Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 835
________________ ८२२ तीर्थस्थान गीतो २-~-पाटण चैत्यपरिपाटिका ले.स. १६४८; हाथकागळ पत्र १२; २७४११.२ से.मि. मुनि गुणजी लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.स./६४६५ परि./३६२७ ३-पाटणचैत्यप्रवाडी ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १थी ७; २५.५४ १०.६ से.मि. पद्य २०.. प्र.सं./६४६६ परि./३८२७/१ लाधाशाह (क.) पाटणचैत्यपरिपाटी ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र १२, ११४१३ से.मि. कर्ता--कडवागच्छ ना कडवो>खीम>वीरो>जीवराज>तेजपाल>रतनपाल> जिनदास>तेज>कल्याण>लघुजी>थोभणना शिष्य छे. वि.स. १७६४नी अमनी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू. भा, २, पृ. ४९६). प्र.स./६४ ६७ परि./८६४३ वीरविजय सिद्वाचल गिरनार संघ स्तवन ले.स. २०९ शतक (अनु.); हाथ का गळ पत्र ९; २८x ११.८ से.मि. ___ कर्ता--तपगच्छीय सत्यविजयनी परंपराना शुभविजयना शिष्य, वि.स. १९ मी सदी मां थया. (जै. गू, क. भा. ३; ख. १, पृ. २०९). प्र.स./६४६८ परि./१५२७ हेमाभाई शेठ सिद्धाचल संघवर्णन ले.स. २० शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५; २५.३४११.३ से.मि. ___ कर्ता--तपगच्छमां सत्यविजयनी परंपरामां शुभविजयना शिष्य छे. अमना समय वि.स. १९ नो छे. (जै. गु. क. भा. ३, ख. १. पृ. २०९). मूळ प्रति वि.स.१८८६मां लखेली छे. जेना उपरथी प्रस्तुत प्रति लखेली छे. जे. गू. क. मां नेांधायेली कृति अने आ रचना जुदी जुदी छे. प्र.स./६४६९ परि./३५८९ सिद्धाचल खमासणा ले स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र , थी ३; २६.९४ ११.६ से.मि. पद्य ३९. प्र.स./६४७० परि./८२५९/१ हर्षविजय (त.) १--पाटणचैत्य प्रवाडी र.सं. १७२९; ले.सं. १९७०; हाथकागळ पत्र ३ थी७; २६.३४ १२.२ से.मि. पद्य ८८. कत:--तपागच्छना विजयदेवसूरि>साधुविजयना शिष्य छे समय वि.सं. १८ मी सदीना (जै. गू. क. भा. ३, ख. २. पृ. १२७१). प्र../६४७१ परि./८४१८/२ Jain Education International For Private & Personal Use Only ww www.jainelibrary.org

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