प्र.सं./४४७९ परि./७४७८ कनकसोममुनि (ख.) गुणस्थानक चोपाई वृत्ति र.सं. १६३१, ले.स. १९०९; हाथकागळ पत्र 11; २४४११.२ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना अमरमाणिक्यना शिष्य छे. अमनो वि.स. १७ना पूर्वाधनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १-२, अनु. पृ. ७४३ : १५१४). माणेकऋषि बिहारीऋषि माटे प्रति लखी. प्र.सं./४४७६ परि./१०९८/१ मंगलकलश चेपाई ले.स. १६६९; हाथकागळ पत्र ८; २५.२४११ से.मि. पद्य १४२. प्र.स./४४७७ परि./३९२१ कुशलाभ वा. (ख.) १-छोलामारवणी चौपई र.स. १६१७ ले.स. १७९९; हाथकागळ पत्र १५; . २५४११.३ से.मि. पद्य ७५९. कर्ता-खरतरगच्छना अभयधर्मना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ना पूर्वाधनो छे. (जै. गू. क. भा. १; पृ. २११). जेसलमेरमा रचना थयेली छे. राउद्रामा प्रति लखेली छे. प्र.स./४४७८ परि./६४५६ २-ढोला-मारवणी चोपाई र.स. १६१७; ले.स. १७१३; हाथकागळ पत्र १५थी ६९; २४.५४१२ से.मि. छेल्लु पत्र बीजा लहियाना हाथनु लखेलु छे. प्र.सं./४ ४७९ परि./२०.. ३-ढोलामारु चोपाई र.स. १६१७; ले.स. १८०७; हाथकागळ पत्र १९; २६.६४ ११.८ से.मि. विसलनगरमां प्रेमविजयगणिना शिष्य सुबद्धिविजये प्रति लखी. परि./२००९ ४-ढोलामारु चौपाई र.स'. १६ १७; ले.सं. १७००; हाथकागळ पत्र १३, २५.५४ १०.७ से.नि. पद्य ७१२. । प्र.स./४४८१ परि./६ २२८ Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपई ५४७ ५--ढोलामारु चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २३.८४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./४४८२ परि./७६४६ ६--ढोलामारुनी चोपाई ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र २२; २१.५४१०.६ से.मि. तूटक. पत्र १लु अने २जु नथी. प्र.स./४४८३ परि./२७६४ ७---ढोलामारुनी वार्ता र.स. १६१७; ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २३.७४१२ से.मि. पद्य ७५०. प्र.स./४४८४ परि./२७२३ (--ढोलामारुवणी चोपाई ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २४.७४ १०.७ से.मि. तूटक. प्रति जीर्ण छे. पत्रो ४, ५, ७ नथी. प्र.स./४४८५ परि./२६१४ ९---ढोलामारु रास चउपइ र.स. १६१७; ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र १८९; २६.८४११.५ से.मि. ग्रंथाग्र ७०११. संभर ग्रामे पोताना शिष्य प्रमोदमुनि माटे कांतिविजयना शिष्य नायक विजयगणि प्रति लखी. प्र.स./४४८६ परि./६१७० भीमसेनराज-हंसराज चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १६; २६.२४११ से.मि. प्र.स./४४८७ परि./२११५/1 १--माधवानल कामकन्दला चोपाई ले.सं. १७९८; हाथकागळ पत्र १ थी १६; २५.५४११ से.मि. ____ बुसीनगरमा मुनि उत्तमचंदे प्रति लखी. प्र.स./४४८८ परि./४७३१/१ २-माधवानल कामकंदला चोपाई ले.स. १८४२; हाथकागळ पत्र १८; २३.३४१२.९ से.मि. राधनपुरमा १. देवविजयना शिष्य दानविजयमुनिले प्रति लखी. प्र.स/४ ४ ८९ परि./५१३. ३-माधवानल कामकंदला चोपाई ले.स. १७३७: हाथकागळ पत्र ११: २५-३४११ से.मि. तूटक. पं. प्रेमविजयना शिष्य पुण्यविजयगणिो प्रति लखी. पत्र १लु नथी... प्र.स./४४९० परि./६०७१ . Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४८ चउपई ४-माधवानल कामकन्दला (चोपाई) ले स. १७४४; हाथकागळ पत्र १३; २५.३४ १०.८ से.मि. पद्य ६९५. प्रतापसौभाग्य अने हीरसौभाग्य माटे ५. सुप्रतिसौभाग्य अने सिंधसौभाग्ये नागलाग्रामे प्रति लखी. प्र.स./४४९१ परि./४२५० ५-माधवानल कामकंदला चोपाई र.स. १६१६; ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाधकागळ पत्र १६ २५.१०x१०.५ से.मि. गाथा ५३८. रचना जेसलमेरमां थई. प्र.स./४४९२ परि./६२५० ६-माधवानल कामकंदला चोपाई र.स. १६७७ * ; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१; २५.७४११.४ से.मि. अपूण. रचना जेसलमेरमा थई. * कानुं नाम नथी आवतुं अने र.स. प्रतिमा आपेलो छे से खोटो छे. लहियानी लखवानी भूल छे. आखी कृत्ति कुशललाभनी ज छे. प्र.सं./४४९३ परि./६२०७ ७-माधवानल कामकंदला चापाई र.स. १६७७; * ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७; २६.५४११.३ से.मि. अपूर्ण. ___ * परि.स./६२०७ उपर प्रमाणे. प्र.स./४४९४ परि/४४९९ शीलवती चतुष्पदिका ले स. १७२४; हाथकागळ पत्र १ थी १७; २६४११.३ से.मि. पद्य ८१२, तूटक. पत्र १४मु नथी. प्र.स./४४९५ परि./१७७१/१ कुशलसंयम (त.) १-हरिबल चोपाई र.स. १५१५; ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८; २५४१०.८ से.मि. अपूर्ण. ___कर्ता-तपगच्छमां हेमबिमलसूरि>कुलवीर अने कुलधीरना शिष्य वि.सं. १६मां थया (जै. गू. क. भा. १, पृ. १२९). . * र.सं. १५५५ (अजन भा. ३, ख. १, पृ. ५६३). प्र.स./४४९६ परि./१२२० २-हरिबल चोपाई र.स. १५१५; ले.स. १६६१; हाथकागळ पत्र २८; २५.८४११ से.मि. पद्य ६८३. ___पं. गुणलाभ महोपाध्यायना >. चरणोदयगणिना शिष्य प. खेमचंदे प्रति लखी. प्र.स./४४९७ __ परि./२३७५ ३-हरिवलरास र.स. १५१५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१; २५.६४११.८ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. अमरकीर्तिगणिना शिष्य ५. विमलकीर्तिगणिप्रति लखी. प्र.स./४१९८ परि./१७८२ Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंउपई ५४९ ४-हरिबल रास र.सं. १५१५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५; २६.३४११.३ से.मि. पत्र २जु अने ३जु नथी. प्र.स./४४९९ परि./८५५७ ५-हरिबल रास (अथवा नवरससागर) र.सं. १५१५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३०; २६.३४११.५ से.मि. पद्य ६८५. प्र.स./४५०० परि./३१६३ ६ – हरिबलराजर्षिप्रबोध रास र.स. १५१५: ले.स. १६२३; हाथकागळ पत्र २१; ३०४११ से.मि. तूटक. पत्र १लु, जु, मु, १०९ नथी. कुकरवाडागाममां धर्मवर्धनगणि> सौभाग्यवर्धनगणिना शिष्य प. लक्ष्मीसौभाग्ये प्रति लखी. प्र.स./४५०१ . परि./१२५० केशवमुनि (ख.) १--सदयवच्छ सावलिंगा चोपाई र.स. १६७९; ले.स. १७८६; हाथकागळ पत्र १५; २७.२४११.२ से.मि. गाथा ५१९. कर्ता--खरतरगच्छना जिनहर्षसूरिनी परंपरामां कीर्तिवर्धनना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मा शतकनो छे. (गा. ५१६). ___ संग्रामगढनगरमां पं. समुद्रसागरना शिष्य सुज्ञानसागरे प्रति लखी. प्र.स./४५०२ परि./५५४९ २--सदयवच्छ सावलिंगा चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.३४११.५ से.मि. प्र.स./४५०३ परि./६१६५ ३---सदयवच्छ सावलिंगा चोपाई ले.स. १७५८; हाथकागळ पत्र ७, २५.७४१८.७ से.मि. कोटागामे पं. सूरसौभाग्य > पं. भीमसौभाग्यना गुरुबंधु सिंघसौभाग्य> सुमतिसौभाग्य >प्रतापसौभाग्यना गुरुबंधु ऋषभसौभाग्यमुनिो प्रति लखी. प्रस/४५०४ परि./५१६५ क्षेमकुशल (त.) धर्माधर्मविचार चतुष्पदिका र.स. १६५७; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८; २४.७४११.५ से.मि. कर्ता--तपगच्छना मेघमुनिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ना उत्तरार्धनो छे. (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. ९४२). प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५५०५ परि./८५३५ Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५० वउपई गुणसागरऋषि १--पृथ्वीचंद्र ऋषिराज चोपाई ले.स. १६९४; हाथकागळ पत्र ४; २५.८४११ से.मि. __ कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. आ कर्ता जे. गू क.मा नेांधायेला नथी. राउद्रहामांप'. भावशेखरगणि साध्वी देमा माटे प्रति लखी. प्र.स./४१०६ परि./२१०३ २--पृथ्वीचंद्रकुमार (चरित्र) चउपई ले.स. १५८३; हाथकागळ पत्र १७४ थी १७६; २७x11.७ से.मि. पद्य ५८. प्र.स./४५०७ __परि./८४६०/९७ गोविंदमुनि (वि.) सिन्दुरप्रारकाव्य चतुष्पदी (प्रबोधतरंगिणी) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८५; २३.८४१०.८ से मि. कर्ता-विजयगच्छना पद्मसागरसूरिना शिष्य छे (पत्र ८५). प्रति जीर्ण छ. प्र.स./४५०८ परि./५५७२ चन्द्रकीर्ति (ख.) यामिनीभानुमृगावती चोपाई र.स. १६८९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.७x10.८ से.मि. ___कर्ता-खरतरगच्छना कीतिरत्नसूरिनी परंपरामां हर्षकल्लोलना शिष्य छे. समय वि.सं. १७ना उत्तरार्धनो (ज. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. ५४७). प्र.सं./४५०९ परि./२४७५ चन्द्रलाभ चतुष्पर्वी चोपाई र.स. १५७४; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १०; २५.५४१०.५ से मि. गाथा २४३. कर्ता-सोळमा शतकना छे. सिवाय काई माहिती नथी. कृति साचुर गामे रचाई छे. प्र.स./४५१० परि./४ ४९६ जयऋषि उत्तमर्षिद रमरण चोपाई ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ६७ थी ७०; २७४११.७ से.मि. पद्य ९७. प्र.स./४५११ परि./८४६०/३०. Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपड़ जय मंदिर वाचक ( व . त . ) तेजसार चुपइ २.स. १५९२, ले.सं. १६७३ हाथकागळ पत्र १५, २५४११ से.मि. तूटक. कर्ता-वडतपगच्छना जयप्रभना शिष्य छे. समय वि.सं वर्षो (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५९६). १६मा शतकना अंतिम जयकमलगणिओ प्रति लखी, पत्रो १, २ नथी. ५५१ प्र.सं./४५१२ जयरंगमुनि (जेतसी) (ख.) अमरसेन - वयरसेन चतुष्नदिका रसं १७०० ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १५; २६४११०४ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना जिनचंदसूरिनी परंपरामां पुण्यकलशना शिष्य छे. समय वि.सं. १८ना आरंभनो. ( जै. गू. क. भा. २, पृ. १६५). रचना जेसलमेर मां थई. परि. / ६४१४ प्र. सं . / ४५१३ परि. / ४२८९ १ – कयवन्ना चउपइ र.स. १७२१; ले.स. १७६२; हाथकागळ पत्र १५ २५-५x ११.३ से.मि. रचना विकानेरमा थई. अंबरावतीमा ऋषि गोवर्धन आशकरणे प्रति लखी. प्र.स ं./४५१४ परि. / ७९४९ २- कयवन्ना चोपाई र. स. १७२१; ले. स. १८१४; हाथकागळ पत्र १४; २५०५४ ११.७ से.मि. प. सामलचंद्रगणिना शिष्य पं. गलालचंद्रगणिओ गोलाग्रामे प्रति लखो. प्र. सं . / ४५१५ परि. / ३९९३ ३ – कयवन्ना चउपइ ( रासबद्ध) र.सं. १७२१; ले. सं. १७९२; हाथकागळ पत्र २४; २६.२x१०.८ से.मि. तूटक. पत्र १; २ नथी. पं. नित्य सौभाग्य > कल्याणसौभाग्यना शिष्य पं. ऋषि करमसीए प्रति लखी, प्र.सं./४५१६ परि./६०१३ ४ - कयवन्ना शेठ चौपाई २. सं. १७२१; ले. सं. १७८६; हाथकागळ पत्र १९; २५.८x ११.५ से.मि. श्राविका चेला माटे भोजविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./४५१७ जयवंतमुनि गौतम चोपाई र. स. १५५४, ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ २५-३४११ से [म. तूटक. कर्ता -- समय रत्नना शिष्य छे. समय वि.सं. १६ना उत्तरार्धनो गच्छ आपेलो नथी. पत्र २जु नथो. प्र.सं./४५१८ परि. / ४७१९ परि. / ४७८८ पत्र ९; Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५२ जयविजय प्रेमविलास चोराई ले.स. १७७६; हाथकागळ पत्र ६ २५४११ से.मि. गाथा १७७; सुरतमां प्रति लखेली छे. परि / २४१४ प्र.सं./४५१९ जिनचंद्रसूरि (ख.) रायपसेणी सूत्रार्थ चोपाई ( केशी प्रदेशी चउपर) २. सं. १७०९; ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ६०; २६.७४११.५ से.मि. तूटक. कर्ता - खरतरगच्छना जिनराजसूरिनी परंपरामां जिनरंगसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १८ शतक छे. रचना शकियानगरमा थई छे पत्रो १ थी ४ नथी. उपर प्र.सं./४५२० जिनराजसूरि ( मतिसार) (ख.) शालिभद्र चोपाई र.सं. १६७८; ले. सं. १७१२; हाथकागळ पत्र २ थी १७ २६४ १०.२ से.मि. तूटक. कर्ता -- खरतरगच्छना जिनसिंहसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ना उत्तरार्धनो छे (जै. गू क., भा. १, पृ. ५०१, ५५३). पं. हर्षऋचिगणिना शिष्य पं. विवेकऋचिगणिओ प्रति लखी पत्र १लु नथी. परि./८३१७/१ छे. प्र.सं./४५२१ जिनहर्ष ( ख ) १ – अवंति सुकुमालगुणवर्णन चुपाई र.स ं. १७४१; ले. स. १८ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी ६ २४०५४१०.८ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना शांतिद्दर्षना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १८नो पूर्वाध 1. गू. क., भा. ३, नं. २, पृ. ११४४ ) . रचना राजनगर (अमदावाद ) मां थई छे. परि०/४५१५ प्र स . / ४५२२ परि./६५९९/१ २--३ -- अवंतिसुकुमाल प्रबंध चोपाई २. स. १७४१; ले.सं. १७५२; हाथकागळ पत्र ४; २५.३४१०.६ से.मि. पद्य १०३. जीर्णदुर्ग (जूनागढ ) मां खरतरगच्छना वा. हीरराजगणि> उदयहर्षगणिना शिष्य पं. क्षेमविमलगणि प्रति लखी. प्र.सं./४५२३ परि. / ५९५७ मच्छोदर (मत्स्योदर) चतुष्पदिका २.सं. १७१८; ले.सं. १७२१; हाथकागळ पत्र १९; २५०५४११ सेमि, पद्य ७०२. समकालिक प्रति छे. प्र.सं./४५२४ परि. / ४६९४ Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपइ मंगलकलश चतुष्पदी (रास) र सं. १७११; ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र १६; २५.३४११.४ से.मि. तूटक. मत्स्यपुरमां देवविजये प्रति लखी. पत्र ६ठु नथी. प्र.स./४५२५ परि./६५६१ जिनोदयसूरि (ख.) १--हंसराज-बच्छराज चोपाई र.स. १६८०; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३८; २६४११.४ से मि. ____ कर्ता--खरतरगच्छना भावहर्षसूरि>जयतिलकसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७नी घोथी पचीसीनो छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. ५११). प्र.स./१५२६ परि/२११३ २-हंसराज बच्छराज चोपाई र.स. १६८०; ले.स. १८४३; हाथकागळ पत्र ५०; २५.५४११.५ से.मि. ध्राणपुरमा ५. लब्धिसागरे प्रति लखी. प्र.स./४५२७ परि./७५७७ ३--हंसराज कच्छराज चोपाई र.स. १६८०; ले.स. १८२२; हाथकागळ पत्र ५३; २५.३४११ से.मि. दधिपुरमा प. रूपविजये प्रति लखी. प्र.स./४५२८ । परि./२०५७ ४--हंसराज बच्छराज चोपाई र.स. १६८०; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२; २६.३४१२.५ से.मि. प्र.स./५५२९ परि./१९४२ ५--हंसराज-वच्छराज (रास) चउपइ र.स. १६८०; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २६४११.५ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५५३० परि/४३४, ६--हंसराज वच्छराज (रास) चउपइ र.स. १६८०; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३६; २६.२४१२ से.मि. विजयमानमूरि> आनंदविजयना शिष्य गणि खुशालविजये प्रति लखी. प्र.सं./४५३१ परि./२२२९ ७--हंसराज वच्छराज (रास) चोपाई र.स. १६८०; ले.स. १८९ शतक (अनु.); ____ हाथकागळ पत्र २६; २५.७४११ से.मि. प्र.स./४५३२ परि/७३२७ Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपह ८--हंसराज वच्छराज चउपइ र.स. १६८०; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २६.२४११ से.मि. ___ मदजीऋषि माटे मोहनमुनिझे प्रति लखी. प्र.स./४५३३ परि./५२२८ ९--हंसराज वच्छारज चोपाई र.स. १६८०; ले.स. १७२६; हाथकागळ पत्र २८; २५४१०.५ से.मि. पद्य ९०८; ऋषि झंझणजी>ऋषि पंचाजीना शिष्य ऋषि बल्लभे खोखरा गामे लखेली प्रति जीण छे. प्र.स./४५३४ परि./७९३० १०-हंसराज वच्छराजरास र.सं. १६८०; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३०; २४४१०.६ से.मि. ___ सुनेथनगरमां प'. नेमविजये प्रति लखी. प्र.स./४५३५ परि./२५६३ ज्ञानचंद्र (सा.) वेताल पचीसी कथा चोपाई र.सं. १५९३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; २६.३४११.२ से.मि. अपूर्ण २३ कथा सुधी. ___ कर्ता-सारठगच्छना क्षमा चंद्रसूरिनी परंपरामां वीरचंद्रना शिष्य छे. अमनो समय, वि.सं. १५६५नी अमनी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू, क. भा. ३, खं. १, पृ. ५४३). प्र.स./७५३६ परि./६१६६ सिंहासन बत्रीसी चोपाई ले.स. १६६७; हाथकांगळ पत्र ५२; २६४११.० से.मि. प्र.स./४५३७ परि./४१४३ ज्ञानसागर (अं.) १-आर्द्रकुमार चोपाई र.सं. १७२७; ले.सं. १७४२; हाथकागळ पत्र १४; २५.३४१.. से.मि. ग्रंथाग्र ४५१. ___ कर्ता-अंचलगच्छना गजसारसूरिनी परंपरामां माणिक्यसागरना शिष्य के मनो समय वि सं. १८नी शरूआतनो छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५७'. अहमदनगरमा प्रति लखाई. प्र.सं./४५३८ परि./२४१८ २-आर्द्रकुमार चोपाई र.सं. १७२७; ले.सं. १७३९; हाथकागळ पत्र ६; २६x०.७ से.मि. मुनि प्रतापसौभाग्य माटे गुढाग्रामे सुमतिसौभाग्य गणिभे प्रति लखी. .. प्र.सं./४५३९ परि./२.१२८ ३- आर्द्रकुमार ऋषि चोपाई र.स. १७२७; ले.स. १८९ शतक (अनु.): हायकागळ , पत्र १६; २४.५४१०.६ से.मि. ग्रंथाग्र ४५१. प्र.स./१५४० परि./६५०७ Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घउपई -आर्द्रकुमार रास र.स. १७२७; ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र १५म'; २५.२४११.५ से.मि. . अणहलपुरमा तिलकसी मालजी अने रामबाईनी पुत्री रूपाबाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./४५४१ ___ परि./५०१५/१ ५-आर्द्रकुमार रास र.स. १७२५; ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र ७; २४.८x ११ से.मि. पद्य ३०१. प्र.स./४५४२ परि /२४२२ १-आषाढभूति चोपाई (पिंडविशुद्धि विशये) र.स. १७२४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ९; २५.५४११.२ से.मि. पत्र १लु नथी. प्र.स./१५४३ परि./७११५/१ २-आषाढभूति चोपाई र.स. १७२४; ले.सं. १७२६; हाथकागळ पत्र १७:२१.३४११ .से.मि. तूटक __पत्र १लु नथी. समकालिक प्रति. प्र.स./४५४४ परि./७७७८ ३-आषाढभूति चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०: २५.८४१०.६ से.मि. गाथा २२४. प्र.स./४५१५ परि./६०३३ ४ -आषाढभूति चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५.२४११ से.मि. गाथा २४. ___अंचलगच्छना गुणरत्नसूरि>क्षमारत्नसूरि > गजसागर>ललितसागर>माणिक्यसागर सूरिना शिष्य मुनि जितविजये प्रति लखी. प्र.स./४५४६ परि./६०७६ ५-आषाडभूति चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १८०१; हाथकागळ पत्र १८ थी २६मु; २४.७४१०.८ से.मि. पद्य ३५१. प्रति जीण छे. पं. अमीविजयगणिना धर्मशासनमा ५. देवविजयना ५. माणिक्यविजये प्रति लखी. प्र.सं/४५४७ परि./६२९७/२ शतक (अनु.); हाथकागळ ६-आषाढभूति चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १८४ पत्र ;२५.५४११ से.मि. प्र.स./०५४८ परि./५९७८ Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ चंपई ७ -- आषाढभूति रास चउपइबद्ध २.सं. १७२४; ले.सं. १८२६; हाथकागळ १त्र ११; २४.३४१०.८ से.मि. अवरंगाबादमां पं. हंसविजयगणिए प्रति लखी. प्र.स ं./४५४९ परि./५०३५ ८-- आषाढभूति ( रास ) चउपइ र. स. १७२४; ले.स. १७३३; हाथ कागळ पत्र ५ २४४१० से.मि. प्रति जीर्ण छे. सरेरागाभे रत्नविजयगणिना शिष्य चंद्रविजयगणिओ प्रति लखो. परि./७६३७ प्र. सं . / ४५५० ९ -- आषाढभूति चउपइ ( रास ) २.सं. १७२४: ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४×१०.८ से.मि. प्र.स ं./४५५१ परि./६६४२ १० --- आषाढभूति ( रास) चउपई २. सं. १७२४; ले. स. १७५०; हाथकागळ पत्र १०; २४.३११ से.मि. प्रति पाटणम लखाई. प्र.स ं./४५५२ परि. / ६४२५ ११ - - आषाढभूति चउपइ ( रास ) २. सं. १७२४; ले. सं. १७८२; हाथ कागळ पत्र ९ २४४११०३ से.मि. बहनपुरमा प्रति लखाई. प्र. सं . / ४५५३ परि. / २१३१ १ - इलाकुमार चतुष्पदी र.सं. १७१९; ले. सं. १७७४; हाथका गळ पत्र ७, २०७४ ११.५ से.मि. रचना शेषपुरमा थई छे. मंडलगामे प्रति लखेली छे. परि. / २३७० प्र. स ं०/४५५४ २ - इलाकुमार चतुष्पदी र. सं. १७१९; ले. स. १७४९; हाथकागळ पत्र ७; २१.७४ १३.८ से. मि. ग्रंथा २५९. प्र.सं./४५५५ परि./८०४३ ३ – ईलापुत्र रास २.सं. १७१९; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ९; २६.८४११.७ से. मि. प. मानविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./४५५६ परि. / २२४२/२ ४ - इलाचीपुत्र चोपाई र. सं. १७१९; ले. स. १७४५; हाथकागळ पत्र ६ २५.१४ १०.५ से.मि. गाथा २०७ तूटक. खीमालनगरमां तेज विजय > गुणविजये लखेली प्रति जीर्ण छे. पत्र ४थु नथी. परि./८३०७ . प्र. सं. ०/४५५७ Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई ५-इलापुत्रचोपाई र.सं. १७१९; ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ९; २५४११.४ से.मि. प्र.स./१५५८ परि./४०८४ ६-इलापुत्रऋषि चोपाई र.स. १७१९; णे.स. १८०१; हाथकागळ पत्र ११ थी १८मु; २४.७४१०.८ से.मि. ५. माणिक्ये प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४५५९ परि./६२९७/२ ७-इलाकुमार चोपाई र.स. १७१९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७:२५.५४११ से.मि. पद्य १८७. वासानगरमा विजयप्रभसूरि> ऋद्धिविजयसूरि>गुणविजय>या विजय>देवविजयमुनिओ प्रति लखी. प्र.स'./४५६० परि./४७४९ ८---इलाकुमार चोपाई र.स. १७१९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४.६४११ से.मि. गाथा २५९. राजनगर (अमदावाद)मां पूर्णिमापक्षना ऋषि लालजी) प्रति लखी. प्र.स./४५६१ परि./१२०६ 1--चित्रसंभूति चोपाई र.स. १७२१; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२; २५४११.२ से.मि. रचना शेखपुरमा थई छे. प्र.सं./४५६२ परि./६४०२ २-चित्रसंभूति चतुष्पदिका र.स. १७२१; ले.सं. १७६४; हाथकागळ पत्र १८; २६.२४११.८ से.मि. ___चोलासणा गामे, कर्पूरविमलना शिष्य कृष्णविमले प्रति लखी. प्र.स./४५६३ परि./१९८६ ३-चित्रसंभूति चोपाई र.सं. १७२१; ले.स. १७६०; हाथकागळ पत्र २०; २६.२४ ११.५ से.मि. वृद्धपत्तन(वडनगर)मां भक्तिविजयना शिष्य मुनि लालविजये प्रति लखी. प्र.स/४५६४ परि /४३३७ चित्रसंभूति ऋषि चोपाई र.सं. १७२८; ले.सं. १७६३; हाथकागळ पत्र ३२; २१.५४ ११ से.मि. ___ अणहल्लपुर(अणहीलपुर)मां वा. नयविजय, सत्यविजय अने चतुर माटे, पूर्णिमागच्छना गुणचंद्रसूरिना शिष्य कल्याणचंद्रसूरि प्रति लखी. प्र.सं./१५६५ परि./५११ Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई ५-चित्रसंभूतिऋषि चोपाई र.सं. १७२१; ले.सं. १७५८: हाथकागळ पत्र १९; २४.८x११.२ से.मि. पाटणमां मुनि लक्ष्मीरत्ने प्रति लखी. प्र.सं./४५६६ परि./६३५८ ६. -चित्रसंभूतिऋषि (रास) चउपइ र.सं. १७२१: ले.सं. १७७९; हाथ कागळ पत्र २५, २५७x11 से मि. गाथा ११०० तूटक. __ भाटिवामां लवेली प्रतिमां पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.सं./४५६७ परि./४ २८० ७--चित्रसंभूति (रास) चउपइ र.सं. १७२१; ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६४११.५ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./४५६८ परि./३९८६ - --नंदिषेणमुनि चोपाई र.सं. १७२५; ले.म. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६४11 से मि. पद्य २३० अपूर्ण. राजनगरमां रचना थई छे. प्र.सं./४५६९ परि./८५०२ . २-नंदिषणर्षि चोपाई र.स. १७२५; ले.स. १७२५; हाथकागळ पत्र १ थी ८९; ... २६.२४११ से.मि. गाथा ४२१. समकालीन प्रति छे. प्र.सं./४५७. परि./५६१३/१ ३-नंदिषेणमुनि (रास) चोपाई र.स. १७२५; ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र ९; २४.८४११ से.मि. गाथा ४२१. दर्भावतीनगर(डभोई)मां प. रत्नविजयशिष्य ५. गुलालविजये प्रति लखी. प्र.स./४५७१ परि./६४१७ ४-नंदिषेण रास चोपाई र.स. १७२५; ले.स. १८०१; हाथकागळ पत्र १ थी ११; २४.७x10.८ से.मि. गाथा ४२१. प्रति जीर्ण छे. उकरडीमां पं. दीपविजयगणि शिष्य पं. माणिक्यविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./४५७२ परि./६२९७/१ ५-नंदिषेणऋषि चोपाई र.सं. १७२५: ले.सं. १७३०; हाथकागळ पत्र १३; २४.७४११ से.मि. गाथा २६३. राजनगरमा उत्तमचंद्रे प्रति लखी, प्र.सं./४५७३ परि./६१४० Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५९ ५- नंदिषेण चोपाई र.सं. १७२५: ले.सं. १७५५; हाथकागळ पत्र १३; २४०५४११ से. मि. गाथा ४२१. कनकरत्न मांटे पूर्णिमापक्षनी प्रधानशाखाना महिमाप्रभसूरिना शिष्य मुनि लक्ष्मीरत्ने प्रति लखी. प्र.सं./ ४५७४ उपई परि./६१४४ ७ - नंदिषेण (रास) चउ५इ २.सं. १७२५; ले.सं. १७५६; हाथ कागळ पत्र ११; २४.४४११.८ से.मि. गाथा ४२१. राजविजये प्रति लखी. प्र.सं./४५७५ परि./८०७३ १ - शांतिनाथ चोपाई र. सं. १७२० ले.सं. १७६५; हाथकागळ पत्र ४१ २३.५४ १०.५ से.मि. गाथा २२०५. रचना पाटणमां थई. प्र.सं./४५७६ परि. / ७६९९ २ -- शांतिनाथ चोपाई २.सं. १७२० ले.सं. १७३४; हाथकागळ पत्र ५२ २५०७४ ११ से.मि. गाथा २२०५ तूटक. पत्र १ नथी. कोई मोढज्ञातिनी व्यक्तिले प्रति लखेली छे. प्र.सं./४५७७ परि० / ४१५० ३ -- शांति जिन रास २. सं १७२०; ले. सं. १७६५; हाथकागळ पत्र ३९; २६.२४ ११.५ से.मि. तूटक. विद्यापुरमा पं. राजहंसगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./४५७८ परि. / ३१५१ ४ -- शांतिनाथ रास र.सं १७२०; ले. सं. १८१५; हाथकागळ पत्र ७१; २३-२४ १०.५ से.मि. गाथा २२५०. पोताना शिष्य गोकळजी माटे पं. शुभविजय > पं. भावविजय >> पं. सिद्ध विजय पं. रूपविजय पं. कृष्णविजय > पं. रंगविजयगणिना शिष्य पं. नेमविजयगणिओ प्रति लखी. परि./६६५२ प्र.सं. ०/४५७९ सुंदर (ख.) मच्छोदर चौपाई ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ २५९११.१ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना अभयवर्धनना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १७ना अंतिम वर्षोनो छे. (जै. गू. क., भा. ३, खं. १, पृ. १०५८). प्र.स ं./४५५० परि / ६३४१ Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६० दयासार (ख.). इलापुत्र चतुष्पदी र सं. १७१०; ले.सं १७२९ हाथ काग पत्र ५, २५४१०.५ से भि. तूटक कर्ता - खरतरगच्छना धर्मनिधाननी परंपराना धर्मकीर्तिना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १८ना आरंभनो (जै. गू क., भा. ३, खं. २, पृ. ११४३ ) . प्र.सं./४५८१ प्रथम दानविजय (त) उपइ पक्किमणा चौपाई र.सं. १७३०; ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २५९१०.८ से. मि. गाथा ८६. कर्ता --- तपगच्छना विजयराजसूरिनी परंपरामां २५७-२५६, प्र.सं./ ४५८२ दामोदरमुनि (आं) सुरपतिराजर्षि चतुष्पदी र.सं. १६६५; ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५०८४११ से.मि. पद्य ३६५. कर्ता-- आंचलिकगच्छना कल्याणसागरसूरिनी परंपरामा उदयसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि. १७मी सदीना उत्तरार्धनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४०३). लक्ष्मीसागर शिष्य माटे विनयचंद्रना शिष्य मुनि जयसागरे प्रति लखी. गुणकरंडक गुणावली चोपाई २.सं. १७५७; २६.७११.२ से.मि. गाथा ६०५. पत्र नथी. परि / ३५९७ तेजविजयना शिष्य छे. (प्र.ले. सं . जै. गू. क., भा. २, पृ. ४४५ ). अमनो समय वि. १८मा सैकानो. परि / ७६२८ प्र. सं. / ४५८३ दीपाजी का ( गु.) पुण्यसेन चौपाई ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २५.७४११ से. मि. गाथा ४६३. कर्ता - गुजराती गच्छीय ( लेांका) धनराजनी परंपरामां वर्धमानना शिष्य छे. समय वि. १८मा सैकानो पूर्वाध (जे. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १३९३). प्र. स. / ४५८४ परि./४६८५ परि०/६१८८ ले. सं. १८२९; हाथकागळ पत्र १४; परि. / ७८३० प्र.सं./४५८५ दुर्गादासगण (उ.) शालिभद्र चोपाई र. स. १६३४; ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १५ २७.९४१ २.२ से.मि. कर्ता — उत्तराधगच्छमां सरवर परंपराना अर्जुनमुनिना शिष्य छे. (जै. गू. क., भा. ३, भा. १, पृ. ७४० ) अमनो समय वि. १७मी सदीनो छे. कृष्णदासे लखेली आ प्रति सांधेली छे. प्र. सं . / ४५८६ परि. / ३०९ Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपइ देपालकवि १- चंदनबाला चोपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४; २५-७४१० से.मि. पद्य १०१. कर्ता-ज्ञाति भोजक ठाकोर छे अने वि.सं. १५०० थी १५२२ सुधीमां विद्यमान. (ज. गू, क., भा. १, पृ. ३७). प्र.स./४५८७ परि./४४३७ २-चंदनबाला चरित्र (रास) चउपइबद्ध ले.स. 1७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी १४; २६.२४11 से.मि. अपूर्ण. प्र.स./४५८८ परि./३३३३/२ १-जंबूस्वामी चोपाई ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1 थी ६; २६४११.२ से.मि. प्र.स./४.५८९ परि./२१६१/१ २-जंबूस्वामी चोपाई ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ११६ थी १२०; २७४११.७ से.मि. पद्य १७४. पूर्णिमा पक्षना विद्यासागरसूरि>लक्ष्मीतिलकसूरि शिष्य कर्मसागरसूरिसे प्रति लखी. प्र.स./४५९० परि./८४६०/७२ सम्यक्त्व बारव्रत चोपाई ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ९३ थी १०२; २७४११.७ से.मि. पद्य ३५०. प्र.स./४५९१ - परि /८४६०/६५ देवकलश (उ.) १-ऋषिदत्ता चतुष्पदी. र.स. १५६९, ले.स. १६१५: हाथकागळ पत्र १थी ११; ३०.५४ . ११ से मि. पद्य ३०१. कर्ता-उपकेशगच्छना उपाध्याय देवकुमारनी परंपरामा उ. देवकल्लोलना शिष्य छे. (जे. गू. क. भा १, पृ. १२०). समय वि.स. १६मी सदीना उत्तरार्धनो. - पत्रो ८मा थी १० नथी. चोमासा दरम्यान वडनगरमा प्रति लखाई. प्र.सं./४५९२ परि./१२५१/२ २- ऋषिदत्ता चोपाई र.स. १५६९; ले.स. १७मुशतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ११; २७४११.२ से.मि. प्र.स./४५९३ परि./७८२७ ३-ऋषिदत्ता चोपाई र स. १५६९ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.७४1०.७ से.मि. प्र.स./४५९४ परि./४ ६८६ Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६२ चउप देवरत्न (ख.) शीलवती चोपाई र.स. १५६९ ले स. १७२६; हाथकागल पत्र १ थी १५, २५.७४ ११.३ से.मि. ___कर्ता-खरतर गच्छमां जिनराज सूरिनी परंपरामां जिनभद्रसूरिनी शाखामां देवकीर्तिगणिना शिष्य छे. (पत्र १५९) वि.स. १६मां थया. . बुनिपुरमा विनयप्रभसूरिसे प्रति लखी. प्र.स./४५९५ परि./८९९/१ देवशील १- वेताल पचीसी चुपदी र.स. १६१९; ले.स. १६३६; हाथकागळ पत्र २३, २५.६४ ११.२ से.मि. कर्ता-सौभाग्यहर्षसूरिनी परंपरामा प्रमोदशीलना शिष्य छे. अभने वि.स" १७मीना पूर्वार्धनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ २१९). मालवदेशना नहलाइनगरमा बृहतापगच्छमां सहनाली परंपरामांना कोइओ प्रति लखी छे. प्र.स./४५९६ परि./५५४३ २-वेताल पचीसी चोपाई ले.स. १८९ शनक (अनु ); हाथकागळ पत्र १४; २४.७४ ११ से.मि. पद्य ७६०, तूटक. पत्र १लु अने २जु नथी. सीरोहीनगरमां लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स./१५९७ परि./५१८५ धनप्रभ नवकार चउपई ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २९.३४११.१ से.मि. गाथा १५०. कर्ता-क नामनी त्रण व्यक्ति १६मा सेकानी छे. (प्र.ले.सं. ८६०; जे.प.ई. (२) टि. ४ १२: फकरो २६९). कान नाम संदिग्ध रहे छ. शांतिसूरिनुं नाम आपेलु छे, परंतु प्रति जोतां मे लिपिकार छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४५९८ परि./१४०६ धर्मसमुद्रमुनि (ख.) धर्मदत्त चोपाई ले.सं. १५८३: हाथकागळ पत्र १६४ थी १७०: २७४११.७ से.मि. पद्य २०२. कर्ता-खरतरगच्छना जिनसागरसूरिनी पट्टपरंपराओ विवेकसिंहना शिष्य छे. मेमनी वि.सं. १५६७नी रचना पण नेांधायेली छे. (जै. गू. क., भा. १, पृ. ११६) आ रचना जे. गू. क.मां नेधायेली नथी. प्र.स./४५९९ परि/८६६०/९५ w ww.jainelibrary.org Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंउपई सुभित्रकुमार चतुष्पदी र.स. १५६७; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २६.२४1 0.८ से.मि. पद्य ४३८. रचना जालोरमां थयेलो छे. परि./५८५८ धर्मसिंह शीलवती चोपाई ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २३४१०.८ से.मि. अपूर्ण. का-१. तसंगच्छना १६ मी सदीना छे. २. लुंका गच्छना १७ मी सदीना छे. प्रस्तुत व्यक्ति कोण नकी नथी थतुं. (जै. गू. क., अनुक्रमे भा. १, ३. १६५; भा.३ खं. 1. पृ 1010). प्रस./४६०१ परि./७७१६ सुरसुंदरी चोपाई ले.स. १७६०; हाथकागठ पत्र 1 थी १८; २१.५४11.८ से.मि. गाथा ६०१९. प्र.स./४६०२ परि./२७३६/१ नरपति कवि नंदबत्रीसी चोपाई ले.स. १५७५; हाथ कागळ पत्र १२० थी १२४; २६४११.७ से.मि. पद्य १४२. कर्ता-वि सं. १६मा शतकमां थयेला छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ८८). प्र.सं./४६०३ ___परि./८४६०/७३ पंचप्रबंध छत्र चोपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र पत्र ४१; २६.१x१०.५ से.मि. गाथा ११००, तूटक. पत्र २३मु डबल छे; २६९ नथी. प्र.स./४६०४ परि./५५६० पद्मसागरसूरि (म.) १-कयवन्नाचरित्र चोपाई र.स. १५६३: ले.स. १५८३; हाथकागळ पत्र १९९ थी २०८मु; २७४११.७ से.मि. पद्य २९९. ___ कर्ता-मम्माहडाच्छना मुनिसुंदरसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १११). प्र.स./४६०५ परि./८४६०/१०३ २-कयवन्ना चोपाई र.स. १५६३: ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १२, २५४११ से.मि. पद्य २८७. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४६०६ परि./८८७८/१ Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंउपई पद्मसुंदर उपा. (दि.) खीमऋषि चापाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र "; २५.८४११ से.मि. पद्य १७७. कर्ता---बिदणिकगच्छना माणिक्यसुंदरना शिध्य छे. अमनो समय वि.स. १७ मी सीनो (जै ग. क. भा. ३, ख. १, पृ ७५६). प्र.स. ४६०७ परि./६०१२ २-खीमऋषि चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६; २४.७४११ से.मि. प्र.सं./४६०८ परि./१२२२ श्रीदत्त चोपाई वि.सं. १६४२; ले.स. १७९ शतक (अनु.), हाथका गळ १३ १६; २५.७४११.२ से.मि. पद्य ४६१. प्रति जीर्ण छे.. प्र.स/४६०९ परि./८८३० परमसागर (त.) १ - विक्रमसेन चोपाई र.स . १७२४; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३७; २४.३४१०.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छना लावण्यसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि सं. १८मा शतकनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १२२७). प्र.सं./४६१० परि./४९३८ २-विक्रमसेन नरेश चोपाई र.स. १७२४; ले.स. १९१५; हाथकागळ पत्र ६०; २६.२४१२ से.मि. प्र.सं./४६११ परि./९१ पुण्यकीर्ति (ख.) १--पुण्यसार चोपाई र.स. १६६६; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.५४१०.८ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छना महिमामेरुनी परंपरामा हर्षप्रमोदना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मी सहीना उत्तरार्धनो. रचना सांगानेरमा थयेली छे. प्र.स./४६१२ परि./३५६४ २--पुण्यसारकुमार चोपाई र.स. १६६६; ले.सं. १६९४; हाथकागळ पत्र ८; २५.७४११.१ से.मि. साध्वी देमा माटे २१डद्रहानगरमां अंचलगच्छना भावशेखरगणिमे प्रति लखी. प्र.स./४६१३ परि./२१२९ Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई ३-पुण्यसार चोपाई र.स. १६६६; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.७४१०.८ से.मि. पद्य २०३. प्रति जीर्ण छे परि ४५२५ ४.--पुण्यसार चोपाई र.स. १६६६; ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथका गळ पत्र ७; २६४०.५ से.मि. पद्य २०३. प्र.स./४६१५ परि./५२६४ प्रेमराज १-वैदी चोपाई ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.२४10. से.मि. तूटक. कर्ता-वि.स. १७.३ पसेला थया छे. सिबाय काई माहिती मळती नथी. (जे. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४.०, जे. सा. इति. फकरो ९७१, पृ. ३६५). - प्रति जीर्ण छे. पत्र पलु नथी. प्र.स./४६१६ परि./६०८४ २-वैदी चोपाई ले स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागल पत्र ८; २५४१०.४ से.मि. गाथा २५०, प्रति जीर्ण छ प्र.स./१६१७ परि./४३७५ प्रेमसागर विक्रमसेन चोपाई ले.स. १८२५; हाथकागळ पत्र ४५; २५४११.७ से.मि. विशाळसोमसूरि> सिद्धसोम> केसरसाम>वडील गुरुबंधु मोहनसोम अने कनिष्ट गुरुबंधु नित्यसोम > कस्तुरसोमना शिष्य जयसोम माटे कपडवंजमां प्रति लखेली छे. प्र.स./४६१८ परि/२३८२ भाग्यविजय (त.) नवतत्त्व चोपाई र.स. १७६६; ले.स. १९५३; २५४११ से.मि. गाथा १६७. __ कर्ता-तपगच्छना विजय प्रभसूरिनी परंपरामां मणिविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मा शतकनो उत्तरार्ध छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, १. १४१५). रचना पाटणमां थयेली छे. बारोट हरिभाईए विजापुरमा प्रति लखी. प्र.स./४६१९ ___परि.!४३३५/१ भाणविजय (त.) लीलावती चोपाई र.स. १८३०; ले.स. १९१७; हाथका गळ पत्र ४२; २९४१३.५ से.मि. कर्ता--तपागच्छना विजयप्रभसूरिनी परंपरामां प्रेमविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९नो (जे. गू. क., भा. ३, ख. १, पृ. १३४). ___ कच्छना आणंदपुरमां हर्षसागरमुनिले प्रति लखी. प्र.स./४६२० परि/५९ Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ भीम (जैनेतर) भागवत चोपाई ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र अपूर्ण नृसिंह अवतार सुधी. कर्ता -- वि.सं. १५३ शतकना उत्तरार्धमा अने वि.सं. धरावतार जैनेतर कवि छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. अने पृ. ८७ ). कया मे नक्की नथी थतु. प्र.स ं./४६२१ चउपड़ ५३; २३.९०.८ से.मि. परि. / ८१०८ सदयवच्छ चोपाई ले.स. १७ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३६ २१४१२०८ से.मि. गाथा ६२९ तूटक. पत्र नथी. नरपति कविनी विक्रमादित्य चोपाईनां १० पाना छे पछी प्रस्तुत कृति शरू थती होवाथो कृति तुटक छे. प्र.सं./४६२१ परि./८१२० १७मा शतक्रमां अस्तित्व २११२; कविचरित पृ. २१; भुवनकीर्ति (ख.) १ - जंबूस्वामी चतुष्पदी, २.सं. १६९१; ले.स. १७१९; हाथ कागळ पत्र ४९; २६४ १०.८ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना खेमशाखाना क्षेमकीर्तिनी परंपरामां ज्ञानानंदना शिष्य छे. समय वि.सं. १७ना अंतीम वर्षोनो छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५६१). पूर्णिमा पक्षनी प्रधानशाखाना विनयप्रभसूरिभे प्रति लखी प्र.सं./४६२३ परि. / ४५८९ २. - जंबुस्वामी चतुष्पदी ले.सं. १८ मु' शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३७; २५.४x ११.४ से.मि.. अमरसागरसूरिना शासनकाळमां, देलपत्तनमां मतिसागरमुनिओ प्रति लखी. प्र.सं./४६२४ मतिकुशल (ख.) १ - चंद्रलेखा चोपाई २ . सं १७२८ ले.स १८२३ हाथकागळ पत्र २५ २६ ९x११ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना मतिवल्लभना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. (जै. गू. क., भा. २, पृ. २६५. १८नो छे. देवादीमा आर्या केसरजी > फतुजीनी शिष्या लक्ष्मीओ प्रति लखी. परि. / ४१५६ परि०/७०६८ प्र.स ं./४६२५ २१; २ - चंद्रलेखा चोपाई २. स. १७२८; ले..स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २४.८०x१२ से.मि. परि / ४८९५ प्र.स ं./४६२६ Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घउपई ३-चंद्रलेखा चोपाई २.स. १७२८; ले.स. १७८५ हाथका गळ पत्र २३९; २५४ १०.५ मि. ___ मेदाट(मेवाड देश)मा राणासंग्रामसिंहना राज्यका कमां ऋषि भाग्यचंदे प्रति लखी. . प्र.स./४६२७ परि./४६८४/१ -चंद्रलेहा चतुष्पदी र.सं. १७२८; ले.स. १८०९; हाथका गळ पत्र २०:२.३४ ६१.३ से.मि, गाथा ९६. सुधी तूटक अपूर्ण. पत्र थी ४ नथी. अमीविजय अने अंना शिष्यो नामे रामविजय, विनोदविजय अने भावचारित्री केशवदास माटे, मानविजय>विमलविजयना शिष्य वीरविज्ये प्रति लखी. प्र.स./४६२८ परि./३२७५ ५---चंद्रलेहा चतुष्पदी २.सं. १७२८; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २५.१४११.५ से.मि. पद्य ६२५. प्र.स./४६३९ परि./४१४६ ६--चंद्रलेहा चरित्र चोपाई र.स. १७२८; ले.स. १७५७: हाथकागळ पत्र २४; २४.२४१०.७ से.मि. ग्रंथाग्र ८२४. पाटणना शाहवाडामा प्रति लखेली छे. प्र.सं./४६३० परि./४४०२ ७--चंद्रलेखा चरित्र चोपाई (सामायिक विशये) र स. १७२८; ले.स. १७७९; हाथकागळ पत्र २७, २४.७४१२ से.मि. पद्य ६३१. अहमदनगरमां भावविजय माटे पं. भकित विजये प्रति लखी. प्र.स/४६३१ परि /२३८१ ८--चंद्रलेखा (रास) चोपाई र स. १७२८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २६.७४११.५ से.मि. पद्य ६२४. प्र.स./४६३२ परि./३१३९ ९-चंद्रलेहा (रास) चउपइ र.स. १७२८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र २२; २२.५४८.५ से.मि. डभोईनगरमा ५. धनविजये प्रति लखी. ___ परि./७६५४ १०-चंद्रलेहारास चइपईंबद्ध र.स. १७२८; ले.सं. १७८७; . हाथकागळ पत्र १७; २५.५४११.२ से.मि. ___महो. बिजयदेवसरि>महोपाध्याय लावण्यविजये>महो. रत्नविजय > खीमाविजयना शिष्य प. नेमविजये प्रति लखी. प्र.स./४६३४ परि./१०२९ प्र.सं./४६३३ Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६८ चउपई मतिशिखर मयणरेहा चतुष्पदिका ..सं. १५३७: ले.स. १५# शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३२ थी ४६९; २५४१ १ से.मि. पद्य ३७३. कर्ना--उपाध्याय देवगुप्तसूरिनी परंपरामा शीलसुदरना शिष्य छे. अभनो समय वि.स. १६ना पूर्वार्धनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४९). प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४६३५ परि./८८७८/४ मतिसार १--धन्नाऋषीश्वर चोबाई र.स. १६७८: ले.सं. १७१५; हाथकागळ पत्र १९; २५.५४११.५ से.मि. ___ क-ि-खरतरगच्छना जिनसिंहसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७नो छे. (जे. गू. क., भा. १, पृ ५०१). प्र.स./४६३६ परि./३८४६ धन्ना शालिभद्रो चौपाई र.स. १६७८; ले.स. १८२९; हाथकागळ पत्र ११; २५.५४११ से.मि. कीसनगढमां ऋषि भोजराजे प्रति लखी. प्र.स./४६३७ परि./११५२ . ३--धन्ना शालिभद्र चोलाई र.सं. १६७८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५.३४११ से.मि. कमलसागरगणि) प्रति लखी. प्र.स./४६३८ परि./४१५४ ४---धन्य शालिमद (रास) चउपइ र.स. १६७८ ले.स. १७५८: हाथकागळ पत्र १८; २६.४४११.६ से.मि. तूटक पत्रो १थी ११ नमी. राजनगर( अमदावाद )मां महोपाध्याय कुंवरविजय गणि>. दीपविजयना शिष्य मुनि देवविजये प्रति लखी. प्र.स./४६३९ परि./३९८३ ५-शालिभद्र चोपाई र.स. १६७८; ले.स. १७३७; हाथकागळ पत्र २१; २३.८४ १०.७ से.मि. पद्य ७०५. स्तंभतीर्थ (खभात)मां कोई...गणि माटे...सागरे (आखां नामो स्पष्ट नथी) प्रति लखी प्र.स./४६४० . परि./६६२५ ६--शालिभद्र चोपाई र.सं. १६७८ ले.सं. १७८०; थकागळ पत्र २१; २५.२४ . ११.२ से.मि. कोठारीआ(कच्छ)मा महो. देवविजयगणिना शिष्य प. विजयगणिमे प्रति लखी प्र.स./४६४१ परि./४९५४ Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चपई ७ - शालिभद्र चोपाई १० से.मि. तूक. पत्री रजु अने १० नथी. थाणामां प्रति लखाई. प्रस / ४६४२ परि /८७९ ८ - शालिभद्र चोपाई २.स. १६७८६ ले. सं. १८८२, हाथ कागळ पत्र १८, २५.३X ११.२ से.मि. र.स ं. १६७८: ले.सं. १७५७; हाथका गळ पत्र १२, २१.५४ भाणगढ गांमे ऋषि बालचंदजी > ऋषि दोलतरामजीना शिष्य ऋषि फेत्तेचंदजी ओ प्रति लखी. प्र. सं . / ४६४३ परि. / ४०७२ ९ - शालिभद्र चोपाई र. स. १६७८; ले.स. १८१५; हाथका गळ पत्र २८; २६.३४ ११.५ से.मि. तूटक. पत्र 'लु' २जु, २१मु अने २५ नथी जीलवाडा गामे रूपचंदजीना शिष्य हीराजी मांटे सुखराजे प्रति लखी. प्र.स ं./४६४४ ५६९ परि. / ७९०८ १० – शालिभद्र रास २. सं. १६७८; ले.सं. १७३६; हाथकागळ पत्र १९; २४.५४ ११ से.मि. पद्य ५२३. राणिकपुरमा विनयविजयगणि प्रति लखी. प्र.सं./४६४५ परि./६६२१ ११ - शालिभद्र रास र.स ं. १६७८; ले.स. १७६१; हाथकांगळ पत्र १३ २५.५x १०-७ से.मि ग्रंथान १०९. स्याणानगरमां प्रति लखेली छे. प्र. सं . / ४६४७ महिमासिंह (ख.) प्र.सं./४६४६ मदसागर सरि कयवन्ना चोपाई र.स. १५३०; ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २७; २६.२११.४ से. मि. ग्रंथाग्र ५५५. कर्ता --पत्र २७मां मात्र नामनिर्देश छे. र.स.ने आधारे अमनो समय वि.नी. १६मी सदीनो गणाय. प्रति जीर्ण छे. अगडत्तकुमार चोपाई र. सं. २९x११.२ से.मि. प्र.सं./४६४८ ७२ १६७५; ले. स. १७४८; हाथकागळ पत्र परि./६५८५ कर्ता — खरतरगच्छमां जिनराजरनी परंपरामा शिवनिधान वाचकना शिष्य छे. समय वि.सं. १७ मानो छे. रचना कोटडानगरमा थई. ( पत्र १७ ). आलोटनगरमा पं. विद्यासुंदरना शिष्य मुनि सौभाग्यसागरे प्रति लखी. परि. / ८८११ १ थी १७; • परि./२५८२/१ Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७० माणिक्यसागर (अं ? ) इलाचीकुमार चतुष्पदी ले.सं. १७८८; हाथकागळ पत्र ९ २५.६४११.२ से.मि. कर्ता - अंचलगच्छना गजराजसूरिनी परंपरामां ललितसागरना शिष्य छे. समय वि.सं. १८नो अनुमानी शकाय (जै. गू क., भा. २, पृ. ५७, २९४). प्र.स ं./४६४९ परि. / ४०७४ चउ पइ मानमुनि (अं.) हंसराज बच्छराज चोपाई ले.सं. १७१९; हाथकागळ पत्र १९; २५x११-२ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना जिनराजसूरिनी परंपरामां जिनधर्मना शिष्य छे. ( पत्र १९ ). महाराव तमाचीजीना राज्यकालमा अंचलगच्छना ज्ञानशेखरगणिना शिष्य नयनशेखरे, कच्छना ताडीआ गामे प्रति लखी. प्र.सं./४६५० परि./ १२१२ मानसागर (त. ) १ – कानड कठियारा चोपाई २.सं. १७४७; ले.सं. १८४६; हाथका गळ पत्र ८ २४४ ११.७ से.मि. कर्ता तपगच्छनी परंपरामां जीतसागरना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १८ नो (जै. गू, क., भा. ३, खं. २, पृ. १२२८). दायलाणानगरमां गंगविजयगणि> प्रताप विजयजी > पं. कुशलविजयना शिष्य जिनेन्द्रविजयजीओ प्रति लखी. प्रसौं / ४६५१ परि./८५४३ २ – कान्ह कठियारा चोपाई र सं. १७४७; ले.स. १८५९; हाथकागळ पत्र १०; २६४ ११.५ से.मि. भागीरथी (गंगा) ने तीरे मोक्षुदाबादनगरना अजिमगंजमां प्रति लख्खेली छे. प्र. सं / ४६५२ १ - - विक्रमसेनकुमार चोपाई र.सं. १७२४; ले. सं. १७५४; हाथकागळ पत्र ३७; २६११.५ से.मि. रचना कुडे (कुंवरनयर) मां थई जंबुसरनगरमा पं. रविजयना शिष्य प आणंदविजये प्रति लखी. परि / २२१९ प्र.सं./ ४६५३ परि. / ७१०० २ -- विक्रमादित्य सुत विक्रमसेनकुमार चोपाई २.स. १७२४; ले.स. १७८४; हाथका गळ पत्र २८; २६-२४११.५ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी. पं. कमलसागर > पं खीमासागरना गुरुबंधु भाणसागरना धार्मिकअजा (Spiritual Nephew ) धनदसागरना गुरभाई मानसागरना सहवासी खुशालसागरे गोठड़ा गामे प्रति लखी, प्र.सं./४६५४ परि. / ४२५७ Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंउद ५७१ मालमुनि देवदत्त चोपाई ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २६.८४११ से.मि. कर्ता-वि.सं. १७ना उत्तरार्धमां थयेला कवि छे. (जै. गू क., भा. १, पृ. ४६४). फत्तेपुरसी कि ५. सूर्य विजये प्रति लखी. प्र.स./४६५५ परि./५२२१ मालदे बुहरा नदीश्वरपद्वीप चोपाई ले.स. १"मु शतक (अनु.; हाथकागळ पत्र १; २६४११ से.मि. पद्य ,४. कर्ता--कोई श्री देवसुंदरसूरिना शिष्य छे. (गा. .४) प्र.स./४६५६ परि./४५०० मालदेव (व.) १-~-पुरंदर चतुष्पदी र स. ७भु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र । थी १६; २६.५४११.७ से.मि. पद्य ३५६. कर्ता--वडगच्छना भावदेवसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७मी सदीना उत्तरार्धनो. (जे. गू. क., भा. १, पृ. ३०५). प्र.स./४६५७ परि./३३११/१ २--पुरंदर चोपाई र.सं. १६५२ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २५.५४११.३ से.मि. ग्रंथान ४५१. प्र.स./४६५८ परि./५१२८ यशोवर्धन (ख.) चंदनमलयागिरि चोपाई र.स. १७४७; ले.स. १८०९; हाथका गळ पत्र १५; २६४ ११ से.मि. तूटक. ___कर्ता--खरतरगच्छना खेमशाखाना सुगुणकीर्तिनी परंपरामां रत्नवल्लभना शिष्य छे. (जे. गू क., भा. २, पृ. ३७८.) प्रथम पत्र नथी. ऋषि दलाजीओ शिवगढमां प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/४६५९ परि./३५६१ रत्नसुंदर (पो.) १-.-शुकबहुतरी कथा चोपाई र.स. १६३८ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ४४ : २६.१४११.२ से.मि. अपूर्ण ९३८ पद्य सुधी. कर्ता--पौर्णिमा गच्छना गुणमेरुसूरिना शिष्य छे अमनो समय वि.सं. १७ना पूर्वार्धनो छे. (जै. गृ. क. भा. १, पृ. २३०). प्र.स./४६६० परि./८४३६ Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७२ चउपई २---शुकबहुत्तरी चोपाई र.से १६३८ ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६७; २४.२४०.३ से.मि. प्र.स./४६६१ परि./६५३६ (रवसी ऋषि) नवतत्त्व चोपाई र.स. १७६६ ले.स. १८७४; हाथकागळ पत्र २ थी १८: १५.५४९.७ से.मि. गाथा १३६ तूटक. ____ कतार्नु नाम प्रतिमां खोटु लखेलु छे. जुओ परि /८५०१; प्र.सं. ४६८५ अने प्र तुत प्रतिनु पत्र १७मु; 11 मु. पत्र १लु नथी. मांधातानगरमां प्रति लखेली छे. प्र.सं./४६६२ परि./८६५२ लक्ष्मीकल्लोल (त.) व्यवहार चोपाई ले सौं १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ७मुं; २४.३४११.५ से.मि. पद्य १६. ___ कर्ता--तपगच्छना हर्षकल्लोलना शिष्य छे. (जै. सा. इति. पृ. ५२०, फकरो ७६१). अमने वि.सं. १६ मा मूकेला छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६४२). प्र.स./४६६३ परि /२५१८/८ लक्ष्मीप्रभ (ना.) पुण्यसार चोपाई ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.७४11 से.मि. कर्ता--नाहटावंशमां कनकसोभना शिष्य छे. (जै. गू क. भा. ३, स्त्र. १, पृ. ९७७). आ रचना नै गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स/४६६४ परि./४१५१ लक्ष्मीवल्लभ (ख.) दान-शील चोपाई ले.स. १८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.३४११.७ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छना लक्ष्मीकीर्तिनी परंपरामां सोमहर्षना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७२" नी रचना नेधा येली छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. : ४३). ___आग्रापुरीमा मौक्तिक कटकमां प. क्षमासमुद्र मुनिले प्रति लखी. प्र.स./४६६५ प्ररि./६१६० --पंचदंड चतनदी र.स . १७२७; ले.सं. १७९४; हाथकागळ पत्र ७० २५.५४११.४ मे.भि. ग्रंथान ३१६८. . ऋषभविजय मुनि प्रति लखी. प्र.स./४६६६ परि./४२६६ २--पंचदंड चतुष्पदी र.सं १७२७; ले.सं. १८३०; हाथकागळ पत्र ७४; २५.२४११ से मि. विकानेर(बीकानेर)मा प्रति लखेली छे. प्र.सं/४६६७ परि./४३७३ Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंपई लक्ष्मीसुंदर (त.) पुण्यसार चोपाई--र.स. १७६७; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३; २४.३४१० से.भि. पद्य ४५९ तूटक. कर्ता--तपगच्छना दीपसुंदर>चतुरसुंदरना शिष्य छे. आमना समय वि.सं. १८मीनों छे. (प. ४५०) रचना मारदा गामे थई. पत्र १७मु नथी. प्र.सं./४६६८ परि.७१४५ लब्धिउदयगणि (लब्धोदयगणि) (ख) पद्मिनी चोपाई र.स. १७०७; ले.स १७९८; हाथका गळ पत्र ३५, २५ २४१० से.मि. ग्रंथान ११५७. कर्ता-खरतरगच्छा जिनामाणिक यसूरिनी पसरामां ज्ञानराजगणिना शिष्य छे. अनो समय वि.सं. १८मा सैकाना आरंभनो (जै. गू. क. भा. २, पृ. १३४). __ माणिक्यविजयना शिष्य प, विक्रम विजये अस्टवाडा गामे प्रति लखी. प्र.स./४६६९ परि./७१२४ ललितसागर शनिश्चर चोपाई (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी १२; २४.३४११.५ से.भि. पद्य ३१ कर्ता-मात्र नाम निर्देश भळे छे. प्र.सं./४६७० परि./२५१८/१४ लाभवर्धन (लालचद) (ख.). लोलावती चतुष्पदी र.सं. १७२८ ले.सं. १७७२; हाथकागळ पत्र ११; २५.८४११.३ से.मि. ग्रंथाग्र ६१९. कर्ता-खरतरगच्छमां साधुरंगनी परंपरामां शांतिहर्षना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८ना पूर्वार्धनो. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २१०). नवानगरमां अंचलगच्छना सहजसुंदरना शिष्य लाभश्रीमुनि प्रति लखी. प्र.स./४६७१ ___ परि./५१३३ १-विक्रमादित्य चोपाइ र.स. १७२३; ले.स. १८१०; हाथकागळ पत्र २३, २६.५४ १०.९ से.मि. तूटक पत्रलं अने २१मं नथी. देसूरी नगरमां जयतारणनगरीमा रचना थयेली छे. प्रतापविजये प्रति लखी. प्र.स/४६७२ परि./८३१३ Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७४ चंपई हाथकागळ पत्र १६; २-- विक्रमादित्य चोपाईं र.सं. १७२३; २५.३४११ से. मि. ग्रंथाग्र ६०४. फोरणामां, उपा. रत्नविजयगणि>प खीमाविजयगणिना शिष्य पं. नेमविजयगणिओ परि./२५६१ प्रति लखी. प्र.स ं./४६७३ ले. स. १७८७: चंदगण (ख.) ले. स. १६९३: हाथ कागळ पत्र ३; सनत्कुमारचक्रवर्तिचतुङपादिका २.सं. १६७५, २४.७४१०.८ से.मि. पद्य ९५. कर्ता - - खरतरगच्छना जिनसिंहसूरिनी परंपरामां हीरनंदनगणिना शिष्य छे. अमनो समय विसं. १७मा सैकानो छे. (५०९० थी ९४ ) (जै. गू. के., भा. १, पृ. ९६०). पालडीमां, ऋषि धर्मदासना शिष्य मुनि गिरधरे प्रति लखी. प्र.सं./४६७४ परि./५८०५ हरिचंदराय चोपाई २.सं. १६७९; ले.सं १७२४; हाथकागळ पत्र ३०; २६४११.५ से. मि. गाथा ८२७. बनपुरमा विनयप्रभगणिओ चोमासामां प्रति लखी. प्र स / ४६७५ लावण्य समय (त. ) १ -- गौतमपृच्छा (कर्मविपाक ) चोपाइ र.सं. १५४५; ले.स. १६मुं ं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ५ २५०५४३० से.मि. गाथा १२१. कर्ता -- तपगच्छना सोमसुंदरसूरिनी परंपरामां लक्ष्मीसागरना शिष्य छे अने ओमनो समय वि.सं. १६ना उत्तरार्धना छे. (जे. गू. क., भा. १, पृ. ५०४ थी ५१४ ). प्र. सं / ४६७६ परि. / ४७६१ परि / २११४ २- -- गौतमपृच्छा चोपाई र. सं. १५४५; ले.स. १८८०; हाथकागळ पत्र १ थी ९; २७.४४१२ से.मि. गाथा १२५. प्रतापविजये प्रति लखी. प्र.स ं./४६७७ परि./८०५/१ ३ -- गौतमपृच्छा चोपाई र. स. १५४५ ले.स. १८मु शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६; २६×११.७ से. भि. प्रति पुष्पागरी ( पोसागरी - साध्वी) नाथी माटे लखेली छे. प्र.स ं./४६७८ परि. / ३३०९ ४--- -- गौतमपृच्छा चोपाई २.सं. १५४५ ले.स. १८३३; हाथकागळ पत्र ५; २४x १००१ . मि. गाथा ११२. जयविजय गणिना शिष्य पं. तत्त्वविजये शोह सोमचंदना पुत्र नेमचंद मांटे प्रति लखी. प्र.स ं./४६७९ परि./६४९१ Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपइ ५७५ ५ -- गौतमपृच्छा चोपाई र. सं. १५४५ ले.स. 1८मु शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ७ २५४१००९ से.मि. गाथा ११२. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./४६८० परि./८९०७ ६ -- गौतमपृच्छा चोपाई २.सं. १५४५; ले.स. १९मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ८; २६.२४१५ से.मि. प्र.स ं./४६८१ परि०/१६६९ ७ - गौतमपृच्छा चोपाई २.सं. १५४५: २५४१००९ से.मि. गाथा १२३. ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ९; भाणविजय गणिना शिष्य भीमविजये प्रति लखी. प्र. स ं . / ४६८२ परि. / ४१४५ ८ — गौतमपृच्छा चोपाई २.सं. १५४५; ले. स. १६४६; हाथकागळ पत्र ५, २५४१०.५ से. मि. गाथा १२१. तपगच्छना हीरविजयसूरिना शिष्य लब्धिविजयगणिना शिष्य कुंवरविजये मादडीनगरमां प्रति लखी परि. / ४१४१ प्र. स . / ४६८३ ९ - गौतमपृच्छा चोपाई र. सं. १५४५; ले. स. १६७७; हाथकागळ पत्र ७; ११.५ से.मि. गाथा ११८. मां ऋषि विनायके प्रति लखी, प्र. सं / ४६८४ वरसिंघ (लों . ) २३.१४ नवस्व चोपाई र.सं. १७६६; ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७. २४.९४११०२ से.मि. गाथा १८ थी १६६ तूटक. परि/२२५३ कर्ता — लोकागच्छमां तेजसिंहनी परंपरामां कान्हजी आचार्यना शासनमां दाममुनिना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १८ मा शतकना उत्तरार्धनो छे. आ कर्ता कयांय नायेला नथी. कृतिनी रचना कालावङयां थई छे. पत्र १लुं नथी ऋषि रणछाडजीभे कंकणपुरमां प्रति लखी. प्र.सं./४६८५ परि./८५०१ Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई वस्तिग १-. चतुर्गति चोपाई ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५४१.५ से.मि. गथा ९७. कर्ता-रत्नप्रभसूरिनाशिष्य छे. आ रचनानी वहेलामां वहेली प्रति सं. १४६२ मां लखाअली छे. वस्तुपाल-वस्ता अ नामे पण आळखाय छे. (जै. गू क., भा. 1, पृ ४२४). प्र.स/४६८६ परि/३८३४ २---चतुर्गति स्वरूप चोपाई ले.स. १६९ (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २५४ १०.५ से.मि. गाथा ९६ प्रति जीर्ण के. प्र.सं./४६८७ परि./४ १३५/१ ३-चिंहुगति चौपाई ले.स. १७४ (अनु.); हाथका गळ पत्र ६; १८४८.५ से.मि. गाथा ९६ तूटक पत्र ५९ नथी. प्र.स ./४६८५ परि./८२०७ ४--चतुर्गति चोपाई ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९० थी १९३; २४४९.९ से.मि. प्र.स./४६८९ परि./- ६०१/१२५ विजयशेखर (आं). सुरसुदरी चोपाई ले.स. १६१२; हाथकागळ पत्र २८ थी ४३, २६.५४११.५ से.मि. कर्ता-आंचलीकच्छना सत्यशेखरनी परंपरामां बिनय शेखर अने विवेकशेखरना शिष्य छ. अभनो समय वि.स. १७ना उत्तरार्धनो (जै. गू. क. भा. १, पृ १००३). वणथली (वथली)मां भावशेखर गणि (अचलगच्छ) प्रति लखी.. प्र.स./४६९० परि./४४६०/ विद्यारुचि (त.) चंद्रनृप चोपाइ र.स १७११ थी '१७; ले.स. १७७४; हाथकागळ पत्र ३८; २५४१०.८ से.मि. कर्ता-तपगच्छना उदयरुचिनी परंपरामां हर्षरुचिना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १८मी नो छे. (जै. गू. के भा. ३, ख. २, पृ. १२०४). . ... ऋषि कल्याणे बिलाडानगरमां प्रति लखी छे. प्र.स./४६९१ परि./७९३८ Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपइ परि.१३७१४ विनयदेवसूरी (पा.) पंचमी पर्युषणा पर्वस्थापना चौपाई ले.सं. १६६०; हाथका गळ पत्र ३, २५.२४११ से.मि. पद्य १०६ कर्ता-पार्श्वचंद्र गच्छना स्थापक पार्श्वचंद्रना शिष्य छे. अमनो समय--जन्म वि.सं. १५६८ स्वर्गवास वि.सं. १६४६; (जै. गू. क. भा. १, पृ. १५२). . प्र.स./४६९२ _परि./२६२७ विनयसमुद्र उपा. (उ.) १-पद्मचरित चोपाई * र.स. १६८४, ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी :९; २६.३४१०.८ से.मि. पद्य १३७४. कर्ता-उपकेशगच्छना सिद्धसूरिनी परंपरामां हर्षसमुद्ना शिष्य छे. अमने। समय वि.सं. १७मी सदीना आरंभनो (जै. गू. क., भा. ३, ख. २, पृ. १३८). ___ * 'सीता सती चोपाई ' पण कद्देवामां आवे छे. प्रसं/४६९३ परि/५९८०/१ २-पद्मचरित चोपाई र.सं. १६०४; ले.सं. १६६६; हाथकागळ पत्र ४३; २६.२४१००८ से.मि. विक्रमनगरमा ५. लक्ष्मीमेरुओ कूप माटे प्रति लखी. पत्र ४२मु बेवडायु छे.. प्र.सं./४६९४ मृगांक लेखा चतुष्पदी र.सं. १६०२; ले.स. १६४०; हाथकागळ पत्र ११; २५.७४ .१०.२ से.मि. पद्य २४६. रचना बीकानेरमा थई. बर्हानपुरमा शोभा माटे ऋषि मेघा से प्रति लखी. प्र.स./४६९५ ___परि/८५९६ - रोहिणीआचोरमुनिचतुष्पदी र.सं. १६०५; ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.5x11.५ से.मि. सिद्धसूरिना शिष्य मेहाओ प्रति लखी. प्र.स./४६९६ परि./४३०६ वीरजीमुनि (पा.) 1-जंबूपृच्छा चोपाई र.सं. १७२८, ले.सं. १८६६; हाथकागळ पत्र १ थी ९; २३.५४१२ से.मि. ढाळ १३ तूटक. ___ कर्ता-पायचंद गच्छना वाचक देवचंदना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मानो पूर्वार्ध गणाय. (जै. गू. क. भा ३, ख २, पृ. १२६१). रचना स्थळ पाटण, ज्ञानमुनिना सहवासी पं, ललित विजये विसलगगर(विसनगर मां प्रति लखी. पत्र १लु नथी, प्र.सं./१६९७ - परि./११२१/१ Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७८ घउप २-जंबूपृच्छा चोपाई र सं. १७२८ ले.स. १९मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९९; २७.७४१२ से.मि. रचनास्थळ पाटण. प्र.स./१६९८ परि./७२२ वीरसुंदर अनन्तकीर्ति चोपाई ले.स. १६५४; हाथकागळ पत्र १; २५.३४१०.४ से.मि. तूटक. कर्ता-परिचय अप्राप्य. पत्रो १ थी ५मु नथी. मुनि पूर्णिमापक्षना विमलचंद्रसूरि>वाचनाचार्य कर्मसुंदरना शिष्य मुनि विमलसी देवजीक्षे प्रति लखी. प्रस./१६९९ __परि./४७३९ वेलुमुनि (वेलामुनि) (त.) १- नवतत्त्व चोपाई र.सं. १६२२ पहेला; ले.सं. १६५७; हाथकागळ पत्र ९; २४.५४१०.५ से.मि. गाथा १८२. ___ कर्ता-तपगच्छना विजयदानसरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मीना पूर्वार्धनेा गणाय. (जे. गू, क. भा. ३, खं १, पृ. ७०३). वरपद्र(वडोदरा)मा प्रति लखेली छे. प्र.स./४७०० परि./४९७७ २-नवतत्त्व जोडी र.स. १६२२ पहेला; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.३४१०.५ से.मि. गाथा १४५. प्र.स./४७०१ परि./४४७१ शालिसृरि (पू.) महाभारत विराटपर्व चोपाई ले.स. १५७५; हाथका गळ पत्र १२५थी १३०; २.9x11.७ से.मि. पद्य १८२. कर्ता-पूर्णिमागच्छना वि.सं. १५ना आर भमां गणा येला छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ४१३-४१४). सीरोही पासेना धाणाता गामे पूर्णिमा पक्षना कच्छालीवाल गच्छना विजयप्रभ> विद्यासागरसूरि>लक्ष्मीतिलकसूरिना शिष्य लब्धिसागरे प्रति लखी. प्र.स/४७०२ परि./८४६०/७५ शांतिसूरि (सां.) नवकार चउपइ ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २९.३४११.१ से.मि. गाथा १५०. कर्ता-सोळमी सदीना सांडेरगच्छमां आम्रदेवसूरिना शिष्य छे. (जे. गू. क., भा. १, पृ. ५१८). जुओ परि. १४०६, अटले 'इति श्री शांतिसूरिणा (लिपि) कृता अम हे।वानु अनुमान छे. प्र.सं./४७०३ परि./१४०६ Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ દ્વિવવ ५७९ शिवकलश (उ.) ऋषिदत्ता महासती चौपई ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.६x १०.८ से.मि. पद्य ३०३. कर्ता--उपकेशगच्छना पाठक श्री. देवकुमार>कर्मसागरना शिष्य. उपा. जयवंतना शिष्य छे. (पद्य २९९-३००) धवलीनगरमां महाविजये प्रति लखी. प्र.स./४७०४ परि./६१२८ शिवलालऋषि (पू.) महाशतक श्रावक चोपाई . ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६.३४१२.२ से.मि. ___ कर्ता-पूनमीयागच्छमां अनोपचंद्रनी परंपरामां पन्नालालना शिष्य छे. . वि सं. १९नो भेमनेा समय छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १६४). __ आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. विरखूटि माटे विकानेरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./४७०५ परि./२३४४ समयध्वज उपा. सीतासती चोपाई र.स. १६११, ले.स. १६१४; हाथकागळ पत्र १६; २६.२४११.५ से.मि, कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे (जै. गू, क. भा. ३, ख १. पृ. ६६५) श्रीमाळि ज्ञातिनी श्राविका गूढा माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./४७०६ परि./२९२६ समयसुंदर (ख.) चंपक श्रेष्ठि चतुष्पदी र.सं. १६९५; ले.स. १७१७: हाथकागळ पत्र १४; २५४१०.८ गाथा ३१५, ढाळ २०; ग्रंथाग्र ६५५. कर्ता-खरतगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना सकलचंद्रना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७ना उत्तरार्ध छे. (ज. गू. क. भा. १, पृ. ३३१) कृति जालोरमां रचाई. पूर्णिमापक्षना विनयप्रभसूरिओ पत्तन(पाटण)मां प्रति लखी. प्र.सं./४७०७ परि./१२०७ १-प्रत्येक बुद्ध चोपाई (करकंडु प्रत्येक बुद्ध चोपाई) र.स. १६६५; ले.सं. १७०१; हाथकागळ पत्र १ थी ६; २४.८४१०.५ से.मि. गाथा १८७ तूटक. - पत्र १लु नथी. बीजी डाळनी १३ मी कडीथी कृति मळे छे. रचना आग्रामां थयेली छे.. प्र.स./४७०८ परि./६५२० २-प्रत्येकबुद्ध चोपाई ( करकंडु प्रत्येकबुद्ध चोपाई) र.स. १६६५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५४११.३ से.मि. . प्र.स./४७०९ परि./२६२८ Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८० ३~~(चार) प्रत्येकबुद्ध चोपाई २६४११ से. मि. ग्रंथाग्र १२०० . प्र.सं./४७११ प्र.सौं /४७१० परि. / ४४३६ ४ - प्रत्येकबुद्ध चतुष्क चोपाई र. सं. १६६५, ले. स. १७२७, हाथकागळ पत्र ३२; २६११.२ से.मि. पथ २५०. मुनि हर्षविजय माटे दोहपुरतां मुक्तिविजयगणिना शिष्य रामविजयगणित्रे प्रति लखी. परि./८०८३ हाथकागळ पत्र २६; ५- प्रत्येकबुद्ध चोपाईं २५.८४१०.८ से.मि. तूटक पत्र ८, ९ नथी. प्र.सं./४७१२ बर्हानपुरमा विनयप्रभसूरिओ प्रति लखी. .स. १६६५, ले.स. १६७०, हाथकाग पत्र २०; २.सं. १६६५; ६ - प्रत्येकबुद्ध प्रबंध (रास) चोपाई र. सं. १६६५ ले स. १७२७; २९; २६-३×११.७ से.मि. पद्य १३००. हाजीपुर पत्तनमां प्रति लखेली छे. ले. स. १७३५ प्र.सं./४७१३ 19 - (चार) प्रत्येकबुद्ध चोपाई र. सं. १६६५; ले. सं. १६७२; २६.५४११ से. मि. ग्रंथाग्रं १२५०. स्तंभतीर्थ (खंभात) ना जोशी शवजीओ लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४७६७ चउपह प्र.सं./४७१४ परि./८८२१ १ - प्रियमेलक (सिंहलसुत) चोपाई र. सं. १६७२; ले.स ं. १७२४; हाथकागळ पत्र १३; २५.८x११ से.मि. रचना मेडतामां थयेली छे. स्तंभतीर्थ (खंभात) मां सौम्यार्णव मुनिओ प्रति लखी. परि / ६०४९, हाथकागळ पत्र प्र.स ं./४७१५ परि./३८१४ २ - प्रियमेलक ( सिंहलत ) चोपाई र.सं. १६७२: ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५-५४११.५ से.मि. रचना - स्थळ मेडता, प्रति जीण छे. परि./३९७२ हाथकागळ पत्र ४५; प्र.स ं./४७१६ परि०/१८१२ ३ - प्रियमेलक तीर्थ (सिंहलसुत) चोपाई र.सं. १६७२; ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १०; २५४११ से.मि. पद्य २३० रचनास्थळ मेडता कद्देवाय छे. परि./३६८२ Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपइ ५८१ ४ - प्रियमेलक ( सिंहलसुत) चोपाई र.स. १६७२; ले.स. १६८० हाथकागळ पत्र ९; २५.३११.२ से.मि. पद्य २३०. रचनास्थळ मेडता प्र.सं./४७१८ परि./५३८३ ५ - प्रियमेलक ( सिंहलसुत) चोपाई २. स. १६७२ ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १० २६×११ से. मि. ग्रंथाग्र ३०५. रचना स्थळ मेहता. प्र.स ं./४७१९ परि. / ५८९२ १ - रामसीता चोपाई र. सं. १६८७, ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७१; २५.४४११.४ से.मि. तूटक. रचना मेडतामां थई छे. प्रति जीर्ण छे. पत्र १८, २७, ४०, ४१, ४३, ४४, ४६, ४८, ५०, ५१, ६१ थी ६४, ७० नथी. प्र.सं./४७२० परि० / ४२३८ २ - रामसीता चोपाई र. स. १६८७ ले. सं. १७२६, हाथकागळ पत्र ९१६ २६×१०.६ से. मि. ग्रंथाम ३७००; ढाळ ६३ तूटक प्रति जीर्ण छे. पत्रो— २९, ५०थी ५५; ६८; ७० ७२; ७७थी ७९; ८६६ ९७ नथी - जिनकुशलसूरिनी कृपाथी खारीक गामे क्षेमशाखाना म. म. जयसोम > विजय तिलकगणि> पं. तिलकप्रमोदना शिष्य पं. सौभाग्यविशाले प्रति लखी. प्र.सं./४७२१ परि. / ४६८० ३ - रामसीता चोपाई २.सं. १६८७; ले.स. १७२५: हाथकागळ पत्र ८०; २५.८४ ११.३ से. मि. ग्रंथाग्र ७९५५. रचना स्थळ मेडता. बहनपुर पूर्णिमापक्षना प्रधानशाखाना विनयप्रभसूरिओ प्रति लखी. प्र.स ं./४७२२ परि. / ४१४४ ४ - रामसीता रास चउपइबद्ध २. सं. १६८७; ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १६; २५-७×१०-७ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./४७२३ परि/४९५९ ५ - रामसीता प्रबन्ध चोपाई २. स. १६८७; ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १११ ; २६-२४१२.८ से.मि. पद्य ४००१. रचना स्थळ मेडता, प्र.सं./४७२४ परि./७५१० Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८२ चउपई ६-रामसीता चोपाई २.स.१६८७; ले.स. १८२७, हाथकागळ पत्र ७८; २६.५४११.३ से.मि. गाथा २४१७, ग्रंथान ३७००. रचनास्थळ मेडता. सथलाणा गामे आर्या केसरजी> फतुजीनी शिष्या लीखमा(लक्ष्मी) प्रति लखी. प्र.सं /४७२५ परि./७९१९ ७-रामसीता नवखंड चोपाई र.स. १६८७, ले.सं. १७७१; हाथकागळ पत्र ७४; २६.२४११.३ से.मि. पद्य २४ १२. रचनास्थळ मेडता. मेसाणा (महेसाणा)मां पं देवविजयगणिना शिष्य कांतिविजयगणिो प्रति लखी. प्र.स./४७२६ परि./४८३२ १-वल्कलचीरी चोपाई र.सं १६८१; ले.सं. १६९४: हाथकागळ पत्र १४; २५.८४ ११ मे.मि. पद्य २२६. रचना जेसलमेरमा थई छे. अंचलगच्छना कल्याणसागरसूरि शिष्य हेमसागरे राजनगर(अमदावाद)मां प्रति लखी. प्र.सं./४७२७ परि./५१७९ २-वल्कलचीरी चोपाई र.सं. १६८१; ले.स. १७२४; हाथकागळ पत्र १०, २५.८४ १०.८ से मि. पद्य २२६ तूटक. रचनास्थक जेसलमेर. पत्र न. ३ नथी. साध्वी रत्नमाला अने लाभामाला माटे, वाचनाचार्य भाग्यसमुद्रना शिष्य भावनिधाने प्रति लखी. प्र.स./४७२८ - परि./७८६६ व्यवहारशुद्धि चोपाई र.स. १६९६: ले.स. १७५१: हाथकागळ पत्र. १ थी ७; २५४१००८ से.मि. ढाळ ९. रचना अहमदाबाद(अमदावाद)मां थई छे. बुद्धिशेखर>राजशेखरना शिष्य मुनि वृद्धिशेखरे प्रति लखी. प्र.स./४७२९ परि./१२१९/१ सर्वानन्दसूरि अभयकुमार चरित्र चोपाई ले.स. १५७६: हाथकागळ पत्र १३१ थी १४२; २७४१.१.७ से.मि. पद्य ३०४. कर्ता-वि.सं. १५मां थयेला होवानु अनुमान छे. (जै गू क. भा. १, पृ. ३५). सीरोहोनगरमां जगमालरावना राज्यकाळमां पूर्णिमापक्ष व.छोलीवालगच्छ द्वितीय शाखाना विद्यासागरसूरि>लक्ष्मीतिलकरिना शिष्य कर्मसुंदरे प्रति लखी.. प्र.स./४७३० परि./८४६०/७६ Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घउपई मंगलकलशचरित्र चोपाई ले.सं. १५:४: हाथकागळ पत्र ६२ थी ६७: २७४११.७ से.मि. पद्य १३५. प्र.सं./४७३१ परि /८५६०/२९ संघविजय (त.) १-सिंहासन बत्रीसी चोपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ९९, २६.11 से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपराना गुणविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६मा सैकाना उत्तरार्धनो छे. (ज. गू. क. भा. १, पृ. ४७४). __ पत्र न. ९६ नथी. तपागच्छीय पं. देवविजयगणिमा पुत्र तेजविजयगणिमे प्रति लखी. प्र.स ./४७३२ परि./३1४८ २-सिंहासनबत्रीसी चोपाई ले.स. १७९९; हाथकागळ पत्र ६१; २५.४४११.४ से.मि. पद्य १७००. खेटकपुरनी बाजुमां आवेला रसूलपुरमां; राजविजयसूरिंगच्छना पं. जिनरत्नगणिना शिष्य प्रीतिरन्नमुनिले प्रति लखी. . प्र.स./४७३३ परि./४८२८. ३-सिंहासनबत्रीसी (रास) चउपइ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६३; २५.८४११ से.मि. तूटक. पत्र पलु नथी. प्र.