Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 829
________________ ८१६ संवादात्मक कृतिओ ८-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स १६६२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३, २५.२४११ से.मि. गाथा १०१, ढाळ ४. रचना सांगानेरमां थई छे. ललितप्रभसूरिना शिष्य भनजी मुनि लखेली प्रति जीर्ण छे. प्र.सं./१४१८ परि./३८४४ ९-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२; ले.स. १८मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र 3; २५.६४११ से.मि. गाथा १०१, ढाळ ४. प्र.स./६४१९ परि./४६१३ १० - दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६३; ले.स. १८मु शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र १४ थी १७; २५.५४११.२ से.मि. ढाळ ४. प्र.सं.६४२० ____ परि /७११५/५ ११-दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२; ले.स. १६७८; हाथकागळ पत्र ४; २५.६४१०.८ से.मि. __अंचलगच्छना कल्याणसागरसूरिना शासनमां भूजनी श्राविका शिवादे माटे भूजनगरमां प्रति लखाली छे. प्रस./६४२१ परि./३५६२ १२ -दान-शील-तप-भावना संवाद र.स. १६६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ५, २५.७४११.२ से मि. ढाळ ४. रचना सांगानेरमां थई. प्र.सं./६४ २२ परि/४४३५ १३--दान-शोल-तप-भावना संवाद र स. १६६२; ले.स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागक पत्र ५; २४.९४१ ०.८ से.मि. अपूर्ण. प्र.स ./६४२३ परि./८८६८ - अज्ञातकर्तृक मीनीमूषक वाद ले.स १७९ शतक (अनु.); हाथ कागळ पत्र २जु; २४.२४ १०.८ से.मि. गाथा ५. प्र.स./६४२४ परि./६६१९/४ वर्णन न्यायसागर (त.) नेमराजुलगुण वर्णन ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४३ थी ४४. २५.५४ ११.३ से.मि. पद्य ११. कर्ता-तपगच्छमां उत्तमसागरना शिष्य छे. अमने। समय वि.स. १८ मी सदीना छ. (जै. गू क. भा. ३. खं. २. पृ. ५४२) आ रचना जै. गू. क. मां नेांधायेली नथी. सुरतमां प्रति लखेली छे.. प्र.स./६४२५ परि./३७५०/१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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