Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 793
________________ ७८० पश्चिंद्र : .. .. पार्श्वनाथ छंद ले.सं. १८०५; हाथकागळ पत्र १०९; २३.५४१०.३ से.मि. पद्य ११. कर्ता-पायचंदगच्छना स्थापक छे. अमनो जन्म वि.स. १५३७-काळ वि.सं. १६१२. (जे. गू, क. भा. १, पृ. १३९). प्रति जीर्ण छे. प्र.स':/६१४१. परि./५१०२/२ भक्तिलाभ (उपा.) सीमंधर स्वामी विनती छंद ले.सं. १९०९; हाथकागळ पत्र १० थी ११, २६.७x १२.४ से.मि. पद्य १८. कर्ता-खरतरगच्छमां जयसागर उपा. नी परंपराना रत्नचंद्रना शिष्य होवानो- उल्लेख छे. (जे. सा. इति. पृ. ५९२-फ. ८७१). प्र.सं./६१४२ परि./७५७/७ भाणविजय (त.) - गोडा पाश्व नाथ छ'द ले.स. १९मु शतक (अनु.); हाथका गळ पत्र २१मु २४-१२०८ से.मि. अपूर्ण कर्ता--तपगच्छमां लब्धिविजयना शिष्य छे. अमनी वि.स. १७३७ रचना नांधायेली छे. (जै. गू. क., भा. २, पृ. ३५६). आ रचना जे. गू, क. मां नेांधायेली नथी.. प्र.स./६१४३ - __ परि./२७०६/१३ भानुमेरु (ख.) ... शंखेश्वर पार्श्वनाथ छद ले.स. १८९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र १७ थी २५; ...... २४.७४११ से.मि. पद्य १३२. कर्ता--खरतरगच्छमां जयसागर उपा.नी परंपराना चारित्रसागरना शिष्य होवानो .. उल्लेख छे. (जै. सा. इति. पृ. ५९२-फकरो ८७१). परि./४१०३/१ प्र.स./६१४१ भावविजय वाचक (त.) .. 1-पार्श्वनाथ छौंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३; २६४११.८ से.मि ..पद्य:५०. ....: . कर्ता-तपगच्छमां विजयदानसूरिनी परंपराना विमलहर्ष > मुनि विमलना शिष्य छे. अमनी वि.स. १६९६नी रचना नेांधायेली छे. (जै. गू क. भा. ३, ख. १, पृ. १०७२(१०७८). परंतु प्रस्तुत रचनामा परंपरानां जुदां नाम आवे छे.) प्र.स./६१४.५ परि./२२३२ . : २-अंतरीक पार्श्वनाथ छंद ले.स. १९९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १ थी ३; २६४१४ से.मि. पद्य ५१. प्रति जीण छे. परि./८५२३/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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