सं./४७३४ परि/१८९२ संयममूर्ति (वि.) ___ कलावती चोपाई र.स. १५९४; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२थी १९; २५४११ से.मि. पद्य २१४. कर्ता-विधिपक्षगच्छना कमलमेरुना शिष्य छे. अमने। समय वि.स. १६मा शतकनेा (ज. गू. क., भा. ३, ख. १, पृ. ६०४). प्रति जीण छे. प्र.स./४७३५ परि./८८७८/२ साधुहंसमुनि (त.) १-शालिभद्र चोपाई र.स. १४५५; ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६४१०.८ से.मि. गाथा २१९. कर्ता-तपगच्छमां जिनशेखरसूरिनी परंपराना जिनरत्नमरिना शिष्य छे. मना समय : वि.स. १५मी सदीना उत्तरार्धना छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. २२). प्र.स./४७३६ परि./३७१६ २-शालीभद्र धन्ना चोपाई र.स. १४५५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; १७.५४१०.२ से.मि. पद्य २०९. ... प्रस../४७३७ परि./८२३१ Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४ चउप ३-शालिभद्र चौपाई र.सं. १४५५; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २०४११.४ से.मि. तूटक। पत्र न. १२ नथी, प्र.सं./४७३८ परि./२७७७ सारंगकवि (म.) बिल्हण पंचाशिका चतुष्पदी र.स. १६३९; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.३४११.३ से.मि. गाथा ४१२. ___कर्ता-मडाहडगच्छमां ज्ञानसागरसूरिनी परंपराना पद्मसुंदरना गुरुभाई गाविंदना शिष्य . छे. अमनो समय वि.सं. १७मो सैको छे. (जै. गू, क. भा. १. पृ. ३०३). रचना स्थळ बीजावालपुर. रामजीऋषिना शिष्य वीरजीमुनिले प्रति लखी. प्र.स./४७३९ परि./१९८० सावंतऋषि मदनसेना चोपाई र.स. १८९८; ले.स. १९०७; हाथकागळ पत्र २६; २५.३४11.७ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (जै. गू. क., भा. ३, ख. १, पृ. ३२१). रचना स्थक बिकानेर, राजाणिवाडा (बिकनेर)मां कल्याणजी>(१) मानामलजी (२) ज्ञानमलजीना शिध्य यति किसने प्रति लखी. प्र.स./४७४० परि./२५५० सिद्धसूरि (वि.) सिहासन बत्रीसी कथा चोपाई र.स. १६१६; ले.स. १७००; हाथकागळ पत्र ४३; २५४१०.५ से.मि. गाथा २१४५. ____ कर्ता-विचंदणिकगच्छमां देवगुप्तरिनी परंपराना जयसागरना शिध्य छे. अमनो समय वि.सं. १७मो शतक. (जे. गू. क. भा. १, पृ. २०५). स्थना बारेजा (अमदावाद पासे)मां थई छे. लेखनस्थळ सिद्धपुर. प्र.स./४७४१ परि./६११० सुमतिकीर्तिसूरि (दि.) १-ौलोक्यसार चोपाई र.स. १६२७; ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र ५, २५.५४ ११.१ से.मि. कर्ता-दिगंबर संप्रदायना मूलसंघना लक्ष्मीचंनी परिपाटीमां प्रभाचंदना शिष्य छे. वि.स. १७ना कवि छे. (जै. गू. क, भा. ३, ख. १, पृ. ७१.). अहम्मदपुरमां लक्ष्मीशेखर माटे प. बुद्धिशेखर अने राजशेखरे प्रति लखी. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४७१२ . परि/५९७९ Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई ५८५ २- त्रैलोक्यसार चोपाई र.स. १६२७; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.४४११.२ से.मि. प्र.स./४७४३ परि./२२६१ सुमतिप्रभ (पि) अजा पुत्र चोपाई र.स. १८२२; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५०; २६४११.२ से.मि. ढाळ ४८. .. कर्ता-पिंपलगच्छना लक्ष्मीसागरसूरिनी परंपरामा पुण्यसागर वाचकथी ३ जा अमरप्रभसूरि वाचकना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मा शतकनो छे. (ढाळ ४८; पत्र ५०मुं) प्र.स./४६४४ परि./७४५१ सेवक (वि.) पिण्डैषणा चोपाई र.स. १५९७; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४११.३ से.मि. पद्य १४२. कर्ता-विधिपक्षगच्छमां सालिगऋषिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६ नो छे. (प. १४१-४२) प्र.स./४७४५ परि./५३५६ सेवक सीता चोपाई (शील प्रबंध) र.सं. १६२८; ले.सं. १६८३; हाथलागळ पत्र १८; २३.५४१० से.मि तूटक. कर्ता-आ सेवक कोई बीजा लागे छे. साह (शाह) चोखाना कहेवाथी कृति रचाइ. रचना स्थळ रिणथंभ (रणस्तंभ). पत्रो १४ थी १७ नथी. प्र.सं./४७४६ परि./७२३२ सौभाग्यसुंदरगणि (ख.) देवकुमार चौपाई र.स. १६२७; ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.५४१०.७ से.मि. पद्य ३३७. कर्ता-खरतरगच्छमां जिनदेवसूरिनी परंपरामा देवसमुद्रमुनिना शिष्य छे. अमनो समय र.स. प्रमाणे वि.सं. १७ (प. ३३४-'३७). रचना मेदिनीपुरमां थई.. प्र.सं./४७४७ परि./८४४५ हर्षकुल (हर्षकलश) (त.) १-वसुदेव चौपाई र.स. १५५७ ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ५१ थी ६१; २७४११.७ से.मि. पद्य ३६०. कर्ता-तपगच्छमां हेमविमलसूरिनी परंपराना कुलचरणना शिष्य छे. (जै गू. क , भा. १, पृ. १०२). अमनो समय वि.सं. १६नो छे. रचना लासनगरमां थई. सीरोहीनगरमां, विद्यासागरसूरि>लक्ष्मीतिलकसूरिना कर्मसुंदरसूरिसे प्रति लखी.. प्र.स./४७४८ परि./८४६०/२७ Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८६ चउपइ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २--वसुदेव चतुष्पदिका र.सं. १५५७; ले.स. १७९ ४६ थी ५९; २५४११ से.मि. पद्य ३४४. रचना स्थळ लासनगर. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४७४९ परि /८८७०/५ हर्षमूर्ति (भा.) गौतमपृच्छा चउपइ र.स. १५६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४१२ से.मि. गाथा ९०. ____ कर्ता-भावडगच्छीय भावदेवसूरिनी परंपरामा विजयसिंहसूरिना शिष्य छे. अमनो समय विसं. १६ना उत्तरार्धनो गणाय. (जै. गू क. भा. ३, खं. १, पृ. ५३०). आ रचना जे. गू. ल.मां नांधायेली नथी. रचना नउडानगरमां थई छे. प्र.स./४७५० प.ि/२३५२ हर्षविजय अढारनातरा चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २५.९४११ से.मि. पद्य १८. ___ कर्ता--नाम निर्देश मात्र मळे छे. (प. १८). प्र.सं./५७५१ परि./४४७५/१ हीरकलश (ख.) आराधना चोपाई (पंचक) र.स. १६२३; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७: २६४११ से.मि. पद्य ८४. ___कर्ता-खरतरगच्छना हर्षप्रभना शिष्य छे. अमनो सभय वि.सं. १७. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १ अने २ अनुक्रमे पृ. ७२५; १५१०). प्र.सं./४७५२ परि./५८५३ हेमरत्नसूरि (पौ.) लीलावती चोपाई र.स. १६०३ ले.सं. १७०२; हाथकागळ पत्र १७, २५४१०.८ से.मि. तूटक. . कर्ता-पूर्णिमागच्छमां देवतिलकसूरिनी परंपरामां राजगणिना शिष्य, वि.सं. १७ मां थया. (ज. गू. क. भा. १, पृ. २०७). पत्र लुं नथी. खरतर गच्छे क्षेमशाखाना उपा. इश्वरजी>वीका जीना लखा. अमणे भोजाजीनी साथे सीरोहीमा प्रति लखी. प्र.सं./४७५३ परि./४७४७ Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंउपई अज्ञातकर्तृक गुरुना नामनो अकारादिक्रम पार्श्वचंद्रसूरिशिष्य प्रत्येकबुद्ध चोपाई ले.स. १७भु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २६४११ से.मि. प्र.सं./४७५४ __ परि./४९९१ प्रमोदमाणिक्य शिष्य वेतालपचीसी चोपाई ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७; २५.७४११ से.मि. ऋषि रूपाजी>ऋषि गंगारामना शिष्य ऋषि धर्मदासे प्रति लखी. प्र.सं./४७५५ परि./२५४४ भुवनकीर्ति खिष्य अजितनाथ चरित चतुष्पदी ले.स. १८मुशतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३; २४.२४१०.८ से.मि. पद्य २१. प्र.सं./४७५६ परि./६५३० यक्षदेबसरि शिष्य धन्यकथाचरित्रचउपइ से.मि. पद्य ३३२. प्र.सं./४७५७ ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र १०२ थी ११२, २७४११.७ परि./८४६०/६६ शुभवर्धनमूनि शिप्य १-आषाढाभूति चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११ से.मि. पद्य ५४. श्राविका लालन माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./४७५८ परि./५२३६ २-आषाढाभूति गीत चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७ थी १९; २७४११.२ से.मि. पद्य ५७. प्र.सं./४७५९ परि./२७८४/४ ३-आषाढाभूति (रास) चोपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी ८; २६४११.२ से.मि. प्र.सं./४७६० परि./२१६१/२ Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८८ ४ - आषाढभूति ढाळो चोपाईबद्ध ले. स. १५७४; हाथकागळ पत्र २५थी २७; २७४११.७ से.मि. पद्य ४७. प्र.सं./४७६३ प्र. सं / ४७६१ सोमसुंदरसूरि शिष्य देवद्रव्य चोपाई ले.सं. १५४८; हाथकागळ पत्र २; २५०३४११०३ से.मि. पद्य ४५. प्र.सं./४७६२ परि./४५०१ हर्षदन्तशिष्य कलावती चोपाई ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.७४१०.७ से.मि. पद्य ६७. प्र.सं./४७६४ प्रति जीर्ण छे. लिपिकार ऋषि मांडण. परि./५१६५ गुणसुंदरी चोपाई ले.सं. १६७८; हाथकागळ पत्र ४; २६९१०.५ से.मि. पद्य ९७. ऋषि ज्ञानमेरु अने कल्याणमेरु साथे चोमासी वास दरम्यान सिरोहीमां वा. ध्यानमेरुगणिना शिष्य ऋषि विनयमेरुगणिओ प्रति लखी. परि. / ४७५९ चउपइ प्र.सं./४७६७ अज्ञात परि./८४६०/५ अध्यात्म चोपाई ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.५×११.५ से.मि. गाथा १५१ तूटक. पत्र १लं; २जु नथी. प्र.सं./४७६५ परि. / ३१७५ १ - अनाथी ऋषि चोपाई ले.स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३; २५.८४११ से. मि. पद्य ६३. प्र.सं./ ४७६६ परि. / ४६४० २ - अनाथी अध्ययन चौपाई ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ३५ थी ३४; २७४११.५ से.मि. पद्य ६२. परि. ८४६०/१६ Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंप ५८९ ३-अनाथी मुनि चोपाई ले.स. १५#शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६.२४११.५ से.मि. पद्य ६३. __ पव १लुं नथी. प्रति जोर्ण छे. प्र.सं./४७६८ परि./३४९९ ४-अनाथी मुनि चोपाई ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६४११ से.मि. पद्य ५९. श्राविका कुंवरी माटे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स.४७६९ परि./८८०५ उखाणा विचार चोपाई ले.स. १७मुशतक (अनु.). हाथकागळ पत्र १; २६४११ से.मि. अपूर्ण पद्य ६३ सुधी. प्र.सं./४७७० परि/७०७८ काबंधी चतुर्विध चोपाई ले.स. १६९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २१३ थी २१६ २४४९.९ से.मि. पद्य ६९ प्र.सं./४७७१ परि./८६०१/१३० १-कुमति कदली कृपाणिक चोपाई (विवरण सह) ले.सं. १९३३; हाथकागळ पत्र २९; २२.३४१२.३ से.मि. गरापुरमा प्रति लखनार भोजक वनमाली भीमजी. प्र.सं./४७७२ परि./८११४ २--कुमत कंदलिका चोपाई ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लुं; २६-१४ ११.१ से.मि. पद्य १३. प्र.स./४७७३ परि./२१०४/१ कृतकर्मऋषिराज चतुष्पदी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २६.२४ १०.८ से.मि. वाचक ज्ञानशेखरगणिसे प्रति लखी, प्र.सं./४७७४ परि./४७३७ गजसिंघराज चोपाई ले.स. १६९८; हाथकागळ पत्र १९; २५.८४१०.८ से.मि. पद्य ४३१. गजेन्द्रगणि अने संघविजय माटे जयविजयमुनिओ प्रति लखी. प्र.स./४७७५ परि./६२४४ गौतमपृच्छा चोपाई र.स. १५५४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५४१०.५ से.मि. गाथा १११. प्र.स./४७७६ परि./४६६७ Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपई ढोला-मारवणी चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २१; २४.८x .. ११.२ से.मि. तूटक. पत्र 1 थी ११ नथी. प्र.सं./१७७७ परि./६४६१ चंदनबाला चतुष्पदिका ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६.२४ ११.३ से.मि. पद्य १२७. सिद्धांतसमुद्रगणिना शिष्य कमलरत्नगणिभे प्रति लखी. प्र.स./४७७८ परि./३४१ चंद्र उदायी प्रबोध चोपाई ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकामळ पत्र १९; २७x ११.५ से.मि. तूटक. प्र.स./४७७९ परि./१६५८ चंद परमली चोपाई र.स. १७७३; ले.स. १८०१3 हाथकागळ पत्र ७, २६.७४ ११.१ से.मि. प्र.स./४७८० परि./६२५ चंद-परमली चोपाई ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ३, २६.६४११.८ से.मि. प्र.स./४७८१ परि./६३८ दया दृष्टान्त चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.९४११ से.मि. पद्य १५. प्र.स./४७८२ परि./४४७५/२ देवकीनी चोपाई ले.स. १९६८, हाथकागळ पत्र १२; २५.६४११.३ से.मि. प्र.स./४७८३ परि./४६७० द्रौपदी चोपाई र.स. १४२५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६५; २३४१३ से.मि. प्र.स./४७८४ परि./८१०७ नमिराज चोपाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४११.८ से.मि. प्रेमबाई माटे, ऋषि लाडीकाजोना अनुगामी मेघजी नरसिंघ (नरसिंह) ऋषिसे प्रति लखी. प्र.सं./४७८५ परि./२५४९ नंदीश्वर चोपाई ले.स. १४७३; हाथकागळ पत्र २२मु: २६.६४११.२ से.मि. गाथा ११ प्रतिमा १ थी ३ पानां नथी. प्र.स./४७८६ परि./२८४१/२९ Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपइ ५९१ नवकार चोपाई ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २४.५x१०.४ से.मि. गाथा २८. लेखन स्थळ सीहगाम. परि. / ४२७३ नवस्व चोपाई र. सं. १५७५; ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७, २६-५४१०.५ से.मि. प्रथाय १३४५. रचना श्रीपत (पाटण) मां थयेली छे प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४७८७ प्र.सं./४७८८ परि./८८०२ परमहंस चरित चोपाई ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २४०३४ १०-२ से.मि. पद्य १२५. सुधी अपूर्ण. प्र.स ं./४७८९ परि./८५७५ प्रदेशी राजा चोपाई ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४. २६.४४११.२ से.मि. अपूर्ण. प्र.स ं./४७९० परि. / ७२८७ प्रदेशी राज चउपाइ ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ५; २६४११०३ से. मि. अपूर्ण. प्र. सं./४७९१ परि. / ७२८५ बलदेव चौपाई ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र २; २६०३४११ ०१ से.मि. पद्य ७० सुधी अपूर्ण. प्र. सं. / ४७९२ परि. / ८४१३ बार भावना चपले. स. १५७६; हाथकागळ पत्र १५८ थी १६१; २८४११ से.मि. गाथा ९६. परि०/८४६०/९० भावना चोपाई ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ६; २६-३४१०.८ से.मि. पद्य ४९. प्र.स ं./४७९४ प्र.सं./४७९३ परि. / ५३८९/२ मधुमालती चोपाई के.स. १९मु शतक (अनु.) हाथ कागळ पत्र ६५; २५-७९१२ से.मि. अपूर्ण. प्र.स ं./४७९५ परि./११३८ माधवानल कामकंदला चोपाई ले.सं. १६४६: हाथकागळ पत्र - १२; २००४ ११.३ से.मि. गुटको. परि, / २७७१. प्र.सं./४७९६ Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९२ चउगइ __ मृगापुत्र चोपाई ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.२४११.४ से मि. साह राजाओ बाइ सवीरा माटे प्रति लखी. प्र.स./४७९७ परि./३३९२ मृगांकलेखा चोपाई ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०६; २६.२४११ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी २६९; ९९, १०१ थी १०५ नथी. प्रति जीण छे. प्र.स./४७९८ परि/८८१५ रामकथा चोपाई ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९मु; २६.३४१०.८ से.मि. पद्य ५ सुधी. प्र.स./४७९९ परि./५९८ १/२ लुंका चोपाई ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र २१९ थी २२३; २८x११ से.मि. गाथा १५८ सुधी अपूर्ण. प्र.स./४८०० प्ररि./८४६०/१०९ वंकचूल चोपाई ले.स. १६२७; हाथकागळ पत्र २; २६४१०.८ से.मि, पद्य ९७. गंगा तटे वाटेरा गामे सीहासे प्रति लखी. प्र.स./४८०१ परि./३७९१ वेलण पंचाशिका चौपाई ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.७x११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./४८०२ पराि/७०२७ वैराग्य चोपाई ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१ थी ५२; २४४९.९ से.मि. गाथा १७. प्र.सं./४८०३ परि./८६०१/५५ शिवरात्रिकथा चोपाई ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.५४११ से.मि. पद्य ३४३. थुरावरगाम केसरजी> फतुनी शिष्या लक्ष्मी प्रति लखी. प्र.सं./४८०४ परि./७९०७ सम्यकत्त्व चतुष्पदी ले.स. १३मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.९४११ से.मि. पद्य २८थी ११ तूटक. पत्र पलुं नथी. ५. शुभविमलगणिना शिष्य दानविमलगणि सीणोरानगरमा प्रति लखी. प्र.स./४८०५ परि./१८३३ Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपह ५९३ साधुगुणवर्णन चोपाई ले.स. १८५३; हाथकागळ पत्र 1; २०.५४११.३ से.मि. प २३. सुरतबंदरे पं. लीखमाझे प्रति लखी. प्र.स./४८०६ परि./२७५६ साधुवदना चोपाई ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ३५ थी ४२; २७४११.७से मि प्र.स./४८०७ परि./८४६०/१७ १-सिद्धांत चोपाई ले.स. १५८५; हाथकागळ पत्र १; २५.५४१०.८ से.मि. पद्य २४. प्र.स./४८०८ परि /२५५४ २-सिद्धांत चौवीशी चोपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १; २५.८४ ११ से.मि. पद्य २४. प्र.सं /४८०९ परि..२२२० सुरप्रिय चोपाई ले.स. १६८.; हाथकागळ पत्र ३; २६४११.२ ५। ७९. आर्या पूरम माटे ऋषि वणायगे (विनायके) प्रति लखी. प्र.सं./४८१० परि./५३५५ सुरप्रिय चोपाई ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथगकाळ पत्र १ थी २; २६.२४११.३ से.मि. पश्च ७९ प्र.सं/४८११ परि./६९१४/१ सुहिगुरू चोपाई ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५२मु; २५४९.९ से.भि. पद्य १६. प्र.सं./१८१२ परि.८६०१/५६ हंसराज बच्छराजचोपाई ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथका गळ पत्र १३, २५.५४१०.९ से.मि. पद्य ५५२ सुधी अपूर्ण. प्र.स./१८१३ परि./४३६९ Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ढाळियां ईश्वरसूरि (सां.) नर्दिषेण छ ढालियां ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८४ थी ८६; २७४११.७ से.मि. पद्य ७३. कर्ता-सांडेरगच्छमां सुमतिसूरिनी परंपराना शांतिसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १६नेा छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १०५). आ रचना जै. गू, क. मां नेांधायेली नथी. " महानिशिथसूत्र'वर्णनना ६ा अध्ययन उपर आधारित. प्र.स./४८१४ परि./८४६०/३८ ऋषभदास (श्रा.) नेमिनाथ ढाल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.३४११.४ से.मि. पद्य ७०. ___ कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिने गुरू मानता श्रावक छे. (गाथा ७०) अमना समय वि.सं. १७मा शतकने। छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ४०९). प्रति जीर्ण छे.. प्र.स/४८१५ परि./२५७८. कनक कवि १-मेघकुमारनां ढालियां ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.७४११.२ . से.मि पद्य ४६. कर्ता-कोई जिनमाणिकयना शिष्य छे (प. ४६). प्र.स./४८१६ परि./५४४९ २-मेधकुमार रास ले.सं. १५९४: हाथकागळ पत्र ३: ...३४१०.९ से.मि. पद्य ४८. प्र.स./४८१७ __ परि./८७०४ ३-मेघकुमार चौढालियां ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २५.५४११ से.मि. पद्य ४९ प्र.सं/१८१८ परि./१९५८/२ ४-मेघकुमार चौढाळियां ले.स १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४१ 0.19 से.मि. पद्य ४८. प्र.स./४८१९ परि./६१८१ Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ढाळियां ५९५ गुणसागरसूरि (वि.) १-ढाळमाळा र.स. १६७६; ले.स. १७९३; हाथकागळ पत्र ९७; २५.८४११.३ से.मि. कर्ता--विजयगच्छमां विजयधर्मऋषिनी परंपरामां पद्मसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ना छे. रचना कुर्कुटेश्वर गाम मां थई. प्र.अ./४८२० परि./२२८५ २-ढाळसागर र.सं. १६७६; ले.स. १७६७: हाथकागळ पत्र ७७; २६४१०.८ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी १० नथी. गोर्यगच्छमां ऋषि गेहाजीना शिष्य मुनि तिलोके दायनद्री गामे प्रति लखी. प्र.स./४०२१ परि./७९४१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४८; ३- ढाळसागर र.स. १६६९; ले.स. १८९ २५.५४११.३ से.मि. प्र.सं / ४८२२ परि/४ २३७ जयवल्लभ (सा. पू.) मेरुदेवानी ढाळेो ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.७४१२.३ से.मि. पद्य ४५. कर्ता-साध पूर्णिमागच्छभां माणिकयसुंदरसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १६नो छे. (ज. गू, क. भा. ३, खं १, पृ. ५१७ खं. २. पृ. १४९१). ॥ रचना जै. गू क. मां नेांधायेली नथी. प्र.सं./४८२३ परि/७५२२. जिनविजय चोवीसजिन ढाळमाळा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २६४११.५ से.मि. पद्य २७. प्र.स./४८२४ परि./२४७८/१ जिनहर्षगणि (ख.) १-अभयसारमुनि डाळियां ले.स. १८२३: हाथकागळ पत्र १० थी १५; २५.२४११.५ से.मि. पद्य ७९. - कर्ता-खरतरगच्छमां गुणवर्धन उपा.ना सोमगणिनी परपरामां शांतिहर्षना शिष्य छे. समय वि.स. १८ना (जै. गू. क. भा. २, पृ. ८१.) प्र.सं./४८२५ परि./२३७७/३ Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .५९६ २ -- मेघकुमारनां ढाळियां. ले.सं. १६६०; हाथका गळ फूलाबाई श्राविका माटे पाटणमां प्रति लखाई. प्र.सं./ ४८२६ ३ - मेघकुमार ढाळियां ले.स. २० सुं शतक (अनु.) ; २७.४४१२१ से.मि. पद्य ४४. २- वयरस्वामी ढाळियां पत्र ५; २५.९४११०३ प्र. स. / ४८२९ प्र.सं./४८२७ परि. / ८२४७/२ १ - वयरस्वामी ढाळियां २.सं. १७५९; ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २७.४४१२-१ से.मि. प्र.सं./ ४८२८ 9f7./2280/1 २. सं. १७५९, ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ से.मि. प्र.स ं./४८३१ परि./८२८० ३ - वयरस्वामीनां ढाळियां ले.स. १८२३; हाथकागळ पत्र १५ थी २२; २५.२x ११.५ से.मि. ५ - वज्रस्वामि ( भास) ढाळ २५x१२ से.मि. तूटक प्र.स ं./४८३० परि./२३७७ ४ -- वज्रकुमारनी ढाळो ले.स. १९मुं शतंक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ६, २५-६४११.५ से.मि. तूटक. पत्र १, २ नथी. प्र.सं./४८३३ ढाळयां पत्र २; २४.५४११ से.मि. परि. / ६४९२ हाथकागळ पत्र ३ थी ४; १ --- कल्पसूत्र व्याख्याननी ढाळा २५x११.२ से.मि. तूटक पत्रो - १ ९ थी १२ नथी प्र. सं. / ४८३४ प्र.सं./४८३२ ज्ञानविमल (त. ) आलायाणनी ढाळ ले.स ं. १८८६; हाथका गळ पत्र ३; २६४११.५ से.मि. पद्य ६४. कर्ता- - तपगच्छना विनयविमलनी पर परामां धीरविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स ं. १६९४–१७८२ नो (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३०८ ). पादलिप्तनगरमा पं कीर्तिविजयगणि अने मातीविजय माटे जनककुशलमुनिओ परि./३९९२ लेस. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ६; परि./२४७१ प्रति लखी. परि / ७०५२ १४; ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र परि. / ६४५४ Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ढालियां ५९७ २-कल्पसूत्रनी ढाळेा ले.स. १८ मुशतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १४; २५४१२.४ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./४८३५ परि./१०९० ३ -कल्पसूत्रनी ढाळेा बालावबोध ले.स. १९९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र २००; २६.३४११.८ से.मि. अपूर्ण पत्र ६५मु डबल छे प्र.स./४३६६ परि./२३२६ ज्ञानसागर (अं) धना अणगारनी ढाळेो र.स. १७२७ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.५४17७ से.मि. पद्य ५९. कर्ता-अंचलगच्छमां गजसारसूरीनी परंपरामां माणिकयसागरना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १८मा शतकना आरंभना छे. आ रचना चोपाईमां पण जोवी. (ज. गू. क. मा. २. पृ. ५७) प्र.सं./४८३७ परि./६५६० त्रिकम (ना.) चित्रसंभूति चोढालियां ले.सं १८१८; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २१.७४११.२ से.मि. कर्ता-नागोरगच्छीय आसकर्णनी परंपरामां वाणवीरना शिष्य छे. समय वि.सं. १७ना अंतिम वर्षाना (जै. गू. क. भा. १ १ ५८८). आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र.सं./४८३८ परि./२७३२/१ देवचंद पानाचंद (श्रा.) समेत शिखर ढाळियां र स. १९२०; ले.स. १९२६; हाथकागळ पत्र २२: २६.१४१२.१ से.मि. कर्ता-विजयदेवसूरिने माननारा काई श्रावक छे. अमदावादमा खेमचंदे लखेली प्रति- बाई जडावने मळी. प्रस/४८३९ परि./८२५० पद्मतलिक (अं.) बारभावना ढाळ ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४१०.८ से.मि. पद्य '५९. कर्ता--अंचलगच्छना छे अने वि.सं. १७मी सदीमां हयात हता. (अं.दि. पृ. ३७७) ऋषि मतिवर्धने लखेली प्रति जीण छे. प्र.स/४८४० परि./७९५५ Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९८ डाळियां भावरत्न(पू.) द्वादशव्रतटीप ढाळ ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी ६८, २४.७x ११.२ से.मि. कर्ता-पूर्णिमागच्छना महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. अमना सपय वि.स. १८ना छे. (ज. गू. क. भा. २, पृ. ५०३). प्र.स./४८४१ परि./४७४५/१ मानविजय (त.) स्थूलभद्र-कोश्या बारमास ढाळेो र.स. १७.५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.८४11.३ से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छमां विजयसिंहसूरिनी परंपराना जयविजयना शिष्य छे. अमना समय . . वि.स. १८ ना आरंभना छे. (जै. गू. क., भा. २, पृ. १२८). मलकापुरीमा रचना थई छे. पत्र लु नथी. १०मा पत्रमा चित्र छे. प्र.स./१८१२ परि./८७५८ मानसागर (त.) १-सुभद्रासती चौडाळियु र.स. १७५९; ले.स. १९मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.८४११.५ से.मि. पद्य ६७. कर्ता-- तपगच्छमां विद्यासागरनी परंपराना जीतसागरना शिष्य छे. समय वि.सं १८ना छे. (जे. गू. क. भा. २, पृ २२०). आ रचना जे. गू. क.मां नेांधायेली नथी. रचना वछराजपुरमां अने लेखना गूदवचननगरमां थई. चतुरसागरे प्रति लखी. प्रस./४८४३ परि./५८४० २--सुभद्रासती चोढाळियां र.स. १७५९; ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी १३; २६४१२.१ से.मि. प्र.स./४८४४ परि./७८३७/१२ यशोविजय (त.) नवपदनी ढाळो ले.स. १८४४; हाथकागळ पत्र ३; २५.5x1१.७ से.मि. कर्ता--तपगम्छमां कल्याणविजयनी परंपराना नयविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २०). - आडिसरमा नेमविजये प्रति लखी. प्र.स./४८४५ परि./६३९२ Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ढाळियां ५९९ राजेन्द्रसोम (ल.पो.) सिद्धाचल संघ षटढालियां ले.स. १९६१; हाथकागळ पत्र १ थी ६: २१.७४१२ से.मि. कर्ता--लधुपोषालीय तत्त्वविमलसोमसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि सं. २० छे. (पत्र ६). अंचलगच्छीय प. दयासांगयना शिष्य पं. प्रतापविजयनी सूचनाथी, प्रहलादनपुर(पालणपुर)मां लखेली प्रति स्वहस्ताक्षरमां छे. प्र.स./४८४६ परि./५२४ लालचंद ऋषि विजय शेठ-विजयाशेठाणी ढाळेा र.स. १८६१; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.२४११.४ से.मि. पद्य २२. कर्ता--कोई दोलतरायना शिष्य छे (गाथा २१). रचना समयानुसार अमना समय वि.स. १९नो छे. रचनास्थळ रामपुर, प्र.स./४८४७ परि./४३३४ वीरविजय (त.) मातीशानां ढाळियां र.स. १८९३; ले.स. १९४०; हाथकागळ पत्र ५; २५.५४ १३.२ से.मि. टाळ ७, ग्रंथान ११५. ____ कर्ता--तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १९ना. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २०९). विसलनगर(विसनगर)ना भोजक हरगोविंद मोती मुंबईमां प्रति लखी. प्र.स./५८४८ परि./१८ सावंतऋषि गुणमाला सती षढाळ ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३४१०.५ से.मि. कर्ता--मात्र नामनिर्देश छ. मेमनेा समय वि.स. १८ अने १९ना संधिकाळ छे. जै. गू. क. भा. ६, ख. १, पृ. ३२१). आ रचना जै. गू क.मां नेांधायेली नथी. प्र.सं./४८४९ परि./७७१२ अज्ञातकर्तृक शुभवर्धनशिष्य (सुधर्मरूचि ?) देवकीजीनां ढाळियां ले.स. १८मुशतक (अनु); हाथकागळ पत्र ५, २६४११.३ से.मि. कर्ता--वि.सं. १७ मां नेांधायेला छे (जे. गू. क. भा. १, पृ. १०७). प्रति जीण छे. प्र.सं./४८५० परि./३५३७ Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवरसे अढार नात रानु चोढाळियु ले.स. १८९५; हाथ काग पत्र ३ थी ६; २५.५४११.६ से.मि. प्र.स./४८५१ परि./२३८५/२ गजसुकुमाल विटाळियां ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाधकागळ पत्र ७, २५.५४१०७ से.मि. मंडणऋषि माटे लखेली आ प्रतिने लाल रंगथी रगेली छे. प्र.स./४८५२ परि./२६०२ चारगतिनी ढाळेा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र ३; २३.९४१० से.मि. प्र.स./४८५३ परि./८५१६ - चेलणाजीनुं चोढाळियु ले.स. १८९५; हाथकागळ पत्र थी३, २५.५४११.६ से.मि. पूज्य श्री दालतरामजी माटे (कृष्ण गढ) किसनगढमां फूलचंदे प्रति लखी. प्र.स./१८५४ परि./२३८५/१ नवरसो उदयरत्न (त.) १-स्थूलिभद्र नवरसो र.स. १७५९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २३४१०.३ से.मि. __ कर्ता-सपगच्छना विजयराजसूरीनी परंपरामां शिवरत्नना शिष्य छे.. समय वि.सं. १८ना (जै. गू. क., भा. २, पृ. ३८३). रचना उनागामे थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४८५५ परि./६६५० २-धूलिभद्र . नवरसे। र.स. १७५१; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी.७, २६४१२ से.मि. प्र.सं./४८५६ परि./१६९५/१ ३- स्थलिभद्र नवरसा र.स. १७५९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी८; २१.७४११.२ से.मि. प्र.सं./४८५७ परि./७७७५/१ ४-स्थूलिभद्र नवरसो र.सं. १७५९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४: २५.५४१२ से.मि. प्र.स./४८५८ परि./८४२०/१ Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवरसे। ६०१ ५-स्थूलिभद्र नवरसो र.स. १७५९; ले.सं. १९१३; हाथकागळ पत्र १; ४८.५४४४.५ से.मि. चातुर्मासमां उरपाडमां राजेन्द्रना सहवासी पं. देवविजये प्रति लखी. प्र.सं./४८५९ परि./८०५७/२ ६-स्थूलिभद्र नवरसो ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; १६.८x ११.६ से.मि. ५.भोजविजये बहेडागामे प्रति लखी. प्र.स./४८६० परि./८६१६ ७- स्थूलिभद्र नवरसो ले.स. २०# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र. ७; . प्र.स./४८६१ परि./८३७४ ज्ञानसागर (अं.) 1-स्थूलिभद्र नवरसो ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५; २४.५४१ १ से.मि. ___ कर्ता-अंचलगच्छमां गजसारसूरिनी परंपरामाना माणिकयसागरना शिष्य छे. अमनो . समय वि.सं. १८मो शतक. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २०५). प्र.स./४८६२ परि./५९७० २-स्थूलिभद्र नवरसो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २२.८४९.८ से.मि. पद्य ७८. प्र.स./४८६३ परि./७७११ ३-स्थूलिभद्र नवरसो ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २५४११.४ से.मि. लालजी भीमजीले प्रति लखी. प्र.स./४८६४ परि./२३८० रूपचंद (ख.) १-नेमिनवरसो ले.स. १८७१; हाथकागळ पत्र २; २६४१२ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छमां शांतिहर्षनी पर परामां दयासिंहना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मानो छे.. (जै. गू. क, भा. ३, ख. १, पृ. ३२३). खीमेलमां मुनि लक्ष्मीविजय माटे मुनि फत्तेविजये प्रति लखी. प्र.स./४८३.५ परि./३५२० २–नेमिनाथ नवरसो ले.स.. २०# शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २; २५.२४१२.३ से.मि. पालिताणामां श्रावक हरिचंद गांधीभे प्रति लखी. प्र.स./४८६६ परि/७५७० Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ नवरसो ३–नेमराजुल नवरसो ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.७४१३.५ से.मि. प्र.सं./४८६७ परि./२४१. ४-नेमि-राजल नवरसते ले.स. १९१९, हाथकागळ पत्र १०: १२.३४८.७ से.मि. तूटक पत्र १लुनथी. दो(धो)लेरा बंदरे बाई पसीओ प्रति लखी. प्र.स/४८६८ परि./८६७८ ५-नेमनाथ नवरसगीत ले.स. १९मुंशतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४.७४ ११.५ से.मि. प्र.सं./४८६९ परि./७०८५/१ रास अजितदेवसूरि सुंदरराज रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २७४११.२ से.मि. पद्य १६८. कर्ता-वि.सं. १७मां थयेला छ. गच्छ के परंपरा नेांधेली नथी. (जै. गू. क. भा. ३ उ. १, पृ. ६७५) आ रचना जै. गू, क.मां नांधायेली नथी. प्र.सं /४८७० परि./२७८६ अभयसोम (ख.) १-मानतुंग मानवती रास चोपाई र.स. १७२७; ले.स. १७४७; हाथकागळ पत्र; ११ थो १०; २१४११.८ से मि. व कर्ता-खरतरगच्छना सातमा जिमसुंदरसूरिनी परंपरामां सोमसुंदरना शिष्य छे. समय वि.सं. १८नो (जे. ग. क भा. २, पृ. १४२) रचना. मुनि लक्ष्मीसागरे भुजनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./१८७१ परि./२७५२/९ २-मानतुंग मानवती रास र सं. १७२७; लेस. १७६२; हाथकागळ पत्र ९; २४.५४ १०.२ से.मि. खतरगच्छनी जिनभद्रशाखाना वा. हीराचंदजी>वा. यशोरंगजी अने अशोकचंदजी > मेघराजजी; अमीरचंदजी अने ताराचंदजीना सहवासो प.सुभागचंदजीओ पंचलामा प्रति लखी. प्र.सं./४८७२ परि./७१४३ Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६०३ ३ - मानतुंग - मानवती रास - र. सं. १७२७; ले.सं. १८९९; हाथकागळे पत्र ९; २५०५४ १४ से.मि. लिपिकार पाटणना भोजक फूला हरखाओ वडनगरमा प्रति लखी. प्र. सं. / ४८७३ अमरसागर (त. ) १ - रत्नचूड रास - ( र. सं. १७३२ थी १७४९ना वचगाळामां ) ले.सं. १८१९; हाथकागळ पत्र ९५; २६.५४११.२ से.मि. कर्ता — तपगच्छमां उ धर्मसागरनी परंपराना पुण्यसागरना शिष्य छे, अमनो समय वि.सं. १८ना पूर्वाधनो गणायो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १२८६) रचना माळवाना खिलचीपुरम थई छे. विजयधर्मसूरिना धर्मशासनमा, १. दर्शन विजय >> प कान्तिविजयना शिष्य पं. नायकविजये वागड देशना डुंगरपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./४८७४ परि. / ७० परं./३१३८ २ - रत्नच्ड रास - (र.स. १७३२ थी १७४९ना वचगाळामां) ले.सं. १९१४; हाथकागळ पत्र ७१; २८·७४१३.५ से मि ग्रंथा २१६०; ढाळ ६१. अहमदनगरमा प्रति लखनार वैद्य हरीचंद तेजकरण, आ प्रतिमां र.सं. १७४८ आपेला छे. परंतु जै. गू. क. भा. ३, पृ. २८६मां कोई चोक्कस वर्ष स्वीकारेलुं नथी. प्र.सं./४८७५ परि./१८८ अमृतविजय २६.२x रत्नच्ड ( प्रबन्ध ) रास ले.स. १६मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ११; २६.२४ ११.२ से.मि. प्र.सं./ ४८७६ परि०/११६१ अमृतसागर ( आं.) १ - मृगसुंदरी कथानक रास. र. सं. १७२८; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १९; २५०४×११ से.मि. पद्य ५३६. कर्ता --आंचलिक गच्छमां अमरसागरसूरिनी परंपरामां शीलसागरना शिष्य छे. ओमना समय वि.सं. १८ना पूर्वार्धना छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. २. पृ. १२७३ ) रचना सीभारइमां थई छे, जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र. सं. / ४८७७ परि./४२४९ २ - मृगसुंदरी कथानक रास. २. सं. १७२८; ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २५x१०-७ से.मि. गाथा ७७५. रचना सांभराइमां थई. प्र.सं./ ४८७८ परि./६३९६ Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६०४ आनंद(सागर) (ख.) १-अर्हन्नक रास-र.स. १७०४ ; (१७०२() * ले.सं. १७२६; हाथकागळ पत्र ५; २३.७४ १०.५ से.मि. पद्य ९३. कर्ता--खरतरगच्छमां महिमासागर सूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८ नो (५.९३) (जै. गू. क. भा. २, पृ. १२४) र.स. १७०४ वधारे संभवित छे. चारमाथी ३ प्रतमा १७०४ मळे छे. - अमरावतीमां दयारतने प्रति लखी. प्र.स/४८७९ परि./११९९ २--अर्हन्नकरास र स. १७०४(१७०२) ले.सं. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थो १३; २५.५४११.२ से.मि. प्र.स./४८८० परि./७११५/२ ३-अर्हन्नक राम. र.सं. १७०४(१७०२) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.९४९.४ से मि. मुनि देवराज माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./४८८१ परि./१२२५ ४--अर्हन्नक(ऋषि) रास. र.सं. १७०२(१७०४); ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २४.५४११.४ से.मि. पद्य ९४ तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.सं./४८८२ परि./६३५६ आज्ञासुंदर उपा. (ख). विद्याविलास रास र.स. १५१६ ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६२थी ८६; २६.३४११ से.मि. गाथा ३३४. कर्ता-खरतरगच्छना जिनवर्धनसूरिना शिष्य छे. समय वि.सं. १६मा 'सैकानो (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ४७१). सौभाग्य श्रीगणिनी शिष्या रत्नश्री माटे जयसुंदर उपा.ना शिष्य संवेगसुंदरे प्रति लखी. प्र.सं/४८८३ परि./२१९९/ आनंदमति विक्रम-खापरा चरित्र रास. र.सं. १५६३ ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकाळ पत्र ५; २५.७४११ से.मि. पद्य २०५. ___ कर्ता--कोई राजशीलने गुरु तरीके ओळखावे छे. अमनो समय वि.सं. १६नो छे. (प. २०४-२०५). तपगच्छनां कनकहीरे प्रति लखी. प्र.स./१८८४ प्ररि./८०९. Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रोसे आनंदवर्धन (ख.) १--अर्हन्नकरास र,स. १७०२(१७०४); ले.स. १७२६; हाथका गळ पत्र ४; २६४ ११.३ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छमां महिमासागरना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८ना आरंभनो (जै. गू, क. भा, २, पृ. १२४) जै. गू. क.मां नेांधायेली आ रचनानी बने प्रत जुदा जुदां वर्षा बतावे छे. (आनंदसागर अने आनंदवर्धन बने अभिन्न छे.) मेघरस्नगणिशिष्य अमररत्नगणिमे प्रति लखी. प्र.स./४८८५ परि./६७५९ २---अर्हन्नक रास र.स. १७०२ (१७०४); ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २५.७४११ से मि. प्र.स./४८८६ परि./५३७५/१ ३-अरणिकमुनि रास र.स. १७०४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २३.५४११.२ से.मि. पद्य ९४. प्र.सं./४.८७ परि./८५९० उत्तमविजय (त) १-टुढकरास र.स. १८७८; ले.सं. १८८८; हाथकागळ पत्र ८; २७४१२ से.मि. कर्ता--तगगच्छना विमलविजयनी परंपरामा खुशालविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १९मीने। (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, १, २९५). रचना राधनपुरमां थई. कस्तूरसागरे लखेली आ प्रति साध्वी जीवश्री अने नवधीजीनी मालिकी छे. प्र.स./४८८८ परि./६७२७ २--टुंढकरासो र.स. १८७८; ले.स. २० मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २७.९४१३.३ से.मि. रचना राधनपुरमा थई. लहिया बारोट नारण नथुजीमे प्रति लखी. प्र.स./४८८९ परि./८३६९ ३–ढुंढकरास (लुपकलोपक तपागच्छ ज्योत्सचिवर्णन) रास र.स. १८७८: ले.स. १९३६; हाथकागळ पत्र ६; २७.५४१३ से.मि. रचना राधनपुरमा थई. प्र.सं./४८९० परि./७४३७ Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास उदयकुशल माणिभद्र यक्षरास ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २२.१४९.३ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./४८९१ परि./८६९९/१ उदयरत्न (त.) १-अष्टप्रकारी पूजा रास र.सं. १७५५; ले.सं. १७६२; हाथकागळ पत्र ८१; २४.२४१०.७ से.मि. ग्रंथाग्र २९०५; ढाळ ७८ तूटक कर्ता--तपगच्छमां विजयराजसूरिनी परंपरामां शिवरत्नना शिष्य छे. अमनो समय वि सं. १८ना उत्तरार्धनेा छे. ( ज. गू. क. भा. २. पृ. ३८६.) रचना अणहिल पाटणमां थई. पत्र १ लु नथी. विसलसोम>प. सिद्धसोमना शिष्य केसरसोमना लघु गुरुबंधु विवेकसोमे प्रति राजपुरमा लखी. प्र.स./४८९२ परि./५०५७ २-अष्टप्रकारी रास र.स. १७५५; ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र ५४; २६.५४ ११.५ से.मि. पद्य २०७७ ___ दर्शनविजय>कान्तिविजयना शिष्य नायकविजयमूनिमे थीरा गामे प्रति लखी. श्राविका कल्याणीले प्रति लखावी. प्र.सं./५८९३ परि./५२१७ ३-अष्ट प्रकारी पूजा रास र.सं. १७५५; ले.सं. १८३१; हाथकागळ पत्र ५६; २५.५४ ११.६ से.मि. रचना पाटण थई. श्रीपालविहारमा प्रति लखाई प्र.सं./४८९४ परि./९२९ ४---अष्टप्रकारी पूजा रास ले.स. १९मु शतक (अनु ): हाथकागळ पत्र ८६; २६.५४ ११-७ से.मि. प्र.सं./४८९५ परि./९१० ५--जंबूस्वामी रास २.सं १७४९; ले.स. १९०३; हाथका गळ पत्र ९२; २७७४१२ से.मि. दानरत्नसूरिना शिष्य प. रंगरत्ने वैश्यज्ञातिना खीमचंदने माटे प्रति लखी. प्र.सं./४८९३ परि./६२७ पापबुद्धिराजा अने धर्मबुद्धि मंत्रीरास र.सं १७६८; ले.स १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०: २५.७४११ से.मि. ढाळ २७; गाथा ४१६; ग्रंथान. ५३२ खेडा हरियाळामां प्रति लखी. प्र.सं./४८९७ परि./५४५२ Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६०७ मणिपतिराजर्षि रास. र.सं १७६१; ले.सं. १७४६; हाथकागळ पत्र १३५, २६.६४ ११.६ से.मि. गाथा २८११, ग्रंथाग्र ४००५. रचना पाटणमा थई पत्र १६मु डबल छे; ४७-४८ भेगां छे कर्तानी समकालीन प्रति छे. प्र.सं./४८९८ परि./२१०६ महाबल मलयसुदरी रास (विनोदविलास रास) र.सं. १७६६ ले.स. १८०१; हाथकागळ पत्र १३१; २५.५४११.६ से.मि. गाथा २९७५; ग्रंथान ४०८४ . भावरत्न > ५:: नयरत्नना शिष्यो पुण्यरत्न अने विनयरत्नमुनि बन्ने वर्धमानपुर (वढवाण)मां प्रति लखी प्र.स./४८९९ परि./२६८० . १-लीलावती रास. र.सं. १७६७; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.५४११.३ से.मि. रचना पाटणना ऊनाऊमां थई. प्र.स/४९०० परि./४९८२ २-लीलावती रास. र.सं. १७६७ ले.सं. १८२६; हाथकागळ पत्र १२, २५.६४ ११.८ से.मि. __पं. सिद्धसोम > केसरसोम > जयसाम अने मुनि मोहनसोमे कस्तूरसोम माटे प्रति लखी. प्र.स./४९०१ परि./२०१६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; ३--लीलावती रास र.सं १७६७; ले.स. १९ २५.२४११.६ अपूर्ण. प्र.सं./४९०२ परि/१०८२ ऋशभदास (श्रा.) ___ कुमारपाल रास रस. १६७.. ले.स. १८५२; हाथकामळ पत्र ७८; २६.५४११.८ से.मि. ___कर्ता-खंभातना श्रावक छे. अमनो समय वि.सं. १७ना. उत्तरार्धनो (जै. गू. क. भा. १. पृ. ४०९) बावती (खंभात)मां प्रति लखेली छे. प्र.स./४९०३ परि./२३१६ श्राद्धविधि रास. ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ११५; २३.६४११.५ से.मि. पाटणमां प्रति लखनार भट्ट अमीराम देवराम प्रस/४९०४ परि./३२७७ Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास - १--हित शिक्षा रास र.स. १६८२; ले.स. १७३४; हाथकागळ पत्र ९०; २५.३४११ से.मि. रचना खभायत(खभात)मां थई. प्र.स.१४९०५ परि./२६०१ २---हितशिक्षा रास र.स. १६८२; ले.स. १८५७; हाथकागळ पत्र ९०; २२.५४१२.५ से.मि. ____ भरूच-भृगुपुरमा रंगविजयना धर्मशासनकाळमां नेमविजय माटे ५. रामविजये प्रति लखी. प्र.स./४९०६ परि./५१६ हीरविजयसूरि रास र.स. १६८४; ले.स. १७२४; हाथकागळ पत्र ९८; २५.५४११ से.मि. सादडीनगरमां विजयराजगणिना धर्मशासनकाळमां ५. देवविजय>. तेजविजय> ५. खीमविजयना शिष्य सूरविजयमुनि प्रति लखी. प्र.सं./४९०७ परि./२०५४ ऋषभविजय (त.) वराज रास र.सं. १८८२; ले.स. १९०१; हाथकागळ पत्र ९५; २३४११.५ से.मि. पद्य १५२८. कर्ता-तपगच्छना विजयाणंदसूरिनी परंपरामां रामविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १९मी अने २०मी सदीना मध्यकाळनेा छे. (पत्र ९५). (ज. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २८९). रचना बारेजामा थई. पत्र ३१, बेवडायु छे. अमृतविजयना सहवासी जतनकुशळे गोधावीनगरमां लखेली आ प्रति कर्ता ऋषभविजयने मळी. सं./४९०८ परि./६९६३ ऋषभसागर (त.) १-विनयचट श्रेष्टिपुत्र रास र.स. १८३०; ले.सं. १८६३ हाथकागळ पत्र ४९; २८.१४ १२.७ से.मि. कर्ता--तपगच्छमां जशवंतसागरनी पपरामां विनादसागरना शिष्य छे. (आखी परंपरा प्रतिमां आपेली छे.) अमनो समय वि.स. १९ना पूर्वाधनो (जै. गू. क. भा. ३; ख.. ख. १, पृ. १६५). रचना पोरबंदरमा थई छे. विनयजिनेन्द्रसूरिना शिष्य कान्तिविजये प्रति लखी. प्र.स./४९०९ परि:/२९. Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६०९ २-विनयचटरास ले.स. १८७३; हाथकागळ पत्र ८९; २६.३४११.४ से.मि. पं. नेमविजयगणि>प. ज्ञानविजयगणि>५. चतुरविजयगणिना शिष्य पुण्यविजयभुनिओ मणोद गाममां धर्मनाथना मंदिरमा प्रति लखी. प्र.सं./४९१० परि./४४०५ ३-विनयचट रास र.स. १८३०; ले.सं. १८८०; हाथ कागळ पत्र ८२; २२४१०.९ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी. प्र.सं/४९११ परि./५२६ ४-विनयचटकुमार रास र.स. १८३०; ले.स. १८४२; हाथकागळ पत्र ४८; २५.५४ ११.८ से.मि. पाटणमां चातुर्मासवास दरम्यान, नेमविजय > पं. न्यायविजयना शिष्य प. ललितविजये प्रति लखी. प्र.स./४९१२ परि./१८७० ऋषिवर्धनसूरि (आं) नलदमयंती रास र.स. १५१२; ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १५; २६.३४११.५ से.मि. पद्य ३२३ कर्ता--आंचलिकगच्छनायक जयकीर्तिसूरिना शिष्य छे. समय वि.स १६ना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४८). रचना चित्रकोटगिरि-चितोडमां थई. प्र.स./४९१३ परि./८४४०/१ कनककीर्ति (ख) द्रौपदी चोपाई रास र.स. १६९३; ले.स. १७२८; हाथकागळ पत्र ४०; २५४११.२ से मि. कर्ता--खरतरगच्छीय जिनचंद्रपूरिनी परंपरामां जयमंदिरना शिष्य छे. समय वि.सं. . १७ना छेल्ला दशकाने। छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५६८). रचना बीकानेरमा थई. ज्ञानशेखरगणि>जीवमुनिना शिध्य रविशेखरे रातडियामां प्रति लखी. प्र.सं /१९१४ परि./६३७२ कनकनिधान (ख.) १--रत्नचूड रास र.स. १७२८; ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र २४; २८४१२.२ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छना चारुदत्तना शिष्य छे. मने। समय वि.स. १८ना पूर्वार्ध ... (जे. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १२६८) जिनविजये राधनपुरमा प्रति लखी, प्र.सं./४९१५ परि./११२० Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० रास २--रत्नचूड व्यवहारी रास र.सं. १७२८; ले.स. १९मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २१.२४१०१ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी. प्र.स./४९१६ परि./६८३२ ३--रत्नचूड चौपाई (रास) र.सं. १७२८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २५.७४११.७ से.मि. मुनि मोहनचंद्रगणिसे प्रति लखी. प्र.स./४९१७ परि./२५५१ कनकसुंदरमुनि (भा.) १-हरिश्चंद्रराजा रास र.स. १६९७; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २५४११ से.मि. अपूर्ण--३जी ढाळनी ५मी कडी सुधी. कर्ता--भावडगच्छना महेशना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ना अंतिम वर्षाना छे (जे. गू. क. भा. १, पृ. ५८३). प्र.स./४९१८ . परि./८५५६ २-हरिश्चंद्र-तारालोचनी चरित्र रास र.सं. १६९७; ले.स. १७३९; हाथकागळ पत्र २४; २५.३४११ से.मि. ग्रंथान ११८१. सूरसौभाग्यगणि>गजेन्द्रगणि>भीमसौभाग्यगणिना प. सुमतिसौभाग्यना पुत्रो(शिष्यो) माटे वृद्धगुढानगरमां प. सिंघसौभाग्ये प्रति लखी. प्र.सं./१९१९ परि./६४३५ कवियण वयराग (वैराग्य) रास ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.३४१०.८ से.मि. पद्य ९०. कर्ता--परिचय अप्राप्य. प्र.स./४९२० परि/४६६० कांतिविजय (त.) १-मलयसुंदरी रास र.स. १७७५; ले.स. २०# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८० . २७.३४१२.५ से.मि. अपूर्ण. कर्ता--तपगच्छमां विजयप्रभसूरिनी परंपराम प्रेमविजयन। शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मानी ४थी पचीसीनेा छे. (ज. गू. क. भा. २, पृ. ५२६). रचना पाटणमां थई छे, .सं./४९२१ परि./१००५ Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स ६११ २ -- मलयसुंदरी रास लें. सं. १८५३; हाथकागळे पत्र १२१; २४.९× ११.९ से.मि. प्रथाम ४००० ढाळ ९१. विजय ज्ञानविजयना कांतिविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.स ं./४९२२ कांतिविमल (त. ) विक्रमचरित्र - कनकावती रास २. स. १७६७; ले. स. १८३९; हाथकागळ पत्र ४७; २४.६४११.१ से. मि. ग्रंथाग्र १०००. कर्ता--उपगच्छमां शांतिविमलनी परंपराजा केसरविमलना शिष्य छे. अमने समय वि.सं. १८ना उत्तरकाळ (जै. गू क. भा. २, पृ. ५२५). रचना राधनपुरमा थई. प लब्धिसागरे प्रभासपाटणमां प्रति लखी. बेड छे. प्र.सं./४९२३ परि. / ४७८ कुशललाभ (ख.) तेजसार रास (दीपपूजाविषये ) २. स. १६२४; ले.सं. १७८१; हाथकागळ पत्र १४; २६-२x११.६ से.मि. पद्य ४१५. कर्ता — खरतरगच्छमां अभयधर्मना शिष्य छे. ओमना समय वि.सं. १७ना पूर्वकाळनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख १, पृ. ६८२ ). सावलय्यानगरमां पं. कांतिविजयना शिष्य नायकविजये प्रति लखी. पत्र २०मु. प्र.सं./ ४९२४ परि. / २७७४ नवकार रास ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४०५४११०४ से.मि. प्रति जीण छे. प्र.सं./४९२६ परि./८५९१ प्र.सं./४९२५ केस (केशव) सुदर्शन श्रेष्टी रास ले.स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६११.३ से.मि. तूटक गाथा २५८. कर्ता -- मुनिसुंदरना शिष्य छे ( गाथा २५८), ओमना समग्र वि.स १७ना लगभगनेा मानी शकाय. / ७४१६/२ पत्र १लु नथी, मातर गामे पं. माणिक्य हंसना शिष्य पं. ज्ञानहंसे प्रति लखी. परि./३७०१ Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास क्षमाकलश (आ.) ललिताङ्गकुमार रास र.स. १५५३; ले.स. १६४५; हाथकागळ पत्र ७; २४.५४१०.७ से.मि. पद्य २१५. ... कर्ता-आगमगच्छना अमरत्नसूरिनी परंपराना कल्याणराजना शिष्य छे. मना समय वि.सं. १६ना उत्तरार्धनेा छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ९३). रचना उदयपुरमा थई छे. पाल्हणपुर(पालनपुर)मां प्रति लखेली छे. प्रस./४९२७ परि./६४७६ क्षेमवर्धन (त.) .. पुण्यप्रकाश रास (शेठ शांतिदास वखतचंद चरित्र) * र.स. १८७० ले.स. १८७९ हाथकागळ पत्र ४७; २८x१२.८ से.मि. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां हर्षवर्धनना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १९मीना उसरकाळनेा छे. (जे. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २७७). रचना अमदावादमां थई. * कडी ३४मां आ रचाननां बन्ने नाम आपेलां छे (एजन पृष्ठ २८३). प्रति पाटणमा लखाई. प्र.स./४९२८ परि./९३४ क्षेमहर्ष (ख.) चंदन-मलयागिरी रास र.स. १७०४; ले.स. १७८८: हाथकागळ पत्र १५, २६४११ ... . से.मि. पद्य ३७०. ___ कर्ता-खरतरगच्छनी सागरचंद्र शाखाना विशालकीर्तिना शिष्य छे. अमना समय .. वि.स. १८ना आरंभना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ११४०). रचना मसकोटमां थई छे. तपगच्छना प्रेमविजयना शिष्य सुज्ञानविजये प्रति लखी. प्र.सं./४९२९ परि./५१६९ खेडिया जगा (जगोजि) १-रतन रासो र.स. १७५५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २०.८४१०.६ से.मि. कर्ता-वि.स.१८मां थयेला जेनेतर छे. (जै. गू. क. भा ३. खं २. पृ. २१७३.) (कृति राजस्थानीनी असरवाळी पण गुजरातीने नजीक छे अने जै. गू. क.मां स्थान पामेली होवाथी अत्रे लीधी छे.) प्र.स./४९३० परि./७४०५ Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास २ - रतन रासो ( रतन महेश दोषोतरी वचनिका ) हाथका गळ पत्र १८, २५०१४११.५ से.मि. ९ पत्र जीर्ण छे. राणवट जेलमसिंघ वीरमदेवातना राज्यकालमा प्रज्ञापविजयगणिना शिष्य जीतेन्द्र विजये प्रति लखी. प्र.स ं./४९३१ परि./८३४० ३ - राव रतन दोसोत्तरी वचनिका २.सं. १७१५; ले. स. १८१८ हाथकागळ पत्र ९ २५.८४१२ से.मि. देवरत्नगणिये प्रति लखी. प्र.सं./४९३२ खुशालचंद (ले.) देवसेन रास कर्ता ६१३ र.सं. १७१५; .ले.स ं. १८६१; ले. स ं. १९११; हाथकागळ पत्र ३ लोकागच्छना रायचंदना शिष्य छे. ओमनेा समय वि.स ं. १९ना छे. जै. गू. कमां नांधायेली नथी. रायपुरमा दयाचंदे प्रति लखी. २५.३४११.५ से.मि. परि./७१५४ (जै. गू. क. भा. ३, खं २. पृ. १५५१ ) आ रचान प्र.सं./४९३३ ज्ञाताकवि (ख.) सामसुंदरनृप रास ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७०; २५-५४१२०७ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छमां वि.सं. १८मां थयेला कवि छे. (जै. ग्. क. भा. ३. खं. २. पृ १३६८ ) आ रचना जै. गू. कमां नांधायेली नथी. सीखदेवजीओ प्रति लखी. प्र.स ं./४९३४ गजविजय ( त . ) मुनिपति रास र. स. १७८१; ले. स. १७८१; हाथकागळ पत्र ३३; २६.५४११.५ से.मि. परि. / ३५५१ कर्ता - तपगच्छमां प्रीतविजयना शिष्य छे समय वि.सं १८ ना छे. ( जै- गू. क. भा. ३. खं २ पृ. १४४३) कर्तानी स्वहस्ताक्षर प्रति पाटणभां लखेली छे. प्र. सं / ४९३५ परि/२६९६ परि./२०१५ Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रोस गुणनंदन मुनि (ख.) मंगलकलश रास र.सं. १६६५; ले.स. १३६८; हाथकागळ पत्र १२; २५.५४११.६ से.मि. गाथा ३३०. कर्ता-खरतरगच्छना सागरचद्रसूरिनी परंपरामां ज्ञानप्रमोदना शिष्य, छे. अमनो समय वि.सं. १७नेा छे. (पा. १२. गा. ३२६). __ललित प्रभसूरिना शिष्य मनजी प्रति लखी. प्र.सं./४९३६ परि./४००६ गुणरत्नसूरि (ना.) आदिनाथ रास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३, २८.३४११.५ से.मि. कर्ता-नायल गच्छीय गुणसमुद्रसूरिनी परंपरामा गुणदेवना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६माना अंतमा अओ हयात हता (जै. गू क. भा. १, पृ. २९, ६१). प्र.स /४९३७ - परि./७३४/१ गुणरत्नसूरि श्रीपाल रास र.सं १५३१; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५; २४.9x ११.२ से.मि. पद्य २६५. ___ आगमगच्छना ऋषि धनजीओ हानसा (हंसा) बाई माटे प्रति लखी. प्र.अ./४९३८ परि./५२१० गुणसागर (?) १-पृथ्वीचंद केवली रास ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी १२; २६४११.२ से.मि. कर्ता-कृति जोतां पृथ्वीचंद्रनु ज विशेषण गुणसागर लागे छे. प्र.स./१९३९ परि./२१६१/४ २--पृथ्वीचंद्रराजा रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११ से.मि. पद्य ४५. प्र.सं./४९४० परि./६९८७ गुणसागरसूरि (वि.) वसुदेवरास (ढाळसागर हरिवंश प्रबंध) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २०; २६४११ से.मि. तूटक. अपूर्ण २८ ढाळ सुधी. कर्ता--विजयगच्छे पद्मसागरना शिष्य छे. अमनेा समय वि.सं. १७ना उत्तरकाळनो गण्यो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं १. पृ. ९८०) पत्र १लुं नथी प्र.सं./४९४१ परि./७९३६ Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास गोडीदास (त) 1-नवकार रास (राजसिंह-राजवती रास) र.स. १७५५; ले.स. १७६६; हाथकागळ . पत्र २४: २५.५४११.५ से.मि. कर्ता-वि.स. १८मां थयेला तपागच्छीय श्रावक छे. (जे. गू. क. भा. २, पृ. ४२४ ). रचना वटपद्र(वडोदरा)मां थई. आमोदनगरमां सदाविजयमुनिले प्रति लखी. प्र.स./४ ९४२ परि./४३४५ २-नवकार रास र.स . १७५५; ले.स. १८१९; हाथकागळ पत्र ३४; २४४११.६ से मि. ग्रंथाग्र ८८५. - पं. जितविजय माटे मनरूपसागरमुनिझे प्रति लखी. प्र.स./४९४३ परि./२५२० ३--नवकार र.स १७५५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९; २३.५४ .. . १०.५ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ७ नथी. प्र.स./४९४४ परि./६६५८ ४ --राजसिंह-रत्नावती र.स. १७५५; ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र १८; २४.४४११ से.मि. पिंडवाटकनगरमा ५. संघविजयगणि > प. पद्मविजय > ५. इन्द्रविजयगणि >. सुमतिविजयगणिना पुत्र नरेन्द्रविजये प्रति लखी. प्र.स./४९४५ परि./१९०९ जयभक्ति (त.) मूलदेवकुमार रास र.स. १५६७; ले.स.. १६६८; हाथकागळ पत्र ४३; २३४१० से.मि. पद्य ९८८ तूटक. . कर्ता--तपगच्छना विमलसोमसूरिना देवविजयगणिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १६नो छ (प. ८२). ___पत्रो १५ थी २९ नथी. पेथापुरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./४९४६ परि./६६७० Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ रास जयमल ऋषि (च.) प्रदेशी राज चरित्र रास ले.सं. १८३९: हाथकागळ पत्र २५; २५.२४१ ०.८ से मि. कर्ता-चंद्रगच्छमां शक्तिरंगना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ना उत्तरार्धनेा छे. (जे. गू. क. भा. ३; ख. १, पृ. ८२२) आ रचना जे. गू. क.मां नेधिायेली नथी. प्र.स:/४९४७ परि./२६०७ जयराज (पू.) १-मत्स्योदर रास र.स. १५५३; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४११ से.मि. पद्य १५७. ___ कर्ता-पूर्णिमागच्छना मुनिचंद्रना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १६ना उत्तरार्धना __छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. ९५). नारायण पंड्या प्रति लखी. प्र.सं./४९४८ परि./४५०२ २-मच्छोदर रास र.स. १५५३; ले.स. १७०५; हाथकागळ पत्र ८; २६.२४११.४ से.मि. पद्य १५५. भवनशेखरऋषि प्रति लखी. प्र.स./४९४९ परि./४१७१ जयवंतसूरि (गुणसौभाग्य) (व.त.) १-ऋषिदत्ता रास र.स. १६४३: ले.स. १७१६; हाथकागळ पत्र २१; २४.८x १०.८ से.मि. पद्य ५३५. कर्ता--वडतपगच्छना विनयमंडन उपा.ना शिष्य ले. अमनेसमय वि.स. १७ना - पूर्वार्धने। (जै. गू क. भा. १, पृ. १९३). __ पूर्णिमागच्छना विनयप्रभसूरिसे प्रति पाटणमां लखी. प्र.स./४९५० परि./१२१८ २-ऋषिदत्ता रास र.स. १६४३; ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र २३: २६४२०.९ से.मि. ग्रंथाग्र ८२५ तूटक. प्रति जीर्ण छे. पत्रों १, २, ६ थी ९ अने १७ नथी. प्र.सं./४९५१ परि./१७६७ ३-ऋषिदत्ता रास र.स. १६४३; ले.स. १७६३; हाथकागळ पत्र ३५, २५.१४११.३ से.मि. तूटक. ___पत्र ३जु नथी. तपस्वी नरविजयना शिष्य प. हेमविजयगणिो स्तंभतीर्थ (खंभात)मां, 4. गंगविजयना धर्मशासनकाळमां तिलकविजय माटे प्रति लखी, प्र.स./४९५२ परि./६३७१ Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र.स ६१७ शृंगारमंजरी चरित्र रास (शीलवती चरित्र रास) र.स. १६१४; ले.सं. १७४.: हाथकागक पत्र ७७; २४.७४११.२ से.मि. ___ वा सौभाग्यगणि>५. अमृतसौभाग्यगणिना शिष्य कान्तिसौभाग्यगणिभे प्रति लखी. प्रस./४९५३ परि./१२४१ जल्ह कवि बुद्धिरास ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५: २३४१०.७ से.मि. गाथा ११८. __ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./४९५४ परि./७०७९/३ जसमुनि गजसुकुमाल रास ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५४१०.८ से.मि. पद्य ८८. ____ कर्ता-मुवर्धनना शिष्य छे. प्र.स./४९५५ परि./६१२५ जिनराज (ख) मजसुकुमाल चतुष्पदी र.स. १६९९: ले.स. १७२०; हाथकागळ पत्र १४; २६.३४११ से.मि. पद्य ५६.. कर्ता-खरतरगच्छना जिनसिंहना शिष्य छे.. अमसो समय - वि.सं. १७नो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १०४७). ५. ईलानिधानजी >१. जीवरत्नजीना शिष्य कमलनंदने भाडला गामे प्रति लखी छे. प्र.स'./४९५६ परि./४६८९ शालिभद्र चरित्र रास ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र थी २०; २६.७४११.७ से.मि. पद्य ५०८ तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. आर्या रूपई जीनी शिष्या आर्या लीलाखे कुतियाणामां प्रति लखी. प्र.स./४९५७ परि./८६१/१ जिनविजय (त.) क्षमाविजयगणि निर्वाण महोत्सव रास र.स. १७८६ (पछी); ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४११.७ से.मि. ग्रंथाग्र १५० तूटक. कर्ता-तगच्छना क्षमा विजयना शिध्य छे. अमनो समय वि.स. १८ना छेल्लो अबको (जै. गृ. क, भा. २, पृ. ५६३). पत्र १लं नथी, प्र.सं./४९५८ परि./३३.१९ Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ रास गुणावली रास र.स. १७५१; ले.स. १८६०; हाथकागळ पत्र २६; २४.५४१९.४ से.मि. कर्ता-तपगच्छना देवविजयनी परंपरामां जशविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८नो छे (जै. गू. क भा. २, पृ. ४२०). रचना सुरतमां थई. बेचरनी लखेली प्रति प. भक्तिविजयने मळी. प्र.स./१९५९ परि./४९०५ १-धन्ना-शालिभद्र रास र.स. १७९९; ले.स. १८४५ हाथकामळ पत्र १०२; २४.८४ ११.७ से.मि. ग्रंथाग्र २२५०. कर्ता-तपगच्छमां विजयसिंहसूरिनी परंपरामां भाणविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८ने। (जे गू. के. भा. २, पृ. ५६७). रचना सुरतमां थई. केसरविजयना गुरुबंधु प. समुद्रविजयगणिना शिष्यो मुनि वपूरविजय अने देवविजय. मुनि वटपद्रनगर(वडादरा)मां प्रति लखी. प्र.सं./१९६० परि./९२८ २-(दानकल्पद्रुम अथवा) धन्यशालिभद्र रास र.स. १७९९; ले.स. १८६३; हाथकागळ पत्र ७८; २५.८४१२.२ से.मि. गाथा २१४२. ___५. नेमविजय >प. ज्ञानविजयना शिष्य प. कांतिविजये महेसाणामां प्रति लखी. प्र.स./४९६१ परि./२३३५ ३-धन्य शालिभद्र रास ले.स. १८८३; हाथकागळ पत्र ८९; २५.५४१२ से.मि. गाथा २१४२. पन्यास शांतिविजयगणि> ५. चतुर्विजयगणिना शिष्य मोहनविजयमुनि वणोडमां . प्रति लखी. प्र.स./१९६२ परि./२४६५ जिनसमुद्रसूरि (ख.) उत्तमचरित्र रास (नवरससागर) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र २०; २६.४४१1 से.मि. अपूर्ण. ___कर्ता-खरतरगच्छना वेगड शाखामा जिनचंद्रसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८ नो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १२२६). भा र घना जे. गू. क.मां नेांधायेली नथी.. प्र.स./४९६३ परि./३९७७ Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास जिनहर्ष (ख) १ – अजितसेन - कनकावती रास २.सं. १७५१; ले.स. १८११; होथकागळ पत्र ३७ : २६४११.९ से मि. कर्ता -- खरतरगच्छमां गुणवर्धन उनी परंपरामांना शांतिहर्षना शिष्य छे. समय वि.सं. १८माना आरंभनेा छे. अमीचंदे प्रति लखी. प्र. सं . / ४९६४ परि./४७८९ २ – अजित सेन - कनकावती ( चुपई) रास २.सं. १७५१; ले.सं. १७५८; हाथकागळ पत्र २५; २५.७४११०३ से. मि. तूटक पत्र १लु अने ३जु नथी. पं ऋद्धिविजयना शिष्य विवेकविजये प्रति लखी. लेखन-स्थल चाणस्मानगर. प्र.सं./४९६५ परि. / ७०५८ ३ – अजित सेन - कनकावती रास २. सं. १७५१; ले स. १८ शतक (अनु.); हाथका गर पत्र २८ २५-७९११.५ से.मि. तेजसी माटे प्रति लखेली छे. ६१९ प्र.स ं./४९६६ परि./५१२७ ४ – कंकावती रास ले.स. १९ मु' शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ २५.८४११.६ से.मि. अपूर्ण. प्र.स ं./४९६७ उत्तमचरित्र कुमार रास १२.९ से.मि. पद्य ८०१. परि. / १७६८ .सं. १७४५; ले.स. १८६८; हाथ कागळ पत्र २५; २३.८X रचना - स्थळ पाटण. कुशलविजयमुनिना शिष्य पं. राजविजयगणिओ इलोरामां प्रति लखी. प्र.सं./४९६८ परि./११११ कुमारपाळ रास र.सं. १७४२, ले.स. १९ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ११३ : _ २३.५x१३ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./४९६९ परि./५०३ १ - गुणकरंड - गुणावली रास २. स. १७५१; ले.मं. १८७६; हाथ गळ पत्र ३७; २३-५४१२ से.मि. रचना पाटणम थई, उप लावण्यविजय > प. नेसविजय > ज्ञानविजय > ललितविजय > शुभविजयना गुरुबंधु भाग्यविजयना शिष्य मुनि रंगविजये प्रति लखी. परि./७६९० प्र.सं./४९७० Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास . २-गुणकरंडक- गुणावली रासं र.सं. १७५१; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १३; २६४११.३ से.मि. तूटक. पत्र लुं नथी. प्र.स./४९७१ परि./६९१३ ३–गुणकरंड-गुणावली रास २.स. १७५१; ले.स. १८मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १४; २६४११.५ से.मि. अपूर्ण. प्रस./४९७२ परि./२८१८ १-जिनप्रतिमा (दृढकरण) हुंडी रास र.स. १७२५; ले.स. १८९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३; २६.२४ १२.२ से.मि. पद्य ६७. . प्रतिने अंते ५, तीर्थविजय आपेलु छे. . प्र.म/४९७३ परि./२०२१ २-(जिन) प्रतिमास्थापन रास र.स. १७२५; ले.स. १९मुशतक (अनु.): हाथकागर पत्र ४; २५.८४११.२ से.मि. पद्य ६७. . . कपूरचंदे प्रति लखेली छे. प्र.सं./४९७४ परि./५८२ १-रात्रिभोजन परिहारक ( अमरसेन जयसेन ) रास र.सं. १७५९; ले.स. १८५३; हाथकागळ पत्र २२, २४४११.४ से.मि. रचना पाटणमां थई ज्ञानविजयगणि>ललितविजयगणि>शभविजयगणिना शिष्य पन्यास देवविजयगणि प्रति लखी. प्र.स./४९७५ परि./२५२३ २-रात्रिभोजन रास र.स. १७५९; ले स. १८४१; हाथकागळ पत्र २०; २५.३४ ११.४ से.मि. पद्य ४७७. ज्ञानविजयगणिना शिष्य , प.. ललितविजयगणिचाणस्मामा, प. प्रेमविजयगणि अने शुभविजय तरफथी, लखी. प्र.सं./४९७६ परि./५३५७ १-वीस स्थानक रास र.स. १७४८, ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १२९; २३४१० से.मि. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.सं./४९७७ परि./७६५६ २-(पुण्यविशालरास) वीस स्थानक रास र.सं. १७४८; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ. पत्र ९८; २४.२४११ से.मि. तेजविजयमुनिले कालरी गाममा प्रति लखी. प्र. /४९७८ परि./२६७० Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६२१ शुकराज रास र. सं. १७३७; ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३३; २६-५X११.७ से.मि. तूटक पत्र १-२ नथी. प्र. सं / ४९७९ प'र./६९५८ १ - श्रीपाल रास २. स. १७४०, ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.५४११ से.मि. रचना पाटणमां थई. प्र. सं / ४९८० परि./४१६४ २ - श्रीपाल (चोपाई) र.स १७४० ले . स . १९१३; हाथकागळ पत्र ५४; २६४ ११.५ से मि . गाथा १२५०. रचना पाटणमां थई. > खरतरगच्छना पं. गुणभद्रगणि पंक्षांतिभक्तिगणिजी > पं. चिर . गंगारामे मुंबई बंदरमां ब्राह्मण हुकमचंद लखेली आ प्रति १ ५. सं/ ४९८१ ३ - श्रीपाल ( चोपाई ) रास २. सं. १७४०; ले.स. १९०१; ३४.२०१८ से.मि. रचना पाणमां थई. सदानंदजी मुनि अने सानंदजी मांडे मेळवी. परि./४११९ हाथकागळ पत्र ३७; प्र.सं./ ४९८२ परि. / ७९८१ ४- श्रीपाल रास र. स. १७४०; ले.सं. १७५१, हाथका गळ पत्र ११, २६४११.५ से.मि. विजयानंदसूरि > चंद्रविजयगणि> लाल विजयगणिना शिष्य वृद्धिविजयमुनिओ न्यानविजय माटे प्रति लखी. प्र.सं./ ४९८३ परि./५२४१ ५ -- श्रीपाल रास २.सं. १७४० ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १०; २५.७४११-१ से.मि. गाथा २७२. प्रति जीर्ण छे. प्र. सं / ४९८४ परि./८९३९ ६ -- श्रीपाल रास २.स ं. १७४०; ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२: ले. स. १८मुं शतक (अनु.) ; पद्य २७२. प्र.स / ४९८५ परि./६६७९ जीत विजय ( त . ) हरिबलमाछी राम र.सं. १७२६; ले.स. १८मुं शतक ( अनु. ); हाथका गळ पत्र २८. २६४११ से.मि. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरि > जीवविजयना शिष्य छे. समय वि. सं १८ मा शतक नो छे. (जै. गू. क. भा. २, प्र. २४६ ) प्र.सं./ ४९८६ परि. / २२८४ Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२ जीवसागर (त.) अमरसेन वयरसेन चरित्र रास र.सं. १७६८ ले.सं. १७८९; हाथका गळ पत्र ३२; २५.३४१1 से.मि. कर्ता-तपगच्छमां कुशलमागरनी परंपरामां गंगसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि.रा. १८मा शतकनो छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४७१). , प्रति जिर्ण छे. प्र.सं/४९८७ परि./३९३८ जेतसी (ख.) कयवन्ना ऋषि रास. र.सं. १७२। ले.सं. १७६३; हाथकागळ पत्र २०; २६.३४11.२ से.मि. कर्ता - खरतरगच्छना जिनचंदसूरिनी परंपरामां पुण्यकलशना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मा शतकनी चोथी पचीसीना आरंभ सुधी पहेांचे छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ १६५). रचना विकानेरमा थई.-. जयकलामुनि क्षेत्रबद्रनी सहायधी प्रति लखी. प्रस./५९८९ परि./२१३२ ज्ञानकवि स्त्री चरित्र रास. ले.स. १"शतक (अनु) हाथकागळ पत्र १२; २६.५४११ से.मि. पद्य २१५. तूटक. कर्ता-वि.सं १७मा शतकमां मूकायेला आ- कविनो. मात्र नामनिदे श छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. ४८०). रचना रत्नागरपुरमां थई. पत्र ११९ नथी. प्र.सं /४९८९ परि./६८६९ ज्ञानचंद्र १-केशी गणधर प्रदेशी रास ले.सं. १९०१; हाथकागळ पत्र २८; ३४.५४१७.८ से.मि. कर्ता-मात्र मामनिर्देशथी नेांधायेला वि.सं. १७मा शतकना कवि छे. (जे. गू, __ क. भा. १, पृ. ५८७). प्रसं./४९९० परि./७९८० २-केशी प्रदेशी प्रतिबोध रास ले.सं. १७१९; हाथकागळ पत्र २४; २५.११ से मि. राजनगर (अमदावाद)मां विनयप्रभसूरिओ प्रति लखी. प्र.सं./१९९१ परि./१२१५ शीतलतरुरास ले.स १८मु शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १थी ३; २५.६४१२ से मि. प्र.सं./४९९२ परि./२४६७ Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ज्ञानभूषण पाणी जयणा रास के.स १८ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १; २५.७४१०.६ से.मि. पद्य ३३. कर्ता - मात्र नाम निर्देश मळे छे. (प. ३३ ). प्र.सं./४९९३ ज्ञानमूर्ति (आं.) रूपसेन चरित्र रास २.सं. १६९४ ले सं. १७२९; हाथका गळ पत्र २९; २५.३४११.५ से.मि. पद्य १३२६. प्र. सं. / ४९९४ ज्ञानमेरु (ख.) कर्ता - अंचलगच्छना धर्ममूर्तिनी परंपरामां गुणमूर्तिना शिष्य छे. ओमना समय विसं. १८मा शतक्रना छे. (जै. गू. क. भा. ३, नं. १, पृ. १८४३ ). घोळकामां प्रति लखनार ऋषि माहावजी बल्लभजी. १ - गुणावली रास र.सं. १६७६; ले.सं. १७११; कर्ता- - खरतरगच्छना साधुकीर्तिनी परंपरामां वि.सं. १७ मा शतकने । छे. (जै. गू. क. भा. १, ३ - गुणावणी चोपाई रास ४; २५०२x१०.५ से.मि. रचना विगयपुरीमां थई. प्र. सं / ४९९७ पृ अंचलगच्छना वाचक भावशेखरे संभायत बदरमां प्रति लखी. ६२३ प्र.सं./ ४९९५ परि. / २५४३ २ - गुणावली कथा रास र. सं. १६४६. ले. सं. १७०९; हाथकागळ पत्र ४; २५४११ से.मि. रचना विगयपुरीमां थई. पूर्णिमा गच्छना वाचनाचार्य देवसुंदरना शिष्यो कल्याणसागर अने लब्धिसागरऋषि माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./ ४९९६ ५.सं./४९९८ परि./१८३२ ४ - गुणावली गुणाकर चरित (रास) ले.सं. १७४७; २१×११.८ से.मि. तूटक. पत्र २६ नथी. हाथकागळ पत्र ५, २५.६४३१.