Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सुभाषित
धोरकवि
सुभाषित ले.स. १७२४; हाथकागल पत्र १७मु; २६४११.३ से.मि
__ कर्ता--आ व्यक्ति प्रसिद्ध 'धीरो' नथी, अनाथी लगभग ५० वर्ष मोटी छे. (सरखावो गू. हा. स. या. पृ. ७५ मां आपेलो समय अने आनो ले.स.) ऋषि वेणिदासे
जोधपुरमा प्रति लखी. प्र.सं./६३३९
परि./१७७१/२
प्रतापविजयगणि
सूक्तावली उपदेश रसाल बालावबोध ले.स. १८८१; हाथकागळ पत्र ८६, २५.५४११.८ से.मि.
कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. मूळ मुक्तावली संस्कृतमा छे.. प्र.स./६३४०
परि./२३३२
मानकवि ___ सुभाषित ले.सं. १७५९: हाथकागळ पत्र ३जु; २५.७४११.३ से.मि. पद्य २.
कर्ता--मात्र नामनिर्देश मळे छे. प्र.स./६३४१
परि./८५२६/२ मेरुसुंदर (ख.) कर्पूरप्रकर-बालावबोध ले.स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ९३; २६.२४११ से.मि.
कर्ता--खरतरगच्छमां रत्नमूर्ति वाचनाचार्यना शिष्य छे. अमनो समय वि.स. १६ नो छे. (जै. गू, क. भा. ३, खर, पृ. १९८२) जिनसागरसूरिनो मूळ ग्रंथ संस्कृतमा छे.
प्रति जीण छे. प्र.सं./६३४२
परि./५४५३ कर्पूरप्रकर स्तबक ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५ थी १५; २६.१x १२.१ से.मि. तूटक. गाथा ५३ सुधी. अपूर्ण.
पत्रो १थी ४ नथी. जिनसागरसूरिनी मूळ रचना संस्कृतमां छे. प्र.स./६३४३
परि./२३५१
पुराण लोकसंग्रह स्तबक ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र २२; २४.१४
१०.७ से.मि. लोक ८३. प्र.सं.१६३४४
परि./७६३४
पुराणगत लोकसंग्रह स्तबक ले.स. १९# शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २६; २०.४४
११.१ से मि. प्र.सं./६३४५
परि./८१७५
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