Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 844
________________ पत्र-लेख ८३१ दीपविजय (त.) १-गुणावली राणी लेख ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३ थी ४; २५.२४१२ से.मि. पद्य ३७. कर्ता- तपगच्छमां प्रेमविजय अने रत्नविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.सं. १९ मी सदीना उत्तरार्धने। छे. (जै. गू. क. भा. ३, ख . १. पृ. १९९.) कुडारदमां पं. मेघविजयगणिले प्रति लखी. प्र.स./६५३५ परि./१०९५/२ २--गुणावली राणी लेख ले स. १९१३; हाथकागळ पत्र १ थी ३; २४४१२.२ से.मि. पद्य ६५. ऋषभविजयना सहवासी पं. रंगविजये प्रति लखी. प्र.स./६५३६ परि./१११३/१ श्री चंद्रराज लेख ले.स. १९मु शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १ थी २; २५.२४१२ से.मि. पद्य ३३. प्र.स./६५३७ परि./१०९५/१ मोहनविजय चंदराज लेख ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४१२ से.मि. पद्य ३३. ___कर्ता--आ रचना खरेखर तो 'दीपविजय'ने नामे नांधायेली छे से ज छे. जुओ परि./१०९५/१:२. लहीआओ आ रचनाने अंते 'दीपविजय' लख्या पछी अनी उपर छेको मूकी 'मोहनविजय' कर्यु छे जे स्पष्ट चाय छे. बीजी कृतिमां स्पष्ट मोहनविजय लख्यु छे, जे पण दीपविजयनी ज छे. प्रस./६५३८ परि./४३०४/ गुणावली लेख ले.स. १८७९; हाथकागळ पत्र १ थी २; २५४१२ से मि. पद्य ३७. (जुओ परि./४३.४/१) प्र.म./६५३९ परि./४३०४/२ ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २जु; २४.५४ रणछोड़ ___ कृष्ण उपर गोपीने। कागळ ११.२ से.मि. प्र.सं./६५४० परि./६४२०/२ रूपविजय (त.) १-नेम-राजुल लेख. ले.स. १८१५; हाथकागळ पत्र ८ थी ९; २५.८४११.८ से.मि. पद्य १९. कर्ता--तपगच्छमां विनयविजय उपा. ना शिष्य छे. (पद्य १९.) जै. गू क. भा. ३, ख. १. पृ. २४९ मां नेांधायेली व्यक्ति आ नथी. प्र.सं./६५४१ परि./२०३५/ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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