३ से. मि. हेमसूरिना शिष्य छे अममा समय ४९५ ) रचना विगयपुरीमां थई. परि./४९८६ परि. / ६३६० २.सं. १६४६ ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र परि./१७७३ हाथकागळ पत्र २१ थी २८; परि. / २७५२/८ Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६२४ ज्ञानविमलहरि (a) १ .अशोकचंद्रनृपति-रोहिणी राणी रास र.सं. १७७४ ले.स. १८गु शतक (अनु.); हाथकागऊ पत्र ४३, २६x11.७ से.भि. कर्ता-तपगच्छमां विनयविमलनी परंपरामा धीरविमलना शिध्य छे. अमनो समय विसं. १६९४ जन्म; स्वर्गवास वि.सं. १७८२ (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३०८.) रचना सुरत पासे सैदपुरमा थई. प्र.सं./४९९९ परि /६७३४ २-अशोकचंद्र-रोहिणी रास र.सं. १७७४; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४; २६.३४११.७ से.मि. रचना सुरत पासे सैदपुरमां थई. प्रसं.५००० पदि./१४.४ १-जंबुकुमार रास र.सं. १७३८ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र २१; २६.२४११.२ से.मि. रचना थिरपुर (थरादमा)मां थई. लेखन स्थळ अहम्मदपुर. प्र.स./५००१ परि./६२६४ २-जंबूस्वामी रास र.स. १७३८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ४३; २५.७४11४८ से.भि. रचना थिरपुर (थराद)मां थई. प्र.स./५००२ परि./११२९/1 ३- जंबूर वामी रास र.स. १७३८: ले.स. १८७१; हाथकागळ पत्र २ थी १७मु; २५४३४११.५ से.मि. तूरक. रचना स्थळ थिरपुर (थराइ). पत्र १लु नथी. प्र.स./५००३ परि./४९८१/१ ४-जंबूस्वामी रास र.स. १७३८ ले.स. १९०२; हाथकागळ पत्र ४०; २६.५४१२.९ से.मि. ग्रंथाग्र ११०१. . रचना थिरपुर (थराव)मां थई. मुनि नायकविजयना शिष्य मुनिउदयविजय माटे, पं. सुरेन्द्रविजयगणि मेशाणा नगर (महेसाणामां) प्रति लखी. प्र.सं./५००१ परि./१४४ मरभव दृष्टांत तपोनय रास ( सज्झाय ) ले.स. १७७३; हाथकागळ पत्र ५, २६.७x ११ से.मि. प्र.स./५००५ परि./१६१. Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६२५ १-श्री चंद्रकेवली रास (आनंदमंदिर रास) र.स. १७७०. ले.स. १७८०; हाथकागळ पत्र १९०; २६.३४११ से.मि. गाथा २३८५: ग्रंथाग्र ६९३९. रचना राधनपुरमा थई. पत्र १५७मु डबल छे. नयविजयगणि>रत्नविजयगणिना गुरुबंधु उदयविजयगणिना शिष्यो रंगविजयगणि अने शांतिविजयगणिना गुरुबंधु रामविजयमुनि चाणस्मामां प्रति लखी. प्रसं./५००६ परि./३७३३ २-श्री. चंद्रराजा रास र.स. १७७०; ले.स. १८०६; हाथकागळ पत्र ११३:२६४११.५ से.मि. ग्रंथान ५१३५. रचना राधनपुरमा थई. प्र.स./५००७ परि./२५१८ ३-श्रीचंद्र केवली रास र.सं. १७७०; ले.सं. १८२४; हाथकागळ पत्र ४७०; २७४११.८ से.मि. ग्रंथाग्र ७९९३२. रचना राधनपुरमा थई. पत्र ३६१मु बेवडायु छे. केटलांक पत्रो पाछळथी लखेला छे. प्र.स./५००८ परि./१९७५ १-चंद्रकेवली (आराममंदिर) रास र.सं. १७७०; ले.स. १८४७; हाथकागळ पत्र २६६; २५.७४११.५ से.मि. ग्रंथान ७६४९. रचना राधनपुरमा थई. प्रमोदविजयमुनि रास गायो भने - गुलाल विजयमुनि भेने ऊतार्या (प्रति). प्र.स./५००९ परि./२०३३ ५-श्री चंद्रकेवली रास (आनंदमंदिर रास) र.स. १८७०; ले.स. १८७८; हाथकागळ पत्र १८४; २७४१३ से.मि. तूटक. रचना राधनपुरमां थई. पत्र लु' नयी. विजयदेवसूरि> महो.पा. लावण्यविजयगणि> महो.पा. रत्नविजयगणि > ५. खीमावियजगणि > नेमविजयजी > नानुविजयजी> कान्तिविजयजी>देवविजयजीना शिष्य लालचंदे प्रति लखी. प्र.स./५०१० परि./१०१८ ज्ञानसागर (आ.) गुणवर्मा रास र.स. १७९७ ले स. १८२८; हाथकागळ पत्र १४२; २६.६४१२ से.मि. कर्ता-अंचलगच्छमां कल्याणसागरसूरिनी परंपराना विद्यासागरसूरिना शिष्य छे. मनो समय-जन्म वि.सं. १७६३ वि.सं. १८२६मां स्वर्गवास विद्यासागरना पट्टधर थया पछीषी अमनु नाम उदयसागर पड्यु. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५७४) रचना सुरतमां थई. प. भक्ति लाभ> भवानमुदरना शिष्य जिनलाभे नवानगरमा प्रति लखी, प्र.सं./५०११ परि./१८५२ Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ रास ज्ञानसागर (अं.) इलाकुमार रास र.स. १७१९; ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.५४ १०.८ से.मि. - कर्ना-अंचल गच्छीय गजसागरमनिनी परंपरामां माणिकयसागरना शिष्य छे अमना समय वि.स. १८मा सेकाना छे. (ज. गू. क. भा. २, पृ. ५७) प्र.स./५०१२ परि./५९५४ धम्मिल रास र.सं. १७१५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६०; २३.५४ १०.२ से.मि. पद्य १००८. ___ आनंदविजये खंभायत(खभात)मा प्रति लखी. प.सं./५०१३ परि./६६६० १-नंदिषेणमुनि रास र.स. १७२५; ले.सं. १४९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.८४११ से.मि. तूटक. रचना राजनगर(अमदावाद)मां थई. पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.स./५०१४ परि./४३९७ २-नंदिषेणरास ले.स. १७३२; हाथकागळ पत्र १५; २३.२४१०.३ से.मि. पद्य २८३. जीर्णगढ(जुनागढ)मां प्रति लखनार गणि तेजविजय अने विनीतकुशल. प्र.सं./५०१५ परि./६६५७ ... १- प्रदेशीराजरास र.सं १७२४; ले.सं. १७३८; हाथकागळ पत्र ४१; २४.५४११ से.मि. पद्य ७२१. रचना चक्रापुरीमा थई. शा. वर्धमान माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं /५०१६ परि./६२८७ २-प्रदेशीराजरास र.सं. १७२४; ले.स. १७४०; हाथकागळ पत्र ४७; २४.५४११ .. से.मि. गाथा ७२१. रचना चक्रापुरीमा थई. ५. उमेदविजय पासे आ प्रति हती.. प्र.सं./५०१७ पर.ि/६६०५ ३-प्रदेशीराजरास र.सं. १७२४; ले.सं. १७६७; हाथकागळ पत्र २१; २६.८x११.२ से.मि. ग्रंथाग्र ११००. रचना चक्रापुरीमां थई. तपगच्छना प्रीतिविजयगणि>विनीतविजयगणिना शिष्य वीरविजयगणिले प्रति लखी. प्र.सं./५०१८ परि./२०९५ ४-प्रदेशीराजरास र.सं. १७२४; ले.सं. १७७१; हाथकागळ पत्र ३८: २५४१०.७ से.मि. ग्रंथान ११००. __रचना चक्रापुरीमा थई. ओपोजमां प्रति लखी छे. प्र.सं./५०१९ परि./६०७७ Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६२७ हाथकागळ पत्र २२; रचना शेखपुरमा थई. प. विवेकविजय गणिना शिष्य पं. हर्षविजयगणिओ राजविजयगणि माटे प्रति लखी १—–श्रीपालरास र.स ं. १७२६ ले.सं. १० शतक (अनु.); २५४११-४ से.मि. ढाळ ४० प्र.सं./५०२० २ - श्रीपालरास २.सं. १७२६; ले. सं. १७५२; हाथकागळ पत्र १८; से. मि. ग्रंथाग्र ११३१. प्र. सं./५०२१ ज्ञानसागर (ना.) प्र.सं./५०२२ मिसागर वाचकना शिष्य मुनि ढालसागरे प्रति लखी. १ - श्रीपालनरेंद्ररास र.सं. १५३१, ले.सं. १८१३; १०.५ से.मि. पद्य २७२. कर्ता -- --- नायल - नागेन्द्रगच्छना गुणसमुद्रसूरिनी परंपरामां गुणदेवसूरिना शिष्य छे. ओमना समय वि सं. १६मी सदीना पूर्वार्धना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५८.) प्रति जीर्ण छे. पूर्णिया पक्षी प्रधानशाखाना भावभसूरिना धर्मशासनकाळमां सौभाग्य सवाईओ प्रति लखी. परि./८९८४ २.सं. १५३१; ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; परि. / १२१६ प्र. सं. / ५०२३ ३ - श्रीपाल रास र.सं. १५३१; ले. स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५ थी २५; २६.३११.५ से.मि. पद्य २७५. प्र.सं./५०२४ २ — श्रीपालरास २४.७४१००८ से.मि. ४ - श्रीपालरास १०.६ से.मि. वीजापुरमा पं. प्रितिविजयना शिष्य मुनिकेशरविजये प्रति लखी. प्र.सं./५०२७ परि./६४५९ २४४.१०.५ परि./७१३५ हाथका गळ पत्र १३ : २३-८x २.सं. १५३१ ले. सं. १७३६; हाथकागळ पत्र १२; प्र.सं./५०२५ परि./५८७४ ५ - श्रीपालरास र.सं. १५३१; ले. स. १८ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ७; २५०५४११-२ से.मि. परि. / ८४४० / २ २५.८४ प्र.सं./५०२६ परि. / ४७०६ ६ – श्रीपालरास र.स. १५३१, ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २६-३४११०३ से.मि. स्तंभतीर्थ (भात) मां पं. इन्द्रविजयना शिष्य खुशालविजयमुनिभे प्रति लखी. परि./३३४० Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ रास ७-श्रीपालरास र.सं. १५३१; ले.स. १७५१: हाथकागळ पत्र ११; २५.७४११.४ से.मि. भावविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./५०२८. परि./५१३१ ८-सिद्धचक्ररास(श्रीपालरास) र.स. १५३१; ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1६; २६.२४११ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. तपगच्छना हेमविमलसूरिना शासनकाळमां हंसचंद्रमुनि) प्रति लखी. प्र.सं./५०२९ परि./५६१४ ९-श्रीपालरास र.स. १५३१; ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १५; २५.५४११ से.मि. महामहोपाध्याय विमलहर्षगणिना शिष्य पं. जयविजयगणिो हंसविजयगणि माटे प्रति लखी. प्रस./५०३० परि./४६९७ दर्शनविजय (त.) - १-चंदमहामुनि प्रेमलालच्छीसतीरास र.स. १६८९ ले.स. १७४९: हाथकागळ पत्र ६८. २५.८४११ से.मि. ढाळ ५३: ग्रंथान २००० कर्ता-तपगच्छना राजविमलसूरिनी परंपराना मुनिविजय उ.ना शिष्य छे. अमना समय बि.सं. १७मा शतकना छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. ५४९) रचना बर्हानपुरमा थई. महोपाध्याय देवविजयगणि>५. मानविजयगणि>4. प्रीतिविजयगणिना शिष्य पं. केशरविजयगणिभे स्तंभतीर्थ(खंभात)मां प्रति लखी. प्र.स/५०३१ परि./४४२२ २-चंदमुनि प्रेमलासतीरास र.स. १६८९; ले.स. १७१३; हाथकागळ पत्र ४५; २४.७४१०.८ से.मि. लिपिकार विद्यारत्न. प्र.स/५०३२ परि./६२८६ ३-चंद्रराज प्रेमलासती(चंद्रयण) रास र.सं. १६८९; ले.सं. १७३३; हाथकागळ पत्र ५६; २६.३४११.३ से.मि. म्लेच्छानी चडाई आवी त्यारे, चौमासामां, उपा. नयविजयगणि घोघाबंदरमा प्रति लखवी शरू करी बाढीआ गामे पूरी करी. प्र.सं/५०३३ परि./६१७७ देपाल (भो) जावडभावड रास ले.सं. १५०१; हाथकागळ पत्र ७; २६.५४११.५ से.मि. पद्य १८०. कर्ता-वि.सं. १६मा शतकमां नेांधायेला पाटणना भोजक ज्ञातिना ठाकोर अटकवाला भाविक छे. (जे. गृ, क, भा. १, पृ. ३४) मतिभद्रे व्यवहारी राजा माटे प्रति लखी. प्र.स./५०३४ परि./६८५८ Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास देवचंदजी (त.) नवतत्त्व रास ले.सं. १७८५; हाथकागळ पत्र ९; २६४११.८ से.मि. कर्ता- तपगच्छमा उपा. सकलचंदनी परंपराना भानुचंदना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मा शतकनो छे. पं. गुलालविजये प्रति लखी. प्र.स./५०३५ परि./४१३९ पृथ्वीचंद्रकुमार रास र.स. १६९६ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.७४११.५ से.मि. प्र.स./५०३६ परि/२४९८ देवरत्न (ल.त.) १-गजसिंहकुमार रास र.स. १८१५ ले.स. १८६०; हाथकागळ पत्र ६६; २६x ११.५ से.मि. व कर्ता-लघु तपगच्छमां लक्ष्मीसागरसूरिनी परंपराना विनय रत्नना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १९ने। पूर्वार्ध छे. (जै. गू, क. भा. ३, खं. १, पृ. ६०). रचना विद्युतपुर(वीजापुर)मां थई. पं. केशरविजय > पं. समृद्धिविजय > पं. देवविजयना शिष्य दयाविजयमुनिसे अंकलेश्वरमा प्रति लखी. प्र.स./५०३७ परि./६७३५ २-गजसिंहकुमार रास र.स. १८१५ ले.स. १८५७, हाथकागळ पत्र ६१, २६.५४ ११.५ से.मि. विजयदेवसूरि> लावण्यविजयजी>उपा. रत्नविजयजी> उपा. खमीविजयजी>पं. नेमविजयगणि> ज्ञानविजयगणि>4. ललितविजयगणिना शिष्य शुभविजये विसलनगर (विसनगर)मां प्रति लखी. प्र.सं./५०३८ परि./१७७८ ३--गजसिंघनृप प्रबंध रास र.स. १८१५; ले.स. १८५४: हाथकागळ पत्र ४१; २७.९४ १२.५ से.मि. प. महिमसागरजी>प. रामसागरजी>. कुवरसागरजीना शिष्य पं. दीपसागरजीमे घंटु ग्रामे प्रति लखी. प्र.स./५०३९ परि./७८७ देवविजय (त.) मौन अकादशी रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.५४११.३ से.मि. पद्य ८६. ___ कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयरिना शिष्य (प. ८३) आ कर्ता के रचना (जै. गू, क.)मां नेांधायेल नथी. प्र.सं./५०१० परि./६५६५ Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३० देवविजय (त. ) हाथकागळ पत्र २२; २६-७५ रूपसेनकुमाररास र.सं. १७७८; ;ले. स. १७९४; ११.७ से.मि. कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां दीपविजयना शिष्य छे अमना समय वि.सं. १८ना उत्तरार्धनेा छे. (जै. गु. क. भा. २, पृ. ५००) खंभायतबंदर (खंभात) मां, ऋषि हीरजी > ऋषि वाघजीना सहवासी ऋषि कल्याणजीओ प्रति लखो प्र.सं./ ५०४१ परि./६५० देवसागर (त. ) कपिल केवलीरास र.सं. १६७४ ले.स. १७मुं शतक (अनु.); २६.३४११ से.मि. प्र.सं./५०४२ धनप्रभ प्र.सं./५०४३ धर्मसूरि रा हाथकागळ पत्र ५; कर्ता — अंचलगच्छन । वि सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ९७१). कर्ताना स्वहस्ताक्षर प्रति छे. परि. / २२०० नेमिनाथ रास ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.४४११.१ से.मि. कर्ता - परिचय अप्राप्य. परि./८२८५/१६ जंबूस्वामी रास र.स ं. १२६६ ले.स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २०.८४११ से.मि. पद्य ८०. कर्ता — महेन्द्रसूरिना शिष्य छे. वि.सं. १३मी सदीना उत्तरार्धनी आ रचना छे. (जै. गू. क. भा १, पृ. २). प्र.सं./९०४४ परि./८९२५/१ धर्मदेव पंडित १ - अजापुत्र रास र.स ं. १५६१; लेस. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २३.२x१० से.मि. पद्म ३८२. कर्ता — पूर्णिमागच्छना गुणधीरसूरिनी परंपरामां सौभाग्यरत्नसूरिना शिष्य छे. ओमने समय वि.स ं. १६ मा सैकाना छे. (जै. गू क. भा. १, पृ १०८ ). रचना सीणीजी गा मे थयेली छे. .सं./५०४५ परि./६६७४ २ -- अजापुत्र रास २. स. १५६१; ले.स. १७१३: हाथ कागळ पत्र १०, २५.२४११.३ से.मि. पद्य ३८२ महामहोपाध्याय पं लावण्य व जयगणिना शिष्य पं दानंविजयगणिओ विद्यापुर महानगरमा प्रति लखी. प्र.सं./५०४६ परि./६५८७ Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ३--अजापुत्र चोपाई (रास) र.स. १५६१; ले.स. १६४५; हाथकागळ पत्र १ थी १५; २६.६४११ से.मि. ग्रंथान ६... प्र.स./५०४७ . परि./२८८१/१ धर्मसमुद्र वाचक (ख.) १-रात्रिभोजन रास ले.स. १६००: हाथकागळ पत्र १०; २६३४११.२ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छमां जिनसागरसूरिनी परंपरामा विवेकसिंहना शिष्य छे. अमने। समय वि.स. १६मा शतकने। छे. (ज. गू क. भा. ३, पृ. ५४८). प्र.स./५०४८ परि./३४९५ २-रात्रिभोजन रास ले.स. १७१७: हाथकागळ पत्र ८; २५.४११.५ से.मि. पद्य २६१. पाटणमां विनयप्रभसूरिओ प्रति लखी. प्र.स./५०४९ परि./४६६३ नयविजय जंबूकुमार रास ले.स. १७८६; हाथकागळ पत्र ३६; २६४११.५ से.मि. ____ कर्ता-कुशलविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स, १७ने। गण्या छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ७७८). प. रंगविजय>ग. डुंगरविजयना शिष्य मुनि लालविजये नवावासमा प्रति लखी. प्र.स./५०५० परि./३१५० १-नलायनरास र.स. १६६५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२२; २५.७४११.४ से.मि. इलदुर्गमां प्रति लखेली छे. प्र.स./५०५१ परि./७१११ २-नलायनेोद्धार रास र.स. १६६५; ले.स. १७२०; हाथकागळ पत्र १२२, २५४११ से.मि. तूटक. साध्वी विनयश्रीनी शिष्या साध्वी गुणश्री इग्लोङमां प्रति लखी. प्र.सं./५०५२ परि./४३११ रूपचंदकुमार रास र.स. १६३७; ले.स. १६६५; हाथकागळ पत्र ६७; २४.५४११ से.मि. ' रचना विजापुरमा थई. प्र.स./५०५३ परि./४९२२ नयसुंदर (व.त.) १-गिरिनार तीर्थोद्धार रास ले.स. १६९८: हाथकागळ पत्र ९; २५.५४१०.७ से.मि. तूटक. कर्ता-वडतपगच्छमां धनरत्नसूरिनी परंपरामां भानुमेरुगणिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मा शतकने। छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २ पृ. २५४). रचना दधिग्राम(देहगाम)मां थई. पत्रो १ थी ३, ६९ अने ७मुनथी, प्रस/५०५४ परि./६०७० Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास २-गिरनारमहिमा उद्धार रास ले.स. १८९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.२४ ११.६ से.मि. रचना दधिग्राम(देहगाम)मा थई. बर्हानपुरमा प्रति लखेली छे. प्र.सं./५०५५ परि./५०२७ १-शत्रुजयउद्धारास र.स. १६३८; ले.स. १८मुशतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४१०.८ से.मि. रचना अमदावादमां थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५०५६ परि./८५४९ २-शQजयउद्धाररास र.स. १६३८; ले.स. १७३२: हाथकागळ पत्र १०; २४.८४ १०.८ से.मि. पद्य १२१. रचना अमदावादमां थई. महोपाध्याय हीराचंद्रगणिना शिष्य चरणे प्रति लखी. प्र.सं./५०५७ यरि./६५११ ३-शत्रुजयउद्धाररास र.स. १६३८; ले.स. १७३३; हाथकागळ पत्र ६; २४.५४ - ११ से मि. रचना अमदावादमां थई. १. कल्याणकुशलगणि > प, दयाकुशलगणि > स. सुमतिकुशलगणि > ५. विवेककुशलगणिना शिष्य विनितकुशलगणिले जीर्णगढ( जुनागढ )मां, अमदावादना दोशी नेमिदास माटे प्रति लखी. प्र.सं./५०५८ . परि./८४४२ ४-शत्रुजयउद्धाररास र.स. १६३८; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ७; २४४११.४ से.मि. रचना अमदावादमां थई. श्राविका साकरवाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./५०५९ परि./५२१३/१ ५-शत्रुजयतीर्थोद्धार रास र.स. १६३८; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.४४११.५ से.मि. पद्य ११९. रचना अमदावादमां थई. पाल्लणपुरमा लखेली आ प्रति साध्वी जीवधी अने नवलश्रीने मळ प्र.सं./.०६० ६-शत्रुजयोद्धार र.स. १६३८; ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र ६: २६.३४१३.७ से.मि. रचना अमदावादमां थई. प्र.सं./५०६१ परि./२५० परि./८५६६ Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६३३ ७- शत्रुंजयाद्धार रास २.सं. १६३८; ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५० २६.८४१२.५ से.मि. उजमबाईनी आ प्रतिना लिपिकार अध्यार महासुखराम शिवराम. प्र.स ं./५०६२ परि. / २२२ ८ - शत्रुंजय द्वार रास २.सं. १६३८, ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.११ से.मि. पद्य १२६. पं. जीत विजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./५०६३ परि. / ६८४८ १ - सुरसुंदरी चरित्र रास र. सं. १६४६; ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २५.२x११ से. मि. प्र. सं;/५०६४ परि./१२२४ २ - सुरसुंदरी रास (आख्यान ) २. स. १६४६; ले.स. १६६३; हाथकागळ पत्र १५; २४.२४११ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. साध्वी सुरंगवृद्धि माटे प्रति लखाई. प्र.सं./५०६५ ३- सुरसुंदरी रास २. सं. १६४६; ले. सं. १६६८; ११.२ से.मि. शा. वीरजी अने विजलदेना पुत्र शा. कुंवरजीओ, नटीपद्र ( नडियाद ) मां, विजयसेनसूरिना धर्मशासनकाळमां, भालचंद्रमुनि माटे प्रति लखी. प्र.स ं./५०६६ परि०/५१२६ ४ - सुरसुंदरी रास र.सं. १६४६; ले. स. १७१७; हाथकागळ पत्र २६; २६४ ११.६ से.मि. परि. / ६४२६ हाथ कागळ पत्र २५; २५.५४ अंचलगच्छनी पालीताणाशाखाना पं. मुनिशील > मुनिगुणशील > मुनिविनयशीलना शिष्य जयशीलमुनिओ प्रति, गोलकुंडानगरमां-भाग्यनगरमा लखी. प्र. स ं./५०६७ परि. / ४१३८ ५ - सुरसुंदरी रास र.स. १६४६ ले.स १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २६४११.२ से.मि. प्र.स ं./५०६८ परि. / ४८२६ ६ - सुरसुंदरी रास र.सं. १६४६; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २५.७४१०.८ से.मि. पद्य ५११. प्र.सं./५०७० ८० प्र.सं./५०६९ ७ – सुरसुंदरी रास ले.स. १६८३; हाथकागळ पत्र २१ २४.२ १०.४ से.मि. ललित प्रभसूरिना शिष्य मनजीमुनिओ प्रति लखी. परि. / ४४३९ परि. / ७१३८ Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ नरपति कवि विक्रमादित्यचरित्र रास र. स. १६४९ ले.स. १७६५; हाथकागळ पत्र २७ २५.३४११ से.मि. तूट. कर्ता - जै. गू. क. भा. १, पृ. ८८ अने २९१मां नांधाया प्रमाणे अमने। समय वि.स ं. १७ना गण्या छे अनु जैन के जैनेतर होवानुं स्पष्ट नथी थयुं अहिं परंतु जैन कवि तरीके गणी शकाशे. पत्रो १लं, १७ थी १९ नथी. प्र.सं./५०७१ नरबद प्र.सं./५०७२ नंदलाल विमलमंत्री रास ले. स. १६ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ३ थी ५, २६.११ से.मि. पद्य ४१. कर्ता - पोताना कोई सास (म) सुंदरसूरिने गुरु तरीके ओळखावे छे. ( गाथा ४१ ). परि./५२६०/२ प्र.सं./५०७३ नेमकुंजर रास रुकमणी रास .सं १८७६ ले.स. १९२९; हाथकागळ पत्र २०, २०५१२.५ से.मि. कर्ता—वि.स ं. १९मां मात्र नामनिर्देशथी नांघायेला छे. (जै. गू. क. भा. ३, स्त्रं. १, पृ. ३८९). मनसाऋषिओ जालंधर ( जलंधर ) मां प्रति लखी. परि. / ४०१५ संघ (ह) कुमार रास र. स. १५५६ ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र १६, २४.८x १०.७ से.मि. पथ ४३०; खंड ४. कर्ता — वि.सं. १६मी सदीमा मात्र नामनिर्देशथी नांधायेला छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १००). राजनगर ( अमदावाद) मां गुणविजये प्रति लखी. परि./७९४ प्र.सं./५०७४ नेमविजय (त. ) १ – तेजसार रास र. सं. १८८७; ले.स. १८५१; हाथ कागळ पत्र ३१; २६.५४ ११.५ से.मि. कर्ता — - तपगच्छमां हीरविजयसूरिती परंपराना तिलकविजयना शिष्य छे. वि.सं. १८मी सदीना उत्तरार्धना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४४९) प. मानविजयगणि>>प कुशलविजयगणि> पं. हस्तिविजयगणिना शिष्य पं. माणिकविजये अलीयारपुरमां प्रति लखी. प्र.सि./५०७५ परि./३२१८ प्ररि./६६१२ ओमनेा समय विजयरत्न >> Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २-तेजसार रास ले.स. १८६८; हाथकागळ पत्र १४; २६.२४१२.५ से मि. 4. ज्ञानविजय>पं. गोविंदविजयना शिष्य जनविजये विसलनगरमा प्रति लखी. प्र.स./५०७६ परि./९७२ ३- तेजसार रास र.स. १७८७; ले.स. १८६८; हाथकागळ पत्र ३७; २७.३४ १२.८ से.मि. ___मुनि शुभविजये विसलनगरमा प्रति लखी. प्र.स./५०७७ परि./७९५ १-शीलवती रास र.सं. १७.०; ले.स. १८मु शतक (अनु.): हाथकागळ ४३; २५.८४११.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५०७८ परि./६७३८ २--शीलवती रास र.स. १७५० ले.स. १८१७; हाथकागळ पत्र ७३; २६४११ से.मि. गाथा ४ ३७; ढाळ ८४ ग्रंथाग्र २५६७ तूटक. प्रथम पत्र नथी. पं. लाभसागर >. दोलतसागर >. रामसागरगणि >मानसागरना शिष्य रूपसागरमुनि रुपरागामे प्रति लखी. प्र.स./५०७९ परि./२३१५ ३-शीलवती रास र.स. १७५० ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९६; २५४११ से.मि. तूटक. पत्र लुं नथी. प्र.स./५०८० . परि./४३७० ४-शीलवती रास २.स. १७५०; ले.स. १८५६; हाथकागळ पत्र ७५; . २५.४x १२.२ से.मि. विजयदेवसूरि > उपा. लावण्यविजयगणि > उपा. रत्नविजयगणि >५.खीमविजयगणि > प. ज्ञानविजयगणि>५. कान्तिविजयगणि>५. देवविजयना गरुबंधु गूलालविजय>. देवविजयगणिना शिष्य निधानविजय माटे ५. कान्तिविजयगणिो मेसाणामां प्रति लखी. प्र.सं./५०८१ परि,/२३३० नेमविजय (त.) १-धर्मपरीक्षा रास र.स. १८२१; ले स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १००; २६४१२ मे.मि. ढाळ ११६. कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयरिनी परंपराना रंगविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १९ना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ४८) कर्ताना स्वहताक्षर प्रति छे. प्र.स./५०८२ परि./१९८. Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३६ रास २-धर्मपरीक्षा रास ले.स. १८६१; हाथकागळ पत्र ९६; २४.२४११ से.मि. तेजहंसमुनिले प्रति लखी, प्र.स./५०८३ परि./५०४८ पद्मविजयगणि (त). १-जयानंदकेवली रास र.स. १८५८; ले.सं. १८६४; हाथकागळ पत्र १९७; २५४ १२.५ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपराना उत्तमविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १९मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ७३). रचना लींबडीमां थई. प. नेमविजयगणि >'. ज्ञानविजयगणिना शिष्य प. ललितविजये समीनगरमां प्रति लखी. प्र.सं./५०८४ परि./१०९८ २-जयानंदकेवली रास र.स. १८५८; ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र २३८; २६४ ११.४ से.मि. विजयदेवसूरि > लावण्यविजयगणि > रत्नविजयगणि > खीमाविजयगणि > प. नेमविजयगणि>प. ज्ञानविजयगणिना शिष्य प. कान्तिविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./५०८५ परि./३७३४ मदनधनदेव रास र.स. १८५७; ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २६४१२ से.मि. पद्य ४५९. रचना राजनगरमां थई. .प्र.स./५०८६ परि./६७३७ परमसागर (त.) विक्रमरास र.स. १७२४ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३८; २४.४१०.८ से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छमां जयसागर उ. नी परंपरामां लावण्यसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि स. १८ना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २१७). रचना गढवाडामां थई. पत्र १लु नथी. प्र.स./५०८७ परि./२४२५ परमानन्द गजसुकुमाल रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.५४११.८ से.मि. पद्य ८८. कर्ता-काई सुवर्धननुं पाताना गुरू तरीके नाम आपे छे. (प. ८८). . लिपिकार यति रामचंद्र. प्र.स./५०८८ परि./७०६१ Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पार्श्वचंद्र १-वस्तुपाल-तेजपाल रास र.स. १५९७*. ले.स. १५३८; हाथकागळ पत्र ४; १८.२४९.६ से.मि. पद्य ८५. ___ कर्ता-पार्श्वचंद्रगच्छना स्थापक छे. अमनो जन्म वि.स. १५३७मां अने स्वर्गवास वि.स, १६१२मां छे. अमनो लेखनकाळ स. १५८६-१६०० गणेलो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १३९-*१४.) ले.स. प्रतिमा आपेला छे से खोटे ठरे छे. प्रति वि.स. १७मां शतकनी संभवी शके. प्र.स./५०८९ परि./८२२६ २-वस्तुपाल तेजपाल रास र.स. १५९७. ले.स. १५६०; हाथकागळ पत्र ३; २६.१०.८ से.मि. पद्य ८६. परि./८२२६ प्रमाणे. ले.स. अने र.स ना मेळ नथी बेसतो. शा. भोजाना पुत्र वहुत-नी पुत्री कबाई माटे, ५. आनंदवीरना शिष्य संघसुभाग्यगणि हेमविमलसूरिना शासनकाळमां प्रति लखी. प्र.स./५०९० परि./६२३७ ३-वस्तुपाळ-तेजपाळ रास र.स. १५९७; ले.स. १६१५; हाथकागळ पत्र ११ थी १३; ३०.५४११ से.मि. पद्य ४८ तूटक. प्र.स./५०९१ परि./१२५१/१३ ४-वस्तुपाल(तेजपाल) रास र.स. १५९७; ले.स. १७ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २६.९४११.१ से.मि. पद्य ८५. प्र.स./५०९२ परि./८४५४ पुण्यतिलकमुनि (पुण्यरत्न) (आं.) १-नेमराजुल रास ले.स. १८मु शत्तक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४१०.९ से.मि. पद्य ६३. कर्ता-अंचलगच्छीय सुमतिसागरसूरिनी परंपराना गजसागरसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २४३). प्र.स./५०९३ परि./८५८८ २--नेमिजिन रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.९x१०.८ से.मि. पद्य ७०. प्र.सं./५०९४ परि./८५८० ३- नेमिनाथ रास ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५४१०.८ से.मि. पद्य ६४. __प. पुयण्यविजयना शिष्य नयविजये प्रति लखी. प्र.स./५०९५ परि./८४१९/३ Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुण्यसागर (पी.) १-अंजनासुंदरी पवनंजयकुमार रास र.सं. १६७७; ले.स. १७४४; हाथकागळ पत्र १२; २५.७४१०.७ से.मि. कर्ता-पीपलगच्छमां लक्ष्मीसागरसूरिनी परंपरामा विनयराज ने कर्मसागरसूरिना शिष्य छ. अमना समय वि.स; १७ना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५३०). तेजविजयना शिष्य गुणविजये सांडेरनगरमा प्रति लखी. प्र.स./५०९६ परि./८२५२ २-अंजनासुंदरी पवनंजय चोपाई रास र.स. १६७७; ले.स. १९मु शतक (अनु.); .. हाथकागळ पत्र २१; २५.८४११.५ से.मि. तूटक, पत्र १लु नथी. प्र.स./५०९७ परि./४३४० ३--अजनासुंदरी रास र.स. १६७७; ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र २२: २५४१०.७ से.मि. गाथा ६५६ ग्रंथाग्र ९००. तपगच्छना देवविजयगणि > महा. पा. लावण्यविजयगणि >प. रत्नविजयगणिना शिध्य खीमाविजयगणिले कूडानगरमा प्रति लखी. प्र.स./५०९८ परि./४३६८ ४----अंजनासुंदरी रास र.स. १६७9; ल स. १७६१; हाथकागळ पत्र ३४; १९.८x ११.८ से.मि. तपगच्छना हीररत्नसूरि> जयरत्नसूरिना भावरत्नसूरिओ झाझुवाडामा प्रति लखी. प्र.स./५०९९ परि./८१३८ ५-अंजनासुंदरी रास र.स. १६७७; ले.स. १८११; हाथकागळ पत्र २७, २५७४११ से.मि. ग्रंथाग्र ९०५. प.विनयविजयगणि>पं. हितविजयगणिना शिष्य प. जीवविजयगणिो सेवननगरमां प्रति लखी. प्र.स./५१०० परि./५५२३ ६-अंजनासुंदरी रास र.स. १६७७; ले.स. १६९९; हाथकागळ पत्र ३०; २६४११.२ से.मि. ग्रंथाग्र ९३९. वाचनचार्य मनजीना शिष्य रतनसी माटे, पूर्णिमापक्षनी प्रधानशाखाना विनयप्रभसूरिना शिष्य ऋषि हेमराजे प्रति लखी. प्र.स./५१०१ परि./५४२९ ७--अंजनासुंदरी रास र.स', १६७७; ले.स. १८५१; हाथकागळ पत्र २५: २३४ ११.५ से.मि. लक्ष्मीविजयना शिष्य ज्ञानविजये तवरीमा प्रति लखी. प्र.स./५१०२ परि./७७५७ Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास पूजाऋषि (पा.) ब्रह्मदत्त चक्रवर्तिरास ले.स. १६६७; हाथका गळ पत्र १७, २६११.२ से.मि. कर्ता --- पार्श्व चंद्रगच्छमां हंसचंद्रना शिष्य छे. ओमना (जै, गू क. भा. ३, खं १, पृ. ८२० ). पार्श्व चंद्रगच्छमां विमलसीऋषिओ वीरपुरमां प्रति लखी. ६३९ प्र.स./५१०३ पूर्णानंद (चं . ) मेघकुमार रास २.सं. १८८४ ले.सं. १८८८, हाथकागळ पत्र ५ २४.८४११०८ से.मि. कर्ता - -चंद्रगच्छमां क्षमारस्ननी परंपराना तारारत्नना शिष्य छे अमना समय र.सं. ने आधारे वि.सं. १९मीनेा छे. (पत्र ५ ). रचना नगरगडबोरमां थई. तपगच्छना पं. जगरुप हीराणीनी समक्ष पं खीमविजये प्रति लखी. समय वि.सं. १७ना छे. परि./५९८२ प्र.स ं./५१०४ प्रीतिविमल (त. ) अष्टप्रकार पूजा प्रबंधरास र. सं. १६५६ ले. सं. १७५१; हाथकागळ पत्र ३०; २६.५x ११.८ से.मि. गा. ९१४. ग्रंथाग्र १५००. कर्ता -- तपगच्छमां आनंदविमलसूरिनी परंपरामां जयविमलना शिष्य छे. ओमनेा समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २९३). रचना क्षेमपुरमा थई छे. पत्र ९ बेवडायुं छे. प्रति जीर्ण छे... पंन्यासे राजनगर ( अमदावाद ) मां प्रति लखी. परि./१५८८ प्र. स. . / ५१०८ प्र. सं./५१०५ मृगांक कुमार - पद्मावती रास र.सं. १६४९, ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १२; २६.६×११.४ से.मि. मानविमलमुनिओ प्रति लखी. परि. / ७३०६ प्र.सं./५१०६ परि. / २८४० वीरसेन रास र.स ं. १६७२; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८ २५.५ ११.३ से.मि. पद्य ३३३. नवानगरमा प्रति लखाई. प्र.स ं./५१.७ ब्रह्मजिनदास (दि.) अंबिका रास ले. स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८, २००२x११ से मि तूटक. कर्ता -- दिगंबरपंथि सकलकीर्तिनी परंपराना भुवनकीर्तिना शिष्य छे. अमनेा समय वि.स ं. १६ना छे. (जै. गू क. भा. १,१. ५५३). पत्रो १ थी ५ नथी प्रति जीर्ण छे. परि./६२०६ परि./१६१९ Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४० ब्रह्ममुनि (सु.) सुदर्शनसाधुरास ले.स. १७ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र १२; २७.७४१२ से.मि. कर्ता —- मूळ पार्श्व चंद्र गच्छीय हता परंतु अमणे पाछळथी वि.सं. १६०२मां जूदा सुधर्मगच्छ स्थाप्या, अमनेा समय वि.सं. १७ना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १५२). प्रति जीर्ण छे. परि०/८९०८ प्र.सं./५१०९ भद्रसेन १ - - चंदनमलयागिरि वार्ता रास लेस. १७३७; हाथ कागळ पत्र १२; २४४११ से.मि. कर्ता -- वि.सं. १६७५ आसपासमा थयेला अनुमानवामां आव्या छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५९६). रचना विक्रमपुर (बीकानेर) मां थई छे. नागोरीगच्छना पं. रामजीओ अकबरावाडमां प्रति लखी. प्र.स ं./५११० परि./६२३२ २ -- चंदनमलयागिरि रास ( चोपाई बद्ध ) ले.सं. १७८२; हाथका गळ पत्र ८; २५४ ११.२ से.मि. मुनि लालऋषि रास गामे प्रति लखी, परि./६३६५ प्र.सं./५१११ ३ -- चंदनमलयागीरी रास ( चोपाई बद्ध ) ले. सं. १७६४; हाथकागळ पत्र ९: १३-७४ ९००४ से.मि. पद्य ९९ तूटक. रास पत्र १लुं नथी. सीतामनगरमा रंगहषे प्रति लखी. प्र.सं./५११४ प्र.सं./५११२ भवानमुनि ( त . ) वंकचूल रास ले.स. १६६०, हाथकागळ पत्र ३०; २४ ९x११ से.मि. पद्य ४८४. कर्ता -- तपगच्छमां वि.सं. १६२६मां थया. (जै. सा. इति. पृ. ६०६ फकरो ८९६). राजनगरमां प्रति लखेली छे. परि. / ४३९३ प्र. स / ५११३ भाणविजय (त. ) विक्रमादित्य रास र.सं. ले.सं. १८६२; हाथकागळ पत्र १७८ २७४१२.८ से.मि. कर्ता -- तपगच्छमां विजयप्रभसूरिनी परंपरामां प्रेमविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १९मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १३४ ). औरंगाबादमां रचना थयेली छे. चाणस्मानगरमा जिनविजय अने शुभविजये प्रती लखी, परि./८६३४ परि. / ७९२ Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास भाव कवि (ब्रा) हरिश्चद्र रास ले.स. १६५७; हाथकागळ पत्र १०; २४४११.३ से.मि. पद्य २९८. कर्ता--ब्राह्मण गच्छमां बुद्धिसागरसूरिनी परंपरामा गुणमाणिकयना शिष्य छे. अमने। . समय वि.स. १६मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ६३३). काविठामा ज्ञानरत्नमुनिले प्रति लखी. प्र.स./५११५ परि./११२१ भावप्रभसूरि (आ.) अंबडरास २.स. १७७५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६९; २६.४ ११.५ से.मि. कर्ता-पाव चंद्र गच्छीय चंद्रप्रभसूरिनी परंपरामा महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १८मी सदीना उत्तरार्धने। छे. (जै. गू. क. भा. २ पृ. ५०३). . . रचना पाटणमां थई. प्र.सं./५११६ परि./२२५२ १-बुद्धिविमलासती रास र.स. १७९९; ले.स. १८०५; हाथकागळ पत्र ५०; २४४ . १०.५ से.मि. . रचना अणहिलपुर पाटणमां थई. पूर्णिमागच्छनी प्रधानशाखाना ढंढेरगच्छना भावप्रभसूरिना शिष्य भाणरत्न ऋषि प्रति लखी. प्र.सं. ५११७ परि./५१०८ - २-बुद्धिविमलासती रास र.सं. १७९९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४८; २४.७४११.८ से.मि. प्र.सं./५११८ परि/२०६३ १-सुकडी ओरसिया संवाद रास र.सं. १७८२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २६४११ से.मि. प्रति जीर्ण छे.. प्र.स./५११९ २--सुकडी ओरसीया संवाद रास र.स. १७८२; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २५.५४११.५ से.मि. प्र.स./५१२० परि./१९६० ३-सुकडी ओरसीया मंवाद रास र.स. १७८२; ले.स. १८मुंशतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १४; २६४११.३ से.मि. प्र./५१२१ परि./२१३५ परि/८९१६ Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ रास 1-सुभद्रासती रास र.सं. १७९७; ले.स. १८मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २६; २५४११.८ से.मि. रचना पाटणमां थई. प्र.स/५१२२ . परि./१९९७ २-सुभद्रासती रास र.स. १७९५; ले.स. १८९ शतक (अनु) हाथकागळ पत्र १ थी २५; २५.५४११.५ से.मि. रचना पाटणमां थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५१२३ परि./८९५१/१ १-चंद्रप्रभसूरि रास र.सं. १७५४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २६४११.२ से.मि. पद्य २९५. आ कृति अप्रचलित छे. प्रति अणहिलपुर(पाटण)मां लखेली छे. प्र.स./५१२४ परि./४४२३ २-चंद्रप्रभसूरीश्वर रास र.स. १७५४; ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र १०; २६:३४ ११.३ से.मि. परंपरा प्रतिमांथी मळे छे. कर्ताना स्वहस्ताक्षर प्रति पाटणना ढंढरपाटक(पाडो)मां लखेली छे. प्र.स/५१२५ परि./४७७i १-जयविजय नृप रास र.स. १७६९; ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र २४; २६.२४ . ११.४ से.मि. रचना अप्रचलित छे. रूपपुरमां रचाई छे. , कर्ताना स्वहस्ताक्षर प्रति अणहिणपुर (पाटण)मां लखेली छे. प्र.स./५१२६ परि./४४०३ .. २--जयविजय नृप रास र.स. १७६९; ले.स. १७८४; हाथकागळ पत्र ४२; २५.४४ से.मि. आ रचना अप्रचलित छ कांना शिष्य अने शंकरजीना पुत्र (दिशावलज्ञाति) शंभुदासे पाटणमां प्रति लखी. प्र.स./५१२७ परि./४९७१ ....१-धन्यबृकहद् (शालिभद्र) रास र.स. १७७२; ले स. १७८४; हाथकागल पत्र ६८; २५.२४११.६ मे.मि. तूटक. रचना अणहिल्लपुर(पाटण) मां थइ. जीर्ण प्रतिनां पत्रो १थी १५ नथी. दीशावाल ज्ञातिनां व्यास लक्ष्मीभद्र ईश्वरजी पाटणमां प्रति लखी. प्र.स./५१२८ परि./८९५३ Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रासे २-धन्य रास र.स. १७७२. ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५; २६.३४११.४ से.मि. ढाळ ४२ खं. २. प्र.स./५१२९ परि /२१३४ ३-धन्य शालीभद्र रास २.स. १५७२; ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ५९; २४.७४१1 से मि. प्र.सं./५१३० परि,/६२८५ १-महिमा प्रभसूरि निर्वाण कल्याणक रास र स. १७८२; ले सं. १७८४; हाथकागळ पत्र १२; २६४१६ से.मि. कांना शिष्य प्रयागजी पाटगना ढंढेवाडामां लखेली आ प्रति गुरु हेमचंद्रने मळी. प्र.स./५१३१ परि./८८५० २-महिमाप्रभसूरि निर्वाण रास र.सं १७७२; ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५; २६.२४१ । से.मि. प्र.स./५१३२ परि./२९३१ ३-महिमाप्रभसूरि निर्वाण रास ले.स. १७८४; हाथकागळ पत्र ९; २२४११ से.मि. प्रति जीर्ण छे. कर्ता अने अमना शिष्य प्रयागजी प्रति लखी. प्र.स./५१३३ परि /८९११ १-हरिबल रास र.स. १७६९; ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र २८; २६.१x११.४ से.मि. रचना रूपपुरमा थई. कर्तानी परंपरा प्रतिमांथी पण मळे छे. कांना स्वहस्ताक्षर. प्रति पटणना ढंढेरपाटकमां लखाई. प्र.सं./५१३४ परि./२९२९ २-हरिबल रास. र.स. १७६९; ले.स. १७८४; हाथकागळ पत्र ३९; २५.३४११.३ से.मि. पद्य ८४९ __ लिपिकार दिशावाल ज्ञातिना शंकरजीओ कर्ताने माटे पाटणमां प्रति लखी. प्र.सं./५१३५ परि./४९७० भावविजय (त.) ध्यान स्वरुप रास. र.सं. १६९६; ले.स १७७७: हाथकागळ पत्र १३; २४४१३.२ से.मि. कर्ता-तपगच्छमा विमलहर्ष सूरिनी परंपराना मुनिविमलना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मुशतक छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ५८१) रचना खंभातमा थई छे. आगम गच्छना शांतिविमलमुनि शाह नथु माटे प्रति लखी. पत्र १ थी ४ नथी. प्र.सं./५१३६ परि./२७५ Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ăvé शुकराज रास र.सं. १७७३; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३-५४११.५ से. मि. ग्रंथाग्र. १००० प्र.स ं./५१३७ परि./६७३६ भावशेखर (अ.) रूपसेन राजर्षि रास र. सं. १६८३; ले.स. १६८४; हाथकागळ पत्र ३०; ११ से.मि. पद्य ८०१. प्र.सं./५१३८ कर्ता - अंचलगच्छमां कल्याणसागरसूरिनी परंपराना विवेकशेखरना शिष्य छे. ओमने समय वि सं. १७ ना छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं, १.५. ९९६). रचना नवानगरमा थई. कर्तानास्वहस्ताक्षर प्रति गोयाणागामे लखेली छे. परंपरा कृतिमांथी पण मळे छे. परि./८८६९ रास ६०; तारजमुनिरास र सं. १६८१; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.७४११ से.मि ढाळ १३; ग्रंथाय ३३४. गाथा ३३४; रचना मातरमां थई छे. २३.३४ प्र.स ं./५१३९ भावहर्ष (ख.) शीलमंडप नबवाड रास. र. सं. १७०२; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०: २६-५४११.७ से.मि. कर्ता — खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरि > रंगनिधानना शिष्य छे. (गा. २२). आ कर्ता जे. गू. क.नां नांधायेला नथी. रचना स्थळ ईडर. परि./५१३९ प्र.स ं./५१४० मीमो भावसार श्रेणीक रास २.सं. १६२१; ले.स. १६४६; हाथकागळ पत्र ७थी १४; २६-७ ११ से.मि. तूटक, कर्ता — वि.सं. १७मा नांधायेला छे. (जै. गू. क. भा, १ पृ. २२६ ) रचना वटपद्र ( वडोदरा ) मां थई. परि. / २१०३ पत्रो १ थी ६ नथी. पं. मेहा हरदासे प्रति लखी, परि. / ५१४१ भुवनकीर्ति (ख.) अंजनासुंदरी रास. र.सं. १७०६; ले. सं. १७३७, हाथकागळ पत्र २०; २४.८४१०.९ से. मि. पद्य २४८. कर्ता - खरतरगच्छमां खेमशाखा स्थापक क्षेमकीर्ति संतानीय शिवसुंदर पाठकनी परंपरामां ज्ञानानंदना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं १६९१नी रचना पण मळे छे. (जै.. गू. क. भा. १. पृ. ५६१) रचना उदयपुरमा थई. पाटणमां प्रति लखाई. प्र.स ं./५१४२ परि०/८५८९ परि. / ७४६५ Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रा भूघरमुनि (लो). जम्बूकुमार रास. र.सं. १८०७ ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.५ ×११.७ से.मि. कर्ता लोकागच्छमां जसराजना शिष्य छे. समय वि.सं. १९ आरंभना छे. (ज. गू. क. भा. ३. खं १ पृ. ६६ ) आ रचना अप्रचलित छे. भाणवडमां प्रति लखेली छे. प्र.सं./५१४३ मतिशेखर उपा. ( उ . ) इलातीपुत्रऋषि रास. ले स. १७ शतक (अनु.) ; हायकागळ पत्र १ थी ६; २५-३x १०.३ से.मि. पद्य १६४ कर्ता - उपकेश गच्छमां देवगुप्तसूरिती परंपरामां शीलपुरंदरसूरिना शिष्य; समय वि.सं. १६ ने। (जै. गू. क. भा. खं १. पृ ४६७) प्रति साव जीर्ण छे. ६४५ परि./८८८६/१ प्र.सं./५१४४ १ – धन्नाऋषि रास ( चोपाईबद्ध) र.सं १५१४; ले. सं. १७ शतक (अनु) हाथका गळ पत्र १९ थी ३२, २५४११ से.मि. पद्य ३२६. प्रति जीर्ण छे. प्र. स. / ५१४५ परि./८८७८/३ २ - धन्नाचरित्र रास र.स ं. १५१४; ले.स. १७५ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र १५: २५४१००८ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी. प्र.स ं./५१४६ परि० / ७९४४ ३ - धन्नाचरित्र रास. र.सं. १५१४; ले.स. १६४४; हाथका गळ पत्र १२; २६४१०.८ ग्रंथाग्र ५००. कूकयाग्रामे लक्ष्मीसिद्धि माटे प्रति लखेली छे. १६ ना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६१५). रचन | पाणमां थई. परि. / ७८५० प्र.स / ५१४७ मतिसागर ( आ . ) १ - क्षेत्रसमास रास र.सं. १५९४ : ले.स. १६८२; हाथकागल पत्र १६ २६.५४११.५ से मि कर्ता - आगमगच्छयां सामरत्नसूरिनी पाढे गुणमेरूना शिष्य छे. अमने समय वि.स ं. प्र.सं./५१४८ मेरूतुंगसूरि > क्षमारत्नसूरि बुद्धिमेरुगणिना शिव्या विद्यासागरगणि > विनयमूर्तिगणिना शिष्यो लक्ष्मीगणि अने मुनि नेमिसागर (जेमणे) आ प्रति लखी. परि./१५९२ परि./५३३४ Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ २ - क्षेत्रसमास प्रकरण रास २१; २५•५×११.३ से.मि. नयरत्ने प्रति लखी. प्र.स ं./५१४९ ३- - क्षेत्रसमास विवरण रास २४.७४१००८ से. भि. मुनिगुणजीओ प्रति लखी. प्र.सं./५१५० मतिसार र.स ं. १५९४; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २.सं. १५९४; शंस परि०/४३०१ ले. स. १६५७; हाथकागळ पत्र १५; कर्पूरमंजरी रास २. सं. १६०५ ; ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथ कागक पत्र ८ २५४१०.८ से.मि. पद्य २०१ तूटक. कर्ता - आगमगच्छना गुणमेरूना शिष्य अथवा कोइ जैनेतर होई शके (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, १. ६५७). पत्रो १ थी ४ नथी. कर्ता - खरतरगच्छमां जिनसिंहसूरिना शिष्य छे समय वि.सं. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५०३). आ रचना जे. गू. क.मां नांधायेली कृतिमांथी पण मळे छे. प्र.सं./५१५२ परि./१२०१ प्र.सं./५१५१ मतिसागर (ख.) गजसुकुमाल रास र.सं. १६९९, ले.सं. १७१४; हाथकागळ पत्र १७, २५.५४११.५ से.मि. ढाळ ३०; ग्रंथाग्र ७५०. परि. / ६४८८ परि / ४१४७ कसेन रास २. स. १६०५, ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १३; २५०७४ १०.५ से.मि. पद्य ३९२. जै. गू. क. भा. १, पृ. ५०३ अने भा. ३, खं. १, . ६५५मां अनुक्रमे २. स. १६७५ अने १६०५ स्वीकारेला छे. प्र.स ं./५१५३ परि./८५९५ १७सीना छे. नथी. परंपरा मदसूदन व्यास विक्रमचरित्र हंसावती चोपाई ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ : २४.७ ११ से. मि. पद्य ३९८. कर्ता — वि.सं. १७मां थयेला मानवामां आवता जैनेतर कवि छे. (जै गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. २१५७). प्र. सं. ५१५४ परि./६४१६ Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास महिराज पंडित (श्रा.) अंजनासुंदरी रास र.स. १६१४; ले.स . १६६६; हाथकागळ पत्र २९; २६.३४११ से.मि. गाथा ५३२. कर्ता - तपगच्छमां विनयमंडन उपा > (१) विवेकमंडन (२) सौभाग्यमंडनना लघु शिष्य श्रावक छे. अमना समय वि.सं. १७ना छे. (गाथा ५२४ थी ५३२) स्तंभतीर्थ (खंभातना) सीधर परीखनी पुत्री बाईरतन माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५१५५ परि./३३७४ मंगलप्रभ गौतमस्वामी रास ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १ थी २; २६४११ से.मि. पद्य ४५. कर्ता-परिचय माटे परि. ८७२५/१ अने प्र.स. ५२४३मां जुआ. आ रचना खरेखर तो उपा. विनयभद्रनी छे. परंतु प्रतिमां कई तरीके मंगलप्रभुनु नाम छे. प्र.सं./६१५६ __ परि./४५२४/१ मंगलमाणिक्य (आ.बि.) विक्रमखापरा तस्कर रास (प्रबंध) र स. १६३८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.३४११.१ से.मि. पद्य ४३२. कर्ता-आगम-विडालंबगच्छमां मुनिरत्नसूरिनी परंपराना भानुभट्टना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७नेा छे. (जै, गू क. भा. १. पृ. २४७). रचना उजेणी (उज्जैन)मां थई. प्र.स./५१५७ परि./८५७९ माणिकराज (व.) दमयंती रास र.स. १५९०; ले.स. १६५७: हाथकागळ पत्र २२, २५-७४१०.८ से.मि. गाथा ४८७ तूटक. कर्ता-वडगच्छमां रत्नशेखरनी परंपराना संयमराजसूरिना शिष्य छे. (गा. ४८३ थी ४८६ पत्र २२). अमना समय वि.स. १६नो मानी शकाय. पत्र १ थी १० नथी. विकानेरमां (बीकानेर ?) रचना थई. नागपुरमा प्रति लखनार मानसिंध प्र.स./५१५८ परि./४२२९ मानमुनि (त.) गुरुतत्त्वप्रकाश रास र.स. १७०१ ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २५.२४१०.८ से.मि. पद्य १०२. ___ कर्ता-तपगच्छमां शांतिविजयना शिष्ट छे. अमना समय वि.स. १८ना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १२४०). .. ', रविवर्धने रानेरमा प्रति लखी, प्र.स./५१५९ परि./.५७८२ Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ सप्तनय विवरण रास ले.स. १८३२; हाथकागळ पत्र १५ १७.८४११ से.मि. पद्य ८९. बृहद् खरतरगच्छना जिनरत्नसूरिं > विद्यालाभसूरि > दयासेन > अमीचना पुत्र पं. माणिकचंद्रे गुलाबसुंदर माटे प्रति लखी. प्र.स ं./५१६० परि / ८२१३ शस मालमुनि ( ल . ) छ भाईना रास २.सं. १८५७; ले. सं. १८६१: हाथका गळ पत्र १८ २६.४४११.८ से मि. तूटक ढाळ २१. कर्ता — लेांकागच्छमां खूबचंद संतानीय नाथाजीना शिष्य छे समय वि.सं. १९ मे । छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. २८) • रचना अने लेखन स्थळ मांडवीबंदर मालजीमुनिना शिष्य शिवजीमालजीऋपिओ संघवी जीवण देवचंदनी पत्नी बाई नाथी माटे प्रति लखी. प्र.सं. / ५१६१ परि /९१९ मुनिसुंदरसूरि (त. ) सुदर्शन श्रेष्ठी रास र.स ं. १५०७* ले.सं. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १०; २६.९४११ से.मि. तूटक. कर्ता — तपगच्छना सोमसुंदरसरिना पट्टधर छे. ओमने। विसं. १४७८ आचार्यपद - * १५०३मां स्वर्गवास (?) जे. सा. इति पृ. ४६२ थी ४६५ - * स्वर्गवासना वर्षमां कांईक भूल लागे छे.) जै. गू. क.मां आ कर्ताना के ई निर्देश नथी. र.सं. पत्र ९-१०मां छे. पत्रो १ अने २ नथी. परि./३३३३/१ प्र.सं./५१६२ मेघराज मुनि (प.) ऋषिदत्त महासती रास २.स ं. १६५७ ले.स. १० शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १३; २५x११ से.मि. खं. ५. कर्ता - पार्श्वचंद्रीय गच्छमां समरचंदनी परंपराना श्रवणना शिष्य छे. अमनेा समय वि.सं. १७ने छे. आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी (जै. गू. क. भा. १, ५. ४०१). परंपरा प्रतिमांथी पण मळे छे. (खं. ५). प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./५१६३ मेरुविजय (त. ) उत्तमकुमार रास र.स ं. १७३२. ले.स ं. १७३८; हाथकागळ पत्र ५३; २३१००३ से.मि पद्य १३४६ तूटक. कर्ता — उपगच्छना विजयदानसूरिनी परंपरामा रंगविजयगणिना शिष्य छे. भेमनेा समय वि.सं. १८मीना पूर्वार्धनेा छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ १९०) रचना खंभनय र (खंभात) मां थई छे. पत्र ४१ नथी. पत्रो १, २, ४, ५ उधाई ओ खराब करेला छे. - परंपरा १३४१-४४ गाथामां पण आवे छे. आ रचना जै. गू. क.मां नांधयेली नथी. प्र.स ं./५१६४ परि./६६७६ परि. / ४३२२ Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त ६४९ वस्तुपाल - तेजपाल रास र. सं. १७२८; ले.सं. १८२२; हाथकागळ पत्र ४०; २६-३४ ११.७ से.मि. तूटक. रचना कानडी वीजापुरमा थई छे. पत्रो १ थी ५ नथी. धर्मविमलमुनिओ वैराटनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./५१६५ मोहन विजय (त. ) १ - चंदराजा रास र. स. १७८३; छे.स. १८२६; हाथकागळ पत्र १०७; २४.८४ ११.३ से.मि. क- तपगच्छमां विजय सेनसूरिनी परंपरामां रूपविजयना शिष्य छे. अमनेा समय वि.स ं. १८ने छे. ((जै. गू. क. भा. २, पृ. २४८). प्र.स./५१६६ परि. / २६६६ २ -- चंद्रकेवली रास र.सं १७८३; ले.सं. १८१८; हाथकागळ पत्र १३३; २६.५४ ११.५ से.मि. विजयधर्मसूरिना शासनकाळमां पं. प्रेमविजयगणिना शिष्य अमृत विजयगणि माटे कुंवर विजय > तस्वविजय दर्शनविजयगणिकान्तिविजयगणिना शिष्य पं. नायकविजये गीर (वागड) मा प्रति लखी. प्र.सं./५१६७ परि. / २७२० ३ - चंद्रचरित्र रास र. स. १७८३; ले. स. १८८२; हाथकागळ पत्र १३०; २४.५४ ११.७ से.मि. परि./३२८२ पं. प्रताप विजयनी साथेना पं. फेत्तहविजय माटे चे मासा दरम्यानम पं. मुक्तिविजयगणि मालगढमां प्रति लखी. प्र.सं./५१६८ परि० / ४८९८ ४ - चंद्ररास र. सं. १७८३; ले. स. १८१५: 'हाथकागळ पत्र ७४; २६४११.५ से.मि. प्र.स ं./५१६९ परि. / २४६४ ५ - चंद्ररास र. सं. १७८३; ले. स. १८४४; हाथका गळ पत्र १०३; २५.८४१२ से.मि. डुंगर विजये भरुचनगरमां प्रति लखो प्र.सं./५१७० परि./९९१ ६ - चंद्ररास र. सं. १७८३ ले.स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९५ २६४ ११.८ से.मि. प्र. सं / ५१७१ परि. / २३३६ ८७; ७ - चंद्रराजारास र.स. १७८३; ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७९१२.५ से.मि. अपूर्ण. परि. / १००४ प्र.सं./५१७२ ८२ Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . रास १-नर्मदासुंदरीरास र.स. १७५४: ले.स. १७७१; हाथकागळ पत्र ६६; २६.५४ १०.८ से.मि. रचना समी गामे थई. पं. चारित्रसौभाग्य > प. नित्यसौभाग्य > ५. कल्याणसौभाग्यना शिष्य प. कान्तिसौभाग्ये प्रति लखी. प्र.स./५१७३ परि./१७८० २-नर्मदासुंदरीरास र.स. १७५४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); पत्र ४५; २६४११.८ .... से.मि. गाथा १४५४. ___ रचना समी गामे थई छे. पालणपुरमा प्रति लखेली छे. .सं./५१७४ . परि./४८१४ ३-नर्मदासुंदरीरास र.स. १७५४; ले.स. १७९७; हाथकागळ पत्र ६६; २६.३४ ११.६ से.मि. : : रचना समी गामे थई. कुशलसाग़रमुनिशे राजनगर(अमदावाद)मां प्रति लखी. प्र.स./५१७५ परि./४६०९ ४- नर्मदासुंदरी रास र.स. १७५४; ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४६; २६.८४१२ से.मि. तूटक. . रचना समी गामे थई. ... पत्रो १ थी २५ नथी. प्र.स./५१७६ परि:/१६५७ १-मानतुंग-मानवती रास र.सं. १७६० ले.सं. १७८०; हाथकागळ पत्र २८; २६४ ११.२ से.मि. ...... रचना पाटणमां थई. प'. नेमविजयगणि राधनपुरमा प्रति ळखी प्र.सं./५१७७ परि./६१६९ ...२-मानतुंग-मानवती रास र.सं. १७६०; ले.स. १७६५; हाथकागळ पत्र ३२; २४.३४११ से.मि. ...... रचना पाटणमां थई छे. प. लालकुशलगणि अने प. वीरकुशलगणिना गुरुभाई मतिकुशलगणिना शिष्य न्यायकुशलगणिसे प्रति लखी. प्र.स./५१७८ ..... परि ६५३५ .. ३- मानतुंग-मानवती रास र.स. १७६०; ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र ३७ ... २५.५४११-४ से मि. ' रचना पाटणमा थई. लेखनस्थळ अंबारण. प. रत्नविजयगणि>५. उदयविजयगणिना शिष्य . रंगविजय माटे प्रति लखी. प्र.सं./५१७९ परि.१४३०२ Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . .. ४-मानतुंग-मानवती रास र.सं. १७६०; ले.स. १७७८; हाथकागळ पत्र १ थी ३१; २५४११.५ से.मि. तूटक ___ रचना पाटणमां थई. पत्र १लु नथी. प. तत्त्वहसपणि माटे ५. लक्ष्मीविजयगणि, प. अमरविजयगणिना शिष्य पं. लब्धिविजयगणिले लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५१८० परि./३९५२/१ . . ५-मानतुंग-मानवती रास . २.स. १७६५; ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र २७; २६.५४ १२.१ से.मि. . . . रचना अने लेखनस्थळ पाटण. प्र.सं./५१८१ परि./९५५ ६-मानतुंग-मानवती रास र स. १७६०; ले.स. १८०९; हाथकागळ पत्र ३९; २६.५४११.८ से.मि. पद्य १.१५. रचना पाटणमा थई. प. विमलविजय>५. नित्य विजय >प, नरविजयगणि>4. केसरविजयगणिना शिष्य दीपविजय मुनि) बारे जानगरमां प्रति लखी. प्रस.५१८२ परि /३१७७ ७–मानतुंग मानवती रास र.सं. १७६०; ले.स. १८१३; हाथकागळ पत्र ४२; २२.५४१००२ से.मि. तूटक. रचना पाटणमां थई. पत्र १लु', ४थु नथी. १. नेमविजयगणि>प. खुशालविजयगणिना शिष्य पं. जयविजयगणि चाणस्मामां लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५१:८३ परि./७७३५ ८-मानतुंग मामवती रास.. र.स. १७६०; ले.स. १८४४, हाथकागळ पत्र ४६; २४.८४११.३ से.मि. प. जीवणचंद्रगणिना गुरुभाई प. दानचंद्रगणि>५. दोलतचंद्रगणिना शिष्य पं. भावचंद्रगणि पिंपलदल ग्रामे प्रति लखी. M/५१८४ परि./३९७० :-मानतुंग-मानवती रास र.सं. १७६०; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५४; २५.१४१२ से.मि. प. प्रसिद्धसागरजीनी कृपाथी आणंद नगरमा सवदास माटे, तीर्थ सागरजीना शिष्य पः सूर्यसागरजीले प्रति लखी. प्र.स./५१८५ परि./४८५ १०-मानतुंग मानवती रास; र.स. १७६० ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथका गळ पत्र ३६; २५.७४१०.७ से.मि. ढाळ ४४नी कही ११ सुधी अपूर्ण.. प्र.सं./५१८६ परि./६५२०० Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११-मानतुंग-मानवती रास र.स. १७६०; ले.स. १८५७; हाथकागळ पत्र ५७; २४.११.३ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी. . देसुरीगरमां जसविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./५१८७ परि./६६२८ १२-मानतुंग मानवती रास र.स. १७६०; ले.स. १९१२; हाथकागळ पत्र ४७; २६४१२.३ से.मि. दुर्गादास राठोडना राजयकाळमां, मेडतानगरमा ५. गणपतिविजये प्रति लखी. पत्र २६#बेवडाव्यु छे. प्र.स./५१८८ परि./१८५७ १-रत्नपाल (ऋषि) रास र.स. १७६०; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९; २४.५४१०.८ से.मि. रचना पाटणमां थई. प्र.स./५१८९ परि./६२८३ २-रत्नपाल (ऋषिचरित) रास र.सं. १७६० ले.स. १७७३; हाथकागळ पत्र १३; २५.२४११.१ से.मि. रचना पाटणमां थई. काम्मी(काश्मीर)पुरमां सिद्धसोमगणिले अमना अनुयायी मीठाचंद अने शिष्य केसरसोम माटे प्रति लखी. प्रसं./५१९० परि:/१२३२ ३-रत्नपाल रास र.स. १७६०; ले.स. १८२०; हाथकागळ पत्र ५७; २५.३४११.८ से.मि. तूटक. रचना पाटणमां थई. पत्रो १ थी ५ नथी. प. प्रेमविजयगणिभे पाटण बने तारंगामां प्रति लखी. प्र.स/५१९१ परि./1UR ४-रत्नपाल रास र.सं. १७६०; ले.स. १८४८; हाथका गळ पत्र ४१, २५.८४१२ से.मि. रचना पाटणमा थई. पत्तलीनगरमा ५. मेघविजयना शिष्य प. हंसविजये प्रति लखी. प्र.सं./५१९२ परि./९९८ ५-रत्नपाल रास र.स. १७६०; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६५; २५.७४११.८ से.मि. तूटक. पत्र १लु नथी. पाटणमां कृति रचाई. प्र.स./५१९३ परि./७१५४ Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -रत्नपाल रास र.स. १७६०; ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र.३१% २४.७४११.२ से.मि. अपूर्ण. . रचना पाटणमां थई. . प्र.सं./५१९४ . परि./६६०३ हरिवाहन रास र.स. १७५५: ले.स. १८५६; हाथकागळ पत्र ३०; २६.५४११.५ से.मि. रचना महेसाणामां थई. वीजापुरमा लब्धिविजयमुनिभे प्रति लखी.. यशोविजय (त.) . ..... . ... १-द्रव्यगुण पर्याय रास र.सं. १७११ ले.सं. १७२४; हाथकागळ पत्र २४, २५.२४ ११ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां कल्याणविजयनी परंपरामां नयविजयना शिष्य ले. अमना समय वि.स. १८नो छे. (जे. गू. भा. २ पृ. २०). ऋषिसुंदरने प्रति मळी. प्र.सं./५९९७ परि./१३२४ २-द्रव्यगुणपर्याय रास सस्तबक र.स. १७११; ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५०; २६४१२.२ से.मि. पद्य २८३ (मूळ). _ स्वोपन कृति छे... प्रति जीर्ण छ..... प्र.स/५१९७ परि./८८५९ ३-द्रव्यगुण पर्याय रास सस्तचक र.स. १७११; ले.स. १७५३; हाथकागळ पत्र ७३: - २४४१०.७ से.मि. स्वोपज्ञ कृति छे. पं. चंद्रविजयगणिभे राधनपुरमा प्रति लखी... प्र.सं./५१९८ ___परि./५०५४ रत्नसुंदर (प.) पंचकारण रास (पंचाख्यान रास) र.सं. १६२२; लेस. १७४९; हाथकागळ पत्र ६९; २५.१x११.३ से.मि. पद्य २६००. कर्ता-पूर्णिमा गच्छमां गुणमेरुना शिष्य छे. अमना समय वि स. १७नो छे. ... (जे. गू. क. भा. १, पृ. २३०). रखमा साणंदमां थई छे. (मूळ रचना संस्कृतमा विष्णुशर्मानी छे जेना पर आ रचना आधारित छे.) पं. कीर्तिविजय>. तेजविजयगणिना शिध्य मुनि भाग्यविजये वाल्हिनगरमा प्रति लखी. प्र.सं./५१९९ परि./३९४६ Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५४ रंगकवि खीचड रास ले.स. १८०२; हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.८ से.मि. पद्य १९. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे (पद्य १९). प. हस्तिनी साथेना खुशालविजये प्रति लखी. प्र.स./५२०० परि.६४६८/१ रंगसागर (2) (व त.) (रंग) १-चंपकमालारास र.स. १५०८ (१५७८ ?) ले.स. १६६७; हाथकागळ पत्र २२ २५.८४११.२ से.मि. ग्रंथान १०... कर्ता-वडतपगच्छमां लब्धिसागरसूरिनी परंपरामां सौभाग्यसागरना शिष्य छे अने वि.स. १६मां थयेला गणाय (पत्र २२). रचना दमणमां थई-राजकुलमुनि प्रति लखी. प्र.स./५२०१ परि /४४५० २-चंपकमाला प्रबंध रास र.स. १५७८ (१५०८) ले.स. १६६१; हाथकागळ पत्र २२; २५४११.२ से.मि, रचना दमणमां थई. प्र.स./५२०२ परि./५०६४ राजधर्म दामन्नककुल पुत्र रास ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २५.८x११ से.मि. कर्ता-राजसागरना शिष्य छे (प.४). स्वहस्ताक्षर प्रति छे. प्र.स./५२०३ . परि./३८०९ राजरत्न उपा (त.) 1-कृष्णपक्षी-शुकलपक्षी रास (विजयशेठ विजयाशेठाणीना रास) र.स. १६९६. ले.स. १७१२; हायकागळ पत्र ३१; २४.५४१०.८ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां लक्ष्मीसागरसूरिनी परंपराना जयरत्नना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७ना छेल्ला वर्षाना छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १, पृ. १०६२ परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे). चंदनमलयागिरि पण आ रचनान ३जु नाम छे. . . प्र.स./५२०४ परि/२४६२ २---कृष्णपक्षी-शुकलपक्षी (विजयशेठ-विजयाशेठाणी) रास र.सं. १६९६ ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २४.८x११ से.मि. पद्य ४७८. आ रचनान ३जु' नाम 'चंदन मलयागिररि' रास पण छे. प्र.स./५२०५ परि/५०७९ Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास.. ३-कृष्णपक्षी-शुकलपक्षिणी (विजयशेठ विजया शेठाणी) रास र.स. १६९६. ले.स. .....16मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५.२४११.४ से.मि. आ रचनानु ३जु नाम 'चदनमलयागिरि' रास पण छे. प्र.स./५२०६ परि./२९६० राजविजय (त.) - गजसिंहकुमार रास र.स. १७३६; ले.स. १७९८ हाथकागळ पत्र २०: २५.५४११.३ से.मि. ढाळ ७. ____ कर्ता-तपगच्छमां विजयदेवस्निी परंपराना रुद्धिविजय>सुखविजय>तिलकविजय >हर्षविजय जसविजयना शिष्य छे. (रचना संवत अर परंपरा ढा. ७, गा. 11 थी १८मां छे. विमलविजयगणि> शुभविजयगणि> रत्नविजयगणिना शिष्य ५. कुशलगणिले प्रति लखी. प्र.स./५२०७ परि./१२३३ राजूऋषि (अं.) शिशुपाल रास र.स. १६३५; ले.स. १६३६; हाथकागळ १०; २५.६४१०.८ से.मि. गाथा ३३३. कर्ता-अचलगच्छमां धर्ममूरत्तिसूरिनी परंपराना वाचक वेलराज>कमलशेखरना शिष्य छे. अमनेा समय वि स. १७मी सदीना पूर्वार्धनेा छे. (गाथा ३२९ थी ३३३). आ .. कर्ता जै. गू. क. के जे. सा. इतिमां नांधायेला नथी. कमलशेखरगणि>शांतिशेखरगणिना शिष्य विनयशेखरमुनि हालारदेशना गोयाणागामे प्रति लखी, रचना पण त्यां ज थयेली छे. प्र.स./५२०८ परि/१२१० राजेन्द्रसोममुनि (त) . पांडव प्रताप भाषा निबन्ध रास ले.स. १८८१; हाथकागळ पत्र २७८ २७.२४१३ से.मि. ____ कर्ता-तपगच्छची लघुपोषालमा तत्त्वविमलसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. .. .२०मी सदीना छे. (पत्र २७७-२७८). रचना अने लेखना पालणपुर तालुकामां मगरवाडा गामे थई-कर्ताना स्वहस्ताक्षर प्रति ... छे. 'प्रशस्ति पाछळथी काईओ काढी नाखी छे. परंपरा अने ले.सं.मां पण काई लीली शाहीथी-पेनथी (फाउन्टन) सुधारा कर्या छे. प्र.स./५२०९ .. . . परि./३४९ रामचंद्रमुनि (उ.) . नवकार महामंत्र रास ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकामळ पत्र १ थी २; २६.६x .: ११.२ से.मि. पद्य ९२. ___ कर्ता-उपकेश गच्छमां कक्क(कर्क) मरिना शिष्य छे. (पद्य ९२मु). प्रम./५२१० परि./५२१५/१ Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास रामविजय (त.) शांतिनाथ रास र.स. १७८५ ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र ३४६; २५.२४१५ से.मि. ___कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपराना सुमतिविजयना शिष्य छे. अमनेा समय वि.स. १८मा शतकना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ ५४६) परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. रचना राजनगर(अमदाबाद)मां थई. कल्याणसागरसूरिना >शिष्य मुनि केशरसागरे सूर्यपुरमां शा. गला रूप माटे प्रति लखो. प्र.स./५२११ परि./७३ रूपविजय (त.) गुणसेन केवली रास र.स. १८६१; ले स . १८६९; हाथकागळ पत्र ४७; २५४१३.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां पद्मविजयना शिष्य छे. अमने। समय वि स. १९मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ २४९). परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. रचना राजनगर (अमदावाद)मां थई. ___ ज्ञानमुनिनी साथेना प. ललितविजयगणिो पाटणमा प्रति लखी. प्र.स./५२१२ परि./९९० सनत्कुमार रास र.स. र.स. १८८५ ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १०६; २३.३४ १२.३ से.मि. गाथा २५००. ___ गंभीरसिंहजीना समयमां गोडीजीना मंदिरमा ५. उमेदविजयगणिना शिष्य जितविजयमुनि प्रति लखी. प्र.स./५२१३ परि./1170 रूपसुंदर (पू.) दीपशिख रास र.स. १६७७; ले.स. १६७७; हाथकागळ पत्र १०; २४.२४१००५ से.मि. पद्य ३२५. - कर्ता-पूर्णिमागच्छमां विमलचंद्रनी परंपराना लक्ष्मीचंद्र>रंगसुंदर वाचकना शिष्य, ... वि.स १७मां थया. (पत्र १०) रचन। किशोरी गामे थई.. रंगसुंदरना बे शिष्यो रूपसुंदर अने लावण्यसुंदर, भेओना शिष्यो रामजी, लालजी वगेरेना सहयोगथो लखायेली. कर्ताना स्वहस्ताक्षर. प्रति जीर्ण. प्र.स./५१४ परि./५०४५ लब्धिविजय (त.) १-हरिबलमाछी रास र.स. १८१०; ले.स. १९०५; हाथकागळ पत्र १३५; २४.७४११.५ से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपरामां अमरविजयना शिष्य छे. अमना समय ... वि.स. १९मी सदीना छे. जे. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ ४४). पत्रो १०३ अने १०४ नथी. १. गंगविजय>चतुर्विजय>अमृतविजयना शिष्य कल्याणजीभे आडेसरनगरमां प्रति लखी, प्र.स./५२१५ परि./२०.. Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६५७ २-हरिबल रास र.सं. १८१०; ले.सं. १८२०; हाथका गळ पत्र १५: २४.३४१०.७ से.मि. गात रकानगरमां पं. जयविजयगणिओ प्रति लखी. प्र.सं./५२१६ ___परि./४१११ ३-हरिबल रास र सं. १८१०; ले.स. १८७८; हाथकागळ पत्र ५७, २६.९४ १३.२ से.मि. प्र.स./५२१७ परि./३१२ ४-हरिबल रास र.स. १८१०; ले.स. १८०५(१); हाथकागळ पत्र १०४, २४.५४ १०.८ से.मि. . नेमविजयगणि>. खुशालविजयना शिष्य प. जयविजयगणिए प्रति लखी. प्र.स./५२१८ परि,/६६२६ ललितप्रभसूरि (पो.) चंदरास र.स. १६५५, ले.स. १६५५, हाथकागळ पत्र ७५; २५.५४११.५ से.मि. कर्ता--पूर्णिमागच्छमां कमलप्रभसूरिनी परंपराना पुण्यप्रभसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३२०). दवे सूरजीना पुत्र अंबावीदासे प्रति लखी. प्र.सं./५२१९ परि./८४०९ ऋषि लाईया महाबल रास ले.स. १७ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३; २५.२४११.५ से.मि. ग्रंथाग्र ७३५. - कर्ता--होरविजयसूरिना समयमा कर्णऋषिना चेला जगमलना चेला जगमालना चेला छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २४०). प्रति जीर्ण छे, प्रसं./५२२० परि./४०३१ लाभवर्धन अथवा लालचंद लीलावती रास र.सं. १७२३; ले.स. १८ मुं शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र १०; २५.७४11 से.मि.--अपूर्ण. कर्ता-खरतरगच्छमां साधुरंगनी परंपराना शांतिहर्ष ना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८ मी सदीना पूर्वार्धना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २१५-२११मां बन्ने नामोनी संभावना आपी छे.) प्र.सं./५२२१ परि./५४३० Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५८ लालमुनि (त.) सुंदरश्रेष्टी-रूपसुंदरी रास. ले.स. १६४९, हाथकागळ पत्र 10; २६४१०.८ से.मि. गाथा ३५८. कर्ता-तपगच्छमां सेामत्रिमलनी पर परामा हेमसुंदरना शिष्य वि.स. १७मां थया. (गाथा ३५७) ___ प्रति जीण छे. आ रचना के कर्ता जे. गू. क.मां नेांधायेला नथी. श्राविका कनकलक्ष्मी माटे पं. विद्याविमलगणिो प्रति लखी. प्र.स/५२२२ परि./८८४६ लावण्यकीर्ति (ख.) १-राम-कृष्ण चौपाई र.सं. १६१७; ले.स. १७३९; हाथकागळ ४४; २५.८४ १०.४ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छनी खेमशाखाना गुणर गनी परंपराना ज्ञानविलासना शिष्य छे. (जे. गू क. भा. १, पृ. २१७.). रचना विक्रमपुर (बीकानेर)मां थई. अमदावादमां विनयप्रभसूरिए प्रति लखी. प्र.सं./५२२३ परि./३८५२ २-रामकृष्ण-रास र.स. १६१०; लेस, १ . मुं शतक (अनु), हाथकागळ पत्र ३८; २५.३४११-तूटक. रचना विकानेरमां थई. पत्रो-१ थी ३ अने २५ मुं नथी. प्र.सं./५२२४ परि./६१०८ ३-रामकृष्ण चरित्र रास र.स. १६०; ले.स. १७२५; हाथकागळ पत्र ३१; २६.७ - ४११ से.मि.-तुटक. ___ रचना विकाने रमां थई-पत्र १लं नथी. नापासरमां प्रति लखाई.. प्र.स./५२२५ परि./८८४०. लावण्यसमय (त.) खीमऋषि चरित्र रास (प्रथमखंड) र.स. १५८९; ले स. १६७९; हाथकागळ पत्र १० २६.४४१०.८ से.मि.-तूटक. कर्ता-तपगच्छमां सोमसुंदरसूरिनी परंपराना समयरत्नना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ मी सदीना मध्यकाळनो छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ६८). रचना अमदावादमां थई. पत्रो-१ थी ५ नथी. प्र.सं./५२२६ परि./१५९६ Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास . १-देवराज बच्छराज रास ले.स. १७ मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ९; २६.२४ ११ से.मि. प्र.सं./५२२७ परि./८४३५ २- देवराज वच्छ राज रास. ले.स. १८ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५.८x ११ से.मि. पद्य ४५०. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/५२२८ परि./८९४७ ३-वच्छराज देवराज रास ले स. १७ मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५.८४१०.८ से.मि. देसुरीगामे प्रति लखेली छे. प्र.सं./५२२९ परि./५१२८/१ ४. देवराज-बच्छराज रास ले.सं. १६७६; हाथकागळ पत्र ११: २४.५x11 से.मि. स्वस्तिक तो मात्र वर्णानुप्रास माटे मूकेलो छे. बुढतरागामे प्रति लखेली छे. प्र.सं./५२३० परि./६४१५ १--विमलमंत्री रास (प्रबंध) र.स. १५६८, ले.स. १६४५; हाथकागळ पत्र ४३; २६.२४११.२ से.मि. गाथा १३५६, ग्रथाग्र १९१६. रचना मालसपुद्रमां थई.-पूर्णिमा पक्षमा विमलचंद्रसूरिनी पर पराना वाचक विनय. सागरना शिष्य श्रीवंतक मुनिए मुनि लालन माटे प्रति लखी. त्यार बाद वि.स. १६५८मां सिंधरी ग्रामे शा. ठाकुर अने एना कुटु बे अन तसेनगणिने आ प्रति व्होरावी. प्र.स./५२३१ परि./५८७५ २-विमलमंत्री (प्रबंध) रास २.स. १५६८; ले.स. १७ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४.५, २५.८४११ से.मि.-तूटक. रचना मालसमुद्रमा थई, प्रति जीण छे. पत्रो २६ में अने २५ थी ३० नथी. प्र.सं./५२३२ परि/३२९४ ३-विमलमंत्री रास र.सं. १५६८; ले.स. १८ मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1७; २६.६४१०.८ से.मि. -तूटक-अपूर्ण रचना मालसमुद्रमा थई पत्र १ लुं अने छेल्लु नथी. प्र.स./५२३३ परि./२७८२ Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० शेर्स ४--विमलमंत्री रास (प्रबंध) रस. १५६८, ले.स. १८मुं शतक; हाथकागळ पत्र २४ ; २५.८४११ से.मि. तूटक. रचना मालसमुद्रमां थई पत्रों १ लुं, २ जुं नथी. प्र.सं./५२३४ परि./६९६० ५. त्रिमलमंत्री रास (प्रबंध) २.सं. १५६८; ले.स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथ का गळ पत्र ७६; २४ ७४११-३ से.मि. तूटक. पत्रो ५६ अने ५७ भेगां छे. प्र.स ं./५२३५ परि./५१८८ ६ -- विमलमंत्री रास - चूलिका सह-र.सं. १५६८ ले.सं. १६६३७; हाथ कागळ पत्र २६; २६·३×१०.७ से.मि. - खंड ९ - चूलिका १६९, तूटक पत्र ११ मुंनथी. चूलिका अपभ्रंशमां छे. हीरशेखरगणिना शिष्य सौभाग्य शेखर मुनिओ ----तुलाई नगर (मालवदेश) मां, अंचलगच्छमा धर्ममूर्तिसूरिना शासनमां लखी. प्र.स ं./५२३६ परि./८५२७ १ - सुरप्रियकुमार रास र. स. १५६७; के.स. १७ मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ५; २७०१×११-६ से.मि. - १ १९८ रचना बावती ( खंभात ) मां थई. प्र.सं./५२३७ परि./८३९७ २- सुरप्रियकुमार रास. २.स ं. १५६७; ले.स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८; २५.८x१०.५ से.