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चउपई
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२- त्रैलोक्यसार चोपाई र.स. १६२७; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र
१४; २६.४४११.२ से.मि. प्र.स./४७४३
परि./२२६१ सुमतिप्रभ (पि)
अजा पुत्र चोपाई र.स. १८२२; ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५०; २६४११.२ से.मि. ढाळ ४८. ..
कर्ता-पिंपलगच्छना लक्ष्मीसागरसूरिनी परंपरामा पुण्यसागर वाचकथी ३ जा अमरप्रभसूरि वाचकना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १९मा शतकनो छे. (ढाळ ४८; पत्र ५०मुं) प्र.स./४६४४
परि./७४५१ सेवक (वि.)
पिण्डैषणा चोपाई र.स. १५९७; ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २६४११.३ से.मि. पद्य १४२.
कर्ता-विधिपक्षगच्छमां सालिगऋषिना शिष्य छे. अमनो समय वि.सं. १६ नो छे. (प. १४१-४२) प्र.स./४७४५
परि./५३५६
सेवक
सीता चोपाई (शील प्रबंध) र.सं. १६२८; ले.सं. १६८३; हाथलागळ पत्र १८; २३.५४१० से.मि तूटक.
कर्ता-आ सेवक कोई बीजा लागे छे. साह (शाह) चोखाना कहेवाथी कृति रचाइ. रचना स्थळ रिणथंभ (रणस्तंभ).
पत्रो १४ थी १७ नथी. प्र.सं./४७४६
परि./७२३२ सौभाग्यसुंदरगणि (ख.)
देवकुमार चौपाई र.स. १६२७; ले.स. १७मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १०; २६.५४१०.७ से.मि. पद्य ३३७.
कर्ता-खरतरगच्छमां जिनदेवसूरिनी परंपरामा देवसमुद्रमुनिना शिष्य छे. अमनो समय र.स. प्रमाणे वि.सं. १७ (प. ३३४-'३७).
रचना मेदिनीपुरमां थई.. प्र.सं./४७४७
परि./८४४५ हर्षकुल (हर्षकलश) (त.)
१-वसुदेव चौपाई र.स. १५५७ ले.सं. १५७४; हाथकागळ पत्र ५१ थी ६१; २७४११.७ से.मि. पद्य ३६०.
कर्ता-तपगच्छमां हेमविमलसूरिनी परंपराना कुलचरणना शिष्य छे. (जै गू. क , भा. १, पृ. १०२). अमनो समय वि.सं. १६नो छे. रचना लासनगरमां थई.
सीरोहीनगरमां, विद्यासागरसूरि>लक्ष्मीतिलकसूरिना कर्मसुंदरसूरिसे प्रति लखी.. प्र.स./४७४८
परि./८४६०/२७
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