मि. पद्य २११. परि./६०३६ प्र.सं./५२३८ ३ - सुरप्रिय केवली रास र.स. १५६७; ले.स. १६३२; हाथकागल पत्र ७; २५.८ ११.६ से.मि. पद्य १९६ रचना बावती ( खंभात) मां थई. प्रति अमदावादमां लखाई. परि./२२५१ ४ - - सुरप्रियरास र. स. १५६७; ले.स. १८ मुं शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र ७; २४४११ से.मि. गाथा १९९ रचना बावती (भात) मां थई. वृद्धिविजये प्रति लखी. प्रसं . / ५२३९ प्र.सं./५२४० परि./५०३६ Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रासे वच्छराज ऋषि (पा.) पचाख्यान नीतिशास्त्र-कथाकल्लोल रास र.सं. १६४८; ले.स. १८०९; हाथकागळ पत्र १४५; २५.४११ से.मि. कर्ता-पार्श्वचंद्रगच्छमां समरचंदसूरिनी परंपराना रत्नचंद(चारित्र)ना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ मी सदीनेा छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. २६९) दुलीचंदजी > रतनसीजीना शिष्य मानसोंग ऋषिओ वाजण गामे प्रति लखी. (पंचत मांथी आधारित). प्र.स/५२४१ परि./१८९१ वच्छाकवि मृगांकलेखा रास ले.सं. १६७६; हाथकागळ पत्र १४, २६.७४११ से.मि. कर्ता-वि.स. १६मी सदीना पूर्वार्धमां गणायेला कवि छे. (जै. गू. क. भा. १ पृ. ६३). सौभाग्यशेखर वाचकना शिष्य न्यानशेखरे साध्वी रतनाने माटे प्रति लखी. प्र.स./५२४२ परि./२१९४ वीर विक्रमादित्य परकाय प्रवेश कथा रास ले.स. १८ में शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १२, २५.७४११ से.मि.-तूटक. पत्र-१लु नथी. प्र.सं./५२४३ परि./५४१५ विजयप्रभ-विनयप्रभ-उदयवन्त-विनयवंत (ख.) १--गौतम स्वामी रास र.स. १४१२ (अनु.)*. ले.स. १६ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५ मु, १६.३४८.७ से,मि.-पद्य ४५. कर्ता-खरगच्छमां जिनकुशलसूरिना शिष्य छे. *अमनो समय वि.स. १५ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १ पृ. १५-१६) प्र.स. ५१५५ - परि./४५२४/१ पण जोवो. प्र.स./५२४४ परि.'८७२५/१ २. गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२; ले.स. १७ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २४.८४९१ से.मि. पद्य ५१ प्र.सं./५२४५ परि./८५४१ ३. गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२, ले.सं. १७९९; हाथकागळ पत्र ५, २८.३४ ११.५ से.मि. पत्र १ लामां तीर्थं करनु चित्र छे. श्राविका झमकु माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./५२४६ परि./८७५६ Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ 1० ४-गौतमस्वामी रास ले.स. १९ मु शतक (अनु.); हाथकाग पत्र ३४ थी ३७; २६.२४ १२.२ से.मि, पद्य ५७. प्र.स./५२४७ परि./२ २३४/३० ५–गौतमस्वामी रास र.स. १५१२; ले.स १'. मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २५.७४११.३ से.मि. पद्य ५१. प्र.स./५२४८ परि./३५७३/१ ६-गौतमस्वामी रास र.स. १४१२ ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र १ थी ५; २५.३४१२ से.मि. पद्य ६७. प. हौंसविजयगणिना शिष्य रतनसी धरादमां प्रति लखो. प्र.स./५२४९ परि./२३८६/२ ७- गौतम स्वामी रास ले.स. १९ मु श क ( अनु. ); हाथकागळ पत्र १३ थी १६; २२.५४१२.५ से.मि. प्र.स./५२५० परि./१११५ ८–गौतमस्वामी रास र.स. १४१२ ले.स. २० में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २७.३४११.६ से.मि. पद्य ६३. प्र.स/५२५१ परि./७४८८ ९-गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२; ले.स १६ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.1x10.९ से.मि. प्र.सं./५२५२ परि./८४०८ १०-गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२; ले.स. १६ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७३ थी १७५; २४४९९ से.मि. पद्य ४५. प्र.सं./५२५३ परि./८६०१/१११ १०-गौतमस्वामी रास र.स. १४१२ ले.स. १७ मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; १६.५४१० से.मि. पद्य ५३. प्र.स./५२५४ परि./८६३. ११–गौतमस्वामी रास र.स. १४ १२; ले.स. १६२९; हाथकागळ पत्र ५; २६४१०.६ से.मि. पद्य ४४. रुस्तकनगरमां उदयसागर गणिले प्रति लखी. प्र.सं./५२५५ परि /७८४५ १२- गौतमस्वामी रास र.स. १४१२; ले.स. १८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २५.७४११ से.मि. पद्य ६३. हेमसुंदरसूरिगणिनीनां शिष्या साध्वी मानसुंदरना अनुयायी केसरदे माटे प्रति लखेली छे. प्र.म./५२५६ परि./५९०१ Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास १३-गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२; ले.स. १८ मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.८४११.२ से.मि. पद्य ५३. पं. रूप विजय > पं. रुचिविजय > प. दयाविजयना गुरुभाई कस्तू विजय मुनिले प्रति लखी. प्र.सं./५२५७ परि./६०६५ १४-गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२; ले.सं. १७९४; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २६.२४१२.२ से.मि. पद्य ७२. प्र.सं./५२५८ परि./२२३०/१ १५-गौतमस्वामी रास र.सं. १४१२; ले... १७१९; हाथकागळ पत्र ५, २२.८x ११.४ से मि. कपूरसुंदर कमलसीए प्रति लखी. प्र.सं./५२५९ . परि./८४२२ १६-गौतमस्वामी रास. १.सं. १४१२; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; २५४११.५ से.मि.--पद्य ७९. प्र.सं./५२६० परि./४०५८/१ १७-गौतमस्वामी रास ले.सं. १८८३: हाथकागळ पत्र १थी ७, २५.३४१२.१ से.मि. मुक्तिविजयगणिले प्रति लखी. प्र.सं./५२६१ परि./८३२०/१ १८-गौतम स्वामी रास र.स. १४१२; ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१४१०.८ से.मि. पद्य ४६. प्र.सं./५२६२ परि./८५८७ विजयदेवसूरि १-नेमिनाथ रास (शीलरक्षारास-शीलरक्षा प्रकाशकरास) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११. २५४११.५ से.मि.-ग्रंथाग्र २५०. __ कर्ता-पार्श्व चद्रसूरिना प्रगुरु पुण्यरत्नना शिष्य अने सुधर्मगच्छना स्थापक छे. एमना समय वि.सं. १६ मी अने १७ मीना अनुक्रमे अंत अने आरंभनो छे (ज. गू. क. भा. १, पृ. १४८). प्र.स./५२६३ परि./३९९८ २-नेमीश्वर रास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.५४११ सेमि. -पद्य ७०. प्र.सं./५२६४ परि/३९३४ Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ ३-शीलरास ले.सं. १६३८; हाथकागळ पत्र १०, २०.४११.२ से.मि. तूटक. पत्र १ लु नथी. लालाना शिष्ये सिद्धणुद्रगामे प्रति लखी. वि.स. १९०३ मां पौषधशाळा बांधवामां आवी. प्र-स./५२६५ परि./२७३७ ४-शीलरास ले.स. १६५२; हाथकागळ पत्र ११; २५.८४११.५ से.मि. पद्य ८१ वटपद (वडोदरा)मां प्रति लखेली छे. प्र.स./५२६६ परि./४७७० ५-शीलरास ले.सं. १७२%; हाथकागळ पत्र ५, २६.३४११.९ से.मि. ऋषि उदैवंद्रजीना शिष्य ऋषि दशरथे रामबाई श्राविका माटे प्रति लखी. प्र.स/५२६७ परि./७२० ६-शीलरास ले.स. १८ मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.२४१००८ से.मि. पद्य ७०. तूटक. ___पत्र १ लु नथी. --आग्रामां श्राविका कल्याण दे माटे अचलगच्छीय कनकचंदना शिष्य सूपात्रऋषि प्रति लखी. प्र.स./५२६८ परि./६७४ ७-शीलरास ले.स. १८९ शतक (अनु ): हाथकागळ पत्र ६; २६.५४११.५ से.मि. आर्या जेवता माटे प्रति लखेली छे.. प्र.स./५२६९ परि./५५५६ ८-शीलरास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.५४१८.६ से.मि. पद्य ७८. प्र.सं./५२७० परि /२६३४ विजयभद्र (आ.) कमला रास ले.स. १६९शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १थी ३; २५.३४१०.३ से.मि. पद्य ४५. कर्ता-आगमगच्छमां हेमविमलमूरिनी परंपराना लावण्यरत्नना शिष्य छे. एमनो समय वि.स. १५मी सदीना छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. १४) परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. प्र.स./५२७१ परि./४९७३/१ विजयरत्नसूरि नवकार रास प्र.सं./५२७२ ले.स. १७७८; हाधकागळ पत्र २८; २६ २४११.५ से.मि. परि./४५०३ Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास विजयशेखर (.) अरणिक ऋषि रास ले.स. १६९,२; हाथकागळ पत्र २६ थी २८; २६.५४११.५ से.मि. पथ ६७. कर्ता-अंचलगच्छमां सत्यशेखरनी परंपरामां विवेकशेखरना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदीने। छे. (जै, गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. १००३) आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. वहथली(वंथळी)मां भावशेखरमुनिभे प्रति लखी. प्र.स./५२७३ परि./४ ४६०/३ ऋषिदत्ता चरित्र रास र.स. १७०७ ले.स. १७०७; हाथकागळ पत्र २१; २६.५४१०.५ ग्रंथान ७७५. रचना भिन्नमालमां थई. कच्छना नरियामामे (नळिया) कल्याणसागरसूरिना शासनकाळमां विबेकशेखर>वाचक भावशेखरना शिष्य बुद्धिशेखरे प्रति लखी. प्र.स./५२७४ परि./५५६८ चंदराजा रास र.सं. १६९४; ले.स. १७७८; हाथकागळ पत्र १४०: २६४११.५ से.मि. पाटणमा ललितशेखरमुनिमे प्रति लखी. प्र.स./५२७५ . परि./१२८ यशोधर रास ले.स. १७०९; हाथकागळ पत्र २०; २५.३४११ से.मि. पद्य ७५५. आ रचना जै, गू, क.मां नांधायेली नथी. भूजनगरमा साध्वी हेमानां शिष्या साध्वी पद्मलक्ष्मी माटे अंचलगच्छना भावशेखर. गणि प्रति लखी. प्र.स.५२७६ परि./४७३३ सागरचंद्रमुनि रास ले.स. १६९२; हाथकागळ पत्र २२ थी २६; २६.५४११.५ से मि. आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.सं./५२७७ परि./४४६०/२ १--सुदर्शन शेठ रास र.सं. १६८%; ले.सं. १६९२; हाथकागळ पत्र १६ थी २२ २६.५४११.५ से.मि. वणथली(वंथळी)मां प. भावशेखरगणिभे प्रति लखी प्र.सं./५२७८ परि./४४६०१ २-सुदर्शन शेठ रास र.स. १६८१; ले.स. १७२०; हाथकागळ पत्र ७; २५४११ से.मि. अंचलगच्छना ज्ञानशेखरगणिना शिष्य जीवामुनिभे प्रति लखी. प्र.स./५२७९ परि./६४०० ८४ Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३--सुदर्शन शेठ रास र.स. १६८१; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ २५.५४१ १.२ से.मि. पद्य २१८. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५२८.. परि./८८७६ विजयसुदर (नि.) भाणविमल (तपा.) रास ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र .; २५.५४१२.५ से.मि. ___ कर्ता-निग्रंथगच्छमां सुधर्मस्वामीनी परंपरामा भाणविमलना शिष्य छे. ( कृतिमाथी .मळे छे.) प्र.स./५२८१ परि./७३९८ विद्याप्रभसूरि इच्छा परिमाण रास (द्वादशव्रतस्वरूप) ले.स. १६१५; हाथकागळ पत्र ३; २७४११ से.मि. ___ कर्ता- मात्र नामनिर्देश छे (पत्र ३). श्राविक कुंचरी आ बार व्रत ग्रहण करेलां. प्र.स./५२८२ परि/५२९२ विद्यारुचि (त) १- श्रीचंद्र रास र.स. १७११ थी १७१७, ले.स. १७७०; हाथकागळ पत्र १०५; २३.५४१०.५ से.मि, कर्ता-तपगच्छमां उदयरुचिनी परंपराना हर्षरूचिमा शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २. पृ. १२०४). रचना भीनमाळमां आरंभी शोराहीमां पूरी करी. पत्रो १ थी ६९ नथी. .प्र.स./५२८३ परि./६६४० १- श्री चंद्रराजानो रास र.स. १७११ थी १७१७; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६३; २६-७४११.३ से.मि. रचना भिन्नमालमा आदर करी शीराहीमां पूरी करी. प्र.स./५२८५ परि./३६२३ विनयराजगणि जंबूस्वामी रास र स. १६१५; ले.स. १५१६; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २८.२४११.५ से.मि. पद्य ११२. कर्ता-रत्नसिंहसूरिना शिष्य छे. (पद्य ११२) स्वशिष्य माणिक्य विशालगणि माटे लखायेली स्वहस्ताक्षर प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५२८५ परि./७२६८/१ Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास विनय विजय - यशोविजय उपा. (त. ) १ – श्रीपाल रास र. सं. १७३८ थी १८१५; ले. स. १७४४; हाथकागळ पत्र ४३; २४.२४१०.८ से. मि. गाथा १८००. कर्ता - तपगच्छमां हीर विजयसूरिनी परंपरांना अनुक्रमे कीर्तिविजयना अने नयविजयना शिष्य छे, ओमनेा समय वि.स. १८ने छे. (जै. गु. क. भा. २, पृ. १७-१९) वि.सं. १७३८मां विनयविजय स्वर्गस्थ थया पछी यशे। विजय उपा. अ १८१५मां रास पूसे कये. प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स ं./५२८६ परि./५०९० २ - श्रीपाल रास २.सं. १७३८ थी १८१५ ले. सं. १८१०; हाथकागळ पत्र ५०; २५.२×११ से.मि. P 2 प्र. सं / ५२८७ परि./६१३३ ३ - श्रीपाल रास र.स. १७३८ - १८१५; लेस. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७६; २६.७४११•७ से.मि. तूटक. पत्रो १थी २ नथी. प्र.स ं./५२८८ परि / ६९६४ ४ — श्रीपाल रास र.सं. १७३८-१८१५; ले.सं. १८१४, हाथ काग पत्र ४४; २५०३४ ११.५ से.मि. इडरमा पं. रत्नहंसगणिना शिष्य मानहंसमुनिओ प्रति लखी. इडरमां आ प्रति प दोलत हंस अने वखत हंसे साध्वी ज्ञानश्रीजीने व्हे|रावी. प्र.स ं./५२८९ ४ -- श्रीपाल रास २५०५४११.७ से.मि. प्र.स ं./५२९० परि. / २०४१ ५--श्रीपाल रास र.स. १७३८ - १८१५; ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र २७.२४१२.२ से.मि. प्र.स./५२९२ प्र.स ं./५२९१ परि /४०१ ६ —— श्रीपाल रास र.स. १७३८ - १८१५; ले. स. १८५७; हाथकागळं पत्र ५९; २५.८४ ११.९ से.मि. चंडावल ग्रामे दालत विजयना शिष्य पं. हेमविजयगणिओ प्रति लखी, ७- श्रीपाल रास २६. ३१२.२ से.मि. ६६७ प्र.सं./५१९३ परि. / ४०३० २. सं. १७३८ - १८१५; ले. सं. १८३४; हाथ कागळ पत्र ७३; २.स. १७३८-१८१५; ले. सं. १८७६; रतलाममा मोहनविजये प्रति लखी. . परि. / १८५८ हाथकागळ पत्र ८८; परि० / १७०८ Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राम २. स. १७३८-१८१५; ले.स. १९०१; हाथका गळ पत्र ८८; ८ - श्रीपाल रास २७• ३४१३ से.मि. १. नेमिविजयगणि> पं. ज्ञानविजयगणि> पं. शुभविजयगणिना शिष्य जीत विजयमुनिभे सरदारपुरमां प्रति लखी. प्र. सं./५२९४ ६६८ ९- श्रीपाल रास र.स ं. १७३८-१८१५: ले.स. १९०९; २८x१३ से.मि. तूटक. कच्छमांना सिसागढमां शामळजी नागजीए लखेली आ प्रति पालीताणामां कल्याणविमलगणिने मळी. प्र.सं./५२९५ परि. / ७२५९ १० - श्रीपालराजानो रास ( सस्तत्रक) ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११७; २५. ५x१३.२ से.मि. तूटक, पत्रो १थी ४ अने छेल्लु' नथी. प्र. सं. / ५२९६ परि. / २७० ११ – श्रीपाल रास (सस्तबक ) ले. सं. १८८८; हाथ कागळ पत्र ९१; २५.३४११.५ से. मि. - प्रथाय ५५०० बृहत् खरतरगच्छनी भट्टारक शाखाना जिनराजसूरि > मानविजयगणि> कमलद्दर्ष गणि > उपा. विद्याविलासगणि > क्षमासागरजी राजगणि> अमरमूर्तिगणि > गजवल्लभगणि> कुशलसौभाग्यगणि> ज्ञानप्रियगणिना शिष्य पं. मूर्तिकुशलगणिओ मुंडसारमां पं खूबचंद माटे प्रति लखी. प्र.स ं./५२९७ परि./२५०१ १२ – श्रीपाल रास (सस्तबक) ले. स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६१; २४४१०.८ से.मि. तूटक. पत्रो ३३मुं अने ५२ थी ५५ नथी. ३४मा पत्रथी सस्तबक कृति मळे छे भेटले आ प्रतिना पत्रो कोई अलग अलग प्रतिमां लागे छे. प्र.सं./५२९८ १३ - श्रीपाल रास ले. स. २० मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३२; से. मि. अपूर्ण. मात्र विनयविजय उपाध्यायनी ज रचना छे. प्र.सं./५२९९ १४ – श्रीपाल रास (१थी ३ खंड) ११.५ से.मि. परि./७९७ हाथकागळ पत्र १०७; प्र.स ं./५३०० मात्र विनयविजय उपा.नी रचना छे. साध्वी हस्तिश्रीजीने माटे प्रति लखाई. परि. / ६५४८ २५.७४१२.८ ले. स. १८७९; हाथकागळ पत्र ४६; परि. / १०८६ २७.६४ परि. / ७४७६ Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास १५-श्रीपाल रास (१-२ खंड) ले.स. १८५४; हाथकागळ पत्र १९; २९४१२.२ से.मि. मात्र विनयविजय उपा.नी रचना अंकलेश्वरमा साणसूर गच्छमां पं. लक्ष्मीविजयना शिष्य प्रतापविजये प्रति लखी. प्र.स./५३०१ परि./७१२२ १६-श्रीपाल रास (खंड ४थो) (सस्तबक) ले.स. १८२२; हाथकागळ पत्र ३५; २५.९ ४११.२ से.मि. मात्र यशोविजय उपा.नी रचना रानेरमां रचेली छे. पाटणना पंचासर प्रासादमां रामविजयमुनि प्रति लखी. प्र.स./५३०२ परि./३१६८ १७-श्रीपाल रास (थो खंड) (सस्तबक) ले.सं. १८५७; हाथकागळ पत्र ५७: २४.५ १०.७ से.मि. _मात्र यशोविजयजीनी रचना रानेरमां रचायेली छे. चंदरनगरमा विवेकविजयगणिो प्रति लखी. प्र.स./५३०३ परि./६४७२ १८-श्रीपाल रास (४थो खंड) (स्तबक) ले.स. १८९६; हाथकागळ पत्र ५५: २६.५ - १३.३ से.मि. __मात्र यशोविजयजीनी रानेरमां रचेली रचना छ. पं. अमीच दे विक्रमपुरमा चोमासामां प्रति लखी. प्र.स./५३०४ परि./८.२६ १९-श्रीपाल रास (खंड ४थो) ले.स. १९४७; हाथका गळ पत्र ४१; २४.३४१२ से.मि. मात्र यशोविजयजीनी रचना छे.. नागोरमां प्रति लखेली छे. प्र.स./५३०५ परि./११०३ विनयलाभ (ख.) वच्छराज रास र.स. १७३०; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३; २५.३ १. ४१९.७ से.मि. तूटक. कर्ता-खरतरगच्छीय सुम तिसागरनी परंपरामां विनयप्रमोदना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जै. गू, क. भा. २, पृ. ३४६). मुलतानवामा रचना .. थई. पत्रो १ थी १८९ अने छेल्लु नथी. परि./६०७९ विनयसमुद्र (उ.) ___ अंबड रास २.सं. १५९९, ले.सं. १७००; हाथकागळ पत्र १२, २७४११.२ से.मि. ___ कर्ता-उपकेशगच्छमां सिद्वसूरिनी परंपरामां हर्षसमुद्रना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १६मी सदीनो छे. (जे. गू, क. भा. १ पृ. १६८). वडनगरमां वीरविमल मुनिले प्रति लखी. प्र.स./५३०७ परि./६७६ प्र.सं./५३०६ Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० दौपदी शीयल रास ले.सं. १६७९; हाथकागळ पत्र ५, २४.९४१.३ से.मि.-- पद्य २९७ तालीयाणामा प्रति लखेली छे. प्र.सं./५३०८ परि./८१०६ विवेकविजय (त.) नवतत्त्व रास र.स. १८७२; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ७; २७४११.७ से.मि. ___कर्ता---तपगच्छमां विजयदयासूरिनी परंपरामां डंगरमुनिना शिष्य छे. अमनो समय र.स. प्रमाणे वि.सं. १९मी सदीनो गणाय. (पत्र ७ मु). रचना दमणमां थई. प्र.स./५३०९ परि./७६९ विवेकहर्ष (त.) हीरविजयसूरि रास र.स. १६५२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४; २५.८४११.८ से.मि. पद्य १०८५. कर्ता-तपगच्छमां हर्षानंदना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७नो छे (जे. ग्, क. भा. १, पृ. ३११). __रचना विजापुरमा थई. प्र.स./५३१० परि./२४७० वीरजीमुनि (पा.) १-जंबूपृच्छा रास (अथवा कर्मविवाक रास) र.स. १७२८; ले.स. २० शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १७; २८.३४११.५ से.मि. कर्ता-पार्श्वचंद्र गच्छीय समरचंदसूरिंगी परंपरामा देवचंद्र (वणारसी) सूरिना शिष्य छ, अमनो समय वि.स. १८ना छे. (जे. गू, क. भा. २, पृ. २५३). रचना पाटणमां थई. प्रस/५३११ परि./७४२॥ .. २-कर्मविपाक रास र.स. १७२८, ले.स. १८१८; हाधकागळ पत्र ८, २५४११.२ से.मि. पीलूचाग्रामे पं. रत्नविजये प्रति लखी. प्र.स./५३१२ परि./२५९६ ३-जंबूपृच्छा रास र.स. १७२८; ले.स. १८७७; हाथकागळ पत्र १ यी १७; २७४१२ से.मि. पालीग्रामे साध्वी हस्तिश्रीजीने माटे साध्वी अमरी प्रति प्रती लखी. प्र.स./५३१३ परि./८३०/१ ४-जंबूपृच्छा रास र.स. १७२८; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८; २६.७४११.८ से.मि. प्र.सं./५३१४ परि./७३५१ Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७१ . वीरविजयगणि . दशहारान्त चौपाई ले.स. १४२६; हाथकागळ पत्र ९; २३.८४११ से.मि. पद्य २५०. कर्ता-तेजसारना शिष्य छे. जयसिंघजीना शिष्य ऋषि हरजीले प्रति लखी. प्र.स./५३१५ परि./८१०४ वीरविजय (त.) सुरसुंदरी सती रास र.स. १८५७ ले.स. १९२४; हाथकागळ पत्र १०४ २५.२४१२.२ से.मि. ढाळ ५२, ग्रंथाग्र ३३७१. कर्ता-तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. मनो समय विसं. १९.मीना छे. (जै. गू क. भा. ३, ख. 1, पृ. २०९). पत्रो १ थी २४ नथी. धोलेराबंदरमा दोशी हरजीवन नानचंदे प्रति लखी. प्र.सं./५३१६ परि./२७०३ शालिभद्रसूरि (पू.) पांच पांडव रास र स. १४१०; ले.स. १६९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ६; २६४११ से.मि. तूटक. कर्ता-पूर्णिमागच्छना छे. (जै. गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. ४१३). रचना नादउद्रि (नांदाद ?)मां थई. पत्र १ अने ३/१ नथी. प्र.सं./५३१७ परि./४४८६ शालिभद्रसूरि (रा.) १-बुद्धिरास ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी १२; १६.३४८.७ से मि. अपूर्ण. कर्ता-राजगच्छमां वज्रसेनसूरिना पट्टधर. अमनो समय वि.स. १३नो छे. (जै. गू. क. __भा १, पृ. १). प्र.सं./५३१८ परि./८७२५/४ २-शालिभद्र रास ले.स. १५७३, हाथकामळ पत्र ५; १४.६४९.५ से.मि. पद्य ५२. वीरवाडाना शाह नाहलाना पुत्र शाह दीलाना पुत्रो राजा, धारा, मेोका माटे प. अमरधर्मगणिना शिष्य १. हंसधर्मगणिले प्रति लखी. इ.स./५३१९ परि./८६३३ ३- बुद्धिगस ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र; २६.६४११.४ से.मि. पद्य ६८. महोपाध्याय शान्तिचंद्रगणि>4. हर्षचंद्रगणिना शिष्य मेरुचंद्रगणिले प्रति लखी. लेखन स्थळ-सेवंत्री. प्रस/५३२० परि./७२८३ Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२ ४ - बुद्धिरास ले. स. १७ शतक (अनु.) ; हाथ कागल पत्र १थी २ २२.९४१० से.मि. पच ५१. प्र.सं./५३२१ ५ - बुद्धिरास ले.स. १६६९; हाथकागळ पत्र १२ थी १३; प्र.स ं./५३२२ ६ -- बुद्धिरास ले.स. १९मुं शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र २ २५०७४ ११.४ से.मि. पद्य ५४, प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५३२३ परि./५८५० ७- - बुद्धिरास लेस, १९ शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ३; २५०५ ११.१ से.मि. पद्य ६४. प्र.स ं./५३२४ राख परि./८२८६ ८- - बुद्धिरास ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र : २४.४४१००७ से.मि. प्रताप विजये प्रति लखी. परि./८६८४/१ २६४११ से.मि. पद्य ६८. परि, /३८०८/५ प्र.सं./५३२५ परि./८२९२ ९- - बुद्धिरासो ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; २४.७४११.१ से.मि. तवर्धनमुनि प्रति लखी. प्र.सं./५३२७ शांतिदास (श्रा . ) परि./८३५१ प्र.सं./५३२६ १० - बुद्धिरास ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५-५४११.५ से.मि. प्रति जीर्ण छे. परि. / १८२४/१ (अनु.); हाथ कागळ पत्र १ - गौतमस्वामी रास र.सं. १७३२; ले.स. १८ शतक १ श्री २; ७.५x१२.६ से.मि. गाथा ६५. कर्ता—वि.स ं. १८मां थयेला श्रावक छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २९० ) परि./१०१३/१ ४ थी ७; प्र.स ं./५३२० २ -- गौतमस्वामी रास र.सं. १७३२; ले.सं. १७९४; हाथकागळ पत्र २६.२४१२.२ से.मि. पद्य ६६. राजचंद्रविजय मुनिओ प्रति लखी. प्र.सं./ ५३२९ शिवनीजीकुमार रतनऋषि रास ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ २४.७४१०.७ से.मि. पद्य ४३. कर्ता - मात्र नामनिर्देश छे. अ पण ' शिवजीकुमार' होवानी संभावना वधारे लागे छे. 'नी' लेखके भूलथी लखेला होई शके. रचना नवानगरमां थई. प्र.स ं./५३३० परि./२२३४/४ परि./६४९४ Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास श्रुतसागरमुनि (व.त.) १-श्रीदत्त (वैराग्य रंग) रास र.स. १६४१; ले.स. १७१६; हाथकागळ पत्र १०; २४.८४१०.८ से.मि. गाथा २०८; ग्रंथाग्र ३५०; ढाळ २०. कर्ता-वडतपगच्छमां सौभाग्यसागरसूरिनी परंपराना >श्रीसौभाग्यसूरिना शिष्य छे. ( ढाळ २०, गाथा २०४थी २०८मां-र.स., स्थळ अने परंपरा छे. ) रचना घनदीपिका(,मां थई. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.स./५३३१ परि./१२१७ २- श्रीदत्त वैराग्य रास र.स. १६४१; ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.७xx११.५ से मि. ग्रंथान ३५०; गाथा २०८. प्र.स./५३३२ परि./३७९८ समयसुंदर उपा. (ख.) द्रौपदी रास २.स. १७००; ले.स. १७४७; हाथकागळ पत्र २१; २५.७४११ से.मि. ढाळ ३४; ग्रंथाग्र १००१. कर्ता-खरतरगच्छ मां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना सकलचंदना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७मीना उत्तरार्ध छे (जै. गू, क. भा. १, पृ. ३३१).रचना अमदावादमां थई छे. अंचलगच्छमां वाचक नाथगणिना शिष्य धर्मचंद्रमुनिना गुरुभाई मेरुचंद्रगणि अंजारनगर. मां प्रति लखी प्र.स./५३३३ परि./५४१५ १- नल-दमयंती रास र.स. १६७३; ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १५; २५.२४११.१ से.मि. अपूर्ण. (रचना मेडतामां थई.) प्र.स./५३३४ परि./४३७९ २-जल-दवदंती रास र.स. १६७३; ले.स. १७९३; हाथकागळ पत्र ३७; २४.७४११ से.मि. रचना मेडतामा थई. वटपद्र( वडोदरा )मां राजसी>वस्ताजी>करमचंदना पुत्र मुनि वावाने प्रति लखी. प्र.सं./५३३५ .. . . परि./५०६१ ३-नल-दवदंती संबंध रास र.स. १६७३; ले.स. १८२७; हाथका गळ पत्र ४३; २६.५४१२ से.मि. गाथा ९५९. रचना मेडतामा थई. विरमगाममां प. दीपविजयना शिष्य प. माणेकविजये - प्रति लखी. प्र.स./५३३६ परि./८८३८ Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ ४-नल-दमयंती चोपाई र.स. १६७३: लेस. १९०६; हाथकागळ पत्र ६५ . २५४१२.२ से.मि. पद्य ९८२. रचना मेडतामा थई. अजयदुर्गमां ब्राह्मण रामऋषिसे प्रति लखी. प्रस./५३३७ परि./७५४५ ५-नल-दमयंती चोपाई (सचित्र) र.स. १६७३; ले.स.१९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५३; २५.२४११.६ से.मि. अपूर्ण. रंग कर्या वगरनां सादा रेखाचित्रो छे. प्र.सं./५३३८ परि./८५०४ ६-नल-दबदंती चोपाई र.स. १६७३; ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र ३५; २५.५४११ से.मि. गाथा ९१३; ग्रंथान १३५०; ढाळ ३८. रचना मेडतामा थई. अकबराकोटमां पं. दयामूर्तिमुनि भेना भाई राजसी साथे प्रति लखी. प्र.स./५३३९ परि./१५५ ७-नल-दवदंती (चोपाई) रास र.सं. १६७३; ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २६.५४११.५ से.मि. रचना मेडतामां थई छे. केटलाक पत्रो लीला रंगना छे. पत्र लु जीर्ण छे. भार्या मृगाश्रीजी माटे उज्जैनमा प्रति लखेली छे. प्र.स./५३४० परि./१२६३ ८-नल-दवदंती चोपाई र.स. १६७३; ले.सं. १८३५; हाथकागळ पत्र ३८ २४.३४१०४३ से.मि. ग्रंथान १४९५. रचना मेडतामां थई छे. प्र.स./५३४१ पनि./६६१३ ९-नल दवदंती चोपाई र.स. १६७३; ले.स. १७३०; हाथकागळ पत्र २७; २६४१०.२ से.मि. ग्रंथान १३५०. सिंधना फत्तेपुरमा विजयमंदिरगणि > सौभाग्यमेरुगणिना शिष्य हर्षगणिभे प्रति लखी. प्र.स./५३४२ परि./३५१० १०-नल-दवदंती चोपाई र.स. १६७३; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५१; २५.७४११.३ से.मि. रचना मेडतामां थई. प्र.स./५३४३ परि./१९९० वस्तुपाल-तेजपाल रास २.स. १६८२ (६); ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४११-८ से.मि. पद्य ३९. तिमरीपुरमा रचना थई. प्र.स./५३४५ परि./२०१२ Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १-शत्रुजय रास र.स. १६८६; के.सं. १७५२; हाथकागळ पत्र १थी ४, २५.२४ १०.६ से.मि. पद्य १०८. रचना नागोरमां थई. वणाडमां राजलाभगणिभे प्रति लखी. प्र.स./५३४५ परि./६५८१/१ २--शत्रुजय रास र.स. १६८६; ले.स. १७८८; हाथकागळ पत्र ५, २५:३४११.५ से.मि. रचना नागोरमां थई. विक्रमपुरमा सत्यसागरगणिये प्रति लखी.. प्र.स./५३४६ परि./१०३३ ३-शवजय रास र.स. १६८६; ले.स. १७९२; हाथकागळ पत्र ७; २३.४४१०.८ से.मि. रचना नागारमा थई. लाभपुरनगरमा प'. सिद्धविलासजीना शिष्य प. दयानंदे प्रति.लखी. प्र.स./५३४७ परि./७७२६ ४ - शत्रुजय रास र.स. १६८६; ले स. १९४१; हाथकागळ पत्र ७ थी १४; २३.३४ ११.५ से.मि. प्र.स./५३४८ परि./७५ १५/३ १-शांव-प्रद्युम्न रास र स. १६५९; ले.सं. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २६.७४११.३ से.मि. ग्रंथान ९००. __ रचना खंभातमां पई. प्र.स./५३४९ . परि./२०१६ २-शांब–प्रद्युम्न (चोपाई) रास र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २८; २५.३४११.३ से.मि. प्र.स./५३५० परि./४३५० ३-शांब-प्रद्युम्न (चौपाई) रास र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ र पत्र २२; २६४१०.८ से.मि. रचना खंभातमा थई. पंचासर गामे प्रति लखेली छे. प्र.सं./५३५१ - परि./३८५० ४-शाब-प्रद्युम्न रास र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९ २६४११ से.मि. अपूर्ण. ___ रचना खंभातमां थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/५३५२ परि/६७९९ ५-शांव-प्रद्युम्न प्रबंध रास र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२; २६४११ से.मि. ग्रंथान ४५०. रचना खंभातमां थई. शा. धन्नाना पुत्र होरजी माटे खीमराजे प्रति लखी. प्र.स./५३५३ परि./३-३६७ Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७६ ६-शांव-प्रद्युम्न (प्रबंध) रास र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २५.२४१०.८ से.मि. पद्य ५३९. प्र.स./५३५४ परि./६५६५ ७-शाब-प्रद्युम्न रास र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २० २३.५४१०.७ से.मि. ग्रंथाग्र ७००. प्र.सं./५३५५ परि./६६४४ ८-शांव-प्रद्युम्न रास र.स. १६५९; ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र १९; २५.७x ११.६ से.मि. पद्य ५६३. रचना खंभातमां थई. विसलनगरमां- प. प्रेमविजयगणि>. सुबुद्धिविजयगणि> 4. रूपविजयगणिना शिष्य खुशालविजय मुनिक्षे प्रति लखी. प्र.सं.५३५६ परि./१२६० ९-शांव-प्रद्युम्न रास र.स. १६५९; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१; २७.३४११.७ से.मि. रचना खंभातमां थई. पादरानगरमां प्रति लखनार मानचंद हर्षचंद्र. प्र.स./५३५७ परि./१५२२ साधुवंदना रास र.स. १६९७; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २४.७४१०.८ से.मि. प्र.स./५३५८ परि./२६४४ सहजकीर्ति (ख.) सुदर्शन शेठ रास र.स १६६१; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; १६.३४११.३ से.मि. अपूर्ण. ___ कर्ता-खरतरगच्छनी क्षेमशाखामां जिनसागरसूरिनी परंपराना हेमनंदनना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ना उत्तरार्ध छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५२५; भा. ३, ..., खं. २, पृ. १०१६). परंपरा कृतिमांथी पण मळे छे.. रचना वगडीपुरमा थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५३५९ परि./६८७१ सहजसुंदर (उ.) ' आतिमराज रास र.स. १५८२(१५८८) * ; ले.सं. १६४८; हाथकागळ पत्र १थी ३; २६.३४१०.८ से.मि. पद्य ८०, सूटक. कर्ता-उपकेश गच्छमां रत्नसमुद्र उपा.ना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६मी सदीना छे. (ो. गू. क. भा. १, पृ. १२०- * १२६). पत्र १लु नथी. मंघने माटे-पिंपलंगच्छना (वाचनाचार्य) वणारीस लींबाझे प्रति लखी. प्र.स./५३६० परि./५५६५/१ Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७७ इरियाबही विचार रास ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६०३४११.२ से.मि. पद्य ८७. प्र.सं./५३६१ रास परि./५३०९ इलातीपुत्र सज्झाय. र. स. १५७०; ले.स. १७ शतक, (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५०५४ ११.७ से मि. पद्य ३०. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५३६२ परि./८९०५ ऋषिदत्ता महासती रास र.सं. १५७२ ले.स १७मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.८४१०.८ से.मि. तूटक. पत्र १ अने २ नथी. जयवल्लभे प्रति लखी. प्र.सं./५३६३ जंबूस्वामी रास ( जंबू अंतरंग रास ) ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथका गळ २५.५९११ से.मि. पद्य ६४. साध्वी ऋद्धिसुंदरी माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./५३६४ परि. / ४८५६ तेतलीपुत्र चोपाई र. स. १५९५; ले.स. १६७९; हाथकागळ पत्र ५; २५.७४११.५ से.मि. शांतिज गामे रचना थई. वाचक गुणजीओ मोही ग्रामे प्रति लेखी. प्र.स./५३६६ प्र.सं./५३६५ परि./२५३७ --- १ – प्रदेशीराज रास रं. स. १६४८ ( ? ) ले. स. १७ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १० ; २६.७४११ से.मि. तूटक. रचना थिरपुरम थई छे. पत्र १लु नथी. प्रति जीर्ण छे. २ -- प्रदेशी राजानो रास र. सं. १६४८; ले, स. १६०८; २६.४४११.३ से.मि. पद्य २१५. रचना थिरपुरमा थई. अहम्मदवाडमां पं. हर्षराजे प्रति लखी. परि. / ६७९० पत्र ५ प्र.स ं./५३६९ प्र. सं./५३६७ परि. / ८४३७ ३ - प्रदेशीराज रास २.सं. १६४८ ( ? ) ले.सं. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११थी १७; २७४११.२ से.मि. पद्य २३२. रचना थिरपुरमा थई. परि. / २७८५ हाथ कागळ पत्र ७; प्र.स ं./५३६८ परि. / २७८४ रत्नसारकुमार रास २. सं. १५८२; ले.स. १६८६; हाथकागळ पत्र १३; २६४१०.७ से.मि. गणधरना शिष्य पं. ज्ञानधीरे पोताना शिष्य आनंदधीर माटे प्रति लखो. परि./२१२७ Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ रास सूडा साहेली रास ले.स १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ८; २६.१४११.१ से.मि. पद्य १५५. प्रस./५३७० परि./५४१६/१ संग्रामसी मंत्री १-शालिभद्र चरित्र रास ले.स. १५१६ हाथकागळ पत्र ४; २६४११ सेमि, ___कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.सं./५३७१ प.ि/४४२४ २-शालिभद्र चरित्र रास ले.स. १७ मु शतक (अनु.); हाथकाग पत्र १५; १६.५४९.५ से.मि. पद्य १८२. प्र.स./५३७२ परि./८६५१ संवेगसुंदर (त.त.) १- सार शिखामण रास र.स. १५४८; ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र ७; २४.sx१०.८ से.मि. कर्ता-वडतपगच्छमां जयशेखरसूरिनी परंपराना जयसुंदरना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १६मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ६६). परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. रचना मानुष्यपुरीमां थई. स.स./५३७३ परि./१२.० २-सार शिखामण रास र.सं १५५८; ले.स, १५७३; हाथकागळ पत्र २६.७४११ से.मि. पद्य २५५. प्र.स./५३७४ परि,/७८६३ ३-सारशिखामण रास र.स. १५४८; ले.स. १६६८; हाथकागळ पत्र १०; २५.५४११ से.मि. प्र.स./५३७५ परि./७८६५ साधुकीर्ति (ख.) आषाढाभूति प्रबंध रास. र.स. १६२४; ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.३४१०.८ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छमां मतिवर्धननी परंपराना अमरमाणिकयना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मी सदीना छे. ( जै. गू. क. भा. १, पृ. २१९). परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. (अमां अना दादागुरु दयाकलशना शिष्य गणावे छे). ___ रचना योगिणीपुरमा थई. गुणजीमुनिो प्रति लखी. प्र.सं./५३७६ परि./४८२८. Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६७९ साधुहंस (त.) मुनिपति राजर्षि रास र.स. १५५०; ले.सं. १६९२; हाथकागळ पत्र २७; २६.३४ ११.३ से.मि. पद्य ६०७. कर्ता-तपगच्छमां जिनशेखरसूरिनी परंपराना जिनरत्नना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १६मी सदीना छे. ( जै. गू, क, भा. १, पृ. २२. आ रचना जै. गू, क.मां नांधायेली नथी). लक्ष्मीसागरसूरिना शिष्य ऋषि तेजसारे गणदेवीमा प्रति लखी. प्र.स./५३७७ ___ परि./५३८४ सेवकसुजउ (लो.) रत्नसिंह आचारज(य) रास र.स. १६५३ * ; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.५४१०.७ से.मि. गाथा १८. कर्ता-लोकागच्छमां रतनशीना शिष्य, वि.स. १७मी सदीमां थया. (जै. गू. क. भा, ३, खं. १, पृ. ७८९). * जै. गू. क.मां र.स. १६४८ अने २. स्थळ तालनगर आप्यां छे. रचना नालनगरमा थई. आर्या कर्मानी साहेली लाछा टबके नागपुरमा लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५३७८ परि./१२२३ सुमतिकीर्तिसूरि (दि.) 1-धर्मपरीक्षा रास र.स. १६२५; ले.स. १७४०; हाथकागळ पत्र ७९; २४४१०.८ से.मि. कर्ता-दिगंबरपंथी सरस्वतीगच्छमां ज्ञानभूषणना शिष्य छे. समय वि.स. १७मी सदीने। छे. (जै. गू क. भा. ३, पृ. २२७). ____ हांसोटमा रचना थई. राजनगरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./५३७९ परि./६५२९ २-धर्मपरीक्षा रास र.स. १६२५; ले.सं. १८४६; हाथकागळ पत्र ७६: २५.५४११.६ से.मि. पालणपुरमा रूपसोमे प्रति लखी. प्र.स/५३८० परि./४२५२ सुमतिविजय उपा. (व.त.) रात्रिभोजन रास र.स. १७२३; ले.सं. १८१५; हाथकागळ पत्र १३; २६.८११.८ से.मि. कर्ता-वडतपगच्छना भुवनकीर्तिसूरिनी परंपराना रत्नकीर्तिमा शिष्य छे. अमना समय वि.स, १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३८३-आ रचना जै. गू, क.मां नांधायेली नथी. पुण्यविजयगणि>रतनषिजगगणिना शिष्य लालविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स',/५३०१ परि./२८६० Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० रास सुरविजय (त.) १- रत्नपाल रास र.स. १७३२; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागठ पत्र २४; २३.८४1०.७ से.मि. तूटक. ___ कर्ता-तपगच्छमां सिद्धिविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २९४). रचना बुरानपुर(बुनिपुर)मां थई छे. पत्रो १-२ नथी. प्र.स./५३८२ परि./८०९६ २-रत्नपाल रास र.स. १७३२; ले.स. १७८०; हाथकागळ पत्र ३५; २४.५४११ से.मि. रचना बुरानपुर(बहनिपुर)मा थई. प. भीमविजयगणिना शिष्य प. प्रतापविजय माटे सिरोहीनगरमां नेमविजयगणिना शिष्य वस्ता प्रति लखी. प्र.सं./५३८३ परि./५०६० ३-रत्नपाल रास (चौपाई) र.स. १७३२; ले.स. १८२०; हाथकागळ पत्र २४; २४.२४११ से.मि. अमरलाभजीना शिष्य जगतलाभमुनिमे प्रति लखी. प्र.स./५३८४ परि./६१५२ ४–रत्नपाल चोपाई र.स. १७३२; ले.सं. १९३४; हाथकागळ पत्र ३५; २६.५४ ११.८ से.मि. ___जारं गा(? तारंगा)मां रामहर्षजी>तलोषहर्षजी>. नाथुहर्षजीना शिष्य मुनि पृथ्वीराजे प्रति लखी. प्र.स./५३८५ परि./५१५ ५-रत्नपाल चोपाई र.सं. १७३ २; ले.सं. १८२९; हाथकागळ पत्र २१, २४.५४११.१ से.मि. उदयपुरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./५३८६ परि./६४७३ ६-रत्नपाल चोपाई र.स. १७३२; ले.स. १७९५; हाथका गळ पत्र ३२; २५.२४ १२.५ से.मि. बुरानपुर(बुनिपुर)मां रचना थई. राजनगर(अमदाबाद)मां लखायेळी आ प्रति हीराचंद वालमनी मालिकीनी छे. प्र.स./५३८७ परि./१०९७ सोमविमलसूरि (त.) चंपकश्रेष्ठी रास र.स. १६२२; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५४१०.८ से.मि. पद्य ५१७. ____ कर्ता-तपगच्छमां हेमविमलसूरिनी परंपराना सौभाग्यहर्षसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदीनो छे, (जे. गू. क. भा. १, पृ. १८३). प्र.स./५३८८ परि./२५९. Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८१ १-धम्मिल ऋषिरास र.स. १६२२; ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५४१०.८ से.मि. पद्य ५१७. प्र.स.५३८९ परि./२५९० २-धम्मिल ऋषि रास र.स. १५९१ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २४.१४११ से.मि. पद्य २८२. रचना खंभातमां थई. हंसलक्ष्मी माटे प्रति लखेली छे. . . प्र.स./५३९. परि./६२९८ ३-धम्मिल रास र.स. १५९१ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३ थी ३१; २६.३४११.२ से.मि. पद्य २९२. __ अणहिलपुर पाटणमां प्रति लखेली छे. प्र.स./५३९१ परि./५३११/२ १-श्रेणिक रास (सम्यक्त्व सार रास) र.स. १६०३ ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २३; २६.३४११.२ से.मि. पद्य २०५ रचना अने लेखन-कुंवरगिरिनगरमां प्रति लखेली स्वहस्ताक्षर प्रति छे. प्र.स./५३९२ परि /५३११/१ २-सम्यक्त्व सार (श्रेणिक) रास र.स. १६०३ ले.स. १७मु शतक(अनु.); हाथकागळ पत्र ३३; २६४११.२ से.मि. रचना कुंमरगिरिमां थई छे. प्र.स/५३९३ परि./५४५० स्वरूपचंद मुनि मित्रत्रय रास ले.स. १८भु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५, २५४११.२ से.मि. पद्य ७३. कर्ता-वाचक भानुचंद>उदयचंदना शिष्य छे. आ कर्ता जै. गू. क. के जै. सा. ईति.मां नेांधायेला नथी. (पद्य ७३) प्र.स./५३९४ परि./६१९३ हरजी मुनि (वि.) विनोदकथा रास र.स. १६४१ ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४१; २५.७४१०.८ से.मि. पद्य १९८४ कथा ३४ सुधी अपूर्ण. कर्ता-विवंदणिक गच्छना सिद्धसूरिनी परंपराना लक्ष्मीरत्नना शिष्य छे. मना समय वि.स. १७मी' सदीनेा छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ७१३). छल्ला पत्रो नथी. प्र.सं./५४९५ परि./६०१५ Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२ हर्णकीर्तिसूरि (ना.त.) विजयशेठ-बिजयाशेठाणी रास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; १२.२४ १४.५ से.मि. पद्य (तूटक). __ कर्ता-नागोरी तपगच्छमां चंद्रकीर्तिसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४६९). पत्रो १ थी १४ नथी. कृति पत्र १५थी शरू थाय छे. कृति पूर्ण छे. प्रति तूटक छे. प्र.स./५३९६ परि./८६१५ हर्षविजय नल-दमयंती रास ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २६.२४११.३ से.मि. पद्य ५१. प्र.स./५३९७ परि./६९५७ हर्षविजय (त.) शांब प्रद्युम्न रास र.स. १८४२; ले.स. १८९४; हाथकागळ पत्र ८५: २५.५४१२ से.मि. . कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसरि शाखाना शुभविजयनी परंपरामां मोहनविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १९मी सदीना छे. (जै. गू क. भा. ३, खं. २, पृ. १७३. परंपरा प्रतिमांथी पण मळे छे. रचना उमतामां थई. प्रेमविजय > दीपविजय>प उमेद विजयगणिना ५. जितविजयगणिए, युवानसिहना राज्यमा इडरगढमां प्रति लखी. प्रस./५३९८ परि./१७८७ हीरकुशल (त.) द्रौपदी रास र.स. १६३९ ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २६.७४ १०.६ से.मि. पद्य ४२२. कर्ता-तपगच्छमां विमलकुशलना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मो शतक छे (जे. गू. क. भा. १, पृ. २५३). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५३९९ परि./२७९५ हीरानंद (पी.) कलिकाल स्वरूप रास ले.स. १६६९: हाथकागळ पत्र १ थी २; २६४११ से.मि. पद्य ५६. का-पीपलगच्छमां वीरदेवरिनी परंपराना वीरप्रभना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १५मा सेकाना छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. २५). प्र.स./५४०० परि./३८०८/१ दशार्णभद्र रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २: २५.५४१.०.५ से.मि. पद्य ३१. प्र.सं./५४०१ परि./५९४१ Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कक्क सूरिशिष्य विक्रम-लीलावती रास र.सं. १५९६ ले.स. १८ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ५ २५४ ११.३ से.मि. पद्य १८८. कर्ता - करंट गच्छमां थया. ओमनेा समय वि.सं. १६ सदीना छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६२३). प्र.सं./५४०२ परि/ ३९५३ कीर्तिवर्धनमुनि-शिष्य सदेवंत - सावलिंगा चोपई ले.स १७६८; हाथकागळ पत्र ९, पद्य ३९०. प्र. स./५४०३ पद्म २१. अज्ञात कर्तृक गुरुना नामने। अकारादिक्रम प्र.सं./५३०४ जयतिलकसूरि-शिष्य नेमिनाथ रास ले. स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७२मुं; २४४९-९ से.मि. परि./८६०१/११० २३.५४१०७ से.मि. देवगुप्त सूरिशिष्य (वि.) अमरदत्त मित्राणंद रास (शांतिनाथ चरित्रमांथी कथा लीधी छे) ले.स. १६७१; हाथ का गळ पत्र २०. २५०३×११०४ से.मि. प्रथाम ७००. प्र.सं./५४०६ परि./६६३९ कर्ता - बिवंदणीक गच्छमां देवगुप्तसूरिना शिष्य अने वि.सं. १६५२ पहेलांना हीरविजयसूरिना वखतना हे. ( जै. गू. क. भा. १, पृ. २००. गुरुनु नाम कृतिमांथी मळे छे.) रचना उंझामां थई छे. प्र.सं./५४०५ माणेक विजयशिष्य हरिश्चंद्र प्रबंध रास ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १८, २४.५४१००८ से.मि. पद्य २५३. भीमविजयगणि माटे प्रति लखेली छे. परि०/४०७९ परि. / ६२८४ Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ रत्नसिंहसूरिशिष्य १-रत्नचूड रास र.स. १५०९, ले.स. १६३५; हाथकागळ पत्र 1४; २६४११ से.मि. पद्य ३७०. ___नवानगरमां अंचलगच्छना धर्ममूर्तिसूरिना शासनमां वा. कमलशेखरगणिना शिष्य राजचंद्रे प्रति लखी. प्र.स/५४०७ परि./५४१७ २-रत्नचूड रास र.स. १५०९ ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र १४३ थी १५३; २७४११.७ से.मि. पद्य ३३३. पूर्णिमा कच्छोलीवाल गच्छना विद्यासागरसूरिना शिष्य लक्ष्मीतिलकसूरिना शिष्य कमसुंदरे प्रति लखी. प्र.स./५४०८ परि./८४६०/10 ३-रत्नचूड रास र.स. १५७१ * ले.स., १६८३; हाथकागळ पत्र १२; २५.८४११ से.मि. पद्य ३१८. * प्रतिमां पत्र १२ पद्य ३१५मा र.स. आपेला छे. से खेाटेा छे. नंदरबारपुरमां प्रति लखेली छे. प्रे.सं./५४०९ परि./८४४१ ४-रत्नच्ड रास र.स. १५०९ ले.स. १७६८; हाथकरगळ पत्र १ थी ९; २६.२४ ११.७ से मि. ___ दीवती गामे सुबोधविजये प्रति लखी. प्र.स./५४१० परि./२२४१/१ ५- रत्नचूड रास ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६४१ ०.८ से.मि. पद्य ३४५. प्र.स./५४११ परि./५९८३ रत्नसिंहशिष्य सुदर्शनश्रेष्ठी रास र.स. १५७१; ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १३; २७४११ से.मि. ग्रंथान ३६०. प्र.स./५४१२ परि./६७१ शुभवर्धनशिष्य (सुधर्मरुचि * 2) १-गजसुकुमाल रास. ले.सं. १६६८; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २६.५४११ से.मि. कर्ता -वि.स. १६ मी सदीना छे. (ज. गू. क. भा. ३ ख १. पृ. ५६८; * जै. गू. क. भा. १. पृ. ४०८). प्र.स./५४१३ परि./२२०४/१ Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६८५ २-गजसुकुमाल रास ले.स. १६९५; हाथकागळ पत्र ६, २५.७४११.३ से.मि. पद्य ८५ ज्ञानलक्ष्मीनी शिष्या लावण्यलक्ष्मी साध्वीभे रालणी फुलाने माटे प्रति लखी. प्र.स./५४१४ परि./५५३५ ३- गजसुकुमाल रास ले.स. १८# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.३४ ११.५ से.मि. पद्य ११७, तूटक. पत्रो १ थी ४ नथी. प्र.स./५४१५ परि./५८६७ ४-गजसुकुमाल रास ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २४.७४ ११.२ से.मि. पद्य ८६, तूटक पत्रो १ अने २ नथी. पद्य १३ माथी शरू थाय छे. प्र.स ./५४१६ परि./६३०१ ५-गजसुकुमाल चौढालियु ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २५४११ से मि. पद्य ८९ देवजी मुनिमे प्रति लखी छे. प्र.स./५४१७ परि./६४९३ ई-गयसकमाल ढाळ ले.स. १७७८; हाथकागळ पत्र १५. २६.२४११.५ से.मि. पं. तेजचंद्र गणिना सहाध्यायी प. जिनचंद्रगणि>प. जिवचंद्रना सहाध्यायी प, दानचंद्र गणिो पाटणमा प्रति लखी प्र.स./५४१८ परि./८६८ ७-गजसुकुमाल ढाळियां ले.स. १८४५; हाथकागळ पत्र ७, २७४१२ से.मि. पाटण नगरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./५४१९ परि./८२० अज्ञातकतक कृतिना नामनो अकारादिक्रम अनुकम्पा रास ले.स. १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २४४११.८ से.मि. तूटक अपूर्ण पत्रो १ थी ३५ नथी. प्र.स./५४२० परि./४३८५ अमरदत्तमित्राणंद रास ले.सं. १७ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २५.७४१००८ से मि. तूटक अपूर्ण पत्रो १, २ अने छेल्लां केटलांक नथी. प्रस./५४२१ परि./५१३६ Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रासं १-अंजनासुंदरी रास ले.स. १८६२; हाथकागळ पत्र ११; २६.७४११.३ सेमि. प्र.सं./५४२२ परि./७८५९ २-अंजनासती रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.५४११ से.मि. पद्य १५७ प्रस./५४२३ परि./४४३२ ३-अंजनासुंदरी रास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५.४४११.६ से.मि. पद्य १५९ ___ जसराजस्वामीना शिष्य राघवजीनी मालिकीनी आ प्रति छे. प्र.स./५४२५ परि./८५८७ ४- अंजना सती रास ले.सं. १९०२; हाथकागळ पत्र १८, २७.२४१०.७ से.मि.. केकडीमा प्रति लखनार लखनु छगानी घोष. प्र.स./५४२५ परि./७७९९ आराधना रास र.स. १५९३; ले.स. १६७३; हाथकागळ पत्र २७, २७.४४१२ से.मि गाथा ४०६ प्र.स/५४२६ परि./८४६ ईच्छापरिमाण रास ले.स. १७ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४१०.८ से.मि. प्र.स./५४२७ परि./२१३३ उदयनराजर्षि रास ले.स. १८ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५४१०.८ से.मि. अपूर्ण. गाथा ३१५ सुधी. प्र.स./५४२८ परि./२५९९ उंदिर रास ले.स. १७ मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ ल'; २५४१०.५ से.मि. पद्य १० प्र.स./५४२९ परि./१७४०/१ ऋषभप्रभु रास र.स. १६७७ ले.स. १७ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६३; २९.५४१०.८ से.मि. पत्र-१लु, २जुनधी. प्र.सं./५४३० परि./७५८६ १-कर्मविपाक रास ले.सं. १७६९; हाथकागळ पत्र १ थी ६; २४.८४११.२ से.मि. राजनगरमां प्रति लखी. प्र.स./५४३१ परि./४७४४/१ २-कर्मविपाक रास ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ८; २३४१०.२ से.मि. राधनपुरमा प्रति लखी. प्र.स./५४३२ परि./७७४८ Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६८७ कल्याणसागर गुरु निर्वाण रास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २३४११ से.मि. ढाळ ९ अपूर्ण. प्र.सं./५४३३ परि./७७३१ गौतमस्वामी रास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु, २६.३४११ से.मि अपूर्ण पद्य ८ सुधी. प्र.स./५४३४ परि./५५९३/२ चित्र संभूति रास र.स. १५९१; ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४१०.६ से.मि. पद्य ८२. प्र.स./५४३५ परि./८५८६ छोती रास ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६ २४११.३ से.मि. पद्य ३३ सुधी अपूर्ण. प्र.स./५४३६ परि /६९१४/१ ढुंढक रास ले.स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४.७४१०.८ से.मि. श्रीमालपुरमा प्रति लखेली छे. प्र.सं./५४३७ परि./५९६७ जंबूस्वामी रास ले.सं. १६१५; हाथकागळ पत्र १५थी १७; ३०.५४११ से.मि. पद्य ८४ सुधी. स.स./५४३८ परि./१२५१/५ देवराज-वच्छराज रास (छठो खंड) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६.२४१०.८ से.मि. तूटक. पत्र १९ नथी. प्र.स./५४३९ परि./५८११ द्रौपदी रास के.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६४११.२ से.मि. पद्य १०४ सुधी (अपूर्ण). प्र.स./५४४० परि./५३२९ १-ध्यानामृत रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३२; २७.५४११.८ से मि. तूटक. पत्र १लुं नथी. प्र.स./५४४१ परि./८१० २-ध्यानामृत रास ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३०; २५.८४१२ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५४४२ परि./३९८५ Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८८ रास ध्वजभुजंग रास ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ९; २६.४४११.५ से.मि. अपूण. प्र.सं./५४४३ परि./२१२३ १-नल-दवदंती चरित्र रास ले.स. १५६८; हाथकागळ पत्र २, २५.३४११ से.मि. पद्य ७८. ___ आगमाच्छना विवेकरत्नसूरिना शिष्य प्राग्वाट ज्ञातिना बला) जिनदासमा पुत्र करधनी पत्नी रौपदी (द्रौपदी ?) माटे प्रति लखी. प्र.स/५४४१ परि./६४३१ २-नल-दमयंती रास ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३; २६४११ से.मि. पद्य ५२. प्र.स./५४४५ परि./५२६०/१ ३-जल-दमयंती रास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४११ से.मि. पद्य ५१, ढाळ ५. प्र.स./५४४६ परि./५२३७ ५-नल-दमयंती रास ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५४१०.६. प्र.स./५४ ४७ परि./६९५७ ५-नल-दमयंती रास ले.स. १७१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४१०.८ से.मि. पद्य ६५. . गणिनी राजलक्ष्मी माटे ५. सुमतिमंडन गणिले प्रति लखी. प्र.स./५४४८ परि./६९९० ६---जल-दवदंती स ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.५४१ ०.९ से.मि. पद्य ७९ प्र.स./५४४९ परि/८५८५ नवकार रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.५४११ से.मि. पद्य २२. प्र.स./५४५० परि./५९२८ नवकार रास ले.स. २०९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २८.३४१३.५ से.मि. पद्य २६. लिपिकार-बारोट त्रिभोवनदास मोहनलाल. प्र.स./५४५१ परि./८०२१ नारी रास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र. २थी ६ १५.२४११ से.मि. पद्य ३.. प्र.स./५१५२ परि./८६१८/२ For Private & Personal Use-Only Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८९ नेमिनाथ रास ले.स. ८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९, २८४११.७ से.मि. पद्य २३१. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५४५३ परि./७२७ पदमावती रास ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ २४.५४१०.६ से.मि. तूटक. अपूर्ण पद्य ३०८ सुधी. पत्र १लु नथी. प्र.स./५४५४ परि /६३१८ पंचदंडकथानक रास ले.स. १६७०; हाथकागळ पत्र १ थी ३३, २४.३४१०.५ से:मि । छेल्लु पत्र जोर्ण छ. जयकुशलगणिो सलक्षणपुरमां लखेली आ प्रति ज्ञानसागर गोरजीनी छे. प्र.स./५४५५ परि/६६१५/१ पंचाख्यान रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २६.१४११.४ से.मि. तूटक. प्र./५४५६ परि /२०५२ पुण्यसार रास ले.स. १८९सतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६, २४.५४१००७ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५४५७ परि/४३८१ पुण्यसार राम ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११;२५.८४११.३ से मि. अपूर्ण. प्र.स./५४५८ परि./३०६४ १--पुण्याब्य रास ले.सं. १६१२; हाथका गळ पत्र ५, २३.८४११ से.मि. उगाणगामे साजन माटे ज्ञानरत्नमुनि प्रति लखी छे. प्र.स./५४५९ परि./८१०७ २--पुण्याव्य नरेश्वर रास ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २३४१०.३ से.मि. जोगीवाडा उपाश्रयमां पार्श्वचद्रमच्छना ऋषि मोहनजीना शिष्य ऋषि विनयचरे प्रति लखी. प्र.सं./५४६. परि./६६७८ ३-पुण्यान्यनरेश्वर रास ले स. १६१५; हाथकागळ पत्र ४थु; ३०.५४११ से.मि. तूंटक. पत्रो पो । नथी. छेल्ली डाळ ज.के. . प्र.सं./५४६१ परि /१२५१/१ प्रद्युम्न रास ले.स. १७९ शतक (भनु.); हाथकागळ पत्र ७; २५.७x11 से.मि. पद्य २०४ सुधी अपूर्ण. प्र.स./५४६२ .. परि./३९१९ ८७ Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६९० .. बासठिया बोल रास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २५.७४११.२ से.मि. तूटक. पत्रो १थी ५ अने ११, नथी. प्र.स./५४६३ परि./६०४२ १-मणिपति राजर्षि रास र.स. १५५०; ले,स. १६०९; हाथकागळ.पत्र २७, २६.२४ ११ से.मि. पद्य ६०६. संघवी अदूजीनी सूचनाथी संघवी धरनाना पुत्र सीपु माटे गंधार बंदरे प्रति _लखाली छे. प्र.सं./५४६४ परि./५२२५ ..२-मणिपति(मुनिपति) चोपाई रास र.सं. १५५० ले.स. १६४४; हाथकागळ पत्र २१; २६४११ से.मि. पद्य ६०९. प्र.सं./५४६५ परि./१२८१ मत्स्योदर रास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८, २६४१०.३ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५१६६ परि./८८५२ मेषकुमार रास ले.स. १९मुशतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३; २५.५४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.म/५४६७ परि /१९४७ मोती-कपासिया रास ले.स. १९०६; हाथकागळ पत्र ५; २६४१२.४ से.मि. मुर(ळ)जीजीना शिष्य देवजीभाईसे प्रति लखी.. प्र.स./५४६० परि./१४ रत्नकीर्तिसरि रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २४.५४१०.६ से.मि. पद्य २४५ सुधी अपूर्ण. प्र.स./५४६९ परि.'७२४१/१ ... रात्रिभोजन रास ले.स. १९९ शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र ९, २५.२४११.२ - से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५४७० ___ परि./२५९५ - वसुदेव रास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २५.५४१०.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५४७१ परि /३२७६ वस्तुपाल-तेजपाल रास ले.सं. १६६९; हाथकागळ पत्र पृथी ५; २६४११ से.मि. पद्य १७ सुधी अपूर्ण. .. . पत्र ६ळु नथी. प्र.सं./५४७२ परि./१८०८/३ . Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . १-वकचूल रास ले.स. १६१५; हाथकांगळ पर्व १३थी १५; ३०.५४११ से.मि. पद्य ९३. प्र.स./५४७३ परि./१२५१/४ २-वंकचूल रास ले.स. १६४४; हाथकानळ पत्र ५; ६६.२४११ से.मि. पशु ९६. पं. समयमंधि(दि)र गणिना शिष्य हंसराजमुनिझे प्रति लखी. . प्र.स./५४७४ . परि./५३२१ : ३-वंकचूल रास ले.स. १७मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ५; २६.७४1०.८ से.मि. प्र.सं./५४७५ .. परि./२२०३ ४-वंकषूल रास (चतुर्नियमविषक) ले.सं. १६६९: हाथकागळ पत्र २थी ४; २६४११ से.मि. पद्य ९५. प्र.सं./५४७६ परि./३८०८/२ ५-वंकचूल रास ले.सं. १७४५; हाथकागळ पत्र ४, २५.८x१०.८ से.मि. पद्य ९५. पं. कृपासौभाग्यना शिष्य देवसौभाग्यमुनि प्रति लखी. प्र.सं./५४७७ . परि./५७९१ शालिभद्र रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ८; २७४११.२ से.मि. पद्य २१७. प्रसं./५४७८. .. परि./२७८४/१ शालिभद्र रास ले.स. १७९ शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र २२; २५४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./५४७९ परि-/२५९३ शालिभद्र (चौपाईबद्ध) रास ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; १९४१०.५ से.मि. तूटक. पत्र ७मु नथी. प्र.सं./५४८. परि./८४१५ शालिभद्र रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २३.६४१०.४ से.मि. अपूर्ण. .प्र.सं./५१८१ । परि./७१३७ सदयवत्स रास ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४१; २५.३४११.९ से.मि. तूटक अपूर्ण. ..... जुदा जुदा त्रण लिपिकारोनी लखेली आ प्रतिनां पत्रो १थी नथी. . . प्र.स/५४८२ परि./३९९४ सदयवच्छ प्रबंध रास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ३२; २५.७४११ से.मि. गाथा ६७५ ग्रंथान १००... प्र.सं./५४८३ परि./५१७२ Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , ६९२ १ - सप्तक्षेत्र रास २.स. १३२७ ले स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २६.४४११०२ से.मि. प्र. सं./५४८४ २ - सप्तक्षेत्र रास र. स. १३२७ ले.स. १६ शतक ( अनु ); हाथ कागळ २६.१९११ से.सि. पद्य ११९. प्र.सं./५४८४ परि. / ८४३० ३ - सप्तक्षेत्री रास र. सं. १३२७. ले.स. १६मुं शतक ( अनु. ), हाथकागळ पत्र ३; २६.३४११ से.मि. पद्य ११९. प्रति जीर्ण छे.. शर्स प्र.सं./५४८३ परि०/८८०६ संग्रहणी प्रकरण रास र. सं. १६५२; ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३; २५.२४१०.८ से. मि. परि / २४६० प्र.सं./५४८७ साधुवंदना रास ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६-५४११०० से.मि. पद्य २५१. प्र.सं./५४८८ परि. / १०६३ पत्र ४ ; परि./३१४५ सायरशेठ चरित्र रास ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २६०५x११ से.मि. पद्य १९० सुधी अपूर्ण. प्र. ५४८९ परि/८५८४ सारशिखामण रास र.स. १५४८; ले.स. १६ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १४; १५.५४११ से.मि. तूटक. प्र.सं./५४९० परि. / ८२१८ सिद्धांत रास ले.स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०६ २६०३४११०३ से. मि. पद्य १८३८. प्र . स . / ५४९१ परि./६१५६ सुदर्शन श्रेष्ठी रास ले.स. १६६९; हाथकागळ पत्र ७थी १२; २६४११ से.मि. पथ २६४ तुटक (२०मा पद्यथी शरू ). पत्र ६ नथी. देवपत्तनमां प्रति लखेखी छे. प्र.सं./५४९३ परि./३८०८/४ प्र.सं./५४९२ सुदर्शनश्रेष्ठी रास र.स. १५७१ ले.स. १७३१; हाथकागळ पत्र १०; २४.३×११ से.मि. पद्य २७३. ढीमागामे देवराजे चोमासा दरम्यान प्रति लखी, परि. / ४९०४ Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रास ६९३ सूरसुंदर रास ले.स. १९:मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६.८४११.२ से.मि. तूटक, पत्रो १-२ नथी. प्र.सं./५४९४ . परि./३२९७ हरिश्चंद्रप्रबंध रास ले.स. १७ मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.२४११ से.मि. पद्य २०१. प्र.स./५४९५ परि./३७८१ विवाहलो आनंवकवि शांतिनाथ विवाहलो ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २६४११ से.मि. अपूर्ण. ___ कर्ता-परिचय अप्राप्य. प्र.स./५४९६ परि./८४२१ ऋषभदास .. १--ऋषभदेव विवाहलो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २९थी३०; २५.८४११.५ से मि. पद्य ६८. कर्ता-खंभातना वि.स. १७मी सदीमां थयेला श्रावक प्र.स./५४९७ परि./५८६०/२२ २-ऋषभदेव विवाहलो ले.स. १७६२;हाथकागळ पत्र ३; २६.६४११.५ से.मि. पत्र २जु गुम थयेलु लागे छे; कारण के गाथा ६थी ३० नी. २ भने ३ पत्रोने बदले ३ अने ४ होवां जोई. श्राविका वीरबाई माटे पं. धर्मविजये प्रति लखी. प्र.स./५४९० परि./३२१७ जयतिलकसूरि आदिनाथ विवाहलउ ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८६थी १८८; २४४९.९ से.मि. प्र.स./५४९१ परि./८६०१/१२१ देपालकवि आदकुमार विवाहलो ले.स १७# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र । थी २; २६.२४ ११.३ से.मि.. ___ कर्ता-बि.स. १५००थी १५०२ सुधीमां विद्यमान, पाटणना भोजक (ठाकोर) छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३७). प्रस/५५०० परि./२९१६/१ Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९४ विवाहलो । पेथोमंत्री १-पार्श्वनाथ विवाहलो (जीराउला). ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.८४११.२ से.मि. ____ कर्ता-जांबुग्रामवासी श्रीमाल ज्ञातिना श्रावक-गुरु आंचलगच्छीय जयकेसरसूरि, आचार्य-१४९४, गच्छनायक पद-१५०1, स्वर्गवास-१५४२ (जे. गू. क. भा. १, पृ. ५६). प्र.स./५५०१ परि /४६६६ २--पार्श्वनाथ विवाहलु (जीराउला) ले.सं. १५७२; हाथकागळ पत्र १ थी ८; २६.२४ ११.२ से.मि. प्र.सं/५५०२ परि/३६८७/१ पंडित भावानंद इन्द्रनंदिसूरि विवाहल र.स. १५४०. ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.३४११ से.मि. गाथा १०४. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे (गा. १०२). प्र.सं./५५०३ परि./२४६६ रंगविजय (त.) १-पाश्वनाथ विवाहलो र स. १८६०; ले.स. २०#शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २०.६४११.६ से.मि. कर्ता: तपगच्छमा विजयदेवसूरिनी परंपराना अमृतविजयना शिष्य छे. अमने। समय वि.स. १९मी सदीना छे. (जे. गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. १७५). २चना भरुचमां थई छे. दिवाळीबाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५५०४ परि./१५७१ २–पार्श्वनाथ दशभव विवाहलो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.५४१1 से.मि. - पीपरडी गामे पूर्णिमा पक्षना भुवनप्रभसरि > वा. रत्नमेरुना शिष्य कीर्तिमेरुओ प्रति लखी. प्र.स./५५०५ परि./८८५६ ३-पार्श्वनाथ विवाहलो र.स. १८६०; ले.स. २०मुशतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १२; २७.५४१२.५ से.मि. प्र.सं./५५८६ परि,/९४२ Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विवाहलो ६९५ वीरविजय नेमिनाथ विवाहलो र.स. १८६०; ले.स १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० २१.८४११ से मि. कर्ताः तपगच्छमां सत्यबिजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमना समय विस'. १९मी सदीना छे. (जे. गू. क. भा ३, ख. १, पृ. २०९). रचना अमदावादमां थई छे. आ अने परि./४३३३ (गरबो) क ज कृति छे. प्र.स./५५०७ परि./५३० श्रीदत्त (श्रा.) महावीर विवाहलु र.स. १५६३; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २६.७४११.२ से.मि. पद्य १०८. - कर्ता-अंचलगच्छमां विवेकरत्नसूरिने गुरु माननारा श्रावक छे. र.स.ने आधारे अमनेा समय वि.स. १६मी सदीना छे. (पद्य १०६-१०७). आ कर्ता जे. गू. क. के जे. सा. इति. मां नेांधायेला नथी. प्र.स./५५०८ परि./२१८०/१ सेवक (अ.) १-ऋषभदेव विवाहलो र.सं. १५९०; ले.स. १८३२; हाथकागळ पत्र ११; २५.५४ ११.७ से.मि. तूटक. कर्ता-अंचलगच्छमां गुणनिधानसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६मी सदाने। छे. (ज. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ५८१) पत्रो १थी ३ नथी. मुनि देवे प्रति लखी. प्र.स./५५०९ परि./६८२३ २-ऋपभदेवधवल विवाहलो ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.७४११.४ से.मि. पध २३८. प्र.स./५५१० परि./३८९९ हीरानंदनसूरि (पी.) दशार्णभद्र विवाहलो ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४११ से.मि. कर्ता-पीपलगच्छमां वीरदेवसूरिनी परंपराना वीरप्रभसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १५मी नी छेल्ली २० नो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. २५) प्र.स./५५११ परि./४४९४ अज्ञातकर्तृक १-आदिनाथ वीवाहलु ले.स. १५७२; हाथकागळ पत्र ८९; २६.२४११.२ से.मि. पद्य १९. . . . आम्रणीनगरमां वीरकलशगणिभे प्रति लखी. प्र.स/५५१२ परि./३६८७/२ २-आदिनाथ विवाहलो ले.स. १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २ थी ३, . २५.५४११ से.मि. प्र.स./५५१३ परि./८२८२/ Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९६ विवाहलो ३-आदिनाथ विवाहलो ले.स. १५९५; हाथकागळ पत्र ६; २६.५४११.२ से.मि. पद्य ११ पं. लाभमाणिक्यनी आज्ञामा रहेनारी श्राविका हरखीने आ प्रति मळी. प्र.स/५५१४ परि./३१४०/९ १-ऋषभजिन विवाहलो ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २४.३४१२ से.मि. अपूर्ण प्र.स./५५१५ परि./७५९९ २-ऋषभदेव वीवाहलाई ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.८x १०.८ से.मि. प्र.स/५५१६ परि./५९८१ ३-ऋषभ विवाहलो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळं पत्र ६; २७-२४११.२ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५५१७ परि./१५३७ कृष्णजीनो वीवाहलो ले.सं. १८३८: हाथकागळ पत्र ५, २५.७४११ से.मि. चैना माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५५१८ परि./६०७२ नेमिनाथ सजीमती विवाहलु ले.सं. १२७४; हाथकागळ पत्र ९२९; २७४११.७ से.मि. पद्य २७ प्र.स./५५१९ परि./८४६०/६३ कवियण लक्ष्मीसागरसूरि वीवाहलु ले.स. १७१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.६४१०.५ से.मि. तूटक ___ कर्ता-सं. १६५२ पहेलाना हीरविजयसूरिना वखतना (जे. गू. के. भा. १. पृ. १५९) पत्र १ अने से साथे आरंभमा २० पद्यो नथी, प्र.स./५५२० परि /३५१० शत्रुजय चैत्य परिवाडी विवाहलु ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लुं; २८४११.१ प्र.स./५५२१ परि./१८१/१ हेमविमलसूरि विवाहलो ले.स. १७९ शतक (अनु.); हार्थकागळ पत्र ; २६.२४११ से.मि गाथा ७२ ज्ञानशीलगणना शिष्ये प्रति लखी. ... प्र.स./५५२२ परि./६२१२ Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेली उत्तमविजय (त. ) . नेमनाथ रस वेलि २.सं. १८८९. ले.सं. १९२०; हाथकागळ पत्र १० थी १४; १३.६x२५.६ से.मि. कर्ता - तपगच्छमां विमलविजयनी परंपरामां खुशालविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १९मी शतकनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १ पृ. २९५). परि./१३/३ प्र.सं./५५२३ १ – नेमिनाथ राजीमती स्नेहवेलि र. सं. १८७६ २४ ३४११.३ से.मि. जै. गू. क. मां नेांधायेली बनेमांधी ओके आ नथी. खुशालचंद्रे प्रति लखी. समकालीन प्रति छे. प्र.स ं./५५२४ परि / ४३९५ २ - नेमीश्वर स्नेह वेल * र.स. १८७७ (१८७६) ले.स. १९ मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २३४१२ से.मि. * परि. / ४३९५ मां अने प्रस्तुत प्रतिनो र.सं. जुदो पढे छे. परंतु प्रथमनो साचो लागे छे. खांति (क्षांति) सोमे सुरतमां प्रति लखी. प्र.सं./५५२५ ऋषभदास (श्रा) ऋषभदास गुण वेली ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६४११.३ से. मि कर्ता - वि.सं. १७ मी मां नांघायेला खंभातना श्रावक छे (जै. गू. क. भा. १. पु. ४०९) प्र.सं./५५२६ परि./५८४२ परि./२७१९ चतुर विजय (त. ) नेमिनाथ राजीमती वेल. र. सं. १७०६; ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६४११ से.मि पथ २०६ कर्ता - तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां रविविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स ं. १८ ना आरंभनो गणाय ( पत्र ८ ) . आ कर्ता अने कृति (जे. गू. मां पण नथी) अप्रचलित छे. प्र.सं./५५२७ परि./५८३४ ८५ Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देली ६९८ जिनसमुद्रसूरि प्रवचन रचनावेलि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४४१०.८ से.मि. प्र.स./५५२८ परि/६३१० जयसोम (त.) -बार भावना वेलि र.स. १७८३, से.मि. १७ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४११.६ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छमां विजयदेवरिनी परंपरामां यशःसोमना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. १२६) रचना जेसलमेरमा थई. प्र.सं./५५२९ परि,/२३५४ २-बारभावना वेलि र.स. १७०३, ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ४; २६४११.६ से.मि. रचना जेसलमेरमां थई. मिज्जलनगरमां ऋषि जेसींगजीना शिष्य ऋषि फतेचंदे प्रति लखी. प्रस./५५३० परि./७८५३ ३-द्वादशभावना वेलि र.सं. १७०३, ले.स. १७८६; हाथकागळ पत्र ६; २६४११.४ से.मि. रचना जेसल. राजनगर(अमदावाद)मा प्रति लखी छे. प्र.स./५५३१ . परि./१६११ पृथ्वीराजभूपति (जनेतर) १-पुरुषोत्तमवेलि (कृष्णवेलि) र.स. १६३१; ले.स. १७ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२; २५.३४१०.७ से.मि. पद्य ३०१ तूटक (पद्य ७७ थी शरू) कर्ता-वीकानेरना कल्याणना पुत्र अने राजा जयसिहना भाई अकबरना दरबारमा रहेता हता. समय वि.स. १७ मी सदीनो छे. (ज. गू. क. भा.३. खं. २. पृ. २१३१) पत्रो १ थी ३ नथी. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५५३२ प्र.स./५९५६ २-पृथ्वीराजवेली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४; २४.५४१०.५ से.मि. तूटक-अपूर्ण. पत्र १लुं नथी. प्र.सं./५५३३ परि./६१४३ ३-पृथ्वीराजवेली बालावबोध ले.स. १७२०, हाथकागळ पत्र ३७; २६४११ से.मि. बालावबोध लक्ष्मीवल्लभ मुनिनो छे. समयचंद्रे लुणकरण सरहमां प्रति लखी. प्र.स./५५३४ . परि./२२८१ ४-कृष्ण वेली (पृथ्वीराज) वेली वृत्ति ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २६४१०.८ से.मि. अपूर्ण प्र.स./५५३५ परि./४४१० Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९९ ५-पृथ्वीराज वेली (कृष्णवेली) स्तबक र.स. १६३८; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३६; २५.५४१०.८ से.मि. पद्य ३०४. प्र.स./५५३६ परि./४१४९ ६-कृष्ण वेली स्तबक ले.स. १८ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३०; २५.५४११ से.मि. अपूर्णः पद्य १९३ सुधी. प्रसं./५५३७ परि./५९०५ वीरविजय (त.) १-स्थूलिभद्र शीयळ वेली र.स. १८६२; ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र ८; २६४११.१ से.मि. गाथा १९१ कर्ता-तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुमविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मा सकानो छे. (ज. गू. क. भा. ३ अं. १. पृ. २०९). परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. देवविजय गणिले पोताना शिष्य लक्ष्मीविजय मुनि माटे सीपोर(सीयोर सीहोर (3) मां प्रति लखी. प्र.स./५५३८ परि./१७१६ २- स्थूलि भद्र शीयल वेली. र.स. १८६२; ले.स. १८७५; हाथकागळ पत्र १ थी ९; . २२.७४ १२.७ से.मि. गाथा २५०; ढाळ १८ गूर्जर देशना कानपुर नगरमां संभवनाथना मंदिरमां पद्मविजये प्रति लखी. प्र.स./५५३९ परि./८०३८/१ ... ३-स्थूलिभद्र शील वेलि र.स. १८६२; ले.स. १९७८; हाथकागळ पत्र ९; २६.२४ १२.३ से.मि. रचना राजनगर(अमदावाद)मां थई. गौतमविजये प्रति लखी. प्र.स./५५४० परि./७८९० ४-स्थूलि भद्र शील वेल ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र १४, २३.७४१३.१ से.मि. .. . इलोडना मूलचंद हरीचंदनी मालिकीनी आ प्रति पूनामां लखेली छे. प्र.स./५५४१ __परि./१११२ सकलचंद-उ (त.) .. १-वर्धमानजिन बेली ले.स, १९ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २६४११०७ ... से.मि. कर्ता-तपगच्छमां हीरविजय सूरीना (के) विजयदान सूरिना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. १. १ २८४). अमनी रचना वि.सं. १६४३ पहेलांनी नांधायेली छे. ( अजन, प. २७५) प्र.सं./५५४२ परि./२८१४ Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०० बेली २ -- वर्धमान जिन वेली ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४४१०.७ से.मि. पद्य ६७. प्र.सं./५५४३ परि./६५४९/१ ३ - वर्धमान जिन बेली ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; १६.६४९.८ से.मि. पद्य ६६ प्र. स. / ५५४४ परि./८६६२/१ ४ - वर्धमान जिनवेली ले.स. १८७५; हाथकागळ पत्र २थी ५; २५.७४१२ से.मि. पद्य ६६. प्र.सं./५५४५ परि./३२८८/२ साधुवंदना मुनिवर सुरवेली ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ २५ २४११ से.मि. तूटक. पत्र ३जु नथी. श्राविका भोली माटे राधनपुरमा मानचंद्रगणिओ प्रति लखी. परि. / ६५८८ प्र.स ं./५५४६ अज्ञातकर्तृक चतुर्गतिवेली ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ २७४११-३ से.मि. तूटक. पत्रो १, २ नथी. परि. ६७९२ प्र.सं./५५४७ २ - चिह्नगतिवेल ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ से. मि. पद्य १३५ पोताना शिष्य गंगविजय माटे विजयसिंह सूरिना शिष्य पं. हस्तिविजय गणि प्रति लखी. प्र.सं./५५४८ परि / ४३१४ ३ - चिहुगतिवेल ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६; २६४११.६ से.मि. पद्य १३५. साध्वी देमा अने पद्मलता माटे आ प्रति लखेली छे. २५.५४११.१ प्र.सं./५५४९ परि./२९१८ ४ - चतुर्गतिवेल ले.स. १७२७; हाथकागळ पत्र ७ २५०५४११ से.मि. पथ १३५. प्र.सं./५५५० परि० / ३९९७ ५- चिहंगतिवेल ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ २६४११ से.मि. पद्य ३५ तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स ं./५५५१ परि. / ३०७० Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रबंध ७०१ ६-चिहुंगतिवेली ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ४८थी ५१; २७४११.७ से मिः । सिरोहीनगरमां जगमालजीना शासनमां पूर्णिमा पक्षना विद्या सागरसूरि>लक्ष्मीतिलकसूरिना शिष्य कर्मसुंदरमुनि प्रति लखी. प्र.स./५५५२ परि./८४६०/२६ जंबूवेली ले.स १७ मु शतक (अनु.); हाथकागळ १; २६४११ से.मि. गाथा १९. प्र.स./५५५३ परि/४४१५ द्वादश भावना वेली ले.स. १८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५५५४ परि./६२६४ मुनिजन सूरवेलि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५४१०.७ से.मि पद्य ६२. अपूर्ण. प्र.स./५५५५ परि./७९७२ प्रबंध गणपतिकायस्थमंत्री (जेनेतर) माधवानल कामकंद ला प्रबंध र.सं. १७८४. ले.स. १७४ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६१; २६४११ से.मि. कर्ता-वाल्मीक काथस्थ नरसानेा पुत्र छे. अमनेा समथ वि.स. १६मी सदीना उत्तरार्ध. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २१२२). सोमविमलना सहाध्यायी अने विमलमंडनना शिष्य रत्नविमलगणि उबुद्रनामे प्रति लखी. प्र.सं./५५५६ परि./८८२६ गुणरत्नसूरि (ना.) १-भरतबाहुबली पवाडु ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी १३; २८.३४११.५ से.मि. कर्ता-नायलगच्छीय गुणसमुद्ररि>गुणदेवसूरिना शिष्य छे. अमने वि स. १५मी सदीमां गण्या छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ २९). प्र.स./५५५७ परि./७३४/२ २-भरतबाहुबली पवाड ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७; २९४११.२ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ५, १३, १५ नथी. प्र.सं./५५५८ परि./१४०८ Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०२ जिनविजय (त. ) १ - जयविजय नृप प्रबंध रास २.सं. १७३४; ले.स. १७३८ हाथकागळ पत्र २०; २४.८४१०.२ से.मि. कर्ता - तपगच्छना कल्याणविजयनी परंपरामां कीर्तिविजयना शिष्य छे. समय वि.सं. १८मा शतकना पूर्वार्धनो छे (जै. गू. क. भा. २, पृ. २९७ ) पं. उदयविजये समीनगरमां प्रति लखी. प्र. स . / ५५५९ ( पालणपुर ) मां प्रति लखी. २ – जयविजय नृपति ( रास) प्रबंध र. स. १७३४; ले.स. १८७२; २३; २६४११ से.मि. पं. कृष्णविजयगणि > पं. रंगविजयगणिना शिष्य ऋषभ विजयगणिओ प्रहलादनपुर परि. / ५४१३ प्र. सं./५५६० प्रबंध जयशेखरसूरि (अं.) १ - त्रिभुवन दीपक प्रबंध ( परमहंस प्रबंध) ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २९, २६.८×११.६ से.मि. कर्ता - अंचलगच्छ महेन्द्रप्रभसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १५मी सदीनो छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. २४). प्र.सं./५५६१ २ - अंतरंग चोपाई ( त्रिभुवन दीपक प्रबंध) ले. स. १७ शतक (अनु.); पत्र ११; ३०×११.५ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./५५६२ देवशील परि. / १२०३ हाथकागळ पत्र परि. / १५६९ हाथकागळ वेतालपचीसी प्रबंध ( चोपाइबद्ध . ) र. स. १६१९, ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १९; २६.५x१०.८ से.मि. कर्ता - सौभाग्यह सूरिनी परंपरामां प्रमोदशीलना शिष्य छे. अॅमनो समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गु. क. भा. १ पृ. २२१). प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५५६३ परि./८८२३ परि. / १४४४ नयसुंदर ( व . त . ) गिरनार तीथेद्वार प्रबंध ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५०२११ से.मि. कर्ता वsतपगच्छना धनरत्नसूरि भानुमेरुगणिना शिष्य छे, अमनो समय वि.सं. १७ ना पूर्वार्धनो छे. (जै. गू. क. भा. १; पृ. २५४). कल्याणसुंदरऋषिले प्रति लखी. प्र.स ं./५५६४ परि. / ४८६४ Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रबन्ध पद्मनाभ (नागर) १-काहडदे प्रवन्ध र.सं. १५१२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.७४११ से.मि. अपूर्ण ___ कर्ता-नागर ब्राह्मण थे. अमनो समय वि.सं. १६मीना आरंभनो गणी शकाय. (जै. सा. इति. पृ. ४२१ दि. १२२).. प्र.स./५५६५ परि./४७२७ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८: २६.४४११.२ २--कान्हडदे प्रबन्ध से.मि. अपूर्ण. प्र.स./५५६६ परि/१५६८ ३-कान्हडदे प्रबन्ध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २४, २६.७४११.५ से मि. तूटक पत्र १ श्री १२ मुं अने १९ नथी. प्र.सं./५५६७ परि./७००७ भद्रसेन मुनि (ख.) चंदनमलयागिरी वार्ता प्रबन्ध के.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २१.८x . ११.३ से.मि. __ कर्ता-खरतरगच्छना वि.सं. १७मी सदीनी बोथी पचीसीमां थयेला होवानुं अनुमान छ. (जे. गू. क. भा. १. १. ५९७). पाटणमा विनयप्रभसूरि प्रति लखी. प्र.स./५५६८ परि/४०९७ भावप्रभसूरि सप्तदेशभेद पूजा प्रबन्ध .स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ८; २५.५४ ११.४ से.मि. ___ कर्ता-नामनिर्देश मात्र मळे छे. प्र.स/५५६९ परि./२५७० भावविजय (त.) ध्याननिरूपण प्रबन्ध र.स. १६९६; ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र १२; २५.५४ ११.३ से.मि ग्रंथान २६५. - कर्ता-तपगच्छना विजयदानसूरिनी परंपरामा मुनि विमलना शिष्य छे. मेमने। समय वि.स. १७मीना छे. (जे. गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. १०७२). प्रस./५५७० परि./३९३२ Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०४ प्रबन्ध मलयचंद्र धनदत्त-धनदेव प्रबन्ध र.स. १५१९; ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ फत्र ८, २८४११.७ से.मि. पद्य २४०. कर्ता-पूर्णिम गच्छना साधुरत्नसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ना आरंभना. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ४७६). गोपमंडलीमां रचना थयेली छे. प्र.स./५५७१ परि./७०३ राजसागर (पी.) शील प्रबन्ध (लवकुशाख्यान रामसीता रास) र.स. १६७२; ले.सं. १६७८; हाथकागळ पत्र २१९; २५.३.११.८ से.मि. ___ कर्ता-पीपलगच्छना धर्मसागरनी परंपरामां सौभाग्यरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७नी छेल्ली पचीसीने। छे. (ज. गू. क. भा. १, पृ. ४८५). रचचा थिरपुर. (थराद)मां थयेली छे. प्र.स./५५७२ परि./५१५९/१ लावण्यसमय. (त.). १--विमलमंत्री प्रबन्ध र स. १५६८; ले.स. १७# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४; २५.५४१०.७ से.मि. पद्य १३५६ तूटक. . का--तपगच्छना सोमसुंदरसूरिनी परंपरामा समयरत्नना शिष्य छे. अमना समय जन्म वि.स. १५२१ अने वि.स. १५८९ सुधीनी रचना मळे छे. (जै. गु. क. भा. १, पृ. ६९-७०). पत्रो १ थी ५ नथी. रचना स्थळ मालसमुद्र. प्र.स./५५७७३ परि./८३०९ २-विमलमंत्री मनोहर प्रबंध र.स. १५६८. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११, २६-५४११.२ से.मि. तूटक. . प्रति जीर्ण छ, पत्र १ नथी. प्रे.स./५५७७४ परि./२८७१ समयसुंदर (ख.) प्रियमेलक प्रबन्ध र.स. १६७२. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८, २५.३४ १०.५ से.मि. पद्य २३२. - कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्र उ. > सकलचंद्रना शिष्य छे. वि.स. १६५८नी अमनी रचना नांधायेली छे. (जे. गू. क. भा..१, पृ. ३३१). रचनास्थळ मेडता. प्र.स./५५७५ परि./७१६० Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रबन्ध ७०५ १ - शांब प्रद्युम्न प्रबन्ध र सं. १६५९; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २६; २४-७९११ से.मि. ऋषि... अ चागोडामा जसोदाजी > आर्या लाडकी > आर्या फलाबाइ अने इंद्रजी माटे प्रति लखी कृतिनी रचना खंभातमां थइ. प्र.सं./५५७६ परि / ६३०७ २ - शांब प्रद्युम्न प्रबन्ध ले. सं. १६८७; हाथकागळ पत्र २१; २५.५४११.१ से.मि. पद्य ६०० तूटक. पत्र १लु नथी. कृष्णगढमां प्रति लखेली छे. प्र.स ं./५५७७ सहजकीर्ति (ख.) वत्सराजर्षि प्रबन्ध ले. सं. १६७६; हाथकागळ पत्र १८ २६.२४१०.८ से मि. प्रथाय ११३४ कर्ता — खरतरगच्छना क्षेमशाखाना जिनसागरसूरि परंपरामा हेमनंदनना शिष्य छे. समय वि.सं. १७ ना सदीना अंतनो (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५२५ ). नागुरीमां मुनि नेमीचंद्रजी प्रति लखी. प्र.स ं./५५७८ परि. / ५३१८ परि०/४७३४ सहजसुंदर वा. ( उ ) सूडा साहेली प्रबन्ध ले. सं. १६४७; हाथकागळ पत्र १ थी ५, २६४११०३ से.मि. पद्य १५९. कर्ता —— उपकेशगच्छना रत्नसमुद्र उ ना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६मी सदीना चोथा चरणनो छे. (जै. गू. क. भा. १ प १२० ) पूर्णिमां पक्षना ललितप्रभसूरिना शिष्य गुणराजे प्रति लखी. प्र.स ं./५५७९ परि / ४८१०/१ हेमराज उपा. (ख.) क्षुल्लक कुमार प्रबन्ध र.स ं. १६१७; ले.सं. १६९०; हाथकागळ पत्र १ थी ५; २६-३४११ से.मि. पद्य ४५. कर्ता — खरतरगच्छना जिनहंससूरि > पुएयसागरना शिष्य छे, ( प ४५) रचना समयने आधारे अमनो समय वि.सं. १७ ना पूर्वार्ध गणाय. आ कर्ता जे. गू. क. मां नांधायेला नथी. रचनास्थळ मुलताण (मुलतान ? ). सौभाग्यमेरूगणिओ पुण्यपालसरमा प्रति लखी. प्र.सं./५५८० परि./६८५४/१ ८९ Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०६ रोहण चोर प्रबन्ध पद्य १२१. प्र.स ं./५५८१ परि. / २६१६ विक्रमादित्य पंचदंड छत्र प्रबन्ध ले. स. १७३४; हाथकागळ पत्र १३; २६.६४१००८ से. मि. ग्रंथाग्र ४४० जीवविजय माटे अमर विजय गणिना शिष्य मुनि मेघविजये प्रति लखी. प्र.सं./५५८२ सदयवत्स चोपाइ प्रबन्ध. ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१, २८४११ सेमि. पत्र १लु नथी. प्र. सं. / ५५८३ अज्ञात ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २४.८x१०.८ से.मि. प्र.सं./५५८५ खीमो प्रबन्ध भास प्र.स ं./५५८६ आनंदमेरु ( प. ) कल्पसूत्र व्याख्यान भास. र. सं. १५१३; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी ३; २६४११ से.मि. कर्ता - पीपलगच्छमां गुणरत्नसूरिना शिष्य, वि.सं. १६ मां थया. (जै. गू. क. भा. ३ खं. १. पृ. ४५९). प्र. सं./५५८४ परि./१८४४/१ कवि परि. / ३७०७ अवन्तिसुकुमाल भास ले. सं. १६४५; हाथकागळ पत्र १ थी २ २६.२४११.२ से.मि. पद्य २८. कर्ता — कवि तरीके ज मात्र नाम आवे छे. (प. २८). ऋषि विनयशेखरे प्रति लखी. परि./३६९६/१ परि. / ७४५ जीवदयाभास ले.स. १५७४. हाथकागळ पत्र ९२ २७४११.७ से.मि. पद्य ७ कर्ता — वि.ना १६ मा सैकानो प्रसिद्ध कवि. (जे. गू. क. भा. १. पृ. १६२.) प्रति जीर्ण छे. परि. / ८९६०/६२ Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ کی دنیا भास शत्रुजयभास. ले.स . १५७४; हाथकागळ पत्र ९०९; २७४११.७ से.मि. पद्य ४. ' प्र.स./५५८७ परि./८४६०/५६ गणपति भास. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २५.३४१०.३ से.मि. पद्य ४. कर्ता-आमोदना वाल्मीक कायस्थ नरसाना पुत्र छे. अमनो समय वि.स. १६मी सदीना अंतिमना वर्षानो छे. (जै. गू. क. भा. ३. सं. २. पृ. २१.२२.). प्र.स./५५८८ ___ परि./८८८६१ गुणरत्नसूरि (ना.) कालिकसूरिभास. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २६४११ से.मि. कर्ता-नायलगच्छीय गुणसमुद्रसूरिनी परंपरामां गुणदेवसूरिना शिष्य, अममो समय वि.स. १५ नो गण्यो छे. (ज. गू. क. भा. १. पृ. २९). प्र.स./५५८९ परि./१८४४/२ चरणकुमार समकितभास (अथवा सज्झाय). ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.१४ ११.५ से.मि, ___ कर्ता-गच्छ जाणी शकतो नथी. कमललाभ पाठकना प्रशिष्य अने देवधिमलना शिष्य छे. अमना समयनु अनुमान करवु शक्य नथी. प्र.स./५५९० परि./३३२२ जिनविजय (त.) कर्पूर विजय निर्वाणभास र.सं. १७७९ ले.स. १९ शतक (अनु); हाथकागळे 'पत्र ५; २६४११.७ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छना सत्यविजय पंन्यासनी परंपरामां कर्पूरविजय > क्षमा विजयमा शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८ मा सैकाना उत्तरार्धनो छे. (जे. गू. क. भा. २. पृ. ५६३). रचना वडनगरमा थई छे. प्र.स./५५९१ परि./५८६६ जिनहर्ष (ख.) वज्रस्वामीभास. र स. १७५०: ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; . कर्ता-खरतरगच्छना शांतिहर्षना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मा सैकाना आरंभना वर्षानो छे. (जै. गू क. भा. २. पृ. ८१.). पत्रो १, २ नथी. रचना जावालमां प्र.स./५५९२ परि./२१७१ Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०८ भा ज्ञानविमलसूरि (त.) १-कल्पसूत्रभास संग्रह. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २६.४४ ११.९ से.मि. ग्रंथान. ४८४. कर्ता तपगच्छना विनयविमलनी परंपरामां धीरविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७०२ जन्म - मृत्यु वि.स. १७८२. (जै. गू. क. भा. २. पृ. ३०९) प्र.स./५५९३ परि./१५७८. २-कल्पसूत्रनी भासो. ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३, २६४१२ से.मि. परि /१६६३ द्वितीयपदभास. ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २६.३४१२.१ से.मि. प्र.स./५५९५ परि./७८३७/८ ज्ञानशील नेमिनाथभास. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ल; २६४११.३ से.मि. पद्य ४.. कर्ता-मात्र नामनिदेश छे. प्र.सं./५५९६ परि./५२६६/३ नमिनाथ राजुलभास. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २६४११.३ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५५९७ परि./५२६६/२ तत्त्वविजय (त.) चतुर्विशतिजिनभास. ले.सं. १७४०; हाथकागळ पत्र ५, २५४११ से.मि. कर्ता प्रसिद्ध यशोविजय उपा.ना शिष्य छे. अमनो रचनाकाळ वि.स. १८नी पहेली पच्चीसीथी शरू थयेलो छे. (जे. गू, क. भा. २. पृ. २२४). प्रेमविजय गणि नवसारीमा प्रति लखी. प्र.स./५५९८ परि./६२६६ देपाल (भोजक.) कल्पसूत्र भास. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १५९; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ४. ___ कर्ता--पाटणनो भोजक-ठाकोर छे. अनो समय वि.स. १५०० थी १५२२ नो गणायो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ३७) प्र.स./५५९९ . परि./८२८५/३९ गौतमस्वामी भास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ७. प्र.स./५६०० परि/.८२८५/२२ Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भास ७०९ नवकारभास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ जु'; २६.४४११ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./५६०१ परि./८२८५/५ शत्रुजयभास ले.स. १५७४; हाथका गळ पत्र ८९९; २७४११.७ से.मि. पद्य ७. प्र.स./५६०२ परि./८४६०/५० शालिभद्-धन्नाभास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८७मु; २७४११.७ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./५६०३ परि./८४६०/४२ स्थूलिभद्रभास ले स. १६मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २६४११ से.मि. पद्य ११. प्र.स./५६०४ परि./६१६३/३ देवविजय (त.) विजयक्षमासूरिभास ले स. १९९ (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २३.५४१०.३ से.मि. पद्य ६. कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां दीपविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८माना उत्तरार्ध (जै. गू, क. भा. २, पृ. ५०० अने ५०२) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५६०५ परि./६६७३/६ धनविमल गणि । शालिभद्रभास ले.स. १७००; हाथकागळ पत्र १लु'; २४.७४१७.८ से.मि. पद्य १०. प्र.स./५६०६ परि./६५६८/२ धर्ममंदिर (ख.) ऋषभजिनभास ले.स. १८९शतक ( अनु.), हाथकागळ पत्र ३जु; २५.३४११ से मि. पद्य ४. ___कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां दयाकुशलना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८मी सदीना छे. जै. गू. क. भा. २, पृ. २३४). प्र.स./५६०७ परि./६४६७/३ नरचंद्रसूरि पडिकमणा भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८८मु'; २७४११.७ से.मि. पद्य ५. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.सं.५६०८ परि./८४६०/४६ Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नरमद (स.) शालिभद्र भास (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २६.४४११.१ से.मि. पद्य १४. कर्ता-तपगच्छना कमलकलशनी परंपरामां वीजा कनकना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६मीना उत्तरार्धनेा छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. 1, पृ. ८२७). प्र.सं/५६०९ परि./८२८५/२९ नारायणमुनि शील भास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.८.४११ से.मि. पद्य ५. कर्ता-रत्नसिंहसूरिना वारामां समरचंदना शिष्य. अमनेा समय वि. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५१५). प्र.स./५६१० परि./५९१९/२ पद्मकुमार (ख.) वैराग्यभास. ले.स. १६ मो १५७४; हाथकागळ पत्र ९२मु; २८x११ से.मि. गाथा ८. कर्ता-खरतरगच्छना पूर्णचंद्रना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ मी सदीना मनायो छे (जै. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. ९३७), जेनो ले.सं. साथे मेळ नथी बेसतो. प्र.स./५६११ परि./८४६०/६० पूनो (पूनउ) मेघकुमार भास. ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २६.५४११.२ से.मि. पद्य १८. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (प. १८) प्र.स./५६१२ परि./३१४०/६ ब्रह्म. (पा.) अढार पाप स्थानक भास. ले.स. १८मु शतक ( अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १२; २३.४४१०.१ से.मि. कर्ता पार्श्वचंद्रीय गच्छना छे. अमर्नु बीजु' नाम विनयदेवसूरि छे. अमना समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. १५२) प्र.स/५६१३ _____ परि./४११४/१ १-उत्तराध्ययन छत्रीस अध्ययन भास. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३; . २४.५४११.५ से,मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५६१४ परि./८८८९ २-उत्तराध्ययन छत्रीस अध्ययन भास. ले.स. १६९९; हाथकागळ पत्र १३; २५४११ से.मि. __ प्रति जीर्ण छे. बर्हानपुरमा विनयप्रभसूरि प्रति लखी. प्रसं./५६१५ परि./८९५८ Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भास ७११. ३-उत्तराध्यायन छत्रीस भास. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २५४११.३ से.मि. प्रस./५६१६ परि./११. ४-उत्तराध्ययन सूत्र छत्रीस भास. ले.स. शतक (अनु,); हाथकागळ पत्र २९, २५४११.३ से.मि. ग्रंथाग्र ७०० प्र.स/५६१७ परि./५०५९ भावप्रभसूरि (पा०xपू.) महिमा प्रभसूरि भास (३). ले.स. १९# शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु, ४थु; २५.५४११.२ से.मि. पद्य ७; ७; ७. ___कर्ता-पार्श्वचंद्रसूरिगच्छना चंद्रप्रभमरिनी परंपरामा महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८ मी वा उत्तरार्धने। छे. (जै. गृ. क. भा. २. पृ. ५०३). आ व्यक्ति पूर्णिमा गच्छनी ज छे. (अजन. भा. ३. खं. २. पृ. १४२४) प्रति जीर्ण छ.. प्रम/५६१८ परि./४ १६७/८,९,१५ मतिशेखर (उप.) बसस्य भास. ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९२९; २८४११ से.मि. गाथा ८. कर्ता उपकेश गच्छना ककसूरिनी परंपरामां देव गुप्तरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. ९६ ना पूर्वार्धना छे. (जै. गू, क. भा. ३. ख. १. पृ. ४७०). आ रचना जै. गू. क. मां नेांधायेली नथी, प्र.स./५६१९ परि./८४६०/५९ मतिसागर (आ.) अंबड भाषा. ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ८ २४.४४११.१ से.मि. पद्य ८. ___ कर्ता आगमगच्छना गुणमेरुना शिष्य छे. अमनो समय विसं. १७ नो (जै. गू. क. भा. १. पु. ४९६) प्र.सं./५६२. परि./४४००/१५ आमुनि भाषा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुं; २४.४४११.१ से.मि. पथ १०. प्र.स./५६२१ . परि./११००/१३ वकचूल भाषा. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २४.४४११.१ से.मि. पद्य १०. प्र.स./५६२२ 'परि./४४००/११ Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१२ भास सुलसा भास. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ८९; २४.४४११.१ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./५६२३ परि./४४००/१६ माणिक्यविजय (त.) पर्युषण व्याख्यान नव भास. ले.स. १७६६; हाथकागळ पत्र ५; २३.५४११.४ से.मि. __कर्ता-तपगच्छना क्षमाविजयना शिष्य ले. (जे. गू. क. भा. ३. खं. २. पृ. १४५२.) पं. गंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./५६२४ परि./२५३० माणेकविजय (त.) चौदगुणठाणानी भासा ले.स. १९६२; हाथकागळ पत्र ११; २७४१२.३ से.मि. पद्य ७ कर्ता तपगच्छना विजयदेवसूरि > विजयप्रभ > कपूरविजयना शिष्य छे. (५.७) समय जाणी शकातो नथी. लहिया व्यास जोगीदास मारवाडीसे प्रति लखी. प्र.स./५६६५ परि./८२६ मालसेवक समवसरणमहिमा भास. ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.३४११.८ से.मि. पद्य ३०. कर्ता मात्र नामनिर्देश आपे छे. (५.३०). प्र.स./५६२६ परि./६७९४ मुंज आदिनाथ भास. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३: २६.४४११.१ से.मि, पद्य ४. . ___ कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छ. (५.१.) प्र.सं./५६२७ परि./८२८५/६ मेघराजऋषि (पा.) १-ज्ञाता धर्म कथा सूत्रनी १९ भास. ले.स. १६७४; हाथकागळ पत्र १५; २७.३x १२.१ से.मि. ___ कर्ता पार्श्वचंद्र गच्छना समरचंदनी परंपरामां श्रवणना शिष्य छे. अमनी वि.स. १६६४ नी रचेली कृति नेांधायेली छे एटले वि.स. १७मी सदीना उत्तरार्धनो समय गणी शकाय (जै. गू. क. भा. १. पृ. ४.१.). रचना पाटणमां थई छे. प्र.स./५६२८ परि./६२८ २-ज्ञाताध्ययन कथा भास ले.सं. १७२०; हाथकागळ पत्र ११मु; २४.८४११ से.मि. ग्रं. ५०१. प्र.सं./५६२९ परि/५१८५/१ Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भास ७१३ ३-ज्ञाता सूत्र षोडशाध्ययन भास (प्रथम-चतुर्थ) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३; २५४११.५ से.मि. गाथा २७+१३+७= ४७; ढाळ ३. प्र.सं./५६३० ... परि./५०२२ तेर कठियारानी १३ भास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २६४११.४ से.मि. प्र.स/५६३१ परि ३५३५: मेघकुमार भास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.८४११.२ से.मि. पद्य २७.. प्र.स/५६३२ परि./४८६१ सेळि सती भास ले.स. १७२०; हाथकागळ पत्र ११थो १८; २४.८४११ से.मि. प्र.स./५६३३ परि./५१८५/२ यशोविजय (त.) अगियार अंगनी भासो ले.स. १८३५; हाथकागळ पत्र ८: २५४११.५ से.मि. तूटक. ___ कर्ता-तपगच्छना कल्याणविजयनी परंपरामा नयविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८ मी सदीना छे. (गै. गू. क. भा. २, पृ. २०). पत्र १लु, ७मु नथी. स्तंभतीर्थ (खंभात)मां प्रति लखाई. प्र.स./५६३१ परि./६३५३ रंगविजय (त.) विजयजिनेन्द्रसूरि भास ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र २थी ३: २५४११ से.मि. पद्य ९. कर्ता-तपगच्छमा विजयदेवसूरिनी परंपरामां अमृत बिजयना शिष्य छे. समय वि.स. १८-१९मा सैकाना संधिकाळने। (जै. गू. क. भा. २, पृ. २५२; भा. ३, ख. १, पृ, १७५). प्र.सं.५६३५ परि./७१९६/३ विजयजिनेन्द्रसूरिभास ले.सं. १८७१; हाथकामळ पत्र ११मु; २५४११ से.मि. पद्य ८. प्र.स./५६३६ परि./७१९६/२१ राजरत्न पाठक ज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्रनी १९ भास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २५.५४११.४ से.मि. कर्ता-मात्र नाम निर्देश छे. : प्र.स./५६३७ परि./५३६३ Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१४ भास रूपमुनि ___जसवंतऋषि भास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २५-३४११.३ से.मि. ढाळ २. कर्ता-वरसिंहगणि > जवसंत ऋषिना शिष्य छे. (ढा. २) गच्छ के समय आप्या नथी. रचना त्रांबावती(खंभात)मां थई. प्र.स./५६३८ परि./३५५३ लक्ष्मीरत्न (पू.) गुरुकल्पभास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु २५.५४११.२ से.मि. पद्य १३, ___ कर्ता-पूर्णिमागच्छमां भावप्रभसूरि>महिमाप्रभनी परंपराना लागे छे. (प. १३) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५६३९ परि./४१६७/६ गहुली भास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.५४११.२ से.मि. पद्य ५. प्रति जीर्ण छे. प्र.स/५६४० परि./११६७/४ भावप्रभसूरिभास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.५४११.२ से.मि. पद्य ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५६४१ परि./४१६७/१ महिमाप्रभसूरीश्वर भास ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २५.५४ ११.२ से.मि, पद्य ७. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५६४२ परि./४१६७/७ लब्धिविजय (त.) सिद्धाचल भास ले.स. १८४७; हाथकागळ पत्र २थी ३, २२.२४१०.७ से.मि. पद्य २७. ___ कर्ता-तपगच्छना हीरविजयसूरिनी परंपरामां अमरविजयना शिष्य छे. समय वि.स. १९मु शतक छे. (जे. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ४४). पत्र १लुं नथी. प्र.स./५६४३ परि/७७०६/२ लालविजय ज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्र भास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३१; २४.८४११.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छना आणंदविमलनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमने समय १७मुशतक छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ९६९). प्र.स./५६४४ परि./७५९० Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भास ७१५ लावण्यसमय (त.) आलेायणा भास (सीमंधरजिन विनति) ले.स. १६७४; हाथकागळ पत्र २; २६.७४११ से.मि. पद्य ४७. ____ कर्ता-तपगच्छमां सामसुंदरसूरिनी परंपरामां समयरत्नना शिष्य छे. (अमनी वि.स, १५२१-१५८९ सुधीनी रचना मळे छे. जै. गू, क. भा. १, पृ. ६९). प्र.स./५६४५ परि./२९४४ पुण्यपाप फल भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८७९; २७४११.७ से.मि. पद्य १०. प्र.सं./५६४६ परि./८१६०/४० सातवार भास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २४.५४१०.३ से.मि, पद्य ८. प्र.सं./५६४७ परि./७३२४/ बच्छ भंडारी नवकार भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८८९; २७४११-७ से.मि. पद्य ७. __ कर्ता-१६मा शतकना देपाल कविना समकालिक छे. (ज. गू. क. भा. १, पृ. ६५). प्र.स./५६४८ परि./८४६०/४७ ___ शत्रुजय भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८७थी ८८; २७४११.७ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५६४९ परि./८४६०/४४ विनयधीर नेमनाथ भास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५थी १६; २१४१२.२ से.मि. पद्य २३. ___ कर्ता-मात्र नाम निदेश मळे छे. प्र.सं./५६५० परि./२७४२/५ शांतिसागर (अं.) अमरसागर गुरुभास ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १८९; २०४९.५ से.मि. पद्य ७. कर्ता-अंचलगच्छमां अमरसागर>मतिसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि.नी १८मी सदीना छे. (पत्र ६मां परंपरा मळे छे.) आ कर्ता जै. गू. क.मां नेांधायेला नथी. कर्ताना स्वहस्ताक्षरनी प्रति द्विप (दीव) बंदरे लखेली छे. प्र.स./५६५१ परि./८१८०/११ गुरुभास ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १८९; २०४९.५ से.मि. पद्य ६. प्र.स./५६५२ परि./८१८०/१२ गुरुभास ले.स. १७६१; हाथकागळ पत्र १८ थी १९; २०४९.५ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./५६५३ परि./८१८०/१३ Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१६ भास श्रीकरण ___ शत्रुजय भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८७९; २७४११.७ से.मि पद्य ८. ____ कर्ता-गोयंद(गोविंद ?) सुत तरीके पाताने ओळखाबे छे. (५.८). प्र.स./५६५४ परि./८४६०/४३ सहजभूषणगणि भुवनसुंदररि भास ले.सं. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १T: २६४११ से.मि. पद्य ७. ___कर्ता-चांद्रगच्छीय छे. (५५). प्र.स./५६५५ परि./६१६३/५ सहजसुंदर (उ.) स्थूलिभद्र भास ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१ ०.८ से.मि. पद्य १९. कर्ता-उपकेश गच्छना गणि रत्नसमुद्रना शिष्य छे. अमने। समय वि. ५६मी सदीनी चौथी पचीसीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १२०). प्र.स./५६५६ परि./२५७३ सुखसागर वृद्धिविजय निर्वाणभास ले.स. १७९५; हाथकागळ पत्र ४; २६.१४११.६ से.मि. ___ कर्ता-तपगच्छना सत्यविजयगणिसंतानीय छे. अमना समय वि. १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५१३). प्रति पाटणमां लखाई. प्र.स./५६५७ परि./३५३४ सुमतिविमल नेमिनाथ भास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ जु; २७.५४११.७ से.मि. गाथा ९. कर्ता-नामनिर्देश मात्र मळे छे. (गा. ९). प्र.स./५६५८ परि./७७२/२ सेवक चोवीसजिन भास ले.स. १८मु शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र ८; २५.६४१०.८ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स./५६५९ ___ परि/७९५० सोममंडन मुनि नेमिनाथ भास ले स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.३४११ से.मि. पद्य १०. कर्ता--मात्र नामनिदेश मळे छे. कुशलविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./५६६० परि./५९२५/३ Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भास सोमरत्न सूखडी भास ले स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६.२४११ से.मि. पद्य १७. प्र.स./५६६१ परि./५५७९ हंसविजय विजयानंदरि भास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २६४११.५ से.मि. पद्य ५. __कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. धीरविजये प्रति लखी. प्र.स/५६६२ परि./६९९७/२ हीरानंद मुनि शत्रुजय भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८९९; २७४११.७ से.मि. पद्य ११. प्र.स./५६६३ परि./८४६०/४९ अज्ञातकर्तृक अभयसिंहसूरि-शिष्य (बृ.त.) जयतिलकसूरि भास (६) ले.स. १६मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६४ थी ६६ अने १६६९; २४४९.९ से.मि. अनुक्रमे गाथा-१०, ९, ७, ११, ८, ११. कर्ता-कोई बृहद्तपगच्छनी परंपराना लागे छे. (जै. सा. इति. पृ. ४६९, फकरो ६८६). प्र.स./५६६४ परि./८६०१/७७; ७८; ७९; ८०, ८१; १०४ शुभवर्धन-शिष्य गयसुकुमाल भास ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४; २५४१०.३ से.मि. पद्य ९१. प्र.स./५६६५ परि./६३४० जीवशिक्षाभास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६.३४१ ०.८ से.मि. पद्य ६० प्र.स./५६६६ परि ५३८९/१ जीराउला भास (२) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; ३थी ४. २६.५४११.१ से.मि. अनुक्रमे गाथा ११, ३०. प्र.स/५६६७ परि./८२८५/४, १० नेमिनाथ भास ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १थी २; २६.४४११.१ से.मि. पद्य १०. प्र.स./५६६८ परि./८२८५/३ Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१८ भास मेतार्य ऋषि भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ९१९; २७४११.७ से.मि पद्य १८. प्र.स./५६६९ परि./८४६०/५८ राजिमती भास (२) ले स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ढं; २६.४४ ११.१ से.मि. अनुक्रमे पद्य ९, २. प्र.सं./५६७० परि./८२८५/१, २ विद्यासागरसूरि भास ले स. १५७६; हाथकागळ पत्र १४३९: २७४११.७ से.मि. पद्य ४. प्र.स/५६७१ .. परि./८४६०/७९ शत्रुजय भास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र २५९; २७४११.७ से.मि. पद्य ७. प्रतिनुं आ पत्र जीर्ण छे. प्र.स./५६७२ परि./८४६०/४ समकित भास ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ८८मुं; २७४११.७ से.मि. गाथा ४. प्र.सं./५६७३ परि./८४६०/४७ समवसरण भास ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५९; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./५६७४ परि./८२८५/३८ संधि कल्याणतिलक (खर.) धन्ना संधि र.सं. १५५८; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २६.२४ १०.८ से मि. पद्य ६५. ___ कर्ता-खरतरगच्छना जिनसमुद्रसूरिन। शिष्य छे. अपना समय वि. १६मा सेकाना उत्तरार्धने। छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५१९). प्र.स./५६७५ परि./४५५२ मृगापुत्र संधि ले.स १७मुशतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २; २६४११.३ से.मि. पद्य ४३. प्रति जीण छे. प्र.स./५६७६ परि./८९३९ Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संधि ७१९ गजसार . पुंडरीक-कंडरीक मुनि संधि ले.स'. १७१७; हाथकागळ पत्र ६; २५४११ से.मि. ग्रंथान २२२. विनयप्रभसूरि पाटणमां प्रति लखी. . प्र.स./५६७७ परि./२५९२ जयसोमगणि (ख.) बारभावना संधि र.सं. १६४६; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४१ ०.५ से.मि. कडी ७२. ___कर्ता-खरतरगच्छना प्रमोदमाणिकयना शिष्य छे. अमना समय वि. १७मा शतकना उत्तराधना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख, १, पृ. ९७३). रचना वीकनेयर(बीकानेर)मां थई छे. प्र.सं./५६७८ परि./८९३७ पुण्यसागर उपा. (ख.) सुबाहु ऋषि संधि र.सं. १६०४; ले.स. १८मुशतक (अनु,); हाथकागळ पत्र १थीं ६, १५.३४१०.५ से.मि. पद्य ८९. कर्ता-खरतरगच्छना जिनहससूरिना शिष्य छे. अमनेा समय वि.सं. १७नो पूर्वार्ध. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १८८). रचना जेसलमेरमां थई. प्र.सं./५६७९ परि./१३६४/१ भावशेखर (आ.) धनामहामुनि संधि ले.स. १७०९; हाथकागळ पत्र २३, २६.३४११ से.मि. ग्रंथान ८५५. कर्ता- आंचलगच्छना कल्याणसागरसूरिनी परंपरामा विवेकशेखरना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मा सैकानी पांचमी वीसीनो छे. (ज. गू. क. भा. ३. खं. १. पृ. ९९६) अंचलगच्छना कल्याणसागरसूरिना धर्मशासनमां, कच्छमां नळिया गामे वा. विवेकशेखर> भावशेखरगणिना शिष्य बुद्धिशेखर ऋषिसे प्रति लखी. प्र.सं./५६८० परि./३७१५ मूलऋषि (आं.) गयसुकुमाल संधि र.स. १६२४; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ७; २५.५४११ से.मि. पद्य १३७. ___ कर्ता-आंचलगच्छना धर्ममूर्तिसूरिनी परंपरामां रत्नप्रभसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ मी सदीना पूर्वार्धनो (जै. गु. क. भा. ३. खं. १, पृ. ९४१). रचना सांचारमा थयेली छे. पुण्यकुशल माटे विजयहर्षगणिले प्रति लखी. प्र.स./५६८१ परि./४९५८/१ Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० संधि मेघराज मुनि सुबाहुकुमार संधि ले.स. १८ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ७; २६.७४ १०.८ से.मि. पद्य ७५ ।। ___ कर्ता-समरचंद > राजचंद्र > सरवण(श्रवण)ना शिष्य छे (प. ७.५). गच्छ के समय मळयो नथी. प्र.स./५६८२ परि./६८९/१ श्रीसार मुनि (ख.) १-आनंद संधि र.सं. १६८४; ले सं. १८०३; हाथकागळ पत्र १ थी १५, २६.५४ ११.७ से.मि. पद्य २५२. कर्ता खरतरगच्छना रत्नहर्ष वाचकना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जे. गू, क. भा. १, पृ. ५३४) पं. केसरसिंघे सुरीत(सुरत) बंदरे प्रति लखी. प्र.सं./५६८३ परि./३१७६१ २-आनंद संधि ले.स. १८०५; हाथकागळ पत्र ८, २५४५११.४ से.मि. पद्य २५२. अजमेर दुर्गमां पं. बुद्धिकुशले प्रति लखी. प्र.स./५६८४ परि./४९५७ ३-आनंद संधि ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५४११.२ से.मि. ग्रंथान ३००. प्र.स./५६८५ परि,/६४४३ v-आनंद संधि ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ११; २५.२४१०.७ से.मि. पद्य २४८. __ सांचोरमां पं. रत्नसुंदरे प्रति लखी. प्र.स./५६८६ परि./६४३९ ५-आनंदश्रावक संधि ले.स. १७६०; हाथकागळ पत्र ५; २५.२४११.१ से.मि. ऋषि काहजीले प्रति लखी. प्र.स./५६८७ परि./८५५५ संजम(संयम)मूर्ति उदयन राजर्षि संधि ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी १०; २६x ११.२ से.मि. कर्ता-विनयमूर्तिना शिष्य छे. अने वि.स. १७मी सदीमां नोंधायेला छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ ४६२). प्र.स./५६८८ परि./२१६१/१३ Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संधि ७२१ गयसुकुमाल संधि ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ मु; २५.७४१०.८ . से.मि. पद्य ७०. ___ बाइ पछा३ (१) माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५६८९ परि./४९५६ सुमतिकल्लोल वा. (ख.) मृगापुत्र संधि ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४१०.७ से.मि. तूटक कर्ता-खरतरगच्छना जिनचंद्रसूरिना शिध्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू क. भा. ३, खं. १, पृ. ८९१) पत्र । नथी. प्र.स./५६९० परि./६०५४ हेमनंदन आनंदसंधि ले.स १९५३; हाथकागळ पत्र १२; २७४१२.७ से.मि. रत्नहर्षना प्रशिष्य अने हेमकीर्ति गुरुना शिष्य छे. (१.१२.) गच्छ के समय आपेलो नथी. प्र.स./५६९१ परि./९६७ अज्ञातकर्तृक आनंद श्रवक संधि ले.स. १९ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २३४११.२ से.मि. __ तूटक. पत्रो १, २ नथी. प्र.स./५६९२ परि./४ ९४२ मृगा पुत्र संधि र.स. १७५३; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.७४ १०.५ से.मि. प्र.सं./५६९३ परि./१६९३ फागु-बारमासी-वसंत फागु कल्याणकमल नेमिनाथ फाग ले.स. १७४१; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २६.३४१०.९ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. साध्वी मानमालानी शिष्या साध्वी रत्नमालामे प्रति लखी. प्र.स./५६९४ परि/८२५३/२ Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ फागु केशव नेमिनाथ फाग र.सं. १७५१ ले.स. १८ में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.२४ १०.८ से.मि. ढाळ ५. . कर्ता-वा. लावण्यरत्नना शिष्य छे. अमनो समय बि.स. १८ मी सदीनो छे. (ढा. ५. पत्र ६) रचना पाटणमां थई. पत्र १ला मां तीर्थ करनुं चित्र छे. प्र.सं./५६९५ परि./८७९१ चतुरभुज कृष्णभ्रमर गीत फाग ले.स. १७२०; हाथकागळ पत्र ५, २३.३४१०.५ से.मि. पद्य ९७. कर्ता-वि.स. १७मी सदीमां नेांधायेला जेनेतर छे. (जे. गू, क. भा. ३, खं. २, २१४८). पन्यास अमृतविजय>भावविजयना शिध्य भानविजयनी मालिकीनी आ प्रतिछे. प्र.स./५६९६ परि./७७१० पद्ममुनि नेमिनाथ फाग ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ३३९; २७४११.७से.मि. पद्य १४. कर्ता-वि.स. १४ मां नेांधायेला छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ४०६, - भा. १, पृ. ११). प्र.सं./५६९७ परि./८५६०/१४ माणिक्यसुंदर (आं.) नेमिनाथकुमार-राजीमती चरित्र फाग ले.स. १७५९; हाथकागळ पत्र १; २२.७४१०.८ से.मि. पद्य १०५. कर्ता-आंचलगच्छीय मेरुतुंगसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १५मी सदीना छे. (जै. गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. ४४३). प्रथम ३ *लोक संस्कृतमां रचेला छे. हर्षरत्नजी>मतिसागरगगिना शिष्य शांतिसागरे भुजनगरमा प्रति लखी. . प्र.स./५६९८ परि./७७५० मालदेव मुनि (व.) स्थूलिभद्र फाग (धमाल) ले स. १६६३, हाथकागल पत्र ३, २५४११.५ से.मि. पद्य १०७. कर्ता- वडगच्छमां भावदेवसूरिना शिष्य छ. अमना समय वि.स. १७मीना पूर्वार्धना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ८०७, भा. १, पृ. १०५). विनयकीर्तिसूरिसे राजनगर(अमदावाद)मां प्रति लखी. प्र.सं./५६९९ परि./४०२७ राजशेखरसूरि (म.) नेमिनाथ फाग ले.स. १६#शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ६६ थी ६७; : ४४९.९ से.मि. गाथा २५. कर्ता-मलधारी अभयमूरिना संतानमा श्री तिलकसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १५ना आरंभने। छे. (ज. गू. क. भा. १, पृ. १३). प्र.सं./५७०० परि/८६०१/८२ Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कानु ७२३ विजयदेवसूरि (सु.) नेमिजिन फाग (शील प्रकाश रास) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १०; २६.६४११.७ से.मि. गाथा ६७. कर्ता-सुधर्म च्छना स्थापक छे. पार्श्वचंद्रसूरिना प्रगुरु पुण्यरत्नना शिष्य छे. अमना समय वि सं. १६मी सहीनो छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. १४८). प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५७०१ परि./१०६५ सोमसुंदरसूरि (त.) १- नेमिफाग ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५४११ से.मि. कर्ता-तपागच्छमां ५०मा पट्टधर. अमनो समय जन्म वि.स. १४३०; दीक्षा वि स. १४३७; स्वर्गवास १४९९. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३.). प्रति जीर्ण छे. प्रसं./५७०२ परि./१५९३ . २-रंगसागर नेमिजिन फाग (त्रिखंडात्मक) ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४; २६४११ से.मि. प्र.सं./५७०३ परि./१८४६ स्थूलिभद्र चरित्र(चो गाई) फाग ले.स. १५८३; हाथकागळ पत्र १७६ थी । ७८; २७४११.७ से.मि. पद्य ७५. प्र.स./५७०४ परि./८४६०/९८ हलराज स्थूलिभद्र फाग र.स. १४०९ ले.स १७९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २६.२४ ११.३ से.मि. पद्य ३६. कर्ता-वि.स. १५मी सदीमां नेधायेला छे. (जै. गु. क. भा. ३, ख. १, पृ. ४१२). रचना आघाटनगरमां थई छे. गुराई माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५७०५ परि./६२१. मात्रिका फाग ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६७ थी ६८; १५४९.९ से.मि. गाथा ३१. प्र.स./५७०६ __ परि./८६०१/८३ मूर्खफाग ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २५ २५.२४११.२ से.मि. तूटक अपूर्ण. ___* बने पत्रो काई जूदी जुदी प्रतिनां छे अटले बे नकल छे, जेमांनी के संपूर्ण नथी. प्र.सं./५७०७ परि/६७५६ Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२४ फागुं १-वसंतविलास भाषांतर ले.स. १६मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १०; २६४ ९.९ से.मि. मूळ रचना संस्कृतमा छे.. प्र.स./५७०८ परि./६८७७/१ २-वसंतविलास फागु (भाषांतर) ले.स. १६मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ११; . २६.३४११.२ से.मि. पद्य ८४. प्र.सं./५७०९ परि./५३९८/१ सुमतिसुंदरसूरि फाग ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.४४११ से.मि. पद्य ३७. प्र.स./५७१० परि./८५९३ स्थूलिभद्र फाग ले.स. १६९ शतक (अनु,); हाथका गळ पत्र २१९ थी २२०; २४४९.९ से.मि. पद्य २७. प्र.स/५७११ परि./८६०५/१४१ बारमासी काव्यो अमृतविजय (त.) नेम- राजीमती-बारमासी ले.स. १९९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र ८ थी १०; २१.७४११.२ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां विजयदेवसूरिनी परंपरामा बिवेकविजयना शिष्य छे. परंपरा कृतिमाथी मळे छे. अमनेसमय वि.स. १९नो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. १६१). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. . प्र.स./५७१२ परि./७७७५/२ अमृतसुंदर नेमद्वादश मासा ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र १५मु; २६४११.५ से.मि. पद्य १५. कर्ता -मात्र निर्देश मळे छे. प्र.सं./५७१३ परि./२३६७/१९ उदयरत्न (त.) १-नेमिनाथ बारमासा र.स. १७९५; ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १६; २३.४४१०.८ से.मि. पद्य ११२. कर्ता-तपगच्छमां विजयराजसूरिनी परंपरामां शिवरत्नना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८मा शतकनेा उत्तरार्ध छे. (जै. गू. क भा. ३, ख. २, पृ. १३४९). रचना ऊनाऊंजामां थई छे. प्र.स./५७१४ परि./८५९९/२६ Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२५ २- नेमराजीमती बारमास ले. स. १८५२; हाथकागळ पत्र ३; २ • ३४१००८ से.मि. तूठक. पत्र १लुं नथी. मिजलगा मे ऋषि गोविंदे प्रति लखी. बारमासी काव्वो प्र.सं./५७१५ ३ - नेमनाथ त्रयोदश मास से.मि. तूटक. पत्रो १-२ नथी. प्र.सं./५७१६ ऋद्धिविजय नेम - राजुल बार मास ले.स. ९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४.५x ११.२ से.मि. पद्य १५. कर्ता - रूपहंसना शिष्य छे. (५.१५ ) प्र.स / ५७१७ ऋद्धिहर्ष प्र.सं./५७१८ ऋषभदास नेमनाथ बारमास ले.स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २०४९.५ से.मि. पद्य १९. परि./७९७१ ले. स. १८११; हाथकागळ पत्र १ थी ६; २६११.८ परि./६४२०/५ प्र.स . / ५७१९ कपूर विजय (अ.) कर्ता - मात्र नामनिर्देश मळे छे. (पद्य १९) कविण राजीमतीना बारमास ( २ ) ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ २४ ७४१०-७ से.मि. अनुक्रमे गाथा १५+१५. कर्ता—वि स ं. १७मां थयेला खंभातना भाविक श्रावक (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४०९). परि. / ६०५९ / ३, ४ १ - नेमि - राजीमती बारमास ले. स. १९ शतक ( अनु. २५.७.४११०२ से मि. पद्य १३. कर्ता मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स ं./५७२१ परि./६४२०/५ मराजीमती बारमासेा ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ २५४११.६ से.मि. पद्य २५. कर्ता -अंचल गच्छमां अमरसागरनी परंपराना रत्नशेखरना शिष्य (५.२५). आ कर्ता जै. गू. क. मां नांधायेला नथी. प्र.सं./५७२० परि. / २०६०/३८ परि./८१४९/१६ पत्र ३० थी ३३: 1); हाथकागळ पत्र १ थी २; परि. / ६२०९/२ Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२६ धारमासी काव्या २-नेम राजीमती बारमास ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ९मु; २५.८४११.८ से.मि. पद्य १३. प्र.स./५७२२ परि./२०३५/९ ३-नेम-राजुल बारमासो ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मु २४.८४१२ से मि. पद्य १३. प्र.स./५७२३ परि./४.८९/१ गंगदांस (ख.) जसवंत आचार्यना बारमासा र.स. १६५९; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५.२४१.३ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छमां जिनसिंहसूरिनी परंपरा मां लब्धिकल्लोलना शिष्य छे. अमनेा समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जे. गू. क. भा. १; पृ. ४८३) आ रचना प्रचलित नथी. बाई सोना माटे ठाकुरऋषि) प्रति ली. प्र.स./५७२४ परि./६३५५ जयवंतसूरि (व.त.) 1--नेमिनाथ राजोमती बारमास ले स. १६९८; हाथकागळ पत्र ४; २६.१४११.२ से.मि. ग्रंथान २१५. कर्ता--वडतपगच्छमां विनय मडन उपा.ना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७ना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १९३). अहमदनगरमां ऋषि जालीसुंदर, मुनि जयसुंदर, मुनि राजसुंदर वगेरेनी साथे(-नी मददथी) वाचक रत्नसुंदर अने दानसु दर मुनि प्रति लखी. प्र.स./५७२५ परि /२२१७ २-नेमिनाथ राजमति बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ५; २४.५४११ से.मि. वाल्हम माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५७२६ परि./२६५६ ३-नेमिनाथ राजीमती बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४; २५.२४११.१ से.मि. पद्य ७५ प्र.स ./५७२७ । परि./४७३६ जिनहर्षगणि (ख) १-पार्श्वनाथ बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११९; २६.२४ ११ से.मि. पद्य ११ थी १३ तूटक। कर्ता-खरतरगच्छमां शांतिहर्षना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो छे. (जै. गू, क. भा. २. पृ. ८१) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५७२८ परि./७०२२/१९ Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारमासी काव्यो ७२७ २--पार्श्वनाथ बारमासो ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३ थी ३४; २५४११.६ से.मि. पद्य १३. थीरानगरमां भक्तिविजये प्रति लखी. प्र.स./५७२९ परि./२०६०/३९ राजुल बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.२४११ से.मि. पद्य १५ जै. गू. क. भा. ३. ख. २. पृ. ११७९मा नांधायेली बन्नेमांथो मेक पण प्रस्तुत कृति नथी. प्र.स./५७३० परि/७०२२/३ ज्ञानसोम (पु.) १--गुरु बारमास (विमलसोमसूरि बारमास) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.५४११ से.मि. पद्य ३७ कर्ता-पुसषि (खि) ? गच्छमां (पत्र २, पद्य. ३६) विमलसोमसूरिना शिष्य छे. (पद्य ३६, ३७) प्र.स./५७३१ परि./८२८२/१ २--विमलसोमसूरि गुरू बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.७४११.४ से.मि. पद्य ३७ श्राविका सहिजी माटे प'. विद्याविमलगणिना शिष्ये प्रति लखी. प्र.स./५७३२ परि./१०८ थोभण थोभणना बारमास ले.स. १८१७; हाथकागळ पत्र ३; २४.३४११.५ से मि. ... कर्ता-वि.स. १९ मां नेांधायेला जैनेतर-वैष्णव कवि छे. (ज. गू. क. भा. ३. ख. २. पृ. २१८९) प्र.स./५७३३ परि/७९७९ देवविजय (त) नेमराजुल बारमास ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ८९; २५८४११.८ से मि. पद्य १६ ___ कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपराना दीपविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो ले. (जे. गू. क. भा. २. पू. ५००) प्र.स./५७३४ परि/२०३५/६ धर्मसिंघ मेघकुमार बारमास ले.स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३; २४.४४१०.८ से.मि. पद्य ४५ कर्ता-अंतमा मात्र नामनिर्देश मळे छे. वैरागी होरीदासे प्रति लखी. प्र.स./५७३५ परि./८५४० Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२८ बारमासी काब्यो नरसिंह (नरसीयो) सीताजीना बारमास ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथ कागळ पत्र ४ थी ८; २२.५४ १२.५ से.मि. पद्म १२ कर्ता-प्रसिद्ध भक्तकवि नरसिंह महेता) होवानी संभावना छे. कृतिमा 'नरसीयो', प्र.स./५७३६ परि./८०५८/३ पुण्यप्रभ (ख.) नेमराजुल बारमास ले.स. १८२; हाथकागळ पत्र १ थी ३; १७.३४१० से.मि. पद्य १४ कर्ता-खरतरगच्छमां कीर्तिरत्नसूरिनो शाखामां शांतिहर्षना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७८६नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. २. ५. १४५८) गांदलामां हर्ष रत्ने प्रति लखी छे. प्र.स./५७३७ परि./८२२७/१ ब्रह्मभगत कृष्ण राधिका बारमासा ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २; २४.५४११ से.मि पद्य ९४ कर्ता--जेनेतर छे. मात्र नामनिर्देश छे. प्रति जीण छे. प्रसं./५७३८ परि./१३८८ न्यानविजय ले.स. १८१५, हाथकागल पत्र ९ थी १०; २५.८४११.८ से.मि. नेम बारमासा पद्य १३ प्र.स./५७३९ परि./२०३५/१० भाणविजय नेम बारमासा ले.स. १८१५, हाथकागळ पत्र ९ थी १०, २५.८४१.८ से.मि. पद्य १३ प्र.स./५७४० परि./२०३५/१० महिमामुनि नेमिद्वादशमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.७४१० से.मि. पद्य ११ ___ कर्ता-विजयमानसूरिना शिष्य छे. (गाथा. १४) प्र.सं./५७११ परि./७३३९ Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारमासा माणिक्यविजय (त. ) १ – नेम राजमती बारमासा २.सं. १७४२; ले. स. १८१५; हाथका गळ पत्र ११ थी १४; २५:८४११.८ से.मि. पद्य १२+५८. कर्ता -- तपगच्छमां क्षमाविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८ मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २. पृ. १४५२). प्र.सं./५७४२ परि./२०३५/१२ २- नेम राजीमती बारमासा २.सं. १७४२; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४११ से.मि. पद्य ५७ प्र.सं./५७४३ परि./६११७ मूलचंद ऋषभदेव बारमास ले.स. २०६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; २२.५४ १२.५ से.मि. पद्य १२. प्र.स ं./५७४४ परि. / ८०५८/२ रणछोड ७२९ कृष्ण बारमासा ले. स. १८१५; हाथकागळ पत्र ४ थी ६; २५.८४११.८ से.मि. पद्य ६४ कर्ता ---- महिकांठाना खडाल गामना वतनी, दशाखडायता वणिक गृहस्थ. वि.सं. १७७०-८० सुधीने कवन काळ. कोरजीनो भक्त वैष्णव. (गू. हा. प्र.सं. या. १. १६७) बृहद् काव्य दोहनमां मुद्रित. प्र. सं /५७४५ परि. / २०३५ / ४ राजविजय ( त . ) नेम - राजीमती बारमासा ले. स. १८१५; हाथकागळ पत्र ८ २५.८४११.८ से. मि. पद्य १५ कर्ता- -- तपगच्छमां विजयदेवसूरिनी परंपराना हर्षविजयना शिष्य छे. ओमनो समय वि.स ं. १८ मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. ३, खौं. २, पृ. १४६५ ) आ रचना जै. गू. क्र. मां नांधायेली नथी. ज्ञानविजयना शिष्य कांतिविजयमुनिओ प्रति लखी. प्र.स ं./५७४६ परि./२०३५/७ राम वसंतविलास फागु ले.सं. १५८३; हाथकागळ पत्र २१६ थी २।८ २७४११.७ से मि. पद्य २६ प्र.स ं./५७४७ ९२ कर्ता - ज्ञातिओ सोनी लागे छे. (१.२६) परि./८४६०/१०७ Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारमासा नित्यलाभ (आं.) नेमनाथ बारमास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पब ३ थी ४; २४.७४११.५ से.मि. पद्य २७ • कर्ता-आंचलिक विद्यासागरसूरिनी परंपरामा सहजसुंदरना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो छे. (जै. गू क. भा. २, पृ. ५३७) प्र.स./५७४८ परि./७०८५/२ लालविनोद १-नेमराजुल बारमासा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ५; . २४.२४१०.५ से.मि. पद्य २६. कर्ता-वि.सं. १९ मी सदीमां नेांधायेला छे. (ज. गू. क. भा. ३, ख. १, प्र.स./५७४९ परि ६३१५/२ २-नेम-राजीमती बारमास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; १२.२४११.५ से.मि. तूटक गाथा ५ थी २६. ___गाथा पढ़ी गई छे. प्र.स./५७१० परि./८६१४/१ विनयविजय १-नेम-राजीमती बारमास र.स. १७०६ ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र १० थी ११; २५.८४11.८ से.मि. पद्य २६. ___ कर्ता-तपगच्छमां विजयदेवसूरिनी परंपराना कीर्तिविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ अने १८मा सेकानो संधिकाळ छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५ अने ६). परंपरा कृतिमाथी पण मळे छे. प्र.स./५७५१ परि./२०३५/११ २-नेमिनाथ बारमास र.स. १७०६ ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४ थी १५; २५.८४११.५ से.मि. पद्य २७. प्र.स./५७५२ परि/५८६०/४ वीरविजय (त.) नेमिनाथ बारमास ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २७.१४ १२.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २०९). प्र.सं./५७५३ परि./१६३०/१ Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारमासा शांतिसागर . नेम बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९,२०४९.५ से.मि. पद्य ३२. कर्ता-मुनि मतिसागरना शिष्य छे. (गा. ३२) प्र.स./५७५४ . परि/८१४९/११ श्रुतरंग नेमि बारमास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ४६९; २७४११.७ से.मि. पद्य १६ - कर्ता-मात्र नाम निर्देश मळे छे. प्र.स./५७५५ परि./८४६०/२२ सत हरस .. - नेम राजुल बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३ थी १४: २५.५४११.२ से.मि. पद्य १४ कर्ता-परिचय अप्राप्य प्र.स./५७५६ परि./७११५/४ साधुकीर्ति नेम बारहमासा ले.स. १२९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २६४१०.७ .से.मि. पद्य १५ कर्ता मात्र नाम निर्देश मळे छे. (गा. १५) प्र.स./५७५७ परि./५८२८/४६ हीरानंदरि (म.) स्थूलिभद्रकोशा बारमास ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ४: २५.८४ ११ से.मि. कडी २८ . कर्ता-मलधार गच्छना श्री लक्ष्मीसागरसूरि > गुणनिधानना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १५ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ११२; २५; भा. ३, ख. १. पृ. १२९) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५७५० परि./८९.२५/२ अज्ञातकर्तृक तिलकविजय-शिष्य राजीमती-नेमीश्वर प्रबन्ध बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ११ थी १३, २०४९.५ से.मि. पद्य ५९ प्र.स./५७५९ परि८१४९/१७ Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारमासा रत्नविजय-शिष्य नेमद्वादशमासा ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र २० थी २१%; २६४११.५ से मि. पद्य २८ प्र.स./५७६० परि./२३६७/३७ कलंबीना द्वादशमास ले.सं. १७६१; हाथकागळ पत्र ११मु; २०x१.५ से.मि. पद्य १५ तूटक पत्रो ! थी १० नथी. प्र.सं./५७६१ पिर./८१८०/३ (राधिका) कृष्ण बारमासा र.स. १७८७ ले.सं. १८१५; हाथकागळ पत्र ४थी ६; २५.८४११.८ से.मि. गाथा ६४. प्र.स./५७६२ परि./२०३५/२ १-कृष्ण राधिका बारमास ले.स. १८१५, हाथकागळ पत्र १थी ३; २५.८४११.८ से.मि. गाथा १२. ___ कर्ता-कोई ब्राह्मण (भूमिन दन) छे. प्र.स./५७६३ परि./२०३५/१ २-कृष्ण-राधिका बारमासा ले.स. १७५१%3; हाथकागळ पत्र ३; २३.५४१०.५ से.मि. पं. हरिचंदगणिना शिष्य मनजीमुनि प्रति लखी. प्र.स./५७६४ परि./५११२ ३-कुष्ण बारमासा ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८; २६.२४११.७ से.मि. पद्य ६. प्र.सं./५७६५ परि./७८७३ नेमिनाथ बारमास ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ४७थी ४८; २७४११.७ से.मि. पद्य २८. प्र.सं./५७६६ परि./८४६०/२५ नेमनाथ बारमासो ले स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २७४११०२ से.मि. पद्य २२. प्र.स./५७६७ परि.१८२६०/१ नेमिनाथ बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४११.२ से.मि. पद्य १२. प्र.स./५७६८ परि./५०१६ नेम राजुल बारमासा ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; १५.२४ १२-३ से.मि. पद्य १३. प्र.स./५७६९ परि/८६१४/० Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारमासा नेमि राजुल धारमास ले.स. १९ शतक (अनु.); हाधकागळ पत्र ४थु; २४.५४११०२ से.मि. पद्य ३. प्र.स./५७७० परि./६४२०/६ १-नेमिनाथ बारमास ले.स. १७४७; हाथकागळ पत्र २१९, २१४११.८ से.मि. पद्य १३. प्र.स./५७७१ परि./२७५२/७ २-नेमिजिन बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७९; २५.३४११. से.मि. पद्य १३. प्र.सं./५७७२ परि./६१६७/२ राधाजीना बारमास ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २०४९.५ से.मि. पद्य १३. प्र.स/५७७३ परि./८१४९/९ वसंत (कृतिना नामना अकारादिक्रमे) आणंदविजय (त.) पार्श्वनाथ वसंत ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २७४१२.५ से.मि. पद्य ६. ___ कर्ता-तपगच्छमा रत्नविजयनी परंपराना उत्तमविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३. खं. १. पृ. १८९) आ रचना जे. गू. क. मां नोंधायेली नथी. प्र.स./५७७४ परि./७४६३/११ ज्ञानसागर पार्श्वनाथ वसंत धमाल ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २७४१२.५ से.मि. पद्य ८. प्र.स./५७७५ परि./७४६३/१ तत्त्वविजय (त.) नेमिजिन वसंत ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २७४१२.५ से.मि. पद्य ५. कर्ता-तपगच्छमां उ. यशोविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. २२४) आ रचना जे. गू. क. मां नोंधायेली नथी मुनि तेजविजये चाणस्मामा प्रति लखी छे. प्र.स./५७७६ परि./७४ ६३/१४ Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३४ न विजय नेमिनाथ वसत ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १; २७ १२.५ से.मि. पद्य ७० कर्ता - तपगच्छमां ज्ञानविजयना शिष्यनी ओक रचना पद्म ४१नी नोंधायेलो छे. से होवानी शक्यता छे. विसं. १८ मी सदीमां थया (जै. गू. कः भा. ३. ख. २. पृ. १३७३ ) प्र.सं./५७७७ परि./७४६३/२ ज्ञानसागर वसंत धमाल ले.स. १९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३जु; २७४१२०५ से.सि. पद्य ५ तेज विजये चाणस्मामां प्रति लखी. पर / ७४.६३/१५ प्र.सं./५७७८ ज्ञानसागर वसंत ले.स. १९मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २ थी ३; २७४१२.५ से.मि. पद्य ६ तेज विजये वाणस्मामां प्रति लखी. परि. / ७४६३/१३ प्रसं./५७७९ पद्म विजय वसंत ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २जु; २७४१२.५ से.मि. पद्य ५ कर्ता - परिचय अप्राप्य. परि. / ७४६३/१२ प्र.सं./५७८० भानुचंद्र पार्श्वनाथ वसंत ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २७४१२.५ से.मि. पद्य ८. परि. / ७४६३/९ प्र. स./५७८१ मोहनविजय विमलाचल वसंत ले.स. १९मुं शतक (अनु); हाथकागल पत्र २जु; २७ १२.५ से.मि. पद्य ४. प्र.स ं./५७८२ परि. / ७४६३/१० अज्ञातकर्तृक वसंत ले.स. १९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २७४१२.५ से.मि. पथ ३. प्र.स ं./५७८३ परि. / ७४६३/१८ Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओलंभो .. नेम राजीमती ओलंभो ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८८ थी १८९; २४४९.९ से.मि. पञ्च २८. प्र.स/५७८४ परि./८६०१/१२२ गीत अमीविजय (त.) . महावीर स्वामीनुं तप पारणु ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.२४ १२ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां रूपविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९ मी सदीनो छे. (ज. गू, क. भा. ३. ख. १. पृ. ३१५). लिपिकार त्रिभोवन कल्याणदास. . प्र.स./५७८५ परि./१६९९ आनंदधन (लाभानंद) ऋपभगीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.५ से.मि. पद्य ३. कर्ता-वि.स. १८ मी सदीमा मेडतामां थयेली संत विभूती छे. (जै. गू, क. भा. २. पृ. १) प्र.स./५७८६ परि./३५४३/३ आनंदवर्धन मुनि (ख.) चोवीस जिन गीत संग्रह ले.स. १७६७; हाथकागळ पत्र ३ थी ६: २५.५४११.३ से.मि. कर्ता-खरतरगमा वि.स. १८मी सदीमां थया. (जै. गू. क. भा. २. १४१) विलुबाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५७८७ परि./२९५९/७ ईश्वरसूरि (सां) नेमिजिन गीत ले.स. १५८३; हाथकागळ पत्र १७८९; २७४११.७ से.मि. पद्य ६. __कर्ता-सांडेरगच्छमां सुमतिसूरिनी परंपराना शांतिसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. १०५) आ रचना जै. ग. क. मां नेांधायेली नथी. प्र.सं./५७८८ परि./१६०/107 Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३६ उदयरत्न (त. ) पार्श्व गीत (२) ले स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६, २६४११.५ से.मि. अनुक्रम पद्य ८; ५ कर्ता - तपगच्छमां विजयराजसूरिनी परंपरामां शिवरत्नना शिष्थ छे. अमनो समय बि.स ं. १८ मी सदीनो छे. (जै. गु. क. भा. २. पृ. ३८६) आ रचना जै. गु. क. मां नांधायेली नथी. प्र.सं./५७८९ परि. / ३५४३/२६,२७ पार्श्वजिन गीता लेस. १९ शतक (अनु. ); हाथकागळ पत्र १ २६.३४११०३ से.मि. पद्य ३६. प्र.सं./५७९० परि./३२९८ उदयविजय (त. ) नेमनाथ पद ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २७४१२.५ से.मि. पद्य ७ कर्ता - तपगच्छमां विजयसिंहसूरिना शिष्य छे, ओमनो समय वि.सं. १८ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. २ पृ. २५५) आ रचना जैं. गु. क. मां नेांधायेली नथी. प्र.स ं./५७९१ परि, / ७४६३/१७ १ – पार्श्वनाथ राजगीता हे.स. १८ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३ थी ४; २५.८४ - ११ से.मि. पद्य ३६. प्र.स ं./५७९२ परि./३११७/३ २- पार्श्वजिन राजगीत ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५ २५.१४ ११ से.मि. पद्य ३४. प्र.स ं./५७९३ गौत परि. / ३९६०/३ ३- पार्श्वनाथ राजगीता ( संखेश्वर ) ळे.स. १७३८ हाथकागळ पत्र ३जु; २५.२x११.३ से मि. पद्म ३६. केसवजीने माठे अह्मनगर (अहमदनगर) मां प्रति लखाई. प्र.स ं./५७९४ परि. /४०६६/२ १- पार्श्वनाथ राजगीता (संखेश्वर) ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.८४ ११.३ से.मि. पथ ३९. राजविजयना शिष्य इन्द्रविजय मुनिओ धमङकानगरमां प्रति लखेली छे. प्र.स ं./५७९५ ५- पार्श्वनाथ राजगीता ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; से.मि. तूटक, पद्य ३६. पत्र २ नथी. प्र. स . / ५७९६ परि० / ७९५१ २६×११.२ परि./५९३१ Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत ६-पार्श्वनाथ राजगीत ले.स. १८८२; हाथकागळ पत्र ३ यी ५, २७४१२.५ से.मि. राधनपुरमा गुलालविजये प्रति लखी. प्र.स./५७९७ परि./९०५/२ ७-पार्श्वनाथगीत (राजगीता) ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र २; २३४९.८ से.मि. राजविजये प्रति लखी. प्र.स./५७९८ परि.७६४८ ऋषभदास पार्श्वनाथ जिन गीत ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र ३० थी ३०; २५x11 से.मि. पद्य ५. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (पद्य ५) प्र.स./५७९९ परि/७१९०/७१ कनककवि मेघकुमार गीत ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र १६२ थी १६३, २७४११.७ से.मि. पद्य १३. ___ कर्ता-जिनमाणिक्यना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १६मी सदीना छे. (जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १७०). प्र.स./५८०० परि./८४६०/९३ कनककीर्ति (ख.) दादाजी पद ले.स. १८०३; हाथकागळ पत्र १७९: २६.५४११.७ से मि. पण २. ___कर्ता-खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना जयमंदिरना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदीना छे. (जै. गू, क. भा. १. पृ. ५६८) आ रचना जे. क.मां नांधायेली नथी. प्र.सं./५८०१ परि./३१७६/ कनकरत्न 'ऋषभजिन गीत (१) ले.स. १७६६: हाथकागळ पत्र १ थी ३; १५.५४११.३ से.मि. अनुक्रमे गाथा ७; ७; ७: ९. प्र.सं./५८०२ परि./२९५९/२; ३: ५, ६ नेमिगीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८६९; २७४११.७ से.मि. पद्य ६. प्रस/५८०३ परि./८४६०३९ - ___ Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गील कलकविजय... चोवीसजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी १०; २६.५४ १२ से.मि स्वहस्ताक्षर प्रति. रेवती अने सुलसा जेवी सती श्राविका हीरबाई माटे लखेली छे. प्र.स./५८०४ परि./२०३०/३ १. महावीर जिन गीत ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४यु, २६४१०.७ से.मि. पद्य २. प्र.स./५८०५ ___ परि./५८२८/२६ कमळविजय विहरमान जिन गीतो ले.स. १७१२; हाथकागळ पत्र ६; २५.५४११ से,मि. तूटक पत्र लुं नथी. विद्यापुरनी पासेना स्यापुरमा श्राविका रत्नबाई माटे दयाविजय गणिले प्रति लखी. प्र.स./५८०६ परि/६५८० कर्मचंद्रमुनि (ख.) कलियुगमीत ले.स. १७३६, हाथकामळ पत्र ३ थी ; २६४११ से.मि. पथ १२. कर्ता-खरतरगच्छमां सेोमप्रभनी परंपराना कमलोदय >गुणराजना शिष्य छे. अमना . समय वि.सं. १७ना छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. १०३२). प्र.सं./५८०७ ... परि./५९०२/३ कल्याणमुनि महावीर प्रभु गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.; हाथकागळ पत्र ५२मु; २१.७४१७.४ से.मि. पद्य ७. ... कर्ता-जिनलाभ> अमृतधर्म वा.मा शिष्य छे. (गाथा ७) प्रा./५८०८ : परि./७७७७/१०९ कान्हकवि पार्श्वगीत (गौडी) ले स. १७६८; हाथकागळ पत्र २जु; २१.५४११.७ से.मि. पद्य ७. - कर्ता-बि.स. १५मी सदीमां नेांधायेला १ ज आ अम नक्की न कही शकाय (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १४८०). प्र.सं./५८०९ परि./२७३४/२ कांतिविजय , नेमनाथ गीत ले.स. १८६९: हाथकागळ पत्र २० थी २१; २०४११ से मि. पद्य ११. कर्ता-वि स. १८मी सदीमां थयेला बे मांना कया के वि.स. १९मां थयेला मे मकी नथी थतु. (जै. गू, क. भा. २, पृ. १८१; ५२६; भा. ३, ख. १, पृ. १५१). पुण्यविजयगणिसे पाटणमा प्रति लखी. प्र.स./५८१० परि./७१९६/४३ • Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत कीर्तिकल्याण पार्श्वजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.८-१० से.मि. ५. पद्य ३. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./५८११ परि./५८२९/३ क्षमाकल्याण (ख.) महावीर गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र. ३जु; २५.1x19.५ से मि. पद्य ७. . कर्ता-खरतरगच्छमां जिनलाभसूरिनी परंपरामां अमृतधर्मना शिष्य छे.. अमनो समय - वि.सं. १९मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. १७८.) प्र.स./५८१२ ... परि./८३१६/१२ खीमाविजय (त.) वीसविहरमान जिनगीत ले.स. १८१४; हाथकागळ पत्र ३२म'; २५.५४१ १.७ से.मि. पद्य ६. कर्ता-तपगच्छमां देवविजयनी परंपरामां शांतिविजयना शिष्य छे. अमना समय ___वि.स. १८मी सदीने। छे. (जे. सा. इति पृ ६६२ फकग ९७३). प्र.स./५८१३ परि.१६८०६/३ गुणप्रभ नेमिगीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र २९, २७४११.७ से.मि. पद्य ३. - कर्ता-परिचय आप्य. पहेला २३ पाना नथी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५८१४ परि./८४६०/१ छेहल कवि पंचसहेली गीत र.स. १५७५; ले.स. १७९ शतक ( अनु. ); हाथकागळ पत्र २; २४.५४-1 से.मि. पद्य ६७. ____ कर्ता-वि.स. १६मा सैकामां नेांधायेला. (जै. गु. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५७1.) प्र.स./५८१५ परि./५०७२ जयवंतसूरि (उफे गुणसौभाग्यसूरि) अजितनाथ गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ठु; २६४11 से.मि. प पद्य. ___ कर्ता-वडतपगच्छमां विनयमंडन उपा ना शिष्य छे.अमनो समय किस. १७मी सीना छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. १९३). प्र.स/५८१६ : पति/३.० ६४७ Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत अतिशांतिजिन गीत ले. सं. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६४११ से.मि. पद्य ६० प्र.सं./५८१७ ७४० परि० / ३०६७/७ अभिनंदन गीत ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६०११ से.मि. पद्य ३. प्र.सं./५८१८ परि./३०६७/२३ आदिनाथ (ऋषभदेव) गीत ( ६ ) ले.स १७मुं शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र १लं, २जु, ५मुं. १४, १५; २६४११ से.मि. अनुक्रमे पद्य ५, ४, ४, ९, ३, ३. प्र.सं./५८१९ परि० / ३०६७/५, ८, २०, ६५, ६८, ७१ हाथ कागळ पत्र २ जु; कर्णेन्द्रिय परवशे हरिण गीत ले.स. १८मुं शतक (अनु.); २०.४४१०.५ से.मि. गाथा ७. परि./३५५८/४ प्र.सं./५८२० नयनेन्द्रिय गीत ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २३.५x१०.३ से.मि. पद्य ६. प्र.सं / ५८२१ परि./६२९२/४६ नेत्र परवशे पतंग गीत ले.सं. १८मुं शतक (अनु); हाथ कागळ पत्र २थी ३; २००४x १९०४ से.मि. गाथा ७. प्र.स ं./५८२२ नेमिगीत ( १२ ) अनुक्रमे पद्य ५, प्र. सं., ५८२३ पद्मप्रभ गीत पथ ३. प्र.सं./५८२४ ले.स. १७ ९, ३, ४, परि./३५५८/५ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी १३; २६×११ से.मि. ४, ३, ५, ५, ७, ६, ६, ३. परि. / ३०६७/३२, ३३, ३६, ४०, ४२, ४४, ४७, ४८, ५२, ५४, ५६, ६७ २६४११ से.मि. लेस. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; पद्मावती गीत ले.स. १७ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १लौं, पद्य ४. प्र.स ं./५८२५ परि./३०६७/१ पार्श्वनाथ गीत (२) ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २६×११ से.मि. अनुक्रमे पद्य ५, ५. परि. / ३०६७/२९, ३१ प्र.सं./५८१६ परि./३०६७/२५ २६४११ से.मि. Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत ७४१ प्रवहण गीत ले.स. १७ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५, २६४११ से.मि. पद्य . प्र.स/५८२७ परि./३०६७/१५ महालक्ष्मी गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १लु; २६४११ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५८२८ परि./३०६७/३ महावीर गीत (२) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६४११ से.मि. अनुक्रमे पद्य ६, ६. प्र.स./५८२९ परि./३ ०६७/४, ६६ शत्रुजय महात्म्य फल गीत (६) ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र रजु, ३जु, ४y, ४y, ५मु, ५९; २६४११ से.मि. पद्य ११, ९, १०, १३, ७, ६. प्र.स/५८३. . परि /३०६७/९, ११, १२, १३, १४, १९ शनिभवनाथ गात ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६दलु, २६४११ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५८३१ परि./३०६७/२२ शांतिजिन गीत (३) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २, ६ अने १५; २६४११ से.मि. अनुक्रमे पद्य ४, ४, ६. प्र.स./५८३२ परि./३०६७/६, २७, ७३ सकलतीर्थ माहात्म्य गीत ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६४११ से.मि. पद्य ९. प्र.स./५८३३ परि./३०६७/१० सरिसा गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६थी ७; २६४११ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५८३४ परि./३०६७/२८ सरस्वती गीत ले.स. १७मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २६४११ से.मि. पद्य ६. प्र.स./५८३५ परि./३०६७/२ सुपार्श्व गीत ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४११ से.मि. पद्य ३. प्र.स./५८३६ परि./३०६७/२७ Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४२ गीत .सुपति गीत ले.स. १४ शतक (अॅ3); हायाग पत्र दलु २६४११ से.मि. पद्य ३. .स./५८३७. परि./३०६७/२१ .. स्थूलिभद्र गीत (१०) ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ८ थी १३मु अने - १५९; २६४11 से.मि. अनुक्रमे पद्य ७९; ३; ८; ५, ७; ६; ५; २, ९; ९. प्र.स./५८३८ परि./३०६७/३४, ३७, ४६; ५०; ५१; ५३; ५५; ६०; ६२; ७२ स्थूलिभद्र गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हायकागळ पत्र ३जु; २०.४४१०.५ से.मि. गाथा ७. प्र.स./५८३९ परि./३५५८/६ जयशील .. __ नेमिगीन ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु; २७.३४१०.५ से.मि. पद्य ११. कर्ता-परिचरा अप्राप्य. ऋषि रत्नमेरुले प्रति. लखी. प्र.स./५८४० परि./४९७३/२ जयसागर (ख.) नेमिनाथ गीत ले.स'. १७५१; हाथकागळ पत्र ६: २६.४४११.३ से.मि. पद्य ७. का-खरतरगच्छ मां वि.स. १५मी सदीमा नेधियेला छे. (जे. गू क. भा. १, पृ. २७). प्र.स./५८४१ परि./७२९४२ जयसोम (त.) . नेमराजुल गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४y; २६४१०.७ से मि. पद्य २. कर्ता-तपमच्छमी यशसामना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २, १२६). प्र.स./५८४२ परि./५८२८/२९ जसवंत सागर नेमगीत ले.सं. १८४७; हाथका गळ पत्र ३ थी ४; २२.२४१०.७ से.मि. पद्य ९. ___ कर्ता-वि.सं. १८मां नेांधायेला कल्याणसागरनी परंपराना जशसागरना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ४४७), आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्र.स./५८४३ परि /७७०६/३ Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत जिनचंद्रसूरि (ख.) दादाजी पद (जिनदत्तरि) ले.स. १८०३; हाथकागळ पत्र १७९; २६.५४११.७ से.मि. पद्य २. ... कर्ता-खरतरगच्छीय लागे छे, रचना, वस्तु जोतां........ प्र.स./५८४४ . . परि.३१७६/७ शांतिजिन गीत ले.स. १५ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २६४१०.७ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५८४५ परि./५८२०/२ जिनभक्ति पार्श्वजिनपद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५३९; २१.७४१०.४ से.मि. पद्य कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स/५८४६ परि./७७७७/११ जिनराजसूरि (ख.) १-चतुर्विंशतिजिन गीत ले.स. १८९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र३; २५४१०.८ से.मि. कर्ता-खरतरगच्छमां जिनसिंहमूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मी सदीनो छे. ( जै. गू. क. भा. १, पृ. ५५३).. प्र.स./५८४७ परि./६४४९ .. २-चोवीसजिन पीत ले स. १७३७; हाथकागळ पत्र १ थी ५; २४.२४१०.५ से.मि. प. रघुनाथे लखेली आ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५८४८ परि.६६०७/१ ३-चोवीसजिन गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २७४११.७ से.मि. प्र.स./५८४९ . परि./२७९९ विहरमानजिन गीतो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ८; २१.८४११ से.मि. तूटक. प्रथम पत्र नथी. प्र.स/५८५० परि./६१०३/६ जिनलाभसरि (ख.) पार्श्वनाथ गीत (नवखंडा) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २५-१४ ११.५ से.मि. पद्य ५. कर्ता-खरतरगच्छीय वि.स. १९मी सदीमा नांधायेला आचार्य छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ३२२). प्र.स./५८५१ . परि./८३१६/१९ Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४४ गीत जिनसागरसूरि (ख.) विहरमानजिन गीत ले.स. १९९ शतक (अनु): हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४१०.७ से.मि. तूटक. कर्ता-खरतरगच्छमां जिनसिंह(सिंघ)सरिना शिष्य छे. अमनो समय-वि.स. १६६४ सूरिषद; वि.स. १७२० स्वर्गवास (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ९७१). पत्र १लं नथी “चंद्रानन प्रभुगीत' यी शरू थाय छे. त्र.सं./५८५२ परि./५८२८/१ जिनहर्ष (स.) अजितवीर्य जिनगीत ले.स. १.मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.७४११२ से.मि. पद्य . ___कर्ता-खरतरगच्छना (१) वि.स. १६मी सदीमां नेांधायेला छे. (२) शांतिहर्षना शिष्य वि.स. १८मी मां नेांधायेला छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. ९१, भा. २, पृ. ८१ अनुक्रमे) प्र.स./.५८५३ परि./५२०५/१२ नेमराजुल गीत (१२) ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ६; २६.२४ ११ से.मि. अनुकमे पद्य ९; ९, ५, ७; १९; ७; ५; ९; ९; ६, ७, ९. प्र.सं./५८५४ परि./७०२२/५, ६, ७, ८, ९, १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६ विमलाचल गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९९; २६.२४११ से.मि. पद्य ७ प्र.सं./५८५५ परि./७०२२/५५ स्थूलिभद्र चउमासी गीत ले स. १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.२४११ से.मि. पद्य ५ प्र.स./५८५६ परि./७०२२/४ ज्ञानविजय (त.) नेम-राजुल गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३: २६.३४१२ से.मि. कर्ता-क वि.स. १८नी छेल्ली वीशीमां नेांधायेला छे. (जै. गू, क. भा. २. प. ५३७), पण परंपरा अमां आपेली नथी. प्रस्तुत कृतिमां व तपगच्छमां लालविजयना शिध्य छे (पत्र ३) पण समय आपेलो नथी. प्र.स./५८५७ परि /१६६० . ज्ञानचंद संभवजिन पद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.६४११.२ से.मि. पद्य, ५ कर्ता-(१) सोरठ गच्छमां क्षमाचंद्रमरिनी परंपराना वीरचंद्रसूरिना शिष्य, वि.सं. १६मी सदीमा नेांधायेला छे. (२) वि.स. १७मां नेांधायेला छे. (अनुक्रमे-जे. गू. क. भा. ३, खं. १. पृ. ५४३, भा. १. पृ. ५८७) प्र.स./५८५८ परि./२४६७/ Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४५ ज्ञानविमल (अपर नाम नयविमल) (त.) ऋषभदेव गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३९: २५.८४११.५ से.मि. पद्य ७ कर्ता--तपगच्छमां विनयविमलनी परंपराना धीरविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जे. गू. क. भा. २. पृ. ३०८). प्र.सं./५८५९ परि./५८६०/६ जिनगीत ले.स. १८१४; हाथकागळ पत्र ३२मुंः २५.५४११.७ से.मि. प्र.स ./५८६० परि./६८०६/२ पर आशा निराशा अष्ट पदी गीत ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९ थी २०; २५.८४११.४ मे.मि. गाथा ८ प्र.स/५८६१ परि./९२७/२३ पार्श्वनाथ अध्यात्मभाव गोता ले.स. १७७९; हाथकागळ पत्र २; २६.२४११.२ से.मि. पद्य ३१. प्र.स./५८६२ परि./२९३३ ज्ञानसागर (ना.) पार्श्वगत ले.स. १५७४; हाथ कागळ पत्र ४५मुं: २७४११.७ से.मि. पद्य ९. कर्ता-नायल-नागेन्द्रगच्छमां गुणसमुद्रसूरिनी परंपराना गुणदेवसूरिना शिष्य छे. अमको समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (जै. गू, क भा. १. पृ. ५८.) . प्रस /२८६३ परि./८४६०/२० ज्ञानसागर नेमिनाथ गीत ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.३ से.मि. पद्य ६ कर्ता-(1) नायल-नागेद्रगच्छीय गुणसमुद्रसूरिनी पर पराना गुणदेवसरिना शिष्य छे. अमनो समय बि.स. १६मी सदीनो छे. (२) तपगच्छमां विजयसेनसरिमी पर पराना रविसागरना शिष्य छे अमनो समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (अनुक्रमे-जै. गू. क. भा. १, पृ. ५; पृ. ३१७) कया मे नक्की नथी. प्र.स./५८६४ परि./५२६६/१० नेमिनाथ गीत ले.स. १७६८: हाथकागळ पत्र १५मुं; २५.२४११.५ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५८६५ परि./५०१५/२ वीस विहरमानजिन गीतो ले.स. शतक १९मु(अनु); हाथकागळ षत्र ४; २४.७४११.५ से.मि. __ मोती विजये प्रति लखी छे, प्र.स./५८६६ परि./७१८९ ९४ Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४६ गीत ज्ञानसोम विमलसोमसूरि गीत पद्य १ प्र.स./५८६७ ले.स. १५९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ जु; २५.५४११ से.मि. परि./८२८२/३ तत्त्वविजय (त.) चोवीसजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २३.६४१०.७ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां प्रसिद्ध यशोविजयजीना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी समीनो छे. (जै. गू. क भा. २. पृ. २२४.) भावविजय मुनिनी आ प्रति छे. प्र.स./५८६८ परि./७६४३ तेजपाल ऋषभजिन गीत ले.सं. १६७८; हाथकागळ पत्र ९मुं; २५४११.५ से.मि. पद्य २. ____ कर्ता--मात्र नामनिर्देश छे. परि./२५८६/२१ प्र.सं./५८६९ प्रभाती गीत प्र.स/५८७० ले.स. १६७८; हाथकागळ पत्र ९९; २५४११.९ से.मि. पद्य ३. परि./२५८६/२१ थिरपाल कवि शजय गीत ले.सं. १५७६; हाथकागळ पत्र १५४ थी १५५; २७४११.७ से.मि. पद्य ९. . कर्ता--(१) जै. ले. स. २२३५; (२) बी जै. ले. सं. ४१६; ५३०; ५६७; (३) प्र. ले. स. १४६; १५१; (४) जै. धा. प्र. ले. सं. ३१८; १६०; २२६: आ चार पुस्तकोमाथी सरेराश १४ थी १६मी सदी वि.स.मां नेांधायेला मळे छे. कया से नकी नथी. प्रस./५८७१ परि./८४६०/८४ दीपविजय (त) ऋषभजिन ऋद्धिवर्णन पद ले.स. १८८६; हाथकागळ पत्र १लु; २१.९४११.७ से.मि. पद्य १६ कर्ता-तपगच्छमां प्रेमविजय अने रत्नविजयना शिष्य, वि.स. १९मी सदीमां थया. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. १९९) आ रचना जै. गू. क मां नेांधायेली नथी. प्र.स./५८७२ परि/५२३/१ Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत قذف देपालकवि खरतरवसही गीत ले.स १७मुं शतक (अनु); हाथकागळ पच ७मु; २६.४४११.१ से.मि. गाथा 10. कर्ता-वि.स. १६मी सदीमां नेधायेला पाटणना भोजक (ठाकोर) छे. (ज. गु. क. भा. १, पृ. ३७) प्र.स./५८७३ परि./८१८५/२१ पालीताणागीत (पार्श्वनाथ गीत) ले.स. १७९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ५ प्र.स./५८७४ परि./८२८५/८ बेडली गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.४४११.१ से.मि. पद्य प्र.स./५८७५ परि/८२८५/७ राजुल गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र म; २६.४४११.१ से.मि. प्र.स./५८७६ परि./८२८५/२३ स्थूलिभद्र गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २६.४४११.१ से मि. प्र.स./५८७७ परि./८२८५/२४ थावच्चा सुत गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.५४१०.८ से.मि. पद्य १९ श्राविका कीबाई माटे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५८७८ परि./७३१० शत्रुजय गिरिवर फुलडां ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११९; २६.४४ ११.१ से मि. प्र.स./५८७९ परि./८२८५/३१ रहनेमि-राजीमती गीत ले.स. २०९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४१ थी ४२; २१.२४१ ०.८ से.मि. पद्य ७ कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./५८८० परि/६५०६/७७ देवकुशल नेम गीत ले.स. १८९ शतक( अनु. ); हाथकागळ पत्र ३जु; २०४९.५ से.मि. पद्य ७ प्र.स./५८८१ परि./८१४९/६ Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४८. देवविजय चोवीसजिन गीत ले.स १८# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २५.२४११ से.मि. कर्ता-पोताने पंडित विजयना शिष्य तरीके ओळखावे छे. (पत्र १ थी ५) प्र.स./५८८२ परि./४३१३/१ देवविजय (त.) नेमराजुल गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ७मु; २६४११.४ से.मि. पद्य ५. कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपराना दीपविजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७६० नी रचना नेांधायेली छे (जे. गू. क. भा. २, पृ. ५००) आ रचना जे. गू क.मां नांधायेल नथी. प्र.स./५८८३ परि./५६४३/२ देवसुंदर नेम-राजुल गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१०.१ से.मि. गाथा ३. कर्ता--मात्र नामनिदेश मळे छे, प्र.स./५८८४ परि./५८२८/१४ धनप्रभ राजीमती-विछोह पद ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ११. कर्ता-मात्र नामोल्लेख छे. अक धनप्रभनेा सर्वानंदसूरिना गुरु तरीकेनो उल्लेख पण मळे छे. (जै. सा. इति. टि. ४१२, पृ. ४०१) प्र.सं./५८८५ परि./८२८५/१४ धर्ममंदिर (ख.) गिरिनार गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९: २५.३४११ से.मि. पद्य ८. कर्ता-खरतर गच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना दया कुशलना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८मी सदीने। छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २३४) प्र.सं./५८८६ परि./६४ ६७/१० नेमिजिन गीत ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथ का गठ पत्र ३जु; २५.३४११ से.मि. पद्य ४. प्रसं./५८८७ परि./६४ ६७/४ Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत ७४९ राजीमती विज्ञप्ति गीत ले स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४, २५.३४११ से.मि. पद्य ७. प्र.स./५८८८ परि./६४ ६७/७ *श जय गीत ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ५; २५.३४११ से.मि. पद्य ८. प्र.स./५८८९ परि./६४६७/९ सुमतिनाथ गीत ले.स. १८सु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५.३४११ से मि. पद्य ७. प्र.स./५८९० परि./६४६७/१३ नयसागर (आं.) अध्यात्म गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २५४१० ५ से मि. गाथा ५. कर्ता-आंचल गच्छमां कल्याणसागरसूरि>रत्नसागर उपा.ना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८मी सदीने। छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५९२) प्र.सं./५८९१ परि./६२०५/२८ नरसी कृष्ण गीत ले.स. १८मुशतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४थु; २३.५४१०.३ से.मि. पद्य ४. . कर्ता मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./५८९२ परि./६२९२/३४ नरसिंहदास कृष्ण गीत ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ठु'; २६४११.५ से.मि. पद्य ४. कर्ता-'आनंद रास ना कर्ता. वि.स. १६७२-१७००मां हयात हता. संस्कृत वेदांत प्रथाना प्रथम पद्यानुवादक से छे. (गु. हा. स. या. पृ. ८९) प्र.स./५८९३ परि./३५४३/३२ नाकर कृष्ण गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५९; २६.६४११ से.मि. ___कर्ता---दीसावळ वाणियो, धीरक्षेत्र (वडास)ना बतनी, वि.स. १५७२-१६३४ सुधीमां, हयात हतो. (गु. हा. सं. या. पृ. ९२) प्र.स./५८९४ परि./२८८१/२ नारायणमुनि ऋषभजिन गीत ले.स. शतक (अनु.); हायकागळ पत्र १लु'; २५.८४११ से.मि. पद्य ३. कर्ता--रत्नसिंह गणिना वारामां समरचंदना शिष्य छे. अमने। समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. ५१५) प्र.सं./५८९५ परि./५९१९/४ Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत नेमनाथ गीत ले स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २५.८x११ से.मि. पद्य ३. प्र.स./५८९६ परि./५९१९/९ मल्लिनाथ गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.८४११ से.मि. पद्य ७. प्र.स/५८९७ परि./५९१९/६ नेमविजय (त.) पार्श्वनाथ गीत र.स. १८६९; ले.स. १९मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १; २४.३४ ११७ से.मि. ढाळ २९. कर्ता--तपगच्छमां हीरविजयमरिनी परंपराना रंगविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदी छे. (जै. गू क. भा. ३, ख. १, पृ. ४८) प्र.स./५८९८ परि./२०७२/१ नेमसागर नेमजी गीत ले.स. १८# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २०४९.५ से.मि. पद्य ११. कर्ता--कोई जससागरना शिष्य छे. (५०, ११) शांतिसागर गणिझे प्रति लखी... प्र.स./५८९९ __ परि./८१४९/८ न्याय (विजय.) स्थूलिभद्र-कोश्यागीत (नवरस गीत) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.३४९.८ से.मि. अपूर्ण. ____ कर्ता--मात्र नामनिर्देश दरेक गीतने अंते मळे छे. आ कर्ता जै. गू. क.मां नेांधायेला नथी. प्र.स./५९०० परि./७७३८ पुण्यपाल मेघकुमार गीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ६१९; २७४११.७ से.मि. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. कर्मसुदर माटे कर्मतिलकमुनिसे प्रति लखी, प्र.सं/५९०१ परि./८४६०/२८ लु २५.५४१०.५ से.मि. पुंजराज नेमीश्वर गीत ले.स. (अनु.); हाथकागळ पत्र पद्य ३. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.सं./५९०२. परि./७३१३/८ Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत ७५१ प्रीतिसागर (ख.) नेम गीत ले स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६७ थी ६८; २१.७४७.३ से.मि. पद्य ५. ___ कर्ता--खरतरगच्छमा नयसुंदरनी परंपराना प्रीतिसुंदर अने प्रीतिलाभना शिष्य छे. मेमने। समय वि.स. १८मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. १३७६) प्र.सं./५९०३ परि./८४८०/२६ प्रेमविजय (त.) शत्रुजय प्रभाती गीत ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र ९ थी १०: २६.२४१२.२ से मि. पद्य २१. __ कर्ता---तपगच्छमां विजयसेनसूरिनी परंपरामां विमलहर्षना शिष्य, वि.स. १७मी सदी थया. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३९८) प्र.स ५९०४ परि./२२३४/८ बहिद-ब्रेहेदेव (जैनेतर) कृष्णगीत ले.स. १८९ शतक (अ.); हाथकागळ पत्र ४थु'; २३.५४१०.३ से.मि. पद्य ८. ___ कर्ता--कोई महिदासना पुत्र छे भने अनी वि.सं. १६०९नी रचना मळे छे. (कविचरित भाग १-२; पृ. ३.१). आ रचना नेांधायेली नथी, प्र.स./५९०५ परि./६२९२/३५ बापु पार्श्वनाथ पद ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २८.३४१३ से.मि. परि./१९४ 'अक्षरबावनी' जोडे सरखावतां स्वहस्ताक्षर प्रति लागे छे. प्रस./५९०६ परि./१९९/१ भाणचंद (लो.) नेम-राजुल गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु; २६४११.४ से.मि. पद्य ३. ___कर्ता--वि.स. १६मी सदीमां नेांधायेला लोकागच्छीय छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५७४). प्र.स./५९०७ परि./५२४३/३ भावविजय (त.) हीरसूरिगीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.२४११.३ से.मि. पद्य १२. ___कर्ता-तपगच्छमां हीरविजयमूरिनी परंपरानो विमलहर्ष उ.> मुनि बिमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ ५८१). प्र.स./५९०८ परि/२०६२ Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५२ गीत भीम वैष्णव सीता सती ओहार ले.स. १६७८; हाथकागल पत्र २३९, २५.३४११.८ से.मि. पद्य ६. कर्ता--वि.स. १६मी सदीना वचगाळामा नेधायेला छे. (गू. हा. स. या. पृ १४४.) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./५९०९ परि./५१५९/३ भुवनकीर्ति ऋषभदेव गीत ले.स. १. मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५.३४11 से.मि. पद्य ६. कर्ता--वि.स. १६मा अने १७मा सैकाना अम बे व्यक्ति मळे छे. (जे. गू, क. भा. १, पृ. ५६१). कया ओ नक्की थतु नथी. प्र.स./५९१० परि./३५०/६ १--नेमिगीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ७९; २५.३४१०.५ से.मि. पद्य ८. प्र.स/५०.११ परि./४७१३/३ २--नेम-राजीमती गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र लु'; १५.३४ १. से.मि. पद्य ८.. प्र.स./५९१२ परि./३५०३/२ ३- नेम-राजीमती गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १लु; २५.३४१ से.सि. पद्य .. प्र.स./१९१३ परि./३५०३/३ बाहुबलि गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र पलं; २५.३४११ से.मि. पद्य ९. प्र.स./५९१४ परि./३५०३/१ वयस्वामी गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १थी २, २५.३४११ से मि. पद्य १. प्र.स./५९१५ परि./३५०३/४ मणिचंद सुमतिनाथ गीत ले.स. १७३४; हाथ कागळ पत्र २थी ३; २४.१ से.मि. पद्य ६. कर्ता--परिचय भप्राप्य. प्र.सं./५९१६ परि./४४०१/५ . Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत ७५३ मति शेखर नेमिनाथ गीत ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र १४२ थी १४३; २७४११.७ से.मि. कर्ता-बि.स. १६ नी पहेली २०मां नेांधायेला छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४९) प्र.स /५९१७ परि./८४६०/५७ मतिसागर (आ.) आदीश्वर गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २४.४४११.१ से.मि. पद्य ८. कर्ता-आगमगच्छमां गुणमेहना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४९६). प्र.स./५९१८ परि./४४००/१७ नेमिजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ळु; २४.४४११. से.मि. पद्य ९. प्र.स./५९१९ परि./४४००/११ पद्मावती गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९सु; २४.४४११.१ से मि. पद्य ५. प्र.स./.९२० परि./४ ४००/१९ महावीरजिन गीत ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९थी १०; २४.४४ ११.१ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./५९२१ परि./४४००/२१ शांतिजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २४.४४११.१ से.मि. प्र.स./५९२२ परि /१४००१८ संभवजिन गीत ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २४.४४१११ से.मि, पद्य ५. प्र.स./५९०३ परि./४४००/२० सीमधरजिन गीत (२) ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १०; २४.५४११.१ से.मि. अनुक्रमे पद्य ११, ४. प्र.स./५९२१ परि./४४००/२२; २३ मालमुनि महावीर स्वामी, तप पारगुं ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.४४११.३ से.मि. गाथा ३१. ___ गोरजी राघवजीभे प्रति लखी. प्र.स./५९२५ परि./३६९० ९५ Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५४ मीठाचंद्र पार्श्वनाथ गीत र.सं. १७९८ ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु २४.७x ११.५ से.मि. पद्य ९. कर्ता- - मात्र नामनिर्देश मळे छे. (पद्य ९) प्र.स ं./५९२६ बाई कृष्ण गीत ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६४११.५ से.मि. पद्य ५. कर्ता - माळवाना मेडताना ठाकोरनी पुत्री अने मेवाडना राणा संगना पाटवी भोजराजनी पत्नी सं. १५५५ - १६०३ मां हयात हती. ( गु. हा. सं. या. पृ. १५६ ) प्र.स ं./५९२७ परि./ प्र. सं / ५९२८ मेघरत्न गीत कृष्ण भजन ले. सं. १८०० हाथकागळ पत्र २१ मुं; १४.३४९.८ से.मि. पद्य ६ भाषा हिन्दी मिश्रित गुजराती छे. परि. / ८६५७/१२ परि. / ७०८५/३ नेमनाथ - राजुल गीत ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १३; २४.५४११.४ से.मि. पद्य ९. कर्ता - मात्र नामनिर्देश मळे छे. (५.९) अस . / ५९२९ मोहनविजय (त. ) ऋषभ गीत ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ९; २५.५४१२ से.मि. पद्य ५. कर्ता -- तपगच्छमां विजयसेनसूरिनी परंपरानां रूपविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. ४२८ ) . प्र.सौं /५९३० परि. / ७१८३१ पार्श्वगीत ले.स. १७६९; हाथकागळ पत्र १३, २४४१०.८ से.मि. पद्य ५. प्र.स ं./५९३१ परि./६७६३/१ सुमतिजिन गीत ले.स. १८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ९मु २५०५४१२ से.मि. पद्य ७ प्र. स . / ५९३२ परि./६७६३/१६ परि./७६४१/१ यशोवर्धन (ख.) नेमिनाथ गीत ले.सं. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६११.५ से.मि. पद्य ८. कर्ता - खरतरगच्छनी खेम शाखामा सुगुणकीर्तिनी परंपरामां रत्नवल्लभना शिष्य छे. ओमनी वि.स ं. १७४७नी रचना नांधायेली छे. (जै. गू क. भा. प्र.स ं./५९३३ २. पृ ३७८ ) परि. / ३५४३/१५ Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रतनबाई १-रतनबाईन रेटियानु गीत र.स. १६३५; ले.स १९मु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४.१४११.८ से.मि. पद्य २४. ____ कर्ता-मात्र नामनिदेश छे. रचना मेडतामां थई प्र.स./५९३४ परि/२०७३/ २-रतनबाईनु रेटिया वर्णन गीत ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २४.९४११.९ से.मि. पद्य २४. भाग्यविजयगणिले प्रति लखेली छे. प्र.स./५९३५ परि./८४२६/२ रंगविजय (त.) पार्श्वजिन गीत ले.स १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ ५३ १लु'; २७४१२.५ से.मि. पद्य ६. कर्ता-तपगच्छमां विजदेव सूरिनी परंपरामां अमृत विजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७७९ नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. ५५२) परि./७४६३/५ प्र.स./५९३६ नेमराजुल गीत ले.स. २०९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २: २१.१४१०.५ से.मि. गाथा १५. प्र.स./५९३७ परि./७७७० राजुल गीत ले.स. १८६९; हाथ का गळ पत्र २९९; २४४१०.५ से.मि. गाथा ३. प्र.सं./५९३८ परि./७१९६/६७ राजमुनि नल-दमयंती गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २j; २६.२४११.२ से.मि. पद्य ११. प्र.स./५९३९ परि./५२३८/२ रूपचंद (गू. लों.) नेम पद ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २३.५४ १०.४ से.मि. पद्य ७. कर्ता---गुजराती लोंका गच्छमां मोघराजनी परंपरामां सिंधराज >गुरुदास>मानसिंघ> प्रेम कृष्णना शिष्य छे. अमनी वि.सं. १८५६ नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू, क. भा. ३. ख. १. पृ. १९१) मुलाबाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./५९४. परि/७६६५/४ Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५६ सीता नेमराजीमती गीत ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ४; १७४१०.७ से.मि. पद्य २०. प्र.स./५९४१ परि./८६४५/१ पार्श्व जिम (गोडी जिन) गीत ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २७४१२.५ से.मि. पद्य ६. प्र.स./५९४२ परि./७४६३/६ सुविधिजिन गीत ले.स १९मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३जु; २५४१ ०.८ से.मि. - पद्य ३. लुणावाडामां दोलतविजये प्रति लखी. प्र.स./५९४३ परि./४३९०/२ संभवजिन गीत ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र ३१९; २५४११ से.मि. पद्य ३. प्र.स./५९४४ परि./७१९६/७२ रूपसागर नेमिजिन गीत ले.सं. १७५१; हाथकागळ पत्र ६; २६.४४११.३ से.मि पद्य ७. कर्ता--तिलकसागरनु पोताना गुरु तरीके नाम आपे छे. (५) प्र.स./५९४५ परि./७२९४/३ लक्ष्मीरत्न भावप्रभसूरि गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २५.५४११.२ से मि. पद्य ३. कर्ता--वि.स. १८ मां अने स. १७४१ मां नांधायेला बे मांथी कोण मे नक्की . नथी थतु. (जै. गू. क. भा. २. पृ. ३६०; ३६१) बन्नेनो गच्छ पण आपेलो नथी प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./५९४६ परि./४१६७/२ लक्ष्मीविमल संभवनाथ गीत ले.स. १७८९; हाथकागळ पत्र लु; २५.५४११ से मि. पद्य ५ कर्ता--वि.सं. १७मी सदीमां नेांधायेला कीर्तिविमलना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. , पृ. ५९६). प्र.स./५९४७ परि./३९४३।३ लब्धिविजय चंदनबाळा गीत ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; ३६.७४१२ से.मि. पद्य ३५. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.सं./५९४८ परि./२३४८ Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लब्धि (विजय के सागर) मनकमहामुनि गीत ले.स. १७६१: हाथकागळ पत्र २१९; २०४९.५ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिदेश छे. प्र.स./५९४९ परि./८१८०/२० लालचंद पाठक जिनकुशलसूरि गीत ले.सं. १८०३; हाथकागळ पत्र १७९; २६.५४११.७ से.मि. पद्य ८ ___कर्ता-खरतरगच्छमां थयेली त्रण व्यक्तिमाथी कई ओ नक्की नथी थ]-(जै. गू. क. भा. १. पृ. २१०-१३४; भा. १. पृ. १८१.) प्र.स./५९५० परि./३१७६/५ लावण्य समय (त.) जीभलढी गीत ले.सं. १५७४; हाथ कागळ पत्र १७८९: २७४११.७ से.मि पद्य ७. कर्ता--तपगच्छमां सोमरत्नसूरिनी परंपरामां समय रत्नना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६मी ना मध्य काळनो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ६८) प्र.स /५९५१ ___ परि./८४६०/९९ नेमिनाथ गीत ले स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु'; २६४११.३ से.मि. प्र.स./५९५२ परि./५२६६/१२ नेमनाथ गीत (नेमनाथर्नु आणु) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५.६४११.७ से.मि. पद्य ४६. प्र.स./५९५३ परि./८३१४/१ नेमिनाथ गीत (३) ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ४५ थी ४६९, ८९मुं; ९१मुं; २७४११.७ से.मि. अनुक्रमे १५; ३; ३. ___ विद्यासागरसूरिना शिष्य लक्ष्मीतिलकसूरिना शिष्य कर्मसुंदरमुनि प्रति लखेली छे. प्र.स./५९५४ परि./८४६०/२१:५२,५९ सुकडी-चंपू संवाद गीत ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र १७८९; २७४११.७ से.मि. पद्य ११. विद्यासागरसूरि>लक्ष्मीतिलकरिना शिष्य कर्म सुंदरमुनिो प्रति लखी. प्रस./५९५५ परि./८४६०/१०० स्थूलिभद्र गीत ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.३ से.मि. पद्य ५. प्र.स./५९५६ परि./५२६६/११ सेरीसा गीत र.स. १५६२; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.२ ४१०.८ से.मि. पद्य १५. प्र.स./५९५७ परि..५१८१ Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५८ लोंबो ____ इलाचीकुमार गीत ले.स. १८ मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.८४१०.८ से.मि. पद्य ५. कर्ता--वि.स. १६मी सदीमां नेांधायेला कवि छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. १६८) प्र.सं./५९५८ परि./५८२९/९ शत्रुजय गीत (२) ले स. १८मुं शतक (अनु ); हाथका गळ पत्र ५९; २६४११.५ से मि. अनुक्रमे पद्य ३, ४. प्र.स/५९५९ परि./३५४३/१८, १९ बिनयविजय (त) जिन गीत (२) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हावकागळ पत्र ५थी ६; २६.५४११.५ से.मि. पद्य ५. कर्ता--तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपराना विजयसिंह > कीर्तिविजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १६८९नी रचमा नेांधायेली छे. अटले अओ वि.स. १७ अने १८मा सैकाना संधिकाळनो गणाय. (जै. गू. क भा. २, पृ. ४). प्र.स./५९६० परि./६७८८/३०, ३५ नेमिजिन गीत (४) ले.सं. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ७; २६.५४ ११.५ से.मि. अनुकमे पद्य २, ४, ५ ३. प्र.स./५९६१ परि./६७८८/२६, २७, ३३, ४१ १--नेमि (जिन) भ्रमर गीत र.स . १९०६, ले.स. १७३१; हाथका गळ पत्र २; २४.२ ४१०.७ से.मि. पद्य २७. वाई रतनने माटे ५. मणिसुंदरे प्रति लखी. प्र.स./५९६२ परि./५२०० २--नेमिनाथ भ्रमर गीता र.स. १७०६, ले.स. १७३८; हाथकागळ पत्र १थी ३; २५.२४११.३ से.'म. पद्य २७. प्र.स /५९६३ परि./४०६६/१ ३--नेमि भ्रमरागीत र.स. १७०६, ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ३थी ४; २५.२ x1१.८ से.मि पद्य २७. प्र.स./५९६४ परि./२०३५/२ पार्श्वजिन गीत (सुरतमंडन) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६दळ२६.५४ ११.५ से.मि. पद्य ३. प्र.स./५९६५ परि/६७८८/३२ Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५९ राजुल गीत ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६; २६०५x११-५ सेमि. पद्य ३. प्र.स ं./५९६६ गीत परि. / ६७८८/३१ शांतिजिन पद ले.स. १९भुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ३१ मु; २५५४११-३ से. मि. पद्य ३. प्र.स ं./५९६७ परि./३७५०/९ विनयशेखर ( आं.) धर्ममूर्तिसूरि गीत ले. स. १६४५ : हाथकागळ पत्र २जु; २६-२४११०२ से मि. पद्य २. कर्ता -- अंचलगच्छमां धर्ममूर्तिसूरिनी परंपराना कमलशेखर > सत्यशेखरना शिष्य छे. अमनी वि.स ं. १६४४नी लखेली प्रति नांधायेलीछे. (जै. : गू. क. भा. १, पृ. २८५). कर्ताना स्वहस्ताक्षरमां प्रति छे. प्र.सं./५९६८ परि./३६९६/२ विमलहर्ष सीमंधर जिन गीत ले.सं. १५९४; हाथकागळ पत्र ४थु ; २६-५४११.२ से.मि. पद्य ५. कर्ता —— -- मात्र नामनिर्देश मळे छे. ( प. ५) परि. / ३१४०/५ प्र.सौं /५९६९ वीरमुनि राजुल गीत ले स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३थी ४: २६११-५ से.मि. पद्य ४. कर्ता -- - मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स ं./५९७० वीरविजय ( त . ) छप्पन दिकूकुमारी जन्मोत्सव ढाळ ले.स. २०मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ - ५; २७.५४११.५ से.मि. पद्य ९. कर्ता -- तपगच्छना सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य छे. ओमना समय वि. १९मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा ३, खं. १, पृ. २०९.) प्र.स./५९७१ प्र.स ं./५९७२ नेभि गीत ( २ ) १२ से.मि. पद्य ७, ९. परि / ३५४३/९ परि. / ७४४३/२ ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु ं; ८थी ९; २८x परि./७२७६/२२, २८ Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० गीत पार्श्व गीत (लावणी) ले.स. १९९ शतक (अ.); हाथकागळ पत्र ६थी ७; २८४१२ से.मि. पद्य १०. प्र.स./५९७३ परि./७२७६/२० १--रहनेमि-राजुल संवाद गीत ले.स. १९मुंशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २: २६.६४१४.१ से.मि. ठाकोर खेमचंद परसोतमे प्रति लखी. प्र.स./५९७४ परि./१०१६/१ रहने मि-राजुल संवाद गीत ले.स. १८ मुशतक (अनु.); हाथकागल पत्र १थी २; २५.५४११ से मि. प्र.स./५९७५ परि./३२७३/१ शामळ (सामल) नेमनाथ गीत ले.स. १५७४,हाथकागळ पत्र ८२थी ८३; २७४११.७ से मि. पद्य १४. प्र.स ./५९७६ परि./८४६०/३५ शांतिसूरि (सां) जीराबला गीत ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ७मु; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ५. कर्ता--सांडेरगच्छमां सुमतिसूरिना शिष्य छे. अमनी वि.स. १५५०नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. ९१). प्र.स/५९७७ परि./८२८५/१९ शत्रु जय गीत (२) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७मु, १० थी ११सु; २६.४४11.1 से.मि. अनुक्रमे पद्य ५, ७. प्र.स/५९७८ परि /८२८५/२० शिवचंद्र पार्श्वनाथ गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु'; २५.५४११ से मि. १ ३. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. साध्वी प्रभावतीने श्राविका मनो माढे प्रति लखेली छे. प्रति सांधेली छे. प्र.स./५९७९ परि./४ २४०/४ सजन पंडिस नेमि गीत ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४१०.५ से.मि. पद्य ४. __कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. (प. ४) प्र.सं./५९८० परि./३५५८/ Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत ७६१ - सार्थपतिकोशा गीत ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २६४१०.५ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./५९८१ परि./३५५८/ समयसुंदर (ख.). अतीत चउवीस गीत ले.स. १८९ शतक (अ); हाथकागळ पत्र लु; २४.५४११ से.मि. पद्य २. __ कर्ता-खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां सकलचंद्रना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू क भा. १, पृ. ३३१) प्र.स./५९८२ परि./६४६५ अनागत चोवीसी गीत ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु'; २४.५४११ से.मि. पद्य ६. प्रस./५९८३ परि./६४६५/२ अनाथी गीत ले.स. १७०१; हाथकागळ पत्र १७मु; २५.१४८ से.मि. पद्य १० प्र.स./५९८४ परि./७८१०/१६ गौतम स्वामी गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २४.५४११ से.मि. पद्य ३. प्र.म./५९८५ परि./६४६५/५ नेमिनाथ गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.८४11 से.मि. पद्य ६. प्र.स./५९८६ परि./६१.३/४ पार्श्वनाथ गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.०x११ से.मि. पद्य ४. प्र.सं./५९८७ परि./६१०३/२. पौषधविधि गीत २.स. १६६७; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४१०.३ से.मि. ढाळ ४. जेसलमेरमा लखायेली आ प्रति समकालीन छे.. प्र.सं./५९८८ परि./६०१५ .. महावीर गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु: २६४११.५ से.मि. पद्य ३. प्रसं./५९८९ ___परि./३५४५/१४ महावीर गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.८४११ से.मि. ... पद्य ६. परि./६१०३/३ प्र.स./५९९० Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .७६२ महावीरजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३ थी ४, २५.८x१... से.मि. पद्य ९. प्र.स./५९९१ परि./५८२९/७ वर्तमान तीथें कर चवीसी गीत ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २४.५४११ से.मि. पद्य ४. #.स./५९९२ परि./६४६५/३ शालिभद्र गीत ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु), २६४११.५ से.मि. प्र.स./५९९३ परि./३५४३/५ - शाश्वता तीर्थ'कर गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु'; २४.५४११ ... से.मि. पद्य ५. । परि./६४६५/१ शीतलनाथ गीत ले.स. १८मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३ जु; २५.२४११ से.मि. पद्य ३. प्र.स./५९९५ . परि./४२४०/३ .. स्थूलिभद्र गीत ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४.८x११ - से.मि. पद्य ६. प्र.स./५९९६ __. परि./६१०३/५ समयसुंदर (ख.) निद्रनिवारण गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २४.५४११ से.मि. पद्य ४. . कर्ता-खरतरगच्छमां जिनचद्रसूरिनी परंपराना सकलचंद्र उ.ना शिष्य छे. अमनी -: वि.सं. १६५८ नी रचना नांधायेली छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. ३३५.) प्र.स./५९९७ परि./६४६५/६ - सहजविजय स्थूलिभद्र गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६.५४१०.६ से.मि. पद्य ९ कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. ज्ञान शेखरमुनि प्रति लखी. प्रस:/५९९८ परि./५२९०/२ संघकुल (त.) . नेमिनाथ गीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २. थी ३; २६x18.३ से.मि. पद्य ३. . कर्ता-तपगच्छमां हेमविमलसरिनी परंपराना ज्ञानशीलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ ना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १०३.) प्र.सं./५९९९ परि./५२६६/८ Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६३ नेमिनाथ गीत ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २६×११.३ से.मि. पद्य ५. प्र.सं./६००० परि./५२६६/७ संघहर्ष गीत नेमिजिन गीत ले.स. १५७४: हाथकागळ पत्र २१५ २७४११७ से.मि. पद्य १५० कर्ता - - परिचय अप्राप्य. परि./८४६०/१०६ प्र.सं./६००१ संवेगसुंदर - सर्वांगसुंदर उपा (व. त.) पार्श्वनाथ गीत (२) ले.स. १७ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र ८६ थी ८७, २६.३४ ११ से.मि. अनुक्रमे पद्य ३; ३. कर्ता — आ रचनामां मात्र नामनिर्देश छे. वडत पगच्छमां जयशेखरसूरिनी परंपरामां जयसुंदर उपा.ना शिष्य, वि.सं. १५४८नी अमनी रचना नांघायेली मळे छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ६७). आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र.स ं./६००२ परि./२१९९/२; ३ साधुकीर्ति (..) अनाथीमुनि गीत ले.स. १७३७ हाथकागळ पत्र मुं; २४ ९४१०.५ से.मि. पद्य ११ कर्ता -- मात्र नामनिर्देश मळे छे, वडापगच्छमां जिनदत्तसूरिना शिष्य वि सं. १५मां नांधायेला छे. (जे. गू क. भा. १, पृ ३४) प्र.सं./६००३ परि / ६६०७/२ सांइडुदा १- नागदमण ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४ ७४१००७ से.मि. कर्ता - - जैनेतर लागे छे. प्र. सं . / ६००४ परि. / ६६.०४ २- नागद्रमण ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५४११ से.मि. प्र.स ं./६००५ परि / ६११३ सूरि महावीर निशालगरणु पद ले. स. १८६९; हाथकागळ पत्र २जु; २५०११ से.मि. तुटक पद्य १२ थी २० कर्ता -- मात्र नामनिर्देश मळे छे (१. २०) प्रथम पत्र नथी. पत्रांकस्थाने चित्रों छे. परि. / ७१९६/१ प्र.स ं./६००६ सेवक गयसुकुपाल गीत प्र.सं./६००७ ले. स. १५७४; हाथ कागळ पत्र १६१मुं: २७४११.७ से.मि. पद्य १३. परि./८४६०/९२ Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ सोम विमल (त. ) नेमिनाथ गीत ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २७०५x११.७ से. मि. कर्ता -- तपगच्छमां हेमविमलसूरिनी परंपराना सौभाग्यहर्षना शिष्य छे, अमनों समय वि.सं. १७मी सदीना छे, (जै. गू क. भा. ३, ख ं. २, पृ. ६४८) प्र.स ं./६००८ परि / ७७२/३ हरखमुनि नेमिगीत ळे. स. १५७४, हाथकागळ पत्र २८मुं; २७४११०७ सेमि. पद्य ५. कर्ता -- मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./६००९ हीरानंद सूरि (पी.) नलराज गीत ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र १५४; २७४११.७ से.मि. पद्य १०. कर्ता -- पीपलगच्छमां वीरदेवसूरिनी परंपराना वीरप्रभसूरिना शिष्य छे, अमनो समय वि.सं. १५ मी सदीनेा छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. २५) आ रचना जै. गू क. मां धायेली नथी. प्र.सं./६०१० परि./८४६०/८२ गीत अज्ञातकर्तृक तेजरत्न शिष्य भावप्रभसूरि गीत ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५०५x११.२ से.मि. पद्य ५. प्रति जीर्ण छे. परि./८४६०/७ परि./४१६७/३ प्र.सं./६०११ प्र.सं./६०१२ आदिनाथ गीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८९; २७४११.७ से.मि. १द्य ५० परि./८४६०/५१ ऋषभदेव सातंवार ले. स. २० शतक ( अनु ) : हाथकागळ पत्र १ थी २: २२.५१.४ १२.५ से.मि. प्र.सं./६०१४ प्र.स / ६०१३ परि./८०५८ कृष्णक्रीडा काव्य ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २५४११०४ से.मि. पद्य १०५. परि./१९५८ क्षेत्रपाल गीत ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५-७ ११.२ से.मि. पद्य ५. परि./६२०५/१४ प्र.सं./६०१५ Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६५ . चंद्रसूरि गीत ले.स. १५९४; हाथकागळ पत्र ३जु'; २६.५४११.२ से.मि. गाथा ४. प्र.स./६०१६ - परि./३१४०/३ चेल्लणा गीत ले.स. १५९५; हाथकागळ पत्र ५९; २६.५४११.२ से.मि. गाथा १८ प्र.सं./६०१७ परि./३१४०/७ जिनगीत ले.स. १५७५; हाथकागळ पत्र ९०मु; २७४११-७ से.मि. पद्य १. विद्यासागररिना शिष्य कर्मसागरे प्रति लखी. प्र.स./६०१८ परि./८५६०/५७ .. दशाभद्र गीत ले.मि. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २४४१०.२ से.मि. . अपूर्ण प्र.स./६०१९ परि./७६३८/२ धन्नागीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५७ थी ५९; २१.७४७.३ से.मि. पद्य २०. प्र.सं./६०२० - परि./८४८०/१८ नवाणुं यात्रानां काव्य ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८मुं; २०.३४११ से.मि. गाथा ५. प्र.स./६०२१ परि./७६८८/३ नेमिगीत ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४११.३ से.मि. पद्य ४. प्र.स./६०२२ परि./५२६६/९ नेमिगीत (३) ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र २८मुं; ९०९ २७४११.७ से.मि. अनुक्रमे पद्य ४, ६; प्र.स./६०२३ परि./८४६०/८;९:५३ नेमनाथ गीत ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ६४ थी ६६; २१.७४७.३ से.मि. पद्य ११. प्र.स./६०२४ परि./८४८०/२३ नेमिगीत ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.३४१०.५ से.मि. पशु ७. ऋषि रत्नमेरुले प्रति लखी. प्र.स./६०२५ परि./४९७३/३ नेमीसर गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लुं; २५.३४११ से.मि. पद्य १०. कुशलविजय गणिभे प्रति लखी. प्र.स./६०२६ परि./५९२५/१ Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पार्श्वगीत (२) ले.स. १९. मुशतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४); २५.२४११.३ से.मि. .: अनुक्रमे पद्य ४ अने २ सुधी. प्र.स/६०२७ परि./४०२२/३ पार्श्वनाथ गीत ले.सं. १५७५; हाथकागळ पत्र ९०मुं: २७४११.७ से.मि. पद्य ४ . प्र.स./६०२८ . परि./८४६०/५४ पार्श्वनाथ गीत (जीराउला) ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र थी ९, २६.१४११.१ से.मि. प्र.स./६०२९ परि०/८२८५/२६ फतमल गीत ले.स. १८२१; हाथकागळ पत्र ३जु; १७.३४१० से.मि. हर्षरत्नजीओ गंडलामा प्रति लखी. प्र../६०३० परि./८२२७/२ बाहुबलि गीत ले.स. १५७६; हाथकानळ पत्र १५३ थी १५४; २७४११.७ मे.मि. पद्य १३. प्र.स.६०३१ परि./८४६०८१ ... महावीरजिन गीत ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागक पत्र ४); २५८४१०.८ : से.मि. अपूर्ण. पद्य ८ सुधी. प्र.सं./६०३२ परि./५८२९/१२ माणिभद्र गीत ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४y; २५.७४११.२ से.मि. पद्य ... प्र.स./६०३३ परि./६२०९/१६ माणिभद्र गीत . ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५.७४११.२ से.मि. प्र.सं./६०३४ परि./६२०५/१६ मालवीऋषि गीत ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३; २७.५४११ से.मि. अपूर्ण. प्र.स.६०३५ परि./१५२३ मुनिवर गीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ११५९; २७४११.७ से.मि पद्य १५. प्र.स./६०३६ परि./८४६०/७० मेघकुमार गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६थी ७; २५.३४१०.५ से.मि. पद्य २१. प्र.स./६०३७ परि./४३६४/२ Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गीत मेघकुमार · गीत ले स. १५७४; हाथकागळ पत्र २८९; २७X1१.७ से.मि. पद्य १६. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६०३८ . परि./८४६०/१० राजुल गीत . ले.स. १७मु. शतक (अनु.); हाथकागळ.५३ १५मु; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ३ (अपूर्ण). प्र.स/६०३९ परि /८२८५/४० वयरस्वामी गीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८७मु; २७४११.७ से.मि. पद्य ४. प्र.स./६०४० परि./८४६०/४१ - वीस विहरमान गीत ले.स. १८४०; हाथका गळ पत्र २ थी ३, २६.५४११.७ से.मि. प्र.स/६०४१ परि./३०७७/२ शत्रुजय गीत ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र 1६३२७४११.७ से मि. पद्य ११. प्र.स./६०४२ __परि./८४६०/९४ शत्रुजय गीत (२) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २६.४४११.१ से.मि. अनुक्रमे पद्य ४, ६. प्र.स./६०४३ परि./८२८५/३२ सत्यशेखरगुरु गीत ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.२४११.३ से मि. पद्य ४. प्र.स./६०४४ __परि./६१६२/२ सनतकुमार गीत ले.स. १५७४; हाथकागल पत्र ८२मु; २७४११.७ से.मि. पद्य १८. वीरकलशे प्रति लखी प्र.स./६०४५ परि./८४६०/३४ - सनतकुमार गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ज्या ८; २६.७४१००८ 'से.मि. प्र.स./६०४६ परि./६८९/२ सिद्धचक गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ळु; २६-३४१०.८ से.मि. पद्य १५. प्र.स/६०४७ परि./५३८९/१३ सीमंधरजिन गीत ले स. १५९४ हाथकागळ पत्र ३वी ५; २६.५४११.१ से.मि. पद्य ५. प्र.स./६०४८ परि./३१४०/४ मुनिसुव्रतजिन गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७४थी७५, २१.७x ७.३.से.मि. पद्य ५. . प्र.सं./६०४९ परि./८४८०/३१ Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ गीत सयडउ गीत (संदेशक गोत) ले स. १७४ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६थी ७; . २६.४४११.१ से.मि. प्र.स./६०५० परि./८२८५/१७ स्थूलिभद्र गीत ले.स. १५७४; हाथकामळ पत्र २४थी २५; २७४११.७ से.मि. पद्य १७. प्र.स./६०५१ परि./८४६०/३ स्थूलिभद्र गीत ले.स. १८९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६४१०.५ से.मि. पद्य ७. प्र.स ./६०५२ . परि./३५५८/६ स्थूलिभद्र गीत .स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २५.३४११ से.मि. ... पद्य ७. __ कुशलविजयगणिो प्रति लखी. प्र.स./६०५३ परि./५९२५/२ स्थूलिभद्र गीत ले.स. १८९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र लु; २६४१०.५ से.मि. पद्य १. प्र.स/६०५४ __ परि./३५५८/२ स्थूलिभभद्र झबूकडा गीत ले.स. १५७५; हाथकागा पत्र ९०९, २७४११.७ से.मि. पद्य १०. प्र.स./६०५५ परि./८४६०/५५ (स्थूलिभद) कोशा प्रतिबोध गीत ले.स १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८९मु २४४९.९ से.मि. पद्य १५. प्र.सं./६०५६ परि ८६०१/१२३ ___ गूढां ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५मुं. २५.३४१२ से.मि.प १८ प्र.सं./६०५७ परि/६४३२/३ कडखो नेमिनाथ कडखो ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३जु'; २५.५४11 से.मि. पद्य ४. प्र.स./६०५८ परि./१२४० : सुखडीनो खरडो ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २२.३४६७.६ से.मि. प्र.सं./६०५९ परि./५३५ Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गरबो-गरबी चारित्रदुर्लभ कंसनी गरबी ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९थी १०; २४.८x१२ से.मि. कर्ता--कोई जेनेतर छे अने अत्यार सुधीमां क्यांय नांधायेली नथी. प्र.स./६.६० परि./४०८९/१ दीपविजय चक्रेश्वरीनी गरबी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.५४११ से.मि. पद्य ९. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स./६०६१ परि./३०७३/२ वीरविजय (त.) नेमिनाथ विवाह गरबो र.सं. १८६०, ले.स. १८८०; हाथकागळ पत्र १०; २६.३४ ११.३ से.मि. कर्ता--तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीनो छे (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. २०९). परंपरा कृतिमां छे. रचना राजनगर (अमदावाद) मां थई छे. प्रति सांधेली छे. आ अने (विवाहलो) बंने अक ज कृति छे. प्र.सं./६०६२ परि/४३३३ . . हंसरत्न नेम राजुलनो गरबो ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मु; २४.८४१२ से.मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे... प्र.स./६०६३ परि./१०८९/ वल्लभ भट्ट गोरमानो गरबो ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ७; २४.१४११.८ से.मि. कर्ता-(१) वडनगरो नागर ब्राह्मण, अमदावादनो वतनी, (२) ज्ञाति औदिच्य टोळकियां ब्राह्मण, (३) प्रेमानंदनो पत्र, (४) अनावलो ब्राह्मण (५) मोढ ब्राह्मण (गू, हा. सं. या., पृ. १९२-१९४) कोण मे नक्की नथी थतु पण प्रथमनी संभावना लागे छे. प्र.स./६०६४ परि/२०७३/३ Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७० अज्ञातकर्तृक गंगाजीनो गरबो ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु १९४११०८ से.मि. पद्य १२. परि०/८१३१/४ प्र.सौं / ६०६५ गहुंली भावमुनि - भावप्रभ- भावरत्न (पौ . ) महिमाप्रभसूरि गहुँली ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५x१०.८ से.मि. कर्ता — पूर्णिमागच्छमां ढँढेर शाखाना विनयप्रभसूरिनी परंपरामां महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. ओमनो समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खं. २, पृ. १४२४; भा. २, पृ. ५०३). आ रचना जे. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र.सं./६०६६ परि./६५१७ गहुली रंगविजय (त.) विजयजिनेन्द्रसूरि गहुँली ले.स. १८६९; हाथकागळ पत्र १२; २५४११ से.मि. पद्य ७. कर्ता - तपगच्छमां विजयदेव मुनिगी परंपराना अमृतविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स ं. १८मा सदीनो छे (जै. गू क. भा. २, पृ. ५५२ ) आ रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथो. प्र.स ं./६०६७ परि. / ७९१६/२३ लक्ष्मीन गहुँली ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५०५४११-२ से.मि. पद्य ६. कर्ता — मात्र नामनिर्देश मळे छे, प्रति जीर्ण छे. परि. / ४१६७/५ प्र.स ं./६०६८ वीरविजय ( त . ) अट्ठावीस लब्धि गहुली ले.स. ६९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र जु; २८x१२ से.मि. पद्य ९. कर्ता तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीना छे (जै. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. २०९). प्र. स. / ६०६९ परि. / ७२७६/८ गुहली (१) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ७ थी ८; २८x१२ से.मि. अनुक्रमे पद्य ९ ५; ६. परि./७२७६/२३:२४:२५ प्र.सं./६०७० Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हुली हली (२) ले.स. १९मुळे शतक (अनु.) ; हाथ कागळे पत्र ३ थी ४ २६.९×११.६ से.मि. पद्य ८; ७. प्र.सं./६०७१ परि./८२५९/२, ३. पजुसणनी गहुली ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २७४१२ ८ से.मि. प्र.सं./६०७२ परि. / १६५०/३ २८×१२ से.मि. पर्युषण गहुली ले.स. १९मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ४थु; पद्य ९. प्र.सं./६०७३ परि./७२७६/११ भगवतीसूत्र गहुली ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २, २०१२ से.मि. पद्य ७. प्र.सौं /६०७४ परि. / ७२७६/३ शुभविजय गुरु गहुली ले.स. १९मु शतक ( अनु ); हाथ कागळ पत्र २जु; २८x१२ से.मि. पद्य ९. प्र.स ं./६०७५ परि. / ७२७६/४ ७७६ सुमतिविमल गुरु गुहली ले.स. १९ मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ५ २५.५४११.५ से.मि. पद्य ७. कर्ता - परिचय अप्राप्य. प्र.सं./६०७६ हंसरतन ( त . ) गहुली ले. सं. १८४८; हाथकागळ पत्र ४ थी ५ २२.२x१०.७ से. मि. कर्ता - तपगच्छमां विजयराजसूरिनी परंपराना ज्ञानरत्नना शिध्य छे. वि.सं. १८ना छे. (जै. गु. क. भा. २, पृ. ५६१). प्र.सं./६०७७ हेमराज परि. / २३८३/८ विनयप्रभसूरि गहुली ले.स. १७४८; हाथकागळ पत्र ४; २४.५x११ से.मि. पद्य ७. — मात्र नामनिर्देश मळे छे. कर्ता - पद्य १९. अमनो समय परि./७७०६/५ प्र.सं./६०७८ परि./५१९८/२ महुली (३) ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी ११, २६.३४११०२ से.मि. अनुक्रमे ५ ८; ७. प्र.सं./६०७९ परि./१९८०/४; ५; ६ Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७२ चूंदही ___ गहुली संग्रह ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २१.९४११.४ से.मि. आ प्रतिमां ६ गहु ली छे. प्र.स./६०८० परि./२७३३ विहारनी गहुँली ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २०.३४१०.८ से.मि. पद्य १९. प्र.सं./६०८१ : परि.७७८८ चूंदडी कांतिविजय नेम राजुल चूनडी ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी ६; २४.८४१२ से.मि. पद्य १८. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. (पद्य १४.) प्र.सं./६०८२ परि./१०८९/५ सुरकवि कृष्णजीनी चूनडी ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ १ थी २; २५.५४१०.५ से.मि. पद्य १७. . प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६०८३ परि./८८८७/१ चोक अमृतविजय (त.) १-नेमजिन चोवीस चोक र.स. १८३९ ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २४.९४११.९ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां विजयदेवसूरिनी परंपराना विवेकविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १९नो छे. (जै. गू, क. भा. ३. ख. १. पृ. १६१). प्र.स./६०८४ परि./८४२६/१ २--नेमिनाथ चोवीस चोक र.स. १८३९ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.८४१२ से.मि. ___सुरत बंदरे मोतीचंदऋषिसे प्रति लखी. प्र.सं./६०८५ परि./२३६६ Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७३ ३ - नेमिनाथ चोवीस चोक २.सं. १८३९ ले. स. १८४५; हाथकागळ पत्र ६: २७४ १२.४ से.मि. सूर्यपुर (सुरत) मां प्रति लखेली छे. पत्रांकस्थानो सुशोभित छे. प्र.सं./६०८६ परि./८२५ ४ – नेमिनाथ चोवीस चोक २.सं. १८३९ ले.स. १८४७; हाथकागळ पत्र ५ थी १०; २२.२४१०.७ से.मि. त्र.स ं./६०८७ परि./७७०६/६ ५ - नेमिनाथ चोवीस चोक २.सं. १८३९ ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६-१×१३ से.मि. प्र.स ं./६०८८ परि./९८० ६ - नेमिनाथ चोवीस चोक २.सं. १८३९; ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५-२x११.८ से.मि. प्र.सं./६०८९ ७- नेमि राजुलनारी चोवीस चोक हाथका गळ पत्र ७; २४.२x१२.२ से.मि. प्र.स ं./६०९० परि. / २३८८ र.स ं. १८३९; ले. स. १९ शतक (अनु.); परि०/८५३६ माकमुनि १ - नेमिनाथ राजुल चोक ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.७४ ११.७ से.मि. चोक ४. कर्ता - रूपकीर्तिना शिष्य छे. (चो. ४. गा. ४) रूपचंदे प्रति लखी प्र.सं./६०९१ परि . / २००३ २-- नेमिनाथ बार चोक ले.स. ९८मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र २; २६×११-५ से.मि. प्र. स. / ६०९२ परि. / ५८४३ प्र.सं./६०९३ आनंदवर्धन अंतरीक पार्श्वनाथ छंद ले.सं. १९१०; हाथ कागळ पत्र ३१ थी ३२; २६-२x१२-२ से. भि. पद्य ९. परि./२२३४/२५ छंद Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७४ उदयकुशल माणिभद्र छंद ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.७४११.२ से.मि. कर्ता--प्रति अप्राप्य. प्र.सं./६०९४ परि./६२०५/१७ उदयभाण (उदयभानु) (पो.) बावनवीर क्षेत्रपाल छंद ले.सं. १५८५; हाथकागळ पत्र ६३मु; २६४११.२ से.मि. पद्य ६. ___ कर्ता--पूर्णिमागच्छमा राजतिलकत्रिनी परंपराना विनयतिलकसरिना शिष्य छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ११३) अमनी वि.सं. १५६५ नी रचना नेधायेली छे. प्र.सं./६०९५ परि./३२६३/२ उदयरत्न (त.) गौडी पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २४.३४ ११.५ से.सि. पद्य ८. कर्ता--तपगच्छमां विजयराजस्टिनी परंपराना शिवरत्नना शिष्य छे. अमनो समय बि.सं. १८मी सदीनो छे (जै. गू. क. भा.२. पृ. ३८६). आ रचना जे. गू, क.मां नेांधायेली नथी, प्र.सं./६०९६ परि /२५१८५ भीडभंजन पार्श्वनाथ छेद ले.स. १९०९; हाथकागळ पत्र ११थी १२; २६.७४१२.४ से.मि. पद्य २४. प्र.सं./६०९७ परि./९५७/८ ऋद्धिहर्ष - गोडी पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २६.४४ १३.१ से.मि. पद्य २०. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.सं./६८९८ परि./८३८७/२ कर्पू शेखर __ गोडी पार्श्वनाथ छंद ले.स. २९मु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र १४ थी १६; १२.x . २४ से मि. गाथा ३१ कर्ता--वाचक रत्वशेखरना शिष्य छे (गा. ३४). . प्र.सं./६०९९ परि./२७०६/९ Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कान्ह कवि. अंबा छंद ले सं. १७६८; हाथकागळ पत्र १ थी २: २१.५४११.७ से.मि. पद्य ३५. __कर्ता--औदिच्य ब्राह्मण, पिता हीरो, अमरावतीनो वतनी अने अमदावादना राणिप भावी वसेलो (गू. हा. प्र. सं. या. पृ. १७). आ रचनाओ नेांधायेली नथी. विजयरत्न मुनिले प्रति लखी. प्र.स./६१०० परि./२७३४/१ १--नारसिंहवीर छंद ले.स. १•मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ थी ९मु; २५४ १२.३ से.मि. पय २८, प्र.स./६१०१ परि /७५७६/३ २ नारसिंहवीर छंद ले.स. १७६८; हाथकाळ पत्र ४ थी ५; २१.५४११.५ से.मि. प्र.स./६१०२ परि./२७३४/४ गोडी पार्श्वनाथ नाम छंद ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र ७ थी ९; २१.५४११.७ से.मि. पद्य ९. प्र.स./६१०३ परि./२७३४/७ भुवनेश्वरी छंद ले.सं. १७६८: हाथकागळ पत्र ६थी: ७, २१.५४११.७ से.मि. पद्य २१. सं./६१०४ परि./२७३४/६. १ भाणिभद्र नरसिंघ छंद ले,स. १९मु शतक (अनु.); हाथवागळ पत्र ४थु; २५.७x ११.२ से.मि. . प्र.स/६१०५ परि./६२०५/१५ २ माणिभद्रवीर छंद ले.स. १७६८; हाथकागळ पत्र ५ थी ६; २१.५४११.७ से.मि. पद्य- १७. प्र.स./६१०६ . .. परि./२७३४/५ कांतिविजय १-अभिका छद. ले.स. १८२०; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६.३४११.७ से.मि. कर्ता--मात्र नामनिर्देश छे. प्र.स./६.१०७ परि./०९१५/ २-अविका छद लेक. १७९६; हाथकागल पक्ष, ४, २०x१०.७ से:मि, पद्य. २४. , तिलकविजये प्रति लखेली छे. प्र.सं./६१०८ . .परि:/८१५१ गोजीरो छ द ले,स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३; २५४१२.३ से.मि: पद्य ९. प्र.सं./६१०९ परि./७५७६/१ Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तावनो छद ले.स. २० मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; १४.३४८-७ से.मि. पद्य १६. महेसाणामां लालचंद डोसाभाई माटे रामकृष्ण हर्षदास गुरुले प्रति लखी. प्र.सं /६११० परि./८६६७ कांतिविजय (त.) पार्श्वनाथ छंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २५४११.३ से.मि. पद्य ५१. ___कर्ता--तपगच्छमां विजय प्रभसूरिनी परंपराना प्रेमविजयना शिष्य छे. अमनी वि.सं. १७७५नी रचना नेांधायेली छे (जै. गू क. भा. २, पृ. ५२८). प्र.सं./६१११ . परि./४०७७/१ कुशललाभ (ख.) . १--गोडी पार्श्वनाथ छद ले.सं. १७६०; हाथकागळ पत्र २; २५.२४१०.५ से मि. पद्य २१. कर्ता-खरतरगच्छमां अभयधर्मना शिष्य छे. सेमनी वि.सं. १६१६ नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. २११.) प्र.सं./६११२ परि./६१०० --गोडी पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २५ थी २७; २४.७४२१ से.मि. पद्य २१. प्र.सं./६११३ परि./४ १०३/५ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; ३-गोडी पार्श्वनाथ छ'द ले स. १९ २४४१२.८ से.मि. गाथा २५. प्र.सं./६११४ परि./२७०६/५ १--नवकार छ'द ले.सं. १९१०; हाथकागळ पत्र १५ थी १६; २६.२४१२.२. से.मि. पद्य १३. प्र.सं./६११५ परि./२२३४/१४ २--नवकार छौंद ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४११ से.मि. पद्य १८. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६११६ परि./२४१३ ३--नवकार छद ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५, २४.९४११ से.मि. प्र.स./६११७ परि./२४१७ Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 話 ४ -- नवकार छंद ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २: २४०३४ ११.६ से.मि. पद्य १७. प्र. स . / ६११८ परि. / २५१९/१ ५ -- नवकार छंद ले.स १९. मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ८ थी ९६ २४४१२:८ से मि. गाथा १७. प्र.स ं./६११९ परि०/२७०६/४ ६ -- नवकार छौंद ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २; २६.५x११.८ से.मि. पद्य १९. परि. / ७१४७ प्रसौं /६१२० खुशाल विजय सरस्वती छ'द ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २थी ३; २६-६४ १३.१ से मि. कर्ता -- अमर विजयना प्रशिष्य ( पत्र ३) ठाकोर खेमचंद परसोत्तमे प्रति लखी, परि०/१०६/१२/ प्र.सं./६१२१ खेम सागर पश्चिमाधीश छंद ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३; २६ ११.५ से.मि. पद्म ४१. ७७७ कर्ता -- मात्र नामनिर्देश मळे छे. भाषा गुजराती - उर्दू मिश्र छे. प्र.सं./६१२२ गुणसागर (वि.) १ - शांतिनाथजी छंद ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ ७ यो ८ २४.३X ११.५ से.मि. पद्य २१. कर्ता - विजयगच्छमां विजयऋषिनी परंपरामा पद्मसागरना शिष्य छे. ओमनी वि.स ं. १६७६नी रचना नांधायेली छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४९७). प्र.स ं./६१२४ परि./२५१८/९ प्र.स ं./६१२३ २-- शांतिनाथजी छंद ले.स. १८९२; हाथकागळ ५१ १ थी ३; २८x१२ से.मि. पद्य २१. प्र.सं./६१२५ ९८ परि / ७४२९/१ ३ शांतिजिन छंद ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६४ १४.२ से.मि. पद्य २१. तूटक पत्रो १, २ नथी. परि / २२२२ परि./८.०३३/१ Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७८ गुणसूरि ऋषभदेवजी छ'द ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २४.३४११.५ ...से.मि. पद्य ८. ___ कर्ता-आगला गुणसागरसूरि होवानी शकयता छे. नक्की नथी. प्र.स./६१२६ परि./२५१०६ जयचंद्रसूरि बरडा क्षेत्रपाल छ'द ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २२४11 से.मि कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. अ.111१७ परि./५३७/२ साविककसूरि (आ.) नमस्कार छद ले.स. १८४३; हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २३४१२ से.मि. गाथा १२. कर्ता--आगमगच्छमां थया छे. (गा. ११). प्र.स./६१२८ . परि.५०९/२ जिनहरख (जिनहर्ष) श्रावक करणी छंद ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र १० थी ११; २६.२४१२.२ से.मि, पद्य २१.. कर्ता-मात्र नामनिर्देश छे. प्रस./६१२९ परि./२२३४/९ देदो कवि भांगी छद ले.सं. १८०२; हाथकागळ पत्र ३ थी ४, २५४१०.८ से.मि. पद्य २६.. कर्ता--वि.स. १६५० लगभगमां थयेला होवानुं अनुमान छे जेनेतर छे. (जै.गू. क. भा. ३. खं. २, पृ. २१६२-६३). आ रचना जै. गू, क.मां नेांधायेली नथी.. प्र.स./६१३० परि./६४६८ धनराज वीसइत्थी छ'द ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २० थी २१,२४४१२.८ से मि. गाथा ११. ____ कर्ता--गु. हा.स. या. मां पृ. ७४ मां नेांधायेला छे. गै. सा इति. पृ. ५८१ फ. ८५१; पृ. ६०१-फ. ८८८मां पण नांधायेला छे. त्रणमाथी कोण मे नक्की नथी थतु. अस/६१३१ परि./२७०६/१२ धर्मसी (ख) १--गोडीचा छंद ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९ थी १०; २५x ११.३ से.मि. पद्य १९+६=२५. कर्ता--खरतरगच्छमां जिनभद्रसूरिनी परंपराना विजयहष ना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो छे. (जे. गू, क. भा. ३. ख. २, पृ. १३१२) जुंडानगरमां नरेन्द्र विजय मुनिमे प्रति लखी. प्र.सं/६१३२ परि./३९५१/५ Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ فيفا २-गोडी पार्श्वनाथ छद ले.सं. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५.२४. १२.३ से.मि. पद्य १९. वटपद्रनगरमा ऋषि मोतीचंदे प्रति लखी. प्र.स./६१३३ परि./२३४३ . ३--गोडी पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हामी २ : २५-२४११.६ से.मि. पद्य. १७. प्र.स./६१३४ परि./६१५८/२ नयप्रमोद (ख.) १-शंखेश्वर पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाकामना पत्र ५ थी; २४४१२.८ से.मि. गाथा १३. कर्ता--खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपशना हीरोदयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७१३नी रचना नांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. १५२). प्र.स./६१३५ परि./२७०६/२ २ शंखेश्वर पाश्वनाथ छ'द ले.स. १७४७; हाथकागळ पत्र १९ थी २०,२१४११.८ से.मि. पद्य १५. प्र.सं./६१३६ ____ परि./२७५२/० नयविमल (ज्ञानविमल) चोवीसजिन छौंद ले.स. १८१४; हाथका गळ पत्र ३१ की २० २५.५४११.७ से.मि. तूटक. ____ कर्ता-तपगच्छमां विनयविमलनी परंपराना धीरविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६९४ (जन्म)-१७८२ (स्वर्गवास) छे. (जै. गू क., भा. २, पृ. ३०८). पत्रो १ थी २९ नथी. प्र.सं./६१३७ ____ परि./६८०६/१ १-पार्श्वनाथ (देशांतरी) ले.स. १९मु शतक (अनु ): हायकापळ १० : २५४११ से.मि. पद्य ४७. कुशलविजयना शिष्य पं. जयविजय माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./६१३८ परि./६१२६ २-पार्श्वनाथ (देशांतरी) छ'द ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथी ३; २५.२४११.३ से.मि. ४७ (तूटक). - पत्र २जु नथी. प्र.सं./६१३९ परि/४०२१/१ ३--पार्श्वनाथ छद (देशांतरी) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हावामळ १ श्री ३; २६.५४११.६ से.मि. पद्य ४७. भक्तिविजय मुनिझे प्रति लखी. प्र../६१.. परि./३०६९/१ Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८० पश्चिंद्र : .. .. पार्श्वनाथ छंद ले.सं. १८०५; हाथकागळ पत्र १०९; २३.५४१०.३ से.मि. पद्य ११. कर्ता-पायचंदगच्छना स्थापक छे. अमनो जन्म वि.स. १५३७-काळ वि.सं. १६१२. (जे. गू, क. भा. १, पृ. १३९). प्रति जीर्ण छे. प्र.स':/६१४१. परि./५१०२/२ भक्तिलाभ (उपा.) सीमंधर स्वामी विनती छंद ले.सं. १९०९; हाथकागळ पत्र १० थी ११, २६.७x १२.४ से.मि. पद्य १८. कर्ता-खरतरगच्छमां जयसागर उपा. नी परंपराना रत्नचंद्रना शिष्य होवानो- उल्लेख छे. (जे. सा. इति. पृ. ५९२-फ. ८७१). प्र.सं./६१४२ परि./७५७/७ भाणविजय (त.) - गोडा पाश्व नाथ छ'द ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २१मु २४-१२०८ से.मि. अपूर्ण कर्ता--तपगच्छमां लब्धिविजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७३७ रचना नांधायेली छे. (जै. गू. क., भा. २, पृ. ३५६). आ रचना जे. गू, क. मां नेांधायेली नथी.. प्र.स./६१४३ - __ परि./२७०६/१३ भानुमेरु (ख.) ... शंखेश्वर पार्श्वनाथ छद ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १७ थी २५; ...... २४.७४११ से.मि. पद्य १३२. कर्ता--खरतरगच्छमां जयसागर उपा.नी परंपराना चारित्रसागरना शिष्य होवानो .. उल्लेख छे. (जै. सा. इति. पृ. ५९२-फकरो ८७१). परि./४१०३/१ प्र.स./६१४१ भावविजय वाचक (त.) .. 1-पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११.८ से.मि ..पद्य:५०. ....: . कर्ता-तपगच्छमां विजयदानसूरिनी परंपराना विमलहर्ष > मुनि विमलना शिष्य छे. अमनी वि.स. १६९६नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू क. भा. ३, ख. १, पृ. १०७२(१०७८). परंतु प्रस्तुत रचनामा परंपरानां जुदां नाम आवे छे.) प्र.स./६१४.५ परि./२२३२ . : २-अंतरीक पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४१४ से.मि. पद्य ५१. प्रति जीण छे. परि./८५२३/१ Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८१ ३-अंतरीक पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २५.५४ ११.८ से.मि. पद्य ५१.. प्र.स./६१४७ परि./८३३३ ५-अंतरीक पार्श्वनाथ छद ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३; २४.८४ ११.६ से.मि. पद्य ५१. अ.स./६१४८ परि./६८९४ ५-अंतरीक पार्श्वनाथ छद ले.स. १८७६: हाथकागळ पत्र ४; २३.३४११.३ से.मि. __भावनगरमा मुनि रंगविजये प्रति लखी. प्र.सं./६१४९ परि./२५२७ ६-अंतरीक पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २७.१४ १३.५ से.मि. प्र.स./६१५० परि./२५१ ७-अंतरीक पार्श्वनाथ छद ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १४; २४४१२.८ से मि. गाथा ५२. प्र.स./६१५१ परि./२७०६/ ८-अंतरीक्ष पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ५; २६.३४११.७ से.मि. पद्य ५१.. - राधनपुरभां लखेली आ प्रति कुशलचंदने मळी. प्र.स./६१५२ परि /२०९९/१ मुनि मेघरत्न गोडी पार्श्वनाथ छ द ले.स. १७८६; हाथकागळ पत्र २ थी ५; २६४११.५ से.मि. तूटक. ___कर्ता-मात्र नामनिदे श छे. (पत्र ४). राणकपुरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./६१५३ परि./३३५५/१ मेघराज मुनि शंखेश्वर पार्श्वनाथ छौंद ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६.५४१००८ से.मि. पद्य ६. ___ कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. (प. ६.) प्र.स./६१५४ परि./३७७९/२ राजरत्न पाठक १--माणिभद्र छद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.७४ ११.५ से.मि. पद्य २१. प्र.स./६१५५ परि./६८१५/१ www.jaineli Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૯૮૨ छंद २- माणिभद्र छंद ले. सं. १७९९; हाथकागळ पत्र १; २४४९.८ से.मि. पद्य २१. डीसामां विनयचंद गणिओ गोविंदविजये प्रति लखी. परि. / ७६१४ प्र.स ं./६१५६ राम (विजय) (त.) गोडी पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १७९५; हाथकागळ पत्र १ थी ४; २४.७४११ से.मि. पद्य ६४. कर्ता -- तपगच्छमां विमलविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १० मी सदीनो छे. (जे. गू. क., मा. २, १, ५२१). सकल णि अने गलालविजय माटे रत्नविजय गणिओ पतन(पाटण) मां प्रति लखी. प्र.स ं./६१५७ परि / ७६०८/१ रोड ऋषभदेव छंद र.सं. १८६३ ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ७; २५x१२.३ से.मि. पद्य ४३. कर्ता--चंद्रगच्छ मलधारी गोत्रमां गरीसिंहनो पुत्र छे ( पद्य ४१ - ४२ ). भाषा राजस्थानि मिश्रित छे. चित्रकोट गढ (चितोड ) मां रचना थई. परि./७५७६/२ प्र.सं./६१५८ लक्ष्मीकल्लोल पार्श्वनाथ छंद ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४११ से.मि. पद्य २९. कर्ता — वि.सं. १६ मी सदीमां नांधायेला छे. (जै. गू. क., भा. ३, खौं ं. १, पृ. ६४२). प्रस्तुत रचना जै. गू. क.मां नांधायेली नथी. प्र.स ं./६१५९ परि./६८१२ लक्ष्मीवल्लभ (ख.) गोडी पार्श्वनाथ देशांतरी छंद ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २००५x ११ से.मि. पद्य ४७. कर्ता — खरतरगच्छमां क्षेमकीर्ति शाखाना लक्ष्मीकीर्तिना शिष्य छे, वि.स ं. १७२५नी ओमनी रचना नांधायेली छे. (जे. गू. क., भा. ३, ख. २, पृ. १२४६.) प्र.स ं./६१६० परि./८१५० लब्धिरुचि १ - शंखेश्वर पार्श्वनाथ छौंद र.स. १७१२; ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र १४ थी १५; २५.७४११ से. मि. गाथा ३२. कर्ता -- कोई हर्ष रुचिना शिष्य छे. अममो समय वि.सं. १८मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. १५० ). प्र.स ं./६१६१ परि./२२३४/१३ Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २--शंखेश्वर पार्श्वनाथ छौंद र.स. १७१२ ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ६: २६.५४ १२.२ से.मि. पोताना शिष्य रायचंद माटे पं. दानसागर जीओ प्रति लखी. प्र.स./६१६२ परि./७३२५/७ ३--शंखेश्वर पार्श्वनाथ छंद र.स. १७१२; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २५४१०.८ से.मि. पद्य ३२. पं. आनंदरुषिो प्रति लखी. प्र.स./६१६३ परि./३५७० ललितसागर शनैश्चर छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३; २२.३४११.३ से.मि. गाथा. ७. ... कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (गा. ३१.) रचना राजनगर( अमदावाद )मां थई छे. पत्र ४ थुनथी प्र.स./६१६४ . परि./५२९ लावण्यसमय (त.) गौतम छद. ले.सं. १९०९; हाथकागळ पत्र ९९; २६.७४१२.४ से.मि. पद्य ९. कर्ता- तपगच्छमां सोमसुंदर सूरिनी परंपराना समयरत्नना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. 1, पृ. ६८). प्र.स./६१६५ परि./९५७/५ (रंग रत्नाकर) नेमिनाथ छद खंडद्वयात्मक र.स. १५॥ ४ ले.स. १७००; हाथकागळ पत्र ११, २५.३४११.२ से.मि. गाथा ६८+११७ ___ मतिगज पाठके प्रति लखी. प्र.सं./६१६६ परि./२६२६ १--पार्श्वनाथ छद (अंतक्षि) र.स. १५८५ (८६), ले.स. १८८७, हाथकागळ पत्र २; २५.७४१२.२ से.मि. पद्य ५२. ___ * जै. गू. क. भा. १, पृ. ८०. जीवणविजये प्रति लखी. प्र.स./६१६७ परि./७१५५ २-पार्श्वनाथ छद (अंतरिक्ष) र.स . १५८५ (८६) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २३४१०.५ से.मि. पद्य ५४. * जै. गू. क. भा. १. पृ. ८८. प्र.सं./६१६८ परि./७७३० ३--पार्श्वनाथ छद (अंतरिक्ष) र.स. १५८५ (८६), ले.स. १८२८; हाथकागळ पत्र १ थी ५९; २०४११.७ से.मि. पद्य ५५. . * जे. गू. क., भा. १, पृ. ८० बुनिपुर नगरमां हर्षचंद्र मुनिले प्रति लखी. प्र.सं./६१६९ परि./८१४०/१ Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८४ ४--पार्श्वनाथ छंद (अंतरिक्ष) र.स. १५८५ (८६) ले स. १८५८; हाथकागळ पत्र ५ थी २; २५.८४११.३ से.मि. पद्य ४९. * जै. गू. क. भा. १, पृ. ८०. भुज नगरमां पं. लालविजये प्रति लखी. प्र.स./६१७० परि./७९५०/१ बादीचंद (दि.). भरत बाहुबलि छंद ले.स. १७९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.४३ ११.२ से.मि. पद्य ६३. कर्ता-दिगंबर पथी-मूलसंघ विद्यानंदिनी परंपराना मल्लिभूषण>लक्ष्मीचंद्र>वीरचंद> ज्ञानभूषणना शिध्य छे. अमनी वि.सं. १६५१नी रयना नेांधायेली छे. (ज. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ८०३) प्र.स./६१७१ परि /४३२६/१ विजयभद्र आत्मशिक्षा छौंद ले.स. १९०९; हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २६.७४१२.४ से,मि. पद्य १२. कर्ता-वि.सं. १५ मी सदीमां नेांधायेला छे. (ज. गू क. भा. १, पृ. १४). प. गुमानविजये आंबरडीमां प्रति लखी. प्र.सं./१६७२ परि/९५७/४ विनयविजय उपा (त.) नवकार छद (पुण्यप्रकाशस्तवन गर्भित) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३: २६.२४१२.२ से.मि. पद्य ११. ___ कर्ता- तपगच्छमां हीरविजयमरिनी परंपराना कीर्तिविजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १६८९नी रचना नेधायेली छे. (जे. गू, क. भा. २, पृ. ४). प्र.स ./६१७३ ___ परि./२२३४/११ वीरविजय (त.) गौतमाष्टक छंद ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९मु; २४.३४११.३ से.मि. पद्य ८. कर्ता--तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीनो छे, (जै. गू. क. भा. ३, ख. १. पृ. २०९). प्र.स./६१७४ परि./२५१०/११ शाह शंकर फलवधि पार्श्वछौंद ले.स. १७९५; हाथकागळ पत्र ९; २४.७४११ से.मि. प्र.स./६१७५ परि./७६०८/५ Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छंद शांतिकुशल (त. ) गोडीपास छंद ले.सं. १८१८; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.८४११.८ से.मि. ७८५ पद्य ४१. कर्ता - तपगच्छमां विजयदेवसूरिनी परंपराना विनयकुशलना शिष्य छे. ओमनी वि.सं. १६६७नी रचना नधायेली छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ४७१) आ रचना जै. गू. क. मां नाधायेली नथी. मुनि पद्मविजये प्रति लखी. परि. / ६२१६/१ प्र.सं./६१७६ १ - - शारदा छंद ले. स. १८०६; हाथकागळ पत्र १ २५४१०.७ से.मि. पद्य ३४. विक्रमपुरमा सुज्ञानविजये प्रति लखी. परि. / ६४४२ प्र.सं./६१७७ २ -- शारदा छंद ले.सं. १९०९; हाथकागळ पत्र ७ थी ८ २६-७९१२.४ से.मि. पद्य ३४. प्र.स / ६१७८ परि. / ७५७/३ ३ -- शारदा छंद ले. सं. १९१४; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५०२x११०४ से.मि. पद्य ३५ प्र. स ं०/६१७९ परि. / ४०३२/१ ४ -- शारदा छंद ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ६ थी ७; २५० ५४१२ से.मि. प्र.सं./६१८० परि. / ६७६३/१२ ५ -- सरस्वती छंद ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.३×११.३ सेमि. पद्य ३३. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६१८१ परि. / ८८४९/१ सरस्वती छंद प्रभाती ले. सं. १८१५; हाथकागळ पत्र ८ थी ९: २६४११.८ गाथा ३५. परि./३४५९/१० प्र. सं. ०/६१८२ शांतिसूरि माणभद्रजीको छंद ले. स. २० शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ३; २४४१५ से.मि. पद्य ४०. कर्ता - वि. सं. गू. क. भा. १. पृ. प्र.सं./६१८३ ९९ १६ मी सदीमां नांधायेली बेमांथी कई व्यक्ति अ नक्की नथी थतु (जै. ९१; भा. ३. ख. १. पू. ४९३ ). परि./७९९९ Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ शील(देवोमुनि १-शंखेश्वर पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ६ थी८; २१४१२.८ से.मि. गाथा ६५. __ कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (गा. ६३; ६५.) प्र.सं./६१८४ परि./२७०६/३ २-शंखेश्वर पार्श्वनाथ छद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ १ थी ३; २३.५४ १०.५ से.मि. पय ६५. प्र.स./६१८५ परि /८१०९/१ श्रीधर (व्यास) - सप्तशतिका छंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ६; २०.५४११.३ से.मि. पद्य १२१. ___ कर्ता-प्रसिद्ध 'रणमल्ल छंद' वाळा, वि.स. १६मी सदीमां नेांधायेला छे. जैनेतर छे. (गू. हा. सं. या. पृ. २३२.) प्र.स./६१८६ . परि./८१२८/१ श्रीसार (ख.) फलवर्धि पार्श्वनाथ छंद ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र ७ थी ८; २४.७४१०.७ से.मि. पद्य १३. कर्ता-खरतरगच्छमा क्षेमशाखाना रत्नहर्षना शिष्य छे. अमनी कृतिओ वि.स. १७मी सदीनी छेल्ली वीसीनी रचेली मळे छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५३०.) प्र.सं./६१८७ परि./६३६६/४ सहजसुंदर (उ.) १-गुणरत्नाकर छंद र.स. १५७२, ले.स. १७१६; हाथकागळ पत्र २१; २४.८x १०.८ से.मि. कर्ता-उपकेशगच्छमां रत्नसमुद्र उपा. ना शिष्य छे. अमनी वि.स. १५७० नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. १२१.) पाटणमां पूर्णिमागच्छना विनयप्रभरिसे राजरत्नमुनि सारु प्रति लखी. प्र.स./६१८८ परि./२६४५ २-गुणरत्नाकर छंद र.स. १५७२ ले-स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २५४११.५ से.मि. अपूर्ण, प्रसं/६८९ परि./४३८० ३--गुणरत्नाकर छंद र.सं. १५७२ ले.स. १६७०; हाथकागळ पत्र । थी १४; २४.८४११.२ से.मि. . विजयसेनसूरिना शासनमां कल्याणकुशलगणिना धर्मबंधु (गुरुबंधु) ५. दगाकुशलगणिना शिष्य सुमतिकुशलगणिले प्रति लखी. प्र.स./६१९० परि./५०६८/१ Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४-गुणरत्नाकर छंद र.सं. १५७२; ले.सं. १६१८: हाथकागळ पत्र २०; २६.८४११ से.मि. ग्रंथान १०००. पाटणना ढंदेरवाटक (ढंढेरवाडा) मा विद्याप्रभसूरिना शिष्य गोविंदमुनिये प्रति लखी. प्र.सं./६१९१ परि./५२८७ ५-स्थूलभद्र छद (गुणरत्नाकर छद) र.स. १५७२, ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५, २६.४४११.३ से.मि. अधिकार ४. प्र.सं./६१९२ परि./४१७१ ६-स्थूलभद्र गुणरत्नाकर छद र.सं. १५७२, ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३: २६.५४११.७ से.मि. पद्य ४१३. प्र.स./६१९३ परि./१५७२ ७-स्थूलभद्र गुणरत्नाकर छद र.स. १५७२, ले.स. १६४७; हाथकागळ पत्र १५; २६४१ ०.८ से.मि. ग्रंथान ८००. तेजपुर नगरमां लखेली आ प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६१९४ परि./८८१७ -गुणरत्नाकर छंद र.सं. १५७२, ले.सं. १७२७, हाथकागळ पत्र १४; २५.२४ ११ से.मि. माडी (मांडवी ?) मां कुशलेन्दुमुनि लखेली आ प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६१९५ परि./५१८७ सरस्वती मातानो छद ले.स. १९९शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.२४ १२.२ से.मि. पद्य ११. प्र.स./६१९६ परि./२२३४/१ संत सरस्वती छौंद ले.स. १८९२; हाथकागळ पत्र २ थी १; २८४१२ से.मि. पद्य ३७. कर्ता-कोई विनयकुशलना शिष्य छे. (प. ३५.) प्र.स./६१९७ परि./७४१९/२ हरखाजित पावजिन छंद ले.स. १७१५; हाथकागळ पत्र ८९; २४४१०.९ से.मि. गाथा ११. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. (पद्य. ११.) प्र.स./६१९८ परि./३६६ लावण्यलहरी (स्थूलिमद्र छद) ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ श्री ३; २६.३४११.२ से.मि. पद्य ८७. प्र.स./६१९९ परि./५३२६/२ Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८८ हरजसराय (श्रा.) देवाधि देव छद रचना र.स. १८६०; ले.स. १९५६; हाथकागळ पत्र १०; २५.७४ १२ से.मि. गाथा ९५. ___कर्ता--ओसवाल ज्ञातिना बणिक अने कसुरपुरवासी छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदी छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. २७४.) भाषा हिन्दी मिश्रित छे. प्र.स./६२०० परि./२०३२ हर्ष सागर १--पद्मावती छ द ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथका गठ पत्र १० थी ११; २४४ १२.८ से.मि. गाथा ११. __ कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. (गा. ११.) प्र.स./६२०१ परि./२७०६/६ २---पद्मावती छद ले.स. १८११; हाथकागळ पत्र ७९; २६४११.८ से.मि. गाथा १२. प्र.स./६२०२ परि./३४५९/८ ३--पद्मावती छद ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी २; २४.५४१०.३ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./६२०३ परि./६३११/१ ४--पद्मावती छौंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २, २३.३४१० से.मि. पद्य १०. प्र.स./६२०४ परि./६६७१ . गणपतिनो छद ले.स. १८७८; हाथकागळ पत्र १, २६.४४११.४ से.मि. गाथा २.. ___कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे (ग. १९). प्र.सं./६२०५ परि./१०३४ हेमकवि १--शनिश्चरनो छद ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र २० थी २०; २६.२४१२.२ से.मि. पद्य ४. कर्ता--ग. ह. स. या., पृ. २४७मां नेांधायेला छे. प्र.स.१६२०६ परि./२२३४/२० २--शनैश्चर छौंद ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थो १३; २६.६४ १२ से.मि. प्र.स./६२०७ परि./१६५६/२ Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छद ७८९ हेमविजय (त.) साचल मातानो छद (२) ले.स. १९# शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६.२४ १२.२ से.मि. अनुक्रमे गाथा ५+५. ____ कर्ता--तपगच्छमां कमलविजयना शिष्य छे वि.स. १७मी सदीमां नेांधायेला छे. (जै. गू, क. भा. १. पृ. ३९५; भा. ३, ख. 1, पृ. ८८२.) प्र.स./६२०८ परि./२२३४/३ हेमचंद्रमुनि (रा.) नेमिनाथ गुणरत्नाकर छौंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ थी १७; २४.७४११ से.मि. पद्य २४६. कर्ता--दिगंबर पंथी रामसेना गच्छमां नरसिंहनी परंपराना भूषणना शिष्य छे. (प. २४४, परंपरा रचनामां मळे छे.) अमनो समय वि.सं. १६मी सदीनो गण्यो छे. (जै. सा. इति. पृ. ६१६, फकरो ९०९). प्र.स./६२०९ परि./४१०३/३ अज्ञात गुरुनामनो अकारादिक्रम कुंवरविजयशिष्य १-पार्श्वनाथ छद (शंखेश्वर) ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २६.४४ १३.१ से.मि. पद्य १९. प्र.स./६२१० परि./८३८७/१ २-पार्श्वनाथ छद (शंखेश्वर) ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०९; २१.३४११.५ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./६२११ परि./२५१८/१३ चरणप्रमोदशिष्य पार्श्वनाथ छद ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २८.७x11.८ से.मि. प्र.स./६२१२ परि./५९४/२१ नयसुंदरशिष्य शंखेश्वर पार्श्वनाथ छद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २४.७x ११ से.मि. गाथा ३२. प्र.स./६२१३ परि./४१०३/२ लक्ष्मीवल्लभसुत पार्श्वनाथ छद ले.स. १८०२; हाथकागळ पत्र ४थी ६; २५४१०.८ से.मि. पद्य ३९. कर्ता--कोई लक्ष्मीवल्लभना सुत तरीके ओळखावे छे. (प. ३९). प्र.स./६२९४ परि./६४६८/५ Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९० प्र.स./६२१६ विजयदेवसूरिशिष्य नेमराजुल गीत ले.स. १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.२४११ से.मि. पद्य ३०. ___कर्ता--तपगच्छमां विजयसिंहमूरि>विजयदेवना शिष्य छे. (गा. ३०.) प्र.स./६२१५ परि./६५५७/४ सोमसूरिशिष्य नेमीश्वरजीनो छद (समवसरणविधारगर्भित) ले.स. १९०९; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६.७४१२.४ से.मि. पद्य ५३. __ कर्ता--अंबरडीमा ठाकर रावळजीना शासनमा मोहनविजय >प. गुमानविजय गणिना शिष्य जयचंदगणिले प्रति लखी. परि /९५७/१ अज्ञातकर्तृक आशिष छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३, २५.२४ ११.७ से.मि. प्र.स./६२१७ परि./४३४४/४ ईश्वरी छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७ थी १९; २४४१२.८ से.मि. गाथा ५१. प्र.स./६२१८ परि./२७०६/११ कनेजयादेवी छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी १; २५.२४ ११.३ से.मि. पद्य २३. प्र.सं./६२१९ परि./४०२२/२ गुरु छंद ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १८९; २१४१२.२ से मि. पद्य ३. प्र.स./६२२० परि./२७१२/७ गौतमस्वामी छद ले.स. २०में शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८९; २८.७४११.८ से.मि. प्र.स./६२२१ परि./५९४/२० चौंविधसंघप्रमाण छौंद ले.स. १९०९; हाथकागळ पत्र मु; २६.७४१२.४ से.मि. पद्य ५. प्र.स./६२२२ परि./९५७/६ छद त्रिभंगी ले.स. १८०२; हाथकागळ पत्र ४थु; २५४१०.८ से.मि. पद्य ८. प्र.स./६२२३ परि/६४६८/३ जगडसाह छद (२) ले.स. १६७०; हाथकागळ पत्र १४ मुः २४.८x११.२ से.मि. अनुक्रमे पद्य ५, २. __ सुमतिकुशलगणिो वणथली(वंथली)मां प्रति लखी. प्र.स./६२२४ परि/५०६८/२, ३ Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९१ जंबूस्वामी छौंद ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४११ से.मि. पद्य ३०. प्र.स ं./६२२५ छद परि. / ४४८८/२ तीर्थमाला छंद ले.सं. १९०९; हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २६.७४१२.४ से.मि. पथ ३९ सुधी. अपूर्ण. अंबरडीमा ठाकर रावळजीना राज्यमां पं. मोहनविजय > पं. गुमान विजयगणिना शिष्य पं. जयचंदगणिभे प्रति लखी पत्र ५ थी ६ नथी. प्र.स ं./६२२६ परि. / ९५७/२ तीर्थंकरबल छंद ले.स १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २६-५४१२.२ से.मि. पद्य १. पालनपुरमा पोताना शिष्य रायचंद माटे सागरगच्छना दानसागरजीओ प्रति लखी. परि. / ७३२५/५ प्र.सं./६२२७ पंचागुली छौंद ले.सं. १८७१; हाथकागळ पत्र ३; २७४११०८ से. मि. बडी पोशा लगच्छना पं. बुद्धिसागरे माणसामां मूलचंद महेता माटे प्र.स ं./६२२८ पार्श्वनाथ छंद (खेतलवसही ) ले. स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; १७०७X १०.३ से.मि. पद्य १५. प्रसौं / ६२२९ परि./८२०५ पार्श्वनाथ छंद (गोडी) ले.स. १९मुळे शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १६मु ं; २४४ १२.८ से.मि. गाथा ९. प्र.स ं./६२३० परि./२७०६/१० पार्श्वनाथ छद (२) ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; २५.१× १०.३ से.मि. अनुक्रमे पद्य ६०, ३६ तूटक. पत्र १लु नथी. प्र.सं./६२३१ पार्श्वनाथ छ ंद (थंभण) ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ ११.५ से मि . पद्य १६. प्र.सं./६२३२ पद्य १४. परि. / २५१८/५ पार्श्वनाथ छंद ले.स. ९९मुळे शतक ( अनु ); हाथ कागळ पत्र ७मु; २५०५४११-३ से.मि. प्रसं. ६२३३ प्रति लखी. परि./१५५५ पार्श्वनाथ छंद ले.स. १८५० ; हाथ कागळ पत्र २ थी ३; पद्य १२. प्र.सं./६२३४ परि०/६८८६/१ पत्र ४थु; २४• ३४ परि. / ७२८६/२ २४. ३४११.५ से.मि. परि./२५१८/३ Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९२ ___ छद पार्श्वनाथ छद ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११९; २४४१२.८ से.मि. गाथ। ६. ___ भाषा तुरकी छे. लिपि गुजराती छे. प्र.स./६२३५ परि./२७०६/७ पार्श्वनाथ छौंद ले.सं. १७४७; हाथकागळ पत्र १९९; २१४११.८ से.मि. पद्य ९. प्र.स./६२३६ परि./२७५२/३ पाव नाथ छंद ले.स. १७५३; हाथकागळ पत्र ३; २३.७४१०.८ से.मि. पद्य ३९. पोताना शिष्य रत्नचंद्र माटे वाचक रायचंदगणि > मदनजीगणिमा शिष्य अमरचंद्रे प्रति लखी. प्र.सं./६२३७ ___ परि./५०८४ भवानी छद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६ २५.९४११ से.मि. छ द १. प्र.स./६२३८ घरि./२९९५/५ माणिभद्र छद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २२.६४११.२ से.मि. पद्य १६ सुधी (अपूर्ण). पत्र १लामां माणिभद्रन चित्र छे. प्र.स./६२३९ परि./८७८० माताजीनो छद ले.स. १८९ शतक (अनु., हाथकागळ पत्र ३; २५.३४११ से.मि. पद्य ६५. प्र.स./६२४० परि/६०६८ शनिश्चर छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४४ थी १५, २६.२४१ २.२ से.मि. प्र.स./६२४१ परि./२२३४/४३ १--सरस्वती छंद ले.स. १९९ शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २३४११.३ से मि. पद्य ४३. प्र.स./६२४२ परि./७७५९ २--शारदा छंद ले.स. ९८मुंशतक (अनु.); हाथकागळ ३ ३; २६४११ से.मि. पद्य ४४. प्र.स./६२४३ परि/४४२० ३--सरस्वती छौंद ले.स. १८२०; हाथकागळ पत्र ३थी ५९; २६/३४११.७ से.मि. राधनपुरमां जीवविजयजीमुनिओ देवविजय माटे प्रति लखी. प्र.स./३२४४ परि./८९१५/२ हिंगुलाजभवानी छंद ले.स. १८१९; हाथकागळ पत्र ६; २५.३४११.१ मे.मि. बलदुठमां ऋषि गीरधरे गाविंदऋषि माटे प्रति लखी. प्र.स./६२४५ परि.१७४१ Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छाहली देपाल कवि स्थूलिभद्र छाहली ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २६.४४११:१ से.मि. पद्य १०. ___ कर्ता-पाटणना भोजक छे. अमना समय वि.स. १५०० थी १५२२ सुधीना छे. (ज. गू. क. भा. १, पृ. ३७). प्रस./६२४६ परि./८२८५/२७ हेमसार नेमनाथ छाहली ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मु; २६.४४11.1 से.मि. पद्य ४. कर्ता--मात्र नाम निर्देश मळे छ (प. ४). परि./८२८५/२५ प्र.म./६२५७ ... जकडी. कबीर जकडी ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २६.२४११.७ से.मि. पद्य ६. कर्ता--प्रसिद्ध भक्त. प्राय: तेनां पदो छे, छतां भाषा फेरवाई गुजराती पण थई छे. भेमना समय वि.स. १६मी सदीनी चौथी पचीसीनेा छे. (गू. हा. स. या. पृ. १३; जे. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. २१४२). प्र.स./६२४८ परि./४२५८/१८ कमल हितोपदेश जकडी ले.स. १६६५; हाथकागळ पत्र २जु; २६.३४११.३. से.मि. पद्य ५. . कर्ता-मात्र नाम निर्देश मळे छे. (प. ५). . परि./५४८९/२ प्र.स./६२४९ गुणपाल रायसल्लवालंभगीत जकडी ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र १५५मु; २७४११.७ से.मि. पद्य ४. .; कर्ता-मात्र नामनिर्देश' मळे छे.. . प्र.स./६२५० परि./८४६०/८५ Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९४ जकडी ले. सं. १५७४; हाथकागळ पत्र २१८मुं; २७४११-७ से.मि. पद्य ४. प्र.स ं./६२५१ जकडी ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३जु; पद्य ७. प्र.स ं./६२५२ झीलणा-झुलणा धनप्रभ १ - - नेमिनाथ झीलगा ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ४८; २४४९.९ से.मि. पद्य ९. कर्ता --- मात्र नामनिर्देश मळे छे. (१.९). धनप्रभ प्र. स ं./६२५३ परि./८६०१/५३ २ -- नेमिनाथ झोलणु ले.स. १७ सतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र ४ थी ५: २६.४४ ११.१ से.मि. प्र.सं./६२५४ परि./८२८५/१२ झीलगा धवल परि./८४६०/१०८ २५.३×११ से.मि. परि. / ६४६७/५ आनंदप्रमोद (त. ) . शांतिनाथ धवल ( नवरस सागर) २.सं. १५९१ ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथका मळ पत्र १८, २६४११ से. मि. ग्रंथाग्र ५००. तूटक. कर्ता - तपगच्छमां चरण प्रमोदनी परंपरामां हर्षप्रमोदना शिष्य छे. अममो समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (जै. गु. क. भा. ३, खं. १, पृ. ६०२ ) परंतु अहीं र.सं. मात्र काणु आ प्रतिमां छे. रचना पाटणमां थई पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.स ं./६२५५ परि./४५१३ नेमिनाथ हिडोल धवल ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५मुं: २६.४९११.१ से.मि. पद्य ११. प्र.सं./६२५६ परि./८२०५/१३ Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भवल ब्रह्मकवि (सु.) १-नेमिनाथ धवल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६.८४१०.८ से.मि. गाथा २०२ कर्ता--पार्श्व चंद्रसूरिना गच्छना सुधर्मगच्छना संस्थापक छे. अमनो समय वि.स. १५६८; १६४६ स्वर्गवास. भेटले वि.सं १६भी सदीना छे (जे. गू. भा. १, पृ. १५२). प्र.सं./६२५७ __परि./६८१ २--नेमिनाथ धवल ले.सं. १६७०; हाथकागळ पत्र १४; २६.२४i०.७ से.मि. ग्रंथान ५००. राव महादेवे लखेली आ प्रति रतनी साध्वीनी शिष्या मानानी छे. प्र.सं./६२५८ परि./३८५४ लांबा ऋषभदेव धवल २.स. मा सदीमा नांधायला जीर्ण छ ऋषभदेव धवल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२,२५.२४१०.७ से.मि. __कर्ता--वि.सं. १६मी सदीमां नेांधायेला छे. (जै. गू, क, भा. १ पृ. १६२) __ आ रचना गै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. प्रति जीर्ण छ. प्र.स./६२५९ परि./८९४३ शांतिसूरि शत्रुजय उमाहदा धबल ले.स. १७१ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.४,४११.१ से.मि. पद्य ११. फर्ता--प्रस्तुत रचना अने रचयिता वि.सं. १६मी सदीमा नांधायेला छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ४९३. आ संडेरगच्छवाळा पण होई शके. जै. गू. क. भा. 1, पृ. ९१.) प्र.सं./६२६० परि./८२८५/१५ सेवक (अं.) --ऋषभदेव धवले र.सं. १५९. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकांगळ पत्र १०%; २६.५४१०.८ से.मि. पद्य २५९. कर्ता-अंघल विधिगच्छमां गुणनिधानसूरिना शिष्य छे, अमनो समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (गै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ५८१.) प्र.से./६२६१ परि./६१७१ १--ऋषभदेव धवल र.सं. १५९०, ले.सं. १७७१: हाथकागळ पत्र १८; २६.२४ ११.५ से.मि. माणिकविजयमुनिशे प्रति लखी. प्र.सं./६२६२ परि./२९२८ ३-ऋषभदेव धवल (विवाहल) २.स. १५९०, ले.सं. १६२६; हाथकागळ पत्र १०; २६.५४१०.८ से.मि. पद्य २६५. प्र.सं./६२६३ परि./६१७६ Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धवल ४-ऋषभदेव धवल र.सं. १५९० ले.सं. १६६३; हाथकागळ पत्र १०; २६५११ से.मि. शाह दासुकना पुत्र लक्षके सारंगपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./६२६४ परि./४४७६ अज्ञातकर्तृक गुरुवर्धपनक (जिनसागरसूरि) धवल ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; - २६.४४११.१ से.मि. पद्य ९. प्र.सं./६२६५ परि./८२८५/९ ... नेमिनाथ धवल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २४.७४१०.६ से.मि. अपूर्ण. प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६२६६ परि./४३९९ पार्श्वनाथ धवल ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११ थी १२; २६.४४ ११.१ से.मि. पद्य ८. प्र.सं./६२६७ परि./८२८५/३४ मुनिसुन्दरसूरि धवल ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २६४११ से.मि. पद्य ७. प्र.सं./६२६८ ... परि./६१६३/४ शांतिनाथ धवल ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं; २६.४४११.१ पद्य ७. प्र.सं./६२६९ परि./८२८५/३३३ ..... ... .. ... .......... लावणी ... दयाविजय .... __ महावीरजिन लावणी ले.सं. १९१३; हाथकागळ पत्र १: ४८.५४४४.५ से.भि. - कर्ता--रंगविजयनी परंपरामां ऋषभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. २०४ ...., शतक (जै. गु. क, भा, ३, ख, १, पृ. ५०८). प्र.सं./६२७० परि./८०५७/१ दीपविजय ऋषभदेव लावणी र.सं. १८७५ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.५४१२ से.मि. पद्य ६४. - कर्ता--मात्र नामोल्लेख मळे छे. हंसविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./६२७१ परि.८१२४/२ Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हमची केशवमुनि (त.) . तीथीचर्चानी हमची (धर्मसागरनी वादविवादमा सुरतमा थयेली जीतनो प्रसंग) ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पद्य ३; २६.३४११.५ से.मि. कर्ता---तपगच्छमां हीरविजयसूरिनी परंपराना छे. अमनो समय वि.स. १८मी सदीनो होई शके (जै. गू. क. भा. ३, ख'. १, पृ. १०८२ अने १०८४नो पहेलो फकरो.) प्र.सं./६२७२ परि /२१६८ प्रेमविजय (त.) नेमिनाथ हमची र.स. १६५३, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.८४११.३ से.मि. पद्य ८४. कर्ता--उपगच्छमां विमलहर्षना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १७ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ३९७) आ रचना जै. गू. क. मां नेांधायेली नथी. सुलतान पुरमा रचना थई. प्रति जीर्ण छे, प्र.स./६२७३ परि./५३३० वर्धमान पंडित (पा.) ऋषभदेव हमची ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २४.५४११.४ से.मि. पद्य २५. . कर्ता-पावचंद्र गच्छमा वि.स. १८मी सदीमां थयेला छे (जै. गू. क. भा ३, ख. २, पृ ११४२). आ रचना जै. गू. क. मां नेांधायेली नथी. बाई तेजाबाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./६२७४ परि./४९१४ लावण्यसमय १-नेमिनाथ हमची र स. १५६४, ले.स. १७४ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.३.४१०.३ से.मि. पद्य ८४. .. कर्ता-तपगञ्छमां सोमसुंदरसूरिनी परंपराना समय रत्नना शिष्य छे. अमने। समयः वि.स. १६मी सीना छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. ६८). प्र.स./६२७५ परि./३४४५ - २--नेमिनाथ हमची र.स. १५६४, ले.स. १६३५, हाथ कागळ पत्र ३; २६.२४ ११.३ से.मि. पद्य ८४. . ___ जयचूला साध्वी माटे गोविंदमुनिए प्रति लखी.. प्र.स/६२७६ परि./६२११ Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૭૮ हमची ३ - नेमिनाथ हमची र.सं. १५६४, ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३जु; २७.५x११.७ से.मि. प्र.सं./६२७७ परि. / ७७२/१ ४ --- नेमिनाथ हमची २.सं. १५६४, ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६.८×११ से.मि. प्र.स ं./६२७८ परि. / ६८१ ५- - नेमिनाथ हमची रस. १५६२, ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६११.२ से.मि. पद्य ८०. तूटक. पत्र २जु नथी. आगळती चार करतां आ कृतिमां र.सं. मां फेर पढे छे. सं./६२७९ सकलचंद्र (त. ) १ - महावीर हमची ले. सं. १६८१; हाथकागळ पत्र ३; २५०८४११ से.मि. कर्ता -- तपगच्छमां हीरविजयसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६४२ पहेलांने। छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. २७५ ). प्र.सं./६२८० परि./२९१७ २- महावीर जिन हमची ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; ११ से.मि. गाथा ४७ सुधी. अपूर्ण. प्र.सं./६२८१ परि / ५९८८ ३ -- महावीर जिन हमची ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २; २५x१००७ से.मि. गाथा ६६. प्र.सं./६२८२ परि. / २३५५ सवैया परि०/३५५६ २३.५४ गोविंदमुनि चोवीस जिन सवैया ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६४११०४ से.मि. पद्य २५. प्र.स ं./६२८३ परि. / ४८०८ नयविमल बावीस जिन सवैया ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ २६ ११.५ से.मि. ૨૧૧૧૧ पद्य २७. कर्ता तपगच्छमां विनयविमलनी परंपराना धीरविमलना शिष्य छे. ओमनो समय वि.स ं. १८मी सदीनेा छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ३०८). प्र.सं./६२८४ परि. / १९२६ Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९९ हालर राजरत्न उपा. चोवीस तीर्थकर सवैया ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.३४१०.३ से.मि. पद्य २५. ___ कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./६२८५ परि./६५५४ हालरडु-हिंडोलडां दीपविजय महावीर जिन हालरडु ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.६४ ११.५ से.मि. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./६२८६ परि./१६७४ पद्मसागरसूरि (म.) महावीर हालरहुला ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र २४९; २७४११.७ से.मि. पद्य १०. कता-मम्माडगच्छमां मुनि(मति)सुंदरसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६मी सदीना छे (जे गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. ५४२). प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६२८७ परि /८४६०/२ सोमसुंदरसूरि हिंडोलडां ले.स. १७मु शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र २जु; २६४१॥ से.मि. पय १२ सुधी अपूर्ण. प्र.स.६२८८ परि./४५२४/२ मालमुनि महावीर लोरी ले.सं. १७०१, हाथकागळ पत्र २२थी २३मु; २५.१४८ से.मि. कर्ता--वि.स. १७मी सदीना उत्तरार्धमां नेांधायेला छे (जै. गू. क. भा. १, प्रस./६२८९ परि./७/१०/२३ Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अखो, ' गिरधरब्रह्म आदि कवित्त, सवैया, चोपाई, साखी ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; ३०४ १४.२ से.मि. कर्ता - - ( १ ) जाते सोनी, वतन अमदावाद, वि.सं. १६७१ थी १७३१ना गाळामां था. (२) वि.सं. १८ अने १९मी सदीमां नांधायेली त्रण व्यक्तिमांथी कोण ए नक्की नथी. (गु. हा. सं या अनुक्रमे पृ. १ २९ - ३० ) ० प्र.सं./६२९० परि./७९८८ प्र.स ं./६२९१ S कवित ( कवित्त - दूहा - सुभाषित - हुबडां) ज्ञानसारमुनि (ख.) बासमार्ग यंत्र रचना कवित्त र. सं. १८६३, ले.स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.५×११.९ से.मि. कर्ता -- खरतरगच्छमां जिनलाभसूरिनी परंपराना रत्नराजना शिष्य छे, अमना समय वि.सं. १९मा सैकानो छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख १, पृ. २६० ). रचना जयपुरमां थई छे.. परि./९९५ مجھ प्र.सं./६२९४ मयण ( मदन) भट्ट मयण कुतूहल ले. स. १७७०; हाथकागळ पत्र १, २६०२x१००७ से.मि. पथ- २७. कर्ता -- वि.सं. १६मी सदीमां थयेला मानवामां आवे छे. (गू. हा. सं. या. पृ. १५० ). उपा. समरकीर्ति प्रति लखी छे. प्र.स ं./६२९२ परि / ६९९३ हीरानन्दमुनि प्रास्ताविक कवित्त ले.सं. १५७४, हाथकागळ पत्र २९; २७४११ ७ से.मि. पद्य ३. परि./८४६०/११ प्र.सं./६२९३ अज्ञात क कवित्त ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५०३४११ से.मि. पद्य ४०. परि./६४३२/१ Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दूहा ८०१ कविता दूहग सवैया संग्रह ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागक पत्र २४; २४.८४ ११.४ से.मि. __ हिन्दी गुजराती मिश्र कृतिओ छे. प्र.सं./६२९५ परि./४१०२ कवित्त दूहा संग्रह ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; ३६४१०.२ से.मि. प्र.स./६२९६ परि /८२२८ कुंडलिया कवित्त ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २३.३४६.२ से.मि. पद्य २५. प्र.स./६२९७ परि./७८१३ आनंदवर्धन (ख.) सीमंधरस्वामी आत्मनिन्दा स्वरूप दोधक र.स. १७०९, ले.स. १७१५ हाथकागळ पत्र २ थी ७; २४४१०.६ से.मि. गाथा १५२. फर्ता-खरतरगच्छमां महिमासागरना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १८ ना छे. (जै. गू, क. भा. २. पृ १४९). रचना बीजापुर-साहपुरमा थई छे. प्र.स./६२९८ परि./६३६६/१ भावप्रभसूरि (पौ) जिन संख्यादि विचारमय दोधक बालावबोध ले.स. १७९६; हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २५.५४११.५ से.मि. गाथा १० कर्ता-पूर्णिमा गच्छमां महिमा प्रभसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जै. गू क. भा. २. पृ. ५०३.) आ रचना जै. गु. क. मां नेांधायेली नथी. कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी प्रति पत्तनपुर (पाटण) मां लखामेली छे. प्र.स./६२९९ परि./५००९/३ वीरविजय (त) जिन नव अंग पूजाना दूहा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र पलु'; २१४९.८ से.मि. पद्य १०. कर्ता--तरगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १९मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. २०९). आ रचना जै. गू. क. मां नेांधायेली नथी. प्र.स./६३०० परि./७७८२ ___ Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ शुभ सागर (अ.) १ - - शत्रुंजयना अक्सो आठ दहा ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ २७४११-८ से.मि. कर्ता --अंचलगच्छमां कल्याणसागरना शिष्य छे. ओमनेा समय वि.सं. १९मी सदीने। छे. (जै. गु. क. भा. ३. ख. १. १. १४ . ) जै गू. क. मां 'उदयसागर' मानवामां आव्या छे. लींबडीमा रामजीओ प्रति लखी. प्र.स ं./६३०१ परि./१५७६ ले. स. १९२० हाथकागळ पत्र ५; २४.३४१२ परि./९९६ ३--सिद्धगिरिना दूहा ले.सं. १९४१; हाथकागळ पत्र १०; २५४११०४ से.मि. रामगरजीओ प्रति लखी. परि./७५५४ २--शत्रुंजय ना अकसो आठ नामना दूहा, जोधपुरमा प्रति लखेली छे. प्रसं०/६३-२ प्र.स ं./६३०३ अज्ञातकर्तृक दूहा ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७५१२.५ से मि . प्र. स . / ६३०४ दूहा प्र.सं./६३०५ दूहा सवैया ले.स १७७१ हाथकागल पत्र :७; २५.३५११.५ से.मि. प्र.सं./६३०६ ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४ २x१००८ से.मि. दूहा १५. परि./६६१९/१ दूहा संग्रह ले. स. ७ शतक (अनु; हाथकागल पत्र ३; २६०४४१०५ से.मि. दूहा ६१. प्र. स. / ६३०७ प्र.सं./६३०८ दूहा प्रास्ताविक दुहा प्र.स / ६३०९ परि. / ७४६३/२० परि. / १०६७ दूहा संग्रह ठे.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७ २३४१० से.मि गाथा ९३. श्राविका लहेरी माटे वाघाओ प्रति लखी. परि. / ४९८१/२ परि. / ७७०४ ले. स. १५७४; हाथ कागळ पत्र ११५ २७४११.७ से.भि, पद्य २. परि०/८४६०/६९ प्रास्ताविक दूहा आदि संग्रह ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २७.५४ १२ से.मि. प्र.स ं./६३१० परि. / ७९०२ Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दहां ट०३ प्रास्ताविक दूहा संग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्रः २६.१४११.६ से.मि. पद्य ९९. कच्छी अने गुजराती मिश्र भाषा (बोली) छे. प्र.स./६३११ परि |८४३१ प्रास्ताविक दूहा संग्रह ले स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३, २५.५४११.७ से.मि. पद्य ४५ प्र.सं./६३१२ परि./४२७२ मंगलदहा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २५४११.५ से.मि. गाथा २१. प्र.स./६३१३ परि./४०५८/२ विद्वदूरंजन दूहा (शतक) ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३. २४ ५४ १०.४ से.मि. पद्य १०० प्र.स'./६३१४ परि./५९६५/1 सज्जन दूहा ले.स.१८७०; हाथकागळ पत्र ८,२५.५४११२ से.मि. गाथा १४२ तूटक. पत्र ३जु नथी. प्र.स./६२१५ परि./५२७२ सज्जन दहा ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २३.८४१२.७ से.मि. गाथा ३९. __वडनगरमा सौभाग्यचंदे प्रति लखी. प्र.स./६३१६ परि/८३९०/१ साजन दूहा ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३; २५.१२.३ से.मि. पद्य ७७. प्र.स./६३१७ परि./६५७६ साजनदूहा संग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.७४११ से मि. गाथा ११५. प्र.स/६३१८ परि./४११० सुभाषित दूहा ले.स. १८६६; हाथकागळ पत्र १७मु, २५.५४१२.१ से.मि. प्र.स./६३१९ परि./११२१/५ सुभाषित दूहा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३४मु; २१.७५७.३ से.मि. गाथा ४. प्र.स/६३२० सुभाषित दूहा ले.स. १९०४; हाथकागळ पत्र ३जु': २५४१०.८ से.मि. सोजतमां प्रति लखेली छे. प्र.सं./६३२१ परि./६४०८/२ ___ परि./८५८०/१२ Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ दूहा सुभाषित दोधक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; १२.७४११.२ से.मि. पद्य ६० प्र.सं./६३२२ परि./८६३८ सुभाषित दोधक संग्रह ले.स. १८मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २; २५४१०.८ से.मि. गाथा ५४. प्र.स./६३२३ परि./२५४५ स्नेहदूहा ले.स. १७ मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.६४८.५ से.मि. प्र.स./६३२४ परि./७६२४ ___ स्नेही दूहा (२) ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; अने ५ थी ६; २४.३४1०.८ से.मि. अनुक्रमे गाथा १२१; ४४. प्र.स./६३२५ परि./७३०७/१/२ सुभाषित अखो अखा कविना सुभाषितो ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ल; २४४१०.७ से.मि. गाथा १३. ___ कर्ता-जाते सोनी, वतन अमदावाद, समय वि.स. १६७१थी १७३१नो, केवलादत वेदांततो कवि ( हा. स. या. पृ. १.) प्र.सं./६३२६ परि./४९३१. प्रास्ताविक सुभाषित ले.स. २ मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २; २६.५४१२ से.भि प्र.स./६३२७ परि./६५५ कबीर आदि सुभाषितो (दूहाबद्ध.) ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १२मु; २६४ ११.५ से.मि. __ कर्ता-प्रसिद्ध भक्त. प्राय: तेनां पदो हिंदीमां छे, छतां भाषा फेरवाई गुजराती पण थई छे. (गू, हा. स. या. पृ. १३) अमनो समय वि.स. १५७५ लगभगनो छे (जै. गू. क. भा. ३. ख. २. पृ. २१४२). प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६३२८ परि./४८२४/९ केसरविमल (त.) १-सूकतमाला र.स. १७५४; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथेकागळ पत्र १२; २६४११.८ से.मि. अपूर्ण. ___ कर्ता--- तपगच्छमां शांतिविमलना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १८ मी सदीनो छे (जै. गू. क. भा. २, पृ० १५२.). परि. स. २०१८ जोडे र स. सरखावतां फेर पडे छे. " वेदेन्द्रियर्षिचद्रे प्रमित्त वर्षे " प्रस./६३२९ परि./२८०७ Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित ८०५ २-सूक्तमाला र.स. १७५४, ले.स. १८२५; हाथकांगळ पत्र १४, २५४११.५ से.मि. प', कांतिविजये प्रति लखी. प्र.स./६३३० परि./४२९१ ३--सूक्तमाला र.स. १७५४; ले.स. १८१३; हाथकागळ पत्र १३; २५४११ से मि. पद्य ७९. बर्हानपुरमा रूपविजये प्रति लखी. प्र.स./६३३१ परि./५०७१ ४--सूक्तमाला र.स. १७५४; ले.सं. १८२३; हाथकागळ पत्र १२; २५४१०.८ से.मि. रोहिठामां हीरजी माटे ऋषि जेसिंगजी प्रति लखी. प्र.सं./६३३२ परि./७९१२ ५--सूक्तमाला र.स . १७५२ *, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.८४१२ से.मि. ___ * र.स. जुदो पडे छे. 'पक्षेन्द्रियर्षिचंद्रप्रमित्त वर्षे' मुंबई बंदरे ऋषि मोतीचंदे प्रति लखी. प्र.स./६३३३ परि./२०१८ ६--सूक्तमाला र.स. १७५४; ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १४; २६.२४१२.२ से मि. प्र.स./६३३४ परि./२२३७ ७-- सूक्तमाला २.सं १७५४; ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २५.२४ ११.७ से.मि. पद्य १७५. प्र.स./६३३५ परि./७३३४ ८--सूक्तमाला-सस्तबक र.स . १७५४ ले स. १८६३; हाथकागळ पत्र ३५; २५.५४ १०.८ से.मि. ग्रंथा। १७५४. ___ पालीगामे हुकमविजय गणिले प्रति लखी. अ.स/६३३६ परि./६४३७ ९-- सूक्ताबली-स्तबक ले.स. १८२७, हाथकागळ पत्र २०७; २५४११.७ से.मि. धर्मविजये स्तबक रच्यु. वच्चे बच्चे संस्कृत कथाओ आवे छे. लिपिकार यत्नविजय. प्र.सं./६३३७ परि./२०७९ खीमाविजय-क्षेमविजय (त.) सुक्तमाला स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६१; २७.५४१२.६ से.मि. गाथा ३५. कर्ता--तपगच्छमां देवविजयनी परंपराना शांतिविजयना शिष्य वि स. १८ मी सदीमा थया. (जै. गू, क. भा. ३, ख. २. पृ. १६२३). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेली नथी. मूळ रचना संस्कृतमा छे. पत्र ९मु बेवडायु छे. प्र.सं./६३३८ परि./९३९ Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित धोरकवि सुभाषित ले.स. १७२४; हाथकागल पत्र १७मु; २६४११.३ से.मि __ कर्ता--आ व्यक्ति प्रसिद्ध 'धीरो' नथी, अनाथी लगभग ५० वर्ष मोटी छे. (सरखावो गू. हा. स. या. पृ. ७५ मां आपेलो समय अने आनो ले.स.) ऋषि वेणिदासे जोधपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./६३३९ परि./१७७१/२ प्रतापविजयगणि सूक्तावली उपदेश रसाल बालावबोध ले.स. १८८१; हाथकागळ पत्र ८६, २५.५४११.८ से.मि. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. मूळ मुक्तावली संस्कृतमा छे.. प्र.स./६३४० परि./२३३२ मानकवि ___ सुभाषित ले.सं. १७५९: हाथकागळ पत्र ३जु; २५.७४११.३ से.मि. पद्य २. कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./६३४१ परि./८५२६/२ मेरुसुंदर (ख.) कर्पूरप्रकर-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९३; २६.२४११ से.मि. कर्ता--खरतरगच्छमां रत्नमूर्ति वाचनाचार्यना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ नो छे. (जै. गू, क. भा. ३, खर, पृ. १९८२) जिनसागरसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे. प्रति जीण छे. प्र.सं./६३४२ परि./५४५३ कर्पूरप्रकर स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी १५; २६.१x १२.१ से.मि. तूटक. गाथा ५३ सुधी. अपूर्ण. पत्रो १थी ४ नथी. जिनसागरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.स./६३४३ परि./२३५१ पुराण लोकसंग्रह स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २४.१४ १०.७ से.मि. लोक ८३. प्र.सं.१६३४४ परि./७६३४ पुराणगत लोकसंग्रह स्तबक ले.स. १९# शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २६; २०.४४ ११.१ से मि. प्र.सं./६३४५ परि./८१७५ Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित ८०७ प्रास्ताविक सुभाषित (दहा) ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ५; . २६.४४११.८ से.मि. पत्र १लु अने जुनथी. परि./१०३५ मानकुतूहल ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; ४२४३९ से.मि. पद्य ४.. प्र.स./६३४७ परि./८७०३/१ सज्जन चित्तवल्लभ स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; .. २५.७४१०.७ से.मि. तूटक. मल्लिषेणमूरिनी मूळ स्थना संस्कृतमां छे. प्रथम पत्र नथी. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६३४८ परि./३५४४ सज्जचित्तवल्लभ स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.९४११.३ से.मि. पद्य २५. मल्लिषेणसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. सत्यविजयमुनि प्रति लखी. प्र.म./६३४९ परि./५४३८ 1-सिंदूरप्रकर स्तबक ले.सं. १७७७; हाथकागळ पत्र १९; २६.१४१२.१ से.मि. गाथा ९९. ____सोमप्रभाचार्यनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.स./६३५० परि./१९४४ २-सिंदूरकर स्तबक ले.स. १९ मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५थी १५; २५.१५ ११.१ से.मि. श्लोक ९२ सुधी अपूर्ण. सोमप्रभसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. प्र.स./६३५१ परि./६४४४ ३---सिंदूर कर स्तबक ले.स. १७०३; हाथकागळ पत्र ३१; २५.२४११.२ से.मि. सोमप्रभसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.स./६३५२ परि./३७४८ ४ -सिंदूरकर सस्तबक ले.स. १९९६; हाथकागळ पत्र ३१; २५.८४१३.८ से.मि. गाथा १०६ महासुखराम शिवशंकरे प्रति लखी. प्र.स./६३५३ परि./२१ सुभाषित ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५६थी ५७; २१.७४७.३ से.मि. पद्य ३. प्र.स./६३५४ परि./८४८०/१७ Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित सुभाषित ले. सं. १७३३; हाथकागळ पत्र १; २४.५४१०.४ से.मि. पद्य १. प्र.स ं./६३५५ परि./२६००/३ ८०८ सुभाषित ले.स १९ शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र १ २३.२x१०.३ से.मि. संस्कृत मिश्रित गुजराती छे. प्र.स ं./६३५६ परि./५१११ सुभाषित ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६, २५x१००८ से.मि. तूटक पत्रो १थी ११ नथी. परि / ५२७७ प्र.सं./६३५७ सुभाषित ले. सं. १६६१; हाथकागळ पत्र रथी ३; २६.५x११ से.मि. गाथा ४८. कावतरामां लखायेली आ प्रति शाह समरथने मळी. प्र.सं./६३५८ परि. / २८७७/२ सुभाषित ले. स. १९मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १०थी ११, २५.२x११.७ से.मि. प्र सं . / ६३५९ परि. / ४३४४ / २ सुभाषित ले. स. १७मुं शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १; प्र.स ं./६३६० सुभाषित गाथा २. प्र.सं./६३६१ ले. स. १९ शतक ( अनु ) परि./८०३३/४ सुभाषित ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २७ २८ २१ ७४७०३ से.मि. पद्य २. प्र.स ं./६३६२ २५.८४१०.६ से मि. परि./१७३४ २३४१४.२ से.मि. हाथ कागळ पत्र ५मु : परि./८४००/५ सुभाषित ले.स. १७७४; हाथ कागळ पत्र ३३मु ं; २७४११७ से.मि. गाथा १. प्र.सं./६३६३ परि./८४६०/१५ प्र. सं. / ६३६५ सुभाषित संग्रह ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ २४०३४१०.८ से मि. प्र.सं./६३६४ परि./६१३७ सुभाषित संग्रह ले सं १७ शतक (अनु.) ; हाथकागल पत्र ३; २६.५४११.५ से. भि. प्रति जीर्ण छे. सुभाषित संग्रह ले स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; गाथा २. मूळ सुभाषितो संस्कृत अने प्राकृतमां छे प्र.सं./६३६६ परि./८९.२० २४.३४१३ से.मि. परि./८०५२ Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुभाषित सुभाषित (अष्टादशवोधी) स्तबक ले.स. २०मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.१.१२.२ से.मि. मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.स./६३६७ परि./६८३८ सुभाषित सूक्तावली स्तबक ले.स. १८५३; हाथकागळ पत्र २०; २४४१२.२ से.मि. पद्य १५०. मूळ रचना संस्कृतमा छे. टिकरनगरमा ज्ञानसागरे प्रति लखी. प्र.स./६३६८ परि./८०३४ सूक्तावली स्तबक ले.सं. १८१३; हाथकागळ पत्र १६; २८.८४१५.१ से.मि. गाथा १४५. तूटक मूळ रचना संस्कृतमां छे. पत्र १लु नथी. महेसाणामां बारोट तलजामे प्रति लखी. प्र.स./६३६९ परि./७९९५ सुभाषितावली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.५४१०.७ से.मि. __ प्रति त्रण (कोलम) खानां पाडीने लखेली छे. प्र.स./६३७० परि./३७५९ सुभाषितावली स्तबक ले स. १८४२; हाथकागळ पत्र ३ थी ७; २५.७४११.५ से.मि. तूटक. . पत्रो १; २ नथी. ५. प्रेमचंदे पालीताणामां लखेली प्रति जीण छे. प्र.स./६३७१ परि./३५३० हरियाली जिनरंगसूरि (ख.) हियाली ले.स. १८१. शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २६९ २१.७४७.३ से.मि. पद्य ५. कर्ता-खरतरगच्छमां वि.स. १८मी सदीमां नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. २७३. प्र.स./६३७२ परि./८१८०/३ देपाल कवि १-हरियाली स्तबक ले.स १८मु शतक (अनु); हाथका गळ पत्र १लु'; २३.२४१० से.मि. पद्य ५. कर्ता-वि.स. १६ मीना पूर्वार्धमां थयेला पाटणना भोजक ठाकोर छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३७). प्र.सं./६३७३ परि./१९३४/१ १०२ Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१० हरियाली २-हरियाळी स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु; २५.५४१०.८ से.मि. . पद्य १२. प्र.स./६३७४ परि./३६५४/१ धनहर्ष पंडित (त.) १ हरियाली (३) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; ३जु, २६.५४ ११.२ से.मि. अनुक्रमे पद्य ५: ४०; ५. ___ कर्ता-तपगच्छमां धर्मविजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १६८१ लगभगनी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५८४) प्र.स./६३७५ परि./६९५६/५; ६, ७, ८ धर्मसमुद्र (ख.) हरियाली ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ८३मु; २७४११.७ से.मि. पद्य ५. कर्ता-खरतरगच्छमां विवेकसिंहना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ ना छे. (जै. गू, क. भा. १. पृ. ११६). प्र.सं./६३७६ परि./८४६०/३७ भोलेराम ___टपूहरियाली ले स. ११६१; हायकागळ पत्र २०९; २०४९.५ से.मि. कर्तामात्र नामोल्लेख छे. कृतिनी भाषामां थोडी राजस्थानीनी छांट छे. शांतिसागरे प्रति लखी. प्र.स./६३७७ परि./८१८०/४१ मानो ___टपू हरियाली ले.स. १७६१: हाथकागळ पत्र १९९; २०४९.५ से.मि. प्र.स./६३७८ परि./८१८०/३५ लावण्य समय (त.) हियाली गीत ले.स. १५७६; हाथकागळ पत्र ९२९ २७४११.७ मे.मि. पद्य १. कर्ता-तपगच्छमां सोमसुंदरसूरिनी परंपराना समयरत्नमा शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६ नो छे. प्र.स./६३७९ परि./८४६०/६३ विनयसागर हरियाली स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २: २४.५४१२ से.मि. कर्ता-मूळना कर्तान मात्र नाम मळे छे. प्रस/६३८० परि./७५६६ Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हरियाली ८११ वीरविजय (त.) हरीआली (२) ले.स. १९९ शतक (अनु.): हार्थका गळ पत्र ९९; २८x१२ से.मि. अनुक्रमे पद्य ९;६. कर्ता-तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीने। छे. (ज. गू. क. मा. ३. ख. १. पृ. २०९) प्र.स./६३८१ परि./७२७६/२९,३१; व्यास पंडित हरियाली ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लु, २५४११ से.मि. पद्य १०. कर्ता-मात्र नामनिदेश मळे छे. (५. १०) प्र.स./६३८२ परि./६१६३/२ शांतिसागर हरियाली (२) ले.स. १७६१; हाथकागल पत्र १९९; २०४९.५ से.मि. अनुक्रमे पद्य ____ कर्ता-मात्र नामोल्लेख मेळ छे. कर्ताना स्वहस्ताक्षर प्रति छे. प्र.स./६३८३ ___ परि./८१८०/३३; ३४ हियाली ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१७ थी २१८९; २४४९.९ से.मि. पद्य ६. प्र.स./६३८४ परि./८६०१/१३१ समयसुंदर (ख.) हीयाली गीत ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.८४11 से.मि. पद्य ५. (तूटक). खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना सकलचंद्र उ. ना शिष्य छे. अमो समय वि.स. १७ नो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ३३१.) पत्र लु नथी. प्र.स./६३८५ . परि./६१ ०३/१ अज्ञातकर्तृक हरियाली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र लु; २६x11 से.मि. पद्य ७. ___ कर्ता-कुशलवर्धनना शिष्य छे. प्र.स./६३८६ परि./७३६५/२ कवित हरियाली ले.स. १७८४; हाथकागल पर लुं: २२.२४९.१ से.मि. प्र.स./६३८७ परि./८७०१/१ Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ हरियाली हियाली गीत ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र २९९; २७४११.७ से.मि. पद्य ७. प्र.स./६३८८ परि./८४६०/१२ हरियाली संग्रह ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२थी २४; २६.८४११-१ .. से.मि पद्य ८२. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६३८९ परि./२२६६/४ हरियाली संग्रह ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २४.५४१०.८ से.मि. पद्य ६. प्रति जीर्ण छ, जुदा जुदा कर्ताओनी ६ काव्य कृतिओ छे. प्र.सं./६३९० .. परि./१८५५ हरियाली समस्या संग्रह ले.स. १८मुं शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४; २६.३४११ से.मि. प्र.स./६३९१ परि./३३९० हरियाली ले.स. १६६१; हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.५४११ से.मि. __कावतरा (!) मां लखेली आ प्रति शाह समरथने मळी. प्र.स/६३९२. परि./२८७७/१ हरियाली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ३थी ५मु'; २५.३४११ से.मि. पद्य ५५. प्र.सं./६३९३ परि./६४३२/२ हरियाली ले.स. १८००; हाथकागळ पत्र २जु'; २३.८x१०.५ से.मि. पद्य १. प्र.स./६३९४ परि./६५१९/३ हुंबडां अज्ञातकर्तृक रत्नशेखरसूरिशिष्य हुबडा ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र १:२६.४४11 से.मि. पद्य २. पूर्णिमापक्षनी प्रधान शाखाना विनय रभसूरिना शिष्य ऋषि हेमराजे प्रति लखी.. प्र.सं./६३९५ परि./६८५० हुबडा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४११.२ से.मि. गाथा ३१. प्र.स./६३९६ परि./३९८८ हुबडा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.५४११.२ से.मि. गाथा ३१ प्र.स./६३९७ परि./८८७५ Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवादात्मक कृतिओ ८१३ अणखीआं अने गयघटां अज्ञातकर्तृक ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र लु'; ३४.२४१ ०.८ से.मि. अगखी पद्य. ६. प्र.सं./६३९८ गयघटां पद्य ६. प्र.सं./६३९९ परि /६६ १९/२ ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २४:२४१०.८ से.मि. परि./६६१९/३ संवादात्मक कृतिओ भुवनकीर्ति काया जीव संवाद ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २जु; २५.३४११ से.मि. पद्य ८. कर्ता--वि.स. १८ मां थयेला बनेमांधी कोण मे नक्की थतु नथी. (जै. गू. क. भा. २, पृ. १३४; ५७४). प्र.स./६४०० परि./३५०३/५ यशोविजय उपा. (त.) समुद्र वहाण संवाद ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६; २५.८४११.४ से.मि. - कर्ता-तपगच्छमां नयविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स . १८ मी सदीना छे. (ज. गू क. भा. २, पृ. २०). लालचंद वैये प्रति लखी. प्र.सं./६४०१ परि /४ ८२७ लावण्यसमय १-करसंवाद र.स. १५७५, ले.स. १७९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २ थी ४; २६.२४११.३ से.मि. पद्य ६६. ___ कर्ता-तपगच्छमां सोमसुंदरसूरिनी परंपरामां समयरत्नना शिष्य छे. अमना समय .. वि.स. १६ मी सदीना मध्य भागनो छे. (जै. गू. क. भा. १.१.६८). रचना सातीनगरमां थई छे. प्र.स./६४०२ परि./२९१६/२ २-करसंवाद र स. १५७४, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २३.७४ १०.४ से.मि. पद्य ६९. प्र.स./६४०३ परि./६१४७ Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१४ संवादात्मक कृतिओ . ३ - करसंवाद र.सं. १५७४, ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.६x १०.८ से.मि. प्र.सं./६४०४ परि./१५९५ १ - रावणसार संवाद २.सं. १५६२, ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; १९.८x११ से.मि. गाथा ६०. प्र.सं./६४०५ परि. / २७७४ र.स. १५६२; ले. स. १६७८; हाथकागळ पत्र २१ थी २३; २ - रावण मंदोदरी संबाद २५.३४११०८ से.मि. पद्य ६१. प्रति जीर्ण छे. प्र.स ं./६४०६ वीरविजय (त. ) १ - रहनेमि राजुल संवाद ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६•७४१२ से. मि. गाथा ४०. कर्ता - तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे, अमनो समय वि.स ं. १९ मी सदीना छे. (जै. गु. क. भा. ३, ख ं. १. पृ. २०९). प्र.स ं./६४०७ परि. / ५१५९/२ परि. / २ -- रहनेमि राजुल सवाद ले. स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.५९११ से. मि. गाथा ३९. प्र.सं./६४०८ परि./३०७३/१ श्री सारमुनि (ख.) १ - मोती कपासिया संबाद २. सं. १६८९, ले.स. १९मुं शतक (अनु): हाथका गळ पत्र २; २६-२x१००४ से.मि. पद्य १०९, कर्ता - खरतरनी खेमशाखामां रत्नहर्ष वाचकना शिष्य छे. ओमनेा समय वि.सं. १७ मी सदीने छे. (जै. गू क. भा. १, पृ. ५३२). रचना फलोधीमां थई, पाली गामे ऋषि पत्तोजीना शिष्य ऋषि जेसींगजीओ लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६४०९ परि. ७४०७ २ – मोती कपासिया संवाद र.सं. १६८९, ले. स. १६९०; हाथकागळ पत्र २ २५४ १०.५ से.मि. बाथा १०४. वाराणसीना देवसुंदरना शिष्यो लाभसुंदर अने कल्याणसुंदर वगेरे माटे गोवाली गामे प्रति लखाई. परि. / ३८३५ प्र.सं./६४१० Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवादात्मक कृति भो ८१५ समयसुंदरगणि (ख.) १--दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले.स. २० मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.८४११.३ से.मि. ढाळ ४. __ कर्ता-खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना सकलचंद्र उपा. ना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७ मी सदीना उत्तरार्ध ने। छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३३१) रचना सांगानेरमां थई छे. प्र.स./६४११ परि./८००५ २--दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले.सं. १९२७; हाथकागळ पत्र ६; २७.८४११.५ से.मि. प्रति जीण छे. प्र.स./६४१२ परि./१५३३ ३--दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७थी ११; २५.७४१२ से.मि. ढाळ ४. _रचना सांगानेरमां थई छे. प्र.स./६४१३ परि.१८६७/७ ४--दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले सं. १८२२; हाथकागळ पत्र ४; २५.२४११ से.मि. ढाळ ४. बाई खुशाल माटे वेणीरामे प्रति लखी, प्र.स./६४१४ परि./६२६८ ५-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले.स. १८१७, हाथकागळ पत्र ५, २६४१२ से.मि. ढाळ ४. रचना सांगानेरमां थई. ढंढेरिया-तलामां वखतविजयमुनिले प्रति लखी. प्र.स./६४१५ ___ परि./१६५९ ६---दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.३४१०.८ से.मि. ढाळ ४. रचना सांगानेरमां थई. प्रेमकुशलमुनिले प्रति लखी. प्र.स./६४१६ परि ६५१४ ७--दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२, ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र पथी ५; २५४११.३ से मि. पद्य ९६, ढाळ ४. रचना सांगानेरमा थई. प्र.स./६४१७ परि ४०२०/१ Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१६ संवादात्मक कृतिओ ८-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स १६६२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.२४११ से.मि. गाथा १०१, ढाळ ४. रचना सांगानेरमां थई छे. ललितप्रभसूरिना शिष्य भनजी मुनि लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१४१८ परि./३८४४ ९-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 3; २५.६४११ से.मि. गाथा १०१, ढाळ ४. प्र.स./६४१९ परि./४६१३ १० - दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६३; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १४ थी १७; २५.५४११.२ से.मि. ढाळ ४. प्र.सं.६४२० ____ परि /७११५/५ ११-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२; ले.स. १६७८; हाथकागळ पत्र ४; २५.६४१०.८ से.मि. __अंचलगच्छना कल्याणसागरसूरिना शासनमां भूजनी श्राविका शिवादे माटे भूजनगरमां प्रति लखाली छे. प्रस./६४२१ परि./३५६२ १२ -दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.७४११.२ से मि. ढाळ ४. रचना सांगानेरमां थई. प्र.सं./६४ २२ परि/४४३५ १३--दान-शोल-तप-भावना संवाद र स. १६६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र ५; २४.९४१ ०.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.स ./६४२३ परि./८८६८ - अज्ञातकर्तृक मीनीमूषक वाद ले.स १७९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २जु; २४.२४ १०.८ से.मि. गाथा ५. प्र.स./६४२४ परि./६६१९/४ वर्णन न्यायसागर (त.) नेमराजुलगुण वर्णन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३ थी ४४. २५.५४ ११.३ से.मि. पद्य ११. कर्ता-तपगच्छमां उत्तमसागरना शिष्य छे. अमने। समय वि.स. १८ मी सदीना छ. (जै. गू क. भा. ३. खं. २. पृ. ५४२) आ रचना जै. गू. क. मां नेांधायेली नथी. सुरतमां प्रति लखेली छे.. प्र.स./६४२५ परि./३७५०/१७ Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वर्णन शंकर कवि जरासंध युद्धवर्णन ले.स ं. १७९८; हाथकागळ पत्र २जु; २१.८x१०.७ से.मि. कर्ता-- मात्र नामनिर्देश मळे छे. पण वि.सं. १७ मी सदीना उत्तरार्ध मां नांघायेला छे, ओ होवानी संभावना (कविचरित भा. १, २. पृ ५२७). परि. / ८६९५/४ प्र.सं./६४२६ समरो भरतेश्वर ऋद्धि वर्णन ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १थी ३; २६ ११.२ से.मि. कर्ता -- वि.सं. १५मी सदीमां नांधायेला छे. (जै. गु. क. भा. ३. ख. २. पृ. १४८२). परि./४५६५/१ प्र.सं./६४२७ सुखसागर ( त . ) ज्ञानविमल गुरुवर्णन ले.स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ६२ थी ६५; २५.८४ ११.४ से.मि. गाथा १६. कर्ता — तपगच्छमां सत्यविजयगणि संतानीय छे. ओमनी वि.सं. १७६९नी रचना नेांधायेली छे. (जै गु. क. भा. २. पृ. ५१३) आ रचना जे. गू. क. मां नांधायेली नथी. परि०/९२७/६६ प्र.स ं./६४२८ ८१७ अज्ञातक' क जिनचंद्रसूरि वर्णन ले.स १८ शतक (अनु.) : हाथकागळ पत्र २ थी ६, १९.२४ १० से.मि. प्र.सं./६४२९ परि./८१८४/२ जिनरत्नसूरि वर्णन ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; १९.२x१० से.मि. परि./८१८४/३ प्र.स ं./६४३० जिनसिंहसूरि वर्णन ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; १९.२x १० से.मि. प्र.स ं./६४३१ परि./८१८४/१ बारमास वर्णन ले.स. २० शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १लु; २४४११ से.मि. पद्य १२. परि. / ७६३३/२ बारव्रतालापक ले.स. १८ मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र १ थी २; २८४११ से.मि. परि./१८३४/१ प्र.सं./६४३२ प्र.सं./६४३३ १०३ Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ . तीर्थस्थान गीतो महावीर पंचकल्याणक महोत्सव ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २०; २४.५४१०.९ से.मि. प्र.सं./६४३४ परि./४३५५ रत्नश्रावक उद्धार ले स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थु; २६.४४११.1 से.मि. गाथा ७. प्र.स./६४३५ परि./८२८५/११ राजसागरत्रि गुणवर्णन ले.स. १९६८; हाथकागळ पत्र ११; २७.४४१३.१ से.मि. केशवलाल दलसुखे अमदावादमा प्रति लखी. प्र.स./६४३६ परि./३७७ रावणनी लंकानु वर्णन ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५५९; २६४ ११.३ से.मि. प्रस./६४३७ परि./३७१८/२ हीरविजयसूरि संबंध ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.७४११ से.मि. प्र.म./६४३८ परि./५९४२ तीर्थस्थान गीतो अमृतविजय (त.) १-तीर्थमाला र स. १८४०; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २६.८x १२.३ से.मि. तूटक. कर्ता-तपगच्छमां विजयदेवसूरिनी परंपराना विवेकहर्षना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १९ ने। छे. (जे. गू. क. भा. ३. ख. १. पृ. १६१) पत्र लु' नथी. प्रेमचंद शेठनां संघर्नु वर्णन छे. प्र.स./६४३९ परि./१६४८ २-तीर्थमाला र स. १८४०; ले.स. १९११; हाथकागळ पत्र १२; २६.५४१२ से.मि. बनमालीदासना पुत्र दवे वजेराजरामे शेठाणी हरखुवरबाई माटे प्रति लखी. प्र.स./६४४० __ परि./८७३ ३--तीर्थमाला र.स. १८४० ले.स. १८७८; हाथकागळ पत्र ७; २६.९४१३ से.मि. तूटक. हर्षविजय अने जितविजय माटे लखेली प्रतिनुं प्रथम पत्र नथी. प्रस./६४४१ परि/९५३ ४---शत्रुजय तीर्थमाला र.स. १८४०; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २५.४४११.५ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.स/६४४२ परि./१८२३ Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीर्थस्थान गीतो ८१९ ५--शत्रुजय तीर्थमाला र.सं. १८४०, ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ८; २७.१४१३.१ से.मि. सरदारगामे श्राविका बाई रळियात माटे जीतविजयगणिसे प्रति लखी, प्र.स./६४४३ परि/७९०/१ ६--शत्रंजय तीर्थमाला २.सं. १८४८, ले.स. १९१७; हाथकागळ पत्र १थी १२; २००२४१३.८ से.मि. प्र.सं./६४४४ परि./८१२७/१ ७-.-सिद्धाचल तीर्थमाला र.स. १८४०, ले.स. १८६७; हाथकागळ पत्र ८; २६.८x १२.२ से.मि. प्र.सं./६४४५ परि./८२७ ८--विमलाचल तीर्थमाला र.सं. १८४०, ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र; २७.१४१२.८ से.मि. प'. पुण्यविजयगणिना शिष्य रामविजये प्रति लखी. प्र.सं./६४ ४६ परि./२३३ ९--विमलाचल तीर्थमाला र स. १८४०, ले.स. १८५७; हाथकागळ पत्र ८, २७x १२ से.मि. ढाळ १०, तूटक कर्तानु नाम प्रतिमा आपेलु नथी, परंतु कृति मेळवता आगली बधीने मळती आवे छे. पत्र १लु नथी. ५. साधु जीवविजये प्रति लखी. प्र.सं./६४४७ ... परि./८२२ उत्तमविजय आबु तीर्थमाला ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथ कामळ पत्र ५; २४.७४११.३ से.मि. तूटक. कर्ता--दरेक ढाळने अंते मात्र नाम निर्देश मळे छे. त्रणमाथी कया ओ नकी नथी . थतु. (जै. गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. १-१५०-२९५). पत्र २जु नथी प्र.सं./६४४८ परि./६४६. उदयानंदसूरि श'जय संख्या संघपति उद्धार ले.स. १७९ शतक (अनु ); हथिकागळं पत्र १४थी १५: २६.४४११.१ से.मि. पद्य १८. कर्ता--मात्र मामनिर्देश मळे छे (गाथा १८). प्र.स./६४.४९ परि./८२८५/३७ Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२० नयसुंदर (बत ) गिरनार तीथेद्धार ले.स ं. १९१४, गाथा २०२. हाथका गळ पत्र १थी ७; २५.८४१३.६ से.मि. कर्ता - - वडतपगच्छना धनरत्नसूरिनी परंपरांना भानुमेरुना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, पृ. थई छे. तेज विजयगणिओ प्रति लखी. २५४) रचना दधिग्राम ( देहगाम) मां प्र. सं. / ६४५० परि./१३/१ १ -- शत्रुंजय उद्धार र. स. १६३८; ले. स. १६४२; हाथकागळ पत्र ७ २६४११. से.मि. पद्य १२३. तीर्थस्थान गीतो आनंदविजय गणिना शिष्य रंगविजय माटे लाटपल्लीमां शिवविजये प्रति लखी. परि./२९१० प्र.सं./६४५१ २ - शत्रुंजय उद्धार रस. १६३८ ले.स. १७३६; हाथकागळ पत्र ४; २४.८४११ से.मि पद्य १२१. रचना अमदावादमां थई छे. प्र.सं./६४५२ परि. / ४१.७ ३- शत्रुंजय उद्धार २.सं. १६३८; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५०८४११ से.मि. १३ १२१. बावनगरीमा प्रति लखेली छे. रचना अमदावादमां थई छे. प्र.सं./६४५३ परि./३११७/२ ४--शत्रुंजय उद्वार २.सं. १६३८; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २४४१०.५ से.मि. पद्य ११८. प्र.सं./६४५४ परि. / ७६३९ ५ -- शत्रुंजय उद्धार र. स. १६३८; ले. स. १८ शतक (अनु.) ; हाथका गळ पत्र ४ ; २४.७४१०.८ से.मि. रचना अमदावादमां पई सूर्यपुर बंदरमां मुनि दोततिसुंदरे प्रति लखी. प्र.स . / ६४५५ परि./१२०२ ६- शत्रु जय उद्धार २.सं. १६३८; ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ७; २४-७९१०५ से.मि. रचना अमदावादमां थई छे. प्र.सं./६४५६ परि. / ५०९३ ७- शत्रुंजय उद्धार २.सं. १६३८; ले.स. १८ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ४; २१x११.३ से.मि. प्र.सं./६४५७ परि / २७३९ Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीर्थस्थान गीतो ८२१ ८--शत्रुजय उद्धार र.स. १६३८; ले.स. १७७९; हाथकागळ पत्र १०; २५.२४ ११.५ से.मि. रचना अमदावादमां थई छे. प्र.स./६४५८ परि./१५८४ ९---शत्रुजय उद्धार र.स. १६३८; ले.स. १८२५; हाथकागळ ५३ थी ८; २४.४४ ११.३ से.मि. पद्य ९८. प्र.सं./६१५९ परि./४९११/१ 10~-शत्रुजय उद्धार र.स. १६३८; ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २६.७४११.८ से.मि. रचना अमदावादमा थई. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४६. परि./२२३ न्यायसागर गिरिनार तीर्थ माला र.स. १८४३; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २१४१३ से.मि. पद्य १०३. कर्ता--मात्र नामनिदेश छे. कदाच कोई विवेकसागरना शिष्य लागे छे. आ कर्ता जै. गु. क. के जै. सा. इति. मां नेांधायेला नुथी. प्रति पाटणमां लखेली छे. प्र.स./६४६१ परि./८१२४ मेह कवि तीर्थ माल ले.स. १६मुं शतक (अनु.); हाथ काग पत्र ५, २६.३४११.२ से.मि. पद्य ८९. कर्ता--कर्ता वि.स. १५ मां नेांधायेला छे. मात्र यामनिर्देश मळे छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २८.) प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४६२ परि./८८०७ रूपविजय संघवी त्रिकम कानजीना संघनुं वर्णन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २३.६४१०.१ से.मि. ढाळ ३. तू.टक. ____ कर्ता--छेल्ली पंक्तिमा मात्र नामनिर्देश मळे छे. पत्र १लु नथी. प्र.स./६४६३ परि./४११५ ललितप्रभ (पौ..) १---पाटण चेत्यप्रपाटिका ले.स. १६४८; हाथकागळ पत्र १२; २७४१०.८ से.मि. कर्ता--पूर्णिमागच्छमां कमलप्रभसूरिनी परंपराना पुण्यप्रभाना शिष्य, वि.सं. १७ मी सदीमां थया. (जै. गु. क. भा. ३, पृ. ३२१). आ प्रति कर्ताना समयनी लखा येली छे. अमनो 'चंदराजाना रास' वि.स. १६५५ना रचेलो मळे छे. (सेजन). प्र.सं./६४६४ परि./६८३ Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२२ तीर्थस्थान गीतो २-~-पाटण चैत्यपरिपाटिका ले.स. १६४८; हाथकागळ पत्र १२; २७४११.२ से.मि. मुनि गुणजी लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४६५ परि./३६२७ ३-पाटणचैत्यप्रवाडी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ७; २५.५४ १०.६ से.मि. पद्य २०.. प्र.सं./६४६६ परि./३८२७/१ लाधाशाह (क.) पाटणचैत्यपरिपाटी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र १२, ११४१३ से.मि. कर्ता--कडवागच्छ ना कडवो>खीम>वीरो>जीवराज>तेजपाल>रतनपाल> जिनदास>तेज>कल्याण>लघुजी>थोभणना शिष्य छे. वि.स. १७६४नी अमनी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. भा, २, पृ. ४९६). प्र.स./६४ ६७ परि./८६४३ वीरविजय सिद्वाचल गिरनार संघ स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथ का गळ पत्र ९; २८x ११.८ से.मि. ___ कर्ता--तपगच्छीय सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य, वि.स. १९ मी सदी मां थया. (जै. गू, क. भा. ३; ख. १, पृ. २०९). प्र.स./६४६८ परि./१५२७ हेमाभाई शेठ सिद्धाचल संघवर्णन ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.३४११.३ से.मि. ___ कर्ता--तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १९ नो छे. (जै. गु. क. भा. ३, ख. १. पृ. २०९). मूळ प्रति वि.स.१८८६मां लखेली छे. जेना उपरथी प्रस्तुत प्रति लखेली छे. जे. गू. क. मां नेांधायेली कृति अने आ रचना जुदी जुदी छे. प्र.स./६४६९ परि./३५८९ सिद्धाचल खमासणा ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र , थी ३; २६.९४ ११.६ से.मि. पद्य ३९. प्र.स./६४७० परि./८२५९/१ हर्षविजय (त.) १--पाटणचैत्य प्रवाडी र.सं. १७२९; ले.सं. १९७०; हाथकागळ पत्र ३ थी७; २६.३४ १२.२ से.मि. पद्य ८८. कत:--तपागच्छना विजयदेवसूरि>साधुविजयना शिष्य छे समय वि.सं. १८ मी सदीना (जै. गू. क. भा. ३, ख. २. पृ. १२७१). प्र../६४७१ परि./८४१८/२ ww Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीर्थस्थान गीतो ८२३ २--पाटणचैत्य प्रवाडी स्तवन ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.५४ ११ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्रस./६४७२ परि./४८०५ हंससोम (त.) पूर्वदिशि तीर्थ माल र.सं. १५६५; ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ४२ थी ४ ४ : २७४ ११.७ से.मि. गाथा ५२. ___ कर्ता--तपगच्छमां हेमविमलसूरिनी परंपराना कमलधर्मनः शिष्य छे. अमनेा समय वि.सं. १६ ना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ११३). सीरोही गामे विद्यासागरसुरिना शिष्य कर्मसंदरे प्रति लखी. प्र.स./६४७३ परि./८४६०/१८ अज्ञातकर्तृक रत्नशेखरसूरि-शिष्य (त.) गिरनार चैत्यपरिपाटी ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.५४ ११.३ से.मि. ___ कर्ता-तपागच्छीय होई शके. (जै. सा. इति., पृ. ५२३, फकरो ७६७). प्रति जीण छे. ___ परि./८३०१ प्र.स./६४७४ गिरनार चैत्यपरिपाटी ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ६; २६४ ११. से.मि. प्र.स./६४७५ परि./३२११/३ गिरनार चैत्यपरिपाटी ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १थी ३; २६४ 11 से मि. पद्य ४०. प्र.स/६६७६ परि./२९७०/१ गिरनार चैत्यप्रवाडी विनती ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२ थी १३; २६.४४११.१ से.मि. पद्य ३३. प्र.स./६४७७ परि./८२८५/३५ चित्रकोट चत्यप्रवाडी ले.स. १७मु शतक (अनु ); हाथकागळ पत्र १०; २६.५.११.३ से.मि. पद्य ९४. प्र.स./६४७८ परि./६१७२ १--शत्रुजय चेत्य पवाडी ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी १२; २४४९.९ से मि. पद्य ४१. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४७९ परि./८६०१/३ Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीर्थस्थान गीतो २ -- शत्रुंजय चेत्यपरिपाटी ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; १५०८४१०९ से.मि. पद्य ४१. प्र.स ं./६४८० परि /८४२० ३ - शत्रुंजय चेत्यपरिपाटी ले.स. १६ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १७५ थी १७६ : २४ ९.९ से.मि. पद्य ३६. प्र.सं./६४८१ परि./८६०१/११२ ४ - - शत्रुंजय चेत्यपरिपाटी ले.स. १७मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २६५११ सेमि. अपूर्ण. प्रसं./६४८२ ८२४ परि. / ९९७०/३ शत्रुंजय संघयात्रा वर्णन र.स. १७३५, ले.स. १८ युं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ३; २५.३४१०.४ से.मि. स्तंभतीर्थमां कपूरबाई संघयात्रा, समय वि.सं. १७३५. प्र.सं./६४८३ परि. / ५९४३ शाश्वत जिन चेत्यपरिपाटी ले. सं. १८५४; हाथकाघळ पत्र १०; २६० ५ ११.९ से.मि. प्रति राजनगरमा लखाई. प्र.सौं / ६४८४ परि. / १०७२ निर्वाण - वर्णन अमृतविजय (त.) पुण्यविजयगुह निर्वाण ले.स. १९मुं शतक (अनु.): हाथ कागळ पत्र ८ २६०५४१२ से.मि. लूटक. कर्ता -- तपगच्छमां रंगविजयना शिष्य छे (पत्र ८). ( जै. गृ. क. भा. ३, ख. पू. १६१, ३४४मां नांघायेला बेमांथी ओके आ मथी. पत्रो १थी ३ नथी. १, परि. / ३३४६ प्र.सं./६४८५ उत्तमविजय (त. ) १ -- जिनविजय निर्वाण र.सं. १७९९, ले.सं. १८०६ हाथकागळ पत्र ११; २५.४x ११.५ से मि . कर्ता -- तपगच्छमां सत्यविजय संतानीय जिनविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १९मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख ं. १, पृ. १). परि./५५३४ प्र.सं./६४८६ २ --- जिनविजयनिर्वाण २. सं. १७९९, ले. सं. १८०६; हाथकागळ पत्र ११, २५.८४ ११.५ से.मि. प्र.सं./६४८७ परि. / ५५३४ Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निर्वाण-वर्णन ८२५ ३ --जिनविजयनिर्वाण २.स. १७९९, ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ४; २५.५४१२.२ से.मि. सं./६४८० परि./२६०८ ज्योतिरस्न भावप्रभसूरि निर्वाण र.स. १८०५. ले स. १८०५, हाथकागळ पत्र ६; २५.३x ११.६ से.मि. ____ कर्ता--महिमा प्रभसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि स. १९मी सदीना छे (पत्र ६). कर्ताना स्वहस्ताक्षर समकालिक प्रति छे. प्र.स./६४८९ परि./२१०२ भावरत्न के भावप्रभसूरि (पू) महिमाप्रभसूरि निर्वाण र.स. १७८२, ले.सं. १७८४: हाथकागळ पत्र ८; २६४ ११.२ से.मि. डाळ ९, ग्रंथाग्र २६२. कर्ता--पूर्णिमागच्छमां ललित प्रभसूरिना शिष्य छे. अमनेा समय वि स. १८ना छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. २, पृ. 1४२४). कर्ताना स्वहस्ताक्षर प्रतिना छेल्लो केटलोक भाग अमना शिष्य प्रयागजी) लखो प्रति संपूर्ण करी. प्र.सं./६४९० परि./२२५० सौभाग्यविजय विजयदेवरिनिर्वाण ले.स १९ शतक (अनु.); हाथ का ... पत्र ३: २४.५४११ से.मि घा २७. कर्ता--तपगच्छमां साधुविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८ मी सदीना छे. (जै. गु. क. भा. २, पृ. १८०). रचना जीरणगढमां थई. प्र.सं./६४९१ परि./३९६० पट्टावली-गुर्वावली अंचलगच्छ पट्टाबली ले स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५९; २५.८४११.३ से.मि. प्र.सं./६४९२ परि./५८१६ अंचलगच्छ पट्टावली ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २; २६...४१०.८ से.मि. अपूर्ण. पाट ६६मी अमरसागरसूरि सुधी. प्र.सं./६४९३ परि./६८०२ १०४ Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पट्टावली अंश्लगच्छ पट्टावली ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १३; २६.५४१२ से.मि. प्र.सं./६४९४ परि./२१७६ अंचलगच्छ पट्टावली ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २१; २४.३४११ से.मि. परि./४९२६ खरतरगच्छ गुर्वावली ले.स. १७५५, हाथकागळ पत्र १०; २४.६४१०.८ से.मि. ___ महावीरथी जिनसागरसूरि सुधी वि.स. १७२० प्र.स./६४९६ परि./२५९४ खरतरगच्छ पट्टावली ले स. १९३६; हाथकागळ पत्र ९: ३०x१८.५ से.मि. सवालज्ञातिना ब्राह्मण दालतरामजीना पुत्र शिवदास खूबचंदे ब्राह्मणरोड उपर रत्नपुर गामना नवावासमां प्रति लखी. प्र.सं./६४९७ परि./७१९० जल्लपट्ट आदि ले.स १९#शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ८. थी ९; २६.६४ ११.५ से.मि. प्रसं./६४९८ परि./१८०२/२ तपगच्छ पट्टावली ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २६.३४१३ से.मि. प्र.स./६४९९ ___ परि/२५९ तपगच्छ पट्टावली ले.सं. १७७९; हाथकागळ पत्र ६; २५.५४११.७ से.मि. i विद्यऋद्धिसरि> हस्तिविजयगणिना शिष्य विद्याविजयमुनि प्रति लखी. प्र.स/६५०० परि./४८७६ तमागाछ पट्टावली ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २१.७४११.२ से.मि. अपूर्ण, ६१मा पाट सुधी. प्र.सं./६५०१ परि./७७८० तरगच्छ पट्टावली ले.स. १९१ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १३; २६.५४१२ से.मि. प्रस./६५०२ परि./७४९४ तपागच्छ पट्टावली ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २: २५.३४१०.५ से मि. विजयदयासूरि सुधी. प्र.स./६५० परि./५७७९ १-तपगच्छ पट्टावली ले.स. १९मुंशतक (अनु); हाथकागळ पत्र २, २५.८x११ से.मि. ६६मा पट्टधर विजयजिनेद्रसूरि सुधी प्र.स./६५८४ परि./६९२२ २--तपागच्छ पट्टावली ले.स. १८६१: हाथकागळ पत्र ९; २३.५४११ से.मि. विजयजिनेद्रसूरि सुधी प. पुण्यविजये पलांसुपा नगरमां प्रति लखी. प्र.स./६५८५ परि./८२७० Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पट्टीवली ८२७ १-तपागच्छीय पट्टावली ले.स १९९ शतक (अनु.): हाथकांगळं पत्र ५, २५-२४ ११.८ से.मि. विजयधर्मसूरि सुधी. प्र.स./६५०६ परि./७१७२ २--तपगच्छ पट्टावली ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४; २४.६४ १०.६ से.मि. त्रिपाठ विजयधर्मसूरि सुधी ६५ पट्टधर प्र.स./६५०७ परि./१९७४ ३--तपगच्छ पट्टावली ले.स. १८९३; हाथकागळ पत्र ३, २६.३४11.५ से.मि. ६२ मां पट्टधर विजयधर्मसूरि सुधी. प्र.स./६५०८ परि./६८०४ पट्टावली ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६.३४१२ से.मि. अपूर्ण. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६५०९ परि./६५७ पट्टावली ले.स. १८५२; हाथकागळ पत्र २२; २५४१ ०.८ से.मि. तूटक पत्रो १, २, ६ थी १२ नथी-संस्कृत अने गुज. बंने भाषा वापरेली छे. प्र.स./६५१० परि./१ ९७३ पूर्णिमागच्छ गुरुपट्टावली ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.५४ ११.७ से.मि. प्र.स./६५११ परि./९१४ युगप्रधान पट्टावली ले.सं. १७७५, हाथकागळ पत्र ३, २६.२४११.५ से.मि. प्र.स./६५१२ परि./३३३ लोकागच्छ पट्टावली ले.स. १९३१; हाथ कागळ पत्र ३; २५४१०.३ से.मि. ऋषि रायचंदजीमे १८२६ मां प्रति लखेलो अमां लाल शाहीथी लखेलु छे के रामकृष्ण साधुओ प्रति (१९३१ मां) लखी. प्र.स./६५१३ परि./६८८५ विधिपक्षगच्छ पट्टावली ले.स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ४; २४.५४११ से.मि. ,प्र.स./६५१४ परि./४०३९ सागरगच्छ पट्टावली ले.स. १८३७; हाथकागळ पत्र १०; २५.५४१२ से.मि. वटपत्तननगरमां न्यायसौभाग्य मुनिओ प्रति लखी. प्र.स./६५१५ परि./११४. Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सलोको जसराजमुनि सीधजी आचार्य नेा सलोको र.स. १७२५; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; १९.३४११.३ से.मि. पद्य ४०. कर्ता- कोई समरसिंधना शिष्य छे. इंगोलीमां रचना थई छे. प्र.स./६५१६ परि /८१६९ विनीतविमल (त.) 1-विमलमंत्री सलोका ले.सं. १८३९: हाथकागळ पत्र ४; २८.१x१२.७ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां शांतिविमलना शिष्य छे. अमना समय वि स. १८मी सदीना छे. (ज. गू. क. भा. २. ख २. पृ. १३४३.) प्रस./६५१७ परि./३०३ २-विमलमंत्रीश्वरना सलोको ले.स. १९# शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ४; २६.३x ११.८ से.मि. पद्य १११ तूटक. पत्र १लुं नथी. प्र.स./६५१८ परि./४२६४ ३-विमलशाहना सलोको ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; १६.३x ११ से.मि. पद्य १०७ तूटक. पत्रो १ थी ३ नथी. टेकचंद मोदी माटे पं. रामसागरजी प्रति लखी. प्र.सं./६५१९ परि./८६१३ कळश (अर्ध तिहासिक) पौराणिक व्यक्तिनो जीवनना प्रसंगनू वर्णन अडिसो अभिषेक कलश ले.सं. १८५४; हाथकागळ पत्र ५; २५.५४१०.४ से.मि. क्षेमकुंवरबाई माटे सागरगच्छना पं. मयासागरे प्रति लखी. प्र.सं./६८ २० परि./५४९९ आदिनाथ जन्माभिषेक कलश (स्नात्रविधि) ले.स. १८४२; हाधकागळ पत्र १ थी ३ २४.५४१०.५ से.मि. गाथा ११ सुधी. बहादुरे लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६५२१ परि./५२७४/१ Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केळश . ८२९ पार्श्वनाथ कलश ले.स. १८४९; हाथकागळ पत्र ३; २५.२४१०.७ से.मि. गाथा ४० ग्रंथाग्र ७०. वटपदनगर (वडोदरा)मां, शा. वीरचंद रत्नाजी प्रति शा. खुशालचंद मूलचंद माटे लखी. प्र.स./६५२२ परि./५४५५ पार्श्वनाथ जन्माभिषेक कलश ले.स. १८२२: हाथकागळ पत्र ३; २२.७४ ११.३ से.मि. पद्य ३.. प्रस./६५२३ परि./७३२२ शांतिनाथ कलश ले.स २०९ शतक (अनु.);हाथकागळ पत्र २, २५.५४११.७ से.मि. प्र.सं./६५२४ परि./१७०१ मंगलसूरि (बृ.त.) महावीर जन्माभिषेक कलश ले.स. १८९ शतक(अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.९४ ११.३ से मि. कर्ता-बृहत्तपगच्छना वादिदेवसूरिनी परंपरामांना रामचंद्रसूरिना शिष्य छे आ रचनाने आधारे अमने १६मा शतकमां मूकी शकाय. (मो.द.इ. पृ. ६०८-फकरो ८९७.) प्र.स./६५२५ परि./५०६३/३ रत्नाकर (बृ.त.) 1-आदिनाथ जन्माभिषेक कलश ले.स. १८ मु शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १लु; २४.९x११.३ से.मि. ____ कर्ता-आ नामना मेक कर्ता बृ.तप.ना नेांधायेला छे. (जे. गू, क. भा. ३, ख. १, पृ. ४५४). समय वि.ना १६मा शतकनो छे. (जै. सा. इति. १. ६०८, फकरो ८९७). प्र.स./६५२६ परि./५०६३/२ २-आदिनाथ जन्माभिषेक कलश ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४; १७.५४८.९ से.मि. गाथा ११. प्र.सं./६५२७ परि./८२१०/२ बच्छ भंडारी पार्श्वनाथ कलश ले.स. १८४२; हाथकागळ पत्र ३ थी ४.२४.५४१०.५ से.मि. गाथा १७. ____ कर्ता-वि.सं. १६मां शतकना श्रावक छे. (जै. सा. इति. पृ. ६०८-फकरो ८९७). प्रति जीण छे. लिपिकार वहादुर, प्र.स./६५२८ परि./५२७४/२ शिवसमुद्रगणि (त.) पार्श्वनाथ जन्माभिषेक ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.२४ १०.५ से.मि. गाथा. १७. कर्ता--सपगच्छना सोमसुंदरसूरिना शिष्य छे. (गा. १७.) समय वि.सं. १५१७ (२. प्र. सं. पृ. २२-९६). जै. गू, क. के . सा. ईति. मां आ कर्ता नेांधायेला नथी. प्र.सं./६५२९ परि/६८९९ Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कागळ-पत्र-लेख कमलविजय (त.) सीमन्धर जिन लेख र.सं. १६८२. ले.स. १७४२; हाथकागळ पत्र ३; २५.२४११ से.मि. गाथा ८५ ग्रंथान १२१. ___ कर्ता--तपगच्छभां हीरविजयसूरिनी परंपराना विजयरेनसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७ नो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. ५१३.) नटीपद्रमा प्रति लखेली छे. प्र.स ./६५३० परि./६०८६ जयवंतसूरि (त.) स्थूलिभद्र कोशा लेख. ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुं; २६४११ से.मि. पद्य ६. कर्ता--वडतपगच्छमां विजयरत्नसूरिनी परंपराना विनयमंडनना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ मी सदीनो छे. (जै. गू. क. भा. १. पृ. १९३-भा. ३. ख. १. पृ. ६६६). आ रचना जै. गू. क.मां नेांधायेलो नथी. प्र.स./६५३१ परि./३०६७/३५ सीमंधर स्वामी लेख. ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.८४११.२ से.मि. पद्य ३८. __हेमराज माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./६५३२ परि./६४२१ जयविजयगणि (त.) विजयसेनसूरि लेख र.स. १६५६. ले.स. १६५६; हाथ कागळ पत्र ४, २५.६४ ११.२ से.मि. ___ कर्ता--विजयसेनसूरिना शिष्य लागे छे. कर्ताना स्वहस्ताक्षरवाळी समकालीन प्रति, विवेकविजय माटे लखेली छे. प्र.स./६५३३ परि./७०७६ ज्ञानसागर (अं.) राम लेख. र.स. १७२३. ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १; २५.७४ १७.५ से.मि. पद्य ५० ढाळ ५. कर्ता-अंचलगच्छमां गजसागरप्रिनी परंपराना माणिक्यसागरना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८ मी सदीना पूर्वार्धनेा छे. (जै. गू. क. भा. २. पृ. ५७) प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६५३४ परि./४६४९ Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्र-लेख ८३१ दीपविजय (त.) १-गुणावली राणी लेख ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.२४१२ से.मि. पद्य ३७. कर्ता- तपगच्छमां प्रेमविजय अने रत्नविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १९ मी सदीना उत्तरार्धने। छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख . १. पृ. १९९.) कुडारदमां पं. मेघविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./६५३५ परि./१०९५/२ २--गुणावली राणी लेख ले स. १९१३; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४४१२.२ से.मि. पद्य ६५. ऋषभविजयना सहवासी पं. रंगविजये प्रति लखी. प्र.स./६५३६ परि./१११३/१ श्री चंद्रराज लेख ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४१२ से.मि. पद्य ३३. प्र.स./६५३७ परि./१०९५/१ मोहनविजय चंदराज लेख ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४१२ से.मि. पद्य ३३. ___कर्ता--आ रचना खरेखर तो 'दीपविजय'ने नामे नांधायेली छे से ज छे. जुओ परि./१०९५/१:२. लहीआओ आ रचनाने अंते 'दीपविजय' लख्या पछी अनी उपर छेको मूकी 'मोहनविजय' कर्यु छे जे स्पष्ट चाय छे. बीजी कृतिमां स्पष्ट मोहनविजय लख्यु छे, जे पण दीपविजयनी ज छे. प्रस./६५३८ परि./४३०४/ गुणावली लेख ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४१२ से मि. पद्य ३७. (जुओ परि./४३.४/१) प्र.म./६५३९ परि./४३०४/२ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.५४ रणछोड़ ___ कृष्ण उपर गोपीने। कागळ ११.२ से.मि. प्र.सं./६५४० परि./६४२०/२ रूपविजय (त.) १-नेम-राजुल लेख. ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २५.८४११.८ से.मि. पद्य १९. कर्ता--तपगच्छमां विनयविजय उपा. ना शिष्य छे. (पद्य १९.) जै. गू क. भा. ३, ख. १. पृ. २४९ मां नेांधायेली व्यक्ति आ नथी. प्र.सं./६५४१ परि./२०३५/ Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३२ २ - नेम राजुल लेख. ले.स. १९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ लुं; २५०७४ ११.२ से.मि. पद्य १९. प्र. सं / ६५४२ परि./६२०५/१ सजन पंडित स्थूलिभद्रकोशा कागळ ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र थी २; २६x १०.५ से.मि. पद्य ६. कर्ता — मात्र नामनिर्देश छे. ( कडी ६). प्र.सं./६५४३ अज्ञातकर्तृक गुरुनामा मात्र निर्देश कृतिना नामनेा अकारादिक्रम जससोम शिष्य ( जयसोम ? ) नेमिनाथ लेख ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथ कागळ पत्र १० थी ११ ; २४.५X११ से.मि. पद्य २३. कर्ता - तपगच्छमां जयसोमना शिष्य (जै. गू. क. भा. २. पृ. १२६ ). आ रचना जे. गू. क.मां नांधायेली नथी - कर्ता 'जयसोम' के कोई बीजा में संशोधनीय छे. प्र.सं./६५४४ परि. / ६३८४/७ जीव चेतना कागळ ले. स. २० शतक (अनु); हाथका गळ पत्र ७; २७४१२ से.मि. प्र.सं./६५४५ परि./६१६ पाणीपंथथी भाई पद्मसेने हाजरावाद भाई रतनसेन उपर लखेलो पत्र ले.स. १८३६; हाथ कागळ पत्र १, १२-२४२६ से.मि. प्र.स . / ६०४६ विजयधर्मसूरि उपर अमरकडा नगरीना श्री संघे लखेलो विज्ञप्ति पत्र हाथ कागळ पत्र ७; १६-२x११.७ से.मि. श्री बिजये प्रति लखी. प्र.स ं./६५४८ परि./६९२० वालेसर लेख ले. स. २० शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २ थी ३; २३.८×१२.७ से. मि. पद्य १९. प्र.सं./६५४७ सीमंधरस्वामी उपर कागळ १२.२ से.मि. प्र.स ./६५४९ पत्र - लेख प्र.स ं./६५५० परि./३५५८/३ स्नेही पर पत्र ले. स. १९ भाषामां हिन्दीनी असर छे. परि./८३९०/२ परि./८६११ ले. स. १९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५: २६-२४ ले. सं. १८०५ परि./६४३ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३जु; २५.८४११.५ से.मि. परि०/४३३६/२ Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम-यादी समयराज (ख.) चतुर्विशति तीर्थ करनाम स्व-स्वोत्त्यत्ति नगरीप्रमुख सप्त सप्त प्रकार ले.स. १८९ शतक (अनु), हाथकागळ पत्र १; २६.४४११.१ से.मि. पद्य २२. कर्ता - खरतरगच्छमां जिनचंद्ररिना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू क. भा. ३, ख. 1, पृ. ८८४.) साध्वी सुवर्णलक्ष्मी माटे प्रति लखेली छे. प्र.स./६५५१ परि./८५५४ संयमरत्नसूरि हरखाई श्राविका ग्रहण करेला इच्छा परिमा ले.स. १६१८; हायकगळ पत्र २; २६४१०.६ से.मि. पद्य २९. प्र.स./६५५२ परि./६००० आगमोमां श्रावक अने श्राविकानां नामो ले.स. १७९८; हाथकागळ पत्र १६; २५.५४ ११ से.मि. बूमीनगरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./६५५३ परि./v७३१/२ अनागत चोवीसी नाम ले.स. १७०1; हा पकागळ पत्र ७९; २५.१४८ से.मि. . प्र.स./६५५४ परि./७८१०/९ अकसो वरना नाम ले.स. १९९ शतक (अनु.); द्वाथकागळ पत्र ३ थी ४, २५.५४ ११.५ से.मि. घोघाबंदर भीमकुशलमुनि प्रति लव. प्र.स./६५५५ परि./५०२८/३ भेकसो साडत्रीस (१३७) आभूषणनां नाम ले.स. १९९ शतक (भनु.); हाथकागढ १५ २ थी ३, २५.५४११.५ से.मि. प्र.स./६५५६ परि./४०२८/२ अज्ञातकर्तृक चोर्याशी छ तथा न्यातना नाम ले.स. १९मुशतक (अनु.); हाथकामक पत्र १; २७.७४ १२ से.मि. प्र.स./६५५७ परि /७७० १०५ Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम-यादी चोवीश जिनगणधर माम, ज्ञाति नाम तथा दर्शनीओनां नाम ले.स. १९१०; हाथकागळ पत्र १८९. वादळीरंगना कागळमां लखेली प्रति जीण छे, प्र.स./६५५८ परि./२२६/३ पिस्तालीस आगमनां नाम ले.स. १७६६; हाथकागळ पत्र १२९; २५.७४११.४ से.मि. प्र.स./६५५९ परि.'३५६९/१२ तीर्थकर-चक्रवर्ती-वासुदेव-बलदेव-प्रतिवासुदेवचक्र ले.स. १७६०; हाथकागळ पत्र लं; - २४.३४१०.५ से.मि. प्र.स /६५६० परि. ५०५६/१ घणसो साठ करियाणानां नाम ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.५४११.५ से.मि. प्र.स/६५६१ परि./४०२८/१ द्वासप्तति कला सूची ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १लं; २५४११ से.मि. प्र.स./६५६२ परि./६४५१/१ महाजननी चोर्याशी नातनां नाम ले.स. १९४०; हाथकागळ पत्र १८९; २६.८४ १२.८ से मि. ___वादळी रंगना कागळमां लखेली ति जीर्ण छे. प्र.स./६५६३ परि./२२६/२ वणिक ज्ञाति ८४ ले.स. १८८२; हाथका गळ पत्र ६डं; २७४ १२.६ से.मि. 'वीरपुरना सूरगच्छना मुनि लक्ष्मीविमलजीले लखेली प्रति पं. शुभविजयना शिष्य प. रंगविजयने मळी. :- प.स./६५६४ परि./१६४३/२ षदत्रिंशत् पावसूची (३६ पात्र सूचो) ले.स. १८मु शतक (अनु); हाथ का गठ पत्र थी २; २५४११ से.मि. - प्र.सं./६५६५ परि./६४.५१/२ षटत्रिंशत् विनोदसूची ले.स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २५४११ से.मि. प्र.स./६५६६ परि./६४५१/३ षददर्शननी अवांतर शाखाना नाम ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागठ पत्र १; २५.५४१०.८ से.मि. प्रति जीण छे. प्र.सं./६५६७ । परि /३४५० सोळसतीनां नाम ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथ काग पत्र 'मु; २५.५४१२ से.मि. प्र.स./६५६८ परि./६७६३/८ Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वर्णक अने वर्णनात्मककृति जयतरंग (कृष्ण-बळदेवगुण वर्णन) ले.स. १७मुं शतक (अनु.); हाथकागळ १ ६; २५.५४ ११ से.मि. अपूर्ण. प्र.सं./६५६९ परि./७३६८ पुत्रप्रेम व क ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५.७४१०.५ से.मि. प्र.स./६५७० परि./१७५६ भोजनविच्छिति (सुखडी विचार) ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २५४ ११ से.मि. ५. रूपसागर माटे गलाल विजये प्रति लखी. प्र.स./६५७१ परि./८२५७ भोजनविधि (भोजनविच्छिति) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २३४ ९.९ से.मि. प्र.स./६५७२ परि./६५५१ ___ भोजनविच्छित ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.३४१ ०.५ से.मि. प्र.स./६५७३ परि./४४७४ वर्णक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४१०.७ से.मि. प्र.स./६५७४. परि./६७५२ वर्णकसंग्रह ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ८; २८४११ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ३ नथी. प्र.स./६५७५ परि./७४३९ वर्णकसंग्रह ले.स. १५९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ७; २३.२४८.५ से.मि. अपूर्ण संस्कृत अने गुजराती बंने भाषा छे. प्र.स./६५७६ परि./७६६४ वर्णकसंग्रह ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११; २२.२४११ से.मि. प्रति जीर्ण छे. प्र.स.६५७७ परि/५३९ वर्णकसंग्रह ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १२; २५.३४११.५ से.मि. प्रसं./६५७८ विनोदमाई ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २४.५४११ से.मि. अपूर्णः प्र.स./६५७९ परि./६४८३ .. परि./२४६९ Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बणक सभाशंगार है.सं. १७१८; हाथकांगळ पत्र १४, २५४१०.८ से.मि. कर्पूरविजये प्रति लखी. प्र.सं./६५८० परि./६२५६ - सभागार ले.स. १७मुं शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ८; २५४११.२ से.मि. प्र.स./६५८१ परि./४८६० सभाशंगार ले.स. १८३८; हाथकागळ पत्र १५, २०.६४१०.९ से.मि. तूटक. पत्रो १, ६, ७, १० नथी. मूळचंद खुशाल माटे दुर्लभरामना पुत्र सदारामे प्रति लखी. प्र.सं./६५८२ __परि./८७०६ सभाशृंगार ले.स. १८८२; हाथका गळ १३ १ थी ६; २७४१२६ से.मि. प्र.स./६५८३ परि./१६४३/१ सिद्धार्थ राजानो जमणवार वर्णक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३3; . २५४११ से.मि. प्र.स./६५८४ परि./६६९३ हिंदुस्तान उपर हुन्नरखाननी चडाई (वर्णन) ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४, २६.२४१३ से.मि. प्र.स./६५८५ परि./९४१ जीवाऋषि (लो.) कको ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 3; २५४११ से.मि. गाथा ३३. कर्ता-लोकागच्छमा विसं. १५७८ मां थया. (जे. सा. इति. पृ. ५०८, फकरो ७३७). प्र.स/६५८६ परि./८३२३ देपाल स्थूलिभद्र काक ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४५ थी ४७; २४४९.९ से.मि. गाथा ३६... ... कर्ता-वि.सं. १५०० मी १५२२मां विद्यमान पाटणना भोजक छे. (जै. ग. क. भा. १, पृ. ३७.) प्र.स./६५८७ परि./८६०१/५१ Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हर्षप्रिय उपा. शील अत्रीसो ( नवरस निबद्ध) ले.स. १६ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ५; २६०२x १०.६ से.मि. गाथा. प्र.स ं./६५८८ नयसुंदर पंडित ( व . त . ) स्थूलभद्र अकवीसो ३१. कर्ता — मात्र नामनिर्देश मळे छे. एकत्रीस ले. स. १७९८; हाथ कागळ पत्र ५ थी ७; २४.८४११ से.मि. पद्य २२. कर्ता - वडतपगच्छमां धनरत्नसूरिनी परंपरामां भानुमेरुगणिना शिष्य छे. ओमनेा समय वि.सं. १७ मा सैकानो छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. २५४). पं. अमरविजयगणिना शिष्य पं. सौभाग्य बिजयजी माटे कमलसागर > पं. हेमसागरना शिष्य धनसागरे प्रति लखी. प्र.सं./६५८९ परि./६२७२/५ २ - स्थूलभद्र अकवीसो ११.२ से मि. पद्य २१ प्र.स ं./६५९१ एकवीसो लावण्य समय (त.) १ - स्थूलिभद्र अकबीसो ले.स. १८मुळे शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ४; २४.५×१०.६ सेमि. पद्य ४२. कर्ता — तपगच्छमां सोमसुंदरसूरिनी परंपराना समयरत्नना शिव्य छे. अमना समय विसं. १६ मा सैकाना मव्यकाळ (जै. गू. क. भा. १. पृ. ६८). प्र.स ं./६५९० प्र.सं./६५९२ परि./५०८२ ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २; २६.३४ परि./४५४४ ३ - स्थूलिभद्र अकवीसो ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र ४; २४०५४११ से.मि. पद्य २१. परि / ४३८४ परि / ५५९२ Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवीसी. पद्मसागरसूरि (म.) श्रावकगुण चवीसु ले.स. १५७४; हाथकागळ पत्र ११२ थी ११४; २७४११.७ से.मि. पद्य २५. कर्ता-मम्माहडगच्छमां मुनिसुंदरसूरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६ मी सदीना छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. १11). प्र.स./६५९३ परि./८४६०/६७ अज्ञातकर्तृक उच्छ्वास चोवीसी ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथका गठ पत्र १ थी २; २५.२४ ११.७ से.मि. प्रसं./६५९४ परि./६७७४/१ चोसठी नंदसूरि (को.) १- हितशिक्षा चोसठी र.सं. १५०४ ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; २६.५४१२ से.मि. पद्य ६४. कर्ता-कोरंटगच्छमां सर्वदेवरिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६मी सदीनो छे. (जे. गू. क. भा. १, पृ. ९६). रचना खंभनयर (खंभात) मां थई. पं. केसरविजयगणि अने धीरविजयगणि माटे पं. दोलनसागरगणिले प्रति लखी. प्र.सं./६५९५ परि./३३०७ २--विचार चउसठी (श्रावक धर्मविचार चोसठी) र.स. १५४४, ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २; १५.५४११.१ से.मि. गाथा ९३. परि./८४१६ . ३-विचार चोसठी र.स. १५४४ ले.सं. १८३१; हाथकागळ पत्र ३; २४.५४११.२ से.मि. पद्य ६४. बरतेजगामे सोमचंदे प्रति लखी. प्र.स./१५९७ परि./३९५९ Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्रीसी पार्श्वचंद्रसरि आगम छत्रीसी ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६.२४११ से.मि. पद्य ३६. कर्ता-पार्श्व चंद्रगच्छना स्थापक. अमनो समय जन्म वि.सं. १५३७ स्वर्गवास वि.सं. १६१२ अने साहित्यिक समय वि.सं. १५८६ थी १६०० सुधीना गणायो छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ. १३९). प्र.स./६५९८ परि./४ ४९३/१ वीरविजय (त.) हतशिक्षा छत्रीसी ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ३; २७.१४ १२.३ से.मि. कर्ता-तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मी सदीनो छे. (जै. गू क. भा. ३, ख. १, पृ. २०९). प्र.स./६५९९ परि./१६३८/२ समयसुंदर उपा (ख) १-कम छवीसी ले स १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २५४१०.८ से मि. गाथा ३६. कर्ता--खरतरगच्छमां जिनचंद्रमूरिनी परंपराना सकलचंद्र उ.ना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मी सदीनो छे. (जै. गू. क भा. १, पृ. ३३१). प्र.सं./६६०० परि./४३९०/१ २-कम छत्रीसी ले.स. १९९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र लु'; ४२.३४८ से.मि. प्र.सं./६६०१ परि./८७१०/1 ३-कम छत्रीसी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १० थी ११; २१.३४ ११ से.मि. पद्य ३४ लक्ष्मीशेखरगणिो प्रति लखी. प्र.स./६६०२ परि./८३५५/३ ५-कम छत्रीसी ले स. १७३८; हाथकागळ पत्र १ थी २; २४४११ से.मि. पद्य ३६. पाटणनगरमा रवीवर्धने प्रति लखी. प्र.स./६६०३ परि./५०८३/२ ५---कर्म छत्रीसी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९९; २६४११.२ से.मि. गाथा ३६. प्र.सं./६६०४ परि./३०८४/२० Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४० छत्रीसी ६ -- कर्म छत्रीसी ले.स. १८मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ५; २४४१०.६ से.मि. ५च ३६. प्र.सं./६६०५ १-- क्षमा छत्रीसी से.मि. गाथा १६ प्र.सं./६६०६ २ -- क्षमा छत्रोसी ले.स. १७३८, हाथ कागळ पत्र १ २४४११ रचना स्थळ नागोर. रविवर्धने पाटणनगरमा प्रति लखी. परि. / ६५२१/३ ले. स. १८ मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ११मुं; २४ ३४११ सुधी (अपूर्ण). प्र.सं./६६०७ परि./५०८३/१ ३ -- क्षमा छत्रीसी ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २ थी ४ २४४१०.६ से.मि. पद्य ३६. रचनास्थळ नागोर. रचनारथळ नागोर. परि / ६५२१/२ प्र. स . / ६६०८ ४ -- क्षमा छत्रीसी ले.सं. १७३१; हाथ कागज पत्र १ थी २; २३.७४१००४ से.मि. पद्य ३५. प्र. सं. / ६६०९ परि. / ७६४०/१ ५--क्षमा छत्रीसी ले.स. १७ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १; २२ ८४१०.२ से.मि. पद्य ३६. रचनास्थळ नागोर. प्र.सं./६६१२ परि /८३५५/४ प्र.स ं./६६१० परि. / ६६६८ १ - पुण्य छत्रीसी ले.सं. १७३८; हाथकागळ पत्र २ थी ३; २४४११ से.मि. पद्य ३६. पाणमां रविवर्धने प्रति लखी. से.मि. पद्य ३६. प्र.स ं./६६११ परि./५०८३३ २ -- पुण्य छत्रीसी ले. स. १८ मुं शतक ( अनु ); हाथकागळ पत्र ८ थी ९ २४-३४ ११ से.मि. पद्य ३६. मुनि लक्ष्मीशेखरगणिओ प्रति लखी. ३ -- पुण्य छत्रीसी ११.२ से.मि. पद्य ३६. प्र.स ं./६६१४ परि./८३५५/२ ले.स. १८मु ं शतक (अनु.); हाथका पत्र ९ भी १०; २६४ प्र.सं./६६१३ परि. / ३०८४/२१ ४- पुण्य छत्रीसी ले. स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी २ २४ १०.६ से.मि. पद्य ३६. परि./६५२१/१ Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्रीसी ८४१ ५ -- पुण्य छत्रीसी ले.स. १९मुळे शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; ४२०३४८ से. मि. पद्य ३६. प्र.स ं./६६१५ परि./८७१०/२ १ - - संतोष छत्रोसी र.स. १६३४, ले.स. १७३१; हाथकागळ पत्र ४ थी ५ २३०७४ १००४ से.मि. पद्य ३६. प्र.सं./६६१६ परि. / ७६४०/३ २ -- संतोष छत्रीसी र.स. १६३४, ले.स. १७३८; हाथका गळ पत्र ४ थी ५; २४४ ११ से.मि. पद्य ३६. रविवर्धने पाटणमां प्रति लखी. प्र.सं./६६१७ परि०/५०८३/५ ३ - - संतोष छत्रीसी र.सं. १६३४, ले.स १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र मुं २६११-२ से.मि. पद्य ३६. प्र.सं./६६१८ परि./३०८४/२२ ४- - संतोष छत्रीसी र.सं. १६३४, ले.स. १९मुं शतक (अनु.); हाथ काग पत्र ३; २४.२x१०.८ से. मि. पद्य ३६. प्र.स ं./६६१९ परि./२५७४ सहजकीर्ति वाचक (ख.) प्रीत छत्रीसी २.सं. १६८८, लेस १८ शतक (अनु.); हाथ काग १ २ २५.३४ १०.८ से.मि. पद्य ३६. कर्ता ——खरतरगच्छमांनी क्षेमशाखामां जिनसागर > रत्नसार > रत्नह> हेमनंदनना शिष्य छे. ओमनेा समय वि.सं १७ मी सदीनो छे ( जै. गू. क. भा. १, पृ. ५२५ ). रचना स्थळ सांगानेर. प्र.सं./६६२० परि. / ७००२ साधु रंग १ - - दया छत्रीसी र.स १६८५; ले.स. १७३१ हाथ कागळ पत्र २ थी ४; २७०७४ १०.४ सेमि. पद्य ३५. कर्ता — खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरीनी परंपराना पुण्यवान > सुमतिसागरना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७ मी सहीनो छे. (जै. गू. क. भा. ३, खंड १ पृ. १०२९). रचना अमदाबादमां थई छे. प्र.स ं./६६२१ परि./७६४०/२ २ -- दया छत्रीसी र.सं. १६.५; ले सं. १७३८; हाथकागळ पत्र ३ थी ; ४११ सेमि. पद्य ३६. रचना अमावादमां थई. रविवर्धने पाटणनगरमां प्रति लखी. प्र. सं / ६६२२ १०६. परि./५०८३/४ Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४१ तिरी सारंगकवि (म.) भावषदत्रिंशिका-दोधक र स. १६७५; ले.स १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ; २५.४४११.१ से.मि. पद्य ४.. ... कर्ता-महाङगच्छमा पद्मसुंदरना शिष्य छे. अमना समय बि.स. १७मी सरीने छ (पद्य ३९). (जे. गू. क. भा. ३, खं. १, पृ. ८०१). आ रचना जे. गू. क.मां नेधिायेली गयी. मूळ रचना संस्कृतमा छे. स्त्रोपज्ञ कृति जाबालमां रचाई छे. प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६६२३ ___ परि./२४७२ अज्ञातकर्तृक कर्म छत्रीसी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ३; २४.८४११.३ से.मि. प्रस./६६२४ परि./५९६९/१ संग्रह छत्रीसी ले.स. १९९ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २ थी ३; २५.२४११.७ से.मि. पद्य ३६. प्र.स./६६२५ परि./५७७४/२ छतेरी हेमराज कर्म छतेरी र.स. १७१५; ले.स. १७१८; हाथकागळ पत्र । थी ४; २४.५४11 से.मि. पय ७६. कर्ता-वि.स. १८मी सदी मेधायेला बेमांथी कोण मे मनी नयी चतु. (जै. गू. क. भा. ३, खं, २, पृ. १२४६ अने १२५६). ऋषि प्रेममीले प्रति लखो. प्रसं/६६५६ परि./५१९८). पचीसी-पंचाशिका अनुपसिंह 1-वेतालपचीसी (कथा) के.स. १९.५; हाथकागळ पत्र ३५; २१.४४१२.८ से मि. कर्ता-मात्र नामनिर्देश मळे छे. मूळ रचना शिवदासनी संस्कृतमा वि.स.१६५५मां रचाई. हरखचाना पुत्र फूलचंर पटणीओ प्रति लखी रचना बिकानेरमा थई. प्र.म./६६२७ परि./२७९ २-बेताल पचीसी कथा ले.स . १८१४; हाथकागळ पत्र २०; २५.८४११.७ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ६ नथी. मूळ रचना शिवदासनी सस्कृतमा वि.स. १६५९मां रचाई. राधनपुर ज्ञानविजय माटे प्रति लखेली छे. प्र.म./१६२८ परि./५३११ Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचीसी जयमलऋषि बालपचीसी ले. सं. १८७७; हाथकागळ पत्र १९; २३.७१०.६ से.मि. पथ २६. कर्ता -- मात्र नामनिर्देश मळे छे. (पथ २६ ) प्र.सं./ ६६२९ परि /७१३६/१ जसवंत (त. ) कुंडण पचीसी ले.स. १९ शतक (अनु.); हायकागल पत्र ३; पद्य २६. ८५३ २५०३४९१०७ से मि. कर्ता--तपगच्छमां जशसागरना शिष्य छे. अमने। समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. २; पृ. ४४७). रचना नाडोलमां थई छे. आ रचना जै. गू. क.मां नांषायेली थी. परि. / ३२८९ प्र.सं./६६३० जिनहर्षगण (ख.) सुगुरु पचीसी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २ थी ३; २६०२४११ से.मि. पद्य २५. कर्ता -- खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां शांतिहर्षना शिष्य छे. अमनेा समय वि.स. १८मी सदीने। छे (जै. गू. क. भा. २,१.८१ ). प्र.सं./ ६६३१ परि. / ७०१२/२ पद्मविजय (त. ) समकित पचीसी ले.स. १९मुं शतक (अनु.); ह यकाळ पत्र ३; २६-९४१२०३ से.मि. कर्ता--उपगच्छमां शुभविजयना शिष्य छे. अमने। समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जे. गू. क. भा. २, पृ. १५८) राजनगर ( अमदावाद ) मां जयसागरे लखेली प्रति प. अमीविजयने मळी. परि./८२३ प्र.सं./६६३२ भावप्रभसूरि (पृ.) पाहुड पचबीसी ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागल पत्र २५ २६ २५.५४११.५ से.मि. पद्य २७. कर्ता -- पूर्णिमा गच्छीय चंद्रप्रभसूरिनी परंपराना महिमाप्रभसूरिना शिष्य छे. ओमना समय वि.स ं. १८मी सदीनेा छे. (जै. गू. क. भा. ३, पृ. ५०३) प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./६६३३ परि./८९५१/२ मुनि मेघराज चतुर्विंशति नाम गुंथित राग पचत्रीशी ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १; २६.५४११ से.मि. पद्य २५. Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ पचीसी कर्ता--पावचंद्र गच्छमां समरचंदनी परंपरामां श्रवणऋषिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू, क. भा. १, पृ ४०१). आ रचना जे. गू. क मां उल्लेखेली नथी. परंतु कृतिमां कवि गुरु अने दादागुरुना नामनेो उल्लेख करे छे. (पद्य २५) कृतिनी भाषा ८मी कडी सिवाय प्रधान पणे हिंदी छे. प्र.स./६६३१ परि./६७८७ देवशीलमुनि ... वेताल. पंचविंशतिका ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २३, २४.३४१०.८ से.मि. तूटक. पत्रो १ थी ५ नथी. प्र.स./६६३५ परि./२०३८ रायचंदऋषि (लों.) चित्तसमाधि पचीसी र.म. १८३३ ले.स. १९३५; हाथकागळ पत्र ७ थी ९९; २७४ १३.७. से.मि. पय २५. कर्ता--लोकागच्छमां जेमलजीना शिष्य छे. अमने। समय वि.स. १९मी सदीना छे. (गै. गू क. भा. ३, ख.१, पृ. १४.२). मीरालीमा रामचंद्र साधुनी लखेली प्रति पार्वतीबाईने मळी. प्र.स./६६३६ . परि./८३७३/४ लालचंद्र कवि १--राजुल पीचीसी ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६; २६.३४११ से.मि. तूटक्क. __ कर्ता--मात्र नाम निर्देश मळे छे. (पत्र ६). प्रतिने सुवर्णशाहोमा टीकाथी सुशोभित करेली छे. प्रसं./६६३७ : परि./८८७ १--राजुल पचवीसी ले.स. २०९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र ३ थी; २३-१४ : १३.६ से.मि. प्र.स./६६३८ परि/३१/२ समरचंद्र (पा.) १--महावीर त्रिपंचाशिका र.स. १६०७ ले.सं. १६९९; हाथकागळ पत्र ६ २६.६४ ११.५ से.मि. कर्ता--पाव चंद्रगच्छमा पार्श्व चंद्रना शिष्य छे. अमने वि.स. १६मी सीमां मूकेला - छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. १५०). प्र.स./६६३९ परि./६३७ २--महावीर त्रिपंचाशिका ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ८; २५.७४११.५ से.मि प्र.स./६६४० परि./५५३२/२ Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचीसी ८४५ · अज्ञातकर्तृक .. . उद्यमपंचविंशतिका-स्तबक ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र ४ थी ६; २६४११.५ से.मि. पद्य २६. तेजसिंहऋषिनी मूळ रचना सस्कृतमा छे. ऋषि रायजीओ सिद्धपुरमा प्रति लखी. प्र.स./६६४१ परि./३३६५/२ गणित पंचविशतिका स्तबक ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र १२ थी १४; २६४११.५ से.मि. गाथा २६. ___ मूळ संस्कृत रचना तेजसिंहऋषिनी छे. सिद्धपुरमा रायचंद प्रति लखी... प्र.स./६६४२ परि ३६६५/५ -- गूढार्थ पंचविंशतिका-स्तबक ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र ९ थी १२; २६४११.५ से.मि. पद्य २५. तेजसिंह ऋषिनी मूळ रचना सस्कृतमां छे. ऋषि रायजीओ सिद्धपुरमा प्रति लखी. प्र.स./६६१३ परि /३६६५/प्रस्ताव पंचविशतिका-स्तयक ले.सं. १८७.; हाथकागळ पत्र १४थी १९; २६४११.५ से.मि. पद्य २६. तेजसिंहऋषिनी मूळ पचीसी संस्कृतमा छे. ऋषिरायजीओ सिद्धपुरमा प्रति लखी. प्र.स./६६४४ ___ परि ३६६५/६ मति पंचविंशतिका-स्तबक ले.स. १८७०; हाथकागळ पत्र ६थी ९; २६४११.५ से.मि. पद्य २६. तेजसिंहऋषिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्रति ऋषिरायजीओ सिद्धपुरमा प्रति लखो. प्रसं./६६४ परि./३६६५/३ . रत्नाकर पचीसी ढाळमाळा ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४थी ७; २६४१२.५ से.मि. अपूर्ण. प्र.स./६६४६ परि./२४७८/२ १--रत्नाकर पंचविंशतिका-स्तबक ले.सं. १९२०; हाथ कागळ पत्र १थी ८; २३.१४१२.४ से.मि. गाथा २५. रत्नाकर सूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. खेमचंदे अमदावादमां प्रति लखी. प्रस./६६४७ . परि./८३९१/१ २-रत्नाकर पंचविंशतिका-स्तबक ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ६. २६.२४१२.८ से.मि. पद्य २५. द्विपाठ. रत्नाकरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्रस./६६४८ . . .. . . . . परि./७४९० ३-रत्नाकर पंचविंशतिका-सस्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु); हाथकागळ पत्र थी ४, २६.४४११.६ से.मि. पद्य २५. रत्नाकरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.सं./६६४९ परि./५६६४/१ Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४६ qatai १--विचार पंचाशिका-स्तबक ले.स. १९२५; हाथ काग पत्र १४; २६४१२ से.मि. गाथा ५१. प्र.सं./६६५० परि ७५२७/१ २-विचार पंचा शिका-स्तबक ले.स. १९२१; हाथकागळ पत्र १५, २६४१२ से.मि. माथा ५२ ग्रंयाय २२५. मूळ रचना आणंदविमलत्रिनी प्राकृत गां छे. राजनगर (अमदावाद)मां खे चंदे लखी. प्र.स./६९५१ परि./८२५६ विचार पंचाशिका-स्तबक ले.सं. १८८६%3हायकागळ पत्र ८ २५.९४११.२ से.मि. गाथा ५१. विजयविमळनी मूळ रचना प्राकृतमा छे. लिपिकार प्रेमविजय, प्र../९६५२ परि./३५३९ वेतालपंचविंशतिकाव था-बालावबोध ले.स. १६९ शतक (अनु.) हाथका गळ पत्र १५; २४४१०.५ से.मि. तूटक अपूर्ण. पत्रो १ अने १४मु नथी. २१मी कथा पर्यन्त. प्रते जीर्ण छे. प्र.स/६६५३ परि./६६४५ वेतालपंवविंशतिका कथा ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १७; २६.५४ - ११.३ से.मि तूटक.. पत्रो थी ७ नथी. प्र.स./६६५४ परि./३२५५ सम्यक्त्व पचीसी-त्रालावबोत्र सह ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र ११; २६.५४११.६ से.मि. गाथा १६ सुधी अपूर्ण. प्र.स./६६५५ परि./३१७३ १-सम्यकत्व पचीसी--स्तबक ले.स. १६९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ६; २६.१४११.८ से.मि. गाणा २५. मूळ रचना प्राकृतमा छे. कृष्णविजये राधनपुरमा प्रति लखो. प्र.स./६६५६ परि./१६८६/१ २--सम्यकत्व विचार विंशतिका प्रकरण-स्तबक ले.स. १९२२; हाथकामळ पत्र ८; २६-३४१२ सेमि. गाथा २५. ग्रंयांग्र ३७३. प्र.स./६६५७ परि./३२२४ Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ईश्वर ईश्वर शिक्षा द्वात्रिंशिका ले. स. १६११; हाथकागळ पत्र ३ २६.४४११.५ से मि . कर्ता - - पत्र ३जामां अंते मात्र नामनिर्देश मळे छे. सोनीराजा पासुल अने कीक्रीमा पुत्र गोपाल माटे प्रति लखेली छे. प्र.स ं./६६५८ परि./७६६ कांतिविजय (त. ) होरावेध बीसी - स्तबक ले. सं. १८५४, हाथका गळ पत्र ६; २६१२.५ से.मि. गाथा ३२. कर्ता - तपगच्छमां विजयप्रभसूरिनी परंपरामांना प्रेमविजयना शिष्य हे. अमनेा समय वि.सं. १८मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. २, पृ. ५२६ ). प्र.सं./ ६६५९ परि / ९५६ जिनप्रभसूरि बत्रीसी विवेक बन्नीसी ले.स. १७ शतक (अनु.); पद्य ३२. कर्ता - मात्र नामनिर्देश ३२मी गाथामां मळे छे. हाथकागळ पत्र १; प्र.सं./६६६२ पार्श्वचद्रसूरि (पा.) प्र.सं./६६६० नंदसूर ( i ) १ - दश श्रावकबधीसी २.सं. १५५३; ले. स. १७ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २; २५.८४११ से.मि. पद्य ३२. कर्ता -- कोरंट गच्छमां सर्वदेवसूरिना शिष्य छे. ओओ वि.स. १६मी सीमां छे. अ. गू. क. भा. १, १ ९७ ) रचना चितोडां थई छे. सं./६६६१ परि. / ४६६४ २ - दश श्रावकवीसी र.स. १५५३ ले.स. १७ शतक (अनु.) हाथकागळ पत्र २; २५.६४११ से.मि. पद्य ३२. परि / २१६७ २६४११ से.मि. भा. १, पृ. १३९ - प्रा. ३, खं. १, पृ. ५९४ ). प्र.सं./६६६३ परि. / ४२२८ शतक ( अनु ); हाथ कागळ पत्र ३थी ४; २५०५४११.२ संत्रेण बत्रीसी ले.स. १८ से.मि. पद्य ३२. कर्ता पार्श्वश्चंद्रगच्छना संस्थापक, वि.सं. १५८६ - १०० पत्रेला छे. (जै. गु. क. परि. / ३५७९/३ Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८ बत्रीसी बालचंद्र बालचंद्र बत्रीसी र.स. १६८५; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४ थी ९; २६.५४१०.८ से.मि. ___ कर्ता--रूपजी>कुंवर>श्रीमाल>गंगदासना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५४१.) रचना अमदावादमां थई छे. लेखन स्थळ पाटण, भाषा हिन्दी मिश्रित छे. प्र.स./६६६४ परि./३७७९/३ महेशमुनि कक्का बत्रीसी र.सं १७२५; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.५४१२ से.मि. पद्य ३४. कर्ता--वि.सं. १८मी सदीमां नेांधायेला छे. (जै. गू क., भा. २, पृ. २३०). आ रचना 'अक्षर बत्रीसी थी पण जाणीती छे. रचदा उदयपुरमा थई. प्रसं/६६६५ परि./६७६३/५ मेघराजमुनि जीभवत्रीसी ले.स. १६३१; हाथका गळ पत्र १; २६४११ से मि. पद्य ३२. कर्ता--मात्र नामनिर्देश छे. बरोडानगरमा प्रति लखेली छे. प्र.स./६६६६ परि. ४४७७ राजसमुद्र (ख.) कम बत्रीसी र.सं. १६६९; ले.स. १७८५; हाथकागळ पत्र ३; २६४११.५ से.मि. पद्य ३१. .. कर्ता-खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना जिनसिंहमूरिना शिष्य छे. (पद्य. ३०.) प्र.सं./६६६७ परि./२३६७/५ १-शीलवत्रीसी ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २१.५४ १७.१ से.मि. प्रसं.६६६८ __ परि./५३८ २--शीलबत्रीसी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र. थी २; २५.५४१०.८ से.मि. पद्य ३३. . सहजबाई माटे प्रति लखेली छे. प्र.सं./६६६९ परि./५७९२/१ रूपकवि (ख.) अक्षरबत्रीसी ले.स. १८०२; हाथकागळ पत्र १थी ४; २५४१०.८ से.मि. पद्य ४२. . कर्ता--खरतरगच्छमा विद्या निधानना शिष्य छे. अमने। समय वि.सं. १८मी सदीना __ छे (जै. गू. क. भा. ३, ख. १, पृ. ३२५.) प्र.स./६६७० परि /२४२०/१ Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बत्रीसी शामळ भट्ट नंदवत्रीसी कथा ले.स ं. १८७४; हाथकागळ पत्र २५ २७४११.८ से.मि. तूटक कर्ता -- श्रीगोड ब्राह्मण छे. पत्र २५. ओमना समय वि.सं. १७७७थी १७८५. (जै. सा. इति. टि. ५२४, पृ. ६११ ) पत्रो १ थी १४ नथी. चंद्रगच्छना धनविजये प्रति लखी. प्र.स ं./६६७१ परि. / २७९८ सिंहासन बत्रीसी ले.स. १९ शतक ( अनु ), हाथका गळ पत्र २६; २५-२४१२.१ से.मि. आजोल गाममां सघुल (?) ठाकोर अने हृदेरामजी ऋषिनी हयातीमां लालविजये परि./ ११४१ प्रति लखी. प्र.सं./६६७२ ८४९ समयसुंदर उपा. (ख.) नेमिनाथ सवैया बीसी ले.स. १८मुळे शतक (अनु.) : हाथ कागज पत्र ५ २५.७४ १०.७ से.मि. पद्य ३६. कर्ता - खरतरगच्छमां जिनचंद्रसूरिनी परंपराना सकलचंद्र उगा शिष्य छे. ओमना समय वि.सं १७मी सीना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. ३२१ ) प्र.स . / ६६७३ परि./६०५५ सहजविमल (त. ) पिंड बीसी ले.स. १८ शतक (अनु.) हाथ कागळ पत्र २२५८४११ से.मि. पद्य ३२. कर्ता--तपगच्छमां विजयदानसूरीनी परंपराना पंडित जगराजना शिष्य छे (गाथा ३२ ). परि. / ४६५६ प्र.सं./६६७४ सिद्धसूरि (बि.) सिंहासन द्वात्रिंशिका र.सं. १६१६; ले.स. १८ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १९; २५.१×११-२ से.मि. १५मी कथा सुधी (अपूर्ण). कर्ता--बिवंदणीकगच्छमा देवगुप्तसूरिनी परंपराना जयसागरना शिष्य थे. क्षेमना समय वि.सं. १७मीना पूर्वार्धनेा छे. (जें गू. क., भा. १, पृ. २०५). प्र.स ं./६६७५ हीरकलश (ख.) १ - - सिंहासन द्वात्रिंशिका चतुष्पदी २.सं. १६३६; ले.सं. १७८७: हाथकागळ पत्र ११५; २६.२x११.३ से.मि. कर्ता - - खरतरगच्छमां देवतिलक उपा. नी परंपराना हर्षप्रमना शिष्य छे. अमनेा समय वि.सं. १७मी सदीना छे. (जै. गू. क. भा. १, पृ. २३३ ). रचना देशमां मेडतामां थई छे. मोहनविजयगणिओ प्रति लखी. सवालख प्र.सं./६६७६ परि. / ४१३० १०७ परि./६३४२ Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५० बावनी २-सिंहासन द्वात्रिंशिक) र.स. १६३६; ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३; २४.८४१०.५ से.मि. तूटक, पत्रो नं. १ थी ३, १७, १८, २०, २१, २३ अने ३२ नथी. प्र.सं./६६७७ परि./६१०५ हीरानंदसूरि कलियुग बत्रीसी ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ४; १५.८x१८.८ से.मि. पद्य ३२. प्र.सं./६६७८ परि./८६२.९/१ सिंहासन बत्रीसी ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९; २५.८४११.१ से.मि. तूटक अपूर्ण. पत्र १लुं नथी. १४मी कथा सुधी. प्रति सांधेली छे. प्र.सं./६६७९ परि./१९४९ बावनी खेमकवि (क्षमाहंस *) (क्षेम) खेम बावनी ले.स. १७०४; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४११.२ से.मि. पद्य ५५. कर्ता-* वि.स. १७मी सदीमां नेांधायेला छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख. १. पृ. १०७९). कृति हिन्दी मिश्रित गुजराती भाषामा छे. प्र.सं./६६८० परि./७६९६/१ डुंगरकवि (व.त.) माई बावनी ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र १ थी २; २६४११ से.मि. पदा, ६१. * कर्ता-वडतपगच्छमां उदयसागरसूरिनी परंपरामां शीलसागरसूरिना शिष्य छे. (पद्य ५७-५८.) प्र.सं./६६८१ परि./५४१८/१ प्रेमविजय राजुल संदेश बावनी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २४.८४११से.मि. प्र.सं./६६८२ परि./४९१० बापुदास अक्षर बावनी ले.स. १९२४; हाथकागळ पत्र ७, २८४१३.३ से.मि. कर्ता--कोई जैन कवि छे. विशेष माहिती नथी. प्रति जीण छे. प्रसं./६६८३ परि./१९४ Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीशी ८५१ मतिशेखर ___ माई बावनी ले.सं. १६६९; हाथकागळ पत्र १३९; २६४११ से.मि. अपूर्ण'. ___ कर्ता-मात्र नामनिर्देश आदिमां मळे छे. प्र.सं./६६८४ परि./३८०८६ श्रीसार (ख.) कवित्त बावनी र.सं. १६८९: ले.स. १७०४; हाथकागळ पत्र ४ थी ६; २६४११.१ से.मि. पद्य ५६. कर्ता-खरतरगच्छनी खेमशाखाना रत्नहर्ष वाचकना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १७गी सदीना उत्तराध ना छे (जै. गू, क. भा. १, पृ. ५३४). रचना स्थळ पाली. प्र.स./६६८५ परि./४६९६/३ अज्ञातकर्तृक माई बावनी (विनोदमाई) ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकाळ पत्र ५; २४.७४ ११ से.मि. प्र.सं./६६८६ परि./५१९५ रत्नसुंदरसुरि (पौ.) शकबहुत्तरी (रसमंजरी) र.सं. १६३८; ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५५: २६.२४११.५ से.मि. कर्ता-पूर्णिमागच्छमां गुणमेरुसूरिना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १७मी सदीलो छे (गै. गू. क. भा. १, पृ. २३०). रचना खंभातमा रचाई. गिरिपुरमा मुनि कनकशीले प्रति लखी. प्र.स./६६८७ परि./४१२२ वीशी श्रीसारमुनि (ख.) स्वार्थ वीशी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४९थी ५१; २१.७४७.३ से.मि. पद्य २१. कर्ता-खरतरगच्छनी खेम शाखाना रत्नहर्ष वाचकना, वि.सि. १७मी सदीमां थयेला शिष्य छे (जे. गु. क. भा. १, पृ. ५३४). प्र.सं./६६८८ परि /८४८०/५ Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शतक काव्यो दामो (दयासागर) (आं.) मदन शतक र.स. १६६९; ले.स. १६८३; हाथकागळ पत्र ७; २४.४४11 से.मि. गाथा १०१. ___ कर्ता--आंचलगच्छीय धर्ममूर्तिनी परंपरामां उदयगुरुना शिष्य छे. समय वि.सं. १७ मा शतकना छे. ( जे. . क. भा. ३, खं. १ पृ. ९०५). रचना झालोरमां थई. गुणराजे रोहग्रामे प्रति लखी. प्र.स./६६८९ परि./२४२६ शुभवर्धन (त.) आचार शतक र.सं. १५९०; ले.सं. १६२५; हाथकागळ पत्र ४ थी ६; २४.८४१०.३ से.मि. गाथा १०९. कर्ता-तपगच्छना साधुविजयना शिष्य छे. (जै. सा. इति. पृ. ५१७ फकरो ७५५). तेओ वि.स. १६०४ मां हयात हता. (प्र.स. भा. २, पृ. १०२ प्र. ३७३). स्तंभतीर्थ (खंभात)मां कृति रचाई, कुमारगिरिमां प्रति लखाई. प्र.स./६६९० परि./६२३८/२ हंसरत्न (त.) आत्मज्ञान दोधक शतक (शिक्षाशतदोधक) र.सं १७८६; ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र ४; २६४१२ से.मि. गाथा १०८. कर्ता-तपगच्छना विजयराजसूरि>ज्ञानरत्नना शिष्य छे. समय वि.स. १८ना छे. (जै. गू. क. भा. २ पृ. ५६१). कृतिनी रचना अहिमामां थई. प्रति अमदावादमा मुनि माणकविजये लखी. प्र.स/६६९१ परि./९२२ आभाण शतक स्तबक ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 1४; २५.९४११.२ से.मि. लोक १५८. प्रति जीण छे. प्र.स./६६९२ परि./१९३८ इन्द्रियपराजय शतक-स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २४.६४ ११/२ से.मि. गाथा १००. प्र.स./६६९३ परि./३९५७ Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शतक काव्यो ८५३ १ - दृष्टांत शतक स्तवक ले सौं. १८०१; हाथकागळ पत्र ३२; २५४११.२ से.मि. पद्य १०२. तेजसिंघनी मूळ कृति संस्कृतमां छे स्तंभतीर्थ ( खंभात) मां वृद्धि हंसे प्रति लखी. (जै गु. क. भा. २, पृ. ३०२ मां मूळ कृतिमां तेजसिंहना परिचय छे.) प्र.सं./६६९४ २ - दृष्टांत शतक स्तबक ले.सं. १७६८; पद्य १०२. प्र.स ं./६६९५ ३ - इष्टांत शतक स्तबक पद्य १०२, ग्रंथाग्र ७००. लेखन स्थळ पुष्पावती नगरी. प्र.स ं./६६९६ परि./५०८७ ४- दृष्टांत शतक स्तबक ले.स. १८५९; हाथकागळ पत्र १९; २७.७४१२.८ से.मि. पद्य १०१. पं. सुज्ञानसागरे प्रति लखी लेखन स्थळ सुरत. प्र.सं./६६९७ परि./२१९ ५ - दृष्टांत शतक स्तबक ले. स. १८५५: हाथ कागळ पत्र २८ २७.५४१२.९ से.मि गाथा १०२. परि / ४८९१ ले. सं. १७७१; हाथ कागळ पत्र २१, २४.३४१०.७ से मि. प्र.स ं./६६९८ परि. / ७९३ ६ - दृष्टांत शतक स्तबक ले.सं. १८९६; हाथकागळ पत्र ३१; २७-१९१२०४ से.मि. गाथा १०१ प्र.स ं./६६९९ परि./३७४९ हाथ कागळ पत्र १८, २५-२x११.५ से मि . जीतविजय गणिओ इडरनगरमां प्रति लखी. ७- - दृष्टांत ग्रतक स्तबक से.मि. प ९५. प्र.स ं./६७०० परि./७७०० ८ --- दृष्टांत शतक स्तबक ले. सं. १८२७; हाथकागळ पत्र १५थी २१, २५.९४१०.४ से. मि. गाथा १०२ ग्रंथाग्र ७०० तूटक पत्रो १ थी १४ नथी. प्र.सं./६७०-२ परि./१६४० ले. स. १९ शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ३८५ २३-१४१.५ प्र.सं./६७०१ परि./५९८५ नीति शतक बालावबोध ले.स. १८मुं शतक (अनु.) ; हाथकागळ पत्र ७ थी ५५; १८.३४१०.२ से.मि. तूटक अपूर्ण. मूळ रचना भर्तृहरिनी संस्कृतमां छे पत्रो १ थी ४, ६, १५, ४५, ४९ नथी. परि./८१८६ Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५४ शतक काव्यो १-भर्तृहरि त्रिशति बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र ३१; २६.४४१२ से.मि. गाथा १०७ अपूर्ण. __ भर्तृहरिनी मूक रचना संस्कृतमा छे. अंतिम पत्र मथी. प्र.स./६७०३ परि./३१७२ २-भर्तृहरि त्रिशति बालावबोध ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४६९; २१४१२.२ से.मि. अपूर्ण तूटक. भर्तृहरिनी मूळ रचना संस्कृतमा छे. पत्रो ५, ६, ३५, ३६ अने ३७ नथी. प्र.स./६७०४ . परि./२७४१ भर्तृहरि शृंगारशतक स्तबक ले.स. १८५३; हाथकागळ पत्र २२; २५.३४१२.३ से.मि. गाथा १०४. मूळनी प्रेमविजय गणिले गिरिपुरमां अने स्तबकनी पं. लालविजय गणिभे प्रति लखी. प्र.स./६७०५ परि./१०८९ १-भववैराग्य शतक स्तबक ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९; २५.८४ ११.३ से.मि. गाथा १०५. प्र.स./६७०६ परि./५८७७ २-भववैराग्य शतक स्तबक ले.सं. १९३१; हाथकागळ पत्र २१; २६४११.६ से.मि. गाथा १०२. लिपिकार खेमचंद प्र.सं./६७७ परि./३२९३ भवबैराग्य शतक स्तबक ले.स. १७३३; हाथ कागळ पत्र १६; २४.८x१०.९ से.मि. गाथा १०४. मूळ रचना प्राकृतमा छे. ऋषि शिवरामे प्रति लखी. प्र.स./६७०८ परि./६३०५ भत्र वैराग्य शतक स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५; २३.८४ १०.२ से.मि. गाथा १०४. पं. रूपविजये प्रति लखी. प्र.स./६७०९ परि./७६५२ भववैराग्य शतक स्तबक ले स. १९मुशतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १८, २७४१२.६ से मि. गाथा १०४. प्र.स/६७१० मूख शतक स्तबक ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २१४११.५ से.मि. पद्य २६. - जयविजये प्रति लखी. प्र.स./६७११ परि./२७३५ परि./७४९९ . Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सित्तरी जिनहर्षगणि (ख.) १-समकित सत्तरि र.स. १७३६ ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथका गळ पत्र १ थी २; २६.२४११ से.मि. पद्य ६०. - कर्ता--खरतरगच्छमां गुणवर्धन उपआ.>सोमगणि>शांतिहर्षना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १८मी सदीना आरंभनेा छे. (जै. गू, क. भा. २, पृ. ८१.) रचना. स्थळ पाटण. प्र.सं./६७१२ परि./७०२२/१ २-समकित सित्तरी २.स. १७३६; ले.स. १८९ शतक (अनु); हाथकागळ पत्र २; २३.५४१०.३ से.मि. पद्य ७०. प्र.सं./६७१३ परि./७१३९ पार्श्व चंद्वसूरि (पा.) अमर सत्तरि ले.स. १. मुशतक (अनु.); हाथका गळ पत्र १ थी ३, २६४१०.७ से.मि. गाथा ७४. कर्ता--पार्श्वचंद्रियगच्छना संस्थापक जन्म वि सं. १५५४ रव. १६१२ (१५८६१६००)मां थया (जै. गू. क. भा. २, पृ. १३९). वाचक ज्ञानचंद्रना शिध्य ऋषि हरजीओ प्रति लखी. प्र.स./६७१४ परि./४६५१/१ श्रीसार (ख.) उपदेश सत्तरि ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १: २५.८४११ से.मि. पद्य ७१. कर्ता--खरतरगच्छनी खेम शाखामां रत्नहर्षना शिष्य छे. (प. ७१). अमना समय । वि.स. १७मी सदीनो छे (जै. गू. क. भा. १, पृ. ५३४). जहानाबादमां पं. साधुहर्ष गणिले प्रति लखी. प्र.सं./६७ १५ परि./३६८१ Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #870 -------------------------------------------------------------------------- _